6.4.24

यौन शक्ति बढ़ाने वाली गोरखमुंडी के और भी हैं कई चमत्कारी फायदे



मित्रों  घरेलू आयुर्वेद से रोगों की चिकित्सा के विडिओ की शृंखला मे आज का विषय है " यौन शक्ति बढ़ाने वाली गोरख मुंडी के  और भी हैं कई चमत्कारी फायदे "
गोरखमुंडी एक सुगंधित जड़ी बूटी  है जो पूरे भारत में पाई जाती है, लेकिन दक्षिणी भारत में यह प्रचुर मात्रा में पाई जाती है.
इस पौधे के पूरे हिस्से जैसे जड़, फूल और पत्तियां कई रोगों के इलाज के लिए फायदेमंद होते हैं
गोरखमुंडी के स्वास्थ्य  लाभ बताते हैं -


सर्दी-खांसी के लिए रामबाण उपाय

सर्दी, खांसी, जुकाम की समस्या के लिए गोरखमुंडी कारगर है. इसके लिए गोरखमुंडी के गोल फूल को अदरक, तुलसी, काली मिर्च को पानी में उबालकर दिन में दो बार सेवन करने से सर्दी-खांसी की समस्या दूर होती है. शरीर को आराम मिलता है.

                                             


सेक्सुअल क्षमता बढ़ाने के लिए

  गोरख मुंडी  के पौधों को छांव में सुखाकर बारीक पीस लें. अब इसमें मिश्री को पीसकर मिला लें. प्रतिदिन सुबह शाम एक छोटा चम्मच पाउडर को दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से कामेन्द्रिय की क्षमता बढ़ती है. इसके अलावा गोरखमुंडी के बीजों को सुखाकर पीस लें इसमें समान मात्रा में पीसा हुआ शक्कर मिलाकर प्रतिदिन दो से तीन ग्राम पानी के साथ पीएं. इससे सेक्सुअल स्टैमिना बढ़ता है.  गोरख मुंडी का सेवन शहद, दूध मट्ठे के साथ किया जा सकता है।

गोरख मुंडी के अद्भुत औषधीय गुण :

गोरख मुंडी का प्रयोग बवासीर में भी बहुत लाभदायक माना गया है। गोरख मुंडी की जड़ की छाल निकालकर उसे सुखाकर चूर्ण बनाकर हर रोज एक चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से मट्ठे का सेवन किया जाये तो बवासीर पूरी तरह समाप्त हो जाती है। 
  जड़ को सिल पर पीस कर उसे बवासीर के मस्सों में तथा कण्ठमाल की गाठों में लगाने से बहुत लाभ होता है। पेट के कीड़ों में भी इस की जड़ का पूर्ण प्रयोग किया जाता है, उससे निश्चित लाभ मिलता है।
गोरख मुंडी एक एसी औषधि है जो आंखो को शक्ति देती है।  आयुर्वेद मे गोरख मुंडी को रसायन कहा गया है। 

हृदय के लिए लाभकारी

गोरखमुंडी में मौजूद विशेष तत्व हार्टबीट को मजबूत करने और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं. गोरखमुंडी को पूरी तरह संपूर्ण पंचांग के रूप में जड़, फूल, तना को उबालकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से हृदय से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं.



गठिया के मरीजों के लिए

गठिया के मरीजों को 30 ग्राम गोरखमुंडी और 10 ग्राम कुटकी के पाउडर को मिलाकर एक शीशी में सुरक्षित रख लें. अब प्रतिदिन इसके दो ग्राम पाउडर को शहद में मिलाकर लेने से गठिया में राहत मिलती है.
*गोरख मुंडी का सुजाक, प्रमेह आदि धातु रोग में सर्वाधिक सफल प्रयोग किया गया है।

आंखों की रोशनी के लिए

गोरखमुंडी का उपयोग कान, नाक और गले के विकार तथा नेत्र विज्ञान के विभिन्न विकारों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके कुछ समय तक सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ सकती है. गोरखमुंडी के 3-4 ताजे फूल लें और इसे दो चम्मच तिल के तेल में मिलाएं. नियमित सेवन आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने में मदद करेगा. साथ ही आंखों की लालिमा से भी छुटकारा दिलाएगा.

किडनी के लाभकारी

गोरखमुंडी किडनी से जुड़ी बीमारी को दूर करने में सहायक है. इसमें शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने के खास गुण होते हैं. नियमित तौर पर दो कप पानी में गोरखमुंडी के जड़ और फूल को अच्छी तरह पानी में गर्म करना चाहिए. आधा कप बच जाने पर उसे छान कर सेवन करने से किडनी से जुड़ी बीमारी दूर होती है.

कुष्ठ रोग दूर करे

कुष्ठ रोग होने पर गोरख मुंडी का चूर्ण और नीम की छाल मिलाकर काढ़ा तैयार कीजिए, सुबह-शाम इस काढ़े का सेवन करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।

सांसों की बदबू से छुटकारा

सांसों की बदबू से छुटकारा पाने के लिए गोरखमुंडी का पाउडर सिरके के साथ लें. इसके लिए गोरखमुंडी पाउडर को सिरके में अच्छे से मिला लें और सुबह-शाम एक चुटकी लें.

पित्ताशय की पथरी को दूर करे

पथरी और पित्ताशय की पथरी को खत्म करने में गोरखमुंडी फायदेमंद है. गर्भाशय, योनि से संबंधित अन्य बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद औषधि है.

आंतों के कीड़े खत्म करने में

आंतों के कीड़ों को खत्म करने और बाहर निकालने में यह जड़ी-बूटी बड़े काम की साबित हो सकती है. यह पेट के कीड़ों को निकालने में भी मदद करती है. गोरखमुंडी की जड़ का पाउडर बनाकर दिन में एक बार आधा चम्मच सेवन करें.

पाइल्स के इलाज में

गोरखमुंडी का तना और जड़ लेकर इसे सुखा लें और इसका पाउडर बना लें. हर दिन मट्ठे के साथ एक चम्मच चूर्ण का सेवन करने से पाइल्स यानी बवासीर पूरी तरह समाप्त हो जाता है.

शुगर लेवल नियंत्रित करने में मददगार

गोरखमुंडी शुगर लेवल को कम करने में काफी प्रभावी माना जाता है. इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ पीने से शुगर लेवल बैलेंस रहेगा. शुगर नहीं बढ़ेगी.


सावधानी -किसी भी औषधि तत्व के प्रयोग करने से पहिले चिकित्सा विशेषज्ञ  से परामर्श लेना उचित है| हमारे चैनल को suscribe करें |धन्यवादआभार !


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गर्मियों में cold drinks पीने से हो सकते हैं सेहत को खतरनाक नुकसान


 



गर्मियां शुरू होते ही कार्बोनेटेड ड्रिंक (Carbonated drinks) यानी कि सॉफ्ट ड्रिंक (soft drinks) की डिमांड भी तेजी से बढ़ना शुरू हो जाती है। अलग-अलग फ्लेवर में विभिन्न प्रकार के सॉफ्ट ड्रिंक्स बाजार में उपलब्ध हैं। यह लोगों को काफी ज्यादा पसंद होता है। गर्मियों में लोग इसे अपनी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बना लेते हैं और दिन में एक बार जरूर पीते हैं। बर्थडे पार्टी हो या ऑफिस पार्टी कार्बोनेटेड ड्रिंक्स न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। लोग जितना इसे पसंद करते हैं, उतना ही यह उनकी सेहत के लिए हानिकारक होता है। खासकर इसका सेवन पेट के लिए अधिक नुकसानदेह होता है (side effects of carbonated drinks)। ऐसे में इस गर्मी खुद को स्वस्थ रखने के लिए कार्बोनेटेड ड्रिंक्स से जितना हो सके उतना परहेज रखने की कोशिश करें।

कोल्ड ड्रिंक्स के नुकसान

दिल के मरीजों को

अगर आपको कभी हार्ट अटैक आया हो या फिर दिल से जुड़ी कोई भी बीमारी की दवा चल रही हो तो आपको कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि कोल्ड ड्रिंक कोलेस्ट्रोल बढ़ाने का काम करता है और ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है। साथ ही ये बीपी बढ़ाने का भी काम करता है इसलिए दिल के मरीजों को इसके सेवन से बचना चाहिए।

बच्चों को

बच्चों में आज कल मोटापा और डायबिटीज बेहद आम हो गया है। इसके पीछे एक बड़ा कारण है सॉफ्ट ड्रिंक्स और ऑयली फूड्स। ऐसे में बच्चों को कोल्ड ड्रिंक पीने को देना उनमें प्रीडायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है और मोटापा बढ़ने का कारण बन सकता है।

गैस्ट्रोइंटाइटिस के रोगियों को

डॉ. अमिताभ बताते हैं कि लोगों को लगता है कि कोल्ड डिंक्स एसिडिटी को कम करता है, जबकि ऐसा नहीं है उल्टा ये एसिडिटी को बढ़ा सकता है। पेट के पीएच को नुकसान पहुंचा सकता है और एसिडिक पीएच को बढ़ाता है। इसके अलावा आप जिन लोगों को लगातार पेट में दर्द, अल्स और अन्य प्रकार की पेट की समस्याएं होती हैं उन्हें कोल्ड डिंक्स या सॉफ्ट ड्रिंक पीने से बचना चाहिए। क्योंकि कोल्ड ड्रिंक पेट में सूजन बढ़ाता है और ब्लॉटिंग की समस्या पैदा करता है।

हाई बीपी के मरीजों को

जिन लोगों की हाई बीपी की शिकायत है उन्हें कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि कार्बोनेटेड ड्रिंक्स में हाई सोडियम होता है जो कि ब्लड प्रेशर बढ़ाने का काम करता है। इसके अलावा ये शरीर में प्यास कम करके पानी की कमीको बढ़ावा देता है, जिससे ब्लड वेसेल्स को नुकसान होता है और आपका ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। ऐसे में हाई बीपी के मरीजों को कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए।

डायबिटीज और अन्य मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है

कार्बोनेटेड ड्रिंक में रिफाइंड शुगर की मात्रा पाई जाती है। वहीं इसमें किसी प्रकार का पोषक तत्व मौजूद नहीं होता। ऐसे में एम्प्टी कैलरी कार्बोनेटेड ड्रिंक्स के सेवन से शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ता है। जिसके कारण आपको बार बार भूख लगती है और साथ ही थकान महसूस होता है। इसके नियमित सेवन से टाइप 2 डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ जाता है।
किडनी की सेहत पर पड़ता है असर


अधिक मात्रा में सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन किडनी को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। यह बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करता है। ऐसे में इसके प्रभावित होने से शरीर में अन्य प्रकार की समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार किडनी आपके शरीर से एसिडिक ड्रिंक्स जैसे कि कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और सॉफ्ट ड्रिंक इत्यादि को फ्लश करता है। ऐसे में इन एसिडिक ड्रिंक्स की अधिकता किडनी स्टोन का कारण बन सकती है।

एसिडिटी और हार्टबर्न का कारण बन सकता है

कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन ब्लीचिंग का कारण बनता है। ऐसी स्थिति में खाने और पेट का एसिड फूड पाइप में वापस आ जाता है जिसकी वजह से हार्टबर्न और खट्टे डकार आने जैसी समस्याएं होती हैं। वहीं एसिड और सोडा पेट की लाइनिंग को इरिटेट कर देता है और एसिड रिफ्लक्स को बढ़ावा देता है।

दांतों को नुकसान पहुंचाता है

न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का नियमित सेवन दांतो की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। कैल्शियम और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का इंटरेक्शन बिल्कुल भी उचित नहीं है। इसके साथ ही सॉफ्ट ड्रिंक्स में मौजूद एसिड की मात्रा इनेमल को कमजोर कर देती है और ऐसे में दांतों में सड़न आना शुरू हो जाता है।

नींद को प्रभावित करता है

सॉफ्ट ड्रिंक्स में मौजूद कैफीन काफी ज्यादा एडिक्टिव होती है। इसके साथ ही यह एड्रेनालाईन के उत्पादन को बढ़ा देती है। नियमित रूप से सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन आपकी नींद की गुणवत्ता को पूरी तरह से खराब कर देती है। इसकी वजह से शरीर में कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती है। साथ ही ये डाइजेशन के लिए भी बिल्कुल उचित नहीं होता।

डिहाइड्रेशन का कारण बनता है

आमतौर पर गर्मी में कार्बोनेटेड ड्रिंक को लोग प्यास बुझाने के लिए पीते हैं। परंतु असल में इसका सेवन आपके शरीर को डिहाइड्रेटेड कर देता है। इसके सेवन से बार-बार बाथरूम जाने की आवश्यकता पड़ती है। वहीं पेशाब की अधिकता आपके लिए उचित नहीं है क्योंकि ये आपके शरीर से पानी को पूरी तरह बाहर निकाल देती है।
प्रीमेच्योर एजिंग का कारण बन सकता है
न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार इन ड्रिंक्स को बनाने में इस्तेमाल होने वाले फास्फेट और अन्य प्रोसेस फूड्स जैसे कि रिफाइंड शुगर एजिंग प्रोसेस को बढ़ावा देने का काम करते हैं। यह केवल रिंकल्स ही नहीं बल्कि त्वचा से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार होता है। इसके साथ ही इसके अधिक सेवन से किडनी और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
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उम्र ढलने पर भी यौवन का एहसास /जडी -बूटियों की रानी/शतावरी स्त्री -पुरुष दोनों के लिए रामबाण


 शतावरी गैस्ट्रिक समस्याओं, गठिया, बुखार, सिरदर्द और हार्मोनल असंतुलन को आसानी से ठीक कर सकती है। यह चिंता और तनाव को भी काफी हद तक कम कर सकता है। शतावरी के सबसे महत्वपूर्ण उपयोगों में से एक यह है कि यह नई माताओं में स्तन के दूध का उत्पादन करने में मदद करता है और मनोदशा और प्रजनन समस्याओं के साथ मदद करता है। नियमित रूप से शतावरी का सेवन करने से सांस की नली संबंधी समस्याएं भी ठीक हो सकती हैं। यह एक प्राकृतिक प्रतिजैविक है और मूत्रवर्धक के रूप में भी काम करता है।
शतावरी पुरुषों की बहुत सी समस्याओं को दूर करने में सहायक है। यह पुरुषों की यौन समस्याओं का उपचार करने वाली जड़ीबूटी है। शतावरी कोई दवा नहीं है लेकिन किसी दवा से कम भी नहीं है। पुरुषों को जाने अनजाने में ऐसी बीमारियां हो जाती है जिसका उन्हें पता भी नहीं चलता। तो अगर आप भी ऐसी किसी समस्या से पीड़ित है तो शतावरी का सेवन जरूर करें।
शतावरी के फायदे महिलाओं के लिए तो अनेक हैं। पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाले दर्द में शतावरी का उपयोग करने से बहुत फायदा मिलता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि शतावरी में पाया जाने वाला विटामिन 'के' पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में बहुत राहत पहुंचाता है। ये पीरियड्स की अनियमितता और उससे जुड़ी अनेकों तकलीफ़ों में लाभकारी है। यह महिलाओं की हार्मोन असंतुलन की समस्या में भी फायदेमंद है।
यदि कोई महिला गर्भवती है तो वो भी शतावरी के लाभ का फायदा उठा सकती है। गर्भवती महिलाएं शतावरी, सौंठ, अश्वगंधा, मुलेठी तथा भृंगराज को समान मात्रा में लें और इनका चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा को बकरी के दूध के साथ पीना चाहिए। ऐसा करने से गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ रहता है।
यदि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को स्तनों में दूध की कमी की शिकायत है तो ऐसी स्थिति में महिलाएं 10 ग्राम शतावरी चूर्ण का दूध के साथ सेवन करना चाहिए। इससे उनके स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। डिलीवरी के बाद भी शतावरी का सेवन महिलाओं की सेहत के लिए अच्छा है। इसी तरह शतावरी को गाय के दूध में पीसकर सेवन करना चाहिए। इससे स्तनों का दूध और भी पोष्टिक हो जाता है।शतावरी पुरुषों की बहुत सी समस्याओं को दूर करने में सहायक है। यह पुरुषों की यौन समस्याओं का उपचार करने वाली जड़ीबूटी है। शतावरी कोई दवा नहीं है लेकिन किसी दवा से कम भी नहीं है। पुरुषों को जाने अनजाने में ऐसी बीमारियां हो जाती है जिसका उन्हें पता भी नहीं चलता। तो अगर आप भी ऐसी किसी समस्या से पीड़ित है तो शतावरी का सेवन जरूर करें।


शतावरी महिलाओं के लिए

आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियां हैं जिनसे महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य का बेहतर किया जा सकता है लेकिन शतावरी का जवाब नहीं. शतावरी महिलाओं के लिए आयुर्वेद की क्वीन या रानी है. शतावरी महिलाओं के लिए सबसे बेस्ट हर्ब्स मानी जाती है. आयुर्वेद के मुताबिक शतावरी महिलाओं में इम्यूनिटी को बूस्ट करती है जिससे कई बीमारियां पास भी नहीं फटकती. वहीं यह नई बनी मां में दूध के प्रोडक्शन को बढ़ाती है और मेन्सट्रूअल फ्लो को नियंत्रित करने में मदद करती है. इतना ही नहीं, शतावरी महिलाओं में पीरियड्स से पहले पीएमएस के लक्षण को कम करती है और मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हॉट फ्लैशेज के जोखिम से बचाती है. महिलाओं के लिए इतना फायदेमंद होने के कारण यदि आप सोच रहे हैं कि इससे पुरुषों को कोई फायदा नहीं है तो आप गलत है. दरअसल, पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए भी शतावरी बेस्ट ऑप्शन है.
पीरियड्स के दौरान असुविधा पैदा करने वाली एसिडिटी से बचने के लिए शतावरी बहुत अच्छा घरेलु नुस्खा है। शतावार पेट दर्द को कम करने वाली एलिमेंट्री कैनाल में गैस बनने से रोकती है। इसके अलावा जिन महिलाओं को अल्सर या दस्त की समस्या है, वे इस जड़ी बूटी का सेवन कर सकती हैं। महिलाओं को दिन में दो बार 1-2 ग्राम शतावरी लेने की सलाह दी जाती है।

पुरुषों के लिए फायदे

 शतावरी पुरुषों में स्पर्म और सीमेन क्वालिटी और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाती है. जब भी कोई कपल फर्टिलिटी की शिकायत लेकर आय़ुर्वेदिक डॉक्टर के पास आते हैं तो सबसे पहले दोनों को शतावरी लेने की सलाह देते हैं.

डाइजेशन और मूड –

 शतावरी शरीर में एंडोर्फिन, सेरोटोनिन और डोपामाइन को रिलीज करती है. ये सभी हैप्पी हार्मोंस हैं. इनसे तनाव, चिंता और डिप्रेशन नहीं होता. शतावरी के सेवन से सुकून की नींद आती है. शतावरी को गट क्लीन्ज़र भी कहते हैं. यह आंतों को डिटॉक्सीफाई करती है और शरीर के पाचन एंजाइम्स की एक्टिविटी को बढ़ाती है. शतावरी को दूध में मिलाकर पीया जाता है.

. शारीरिक क्षमता बढ़ाए शतावरी

शतावरी के इस्तेमाल से पुरुषों की शारीरिक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। यह उनके यौन जीवन पर सकारात्मक असर डाल सकता है। रात में सोने से पहले हल्के गुनगुने दूध के साथ शतावरी का सेवन करने से मांसपेशियां मजबूत (shatavari for men) होती हैं। जो शारीरिक कमजोरी को दूर करने में प्रभावी होता है। ऐसे में आप नियमित रूप से शतावरी और दूध का सेवन कर सकते हैं

सांस की नली के लिए अच्छा है

अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो श्वसन संबंधी समस्याएं बहुत घातक हो सकती हैं। इससे सांस लेने में तकलीफ और श्वसनीशोध (ब्रोंकाइटिस) होता है। शतावरी के नियमित सेवन से श्वसन तंत्र की बीमारियों को कम करने में मदद मिल सकती है और यह अस्थमा रोगियों के मामलों में भी सहायक है।

तनाव और चिंता से छुटकारा दिलाता है

काम के दबाव, प्रदर्शन के दबाव, शिक्षा और मानसिक आघात के कारण तनाव हमारे जीवन का एक दैनिक हिस्सा बन गया है। हम आमतौर पर इसे नजरअंदाज करते हैं और अगली चीज जो हम जानते हैं, वह है, यह हमें कमतर आंकती है और खुशहाल जीवन जीने में मुश्किल बनाती है। प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की क्षमता के कारण शतावरी द्वारा तनाव को आसानी से कम किया जा सकता है। यह हमारे दिमाग और शरीर को रोजमर्रा की चुनौतियों से आराम और सामना करने में मदद करता है जिससे तनाव और चिंता हो सकती है।

स्तन के दूध उत्पादन में मदद करता है

युवा माताओं को आमतौर पर बहुत कम दूध उत्पादन के कारण अपने नवजात शिशुओं को स्तनपान कराना मुश्किल होता है। यह एनीमिया, निम्न रक्तचाप या तनाव जैसे कई कारणों से हो सकता है। प्रतिदिन शतावरी का सेवन दूध उत्पादन को सुगम और नियमित करने में मदद करता है। यह विधि नवजात शिशुओं के पोषण के लिए आदर्श है ताकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो। साथ ही शतावरी एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है इसलिए इससे बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता है।

सावधानी बरतें-

शतावरी के कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं जिनमें स्तन कोमलता शामिल हैं। यह आमतौर पर होता है क्योंकि इसमें एस्ट्रोजन के समान गुण होते हैं, इसलिए उच्च एस्ट्रोजन स्तर वाले किसी व्यक्ति को स्तन दर्द और कोमलता का सामना करना पड़ सकता है। यह एक महिला के लिए स्तन के आकार में भिन्नता पैदा कर सकता है जो उनके लिए आरामदायक नहीं हो सकता है।

शतावरी को ऐसे लोगों से बचना चाहिए जिन्हें किडनी या दिल की बीमारी है क्योंकि इसका सेवन घातक साबित हो सकता है। कुछ लोगों के लिए वजन बढ़ भी सकता है। हालाँकि किसी भी समस्या से बचने के लिए प्रमाणित और प्रामाणिक स्रोत से शतावरी खरीदना महत्वपूर्ण है।
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गर्मियों में खाएं तरबूज सेहत को होंगे जबर्दस्त फायदे ,Watermelon Benefit

                                          



गर्मी का मौसम चालू हो चुका है. इस मौसम में शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी होता है. भीषण गर्मी के दिनों में खान-पान का विशेष ध्यान देना होता है. इस मौसम में ऐसी चीजों का सेवन किया जाता है जिससे शरीर को भरपूर मात्रा में पानी और पोषक तत्व मिल सके. यही वजह है कि इस मौसम में तरबूज (Watermelon) खाने की सलाह दी जाती है. तरबूज गर्मियों के लिए रामबाण है. इसे खाने से शरीर हाइड्रेट रहने के साथ अन्य कई लाभ मिलते हैं. आइए आपको तरबूज से होने वाले फायदे बताते हैं.

वजन को कम करता है तरबूज

तरबूज में बहुत ही कम कैलोरी होती है, लेकिन ये बहुत ही लंबे समय तक आपके पेट को भरा हुआ महसूस कराता है. 100 ग्राम तरबूज में केवल 30 ग्राम कैलोरी ही होती है. इसमें करीब 1 मिलीग्राम सोडियम, कार्बोहाइड्रेट 8 ग्राम, फाइबर 0.4 ग्राम, शुगर 6 ग्राम, विटामिन ए 11 फीसदी, विटामिन सी 13 फीसदी, प्रोटीन 0.6 ग्राम पाया जाता है. ये सभी पोषक तत्व आपको हाइड्रेट रखने का काम करते हैं.

दिमाग को रखता है ठंडा

तरबूज की तासीर क्यूंकि ठंडी होती है. इसे खाने से आपका पेट तो ठंडा रहता ही है, आपका दिमाग भी शांत रहता है.अगर आप इसके बीज को पीस कर माथे पर लगाते हैं तो सिरदर्द भी ठीक हो जाता है.

त्वचा को हाइड्रेट करता है

तरबूज खाने से ये, तो आपने हजारों बार सुना होगा कि ये शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं तरबूज खाने से त्वचा को भी ताजगी का अहसास होता है। तरबूज त्वचा को अंदर से मॉइस्चराइज्ड रखता है और स्किन को हेल्दी बनाता है।

किडनी स्टोन में है फायदेमंद

जिन लोगों को किडनी में स्टोन की समस्या है तो उन्हें तरबूज खूब खाना चाहिए. तरबूज में पानी की ज्यादा मात्रा होती है और ये आपकी किडनी को भी डिटॉक्स करने में मदद करती है.

.हार्ट के लिए फायदेमंद:

हर्बेलिस्ट डॉ.दयाराम आलोक का कहना है कि तरबूज में इट्रालाइन नामक अमीनो एसिड से भरपूर होता है जो आपके शरीर में रक्त को स्थानांतरित करने में मदद करता है और रक्तचाप को कम कर सकता है. तरबूज़ के सेवन से या इसका जूस पीने से, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बनने से रोका जा सकता है. तरबूज आपके दिल के दौरे के जोखिम को कम कर सकता है. बेशक, आपकी पूरी जीवनशैली आपके दिल के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है. इसलिए सुनिश्चित करें कि आप व्यायाम भी करें, धूम्रपान न करें और अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें.

आंखों के लिए जरूरी है तरबूज

विटामिन सी और विटामिन ए से भरपूर तरबूज आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है. इसके अलावा ये आपकी आंखों के लिए भी बहुत ही अच्छा होता है.

हाई ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोल

जिन लोगों को हाई बीपी की समस्या है, उन्हें तरबूज का सेवन जरूर ही करना चाहिए. तरबूज में बहुत कम मात्रा में सोडियम होता है और ये काफी ठंडा भी होता है.

सनबर्न से बचाव होता है

तरबूज खाने से सनबर्न से भी त्वचा का बचाव होता है। तरबूज में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो सनबर्न और इरिटेशन को दूर करता है और त्वचा को ठंडक देता है। तरबूज का गूदा भी मुंहासों वाली त्वचा को आराम देता है और त्वचा के लालपन को कम करता है।

क्या हैं तरबूज की आयुर्वेदिक क्वालिटी?

जहां तक आयुर्वेदिक क्वालिटी का सवाल है तो तरबूज में खास क्वालिटी होती हैं जैसे -रस (स्वाद)- ये मीठा होता है।
वीराया - ये ठंडा होता है।
गुरू- ये डाइजेस्ट करने में थोड़ा हैवी होता है।
संथारपानो- ये शरीर के सभी टिशू को नॉरिशमेंट देता है।
बालया- ये ताकत में वृद्धि करता है।
वीराया विवर्धना- ये पौरुष शक्ति बढ़ा सकता है।
पुष्टि विवर्धना- ये पोषण के लिए बहुत अच्छा है।

तरबूज अपनी डाइट में शामिल करने के फायदे?

तरबूज को अपनी डाइट में शामिल करने का सबसे पहला फायदा ये है कि ये पित्त दोष को कम करता है और इसे बैलेंस करता है।
बहुत ज्यादा प्यास को बुझाता है।
थकान को कम करता है।
शरीर में अगर जलन या फिर गर्मी लग रही हो तो उसे कम करता है।
यूरीन पास करने में दिक्कत को कम करता है।
ब्लैडर इन्फेक्शन से लड़ सकता है।
ये सूजन और जलन को कम करता है।

तरबूज को खाने के नियम-

तरबूज को खाने के कई नियम होते हैं और अगर आप इन नियमों का ध्यान रखेंगे तो इसमें कोई भी दिक्कत नहीं होगी।सबसे पहला नियम तो ये है कि इसे बहुत ही ज्यादा ना खाएं। पर्याप्त मात्रा में खाना ही जरूरी है।
इसे अन्य मील्स के साथ ना खाएं। इसे जब भी खाएं सिर्फ तरबूज को ही खाएं।
इसे खाने का सबसे अच्छा समय सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक हो सकता है। इसे नाश्ते के तौर पर खाया जा सकता है या फिर नाश्ते और दोपहर के खाने के बीच खाया जा सकता है।
इसे ईवनिंग स्नैक्स के तौर पर भी खाया जा सकता है (लंच के बाद लेकिन शाम 5 बजे से पहले)
इसे रात में कभी ना खाएं या फिर खाने के साथ तरबूज कभी ना खाएं।
इसे एकदम मार्केट से लाकर तुरंत ना खाएं बल्कि थोड़ी देर पानी में डालकर रख दें।
ऐसे लोग जिन्हें डाइजेस्टिव समस्याएं होती हैं उनके लिए ये अच्छा नहीं होगा।
ऐसे लोग जिन्हें डायबिटीज की समस्या है उनके लिए भी ये अच्छा नहीं होगा।
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5.4.24

मालकाँगनी/ज्योतिष्मती पौधे के औषधीय गुण कर देंगे आपको हैरान:लाभ ,उपयोग और नुकसान





मित्रों घरेलू आयुर्वेद से चिकित्सा के विडिओ की शृंखला मे आज का विषय है "ज्योतिष्मती |मालकाँगनी/ज्योतिष्मती  पौधे के औषधीय गुण कर देंगे आपको हैरान "
  ऐसे कई औषधीय पौधे हैं जिनका उपयोग पारंपरिक रूप से आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता रहा है। उनमें से एक है मालकांगनी। आयुर्वेद में इसका विशेष स्थान है जिसे आयुर्वेद में ज्योतिष्मती और काला तेल कहा जाता है। यह एक औषधीय जड़ी बूटी है, जो सेलेस्ट्रेसी परिवार से संबंधित है  यह स्वाद में कड़वा होता है. इसके पत्ते गोल और पत्तों का किनारा कांटेदार होता है। मालकांगनी के फल गोल आकार के होते हैं। इसके कच्चे फल हरे रंग के होते हैं और पकने पर पीले दिखाई देते हैं। इसके बीज, फल, जड़, पत्तियां आदि का उपयोग आयुर्वेद में औषधि के रूप में किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार मालाकांगनी यानी ज्योतिष्मती के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसके फल का सेवन करने से व्यक्ति में बुद्धि का विकास होता है। यह पेट के कीड़ों को मारता है और गठिया के इलाज के लिए फायदेमंद है। सदियों से मलकांगनी का उपयोग मिर्गी और कुष्ठ रोग के इलाज में किया जाता रहा है। इसके अलावा यह सिरदर्द, पीलिया और मासिक धर्म जैसी समस्याओं से भी राहत दिलाता है। इन्हीं गुणों के कारण मालकांगनी को आयुर्वेदिक चिकित्सा में विशेष स्थान प्राप्त है।
भारत देश में सालों से आयुर्वेद का इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा के तौर पर किया जाता रहा है। इसके पीछे का कारण है यहां मौजूद अनगिनत जड़ी बूटियां, जिनका इस्तेमाल कई शारीरिक समस्याओं के इलाज के लिए फायदेमंद माना जाता है। मालकांगनी भी उन्हीं में से एक है।

सफेद दाग (त्वचा रोग) में लाभकारी



सफ़ेद दाग के उपचार में मालाकांगनी यानि ज्योतिष्मती का विशेष स्थान है। इसके लिए मालकांगनी और बाबची के बीज का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर एक बर्तन में रख लें। अब इस मिश्रण को रोजाना नियमित रूप से प्रभावित जगह पर लगाएं। ऐसा कुछ दिनों तक करने से सफेद दाग या अन्य त्वचा संबंधी विकारों में लाभ मिलता है।

मासिक धर्म संबंधी विकारों के लिए

मालकांगनी महिलाओं की मासिक धर्म संबंधी समस्याओं में लाभकारी है। इस पर किए गए शोध से पता चलता है कि मालकांगनी एक आग्नेय पदार्थ और प्रकृति में अर्तवजना है, जो मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित होती है। वहीं, मासिक धर्म को प्रेरित करने के लिए मालकांगनी की सूखी पत्तियों को घी में भूनकर कांजी के साथ पीसकर सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा मालकांगनी की जड़ों के सेवन से पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द भी कम हो जाता है। यह प्रजनन क्षमता को प्रेरित करने का भी काम करता है।

बालों के लिए फायदेमंद

मालकांगनी, जिसे  'जीवन का पेड़' भी कहा जाता है, एक बड़ी लकड़ी वाली चढ़ाई वाली झाड़ी है। इसका तेल बालों के लिए फायदेमंद है और इसे हेयर टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। स्कैल्प पर मलकांगनी का इस्तेमाल बालों को स्वस्थ बनाता है और इसके एंटीफंगल गुण के कारण रूसी को कम करने में मदद करता है।
मालकांगनी के बीजों से बने तेल में मौजूद तत्व बालों को स्वस्थ रखने और उनसे जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। गुजरात में लोग बालों से जुड़ी समस्याओं के लिए ज्यादातर इस तेल का इस्तेमाल करते हैं। यह बालों को मुलायम और मजबूत बनाने का काम करता है।  

गठिया के उपचार में प्रभावी

गठिया के इलाज के लिए मालकांगनी या इससे बने तेल का उपयोग एक प्रभावी औषधि है। मलकांगनी में एंटी-आर्थराइटिस गुण पाए जाते हैं जो गठिया से राहत दिलाने का काम करते हैं। इसके लिए मालकांगनी का तेल दर्द वाले स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।

सूजन के लिए




मालकांगनी एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है जो सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में सहायक होती है। इसके अलावा, मालकांगनी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव सूजन को कम करने या रोकने में भी सहायक होता है।

त्वचा के लिए फायदेमंद

स्वास्थ्य के अलावा मालकांगनी का उपयोग त्वचा के लिए भी किया जाता है।  त्वचा रोगों के लिए मालकांगनी के बीज का उपयोग फायदेमंद है। मालकांगनी तेल में एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों से बचाने वाले) और एंटी-एजिंग (उम्र बढ़ने की समस्या को दूर करने वाले) गुण होते हैं। इस तरह त्वचा से जुड़ी समस्याओं और बढ़ती उम्र के लक्षणों को दूर करने में मालकांगनी एक कारगर औषधि है।

पुरुष यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है




मालकांगनी एक बेहतरीन कामोद्दीपक है। यह पुरुषों में कामेच्छा को बढ़ाता है और सहनशक्ति में सुधार करता है। यह यौन रोग, शीघ्रपतन और शीघ्रपतन के उपचार में भी मदद करता है।

मालकांगनी तेल की मालिश के क्या फायदे हैं?

मालकांगनी तेल (ज्योतिष्मती तेल) की मालिश कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती है, जैसे कि जोड़ों के दर्द, सूजन और मांसपेशियों के दर्द से राहत, बालों के विकास में मदद, त्वचा रोगों के लक्षणों को कम करना, और ध्यान केंद्रित करने और याददाश्त को बेहतर बनाने में मदद करना.

दिमाग के लिए फायदेमंद ज्योतिष्मती 



मालकांगनी मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिए अच्छी है। इस पर किए गए शोध से पता चलता है कि मालकांगनी का उपयोग न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के इलाज और याददाश्त बढ़ाने के लिए सदियों से किया जाता रहा है। दरअसल, आयुर्वेद के अनुसार, मालकांगनी यानी ज्योतिष्मती में ज्योति का मतलब आत्मज्ञान और मति का मतलब मस्तिष्क की कार्यप्रणाली है। इसलिए, ज्योतिष्मती याददाश्त में सुधार करके स्मृति और एकाग्रता में सुधार करती है। इसका मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा मालकांगनी में शामक (दिमाग को शांत करने वाला गुण) पाया जाता है जो सिरदर्द, चिंता, तनाव और अवसाद को कम करता है। यही कारण है कि मालकांगनी की जड़ों या बीजों से बने काढ़े को मस्तिष्क टॉनिक के रूप में जाना जाता है।

आंखों के लिए फायदेमंद

बढ़ते स्क्रीन एक्सपोज़र के कारण आँखों में सूखापन और खुजली जैसी समस्याएँ आम हैं। इसके अलावा लोगों को कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में आंखों की सेहत के लिए मालकांगनी का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के अनुसार, मालकांगनी के तेल से पैरों के तलवों की मालिश करने से आंखों की समस्याएं ठीक हो जाती हैं।

सावधानी  बरतें 

मालकांगनी स्वभाव से गर्म (उष्ण) होती है जो विषाक्तता का कारण बन सकती है। इसलिए इसका सेवन ठंडे भोजन या गाय के दूध के साथ करें।
कुछ मामलों में इसके इस्तेमाल से सिरदर्द और बेचैनी भी हो सकती है.
मलकांगनी गर्भपात करा सकती  है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन से बचें।
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4.4.24

गर्मी में आम का सुपर पॉवर: फायदे और सावधानियाँ"

        गर्मी में आम का सुपर पॉवर: फायदे और सावधानियाँ"




मित्रों ,फल और सेहत  विषय पर विडिओ प्रस्तुत करने की शृंखला मे आज" गर्मी में आम का सुपर पॉवर: फायदे और सावधानियाँ" पर चर्चा कर रहे हैं 
गर्मियों की चिलचिलाती धूप, उमस भरी गर्मी भला किसे पसंद हैं. लेकिन इन सबके बाद भी हममें से ज्यादातर लोग इस गर्मी को पसंद करते हैं. वो भी सिर्फ इसलिए कि इस मौसम में आने वाली चीजें खाने को मिलती हैं और उन्हीं में से एक फल  है आम. 
आम को फलों का राजा कहा जाता है. और इस मौसम में मिलने वाले फ्रेश आम की बात ही कुछ और होती है. आम को सेहत के लिए भी काफी गुणकारी फल माना जाता है. यानि ये फल न केवल आपके स्वाद बल्कि गर्मी से भी बचाने में मददगार है. गर्मी के मौसम में सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. खासकर शरीर को ठंडा रखने के लिए हम कई चीजों का इस्तेमाल करते हैं. भारत में आम के कई प्रकार आपको मिल जाएंगे. दरअसल आम एक रसदार स्वादिष्ट फल है जिसे लगभग हर कोई खाना पसंद करता है. आम में मैग्नीनिशयम, पोटैशियम, प्रोटीन, विटामिन और फोलेट, जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मदद कर सकते हैं.

अच्छी नींद के लिए आवश्यक

आम में अमीनो एसिड पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जो सेरोटोनिन यानी "फील-गुड" हार्मोन का लेवल बढ़ाने में सहायक होता है। रात में आम खाने से शरीर में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ातरी होने में मदद मिलती है। जिसकी वजह से आपको रात के समय अच्छी नींद आती है। 

हाई बीपी में कैसे फायदेमंद है आम

दरअसल, आम में प्रचुर मात्रा में बीटा कैरोटीन और फाइबर पाया जाता है, जो बीपी कंट्रोल रखने का काम तो करता ही है, साथ ही जो सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं।  इसलिए यदि सही मात्रा में आम का सेवन किया जाए, तो हाई बीपी की समस्या से राहत पाई जा सकती है।

पाचन पर प्रभाव 

आम खाने से पाचन पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं। आम में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन में मदद करती है और कब्ज से राहत दिलाती है. हालांकि, अधिक मात्रा में आम खाने से एसिडिटी, ब्लोटिंग और पेट दर्द जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.

पक्का आम खाने से कौन सी बीमारी ठीक होती है?

डाइटिशियन के अनुसार, गर्मियों में पका हुआ आम खाने से पेट में गैस, अपच, कब्ज, ब्लोटिंग और दस्त जैसी समस्या नहीं होती हैं। पका हुआ आम खाने से इम्यूनिटी बनाए मजबूत बनाने, ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखने, हृदय रोगों के जोखिम को करने और आंखों को हेल्दी बनाने में मदद मिलती है।

लू से बचाव 

आम लू से बचाव करता है। कच्चे आम, खासकर आम पन्ना, लू से बचाव में मदद कर सकते हैं. आम पन्ना शरीर को ठंडा रखता है, एनर्जी देता है, और डिहाइड्रेशन से बचाता है

इम्यून सिस्टम को करें मजबूत

आम में विटामिन सी, विटामिन ए, और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं. विटामिन सी सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ावा देता है, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है. आम में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट भी शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं, जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

कैंसर का खतरा कम करे

आम में मैंगिफेरिन होता है, एक एंटीऑक्सीडेंट जिसमें कैंसर विरोधी गुण पाए जाते हैं। मैंगिफेरिन कोशिकाओं यानी सेल्स को डैमेज से बचाने में मदद कर सकता है और कैंसर सेल्स के विकास को रोकने में मदद कर सकता है।

हड्डियां मजबूत बनाए

कच्चा आम खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं। दरअसल, इसमें कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो हड्डियों स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए जरूरी माना जाता है। इसके नियमित सेवन से हड्डियों से जुड़ी समस्याओं का खतरा कम होता है।

त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद

आम (mango) त्वचा और बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ और बालों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं.
वहीं अगर आपके चेहरे पर मुहासे जैसी समस्या है तो आप चेहरे पर इसका फेस पैक लगा सकते हैं।


मेमोरी बढ़ाने में मददगार

अगर आप चीजों को रखकर भूल जाते हैं और चीजों को याद रखने में आपको परेशानी का सामना करना पड़ता है, तो आप आम का सेवन कर सकते हैं। जैसे बादाम खाने से आपकी मेमोरी तेज होती है, उसी तरह आम खाने से मेमोरी को बढ़ाने में मदद मिलती है। 

क्या आम खाने से वजन घटता है?

हां, वजन कम करने की कोशिश करते समय आप आम खा सकते हैं, लेकिन सीमित मात्रा में। 
 वजन कम करने के लिए आम को सिर्फ काट कर खाएं उसका सेवन शेक बनाकर, आमरस और स्मूदी के रूप में नहीं करें।

कोलेस्ट्रॉल को करें कंट्रोल

आम में उच्च स्तर के फाइबर पाए जाते हैं, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं। रात में आम खाने से हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम हो सकता है। हार्ट हेल्थ के लिए आप रात के समय सीमित मात्रा में आम का सेवन कर सकते हैं

दिल की सेहत के लिए फायदेमंद

आम पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है, जो एक मिरनल है, जो दिल की सेहत के लिए महत्वपूर्ण है। पोटेशियम ब्लड प्रेशर और हृदय गति यानी हार्ट बीट को नियंत्रित करने में मदद करता है और यह हृदय रोग को रोकने में भी मदद कर सकता है।

कितनी मात्रा में डायबिटीज में आम खाना होता है सेफ


डायबिटीज में आम का सेवन किया जा सकता है, लेकिन उसकी मात्रा का ध्यान रखना चाहिए। जिनका शुगर लेवल हमेशा हाई रहता है, उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए। अगर शुगर लेवल कंट्रोल में है तो बहुत कम मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए। 

आम को कब नहीं खाना चाहिए?

आम का सेवन सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, खाना खाने के तुरंत बाद भी आम खाना नहीं चाहिए। इन समयों में आम खाने से एसिडिटी और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. -

एक दिन में कितने आम खाएं?

  आहार एक्सपर्ट रोजाना लगभग 1-2 कप यानी 150 से 330 ग्राम आम खाने की सलाह देते हैं। या फिर एक मीडियम आकार के आम को दिन भर में खा सकते हैं। वहीं डायबिटीज के पेशेंट भी  इस सीजनल फल का मजा ले सकते हैं लेकिन इसकी मात्रा 100 ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए|

आम  से नुकसान 

ज्यादा आम खाने से पेट की समस्या, वजन बढ़ना, और एलर्जी हो सकती है. आम में प्राकृतिक शर्करा अधिक होती है, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है, खासकर डायबिटीज के मरीजों के लिए.
आम में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जिसके चलते आपके आंत में जलन हो सकती है।
आम में कैलोरी ज्यादा पाई जाती है, अगर सीमित मात्रा में नहीं खाया जाए तो वजन बढ़ सकता है।
आम की तासीर गर्म होती है, जिसके चलते आपको मुंहासे भी हो सकते हैं।
अगर आपको इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम है, तो आपको आम का सेवन नहीं करना चाहिए।
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अंगूर खाने से दूर होती हैं ये बीमारियाँ ,Benefits of grapes

  



इन दिनों अंगूर का मौसम है. बाज़ार में आसानी से काफी सस्ते दामों में अंगूर मिल जाते हैं. अंगूर एक रसीला फल है जो ज़्यादातर लोगों को पसंद होता है. अंगूर की सबसे अच्छी बात ये है कि दूसरे फलों की तरह इसे काटने और छीलने का झंझट नहीं होगा. आमतौर पर दो तरह के अंगूर भारत में मिलते हैं, काले और हरे अंगूर. अंगूर भले ही किसी भी रंग का खाएं, ये आपकी सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं.

दिल की सेहत के लिए फायदेमंद

आप जो खाते हैं, दिल की सेहत पर उसका असर पर पड़ता है। ऐसे में आप अपनी डाइट में अंगूर जरूर शामिल करे। यह हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। अंगूर में पॉलीफेनोल्स, पोटैशियम और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद करते हैं।

स्किन पर नैचुरल ग्लो आता है

अंगूर खाने से स्किन पर नैचुरल ग्लो आता है. इससे चेहरे पर होने वाले दाग धब्बों, झुर्रियों से छुटकारा पाया जा सकता है. सुबह-शाम अंगूर खाइए अर्थराइटिस या जोड़ो के दर्द में आराम मिलेगा क्योंकि अंगूर शरीर से उन लवणों को निकाल देता है, जिनके कारण अर्थराइटिस शरीर में बनी रहती है. यदि आप भूख न लगने की समस्या से परेशान हैं और इस वजह से ही आपका वजन भी नहीं बढ़ रहा तो आप ज्यादा से ज्यादा अंगूर खाएं. इसके सेवन से कब्ज की समस्या तो दूर होती ही है, साथ ही भूख भी लगने लग जाती है. अंगूर का रस निकालकर उस रस से गरारे करने से मुंह में होने वाले छालों से राहत पाई जा सकती है.

हार्ट अटैक से बचाए: 

हार्ट-अटैक से बचने के लिए काले अंगूर का रस एसप्रिन की गोली के समान कारगर है. एसप्रिन खून के थक्के नहीं बनने देती है. काले अंगूर के रस में फलोवोनाइडस नामक तत्व होता है और यह भी यही कार्य करता है. यह खून के थक्के को नहीं जमने देता.

दिल की सेहत के लिए फायदेमंद

आप जो खाते हैं, दिल की सेहत पर उसका असर पर पड़ता है। ऐसे में आप अपनी डाइट में अंगूर जरूर शामिल करे। यह हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। अंगूर में पॉलीफेनोल्स, पोटैशियम और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। जो हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद करते हैं।
आंखों की रोशनी बढ़ाता है

अंगूर खाने से आंखों की रोशनी बेहतर होती है। अगर इसे आप अपनी डाइट में नियमित रूप से शामिल करते हैं, तो आप आंखों की बीमारियों से बच सकते हैं। इनमें ल्यूटिन और ज़ेक्सैन्थिन पाए जाते हैं, जो आंखों को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।

कब्ज से राहत दिलाने में कारगर

अंगूर में फाइबर और पानी की मात्रा अधिक होती है। अगर आप कब्ज की समस्या से परेशान हैं, तो अंगूर आपके लिए बेहतरीन फल है। यह मल त्याग को आसान बनाता है, जिससे आप कब्ज से निजात पा सकते हैं।

किडनी के लिए फायदेमंद

अंगूर एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। जो किडनी के लिए फायदेमंद माने जाते हैं । अंगूर किडनी से संबंधित कई रोगों को दूर करने में कारगर है।

माइग्रेन की समस्या

अगर आपको माइग्रेन की समस्या है तो आपको अंगूर खाने चाहिए. इससे अंगूर सिरदर्द दर्द से राहत पाई जा सकती है. हो सके तो दर्द होने पर अंगूर का रस पियें, जल्दी फायदा होगा. अंगूर शरीर में खून की कमी को पूरा करता है. इसका कारण है कि इसमें काफी मात्रा में आयरन पाया जाता है. अगर आपको खून की कमी या एनीमिया है तो आपको नियमित रूप से अंगूर खाना चाहिए या अंगूर का रस पीना चाहिए. खून की कमी को दूर करने के लिए एक गिलास अंगूर के जूस में 2 चम्मच शहद मिलकार पीने से खून की कमी दूर हो जाती है.

कोलेस्ट्रॉल में फायदेमंद: 

अगर आप कोलेस्‍ट्रॉल की समस्‍या से पीडि़त हैं तो आपको रोजाना अंगूर का सेवन करना चाहिए. 500 ग्राम लाल अंगूर रोजाना खाने से यह आपके बैड कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने का काम तेजी से कर सकता है. यही नहीं, अंगूर में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट तत्‍व भी कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद कर सकता है.
किस समय खाना चाहिए अंगूर?
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अंगूर को खाली पेट सुबह नहीं खाना चाहिए। आप इसे मिड मॉर्निंग या दोपहर में खा सकते हैं। सुबह खाली पेट अंगूर के सेवन से आपको गैस, खट्टी डकार और अपच हो सकती है। वहीं रात के वक्त भी इसके सेवन से बचना जरूरी है

गर्भावस्था के दौरान एक दिन में कितने अंगूर खाने चाहिए?

अगर गर्भावस्था में अंगूर खाने की संतुलित मात्रा की बात करें, तो डायटीशियन एक सर्विंग बाउल में अन्य फलों के साथ अंगूर के करीब 16 दाने खाने की सलाह देते हैं। इन्हें दिन में दो बार (16-16 अंगूर के दाने) खाया जा सकता है

कैसे करें अंगूर का सेवन?

अंगूर का आयुर्वेद में बड़ा महत्व है। इससे बनाई जाने वाली किशमिश सेहत को बेहद फायदा पहुंचाती है। आपको इन दिनों बाजार में हरे, लाल, काले, पीले और पिंक अंगूर नजर आने लगे होंगे। आप अपनी डाइट में हरे अंगूर को शामिल कर सकते हैं। इसका जूस भी पिया जा सकता है, जबकि चबाकर खाने से भी लाभ होता है।
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3.4.24

अजवाईन के औषधीय गुण और फायदे //Ajwain ke fayde





अजवाइन सौंफ और जीरे की तरह दिखती है। प्राचीन काल से भारतीय, अफ्रीकी और मध्य पूर्वी देशों में खाना पकाने के लिए अजवाइन का इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह खाने का स्वाद भी बढ़ाती है और चटनी, अचार और जैम में प्रेज़रवेटिव की तरह काम करती है। इसमें डाइजेस्टिव फाइबर का एक अनूठा स्रोत होता है जो पेट की सेहत अच्छी रखने में मदद करता है।

मोटापा कम करना: 

शरीर में फैट बढ़ने के कारण मोटापे की समस्या होती है. इसके कारण पेट भी बाहर निकल आता है. पेट बाहर निकलने की समस्या में अजवाइन पानी पीने बेहद फायदेमंद होता है. सुबह खाली पेट अजवाइन वाला पानी पीने से वजन को कंट्रोल में रखना आसान होता है. इसके रोजाना सेवन से पेट की चर्बी कम होती है.

शरीर का दर्द हो दूर

अगर आपके शरीर में किसी भी हिस्से में दर्द हो रहा हो तो इस दर्द को दूर करने में अजवाइन आपके बेहद काम आ सकती है। आप अजवाइन को पानी में पीसकर एक गाढ़ा पेस्ट तैयार करें। अब बने बेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाएं। ऐसा करने से शरीर के दर्द से राहत मिलेगी। इससे अलग यदि अजवाइन की सेक को शरीर के दर्द को दूर करने में उपयोगी है। ऐसे में अजवाइन को गैस पर अच्छे से भूनकर और उसके धुएं से प्रभावित स्थान पर सेक लगाएं। ऐसा करने से भी शरीर का दर्द दूर हो सकता है।

पाचन रहेगा दुरुस्त

अजवाइन का पानी पाचन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल, इसमें घुलनशील फाइबर पाया जाता है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। रोज सुबह खाली पेट अजवाइन का पानी पीने से गैस, अपच, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है


कोलेस्ट्रॉल कम करे

सुबह खाली पेट अजवाइन का पानी पीने से हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। एक शोध के अनुसार, अजवाइन के बीज का अर्क एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और टोटल लिपिड को कम कर सकता है। इसके नियमित सेवन से हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
ब्लअजवाइन के औषधीय उपयोग और सेहत को मिलने वाले फायदे:
अजवाइन के अर्क से मेथॉक्ससेलेन दवा बनाई जाती है। यह कैप्सूल, टॉपिकल क्रीम जैसा अलग-अलग फॉर्मेट में उपलब्ध है। विटिलिगो (स्किन पिगमेंटेशन का आंशिक नुकसान) सोरायसिस जैसी त्वचा की समस्याओं के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

अजवाइन गर्भ नाशक है:

गर्भ नाशक ऐसे पदार्थ होते हैं जो गर्भपात को प्रेरित करते हैं। परंपरागत रूप से, अजवाइन का उपयोग इस उद्देश्य के लिए किया जाता रहा है। बिना स्वास्थ्य देखभाल एक्सपर्ट की देखरेख के इसका उपयोग करना खतरनाक है।
अजवाइन नर्वाइन (Nervine) है:

अजवाइन एक एंटी-स्पैसमोडी(Anti-Spasmodi) है :

अजवाइन में मौजूद वाष्पशील तेलों में ऐंठनरोधी गुण होते हैं, जिसका अर्थ है कि वे मांसपेशियों की ऐंठन से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इससे पीरियड्स में ऐंठन, सिरदर्द और माइग्रेन (migraines) जैसी स्थितियों का इलाज करने में मदद मिल सकती है।प्राचीन काल से हर्बल फॉर्मूलेशन तैयार करने के लिए अजवाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि उनका मानना है कि यह शरीर के सिस्टम को संतुलित कर सकता है।
अजवाइन में कई स्वास्थ्यप्रद और उपचारात्मक गुण हैं।
अजवाइन घुलनशील डाइटरी फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, और यह पेट की समस्याओं में पाचन तंत्र को बेहतर करने, आंतों की सेहत में सुधार करने के लिए जाना जाता है। यह पेट फूलने की समस्या से राहत दिलाने में भी मदद करती है।
अजवाइन मांसपेशियों में ऐंठन के दर्द, अपच के कारण पेट की समस्या, छाती में जलन और भूख न लगने के इलाज में फायदेमंद होती है।

पीरियड्स के दर्द में राहत: 

अजवाइन पानी पीरियड्स के दर्द से भी राहत दिलाता है. जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान पेट में दर्द की समस्या रहती है वो इसका सेवन कर सकते हैं. अजवाइन पानी पीने से पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम किया जा सकता.

अजवाइन एक मूत्रवर्धक है:

एक मूत्रवर्धक मूत्र की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है। यदि आप मूत्र में जल प्रसार (water retention) कम कर चाहते है या मूत्र में मौजूद हानिकारक पदार्थों को कम करना चाहते है तो यह आप की सहायता कर सकता ह

अजवाइन एक रेचक है:

अजवाइन में मौजूद वाष्पशील तेल (volatile oil) पाचन तंत्र को उकसाते है, जिसके कारण मल त्याग को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। इसे कब्ज के इलाज के लिए उपयोगी बनता है।
 अजवाइन एक गर्भाशय उत्तेजक है:
हमारे देश में परंपरागत रूप से, इस जड़ी बूटी का उपयोग प्रसव को प्रेरित करने और प्रसव के दौरान सिकुड़न को उकसाने के लिए किया जाता था। इससे प्रसव में आसानी होती थी। इसका उपयोग केवल स्वास्थ्य देखभाल एक्सपर्ट की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।
अजवाइन एंटी-ऑक्सीडेंट का बेहतरीन स्रोत है और इसलिए यह दिल के मरीजों के लिए वरदान है। एंटीऑक्सीडेंट शरीर में अच्छे और खराब कोलेस्ट्रॉल को मैनेज कर सकते हैं और इस तरह से ये दिल की बीमारियों को रोकते हैं।
अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल (जीवाणुरोधी) और एंटी-फंगल (फंगस रोधी) गुण होते हैं और इसलिए यह फूड पोइज़निंग और आंत व पेट की समस्याओं को रोकने के लिए साल्मोनेला, ई कोली और फंगई जैसे बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।
अजवाइन के अर्क में प्रमुख केमिकल कंपाउंड (रासायनिक यौगिक) होते हैं जो कैल्शियम चैनलों को ब्लॉक करते हैं, जो ब्लड प्रेशर लेवल को और कम कर सकते हैं।
अजवाइन एक एक्स्पेक्टोरेंट (Expectorant), कफनाशक:एक्स्पेक्टोरेंट (Expectorant), बलगम को ढीला करने में मदद करता है और खांसी को आसान बनता हैं। अजवाइन में मौजूद वाष्पशील तेल (volatile oils) एक्स्पेक्टोरेंट के रूप में काम करता हैं जो उन्हें सर्दी, ब्रोंकाइटिस (bronchitis) और अन्य सांस सम्बन्धी समस्याओं की इलाज में भी मदद करता है। इसका मतलब है की यह फेफड़ों और वायुमार्ग से कफ और बलगम को ढीला करने में मदद करता है, जिससे खांसी करना और बलगम का बाहर निकलना आसन हो जाता है। इससे बलगम के जमाओ को दूर कर सांस लेने में भी आसानी होती है।साथ ही साथ, अजवाइन अपने एंटी-माइक्रोबियल (Anti-microbial) गुणों के कारण सांस सम्बन्धी इन्फेक्शन को भी रोकने में कारगर साबित हो सकता है। यदि आप को सांस लेने में समस्या या सर्दी से सीने में दर्द होता हैं, तो अपने भोजन में अजवाइन की थोड़ी से मात्रा को शामिल करने का प्रयास करे। इससे आपको सांस लेने में कुछ आसानी मिलेगी।अजवाइन को चबाना अपच और पेट फूलने जैसी समस्याओं को खत्म करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है।
अजवाइन की चाय डायरिया, पेचिश, स्पास्मोडिक (ऐंठन) दर्द के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद है।
अजवाइन का तेल स्टीम डिस्टिलेशन (भाप आसवन) प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है और यह रह्यूमेटिक दर्द के इलाज में बहुत असरदार है इसलिए इसे दर्द वाली जगह पर लगाया जाता है।
अस्थमा (दमा) और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियों के इलाज के लिए अजवाइन और अदरक के अर्क का मेल काफी असरदार होता है।
अजवाइन वायु प्रवाह और फेफड़ों के कामकाज में सुधार करती है।
अजवाइन में ब्रोंको-डाइलेटिंग प्रभाव होता है, यह फेफड़ों में ब्रोन्कियल नलियों को फैलाने में मदद करता है जिससे हल्के अस्थमा में राहत मिलती है।
अजवाइन एक प्रभावशाली पाचन सहायक है अजवाइन एक कार्मिनेटिव (carminative) जड़ी बूटी है जो गैस और सुजन से राहत दिलाने में मदद करती है। आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, इसका उपयोग गैस और सुजन के साथ-साथ और भी अन्य समस्याओं के इलाज में भी किया जाता है। आधुनिक विज्ञान ने भी इन दावों का समर्थन करना शुरु कर दिया है। रिसर्च से पता चला है की अजवाइन मे ऐसे केमिकल होते है जो पाचन तंत्र (digestive system) की चीकनी मांसपेशियों (smooth muscle) को आराम देने में मदद करते हैं ।
इससे गैस और सूजन के लक्षणों को कम करने मे मदद मिलती है। अजवाइन में एंटी-माइक्रोबियल (antimicrobial) गुण होते हैं जो संक्रमण (infection) से बचाने में मदद करते है। इन कारणों से, अजवाइन पाचन सम्बन्धी समस्याओं के लिए असरदार प्राकर्तिक इलाज है, यदि अगली बार जब भारी भोजन के बाद पेट फूला हुआ महसूस करें तो कुछ अजवाइन के बीज लें। इनमें से कुछ छोटे बीजों को खाने से आप को वह राहत मिल सकती है जिसकी आप को तलाश है।अजवाइन का पानी एक बेहतरीन माउथ वॉश है, और यह अच्छी ओरल हाइजीन बनाए रखने में मदद कर सकता है।
अजवाइन गर्भवती महिलाओं की अपच संबंधी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है; यह गर्भाशय और पेट को साफ करने में मदद करती है, जिससे अनियमित पीरियड्स की समस्या दूर हो जाती है।
नियमित रूप से अजवाइन का पानी पीने से मेटाबोलिज्म बढ़ता है, जिससे शरीर की चर्बी कम करने में मदद मिलती है
अजवाइन में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, और यह लाली को कम करने और जलन व सूजन के लिए फायदेमंद होती है।
अजवाइन के एनेस्थेटिक गुणों के कारण यह दर्द और सूजन को दूर करने में मदद करती है।

अजवाइन एस्ट्रिंजेंट (Astringent) होती है:

एस्ट्रिंजेंट त्वचा को टाइट और निखार में मदद करते हैं। अजवाइन में मौजूद वाष्पशील तेल एक एस्ट्रिंजेंट(Astringent) के रूप में कार्य करते हैं, सूजन को कम करने और घावों को ठीक करने में मदद करते हैं।

अजवाइन एक डायफोरेटिक (पसीना लाने वाला) है:

डायफोरेटिक्स पसीने को बढ़ावा देता है, जो शरीर को डिटॉक्सीफाई (detoxify) करने और बुखार को कम करने में मदद कर सकता है। अजवाइन में मौजूद वाष्पशील तेल पसीना लाने में मदद करते हैं, जो उन्हें सर्दी और फ्लू के इलाज के लिए कारगर बनाता हैं। पसीने को बढ़ावा देकर और पाचन में सुधार करके, अजवाइन शरीर से हानिकारक पदार्थों को खत्म और शारीरिक संतुलन बनाने में मदद करता है।
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