20.9.23

गुड़हल के औषधीय गुण और उपयोग

 



गुडहल (फूल) के गुण :-

गुडहल एक आम सा फूल है जो कि देखने में सुंदर होता है। ऐसे कई गुडहल के फूल हैं जो कि अलग-अलग रंगों में पाये जाते हैं जैसे, लाल, सफेद , गुलाबी, पीला और बैगनी आदि। यह सुंदर सा गुडहल का फूल स्वास्थ्य के खजाने से भरा पड़ा है। इसका इस्तेमाल खाने- पीने या दवाओं लिए किया जाता है। इससे कॉलेस्ट्रॉल, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और गले के संक्रमण जैसे रोगों का इलाज किया जाता है। यह विटामिन सी, कैल्शियम, वसा, फाइबर, आयरन का बढिया स्रोत है।
गुडहल के ताजे फूलों को पीसकर लगाने से बालों का रंग सुंदर हो जाता है।
मुंह के छाले में गुडहल के पते चबाने से लाभ होता है।डायटिंग करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं।
क्या आप जानते हैं कि गुडहल की चाय भी बनती है। जी हां, गुडहल की चाय एक स्वास्थ्य हर्बल टी है। तो आइये जानते हैं गुडहल के स्वास्थ्य और औषधीय लाभ के बारे में-

गुडहल के गुण -

*जपाकुसुम के पत्ते तथा फूल भी बाल झड़ने से रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं। अब आप इन दोनों पदार्थों को मिलाकर बालों को स्वस्थ और सुन्दर बना सकते हैं। एक ताज़ा प्याज लें तथा इसे छीलें। इसके बाद इसे ग्राइंडर में डालकर इसका गूदा बनाएं। इस गूदे से पानी को निचोड़ें तथा रस को एक पात्र में रखें। इसमें जपाकुसुम के पत्तों का रस डालें तथा अच्छे से मिलाएं। इस पैक को बालों पर लगाएं और असर देखें।
* गुडहल से बनी चाय को प्रयोग सर्दी-जुखाम और बुखार आदि को ठीक करने के लिये प्रयोग की जाती है।
* गुड़हल के फूल का अर्क दिल के लिए उतना ही फायदेमंद है जितना रेड वाइन और चाय।
*आंवला का प्रयोग सदियों से बालों के उपचार के लिए किया जाता रहा है। इस फल को कच्चा खाने से भी बालों को पोषण मिलता है तथा चेहरे पर चमक आती है। अगर आप आंवले के रस के साथ जपाकुसुम की पत्तियों का रस मिलाएं तो आपके बाल बिलकुल स्वस्थ हो जाएंगे तथा आपको बाल झड़ने की समस्या से भी मुक्ति मिलेगी।
विज्ञानियों के मुताबिक चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि गुड़हल का अर्क कोलेस्ट्राल को कम करने में सहायक है। इसलिए यह  मनुष्यों पर भी कारगर होगा|


*कैंसर से राहत
गुड़हल की चाय का रोजाना सेवन करके आप कैंसर से बच सकते है। और यदि आपको कैंसर हो चुका है तो भी यह कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को भी धीमा कर देती है। लेकिन हां एक बात का ख्याल रहे की गुड़हल की चाय का सेवन करते समय अपनी ‘कैंसर की मेडिसिन’ नियमित रूप से लेना ना भूले|4. - डायटिंग करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं।
*गुडहल के फूल के फायदे, आप अब जपाकुसुम की पत्तियों और फूलों के साथ जैतून का तेल मिलाकर इसे शैम्पू की तरह प्रयोग में ला सकते हैं। इस मिश्रण के लिए आपको ३ से ४ जपाकुसुम के फूल चाहिए होंगे। इस पेड़ की पत्तियों की भी एक समान पत्तियों की मात्रा लें। आप मूसल और मोर्टार की मदद से जपाकुसुम की पंखुड़ियों को मसल सकते हैं। एक बार ये हो जाने पर इस पेस्ट को महीन बनाने के लिए इसमें जैतून के तेल की कुछ बूँदें और थोड़ा पानी डालें। अब इस मास्क को बालों में इस तरह लगाएं कि बालों के जड़ों तक ये पहुँच जाए। इस पैक को १५ मिनट तक रखें और फिर धो दें।

* अगर गुडहल को गरम पानी के साथ या फिर उबाल कर फिर हर्बल टी के जैसे पिया जाए तो यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करेगा और बढे कोलेस्ट्रॉल को घटाएगा क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है।*लोगों को अकसर बाल झड़ने के साथ बालों के पतले होने की समस्या भी पेश आती है। बालों को पतले होने से बचाने के लिए अदरक एक बेहतरीन विकल्प है। इस हेयर पैक को बनाने के लिए अदरक की जड़ का छोटा सा भाग लें। इसे पीसें तथा इसका रस निकालें। अब जपाकुसुम के फूल से रस निकालें तथा इसे अदरक के रस के साथ मिलाएं। इस मिश्रण को बालों पर अच्छे से लगाएं जिससे एक भी बाल ना छूटें। अगर आप इसका प्रयोग रोज़ाना करें तो बालों का दोबारा उगना भी संभव है।
 *गुडहल का फूल काफी पौष्टिक होता है क्योंकि इसमें विटामिन सी, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह पौष्टिक तत्व सांस संबन्धी तकलीफों को दूर करते हैं। यहां तक की गले के दर्द को और कफ को भी हर्बल टी सही कर देती है।

gudhal ke fayde 

*स्मरण शक्ति बढ़ाये
गुड़हल की पत्तियां शरीर की एनर्जी और इम्युनिटी लेवल को बढ़ाती है। गुडहल के पत्ते या इसके फूलों को सुखाकर पीस लें। अब इसके एक चम्मच पाउडर में एक चम्मच मिर्श्री को मिलाकर पानी के साथ लेने से स्मरण शक्ति तथा स्नायुविक शक्ति बढ़ती है।
 गुडहल के फूलों का असर बालों को स्वस्थ्य बनाने के लिये भी होता है। इसे पानी में उबाला जाता है और फिर लगाया जाता है जिससे बालों का झड़ना रुक जाता है। यह एक आयुर्वेद उपचार है। इसका प्रयोग केश तेल बनाने मेभी किया जाता है।
*अगर गुडहल को गरम पानी के साथ या फिर उबाल कर हर्बल टी के जैसे पिया जाए तो यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करेगा और बढे कोलेस्ट्रॉल को घटाएगा क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है।
* गुडहल के पत्ते तथा फूलों को सुखाकर पीस लें। इस पावडर की एक चम्मच मात्रा को एक चम्मच मिश्री के साथ पानी से लेते रहने से स्मरण शक्ति तथा स्नायुविक शक्ति बढाती है।

*कोलेस्ट्रोल रखे नियंत्रित-

गुड़हल के फूल दिल की रक्षा करने के लिए बेहद ही फायदेमंद होते है। यह कॉलेस्ट्रोल, मधुमेह से सम्भंदित बीमारियाँ और रक्तचाप आदि जो की हृदय रोग का कारण बनते है इन सभी परेशानियों को दूर करने में मदद करता है|

gudhal ke fayde 

* गुडहल के फूलों को सुखाकर बनाया गया पावडर दूध के साथ एक एक चम्मच लेते रहने से रक्त की कमी दूर होती है |
प्रकृति में ऐसी कई जड़ीबूटियां हैं जो बालों को स्वस्थ रखने में काफी अहम भूमिका निभाते हैं। इसका एक और उदाहरण जपाकुसुम और करी पत्तों का मिश्रण है। आप जपाकुसुम की पत्तियों, करी पत्तों और नारियल तेल की कुछ बूँदें मिलाकर एक पेस्ट बनाएं। इसे अच्छे से इस तरह मिलाएं कि एक भी पत्ती न दिखे। एक बार महीन पेस्ट बन जाने पर इसे बालों में अच्छी तरह लगाएं और किसी भी हिस्से को न छोड़ें। क्योंकि इसमें नारियल तेल मिला हुआ है, अतः यह बालों की मसाज काफी अच्छे से करता है।
 यदि चेहरे पर बहुत मुहासे हो गए हैं तो लाल गुडहल की पत्तियों को पानी में उबाल कर पीस लें और उसमें शहद मिला कर त्वचा पर लगाए |

*किडनी और पथरी की समस्या-
गुड़हल के पत्तो से बनी चाय विदेशो में हर्बल टी के रूप में इस्तेमाल की जाती है। किडनी के रोगियों के लिए गुड़हल की चाय लाभकारी होती है| इससे किडनी की पथरी भी दूर होती है।
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19.9.23

कान बहने (Ear Discharge)के उपयोगी उपचार

 




कान का बहना अक्सर कई लोगों को परेशान करता है. इसका मतलब होता है कान से एक प्रकार के तरल पदार्थ का रिसाव होना. इसे चिकित्सीय भाषा में ओटोरिया कहा जाता है. अधिकांश मामलों में इसकी वजह आपके कान में मौजूद वैक्स होती है. आपको बता दें कि वैक्स का काम यह सुनिश्चित करना है कि धूल, बैक्टीरिया या अन्य पदार्थ आपके कान में न जा पाएं. हालांकि, कुछ अन्य स्थितियों, जैसे कि कान के परदे के फटने से आपके कान से रक्त या अन्य तरल पदार्थों का रिसाव भी हो सकता है. इससे यह पता लगता है की आपके कान में इंजरी है या इन्फेक्शन है और आपको शीघ्र ही मेडिकल हेल्प लेने की जरुरत पड़ सकती है. कान से लीकेज सामान्य, खूनी और सफेद हो सकता है, जैसे मवाद. रिसाव के कारणों पर निर्भर करते हुए, लोगों को कान में दर्द, बुखार, खुजली, वर्टिगो, कान बजना और सुनाई देना बंद होना हो सकता है
कान में दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें कान में पानी चला जाना, कान में कुछ कीट चले जाना, संक्रमण इत्यादि हो सकते हैं। लेकिन कई बार कान में दर्द के साथ-साथ मवाद भी निकलना शुरू (kaan se mawad aana) हो जाता है। ऐसी स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टरी सलाह की जरूरत होती है, ताकि कान में होने वाली परेशानी का जल्द से जल्द इलाज किया जा सके। इसके साथ ही आप कान में मवाद निकलने की परेशानी का इलाज कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी (kaan me pas ka ilaj) कर सकते हैं। 
कान के बहने का उपचार कारण पर निर्भर होता है. जिन लोगों के कान के परदे में बड़े छेद होते हैं, उन्हें कान से पानी को दूर रखने की सलाह दी जाती है. पानी को कान से बाहर रखने के लिए, रुई पर पेट्रोलियम जेली लगाएं और कान में रख लें. डॉक्टर भी आपके लिए सिलिकॉन के डाट बना सकते हैं और कान में लगा सकते हैं.
कान से पस की परेशानी को दूर करने के लिए आप कुछ असरदार नुस्खों का सहारा ले सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में-


लहसुन और सरसों का तेल

लहसुन और सरसों तेल की जोड़ी आपको कई तरह की परेशानियों से राहत दिलाने में प्रभावी होती है। मुख्य रूप से अगर आप कान में पस की परेशानी से जूझ रहे हैं, तो यह आपके लिए दवा के समान है। इसका प्रयोग करने के लिए 2 चम्मच सरसों तेल लें। अब इसमें 4 से 5 लहसुन की कलियों को छीलकर डालें और तेल को गर्म करें। इसके बाद तेल को ठंडा करें, जब तेल हल्का गुनगुना रह जाए तो इसकी कुछ बूदों को कान में डालें। कुछ दिनों तक इसका प्रयोग करने से कान से मवाद या पस निकलना बंद हो सकता है।

तुलसी का रस है उपयोगी 

कान से पस या फिर मवाद निकलने की परेशानी को दूर करने के लिए आप तुलसी के रस का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए 10 से 15 तुलसी की पत्तियां लें। अब इन पत्तियों को अच्छी तरह से कुचल लें। इसके बाद इससे रस निकाल लें। अब इस रस को अपने कान में दिन में दो बार डालें। इससे आपको दर्द से भी आराम मिलेगा। साथ ही पस निकलने की परेशानी भी दूर हो सकती है।

पुदीने की पत्तियों का रस

कान से दर्द या फिर पस निकलने की परेशानी को दूर करने के लिए आप पुदीने की पत्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए पुदीने की पत्तियों को मसलकर इसका रस निकाल लें। इसके बाद इसकी 2 से 3 बूंदों को अपने कान में डालें। रोजाना इस तरह पुदीने की पत्तियों का रस कान में डालने से आप पस निकलने की परेशानी को दूर कर सकते हैं।

कान बहने के अन्य घरेलु उपचार 

माजूफल को कूटकर सिरके में उबाल कर फ़िल्टर कर लें, इसे कान में डालने से कान बहना बंद हो जाता है.
तिल का तेल 1 भाग और हुलहुल का रस 4 भाग मिलाकर आग पर तब तक पकाएं, जब तक कि तेल आधा ना रह जाए. फिर इसे छानकर कान में डाल लें. इस उपाय से कान का बहना बंद हो जाता है.
किसी बर्तन में 60 ग्राम सरसों का तेल गर्म करें, इसमें 4 ग्राम वैक्स डाल दें. जब वैक्स पिघल जाय, तब आग से उतार लें, फिर इसमें 8 ग्राम पिसी हुई फिटकरी डाल दें. अगर किसी भी अन्य दवा से कान का बहना बंद न हुआ तो इस उपाय को आजमाएं.
1 ग्राम हरताल बर्कीय को पिसकर 50 ग्राम सरसों के तेल में इतना पकाएं कि धुआँ निकलने लगे, फिर इसे छानकर कान में डालने से कान का बहना 2-3 दिन में रुक जाएगा.
मेथीदाना को दूध में भिगाकर पीस लें, इसके बाद इसे हल्का गरम करके कान में डालने से कान का बहना रुक जाता है.
सूरजमुखी के पत्तों का रस तेल में मिलाकर कान में डालने से कान का बहना रुक जाता है.
नीम के तेल में रुई भिगोकर कान में रखने से कान का बहना बंद हो सकता है.
चुने के पानी में उतना ही दूध मिलाकर पिचकारी देने से कान का बहना रुक जाता है.
नोट -  डॉ. OP ओझा , पिपल्या मंडी जिला मंदसौर  के हैं ,कान से पीप  बहने की चिकित्सा का दावा करते हैं| दो बूंद दवा  प्रति सप्ताह  कान में डालते है एक मरीज से १८-२० हजार रूपये वसूल करते हैं| अगर बीमारी ठीक नहीं हुई तो बाद में 2 बूंद दवा  फ्री में डालने की बात करते हैं | 

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पेट दर्द , मरोड़ ,पतले दस्त के घरेलु उपचार






पेट से जुड़ी आम समस्याओं में दस्त भी है। यह वो चिकित्सीय स्थिति है, जब मल सामान्य से बिल्कुल पतला यानी पानी की तरह आता है। मरीज को बार-बार शौच जाना पड़ता है। दस्त को डायरिया और लूस मोशन भी कहा जाता है। इस अवस्था में शरीर में पानी और ऊर्जा की कमी होने लगती, जिससे मरीज कमजोरी महसूस करने लगता है। लूस मोशन दो प्रकार के होते हैं। पहला एक्यूट डायरिया, जो 1-2 दिन तक रहता है। वहीं, दूसरा क्रोनिक डायरिया है, जो दो से अधिक दिन तक बना रहता है दूसरी स्थिति ज्यादा गंभीर होती है। दस्त से पीड़ित मरीज बस यही सोचता है कि लूस मोशन कैसे रोकें। स्टाइलक्रेज के आर्टिकल में हम विभिन्न शोधों पर आधारित दस्त रोकने के घरेलू उपाय बता रहे हैं।
दस्त के लक्षण – Symptoms of Loose Motion 

दस्त होने पर नजर आने वाले प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं (1):पेट में ऐंठन या दर्द का होना।
बार-बार शौचालय जाना।
आंतों के कार्य प्रणाली का कमजोर होना।
अगर वायरस या बैक्टीरिया दस्त का कारण है, तो बुखार, ठंड लगना और खूनी दस्त भी हो सकते हैं।

नमक चीनी का घोल -

नमक चीनी के घोल के सेवन से दस्त से होने वाली कमजोरी दूर हो सकती है। यह दस्त को रोकने में भी काफी मददगार है। इस उपाय को आजमाने के लिए आप को बराबर मात्रा में पानी में नमक और चीनी का घोल तैयार करना है और इसे थोड़ी थोड़ी देर में पीना है। ताकि आपके शरीर में जो पानी की कमी हो रही है, उस पर काबू पाया जा सके।

छाछ-

छाछ दस्त के लिए एक बेहतरीन विकल्प है क्योंकि इसमें मौजूद एसिड जर्म्स और बैक्टीरिया से लड़ता है और पेट साफ करने में मदद करता है। सोडियम और पोटेशियम सहित इलेक्ट्रोलाइट्स का एक अच्छा स्रोत है, साथ ही इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे मिनरल्स होते हैं।

दही और केला-

अगर आप पतले से दस्त से पीड़ित हैं, तो आपको दही और केले के मिश्रण का सेवन करना चाहिए। इससे दस्त को रोकने और पेट को साफ करने में मदद मिलती है।


सेब, घी, इलायची और जायफल-

घी में एक या दो केले, एक चुटकी इलायची और जायफल का पाउडर डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। इस मिश्रण के सेवन से पतले मल को रोकने में मदद मिल सकती है क्योंकि इस मिश्रण में पोटेशियम सामग्री भरपूर होती है।


नींबू का रस-

नींबू का रस आंतों की सफाई करने में काफी मददगार है। यह आपके दस्त को रोकने में काफी मदद कर सकता है। इसके लिए आपको एक कप पानी में नींबू का रस मिला देना है और रोज दिन में तीन बार यानी सुबह, दोपहर, शाम इसका सेवन करना है। कई लोगों को दस्त के साथ पेचिश या खूनी पेचिश की समस्या भी हो जाती है, यह उसमें काफी मददगार साबित हो सकता है।

कच्चा केला-

कच्चा केला दस्त या लूज मोशन के लिए बढ़िया घरेलू उपाय है। यह आंतों को शांत करता है। बेहतर रिजल्ट के लिए आप कच्चे केले को दही और काले नमक के साथ खा सकते हैं। कच्चा केला अल्सरेटिव कोलाइटिस के लिए भी फायदेमंद है

खसखस -

दस्त होने पर एक चुटकी खसखस लेकर उसे मुंह में रखकर धीरे-धीरे चबाना शुरू करें और फिर निगल लें। इसके बाद एक गिलास पानी पिएं। इससे लूज मोशन की शिकायत दूर होगी।

​इलायची, काली चाय, नींबू का रस

एक कप गर्म काली चाय में एक चुटकी नींबू का रस और एक चुटकी इलायची या जायफल का पाउडर मिलाकर पीने से दस्त को रोकने में मदद मिल सकती है।


जीरा पानी-

1 लीटर पानी में एक चम्मच जीरे को ऊबाल लें और फिर ठंडा करके रख लें। आपको पानी तब तक उबालना है, जब तक यह उबलकर आधा न रह जाए। उसके बाद थोड़ी-थोड़ी मात्रा में उसका सेवन करें। यह दस्त रोकने का काफी अच्छा उपाय है।

नारियल पानी-

ताजा नारियल पानी दस्त से पीड़ित रोगियों को पिलाने की सलाह दी जाती है। दरअसल नारियल पानी में पोटैशियम और सोडियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं। जो शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये लूज मोशन की वजह से होने वाले डिहाइड्रेशन से बचाता है और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है।

सेब के सिरका-

दस्त के इलाज के लिए सेब के सिरके का सहारा लिया जा सकता है। सेब के सिरके में एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं और यह प्रकृतिक एंटीबायोटिक होता है। ये गुण बैक्टीरिया के संक्रमण से होने वाले दस्त के इलाज के लिए प्रभावी हो सकते हैं। इस प्रकार के संक्रमण अक्सर खराब या दूषित भोजन के कारण होते हैं, जिसमें एस्चेरिचिया कोलाई या साल्मोनेला नामक बैक्टीरिया हो सकते हैं

अदरक का उपयोग-

दस्त रोकने के उपाय में अदरक का उपयोग कर सकते हैं। अदरक एक गुणकारी खाद्य-पदार्थ है, जो एंटीबैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल गुणों से समृद्ध होता है अदरक पाचन तंत्र को संक्रमित करने वाले बैक्टेरिया से लड़ने के साथ-साथ आंतों को आराम पहुंचाता है। शोध में पाया गया कि आयुर्वेद में अदरक का उपयोग पेट कर कई समस्याओं के साथ ही दस्त को दूर करने के लिए भी किया जाता रहा है। इसके अलावा यह पाचन को सुधारने के साथ ही कब्ज और मतली में भी फायदेमंद हो सकता है । अदरक में पाए जाने वाले बायोएक्टिव कंपाउंड दस्त और संक्रमण का कारण बनने वाले एस्चेरिचिया कोलाई और हीट-लैबाइल नामक बैक्टीरिया को कम कर सकते हैं। इससे बैक्टीरिया के द्वारा होने वाले दस्त को रोका जा सकता है

पुदीना दस्त की घरेलू दवा -

पुदीना दस्त की घरेलू दवा के रूप में काम कर सकता है । एनसीबीआई की वेबसाइट पर इस संबंध में शोध प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में डायरिया के लक्षणों से राहत के लिए पुदीना के तेल के फायदे देखे गए हैं। अध्ययन में यह बात सामने आई कि पुदीना का उपयोग दस्त के दौरान होने वाले पेट दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है । नींबू और शहद के साथ मिलकर यह और भी प्रभावकारी हो जाता है। शहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल व एंटीइंफ्लेमेशन गुण पेट को संक्रमित करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने का काम कर सकते हैं। इस प्रकार दस्त रोकने के उपाय में पुदीने को इस्तेमाल किया जा सकता है।

दालचीनी -

सेहत के लिए दालचीनी के फायदे देखे गए हैं। यह एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होती है। इसके तेल में पाया जाने वाला एंटीमाइक्रोबियल गुण दस्त का कारण बनने वाले और संक्रमण फैलाने वाले ई. कोलाई नामक बैक्टीरिया से लड़ने में मदद कर सकता है । यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की ओर से किए गए जांच से पता चला है कि दस्त के इलाज में दालचीनी प्रभावी हो सकती है । शहद के साथ मिलकर यह और भी प्रभावशाली हो जाती है और संक्रमित पेट को आराम पहुंचाने का काम कर सकती है।
दस्त में क्या खाएं, क्या न खाएं – Foods to Eat in Loose Motion 

क्या खाएँ-

दस्त के दौरान शरीर में ऊर्जा के साथ-साथ जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, इसलिए खानपान ठीक रखना जरूरी है। इस अवस्था में मसालेदार, जंक फूड्स और शराब से दूर रहे हैं और नीचे बताई जा रही चीजों का सेवन करें

ईसबगोल: -

कई बार पेट में मरोड़ का कारण अपच हो सकता है. ऐसी स्थिति में दो चम्मच ईसबगोल एक कटोरी दही में मिलाकर खाना चाहिए. इससे आंतों की सफाई भी होती है व पेट की मरोड़ भी ठीक होती है. आजवाइन: - पेट में मरोड़ होने पर तीन ग्राम आजवाइन को तवा पर भून कर इसमें सेंधा नमक या काला नमक मिलाकर पानी के साथ सेवन करना चाहिए.


केला-

दस्त के दौरान केला काफी लाभदायक माना गया है। यह पोटैशियम से समृद्ध होता है, जो लूस मोशन को रोककर पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।

अनार: दस्त के दौरान अनार का सेवन कर सकते हैं, इसमें एस्ट्रिंजेंट गुण पाए जाते हैं, जो लूस मोशन को नियंत्रित करने का काम करते हैं। यह शरीर की कमजोरी को भी दूर कर सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी : मरीज स्ट्रॉबेरी भी खा सकता है। इसमें फाइबर होता है, जो मल को सामान्य कर देता है, जिससे लूस मोशन बंद हो जाते हैं।
ब्राउन राइस : दस्त के दौरान ब्राउन राइस का सेवन भी कर सकते हैं। यह विटामिन-बी से समृद्ध होता है, जो आराम पहुंचा सकता है।
गाजर : डायरिया को नियंत्रित करने के लिए गाजर या गाजर का जूस पी सकते हैं। इसमें पेक्टिन पाया जाता है, जो लूस मोशन को रोकने का काम करता है। इसके अलावा, अमरूद भी खा सकते हैं।
ओआरएस : डायरिया के दौरान शरीर में तरल की कमी हो जाती है। इसे पूरा करने के लिए ओआरएस पीते रहें। ओआरएस को एक लीटर पानी में छह चम्मच चीनी और आधा चम्मच नमक के साथ घोलकर बनाकर दे सकते हैं। ओआरएस दस्त के देसी इलाज के रूप में काम करता है।



16.9.23

नाभि मे छुपा है सेहत का राज | दो बूंद तेल नाभि पर लगाने के चमत्कारी फायदे

  


घरेलु आयुर्वेद  से रोगों से मुक्ति पाने के विडियो  की श्रंखला में आज हमार विषय है -नाभि में छुपा है सेहत का राज :दो बूँद तेल नाभि में डालने के चमत्कारी फायदे 
  आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में रोग पहचानने के कई तरीके हैं। नाभि स्पंदन से रोग की पहचान का उल्लेख हमें हमारे आयुर्वेद व प्राकृतिक उपचार चिकित्सा पद्धतियों में मिल जाता है। 


नाभि में तेल के फायदे क्या है? 

आपको यह जानकर हैरानी होगी की नाभि में तेल लगाने के कई आश्चर्यजनक फायदे होते हैंं। यह आपकी त्वचा से लेकर दिमाग, आंखों और प्रजनन तक सभी में बहुत फायदेमंद होता है। नाभि में तेल लगाने के फायदे निम्नलिखित है:-नाभि में नियमित रूप से तेल लगाने से आपके होंठ फटते नहीं है, साथ ही कोमल और गुलाबी बने रहते हैं।
यदि आपकी आंखों में सूखापन, खुजली या जलन है तो नाभि में तेल लगाने से यह भी ठीक हो जाता है।
नाभि में सरसों का तेल लगाने से आपको घुटने में दर्द से भी आराम मिलता है।
इससे आपके चेहरे पर चमक बढ़ती है और ग्लो बना रहता है।
शरीर की त्वचा मॉइस्चराइज रहती है।
यदि आपको सूजन की समस्या है तो यह भी नाभि में तेल लगाने से खत्म हो जाती है।
सरसों के तेल से शरीर पर पिंपल्स और दाग-धब्बे कम हो जाते हैं।
पेट में दर्द है तो राहत मिलती है।
नाभि में बादम का तेल लगाने से आपकी त्वचा में निखार आती है।
सरसो तेल के उपयोग से आपकी पाचन की समस्या में सुधार होती है और आपका पाचन तंत्र भी मजबूत रहता है।
महिलाओं को नाभि में तेल लगाने से पीरियड्स में दर्द से राहत मिलती है।
आपका नाभि आपके प्रजनन तंत्र से जुड़ी होती है, इसलिए नाभि में तेल लगाने से प्रजनन क्षमता का विकास होता है।
यदि महिलाओं को हार्मोनल असंतुलन की समस्या है या गर्भाधारण में परेशानी है, तो वो नाभि में नारियल का तेल या ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल कर सकती है।
यदि पुरुषों में शुक्राणुओं की समस्या है तो नाभि में तेल लगाने से इस समस्या को कम किया जा सकता है।
नाभि में नीम का तेल लगाने से चेहर पर मौजूद दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। इस समस्या से राहत पाने के लिए आप लेमन ऑयल भी लगा सकते हैं।
नाभि में नियमित रूप से तेल लगाने से फूड पॉइजनिंग की समस्या, अपच, मतली जैसी बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
नाभि थेरेपी कैसे करे -

नाभि पर आप किसी भी तेल का उपयोग कर सकते हैं जैसे कि सरसों का तेल, जैतून का तेल या नारियल का तेल आदि लगाने के लिए आपको दो बूंद रात को सोने से पहले नाभि के गड्ढे में दो या चार बूंदें डालकर हल्के हाथ से मालिश कर सकते हैं या फिर उड़द के आटे की दीवार बनाकर नाभि में तेल भरकर आधे घंटे के लिए उड़द के आटे की दीवार को लगा सकते हैं।

नाभि थेरेपी के फायदे -

1. नाभि पर तेल लगाने से अच्छी नींद आती है और पेट दर्द सिर दर्द आदि की शिकायत भी दूर हो जाती है|
2. त्वचा खूबसूरत वे मुलायम हो जाती है नाभि पर दो बूंद तेल लगाने से चेहरे की चमक भी बढ़ने लग जाती है|
3. जोड़ों में होने वाले हर प्रकार के दर्द का को खत्म कर देता है।
4. स्त्रियों के मासिक धर्म से होने वाले दर्द को भी कम कर देता है।
5. बालों के झड़ने की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है।

नाभि खिसक जाने पर व्यक्ति को मूँगदाल की खिचड़ी के सिवाय कुछ न दें। दिन में एक-दो बार अदरक का 2 से 5 मिलिलीटर रस पिलाने से लाभ होता है।

नाभि थेरेपी 

आप अपनी त्वचा को अच्छा बनाने के लिए और अपनी दर्दो के लिए और प्रजनन के लिए पता नहीं क्या-क्या नुस्खे अपनाते होंगे और आप कई सारी दवाओं का उपयोग भी करते होंगे लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि पेट की नाभि पर तेल की कुछ बूंदें लगाने से आपको कितना फायदा हो सकता है क्या आप जानते है यहाँ तेल रगड़ने से जोड़ों के दर्द, घुटने का दर्द, सर्दी, जुकाम, नाक बहने और त्वचा संबंधी परेशानियों से निजात मिल सकती है।


महिलाओं को नाभि में कौन सा तेल लगाना चाहिए?

स्किन संबंधी समस्या से छुटकारा पाने के लिए नाभि में नारियल तेल लगा सकती हैं. बादाम का तेल नाभि में लगाने से हार्मोनल असंतुलन की समस्या से राहत पाया जा सकता है. बादाम का तेल लगाने से चेहरे की रंगत भी साफ होती है. कैस्टर ऑयल को नाभि में लगाने से हार्मोन बैलेंस हो सकता है

पुरुषों को नाभि में कौन सा तेल लगाना चाहिए?

पुरुषों को नाभि में सरसों का तेल, नारियल का तेल, बादाम का तेल या जैतून का तेल लगाना चाहिए. इन तेलों को नाभि में लगाने से त्वचा को पोषण मिलता है, निखरी त्वचा और बेहतर पाचन में मदद मिलती है.

रोज नाभि में तेल डालने से क्या होता है?

नाभि में तेल लगाने से पेट में रही पाचन की समस्या को खत्म करने में मदद मिलती है। -पीरियड्स क्रैम्प में राहत मिलती है। रोजाना नाभि में कुछ बूंद तेल की मसाज करने से यूटरस लाइनिंग की नसें रिलैक्स होती है और बॉडी को फ्रेशनेस फील होती है।





15.9.23

चक्कर आना ,सिर घुमना के घरेलु उपचार Vertigo home remedies

 



अचानक आंखों के आगे अंधेरा-सा छाना या फिर सिर घूमने जैसा अहसास होना, किसी के साथ भी हो सकता है। इसके अलावा, कभी-कभी थकान व कमजोरी भी महसूस हो सकती है। ये सब चक्कर आने के लक्षण हैं। हालांकि, यह समस्या चिंताजनक नहीं है, लेकिन कभी-कभी गंभीर रूप भी ले सकती है।
 चक्कर आना या सिर घूमना या आंखों के सामने गोल गोल घूमती हुई दिखाई देने वाली स्तिथि को चक्कर आना या(vertigo )कहते है ।कुछ देर बैठे रहने के बाद जब उठते हैं तो चक्कर आने लगते हैं और आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। रोगी को लगता है कि उसके चारों तरफ़ की चीजें बडी तेजी से घूम रही हैं।चक्कर का एक कारण दिमाग में खून की पूर्ति कम हो जाना है। चक्कर आने के विस्तृत कारण हो सकते हैंचक्कर आने के कारण
चक्कर आने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ सामान्य कारणों के बारे हम नीचे बता रहे हैं :

अचानक से बैठने या उठने पर:

कई लोग अचानक से बैठने या उठने पर लाइटहेडनेस (Lightheaded) यानी चक्कर आने की एक स्थिति महसूस करते हैं। चक्कर आने का एक कारण यह भी हो सकता है।

बढ़ती उम्र के कारण:

बढ़ती उम्र के साथ लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिसके कारण उन्हें ज्यादा दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है। इस कारण भी चक्कर आने की समस्या हो सकती है।

अन्य किसी कारण से:

कभी-कभी उपरोक्त स्थितियों के अलावा कुछ अन्य कारणों से भी चक्कर आने की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में देर किए बिना डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

माइग्रेन के कारण:

माइग्रेन की स्थिति में सिर में तेज दर्द होता है। इसके कारण भी चक्कर आने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
दवाओं के कारण: कान के अंदर किसी तरह की समस्या होने पर या फिर किसी दवा के रिएक्शन के कारण भी चक्कर आ सकते हैं।

ब्लड प्रेशर कम होना:

अचानक से ब्लड प्रेशर लो होना भी चक्कर आने की स्थिति को पैदा कर सकता है।
डिहाइड्रेशन: डिहाइड्रेशन के कारण शरीर में पानी की कमी होने पर पर भी चक्कर आ सकते हैं।

मोशन सिकनेस के कारण:

मोशन सिकनेस के कारण भी चक्कर भी आ सकते हैं। मोशन सिकनेस एक ऐसी दशा है, जो कुछ लोगों में बस या कार से यात्रा करने के दौरान होती है।
निम्न घरेलू उपचार से लाभ पाने की आशा करना बेहतर विकल्प है --

अदरक


चक्कर से राहत दिलाने के लिए अदरक का सेवन फायदेमंद हो सकता है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार अदरक में विशेष औषधीय गुण पाए जाते हैं। यात्रा करने के दौरान अगर इसका सेवन किया जाए, तो यह मोशन सिकनेस (चक्कर आने के कारण में से एक) की समस्या को ठीक करने में मदद कर सकता है। 
*नारियल का पानी रोज पीने से चक्कर आना बंद हो जाते हैं।
* खरबूजे के बीज की गिरी गाय के घी में भुन लें। इसे पीसकर रख लें। ५ ग्राम की मात्रा में सुबह शाम लेने से चक्कर आने की समस्या से मुक्ति मिल जाती है।
*१५ ग्राम मुनक्का देशी घी में भुनकर उस पर सैंधा नमक बुरककर सोते समय खाने से चक्कर आने का रोग मिट जाता है।
*सूखा आंवला पीस लें। दस ग्राम आंवला चूर्ण और १० ग्राम धनिया का पावडर एक गिलास पानी में डालकर रात को रख दें। सुबह अच्छी तरह मिलाकर छानकर पी जाएं। चक्कर आने में आशातीत लाभ होगा।

शहद

चक्कर आने पर शहद प्रभावी तरीके से काम आ सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की ओर से प्रकाशित एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार, शहद में पोषक तत्वों के रूप में अधिक ऊर्जा की मात्रा पाई जाती है। इसके सेवन के तुरंत बाद शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिलती है। इससे वर्टिगो (चक्कर आने का एक प्रकार) की समस्या को ठीक करने में मदद मिल सकती है । इससे चक्कर आने का उपचार हो सकता है। एक अन्य वैज्ञानिक शोध के मुताबिक, शहद का सेवन चक्कर की दवा के रूप में किया जा सकता है |अदरक लगभग 20 ग्राम की मात्रा में बारीक काटकर पानी में उबालें आधा रह जाने पर छानकर पीयें। अदरक का रस भी इतना ही उपकारी है।सब्जी बनाने में भी अदरक का भरपूर उपयोग करें। चाय बनाने में अदरक का प्रयोग करें।अदरक किसी भी तरह खाएं चक्कर आने के रोग में आशातीत लाभकारी है।

भरपूर मात्रा में पिएं पानी

जैसा कि ऊपर भी बताया जा चुका है कि चक्कर आने का एक कारण डिहाइड्रेशन भी हो सकता है | इसलिए, दिनभर में पानी का भरपूर सेवन किया जाना चाहिए। यह चक्कर आने का घरेलू उपाय के रूप में फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इससे शरीर दिनभर हाइड्रेट रहता है और चक्कर आने की समस्या को कुछ कम किया जा सकता है
* तुलसी के २० पत्ते पीसकर शहद मिलाकर चाटने से चक्कर आने की समस्या काफ़ी हद तक नियंत्रण में आ जाती है।

बादाम

पौष्टिक तत्वों से भरपूर बादाम को बेहतरीन ड्राई फूट माना जाता है। बादाम का सेवन चक्कर आने का घरेलू उपाय हो सकता है। बादाम में विटामिन-बी 6 की मात्रा पाई जाती है । वहीं, विटामिन-बी6 का सेवन करने से सिर में चक्कर आने जैसी समस्या को रोका जा सकता है
*१० ग्राम गेहूं,५ ग्राम पोस्तदाना,७ नग बादाम,७नग कद्दू के बीज लेकर थोडे से पानी के साथ पीसकर इनका पेस्ट बनालें। अब कढाई में थोडा सा गाय का घी गरम करें और इसमें २-३ नग लोंग पीसकर डाल दें। अब बनाया हुआ पेस्ट इसमें डालकर एक मिनट आंच दें। इस मिश्रण को एक गिलास दूध में घोलकर पियें। चक्कर आने में असरदार स्वादिष्ट नुस्खा है।

तुलसी

कई लोग यह सोचते हैं कि चक्कर आने पर क्या उपचार करें, लेकिन यह इतना भी मुश्किल नहीं है। दरअसल, चक्कर आने की समस्या को ठीक करने के तुलसी के पौधे के अर्क का सेवन फायदेमंद हो सकता है। एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार, तुलसी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। ये दोनों गुण चक्कर आने की समस्या को कुछ हद तक कम कर सकते हैं
*चाय,काफ़ी और तली गली मसालेदार चीजों से परहेज करना आवश्यक है। इनके उपयोग से चक्कर आने की तकलीफ़ में इजाफ़ा होता है।
*कभी-कभी नमक की मात्रा शरीर में कम होने पर भी चक्कर आने लगते हैं। आलू की नमकीन चिप्स खाने से लाभ होता देखा गया है

नींबू

सिर का चक्कर आने पर नींबू का सेवन करना भी लाभदायक साबित हो सकता है। एक रिसर्च के मुताबिक, नींबू का सेवन मतली आने के जोखिम को कम करने के साथ-साथ चक्कर आने की समस्या को भी कम कर सकता है। हालांकि, यह किस प्रकार सिर घूमने का घरेलू उपचार हो सकता है
,*जब चक्कर आने का हमला हुआ हो , बर्फ़ के समान ठंडा पानी ३ गिलास पीने से भी तुरंत राहत मिलती है
* चक्कर आने की तकलीफ़ में रोगी को आहिस्ता घूमना चाहिये। तेज चलने से गिरकर चोंट लगने की संभावना रहती है।आहिस्ता चलने से वर्टिगो का प्रभाव कम हो जाता है।
*अचानक चक्कर आने पर सबसे बढिया बात यह है कि लेट जाएं। चित्त लेटना उचित नहीं है। साइड से लेटें और सिर के नीचे तकिया अवश्य लगाएं।
हींग : घी में सेंकी हुई हींग को घी के साथ खाने से गर्भावस्था के दौरान आने वाले चक्कर और दर्द खत्म हो जाते हैं।
धनिया : आंवले और हरे धनिये के रस को पानी में मिलाकर पीने से चक्कर आना बन्द हो जाता है।
चीनी : चीनी और सूखा धनिया 2-2 चम्मच मिलाकर चबाने से चक्कर आना बन्द हो जाता है।
आंवला : यदि गर्मी के कारण चक्कर आते हों व जी मिचलाता हो तो आंवले का शर्बत पीना चाहिए।
मुनक्का : लगभग 20 ग्राम मुनक्का को घी में सेंककर सेंधानमक डालकर खाने से चक्कर आने बन्द होते हैं।
भांगरा : भांगरा का रस 4 ग्राम, चीनी 3 ग्राम को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से थोड़े ही दिनों में दुर्बलता दूर हो जाती है तथा चक्कर आने बन्द हो जाते हैं।
कॉफी : समुद्र यात्रा के दौरान होने वाली उल्टियों और चक्करों से बचने के लिए जहाज में सवार होने के लगभग एक घंटे पहले तेज कॉफी पीना चाहिए तथा बोतल में काफी भरकर अपने साथ रखना चाहिए ताकि यात्रा के समय कॉफी पी सकें। इससे समुद्री यात्रा के दौरान आने वाले चक्कर बन्द होते हैं।* अगर विडियो गेम्स की वजह से चक्कर आते हो तो यह रुचि नियंत्रित करें।
*अनुलोम विलोम प्राणायाम से चक्कर आने की व्याधि से हमेशा के लिये छुटकारा मिल जाता है। टीवी पर बाबा रामदेव से इस प्राणायाम की तकनीक सीखें।
*तुलसी के २० पत्ते पीसकर शहद मिलाकर चाटने से चक्कर आने की समस्या काफ़ी हद तक नियंत्रण में आ जाती है।
*१० ग्राम गेहूं,५ ग्राम पोस्तदाना,७ नग बादाम,७नग कद्दू के बीज लेकर थोडे से पानी के साथ पीसकर इनका पेस्ट बनालें। अब कढाई में थोडा सा गाय का घी गरम करें और इसमें २-३ नग लोंग पीसकर डाल दें। अब बनाया हुआ पेस्ट इसमें डालकर एक मिनट आंच दें। इस मिश्रण को एक गिलास दूध में घोलकर पियें। चक्कर आने में असरदार स्वादिष्ट नुस्खा है।
*जब चक्कर आने का हमला हुआ हो , बर्फ़ के समान ठंडा पानी ३ गिलास पीने से भी तुरंत राहत मिलती है।
*अनुलोम विलोम प्राणायाम से चक्कर आने की व्याधि से हमेशा के लिये छुटकारा मिल जाता है
*खरबूजे के बीज की गिरी गाय के घी में भुन लें। इसे पीसकर रख लें। ५ ग्राम की मात्रा में सुबह शाम लेने से चक्कर आने की समस्या से मुक्ति मिल जाती है।
*१५ ग्राम मुनक्का देशी घी में भुनकर उस पर सैंधा नमक बुरककर सोते समय खाने से चक्कर आने का रोग मिट जाता है।
*प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज करीब दस ग्राम की मात्रा में लेने से उच्च रक्तचाप में लाभ मिलता है.
*तरबूज के बीज की गिरि और खसखस इन दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें. रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ सेवन करें. यह प्रयोग करीब एक महीने तक नियमित रूप से जारी रखें
.* होम्योपैथी में इस रोग को काबू में करने की कई औषधियां हैं लेकिन मेरे अनुभव मे चार औषधियां विशेष कारगर हैं-
जेल्सेमियम,
काकुलस,
लोबेलिया इनफ़्लाटा,
ब्रायोनिया ३० शक्ति की
 इन चारों दवाओं की २-२ बूंदे आधा कप पानी में टपकाकर दिन में तीन बार पीयें।
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14.9.23

कब्ज दूर भगाने के घरेलु नुस्खे



कब्ज के बारे मे एक बात अच्छी तरह समझ लें| पूर्णतया पेट साफ करने के चक्कर में ऐसी दवाएं ना खाएं जो आपकी आंतों से पानी अवशोषित कर लेती है | ये दवाएं सिर्फ आपका पेट नहीं साफ करती है बल्कि धीरे धीरे आपको भी साफ कर देती है | ये दवाएं आपको कई सारी बीमारियां दे सकती हैं |
इनके साइड इफेक्ट्स को समझें | ऐसी दवाएं आयुर्वेद में भी हैं और उस भ्रम कि तत्काल अपने दिमाग से निकाल दें की आयुर्वेदिक दवाएं साइड इफेक्ट नहीं देती हैं हला हल जैसा जहर भी आयुर्वेदिक ही है दवा के आयुर्वेदिक होने का ये मतलब तो नहीं ना कि आप इसके नाम पर हलाहाल पी जायेंगे?
अब पहले समझते हैं कि ये दवाएं काम कैसे करती हैं | इन्हे आयुर्वेद में विरेचक औषधि कहते हैं यह नमक और चीनी दोनों पर आधारित हो सकती हैं | इन औषधियों का सबसे मुख्य काम होता है आंतों के आसपास के उत्तकों से पानी अवशोषित करना और उसे आंतों में भर देना| इससे मल हल्का हो जाता है और आसानी से बाहर निकल जाता है |
इससे मल तो आसानी से निकल जाता है लेकिन आंटोंबके आसपास के अंगों और अंततः पूरे शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसके गंभीर परिणाम होते हैं | शरीर इन परिणामों की बर्दाश्त नहीं कर सकता इसलिए यह पहला काम तो यह करता है कि इन दवाओं को निष्क्रिय करने का उपाय करने लग जाता है | इसीलिए कुछ दिनों के नियमित इस्तेमाल के बाद इन दवाओं का प्रभाव कम होने लगता है | पहले जो काम एक गोली में होता था उसके लिए अब दो गोलियां चाहिए |
दूसरी बात यह होती है कि मल के साथ सिर्फ मल नहीं निकलता है बल्कि जो एक्स्ट्रा पानी दवा ने आंतों में खींची थी उसके साथ कई सारे जरूरी मिनरल भी आ जाते है जो कि मल ये साथ शरीर से बाहर निकाल जाते हैं और आपको कमजोर बना देते हैं |
 तो फिर उपाय क्या है ? मैंने सिर्फ प्रवचन नहीं दिया है में आपको कब्ज से छुटकारा पाने के उपाय भी बताऊंगा |
.सबसे पहला उपाय तो यह है कि सुबह उठने के साथ काम से कम 500 ml गुनगुना पानी पीएं दोनों हाथ ऊपर उठाएं और करीब सौ मीटर तक पंजों के बल चलें |
रात को तीन चार कच्चे अमरूद खाकर ऊपर से एक कप गुनगुना दूध पी लें | अमरूद की जगह नारियल या फिर भूना हुआ चूरा भी इस्तेमाल कर सकते हैं |कब्ज़ के बारे में दो बातें हमेशा याद रखें | कब्ज़ दूर करने के लिए ज़ोर कभी ना लगाएं इससे बवासीर हो सकता है और कब्ज़ खुद उतना बुरा नहीं है जितना कि इसे दूर करने वाली दवाएं 
होम्योपैथिक दवा नक्स वोमिका 3x एक बहुत ही कारगर दवा है | यह बहुत ही softly और बड़े आराम से कब्ज़ को दूर करता है | पहले हफ्ते दो गोली दिन में तीन बार खाएं उसके बाद दो गोली रात में एक बार सोने से ए पहले | दो तीन हफ्ते दवा खाने के बाद छोड़ दें | जरूरत पड़ने पर दुबारा से शुरू करें |

13.9.23

हार सिंगार (पारिजात) है दिव्य औषधीय पौधा :अनेक रोगों में चमत्कारिक लाभ

 हार सिंगार है दिव्य औषधीय पौधा :अनेक रोगों में चमत्कारिक लाभ 



 हरसिंगार का पौधा आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। इसके फल, पत्ते, बीज, फूल और यहां तक कि इसकी छाल तक का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। 
हरसिंगार के फूलों से लेकर पत्त‍ियां, छाल एवं बीज भी बेहद उपयोगी हैं। इसकी चाय, न केवल स्वाद में बेहतरीन होती है बल्कि सेहत के गुणों से भी भरपूर है। इस चाय को आप अलग-अलग तरीकों से बना सकते हैं और सेहत व सौंदर्य के कई फायदे पा सकते हैं। 





हरसिंगार की चाय बनाने के लिए इसकी दो पत्तियां और एक फूल के साथ तुलसी की कुछ पत्त‍ियां लीजिए और इन्हें 1 गिलास पानी में उबालें। जब यह अच्छी तरह से उबल जाए तो इसे छानकर गुनगुना  ठंडा करके पी लें। आप चाहें तो स्वाद के लिए शहद या मिश्री भी डाल सकते हैं। यह खांसी में फायदेमंद है।

                              जोड़ों में दर्द में हरसिंगार 



हरसिंगार के 6 से 7 पत्ते तोड़कर इन्हें पीस लें। पीसने के बाद इस पेस्ट को पानी में डालकर तब तक उबालें जब तक कि इसकी मात्रा आधी न हो जाए। अब इसे ठंडा करके प्रतिदिन सुबह खालीपेट पिएं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से जोड़ों से संबंधित अन्य समस्याएं भी समाप्त हो जाएगी।

                         कई बीमारियाँ भगाने वाला पौधा हारसिंगार 



खांसी - 
खांसी हो या सूखी खांसी, हरसिंगार के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से बिल्कुल खत्म की जा सकती है। आप चाहें तो इसे सामान्य चाय में उबालकर पी सकते हैं या फिर पीसकर शहद के साथ भी प्रयोग कर सकते हैं।

                                साइटिका मे पारिजात 


दो कप पानी में हरसिंगार के लगभग 8 से 10 पत्तों को धीमी आंच पर उबालें और आधा रह जाने पर इसे अंच से उतार लें। ठंडा हो जाने पर इसे सुबह शाम खाली पेट पिएं। एक सप्ताह में आप फर्क महसूस करेंगे।

बवासीर - 



हरसिंगार को बवासीर या पाइल्स के लिए बेहद उपयोगी औषधि माना गया है। इसके लिए हरसिंगार के बीज का सेवन या फिर उनका लेप बनाकर संबंधित स्थान पर लगाना फायदेमंद है।
                                       परिजात के फायदे 



त्वचा के लिए - 
हरसिंगार की पत्त‍ियों को पीसकर लगाने से त्वचा संबंधी समस्याएं समाप्त होती हैं। इसके फूल का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरा उजला और चमकदार हो जाता है।
दर्द - 
हाथ-पैरों व मांसपेशियों में दर्द व खिंचाव होने पर हरसिंगार के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में अदरक का रस मिलाकर पीने से फायदा होता है।

प्रतिरोधक क्षमता -

हरसिंगार के पत्तों का रस या फिर इसकी चाय बनाकर नियमित रूप से पीने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर हर प्रकार के रोग से लड़ने में सक्षम होता है। इसके अलावा पेट में कीड़े होना, गंजापन, स्त्री रोगों में भी बेहद फायदेमंद है।

गठिया रोग के उपचार के लिए



आयुर्वेद के जाने माने वैध्य  डॉ . दयाराम  आलोक  ने अनुसंधान किया है कि परिजात के पत्ते गठिया के रोगियों के लिए बहुत ही असरदार होता है। गठिया रोग यानी जिनको जोड़ो में दर्द रहता है या शरीर के किसी भाग में सूजन है तो उनके लिए परिजात के पत्ते बहुत ही लाभकारी होते हैं। गठिया रोग में परिजात के पत्ते का सेवन कुछ इस प्रकार करते हैं परिजात के 5-7 पत्तियां तोड़कर पीस लें और उसे एक गिलास पानी में डालकर  इतना उबालें उबालें  कि पानी की मात्रा आधा  हो जाए  इसका इसको  ठंडा होने दें ठंडा होने के बाद इसे सुबह में खाली पेट पी लें इसे पीने के बाद कम से कम एक घंटा तक खाना ना खाएं।
                                 


बूढ़े लोगों में अर्थराइटिस (Arthritis) की समस्या आम बात है लेकिन आजकल यह वयस्कों को भी प्रभावित कर रही है। अर्थराइटिस के बेतहाशा दर्द और सूजन से निजात दिलाने में हरसिंगार की पत्तियां बहुत ही ज्यादा कारगर साबित होती हैं। अगर आप अर्थराइटिस से पीड़ित हैं तो हरसिंगार के पत्ते के पावडर को एक कप पानी में उबालकर और इसे ठंडा करके पीने से अर्थराइटिस के दर्द में राहत मिलता है। हरसिंगार का उपयोग प्रतिदिन करने से यह समस्या पूरी तरह दूर हो जाती है।

                            जोड़ों का दर्द और गठिया में पारिजात 


हरसिंगार, जिसे पारिजात भी कहा जाता है, गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके पत्तों का काढ़ा या लेप बनाकर जोड़ों पर लगाने से आराम मिलता है। हरसिंगार की चाय भी गठिया के लक्षणों को कम करने में सहायक हो सकती है

                              सूजन को करे कम


शरीर में किसी भी प्रकार की सूजन (inflammation) की समस्या होने पर अगर आप हरसिंगार के पत्तों का इस्तेमाल करते हैं, तो यह फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करता है। साथ ही इसका सेवन साइटिक के दर्द में भी आराम पहुंचता है।

तनाव



 हरसिंगार का पौधा एंटीडिप्रेसेंट गुण से समृद्ध होता है। ऐसे में इसके सेवन से आप तनाव और अवसाद से खुद को बचा सकते हैं। इसके लिए आपको रसिंगार की चाय का सेवन करना होगा, जो आपको रिलैक्स रखने में मदद कर सकती है। वहीं, इसकी मदद से आप अपना मूड भी ठीक कर सकते हैं

       सामान्य बुखार ,डेंगू ,मलेरिया  में फायदेमंद हारसिंगार


डेंगू और चिकनगुनिया से जूझने वालों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, लेकिन आप हरसिंगार के सेवन से इसके कुछ लक्षणों और इससे संबंधित परेशानियों को कम कर सकते हैं। इसमें एंटीवायरल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो आपको डेंगू और चिकनगुनिया मच्छरों के कारण होने वाले बुखार से बचाते हैं। साथ ही जोड़ों में होने वाले दर्द को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, हरसिंगार डेंगू में घटने वाले प्लेटलेट काउंट को भी बढ़ाने में मदद कर सकता है

डायबिटीज ( Diabetes )

हरसिंगार का पेड़ डायबिटीज के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होता है। डायबिटीज से ग्रसित लोग परिजात के पत्ते का 15-25 मिली काढ़ा बनाकर इसका सेवन करें ।

              हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा कैसे बनाएं

हरसिंगार के पत्ते का काढ़ा बनाने के लिए सबसे पहले हम हरसिंगार का पत्ता 7-8 लेंगे फिर उसको पिसेगे पिसने बाद 1गिलास पानी ले फिर उस पेस्ट को अच्छा से घोल लें ओर उसे धीमी आंच पर पकाने वास्ते छोड़ दें जब पानी उबालकर आधा हो जाय तो उसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें फिर उसे सूबह उठकर खाली पेट उस काढ़ा को पिले फिर उसका उपयोग 1
हपते करने जोड़ो का दर्द से राहत मिलती हैं।

                     हरसिंगार के पत्ते का चाय कैसे बनाएं

  हरसिंगार की चाय बनाने के लिए दो कप पानी हरसिंगार के दो पत्ते तीन फूल के साथ तुलसी के साथ कुछ पत्ते तुलसी के साथ कुछ पत्तियां लीजिए इसको अच्छी तरह धीमी आंच पर उबालें आधी चाय उबलने के बाद गुड़ का छोटा सा टुकड़ा डालें और इससे 2 मिनट इसे धीमी आंच पर पकाएं 2 मिनट और यह चाय बनकर तैयार है यह चाय पीने से बुखार में राहत मिलती है यह चाय का सेवन प्रत्येक 2 दिन बाद करनी चाहिए।

हरसिंगार के पत्ते के फायदे

हरसिंगार का उपयोग अस्थमा रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। अध्ययनों के अनुसार हरसिंगार के पत्ते में एंटी अस्थमैटिक और एंटी अलर्जिक गुण पाए जाते हैं जो कि अस्थमा रोग के इलाज के लिए काफी फायदेमंद है।

आप इसका उपयोग करने के लिए हरसिंगार के फूलों तथा हरसिंगार के पत्ते का उपयोग कर सकते हैं, इन्हें सुखा कर पाउडर बना लें और इसका इस्तेमाल करें।
हरसिंगार के पत्ते के फायदे शरीर की पाचन क्रियाओं में भी होते हैं , हरसिंगार के पत्तियों के रस के उपयोग से पेट में मौजूद भोजन को पचाने में बहुत ही मदद करता है, हरसिंगार में एंटी स्पस्मोडिक (Anti Spasmodic) गुण भी पाए जाते हैं जो कि शरीर की पाचन तंत्र को स्वास्थ्य और तंदुरुस्त रखने में मदद करते हैं ।
  हरसिंगार में एंटीएंफ्लेमेट्री के गुण भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो कि गठिया मरीजों के लिए उपयोगी होता है ।हरसिंगार का अर्क गठिया को बढ़ने से रोक सकता है, हरसिंगार में एंटी आर्थराइटिस गुण भी मौजूद होते हैं ।

विशिष्ट परामर्श-  



संधिवात,कमरदर्द,गठियासाईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| बड़े अस्पताल के महंगे इलाज के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से निरोग हुए हैं| बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| 
औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं| 
 
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