19.5.24

सौंफ के फायदे जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे sonf ke fayde







 सौंफ वनस्पति  जगत का  एक खास सुगंध वाला पौधा है, जिसका इस्तेमाल विशेष रूप से चाय व अन्य कई मीठे पकवानों की सुगंध बढ़ाने के लिए किया जाता है। सौंफ में अनेक प्रकार के स्वास्थ्यवर्धक गुण भी पाए जाते हैं और इसलिए कई समस्याओं के इलाज के लिए इसे एक घरेलू उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में हजारों सालों से सौंफ का इस्तेमाल अलग-अलग दवाएं बनाने के लिए किया जाता है। यह दुनियाभर के सभी हिस्सों में एक मसाले के रूप में भी प्रचलित है। सौंफ़ के औषधीय के साथ-साथ  पकवान बनाने मे भी उपयोग  मे आता हैं। यह अद्भुत स्वाद प्रदान करता है और अक्सर भारतीय खाना पकाने में उपयोग किया जाता है।

सौंफ खाने के फायदे

मुंह की बदबू दूर करने मेंः

सौंफ को माउथ फ्रेशनर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. आपको बता दें की सौंफ खाने से मुंह की बदबू को दूर किया जा सकता है. जिन लोगों को मुंह से बदबू आने की समस्या है, उन्हें सौंफ को रोज दिन में 3-4 बार चबाचबा कर खाना चाहिए. इससे उनके मुंह की बदबू दूर हो सकती है.

आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगारः

सौंफ में विटामिन ए के गुण पाए जाते हैं जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में भी मदद कर सकते हैं. सौंफ आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ-साथ आंखों की जलन को भी कम करने में भी मदद कर सकती है.

सूजन कम करे

सौंफ में कोलाइन (Choline) नामक एक बेहद महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाया जाता है, जो लंबे समय से हो रही सूजन व लालिमा को कम करने में मदद करता है। जिन लो
गों को त्वचा या जोड़ों में सूजन की समस्याएं हैं उनके लिए सौंफ का सेवन काफी लाभदायक हो सकता है।

कोलिक में लाभ

कुछ रिसर्च बताती हैं कि स्तनपान करने वाले जिन शिशुओं को कोलिक का दर्द हो रहा है उनके लिए सौंफ का सेवन लाभदायक हो सकता है। सौंफ में मौजूद तत्व कोलिक के दर्द को कम करने में मदद करते हैं, जिससे बच्चे को राहत मिल पाती है। हालांकि, आपको कितनी मात्रा में सौंफ देना है या बच्चों के डॉक्टर से पूछ लें।

अनियमित पीरियड्स में मददगारः

सौंफ में विटामिन, आयरन और पोटैशियम के गुण पाए जाते हैं. जो अनियमित पीरियड्स को नियमित बनाने में मदद कर सकता है. इसके सेवन से पीरियड में भी होने वाले दर्द से राहत मिलती है.

हड्डियों को मजबूत बनाए

सौंफ में मौजूद विटामिन और मिनरल हड्डियों का निर्माण करने और उन्हें शक्ति देने में मदद करते हैं। सौंफ में मौजूद पोटेशियम हड्डियों को संरचना प्रदान करता है। हड्डियों में मौजूद विटामिन के हड्डियां टूटने के खतरे को कम करता है।

उच्च रक्तचाप कम करे

सौंफ में मौजूद पोटैशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है. यह ब्लड वेसल्स को आराम देता है. साथ ही ब्लड फ्लो को बेहतर बनाता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार सौंफ चबाने से सलाइवा में पाचक एंजाइम की मात्रा बढ़ जाती है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करती है. ब्लड प्रेशर के मरीजों को सौंफ का सेवन करना फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके अलावा इसे चबाने से लार में नाइट्राइट की मात्रा बढ़ जाती है, जो ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रित रखने में सहायक होती है.
सौंफ के फायदे विडिओ मे देखें 




हृदय को स्वस्थ रखे

सौंफ में पोटेशियम, फोलेट, विटामिन सी, विटामिन बी-6 और फाइटोन्यूट्रिएंट्स आदि पाए जाते हैं, जो एलडीएल को कम करने के साथ-साथ दिल को भी स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। सौंफ में काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो रक्त में कोलेस्टेरॉल की कुल मात्रा को कम करता है और परिणामस्वरूप हृदय स्वस्थ रहता है।

स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए फायदेमंद

सौंफ स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए गुणकारी होता है. यह दूध उत्पादन को बढ़ाने में मददगार साबित होता है.

पेट दर्द कम करने में मदददगारः

पेट में दर्द होने पर भी सौंफ का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है. इसका सेवन अपच, सूजन को कम करने और पाचन को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं.

मोटापा कम करने में मददगारः

सौंफ का पानी बढ़ते वजन को कंट्रोल करने में मददगार साबित होता है. यह भूख को नियंत्रित करने और बॉडी में जमे वसा को कम करता है. इसका सेवन करने से जल्दी भूख नहीं लगती है, जिससे ओवर ईटिंग से बचा जा सकता है. इससे मोटापे की समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है. रोजाना सुबह खाली पेट सौंफ के पानी का सेवन करना भी सेहत के लिए गुणकारी होता है.

रात में भिगोकर रखें सौंफ

रात में पीसी हुई सौंफ (मोटी) या कुछ दाने पानी में भिगोकर रखें (आधा चम्मच)। सुबह खाली पेट इस पानी को पीना है। अगर दाने हैं तो उसे चबाकर खा लें। इससे जल्दी वजन घटाने में मदद मिलती है। पाचन क्रिया बेहतर होती है। पेट में एसिडिटी नहीं बनती। इसके अलावा पेट की गैस, खट्टी डकार आना तथा खाना पचने में होने वाली समास्याओं से निजात मिलती है।

आयुर्वेद के अनुसार , 

औषधि के रूप में सौंफ का उपयोग तीनों त्रिदोष ( वात , पित्त और कफ ) को कम करता है। इसका स्वाद मीठा, कसैला और कड़वा होता है। सौंफ का शरीर पर ठंडा प्रभाव पड़ता है। इसकी पत्तियों का स्वाद मुंह में मीठा, लकड़ी जैसा होता है। आयुर्वेद सौंफ को न पकाने की सलाह देता है। चूंकि पकाने से इसके गुण नष्ट हो जाते हैं इसलिए इसकी जगह खड़ी सौंफ खानी चाहिए। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।

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सेहत का खजाना करेला: मधुमेह, वजन कम करने और सेहत के लिए


                सेहत का खजाना करेला: मधुमेह, वजन कम करने और सेहत के लिए


मित्रों ,घरेलू आयुर्वेद के विडिओ प्रस्तुत करने की शृंखला म आज टॉपिक है " सेहत का खजाना करेला: मधुमेह, वजन कम करने और सेहत के लिए"
करेला (Bitter gourd)एक औषधीय पौधा है. इसके फल और पत्तियों में विशेष गुण होते है जिस वजह से यह बहुत से रोगों में प्रभावी ढंग से काम करता है. आयुर्वेद में इसे मधुमेह, पाइल्स, , कब्ज, अनियमित मासिक धर्म, आंत्र परजीवी में, कान दर्द में. , गठिया, रक्त शोधन के रूप में कई स्थितियों में इस्तेमाल किया जाता है| 

डायबिटीज या मधुमेह

 डायबिटीज या मधुमेह मे करेला बहुत उपयोगी है. 

उपयोग के तरीके- 

1. करीब छह चम्मच कटी करेले की पत्तियों और दो गिलास पानी लें. पत्तियों को लगभग 15 मिनट के लिए पानी मे उबालें. उबलते समय ढके नही.

इसे ठंडा होने दें और छान लें. इसे तीन खुराक में बाट लें और एक दिन में तीन बार सेवन करें।

2. करेले को धूप मे सूखा लें और पूरी तरह से सूख जाने पर पीस कर पाउडर बना ले. इस पाउडर को ३-६ ग्राम की मात्रा मे दो से तीन बार पानी के साथ लें.

3. रोज़ करेले का जूस 10-15 मिलीलीटर पीना भी शुगर लेवेल को नियंत्रित रखता है.

नियमित सेवन से टाइप 2 डाइयबिटीस में शुगर लेवेल नियंत्रित रहता है.

                                              वजन घटाने के लिए करेले के फायदे 



वजन कम करने में ऐसे मदद करता है करेला

इन्सुलिन को करता है ऐक्टिव

करेले का जूस इन्सुलिन को ऐक्टिव करता है जिससे शरीर में बनने वाली शुगर फैट का रूप नहीं ले पाती। इससे चर्बी कम करने और फैट कंट्रोल करने में मदद मिलती है।

करेले में होती हैं कम कैलरीज

करेले में कैलरीज, फैट और कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा कम होती है। आपको जानकर शायद हैरानी हो कि 100 ग्राम करेले में सिर्फ 34 कैलरीज होती हैं। ऐसे में आपको करेले के जूस से कैलरी काउंट मेनटेन रखने और फैट कंट्रोल करने में मदद मिलेगी।
करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम होने लगता है 

खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है करेला -






  अगर शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल जमा हो गया है, तो रोजाना करेले का जूस पिएं। करेले का सेवन करने से खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है। इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी कम होता है।

करेले की चाय

करेले की चाय आपके लीवर को डिटॉक्स करने में मदद कर सकती है. आंतों की सफाई कर सकती है और अपच की समस्या भी दूर होती है. इसके अलावा करेले की चाय से इम्यूनिटी बूस्ट करती है. करेले में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा है, जो संक्रमण से लड़ने में आपकी मदद कर सकता है, आंखों की रोशनी के लिए भी करेले की चाय बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकती है, इसमें विटामिन ए की मौजूदगी होती है और विटामिन ए बीटा कैरोटीन का काफी अच्छा स्रोत होता है, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है

करेले की चाय कैसे बनाएं

करेले की चाय बनाने के लिए सबसे पहले करेले के  स्लाइस काट लीजिए. अब इसे एक कप पानी में डालकर अच्छी तरह से उबाल लें. इसके बाद इसे छान लें. अब इसमें शहद डालकर सेवन करें.


त्वचा के लिए फायदेमंद करेला -



करेला आपकी त्वचा को ना केवल 10 साल तक जवां बना सकता है बल्कि चेहरे की चमक के साथ ही बालों की ग्रोथ और शाइन को बढ़ाने में किसी जादुई टॉनिक की तरह काम करता है। नियमित रूप से करेला खाने से आपका सौंदर्य कई गुना बढ़ सकता है।
   करेला का इस्तेमाल क्लींजर की तरह कर सकते हैं. इसके लिए एक चम्मच करेले के जूस में 2 चम्मच संतरे का रस मिलाएं. इन दोनों चीजों को मिलाकर रूई की मदद से चेहरे पर लगाएं. जब ये मिश्रण सूख जाएं तो पानी से धो लें. आप त्वचा की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए रोजाना करेले के जूस का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है.  

करेला खून साफ करता है 


करेला रक्त शोधक के रूप में जाना जाता है। इसमें मौजूद रोगाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण रक्त को शुद्ध करने में मदद करते हैं, जिससे त्वचा संबंधी समस्याएं और रक्त विकार दूर होते हैं।

करेला खाने के अन्य फायदे : 

कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।
करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के लिए फायदेमंद है।
लकवे के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद होता है। इसलिए लकवे के मरीज को कच्चा करेला खाना चाहिए।
उल्टी-दस्त या हैजा होने पर करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।
लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है।
पीलिया के मरीजों के लिए करेला बहुत फायदेमंद है। पीलिया के मरीजों को पानी में करेला पीसकर खाना चाहिए।
गठिया रोग होने पर या हाथ-पैर में जलन होने पर करेले के रस से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया के रोगी को फायदा होगा।
दमा होने पर बिना मसाले की करेले की सब्जी खाना चाहिए। इससे दमा रोग में फायदा होगा।
उल्टी, दस्त और हैजा होने पर करेले के रस में थोडा पानी और काला नमक डालकर पीने से फायदा होता है।
करेले को कई प्रकार से खाया जा सकता है। यदि इसका जूस पिया जाए तो यह कई रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

करेला कौन नहीं खा सकता है?

जिगर और गुर्दे की बीमारी वाले लोग : करेला में मौजूद फाइबर इसे पचाने में मुश्किल बनाता है, यह सूजन भी पैदा कर सकता है, इसलिए जिगर और गुर्दे की बीमारी वाले लोगों को इस फल को खाने से बचना चाहिए।
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गर्मियों में खरबूजा का जादू: फायदे और सावधानियाँ"

           गर्मियों में खरबूजा का जादू: फायदे और सावधानियाँ

   
मित्रों "फल और सेहत "विषय पर विडिओ प्रस्तुत करने की शृंखला मे आज खरबूजा फल खाने के फायदे और नुकसान पर चर्चा कर रहे हैं

   गर्मियों में शरीर को पानी की बहुत आवश्यकता होती है. यही कारण है कि इस मौसम में ऐसे फल और सब्जियों की डिमांड बढ़ जाती है, जो पोषण से भरपूर होते हैं और जिनमें पानी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इस मौसम में पानी से भरपूर फल जैसे तरबूज, खरबूजा, खीरा, ककड़ी आदि का सेवन जरूर करना चाहिए, क्योंकि ये शरीर को अंदर से ठंडा रखने के साथ ही पानी की कमी नहीं होने देते हैं.
   रसदार फलों में खरबूजा का नाम प्रमुखता से लिया जाता है.  इसकी ठंडी तासीर और रस से भरा मीठा स्वाद इसे गर्मियों में खाए जाने वाले फलों में विशेष स्थान दिलाता है. रस से भरा होने के कारण ये गर्मी में शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है. इसमें विटामिन ए, विटामिन बी-6 के साथ-साथ आहार फाइबर और फोलिक एसिड जैसे खनिजों का भी एक अच्छा स्रोत है. आकार में गोल या आयताकार लगने वाला खरबूजा हल्के पीले रंग से लेकर नारंगी रंग में होता है.

खरबूजा के नुकसान और फायदे  की चर्चा करते हैं 

खरबूजे के फायदे 


 दिल को रखे स्वस्थ

खरबूजे में मौजूद पोटेशियम की हेल्दी मात्रा ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करती है और हाइपरटेंशन की समस्या को रोकती है। यह दिल की बीमारियों के खतरे को भी कम करता है। खरबूजे में एडेनोसिन होता है जो कि खून को पतला करने के लिए जाना जाता है। इससे शरीर में खून के थक्के नहीं जमता .

आँखों की रोशनी  के लिए 

खरबूजे में एंटीऑक्सिडेंट बीटा-कैरोटीन होते हैं जो इन्हें इनका ब्राइट कलर देते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स आई हेल्थ में सुधार करने में मदद करते हैं। इसके अलाा, खरबूजों में Zeaxanthin होता है जो विशेष रूप से आंखों की रोशनी के लिए अच्छा माना जाता है और उम्र बढ़ने के साथ होने वाली विज़न प्रॉब्लम को रोकता है।

शरीर को हाइड्रेट करता है 

खरबूजे में पानी की अधिक मात्रा होती है। इसके कारण यह गर्मियों में सबसे अधिक पसंद किए जाने वाले फलों में से एक है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इस फल का 90 प्रतिशत केवल पानी ही है। यह आपके शरीर को चिलचिलाती गर्मियों में हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है और शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाता है।

अनिद्रा मे मे लाभकारी

खरबूजे में प्रभावी लैक्सेटिव गुण होते हैं। यह एक विशेष कम्पाउंड है जो एंगजायटी को शांत करता है। खरबूजा नर्वस सिस्टम को भी शांत करने में मदद करता है और आपको स्लीप डिसऑर्डर से छुटकारा दिलाता है

मासिक धर्म के दौरान

खरबूजे का लाभ मासिक धर्म चक्र के दौरान भी महिलाओं के लिए उपयोगी होता है. जाहिर है पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पेट दर्द या ऐंठन से जूझने वाली महिलाएं खरबूजे की सहायता से अपनी परेशानी कम कर सकते हैं

बालों के लिए लाभदायक

बालों का झड़ना आज आम समस्या बन चूका है. यदि आप भी इस तरह की समस्या से परेशान हैं तो आपको खरबूजा से लाभ मिल सकता है. दरअसल इसमें पाया जाने वाला विटामिन बी बालों को झड़ने से तो रोकता ही है इसके साथ ही बालों का विकास भी करता है. खरबूजे का पेस्ट बनाकर इसे 10 मिनट तक बालों में लगाने से एक अच्छा हेयर कंडिशनर का भी काम करता है

आँखों के लिए

खरबूजा में पाया जाने वाला बीटा कैरोटीन, स्वस्थ दृष्टि को बनाए रखने में सहायक होता है. जब आप खरबूजे के द्वारा बीटा बीटा कैरोटीन लेते हैं तो ये विटामिन ए में परिवर्तित हो जाता है. जो कि मोतियाबिंद को रोकने और दृष्टि में सुधार करने में काफी उपयोगी है

तनाव से राहत में

खरबूजा, पोटेशियम से भरपूर होता है. इसमें मौजूद पोटेशियम मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है. इसके आलावा इसमें सुपरऑक्सइड डिसूटासेज भी होता है जो रक्तचाप को कम करके तंत्रिकाओं को राहत देता है और ये तनाव से लड़ते हैं.

पाचन तंत्र के लिए

खरबूजे का सेवन हमारे पाचन तंत्र के लिए भी काफी अच्छा साबित होता है. दरअसल ये हमारे पाचनतंत्र को स्वस्थ रखने वाली आँतों को सुचारू रूप से काम करने में मददगार है. इसके अलावा ये कोलेरेक्टल कैंसर के खतरे को भी काफी हद तक कम करता हैजब फलों को पचाने की बात आती है तो तरबूज़ सबसे तेज़ होते हैं, क्योंकि इन्हें आपके पेट से निकलने में केवल 20 मिनट लगते हैं। इसके चचेरे भाई, खरबूजे, साथ ही संतरे, अंगूर, केले और अंगूर, लगभग 30 मिनट में आपका पेट छोड़ देंगे।< /span>

ब्लड प्रेशर को रखे कंट्रोल

उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को अपने आहार में खरबूजे को शामिल करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह पोटैशियम युक्त फल रक्त वाहिकाओं को आराम पहुंचाता है, जिससे रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होता है. पोटैशियम एक वैसोडिलेटर की तरह काम करता है, जो रक्तचाप को नियंत्रित रखता है, इसलिए इसे खाने की सलाह दी जाती है. गर्मियों में खरबूजा का सेवन करने से शरीर हाइड्रेट रहता है.

मधुमेह के लिए उपयोगी

खरबूजे का अर्क गुर्दे की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है. इसलिए इसे “आक्सीविकिन” के रूप में जाना जाता है. इसके अलावा, खरबूजे में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स है. फ्रैंटोज और ग्लूकोस एक नॅचुरल शुगर है जो खरबूजे में पाई जाती है

कब्‍ज में फायदेमंद:

खरबूजे का सेवन कब्ज में फायदेमंद होता है. खरबूजे में भरपूर मात्रा में पानी और फाइबर पाया जाता है, जिससे डायजेशन अच्‍छा होता है और कब्‍ज की समस्‍या दूर रहती है.

वजन कम करने में सहायक:

खरबूजे में भरपूर मात्रा में पानी और फाइबर पाया जाता है, जो शरीर को हाइड्रेट रखता है. खरबूजा वजन कम करने में भी सहायक होता है.

गठिया के उपचार में

खरबूजा में सूजन को कम करने का गुण मौजूद होता है. इसलिए इसकी उचित खुराक आपको गठिया से जुड़े दर्द और असुविधा से छुटकारा दिला सकती है. इस प्रकार ये गठिया से आपको बचाने में भी मददगार साबित होते हैं

लीवर की रक्षा

खरबूजे का रस तुरंत ऊर्जा देने, शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को निकालने और अपने बल्य  (टॉनिक) और मूत्रल  (मूत्रवर्धक) गुणों के कारण लीवर की रक्षा करने में मदद करता है। गर्मियों के दौरान खरबूजे का रस भी एक अच्छा स्वास्थ्य पेय है क्योंकि यह शरीर की गर्मी को कम करने में मदद करता है और इसकी तासीर ठंडी  होती है 

खरबूजा के नुकसान

सुबह खाली पेट खरबूजे का सेवन नहीं करना चाहिए.
गर्म प्रकृति वालो को खरबूजे के अधिक सेवन से सूजन हो सकती है
कुछ लोगों को खरबूजे के सेवन से एलर्जी हो सकती है.
खरबूजा खाने के तुरंत बाद पानी पीने  से हैजा होने की आशंका रहती है.
खरबूजा खाने के बाद दूध पीना आपको बीमार कर सकता है। दरअसल, ये कुछ उन फूड कॉम्बिनेशन में से है जिनका सेवन न सिर्फ पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है बल्कि ये आपके शरीर के लिए जहर साबित हो सकता है।
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15.4.24

कम सुनने के कारण और घरेलू उपचार: Deafness home remedies


           

                                        
          
                                      
  ब
हुत बार ऐसा होता है कि टीवी का वॉल्यूम बहुत तेज होने पर भी बहुत कम सुनाई देता है। इसके अलावा कई बार जब तक कोई चिल्लाकर आपसे कोई बात न कहे आपको कुछ भी सुनाई नहीं देता। अगर आपके साथ भी ऐसा अक्सर होता है तो यह इसे गंभीरता से लेने का समय है। आमतौर पर बहरेपन की समस्या तब होती है जब कान के अंदर के महीन सैल्‍स डैमेज होने लगते हैं।
  सभी ज्ञानेंद्रियों में एक महत्वपूर्ण ज्ञानेंद्री हमारे कान हैं, जिनसे हम सुनकर उन आवाजों को अपने मस्तिष्क तक पहुंचाते हैं. इसके बाद ही हमारा मस्तिष्क प्रतिक्रिया देता है. कई लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें कान से सुनाई ना देने या कम सुनाई देने की समस्याएं होती हैं. ऐसी समस्या या तो बचपन से ही होती है या बढ़ती उम्र में कई बार लापरवाही के कारण भी होती है.  कम सुनने  के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे तेज आवाज या शोर, चोट, बुढ़ापा, वंशानुगत और संक्रमण.

उम्र बढ़ने के साथ बहरापन

बढ़ती उम्र के साथ-साथ अधिकतर लोगों की श्रवण शक्ति कमजोर होने लगती है. कई लोगों को उम्र बढ़ने के साथ बहरेपन की समस्या आनुवंशिक भी होती है.

बीमारियों के कारण बहरापन

कई लोगों को सुनाई कम देने की समस्या उनकी बीमारियों की वजह से भी हो सकती है, जैसे डायबिटीज, खसरा या कंठमाला आदि की बीमारी है. ऐसे लोगों की श्रवण शक्ति कमजोर हो सकती है.

कान में संक्रमण भी बहरेपन का कारण

कुछ लोगों को बहरेपन की समस्या कान में संक्रमण के कारण भी होती है. कान से पानी आता है या कई लोग कान की सफाई के लिए किसी चीज का इस्तेमाल करते हैं जिस वजह से कान के पर्दे में सूजन आ जाती है. इसके किसी प्रकार की चोट की वजह से भी कान में संक्रमण फैल जाता है. इन सभी कारणों से कम सुनाई देने की समस्या शुरू हो जाती है. लेकिन काफी हद तक उपचार द्वारा इस समस्या को ठीक भी किया जा सकता है.


इन कारणों से भी आता है बहरापन

बहरेपन के और भी कई कारण हो सकते हैं, 

जैसे आजकल लोग तेज आवाज में गाने सुनते हैं और ध्वनि प्रदूषण आज बहुत ज्यादा बढ़ गया है इस वजह से भी श्रवण शक्ति कमजोर हो जाती है या बहरापन होने की समस्या शुरू हो जाती है.
 विशेषज्ञों के मुताबिक यदि कान का ख्याल नहीं रखा जाए तो कान की 30 फीसदी कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं, जिसका दोबारा निर्मित होना लगभग असंभव है.
आपको कानों को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के ल‍िए व‍िटाम‍िन बी12 का सेवन करना चाह‍िए। इसके अलावा आपको पोटैश‍ियम, मैग्‍न‍िश‍ियम का सेवन करना चाह‍िए। कानों की सेहत को अच्‍छा रखने के ल‍िए आपको आयरन र‍िच डाइट का सेवन करना चाह‍िए।


कम सुनने पर करें ये घरेलू उपचार 

क्या अदरक सुनने में मदद कर सकती है?

अपने एंटीबायोटिक और एंटीवायरल घटकों के साथ, अदरक संक्रमण को रोकने में मदद करता है  यह जड़ी बूटी मस्तिष्क तक ध्वनि संचरण तरंगों को सुविधाजनक बनाने वाली नसों को सक्रिय और नियंत्रित करती है।

नमक से इलाज 

कान के इंफेक्शन के घरेलू उपचार में टेबल सॉल्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आप एक कप नमक को गर्म करें और उसे एक कपड़े पर रखकर पोटली बना लें। अब आप इस टुकड़े को कान के संक्रमित हिस्से पर 5 से 10 मिनट तक रखें और आप महसूस करेंगे कि दर्द दूर हो रहा है। इस प्रक्रिया को आप अपनी आवश्यकता के अनुसार दोहरा सकते हैं।

सेब का सिरका


मैग्नीशियम, पोटेशियम, जिंक और मैंगनीज से युक्त सेब का सिरका आपके शरीर में उन खनिज की कमी को पूरा कर सकता है जो सुनने से जुड़ा है। अगर बहुत अधिक शोर के कारण आपकी सुनने की क्षमता प्रभावित हुई है तो ऐसे में आप सेब के सिरके का इस्तेमाल कर सकते हैं।

 तुलसी का रस:

यह कान के संक्रमण और दर्द को ठीक करने में मदद कर सकता है और बहरापन को भी कम कर सकता है,

सुनने की शक्ति बढ़ाने के लिए क्या खाएं?

सुनने की शक्ति बढ़ाने के लिए, आप अपने आहार में कुछ विशेष खाद्य पदार्थों को शामिल कर सकते हैं, जो आपके कानों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें शामिल हैं:

ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ: मछली, अलसी, अखरोट, और चिया बीज.

विटामिन A, C, और E युक्त खाद्य पदार्थ: गाजर, पालक, खट्टे फल, और मछली.

जिंक युक्त खाद्य पदार्थ: बीन्स, मटर, और बादाम.

कैरोटीन युक्त खाद्य पदार्थ: गाजर, शकरकंद, और कद्दू.

विटामिन B12 युक्त खाद्य पदार्थ: मांस, मछली, और अंडे.

पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थ: केला.

फोलेट युक्त खाद्य पदार्थ: शिमला मिर्च, और अंडे.

आयरन युक्त खाद्य पदार्थ: पालक.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करना सिर्फ सुनने की शक्ति बढ़ाने का एक तरीका है। अपने कानों के स्वास्थ्य के लिए, आपको तेज आवाज से बचना चाहिए, नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए, और स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए

बंद कान खोलने के लिए कौन से घरेलू उपाय हैं?

अगर आपके कान बंद हैं, तो अपनी यूस्टेशियन ट्यूब खोलने के लिए निगलने, जम्हाई लेने या शुगर-फ्री गम चबाने की कोशिश करें। अगर यह काम नहीं करता है, तो गहरी सांस लें और अपनी नाक को बंद करते हुए और अपना मुंह बंद रखते हुए धीरे से अपनी नाक से हवा बाहर निकालने की कोशिश करें।

कानों को साफ रखें

कई बार कानों में अत्यधिक मैल जमा होने के कारण बहरापन या कम सुनाई देने के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। कानों को खुद से न साफ करें। डॉक्टर कानों के अंदर कुछ लिक्विड डालते हैं जिससे कानों की मैल नर्म हो जाती है, जिसे ख़ास उपकरण की मदद से निकाला जा सकता है।

टिनिटस की समस्या

कान में दबाव के कारण होने वाली टिनिटस की समस्या को अदरक से कम किया जा सकता है।

इस विडिओ मे दी  गई जानकारी का उपयोग करने से पहिले किसी चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श  करलें | इसी प्रकार के घरेलु आयुर्वेद  के विडियो देखने के लिए हमारे channel  को subscribe कीजिये धन्यवाद,आभार  
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13.4.24

लाजवंती छुई मुई: सेहत के लिए प्राकृतिक वरदान, मधुमेह, बवासीर और स्तन ढीलापन के लिए रामबाण

                                    

                       लाजवंती  छुई मुई पौधा : सेहत के लिए प्राकृतिक वरदान
  
मित्रों, घरेलू आयुर्वेद से चिकित्सा के विडिओ प्रस्तुत करने के सिलसिले मे आज का टोपिक है  "लाजवंती  छुई मुई: सेहत के लिए प्राकृतिक वरदान, मधुमेह, बवासीर और स्तन ढीलापन के लिए रामबाण"
  लाजवंती (lajwanti ke fayde) का पौधा आपने अपने घरों के आस-पास लगा हुआ देखा होगा। असल में इस पौधे को एक हीलर के रूप में जाना जाता है और आयुर्वेद में इसका व्यापक इस्तेमाल है। न सिर्फ इससे कीड़े-मकोड़ों के काटने का इलाज होता है बल्कि ये मूत्रवर्धक है जो कि आपके यूरटेर  की सेहत को भी बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। साथ ही ये  दर्द निवारक   है जिस वजह से कई प्रकार से दर्द से छुटकारा पानी के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। 
लाजवंती प्रकृति से ठंडे तासीर की और कड़वी होती है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में लाजवंती के कई फायदे (lajwanti ke fayde) बताए गए हैं जिनमें कफ पित्त को दूर करना, पित्त (नाक-कान से खून बहना), दस्त, पित्त, सूजन, जलन, अल्सर, कुष्ठ तथा योनि रोगों से आराम दिलाना आदि शामिल हैं।
  आयुर्वेद में लाजवंती को औषधि माना जाता है। इसकी बड़ी खासियत यह है कि इसकी पत्तियों को छूने पर यह सिकुड़ जाती है और जब हाथ हटा लेते हैं तो यह पूर्व की अवस्था में आ जाती हैं।
कई शोधों में खुलासा हो चुका है कि लाजवंती डायबिटीज के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसकी पत्तियों और जड़ों के चूर्ण के सेवन से शुगर को कंट्रोल में रखा जा सकता है।
लाजवंती के पत्ते के इस्तेमाल से तनाव कम होने के साथ डायबिटीज की समस्या भी दूर होती है।

डायबिटीज में फायदेमंद





लाजवंती के पत्तियों से डायबिटीज को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। इसमें एंटी डायबिटीक गुण पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने के साथ डायबिटीज को कंट्रोल करते हैं। लाजवंती के पौधे के इस्तेमाल से शरीर में ग्लूकोज का लेवल भी कम होता है।

बवासीर के लिए फायदेमंद




लाजवंती के पौधे के सेवन से बवासीर की समस्या से राहत मिलती है। इसका इस्तेमाल करने के लिए इसके पत्तों को पीसकर गुदे पर इसको लगाने से बवासीर में होने वाले दर्द, सूजन और जलन दूर होती हैं।बवासीर की समस्या होने पर अक्सर शौच के दौरान रक्तस्राव होने लगता है, इस समस्या को खूनी बवासीर कहा जाता है. इस समस्या में लाजवंती का उपयोग आपके लिए फ़ायदेमंद हो सकता है. आयुर्वेद के अनुसार लाजवंती में कषाय रस होता है जो खूनी बवासीर में होने वाले रक्तस्राव को नियंत्रित करके बवासीर के लक्षणों को कम करता है.

तनाव करें कम


लाजवंती के पौधे के इस्तेमाल से महिलाओं में होने वाला तनाव कम होता है। इसके सेवन से याददाशत तेज होती है और मेमोरी में सुधार होता है। लाजवंती के पौधे के पत्तियों के अर्क में एंटी-एंजायइटी गुण मौजूद होते हैं। इसके सेवन से टेंशन भी कम होती है।

मूत्रल  है लाजवंती

लाजवंती की जड़ों को उबालकर और इसका पानी पीना आपके ब्लैडर फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करता   है। ये पहले तो आपके ब्लैडर को हाइड्रेट करता है और इसकी लाइनिंग को साफ कर देता है। इससे होता ये है कि जब आपको तेज की पेशाब आती है तो ब्लैडर की गंदगी पानी के साथ फ्लश ऑउट हो जाती है। 


स्तनों के ढीलेपन को करे ठीक लाजवंती का पौधा 



   अक्सर उम्र बढ़ने के साथ स्तनों के ढीलेपन की समस्या होने लगती है, लेकिन लाजवंती का उपयोग इस तरह से करने पर लाभ मिलता है। लज्जालू और अश्वगंधा की जड़ को पीसकर लेप करने से स्तन्य का ढीलापन कम होता है।

एंटी-अस्थमेटिक है


छुईमुई के पत्तों में एंटी-अस्थमेटिक प्रभाव होता है। ये अस्थमा से राहत दिलाने में मददगार है। अस्थमा को कंट्रोल करने में यह काफी कारगर तरीके से काम करती है। इसके लिए आपको इन पत्तियों को अपनी चाय में शामिल करना है और इसे अस्थमा में लेना है। ये एंटीएलर्जिक की तरह भी काम करेगी और अस्थमा को ट्रिगर से रोकेगी।
*लाजवंती के पत्ते ग्रन्थि (Grandular swelling), भगन्दर (fistula), गले का दर्द, क्षत (छोटे-मोटे कटने या छिलने पर), अल्सर, अर्श या पाइल्स तथा रक्तस्राव (ब्लीडिंग) में लाभप्रद होते हैं। इसका पञ्चाङ्ग मूत्राशय की पथरी, सूजन, आमवात या गठिया तथा पेशी के दर्द में लाभप्रद होता है।

लाजवंती का सेवन करने का तरीका

लाजवंती का सेवन करने के लिए इसकी पत्तियों का रस बनाकर पीया जा सकता है। इसके रस में शहद व काली मिर्च मिलाकर सेवन कर सकते हैं। इसकी जड़ का पेस्ट लगाने से घाव भी भरता है।

शरीर में एक्ने और दाने होने पर




अगर आपके शरीर में एक्ने और दाने की समस्या हो रही है तो आपको छुईमुई का सेवन करना चाहिए। छुईमुई की पत्तियों को खाने से ये खून साफ करती है और एक्ने और दाने को होने से रोकती है। इस तरह ये स्किन की तमाम समस्याओं में कारगर है।

स्ट्रेस कम करने में

स्ट्रेस कम करने में छुईमुई का सेवन काफी फायदेमंद है। इसका सेवन दिमाग को शांत करता है। साथ ही ये तनाव को कम करने में मददगार है। इसके अलावा ये मूड स्विंग्स को कंट्रोल करनेऔर दिमाग को ठंडा करता है, जिससे डिप्रेशन के लक्षणों से बचा जा सकता है। तो, इसके लिए आप इसके पत्तों और छाल के अर्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

लाजवंती की जड़ें घाव भर सकती हैं

लाजवंती में दो गुण हैं जो कि घाव को भरने में मदद कर सकती है। पहले तो ये दर्द को चूस लेती है और फिर घाव की क्लीनजिंग के साथ इसकी हीलिंग में मदद कर सकती है। ऐसे में आप लाजवंती का दो प्रकारों से इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसकी पत्तियों और जड़ों का लेप बनाकर अपने घाव पर लगा सकती हैं। दूसरा, आप लाजवंती के पानी से अपने घावों की सफाई कर सकते हैं।

पेट में इंफेक्शन होने पर





पेट में इंफेक्शन होने पर छुईमुई का सेवन काफी कारगर हो सकता है। ये एंटीबैक्टीरियल है जो कि पेट के कीड़ों या बैक्टीरिया को मार कर इंफेक्शन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके लिए सुबह खाली पेट छुईमुई की पत्तियों को पीस कर इसमें शहद में मिला कर लें। ये पेट के कीड़ों को मारने में मदद कर सकते हैं।
किसी भी नुस्खे का इस्तेमाल करने से पहिले आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह लेवे| यह विडिओ आपको कैसा लगा ? हमारे चैनल को सबस्क्राइब कर सेहत के लिए उपयोगी विडिओ देखते रहें| धन्यवाद आभार 

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12.4.24

ब्रूफेन 400 एमजी टैबलेट के मुख्य इस्तेमाल ,खुराक और दुष्प्रभाव

                                                  


                               


  

ब्रूफेन 400 एमजी विवरण

ब्रूफेन 400 टैबलेट में इबुप्रोफेन होता है क्योंकि इसकी ऐक्टिव घटक होती है। यह एक दर्द निवारक (एनाल्जेसिक) है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से विभिन्न दर्द और सूजन से राहत देने के लिए किया जाता है। इस प्रकार, यह दवा रूमेटॉइड गठिया, जोड़ों, पीठ, मांसपेशियों और सिरदर्द जैसी स्थितियों के इलाज में मददगार है। इसका इस्तेमाल डेंटल, पीरियड और सर्जरी के बाद के दर्द के इलाज के लिए भी किया जाता है।
ब्रूफेन 400 का इस्तेमाल बच्चों और बुजुर्गों में सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। इसका इस्तेमाल पेट के अल्सर, किडनी या लिवर या हृदय की समस्याओं वाले मरीजों में नहीं किया जाना चाहिए। इस दवा से कभी-कभी पेट में असुविधा और जलन हो सकती है।
डॉक्टर द्वारा निर्देशित ब्रूफेन 400 का इस्तेमाल करें, और इसे निर्धारित अवधि से अधिक समय तक न लें, क्योंकि इसमें ब्लीडिंग, लिवर के नुकसान और अल्सर का जोखिम होता है।
सर्दी-जुकाम और फ्लू के कई घरेलू उपचारों में ये तत्व आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं.
पेट की गड़बड़ी से बचने और साइड इफेक्ट कम करने के लिए आईबीयू 400mg टैबलेट को भोजन के साथ लिया जाना चाहिए. आमतौर पर, आपको कम से कम समय के लिए, अपने लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए, आवश्यक दवा की कम मात्रा का उपयोग करने की कोशिश करनी चाहिए. ज़रूरत पड़ने पर आपको इस दवा को नियमित रूप से लेना चाहिए.. कोशिश करें कि कोई भी खुराक न छूटे, अगर आप ऐसा करते हैं तो यह कम प्रभावी हो जाएगा.
यह दवा आमतौर पर बहुत ज्यादा फायदेमंद है, इससे कम या अधिक साइड इफेक्ट भी नही है. However, it may cause vomiting, stomach pain, nausea, and indigestion in some people. अगर इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट समय के साथ ठीक नहीं होते हैं या स्थिति अधिक खराब हो जाती है, तो आपको अपने डॉक्टर को बताना चाहिए. आपका डॉक्टर लक्षणों की रोकथाम या इन्हें कम करने के तरीके बता सकता है.
यह दवा व्यापक रूप से निर्धारित और सुरक्षित मानी जाती है लेकिन सभी के लिए उपयुक्त नहीं है. अगर आपको किडनी की समस्या, अस्थमा, ब्लड डिसऑर्डर या बहुत अधिक शराब पीते हैं, तो इसे लेने से पहले, आपको अपने डॉक्टर को बताना चाहिए. साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप सुरक्षित हैं, आपके द्वारा ली जाने वाली सभी दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर को बताएं. इस दवा को लेते हुए शराब पीने से बचना सबसे बेहतर है.

आईबीयू टैबलेट के मुख्य इस्तेमाल

दर्द निवारक

Treatment of Fever


आईबीयू टैबलेट के लाभ

दर्द से राहत

आईबीयू 400mg टैबलेट एक आम दर्द निवारक है जो दर्द को कम करने और दर्द का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह मस्तिष्क में उन केमिकल मैसेंजर को ब्लॉक करता है जो हमे बताते हैं कि हमें दर्द हो रहा है. यह सिरदर्द, माइग्रेन, तंत्रिका दर्द, दांत दर्द, गले में खराश, मासिक धर्म (दर्द), जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाने में प्रभावी है।.

In Treatment of Fever


आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल उच्च तापमान (बुखार) को कम करने के लिए भी किया जाता है. It works by blocking the release of certain chemical messengers that cause fever. यह अकेले या किसी अन्य दवा के साथ लिए जा सकता है. आपको इसे नियमित रूप से अपने डॉक्टर द्वारा सलाह के अनुसार लेना चाहिए.
अधिकतम फायदे के लिए इसे डॉक्टर के बताए दिशानिर्देश के अनुसार ही लें. जरूरत से ज्यादा खुराक या लंबे समय तक इसका सेवन ना करें क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है. आमतौर पर आपको सबसे कम पॉवर वाली डोज लेनी चाहिए जो थोड़े समय के लिए सही ढंग से असर करे.

आईबीयू टैबलेट के साइड इफेक्ट

इस दवा से होने वाले अधिकांश साइड इफेक्ट में डॉक्टर की सलाह लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती है और नियमित रूप से दवा का सेवन करने से साइट इफेक्ट अपने आप समाप्त हो जाते हैं. अगर साइड इफ़ेक्ट बने रहते हैं या लक्षण बिगड़ने लगते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लें
आईबीयू के सामान्य साइड इफेक्ट
उल्टी
मिचली आना
चक्कर आना
पेट में दर्द
कब्ज
पेट फूलना (गैस बनना)
डायरिया (दस्त)
डिस्पेप्सिया
सिर दर्द
थकान
रैश

आईबीयू टैबलेट का इस्तेमाल कैसे करें

इस दवा की खुराक और अनुपान की अवधि के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें. इसे साबुत निगल लें. इसे चबाएं, कुचलें या तोड़ें नहीं. आईबीयू 400mg टैबलेट को भोजन के साथ लेना बेहतर होता है.

आईबीयू टैबलेट किस प्रकार काम करता है

आईबीयू 400mg टैबलेट नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लामेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) नामक दवाओं के एक समूह से सम्बन्ध रखता है. यह कुछ विशेष रासायनिक संदेशवाहकों के स्राव को रोकती है जिनके कारण बुखार, दर्द व सूजन (लाल होना और सूजन) होती है.


सुरक्षा संबंधी सलाह
अल्कोहल
असुरक्षित
आईबीयू 400mg टैबलेट के साथ शराब पीना सुरक्षित नहीं है.

गर्भावस्था

डॉक्टर की सलाह लें

गर्भावस्था के दौरान आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल करना असुरक्षित हो सकता है.. हालांकि, इंसानों से जुड़े शोध सीमित हैं लेकिन जानवरों पर किए शोधों से पता चलता है कि ये विकसित हो रहे शिशु पर हानिकारक प्रभाव डालता है. आपके डॉक्टर पहले इससे होने वाले लाभ और संभावित जोखिमों की तुलना करेंगें और उसके बाद ही इसे लेने की सलाह देंगें. कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें.

Breast feeding

डॉक्टर की सलाह पर सुरक्षित

स्तनपान के दौरान आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल सुरक्षित है. अध्ययन से पता चला है की यह दवा ज्यादा मात्रा मैं ब्रेस्टमिल्क में नहीं जाती है और बच्चे के लिए हानिकारक नहीं है.
ड्राइविंग
सेफ
आईबीयू 400mg टैबलेट के सेवन से आपकी गाड़ी चलाने की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है.

किडनी

सावधान

किडनी की बीमारियों से पीड़ित मरीजों में आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल सावधानी के साथ किया जाना चाहिए. आईबीयू 400mg टैबलेट की खुराक में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है. कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें.
किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है. इस दवा का लंबे समय तक इस्तेमाल किडनी के कार्य को प्रभावित कर सकता है.

लिवर

सावधान

लिवर की बीमारियों से पीड़ित मरीजों में आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए. आईबीयू 400mg टैबलेट की खुराक में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है. कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें.
लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है.

अगर आप आईबीयू टैबलेट लेना भूल जाएं तो?

अगर आप आईबीयू 400mg टैबलेट निर्धारित समय पर लेना भूल गए हैं तो जितनी जल्दी हो सके इसे ले लें. हालांकि, अगर अगली खुराक का समय हो गया है तो छूटी हुई खुराक को छोड़ दें और नियमित समय पर अगली खुराक लें. खुराक को डबल न करें.

ख़ास टिप्स

आपको आईबीयू 400mg टैबलेट लेने की सलाह दर्द और इनफ्लेमेशन से राहत के लिए दी गयी है.
पेट खराब होने से बचने के लिए इसे भोजन या दूध के साथ लें.
डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक और अवधि के अनुसार ही इसका सेवन करें. लम्बे समय तक इसका इस्तेमाल करने से पेट में ब्लीडिंग एवं किडनी से जुड़े रोगों जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
आईबीयू 400mg टैबलेट लेने के दो घंटे के अंदर अपच के नुस्खे (एंटासिड) न लें.
आईबीयू 400mg टैबलेट लेते समय शराब का सेवन न करें क्योंकि इससे पेट की परेशानियों का जोखिम बढ़ सकता है.
अगर आपको पहले से स्ट्रोक या ह्रदय से जुड़ी बीमारी है तो डॉक्टर को सूचित करें.
अगर आप इस दवा का इस्तेमाल लम्बे समय तक चलने वाले इलाज के लिए कर रहे हैं तो डॉक्टर नियमित रूप से आपके किडनी, लीवर और खून की जांच कर सकते हैं.

Q: क्या मैं गर्भावस्था के दौरान ब्रूफेन 400 टैबलेट ले सकती हूं?

A: ब्रूफेन 400 टैबलेट को गर्भावस्था के पिछले 3 महीनों के दौरान और पहले छह महीनों के दौरान भी पूरी तरह से टाला जाना चाहिए। इसे केवल तभी लिया जाना चाहिए जब यह बहुत आवश्यक हो और आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया जाए।

Q: क्या ब्रूफेन 400 टैबलेट से पेट दर्द हो सकता है?

A: ब्रूफेन 400 टैबलेट पेट में दर्द और असुविधा का कारण बन सकता है। इस दवा को खाने के बाद लें और अगर परेशानी बनी रहती है, तो अपने डॉक्टर से गैस्ट्रिक परेशानी के लिए सहायक दवा लेने के लिए कहें।

Q: क्या ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल सिरदर्द का इलाज करने के लिए किया जा सकता है?

A: हां, ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल सिरदर्द के इलाज के लिए किया जा सकता है।

Q: क्या ब्रूफेन 400 टैबलेट को खाली पेट लिया जा सकता है?

A: इसे खाली पेट या भोजन के साथ लिया जा सकता है, जैसा कि चिकित्सक द्वारा बताया गया है। हालांकि, अगर पेट की गड़बड़ी से बचने के लिए दूध या भोजन के साथ लिया जाता है, तो यह सबसे अच्छा होगा।

Q: अगर मैं हार्ट डिसऑर्डर से पीड़ित हूं तो क्या मैं ब्रूफेन 400 टैबलेट ले सकता/सकती हूं?

A: अगर आपको कोई प्रकार का हृदय विकार है या आपको हाल ही में कोई हृदय सर्जरी हुई है, तो स्वयं-चिकित्सा न करने की सलाह दी जाती है। इस दवा को केवल डॉक्टर की सिफारिश के तहत ही लें।

Q: ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल क्या करता है?

A: ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल रूमेटॉइड गठिया, जोड़ों में दर्द और सूजन से राहत देने के लिए किया जाता है, जोड़ों (एंकीलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस), पीठ दर्द, स्प्रेन, मांसपेशियों, डेंटल, पीरियड दर्द, सिरदर्द और सर्जिकल प्रक्रिया के बाद दर्द से राहत देने के लिए किया जाता है।

Q: मैं एक दिन में कितने ब्रूफेन 400 ले सकता/सकती हूं?

A: खुराक और अवधि आमतौर पर इस स्थिति पर निर्भर करती है कि इसे लिया जा रहा है और आप इलाज का कैसे जवाब देते हैं। आपको डॉक्टर द्वारा निर्धारित दैनिक खुराक से अधिक नहीं लेना चाहिए।

Q: ब्रूफेन टैबलेट का साइड इफेक्ट क्या है?

A: सिरदर्द, चक्कर आना, समतलता, मिचली, उल्टी, अपच कुछ सामान्य साइड इफेक्ट हैं जो ब्रूफेन टैबलेट लेने के बाद कुछ व्यक्तियों में देखे जा सकते हैं। हालांकि, ये लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और अपने आप ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा, यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हर कोई इसका अनुभव करता है।

Q: ब्रूफेन 400 को कितना समय लगता है?

A: ब्रूफेन 400 इसे लेने के 20 से 30 मिनट के भीतर काम करना शुरू कर देता है। लेकिन अगर डॉक्टर ने इसे कुछ प्रकार के लॉन्ग-टर्म दर्द के लिए निर्धारित किया है, तो इसका पूरा प्रभाव दिखाने में 2-3 सप्ताह लग सकते हैं।

Q: क्या ब्रूफेन 400 एक दर्दनिवारक है?

A: हां, ब्रूफेन 400 टैबलेट एक दर्द निवारक दवा है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से विभिन्न दर्द और सूजन से राहत प्रदान करने के लिए किया जाता है।

Q: ब्रूफेन 400 को कैसे लिया जाता है?

अपने डॉक्टर द्वारा सुझाए गए अनुसार ब्रूफेन 400 टैबलेट लें।

इसे एक गिलास पानी के साथ पूरा निगलें।
दवा को तोड़ें, काटें या चबाएं नहीं।
आपको अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
Q: क्या ब्रूफेन 400 से आपको नींद आती है?

A: हां, कोई व्यक्ति ब्रूफेन 400 टैबलेट के इस्तेमाल के साथ नींद/सुस्ती का अनुभव कर सकता है। अगर आपको इस दवा के इस्तेमाल से ऐसे किसी भी प्रभाव का अनुभव होता है, तो ड्राइविंग, ऑपरेटिंग मशीनों से बचने या मानसिक सतर्कता की आवश्यकता वाले किसी भी कार्य को करने से बचने की सलाह दी जाती है।

Q: क्या ब्रूफेन 400 और आइबुप्रोफेन समान है?

A: हां, ब्रूफेन 400 और आइबुप्रोफेन समान हैं। ब्रूफेन 400 टैबलेट में ऐक्टिव पदार्थ के रूप में इबुप्रोफेन होता है।


Q: क्या ब्रूफेन 400 का इस्तेमाल बुखार के लिए किया जा सकता है?

A: हां, ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल बुखार के इलाज के लिए किया जा सकता है। हालांकि, डॉक्टर द्वारा सुझाई गई सलाह पर ही आपको इस दवा का सेवन करना चाहिए।

Q: ब्रूफेन 400 बनाम कॉम्बिफ्लेम, कौन सा दर्दनिवारक बेहतर है?

A: ब्रूफेन 400 और कॉम्बिफ्लेम दोनों ही दर्द से राहत देने वाले हैं जिनमें अलग-अलग ऐक्टिव तत्व होते हैं। ब्रूफेन 400 में दर्द और सूजन से राहत पाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एनएसएआईडी आईबुप्रोफेन पाया जाता है। कॉम्बिफ्लेम एक दर्द निवारक और बुखार कम करने वाला है जिसमें इबुप्रोफेन और पैरासिटामोल होता है। दोनों के बीच का विकल्प व्यक्तिगत कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है और आपकी विशिष्ट ज़रूरतों के लिए सर्वश्रेष्ठ दर्दनिवारक पर व्यक्तिगत सलाह के लिए हेल्थकेयर प्रोफेशनल से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
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10.4.24

मीठा सोडा कई रोगों मे रामबाण औषधि /Baking soda benefits


बेकिंग  सोडा  के फायदे का विडिओ 





मित्रों,
बेकिंग सोडा  जिसे मीठा सोडा भी कहते हैं एक बहुमुखी घरेलू उपचार है जो कई  स्वास्थ्य  समस्याओं के लिए उपयोगी हो सकता है। यहाँ कुछ घरेलू उपचार  बताते  हैं जिनमें बेकिंग सोडा का उपयोग किया जा सकता है:

किडनी स्टोन होने से रोकना :

 बेकिंग सोडा क्षारीय होता है और यह स्टोन  पथरी को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है जिससे कि यह आसानी से मूत्र से बाहर निकल जाता है। यदि आप लगातार खाली पेट बेकिंग सोडा पीते हैं तो आपको कभी भी किडनी स्टोन की समस्या नहीं आयेगी।

छाती में जलन और दर्द के लिए शक्तिशाली उपचार

बेकिंग सोडा एक एंटासिड और एक उत्कृष्ट अल्कलाइज़र है। इसके क्षारीय गुण पेट की अम्लता को अप्रभावी करने में मदद करते हैं, छाती में जलन और दर्द का ज्ञात कारण। छाती में जलन और दर्द से अस्थायी लेकिन तत्काल राहत के लिए, 100 मिलीलीटर पानी में आधा टीस्पून बेकिंग सोडा मिलाएं। सर्वोत्तम परिणामों के लिए धीरे -धीरे पीएं।

यूटीआई (मूत्र नली संक्रमण)

यूटीआई (मूत्र नली संक्रमण) में मीठा सोडा के घोल का सेवन बहुत असरदार दवा के रूप में साबित हुआ है. इसी तरह गर्भ धारण में विफलता के मामले में भी इसकी असरदार भूमिका की अनेक ‘सक्सेज़ स्टोरीज़’ हैं. आँखों का तेज़ी से ख़राब होना, दांतों का तेज़ी से घिसना, जॉन्डिस, एक्ज़िमा, सोरायसिस जैसी बीमारियों में मौखिक सेवन और गाढ़े घोल में पट्टियां भिगोकर रखने से रोग तेज़ी से घटते हैं.


 मौखिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करता है

बेकिंग सोडा  मुंह में बैक्टीरिया के विकास को रोकता है और मौखिक संक्रमण से बचाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह मुंह के हर कोने तक पहुंच सकता है, जैसे कि दांत, मसूड़े और जीभ |इससे दांत साफ और स्वस्थ रहते हैं। बेकिंग सोडा में प्राकृतिक श्वेतकरण गुण भी होते हैं जो दांतों को चमकदार और सफेद बनाते हैं।

इंफेक्शन को दूर करे

अगर आप रोजाना बाहर जाते हैं, तो आप इसका इस्तेमाल नहाने के पानी में कर सकते हैं। क्योंकि इसमें एंटी-एजिंग गुण मौजूद होते हैं, जो स्किन की तमाम समस्याओं जैसे फंगस, दाद आदि को दूर करने का काम करते हैं। इसके लिए आप आधा चम्मच बेकिंग सोडा  का इस्तेमाल नहाने के पानी में कर सकते हैं।

नेचुरल एंटाएसिड :

हमारे पेट में एसिड होते हैं जो स्वस्थ पाचन के लिए जरुरी होते हैं। लेकिन जब यह एसिड हमारे पेट से निकलकर आहार नली में आ जाता है तो हमें गले और पेट में जलन जैसी दिक्कत होने लगती है। क्षारीय प्रवृति होने के कारण बेकिंग सोडा एक नेचुरल एंटाएसिड होता है। यह हमारे पेट में मौजूद एसिड को उदासीन करता है और पेट में गैस को बनने से रोकता है जिससे हमें पेट और गले में होने वाली जलन से आराम मिलता है।

खराब गंधों को खत्म करता है

दुर्गंध आमतौर पर अम्लीय गंध होती है। बेकिंग सोडा का उपयोग एसिडिक और बेसिक गंध अणुओं को निष्क्रिय करके खराब गंध को दूर करने में मदद करता है।

 त्वचा को गोरा करने वाला एजेंट

बेकिंग सोडा में ब्लीचिंग के बेहतरीन गुण होते हैं। इसके हल्के एक्सफोलिएशन, क्लींजिंग और त्वचा को गोरा करने वाले गुण इसे कॉस्मेटिक उत्पादों में एक बेहतरीन अतिरिक्त बनाते हैं।

स्किन ट्रीटमेंट के लिए

 इसके लिए बस 3 छोटे चम्मच बेकिंग सोडा में थोड़ा पानी मिलाकर पेस्ट तैयार लें और चेहरे पर जहां भी डेड स्किन या ब्लैकहेड्स दिख रहे हों वहां लगा लें और मसाज करें।


बग काटने के लिए उपचार

कीड़े के काटने, विशेष रूप से मच्छर के काटने से त्वचा पर लाल, दर्दनाक उभार हो जाते हैं। वे त्वचा की खुजली और जलन का कारण बनते हैं। बेकिंग सोडा के पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाने से तुरंत राहत मिलती है 

पायरिया व दांतों की अन्य बीमारियों

पायरिया व दांतों की अन्य बीमारियों में भी मीठा सोडा बड़ी मुफ़ीद दवा है. एक छोटा चम्मच सोडा में चंद बूंदे पानी की डालकर हल्के हाथों से टूथपेस्ट की तरह मसूड़ों में रगड़ने से विभिन्न दांत सम्बन्धी रोगों में लाभ पहुँचता है. गंदे और पीले दांतों की साफ़-सफ़ाई भी इसी प्रकार की जा सकती है.
 

जोड़ों के दर्द से छुटकारा

रक्त में यूरिक एसिड का उच्च स्तर जोड़ों के दर्द का कारण बनता है। बेकिंग सोडा के प्रमुख उपयोगों में रक्त और मूत्र में एसिड को निष्क्रिय करके जोड़ों के दर्द को कम करना शामिल है। इस प्रकार यह गाउट और गठिया जैसी दर्दनाक और पुरानी स्थितियों के इलाज में मदद करता है।

कैंसर से करे बचाव

नींबू और बेकिंग सोडा के सेवन से कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोका जा सकता है। दरअसल, इसके सेवन से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है, जो कैंसर के खतरे को कम करने में आपकी मदद कर सकता है।

 मूत्र पथ के संक्रमण से राहत

बेकिंग सोडा मूत्र की अम्लीय सामग्री को कम करने में मदद करता है जो अक्सर महिलाओं में मूत्र पथ के संक्रमण की बार-बार पुनरावृत्ति से जुड़ा होता है। बेकिंग सोडा का सेवन पेशाब में एसिड के स्तर को बेअसर करने में मदद कर सकता है।

मोटापे को नियंत्रण में रखता है

बेकिंग सोडा मीठे की चाहत को  कंट्रोल करने में मदद करता है। बस अपने मुंह को बेकिंग सोडा के घोल से धोने से चीनी की तलब तुरंत गायब हो जाती है। चूंकि अधिक चीनी का सेवन सीधे वजन बढ़ाने और मोटापे से जुड़ा होता है, बेकिंग सोडा स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है क्योंकि यह आपके शर्करा के सेवन को नियंत्रित रखता है।

पेट में होने वाली जलन

खाना खाने के बाद मुंह, गले और पेट में होने वाली जलन के पीछे एसिड बढ़ने की प्रवृत्ति है, इसे ज़्यादातर लोग जानते हैं और इससे जूझने के लिए वे मीठा सोडा का इस्तेमाल पीढ़ियों से करते भी आये हैं. . जिन लोगों को खाना खाते ही एसिडीटी उभर आने की प्रवृत्ति है वे इसे नियमित तौर पर ख़ाली पेट तीन बार लें

शैम्पू की तुलना में ज़्यादा असरदार

सिर के बालों में इसका गाढ़ा घोल लगाकर धोने से यह किसी भी अच्छे शैम्पू की तुमला में ज़्यादा असरदार और रसायन रहित साबित होता है. अपवाद के बतौर कुछ लोगों की खोपड़ी की त्वचा को मीठा सोडा सूट नहीं भी करता है, तो  उन्हें इसका सिर में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
किसी भी तत्व को चिकित्सा मे उपयोग करने से पहिले योग्य चिकित्सक से परामर्श लेना अच्छा होता है |
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