15.4.24

कम सुनने के कारण और घरेलू उपचार deafness home remedies


                                                    



हुत बार ऐसा होता है कि टीवी का वॉल्यूम बहुत तेज होने पर भी बहुत कम सुनाई देता है। इसके अलावा कई बार जब तक कोई चिल्लाकर आपसे कोई बात न कहे आपको कुछ भी सुनाई नहीं देता। अगर आपके साथ भी ऐसा अक्सर होता है तो यह इसे गंभीरता से लेने का समय है। क्योंकि यह बेहरेपन की शुरुआत हो सकती है ये बहरेपन के आम लक्षणों में से एक है। अगर आप इस तरह के लक्षणों का अक्सर अनुभव करते हैं तो आपको अभी से इसको लेकर सावधानी बरतनी चाहिए, और बहरेपन से बचने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। आमतौर पर बहरेपन की समस्या तब होती है जब कान के अंदर के महीन सैल्‍स डैमेज होने लगते हैं।
सभी ज्ञानेंद्रियों में एक महत्वपूर्ण ज्ञानेंद्री हमारे कान हैं, जिनसे हम सुनकर उन आवाजों को अपने मस्तिष्क तक पहुंचाते हैं. इसके बाद ही हमारा मस्तिष्क प्रतिक्रिया देता है. कई लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें कान से सुनाई ना देने या कम सुनाई देने की समस्याएं होती हैं. ऐसी समस्या या तो बचपन से ही होती है या बढ़ती उम्र में कई बार लापरवाही के कारण भी होती है.  श्रवण हानि के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे तेज आवाज या शोर, चोट, बुढ़ापा, वंशानुगत और संक्रमण.

कान की बनावट

कानों को तीन भागों में बांटा जा सकता है, एक बाह्य कान, दूसरा मध्य कान और तीसरा अंदरूनी कान. बाह्य कान वातावरण में आ रही आवाजों को ध्वनि तरंगों के रूप में ग्रहण करता है. यह तरंगें कैनाल यानी नहर से होती हुई इयर ड्रम की ओर पहुंचती हैं. इसी वजह से ईयर ड्रम वाइब्रेट होने लगता है यानी वहां हलचल पैदा होती है. इस वाइब्रेशन से मध्य कान की 3 छोटी हड्डियों में गति होने लगती हैं. इसी गति के कारण कान के अंदरूनी हिस्से में स्थित द्रव हिलने लगता है. अंदरूनी कान में जो सुनने वाली कोशिकाएं होती हैं, वह इस द्रव की गति से थोड़ी मुड़ जाती हैं और यह दिमाग को संकेत भेजती हैं. यही संकेत शब्दों और ध्वनियों के रूप में सुनाई पड़ते हैं.

उम्र बढ़ने के साथ बहरापन

बढ़ती उम्र के साथ-साथ अधिकतर लोगों की श्रवण शक्ति कमजोर होने लगती है. कई लोगों को उम्र बढ़ने के साथ बहरेपन की समस्या आनुवंशिक भी होती है.

बीमारियों के कारण बहरापन

कई लोगों को सुनाई कम देने की समस्या उनकी बीमारियों की वजह से भी हो सकती है, जैसे डायबिटीज, खसरा या कंठमाला आदि की बीमारी है. ऐसे लोगों की श्रवण शक्ति कमजोर हो सकती है.

कान में संक्रमण भी बहरेपन का कारण

कुछ लोगों को बहरेपन की समस्या कान में संक्रमण के कारण भी होती है. कान से पानी आता है या कई लोग कान की सफाई के लिए किसी चीज का इस्तेमाल करते हैं जिस वजह से कान के पर्दे में सूजन आ जाती है. इसके किसी प्रकार की चोट की वजह से भी कान में संक्रमण फैल जाता है. इन सभी कारणों से सुनाई देने की समस्या शुरू हो जाती है. लेकिन काफी हद तक उपचार द्वारा इस समस्या को ठीक भी किया जा सकता है.


इन कारणों से भी आता है बहरापन

बहरेपन के और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे आजकल लोग तेज आवाज में गाने सुनते हैं और ध्वनि प्रदूषण आज बहुत ज्यादा बढ़ गया है इस वजह से भी श्रवण शक्ति कमजोर हो जाती है या बहरापन होने की समस्या शुरू हो जाती है. विशेषज्ञों के मुताबिक यदि कान का ख्याल नहीं रखा जाए तो कान की 30 फीसदी कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं, जिसका दोबारा निर्मित होना लगभग असंभव है.
आइए पहले जानते हैं कि बेहरेपन के कुछ आम कारण (Hearing Loss Common Causes In Hindi)कानों में हेड फोन्स का अधिक इस्तेमाल और बहुत तेज आवाज में म्यूजिक सुनना।
बहुत अधिक शोर में ज्यादा समय बिताना।
किसी ऐसी जगह काम करना जहां बहुत ज्यादा शोर होता है
पोषक तत्वों से भरपूर आहार न लेना। आपको कानों को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के ल‍िए व‍िटाम‍िन बी12 का सेवन करना चाह‍िए। इसके अलावा आपको पोटैश‍ियम, मैग्‍न‍िश‍ियम का सेवन करना चाह‍िए। कानों की सेहत को अच्‍छा रखने के ल‍िए आपको आयरन र‍िच डाइट का सेवन करना चाह‍िए।
अगर आपके पर‍िवार में क‍िसी को बहरेपन की समस्‍या है तो भी आपको चेकअप करवाना चाह‍िए, इससे आपके बहरेपन की आशंका बढ़ जाती है।

ऐसे रखें अपने कान का ख्याल

कान को सेहतमंद रखना है तो कभी भी तेज आवाज में गाने सुनने से बचना चाहिए. इसके साथ ही अधिक शोर वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए. कानों मे सफाई के लिए किसी भी नुकीली चीज का इस्तेमाल नही करना चाहिए. बाहर जाने से पहने कान में रूई लगाना चाहिए, ताकि किसी प्रकार के बाहरी संक्रमण से बचा जा सके.

कम सुनने पर करें ये घरेलू उपचार 

अदरक


अदरक को एक सुपरफूड माना जाता है, जो ना केवल संक्रमण को कम करने में मदद कर सकता है, बल्कि अदरक में एंटी−इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो तंत्रिका तंत्र में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। तंत्रिका तंत्र आपके कानों से आपके मस्तिष्क तक ध्वनि ले जाने के लिए जिम्मेदार है और इसलिए जब आपका तंत्रिका तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है तो इससे आपके सुनने की क्षमता भी बेहतर होती है। आप इसके लिए अदरक की चाय बना सकते है, जिसमें पानी व अदरक के साथ−साथ दालचीनी, रोजमेरी व अन्य हर्ब्स को शामिल किया जा सकता है।

नमक से इलाज 

कान के इंफेक्शन के घरेलू उपचार में टेबल सॉल्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आप एक कप नमक को गर्म करें और उसे एक कपड़े पर रखकर पोटली बना लें। अब आप इस टुकड़े को कान के संक्रमित हिस्से पर 5 से 10 मिनट तक रखें और आप महसूस करेंगे कि दर्द दूर हो रहा है। इस प्रक्रिया को आप अपनी आवश्यकता के अनुसार दोहरा सकते हैं।

सेब का सिरका


मैग्नीशियम, पोटेशियम, जिंक और मैंगनीज से युक्त सेब का सिरका आपके शरीर में उन खनिज की कमी को पूरा कर सकता है जो सुनने से जुड़ा है। अगर बहुत अधिक शोर के कारण आपकी सुनने की क्षमता प्रभावित हुई है तो ऐसे में आप सेब के सिरके का इस्तेमाल कर सकते हैं।

टी ट्री ऑयल


कई लोगों का मानना है कि टी ट्री ऑयल बहरेपन का सकारात्मक इलाज करता है। इसके लिए आप टी ट्री ऑयल की दो−तीन बूंदे लेकर उसमें 2 बड़े चम्मच जैतून का तेल, 1 चम्मच कोलाइडयन सिरका और 1 छोटा चम्मच एप्पल साइडर विनेगर को मिक्स करें और इस मिश्रण की दो−दो बूंदे अपने कानों में डालें।
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13.4.24

लाजवंती ,छुई मुई पौधा सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं. benefits of lajwanti plant

                                    



  लाजवंती (lajwanti ke fayde) का पौधा आपने अपने घरों के आस-पास लगा हुआ देखा होगा। असल में इस पौधे को एक हीलर के रूप में जाना जाता है और आयुर्वेद में इसका व्यापक इस्तेमाल है। न सिर्फ इससे कीड़े-मकोड़ों के काटने का इलाज होता है बल्कि ये मूत्रवर्धक है जो कि आपके यूरटेस की सेहत को भी बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। साथ ही ये एनाल्जेसिक है जिस वजह से कई प्रकार से दर्द से छुटकारा पानी के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। इन सब के अलावा भी लाजवंती के कई फायदे हैं
लाजवंती प्रकृति से ठंडे तासीर की और कड़वी होती है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में लाजवंती के कई फायदे (lajwanti ke fayde) बताए गए हैं जिनमें कफ पित्त को दूर करना, पित्त (नाक-कान से खून बहना), दस्त, पित्त, सूजन, जलन, अल्सर, कुष्ठ तथा योनि रोगों से आराम दिलाना आदि शामिल हैं।
  आयुर्वेद में लाजवंती को औषधि माना जाता है। इसकी बड़ी खासियत यह है कि इसकी पत्तियों को छूने पर यह सिकुड़ जाती है और जब हाथ हटा लेते हैं तो यह पूर्व की अवस्था में आ जाती हैं।
कई शोधों में खुलासा हो चुका है कि लाजवंती डायबिटीज के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसकी पत्तियों और जड़ों के चूर्ण के सेवन से शुगर को कंट्रोल में रखा जा सकता है।
लाजवंती के पत्ते के इस्तेमाल से तनाव कम होने के साथ डायबिटीज की समस्या भी दूर होती है।

डायबिटीज में फायदेमंद

लाजवंती के पत्तियों सेडायबिटीज को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। इसमें एंटी डायबिटीक गुण पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने के साथ डायबिटीज को कंट्रोल करते हैं। लाजवंती के पौधे के इस्तेमाल से शरीर में ग्लूकोज का लेवल भी कम होता है।

बवासीर के लिए फायदेमंद


लाजवंती के पौधे के सेवन से महिलाओं में होने वाली बवासीर की समस्या से राहत मिलती है। इसका इस्तेमाल करने के लिए इसके पत्तों को पीसकर गुदे पर इसको लगाने से बवासीर में होने वाले दर्द, सूजन और जलन दूर होती हैं।अगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने के शौकीन हैं तो बवासीर (पाइल्स) होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। बवासीर की समस्या होने पर अक्सर शौच के दौरान रक्तस्राव होने लगता है, इस समस्या को खूनी बवासीर कहा जाता है. इस समस्या में लाजवंती का उपयोग आपके लिए फ़ायदेमंद हो सकता है. आयुर्वेद के अनुसार लाजवंती में कषाय रस होता है जो खूनी बवासीर में होने वाले रक्तस्राव को नियंत्रित करके बवासीर के लक्षणों को कम करता है.

तनाव करें कम

लाजवंती के पौधे के इस्तेमाल से महिलाओं में होने वाला तनाव कम होता है। इसके सेवन से याददाशत तेज होती है और मेमोरी में सुधार होता है। लाजवंती के पौधे के पत्तियों के अर्क में एंटी-एंजायइटी गुण मौजूद होते हैं। इसके सेवन से टेंशन भी कम होती है।

ड्यूरेटिक है लाजवंती

लाजवंती की जड़ों को उबालकर और इसका पानी पीना आपके ब्लैडर फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। ये पहले तो आपके ब्लैडर को हाइड्रेट करता है और इसकी लाइनिंग को साफ कर देता है। इससे होता ये है कि जब आपको तेज की पेशाब आती है तो ब्लैडर की गंदगी पानी के साथ फ्लश ऑउट हो जाती है। इससे आप यूटीआई आदि से बच सकते हैं।


स्तनों के ढीलेपन को करे ठीक लाजवंती का पौधा 

अक्सर उम्र बढ़ने के साथ स्तनों के ढीलेपन की समस्या होने लगती है, लेकिन लाजवंती का उपयोग इस तरह से करने पर लाभ मिलता है। लज्जालू और अश्वगंधा की जड़ को पीसकर लेप करने से स्तन्य का ढीलापन कम होता है।

एंटी-अस्थमेटिक है


छुईमुई के पत्तों में एंटी-अस्थमेटिक प्रभाव होता है। ये अस्थमा से राहत दिलाने में मददगार है। अस्थमा को कंट्रोल करने में यह काफी कारगर तरीके से काम करती है। इसके लिए आपको इन पत्तियों को अपनी चाय में शामिल करना है और इसे अस्थमा में लेना है। ये एंटीएलर्जिक की तरह भी काम करेगी और अस्थमा को ट्रिगर से रोकेगी।
*लाजवंती के पत्ते ग्रन्थि (Grandular swelling), भगन्दर (fistula), गले का दर्द, क्षत (छोटे-मोटे कटने या छिलने पर), अल्सर, अर्श या पाइल्स तथा रक्तस्राव (ब्लीडिंग) में लाभप्रद होते हैं। इसका पञ्चाङ्ग मूत्राशय की पथरी, सूजन, आमवात या गठिया तथा पेशी के दर्द में लाभप्रद होता है।

लाजवंती का सेवन करने का तरीका

लाजवंती का सेवन करने के लिए इसकी पत्तियों का रस बनाकर पीया जा सकता है। इसके रस में शहद व काली मिर्च मिलाकर सेवन कर सकते हैं। इसकी जड़ का पेस्ट लगाने से घाव भी भरता है।
शरीर में एक्ने और दाने होने पर

अगर आपके शरीर में एक्ने और दाने की समस्या हो रही है तो आपको छुईमुई का सेवन करना चाहिए। छुईमुई की पत्तियों को खाने से ये खून साफ करती है और एक्ने और दाने को होने से रोकती है। इस तरह ये स्किन की तमाम समस्याओं में कारगर है।

स्ट्रेस कम करने में

स्ट्रेस कम करने में छुईमुई का सेवन काफी फायदेमंद है। इसका सेवन दिमाग को शांत करता है। साथ ही ये तनाव को कम करने में मददगार है। इसके अलावा ये मूड स्विंग्स को कंट्रोल करनेऔर दिमाग को ठंडा करता है, जिससे डिप्रेशन के लक्षणों से बचा जा सकता है। तो, इसके लिए आप इसके पत्तों और छाल के अर्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

लाजवंती की जड़ें घाव भर सकती हैं

लाजवंती में दो गुण हैं जो कि घाव को भरने में मदद कर सकती है। पहले तो ये दर्द को चूस लेती है और फिर घाव की क्लीनजिंग के साथ इसकी हीलिंग में मदद कर सकती है। ऐसे में आप लाजवंती का दो प्रकारों से इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसकी पत्तियों और जड़ों का लेप बनाकर अपने घाव पर लगा सकती हैं। दूसरा, आप लाजवंती के पानी से अपने घावों की सफाई कर सकते हैं।

पेट में इंफेक्शन होने पर

पेट में इंफेक्शन होने पर छुईमुई का सेवन काफी कारगर हो सकता है। ये एंटीबैक्टीरियल है जो कि पेट के कीड़ों या बैक्टीरिया को मार कर इंफेक्शन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके लिए सुबह खाली पेट छुईमुई की पत्तियों को पीस कर इसमें शहद में मिला कर लें। ये पेट के कीड़ों को मारने में मदद कर सकते हैं।
इसकी जड़ श्वास संबंधी कष्ट, अतिसार या दस्त, अश्मरी या पथरी तथा मूत्राशय सम्बन्धी रोगों में लाभप्रद होती है। यह विष का असर कम करने, मूत्रल या ज्यादा मूत्र होना, विबन्धकारक या कब्ज नाशक, पूयरोधी या एंटीसेप्टिक, रक्तशोधक या खून को साफ करने वाली, कामोत्तेजक, बलकारक, घाव को जल्दी ठीक करने में सहायक होने के साथ-साथ सूजन, विष, प्रमेह या डायबिटीज के उपचार में सहायता करती है।

शनि देव को प्रिय हैं लाजवंती के फूल

ज्योतिर्विद ने बताया कि तुलसी की तरह लाजवंती का पौधा भी अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर होता है. लाजवंती का पौधा नकारात्मक ऊर्जा को ख़त्म करता है. इस पौधे पर नीले रंग के फूल आते हैं. शनि देव को नीला रंग बहुत प्रिय है. इसलिए यदि लाजवंती के फूल से उनकी पूजा की जाये तो शनि देव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं.
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पित्ताशय की पथरी (Gall Stone) रामबाण हर्बल औषधि बताओ

गुर्दे की पथरी की अचूक हर्बल औषधि

हार सिंगार का पत्ता गठिया और सायटिका का रामबाण उपचार

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से मूत्र रुकावट की हर्बल औषधि

घुटनों के दर्द की हर्बल औषधि

मर्दानगी बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे

डिप्रेशन अवसाद से कैसे निजात पाएं

गोखरू गुर्दे के रोगों मे अचूक जड़ी बूटी

एक्जिमा की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? आयुर्वेदिक या एलोपेथिक?

सायटिका रोग की सबसे अच्छी औषधि बताओ

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12.4.24

ब्रूफेन 400 एमजी टैबलेट के मुख्य इस्तेमाल ,खुराक और दुष्प्रभाव

                                                  


                               


  

ब्रूफेन 400 एमजी विवरण

ब्रूफेन 400 टैबलेट में इबुप्रोफेन होता है क्योंकि इसकी ऐक्टिव घटक होती है। यह एक दर्द निवारक (एनाल्जेसिक) है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से विभिन्न दर्द और सूजन से राहत देने के लिए किया जाता है। इस प्रकार, यह दवा रूमेटॉइड गठिया, जोड़ों, पीठ, मांसपेशियों और सिरदर्द जैसी स्थितियों के इलाज में मददगार है। इसका इस्तेमाल डेंटल, पीरियड और सर्जरी के बाद के दर्द के इलाज के लिए भी किया जाता है।
ब्रूफेन 400 का इस्तेमाल बच्चों और बुजुर्गों में सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। इसका इस्तेमाल पेट के अल्सर, किडनी या लिवर या हृदय की समस्याओं वाले मरीजों में नहीं किया जाना चाहिए। इस दवा से कभी-कभी पेट में असुविधा और जलन हो सकती है।
डॉक्टर द्वारा निर्देशित ब्रूफेन 400 का इस्तेमाल करें, और इसे निर्धारित अवधि से अधिक समय तक न लें, क्योंकि इसमें ब्लीडिंग, लिवर के नुकसान और अल्सर का जोखिम होता है।
सर्दी-जुकाम और फ्लू के कई घरेलू उपचारों में ये तत्व आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं.
पेट की गड़बड़ी से बचने और साइड इफेक्ट कम करने के लिए आईबीयू 400mg टैबलेट को भोजन के साथ लिया जाना चाहिए. आमतौर पर, आपको कम से कम समय के लिए, अपने लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए, आवश्यक दवा की कम मात्रा का उपयोग करने की कोशिश करनी चाहिए. ज़रूरत पड़ने पर आपको इस दवा को नियमित रूप से लेना चाहिए.. कोशिश करें कि कोई भी खुराक न छूटे, अगर आप ऐसा करते हैं तो यह कम प्रभावी हो जाएगा.
यह दवा आमतौर पर बहुत ज्यादा फायदेमंद है, इससे कम या अधिक साइड इफेक्ट भी नही है. However, it may cause vomiting, stomach pain, nausea, and indigestion in some people. अगर इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट समय के साथ ठीक नहीं होते हैं या स्थिति अधिक खराब हो जाती है, तो आपको अपने डॉक्टर को बताना चाहिए. आपका डॉक्टर लक्षणों की रोकथाम या इन्हें कम करने के तरीके बता सकता है.
यह दवा व्यापक रूप से निर्धारित और सुरक्षित मानी जाती है लेकिन सभी के लिए उपयुक्त नहीं है. अगर आपको किडनी की समस्या, अस्थमा, ब्लड डिसऑर्डर या बहुत अधिक शराब पीते हैं, तो इसे लेने से पहले, आपको अपने डॉक्टर को बताना चाहिए. साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप सुरक्षित हैं, आपके द्वारा ली जाने वाली सभी दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर को बताएं. इस दवा को लेते हुए शराब पीने से बचना सबसे बेहतर है.

आईबीयू टैबलेट के मुख्य इस्तेमाल

दर्द निवारक

Treatment of Fever


आईबीयू टैबलेट के लाभ

दर्द से राहत

आईबीयू 400mg टैबलेट एक आम दर्द निवारक है जो दर्द को कम करने और दर्द का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह मस्तिष्क में उन केमिकल मैसेंजर को ब्लॉक करता है जो हमे बताते हैं कि हमें दर्द हो रहा है. यह सिरदर्द, माइग्रेन, तंत्रिका दर्द, दांत दर्द, गले में खराश, मासिक धर्म (दर्द), जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाने में प्रभावी है।.

In Treatment of Fever


आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल उच्च तापमान (बुखार) को कम करने के लिए भी किया जाता है. It works by blocking the release of certain chemical messengers that cause fever. यह अकेले या किसी अन्य दवा के साथ लिए जा सकता है. आपको इसे नियमित रूप से अपने डॉक्टर द्वारा सलाह के अनुसार लेना चाहिए.
अधिकतम फायदे के लिए इसे डॉक्टर के बताए दिशानिर्देश के अनुसार ही लें. जरूरत से ज्यादा खुराक या लंबे समय तक इसका सेवन ना करें क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है. आमतौर पर आपको सबसे कम पॉवर वाली डोज लेनी चाहिए जो थोड़े समय के लिए सही ढंग से असर करे.

आईबीयू टैबलेट के साइड इफेक्ट

इस दवा से होने वाले अधिकांश साइड इफेक्ट में डॉक्टर की सलाह लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती है और नियमित रूप से दवा का सेवन करने से साइट इफेक्ट अपने आप समाप्त हो जाते हैं. अगर साइड इफ़ेक्ट बने रहते हैं या लक्षण बिगड़ने लगते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लें
आईबीयू के सामान्य साइड इफेक्ट
उल्टी
मिचली आना
चक्कर आना
पेट में दर्द
कब्ज
पेट फूलना (गैस बनना)
डायरिया (दस्त)
डिस्पेप्सिया
सिर दर्द
थकान
रैश

आईबीयू टैबलेट का इस्तेमाल कैसे करें

इस दवा की खुराक और अनुपान की अवधि के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें. इसे साबुत निगल लें. इसे चबाएं, कुचलें या तोड़ें नहीं. आईबीयू 400mg टैबलेट को भोजन के साथ लेना बेहतर होता है.

आईबीयू टैबलेट किस प्रकार काम करता है

आईबीयू 400mg टैबलेट नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लामेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) नामक दवाओं के एक समूह से सम्बन्ध रखता है. यह कुछ विशेष रासायनिक संदेशवाहकों के स्राव को रोकती है जिनके कारण बुखार, दर्द व सूजन (लाल होना और सूजन) होती है.


सुरक्षा संबंधी सलाह
अल्कोहल
असुरक्षित
आईबीयू 400mg टैबलेट के साथ शराब पीना सुरक्षित नहीं है.

गर्भावस्था

डॉक्टर की सलाह लें

गर्भावस्था के दौरान आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल करना असुरक्षित हो सकता है.. हालांकि, इंसानों से जुड़े शोध सीमित हैं लेकिन जानवरों पर किए शोधों से पता चलता है कि ये विकसित हो रहे शिशु पर हानिकारक प्रभाव डालता है. आपके डॉक्टर पहले इससे होने वाले लाभ और संभावित जोखिमों की तुलना करेंगें और उसके बाद ही इसे लेने की सलाह देंगें. कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें.

Breast feeding

डॉक्टर की सलाह पर सुरक्षित

स्तनपान के दौरान आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल सुरक्षित है. अध्ययन से पता चला है की यह दवा ज्यादा मात्रा मैं ब्रेस्टमिल्क में नहीं जाती है और बच्चे के लिए हानिकारक नहीं है.
ड्राइविंग
सेफ
आईबीयू 400mg टैबलेट के सेवन से आपकी गाड़ी चलाने की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है.

किडनी

सावधान

किडनी की बीमारियों से पीड़ित मरीजों में आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल सावधानी के साथ किया जाना चाहिए. आईबीयू 400mg टैबलेट की खुराक में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है. कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें.
किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है. इस दवा का लंबे समय तक इस्तेमाल किडनी के कार्य को प्रभावित कर सकता है.

लिवर

सावधान

लिवर की बीमारियों से पीड़ित मरीजों में आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए. आईबीयू 400mg टैबलेट की खुराक में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है. कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें.
लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है.

अगर आप आईबीयू टैबलेट लेना भूल जाएं तो?

अगर आप आईबीयू 400mg टैबलेट निर्धारित समय पर लेना भूल गए हैं तो जितनी जल्दी हो सके इसे ले लें. हालांकि, अगर अगली खुराक का समय हो गया है तो छूटी हुई खुराक को छोड़ दें और नियमित समय पर अगली खुराक लें. खुराक को डबल न करें.

ख़ास टिप्स

आपको आईबीयू 400mg टैबलेट लेने की सलाह दर्द और इनफ्लेमेशन से राहत के लिए दी गयी है.
पेट खराब होने से बचने के लिए इसे भोजन या दूध के साथ लें.
डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक और अवधि के अनुसार ही इसका सेवन करें. लम्बे समय तक इसका इस्तेमाल करने से पेट में ब्लीडिंग एवं किडनी से जुड़े रोगों जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
आईबीयू 400mg टैबलेट लेने के दो घंटे के अंदर अपच के नुस्खे (एंटासिड) न लें.
आईबीयू 400mg टैबलेट लेते समय शराब का सेवन न करें क्योंकि इससे पेट की परेशानियों का जोखिम बढ़ सकता है.
अगर आपको पहले से स्ट्रोक या ह्रदय से जुड़ी बीमारी है तो डॉक्टर को सूचित करें.
अगर आप इस दवा का इस्तेमाल लम्बे समय तक चलने वाले इलाज के लिए कर रहे हैं तो डॉक्टर नियमित रूप से आपके किडनी, लीवर और खून की जांच कर सकते हैं.

Q: क्या मैं गर्भावस्था के दौरान ब्रूफेन 400 टैबलेट ले सकती हूं?

A: ब्रूफेन 400 टैबलेट को गर्भावस्था के पिछले 3 महीनों के दौरान और पहले छह महीनों के दौरान भी पूरी तरह से टाला जाना चाहिए। इसे केवल तभी लिया जाना चाहिए जब यह बहुत आवश्यक हो और आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया जाए।

Q: क्या ब्रूफेन 400 टैबलेट से पेट दर्द हो सकता है?

A: ब्रूफेन 400 टैबलेट पेट में दर्द और असुविधा का कारण बन सकता है। इस दवा को खाने के बाद लें और अगर परेशानी बनी रहती है, तो अपने डॉक्टर से गैस्ट्रिक परेशानी के लिए सहायक दवा लेने के लिए कहें।

Q: क्या ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल सिरदर्द का इलाज करने के लिए किया जा सकता है?

A: हां, ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल सिरदर्द के इलाज के लिए किया जा सकता है।

Q: क्या ब्रूफेन 400 टैबलेट को खाली पेट लिया जा सकता है?

A: इसे खाली पेट या भोजन के साथ लिया जा सकता है, जैसा कि चिकित्सक द्वारा बताया गया है। हालांकि, अगर पेट की गड़बड़ी से बचने के लिए दूध या भोजन के साथ लिया जाता है, तो यह सबसे अच्छा होगा।

Q: अगर मैं हार्ट डिसऑर्डर से पीड़ित हूं तो क्या मैं ब्रूफेन 400 टैबलेट ले सकता/सकती हूं?

A: अगर आपको कोई प्रकार का हृदय विकार है या आपको हाल ही में कोई हृदय सर्जरी हुई है, तो स्वयं-चिकित्सा न करने की सलाह दी जाती है। इस दवा को केवल डॉक्टर की सिफारिश के तहत ही लें।

Q: ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल क्या करता है?

A: ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल रूमेटॉइड गठिया, जोड़ों में दर्द और सूजन से राहत देने के लिए किया जाता है, जोड़ों (एंकीलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस), पीठ दर्द, स्प्रेन, मांसपेशियों, डेंटल, पीरियड दर्द, सिरदर्द और सर्जिकल प्रक्रिया के बाद दर्द से राहत देने के लिए किया जाता है।

Q: मैं एक दिन में कितने ब्रूफेन 400 ले सकता/सकती हूं?

A: खुराक और अवधि आमतौर पर इस स्थिति पर निर्भर करती है कि इसे लिया जा रहा है और आप इलाज का कैसे जवाब देते हैं। आपको डॉक्टर द्वारा निर्धारित दैनिक खुराक से अधिक नहीं लेना चाहिए।

Q: ब्रूफेन टैबलेट का साइड इफेक्ट क्या है?

A: सिरदर्द, चक्कर आना, समतलता, मिचली, उल्टी, अपच कुछ सामान्य साइड इफेक्ट हैं जो ब्रूफेन टैबलेट लेने के बाद कुछ व्यक्तियों में देखे जा सकते हैं। हालांकि, ये लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और अपने आप ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा, यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हर कोई इसका अनुभव करता है।

Q: ब्रूफेन 400 को कितना समय लगता है?

A: ब्रूफेन 400 इसे लेने के 20 से 30 मिनट के भीतर काम करना शुरू कर देता है। लेकिन अगर डॉक्टर ने इसे कुछ प्रकार के लॉन्ग-टर्म दर्द के लिए निर्धारित किया है, तो इसका पूरा प्रभाव दिखाने में 2-3 सप्ताह लग सकते हैं।

Q: क्या ब्रूफेन 400 एक दर्दनिवारक है?

A: हां, ब्रूफेन 400 टैबलेट एक दर्द निवारक दवा है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से विभिन्न दर्द और सूजन से राहत प्रदान करने के लिए किया जाता है।

Q: ब्रूफेन 400 को कैसे लिया जाता है?

अपने डॉक्टर द्वारा सुझाए गए अनुसार ब्रूफेन 400 टैबलेट लें।

इसे एक गिलास पानी के साथ पूरा निगलें।
दवा को तोड़ें, काटें या चबाएं नहीं।
आपको अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
Q: क्या ब्रूफेन 400 से आपको नींद आती है?

A: हां, कोई व्यक्ति ब्रूफेन 400 टैबलेट के इस्तेमाल के साथ नींद/सुस्ती का अनुभव कर सकता है। अगर आपको इस दवा के इस्तेमाल से ऐसे किसी भी प्रभाव का अनुभव होता है, तो ड्राइविंग, ऑपरेटिंग मशीनों से बचने या मानसिक सतर्कता की आवश्यकता वाले किसी भी कार्य को करने से बचने की सलाह दी जाती है।

Q: क्या ब्रूफेन 400 और आइबुप्रोफेन समान है?

A: हां, ब्रूफेन 400 और आइबुप्रोफेन समान हैं। ब्रूफेन 400 टैबलेट में ऐक्टिव पदार्थ के रूप में इबुप्रोफेन होता है।


Q: क्या ब्रूफेन 400 का इस्तेमाल बुखार के लिए किया जा सकता है?

A: हां, ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल बुखार के इलाज के लिए किया जा सकता है। हालांकि, डॉक्टर द्वारा सुझाई गई सलाह पर ही आपको इस दवा का सेवन करना चाहिए।

Q: ब्रूफेन 400 बनाम कॉम्बिफ्लेम, कौन सा दर्दनिवारक बेहतर है?

A: ब्रूफेन 400 और कॉम्बिफ्लेम दोनों ही दर्द से राहत देने वाले हैं जिनमें अलग-अलग ऐक्टिव तत्व होते हैं। ब्रूफेन 400 में दर्द और सूजन से राहत पाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एनएसएआईडी आईबुप्रोफेन पाया जाता है। कॉम्बिफ्लेम एक दर्द निवारक और बुखार कम करने वाला है जिसमें इबुप्रोफेन और पैरासिटामोल होता है। दोनों के बीच का विकल्प व्यक्तिगत कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है और आपकी विशिष्ट ज़रूरतों के लिए सर्वश्रेष्ठ दर्दनिवारक पर व्यक्तिगत सलाह के लिए हेल्थकेयर प्रोफेशनल से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
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मीठा सोडा कई रोगों मे रामबाण औषधि /Baking soda benefits





बेकिंग सोडा के लाभ और उपयोग

हम सभी खाना पकाने में बेकिंग सोडा उपयोग के बारे में जानते हैं। लेकिन बेकिंग सोडा का उपयोग करता है और इसके लाभ असंख्य और बेशुमार हैं। यह रसोई घटक उपयोग करने के लिए आसान है और तैयार है। विभिन्न तरीकों से इसका उपयोग कई लाभों का वादा करता है। इसमे शामिल है:

किडनी स्टोन होने से रोकना :

ये स्टोन क्रिस्टल जैसे होते हैं और उतने ही बड़े होते हैं कि आसानी से हमारे यूरिन यानी मूत्र से बाहर निकल जाते हैं लेकिन जब यह युरेटर से चिपक जाते है और यूरिन के माध्यम से बाहर नहीं निकल पाते तो आप कल्पना कर सकते है की कितना दर्द होता होगा। किडनी स्टोन के कारण पीठ में दर्द होना, मिचली आना, और यूरिन यानी मूत्र मे खून का आना जैसी दिक्कतें होती हैं। जैसा कि हम आपको यह पहले बता चुके हैं कि बेकिंग सोडा क्षारीय होता है और यह स्टोन को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है जिससे कि यह आसानी से मूत्र से बाहर निकल जाता है। यदि आप लगातार खाली पेट बेकिंग सोडा पीते हैं तो आपको कभी भी किडनी स्टोन की समस्या नहीं आयेगी।

छाती में जलन और दर्द के लिए शक्तिशाली उपचार

बेकिंग सोडा एक एंटासिड और एक उत्कृष्ट अल्कलाइज़र है। इसके क्षारीय गुण पेट की अम्लता को अप्रभावी करने में मदद करते हैं, छाती में जलन और दर्द का ज्ञात कारण। छाती में जलन और दर्द से अस्थायी लेकिन तत्काल राहत के लिए, 100 मिलीलीटर पानी में आधा टीस्पून बेकिंग सोडा मिलाएं। सर्वोत्तम परिणामों के लिए धीरे -धीरे पीएं।

यूटीआई (मूत्र नली संक्रमण)

यूटीआई (मूत्र नली संक्रमण) में मीठा सोडा के घोल का सेवन बहुत असरदार दवा के रूप में साबित हुआ है. इसी तरह गर्भ धारण में विफलता के मामले में भी इसकी असरदार भूमिका की अनेक ‘सक्सेज़ स्टोरीज़’ हैं. आँखों का तेज़ी से ख़राब होना, दांतों का तेज़ी से घिसना, जॉन्डिस, एक्ज़िमा, सोरायसिस जैसी बीमारियों में मौखिक सेवन और गाढ़े घोल में पट्टियां भिगोकर रखने से रोग तेज़ी से घटते हैं.


 मौखिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करता है

जब एक मौखिक स्वास्थ्य देखभाल उत्पाद के रूप में उपयोग किया जाता है, तो बेकिंग सोडा लार के पीएच स्तर को बढ़ाता है। यह मुंह में बैक्टीरिया के विकास को रोकता है, जिससे यह मौखिक संक्रमण से मुक्त हो जाता है। इसके अलावा, मुंह के दुर्गम कोनों और दांतों, मसूड़ों और जीभ के दरारों तक पहुंचने की इसकी प्रवृत्ति इसे एक शक्तिशाली मौखिक स्वास्थ्य सेवा बनाती है। यह प्राकृतिक श्वेतकरण गुणों को भी प्रदर्शित करता है जो चमकते हुए, सफेद दांतों का वादा करते हैं।

इंफेक्शन को दूर करे

अगर आप रोजाना बाहर जाते हैं, तो आप इसका इस्तेमाल नहाने के पानी में कर सकते हैं। क्योंकि इसमें एंटी-एजिंग गुण मौजूद होते हैं, जो स्किन की तमाम समस्याओं जैसे फंगस, दाद आदि को दूर करने का काम करते हैं। इसके लिए आप आधा चम्मच बेकिंग सोडा और दो-तीन बूंद एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल नहाने के पानी में कर सकते हैं। साथ ही, यह स्किन का Ph लेवल बढ़ाने के लिए भी अच्छा माना जाता है। इसके अलावा, इसका इस्तेमाल स्पा आदि में भी किया जाता है।

 
पुरानी किडनी की स्थिति को कम करता है

क्षार और एसिड असंतुलन गुर्दे की विकारों को रोकता है। सोडियम बाइकार्बोनेट की मौखिक खपत रक्त को कम अम्लीय बनाती है इसलिए, यह गुर्दे की बीमारी की प्रगति को धीमा कर देती है। जब एक अल्कलिसर सिरप के रूप में उपयोग किया जाता है, तो यह गुर्दे की पत्थरों को खत्म करने में मदद करता है। हालांकि, बेकिंग सोडा का उपयोग एक निवारक उपाय के रूप में नहीं किया जा सकता है और इसका उपयोग चिकित्सा पर्यवेक्षण के तहत किया जाना चाहिए।

खेल प्रदर्शन को बढ़ावा देता है

उच्च तीव्रता वाले वर्कआउट काम करने वाली मांसपेशियों में अम्लता बढ़ाते हैं। बेकिंग सोडा पीने से मांसपेशियों में इष्टतम पीएच संतुलन प्राप्त करने में मदद मिल सकती है जो धीरज और व्यायाम के परिणाम बढ़ाता है। सर्वोत्तम परिणामों के लिए, बेकिंग सोडा को पानी में मिलाएं और काम करने से एक घंटे पहले इसका सेवन करें।

नेचुरल एंटाएसिड :

हमारे पेट में एसिड होते हैं जो स्वस्थ पाचन के लिए जरुरी होते हैं। लेकिन जब यह एसिड हमारे पेट से निकलकर आहार नली में आ जाता है तो हमें गले और पेट में जलन जैसी दिक्कत होने लगती है। क्षारीय प्रवृति होने के कारण बेकिंग सोडा एक नेचुरल एंटाएसिड होता है। यह हमारे पेट में मौजूद एसिड को उदासीन करता है और पेट में गैस को बनने से रोकता है जिससे हमें पेट और गले में होने वाली जलन से आराम मिलता है।

खराब गंधों को खत्म करता है

दुर्गंध आमतौर पर अम्लीय गंध होती है। बेकिंग सोडा का उपयोग एसिडिक और बेसिक गंध अणुओं को निष्क्रिय करके खराब गंध को दूर करने में मदद करता है।

ट्यूमर को बढ़ने से रोकने में मदद करता है

ट्यूमर आमतौर पर अम्लीय शरीर स्थितियों में पनपते हैं। बेकिंग सोडा का उपयोग एसिडिटी को कम करके शरीर को लाभ पहुंचाता है, जिससे ट्यूमर को बढ़ने और फैलने से रोकने में मदद मिलती है। चूंकि कैंसर कोशिकाएं अम्लीय वातावरण में पनपती हैं, बेकिंग सोडा का उपयोग अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए बंद हो जाता है।

 त्वचा को गोरा करने वाला एजेंट

बेकिंग सोडा में ब्लीचिंग के बेहतरीन गुण होते हैं। इसके हल्के एक्सफोलिएशन, क्लींजिंग और त्वचा को गोरा करने वाले गुण इसे कॉस्मेटिक उत्पादों में एक बेहतरीन अतिरिक्त बनाते हैं।

हेल्दी pH को कर सकता है बैलेंस

हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ब्लड एक न्यूट्रल pH 7.3 और 7.4 होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता, तो हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। चूंकि बेकिंग सोडा सोडियम से भरपूर होता है, जो हार्ट बर्न करने का काम करता है। आप इसका पानी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। लेकिन अगर आपको ब्लड प्रेशर की समस्याहै, तो आप इसका सेवन करने से बचें।

कीटनाशकों को दूर करता है

आमतौर पर फलों और सब्जियों की खेती के दौरान कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है। वे फसल को कीटों से बचाते हैं और फसल के उत्पादन में सुधार करते हैं। लेकिन इनका सेवन करना सुरक्षित नहीं है। बेकिंग सोडा फलों और सब्जियों की त्वचा से रासायनिक अवशेषों और कीटनाशकों को निकालने में मदद करता है, जिससे वे मानव उपभोग के लिए सुरक्षित हो जाते हैं।

 नासूर घावों को शांत करता है

नासूर घावों, छोटे और उथले घाव, मुंह के अस्तर के अंदर विकसित होते हैं। हालांकि संक्रामक नहीं हैं, लेकिन ये दर्दनाक हैं। नासूर के घाव पीएच संतुलन में गड़बड़ी के कारण होते हैं। बेकिंग सोडा के घोल से गरारे करने से मुंह के पीएच संतुलन को बहाल करने में मदद मिल सकती है, जिससे नासूर घावों में आराम मिलता है।

स्किन ट्रीटमेंट के लिए

हेल्थ के साथ-साथ इसके स्किन से संबंधित भी कई सारे फायदे हैं। बेकिंग सोडा की मदद से आप अपनी स्किन की गंदगी को भी दूर कर सकती हैं। हालांकि यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि आप इसका सेवन करें। आप इसका मास्क या फिर फेस पैक बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए बस 3 छोटे चम्मच बेकिंग सोडा में थोड़ा पानी मिलाकर पेस्ट तैयार लें और चेहरे पर जहां भी डेड स्किन या ब्लैकहेड्स दिख रहे हों वहां लगा लें और मसाज करें।


बग काटने के लिए उपचार

कीड़े के काटने, विशेष रूप से मच्छर के काटने से त्वचा पर लाल, दर्दनाक उभार हो जाते हैं। वे त्वचा की खुजली और जलन का कारण बनते हैं। बेकिंग सोडा के पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाने से तुरंत राहत मिलती है क्योंकि यह त्वचा के पीएच संतुलन को बेअसर करने में मदद करता है।

पायरिया व दांतों की अन्य बीमारियों

पायरिया व दांतों की अन्य बीमारियों में भी मीठा सोडा बड़ी मुफ़ीद दवा है. एक छोटा चम्मच सोडा में चंद बूंदे पानी की डालकर हल्के हाथों से टूथपेस्ट की तरह मसूड़ों में रगड़ने से विभिन्न दांत सम्बन्धी रोगों में लाभ पहुँचता है. गंदे और पीले दांतों की साफ़-सफ़ाई भी इसी प्रकार की जा सकती है. यह दांतों को चमकाकर सफ़ेद कर डालता है. मीठा सोडा मिले पानी की कटोरी में कृत्रिम दांतों को निकाल कर अच्छे से धोने से बत्तीसी (डेन्चर) चमक उठती हैं.

नाखूनों पर फंगल इन्फेक्शन को ठीक करता है

फंगल इंफेक्शन नाखून की एक आम स्थिति है। इससे नाखूनों और/या पैर के नाखूनों का रंग फीका पड़ जाता है और वे मोटे हो जाते हैं, जिसके बाद उनके टूटने और टूटने की संभावना अधिक होती है। लेकिन बेकिंग सोडा में एंटीफंगल गुण होते हैं, जो नाखूनों से अतिरिक्त नमी को खत्म करते हैं, जो फंगल ग्रोथ के लिए जिम्मेदार होता है।

कब्ज की समस्या से दिला सकता है छुटकारा

आजकल लोगों को सबसे ज्यादा कब्ज की समस्या का सामनाकरना पड़ रहा है। चूंकि मीठा सोडा में आइसोटीन और सोर्बिटोल, मैंगनीज, फोलेट आदि जैसे तत्व मौजूद होते हैं, जो तत्व कब्ज से राहत दिलाने और पाचन तंत्र में सुधार करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, इसको खाने की किसी चीज के साथ मिलाकर सेवन करने से आपकी आंत भी स्वस्थ रहती है। अगर आपको कब्ज और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाना है, तो आप मैदा की कोई भी चीज बनाने से पहले बेकिंग सोडा का इस्तेमाल कर सकती हैं।

जोड़ों के दर्द से छुटकारा

रक्त में यूरिक एसिड का उच्च स्तर जोड़ों के दर्द का कारण बनता है। बेकिंग सोडा के प्रमुख उपयोगों में रक्त और मूत्र में एसिड को निष्क्रिय करके जोड़ों के दर्द को कम करना शामिल है। इस प्रकार यह गाउट और गठिया जैसी दर्दनाक और पुरानी स्थितियों के इलाज में मदद करता है।

कैंसर से करे बचाव

नींबू और बेकिंग सोडा के सेवन से कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोका जा सकता है। दरअसल, इसके सेवन से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है, जो कैंसर के खतरे को कम करने में आपकी मदद कर सकता है।

 मूत्र पथ के संक्रमण से राहत

बेकिंग सोडा मूत्र की अम्लीय सामग्री को कम करने में मदद करता है जो अक्सर महिलाओं में मूत्र पथ के संक्रमण की बार-बार पुनरावृत्ति से जुड़ा होता है। बेकिंग सोडा का सेवन पेशाब में एसिड के स्तर को बेअसर करने में मदद कर सकता है।

मोटापे को नियंत्रण में रखता है

बेकिंग सोडा शुगर क्रेविंग को कंट्रोल करने में मदद करता है। बस अपने मुंह को बेकिंग सोडा के घोल से धोने से चीनी की तलब तुरंत गायब हो जाती है। चूंकि अधिक चीनी का सेवन सीधे वजन बढ़ाने और मोटापे से जुड़ा होता है, बेकिंग सोडा स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है क्योंकि यह आपके शर्करा के सेवन को नियंत्रित रखता है।

पेट में होने वाली जलन

खाना खाने के बाद मुंह, गले और पेट में होने वाली जलन के पीछे एसिड बढ़ने की प्रवृत्ति है, इसे ज़्यादातर लोग जानते हैं और इससे जूझने के लिए वे मीठा सोडा का इस्तेमाल पीढ़ियों से करते भी आये हैं. इसकी मात्रा और इसे लेने की टाइमिंग को लेकर अलबत्ता लोगों में बड़ा संशय रहता है. वैसे तो सोडा लेने की आदर्श स्थिति ख़ाली पेट के वक़्त 2-3 टाइम है. जिन लोगों को खाना खाते ही एसिडीटी उभर आने की प्रवृत्ति है, बेहतर है वे इसे नियमित तौर पर ख़ाली पेट तीन बार लें

शैम्पू की तुलना में ज़्यादा असरदार

सिर के बालों में इसका गाढ़ा घोल लगाकर धोने से यह किसी भी अच्छे शैम्पू की तुमला में ज़्यादा असरदार और रसायनरहित साबित होता है. अपवाद के बतौर कुछ लोगों की खोपड़ी की त्वचा को मीठा सोडा सूट नहीं भी करता है, उन्हें इसका सिर में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

बेकिंग सोडा के दुष्प्रभाव

बेकिंग सोडा के फायदे बहुत अधिक हैं। लेकिन गलत तरीके से बेकिंग सोडा का इस्तेमाल करने से गंभीर साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। लंबे समय तक उपयोग और बेकिंग सोडा की अधिक मात्रा में सेवन करने से हो सकता है:पाचन संबंधी समस्याएं
निर्जलीकरण
बरामदगी
किडनी खराब होना
धीमी और उथली साँसें
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8.4.24

दालचीनी है सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं ,Dalchini ke fayde

 



दालचीनी एक ऐसा मसाला है, जिसका उपयोग आपको सालभर करना चाहिए. हर मौसम और ऋतु में यह मसाला शरीर (Body) को स्वस्थ (Healthy) रखने का कार्य करता है. यह अपने आप में एक औषधि है, जो अलग-अलग चीजों के साथ उपयोग करने पर इनके गुणों में वृद्धि करती है और रोगों (Diseases) को भी दूर करती है.

दालचीनी के उपयोग

दालचीनी का उपयोग स्तंभन दोष, पुरुषों में यौन विकार के इलाज में किया जाता है। दालचीनी का उपयोग मांसपेशियों की ऐंठन के उपचार में किया जाता है और खिलाड़ियों के लिए आदर्श है, जिन्हें मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन प्रवाह की आवश्यकता होती है। दालचीनी भूख को बहाल करने में मदद करता है और कम भूख से पीड़ित रोगियों की मदद करता है। अपच के कारण कम भूख लगती है , और दालचीनी पाचन प्रक्रिया में मदद करती है और शरीर के स्वास्थ्य को पुनर्स्थापित करती है। दालचीनी का उपयोग फफूंदीय संक्रमण को दूर रखने के लिए किया जाता है और हमेशा छोटे बच्चों के लिए फायदेमंद होता है। दालचीनी का उपयोग मल्टीपल स्केलेरोसिस के विनाशकारी गुणों को रोकने में किया जाता है और इसका उपयोग उच्च वसा वाले भोजन के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए भी किया जाता है। दालचीनी से पुराने घाव ठीक हो जाते हैं।

वजन कम करने के लिए सुबह खाली पेट दालचीनी का सेवन

वजन कम करने के लिए दालचीनी का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। इसका सेवन वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद भी होता है। वजन कम करने के लिए आयुर्वेद में दालचीनी को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। दालचीनी का पानी पीने से शरीर का मेटाबॉलिक रेट भी संतुलित रहता है जिससे वजन कम करने में बहुत फायदा मिलता है। वजन कम करने के लिए आप खाने में भी दालचीनी के पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं। रोज सुबह दालचीनी का पानी पीने से आपको दिन में भूख भी कम लगती है जिससे आपको वजन कम करने में फायदा मिलता है। दालचीनी का पानी पीने के अलावा आप इसके पाउडर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। दालचीनी के पाउडर को आप सलाद पर छिड़ककर या इसके पाउडर को दूध में डालकर भी पी सकते हैं।

बांझपन उपचार

दालचीनी एक प्राकृतिक कामोद्दीपक है, और यौन इच्छा को बढ़ाने के लिए पाया जाता है। इसका उपयोग बांझपन के उपचार में भी किया जाता है । बांझपन उपचार में दालचीनी की भूमिका पुरुषों में यौन इच्छा में सुधार करना है, जिससे शुक्राणु का उत्पादन बढ़ जाता है।

दालचीनी में हैं सूजन व लालिमा दूर करने के गुण

दालचीनी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा व शरीर के अंदरूनी हिस्सों में होने वाली सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यदि आपको लंबे समय से कोई सूजन या लालिमा संबंधी समस्या है, तो दालचीनी आपके लिए लाभदायक हो सकती है।

जोड़ों के दर्द के समस्या में सुबह खाली पेट दालचीनी का प्रयोग

जोड़ों के दर्द की समस्या में दालचीनी का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। आप इस समस्या में दालचीनी का कई तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं। दालचीनी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सिडेंट प्रॉपर्टीज पायी जाती हैं जिसकी वजह से जोड़ों के दर्द की समस्या में इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है। रूमेराइट अर्थराइटिस की समस्या में भी आप दालचीनी का सेवन कर सकते हैं। आमतौर पर लोग दालचीनी का औषधीय इस्तेमाल करने के लिए इसके पाउडर का प्रयोग करते है लेकिन आप जोड़ों के दर्द में दालचीनी के पानी का सेवन भी कर सकते हैं। सप्ताह में 2 से 3 बार दालचीनी के पानी का सेवन जोड़ों की समस्या में फायदेमंद माना जाता है।

भोजन विषाक्तता के लिए प्राकृतिक उपाय

दालचीनी में रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो साल्मोनेला से लड़ने में मदद करते हैं, एक जीवाणु संक्रमण जो आंतों को प्रभावित करता है। साल्मोनेला के कारण होने वाली बीमारी को भोजन विषाक्तता के रूप में जाना जाता है ।

इनफर्टिलिटी

यदि आपको पिता बनने का सुख प्राप्त नहीं हो रहा है, तो इसकी वजह इनफर्टिलिटी हो सकती है. पुरुषों में यह समस्या आम होती जा रही है. आप दालचीनी पाउडर को दूध या गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन करें. इसे सलाद, स्मूदी, काढ़ा, दही, सब्जी, सूप आदि में भी डालकर सेवन कर सकते हैं.

दालचीनी मस्तिष्क व तंत्रिका तंत्र को रखे मदद

दालचीनी पर कुछ शोध किए गए और उनमें पाया गया कि दालचीनी में दो ऐसे यौगिक मौजूद होते हैं, जो मस्तिष्क में हानिकारक प्रोटीन बनने से रोकते हैं। यह हानिकारक प्रोटीन मस्तिष्क व तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है जिससे अल्जाइमर और पार्किंसन रोग होने का खतरा बढ़ सकता है।

बढ़ती उम्र के निशान -

दालचीनी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है और एंटीऑक्सीडेंट्स बढ़ती उम्र की निशानियों को रोकने के लिए बेहद असरदार हैं। ये बल्ड वेसल्स को स्टिमुलेट करता है, स्किन में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है, डैमेज्ड सेल्स को रिपेयर करता। इससे बारीक रेखाएं अवॉएड की जा सकती हैं और स्किन की इलास्टिसिटी भी बेहतर होती है और स्किन जवां दिखती है।

स्त्री रोग में बहुत असरदार है दालचीनी

गर्भाशय के विकार और गनोरिया में दालचीनी का उपयोग किया जाता है।
प्रसव के बाद एक महीने तक दालचीनी का टुकड़ा चबाने से गर्भधारणा को टाला जा सकता है।
दालचीनी से माता के स्तन का दूध बढ़ता है।
गर्भाशय का संकुचन होता है।

कान के इंफेक्शन

रात को सोते समय यह पानी पीने से कानों की समस्या जैसे कम सुनाई देना, कानों में आवाज़ आना, कानों में बार बार इंफेक्शन होना में फायदा होता है।

एंटी-इंफ्लामेटरी गतिविधियां

औषधीय पौधों पर किए गये अध्ययन के दौरान दालचीनी में एंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव होने की भी पुष्टि हुई है। कई शोध बताते हैं कि दालचीनी और इसके तेल, दोनों में ही यह प्रभाव पाए जाते हैं। रिसर्च के मुताबिक इसमें कई फ्लेवोनोइड यौगिक होते हैं, जो एंटी-इंफ्लामेटरी गतिविधियों को प्रदर्शित करते हैं । गौर हो कि यह गुण शरीर से जुड़ी सूजन की समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं। शोध बताते हैं कि दालचीनी के पानी का अर्क भी एंटी-इंफ्लामेटरी गुणों से भरपूर होता है

सुबह खाली पेट दालचीनी खाना दिल के लिए फायदेमंद

दिल से जुड़ी समस्याओं से बचाव के लिए सुबह खाली पेट दालचीनी खाना बहुत फायदेमंद होता है। डायबिटीज के अलावा हार्ट से जुड़ी समस्याओं में भी दालचीनी का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जा सकता है। शरीर में मौजूद हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए आप दालचीनी के पाउडर या इसके पानी का सेवन कर सकते हैं। कई शोध और अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि दालचीनी का सेवन शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, सीरम ग्लूकोज और ब्लड में मौजूद फैट को कम करने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और हार्ट से जुड़ी अन्य गंभीर समस्याओं से बचाव के लिए आप 1 से 3 ग्राम दालचीनी का सेवन रोजाना कर सकते हैं।

ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोल-

जिन लोगों को ब्लड प्रेशर (Blood pressure) की शिकायत होती है, उन लोगों को दालचीनी के काढ़े का सेवन करना चाहिए। दालचीनी के काढ़े का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।

साइनस की समस्या

यदि आपको साइनस की समस्या है और उसके कारण सिरदर्द हो रहा है तो दालचीनी इसमें आपकी मदद कर सकती है। जब भी सिरदर्द हो एक चौथाई चम्मच दालचीनी को पानी में मिलाकर पेस्ट बना ले। फिर इस पेस्ट को सिर में लगाएं। दालचीनी में शहद या फिर अदरक मिलाकर पीने से अर्थराइटिस का दर्द भी खत्म हो जाता है।
चुटकी भर दालचीनी पाउडर पानी में उबालकर, उसी में चुटकी भर काली मिर्च पाउडर और शहद डालकर लेने से सर्दी-जुकाम, गले की सूजन एवं मलेरिया कम हो जाता है।

सुबह खाली पेट दालचीनी खाने से पेट की समस्याओं में फायदा

दालचीनी के पाउडर, दालचीनी का पानी और खड़ी दालचीनी का सेवन पेट के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। दालचीनी में एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं और इसमें मौजूद पॉलीफिनाल भी पेट से जुड़ी समस्याओं में बहुत उपयोगी होता है। सुबह खाली पेट दालचीनी खाने से आपको पेट में जलन, ब्लोटिंग की समस्या और कब्ज में भी फायदा मिलता है। पेट में संक्रमण की समस्या में भी दालचीनी का सुबह खाली पेट सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। आप दालचीनी का सेवन पाउडर, दालचीनी के पानी या दालचीनी की चाय के रूप में कर सकते हैं।

दांत दर्द के लिए उपाय

मुंह के अंदर बैक्टीरिया के विकास से दांतों में पट्टिका और अन्य बीमारियों का निर्माण होता है। अगर नियमित रूप से लिया जाए तो दालचीनी में प्रचुर मात्रा में जीवाणुरोधी गुण होते हैं और दांतों को स्वस्थ रखते हैं। दाँत दर्द और दाँत क्षय को कम करने के लिए दालचीनी के तेल की दो बूँदें एक दर्द वाले दाँत और आस-पास के क्षेत्रों में लगाने से पाया जाता है ।

कोलेस्ट्रोल बैलेंस करने में है मददगार

आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाने पर आप दालचीनी का सेवन कर सकते हैं. इससे ब्लड प्रेशर और सर्कुलेशन में सुधार होता है और आपके स्वास्थ्य को लाभ भी पहुंचता है.

आंखों  के लिए लाभदायक

कुछ अध्ययन के अनुसार दालचीनी आंखों के लिए लाभदायक है। दालचीनी के फायदे आंख में सूजन और सूखी आंखों के लिए लाभदायक हैं। दालचीनी का उपयोग अकेले भी लिए जा सकते हैं या फिर किसी और जड़ी- बूटी के साथ भी खा सकते हैं। सही मात्रा में दालचीनी का सेवन करने से आँख की समस्या से राहत मिलती है।

दालचीनी कैंसर की रोकथाम में करे मदद

दालचीनी के कुछ एनीमल व टेस्ट ट्यूब परीक्षण किए गए, जिसमें पाया गया कि दालचीनी ट्यूमर में रक्त वाहिकाएं बढ़ने से रोकता है जिससे कैंसर बढ़ने में दिक्कत होने लगती है। इतना ही नहीं दालचीनी में मौजूद कुछ तत्व कैंसर कोशिकाओं के लिए एक विषाक्त पदार्थ के रूप में काम करते हैं।

डायबिटीज और ब्लड शुगर

दालचीनी खाने के फायदे में डायबिटीज को नियंत्रित करना भी शामिल हो सकता है। मधुमेह के मरीज अगर दालचीनी को आहार में शामिल करें, तो मधुमेह को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। दरअसल, इसमें एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा, एक अन्य शोध में बताया गया है कि दालचीनी में मौजूद पॉलीफेनॉल्स सीरम ग्लूकोज और इंसुलिन को कम करके डायबिटीज के खतरे से बचाव कर सकते हैं

दालचीनी का उपयोग कैसे करें 

दालचीनी का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के खाद्य व पेय पदार्थों में किया जाता है और साथ ही मार्केट में भी ऐसे कई अलग-अलग प्रकार के प्रोडक्ट हैं जो दालचीनी से बने होते हैं। इसके साथ साथ इसमें औषधीय गुण होने के कारण इसका आयुर्वेदिक व घरेलू उपचारों में भी काफी इस्तेमाल होता है। दालचीनी का सेवन करने का तरीका -खाद्य पदार्थों में दालचीनी का पाउडर डालकर
एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच दालचीनी का पाउडर उबालकर
एक चम्मच शहद में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर

दालचीनी के नुकसान

भोजन में दालचीनी का अधिक उपयोग पेट में जलन की वजह बन सकता है.
दालचीनी का अधिक सेवन महिलाओं को गर्भ संबंधी समस्या दे सकता है.
गर्भवती महिलाओं के साथ ही बच्चों को स्तनपान (Breastfeeding) कराने वाली महिलाओं को भी दालचीनी का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए.
दालचीनी उष्ण गुणधर्म की है, इसलिए गर्मी के दिनों में कम उपयोग करें।
दालचीनी से पित्त बढ़ सकता है।
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खाली पेट लहसुन खाने के फायदे,Lahsun khane ke fayde





लहसुन ना सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि सेहत को भी कई तरह से लाभ पहुंचाता है. आयुर्वेद में भी कई रोगों के इलाज में लहसुन का खूब इस्तेमाल होता है. इसके नियमित सेवन से आप कई तरह की बीमारियों से दूर रह सकते हैं. कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर लहसुन को यदि आप कच्चा खाली पेट सुबह में चबाकर खाएं तो पेट की सेहत अच्छी बनी रहती है. एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, फॉस्फोरस, कैल्शियम, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, पोटैशियम, जिंक, कॉपर, थायमिन, राइबोफ्लेविन आदि कई तरह के न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं, जो इसे एक बेहद ही हेल्दी नेचुरल हर्ब बनाते हैं.

खाली पेट लहसुन खाने के फायदे


उच्च रक्तचाप को कम करता है

एक प्राकृतिक हर्बल घटक, लहसुन तनाव के स्तर को कम करने के लिए एक प्रभावी दवा है , विशेष रूप से उच्च रक्तचाप के लक्षण । एलिसिन, जो लहसुन का एक प्रमुख घटक है, दबाव में वृद्धि की स्थिति में रक्त वाहिकाओं को आराम करने में मदद करता है। यह प्लेटलेट एकत्रीकरण की ओर प्रतिरोध को भी सक्षम बनाता है और इस प्रकार घनास्त्रता जैसी स्थितियों से बचाता है और लड़ता है।

कैंसर को रोकता है

लहसुन, शोध से पता चलता है कि प्रोस्टेट, एसोफैगल और कोलन कैंसर के खतरे को काफी हद तक खत्म करने के लिए यह बेहद फायदेमंद है । यह काफी हद तक कम कर देता है, एक हद तक कार्सिनोजेनिक यौगिकों के उत्पादन की प्रक्रिया को समाप्त कर देता है जो कैंसर नामक घातक बीमारी का कारण बनते हैं । स्तन कैंसर के कारण के लिए जिम्मेदार स्तन में पुटी और ट्यूमर के विकास की संभावना को खत्म करने के लिए लहसुन भी व्यापक रूप से लोकप्रिय है

लहसुन से दांत दर्द में मिलती है राहत


अगर किसी के दांतों में दर्द हो तो उसके लिए लहसुन (Lahsun ke Fayde) रामबाण माना जाता है. इसमें कैल्शियम होने के साथ एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जिससे दांतों के दर्द से जल्द राहत मिल जाती है. इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए लहसुन की एक कली पीसकर दांत में दर्द वाली जगह पर लगा लें. ऐसा करने से आपको राहत मिल जाएगी.


सर्दी और खांसी के लिए उपचार

लहसुन, अपने कच्चे रूप में पुराने समय से ही आम सर्दी और खांसी के इलाज के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। ताजा लहसुन की कुचललौंग का सेवन करने से उसे ठंड की गंभीरता काफी कम साबित हुई है।

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखता है

यौगिक एलिसिन की प्रचुर उपस्थिति के कारण, लहसुन हानिकारक एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को ऑक्सीकरण से बचाता है। यह किसी भी विषाक्त पदार्थोंको शरीर से शुद्ध करता है, वसा के संचय को रोकता है और शरीर से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को समाप्त करता है।

इम्यूनिटी बढ़ाए- 

जब आप खाली पेट लहसुन खाते हैं तो रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. इस तरह आप रोगों से बचे रह सकते हैं. सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार या अन्य कोई इंफेक्शन से आप अक्सर परेशान रहते हैं तो इसकी वजह हो सकती है कमरोज इम्यूनिटी. लहसुन खाकर आप इसे बूस्ट कर सकते हैं.

मधुमेह को रोककर रखता है


डायबिटीज शायद दुनिया में मौजूद बीमारियों में सबसे हानिकारक है केवल एक स्टैंड-अलोन स्थिति नहीं है,अगर मधुमेह को नियंत्रण में नहीं रखा जाता है, तो इसके परिणामस्वरूप कई पुराने विकार हो सकते हैं, जैसे किडनी का खराब होना, अकुशल तंत्रिका तंत्र की कार्यप्रणाली, आंखों की रोशनी कमजोर होना, हृदय विकार आदि। लहसुन को आहार में उदारता से उपयोग करने की सलाह दी जाती है। मधुमेह से पीड़ित रोगियों द्वारा एक तेल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

हड्डियों की मजबूती

उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों की मोटाई कम होने लगती हैं और वे कमजोर हो जाती हैं। आयुर्वेद में कच्चे लहसुन का सेवन हड्डियों की मजबूती के लिए फायदेमंद माना गया है। लहसुन खाने से महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन में इजाफा होता है, जो हड्डियों की मजबूती में महत्वपूर्ण पाया गया है।

जोड़ों में दर्द

अगर आपको बार-बार जोड़ों में दर्द या मसल्स में दर्द होता है, तो यह शरीर में बढ़ रही इंफ्लामेशन का लक्षण होता है। लेकिन कच्चे लहसुन में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को खत्म करके दर्द से राहत देते हैं। वहीं, जाड़े में ठंड को दूर रखने के लिए भी लहसुन फायदेमंद होता है।

वजन कम करने में मदद

लहसुन के सेवन से आपकी बढ़ती हुई भूख को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है। यह आपके शरीर की मेटाबोलिज्म को बढ़ावा देता है और आपको अधिक ऊर्जा देता है, जिससे आपके व्यायाम और वजन प्रबंधन में मदद मिल सकती है। लहसुन पाचन तंतु सिस्टम को उत्तेजित कर सकता है और पाचन जीवनुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। इससे पाचन में सुधार हो सकता है और पेट की तकलीफ के संभावना को कम किया जा सकता है।

रेस्पिरेटरी संबंधित समस्याओं में लाभ पहुंचाए- 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब आप लहसुन खाते हैं तो यह टीबी, निमोनिया, ब्रोनकाइटिस, फेफड़ों में कंजेशन, अस्थमा, कफ आदि में लाभ पहुंचाता है. आप इन बीमारियों में डॉक्टर की सलाह पर लहसुन का सेवन करें.

आंतों की बीमारियों को दूर करता है


पेचिश , कोलाइटिस , डायरिया आदि आंतों की स्थिति को रोकने और खत्म करने के लिए लहसुन एक प्रभावी तरीका है । यह एक निराविषकारी के रूप में काम करता है, जो आंत में मौजूद नकारात्मक बैक्टीरिया को खत्म करता है। यह पाचन में सहायता करते हुए और पाचन तंत्र के समुचित कार्य को बढ़ाते हुए शरीर से कीड़े को बाहर निकालता है।

कामेच्छा को बढ़ाता है

लहसुन को कामोत्तेजक गुणों के कारण यौन शक्ति बढ़ाने के लिए जाना जाताहै। यह व्यापक रूप से पुरुषों और महिलाओं दोनों में यौन कामेच्छा बढ़ाने के लिए जाना जाता है। यह तंत्रिका थकान को रोकने में मदद करता है जो एक अतिसक्रिय यौन जीवन शैली की स्थिति में हो सकता है।

हार्ट ब्लॉकेज से बचाता है

इसके अलावा, लहसुन को रक्त में प्लेटलेट्स के चिपकने को कम करने वाला माना जाता है। ये प्लेटलेट्स रक्त के थक्के बनाने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। लहसुन की एक स्वस्थ खुराक का सेवन रक्त में मौजूद प्लेटलेट्स के बहुत अधिक थक्का बनने वाले प्रभाव को कम करने में मदद करता है।
इस प्रकार, यह धमनियों के अंदर अनचाहे रक्त के थक्कों के बनने को रोकने में सहायता कर सकता है। रक्त के थक्के अगर ना रोके जाएं तो यह दिल तक पहुंच सकते है जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है।

पाचन में सुधार करता है

लहसुन का नियमित सेवन मानव शरीर को पाचन के एक स्थिर स्तर को बनाए रखने में सक्षम बनाता है। जड़ी बूटी स्वस्थ पाचन सुनिश्चित करने के लिए ,आंतों पूर्ण पाचन को सुनिश्चित करने के लिए, स्वस्थ पाचन सुनिश्चित करने के लिए कार्य करते हैं। पेट की सूजन, जलन, सूजन और ऐसे अन्य विकारों को लहसुन के उपयोग से सफलतापूर्वक समाप्त किया जा सकता है।

मुहांसों को रोकता है

दुनिया के हर दूसरे व्यक्ति को जीवन में किसी न किसी मोड़ पर मुंहासों से जूझना पड़ता है। लहसुन को मुंहासों के उपचार के लिए एक अत्यधिक प्रभावी माध्यम माना जाता है जब शहद, हल्दी , मलाई आदि जैसे अन्य सुखदायक अवयवों , ओट ओटी को इसके एंटीबायोटिक गुणों के साथ मिलाया जाता है , लहसुन त्वचा को साफ करने वाले चकत्ते , निशान और त्वचा की सूजन के रूप में काम करता है।

गर्मियों में खा सकते हैं लहसुन लेकिन

गर्मियों में लहसुन खाने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन इसकी मात्रा कम कर देनी चाहिए. असल में लहसुन की तासीर गर्म होती है. ऐसे में ज्यादा मात्रा में लहसुन खाने से आपको एलर्जी या पेट से जुड़ी समस्या हो सकता है. इसमें एलिसिन नाम का तत्व पाया जाता है, जिसकी मात्रा ज्यादा होने से लिवर को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.
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6.4.24

सेक्सुअल क्षमता बढ़ाती है गोरख मुंडी ,सैंकड़ों रोगों में राम बाण औषधि /Benefits of Gorakh mundi




भारत में चमत्कारिक जड़ी-बूटियों से युक्त औषधियों का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है. ऐसी ही एक सुगंधित जड़ी-बूटी है गोरखमुंडी (Gorakhmundi). भारत के लगभग हर वन्य प्रदेशों में आसानी से उपलब्ध होने वाला गोरखमुंडी को आमतौर पर बरसात में बोया जाता है और सर्दी के आते-आते इसमें फल-फूल लगने लगते हैं. इसके पश्चात ये इस्तेमाल करने योग्य हो जाते हैं. कभी-कभी ग्रीष्मकाल में गोरखमुंडी के पौधे धान के खेतों में भी नजर आ जाते हैं. गोरखमुंडी वस्तुतः तमाम औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. इनका इस्तेमाल आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा आदि के अंतर्गत विभिन्न छोटे-बड़े रोगों के लिए किया जाता है. मधुमेह, बुखार, खांसी, पाचन, पीलिया, पेट के कीड़ों इत्यादि रोगों के उपचार के लिए इसके पौधों, पत्तियों, जड़ों एवं फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. आइये जानें गोरखमुंडी के विभिन्न हिस्सों का इस्तेमाल किन-किन रोगों के लिए किस रूप में किया जाता है, और ये किस हद तक लाभकारी हो सकते हैं.

सेक्सुअल क्षमता बढ़ाने के लिए

हर्बेलिस्ट डॉ.दयाराम आलोक लिखते हैं  गोरख मुंडी  के पौधों को छांव में सुखाकर बारीक पीस लें. अब इसमें मिश्री को पीसकर मिला लें. प्रतिदिन सुबह शाम एक छोटा चम्मच पाउडर को दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से कामेन्द्रिय क्षमता बढ़ती है. इसके अलावा गोरखमुंडी के बीजों को सुखाकर पीस लें इसमें समान मात्रा में पीसा हुआ शक्कर मिलाकर प्रतिदिन दो से तीन ग्राम पानी के साथ पीएं. इससे सेक्सुअल स्टैमिना बढ़ता है.

यौन रोगों के उपचार हेतु

महिलाओं की योनि में दर्द की शिकायत होने पर गोरखमुंडी के लेप को एरंड के तेल में भूनकर ठंडा होने दें. इस पेस्ट को योनि में लेप करने से योनि में राहत मिलेगी.

गोरख मुंडी के अद्भुत औषधीय गुण :

गोरख मुंडी का प्रयोग बवासीर में भी बहुत लाभदायक माना गया है। गोरख मुंडी की जड़ की छाल निकालकर उसे सुखाकर चूर्ण बनाकर हर रोज एक चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से मट्ठे का सेवन किया जाये तो बवासीर पूरी तरह समाप्त हो जाती है। जड़ को सिल पर पीस कर उसे बवासीर के मस्सों में तथा कण्ठमाल की गाठों में लगाने से बहुत लाभ होता है। पेट के कीड़ों में भी इस की जड़ का पूर्ण प्रयोग किया जाता है, उससे निश्चित लाभ मिलता है।
गोरख मुंडी एक एसी औषधि है जो आंखो को जरूर शक्ति देती है। अनेक बार अनुभव किया है। आयुर्वेद मे गोरख मुंडी को रसायन कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार रसायन का अर्थ है वह औषधि जो शरीर को जवान बनाए रखे।
गोरख मुंडी के चार ताजे फल तोड़कर भली प्रकार चबायें और दो घूंट पानी के साथ इसे पेट में उतार लें तो एक वर्ष तक न तो आंख आएगी और न ही आंखों की रोशनी कमजोर होगी। गोरखमुंडी की एक घुंडी प्रतिदिन साबुत निगलने कई सालों तक आंख लाल नहीं होगी।

शरीर से बदबू आने पर

पसीने अथवा किन्हीं अन्य वजहों से शरीर से बदबू आ रही है तो करीब डेढ़ ग्राम गोरखमुंडी का पाउडर पानी गटक जायें. शरीर के बदबू से छुटकारा मिलेगा. अगर दो-तीन दिन में बदबू नहीं जाती है तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सुझाव लें.

आंखों में पीड़ा होने पर

ताजे गोरखमुंडी के रस को तांबे के बर्तन में रखें. अब नीम की टहनी से इसे घुमायें. जब उसका रंग काला हो जाये तो उसमें रुई को अच्छी तरह भिगो कर सुखा लें. रूई को दुखती आंखों पर पानी से भिगोकर रखें. आंखों की पीड़ा को राहत मिलेगा.

गले में खराश होने पर


गोरखमुंडी के फलों को सुखाकर उसका चूर्ण बनायें. करीब 50 ग्राम गोरखमुंडी के पाउडर में 10 ग्राम सूखे अदरख (सोंठ) का पाउडर मिलाकर रख बोतल में पैक कर लें. प्रतिदिन करीब एक से डेढ़ ग्राम पाउडर में शहद मिलाकर चाटें. कुछ ही दिनों में इससे लाभ मिलेगा.
*इसके पत्ते पीस कर मलहम की तरह लेप करने से नारू रोग (इसे बाला रोग भी कहते हैं, यह रोग गंदा पानी पीने से होता है) नष्ट हो जाते हैं।
*गोरख मुंडी का सेवन करने से बाल सफेद नही होते हैं।
*गोरख मुंडी के पौधे उखाड़कर उनकी सफाई करके छाये में सुखा लें। सूख जाने पर उसे पीस लीजिए और घी चीनी के साथ हलुआ बनाकर खाइए, इससे इससे दिल, दिमाग, लीवर को बहुत शक्ति मिलती है।
*गोरख मुंडी का काढ़ा बनाकर प्रयोग करने से पथरी की समस्या दूर होती है।

आंखों की रोशनी के लिए

गोरखमुंडी का उपयोग कान, नाक और गले के विकार तथा नेत्र विज्ञान के विभिन्न विकारों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके कुछ समय तक सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ सकती है. गोरखमुंडी के 3-4 ताजे फूल लें और इसे दो चम्मच तिल के तेल में मिलाएं. नियमित सेवन आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने में मदद करेगा. साथ ही आंखों की लालिमा से भी छुटकारा दिलाएगा.

कुष्ठ रोग दूर करे

यदि कुष्ठ रोग है तो गोरखमुंडी का चूर्ण, नीम की छाल का चूर्ण लें और काढ़ा तैयार करें. इस काढ़े को सुबह और शाम को पीने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है.कुष्ठ रोग होने पर गोरख मुंडी का चूर्ण और नीम की छाल मिलाकर काढ़ा तैयार कीजिए, सुबह-शाम इस काढ़े का सेवन करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
*पीलिया के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद औषधि है।
*गोरख मुंडी के पत्ते तथा इसकी जड़ को पीस कर गाय के दूध के साथ लिया जाये तो इससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है। यदि इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर कोई व्यक्ति लगातार दो वर्ष तक दूध के साथ सेवन करता है तो उसका शरीर मजबूत हो जाता है। गोरख मुंडी का सेवन शहद, दूध मट्ठे के साथ किया जा सकता है।

आंतों के कीड़े खत्म करने में

आंतों के कीड़ों को खत्म करने और बाहर निकालने में यह जड़ी-बूटी बड़े काम की साबित हो सकती है. यह पेट के कीड़ों को निकालने में भी मदद करती है. गोरखमुंडी की जड़ का पाउडर बनाकर दिन में एक बार आधा चम्मच सेवन करें.

सांसों की बदबू से छुटकारा

सांसों की बदबू से छुटकारा पाने के लिए गोरखमुंडी का पाउडर सिरके के साथ लें. इसके लिए गोरखमुंडी पाउडर को सिरके में अच्छे से मिला लें और सुबह-शाम एक चुटकी लें.

पित्ताशय की पथरी को दूर करे

पथरी और पित्ताशय की पथरी को खत्म करने में गोरखमुंडी फायदेमंद है. गर्भाशय, योनि से संबंधित अन्य बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद औषधि है.
*गोरख मुंडी तथा सौंठ दोनों का चूर्ण बराबर-बराबर मात्रा में गर्म पानी से लेने से आम वात की पीड़ा दूर हो जाती है।
*गोरख मुंडी चूर्ण,घी,शहद को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से वात रोग समाप्त होते हैं।

ह्रदय को स्वस्थ बनाने के लिए


गोरखमुंडी के जड़ के काढ़े का सेवन करने से सीने में दर्द एवं चुभन होने पर आराम मिलता है. इसके अलावा गोरखमुंडी के फल का अर्क भी फायदेमंद होता है. लेकिन जब तक इसका सेवन करें तब तक खट्टी, गर्म वस्तुओं एवं हस्तमैथुन आदि से दूर रहना चाहिए.

पेट में कीड़े की शिकायत होने पर

पेट में कीड़े की शिकायत होने पर लगभग एक से डेढ़ ग्राम गोरखमुंडी के पाउडर को सुबह शाम फांक कर शुद्ध जल पीएं. कीड़ मल के रास्ते निकल जायेंगे. इसके अलावा 10 ग्राम एरंड के तेल (Castor Oil) में 2 से 3 ग्राम गोरखमुंडी के पाउडर को दिन में दो बार लेने से जलोदर नामक रोग में भी लाभ पहुंचेगा.

बवासीर होने पर

बवासीर की शिकायत होने पर 1 से 2 ग्राम गोरखमुंडी का पाउडर छाछ अथवा गाय के दूध के साथ मिलाकर रात में सोने से पूर्व पी लें, एक सप्ताह तक लगातार इसका सेवन करें. बवासीर से छुटकारा मिलेगा. इसके अलावा गोरखमुंडी के कुछ पत्तों के साथ एरंड के पत्तों को पीसकर इसका रस निकाल लें. लगभग पांच मिली रस दिन में एक बार मरीज को पिलायें. इसके पत्तों को कूट कर इसकी लुगदी बनाकर मस्सों पर कुछ घंटों के लिए बांधने से भी बवासीर से राहत मिल सकती है.

गठिया के मरीजों के लिए

गठिया के मरीजों को 30 ग्राम गोरखमुंडी और 10 ग्राम कुटकी के पाउडर को मिलाकर एक शीशी में सुरक्षित रख लें. अब प्रतिदिन इसके दो ग्राम पाउडर को शहद में मिलाकर लेने से गठिया में राहत मिलती है.
*गले के लिए यह बहुत फायदेमंद है, यह आवाज को मीठा करती है।
*गोरख मुंडी का सुजाक, प्रमेह आदि धातु रोग में सर्वाधिक सफल प्रयोग किया गया है।
*फोड़े-फुन्सी या खुजली हो तो गोरख मुंडी के बीजों को पीसकर उसमें समान मात्रा में शक्कर मिलाकर रख लें और एक बार प्रतिदिन दो चम्मच ठंडे पानी से लेने से इन बीमांरियों में फायदा होता है। इस चूर्ण को लेने से शरीर में स्फूर्ति भी बढ़ती है।

गोरख मुंडी से औषिधि बनाने का तरीका :

गोरख मुंडी का पौधा यदि यह कहीं मिल जाए तो इसे जड़ सहित उखाड़ ले। इसकी जड़ का चूर्ण बना कर आधा आधा चम्मच सुबह शाम दूध के साथ प्रयोग करे ।
बाकी के पौधे का पानी मिलाकर रस निकाल ले। इस रस से 25% अर्थात एक चौथाई घी लेकर पका ले। इतना पकाए कि केवल घी रह जाए। यह भी आंखो के लिए बहुत गुणकारी है।
बाजार मे (पंसारी या कंठालिया की दुकान पर) साबुत पौधा या जड़ नहीं मिलती। केवल इसका फल मिलता है। वह प्रयोग करे। 100 ग्राम गोरख मुंडी लाकर पीस ले। बहुत आसानी से पीस जाती है। इसमे 50 ग्राम गुड मिला ले। कुछ बूंद पानी मिलाकर मटर के आकार की गोली बना ले। यह काम लोहे कि कड़ाही मे करना चाहिए । न मिले तो पीतल की ले। यदि वह भी न मिले तो एल्योमीनियम कि ले। जो अधिक गुणकारी बनाना चाहे तो ऐसे करे। 300 ग्राम गोरखमुंडी ले आए। लाकर पीस ले । 100 ग्राम छन कर रख ले। बाकी बची 200 ग्राम गोरख मुंडी को 500 ग्राम पानी मे उबाले। जब पानी लगभग 300 ग्राम बचे तब छान ले। साथ मे ठंडी होने पर दबा कर निचोड़ ले। इस पानी को मोटे तले कि कड़ाही मे डाले। उसमे 100 ग्राम गुड कूट कर मिलाकर धीमा धीमा पकाए। जब शहद के समान गाढ़ा हो जाए तब आग बंद कर दे। जब ठंडा जो जाए तो देखे कि काफी गाढ़ा हो गया है। यदि कम गाढ़ा हो तो थोड़ा सा और पका ले। फिर ठंडा होने पर इसमे 100 ग्राम बारीक पीसी हुई गोरख मुंडी डाल कर मिला ले। अब 50 ग्राम चीनी/मिश्री मे 10 ग्राम छोटी इलायची मिलाकर पीस ले। छान ले। हाथ को जरा सा देशी घी लगा कर मटर के आकार कि गोली बना ले। गोली बना कर चीनी इलायची वाले पाउडर मे डाल दे ताकि गोली सुगंधित हो जाए। 3 दिन छाया मे सुखाकर प्रयोग करे। इलायची केवल खुशबू के लिए है।

सेवन करने का तरीका :

1-1 गोली 2 समय गरम दूध से हल्के गरम पानी से दिन मे 2 बार ले। सर्दी आने पर 2-2 गोली ले सकते हैं। इसका चमत्कार आप प्रयोग करके ही अनुभव कर सकते हैं। आंखे तो ठीक होंगी है रात दिन परिश्रम करके भी थकावट महसूस नहीं होगी। कील, मुहाँसे, फुंसी, गुर्दे के रोग सिर के रोग सभी मे लाभ करेगी। जिनहे पेशाब कम आता है या शरीर के किसी हिस्से से खून गिरता है तो ठंडे पानी से दे। इतनी सुरक्षित है कि गर्भवती को भी दे सकते हैं। ध्यान रहे 2-4 दिन मे कोई लाभ नहीं होगा। लंबे समय तक ले । गोली को अच्छी तरह सूखा ले। अन्यथा अंदर से फफूंद लग जाएगी।
ध्यान रखें – ये पाचन शक्ति बढ़ाती है इसलिए भोजन समय पर खाए। चाय पी कर भूख खत्म न करे। चाय पीने से यह दवाई लाभ के स्थान पर हानि करेगी।
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पित्ताशय की पथरी (Gall Stone) रामबाण हर्बल औषधि बताओ

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गर्मियों में cold drinks पीने से हो सकते हैं सेहत को खतरनाक नुकसान


 



गर्मियां शुरू होते ही कार्बोनेटेड ड्रिंक (Carbonated drinks) यानी कि सॉफ्ट ड्रिंक (soft drinks) की डिमांड भी तेजी से बढ़ना शुरू हो जाती है। अलग-अलग फ्लेवर में विभिन्न प्रकार के सॉफ्ट ड्रिंक्स बाजार में उपलब्ध हैं। यह लोगों को काफी ज्यादा पसंद होता है। गर्मियों में लोग इसे अपनी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बना लेते हैं और दिन में एक बार जरूर पीते हैं। बर्थडे पार्टी हो या ऑफिस पार्टी कार्बोनेटेड ड्रिंक्स न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। लोग जितना इसे पसंद करते हैं, उतना ही यह उनकी सेहत के लिए हानिकारक होता है। खासकर इसका सेवन पेट के लिए अधिक नुकसानदेह होता है (side effects of carbonated drinks)। ऐसे में इस गर्मी खुद को स्वस्थ रखने के लिए कार्बोनेटेड ड्रिंक्स से जितना हो सके उतना परहेज रखने की कोशिश करें।

कोल्ड ड्रिंक्स के नुकसान

दिल के मरीजों को

अगर आपको कभी हार्ट अटैक आया हो या फिर दिल से जुड़ी कोई भी बीमारी की दवा चल रही हो तो आपको कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि कोल्ड ड्रिंक कोलेस्ट्रोल बढ़ाने का काम करता है और ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है। साथ ही ये बीपी बढ़ाने का भी काम करता है इसलिए दिल के मरीजों को इसके सेवन से बचना चाहिए।

बच्चों को

बच्चों में आज कल मोटापा और डायबिटीज बेहद आम हो गया है। इसके पीछे एक बड़ा कारण है सॉफ्ट ड्रिंक्स और ऑयली फूड्स। ऐसे में बच्चों को कोल्ड ड्रिंक पीने को देना उनमें प्रीडायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है और मोटापा बढ़ने का कारण बन सकता है।

गैस्ट्रोइंटाइटिस के रोगियों को

डॉ. अमिताभ बताते हैं कि लोगों को लगता है कि कोल्ड डिंक्स एसिडिटी को कम करता है, जबकि ऐसा नहीं है उल्टा ये एसिडिटी को बढ़ा सकता है। पेट के पीएच को नुकसान पहुंचा सकता है और एसिडिक पीएच को बढ़ाता है। इसके अलावा आप जिन लोगों को लगातार पेट में दर्द, अल्स और अन्य प्रकार की पेट की समस्याएं होती हैं उन्हें कोल्ड डिंक्स या सॉफ्ट ड्रिंक पीने से बचना चाहिए। क्योंकि कोल्ड ड्रिंक पेट में सूजन बढ़ाता है और ब्लॉटिंग की समस्या पैदा करता है।

हाई बीपी के मरीजों को

जिन लोगों की हाई बीपी की शिकायत है उन्हें कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि कार्बोनेटेड ड्रिंक्स में हाई सोडियम होता है जो कि ब्लड प्रेशर बढ़ाने का काम करता है। इसके अलावा ये शरीर में प्यास कम करके पानी की कमीको बढ़ावा देता है, जिससे ब्लड वेसेल्स को नुकसान होता है और आपका ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। ऐसे में हाई बीपी के मरीजों को कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए।

डायबिटीज और अन्य मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है

कार्बोनेटेड ड्रिंक में रिफाइंड शुगर की मात्रा पाई जाती है। वहीं इसमें किसी प्रकार का पोषक तत्व मौजूद नहीं होता। ऐसे में एम्प्टी कैलरी कार्बोनेटेड ड्रिंक्स के सेवन से शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ता है। जिसके कारण आपको बार बार भूख लगती है और साथ ही थकान महसूस होता है। इसके नियमित सेवन से टाइप 2 डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ जाता है।
किडनी की सेहत पर पड़ता है असर


अधिक मात्रा में सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन किडनी को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। यह बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करता है। ऐसे में इसके प्रभावित होने से शरीर में अन्य प्रकार की समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार किडनी आपके शरीर से एसिडिक ड्रिंक्स जैसे कि कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और सॉफ्ट ड्रिंक इत्यादि को फ्लश करता है। ऐसे में इन एसिडिक ड्रिंक्स की अधिकता किडनी स्टोन का कारण बन सकती है।

एसिडिटी और हार्टबर्न का कारण बन सकता है

कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन ब्लीचिंग का कारण बनता है। ऐसी स्थिति में खाने और पेट का एसिड फूड पाइप में वापस आ जाता है जिसकी वजह से हार्टबर्न और खट्टे डकार आने जैसी समस्याएं होती हैं। वहीं एसिड और सोडा पेट की लाइनिंग को इरिटेट कर देता है और एसिड रिफ्लक्स को बढ़ावा देता है।

दांतों को नुकसान पहुंचाता है

न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का नियमित सेवन दांतो की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। कैल्शियम और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का इंटरेक्शन बिल्कुल भी उचित नहीं है। इसके साथ ही सॉफ्ट ड्रिंक्स में मौजूद एसिड की मात्रा इनेमल को कमजोर कर देती है और ऐसे में दांतों में सड़न आना शुरू हो जाता है।

नींद को प्रभावित करता है

सॉफ्ट ड्रिंक्स में मौजूद कैफीन काफी ज्यादा एडिक्टिव होती है। इसके साथ ही यह एड्रेनालाईन के उत्पादन को बढ़ा देती है। नियमित रूप से सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन आपकी नींद की गुणवत्ता को पूरी तरह से खराब कर देती है। इसकी वजह से शरीर में कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती है। साथ ही ये डाइजेशन के लिए भी बिल्कुल उचित नहीं होता।

डिहाइड्रेशन का कारण बनता है

आमतौर पर गर्मी में कार्बोनेटेड ड्रिंक को लोग प्यास बुझाने के लिए पीते हैं। परंतु असल में इसका सेवन आपके शरीर को डिहाइड्रेटेड कर देता है। इसके सेवन से बार-बार बाथरूम जाने की आवश्यकता पड़ती है। वहीं पेशाब की अधिकता आपके लिए उचित नहीं है क्योंकि ये आपके शरीर से पानी को पूरी तरह बाहर निकाल देती है।
प्रीमेच्योर एजिंग का कारण बन सकता है
न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार इन ड्रिंक्स को बनाने में इस्तेमाल होने वाले फास्फेट और अन्य प्रोसेस फूड्स जैसे कि रिफाइंड शुगर एजिंग प्रोसेस को बढ़ावा देने का काम करते हैं। यह केवल रिंकल्स ही नहीं बल्कि त्वचा से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार होता है। इसके साथ ही इसके अधिक सेवन से किडनी और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
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