29.5.22

गठिया सन्धिवात,सायटिका घुटनों के दर्द के उपचार:Sciatica gathiya knee pain

 


आमवात जिसे गठिया भी कहा जाता है अत्यंत पीडादायक बीमारी है।अपक्व आहार रस याने "आम" वात के साथ संयोग करके गठिया रोग को उत्पन्न करता है।अत: इसे आमवात भी कहा जाता है।

लक्षण- 

जोडों में दर्द होता है, शरीर मे यूरिक एसीड की मात्रा बढ जाती है। छोटे -बडे जोडों में सूजन का प्रकोप होता रहता है।
यूरिक एसीड के कण(क्रिस्टल्स)घुटनों व अन्य जोडों में जमा हो जाते हैं।जोडों में दर्द के मारे रोगी का बुरा हाल रहता है।गठिया के पीछे यूरिक एसीड की जबर्दस्त भूमिका रहती है। इस रोग की सबसे बडी पहचान ये है कि रात को जोडों का दर्द बढता है और सुबह अकडन मेहसूस होती है। यदि शीघ्र ही उपचार कर नियंत्रण नहीं किया गया तो जोडों को स्थायी नुकसान हो सकता है।

गठिया के मुख्य कारण:--

*महिलाओं में एस्ट्रोजिन हार्मोन की कमी होने पर गठिया के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।
*अधिक खाना और व्यायाम नहीं करने से जोडों में विकार उत्पन्न होकर गठिया जन्म लेता है।
*छोटे बच्चों में पोषण की कमी के चलते उनका इम्युन सिस्टम कमजोर हो जाता है फ़लस्वरूप रुमेटाईड आर्थराईटीज रोग पैदा होता है जिसमें जोडों में दर्द ,सूजन और गांठों में अकडन रहने लगती है।
*शरीर में रक्त दोष जैसे ल्युकेमिया होने अथवा चर्म विकार होने पर भी गठिया रोग हो सकता है।
*थायराईड ग्रन्थि में विकार आने से गठिया के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
*आंतों में पैदा होने वाले रिजाक्स किटाणु शरीर के जोडों को भी दुष्प्रभावित कर सकते हैं।
गठिया के ईलाज में हमारा उद्धेश्य शरीर से यूरिक एसीड बाहर निकालने का प्रयास होना चाहिये। यह यूरिक एसीड प्यूरीन के चयापचय के दौरान हमारे शरीर में निर्माण होता है प्यूरिन तत्व मांस में सर्वाधिक होता है।इसलिये गठिया रोगी के लिये मांसाहार जहर के समान है। वैसे तो हमारे गुर्दे यूरिक एसीड को पेशाब के जरिये बाहर निकालते रहते हैं। लेकिन कई अन्य कारणों की मौजूदगी से गुर्दे यूरिक एसीड की पूरी मात्रा पेशाब के जरिये निकालने में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिये इस रोग से मुक्ति के लिये जिन भोजन पदार्थो में पुरीन ज्यादा होता है,उनका उपयोग कतई न करें। वैसे तो पतागोभी,मशरूम,हरे चने,वालोर की फ़ली में भी प्युरिन ज्यादा होता है लेकिन इनसे हमारे शरीर के यूरिक एसीड लेविल पर कोई ज्यादा विपरीत असर नहीं होता है। अत: इनके इस्तेमाल पर रोक नहीं है। जितने भी सोफ़्ट ड्रिन्क्स हैं सभी परोक्ष रूप से शरीर में यूरिक एसीड का स्तर बढाते हैं,इसलिये सावधान रहने की जरूरत है।

१) सबसे जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मौसम के मुताबिक ३ से ६ लिटर पानी पीने की आदत डालें। ज्यादा पेशाब होगा और अधिक से अधिक विजातीय पदार्थ और यूरिक एसीड बाहर निकलते रहेंगे।
२) आलू का रस १०० मिलि भोजन के पूर्व लेना हितकर है।
३) संतरे के रस में १५ मिलि काड लिवर आईल मिलाकर शयन से पूर्व लेने से गठिया में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
४) लहसुन,गिलोय,देवदारू,सौंठ,अरंड की जड ये पांचों पदार्थ ५०-५० ग्राम लें।इनको कूट-खांड कर शीशी में भर लें। २ चम्मच की मात्रा में एक गिलास पानी में डालकर ऊबालें ,जब आधा रह जाए तो उतारकर छान लें और ठंडा होने पर पीलें। ऐसा सुबह-शाम करने से गठिया में अवश्य लाभ होगा।
५) लहसुन की कलियां ५० ग्राम लें।सैंधा नमक,जीरा,हींग,पीपल,काली मिर्च व सौंठ २-२ ग्राम लेकर लहसुन की कलियों के साथ भली प्रकार पीस कर मिलालें। यह मिश्रण अरंड के तेल में भून कर शीशी में भर लें। आधा या एक चम्मच दवा पानी के साथ दिन में दो बार लेने से गठिया में आशातीत लाभ होता है।
६) हर सिंगार (पारिजात) के ताजे पती ४-५ नग लें। पानी के साथ पीसले या पानी के साथ मिक्सर में चलालें। यह नुस्खा सुबह-शाम लें ३-४ सप्ताह में गठिया और वात रोग में जबरदस्त लाभ होगा| जरूर आजमाएं।
७) बथुआ के पत्ते का रस करीब ५० मिलि प्रतिदिन खाली पेट पीने से गठिया रोग में जबर्दस्त फ़ायदा होता है। अल सुबह या शाम को ४ बजे रस लेना चाहिये।जब तक बथुआ सब्जी मिले या २ माह तक उपचार लेना उचित है।रस लेने के आगे पीछे १ घंटे तक कुछ न खाएं। बथुआ के पत्ते काटकर आटे में गूंथकर चपाती बनाकर खाना भी हितकारी उपाय है। 


आयुर्वेदिक चिकित्सा भी कई मामलों मे फ़लप्रद सिद्ध हो चुकी है।
८) पंचामृत लोह गुगल,रसोनादि गुगल,रास्नाशल्लकी वटी,तीनों एक-एक गोली सुबह और रात को सोते वक्त दूध के साथ २-३ माह तक लेने से गठिया में बहुत फ़ायदा होता है।
९) उक्त नुस्खे के साथ अश्वगंधारिष्ट ,महारास्नादि काढा और दशमूलारिष्टा २-२ चम्मच मिलाकर दोनों वक्त भोजन के बाद लेना हितकर है।
१०) चिकित्सा वैज्ञानिकों  का मत है कि गठिया रोग में हरी साग सब्जी का प्रचुरता से इस्तेमाल करना बेहद फ़ायदेमंद रहता है। पत्तेदार सब्जियो का रस भी अति उपयोगी रहता है।
11) भाप से स्नान करने और जेतुन के तैल से मालिश करने से गठिया में अपेक्षित लाभ होता है।
१२) गठिया रोगी को कब्ज होने पर लक्षण उग्र हो जाते हैं। इसके लिये गुन गुने जल का एनिमा देकर पेट साफ़ रखना आवश्यक है।
१३) अरण्डी के तैल से मालिश करने से भी गठिया का दर्द और सूजन कम होती है।
१४) सूखे अदरक (सौंठ) का पावडर १० से ३० ग्राम की मात्रा में नित्य सेवन करना गठिया में परम हितकारी है|
१५) चिकित्सा वैज्ञानिकों का मत है कि गठिया रोगी को जिन्क,केल्शियम और विटामिन सी के सप्लीमेंट्स नियमित रूप से लेते रहना लाभकारी है।

१६) गठिया रोगी के लिये अधिक परिश्रम करना या अधिक बैठे रहना दोनों ही नुकसान कारक होते हैं। अधिक परिश्रम से अस्थि-बंधनो को क्षति होती है जबकि अधिक गतिहीनता से जोडों में अकडन पैदा होती है।
१७) गठिया उग्र होने पर किसी भी प्रकार का आटा ३ हफ्ते तक भोजन में शामिल ना करें| बाद में धीरे धीरे उपयोग शुरू करें|
१८) पनीर ,दही,माखन,इमली,कच्चा आम का उपयोग बंद करने से लाभ होता है|
१९) शकर की जगह शहद वापरें|
२०) हल्दी गठिया का दर्द घटाती है और सूजन भी कम करती है|
२१) प्याज,लहसुन और सेवफल का उपयोग हितकारी रहता है|
22) लहसुन की 10 कलियों को 100 ग्राम पानी एवं 100 ग्राम दूध में मिलाकर पकाकर उसे पीने से दर्द में शीघ्र ही लाभ होता है।
23) प्रतिदिन नारियल की गिरी के सेवन से भी जोड़ो को ताकत मिलती है।
24) आलू का रस 100 ग्राम प्रतिदिन भोजन के पूर्व लेना बहुत हितकर है।
25) सुबह के समय सूर्य नमस्कार और प्राणायाम करने से भी जोड़ों के दर्द से स्थाई रूप से छुटकारा मिलता है।
26) गठिया के रोगी 4-6 लीटर पानी पीने की आदत डालें। इससे ज्यादा पेशाब होगा और अधिक से अधिक विजातीय पदार्थ और यूरिक एसीड बाहर निकलते रहेंगे।
27) एक बड़ा चम्मच सरसों के तेल में लहसुन की 3-4 कुली पीसकर डाल दें, इसे इतना गरम करें कि लहसुन भली प्रकार पक जाए, फिर इसे आच से उतारकर मामूली गरम हालत में इससे जोड़ों की मालिश करने से दर्द में तुरंत राहत मिल जाती है।
28) प्रात: खाली पेट एक लहसन कली, दही के साथ दो महीने तक लगातार लेने से जोड़ो के दर्द में आशातीत लाभ प्राप्त होता है।
29) 250 ग्राम दूध एवं उतने ही पानी में दो लहसुन की कलियाँ, 1-1 चम्मच सोंठ और हरड़ तथा 1-1 दालचीनी और छोटी इलायची डालकर उसे अच्छी तरह से धीमी आँच में पकायें। पानी जल जाने पर उस दूध को पीयें, शीघ्र लाभ प्राप्त होगा ।
30) 100 ग्राम लहसुन की कलियां लें।इसे सैंधा नमक,जीरा,हींग,पीपल,काली मिर्च व सौंठ 5-5 ग्राम के साथ पीस कर मिला लें। फिर इसे अरंड के तेल में भून कर शीशी में भर लें। इसे एक चम्मच पानी के साथ दिन में दो बार लेने से गठिया में आशातीत लाभ होता है।
31) अमरूद की 4-5 नई कोमल पत्तियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोजाना खाने से से जोड़ो के दर्द में काफी राहत मिलती है। *काली मिर्च को तिल के तेल में जलने तक गर्म करें। उसके बाद ठंडा होने पर उस तेल को मांसपेशियों पर लगाएं, दर्द में तुरंत आराम मिलेगा।
32) दो तीन दिन के अंतर से खाली पेट अरण्डी का 10 ग्राम तेल पियें। इस दौरान चाय-कॉफी कुछ भी न लें जल्दी ही फायदा होगा।
33) दर्दवाले स्थान पर अरण्डी का तेल लगाकर, उबाले हुए बेल के पत्तों को गर्म-गर्म बाँधे इससे भी तुरंत लाभ मिलता है। 
34) गाजर को पीस कर इसमें थोड़ा सा नीम्बू का रस मिलाकर रोजाना सेवन करें । यह जोड़ो के लिगामेंट्स का पोषण कर दर्द से राहत दिलाता है। 
35) गठिया रोगी को अपनी क्षमतानुसार हल्का व्यायाम अवश्य ही करना चाहिए क्योंकि इनके लिये अधिक परिश्रम करना या अधिक बैठे रहना दोनों ही नुकसान दायक हैं।
36) जेतुन के तैल से मालिश करने से भी गठिया में बहुत लाभ मिलता है। 
37) सौंठ का एक चम्मच पावडर का नित्य सेवन गठिया में बहुत लाभप्रद है।
38) गठिया रोग में हरी साग सब्जी का इस्तेमाल बेहद फ़ायदेमंद रहता है। पत्तेदार सब्जीयो का रस भी बहुत लाभदायक रहता है।
39) दो बडे चम्मच शहद और एक छोटा चम्मच दालचीनी का पावडर सुबह और शाम एक गिलास मामूली गर्म जल से लें। एक शोध में कहा है कि चिकित्सकों ने नाश्ते से पूर्व एक बडा चम्मच शहद और आधा छोटा चम्मच दालचीनी के पावडर का मिश्रण गरम पानी के साथ दिया। इस प्रयोग से केवल एक हफ़्ते में ३० प्रतिशत रोगी गठिया के दर्द से मुक्त हो गये। एक महीने के प्रयोग से जो रोगी गठिया की वजह से चलने फ़िरने में असमर्थ हो गये थे वे भी चलने फ़िरने लायक हो गये।
40) एक चम्मच मैथी बीज रात भर साफ़ पानी में गलने दें। सुबह पानी निकाल दें और मैथी के बीज अच्छी तरह चबाकर खाएं।मैथी बीज की गर्म तासीर मानी गयी है। यह गुण जोड़ों के दर्द दूर करने में मदद करता है।

41)बिच्छू बूटी,

इस औषधि का नाम सुनने में आपको जरूर अटपटा सा लग रहा होगा, लेकिन आपको बता दें जिस तरह बिच्छु के काटने पर उसका जहर तेजी से फैलता है, ठीक उसी तरह इस औषधि का सेवन करने पर आपके 
गठिया का दर्द तेजी से कम होता है। यह गठिया की समस्या को जड़ से खत्म करने में कारगार उपाय है और आपके हड्डियों को फौलाद बनाता है।

इससे कैसे बचें-

कुछ उपाय बताता हूँ जिन्हें अपनाकर इसकी चपेट में आने से बचा जा सकता है या इसकी चपेट में आने पर स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।
* आर्थराइटिस के कारण कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है। यह 70 प्रतिशत पानी से बने होते हैं, इसलिए ढेर सारा पानी पिएं
* कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध, दुग्ध उत्पादों, ब्रोकली, सामन मछली,
*पालक, राजमा, मूंगफली, बादाम, टोफू आदि का सेवन करें।
*जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए विटामिन सी और डी बहुत जरूरी हैं। इसलिए विटामिन सी और डी से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे स्ट्रॉबेरी, संतरे, कीवी, अनन्नास, फूलगोभी, ब्रोकली, *पत्ता गोभी, दूध, दही, मछिलयों आदि का सेवन करें।
*कुछ समय धूप में भी बिताएं। यह विटामिन डी का बेहतरीन स्त्रोत है।
* वजन को नियंत्रण में रखें। वजन अधिक होने से जोड़ों जैसे घुटनों, टखनों और कूल्हों पर दबाव पड़ता है।
*नियमित रूप से व्यायाम करके आर्थराइटिस के खतरे को कम किया जा सकता है, लेकिन ऐसे व्यायाम करने से बचें, जिससे जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है।
*शराब और धूम्रपान का सेवन जोड़ों को नुकसान पहुंचाता है। आर्थराइटिस से पीड़ित लोग अगर इनका सेवन बंद कर दें तो उनके जोड़ों और मांसपेशियों में सुधार आ जाता है और दर्द में भी कमी होती है।
*स्वस्थ लोग भी धूम्रपान न करें। यह आपको रूमेटाइड आर्थराइटिस का शिकार बना सकता है।
*अधिक मात्रा में फल और सब्जियों का सेवन करें। ये ऑस्टियो आर्थराइटिस से बचाते हैं।
* अदरक और हल्दी को भोजन में प्रमुखता से शामिल करें, क्योंकि ये जोड़ों की सूजन को कम करने में सहायता करते हैं।
*आरामतलबी से बचें।
* सूजन बढ़ाने वाले पदार्थ जैसे नमक, चीनी, अल्कोहल, कैफीन, तेल, दूध व दुग्ध उत्पादों, ट्रांस फैट और लाल मांस का इस्तेमाल कम करें या न करें।

गठिया का दर्द दूर करने का आसान उपाय-

* एक लिटर पानी तपेली या भगोनी में आंच पर रखें। इस पर तार वाली जाली रख दें। एक कपडे की चार तह करें और पानी मे गीला करके निचोड लें । ऐसे दो कपडे रखने चाहिये। अब एक कपडे को तपेली से निकलती हुई भाप पर रखें। गरम हो जाने पर यह कपडा दर्द करने वाले जोड पर ३-४ मिनिट रखना चाहिये। इस दौरान तपेली पर रखा दूसरा कपडा गरम हो चुका होगा। एक को हटाकर दूसरा लगाते रहें। यह उपक्रम रोजाना १५-२० मिनिट करते रहने से जोडों का दर्द आहिस्ता आहिस्ता समाप्त हो जाता है। बहुत कारगर उपाय है।


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|

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10.4.22

दिमागी तनाव और भय दूर करने का मंत्र:Mantra to remove mental stress and fear

 



प्रति‍दिन की भगदौड़ भरी दिनचर्या में काम और घर परिवार से जुड़ी कई बाते आपको मानसिक रूप से थका देती है और तनाव का कारण बनती हैं। अगर आप मानसिक तनाव के शि‍कार हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं, तो यह मंत्र करेगा आपकी मदद। जानिए कौन सा है यह मंत्र -

किसी प्रकार का अज्ञात
भय या असुरक्षा की भावना होने पर भी आप इंस मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसके अलावा 11 बुधवार तक लगातार 1 नारियल नीले वस्त्र में लपेटकर किसी भि‍खारी को दान करने से भी आपको भय से छुटकारा मिलेगा।
यदि आप अत्यधि‍क तनाव या मानस‍िक भार का अनुभव करते हैं तो नित्य मानसिक रूप से निम्न मंत्र का जाप अवश्य करें। जानिए मंत्र -
मंत्र :
ॐ अतिक्रकर महाकाय, कल्पान्त दहनोपम
भैरवाय नमस्तुभ्यमनुज्ञां दातुमहसि!!

तनाव दूर करने के अन्य उपाय -



आप चाहे कितना भी जरुरी काम कर रहे हो काम के बीच हर घंटे के बाद 5 मिनट का ब्रेक जरूर ले अगर आप काम के बीच में थोड़ा आराम करेंगे तो आपका ध्यान इधर उधर नहीं जायेगा।इस उपरोक्त उपाय से एक ओर जहां आपको मानसिक तनाव/ भय/ दबाव इत्यादि से मुक्ति मिलेगी वहीं परिवार में अगर कोई नकारात्मक‍ विचारधारा का है तो उसके विचारों में भी परिवर्तन आना आरंभ होगा।
जिनके जीवन में अधिक तनाव रहता हो उन्हें दिन में कुछ समय अकेले बिताने का प्रयास करना चाहिए। कुछ लोग अकेले सैर करना पसंद करते हैं। कुछ लोगों को अकेले पुस्तक पढ़ने से शांति मिलती है। कई बार अँधेरे कमरे में लेटना ही मन को शांत रखने के लिए काफी होता है, किंतु बहुत ज्यादा अकेले रहना भी ठीक नहीं, विशेषत उन लोगों के लिए जो जल्दी हताश हो जाते हैं।

कुर्सी पर आरामदेह मुद्रा में बैठ जाइए। आँखें बंद कीजिए और अपनी मांसपेशियों को ढीला छोड़ दीजिए। धीमी गति से साँस लेते रहें। मन ही मन कोई भी एक शब्द या मंत्र बार-बार दोहराते रहें। यदि आपका मन भटक जाए तो वापस उसी शब्द या मंत्र पर आ जाएँ। इसे दस से बीस मिनट तक करें।
मूड खराब होने पर किसी पालतू जानवर के साथ कुछ समय बिताये। घर के पालतू जानवरों से लगाव और स्नेह होता है ये हमें खुशी और प्यार देते है। इसलिए अपने आपके टेंशन से दूर रखना हो या फ्रेश करना हो ये उपाय काफी अच्छे है।
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5.4.22

आंतों में इन्फेक्शन सूजन के घरेलू उपचार :Intestinal Infection Inflammation





पाचन तंत्र के महत्‍वपूर्ण अंग हैं छोटी और बड़ी आंत। व्यक्ति जो भी खाता है, आंतें उनसे स्‍वस्‍थ और पौष्टिक चीजें निकालती हैं और शरीर से विषाक्‍त पदार्थ बाहर कर देती हैं। आंतों के सही काम न करने पर खाना पचने में दिक्कतें हो सकती हैं और पेट से जुड़े रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। कभी-कभी आंतों का संक्रमण इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) का कारण बन सकता है। यह पाचन तंत्र से जुड़ी आम समस्या है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये संक्रमण आंत के नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं और इस सिंड्रोम का कारण बनते हैं।

आंत में सूजन की समस्या बड़ी ही पीड़ादायक होती है। इसके लक्षण शरीर में बड़ी ही धीरे-धीरे विकसित होते हैं। इस बीमारी को अल्सर कोलाइटिस भी कहा जाता है। इस बीमारी में बड़ी आंत व मलाशक के अंदरुनी परत प्रभावित होती है। इस बीमारी के अभी तक कोई निश्चित इलाज नहीं है लेकिन घरेलू नुस्खों के द्वारा व घरेलू इलाज के द्वारा इसे कंट्रोल में किया जा सकता है तथा इसके खतरे को कम किया जा सकता है।

इसके क्या है लक्षण

इस बीमारी के लक्षण सामान्य पेट दर्द के होते हैं लेकिन यदि इसकी पहचान सही पर कर ली जाए तो इसका इलाज संभव है, लेकिन यदि समय पर इसका इलाज ना हो तो ये आपकी आंतों के लिए साथ ही आपके पेट के लिए बड़ी समस्या पैदा कर सकते हैं। इसके सबसे खतरनाक लक्षण ये होते हैं जो इस बीमारी से ग्रसित रहता है उसे इसका पता नहीं चलता है, इसका पता तब चलता है जब ये अपने सबसे खराब स्टेज में पहुंच जाता है और तब तक ये खतरनाक रुप धारण कर लेता है।
 इसमें मुख्य रुप से बड़ी आंत के उपरी सतह पर घाव हो जाता है जिससे उसमें सूजन आ जाता है। यह हर व्यक्ति में अलग-अलग प्रकार से होता है। इस बीमारी से आंतों कमजोर हो जाती है जिससे उसका खाना सही से पच नहीं पाता है पोषक तत्वों का सही से अवशोषण नहीं हो पाता है जिससे शरीर का वजन घटने लगता है और वह कमजोर होने लगता है।
 इसमें बार-बार शौच का भी अनुभव होता है और पेट में मरोड़ जैसा अनुभव होता है। पेट के निचले हिस्से में हमेशा दर्द बना रहता है। एक स्टेज ऐसा आता है जब मरीज को दिन में 10 से ज्यादा बार शौच आता है और यह सबसे पीड़ा दायक अनुभव होता है। इससे शरीर में खून की कमी होने लगती है और मरीज बुखार से पीड़ित हो जाता है।

क्या है इसके कारण

इस खतरनाक बीमारी के कई कारण हैं। खराब खान-पान, शरीरिक व्यायाम में कमी, धूम्रपान, वायु प्रदूषण का प्रभाव, स्ट्रेस, गरिष्ठ भोजन,, विटामिन डी की कमी, हानिकारक बैक्टीरिया। अगर इसका सही से इलाज ना किया जाए तो ये कैंसर का रुप भी धारण कर सकता है। यदि यह 10 या फिर 10 से ज्यादा साल पुरानी बीमारी बन जाए तो यह कैंसर का रुप लेने की संभावना बढ़ सकती है।

घरेलू नुस्खे

पूरे दिन में पानी की थोड़ी- थोड़ी मात्रा पीते रहें
फैट युक्त खाद्य पदार्थ साथ ही जंक फूड खाने से परहेज करें
लैक्टोज से समस्या होती है तो दूध पीना  कम कर दें
दिन भर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में कई बार भोजन करते रहना

प्रोटीन

आंत में सूजन का घरेलू उपाय है प्रोटीन। यह आंतों के खराब हो चुके ऊत्तकों को ठीक करने में मदद करता है। ऐसे में मरीज को कम फैट के दूध से बनाए गए प्रोटीन से भरपूर भोजन का सेवन करना चाहिए जैसे, अंडे, मछली, मूंगफली या अखरोट आदि। इसके अलावा सब्जियों में पनीर, सलाद का इस्तेमाल कर सकते हैं।

कैल्शियम

ऐलोवेरा का सेवन किसी भी प्रकार के सूजन को कम करने के लिए फायदेमंद होता है। हरी पत्तियों वाला साग, ब्रॉकली इत्यादि का सेवन किया जा सकता है। कैल्शियम का सेवन विटामिन डी के साथ करने से ज्याजा लाभ मिलता है।

ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर पाया जाता है इसके सेवन से कई प्रकार के देसी इलाज में फायदा होता है। ग्रीन टी को किसी गिलास में पानी लेकर तैयार करें और इसे पी जाएं, इससे कई तरह की बीमारियां दूर होती है।

पर्याप्त मात्रा में पानी पीना

इस बीमारी में सबसे ज्यादा खतरा डिहाइड्रेशन होने का रहता है। ऐसे में मरीज को दिन भर में प्रचुर मात्रा में पानी पीते रहना चाहिए। इससे हमारी आंत और किडनी साफ रहती है। इसलिए आंत की समस्याओॆ में ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जाती है।

विटामिन डी- 

आंत के सूजन वाले मरीजों के लिए विटामिन डी फायदेमंद होता है. इसके लिए संतरे का जूस और दूध का सेवन कर सकते हैं, क्योंकि इनमें विटामिन डी पर्याप्त मात्रा होती है.

नारियल का तेल-

इस तेल से बने भोजन को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं. इससे आंत की समस्याओं में राहत मिलती है.

इन चीजों का सेवन न करें

आपको आलू, बैंगन और टमाटर जैसी सब्जियां का सेवन नहीं करना है, साथ ही तिल के बीज, अखरोट, बैर, स्ट्रॉबेरी जैसे फल के सेवन से बचना है.
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1.4.22

मूँगफली के स्वास्थ्य लाभ फायदे:moongfali ke fayde

                                          



 मूंगफली को सस्ता काजू कहा जाता है और इसमें स्वाद के साथ साथ कई प्रकार के स्वास्थ्य को लाभ पंहुचाने संबंधी गुण भी होते हैं। मूंगफली को कई प्रकार से उपयोग किया जाता है। इसका तेल भी स्वाद और स्वास्थ्य के लिए बहुत प्रचलित है। मूंगफली हमारे देश में हर तरह के खाने में इस्तेमाल की जाती है चाहे वह मीठे पकवान हो या नमकीन, इससे बिना कुछ पकवान तो संभव ही नहीं।

 मूंगफली, जिसे अंग्रेजी में पीनट कहा जाता है अखरोट और बादाम जैसे स्‍वाद और पौष्टिक आहार के समान होती है। इसे जमीन से निकाला जाता है इसलिए इसे ग्राउंडनट (groundnuts) भी कहा जाता है मूंगफली अपने गुणों के कारण बहुत उपयोगी होती है। इसमें बहुत से पोषक तत्व होते है, जो मूंगफली के फायदे  benefits of peanuts बताते है। ये मैंगनीज, नियासिन इत्‍यादि का एक अच्‍छा स्रोत होते है। इसमें विटामिन ई, फोलेट, फाइबर और फास्‍फोरस भी अच्‍छी मात्रा में होते है।मूंगफली औषधी तो नहीं पर उनके सहयोगी के रूप में जानी जाती है।मूंगफली के फायदे हृदय रोग के जोखिम को कम करने, वजन घटाने, रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर रखने, और मानव शरीर में चयापचय को बढ़ाने आदि के लिए जाने जाते है।

मूंगफली के घटक

ये कार्ब्स  में कम और पोषक तत्वों में ज्यादा संपन्न है। मूंगफली प्रोटीन  का एक बहुत बड़ा स्रोत है। बायोटिन , नियासिन,फॉलेट, मैग्‍नीज, विटामिन ई, थियामीन, फास्‍फोरस ओर मैग्‍नीशियम से भी भरपूर है। जो सभी स्वस्थ शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते है।

health benefits of peanuts

प्रोटीन

प्रोटीनहमारे कोशिकाओं के स्‍वास्‍थ के लिए आवश्‍यक है, यह हमारे शरीर की कोशिकाओं को लगातार वृद्धि में सहायक होता है। साथ ही यह क्षतिग्रस्‍त कोशिकाओं की मरम्‍मत भी करता है। हमारे शरीर को प्रोटीन की आवश्‍यक्‍ता होती है, जिसकी पूर्ती हम मूंगफली के रूप कर सकते है। बच्‍चों और कम प्रोटीन वाले लोगों को नियमित रूप से आहार के रूप में इसका सेवन करना चाहिए।एंटीऑक्सिडेंटस (Antioxidants)

मूंगफली में एंटीऑक्सिडेट पॉलीफेनोल की उच्‍च मात्रा होती है, मुख्‍यत: पी-कूमरिक एसिड और ओलिक एसिड नामक एक यौगिक, जो न केवल हृदय की रक्षा करती है बल्कि हानीकारक तत्‍वों के उत्‍पादन को रोकती है।

खनिज

मूंगफली में मैग्‍नीशियम, फास्‍फोरस , पोटेशियम , जस्‍ता (zinc), कैल्शियम , सोडियम आदि जैसे खनिजों का एक अच्‍छा स्रोत है। ये हमारे शरीर के अच्‍छे तरह से कार्य करने के लिए आवश्‍यक होते है। मूंगफली के नियमित आहार से हम इन को तत्‍वों शरीर के स्‍वास्‍थ के लिए उपलब्‍ध करा सकते है। इन खनिजों की आपूर्ती स्‍वस्‍थ हृदय और रोगों के खतरों को कम करती है।

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विटामिन

समग्र विकास के लिए विटामिन महत्‍वपूर्ण हैं। विटामिन कोशिकाओं और ऊतकों के लिए महत्‍वपूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य सुनिश्चित करते हैं, और संक्रमणों से बचाते है। मूंगफली हमारे शरीर को आवश्‍यक विटामिन प्रदान करती है, जो चयापचय (Metabolism) को विनियमित करने, वसा और कार्बोहाइड्रेट को ऊर्जा में बदलने का काम करती है। प्रोटीन हड्डी और ऊतकों के गठन की सुविधा प्रदान करने में भी मदद करते है।

स्‍वस्‍थ दिल के लिए मूंगफली :

मूंगफली में मानोअनसैचुरेटेड और पॉली अनसेचुरेटेड वसा बाले होते है। जों हृदय को स्‍वस्‍थ रखते हैं। ये दोनों वसा रक्‍त कोलस्‍ट्रॉल के स्‍तर को कम करते है, और इस तरह कोरोनरी हृदय रोगों के जोखिमों को कम करते है। मूंगफली के फायदे लेने के लिए इसका सेवन अवश्य करें।

मूंगफली अल्‍जाइमर और नसों की बीमारी के लिए:

ग्राउंडनट प्रमुख रूप से कैंसर, हृदय रोग), तंत्रिका रोगों और वायरल या किसी भी प्रकार के कवक संक्रमणों (Fungal infection) को रोकते है। शरीर में नाइट्रिक ऑक्‍साइड के उत्‍पादन को बढ़ाते है जो Resveratrol नामक एंटीऑक्‍सीडेंट द्वारा स्‍ट्रोक की संभावना को कम करता है।

मूंगफली के फायदे ब्‍लड शुगर को कम करे:benefits of peanuts

मूंगफली का नियमित सेवन कैल्शियम, वसा, ओर कार्बोआइड्रेट को मैंगनीज के माध्‍यम से अवशोषित करने में मदद करता है। जो मूंगफली में पाया जाता है। यह व्‍यक्ति के शरीर में शुगर के स्‍तर को नियंत्रित करता है। मूंगफली के फायदे लेने के लिए इसका सेवन अवश्य करें।

स्वस्थ हड्डियों के लिए:

मूंगफली में उपस्थित आयरन और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा रक्‍त में आक्‍सीजन के परिवहन और हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करते है। यह आपके शरीर के विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पोषण संबंधी सभी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। पीनट्स, विटामिन, खनिज, और एंटीऑक्‍सीडेंट के कारण शरीर को पर्याप ऊर्जा दिलाते है। मूंगफली के फायदे लेने के लिए इसका सेवन अवश्य करें।
*मूंगफली के आश्चर्यजनक गुणों में क्रोनिक त्वचा संबंधी बीमारियां जैसे एग्जीमा और सोराइसिस का भी इलाज संभव है। इसमें पाए जाने वाले फेटी एसिड सूजन और त्वचा में होने वाला लालपन भी कम हो जाता है।

पेट के कैंसर के लिए:

मूंगफली में उच्‍च साद्रंता में पोली-फेनोलिक जैसे ओक्सिडेंट मौजूद रहते है। एसिड पी-कैमररिक में पेट के कैंसर को कम करने की क्षमता है। यह कैंसर जनिक नाइट्रस अमाइन के निर्माण को कम करने के द्वारा किया जाता है।
*मूंगफली का खास गुण यह है कि यह शरीर पर स्मार्टली काम करती है। यह शरीर में से बुरे कॉलेस्ट्रोल को कम करती है और अच्छे कॉलेस्ट्रोल को बढ़ाती है। इसमें मोनो-अनसचुरेटेड फैटी एसिड खासतौर पर ऑलइक एसिड होता है जिससे दिल संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

मूंगफली त्‍वचा के लिए:

पीनट्स में मौजूद एंटी-ऑक्‍सीडेंट पर्याप्‍त मात्रा में होते है। जो पकाने या उबालने के बाद ज्‍यादा सक्रीय होते है। पकाने के बाद जैनिस्‍टीइन में चार गुना वृद्धि होती है और बायोइकिन-एनामक एंटी-ऑक्‍सीडेंट में दो गुनी वृद्धि होती है। ये त्‍वचा में होने वाले हानीकारक प्रभावों को रोकने में मदद करता है। जिससे आपकी त्‍वचा स्‍वस्‍थ व निरोगी होती है। साथ ही यह आपकी भूख की शांत करने में भी मदद करती है।
*मूंगफली को प्रेंगनेंसी के पहले और शुरुआत में खाना शुरू कर देने से बच्चे में हो सकने वाले गंभीर न्यूरल ट्यूब डीफेक्ट 70 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
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31.3.22

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार :cervical spondylosis

 


 सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (Cervical Spondylosis) गठिया का एक प्रकार है। इसमें सर्वाइकल यानि गर्दन में दर्द, अकड़न और सिर दर्द की समस्या होती है। सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की तकलीफ डेस्क वर्क करने वाले लोगों में ज्यादा देखी जाती है। युवाओं में आजकल सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की समस्या बहुत आम हो गई है, लेकिन ज्यादा लापरवाही से यह गंभीर रूप ले लेती है। यह समस्या स्री-पुरुष दोनों में देखी जाती है। 40 वर्ष की उम्र के बाद यह लगभग 60 प्रतिशत लोगों में देखी जाती है।


सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लक्षण


सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लक्षण धीरे-धीरे या फिर अचानक विकसित हो सकते हैं और रोगियों में ये लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं।
गर्दन दर्द: कंधे के ब्लेड के आसपास दर्द आम लक्षण है। कुछ लोगों में हाथ और उंगलियों में दर्द की शिकायत होती है।

मांसपेशियों की कमजोरी: 

मांसपेशियों की कमजोरी से हाथ उठाना या वस्तुओं को मजबूती से पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
गर्दन की अकड़न: धीरे-धीरे गर्दन की अकड़न ज्यादा होती जाती है।

कंधों और बाहों में झुनझुनी या सुन्न होना
  बीमारियां आजकल तेजी से इंसान के जीवन को प्रभावित कर रही हैं। छोटे रोग इंसान को आसानी से लग जाते हैं ​और एैसे में यदि इंसान अपनी सेहत पर ध्यान ना दें तो इससे उसकी परेशानी बढ़ सकती है। एैसी ही एक समस्या है सर्वाइकल के पेन की । जी हां ये दर्द हमारी गर्दन पर होता है जिसकी वजह से इसका असर हमारे रोज के काम काजों पर पड़ता है। एैसे में इस दर्द से निजात पाने के लिए क्या करना चाहिए। 

सर्वाइकल पेन के कारण क्या हैं? 

ज़्यादा देर तक गलत पॉस्चर में सोना या बैठना सर्वाइकल पेन का कारण बन सकता है|
कई बार बहुत भरी वज़न सर पर उठाने से भी सर्वाइकल पेन कि समस्या हो सकती है|
मोबाइल इस्तेमाल करते वक़्त या लैपटाप पर काम करते वक़्त बहुत देर तक गर्दन झुकाने के कारण भी सर्वाइकल पेन कि समस्या हो सकती है |
ज़्यादा देर तक एक ही पॉस्चर या पोसिशन में बैठना भी सर्वाइकल पेन का कारण बन सकता है|
सोते वक़्त बहुत उचे और बड़े तकिये का इस्तेमाल करने से भी सर्वाइकल पेन हो सकता है|
बाइक या स्कूटी चलाते वक़्त बहुत भारी हेलमेट का इस्तेमाल करना भी सर्वाइकल पेन का कारण बन सकता है|
दिन भर में अगर आप ज़्यादातर गलत पॉस्चर में उठते-बैठते हैं तो यह सर्वाइकल पेन का मुख्य कारण बन सकता है

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के दर्द का देसी घरेलू उपचार-

लहसुन-

जिन लोगों को अक्सर गर्दन का दर्द रहता है वे लहुसन का प्रयोग जरूर करें। जी हां 5 से 8 लहसुन की कलियां लें और थोड़ा सा सरसों का तेल लें। अब आप एक कड़ाही में सरसों का तेल डालें और उसे गर्म कर लें। और उपर से आप इसमें इन लहुसन की कलियों को डाल दें। जब यह भूरा हो जाए तब इसे छानकर किसी कटोरी में डाल दें। और फिर इससे अपने गर्दन और कंधे पर मालिश करें। एैसा आप रात को सोने से पहले करें।

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (गर्दन का दर्द) का घरेलू आयुर्वेदिक उपचार तिल के तेल का इस्तेमाल  -  
  
शरीर को अंदर से गर्म रखकर दर्द से निजात दिलवाता है तिल का तेल। इस तेल में कई गुण होते हैं। कड़ाही के अंदर ही आप इस तेल को गर्म करें और फिर इसे अलग से रखकर इसे गुन गुना होने दें। इसके बाद आप इससे मालिश करें।। एैसा करने से गर्दन या सरवाइकल का दर्द धीरे—धीरे ठीक होेने लगता है।हरड़ का इस्तेमाल-
यदि आप हरड़ का सेवन करते हो इससे गर्दन में होने वाला सर्वाइकल दर्द ठीक हो जाएगा।
 हमारा भोजन भी हमें कई तरह के दर्द से निजात दिलवा सकता है। साथ ही इससे हमारी सेहत भी अच्छी रहती है। आप अपनी डायट में पत्ता गोभी, टमाटर, मूली व खीरा के अलावा फलों का जैसे सेब, पपीता और अनार आदि को अधिक से अधिक शामिल करें।
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस को कैसे ठीक करें
ओटीसी OTC दर्द निवारक लें।
गले की मांसपेशियों के दर्द से राहत प्रदान करने के लिए अपनी गर्दन पर हीटिंग पैड या कोल्ड पैक का प्रयोग करें।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
हालांकि, आपको लंबे समय तक गर्दन का ब्रेस या कॉलर नहीं पहनना चाहिए क्योंकि इससे आपकी मांसपेशियां कमजोर हो सकती है।

इन घरेलू उपाए से सर्वाइकल पेन का होगा खत्म-

सोने का तरीका: 

अधिकतर लोग मुलायम और ऊंचे तकिये का इस्तेमाल करते हैं| इसके साथ ही लोग नरम बिस्तर का इस्तेमाल करते हैं| ये दोनों ही चीज़ेंसर्वाइकल पेन का कारण बन सकती हैं| बेहतर होगा कि ऊंची तकिया का त्याग कर दें और सख्त गद्दे पर सोने कि आदत डाल लें|
सर्वाइकल पेन से बचने के लिए पेट के बल न सोएँ, पीठ के बल करवट कर सोएँ, पेट के बल सोने से ये आपकी गर्दन को फैलाता है| कोशिश करें कि ज़मीन के तल पर अपना सर रखकर सोएँ या फिर ऐसे तकिये का प्रयोग करें जो आपकी पीठ को 15 डिग्री तक मोड़ दे|
ऐसा करने से जिन्हें सर्वाइकल पेन है उन्हें दर्द से राहत मिलेगी और जिन्हें सर्वाइकल पेन नहीं है वो इससे बचे रहेंगें >सर्वाइकल पेन को कम करने के लिए आप अपनी गर्दन पर ठंडे या गरम पदार्थ को लेकर अच्छे से सिंकाई कर सकते हैं| किसी एक पदार्थ से सिंकाई करने से अच्छा है कि बारी-बारी ठंडे और गरम पदार्थ का प्रयोग करें|

मसाज: कोई भी तेललें और उसे मसाज के लिए इस्तेमाल करें, मसाज करने से सर्वाइकल पेन में बहुत रिलीफ़ मिलता है| इसके साथ ही अगर आपको शरीर में कहीं भी और दर्द हो रहा हो तो आप वहाँ भी तेल से मसाज कर सकते हैं|

पानी पियें:

अक्सर आपने सुना होगा की कम पानी पीने से भी बहुत सी दिक्कतें हो सकती हैं| इसलिए रोजाना जितनी ज़रूरत हो उतनी मात्रा में पानी पीना ज़रूरी है| हमारे शरीर में होने वाले ज़्यादातर काम में पानी, एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|
 हमारे जोड़ों और रीढ़ की हड्डी के बीच में जो डिस्क और जाइंट होते हैं उनमें भी ज़्यादातर हिस्सा पानी का ही होता है| अगर आप रोजाना कम पानी पीते हैं तो इससे आपके शरीर की कार्य क्षमता में कमी हो सकती है| इसलिए जितना हो सके आपको रोजाना खूब पानी पीना चाहिए|

 ये सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा पर सर्वाइकल पेन का कारण स्ट्रैस भी हो सकता है| तनाव के कारण सर्वाइकल पेन होना लगभग 60% मामलों में देखा गया है|
इसलिए ज़रूरी है की अगर आपको स्ट्रैस हो तो आप उसे कम करने के लिए कुछ ज़रूरी चीजों पर ध्यान दे जैसे की सही आहार, एक्सॅसाइज़, मेडिटेशन, सपोर्ट, डांस हर एक चीज़ जो आपके तनाव को कम करने में सहायक है उसे आपने दिनचर्या में शामिल करें|

स्ट्रेच एक्सरसाइज: 

 अच्छे खान-पान के साथ शरीर को छोटी-छोटी स्ट्रेच एक्सरसाइज के साथ लचीला भी बनाएँ रखें ऐसा करने से सर्वाइकल पेन में भी आराम मिलता है| इसके साथ ही अगर आप रोजाना थोड़ी बहुत स्ट्रेच एक्सरसाइज करते हैं तो यह आपको किसी भी तरह के दर्द से बचाए रखता है|
इन ज़रूरी आदतों को आपने दिनचर्या में शामिल करें:
कोशिश करें की ज़्यादा वज़न वाला समान न उठाएँ|
योगा के कुछ आसन जैसे की मत्स्यासन, वज्रासन और चक्रासन ज़रूर करें इसके साथ ही गर्दन को गोल-गोल घूमने की एक्सरसाइज भी करें|
रोज़ सुबह सूर्योदय से पहले उठें और कम से कम 3 किलोमीटर तेज़-तेज़ पैदल चलें|
कोशिश करें की कोई भी काम करते वक़्त बहुत ज़्यादा देर तक उसी पॉस्चर में बैठना अवॉइड करें|
अगर आप घरेलू महिला हैं तो कोशिश करें की थोड़ी-थोड़ी देर के लिए काम के बीच आराम कर लें पर बहुत देर के लिए दिन के समय न सोएँ|
अगर आप सफाई पसंद हैं तो कोशिश करें की बैठ कर पोछा लगाएँ|

परहेज करें-

आपको कुछ चीजों से परहेज जरूर करना है। एैसे में आप अधिक तली हुई चीजों, तंबाकू, धूम्रपान आदि का सेवन ना करें। इसके अलावा आप ध्यान और योग जरूर करें। इस तरह से आप सर्वाइकल पेन से जल्द ही मुक्त हो जाओगे। 
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सालमपंजा के औषधीय उपयोग-salampanja

 



सालमपंजा' एक बहुत ही गुणकारी, बलवीर्यवर्द्धक, पौष्टिक और यौन शक्ति को बढ़ाकर नपुंसकता नष्ट करने वाली वनौषधि है।

यह बल बढ़ाने वाला, शीतवीर्य, भारी, स्निग्ध, तृप्तिदायक और मांस की वृद्धि करने वाला होता है। यह वात-पित्त का शमन करने वाला, रस में मधुर होता है।

विभिन्न भाषाओं में नाम : ,

संस्कृत- मुंजातक। हिन्दी- सालमपंजा। मराठी- सालम। गुजराती- सालम। तेलुगू- गोरू चेट्टु। इंग्लिश- सालेप। लैटिन- आर्किस लेटिफोलिया।

परिचय : 

सालम हिमालय और तिब्बत में 8 से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होता है। भारत में इसकी आवक ज्यादातर ईरान और अफगानिस्तान से होती है। सालमपंजा का उपयोग शारीरिक, बलवीर्य की वृद्धि के लिए, वाजीकारक नुस्खों में दीर्घकाल से होता आ रहा है।

यौन दौर्बल्य : 

सालमपंजा 100 ग्राम, बादाम की मिंगी 200 ग्राम, दोनों को खूब बारीक पीसकर मिला लें। इसका 10 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन कुनकुने मीठे दूध के साथ प्रातः खाली पेट और रात को सोने से पहले सेवन करने से.शरीर की कमजोरी और दुबलापन दूर होता है, यौनशक्ति में खूब वृद्धि होती है और धातु पुष्ट एवं गाढ़ी होती है। यह प्रयोग महिलाओं के लिए भी पुरुषों के समान ही लाभदायक, पौष्टिक और शक्तिप्रद है, अतः महिलाओं के
लिए भी सेवन योग्य है।

वात प्रकोप : 

 और पीपल (पिप्पली) दोनों का महीन चूर्ण मिलाकर आधा-आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम बकरी के कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से कफ व श्वास का प्रकोप शांत होता है। सांस फूलना, शरीर की कमजोरी, हाथ-पैर का दर्द, गैस और वात प्रकोप आदि ठीक होते हैं।

रतिवल्लभ चूर्ण : 

सालमपंजा, बहमन सफेद, बहमन लाल, सफेद मूसली, काली मूसली, बड़ा गोखरू सब 50-50 ग्राम। छोटी इलायची के दाने, गिलोय सत्व, दालचीनी और गावजवां के फूल-सब 25-25 ग्राम। मिश्री 125 ग्राम। सबको अलग-अलग खूब कूट-पीसकर महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
*सालम पंजा व विदारीकन्द को बराबर मात्रा मे पीस कर 5 ग्राम चूर्ण में पिसी मिसरी व घी मिला लें। इस चूर्ण को खाने के बाद इसके ऊपर से मीठा ग्रम दूध पीने से वृद्ध पुरुष की भी संभोग करने की क्षमता वापस लौट आती है।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ दो माह तक सेवन करने से यौन दौर्बल्य और यौनांग की शिथिलता एवं नपुंसकता दूर होती है। शरीर पुष्ट और बलवान बनता है।


चूर्ण : 

विन्दारीकन्द, सालमपंजा, असगन्ध, सफेद मूसली, बड़ा गोखरू, अकरकरा सब 50-50 ग्राम खूब महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से यौन शक्ति और स्तंभनशक्ति बढ़ती है। यह योग बना-बनाया इसी नाम से बाजार में मिलता है। .

शुक्रमेह :

 सालम पंजा, सफेद मूसली एवं काली मूसली तीनों 100-100 ग्राम लेकर कूट-पीसकर खूब बारीक चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें। प्रतिदिन आधा-आधा चम्मच सुबह और रात को सोने से पहले कुनकुने मीठे दूध.के साथ सेवन करने से शुक्रमेह, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, कामोत्तजना की कमी आदि दूर होकर यौनशक्ति की वृद्धि होती है।

प्रदर रोग : 

सलमपंजा, शतावरी, सफेद मूसली और असगन्ध सबका 50-50 ग्राम चूर्ण लेकर मिला लें। इस चूर्ण को एक-एक चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से पुराना श्वेतप्रदर और इसके कारण होने वाला कमर दर्द दूर होकर शरीर पुष्ट और निरोगी होता है।

जीर्ण अतिसार : 

सालमपंजा का खूब महीन चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह, दोपहर और शाम को छाछ के साथ सेवन करने से पुराना अतिसार रोग ठीक होता है। एक माह तक भोजन में सिर्फ दही-चावल का ही सेवन करना चाहिए। इस प्रयोग कोलाभ होने तक जारी रखने से आमवात, पुरानी पेचिश और संग्रहणी रोग में भी लाभ होता है
विशिष्ट परामर्श-






नपुंसकता एक ऐसी समस्या है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. किसी भी पुरुष के एक पिता बनने में असमर्थ होने को पुरुष बांझपन या नपुंसकता कहा जाता है।यह तब होता है जब कोई पुरुष संभोग के लिए पर्याप्त इरेक्शन प्राप्त नहीं कर पाता या उसे मजबूत नहीं रख पाता. दामोदर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र 
9826795656 द्वारा विकसित "नपुंसकता नाशक हर्बल औषधि" से सैंकड़ों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं। स्तंभन दोष दूर करने मे यह औषधि रामबाण सिद्ध होती है।

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प्राकृतिक चिकित्सा से रोगों का इलाज:prakritik chikitsa

 


प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत प्रकृति के पांच तत्वों के द्वारा इलाज किया जाता है और इस इलाज की पद्धति को बेहद असरदार भी माना जाता है। 

 प्राकृतिक चिकित्सा यानि प्रकृति में पाई जाने वाली चीजों से इलाज करने की पद्धति। यह उतनी ही पुरानी है जितनी की स्वयं प्रकृति। होम्योपैथी, एक्यूपंचर आदि इसी की शाखाएं मानी जाती हैं। इन चिकित्सा पद्धतियों में जल, मिट्टी, हवा, सूरज, भोजन आदि का प्रयोग बीमारियों को जड़ से मिटाने का प्रयास किया जाता है। आइए जानें इस पद्धति में मशहूर थैरेपी।

मड थेरेपी

   प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार मिट्टी में पृथ्वी तत्व पाया जाता है जिसकी सहायता से शरीर जीवंत और ऊर्जावान बना रहता है। इसके लिए एकदम साफ, रसायन रहित और जमीन से कम से कम दो से चार फीट नीचे से निकाली गई मिट्टी इस्तेमाल में ली जाती है।

जल चिकित्सा

   पानी को खुद में एक दवाई माना जाता है। वाटर थैरेपी या जल चिकित्सा का जापान में काफी इस्तेमाल होता है। इस थेरेपी के अन्तर्गत रोग के इलाज के लिए गर्म टावल से शरीर को ढ़ंकना, हॉट बाथ, स्टीम बाथ आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसके प्रयोग से पेट में होने वाली समस्याओं, बुखार, तनाव आदि का सफल इलाज किया जा सकता है।
   अनिद्रा या तनाव के रोगियों के लिए जल चिकित्सा के अंतर्गत सोने से पहले नहाने की सलाह दी जाती है। सूर्य चिकित्सा या सूर्य की किरणों से की जाने वाली चिकित्सा                               

  सूर्य चिकित्सा के दौरान रोगों के इलाज के लिए सूरज की किरणों में पाए जाने वाले सात रंगों का प्रयोग किया जाता है। सूर्य चिकित्सा का सिद्धांत है कि अगर शरीर स्वस्थ है तो शरीर का प्राकृतिक रंग बरकरार रहेगा। लेकिन बीमार होने की सूरत में शरीर अपना रंग बदल लेता है। इसी के आधार पर सूर्य चिकित्सा के दौरान रोगियों का इलाज होता है।

वैसे भी यह सर्वमान्य है कि सूर्य की किरणों के प्रभाव से कई रोगों के जीवाणु स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं।

डाइट थैरेपी

  पेट से जुड़ी समस्याओं और मोटापे आदि में इस थैरेपी से लोगों को बहुत जल्दी फायदा पहुंचता है। प्राकृतिक चिकित्सा का मानना है कि मनुष्य के शरीर के बीमार होने का एक मूल कारण इसका गलत खान-पान भी है। पेट में जंक फूड या खराब खाने से विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं और अंत में जाकर यही किसी भी रोग का मुख्य कारण बनते हैं।
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19.3.22

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विभिन्न रोगों मे कलमी शोरा के के उपयोग

बवासीर -

*कलमी शोरा और रसोंत बराबर मात्रा में लेकर मूली के रस में पीस लें,यह पेस्ट बवासिर के मस्सो पर लगाने से
तुरंत राहत मिलती है।
*घोड़े के बाल से मस्से को काटकर  उस पर कलमी शोरा नींबू के रस मे मिलाकर लगाने से  मस्सा समाप्त हो जाता है| और घाव भी नहीं बनता है|

स्त्रियॉं मे सफ़ेद पानी जाना -

  आधा ग्राम कलमी शोरा और एक ग्राम का चौथा भाग  फिटकरी का चूर्ण दिन मे तीन बार पानी के साथ लेने से श्वेत प्रदर  काबू मे आ जाता है|

अगर उल्टी दस्त और पेशाब बंद हो जाये तो कलमी शोरा को पीसकर उसमे कपड़ा भिगोकर रोगी के पेडू(नाभि) पर रखने से पेशाब खुल कर आने लगता है|

पथरी मे-

कलमी शोरा, बड़ी इलायची के दाने, मलाई रहित ठंडा दूध व पानी। कलमी शोरा व बड़ी इलायची के दाने महीन पीसकर दोनों चूर्ण समान मात्रा में लाकर मिलाकर शीशी में भर लें।एक भाग दूध व एक भाग ठंडा पानी मिलाकर फेंट लें, इसकी मात्रा 300 एमएल होनी चाहिए। एक चम्मच चूर्ण फांककर यह फेंटा हुआ दूध पी लें। यह पहली खुराक हुई। दूसरी खुराक दोपहर में व तीसरी खुराक शाम को लें।दोदिन तक यह प्रयोग करने से पेशाब की जलन दूर होती है व मुँह के छाले व पित्त सुधरता है। शीतकाल में दूध में कुनकुना पानी मिलाएँ।
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