1.3.24

प्रकृति के वरदान अश्वगंधा के अनमोल फायदे




यूं तो हमारे आसपास कई दिव्य औषधि पौधे पाए जाते हैं। लेकिन इनकी पहचान व सही जानकारी न होने के कारण। हम इनके गुणों से अनजान रहते हैं। इनसे मिलने वाले लाभकारी फायदों से वंचित रह जाते हैं। ऐसी ही एक दिव्य औषधि है – अश्वगंधा।
इसको एक रसायन औषधि माना जाता है। जो बच्चों में टॉनिक का काम करती है। तो वही बड़े-बुजुर्गों को दीर्घायु प्रदान करती है। इसे सात्विक कफ रसायन भी कहा जाता है। जो हमारे नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाती है। यह इंद्रिय दुर्बलता या लिंग कमजोरी में भी बहुत फायदेमंद है।
यह हमारे stress को कम करके, मानसिक शांति प्रदान करती है। यह कैंसर होने की दशा में, Tumor Cells को भी खत्म करती है। यह कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को भी कम करती है। अश्वगंधा दो शब्दों से मिलकर बना है। अश्व + गंधा अर्थात जिसकी जड़ों से या कच्चे मूल से, अश्व के समान गंध आती है।
इसका दूसरा अर्थ यह भी है। इसके सेवन से अश्व या घोड़े के समान ताकत व यौन शक्ति मिलती है। घोड़े जैसा stamina मिलता है। इससे उत्साह प्राप्त होता है। इसे एक शक्ति वर्धक पौधे के रूप में मान्यता मिली हुई है।
अश्वगंधा पुरुषों के लिए एक बहुत उपयुक्त और गुणकारी जड़ी बूटी है। । यह प्राकृतिक वृद्धि और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है जो शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करने में सहायक होता है। अश्वगंधा में पाये जाने वाले विशेष तत्व पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य को समर्थित करते हैं और सेक्सुअल प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, अश्वगंधा पुरुषों के मानसिक तनाव को कम करके उन्हें सकारात्मक मानसिक स्थिति में रखता है और उनकी ऊर्जा स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। इसलिए, अश्वगंधा का नियमित सेवन पुरुषों के सामान्य स्वास्थ्य और विकास के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है।

मस्तिष्क कार्य और स्मृति में मदद (Assistance in brain function and memory)

अश्वगंधा पुरुषों के लिए आपकी स्मृति को बढ़ा सकती है और एंटीऑक्सिडेंट गतिविधि को प्रोत्साहित करती है जो हानिकारक मुक्त रेडिकल से न्यूरॉन कोशिकाओं को बचाती है। अध्ययन भी सुझाव देते हैं कि यह मस्तिष्क शक्ति के अन्य पहलुओं को बढ़ाने की शक्ति रखता है। जड़ की 300 मिलीग्राम दो बार प्रतिदिन लेने से स्मृति स्वास्थ्य, कार्य दक्षता और कार्य प्रदर्शन में महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है।

शोथ को कम करता है और प्रतिरक्षा बढ़ाता है (Reduces inflammation and enhances immunity)

अश्वगंधा में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो मुक्त रेडिकल्स के कारण हुए नुकसान को ठीक कर सकते हैं। इस जड़ी बूटी को प्रतिदिन सिर्फ 10 मिलीलीटर लेने से संक्रमण से लड़ने वाले प्रतिरक्षा कोशिकाओं के स्तर में वृद्धि होती है। हाल ही में पोर्टलैंड में आयोजित एक अध्ययन में यह जड़ी बूटी शोथ को कम करने में भी मददगार साबित हुई है।

शुक्राणु को ताकतवर बनाता है (Strengthens sperm)

अश्वगंधा पुरुषों की यौन क्षमता और इच्छाशक्ति बढ़ाने के लिए पारंपरिक रूप से उपयोग किया जाता है। इस जड़ी बूटी का प्रयोग विभिन्न अध्ययनों में फर्टिलिटी बढ़ाने वाली गुणों को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। इसे प्रतिदिन 5 ग्राम लेने से शुक्राणु संख्या और गति बढ़ जाती है और T-लेवल में भी विशेष बढ़ोत्तरी देखी जाती है।

समय से पहले बालों का सफेद होना -

यह आयुर्वेदिक औषधि बालों में मेलानिन के उत्पाद को बढ़ाती है। मेलेनिन एक प्रकार का पिगमेंट होता है, जो बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने में मदद करता है

बालों के झड़ने से राहत देता है

कॉर्टिसोल या तनाव स्तर में वृद्धि बाल फोलिकल के सही कामकाज पर असर डालती है, जिससे बालों का झड़ना होता है। अश्वगंधा बालों के झड़ने को रोकने में मदद करता है और शरीर के तनाव स्तर को नियंत्रित करने में उपयोगी हो सकता है।

शुक्राणु गतिशीलता में वृद्धि (Improves Sperm Mobility)

अश्वगंधा से शुक्राणु की सक्रिय गति में सुधार हो सकता है, जो कि फर्टिलिटी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गतिशील शुक्राणु अधिक सक्षम होते हैं अंडाणु तक पहुँचने और निषेचन की प्रक्रिया को पूरा करने में। अश्वगंधा के एंटीऑक्सीडेंट गुण शुक्राणु कोशिकाओं की सुरक्षा करते हैं और उनकी गतिशीलता और जीवित रहने की क्षमता में वृद्धि होती है।

यौन इच्छा बढ़ाए - 



अश्वगंधा का सेवन करने से स्ट्रेस, चिंता जैसी मानसिक परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही इससे टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की कमी दूर होती है, जिससे पुरुषों में यौन इच्छाओं को बढ़ाया जा सकता है।यह कामोत्तेजना को बढ़ाने में प्रभावी हो सकता है।

उच्चतर टेस्टोस्टेरोन 



अश्वगंधा बूटी टेस्टोस्टेरोन के स्तर को काफी बढ़ाती है। पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ-साथ इस हार्मोन की उत्पादन भी उनके शरीर में काफी कम हो जाती है। इसके अलावा, कहा जाता है कि इस हार्मोन का स्तर प्रति वर्ष 30 साल की उम्र पर पुरुषों में 0.4 से 2 प्रतिशत तक गिरना शुरू हो जाता है। पुरुषों को बालों का झडना, मांसपेशियों का नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। अश्वगंधा टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में मदद करता है और टेस्टोस्टेरोन और लुटिनाइजिंग हार्मोन के सीरम स्तर में वृद्धि करता है। अश्वगंधा पुरुषों में सेक्सुअल हार्मोनों के प्राकृतिक संतुलन को पुनर्स्थापित कर सकती है।

घाव भरने के लिए - 

अश्वगंधा घाव में बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है। दरअसल, इसमें मौजूद एंटीमाइक्रोबियल प्रभाव घाव में पनपने वाले जीवाणुओं को खत्म करके इंफेक्शन के खतरे को रोक सकता हैं।

चिंता और तनाव को कम करना



अनुचित तनाव और तनाव विकारों "चुपचाप मारने वाले" परेशानियाँ है, जो सेहत से जुड़ी विभिन्न समस्याओं का कारण बन सकते हैं, जो आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं, मस्तिष्क पर असर डाल सकते हैं और आपके जीवाश्म तंत्र के प्राकृतिक काम को भी अस्तव्यस्त कर सकते हैं। अश्वगंधा महिलाओं और पुरुषों के लिए अध्ययनों में इसके तनाव स्तर को कम करने के सबूत हैं। 

मांसपेशियों की ताकत और विकास को बढ़ावा देना 

अध्ययनों के अनुसार, इस जड़ी-बूटी का सेवन ताकत और मांसपेशियों की मात्रा में एक महत्वपूर्ण वृद्धि लाता है और उनके शरीर की चर्बी की मात्रा को कम करता है। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि उन पुरुषों को जिन्होंने एक ग्राम इस जड़ी-बूटी का सेवन प्रतिदिन किया, सिर्फ 30 दिनों में काफी मांसपेशियों की ताकत में वृद्धि हुई।

क्या अश्वगंधा को बिस्तर में लंबे समय तक टिकने में मदद करती है?

बिस्तर पर अश्वगंधा के क्या लाभ हैं? अश्वगंधा कामेच्छा को बढ़ा सकता है, तनाव को कम कर सकता है, मूड को बेहतर बना सकता है और समग्र ऊर्जा में सुधार कर सकता है, जिससे बेहतर यौन अनुभव प्राप्त होता है।

वजन कम करने के लिए - 

अश्वगंधा की जड़ के अर्क का सेवन करने से भूख और वजन में कमी पाई गई। अश्वगंधा की जड़ का अर्क तनाव के मनोवैज्ञानिक लक्षणों में सुधार कर सकता है। यह तनाव और चिंता को कम कर भोजन की तीव्र इच्छा में कमी लाकर वजन को कम करने में सहायक हो सकता है।

इसके अलावा यह बहुत से मुक्त कणों की सफाई का प्रचार करके लिपिड पेरोक्सीडेशन को कम कर देता है जिससे सेलुलर क्षति होती है.

हृदय रोग से बचाव के लिए - 

अश्वगंधा में कार्डियोप्रोटेक्टिव प्रभाव होता है, जो हृदय को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, अश्वगंधा में मौजूद हाइपोलिपिडेमिक प्रभाव कोलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।

मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए -

 अश्वगंधा व्यक्ति के मस्तिष्क के विकार चिंता, अवसाद और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा यह  याददाश्त को बेहतर रखने में सहायक हो सकता है। इतना ही नहीं, मस्तिष्क के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अश्वगंधा लाभकारी है।

एजिंग से बचाने में - 

अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते है। इस लिहाज से यह त्वचा के लिए भी लाभकारी हो सकता है। एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़कर बढ़ती उम्र (एजिंग) के लक्षणों जैसे झुर्रियां व ढीली त्वचा से बचा सकता है।

कैंसर के लिए:

कुछ अध्ययनों में यह पाया गया कि अश्वगंधा में शक्तिशाली विरोधी ट्यूमर प्रभाव है.
यह भी पाया गया है की इसका रस कैंसर कोशिकाओं के प्रसार को रोकता है - विशेष रूप से स्तन, फेफड़े, पेट और पेट के कैंसर कोशिकाएँ.
ऐसा माना जाता है कि मुख्य रूप से इसकी प्रतिरक्षा बूस्टिंग और एंटीऑक्सीडेंट क्षमता कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद करती करती है.
मौजूदा कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी के अतिरिक्त अश्वगंधा एक बहुत उपयोगी हो सकता है. इसका रस कीमोथेरेपी के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली पे दबाव पड़ने से रोकता है.
अश्वगंधा, कीमोथेरेपी से जुड़ी सबसे बड़ी चिंताओं में से एक- शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या में कमी, का सामना करने में सक्षम है.

अश्वगंधा और दूध पीने से क्या होता है?

दूध में अश्वगंधा मिलाकर पीने से तनाव कम होता है, नींद बेहतर होती है, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, और मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है। यह एक प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपाय है, जिसे आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं.

----

*औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा

*घुटनों के बीच गेप बढ़ना ग्रीस खत्म होना दर्द होने के उपचार

*प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि से मूत्रबाधा का 100%सफल इलाज

*किडनी की पथरी का अचूक हर्बल इलाज ,Kidney stone

*किडनी खराब :वृक्क अकर्मण्यता की अचूक हर्बल औषधि:Kidney Failure

*पित्ताशय की पथरी (Gallstones) का रामबाण हर्बल उपचार

*अश्वगंधा अनगिनत रोगों मे रामबाण: स्त्री-पुरुषों के गुप्त रोगों का समाधान

*गठिया,संधिवात के अनुभूत आयुर्वेदिक घरेलू उपचार // Gout, Arthritis Treatment

*स्त्री रोगों की मुख्य घरेलू औषधियाँ

*संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका के अचूक हर्बल उपचार

*गुर्दे खराब की रामबाण औषधि:Kidney failure medicine

*एलर्जी (चर्म रोग) की आयुर्वेदिक चिकित्सा.allergy

28.2.24

मधुमेह रोगी क्या खाएं क्या न खाएं |Benificial foods for diabetic patients

 



ब्लड प्रेशर व डायबिटीज ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति और महिला का जीवन पूरी तरह से बदल देती है। शुगर का रोग होने पर शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है। 
Type 1 और 2 शुगर कंट्रोल करने व इसका ट्रीटमेंट करने के लिए कुछ लोग अंग्रेजी दवा लेते है पर आप शुगर की आयुर्वेदिक दवा, देसी उपाय और घरेलू नुस्खे से घर पर भी इलाज कर सकते है। 
मधुमेह कम करने के उपचार के साथ साथ इस बात की जानकारी होना जरुरी है की शुगर में क्या खाएं और क्या न खाए l
शुगर जिसे मधुमेह के नाम से भी जाना जाता है, आमतौर पर ख़राब लाइफस्टाइल के कारण होने वाली बीमारी है। अगर आपकी जीवन शैली सही नहीं है, खान पान स्वास्थ्यकर नहीं है और व्यायाम इत्यादि की कमी है तो आपको शुगर होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 
इसलिए सबसे पहले तो हमें खान पान की आदतों और शारीरिक श्रम आदि का ध्यान रखना जरुरी है। मधुमेह के रोगियों के लिए अपने भोजन पर नियंत्रण रखना अत्यंत आश्यक है। 
कई बार इन्सुलिन लेने वाले मधुमेह के रोगियों को जो भोजन तालिका चिकित्सा द्वारा बतायी जाती है उसमें चाय एवं काफी का भी उल्लेख होता है। 
  उन्हें सिर्फ क्रीम और शर्करा न लेने के लिए कहा जाता है। चाय और काफी का प्रयोग मधुमेह से ग्रस्त किसी भी व्यक्ति के लिए न करना ही श्रेयस्कर है, चाहे वह इन्सुलिन पर निर्भर हो अथवा नहीं। ये पदार्थ अच्छे स्वास्थ के निर्माण में सहायक नहीं होते हैं। ऐसे रोगियों को कई बार चिकित्सकों द्वारा डबलरोटी, अचार, अंडे आदि लेने की सलाह भी दी जाती है पर हमें यह ध्यान रखना चाहिए की ये पदार्थ मधुमेह के रोगी के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थों की श्रेणी में नहीं आते हैं।
मधुमेह में खाने योग्य सब्जियां 



  मधुमेह से ग्रस्त रोगियों को किसी भी वस्तु से अधिक ताजी, हरी सब्जियों की आवश्यकता होती है । प्रत्येक भोजन के साथ सलाद प्रचुर मात्रा में लिया जाना चाहिए । जब हम आधिक मात्रा में फल एवं सब्जियां लेते हैं तो शरीर में अधिक पानी पहूंचता है । यह गुर्दों एवं मूत्र उत्सर्जन तंत्र के लिए आवश्यक है 


मधुमेह के रोगियों को अपना आहार निर्धारण करते समय किन- किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए -

  मधुमेह के प्रत्येक रोगी का उद्येश्य यही होना चाहिए की वह अपनी रक्त शर्करा के स्तर को यथासम्भव नियंत्रण में रखे । आहार इस उद्येश्य की पूर्ति में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए मधुमेह के रोगी को अपने आहार का निर्धारण करे समय निम्नलिखित सिद्धांतों को आवश्यक रूप से ध्यान में रखना चाहिए ।
आहार संतुलित हो जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा आदि प्रदान करने वाले तत्व आवश्यक मात्रा में हों ।शरीर के लिए आवश्यक विटामिन, खनिज लवण तथा फाइबर आदि पर्याप्त मात्रा में होना
शरीर का वजन आदर्श बनाए रखने के लिए उपयुक्त कैलोरी आहार द्वारा शरीर को मिलती रहें ।
 मधुमेह की जटिलताएँ उत्पन्न होने पर उनका नियमन किया जाना संभव हो .
रोगी का आहार विविधता पूर्ण हो ताकि वह अच्छी तरह से ग्रहण किया जा सके । आहार नियंत्रण के नाम पर कड़वी चीजें खाते- खाते कई बार रोगियों को इससे आरूचि हो जाती है । अत: आहार निर्धारण में रोगियों की रुचि का ध्यान रखना भी अत्यंत आवश्यक हैं ।
रोगी के आहार की महत्वपूर्ण जानकारियां

मधुमेह के कारण

1. डायबिटीज में हमेशा समय पर खाना खाये .
2. मिठाइयां ना खाएं और अगर मिठाई खाने की इच्छा हो तो बिना शुगर की मिठाई खाये और वह भी ज्यादा न खाएं।
3. मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को ज्यादा देर तक भूखा नहीं रहना चाहिए व उपवास भी नहीं रखना चाहिए।
4. भोजन करने से पूर्व थोड़ा सलाद खाए व खाना हमेशा धीरे धीरे और चबा चबा कर खाये।
5. शराब बियर व अन्य किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहे।
6. जो लोग जंक फ़ूड ज्यादा खाते है उनमें शुगर होने की सम्भावना ज्यादा होती है। इसका कारण ये है की खाने की ऐसी चीजों में fat अधिक होता है जिससे शरीर में जरुरत से ज्यादा कैलोरी बढ़ जाती है और मोटापा बढ़ने लगता है, शरीर में प्रयाप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता और शुगर का लेवल बढ़ने लगता है।
7. डायबिटीज एक अनुवांशिक रोग भी है मतलब अगर परिवार में माता पिता को मधुमेह है तो उनके बच्चों को भी ये रोग होने की संभावना अधिक होती है।
8. मोटापा और जरुरत से ज्यादा वजन वाले लोगों को डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है।
9. शारीरिक श्रम ना करना भी में से एक है। कुछ लोगों की दिनचर्या ऐसी होती है की वे एक जगह बैठ कर काम करते है और ना ही व्यायाम के लिए समय निकालते है।
10. हर समय तनाव में रहना या फिर डिप्रेशन से प्रभावित होना।
11. धूम्रपान, तंबाकू या कोई दूसरा नशा करने से भी शुगर हो सकती है।
12. दवाइयों का ज्यादा सेवन करना भी हो सकता है। अक्सर कोई रोग होने पर हम बिना डॉक्टर की सलाह के दवा लेने लगते है। कोई भी अंग्रेजी दवा बिना सलाह के लंबे समय तक खाना भी नुकसान कर सकता है।
13. ज्यादा चाय, कोल्ड ड्रिंक्स, मीठा और चीनी का सेवन करना।

मधुमेह के लक्षण

शुगर के अनेक लक्षण है जिनमें से प्रमुख लक्षण यहां बताये जा रहे है। अगर किसी भी व्यक्ति को इनमें से ज्यादातर सिम्पटम्स दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर के पास जा कर टेस्ट करवाये।

ज्यादा भूख लगना

किडनी ख़राब होना

पेशाब बार बार आना।

पानी की प्यास ज्यादा लगना

आँखों की रौशनी कम लगना

रोगी के वजन में गिरावट आना

शरीर में कमजोरी महसूस करना

चोट और जख्म जल्दी ठीक ना होना

हाथों पैरों और गुप्तांग पर खुजली वाले जख्म होना

स्किन इंफेक्शन होना और बार बार त्वचा पर फोड़े फुंसी निकलना

मधुमेह आहार संबंधी जानकारी

 

मधुमेह के मरीजों को अपने खान-पान का बहुत ध्यान रखना चाहिए क्यूंकि अगर मधुमेह के मरीज को अपने आहार में नियंत्रित मात्रा में हर चीज का सेवन करना चाहिए। इसका मतलब ये नहीं है की हम हर मधुमेह के व्यक्ति को एक ही तरह का आहार दे सकते है। आपको  एक बात का ध्यान रखना चाहिए की एक बार में कभी-भी ज्यादा नहीं खाना है क्यूंकि यह आपके पाचन शक्ति को नुकसान पहुंचा सकता है। आपको थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए



 अति भोजन तथा मोटापे के कारण मधुमेह के प्रत्येक चार में से तीन रोगियों का वजन अधिक होता है । इसलिए ऐसे रोगियों को केवल चीनी एवं परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट ही नहीं बल्कि अति प्रोटीन एवं चिकनाई से भी बचना चाहिए 
मधुमेह के रोगी का सर्वोत्तम आहार प्राकृतिक खाद्य, अंकुरित, अन्नकण, फल एवं हरी सब्जी है । यह क्षारीय आहार है । पूर्ण अन्न, कूटू एवं हरी सोया, मेथी अत्यंत लाभप्रद हैं । फलों में संतरा जामुन, अनानास, आवंला, सेब तथा पपीता आदि लिए जा सकते हैं । मट्ठा विशेष रूप से उपयोगी है ।
   आहार में कम से कम 90 प्रतिशत अपक्वाहार होना ही चाहिए । अपक्वाहार से अग्नाशय ग्रन्थि उद्दीप्त होकर इन्सुलिन उत्पन्न करती है । अति आहार बंद करके एक बार में अधिक भोजन करने की अपेक्षा चार बार थोड़ा-थोड़ा खाना निरापद है । मधुमेह में प्रोटीन एवं चिकनाई का चयापचय मंद होने से अम्लता बढती है । अत: क्षारीय भोजन उपयुर्क्त है । लहसून से रक्त शर्करा घटती है । जैविकीय उपचारों में पर्याप्त व्यायाम एवं संयमित आहार, खुली हवा में खेलने, दौड़ने, टहलने एवं तैरने में चयापचय क्रिया तेज होती है ।
निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए 
शारीरिक एवं मानसिक तनाव से सदा बचना चाहिए ।
कब्ज न रहे इसका ध्यान रखना चाहिए ।
शुष्क घर्षण अवश्य करना चाहिए । इससे चयापचय उन्नत होता है ।
मैगनीज प्रधान खाद्य लेना चाहिए ।
  मधुमेह के रोगियों को अजवाइन, सोया, मेथी तथा गाजर की पत्ती का रस दिया जा सकता है । खट्टे फल, लौकी, खीरा, एवं काकड़ी अग्नाशय ग्रंथि को उन्नत करते हैं । प्याज एवं लहसून का रस उपयोगी है अत: इनका रस अन्य सब्जीयों के रस में मिलाना चाहिए ।
  फ्रेंचबीन, मकोय की पत्ती, बेल की पत्ती, करेला, अल्फाल्फा, चौलाई, सोया, मेथी, जामुन की पत्ती आदि लेना चाहिए। संतरे का छ्लिका बहूत ही उपयोगी है। सुबह, दोपहर एवं शाम को दिन में तीन बार इसका काढ़ा बनाकर पीना चाहिए । परिष्कृत एवं प्रक्रियागत खाद्यों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। रोजाना एक घंटे का शारीरिक श्रम मधुमेह के रोगियों के लिए अनिवार्य है ।
रोजाना बेल की पत्तीयों का रस 25 से 50 मि. ली. लेना चाहिए । करेला एवं कूंदरू की पत्ती का रस भी 20 मि. ली. लिया जा सकता है। मधुमेह में नेत्र ज्योति घटती है अत: विटामिन ए, बी काम्प्लेक्स तथा विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए ।
डायबिटीज चाहे ज्यादा हो या फिर बॉर्डर लाइन में हो, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना फायदेमंद होता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए कच्चा केला, अनार, अवोकाडो और अमरूद का सेवन भी अच्छा होता है. इसके अलावा डायबिटीज पेशेंट्स को डेयरी प्रोडक्ट का दही और दूध का भी सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए.

डायबिटीज में क्या ना खाएं

डायबिटीज के मरीजों को खाने में कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए. जो लोग डायबिटीक पेशेंट्स होते हैं, उन्हें खाने में नमक का इस्तेमाल कम ही करना चाहिए. इसके साथ ही कोल्ड्रिंक्स, चीनी, आइसक्रीम, टॉफी जंक फ़ूड या ऑयली फ़ूड से भी शुगर लेवल के बढ़ने का काफी खतरा रहता है. ऐसे में डायबिटिक पेशेंट्स को इन सभी चीजों से परहेज करना चाहिए.तरल पदार्थ से संबंधित जानकारियां
मधुमेह का एक रोगी कितनी मात्रा में स्टार्च एवं शर्करायुक्त चीजें ले सकता है-

शहद एवं कई फल जैसे अंजीर आदि तथा कुछ सब्जियाँ जैसे गाजर एवं चुकन्दर आदि में फ्रक्टोज शर्करा होती है जिसे फल शर्करा का नाम से भी जाना जाता है। फ्रक्टोज शर्करा मधुमेह से ग्रस्त लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होती है । मधुमेह से ग्रस्त रोगी के बारे में हमें यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि शर्करा एवं स्टार्च की मात्रा किस स्तर तक शरीर ग्रहण कर सकता है । कभी-कभी स्टार्च की मात्रा किस स्तर तक शरीर ग्रहण कर सकता है। कभी – कभी स्टार्च की मात्रा एकदम से घटा दी जाती है और बहुत सारे मीठे खाद्य पदार्थ, मिठाई एवं स्टार्च जो एक सामान्य आदमी खाता है, एक साथ कम किए जा सकता हैं । यह मधुमेह की तीव्रता और ग्रहण किए जाने वाली इन्सुलिन की मात्रा पर निर्भर करता है की स्टार्च युक्त खाद्य पदार्थों की कितनी मात्रा ली जा सकती है। हम इसे रक्त शर्करा एवं मूत्र परीक्षणों से नियंत्रण कर सकते हैं।
ग्लाइसिमिक इंडेक्स,ग्लाइसिमिक लोड और ग्लाइमिक रेस्पोंस
मधुमेह के आहार के बारे में चर्चा करते समय ग्लाइसिमिक इंडेक्स ग्लाइसिमिक लोड और ग्लाइमिक रेस्पोंस का जिक्र आता है । ये क्या हैं ?
ये मधुमेह से संबंधित सूचायाकंक हैं जिनका प्रयोग चिकित्सकों द्वारा किया जाता है। ग्लाहसिमिक इंडेक्स है जो खाद्य पदार्थों में मौजूद कार्बोहाइड्रेट के ग्लूकोज में बदलने के आधार पर उन खाद्य पदार्थों को 0-100 के बीच स्थान देता है। एक अनुसंधान के अनुसार हर खाने में मौजूद शर्करा के कारण रक्त में शर्करा का स्तर नहीं बढ़ता है। ग्लाइसिमिक लोड ( जी. एल.): जी. आई. और खाने की कुल मात्रा मिलकर जी. एल. का पता लगाया जाता है। जी. एल. रक्त शर्करा में बढ़ोत्तरी मात्रा को निर्धारित करता है।
ग्लाइसिमिक रिस्पोंस ( जी.आर.) यह एक महत्वपूर्ण सूचकांक है। यह शरीर की वह रफ्तार है जिससे एह खाद्य पदार्थ के ग्लूकोज को रक्त शर्करा में बदलता है।

आहार पर नियंत्रण रखना काफी

मधुमेह के नियंत्रण के लिए क्या केवल आहार पर नियंत्रण रखना काफी है ?
मधुमेह के अधिकतर रोगी इन्सुलिन पर अनिर्भर श्रेणी के होते हैं । इनमें से अधिकांश में रोग पर नियंत्रण रखने के लिए आहार पर नियंत्रण रखना शायद काफी हो सकता है । किन्तु ऐसे रोगियों का आहार नियंत्रण होने के साथ-साथ पोषण की दृष्टि से संतुलित भी होना चाहिए । यही नहीं आहार का निर्धारण करते समय रोगी की आयु, व्यवसाय, शारीरिक वजन तथा रोग की स्थिति आदि को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए ।
खानपान पर नियंत्रण रखना आवश्यक

मधुमेह के नियंत्रित हो जाने के बाद भी खानपान पर नियंत्रण रखना आवश्यक है-

चिकित्सक मधुमेह को जीवन भर के रोग की संज्ञा देते हैं ।इसलिए मधुमेह को नियंत्रण में रखने के लिए हमेशा आहार संबंधी संतुलन बनाए रखना चाहिए । आहार में की गई गड़बड़ी रक्त में शर्करा की स्थिति को पुन: अनियंत्रित कर सकती है । इसलिए आहार का निर्धारण गंभीरता से सोच –विचार कर एवं विविधतापूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए। ताकि निरंतर नियंत्रित आहार लेने से रोगी में भोजन के प्रति अरूचि उत्पन्न न हो । धनिया, जीरा, काली मिर्च, नींबू तथा आँवला जैसे पदार्थों का उपयोग भोजन को स्वादिष्ट एवं रूचिकर बनाने में किया जा सकता है । मधुमेह के रोगियों को अपने खान - पान का समय निश्चित कर सदैव उसका पालन करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकी इसके बिना रक्त में शर्करा की मात्रा को सामान्य स्तर पर बनाए रखना संभव नहीं होगा ।
आहार में ‘फाइबर’ की उपयोगिता

मधुमेह के रोगी के आहार में ‘फाइबर’ के क्या उपयोगिता है ?

फाइबर का अर्थ है – मोटे रेशेदार पदार्थ । मधुमेह के रोगी के आहार में ‘फाइबर’ की मात्रा अधिक होनी चाहिए । ये भोजन के बाद रक्त में शर्करा के स्तर को बढ़ने नहीं देते । ये कब्ज को दूर करते हैं तथा रक्त में ट्राईग्लिसराइड्स तथा कोलेस्ट्रोल के स्तर को भी कम करते हैं । ये वजन कम करने में भी सहायता पहुंचाते हैं । हरी पत्ती वाली सब्जियाँ, मेथी तथा चोकर आदि से फाइबर की पूर्ति की जा सकती है ।

मधुमेह और मेथी

मेथी मधुमेह को नियंत्रित करती है।
नवीन अनुसंधानों ने मधुमेह के नियंत्रण में मेथी की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया है । प्राचीन समय से ही हमारे रसोईघरों में मेथी का प्रयोग कई रूपों में होता रहा हैं । मेथी के बीजों में काफी मात्रा में फाइबर होता है । इसमें ट्राईगोनेलीन नामक एक एल्केलाएंड भी पाया गया है । जिसका कार्य रक्त में शर्करा के स्तर को कम करना है । मेथी का प्रयोग मधुमेह के दोनों वर्गो, इंसुलिन पर निर्भर एवं इंसुलिन पर अनिर्भर में किया जा सकता है । यह रक्त में कोलेस्ट्रोल एवं ट्राईग्लिसराईडस के स्तर को भी कम करने में मदद करती है ।
मधुमेह नियंत्रण में मेथी के महत्व को देखते हुए प्राय: सभी प्राकृतिक चिकित्सालयों एवं योग केन्द्रों में मधुमेह के रोगियों के आहार में मेथी का प्रयोग अंकुरित के रूप में तथा मेथी पानी के रूप में काफी लम्बे समय से किया जाता रहा है ।

औषधीय गुणों से भरपूर मेथी की पत्तियों में ट्राईगोथीन होता है । इसके सब्जी यकृत, हृदय और मस्तिष्क संबंधी विकारों के लिए एक उत्तम औषधि माना जाता है । मधुमेह की प्रारंभिक आवस्था में मेथी की ताज़ी पत्तियों का रस प्रात: काल नियमित रूप से तीन महीने तक लिया जा सकता है ।

मधुमेह के रोगी को दाना मेथी का सेवन किस प्रकार से करना चाहिए ?

मधुमेह के रोगी दाना मेथी को कई प्रकार का सेवन किस प्रकार से करना चाहिए ?दाना मेथी को उबालकर उसका क्वाथ बनाकर
दाना मेथी को भिगोकर उसका पानी पीकर
दाना मेथी को अंकुरित करके
दाना मेथी को पीसकर उसका पाउडर बनाकर
प्रकृतिक चिकित्सा केन्द्रों में मेथी को अंकुरित करके प्रयोग में लाया जाता है । यह अत्यंत सुगम एवं सुविधाजनक है । मेथी के अंकुर अत्यंत पुष्ट एवं आकर्षक होते हैं । इतना ही नहीं अंकुरित होने के पश्चात् मेथी की कडुवाहट भी काफी हद तक कम हो जाती है ।
मधुमेह के रोगियों को जामुन, करेला, नीम तथा बेलपत्र आदि के प्रयोग की सलाह भी दी जाती है । ये मधुमेह के नियंत्रण में मदद करती हैं।
ऐसा माना जाता है की एय चीजें रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करती हैं । इसलिए प्राय: मधुमेह के रोगियों द्वारा इनका प्रयोग किया जाता है ।

मधुमेह में खाए जा सकने वाले फल 
                              


मधुमेह के नियंत्रण में सहयोगी कुछ अन्य प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के बारे में बताएँ ।

निम्नलिखित खाद्य पदार्थ वयस्कों में डायबिटीज ( टाइप – 2) में रक्त में चीनी की मात्रा कम रखने में सहायक होते हैं ।
मेथी – मेथी के बीज रक्त में चीनी की मात्रा कम करते हैं, इन्सुलिन का स्तर भी घटाते खराब कोलेस्ट्रोल कम करते हैं और अच्छा बढ़ाते हैं ।
एलोवेरा – एलोवेरा की पत्तियों के अंदर का रस प्रभावशाली है ।
ग्रीन टी – इसमें कुछ तत्व बुनियादी और इन्सुलिन आधारित ग्लूकोज का उपयोग बढ़ा देता हैं ।
लहसुन – ग्लूकोज का स्तर कम करता है, फ्री इन्सुलिन की मात्रा बढ़ाता है ।
दालचीनी- इन्सुलिन के प्रभाव को तिगुना कर देती है ।
करेला – शरीर में ग्लूकोज का उपयोग बढ़ा देता हैं, रक्त में ग्लूकोज का बनना कम करता है, करेले का रस या इसके बीज उपयोगी है ।

मधुमेह के रोगियों को अपने आहार में क्या-क्या सम्मिलित नहीं करना चाहिए।




मधुमेह के रोगियों को भी इनसे बचना चाहिए ।
तम्बाकू ( जर्दा, खैनी, गुटका, बीड़ी, सिगरेट एवं सिगार के रूप में )
काफी, चाय, चाकलेट, कहवा कोका कोला आदि।
नमक का अधिक प्रयोग किन्तु नमक न लेना सर्वोत्तम है ।
मद्यसार का उपयोग ।
हानिप्रद गरम मसाले ।
परिष्कृत सफेद चीनी, सफ़ेद मैदा एवं वनस्पति घी और इससे बनाए गए समस्त खाद्य, पावरोटी, बिस्कुट, पूड़ी, मिठाई, नमकीन एवं आइसक्रीम आदि ।
सभी प्रक्रियागत परिष्कृत, डिब्बा बंद, परिरक्षित एवं फैक्ट्री में बनाए गए खाद्य ।
सभी बासी एवं दूर्गंधित खाद्य ।
सभी रासायनिक औषिधियाँ (संभव हो तो बिल्कुल नहीं वर्ना केवल एकदम आपतीकाल् में ही लेना चाहिए ।)
10. मकान, बाग़, एवं खेत के सभी जहरीले छिडकावयुक्त खाद्य । इसके अतिरिक्त अंडा, मांस, मछली आदि का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए

भोजन करने का एक निश्चित समय रखें और भूखे ना रहें।
मीठे उत्पादों जैसे मिठाई, मीठे फल, मीठी चाय आदि को बिलकुल छोड़ दें। अगर खाना भी पड़े तो कम मात्रा में ही खाएं।
व्रत, उपवास आदि से परहेज करें।
खाने में सलाद का प्रयोग जरुर करें।
शराब व अन्य किसी भी प्रकार के नशे को तुरंत बाय बाय कर दें।
जंक फ़ूड, डिब्बा बंद प्रोडक्ट्स ये सभी अधिक कैलोरी से युक्त होते हैं जो शरीर में इन्सुलिन को घटाकर शुगर लेवल में वृद्धि कर देता है अतः इनसे यथासंभव बचें।
   बिना डॉक्टर के सलाह पर दवाइयों का सेवन, लगातार अंग्रेजी दवाइयां लेना आदि भी शुगर को अनियंत्रित कर देते हैं। इसलिए लम्बी दवाई के लिए डॉक्टर की सलाह लेवें।

----

*औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा

*घुटनों के बीच गेप बढ़ना ग्रीस खत्म होना दर्द होने के उपचार

*प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि से मूत्रबाधा का 100%सफल इलाज

*किडनी की पथरी का अचूक हर्बल इलाज ,Kidney stone

*किडनी खराब :वृक्क अकर्मण्यता की अचूक हर्बल औषधि:Kidney Failure

*पित्ताशय की पथरी (Gallstones) का रामबाण हर्बल उपचार

*अश्वगंधा अनगिनत रोगों मे रामबाण: स्त्री-पुरुषों के गुप्त रोगों का समाधान

*गठिया,संधिवात के अनुभूत आयुर्वेदिक घरेलू उपचार // Gout, Arthritis Treatment

*स्त्री रोगों की मुख्य घरेलू औषधियाँ

*संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका के अचूक हर्बल उपचार

*गुर्दे खराब की रामबाण औषधि:Kidney failure medicine

*एलर्जी (चर्म रोग) की आयुर्वेदिक चिकित्सा.allergy


29.1.24

नियमित मालिश से रहें अनगिनत रोगों से दूर -क्या है मसाज की विधि -Body massage benefits



बॉडी में कहीं पेन रहता है अकड़न फील होती है या फिर डाइजेशन खराब रहता है तो इन सारी परेशानियों को दूर करने के लिए आप नियमित रूप से तेल मालिश करवा सकते हैं। बॉडी मसाज से बॉडी के कई सारे अंग अपना काम सही तरीके से कर पाते हैं।
आजकल लोगों को तनाव, असंतुलित लाइफस्टाइल और भागदौड़ भरी जिंदगी के चलते खुलकर सांस लेना मुश्किल हो गया है। बढ़ती स्पर्धा (competition) के कारण हर समय थकान का रहना रोजमर्रा की बात हो गयी है। दैनिक जीवन से जुड़ी इन समस्याओं के लिए लोग कई प्रकार के उपाय खोज रहे हैं। ऐसे में मसाज एक ऐसा उपाय है, जो व्यक्ति को राहत प्रदान करता है। यह शरीर में ऊर्जा का संचार करती है।
शरीर की तेल से मालिश करवाते रहने से सेहत को कई सारे लाभ होते हैं। हममें से ज्यादातर लोग इसके फायदों से वाकिफ नहीं हैं, लेकिन आपको बता दें कि नियमित रूप से मालिश सेहत के साथ-साथ आपकी स्किन और बालों के लिए भी फायदेमंद है।
आयुर्वेदिक मसाज थेरेपी एक प्राचीन थेरेपी है। इसमें आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और तेल के माध्यम से शरीर की मालिश की जाती है। जो शरीर को तरोताजा रखती है। इसलिए थकान और तमाम बीमारियों के लिए यह एक बेहतर विकल्प है।

क्या है मसाज थेरेपी?

जितना महत्व आधुनिक दिनचर्या में किए जाने वाले कार्यों, व्यायाम और आहार का है। उतना ही महत्व मसाज का भी है। तेल, क्रीम या किसी अन्य चिकने पदार्थ (Greasy substance) को बॉडी पर हल्के हाथ से रगड़ना या मलना, मसाज (मालिश) कहलाता है। इस चिकित्सा में शरीर की मांशपेशियों और नरम ऊतकों को हाथों से आराम दिया जाता है। मालिश करने से मांशपेशियों के दर्द में आराम मिलता है और रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। इसके अतिरिक्त मसाज करने से त्वचा और मस्तिष्क संबंधित बीमारियां कम होती हैं।

मसाज के प्रकार;

मसाज या मालिश के निम्नलिखित प्रकार हैं-सिर की मालिश।
बालों की मालिश।
आंखों की मालिश।
गालों की मालिश।
कनपटी की मालिश।
ठोड़ी (chin) की मालिश।
हाथों की मालिश।
पैरों की मालिश।
बॉडी की मालिश।

मसाज करने की विधि;

सर्वप्रथम सिर में गुनगुना तेल लगाकर उंगलियों से धीरे-धीरे मालिश करें। मालिश करते समय कान के पीछे और ऊपरी भाग पर (कनपटी वाले स्थान) पर विशेष रूप से मालिश करें।
गर्दन की मालिश ऊपर से नीचे और पीछे से आगे की ओर करें।
चेहरे की मालिश करते समय विशेष ध्यान देना आवश्यक है। इसलिए पूरे चेहरे पर अच्छी तरह से तेल लगा लें। अब दोनों हाथों की तर्जनियों को नाक के आसपास रखकर दबाव के साथ धीरे-धीरे कान की ओर ले जाएं। कुछ समय बाद पुनः उंगलियों को घुमाते हुए कान के नीचे जबड़े की हड्डी (jaw bone) तक लाएं। इस क्रिया को दो से तीन बार दोहराएं।
गाल एवं ठोड़ी (chin) की मालिश हथेलियों के द्वारा नीचे से ऊपर की ओर करनी चाहिए। गाल और आंखों के चारों ओर पलकों पर गोलाकार मालिश करें।
इसके बाद छाती, पेट तथा पीठ की मालिश करें।
छाती एवं पेट की मालिश ऊपर से नीचे (अनुलोम दिशा) की ओर हल्के हाथों से मालिश करें।
दोनों भुजाओं (हाथों) पर ऊपर से नीचे समान गति से मालिश करें। साथ ही बाजुओं के विभिन्न भाग- जैसे कोहनी, कलाई इत्यादि परगोलाई में मालिश करें।
इसी तरह से पैरों की मालिश करें। तलवों और हथेलियों की मालिश करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
मसाज के फायदें;
ये भी जान लें कि महीने दो महीने या 4-5 महीने में तेल मालिश कराने से और हफ्ते में 1-2 बार मालिश कराने में काफी फर्क होता है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जिस तरह से टाइम पर खाना, सोना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है उतना ही जरूरी मसाज भी है। इससे आप लंबे समय तक निरोग बने रह सकते हैं।
मसाज करने से शरीर को मिलने वाले लाभ निम्नलिखित हैं-
मसाज थेरेपी से पूरे शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है।
इससेपाचन शक्ति तेज होती है और पेट साफ रहता है।
मालिश करने से शरीर के विभिन्न अंग जैसे दिल, आंते, फेफड़े और यकृत आदि शक्तिवान होते हैं।
इस चिकित्सा के प्रयोग से अपच, वायु, अनिद्रा, बवासीर, उच्च रक्तचाप और पित्त विकार जैसे रोगों में फायदा मिलता है।
मालिश करने से त्वचा के बंद रोम क्षिद्र (Hair follicle) खुलने लगतें है। साथ ही त्वचा के रक्त संचारमें भी सुधार होता है।
इस चिकित्सा से त्वचा की मृत कोशिकाएं स्वच्छ होती हैं और उन्हें जरूरी पोषण तत्व मिलता है। जिससे त्वचा में चमक आती है।

ब्लड प्रेशर पर कंट्रोल

अगर हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी है, तो नियमित रूप से मालिश करवाते रहने से यह परेशानी भी कंट्रोल हो सकती है। इतना ही नहीं, यह कार्डिएक हेल्थ में सुधार लाने में भी मदद करती है।

पाचन रहता है सही

बॉडी मसाज में पेट की मालिश भी शामिल होती है, तो पेट की मालिश होने से नाभि की एक्टिविटी बढ़ती है। पेट के निचले भाग की मालिश से पीरियड पेन में राहत मिलती है। मालिश से बड़ी आंत, लिवर, पैंक्रियाज सभी बॉडी पार्ट्स अपना काम सही तरीके से कर पाते हैं, जिससे आंतों में गैस्ट्रिक जूस पर्याप्त मात्रा में निकलता है और लिवर का फंक्शन दुरुस्त रहता है।

बढ़ाती है इम्युनिटी

रिसर्च के मुताबिक, रेगुलर मसाज से बॉडी की इम्युनिटी बढ़ती है, जिससे शरीर कई सारी बीमारियों का सामना बिना दवाइयों के ही कर पाता है।

रिलैक्स होती है मसल्स

नियमित रूप से मालिश करवाते रहने से कार्टिसोल के लेवल में कमी आती है, जिससे मूड अच्छा रहता है। बॉडी के साथ माइंड रिलैक्स होता है। मालिश एक तरह से थेरेपी का काम करती है, जो न सिर्फ मानसिक तनाव दूर करती है, बल्कि जोड़ों के दर्द को भी कम करती है। मालिश से शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन सही तरह से हो पाता है। यह फ्लेक्सिबिलिटी को बेहतर बनाती है। मालिश से खराब पोस्चर भी धीरे-धीरे ठीक होने लगता है।इस थेरेपी से शरीर में लचीलापन आता है। जिससे मूवमेंट बेहतर होता है।
मालिश करने से शरीर में रक्तचाप सामान्य रहता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस अच्छा होने से मधुमेह में भी फायेदा मिलता है।
मसाज थेरेपी का प्रयोगकरने से मांसपेशियों की सिकुड़ने और फैलने की क्षमता बढ़ती है। साथ ही उनमें मेटाबॉलिज्म का कार्य निश्चित रूप से होने लगता है। जिससे शरीर में बन रहे मुक्त कण (free redicles) को भी हटाया जा सकता है।
मसाज करते वक्त ध्यान रखें यह सावधानियां;मालिश के तुरंत बाद न नहाएं। हमेशा मालिश के कम से कम आधे घंटे बाद स्नान करें।
मालिश के तुरंत बाद भोजन न करें। भोजन और मसाज के बीच लगभग तीन घंटे का अंतर होना चाहिए। इसलिए सूर्योदय के समय मालिश कराना सबसे अच्छा होता है।
सर्दियों में खुली धूप में और गर्मियों के समय छाया में मालिश कराएं।
प्रत्येक अंग पर कम से कम पांच मिनट तक मालिश अवश्य कराएं।
जिस हिस्से पर मालिश करानी है, वह हिस्सा साफ होना चाहिए।
चोट, घाव, फ्रैक्चर जैसी समस्याओं में भूलकर भी मालिश न कराएं।
बुखार इत्यादि जैसे रोगों से पीड़ित लोगों को मालिश नहीं करानी चाहिए।
प्रतिदिन संपूर्ण शरीर पर कम से कम10-20 मिनट तक ही मालिश करनी चाहिए।
----
*औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा

*घुटनों के बीच गेप बढ़ना ग्रीस खत्म होना दर्द होने के उपचार

*प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि से मूत्रबाधा का 100%सफल इलाज

*किडनी की पथरी का अचूक हर्बल इलाज ,Kidney stone

*किडनी खराब :वृक्क अकर्मण्यता की अचूक हर्बल औषधि:Kidney Failure

*पित्ताशय की पथरी (Gallstones) का रामबाण हर्बल उपचार

*अश्वगंधा अनगिनत रोगों मे रामबाण: स्त्री-पुरुषों के गुप्त रोगों का समाधान

*गठिया,संधिवात के अनुभूत आयुर्वेदिक घरेलू उपचार // Gout, Arthritis Treatment

*स्त्री रोगों की मुख्य घरेलू औषधियाँ

*संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका के अचूक हर्बल उपचार

*गुर्दे खराब की रामबाण औषधि:Kidney failure medicine

*एलर्जी (चर्म रोग) की आयुर्वेदिक चिकित्सा.allergy

2.1.24

दुनिया में सबसे शक्तिशाली मर्दाना ताकत बढ़ाने वाली दवा कौन सी है?

 


दुनिया में सबसे शक्तिशाली मर्दाना ताकत बढ़ाने वाली दवा चाहिए तो आपको थोड़ा मेहनत करने की जरुरत है
मै आपको तरीका बता देता हूँ और आप इस दवा को खुद अपने घर में ही बना सकते हैं

आपको क्या क्या चाहिये :

मिट्टी का बर्तन (05 किलोग्राम साइज) - 01 नग
मध्यम साइज के देसी सफेद प्याज - 60 नग
देसी शहद - 2.5 किलोग्राम



आपको करना क्या है :सबसे पहले प्याजों को छील लें और किसी नुकीले सुये या सलाई की सहायता से उसमे आडे टेढ़े छेद कर ले.
अब मिटटी के बर्तन में इन प्याजों को डाल कर शहद से भर दें ताकि सभी प्याज शहद में डूब जायें.
अब इस बर्तन को ढक्कन लगा कर और मिटटी का लेप लगा कर अच्छे से हवारहित तरीके से बंद कर दें
अब आप खेत या किसी भी कच्ची जगह में कम से कम तीन फ़ीट गहरा खडडा खोद कर इस बर्तन को 60 दिन के लिए जमीन में दबा दे.
अब 60 दिन में यह नुस्खा तैयार हो जाएगा.

आपको सेवन कैसे करना है
:

सूबह के समय शौच से मुक्त होकर खाली पेट एक प्याज और थोड़ा शहद खाना है

आपको क्या फायदा मिलेंगा :

इस दवा से आपका शारीरिक और मर्दाना ताकत बढ़ जाएगी और वीर्य शहद की तरह ही गाढ़ा हो जायेगा

आपको कब तक लेना है :

आपको यह दवा केवल और केवल 60 दिन तक ही लेना है

यह दवा कौन ले सकता है :

यह दवा 15 वर्ष से लेकर 75 वर्ष तक का मर्द ले सकता है जो डायबिटीज से पीड़ित नहीं है.

विशिष्ट परामर्श-


नपुंसकता एक ऐसी समस्या है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. किसी भी पुरुष के एक पिता बनने में असमर्थ होने को पुरुष बांझपन या नपुंसकता कहा जाता है।यह तब होता है जब कोई पुरुष संभोग के लिए पर्याप्त इरेक्शन प्राप्त नहीं कर पाता या उसे मजबूत नहीं रख पाता. दामोदर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र 
9826795656 द्वारा निर्मित "नपुंसकता नाशक हर्बल औषधि" से सैंकड़ों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं। स्तंभन दोष दूर करने मे यह औषधि रामबाण सिद्ध होती है।

-----

*औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा

*घुटनों के बीच गेप बढ़ना ग्रीस खत्म होना दर्द होने के उपचार

*प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि से मूत्रबाधा का 100%सफल इलाज

*किडनी की पथरी का अचूक हर्बल इलाज ,Kidney stone

*किडनी खराब :वृक्क अकर्मण्यता की अचूक हर्बल औषधि:Kidney Failure

*पित्ताशय की पथरी (Gallstones) का रामबाण हर्बल उपचार

*अश्वगंधा अनगिनत रोगों मे रामबाण: स्त्री-पुरुषों के गुप्त रोगों का समाधान

*गठिया,संधिवात के अनुभूत आयुर्वेदिक घरेलू उपचार // Gout, Arthritis Treatment

*स्त्री रोगों की मुख्य घरेलू औषधियाँ

*संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका के अचूक हर्बल उपचार

*गुर्दे खराब की रामबाण औषधि:Kidney failure medicine

*एलर्जी (चर्म रोग) की आयुर्वेदिक चिकित्सा.allergy


18.12.23

कस्तूरी की जानकारी ,उपयोग विधि ,फायदे और नुकसान




  कस्तूरी, एक बहुत लोकप्रिय लेकिन दुर्लभ चीज है. दुर्लभ इसलिए क्योंकि ये मृग से प्राप्त किया जाता है और मृगों में भी सबसे नहीं. कुछ नर मृगों के गुदा क्षेत्रों में स्थित एक ग्रंथि से इसे प्राप्त किया जाता है. इसकी जानकारी प्राचीनकाल से ही है. इसका इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण रासायनिक पदार्थ की तरह किया जाता है. आपको बता दें की इसे विश्व के सार्वाधिक कीमती पशु उत्पादों में गिना जाता है. कस्तूरी को इत्र और इसी तरह के अन्य कई सुगंधित पदार्थों के निर्माण में किया जाता है. 



   कस्तूरी के ऊपरी सतह पर बाल होते हैं. इसके अंदुरुणी हिस्से में कलोंजी या इलायची के दाने जैसे ही दाने मौजूद होते हैं. कस्तूरी वयस्क नर हिरण में ही पाई जाती है. कहते है कि जब यह कस्तूरी मृग जवान हो जाता है तो इससे भी कस्तूरी की सुगंध आती है, जिसे ढूंढने के लिए यह इधर से उधर भागा फिरता है लेकिन कस्तूरी इसे कभी प्राप्त नहीं होता क्योंकि ये बाहर न होकर इसके अंदर ही मौजूद होता है. अपने देश में इसका ज्ञान लोगों को प्राचीन काल से ही था. न सिर्फ ज्ञान था बल्कि उस दौरान इसका इस्तेमाल भी किया जाता था. तब इसका इस्तेमाल सुगंधित पदार्थों के अलावा पूजा-पाठ में भी किया जाता था. इसके अलावा कई औरषधियों के निर्माण में भी इसे इस्तेमाल किया जाता था.

हिमालय में ऐसे कई जीव-जंतु हैं, जो बहुत ही दुर्लभ है। उनमें से एक दुनिया का सबसे दुर्लभ मृग है कस्तूरी मृग।

  यह हिरण उत्तर पाकिस्तान, उत्तर भारत, चीन, तिब्बत, साइबेरिया, मंगोलिया में ही पाया जाता है। इस मृग की कस्तूरी बहुत ही सुगंधित और औषधीय गुणों से युक्त होती है। कस्तूरी मृग की कस्तूरी दुनिया में सबसे महंगे पशु उत्पादों में से एक है। 
माना जाता है कि यह कस्तूरी कई चमत्कारिक धार्मिक और सांसारिक लाभ देने वाली औषधि है।

कस्तूरी के प्रकार

कस्तूरी को इसके उत्पति स्थान को देखते हुये प्रमुख रूप से तीन भागों में विभाजित किया जाता है.
नेपाली कस्तूरी –
नेपाल के हिरणों से नील वर्ण की कस्तूरी प्राप्त की जाती है.

कामरूपी कस्तूरी –

 आसाम क्षेत्र के हिरणों से जो कस्तूरी प्राप्त की जाती है उसका रंग काला होता है और उसे कामरूपी कस्तूरी भी कहते हैं.


कश्मीरी कस्तूरी – 

भारत में कश्मीर के हिरणों से प्राप्त कस्तूरी पीले रंग की होती है.
गुणात्मक दृष्टि से इन तीनो प्रकारों में कामरूपी कस्तूरी श्रेष्ठ होती है,
 नेपाली कस्तूरी – माध्यम और कश्मीरी कस्तूरी सामान्य मानी जाती है.





कस्तूरी के गुण धर्म –

 रस में यह कटु और तिक्त , गुण में – लघु , रुक्ष और तीक्ष्ण, वीर्य – उष्ण और विपाक – कटु होता है |

कस्तूरी के रोग प्रभाव – 

वात एवं कफ नाशक |
द्रव्य प्रयोग –
श्वसनक ज्वर, वात श्लेष्मिक ज्वर , लकवा, सन्निपातज ज्वर और ह्रदय रोगों में इस्तेमाल की जाती है |
कस्तूरी औषध उपयोग आयुर्वेद में कस्तूरी से टीबी, मिर्गी, हृदय संबंधी बीमारियां, आर्थराइटिस जैसी कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।

कस्तूरी के फायदे

कस्तूरी के औषध योग – इसमें  वृहद् कस्तूरी भैरव रस और मृगमादासव इत्यादि के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
गर्भाशय रोग –
जिन स्त्रियॉं का गर्भाशय अपने मूल स्थान से हट जाता है उसे पुनः उस स्था पर लाने के लिए आपको कस्तूरी और केशर की एक सामान मात्रा को लेकर पानी में पिस कर छोटी-छोटी गोलियां बना लें. अब इन गोलियों को मासिक धर्म के शुरू होने से पहले योनी मुख में रखें. तीन दिन तक ऐसा करने से इसमें काफी लाभ मिलेगा.
दांत दर्द – यदि आपको दाँत दर्द की समस्या है तो आप कस्तूरी को कुठ के साथ मिलाकर दांतों पर मलें. ऐसा करने से आपको शीघ्र ही दांत दर्द में आराम मिलेगा.

काली खांसी – 

काली खांसी से परेशान व्यक्ति को सरसों के दाने के सामान कस्तूरी को मक्खन में मिश्रित करके देने से तुरंत लाभ मिलता है.




 असली कस्तूरी की पहचान
-कस्तूरी की माँग बहुत होने के कारण तथा कठिनाई से मिलने के कारण इसमें मिलावट की जाती है।
असली कस्तूरी मिलना बहुत कठिन है। व्यापारी लोग सूखा हुआ रक्त, यकृत तथा दाल, गेहूँ एवं जी के दाने आदि मिला देते हैं। केवल गन्ध से कस्तूरी की पहचान करना कठिन है क्योंकि इसके सम्पर्क में आये पदार्थ को यह सुगन्धित कर देती है।
 कस्तूरी के दानों को जल में डालने पर यदि दाने वैसे ही रहें तो असली और यदि वे धुल जाये तो मिलावटी.
  जलते लकड़ों के अंगारे पर कस्तूरी के दाने डालने पर यदि वह पिघलकर उसमें से बुदबुदे निकले तो असली और यदि वह एक दम कड़ी होकर कोयला बन जाय तो नकली 
  असली कस्तूरी को जमीन में गाड़ दें तब भी उसकी गन्ध में कोई परिवर्तन नहीं होता।
   असली कस्तूरी मुलायम होती है तथा मिलावट होने पर वह कड़ी होती है।
   कागज में रखने पर इससे कागज में पीला दाग पड़ जाता है तथा जलने पर इसमें मूत्र की गन्ध आती है।
 
--------------
*औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा

*घुटनों के बीच गेप बढ़ना ग्रीस खत्म होना दर्द होने के उपचार

*प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि से मूत्रबाधा का 100%सफल इलाज

*किडनी की पथरी का अचूक हर्बल इलाज ,Kidney stone

*किडनी खराब :वृक्क अकर्मण्यता की अचूक हर्बल औषधि:Kidney Failure

*पित्ताशय की पथरी (Gallstones) का रामबाण हर्बल उपचार

*अश्वगंधा अनगिनत रोगों मे रामबाण: स्त्री-पुरुषों के गुप्त रोगों का समाधान

*गठिया,संधिवात के अनुभूत आयुर्वेदिक घरेलू उपचार // Gout, Arthritis Treatment

*स्त्री रोगों की मुख्य घरेलू औषधियाँ

*संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका के अचूक हर्बल उपचार

*गुर्दे खराब की रामबाण औषधि:Kidney failure medicine

*एलर्जी (चर्म रोग) की आयुर्वेदिक चिकित्सा.allergy

16.12.23

हल्दी और सरसों के तेल का जादू: सेहत के लिए अनगिनत फायदे


मित्रों घरेलू आयुर्वेद  से उपचार के विडिओ की शृंखला मे आज का टॉपिक है " हल्दी और सरसों के तेल का जादू: सेहत के लिए अनगिनत फायदे"
   हल्दी और सरसों का तेल  मिलाकर उपयोग करने के  कई फायदे होते हैं। हल्दी के एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी   गुण होते हैं, जबकि सरसों का तेल त्वचा को पोषण देता है। यह मिश्रण घावों को जल्दी भरने में मदद करता है, दर्द और सूजन को कम करता है, और त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है. 
भारतीय किचन में अधिकतर लोग हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर इसका इस्तेमाल खाना तैयार करने में किया जाता है। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्, एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण स्वास्थ्य के जुड़ी कई समस्याओं को दूर कर सकता है। रोजाना हल्दी और सरसों के तेल का इस्तेमाल करने से कई तरह की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। यह त्वचा  संबंधी परेशानियों को दूर करता है। साथ ही मोटापा कंट्रोल करने में  भी प्रभावी है

हल्दी और सरसों के तेल के फायदे

हृदय की सेहत के लिए फायदे 

हल्दी, सरसों तेल और नमक का एक साथ इस्तेमाल करने से आप हार्ट को स्वस्थ रख सकते हैं। दरअसल, हल्दी और सरसों तेल में खून को साफ करने का गुण होता है। साथ ही यह ब्लड सर्कुलेशन को भी बेहतर कर सकता है, जिसकी मदद से आप हार्ट डिजीज के खतरों को कम कर सकते हैं।
हार्ट को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हल्दी और सरसों के तेल का एक साथ सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि हल्दी और सरसों के तेल एक साथ मिलाकर खाने से रक्त विकार दूर होते हैं और क्लॉटिंग की आशंका कम होती है। जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और हार्ट डिजीज का खतरा भी कम होता है।

लिवर और किडनी को रखे सुरक्षित 

हल्दी और सरसों के तेल का सेवन करने से  शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है। इससे शरीर के संक्रमण को भी दूर कर सकते हैं। साथ ही किडनी इंफेक्शन की समस्या को दूर करने में भी हल्दी और सरसों तेल काफी फायदेमंद होता है। 

कब्ज से राहत 

कब्ज की परेशानी को दूर करने के लिए हल्दी और सरसों तेल का इस्तेमाल करें। यह आपके पाचन के लिए हेल्दी होता है। इसके सेवन से आप गैस, कब्ज जैसी परेशानियों को कम कर सकते हैं

दर्द और सूजन को कम करने में फायदेमंद





दर्द और सूजन को कम करने के लिए हल्दी और सरसों का तेल इस्तेमाल करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। साथ ही हल्दी में करक्यूमिन गुण पाए जाते हैं, जो शरीर के दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं। 

दांतों की बढ़ाए चमक

हल्दी, नमक और सरसों तेल का एक साथ इस्तेमाल करने से आप अपने दांतों को स्वस्थ रख सकते हैं। यह दांतों की चमक को बढ़ाने में प्रभावी होता है। इसका प्रयोग करने के लिए 1 चम्मच सरसों तेल लें। इसमें 1 चुटकी नमक और हल्दी मिक्स करें। अब इस मिश्रण को उंगलियों की मदद से अपने दांतों को साफ करें। इससे दांतों की चमक बढ़ेगी।

त्वचा  को स्वस्थ बनाए रखने में फायदेमंद




स्किन को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हल्दी और सरसों के तेल इस्तेमाल करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि इनका इस्तेमाल करने से स्किन को स्वस्थ रखा जा सकता है। इसलिए रोजाना स्किन और चेहरे पर हल्दी और सरसों का तेल लगाने से स्किन इंफेक्शन और स्किन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।

मुंह की बदबू से राहत


मुंह की बदबू को कम करने के लिए आप सरसों तेल, हल्दी और नमक के मिश्रण से मंजन कर सकते हैं। यह मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने में मददगार होता है। सुबह ब्रश करने के बाद आप इस मिश्रण से कुछ मिनटों तक मंजन करें। इससे लाभ मिलेगा।

हल्दी और सरसों का तेल लगाने से होने वाले कुछऔर  लाभ बताते हैं 

घाव जल्दी भरता है

सरसों के तेल में हल्दी मिलाकर लगाने से घाव जल्दी भरता है। हल्दी में एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। और  हल्दी घाव से खून निकलने को कम करती है। चोट लगने पर खून न रुके तो हल्दी लगा सकते हैं। इसके अलावा कान पकने पर सरसों और हल्दी का तेल गर्म करके लगाने से फायदा होगा।

बदन दर्द और सूजन

यदि आप शरीर के दर्द या बदन दर्द से परेशान हैं तो हल्दी और तेल से बने मिश्रण का सेवन करें। ऐसा करने से शरीर का दर्द कम होता है। इसके अलावा यह मिश्रण सूजन और दर्द को खत्म कर देता है।


विटिलिगो (Vitiligo) के उपचार में सहायक:




हल्दी में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो सरसों के तेल के साथ बढ़िया इलाज साबित हो सकता है। सरसों के तेल में पिग्मेंटेशन बढ़ाने वाले गुण होते हैं। 1 चम्मच हल्दी पाउडर और 2 चम्मच सरसों का तेल मिलाकर सफेद दाग पर लगाएं और 15 मिनट बाद धो लें। ऐसा आराम मिलने तक रोज करते रहें।

ध्यान दें:

 किसी भी नए उपचार को उपयोग  करने से पहले  अपने चिकित्सक  से सलाह लें, खासकर विटिलिगो जैसी स्थितियों के लिए.

----
*औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा

*घुटनों के बीच गेप बढ़ना ग्रीस खत्म होना दर्द होने के उपचार

*प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि से मूत्रबाधा का 100%सफल इलाज

*किडनी की पथरी का अचूक हर्बल इलाज ,Kidney stone

*किडनी खराब :वृक्क अकर्मण्यता की अचूक हर्बल औषधि:Kidney Failure

*पित्ताशय की पथरी (Gallstones) का रामबाण हर्बल उपचार

*अश्वगंधा अनगिनत रोगों मे रामबाण: स्त्री-पुरुषों के गुप्त रोगों का समाधान

*गठिया,संधिवात के अनुभूत आयुर्वेदिक घरेलू उपचार // Gout, Arthritis Treatment

*स्त्री रोगों की मुख्य घरेलू औषधियाँ

*संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका के अचूक हर्बल उपचार

*गुर्दे खराब की रामबाण औषधि:Kidney failure medicine

*एलर्जी (चर्म रोग) की आयुर्वेदिक चिकित्सा.allergy

13.12.23

चीकू फल सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं ,जानिए इसके ख़ास फायदे

 



  हर फल की अपनी अलग खासियत और स्वाद होता है, जिसकी वजह से उसे पसंद किया जाता है। ऐसे ही फलों में सपोटा यानी चीकू का नाम भी शुमार है। इस फल में एक अलग मिठास के साथ ही अनेक ऐसे गुण हैं, जो शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। यह फल ही नहीं बल्कि इसके पेड़ के विभिन्न हिस्सों का इस्तेमाल लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने और उनके लक्षणों को दूर करने के लिए किया जाता रहा है।
चीकू विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, इसलिए यह फल सेहत के साथ ही त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। हम लेख में आगे चीकू के फायदे पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इस दौरान हम चीकू के गुण के बारे में बताएंगे, जो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ ही त्वचा और बालों पर सकारात्मक असर डाल सकते हैं। ध्यान दें कि चीकू के खाने के फायदे तो हैं ही इसके साथ ही चीकू के पत्ते, जड़ और पेड़ की छाल भी काफी उपयोगी होती हैं, जिनका इस्तेमाल स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जा सकता है
सेहत/स्वास्थ्य के लिए चीकू के फायदे

वजन नियंत्रण:

अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं और अपना वजन वजन नियंत्रण करना चाहते हैं तो आपकेे लिए चूकी फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि चीकू का फल गैस्ट्रिक एंजाइम एवं मेटाबॉलिज्म नियंत्रित होते हैं। इसके साथ ही चीकू में प्रचूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो आपको लम्बे समय तक भूखे रहने की क्षमता देता है और भूख लगने से बचाता है। इस कारण आप अधिक भोजन खाने से बच जाते हैं और आपका वजन नियंत्रित रहता है।

कैंसर:

लंबे समय से चीकू में कैंसर गुण हैं या नहीं इसको लेकर शोध किया जा रहा था। हाल ही में किए गये शोध के मुताबिक चीकू में एंटी-कैंसर गुण पाए गये हैं। इससे संबंधित एक शोध के मुताबिक चीकू के मेथनॉलिक अर्क में कैंसर के ट्यूमर को बढ़ने से रोकने के गुण पाए गये हैं। रिसर्च के मुताबिक चीकू का सेवन न करने वाले चूहों के मुकाबले इसका सेवन करने वालों के जीवन में 3 गुना वृद्धि हुई और ट्यूमर की बढ़ने की गति भी धीमी पाई गयी (। वहीं, चीकू और इसके फूल के अर्क को ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में मददगार पाया गया है। फिलहाल, इंसानों पर इसके प्रभाव जानने के लिए और शोध की आवश्यकता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि कैंसर एक गंभीर रोग है और इसके इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। अगर कोई कैंसर से पीड़ित है, तो घरेलू उपचार की जगह डॉक्टरी उपचार को प्राथमिकता देना एक अच्छा फैसला है।

इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए

इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए आप चीकू का प्रयोग कर सकते हैं। चीकू में पाया जाने वाला विटामिन-सी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है और शरीर को बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाता है। इसके साथ ही यह शरीर में होने वाले कमजोरी को दूर करता है और आपकी इम्यूनिटी को मजबूत करता है

पाचन और कब्ज:

पाचन क्रिया में सुधार के लिए फाइबर आवश्यक होता है। फाइबर शरीर में मौजूद खाद्य पदार्थों को पचाने के साथ ही अपशिष्ट पदार्थ को मल के माध्यम से बाहर निकालने में मदद कर सकता है। सपोडिला यानी चीकू में भी फाइबर होता है, इसलिए माना जाता है कि चीकू खाने के फायदे में पाचन भी शामिल है। इसमें मौजूद फाइबर लैक्सेटिव की तरह काम करता है, जिसकी मदद से मल आसानी से मलद्वार से बाहर निकल जाता है और कब्ज की समस्या से राहत मिल सकती है। चीकू के फल को पानी में उबालकर पीने से डायरिया भी ठीक हो सकता है। वहीं चीकू में मौजूद टैनिन (Tannins- प्लांट यौगिक) एटी-इंफ्लामेटरी की तरह काम करते हैं। वहीं चीकू में मौजूद टैनिन (Tannins) एटी-इंफ्लामेटरी की तरह काम करते हैं। यह प्रभाव पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं जैसे फूड पाइप में होने वाली सूजन (Esophagitis), छोटी आंत में होने वाली सूजन (Enteritis), इर्रिटेबल बोवेल सिंड्रोम (आंत संबंधी विकार), पेट दर्द और गैस की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है

सर्दी और जुखाम:

चीकू के फायदे में खांसी-जुखाम से बचाव भी शामिल है। यह कफ और बलगम को नाक की नली (Nasal Passage) और श्वसन पथ (Respiratory Tract) से हटाकर सीने की जकड़न और क्रॉनिक कफ से आराम दिलाने में मदद कर सकता है। एनसीबीआई (National Center For Biotechnology Information) पर छपे एक शोध के मुताबिक उपचार की पारंपरिक प्रणाली में सपोडिला यानी चीकू की पत्तियों का उपयोग भी सर्दी और खांसी के लिए किया जाता रहा है । ऐसे में माना जाता है कि इसकी पत्तियों को उबालकर इसका पानी पीने से सर्दी और खांसी से राहत मिल सकती है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सपोटा और इसकी पत्तियों में मौजूद कौन सा केमिकल कंपाउंड सर्दी-जुखाम से राहत दिलाने में मदद करता है। वैसे यह एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण भी प्रदर्शित करता है । ये गुण कुछ हद तक सर्दी-जुखाम से बचाव में मदद कर सकते हैं।

आंखों के लिए -

चीकू में विटामिन ए होता है, जो आंखों के लिए अच्छा होता है। आप हेल्दी आंखों की रोशनी के लिए इसे खा सकते हैं ये आई इंफेक्शन को भी रोक सकते हैं।

टूथ कैविटी:

दांतों में कैविटी होना काफी आम हो गया है, जिसकी अहम वजह है बैक्टीरिया। इस समस्या से निपटने में चीकू मदद कर सकता है। दरअसल, चीकू में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण यहां लाभदायक हो सकते हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने और इनसे बचाव में मदद कर सकते हैं। साथ ही इस पर किए गए शोध में जिक्र मिलता है कि सपोडिला (चीकू) फल में पाए जाने वाले लैटेक्स (एक तरह का गम) का उपयोग दांतों की कैविटी को भरने के लिए भी किया जा सकता है। इसके अलावा, चीकू में मौजूद विटामिन-ए ओरल कैविटी कैंसर से बचाव में मदद कर सकता है

स्वस्थ हड्डियों के लिए चीकू के फायदे:

हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन काफी अहम पोषक तत्व माने जाते हैं। ऐसे में इन तीनों पोषक तत्वों से भरपूर चीकू ह़ड्डी को मजबूत बनाकर उसे लाभ पहुंचा सकता है। चीकू में कॉपर की मात्रा भी पाई जाती है, जो हड्डियों, कनेक्टिव टिश्यू और मांसपेशियों के लिए जरूरी होता है। कॉपर ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों की कमजोरी से जुड़ा रोग), मांसपेशियों की कमजोरी, ताकत में कमी और कमजोर जोड़ों की आशंकाओं को कम करने का काम कर सकता है। कॉपर के साथ ही इसमें मौजूद मैंगनीज, जिंक और कैल्शियम बुढ़ापे की वजह से हड्डी को होने वाले नुकसान से बचाने में सहायक हो सकते हैं

किडनी स्टोन के लिए चीकू के फायदे:

गलत खान-पान और लाइफ स्टाइल की वजह से किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है। इस समस्या से बचने के लिए सपोटा यानी चीकू मदद कर सकता है। किडनी स्टोन से बचाव करने और इसके लक्षण कम करने के लिए चीकू फल के बीज को पीसकर पानी के साथ सेवन करना लाभदायक माना जाता है। दरअसल, इसमें ड्यूरेटिक यानी मूत्रवर्धक गुण होते हैं। माना जाता है कि यह गुण किडनी में मौजूद स्टोन को पेशाब के माध्यम से बाहर निकालने में मदद कर सकता है

एंटी-इंफ्लामेटरी:

टैनिन की उच्च मात्रा की वजह से चीकू एंटी-इंफ्लामेटरी एजेंट की तरह काम करता है। यह आंत संबंधी समस्या, सूजन और दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। यह प्रभाव सूजन व एडिमा से बचाव यानी शरीर के किसी भी हिस्से में तरल पदार्थ व द्रव इकट्ठा होने की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह इंफ्लामेशन से संबंधित अन्य रोग से भी राहत दिलाने और बचाव करने में फायदेमंद साबित हो सकता है । इंफ्लामेशन की वजह से होने वाले रोग में गठिया (Arthritis), ल्यूपस ( जब इम्यून सिस्टम खुद स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट करता है, जिससे जोड़ों, किडनी, हार्ट और कई हिस्सों पर असर पड़ता है), मल्टीपल स्क्लेरोसिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की अक्षमता) जैसी बीमारियां शामिल हैं

स्किन के लिए अच्छा:

चीकू में मौजूद विटामिन C कोलेजन के उत्पादन में मदद करता है. इस फल को खाने से झुर्रियों को जल्दी आने से रोका जा सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें एस्कॉर्बिक एसिड, फ्लेवोनोइड्स और पॉलीफेनोल्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं.

रक्तचाप:

सपोटा में मौजूद मैग्नीशियम रक्त वाहिकाओं को गतिशील बनाए रखता है। इसके अलावा, चीकू में मौजूद पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। रोजाना चीकू को उबालकर इसका पानी पीने से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जा सकता है

प्रेगनेंसी:

कई फल होते हैं जिन्हें गर्भावस्था के दौरान सेवन करना लाभदायक हो सकता है, उन्हीं फलों में से एक है चीकू। कार्बोहाइड्रेट, प्राकृतिक शुगर, विटामिन-सी जैसे कई आवश्यक पोषक तत्वों की उच्च मात्रा से भरपूर होने के कारण इसे गर्भवतियों और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए चीकू को बेहद फायदेमंद माना जाता है। यह गर्भवतियों को होने वाली कमजोरी को दूर करने के साथ ही गर्भावस्था के अन्य लक्षण जैसे मतली और चक्कर आने की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। साथ ही चीकू में मौजूद आयरन और फोलेट जैसे पोषक तत्व गर्भावस्था के दौरान एनीमिया के खतरे से बचाने में लाभदायक हो सकते हैं। इसके अलावा, चीकू में मैग्नीशियम भी होता है, जिसे ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक माना जाता है

एलर्जी-

चीकू खाने से एलर्जी की परेशानी होना एक आम समस्या है. इसमें टैनिन और लेटेक्स जैसे केमिकल होते हैं जो एलर्जी को ट्रिगर कर सकते हैं. अगर आपको चीकू खाने से शरीर में किसी भी तरह का बदलाव नजर आता है तो आप इसका सेवन न करें.

झुर्रिया और एंटी-एजिंग:

झुर्रिया को बढ़ती उम्र की निशानी माना जाता है। कई बार त्वचा का ख्याल न रखने की वजह से समय से पहले चेहरे पर झुर्रिया पड़ने लग जाती हैं। यही वजह है कि लोग कई तरह की एंटी-एजिंग क्रीम का इस्तेमाल करते हैं। अगर घरेलू उपचार की बात की जाए तो चीकू एक फायदेमंद विकल्प के रूप में काम कर सकता है। दरअसल, इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट प्रभाव के साथ ही पॉलीफेनोल और फ्लेवोनॉयड कंपाउंड होते हैं, जो झुर्रियों को कम करने में मदद कर सकते हैं । इसलिए चीकू को हैप्पी फूड भी कहा जाता है।

नुकसान-

डायबिटीज-

डायबिटीज रोगियों को चीकू का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, यदि शुगर लेवल बढ़ा हुआ है तो चीकू के सेवन से बचना चाहिए. इससे शुगर लेवल और बढ़ सकता है.

स्वाद में बदलाव-

कच्चा चीकू फल खाने से मुंह का स्वाद कड़वा हो सकता है. क्योंकि इसमें लेटेक्स और टैनिन की अधिक मात्रा मौजूद होती है, जो मुंह के स्वाद को कड़वा बना सकते हैं.

पेट दर्द की समस्या -

कई बार चीकू (Chikoo) के सेवन से व्यक्ति को पेट में दर्द हो सकता है। इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में फाइबर होता है, ऐसे में किसी भी चीज को ज्यादा खाने से परेशानी हो सकती है।

चीकू न खाएं-

रात में आपको चीकू भी नहीं खाना चाहिए. चीकू में शुगर की मात्रा काफी होती है. इससे शरीर में शुगर और एनर्जी का लेवल बढ़ जाता है और आपको नींद आने में परेशानी हो सकती है.
-----
*औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा

*घुटनों के बीच गेप बढ़ना ग्रीस खत्म होना दर्द होने के उपचार

*प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि से मूत्रबाधा का 100%सफल इलाज

*किडनी की पथरी का अचूक हर्बल इलाज ,Kidney stone

*किडनी खराब :वृक्क अकर्मण्यता की अचूक हर्बल औषधि:Kidney Failure

*पित्ताशय की पथरी (Gallstones) का रामबाण हर्बल उपचार

*अश्वगंधा अनगिनत रोगों मे रामबाण: स्त्री-पुरुषों के गुप्त रोगों का समाधान

*गठिया,संधिवात के अनुभूत आयुर्वेदिक घरेलू उपचार // Gout, Arthritis Treatment

*स्त्री रोगों की मुख्य घरेलू औषधियाँ

*संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका के अचूक हर्बल उपचार

*गुर्दे खराब की रामबाण औषधि:Kidney failure medicine

*एलर्जी (चर्म रोग) की आयुर्वेदिक चिकित्सा.allergy