29.7.25

विटामिन B12 की कमी के लक्षण और उपचार

 

B12 किस चीज में पाया जाता है?
"विटामिन B12 किस चीज में पाया जाता है?"—ये सवाल आजकल हर स्वास्थ्य सजग व्यक्ति के मन में होता है।
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में सही पोषण लेना एक चुनौती बन गई है, और विटामिन B12 की कमी आम होती जा रही है।
विटामिन B12 शरीर के लिए उतना ही ज़रूरी है जितना पेट्रोल एक गाड़ी के लिए। यह नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है, खून में लाल रक्त कोशिकाओं (RBCs) का निर्माण करता है, और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखता है। इस लेख में हम जानेंगे कि विटामिन B12 किस चीज़ में पाया जाता है, इसके लक्षण, फायदे, आयुर्वेदिक सुझाव और घरेलू उपाय।

 विटामिन B12 की कमी के लक्षण 

लगातार थकान और कमजोरी
याददाश्त की कमी
सांस फूलना या चक्कर आना
हाथ-पैरों में झुनझुनाहट
पीली त्वचा या पीलापन
मूड स्विंग्स और डिप्रेशन
जीभ पर सूजन या जलन
अगर आप इन लक्षणों को महसूस कर रहे हैं, तो हो सकता है आपको विटामिन B12 की कमी हो। समय रहते इसे पहचानना और सही उपाय करना बेहद ज़रूरी है।

 B12 किस चीज में पाया जाता है?

 जानिए B12 के प्रमुख स्त्रोत (Non-Veg Foods)अंडा (Egg Yolk)
मछली (Fish – Salmon, Tuna)
चिकन और मटन (Chicken, Mutton)
डेयरी उत्पाद (दूध, दही, पनीर, चीज़)
लीवर और किडनी (Liver, Kidney – विशेष रूप से भेड़ या गाय की)
शाकाहारी लोगों के लिए विकल्प-
 Sources)फोर्टिफाइड अनाज (Fortified Cereals)
सोया दूध और बादाम दूध (Soy & Almond Milk with B12 fortification)
 नोट: प्राकृतिक रूप से शुद्ध शाकाहारी स्रोतों में B12 बहुत कम या नहीं के बराबर होता है, इसलिए सप्लीमेंट की सलाह दी जाती है।

 आयुर्वेदिक सुझाव और घरेलू नुस्खे-

 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ जो पाचन और अवशोषण में मदद करेंत्रिफला चूर्ण – पाचन को दुरुस्त करके B12 के अवशोषण में मदद करता है।
अश्वगंधा – थकान दूर करता है और ऊर्जा को बढ़ाता है।
गिलोय – इम्यूनिटी को मजबूत करता है, जिससे शरीर B12 को बेहतर तरीके से ग्रहण कर पाता है।
 घरेलू उपायसुबह खाली पेट एक ग्लास गुनगुना नींबू पानी पीएं। इससे पाचन सुधरता है और शरीर सप्लीमेंट या आहार से B12 को बेहतर तरीके से सोख पाता है।
सप्ताह में कम से कम दो बार अंकुरित अनाज और हरी सब्जियों का सेवन करें।
अगर आप वेगन हैं, तो फोर्टिफाइड फूड्स और B12 टैबलेट्स का प्रयोग करें 
 फल और जड़ी-बूटियाँ जो B12 की कमी में सहायक हैं
अमरूद: 
विटामिन C के साथ-साथ पाचन को बेहतर बनाकर B12 के अवशोषण में मदद करता है।
आंवला:
पाचन शक्ति बढ़ाता है और आयरन के साथ B12 के लाभ को और बढ़ाता है।
एलोवेरा जूस: 
शरीर की सफाई करके पोषक तत्वों के अवशोषण को तेज करता है।
केला:
B-Complex Vitamins से भरपूर, मानसिक ऊर्जा और फोकस को बढ़ावा देता है।
 सप्लीमेंट की ज़रूरत कब और कैसे?
यदि आप पूरी तरह से शाकाहारी हैं या उपरोक्त लक्षणों से जूझ रहे हैं, तो आपको डॉक्टर की सलाह से विटामिन B12 सप्लीमेंट लेना चाहिए। ये टैबलेट, कैप्सूल, या इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध होते हैं।
सावधानी: बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा या इंजेक्शन ना लें।
B12 की कमी को कैसे रोका जा सकता है? 
अपने भोजन में प्रोटीन और डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल करें।
हर 6 महीने में एक बार हेल्थ चेकअप कराएं।
तनाव कम करें और योग/प्राणायाम को दिनचर्या में जोड़ें।
बच्चों और गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

13.7.25

केला खाने के फायदे और इसके औषधीय गुण

 


घरेलु आयुर्वेद से चिकत्सा के विडियो की श्रुंखला में आज "केला खाने के फायदे और औषधीय  गुण"  बताने वाले हैं 
केला एक स्वादिष्ट और पौष्टिक फल है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह ऊर्जा का एक उत्कृष्ट स्रोत है, पाचन में सुधार करता है, हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, और हड्डियों को मजबूत बनाता है।

केला एक ऐसा फल है, जो बच्‍चे हों या फिर बड़े ह‍र क‍िसी को पसंद आता है. इसकी प्राकृतिक म‍िठास और इसके भीतर का पोषण, दोनों ही इसे इसे कई लोगों का फेवरेट फ्रूट बनाता है. केला एक बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट फल है, जो आसानी से उपलब्ध होता है और हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. 

हीमोग्लोबिन में वृद्धि-

केला हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद कर सकता है, क्योंकि इसमें आयरन और विटामिन बी6 होते हैं, जो हीमोग्लोबिन उत्पादन के लिए आवश्यक हैं. केले में मौजूद आयरन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells) के निर्माण में मदद करता है, जो हीमोग्लोबिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.
2. डाइजेशन में मदद: केला पाचन तंत्र के लिए अच्छा होता है, क्योंकि इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है. यह पेट की दीवारों को सुकून देता है और आंतों की सफाई में मदद करता है. अगर आपका पाचन तंत्र सामान्य है, तो आप इसे खाली पेट खा सकते हैं.
3. हार्ट हेल्‍थ के लि‍ए अच्‍छा: केले में पोटैशियम की भरपूर मात्रा होती है, जो सोड‍ियम के इफेक्‍ट को कंट्रोल रखने में मदद करता है. इससे ब्‍लड प्रेशर को कट्रोल करने में मदद म‍िलती है और इसलि‍ए ये हार्ट हेल्‍थ के लि‍ए अच्‍छा होता है. अगर इसे खाली पेट खाया जाए तो यह आपके हार्ट के ल‍िए अच्‍छा साबित होता है.
                        हार्ट अटैक से बचाता है केला 

यदि आप स्वयं को स्वस्थ एवं लंबे समय तक जवां बनाये रखना चाहते हैं तो आप आज से ही रोज़ एक केला खाना शुरू कर दीजिए। यक़ीन मानिए इससे आपको एक अलग ही level का सुखद एहसास होगा। केला आपकी आंखों व दिल को स्वस्थ रखने में बेहद अच्छी भूमिका निभाता है। इसमें पायी जाने वाली पोटैशियम की मात्रा हार्ट की बीमारी से बचाता है। साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ाता है।

एनर्जी देता है केला

केला एक ऐसा फल है, जो ग्लूकोज से भरा हुआ होता है और ये शरीर को तुरंत एनर्जी प्रदान करने का काम करता है। अगर आप सुबह उठने के बाद लो फील कर रहे हैं या फिर थका-थका महसूस कर रहे हैं तो आप दो केले खाली पेट खा सकते हैं, जो आपको तुरंत एनर्जी देने का काम करेंगे।

                      पाचन तंत्र के लिए केले के फायदे 
केला पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और कब्ज से राहत दिलाता है। केले में मौजूद पेक्टिन नामक फाइबर पाचन को दुरुस्त करता है और आंतों में जमा पुराने मल को बाहर निकालने में मदद करता है. इसके अलावा, केले में प्रोबायोटिक्स भी होते हैं जो आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं, जिससे पाचन स्वास्थ्य में सुधार होता है.

शरीर में ताक़त व स्फूर्ति का अनुभव-

केले में भरपूर पोटैशियम एवं कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। जिसका सेवन करने से जल्दी भूख भी नहीं लगती और पेट भी भर हुआ महसूस होता है। अगर आप भी स्कूल कॉलेज या ऑफ़िस जाते वक्त जल्दी-जल्दी में अपना नाश्ता करना या साथ लेकर जाना भूल जाते हैं तो आप अपने टिफ़िन में केले bananas को रखकर एक बढ़िया सा Break fast तैयार कर सकते हैं।

         डायबिटीज एक दिन में कितने केले खा सकता है?

केले में शुगर भले ही पाए जाते हैं, लेकिन इसे खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है। यह लो ग्लाइसिमिक इंडेक्स का होता है, जिसके कारण इसे खाने से शुगर ब्लड में धीरे-धीरे रिलीज होता है। साथ ही, इसमें मौजूद फाइबर भी ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डायबिटीज होने पर आप प्रतिदिन एक केला खा सकते हैं
मधुमेह रोगी केले खा सकते हैं, लेकिन समझदारी भरे फैसले और मात्रा प्रबंधन के साथ। केले मधुमेह के लिए "बुरे" नहीं हैं, लेकिन उन्हें प्रभावी रूप से योजनाबद्ध भोजन के हिस्से के रूप में खाया जाना चाहिए। बहुत पके हुए केले लें, छोटे या मध्यम आकार के केले चुनें और उन्हें प्रोटीन या स्वस्थ वसा के साथ मिलाएँ।

रात मे केले खाने के फायदे

रात को  केला खाने से आपकी नींद के चक्र को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह शरीर को सेरोटोनिन बनाने में मदद करता। सेरोटोनिन एक मस्तिष्क हार्मोन है जिससे आपकी नींद बेहतर होती है। दरअसल, केले में ट्रिप्टोफैन (Tryptophan) नामक अमीनो एसिड होता है जो सेरोटोनिन बनाने में मदद करता है। रात में जब आप केला खा कर सोते हैं तो ये नींद-जागने के चक्र को नियंत्रित करता है और नींद न आने, घबराहट और डिप्रेशन को कम करने में मद

दिन में केला कब खाएं-



दिन में केला खाने का सबसे अच्छा समय है सुबह 8 से 9 के बीच , नाश्ते के बाद। इस दौरान केला खाने से ये आपके नाश्ते और लंच के बीच पाचन तंत्र के लिए तेजी से काम करता है और शरीर को इसके सारे न्यूट्रिशन मिल जाते हैं।

                 पुरुषों में कामेच्छा बढ़ाता है केला 

केले में ब्रोमेलैन नामक एक एंजाइम होता है, जो रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने और कामेच्छा बढ़ाने में मदद करता है। अगर कोई मर्द सेक्स से पहले केला खाता है तो यह मूड में सुधार करता हैअगर आपका मूड खराब है, तो आप केला खाकर देखें। इससे आपका मूड अच्छा हो जाएगा और आप बेहतर महसूस करेंगे।

सावधानी -

1. खाली पेट अधिक एसिडिटी हो सकती है: केले में प्राकृतिक शर्करा यानी नेचुरल स्‍वीटनेस और पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है. जब आप इसे खाली पेट खाते हैं, तो शरीर में एसिडिटी बढ़ सकती है. 
2. ब्लड शुगर में अचानक बढ़ोतरी: केले में नेचुरल शुगर होता है, इसलि‍ए खाली पेट केला खाने से अचानक शुगर लेवल बढ़ सकता है. खासकर डायबिटीज के मरीजों के लिए इससे द‍िक्‍कत हो सकती है. क्योंकि इसका असर इंसुलिन के स्तर पर भी पड़ सकता है. इस कारण से, अगर आपको ब्लड शुगर की समस्या है तो इसे खाली पेट खाने से बचना चाहिए.

केला स्वास्थ्य के लिए काफी हेल्दी हो सकता है। लेकिन काफी अधिक मात्रा में इसके सेवन से बचना चाहिए। एक स्वस्थ्य व्यक्ति को 1 दिन में एक या दो केले से ज़्यादा नहीं खाना चाहिए
घरेलु आयुर्वेद में ऐसे  ही विडियो देखने के लिए हमारे चैनल के सदस्य बनें| आभार धन्यवाद  

4.6.25

बरसात की आम बीमारियों के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचार


मित्रों ,घरेलू आयुर्वेद से चिकित्सा के विडिओ के अंतर्गत आज का टॉपिक है"बरसात की आम बीमारियों के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचार"




  बारिश को बीमारियों का मौसम भी माना जाता है। पानी और गंदगी के कारण कई तरह के जीवाणु इस मौसम में पैदा होते हैं। इनके कारण कई तरह की बीमारियां होती हैं। इन बीमारियों के इलाज के लिए भार भरकम रकम चुकानी होती है। कुछ सावधानियों और घरेलू नुस्खों को अपना कर इन बीमारियों और उनके इलाज में होने वाले खर्च से बचा जा सकता है।यह नुस्खे पुराने समय से हमारे देश में अपनाए जाते रहे हैं। लेकिन हाल के दिनों में जीवन के तौर तरीकों में आए बदलाव ने लोगों को इनसे दूर कर दिया है विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में।

मानसून की बीमारियों के लिए घरेलू उपचार


बरसात के मौसम में बढ़ी हुई नमी और तापमान में बदलाव इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है, जिससे शरीर संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाता है। इन लक्षणों से निपटने के लिए, यहाँ बारिश के मौसम के लिए कुछ प्रभावी घरेलू उपचार दिए गए हैं जो इन लक्षणों को दूर करने और रिकवरी को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।

भाप लेना




भाप लेना बरसात के मौसम में सर्दी-जुकाम के लिए एक प्रभावी घरेलू उपाय है। यह नेसल कंजेशन को साफ करने, इर्रिटेटेड एयरवेज को शांत करने और साइनस के दबाव को कम करने में मदद करता है। भाप लेने के लिए, एक बर्तन में पानी उबालें, इसे हीट पर से हटा दें और भाप को फंसाने के लिए अपने सिर को तोलिये से ढककर बर्तन पर झुकें। 10-15 मिनट तक गहरी सांस लें।

आप अतिरिक्त लाभ के लिए पानी में नीलगिरी या पेपरमिंट तेल की कुछ बूंदें भी मिला सकते हैं।

नीम की चाय




  नीम की चाय मानसून की बीमारियों के लिए एक और शक्तिशाली घरेलू उपाय है। नीम के पत्तों में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं, जो उन्हें संक्रमण से लड़ने के लिए आदर्श बनाते हैं।

नीम की चाय बनाने के लिए, लगभग 10 मिनट के लिए पानी में मुट्ठी भर नीम के पत्तों को उबालें, फिर छान लें और चाय पी लें। नीम की चाय का नियमित सेवन शरीर को डिटॉक्स करने, इम्यून सिस्टम का समर्थन करने और आम मानसून की बीमारियों को रोकने में मदद करता है।

जावित्री और जायफल

रसोई के मसालों में मौजूद जायफल और जावित्री औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इनमें एंटी.इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। छाती में जमा कफ और जुकाम से निपटने के लिए जायफल और जायपत्री को बराबर मात्रा में पीसकर पीसकर शहद के साथ चाटने से आराम मिलता है।


अजवाइन और लहसुन का तेल




अजवाइन और लहसुन की तासीर गर्म होने से उन्हें सरसों के तेल में कुछ देर पकाकर चेस्ट और पैरों पर लगाने से बेहद फायदा मिलता है। आधा कप सरसों के तेल को अच्छी तरह से पकाकर उसमें पिसा हुआ लहसुन और 1 चम्मच अजवाइन का मिलाएं और पकने दें। इससे ठण्ड, खांसी और जुकाम की समस्या अपने आप हल हो जाती है। रात को सोते वक्त इसे लगाकर कुछ देर के लिए पंखा बंद कर दें।

हल्दी वाला दूध




हल्दी वाला दूध, जिसे 'गोल्डन मिल्क' के नाम से भी जाना जाता है, मानसून की बीमारियों के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। हल्दी अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जानी जाती है। एक कप गर्म हल्दी वाला दूध पीने से गले की खराश को शांत करने, सूजन को कम करने और इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
यह पारंपरिक उपाय न केवल आराम प्रदान करता है बल्कि सर्दी-खांसी से भी जल्दी ठीक होने में मदद करता है।

अदरक की चाय





अदरक की चाय को मानसून में होने वाली कई बीमारियों, खास तौर पर सर्दी-जुकाम और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए एक बेहतरीन उपाय माना जाता है। अदरक में प्राकृतिक रूप से एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-वायरल गुण होते हैं जो सर्दी-जुकाम के लक्षणों को कम करने और पाचन में सुधार करने में मदद करते हैं।
अदरक की चाय बनाने के लिए, ताजी अदरक के कुछ टुकड़ों को पानी में 5-10 मिनट तक उबालें, फिर छान लें और स्वाद के लिए शहद या नींबू मिलाएं। दिन में दो से तीन बार इस चाय को पीने से गले की खराश, कंजेशन को कम करने और बरसात के मौसम में समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।

गर्म भोजन का सेवन करें

मानसून के मौसम में गर्म भोजन का सेवन विशेष रूप से आरामदायक और फायदेमंद हो सकता है। सूप, शोरबा और हर्बल चाय शरीर को गर्म और हाइड्रेटेड रखने में मदद कर सकते हैं और साथ ही आवश्यक पोषक तत्व भी प्रदान कर सकते हैं।
इन गर्म खाद्य पदार्थों में काली मिर्च, जीरा और दालचीनी जैसे मसाले मिलाए जाने से उनके चिकित्सीय प्रभाव बढ़ सकते हैं। इन मसालों में प्राकृतिक रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने और इम्यूनिटी को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। अपने आहार में गर्म खाद्य पदार्थों को शामिल करना स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए मानसून के घरेलू उपचारों का उपयोग करने का एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका है।

मुलेठी

मुलेठी, जिसे लिकोरिस रूट के नाम से भी जाना जाता है, बरसात के मौसम में सर्दी के लिए एक बेहतरीन घरेलू उपाय है। इसमें मजबूत एंटी-इंफ्लेमेटरी और इम्यून-बूस्टिंग गुण होते हैं। मुलेठी गले की खराश और खांसी के इलाज में विशेष रूप से प्रभावी है।
मुलेठी का उपयोग करने के लिए, आप जड़ का एक छोटा टुकड़ा चबा सकते हैं या इसे पानी में उबालकर चाय बना सकते हैं। मुलेठी का नियमित सेवन गले को आराम देने, खांसी को कम करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है।

तुलसी के पत्ते

तुलसी या पवित्र तुलसी अपने औषधीय गुणों के लिए पूजनीय है और बरसात के मौसम के लिए घरेलू उपचारों में इसका प्रमुख स्थान है। तुलसी के पत्तों में एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं और ये श्वसन संक्रमण के इलाज और इम्यूनिटी को बढ़ाने में प्रभावी होते हैं। आप तुलसी के ताजे पत्ते चबा सकते हैं, तुलसी की चाय बना सकते हैं या अपने खाने में तुलसी के पत्ते मिला सकते हैं।
तुलसी की चाय बनाने के लिए तुलसी के कुछ पत्तों को पानी में उबालकर उसमें स्वादानुसार शहद या नींबू मिलाएं। तुलसी का नियमित सेवन मानसून में होने वाली आम बीमारियों से बचाता है और श्वसन संबंधी स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

खुजली से बचाए गंधक और नारियल तेल

बारिश में खुजली की भी शिकायत होती है। पहली बारिश के बाद तो कई लोगों को फोड़े फुंसी तक निकलते हैं। यदि हर दिन पानी में गंधक मिलाकर नहाया जाए तो इससे बचा जा सकता है। इसके साथ ही यदि फोड़े फुंसी हो जाए तो उसपर गंधक को नारियल का तेल मिलाकर लगाना चाहिए।

लहसुन

लहसुन एक शक्तिशाली प्राकृतिक एंटीबायोटिक है जो मानसून की विभिन्न बीमारियों को रोकने और उनका इलाज करने में मदद कर सकता है। इसके एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण इसे मानसून की बीमारियों के घरेलू उपचार में एक आवश्यक घटक बनाते हैं। लहसुन के लाभ पाने के लिए, आप लहसुन की कलियों को कच्चा खा सकते हैं या उन्हें अपने भोजन में शामिल कर सकते हैं।
लहसुन की कलियों को पानी में उबालकर और स्वाद के लिए थोड़ा शहद मिलाकर लहसुन की चाय बनाना भी स्वादिष्ट विकल्प हैं।

तुलसी और काली मिर्च रखे जुकाम पर नियंत्रण




बारिश में भींगने के कारण जुकाम होना बहुत आम बात है। खासकर बच्चों को जिन्हें बारिश में खेलने से रोकना मुश्किल होता है। डॉक्टर चौधरी ने बताया कि भींगने से होने वाले जुकाम से बचने के लिए काली मिर्च, तुलसी के पले और इलायची का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए। यह जुकाम तो रोकता ही है साथ अन्य बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।

पपीते के  पत्ता का जूस 



पपीते के पत्ते का अर्क ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ाने और डेंगू बुखार के इलाज के लिए एक प्रसिद्ध उपाय है। पपीते के पत्तों में मौजूद एंजाइम, जैसे कि पपैन और काइमोपैपेन, इन्फ्लेमेशन को कम करने और इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
पपीते के पत्तों का जूस बनाने के लिए, कुछ ताजे पपीते के पत्तों को क्रश करके उनका जूस निकालें। इस जूस को दिन में दो बार पीने से डेंगू के लक्षणों को नियंत्रित करने और मानसून के दौरान समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सकती है।

नमक के पानी से गरारे करें





नमक के पानी से गरारे करना बरसात के मौसम में सर्दी-जुकाम के लिए एक सरल लेकिन प्रभावी घरेलू उपाय है। नमक का पानी गले की सूजन को कम करने, बलगम को ढीला करने और जलन और रोगजनकों को बाहर निकालने में मदद करता है।
इस उपाय को तैयार करने के लिए, एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच नमक घोलें और इसे थूकने से पहले 30 सेकंड तक गरारे करें। सर्वोत्तम परिणामों के लिए इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहराएं। यह उपाय गले की खराश से तुरंत राहत प्रदान कर सकता है और संक्रमण को बिगड़ने से रोक सकता है।
सावधानी  ये बरतनी है कि कोई भी उपाय करने से पहिले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लेवें 
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9.5.25

"हर रोज हरी प्याज खाने के अद्भुत फायदे: शुक्राणु वर्धक और हड्डियों की मजबूती"

   
                                             


   प्याज का इस्तेमाल लगभग हर भारतीय घर में होता है. इसका इस्तेमाल सलाद से लेकर से ग्रेवी बनाने तक में किया जाता है. यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ ही यह सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. क्या आपको पता है कि प्याज में पर्याप्त मात्रा में सोडियम, पोटेशियम, फोलेट्स, विटामिन सी, ई और ई, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और फॉस्फोरस भी पाया जाता है. इसमें पाए जाने वाले ये सभी तत्व सेहत के लिए काफी लाभदायी होते हैं. क्या आपको पता है कि हर रोज एक प्याज का सेवन सेहत के लिए बेहद लाभदायी हो सकता है

मर्दाना ताकत बढ़ाने में सहायक

प्याज खाने से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन बढ़ सकता है, जिससे उनकी यौन क्षमता बेहतर हो सकती है। टेस्टोस्टेरोन एक ऐसा प्रजनन हार्मोन है जो पुरुषों में यौन इच्छा, शक्ति और यहां तक कि ऊर्जा के स्तर को भी प्रभावित करता है।

क्या प्याज पेनिस के लिए अच्छा है?

प्याज नाइट्रिक ऑक्साइड उत्पादन को भी बढ़ाता है । नाइट्रिक ऑक्साइड न केवल टेस्टोस्टेरोन बनाने में भूमिका निभाता है, बल्कि यह रक्त वाहिकाओं को फैलाकर स्तंभन कार्य को सुविधाजनक बनाने में भी मदद करता है, जिससे रक्त प्रवाह को बढ़ावा मिलता है।

क्या प्याज खाने से शुक्राणु बढ़ते हैं?

ऐसी ही चीजों में शामिल है प्याज, लहसुन और शहद। इसे रोज लेने से स्पर्म काउंट बढ़ता है। यह चीजें स्टेमिना इम्प्रूव करने में मदद करती हैं।

इस आलेख को विडिओ रूप मे देखें- 




पुरुषों के लिए प्याज का क्या महत्व है?

पुरुषों को शादी के बाद फर्टिलिटी और स्टेमिना बढ़ाने के लिए घर में पाई जाने वाली नेचुरल चीजों का यूज करने से फायदा होता है। ऐसी ही चीजों में शामिल है प्याज, लहसुन और शहद। इसे रोज लेने से स्पर्म काउंट बढ़ता है। यह चीजें स्टेमिना इम्प्रूव करने में मदद करती हैं।

हरी पत्तेदार प्याज 

हरी पत्तेदार प्याज (स्प्रिंग अनियन) खाने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जैसे कि पाचन में सुधार, हड्डियों को मजबूत करना, और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाना. यह एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट स्रोत भी है, जो शरीर को नुकसान से बचाता है.स्प्रिंग अनियन और चाईनीज़ अनियन के नाम से मशहूर हरा प्याज रेसिपीज़(को नया लुक देने और उन्हें लज़्जीज़ ज़ायका परोसने में खास रोल अदा करता हैं। पोषक तत्वों सें भरपूर हरी प्याजविटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर है, जो कई रोगों से हमारी रक्षाकरता है। इसकी खास बात ये है कि इसका इस्तेमाल, सूप, अचार से लेकर मांसाहारी(Nonveg) और शाकाहारी व्यंजनों में किया जाता है, जिसे हर उम्र के लोग बड़े चाव से खाते हैं।

कच्चा प्याज खाने से कौन सी बीमारी ठीक होती है?

कच्चे प्याज में सल्फर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूती देने में मदद करता है. इसके साथ ही इसका सेवन ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करने में भी मदद कर सकता है.

इम्यूनिटीः

इम्यूनिटी को मजबूत बनाने के लिए आप अपनी डाइट में हरी प्याज को शामिल कर सकते हैं. इसमें पाए जाने वाले विटामिन इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मददगार हो सकते हैं.

गुड़ और प्याज से हाइट कैसे बढ़ाएं?

प्याज और गुड़ को एक साथ खाने से हाइट बढ़ने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। हालांकि, गुड़ में आयरन, कैल्शियम, और मिनरल्स होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद हो सकते हैं, और प्याज में भी विटामिन C और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं

आंखोंः

आंखों को सेहतमंद रखने के लिए हेल्दी डाइट और विटामिन्स का सेवन जरूरी है. आपको बता दें कि हरी प्याज आंखों की सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है. इसमें कैरोटीनॉयड नामक तत्व पाया जाता है जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद कर सकता है.

वजन घटानेः

बढ़े हुए वजन से परेशान हैं और वजन कम करना चाहते हैं, तो हरी प्याज को डाइट में शामिल करें. हरी प्याज में कैलोरी की मात्रा काफी कम पाई जाती है, जो वजन को घटाने में मदद कर सकती है.

दिल की सेहत का रखे ख्याल

क्वेरसेटिन, फ्लेवोनोइड्स और विटामिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर हरा प्याज़ कोलेस्ट्रॉल को कम करने और ब्लड प्रेशर को नियमित करने में मददगार है। विटामिन सी से भरपूर भी है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है। इसमें पाया जाने वाला एंटीथ्रॉम्बोटिक तत्व शरीर में ब्लड क्लॉटिंग को रोकता है। इसके चलते हार्ट अटैक का खतरा खुद ब खुद घटता चला जाता है।

हाई ब्लड प्रेशरः

हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं तो आपके हरी प्याज का सेवन फायदेमंद हो सकता है. हरी प्याज में मौजूद सल्फर कंपाउंड हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी को कम करने में मदद कर सकता है.


डायबिटीजः

डायबिटीज मरीजों के लिए रामबाण है हरी प्याज. हरी प्याज में मौजूद सल्फर कंपाउंड्स के कारण, शरीर की इंसुलिन बनाने की क्षमता बढ़ती है. यह काफी हद तक डायबिटीज को रोकने में मदद कर सकता है.


हड्डियों के लिए ज़रूरी

हड्डियों में दर्द और चोट एक आम समस्या है। ऐसे में हरे प्याज से मिलने वाले विटामिन डी से हड्डियों को मज़बूत किया जा सकता है। साथ ही गठिया के रोग से भी राहत मिल जाती है। हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए ऐसा फूड खाएं, जिसे विटामिन डी के साथ साथ कैल्शियम और प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाए। इसके अलावा ओस्टियोपोरोसिस और आर्थराईटिस के रोगी इसका सेवन अवश्य करें।

1 दिन में कितना कच्चा प्याज खाना चाहिए?

आप रोजाना दिन भर के खाने में 100 ग्राम प्याज का सेवन सलाद के साथ, सब्जी के रूप में या फिर सैंडविच के साथ करें तो आपकी बॉडी का गर्मी से बचाव होगा

रात में प्याज क्यों नहीं खाना चाहिए?

अगर आप रात के समय कच्ची प्याज का सेवन करते हैं, तो पेट से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल कच्ची प्याज में 'फ्रुक्टेन' नाम का कार्बोहाइड्रेट होता है, जो पाचन-तंत्र के लिए अच्छा नहीं होता है। इसके ज्यादा सेवन से व्यक्ति को पेट में कब्ज, एसिडिटी, गैस और अपच जैसी समस्या हो सकती है।
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1.7.24

डायबीटीज और बी पी का दुश्मन है जामुन: जानें 10 फायदे और खाने का सही तरीका


मित्रों ,घरेलुआयुर्वेद से रोगों से मुक्ति के विडियो की श्रंखला में  आज का विषय है "जामुन खाने के फायदे और नुकसान"
  जामुन खाने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह पाचन में सुधार करता है, हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त, जामुन में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो त्वचा के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
यह फल कई तरह के आयुर्वेदिक गुण के साथ विटामिन्स से भरपुर होता है। जामुन विटामिन A और C का अच्छा स्रोत होता है जो आंखों और त्वचा के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके साथ ही जामुन को चमकदार त्वचा और मुंहासों को जड़ से खत्म करने के लिए भी खाया जाता है
जामुन खाने के कुछ विशिष्ट लाभ:
मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है:
जामुन में जंबोलिन और जंबोसिन जैसे यौगिक होते हैं जो ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद करते हैं।
पाचन में सुधार करता है:
जामुन में फाइबर होता है जो पाचन में सहायता करता है और कब्ज, गैस और अपच जैसी समस्याओं को कम करता है।
हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा है:
जामुन में पोटेशियम होता है जो रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद करता है।             
जामुन में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करते हैं।

                               इम्यूनिटी को बढ़ाता है जामुन 


जामुन में विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।
मुंह के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है:
जामुन में जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो मुंह के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और मसूड़ों की बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।

 रोजाना जामुन खाने से इम्युनिटी मजबूत होती है, खून बढ़ता है, साथ ही सांस से जुड़ी परेशानी भी दूर होती है। इसके अलावा वजन घटाने में भी इससे मदद मिलती है|

                        डायबिटीज में फायदेमंद- 
जामुन डायबिटीज में भी बहुत फायदेमंद होती है. शगुर के मरीजों को 100 ग्राम जामुन की जड़ को साफ करते उसमें 250 मिली पानी मिलाकर पीसना है. अब इसमें आप 20 ग्राम मिश्री डालकर सुबह-शाम खाने से पहले पिएं. मधुमेह में इससे फायदा मिलेगा.
                                 हार्ट को मजबूत करे जामुन  


जामुन के नियमित सेवन से हार्ट हेल्दी होता है. जामुन में प्रचुर मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है, जो दिल की धड़कन को सामान्य बनाए रखने में बेहद मददगार है. जामुन के सेवन से हार्ट अटैक का खतरा कम होता है.
दांत के दर्द को दूर करे-
 दांतों के लिए भी जामुन फायदेमंद होता है. जामुन के पत्तों की राख बनाकर दांत और मसूड़ों पर मलने से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं. जामुन के रस से कुल्ला करने पर पाइरिया भी ठीक हो जाता है..
                       किडनी की पथरी को खत्म करे- 


किडनी में स्टोन होने पर भी जामुन का इस्तेमाल कर सकते हैं. जामुन खाने से छोटे साइज की पथरी भी गल जाती है. इसके लिए आप 10 मिली जामुन के रस में 250 मिग्रा सेंधा नमक मिलाकर दिन में 2-3 बार रोज पीएं. इससे पेशाब के रास्ते पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है.

                    त्वचा के लिए जामुन का फेस पेक 

जामुन में विटामिन सी और कई अन्य एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. ये खून साफ करने और त्वचा को ग्लोइंग बनाने में मदद करते हैं. मॉनसून के मौसम में त्वचा के लिए जामुन से बने फेस पैक का इस्तेमाल कर सकते हैं.

मैं एक दिन में कितने जामुन खा सकता हूं?

मुझे एक दिन में कितने जामुन खाने चाहिए? आप बिना किसी पाचन संबंधी परेशानी के स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए रोज़ाना लगभग 8-10 जामुन सुरक्षित रूप से खा सकते हैं

जामुन खाने का सबसे अच्छा समय कब है?

जामुन को खाली पेट नहीं खाना चाहिए, और खाने के बाद खाना ज्यादा फायदेमंद होता है. इससे पाचन में सुधार होता है और मेटाबॉलिज्म तेज होता है. हालांकि, इसे दिन में कभी भी खाया जा सकता है, लेकिन रात में खाने से बचना चाहिए.

सावधानी बरतें 

लो ब्लड शुगर का खतरा

 जब आप नियमित जामुन या जामुन के बीजों का सेवन करते हैं तो, ये लो ब्लड शुगर का खतरा पैदा कर सकता है और अनाचक से ब्लड शुगर का लो होना डायबिटीज के मराजों के लिए खतरनाक हो सकता है।

दूध और जामुन खाने से क्या होता है?

दूध और जामुन एक साथ नहीं खाने चाहिए, क्योंकि इससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जामुन में प्राकृतिक एसिड होता है और दूध में प्रोटीन होता है। जब ये दोनों एक साथ मिलते हैं, तो पाचन तंत्र पर दबाव पड़ सकता है और गैस, एसिडिटी, या पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं,
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27.6.24

बारिश के मौसम की बीमारियाँ और घरेलू उपाय ,Rainy season diseases




 बरसात का मौसम बीमारियों को आमंत्रित करने का मौसम होता है, क्योंकि इस मौसम में बारिश से कई स्थानों पर जलजमाव, कीचड़ व गंदगी से पैदा होने मच्छर व बैक्टीरिया बीमारियां फैलाते हैं। इसके अलावा मौसम में नमी के कारण बैक्टीरिया अधिक पनपते हैं जो पानी और खाद्य पदार्थों को दूषित कर, शरीर की बीमारियों का कारण बनते हैं।

जानते हैं  बरसात की 5  प्रमुख बीमारियां :

1 . डेंगू - डेंगू बुखार भी मच्छरों के काटने से ही फैलता है, लेकिन डेंगू फैलाने वाले मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इस बात का विशेष ध्यान रखें। एडिज मच्छर के काटने से फैलने वाले इस रोग का प्रभाव मरीज के पूरे शरीर और जोड़ों में तेज दर्द के रूप में होता है। इससे बचने के लिए मच्छरों से बचें और घर से निकलने से पहले शरीर को पूरी तरह ढंककर रखें।

2 . मलेरिया - मलेरिया बरसात में होने वाली आम लेकिन गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो जलजमाव से पैदा होने वाले मच्छरों के काटने से होती है। यह रोग मादा ऐनाफिलिज मच्छर के काटने से फैलता है। इससे बचने के लिए अपने आसपास पानी का जमाव न होने दें।
3. डायरिया - बरसात के मौसम में डायरिया सबसे आम समस्या है, जो जीवाणुओं के संक्रमण के कारण होता है। इसमें पेट में मरोड़ होने के साथ ही दस्त लगना प्रमुख हैं। यह खास तौर से बरसात में प्रदूषित पानी और खाद्य पदार्थों के सेवन के कारण होता है, अत: खाद्य पदार्थों को ढंक कर रखें, पानी उबालकर व छानकर पिएं और हाथ धोने के बाद ही कुछ ग्रहण करें।
4 . चिकनगुनिया - चिकनगुनिया भी मच्छरों से फैलने वाला बुखार है, जिसका संक्रमण मरीज के शरीर के जोड़ों पर भी होता है और जोड़ों में तेज दर्द होता है। इससे बचने के लिए जलजमाव से बचें, ताकि उसमें पनपने वाले मच्छर बीमारी न फैलाएं।
4. हैजा - विब्रियो कोलेरा नामक जीवाणु के कारण फैलने वाला यह रोग दूषित भोज्य व पेय पदार्थों के कारण होता है। पेट में ऐंठन के साथ लगातार होने वाले उल्टी-दस्त इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं जिसके कारण शरीर में पानी की कमी होना और मिनरल्स की कमी हो जाती है और मरीज बेहद कमजोर हो जाता है। इससे बचने के लिए खाने-पीन संबंधी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
मानसून में गर्मी और नमी होती है जो कि कीटाणुओं के प्रजनन के लिए परफेक्ट मौसम है, इसमें मक्खी और मच्छर के अलावा कई जहरीले कीटाणुओं की संख्या बढ़ जाती है। ये सभी इंसानों में बीमारियां फैलाते हैं, यही कारण है कि बरसात के मौसम में फ्लू होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बारिश के मौसम में अगर शरीर का ख्याल सही से न रखा जाए तो यह बीमारियों का घर बन जाता है। इस मौसम में होने वाली ज्यादातर बीमारियां एक दूसरे में फैलती हैं, ऐसे में आप अपने साथ साथ घर वालों को भी बीमार कर सकते हैं।
बरसात के मौसम में कई स्वास्थ्य समस्याएं बहुत अधिक बढ़ जाती हैं। सर्दी, खांसी और बुखार जैसी परेशानियोों से राहत के कुछ घरेलू उपाय
इस मौसम में संक्रामक बीमारियां तेजी से फैलती हैं। जैसे कि सर्दी, खांसी और बुखार इस दौरान काफी प्रभावी होते हैं। अगर आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है तो इन बीमारियों के होने का रिस्क और भी बढ़ जाता है। इसके अलावा इस मौसम में अच्छे खासे स्वस्थ लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता भी कम हो जाती है। इन बीमारियों का अगर सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह आपके लिए और भी परेशानिया बढ़ा सकती हैं।
आयुर्वेद में कई प्राकृतिक घरेलू उपचार हैं जिनका उपयोग आप इन बीमारियों के इलाज में कर सकते हैं। यहाँ हम आपको कुछ ऐसे 5 आयुर्वेदिक घरेलू उपाय बताएंगे जो मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी, खांसी और बुखार में आपको राहत प्रदान कर सकते हैं-

तुलसी

तुलसी एक प्राकृतिक औषधि है जिसका उपयोग सर्दी, खांसी और बुखार से आराम पाने के लिए किया जा सकता है। आप इसके ताजे पत्तों का उपयोग करके तुलसी का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। तुलसी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं और सामान्य सर्दी ज़ुखाम के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।

गर्म पानी की भाप लें

सर्दी, खांसी और बुखार होने के लक्षणों को कम करने के लिए गर्म पानी की भाप लें। इसमें अजवाइन के पत्ते, तुलसी के पत्ते और हल्दी पाउडर डालना न भूलें। यह बंद नाक को खोलने और खांसी व बुखार के लिए कारगर उपाय है।

हल्दी दूध

सर्दी, खांसी और बुखार में हल्दी दूध पीना एक प्रमुख आयुर्वेदिक उपाय है। हल्दी के एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण आपके शरीर के रोगों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और आपको कुछ समय में राहत प्रदान करते हैं। एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाएं और इसे सोने से पहले पिएं।

गार्गल करें

गर्म पानी में नमक मिलाकर गार्गल करना सर्दी और खांसी के लिए अत्यंत प्रभावी होता है। यह गले में जमी बलगम और फेफड़ों को साफ करने में मदद करता है और खांसी को कम करता है। गार्गल करने के लिए एक गिलास गर्म पानी में आधा चम्मच नमक मिलाएं और इस मिश्रण से गार्गल करें।



पिएं हर्बल ड्रिंकिंग वाटर

हर्बल ड्रिंकिंग वाटर पीना आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता हैं। फ्लू के लक्षणों को दूर करने के लिए और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए सादे पानी की बजाय हर्बल वाटर पीना चाहिए। आप घर पर सोठ , धनिया और तुलसी के पत्ते को उबलाकर इसको बना सकते हैं।

बरसात के मौसम में बीमारियों से बचाव कैसे करें? 

हाथ धोने की आदत


कोरोना महामारी के फैलने के बाद से लोग समझ चुके हैं कि हाथ धोना कितना जरूरी है। बारिश के मौसम में भी बार बार हाथ धोने की आदत डाल लेनी चाहिए। फ्लू फैलाने वाले वायरस आमतौर पर हाथ के जरिए ही आपके शरीर में खाने के माध्यम से पहुंचते हैं। बस स्टॉप, सार्वजनिक शौचालय, बाजार जैसी जगहों पर कीटाणु बहुत होते हैं। ऐसे में वह आपके संपर्क में आकर आपको फ्लू जैसी बीमारी दे सकते हैं। बारिश के मौसम में बार बार साबुन से हाथ धोने से ये कीटाणु खत्म हो सकते हैं।

घर में खाना खाएं

बारिश के मौसम में स्ट्रीट फूड्स से बचना चाहिए। घर में पका खाना ही खाएं और ध्यान रखें कि बाहर से सब्जी लाते वक्त इसे अच्छे से साफ करें। अपने खाने में ताजे फल और सब्जियों की मात्रा बढ़ा दें।

विटामिन सी

विटामिन सी आपको सर्दी और फ्लू से तेजी से उबरने में मदद करता है, इसलिए अपनी डाइट में नींबू और अन्य खट्टे फलों जिनमें विटामिन सी की भरपूर मात्रा हो, उन्हें बढ़ा दें। इस मौसम में आप डॉक्टर के परामर्श के बाद विटामिन सी की गोलियां लेना भी शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा आप पानी भी खूब पिएं। स्वस्थ शरीर के लिए दिन में 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए।

मच्छरों से बचाव

बरसात के मौसम में ध्यान रखें कि आपके आस पास पानी जमा न हो। पानी में मच्छरों को पनपने के लिए अनुकूल वातावरण मिलता है, जिससे डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलती हैं। आप घर में कपूर का तेल, नीम का तेल इस्तेमाल करके मच्छरों को भगा सकते हैं।

बारिश से कौन सी बीमारी हो सकती है?

यह एक आम ग़लतफ़हमी है कि बारिश में भीगने से आपको सर्दी लग सकती है। बारिश से वास्तव में आप बीमार नहीं पड़ सकते। हालाँकि, लंबे समय तक भीगने और ठंडे रहने से आपके शरीर का तापमान इतना कम हो सकता है कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित हो सकती है - जिससे आपको सर्दी या फ्लू वायरस होने का जोखिम बढ़ जाता है।

बरसात के मौसम में बुखार क्यों आता है?

मानसून के समय में जगह-जगह पानी जमने से बैक्टीरिया और वायरस पनपने लगते हैं और वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। बुखार हमें यह संकेत देता है कि हमारे शरीर में कुछ परेशानी है। बुखार और भी कई कारणों से हो सकता है, जैसे- संक्रमण, थकावट, ट्यूमर, वैक्सीनेशन(टिका) इत्यादि।

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21.5.24

गर्मियों मे क्या खाएं और क्या नहीं ?Summer diet




  गर्मियों के मौसम में हमारा शरीर ज्यादा बीमार होने के रिस्क में रहता है क्योंकि इसमें हमें डिहाइड्रेशन का सामना करना पड़ सकता है और ज्यादा गर्मी की वजह से इम्यूनिटी भी कमजोर हो सकती है। इस मौसम में हमारे त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) का भी संतुलन बिगड़ सकता है और हमें बहुत सारी पाचन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। बहुत बार ऐसा होता है कि गर्मी में कुछ चीज खाने के बाद हमें उल्टी आने लगती है या फिर पेट में जलन होने लगती है। ऐसा होने का कारण पाचन न होना होता है। इसलिए आपको इस मौसम में केवल शरीर के लिए स्वास्थ्य अनुकूल   चीजों का ही सेवन करना चाहिए और स्पाइसी और जंक फूड का सेवन काफी कम करना चाहिए।
गर्मी के मौसम में हमें ऐसा आहार लेना चाहिए, जो शरीर में तरावट लाने का काम करे। इस मौसम में ठंडी तासीर और चिकनाई वाली चीजों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। इसके लिए आप सत्तू का घोल, दूध-चावल की ठंडी खीर, छाछ, लस्सी, आम पन्ना, नारियल पानी, नींबू पानी, ककड़ी, तरबूज, मौसमी फलों का रस, पुदीना, गुलकंद, सौंफ और धनिया का सेवन कर सकते हैं। गर्मियों में पाचन शक्ति काफी कमजोर हो जाती है, इसलिए आपको गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। इस मौसम में मीठे और सुपाच्य आहार का सेवन करना चाहिए। आप अपनी डाइट में लौकी, पेठा, परवल, बथुआ, छिलका सहित आलू, करेला, कच्चा केला, चौलाई, छिलका सहित मूंग और मसूर की दाल, दूध, आंवला, संतरा, आम, नारियल आदि को शामिल कर सकते हैं।
गर्मियों के मौसम में इन चीजों का करें सेवन

पुदीना

पुदीना एक रिफ्रेशिंग इंग्रेडिएंट्स होता है और शरीर पर इसका काफी कूल प्रभाव होता है। यह शरीर में पाचन को इम्प्रूव   करने में मदद करता है और इंफ्लेमेशन कम करने में भी सहायक है। पुदीने को आप सलाद, ड्रिंक्स या फिर चटनी आदि में मिला कर खा या पी सकते हैं।

नारियल का पानी

नारियल का पानी गर्मियों में शरीर के लिए काफी लाभदायक रहता है। इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, सोडियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट होते हैं। यह गर्मियों के दौरान पसीने के रूप में फ्लूड लॉस से शरीर को बचाता है और शरीर को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है।

दही

                                                                 



दही में प्रोबायोटिक होते हैं जो अच्छे बैक्टीरिया होते हैं और पाचन तंत्र के लिए लाभदायक होते हैं। यह शरीर की गर्मी को कम करने में, इन्फ्लेमेशन को कम करने में और पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करने में सहायक होती है। इसे स्नैक, सलाद में मिला कर खाया जा सकता है।

तरबूज
                                             

 

गर्मियों में तरबूज जैसी फलों का सेवन करना चाहिए जिनमें अधिकतर पानी होता है। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखते हैं और पानी की कमी नहीं होने देते हैं। तरबूज में विटामिन सी और ए जैसे पौष्टिक तत्व भी होते है। इसमें पोटेशियम भी होता है जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट को बनाए रखने में मदद करते हैं।

खीरा
                                                          



खीरा भी एक हाइड्रेटिंग फूड है जो पूरा पानी से भरपूर होता है और इसका सेवन करने से आप कैलोरी भी ज्यादा नहीं कंज्यूम करते हैं। यह आपके शरीर के तापमान को रेगुलेट करने में मदद करता है और टॉक्सिन को फ्लश आउट करने में सहायक होता है।

 गर्मियों में क्या खाएं और क्या न खाएं?


इस मौसम में अधिक से अधिक दही और छाछ का सेवन करना चाहिए। इससे न सिर्फ आपको गर्मी से राहत मिलती है बल्कि आपका शरीर अंदर से ठंडा रहता है और आपकी पाचन क्रिया भी बेहतर होती है।
इस मौसम में तेज धूप के कारण त्वचा जल जाती है। इससे बचने के लिए आपको टमाटर खाना चाहिए। टमाटर में कैरोटेनॉयड होता है जो गर्मी के साथ ही सनबर्न से भी बचाने में मदद करता है।

गर्मी के लिए आयुर्वेदिक डाइट प्लान

सुबह उठने के बाद - गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद डालकर पिएं
सुबह का नाश्ता - एक बाउल मौसमी फल/ वेजिटेबल उपमा/ दलिया/ दूध और ओट्स/सूजी चीला
मिड मॉर्निंग स्नैक (12 बजे) - नारियल पानी/आम पन्ना/शर्बत
दोपहर का भोजन - एक कटोरी दाल/सब्जी और रोटी या चावल, जीरा छाछ
शाम का स्नैक - हर्बल टी या एक कप दूध
रात का भोजन - खिचड़ी/ एक कटोरी दाल और रोटी/ वेजिटेबल दलिया
गर्मी के मौसम में हमें ऐसा आहार लेना चाहिए, जो शरीर में तरावट लाने का काम करे। इस मौसम में ठंडी तासीर और चिकनाई वाली चीजों का सेवन ज्यादा करना चाहिए। इसके लिए आप सत्तू का घोल, दूध-चावल की ठंडी खीर, छाछ, लस्सी, आम पन्ना, नारियल पानी, नींबू पानी, ककड़ी, तरबूज, मौसमी फलों का रस, पुदीना, गुलकंद, सौंफ और धनिया का सेवन कर सकते हैं। गर्मियों में पाचन शक्ति काफी कमजोर हो जाती है, इसलिए आपको गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। इस मौसम में मीठे और सुपाच्य आहार का सेवन करना चाहिए। आप अपनी डाइट में लौकी, पेठा, परवल, बथुआ, छिलका सहित आलू, करेला, कच्चा केला, चौलाई, छिलका सहित मूंग और मसूर की दाल, दूध, आंवला, संतरा, आम, कोकम, नारियल आदि को शामिल कर सकते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार गर्मी में क्या न खाएं

गर्मी के मौसम में कड़वे, कसैले, तीखे, खट्टे, तेज मिर्च-मसाले वाले, तले हुए, नमकीन और बासी खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। खट्टा दही, फ्रिज में रखा पानी, अंडा, मांस, मछली, उड़द की दाल, चने की दाल, बैंगन, शहद, सिरका, खटाई, शराब आदि का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।अगर आप परांठे के साथ सॉस खाते हैं तो गर्मी के मौसम में सॉस से परहेज करें। इसमें अधिक मात्रा में कैलोरी होती है जिससे आपको सुस्ती आ सकती है।
गर्मी के मौसम में गेहूं की रोटी और ब्राउन ब्रेड बहुत कम मात्रा में खाना चाहिए अन्यथा आपको अधिक गर्मी महसूस हो सकती है।
इस मौसम में तले भूने खाद्य पदार्थ, चाट पकौड़े, चिप्स, पिज्जा, बर्गर सहित अन्य जंक फूड खाने से बचें। इससे आपको गर्मी तो अधिक लगेगी ही साथ में आप फूड प्वॉयजनिंग के भी शिकार हो सकते हैं।
रेड मीट में उच्च मात्रा में प्रोटीन होता है जो शरीर को गर्म रखता है। इसलिए इस मौसम में रेड मीट खाने से परहेज करें।
संभव हो तो गर्मी के मौसम में दूध का सेवन कम से कम करें। यह शरीर को गर्म रखता है जिससे आपको बेचैनी महसूस हो सकती है।
इस मौसम में अधिक मसालेयुक्त एवं तैलीय भोजन ना करें अन्यथा आपकी पाचन क्रिया खराब हो सकती है।बीयर, वाइन, कोल्ड कॉफी, एनर्जी ड्रिं और डिब्बा बंद फ्रूट जूस जैसे पेय पदार्थों में अधिक मात्रा में शर्करा होती है। गर्मी के दिनों में इनका अधिक सेवन करने से स्वास्थ्य खराब हो सकता है।

शराब

शराब का सेवन करने से शरीर डिहाइड्रेट होता है और इससे शरीर का तापमान भी बढ़ता है इसलिए इसको अवॉयड करें।

शुगर से भरपूर ड्रिंक्स

आपको गर्मियों में शुगर से भरपूर ड्रिंक्स जैसे एनर्जी ड्रिंक्स, कोल्ड ड्रिंक्स या फिर सोडा का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे शरीर डिहाइड्रेट होता है और ब्लड शुगर लेवल भी तेजी से बढ़ सकता है।

कॉफी

कॉफी एक डायरेटिक का काम करती है और शरीर को डिहाइड्रेट कर सकती है इसलिए इसका सेवन ज्यादा न करें।

स्पाइसी और फ्राइड फूड


स्पाइसी और फ्राइड फूड का सेवन करने से शरीर का तापमान बढ़ता है और आपको पाचन से जुड़ी समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है इसलिए इन्हें अवॉयड करे।

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कमल ककड़ी खाने से होते हैं सेहत को इतने सारे फायदे ,kamal kakadi benefits

 



कमल और कमल ककड़ी की जानकारी अधिकतर भारतीयों को है. हिंदू धर्म, संस्कृति और योग में कमल की कई विशेषताओं का वर्णन किया गया है और कई अवसरों पर इसे पूजा में भी शामिल किया जाता है. साथ ही कमल ककड़ी का भारतीय रसोई में विशेष महत्व है. इसे भोजन के अलावा, कई प्रकार के डिशेज में प्रयोग किया जाता है. कमल ककड़ी बेहद गुणकारी है. इसमें भरपूर फाइबर होता है, जो पाचन सिस्टम को दुरुस्त रखता है. यह ब्लड की क्वालिटी को भी दुरुस्त रखती है. भारत में हजारों वर्षों से आहार के रूप में इसका सेवन किया जा रहा है.

दस्त में राहत

गर्मियों के मौसम में अक्सर हर कोई दस्त से कुछ अधिक ही परेशान रहता है। तेज धूप और शरीर में कम पानी की वजह से कभी-कभी दस्त भी होने लगता है। कभी-कभी अधिक या गलत खाना खाने से भी दस्त होने लगता है। ऐसे में इस परेशानी को दूर करने के लिए आप कमल ककड़ी का इस्तेमाल कर सकती हैं। कई महिलाएं कमल ककड़ी को दस्त की समस्या को दूर करने के लिए सब्जी, सलाद या जूस के रूप में भी इस्तेमाल करती हैं। इसमें मौजूद एंटी डायरिया गुण दस्त में राहत देते हैं।

शरीर में पानी की कमी को दूर करना

गर्मियों के मौसम में अगर सबसे अधिक किसी चीज को लेकर ध्यान देने की ज़रूरत होती है तो वो हैं शरीर में पानी की कमी को दूर करना। अक्सर गर्मियों के मौसम में शरीर जिस हिसाब से पानी की मात्रा होनी चाहिए वो नहीं होता है। ऐसे में शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए आप कमल ककड़ी का इस्तेमाल कर सकती हैं। खीरा, तरबूज आदि की तरह ही कमल ककड़ी में भरपूर मात्रा में पानी की मात्रा होती है। कहा जाता है कि कमल ककड़ी में लगभग पच्चास से सत्तर प्रतिशत तक पानी होता है।

बुखार करे कम-

एक शोध में कहा गया है कि यदि आपको बुखार है, तो आप पैरासिटामोल की बजाय कमल ककड़ी खाएं। इसमें बुखार को कम करने वाले गुण मौजूद होते हैं, जो बुखार की दवा के रूप में काम करते हैं। इससे शरीर को ठंडक मिलती है, इसलिए बुखार में जब शरीर का तापमान अधिक हो, तो इसका सूप बनाकर पीड़ित को पिलाएं।

वजन घटाने में करती है मदद

बदलते लाइफस्टाइल के चलते बहुत से लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं. कमल ककड़ी उन कुछ चीज़ों में शामिल है जिसे खाने से वजन कम होता है. इसे खाने से पेट भरा रहता है. साथ में कैलोरी भी कम मात्रा में मिलती है. इस वजह से कमल ककड़ी
वजन कंट्रोल करने में आपकी काफी मदद कर सकती है.

बालों के लिए भी बेस्ट

गर्मियों के दिनों में चेहरा के साथ-साथ त्वचा पर तरह-तरह के मुंहासे निकलने गलते हैं। ऐसे में इस परेशानी को दूर करने के लिए आप कमल ककड़ी का इस्तेमाल कर सकती हैं। कहा जाता है कि कमल ककड़ी विटामिन-सी से भरपूर होता है जो चेहरे पर मौजूद मुंहासों को जल्दी ही दूर कर देता है। इसके साथ-साथ झुर्रियां और अन्य दाग धब्बों को भी दूर करने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं। इसी तरह कमल ककड़ी को बालों के लिए भी बेस्ट माना जाता है। इसमें मौजूद विटामिन-सी बालों को स्ट्रांग करता है और सफ़ेद बाल होने से रोकता है।

स्ट्रेस कम करने में सहायक

कमल ककड़ी में विटामिन बी पाया जाता है. विटामिन बी की कमी होने पर चिड़चिड़ापन, कमजोर याददाश्त, तनाव और सिरदर्द जैसी समस्या हो सकती है. ऐसे में चिड़चिड़ेपन से बचने और स्ट्रेस को कम करने के लिए कमल ककड़ी खाई जा सकती है.


सूजन करे कम-

सूजन शरीर में कई तरीकों से उभरता है, जैसे कि मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द या रैशेज। इन सभी तकलीफों की जड़ों तक पहुंचने के लिए कमल ककड़ी को अपने भोजन में शामिल करें।

पोटेशियम का खजाना

शरीर में मौजूद छोटे-छोटे कोशिकाओं के मजबूती करने के लिए सबसे ज़रूरी पदार्थ होता है पोटेशियम। अगर नियमित और सही मात्रा में पोटेशियम खाद्य पदार्थ का सेवन किया जाता है तो कब्ज, थकान दूर और कमजोर होती मांसपेशियां को स्ट्रांग किया जा सकता है। अगर आप कब्ज, थकान आदि से परेशान रहती है आप इसको सब्जी, जूस या फिर सलाद के रूप में भी सेवन कर सकती हैं। पोटेशियम के साथ-साथ कमल ककड़ी आयरन से भी भरपूर होता है।

लिवर को रखे हेल्दी-

लोटस स्टेम में मौजूद एक कसैला पदार्थ टैनिन होता है, जो लीवर की रक्षा करता है। एक अध्ययन के अनुसार, कमल ककड़ी में मौजूद कंडेनस टैनिन लिवर से जुड़ी हिपेटोमिगेली (hepatomegaly) और अल्कोहल फैटी लीवर जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है

ब्लड शुगर करे कंट्रोल-

एक शोध में यह बात साबित हुई है कि कमल ककड़ी में इथेनॉल का अर्क मौजूद होता है, जो ब्लड शुगर के स्तर को कम कर सकता है। यह ग्लूकोज टॉलरेंस में सुधार करता है।
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