आंखों की बनावट
आंखों के बिना किसी कार्य को करने में हम असमर्थ हैं। मनुष्य के शरीर में आंखें वह अंग हैं जिसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। आंखें वह इन्द्रियां होती हैं जिसके कारण ही हम वस्तुओं को देख सकते हैं। हमारे शरीर की समस्त ज्ञानेन्द्रियों में आंखें सबसे प्रमुख ज्ञानेन्द्रियां हैं।वैसे तो प्रकृति ने हमारी आंखों की रक्षा का प्रबंध बहुत ही अच्छे ढंग से कर रखा है। आंखों की बनावट इस प्रकार की है कि हडि्डयों से बने हुए कटोरे इनकी रक्षा करते हैं। आंखो के आगे जो दो पलकें होती हैं वे आंखों में धूल तथा मिट्टी तथा अन्य चीजों से रक्षा करती है। आंखो की अन्दरुनी बनावट भी इस प्रकार की है कि पूरी उम्र भर आंखे स्वस्थ रह सकती हैं। सिर्फ आंखों की अन्दरूनी रक्षा के लिए उचित आहार की जरुरत होती है जिसके फलस्वरूप आंखें स्वस्थ रह सकती हैं। सभी व्यक्तियों की आंखें विभिन्न प्रकार की होती हैं तथा उनके रंग भी अलग-अलग हो सकते हैं।
हमारी आंखें इस प्रकार की होती हैं कि वे सभी वस्तुओं को आसानी से देख सकें। आज के समय में हम सभी व्यक्तियों को मजबूरी में चीजों को पास से देखना पड़ता है क्योंकि आज के समय में गंदगी, धूल तथा धुंआ इतना बढ़ गया है कि हमारी आंखें स्वस्थ नहीं रह पाती हैं। प्रकृति ने आंखों की सुरक्षा के लिए आंखों को चौकोर आकार में बनाया है और आंखो की सुरक्षा के लिए पलकें भी होती हैं जो आंखों को हवा, धूल तथा मिट्टी से बचाती हैं। अश्रु-ग्रन्थियां आंसुओं को आंख से बाहर निकालकर आंखों की धूल मिट्टी साफ कर देती हैं। आंसुओं में लाइसोजाइम नामक एन्जाइम होता है, जो आंखो के रक्षक का काम करता है और आंखों में संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं से रक्षा करता है।
अांखें आना :
लक्षण
यह रोग एक आंख या दोनों आंखों में खुजलाहट के साथ शुरू होता है। आंखें लाल हो जाती हैं और पलकें सूज जाती हैं, शुरू में आंखों से पानी या पतली कीच-सी निकलती है। इसके बाद आंखों की कोरों में गाढ़ी-सी सफेद या पीलापन लिये सफेद कीच-सी इकट्टी हो जाती है, आंख खोलना मुश्किल हो जाता है और रोगी प्रकाश सहन नहीं कर सकता। यदि इलाज न करवाया जाए, तो आंखों की पुतली में फोड़ा हो जाता है और आंख की पुतली पर सफेदा, माड़ा या फूला बन जाता है। इससे सदा के लिए नेत्रज्योति नष्ट भी हो सकती है।
रोग कैसे फैलता है : यह रोग दूषित हाथ या उंगलियां आंखों पर लगाने से, दूषित तौलिया, रूमाल आदि से आंखें पॉछने से और रोगी की अन्य दूषित चीजों के प्रयोग से भी फैलता है। मक्खियां भी इस रोग को एक रोगी से दूसरे रोगी तक पहुँचा देती हैं। यह रोग धूल, धुआं, गंदे पानी में नहाने या रोगी की सुरमा डालने की सलाई का इस्तेमाल करने से या एक ही उंगली द्वारा एक से अधिक बच्चों को काजल लगाने से भी हो जाता है।
रोकथाम
इस रोग की रोकथाम का सबसे उत्तम उपाय साफ रहना, सफाई के प्रति सावधानी बरतना और पास-पड़ोस को साफ-सुथरा रखना है। रोगी के प्रतिदिन काम आने वाले के लिए रूमाल और वस्त्रों को जब तक अच्छी तरह साफ न कर लें, दूसरों के कपड़ों के साथ न मिलाएं, भीड़-भाड़ से बचकर रहें। घर में सभी के लिए एक सुरमा-सलाई का उपयोग न करें। आंखों में काजल न डालें, आंखें नित्य ठण्डे और साफ पानी से धोएं।
रोहे : आंखों का दुखना (कंजक्टीवाइटिस) से मिलती-जुलती एक और आंखों की बीमारी होती है। इस बीमारी में पलकों की भीतरी सतह पर दाने निकल आते हैं और आंखें दुखने लगती हैं। यह भी एक छूत की बीमारी होती है और अधिकतर शिशुओं एवं छोटे बच्चों को यह बीमारी जल्दी लगती है। इस बीमारी की रोकथाम एवं बचाव भी उसी तरह सम्भव है, जिस प्रकार आंखों का दुखना (कंजक्टीवाइटिस) में उपाय बताए गए हैं।
आँखों की रोशनी -
दृष्टि कमजोर होना आज की जीवन शैली की एक आम समस्या है।
- यहाँ तक कि निविदा आयु वर्ग के स्कूल जाने वाले बच्चों को भी कमजोर आंखों के कारण चश्मे का उपयोग करते देखा जा सकता है।
- गर्मी और मस्तिष्क की कमजोरी कमजोर दृष्टि का एक मुख्य कारण है।
- एक शक्तिशाली प्रकाश में निरंतर पढ़ना, पाचन विकार, असंतुलित खाने और भोजन में विटामिन ए की कमी भी कमजोर दृष्टि के लिए जिम्मेदार हैं।
आँखों की रोशनी -
दृष्टि कमजोर होना आज की जीवन शैली की एक आम समस्या है।
- यहाँ तक कि निविदा आयु वर्ग के स्कूल जाने वाले बच्चों को भी कमजोर आंखों के कारण चश्मे का उपयोग करते देखा जा सकता है।
- गर्मी और मस्तिष्क की कमजोरी कमजोर दृष्टि का एक मुख्य कारण है।
- एक शक्तिशाली प्रकाश में निरंतर पढ़ना, पाचन विकार, असंतुलित खाने और भोजन में विटामिन ए की कमी भी कमजोर दृष्टि के लिए जिम्मेदार हैं।
- शराब के सेवन से भी आँखों पर प्रभाव पड़ता है ।
- कमजोर दृष्टि विशेष रूप से बच्चों और युवा लोगों में से कई मामलों में चुंबक चिकित्सा के लिए अच्छी तरह से प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
- शुद्ध शहद को आंख में बूंद के रूप में आहार के भाग के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
कमजोर दृष्टि के लक्षण
वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करते वक़्त आंख की मांसपेशियों में तनाव
आंखों पर अत्यधिक तनाव मांसपेशियों को कमजोर करते हैं
कमजोर आंख की मांसपेशिया दृष्टि में समस्याओं का कारण बनती है
आंखों से धुंधला दिखना
लघु दृष्टि और लंबे दृष्टि
. लंबी दूरी की वस्तुओं को देखने में सक्षम न होना
. पास की वस्तुओं को देखने में सक्षम न होना
लंबी दूरी की वस्तुओं को देखने में परेशानी
आंखों में जलन
आंखों में पानी आना
अध्ययन के दौरान सिर में भारीपन
लगातार आम सर्दी होना
कारण -
आंख पर जोर का सबसे सामान्य कारण आंख पर बढ़ता काम का तनाव है। दुनिया में अधिकतर लोगो की आँखे लगातार किताबें पढ़ने से, स्मार्टफोन या कंप्यूटर स्क्रीन पर तीव्र और लंबे समय तक एकाग्रता से देखने से आसानी से थक जाती है।बहुत लंबे समय के लिए कंप्यूटर स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करना भी आंख में तनाव पैदा कर सकता है। यह सच है कि टीवी और कंप्यूटर स्क्रीन को लगातार घूरना आंखों के लिए अच्छा नहीं है।स्क्रीन को लगातार न देखना पड़े ऐसी कोशिश करो और हर 20 मिनट बाद २० सेकंड के लिए २० फ़ीट दूर किसी वस्तु को देखो। इसके अलावा आप चमक को कम करने के लिए अपने स्क्रीन सेटिंग्स समायोजित कर सकते हैं। लगातार अध्ययन करना पड़े तो बीच में समय निकालकर एक बार टहलने के लिए उठे और आसपास की किसी वस्तु पर या अपनी आँखें किसी अलग कार्य पर केंद्रित करे,इससे आँखों को आराम रहेगा ।अत्यधिक समय टीवी देखने में खर्च करना
कंप्यूटर स्क्रीन पर पास से लगातार काम करना
अत्यधिक पढ़ते रहने से
हवा में हानिकारक प्रदूषकों के संपर्क में आने से
नेत्र समस्याओं के लिए घरेलू उपचार -
1. सौंफ पाउडर और धनिया बीज पाउडर लेकर बराबर अनुपात का एक मिश्रण तैयार करें।फिर बराबर मात्रा में चीनी मिला ले। 12 ग्राम हर सुबह और शाम की खुराक में ले लो। यह मोतियाबिंद के साथ साथ कमजोर आँखों के लिए भी फायदेमंद है।
2. कमजोर दृष्टि के लोगों को हर रोज गाजर के जूस का सेवन करना चाहिए ,यह महान लाभ प्रदान करेगा।
3. धनिया के तीन भागों के साथ चीनी के एक भाग का मिश्रण तैयार करे। उन्हें पीस लें और उबलते पानी में इस संयोजन को डालें और एक घंटे के लिए इसे ढककर रखें। फिर एक साफ कपड़े से इसे छानकर प्रयोग करे । यह नेत्रश्लेष्मलाशोथ के लिए एक अमोघ इलाज है।
4. दूध में बादाम को भिगोकर उन्हें रात भर रखा रहने दे । सुबह इसमें चंदन भी मिलाये। इसे पलकों पर लगाये । यह नुस्खा आंखों की लालिमा को बिलकुल कम कर देता है।
6. इलायची के दो छोटे टुकड़े ले लो। उन्हें पीसकर दूध में डाले और दूध को उबाल कर रात में इसे पिये। यह आंखों को स्वस्थ बनाता है।
7 .आँखों की देखभाल के लिए आहार में विटामिन ए का शामिल होना अनिवार्य है। विटामिन 'ए' गाजर, संतरे और कद्दू , आम, पपीता और संतरे, नारंगी और पीले रंग की सब्जियों में निहित है। पालक, धनिया आलु और हरी पत्तेदार सब्जियों, डेयरी उत्पादों तथा मांसाहारी खाद्य पदार्थ, मछली, जिगर,अंडे में विटामिन ए की एक उचित मात्रा विद्यमान होती है।
8. मोतियाबिंद का खतरा आहार में विटामिन सी लेने से कम हो जाता है। इसलिए अमरूद, संतरे, नींबू और टमाटर, शिमला मिर्च, गोभी, आदि के रूप में विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ आहार में शामिल किया जाना चाहिए।
9 ब्लूबेरी दृष्टि बढ़ाने के लिए और नेत्र हीन के लिए एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है। यह रात के समय की दृष्टि में सुधार करने में मदद कर सकते हैं क्योंकि यह रेटिना के दृश्य बैंगनी घटक के उत्थान को उत्तेजित करता है। साथ ही, यह धब्बेदार अध: पतन, मोतियाबिंद और मोतियाबिंद के खिलाफ सुरक्षा करता है। पका हुआ फल ब्लूबेरी हर रोज आधा कप खाओ।
10. बादाम भी ओमेगा - 3 फैटी एसिड, विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट सामग्री की वजह से दृष्टि में सुधार के लिएबहुत लाभदायक हैं। यह स्मृति और एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद करता है। रात भर पानी में 5 से 10 बादाम भिगो दे। अगली सुबह छिलका उतारकर बादाम पीस ले। एक गिलास गर्म दूध के साथ इस पेस्ट को खाए। कम से कम कुछ महीनों के लिए इसे प्रयोग करो।
11. 1 कप गर्म दूध मे आधा चम्मच मुलेठी पाउडर, ¼ छोटा चम्मच मक्खन और 1 चम्मच शहद अच्छी तरह मिक्सकरके सोते समय इसे पिये। आँखों की रोशनी बढ़ाने में यह बहुत लाभदायक है।
आंखों के व्यायाम
आंखों के व्यायाम अपनी आंख की मांसपेशियों को अधिक लचीला बनाने, आंखों के लिए ऊर्जा और रक्त प्रवाह में लानेऔर इष्टतम दृष्टि बनाए रखने के लिए बहुत आवश्यक है ।
यहाँ कुछ व्यायाम बताये जा रहे है ताकि आपकी दृष्टि में सुधार हो सके :
1 एक हाथ की दूरी पर एक पेंसिल पकड़ कर उस पर ध्यान केंद्रित करे। धीरे-धीरे इसे अपनी नाक के करीब लाए और फिर इसे अपनी दृष्टि से आगे ले जाने के लिए नाक से दूर ले जाये।इस दौरान आप अपनी दृष्टि पेंसिल की नोक पर ही केंद्रित रखे।इसे एक दिन में 10 बार दोहराएँ।
2 कुछ सेकंड के लिए घड़ी की दिशा में अपनी आँखें गोल घुमाए , और फिर कुछ सेकंड के लिए विपरीत दिशा में घुमाए और इसे चार या पांच बार दोहराएँ।
3 अपनी आंखों के 20 से 30 गुना तेजी से बार-बार पलक झपकाये, अपनी आँखें फैलाएं और पलक बार बार झपकाते रहे । अंत में, अपनी आँखें बंद करो और उन्हें आराम दो।
4 थोड़ी देर के लिए एक दूर की वस्तु पर अपनी दृष्टि ध्यान लगाओ। अपनी आंखों के दबाव के बिना यह करने के लिएसबसे अच्छा तरीका है कि आप चाँद को देखो और हर रोज तीन से पांच मिनट के लिए उस पर ध्यान केंद्रित करे ।
इन आंखों के व्यायाम से अधिक उत्साहजनक परिणाम पाने के लिए कम से कम कुछ महीनों के लिए नियमित अभ्यास करें।
आवश्यक सुझाव -
हर रोज 2-3 बार पानी के साथ अपनी आँखें धोएं।
अपनी हथेलियों को तब तक आपस में रगड़े जब तक वे गर्म न हो जाये और फिर अपने हथेलियों के साथ अपनी आंखों को ढके। यह आंख की मांसपेशियों को आराम में मदद करता है।
आपके कंप्यूटर की स्क्रीन की चकाचौंध रौशनी को कम करकर रखे ताकि आँखों पर बुरा प्रभाव न पड़े।
आँखों को धूल, मिटटी और सूरज की तेज किरणों से बचाना चाहिए ।
लगातार काम करते समय बीच में आँखों को कुछ विश्राम देते रहे।
विभिन्न दृष्टि समस्याओं के लक्षण क्या हैं?
प्रत्येक आंख समस्या के साथ जुड़े आम लक्षण इस प्रकार है-
निकट दृष्टि दोष : इस दोष में निकट की वस्तुएँ तो साफ़ दिखाई देती है किन्तु दूर की वस्तुए धुंधली दिखाई देती है। दूर की वस्तुएँ देख पाने में व्यक्ति खुद को असमर्थ महसूस करने लगता है।
दूर दृष्टि दोष : इस दोष में दूर की वस्तुएँ तो साफ़ दिखाई देती है किन्तु पास की वस्तुऍ धुंधली दिखाई देती है। निकट के काम करने में परेशानी होने लगती है,सब धुंधला सा दिखने लगता है।
दृष्टिवैषम्य: इस दोष में किसी भी दूरी की वस्तु साफ़ दिखाई नही देती। धुंधलापन महसूस होने लगता है।
रेटिना टुकड़ी: जब अचानक से चमकती रोशनी आँखों पर पड़ती है तो उसके बाद दृष्टि में काले धब्बों का संयोजन होने लगता है। कुछ देर तक आँखों के सामने काले धब्बे दिखाई देते रहते है इसे रेटिना टुकड़ी दोष कहा जाता हैरंग अंधापन: रंग दृष्टि दोष में आमतौर पर रोगी रंगो में भेद करने में खुद को असमर्थ महसूस करने लगता है। रंगो के प्रति उनकी आँखे असंवेदनशील हो जाती है।
रतौंधी:
मंद प्रकाश में वस्तुओ को देख पाने में कठिनाई रतौंधी का एक संकेत है। यह अक्सर विटामिन डी की कमी से होता है।
मोतियाबिंद: मोतियाबिंद विकास आम तौर पर एक क्रमिक प्रक्रिया है, आपका पहला लक्षण धुंधला दिखाई देने से सम्बंधित होता है। एक नियमित नेत्र परीक्षा के दौरान इसकी पहचान की जा सकती है।
लक्षणों में शामिल हैं:- चमकदार रोशनी में आँखों से धुंधला दिखाई देना। - रात में कमजोर दृष्टि और कुछ भी देख पानेमें कठिनाई
- ऑटोमोबाइल हेडलाइट्स या उज्ज्वल सूरज की रोशनी से चकाचौंध या असहज चमक- पढ़ने के लिए उज्जवल प्रकाश की जरूरत होना - रंग फीका या धुंधला दिखना - एक आंख में डबल या ट्रिपल दृष्टि (ओवरलैपिंग चित्र) - सामान्य रूप से अंधेरे पुतली के लिए एक दूधिया सफेद या अपारदर्शी उपस्थिति
- दर्दनाक सूजन और आंख के भीतर दबाव
तिर्यकदृष्टि: इस दोष में आंखें एक समन्वित पैटर्न में एक साथ स्थिर नही रहती। इस तरह की दृष्टि समस्याओं में व्यक्ति की एक या दोनों आँखे अक्सर रगड़ कर सकती हैं और भेंगापन हो सकता है।
निम्नलिखित दृष्टि समस्याओं के बारे में तुरंत डॉक्टर को दिखाओ :
आपकी दृष्टि में प्रकाश की चमक के रूप में रेटिना टुकड़ी के लक्षण अनुभव होने पर आपको आंखों की दृष्टि की रक्षा करने के लिए तत्काल इलाज की जरूरत है।
यदि आपको लग रहा है कि एक पर्दा अपनी दृष्टि का हिस्सा में उतारा जा रहा है ।एक आँख से या दोनों आँखों से धुंधला दिखने पर तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करने की जरूरत है।
यदि आप असामान्य रूप से उज्ज्वल प्रकाश के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं तो आपकी आंख (यूवाइटिस)के अंदर सूजन हो सकती है। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे।
आँखों से लगातार पानी आने पर आंख में संक्रमण का खतरा हो सकता है।
यदि लगातार लेंस पहनने से आप असहज हो जाते हैं या लेंस हटाने पर भी आपको दर्द है तो कार्निया सूजन (स्वच्छपटलशोथ), या एक कार्निया अल्सर हो सकता है। इसलिए तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करे।
आंख की कोई चोट भी आपकी दृष्टि को प्रभावित करती है ,आपको आंतरिक रक्तस्राव या अपनी आंख के आसपास की हड्डी के फ्रैक्चर हो सकता है। यह एक आपातकालीन चिकित्सा है।
आँखों में किसी भी प्रकार की लालिमा, जलन या दर्द की स्तिथि में अपने नेत्र चिकित्सक से संपर्क करे।
तरह मिक्सकरके सोते समय इसे पिये। आँखों की रोशनी बढ़ाने में यह बहुत लाभदायक है।
सुबह के समय में जल्दी उठना चाहिए तथा हरी घास पर नंगे पैर कुछ दूर तक चलना चाहिए। रोजाना ऐसा करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
आंखों को प्रतिदिन दो बार पानी से धोना चाहिए। आंखों को धोने के लिए सबसे पहले एक मोटा तौलिया लेना चाहिए। इसके बाद चेहरे को दो मिनट के लिए आंखें बंद करके रगड़ना चाहिए। फिर आंखों पर पानी मारकर आंखों को धोना चाहिए। इसके बाद साफ तौलिए से आंखों को पोंछना चाहिए। एक दिन में कम से कम 6 से 7 घण्टे की नींद लेनी चाहिए। इससे आंखों की देखने की शक्ति पर कम दबाव पड़ता है। इसके फलस्वरूप आंखों में किसी प्रकार के रोग नहीं होते हैं और यदि आंखों में किसी प्रकार के रोग होते भी हैं तो वे ठीक हो जाते हैं।
आंखों के दृष्टिदोष को दूर करने के लिए रोगी व्यक्ति को कम से कम पांच बादाम रात को पानी में भिगोने के लिए रखने चाहिए। सुबह उठने के बाद बादामों को उसी पानी में पीसकर पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को खाना खाने के बाद अपनी आंखों पर कुछ समय के लिए लगाएं। इसके बाद आंखों को ठंडे पानी से धोएं और साफ तौलिए से पोंछे। इसके साथ-साथ रोगी व्यक्ति को गाजर, नारियल, केले, तथा हरी सब्जियों का भोजन में अधिक उपयोग करना चाहिए। कुछ महीनों तक ऐसा करने से आंखों में दृष्टिदोष से सम्बन्धित सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
आंखों में किसी भी प्रकार के रोग से पीड़ित रोगी को फलों में सेब, संतरे, बेर, चेरी, अनन्नास, पपीता, अंगूर आदि फलों का सेवन अधिक करना चाहिए। इन फलों में अधिक मात्रा में विटामिन `ए´, `सी´ तथा कैल्शियम होता है जो आंखों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
आंखों के किसी भी प्रकार के रोग से पीड़ित रोगी को हरी सब्जियों में पत्तागोभी, पालक, मेथी तथा अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे शाक, मूली का भोजन में अधिक सेवन करना चाहिए। क्योंकि इनमें अधिक मात्रा में विटामिन `ए´ पाया जाता है और विटामिन `ए´ आंखों के लिए लाभदायक होता है।
आंखों के रोगों को दूर करने के लिए कंद मूल जैसे- आलू, गाजर, चुकंदर तथा प्याज का अधिक सेवन करना चाहिए। ये कंद मूल आंखों के लिए लाभदायक होते हैं।
अखरोट, खजूर, किशमिश तथा अंजीर का प्रतिदिन सेवन करने से आंखों के बहुत सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
प्रतिदिन बिना क्रीम का दूध तथा मक्खन खाने से आंखों में कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं और यदि हैं भी तो वे जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।
पके हुए भोजन में प्रतिदिन चपाती में घी लगाकर खाने से आंखों को बहुत लाभ मिलता है।
आंखों को कई प्रकार के रोगों से बचाने के लिए व्यक्ति को डिब्बाबंद भोजन, केचप, जैम, ज्यादा गर्म भोजन, सूखे भोजन, तली हुई सब्जियां, आचार, ठंडे पेय पदार्थ, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री तथा घी और चीनी से बनी चीजें, मैदा तथा बेसन की मिठाइयों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
रात को किसी मिट्टी या कांच के बर्तन में पानी भरकर एक चम्मच त्रिफला का चूर्ण भिगोने के लिए रख दें और सुबह के समय में इसे किसी चीज से छानकर पानी से बाहर निकाल लें। फिर इस पानी से आंखों को धोएं। इस प्रकार से यदि प्रतिदिन उपचार किया जाए तो आंखों के बहुत सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
आंखों के अनेकों रोगों को ठीक करने के लिए प्रतिदिन नेत्र स्नान करना चाहिए। नेत्र स्नान करने के लिए सबसे पहले एक चौड़े मुंह का बर्तन ले लीजिए तथा इसके बाद उसमें ठंडा पानी भर दीजिए। फिर इस पानी में अपने चेहरे को डुबाकर अपनी आंखों को पानी में दो से चार बार खोलिए और इसके बाद साफ कपड़े से चेहरे तथा आंखों को पोंछिए।
प्रतिदिन सुबह के समय घास पर पड़ी हुई ओस को पलकों पर तथा आंखों के अन्दर लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है तथा आंखों के अनेकों रोग ठीक हो जाते हैं।
प्रतिदिन ठंडे पानी की धार सिर पर लेने से आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है तथा आंखों के रोग भी ठीक हो जाते हैं।
सुबह के समय में उठते ही कुल्ला करके मुंह में ठंडा पानी भर लेना चाहिए तथा पानी को कम से कम एक मिनट तक मुंह के अन्दर रखना चाहिए। इसके साथ-साथ आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारते हुए धीरे-धीरे पलकों को मसलना चाहिए। फिर इसके बाद पानी को मुंह से बाहर उगल दें। इस क्रिया को दो से चार बार प्रतिदिन दोहराएं। इस प्रकार से प्रतिदिन करने से आंखों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं तथा आंखों के देखने की शक्ति में वृद्धि होती है।
प्रतिदिन 5-6 पत्ती तुलसी, एक काली मिर्च तथा थोड़ी सी मिश्री को एक साथ चबाकर खाने से आंखों के रोग जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।
प्रतिदिन गाजर तथा चुकंदर का रस पीने से आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है।
प्रतिदिन 5 भिगोए हुए बादाम चबा-चबाकर खाने से आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है।
प्रतिदिन एक आंवले का मुरब्बा खाएं क्योंकि आंवले में विटामिन `सी´ की मात्रा अधिक होती है जिसके फलस्वरूप आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं तथा आंखों की रोशनी में वृद्धि होती है।
प्रतिदिन सुबह तथा शाम को चीनी में सौंफ मिलाकर खाने से आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है।
हरे धनिये को धोकर फिर उसको पीसकर रस बना लें। इस रस को छानकर दो-दो बूंद आंखों में डालने से आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं तथा आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है।
कच्चे आलू को पीसकर सप्ताह में कम से कम दो बार आंखों के ऊपर 10 मिनट के लिए लगाने से आंखों की रोशनी तेज हो जाती है।
प्रतिदिन भोजन करने के बाद हाथों को धो लीजिए तथा इसके बाद अपनी गीली हथेलियों को आंखों पर रगड़ने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
आंखों के रोग से पीड़ित रोगी को रात के समय में जल्दी सो जाना चाहिए तथा गहरी नींद में सोना चाहिए। सोते समय आंखों को हथेलियों से ढक लें और किसी नीली वस्तु का ध्यान करते-करते सो जाएं। सुबह के समय में उठते ही 5 मिनट तक इसी प्रकार से दुबारा ध्यान करे और आंखों को खोलें। इस प्रकार की क्रिया करने से आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
प्रतिदिन शुद्ध सरसों के तेल से सिर पर मालिश करने तथा दो बूंद तेल कानों में डालने से आंखों की रोशनी बढ़ने लगती है।
प्रतिदिन सुबह तथा शाम के समय में कम से कम 20 मिनट तक उदरस्नान करने से भी आंखों की रोशनी बढ़ती है।
प्रतिदिन मेहनस्नान करने से आंखों के कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
आंखों के बहुत सारे रोगों को ठीक करने के लिए प्रतिदिन आंखों और गर्दन के पीछे के भाग पर भीगी पट्टी का प्रयोग करने से आंखों में जलन, दर्द तथा लाली रोग ठीक हो जाते हैं।
आंख आने में कपड़े की गीली पट्टी को 10 से 15 मिनट तक आंखों पर रखना चाहिए तथा कुछ समय के बाद इस पट्टी को बदलते रहना चाहिए। इसके साथ ही कम से कम तीन घण्टे के बाद आंखों की 20 मिनट तक गर्म पानी से भीगे कपड़े से सिंकाई करनी चाहिए। इसके फलस्वरूप आंखों का यह रोग ठीक हो जाता है।
आंख आने पर मांड के कारण पलकें आपस में चिपक जाती हैं। इस समय आंखों को खोलने में कभी भी जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। आंखों को खोलने के लिए आंखों पर पानी के छींटे मारने चाहिए तथा जब तक आंखों की पलकें न खुल जाएं तब तक आंखों पर पानी मारने चाहिए। इसके बाद नीले रंग का चश्मा आंखों पर लगाना चाहिए तथा नीली बोतल के सूर्यतप्त जल से सनी मिट्टी की पट्टी पेड़ू पर दिन में 2 बार लगानी चाहिए। ऐसा करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
आंखों के विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए साफ पिण्डोल मिट्टी की पट्टी का लेप बनाकर आंखों के आस-पास चारों तरफ लगाना चाहिए। यह पट्टी एक बार में कम से कम 15 मिनट तक लगानी चाहिए। इस क्रिया को दिन में कम से कम 2-3 बार दोहराएं। इसके फलस्वरूप रोगी व्यक्ति को बहुत लाभ मिलता है।
आंखों की अनेकों बीमारियों को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को दिन में उदरस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद मेहनस्नान करना चाहिए। इसके बाद रीढ़ की ठंडी पट्टी का प्रयोग करना चाहिए। इससे रोगी को बहुत लाभ मिलता है।
आंखों के रोगों को ठीक करने के लिए उषापान करना चाहिए। उषपान केवल आंखों के रोगों को ही ठीक नहीं करता है बल्कि शरीर के और भी कई प्रकार के रोगों को भी ठीक करता है। उषापान करने के लिए रोगी व्यक्ति को रात के समय में तांबे के बर्तन में पानी को भरकर रखना चाहिए तथा सुबह के समय में उठते ही इस पानी को पीना चाहिए। इससे शरीर के अनेकों प्रकार के रोग तथा आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं तथा आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। उषापान करने से मस्तिष्क का विकास होता है तथा पेट भी साफ हो जाता है।
आंखों तथा शरीर के विभिन्न प्रकार के रोगों को ठीक करने के लिए प्रतिदिन जलनेति क्रिया करनी चाहिए।
शुद्धकमल को जलाकर उसका काजल बनाकर प्रतिदिन रात को सोते समय आंखों में लगाने से आंखों की रोशनी तेज होती है तथा आंखों के विभिन्न प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
चांदनी रात में चन्द्रमा की तरफ कुछ समय के लिए प्रतिदिन देखने से आंखों की दृष्टि ठीक हो जाती है।
यदि किसी रोगी व्यक्ति की देखने की शक्ति कमजोर हो गई है तो उसे प्रतिदिन दिन में 2 बार कम से कम 6 मिनट तक आंखों को मूंदकर बैठना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत लाभ मिल
आंखों के रोगों से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह के समय में उठकर अपनी आंखों को बंद करके सूर्य के सामने मुंह करके कम से कम दस मिनट तक बैठ जाना चाहिए। इससे रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
आंखों के रोग से पीड़ित रोगी को कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे आंखों से देखने के लिए जोर लगाना पड़े जैसे- अधिक छोटे अक्षर को पढ़ना, अधिक देर तक टी.वी. देखना आदि।
आंखों के रोग से पीड़ित रोगी को पानी पीकर सप्ताह में एक दिन उपवास रखना चाहिए। यदि कब्ज की शिकायत हो तो उसे दूर करने के लिए एनिमा क्रिया कीजिए। इससे रोगी व्यक्ति की आंखों के रोग ठीक हो जाते हैं।
आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात की तुरंत असर हर्बल औषधि
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