29.10.23

मेथी के फायदे और नुकसान ,Methi ke fayde



  मेथी लगभग हर रसोई में पाए जाने वाला मसाला है। इसका इस्तेमाल अमूमन हर रेसिपी के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह न सिर्फ खाने के टेस्ट को बढ़ाने का काम करती है, बल्कि सेहत के लिए भी लाभकारी होती है। औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण, अच्छे स्वास्थ्य के लिए मेथी का पानी पीना अच्छा माना जाता है।
मेथी के बीजों से स्वास्थ्य को कई फायदे होते हैं। इससे झड़ते बालों की परेशानी दूर हो सकती है। साथ ही यह मोटापा कम करने में भी लाभकारी हो सकता है।

कब्ज का इलाज

कब्ज की परेशानियों को दूर करने के लिए मेथी के दानों का सेवन किया जा सकता है। इसमें मौजू फाइबर मल को सॉफ्ट करता है, जो मल त्यागने में लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा मेथी का सेवन करने से गैस, अपच, पेट दर्द, पेट फूलना, कमर दर्द जैसी परेशानी भी दूर हो सकती है। इसका सेवन करने के लिए मेथी और अजवाइन को मिक्स करके भुन लें। रोजाना गर्म पानी के साथ इसका सेवन करने से पेट से संबंधित परेशानी दूर हो सकती है।

कान बहने की परेशानी करे कम

कान बहने की परेशानी को रोकने के लिए मेथी के दानों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए मेथी के बीजों को दूध के साथ अच्छी तरह से पीस लें। अब इसे छानकर लें। इसके बाद इसे हल्का सा गुनगुन कर लें। अब इस दूध की कुछ बूंदों को अपने कान में डालें। इससे कान बहने की परेशानी दूर हो सकती है।

पाचन के लिए

अगर कोई जानना चाहता है कि मेथी पानी पीने से क्या होता है, तो उन्हें बता दे कि इससे पाचन की समस्या ठीक हो सकती है। इस बात की पुष्टि दो अलग-अलग शोध से होती है। एक मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, मेथी के बीज में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने के साथ ही पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर कर सकता है। वहीं, एक अन्य शोध में मेथी के बीज युक्त टॉनिक को पाचन की समस्या कि लिए उपयोगी बताया गया है  ऐसे में कह सकते हैं कि मेथी दाने का पानी पीने के फायदे में पाचन तंत्र को दुरुस्त रखना भी शामिल है।

पीरियड्स की परेशानी करे दूर

मेथी के बीजों का सेवन करने से पीरियड्स में होने वाली समस्याएं दूर हो सकती हैं। यह मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्याएं जैसे - पेट में दर्द, ऐंठन, ब्लीडिंग इत्यादि को दूर करने में लाभकारी हो सकता है। दरअसल, मेथी के दानों में एस्ट्रोजेन गुण पाए जाते हैं, जो पीरियड्स से जुड़ी परेशानियों को दूर कर सकते हैं।

गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी

मेथी के बीजों का सेवन करने से गर्भवती महिलाओं को भी काफी लाभ पहुंचता है। साथ ही यह ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन में भी बढ़ावा कर सकता है। इसलिए कई महिलाओं को डिलीवरी के बाद मेथी के दानों से तैयार लड्डू खाने की सलाह दी जाती है।

हृदय स्वस्थ को बनाए रखने में

मेथी दाने का पानी पीने के फायदे में हृदय को स्वस्थ रखना भी शामिल है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक वैज्ञानिक अध्ययन में साफ तौर से बताया गया है कि मेथी के बीज में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर हृदय रोग से बचाव कर सकते हैं

किडनी के लिए

एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार,मेथी का सेवन रेनल फंक्शन यानी गुर्दे की कार्यक्षमता को बढ़ाकर कैल्सीफिकेशन की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है बता दें, कैल्सीफिकेशन प्रक्रिया के दौरान कैल्शियम शरीर के टिश्यू में जमने लगता है। इससे टिश्यू कठोर हो सकते हैं .इसके अलावा, मेथी का सेवन शरीर में एंटीऑक्सिडेंट के स्तर को भी बढ़ा सकता है, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर गुर्दे के कार्य में सुधार कर सकता है इसलिए, यह माना जा सकता है कि किडनी संबंधित परेशानी से बचाव के लिए मेथी का पानी अहम भूमिका निभा सकता है।

दिल के मरीजों के लिए फायदेमंद

मेथी का दाना एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर कर सकता है। साथ ही इसमें घुलनशील फाइबर होते हैं, जो दिल की बीमारियों होने के खतरे को कम करने में लाभकारी हैं। दिल को स्वस्थ रखने के लिए रोजाना मेथी के दानं से तैयार काढ़ा पिएं। इसके साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में भी लाभकारी होता है। मेथी के दानों का चूर्ण खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में प्रभावी है।

ब्रेस्ट फीडिंग- 

मेथी दाना खाने से ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली माताओं को दूध का निर्माण करने में मदद मिलती है. दरअसल मेथी में ग्लैक्टागोग्यूज पाया जाता है. यह कंपाउंड ब्रेस्टफीडिंग में दूध बढ़ाने में मददगार है.

बालों के लिए

बालों के लिए भी मेथी के पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, गंजेपन के इलाज के लिए मेथी के बीज के टॉनिक का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है वहीं एक अन्य शोध के मुताबिक, मेथी के बीज में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है, जो हेयर फॉल की समस्या को कम करने में मदद कर सकता है

यौन क्षमता-

 पुरुषों की यौन क्षमता बढ़ाने में भी मेथी के दाने मददगार हैं. पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन नमक सेक्स हार्मोन होता है यह हार्मोन स्पर्म काउंट फर्टिलिटी को बढ़ाता है. मेथी दाना इस हार्मोन को बनाने में मदद करता है. मेथी दाना में फ्यूरोस्टैनोलिक सैपोनिन पाया जाता है जो टेस्टोस्टेरोन हार्मोन को बनाने में मदद करता है.

त्वचा के लिए

त्वचा संबंधी कई समस्याओं को दूर रखने के लिए भी मेथी पानी के फायदे हो सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध में यह बताया गया है कि मेथी के दाने में एंटीऑक्सीडेंट, स्किन हीलिंग, वाइटनिंग, मॉइस्चराइजिंग, स्किन स्मूदिंग और एंटीरिंकल गुण होते हैं, जो त्वचा संबंधित कई परेशानियों से बचाव करने में सहायक हो सकते हैं। यही कारण है कि कई स्किन केयर प्रोडक्ट्स में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है । इस आधार पर कहा जा सकता है कि मेथी का पानी त्वचा के लिए लाभकारी हो सकता है।

वजन- 

अगर आप वजन घटा रहे हैं तो एक्सरसाइज के साथ-साथ वजन कम करने के लिए भुनी हुई मेथी का भी सेवन करें. दरअसल मेथी दानों में मौजूद फाइबर और अन्य पोषक तत्व वजन कम करने और मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने में मददगार होते हैं. रोजाना सुबह के समय भुनी हुई मेथी का सेवन करने से तेजी से वजन कम होता है.

मधुमेह के लिए

सिर्फ 1 महीने मेथी का पानी पीने के फायदे मधुमेह की स्थिति पर भी दिखाई दे सकते हैं। एक वैज्ञानिक रिसर्च की मानें, तो मेथी के दाने के पानी में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है। यह प्रभाव रक्त शुगर को कम करने के लिए जाना जाता है .
वहीं, एक अन्य शोध में साफ तौर से इस बात का जिक्र है कि मेथी के बीज के अर्क को पौराणिक समय से मधुमेह की दवा के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है । इस आधार पर कह सकते हैं कि मेथी का पानी पीने से मधुमेह की स्थिति में सुधार हो सकता है। वहीं, अगर कोई मधुमेह के लिए किसी तरह की दवाई ले रहा है, तो इसके सेवन से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

कैंसर में मेथी के संभावित उपयोग

मेथी में प्रोटोडायोसिन नाम का एक यौगिक पाया जाता है जो कैंसर सेल लाइनों के खिलाफ एंटीकैंसर गुण दिखा सकता है। इसकी स्टडी में यह पाया गया है, कि फेनुग्रीक (मेथी) के एक्स्ट्रैक्ट ने ब्रेस्ट और पैन्क्रीयाटिक कैंसर की सेल (कोशिका) लाइनों को बढ़ने होने से रोका। जानवरों पर होने वाले अध्ययनों के अनुसार, फेनुग्रीक (मेथी) के एक्स्ट्रैक्ट के सेवन ने, ट्यूमर सेल (कोशिका) की वृद्धि को भी कम कर दिया।2 हालाँकि, इंसानों में कैंसर के खिलाफ मेथी के उपयोग को और ज्यादा सपोर्ट करने के लिए और ज्यादा रिसर्च की जरूरत है। इसलिए, पहले हेल्थ केयर प्रोवाइडर से सलाह लिए बिना मेथी का उपयोग कैंसर के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

सूजन के लिए

सिर्फ 1 महीने मेथी का पानी पीने के फायदे की बात करें, तो इसमें सूजन से जुड़ी समस्याओं को दूर करना भी शामिल है। एक वैज्ञानिक शोध की मानें, तो मेथी के अर्क में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो सूजन को कम कर सकता है। इससे एडिमा और गठिया जैसी सूजन से संबंधित समस्या का जोखिम काफी हद तक कम हो सकता है । इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि सूजन संबंधित परेशानी से राहत दिलाने में मेथी का पानी उपयोगी है।

अस्थमा (दमा) में मेथी के संभावित उपयोग

अस्थमा फेफड़े में होने वाला डिसॉर्डर है जिसमें फेफड़े के वायुमार्गों (एयरवेस) में सूजन आ जाती है और यह डिसॉर्डर साँस लेने और छोड़ने के लिए वायुमार्ग को बंद कर देता है। एक अध्ययन के अनुसार, फेनुग्रीक का एक्स्ट्रैक्ट माइल्ड अस्थमा के इलाज में असरदार था और सहायक थेरेपी के रूप में इसके सेवन की सलाह दी जा सकती है। मेथी का रोजाना उपयोग करने से अस्थमा के लक्षणों से बचने में मदद मिल सकती है।2 हालाँकि, मेथी को अस्थमा के इलाज के विकल्प के रूप में उपयोग न करें।
लिवर के लिए मेथी का संभावित उपयोग

मेथी (फेनुग्रीक) के बीजों का एक्स्ट्रैक्ट, शराब से होने वाले लिवर डैमेज के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इस एक्स्ट्रैक्ट में मौजूद पॉलीफेनोलिक यौगिकों से लिवर को प्रोटेक्टशन मिल सकता है। मेथी के बीज शराब के विषाक्त प्रभावों (टॉक्सिक इफेक्ट) से लिवर की कोशिकाओं और लिवर के फ़ंक्शन को बचाने में मदद कर सकते हैं। हालाँकि, यदि अपको लिवर से संबंधित कोई भी बीमारी है, तो हर्बल उपचार लेने से स्थिति और खराब हो सकती है।

मोटापे में मेथी के संभावित उपयोग

मेथी बिना किसी साइड इफेक्ट के वजन कम करने में मदद कर सकती है। जानवरों पर होने वाले कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि वजन घटाने में मेथी असरदार होती है। मेथी के हाई फाइबर भूख को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो मोटे रोगियों में ज्यादा बढ़ जाती है। जानवरों में अध्ययन के अनुसार, मेथी पाउडर का सेवन वजन कम करने में सहायक पाया गया। मेथी के बीज में मौजूद गैलेक्टोमैनन, खून (ब्लड) में अवशोषित (एब्सॉर्ब) होने से पहले शरीर से शुगर को बाहर निकालने में मदद कर सकता है।

डाइबीटीज़ (मधुमेह) में मेथी के संभावित उपयोग

मेथी डाइबीटीज़ में सहायक हो सकती है क्योंकि यह लिवर और एडिपॉज टिशू (ऊतकों) में ग्लूकोज ट्रांसपोर्टरों और सिग्नलिंग ट्रांसडक्शन को नियंत्रित करके इंसुलिन सेन्सिटिविटी को बढ़ाती है। जानवरों पर किए गए अध्ययन के अनुसार, मेथी के सेवन से लिवर और एडिपोज टिशू में ग्लूकोज ट्रांसपोर्टर-2 और 4 का लेवल बढ़ा हुआ पाया गया। मेथी इंसुलिन रेजिस्टेन्स की स्थिति में सुधार करने में भी मदद कर सकती है। यह लिवर को अच्छी तरह से काम करने में भी मदद कर सकती है।

कैसे करें भुनी मेथी का सेवन

मेथी के दानों को साफ करके तवे पर भून लीजिए. अब इन्हें अच्छी तरह पीसकर पाउडर बना लें. इस पाउडर में शहद मिलाकर सेवन करें. रोज सुबह एक चम्मच मेथी पाउडर में एक चम्मच शहद मिलाकर खाने से आपको फायदा मिलना मुमकिन है.

मेथी दानों के नुकसान

मेथी दानों का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से शरीर को कई नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए कोशिश करें कि इसका सेवन कम मात्रा में करें। पेट से जुड़ी परेशानी जैसे- खट्टी डकार, गैस इत्यादि।

स्किन पर एलर्जी होने की संभावना
लो ब्लड प्रेशर की परेशानी इत्यादि।
मेथी के बीजों का सेवन करने से शरीर को कई फायदे होते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से आपको कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए सीमित मात्रा में इसका सेवन करें। वहीं, अगर आप पहले से किसी समस्या से जूझ रहे हैं, तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही इसका सेवन करें।
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औषधीय गुणों से भरपूर हारसिंगार(पारिजात) सायटिका ,संधिवात में रामबाण असर पौधा



पारिजात सफेद फूलों वाला पेड़ है, जिसे हरसिंगार भी कहा जाता है। इसके पत्ते व फूलों में अनेक स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं और प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जा रहा है। आजकल लोग घर पर भी इस पेड़ को उगाने लगे हैं क्योंकि इसके पत्तों का इस्तेमाल कई घरेलू उपचारों में भी किया जाता है। आजकल मार्केट में भी हरसिंगार के बीज, ताजे पत्ते व इनसे बने कई प्रोडक्ट मिल जाते हैं।
विभिन्न शोध दिखाते हैं की पारिजात के पत्तों में गठिया-विरोधी anti-arthritic गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के काढ़े decoction of leaves में लीवर की रक्षा hepatoprotective, वायरल-विरोधी anti-viral और कवक-विरोधी anti-fungal, दर्द निवारक analgesic, ज्वरनाशक antipyretic गुण पाए जाते है।
पारिजात दिव्य गुणों से युक्त पेड़ है। इसे संस्कृत में शेफालिका कहा जाता है, जिसका अर्थ है फूल जिसमें शिलीमुख अर्थात भंवरा आराम से सोता है। इसे हरिश्रृंगार या हरसिंगार नाम से भी जाना जाता है। इसका बोटानिकल नाम निकेटेंथस आर्बोट्रीस्ट्स है। पारिजात, आयुर्वेद का एक बहुत ही अच्छी तरह से जाना जाने वाला औषधीय पौधा है। यह भारतवर्ष का मूल निवासी है। यह उप-हिमालयी क्षेत्रों से दक्षिण के गोदावरी तक मिलता है। पारिजात के पुष्पों, पत्तों, आदि का औषधीय कार्यों के लिए भारतीय चिकित्सा प्रणालियों में इस्तेमाल बहुत पुराने समय से उपयोग किया जाता रहा है।
पारिजात के पुष्पों को भगवान् श्री कृष्ण की पूजा में प्रयोग किया जाता है। इसकी बहुत ही अनुपम गंध होती है। पारिजात के पुष्प रात में खिलते है और सुबह स्वतः ही गिर जाते है।
कथा के अनुसार, पारिजात का वृक्ष सागर मंथन से उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष को इन्द्र ने अपने उद्यान नंदन कानन में लगा दिया। देवराज इंद्र के निमंत्रण पर जब श्री कृष्ण स्वर्ग लोग में अपनी पत्नी देवी रुकमणी के साथ पहुंचे तो देवराज ने स्वागत में यह पुष्प उन्हें भेंट किये। इन पुष्पों को देवी रुकमणी ने अपने बालों में धारण कर लिया। जब श्री कृष्ण और रुकमणी, द्वारका वापस लौटे तो उन पुष्पों को देख श्री कृष्ण की दूसरी पत्नी सत्यभामा उस पुष्प के पेड़, पारिजात को लाने की जिद की। श्री कृष्ण ने इंद्र से आग्रह किया की वे उन्हें पारिजात दे दें। लेकिन इंद्र ने इस आग्रह को ठुकरा दिया। तब श्री कृष्ण ने इन्द्र से घनघोर युद्ध कर इस वृक्ष को जीत कर धरती पर लाये और इसे द्वारका में प्रतिष्ठित किया।
पारिजात का पेड़ झाड़ी जैसा होता है। इसकी जड़ के पास से कई तने निकल आते हैं । इसके पत्ते हरे खुरदरे और रोएँ युक्त होते हैं। ऊपर से ये हरे और नीचे से हलके रंग के होते है। पारिजात के पुष्प पेड की टहनी पर गुच्छे में लगते है। पारिजात पुष्प की ६-७ पंखुड़ियाँ सफ़ेद रंग की होती और नारंगी रंग की डंठल से जुडी होती है। पुष्प खिलने के बाद हरे गोल रंग के चपटे फल लगते है।
पारिजात फूलों से पीला रंग भी निकाला जाता है। यह रंग कपड़ों को रंगने और पुलाव को पीला रंग देने के लिए होता है।
पारिजात के पत्ते Leavesपत्तों का आयुर्वेद में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। साइटिका, जीर्ण ज्वर, गठिया, कृमि-संक्रमण sciatica, chronic fever, rheumatism, internal worm infections आदि में पत्तों का प्रयोग पुराने समय से होता आया है।
पत्तों को भूख न लगना, बवासीर, यकृत रोग, पित्त विकार, पेट के कीड़े, जीर्ण ज्वर, पुराना साइटिका, गठिया और बुखार आदि में प्रभावी रूप से प्रयोग किया जाता है।
पत्तों का कफ में भी प्रयोग किया जाता है। पत्तों का रस शहद में मिला कर दैनिक तीन बार, खाँसी के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तों का पेस्ट शहद के साथ, बुखार, उच्च रक्तचाप और मधुमेह fever, high blood pressure and diabetes के इलाज के लिए दिया जाता है।
पत्तियों के रस में पाचन बढ़ाने वाले  सांप के विष के असर को कम करने वाले टॉनिक tonic, विरेचक laxative, स्वेदजनक  और मूत्रवर्धक  गुण होते हैं।
पत्तियों के काढ़े को गठिया के इलाज, साइटिका, मलेरिया, पेट के कीड़े और एक टॉनिक के रूप में को प्रयोग किया जाता है।

पारिजात के फूल  

पारिजात के पुष्पों को पित्त दोष कम करने, कफ, वात कम करने, टॉनिक, बवासीर और विभिन्न त्वचा रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
पुष्पों के पीले हिस्से का प्रयोग सिल्क और सूती कपड़ों को रंगने में भी होता है।

पारिजात का तना 

परंपरागत रूप से स्टेम छाल के पाउडर का प्रयोग गठिया, जोड़ों के दर्द rheumatic joint pain, मलेरिया, और कफ को ढीला करने के लिए होता है। ओड़िसा मलेरिया के उपचार के लिए, छाल के पाउडर, अदरक, और पिप्पली का काढ़ा बनाकर दो दिन तक लिया जाता है।
पारिजात के बीज Seedsबीजों को कृमि नाशक anthelmintics और खालित्य/गंज alopecia में इस्तेमाल किया जाता है।
यह पित्त को कम करता है और कफ को ढीला कर बाहर निकालने expectorant में मदद करता है। यह पित्त की अधिकता से होने वाले बुखार में भी उपयोगी है।
बीजों का पाउडर का प्रयोग सिर में रुसी, पपड़ी, सूखी त्वचा का इलाज करने लिए प्रयोग लिया जाता है। इसके अतिरित इसे बवासीर और त्वचा रोगों में भी प्रयोग किया जाता है।
विभिन्न शोध दिखाते हैं की पारिजात के पत्तों में गठिया-विरोधी anti-arthritic गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के काढ़े decoction of leaves में लीवर की रक्षा hepatoprotective, वायरल-विरोधी anti-viral और कवक-विरोधी anti-fungal, दर्द निवारक analgesic, ज्वरनाशक antipyretic गुण पाए जाते है।

साइटिका, ग्रिध्सी Sciatica

1. पारिजात, ३-६ पत्तों को कूट कर पानी में उबाल, सुबह और शाम रोज़ पीने से लाभ होता है।
2. पारिजात के सूखे पत्तों का पाउडर, 1 चम्मच पानी के साथ लेने से राहत मिलती है।

आर्थराइटिस, जोड़ों का दर्द Arthritis, joint pain

पारिजात के पत्ते, पुष्प, छाल, टहनी को ५ ग्राम की मात्रा में ले कर एक गिलास पानी में उबाल कर काढा बनाकर रोज़ पियें।

जोड़ों की सूजन

पारिजात के फूलों का पेस्ट लगायें।

हड्डी टूटना Fracture

पत्ते और छाल का पेस्ट लगाकर एक कपड़े से कसकर लपेट दें।

शरीर में दर्द, सूजन


३-६ पत्तों को कूट कर दो गिलास पानी में उबाल कर दिन में दो बार पिए।

पुराना बुखार

बुखार के लिए, पारिजात की पत्तियों का रस ४-६ ग्राम, शहद में मिलाकर, गर्म पानी के साथ, दिन में तीन बार, तीन दिन तक लेने से पीने से लाभ होता है।

पारिजात है त्वचा रोगों का इलाज करने में मददगार

त्वचा रोगों का इलाज करने में भी पारिजात काफी लाभदायक हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें कई प्रकार के एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा में होने वाली सूजन, लालिमा, जलन व अन्य क्षति को रोकने में मदद करते हैं।
हालांकि, पारिजात से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ प्रमुख रूप से कुछ अध्ययनों पर आधारित हैं और हर व्यक्ति के शरीर पर इसका अलग असर हो सकता है।

मलेरिया Malaria, विषम ज्वर

मलेरिया में, पारिजात की पांच ताजा पत्तियों का पेस्ट, मौखिक रूप से दिन में तीन बार, 7-10 दिनों तक दिया जाता है।

बुखार Fever

पारिजात की २-३ पत्तियां, ३ ग्राम छाल, और तुलसी के कुछ पत्तों को ले कर पानी में उबाल कर सुबह-शाम पिए।
पेट में कीड़े, आंत के कीड़े पत्तों का रस ४-६ ग्राम की मात्रा में, १ चम्मच शहद और चुटकी भर नमक के साथ लें।
दो चम्मच पारिजात पुष्पों के रस को एक चुटकी नमक के साथ दो दिनों लें।
पारिजात के पत्तों का रस २ चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट लें।

बालों में रुसी

बालों में पारिजात के बीजों को पीस कर लगायें।

कफ, छाती में कफ के कारण जकड़न

पत्तों का रस शहद के साथ लें।
सर्दी खांसी Cough/coldतीन पत्तियों और काली मिर्च का पेस्ट मौखिक रूप से पानी के साथ लें।
चाय बनाते समय पारिजात के १-२ पत्ते डाल कर पीने से लाभ होता है।

मधुमेह Diabetes

40 दिन लगातार, मौखिक रूप से पत्तियों का काढा लें।

घाव Wound

बाहरी रूप से पत्ती पीस कर लगाएँ।

पारिजात की औषधीय मात्रा

पारिजात की छाल की औषधीय मात्रा ३ रत्ती (1 ratti=125 mg) है।

पारिजात के पत्तों की औषधीय मात्रा 3-6 ताज़ा पत्ते है।


पारिजात के नुकसान

पारिजात कोई सामान्य जड़ी-बूटी नहीं है और इसका सेवन करने से कुछ लोगों को शरीर पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं। पारिजात का सेवन करने से कुछ लोगों को निम्न समस्याएं हो सकती हैं -पेट में दर्द या पेट फूलना
सीने में जलन और खट्टी डकार
मतली और उल्टी
सिरदर्द या सिर घूमना
दस्त

पारिजात का उपयोग कैसे करें

पारिजात का उपयोग निम्न तरीके से किया जा सकता है -पत्तों या फूलों को पानी मे उबालकर उसे पीएं
पत्तों को चाय में डालकर सेवन करें
रस को पानी में मिलाकर
काढ़ा बनाकर
विशिष्ट परामर्श-  


संधिवात,कमरदर्द,गठियासाईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| बड़े अस्पताल के महंगे इलाज के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से निरोग हुए हैं| बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| 
औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं| 
 









हृदय को मजबूत रखने के कारगर उपाय (heart ko strong kaise banaye)




समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक मजबूत हृदय प्रणाली आवश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि आपका हृदय आपके शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त और ऑक्सीजन को कुशलतापूर्वक पंप करता है, जिससे आप आसानी से दैनिक गतिविधियां और व्यायाम कर सकते हैं। एक मजबूत हृदय प्रणाली का निर्माण करना जटिल नहीं है; इसे हासिल करने में आपकी मदद के लिए आज हम कुछ आसान टिप्स आपको सुझाने जा रहे हैं.
आपके दिल की देखभाल के लिए स्वस्थ हृदय युक्तियाँ
आप कुछ नियमो का पालन करे और अपने जाने हृदय को स्वस्थ रखने के घरेलू उपाय। यहां एक स्वस्थ दिल को प्राप्त करने के लिए 15 सरल और महत्वपूर्ण कदम हैं, यह जानने के लिए एक नज़र डालें कि दिल की देखभाल के टिप्स क्या हैं:

धूम्रपान छोड़ो

चाहे आप कितना भी शांत सोचते हैं कि आप धूम्रपान करते समय देखते हैं, अधिनियम आपको एक स्वस्थ शरीर को बनाए रखने में मदद नहीं करता है, बड़े पैमाने पर। धूम्रपान और तंबाकू की खपत कोरोनरी हृदय रोग के सबसे बड़े कारणों में से एक है। तंबाकू रक्त वाहिकाओं और दिल को बड़ा नुकसान पहुंचाता है। धूम्रपान पर देना शीर्ष स्वस्थ हृदय युक्तियों में से एक है। निकोटीन पैच या च्यूइंग गम का उपयोग करके जल्द से जल्द धूम्रपान छोड़ना उचित है।
यहाँ तंबाकू का सेवन छोड़ने के लिए कुछ प्रेरणा है: "धूम्रपान करने वाले में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम धूम्रपान करने वाले में लगभग आधा है"। तो दिल के दौरे को रोकने के लिए, बस इसे छोड़ दें।
काम करना शुरू करें
नियमित अभ्यास के कई लाभ हैं। उनमें से एक दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को कम कर रहा है। यदि आप दैनिक आधार पर काम करते हैं, तो न केवल आप अच्छे आकार में बने रहेंगे, बल्कि आपके अंग भी लंबे समय तक स्वस्थ रहेंगे।
आत्म-छवि को बढ़ाने के अलावा, नियमित अभ्यास दिल की देखभाल के लिए बहुत कुछ करते हैं:यह आपके हृदय प्रणाली को मजबूत करता है
यह आपके शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है
व्यायाम से धीरज बढ़ाता है
यह संतुलन और लचीलापन में सुधार करता है
यह ऊर्जा स्तर बढ़ाता है
एक फिट दिल के लिए, यह सलाह दी जाती है कि एक एरोबिक सत्र कम से कम 30 मिनट की मध्यम गतिविधि, सप्ताह में कम से कम चार बार स्थायी हो। लेकिन आपको चोटों से बचने के लिए धीरे -धीरे अपनी गतिविधि का स्तर बढ़ाना चाहिए। यदि आप रोजमर्रा के आधार पर काम करने के आदतन नहीं हैं, तो आप कुछ योग करके शुरू कर सकते हैं। योग आपके शरीर को आराम करने के लिए साबित हुआ है और इस प्रकार तनाव के स्तर को कम करने के लिए, इसके अलावा हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए।
अन्य सामान्य प्रकार की शारीरिक गतिविधियाँ जिन्हें आप चुन सकते हैं:चलना
भार उठाना
रनिंग
लंबी पैदल यात्रा
प्रो-टिप: अपने लिए एक कसरत योजना तैयार करें। हर दिन एक ही समय में व्यायाम करने की योजना आपको समग्र स्वास्थ्य के लिए एक दिनचर्या में आने में मदद करेगी। अपने वर्कआउट सेशन को उन गतिविधियों का आनंद लें, जिनका आप आनंद लेते हैं या दिनचर्या के साथ रहने के लिए एक व्यायाम दोस्त ढूंढते हैं।

 स्वस्थ आहार

यह तय करना कि क्या खाना है सबसे कठिन विकल्पों में से एक है। लेकिन यह एक बुद्धिमान विकल्प भी होना चाहिए क्योंकि एक अच्छा आहार हृदय रोग के लिए शीर्ष नियंत्रणीय कारकों में से एक है। यह इसलिए है क्योंकि पूरे हृदय प्रणाली को भोजन से ऊर्जा के सेवन से लाभ होता है।
एक बार जब आप जानते हैं कि कौन सा खाना है और कौन से लोग बचना चाहते हैं, तो आपके खाने की आदतों को बदलना एक बड़ा काम नहीं होगा। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जो एक स्वस्थ दिल के लिए एक संतुलित आहार हैमापें कि आप कितना खाते हैं: भोजन का सही हिस्सा खाना उतना ही महत्वपूर्ण है जैसा कि सही भोजन खा रहा है। ओवरएटिंग से अधिक कैलोरी का सेवन हो सकता है जो आपके दिल के लिए हानिकारक हो सकता है। भोजन करते समय आपको अपने सर्विंग्स पर नज़र रखना चाहिए। कम कैलोरी, पोषक तत्वों के समृद्ध-खाद्य पदार्थों और उच्च-कैलोरी के छोटे हिस्से, उच्च-सोडियम खाद्य पदार्थ के बड़े हिस्से आदर्श हैं।
प्रो-टिप: अपने भागों को नियंत्रित करने में मदद करने के लिए छोटे कटोरे या प्लेटों का उपयोग करना शुरू करें और अंततः भोजन की सही मात्रा में खाने के आदतन प्राप्त करें।फल और सब्जियों के लिए हाँ कहें: फल और सब्जियां आहार फाइबर में समृद्ध हैं। इनमें ऐसे पदार्थ होते हैं जो हृदय रोग को रोकने में मदद करते हैं। वे विटामिन और खनिजों के अच्छे स्रोत भी हैं। एक पूर्ण पौधे के आहार से हृदय रोग का खतरा कम हो गया है।

प्रो-टिप: आपको पूर्ण रूप में फल खाना चाहिए और सभी फाइबर का उपभोग करने के लिए उन्हें रस बनाने से बचना चाहिए।साबुत अनाज चुनें: परिष्कृत अनाज उत्पादों को साबुत अनाज के साथ प्रतिस्थापित किया जा सकता है। साबुत अनाज में उच्च फाइबर होते हैं और रक्तचाप को विनियमित करने में भूमिका निभाते हैं। पूरे गेहूं का आटा, पूरे अनाज की रोटी, उच्च-फाइबर अनाज, और दलिया कुछ पूरे-अनाज उत्पाद हैं जो चुनने के लिए हैं।
स्वस्थ वसा चुनें: सभी वसा अस्वस्थ नहीं हैं। आप उस अधिकार को पढ़ते हैं। आम जनता के बीच गर्भाधान सभी वसा को उच्च कोलेस्ट्रॉल से संबंधित करना है। उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल से दिल का दौरा पड़ सकता है। वसा के प्रकारों को जानना महत्वपूर्ण है- संतृप्त और ट्रांस वसा, उनकी खपत को सीमित करने और नियंत्रित करने के लिए।
वसा लेने के लिए: नट, बीज, वनस्पति तेल और जैतून का तेल। वसा से बचने के लिए: ग्रेवी, क्रीम और मक्खन।चीनी का सेवन सीमित करना: चीनी की खपत सीधे कैलोरी के सेवन से संबंधित है। उच्च कैलोरी स्तर का अर्थ है हृदय रोग के विकास का अधिक जोखिम। चीनी को 75 प्रतिशत प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में जोड़ा जाता है। आपको चीनी और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के अपने सेवन की निगरानी करनी चाहिए।
प्री-प्लान योर मील: अपने दिन के साथ चलते समय अपने संतुलित भोजन पर सक्रिय रूप से निर्णय लेना एक कठिन काम हो सकता है। दिन से पहले अपने मेनू की योजना बनाना फायदेमंद है ताकि आपको पोषक तत्वों के अपने सेवन के बारे में चिंता करने की ज़रूरत न हो।
आपको हृदय स्वास्थ्य में सुधार के लिए अपने आहार में 'सुपरफूड्स' जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यदि आप चाहते हैं कि शीर्ष अस्पताल स्वस्थ हृदय युक्तियों के बारे में विशेषज्ञ परामर्श प्रदान करे, तो आप संपर्क कर सकते हैं j अलप्पा अस्पताल कोलार । भोजन और पेय पदार्थों को बेहतर दिल की देखभाल (दिल की देखभाल के टिप्स) के लिए लेने के लिए:अंडे
अखरोट
शकरकंद
संतरे
बीन्स
गाजर
सेब
कॉफी
ग्रीन टी
जामुन
रेड वाइन
टमाटर
मछली
कम वसा वाले डेयरी उत्पाद
केले
ग्रीक दही
किशमिश
ब्रोकोलीखाद्य पदार्थ एक स्वस्थ दिल से बचने के लिए:नारियल
मलाईदार सॉस के साथ सब्जियां
तली हुई सब्जियां
जोड़ा चीनी के साथ जमे हुए फल
रेड मीट
फास्ट फूड
चिप्स
सोडा
इससे आपका हार्ट को मजबूत कैसे करे स्वस्थ भोजन के अलावा, एक सरल- अपने दिल के लिए भोजन की योजना के लिए । इस योजना में भोजन और स्नैक्स में हृदय के अनुकूल खाद्य पदार्थ शामिल हैं: पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां, फल, साबुत अनाज, नट, दुबला प्रोटीन, और हृदय-स्वस्थ वसा, चीजों को कम कैलोरी के साथ स्वादिष्ट रखने के लिए और बहुत अधिक सोडियम को जोड़ने के बिना।

अपने पीने की होड़ को नियंत्रित करें

यदि आप शराब के नियमित उपभोक्ता हैं, तो आपके लिए शराब के सेवन को सीमित करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का समय है। यह ध्यान दिया गया है कि नियमित रूप से शराब की खपत से किसी व्यक्ति पर घातक प्रभाव पड़ सकता है, खासकर हृदय पर।

शराब के बजाय

आपको हर दिन बहुत सारा पानी पीना चाहिए। आपको शराब की मात्रा को कम करके शुरू करना चाहिए, धीरे -धीरे और धीरे -धीरे एक पूरे दिन को पीने के बिना जब तक आप पूरी तरह से नहीं छोड़ते।

 एक तनाव-मुक्त जीवन का नेतृत्व करें

रोजमर्रा के कार्यों को पूरा करना आज की उम्र में एक दौड़ से कम नहीं है। यह स्पष्ट है कि हर कोई हर दिन विभिन्न प्रकार और तनाव के विस्तार से निपटता है। न केवल आपका मानसिक स्वास्थ्य बल्कि आपका दिल का स्वास्थ्य भी इस सुसंगत और अत्यधिक तनाव से प्रभावित है।

आपके लिए यह सीखना सलाह दी जाती है कि तनाव को पूरी तरह से तनाव-मुक्त करने के लिए तनाव का प्रबंधन कैसे करें, धीरे-धीरे। धैर्य और ईमानदारी की मात्रा के बाद तनाव प्रबंधन आसान हो सकता है। ध्यान, उपचार संगीत, और श्वास व्यायाम प्राइम स्ट्रेस हीलर हैं और हर दिन प्रदर्शन किया जा सकता है।

अपने दांतों को दैनिक ब्रश करें

आप दिल के स्वास्थ्य से संबंधित एक लेख में दंत स्वच्छता के बारे में कैसे पढ़ रहे हैं? अस्पष्ट? खैर, मत बनो। क्योंकि आपका दंत स्वास्थ्य आपके समग्र हृदय स्वास्थ्य को निर्धारित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।

हृदय शरीर के कई कार्यों से बंधा हुआ है और कई प्रतीत होता है कि असंबंधित कार्यों से प्रभावित हो सकता है। बैक्टीरिया के बीच एक कड़ी है जो मसूड़ों की बीमारी और हृदय रोग के बढ़ते जोखिम का कारण बनती है। इसलिए हर दिन अपने दांतों को ब्रश करना और फ्लॉस करना आपके मुंह और अपने दिल की देखभाल करना महत्वपूर्ण है।जिससे हृदय मजबूत करने के उपाय पता चलते है।

मॉनिटरिंग डायबिटीज

यदि आपके पास मधुमेह है, तो आपके लिए अपने समग्र स्वास्थ्य की निगरानी करना अनिवार्य हो जाता है। यह न केवल अपने मधुमेह की निगरानी करना है, बल्कि हृदय रोग जैसी अन्य बीमारियों से बचने के लिए भी है। एक मधुमेह रोगी में उच्च-कैलोरी स्तर उसे/उसे हृदय की बीमारी से अधिक प्रवण बनाता है। इसलिए मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए नियमित चेक-अप आयोजित किया जाना चाहिए।

अपने मधुमेह चेकअप की नियमित स्क्रीनिंग लेने से आपको अपने दिल के स्वास्थ्य के बारे में सूचित करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर आपको पहले से तैयार होने दें। आप अपनी योजना के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं और अपनी स्क्रीनिंग का एक लॉग बनाए रख सकते हैं।

 रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल

उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल दोनों हानिकारक हैं जहां तक ​​हृदय स्वास्थ्य का संबंध है। रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग को ट्रैक और निगरानी करना महत्वपूर्ण है। वे अब तक रोजमर्रा के कामकाज में कोई समस्या पैदा नहीं कर रहे हैं, लेकिन लंबे समय तक हानिकारक हैं। उच्च रक्तचाप और उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर से दिल का दौरा पड़ सकता है।

अपने वजन का प्रबंधन

हम पहले से ही हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए शारीरिक गतिविधि और एक स्वस्थ आहार की आवश्यकता पर चर्चा कर चुके हैं। अब, हम आपको उस जीवन शैली को अपनाने के लिए और कारण देते हैं: मोटापा या स्वस्थ वजन की आवश्यकता।

अधिक वजन होना हृदय रोग के लिए एक और जोखिम कारक माना जाता है। इसलिए, आपके लिए हर दिन कसरत करना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है और एक संतुलित आहार खाता है। मोटापा अधिक हृदय की समस्याओं का कारण बनता है और उनसे बचने के लिए इलाज किया जाना चाहिए।

एक अच्छी रात की नींद लेना

सोते समय सभी उम्र के लोगों के लिए अनिवार्य किया जाना चाहिए। न केवल इसलिए कि यह नियमितता को बढ़ाता है, बल्कि इसलिए भी कि यह आपको 7-8 घंटे की नींद को कवर करने देता है।

नींद तब होती है जब शरीर की मरम्मत होती है। आपके दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखने और सुधारने के लिए गुणवत्ता और अविभाजित नींद आवश्यक है।

 आगे बढ़ें और कुछ चॉकलेट

खाएं

यह सही है। हम आपको चॉकलेट खाने के लिए कह रहे हैं, लेकिन चूंकि हमने आपको कैलोरी बनाए रखने के लिए भी कहा है, इसलिए सही चॉकलेट चुनना महत्वपूर्ण है।

डार्क चॉकलेट को ओवरविटेड मिल्क चॉकलेट के रूप में चुना जाना चाहिए क्योंकि इसमें दिल से स्वस्थ फ्लेवोनोइड्स हैं। इसलिए दोषी महसूस न करें और अपने मीठे दांत को लिप्त करें।

नमक पर काटें - स्वस्थ हृदय युक्तियाँ

उच्च नमक का सेवन उच्च रक्तचाप की ओर जाता है जिससे आगे हृदय रोग होता है। तो एक स्वस्थ दिल के लिए, यह आवश्यक है कि आप पूरे दिन में लवण को काटें

आपको रेडीमेड खाद्य पदार्थों से बचने की आवश्यकता होगी क्योंकि वे उच्च स्तर के नमक के साथ पैक किए जाते हैं।

 जोर से हंसो 

हँसी सबसे अच्छी दवा है। यह कहावत हृदय स्वास्थ्य में सुधार के पक्ष में भी काम करती है। न केवल लंबे समय तक जीना महत्वपूर्ण है, बल्कि खुश रहना भी है। ज़ोर से हंसते हुए (न केवल सिर्फ पाठ संदेशों में बल्कि वास्तविक जीवन में) मुख्य रूप से हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है। हँसी तनाव को कम करती है और हृदय रोग के जोखिम को कम करती है।

 खाद्य लेबल पढ़ें

हम सभी उनके एमआरपी के लिए खाद्य पैकेट की जाँच करने में अभ्यस्त हैं। अब फूड लेबल पढ़ना शुरू करने का समय आ गया है क्योंकि आप जो खाते हैं उसे जानना और निगरानी करना, आपके आहार का प्रबंधन करने में मदद करेगा। एक स्वस्थ और संतुलित आहार होने से दिल की देखभाल में सुधार करने में मदद मिलेगी।

गहराई से साँस लें,

संगीत सुनें, अधिक पढ़ें और जीवन जीएं

रोजमर्रा की जिंदगी के बारे में छोटी चीजों का आनंद लेने से आपको स्वस्थ अंगों के साथ एक स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलेगी। हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए, आपको अधिक बार मुस्कुराना चाहिए, आराम से संगीत सुनना चाहिए, किताबें पढ़ना चाहिए, और अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन में गहराई से सांस लेना चाहिए। चूंकि यह सब तनाव और दबाव को कम करने में मदद करता है, इसलिए यह हृदय की बीमारी को खाड़ी में रखेगा।

 स्वस्थ हृदय युक्तियाँ

एक ही बार में उपरोक्त सभी चरणों को व्यवहार में करना मुश्किल हो सकता है। हम आपको धीरे -धीरे शुरू करने की सलाह देते हैं और अपनी जीवनशैली को मामूली रूप से बदलते हैं। हार्ट केयर टिप्स का पालन करें, एक सिगरेट को काटकर, एक गिलास अल्कोहल को कम करना, एक दिन में फलों और सब्जियों का एक हिस्सा खाना, दो दिनों में एक एरोबिक सत्र, और इसी तरह। एक बार जब आप इन परिवर्तनों के अनुकूल हो जाते हैं, तो प्रेरणा और समर्पण के साथ, आप अपनी दिनचर्या में बड़े बदलाव करने की ओर बढ़ेंगे।


छुहारे (Dry Dates) के फायदे और नुकसान




छुहारा एक ड्राई फ्रूट है. ये एक पौष्टिक और स्वादिष्ट फल है जो ताकत को बनाए रखने के लिए जाना जाता है. छुहारे में हाई आयरन और पोटेशियम होता है, जो उन्हें हेल्दी डाइट में शामिल करने के लिए जरूरी बनाता है. हमारे घरों में छुहारे को भिगोकर सेवन किया जाता है क्योंकि माना जाता है कि ये दूध के साथ और भी पौष्टिक होता है और दूध में भिगोने के बाद ये और भी सॉफ्ट हो जाता है. दूध और छुहारे के फायदे कमाल के होते हैं. माना ये भी जाता है कि छुहारे का सेवन कमजोरी को दूर करता है और ये हमारी हड्डियों और मांसपेशियों को ताकत देता है.

. हड्डियों को ताकत देता है

छुहारे में में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे शक्तिशाली मिनरल होते हैं. ये सभी बोन हेल्थ (Bone Health) को बढ़ावा देने वाले गुणों के लिए जाने जाते अध्ययनों से पता चलता है कि खजूर का सेवन हड्डियों से संबंधित बीमारियों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद मिल सकती है.

गर्भावस्था में फायदेमंद

छुहारा प्रेग्नेंसी के बाद के समय में महिलाओं के लिए कई तरह के लाभ प्रदान करते हैं. हाई फाइबर (High Fiber) होने की वजह से ये कब्ज और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं में मदद कर सकता है जो गर्भवती महिलाएं अक्सर अनुभव करती हैं.

पाचन तंत्र में सुधार लाए खजूर

बता दें जिन लोगों का पाचन तंत्र कमजोर होता है वह नियमित रूप से खजूर का सेवन कर सकते हैं। इसके अंदर घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं जो ना केवल आंतों के माध्यम से बचे हुए भोजन को शरीर से बाहर निकालते हैं बल्कि कब्ज आदि समस्या से भी छुटकारा दिलाते हैं। ऐसे में आप रात भर पानी में भिगोकर खजूर का सेवन कर सकते हैं, फायदा मिलेगा।

वजन को घटाएं खजूर

कुछ लोगों को लगता है कि अगर वे सूखे मेवे का सेवन करेंगे तो उनका वजन बढ़ेगा। पर ऐसा नहीं है। खजूर के अंदर कम मात्रा में फैट मौजूद होता है जो न केवल चर्बी को घटाता है बल्कि खजूर कोलेस्ट्रोल फ्री भी होता है।

शरीर में उर्जा को बढ़ाएं छुहारा

बता दें कि छुहारे के अंदर ग्लूकोज और फ्रुक्टोज अधिक मात्रा में पाया जाता है जो ऊर्जा बूस्टर के रूप में भी देखा गया है। ऐसे में अगर आप शारीरिक सहनशीलता को बढ़ाना चाहते तो आप छुहारे का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके साथ-साथ यह कामेच्छा में भी सुधार करने का काम करता है।

दिमाग के लिए फायदेमंद

ये हेल्दी और स्वादिष्ट ड्राई फ्रूट ब्रेन हेल्थ (Brain Health) के लिए बेहतरीन माना जाता है. छुहारे में ब्रेन बूस्टिंग गुण होते हैं जो सूजन को कम करने में मदद करने के लिए जाने जाते हैं. इसका डेली सेवन हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रख सकता है.

खांसी और जुकाम को दूर करें खजूर और दूध

दूध और खजूर का उपयोग काफी पुराने समय से चला आ रहा है। यह न केवल खांसी जुकाम की परेशानी को दूर करता है बल्कि अगर एक चुटकी काली मिर्च और इलाइची का पाउडर दूध में मिलाया जाए और खूजर के साथ इसका सेवन किया जाएगा तो यह सर्दी भगाने में भी बेहद उपयोगी है।

कोलेस्ट्रॉल कम करता है

छुहारे को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए क्योंकि वे कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) को तुरंत कम कर सकते हैं और आपके हमारे वजन को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं.

डायबिटीज में मददगार

छुहारे का सेवन नेचुरल स्वीटर (Natural Sweeteners) के रूप में करना आपके लिए अपने ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करना आसान बना सकता है. डायबिटीज रोगी छुहारे का सेवन कर सकते हैं लेकिन मात्रा का ख्याल रखें.

नेचुरल स्वीटनर

छुहारा मीठा होता है तो इसे नेचुरल स्वीटनर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. व्हाइट शुगर की बजाय आप भीगोए हुए छुहारे का सेवन कर सकते हैं.

 स्किन को रखता है हेल्दी

छुहारे में विटामिन डी और विटामिन सी होता हैं, जो स्किन हेल्थ (Skin Health) में सुधार कर सकता है. इस ड्राई फ्रूट (Dry Fruit) में जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो झुर्रियों और फाइन लाइन्स को दूर रखकर उम्र बढ़ने के शुरुआती लक्षणों को रोकने में मदद करते हैं.

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27.10.23

हकलाने और तुतलाने को जड़ से ख़त्म करने का रामबाण नुस्खा

 





Stammering Problem: अक्सर छोटी उम्र में बच्चे शब्दों को ठीक तरह से नहीं बोल पाते हैं. कई बार तुतलाना या हकलाना छोटे बच्चों में देखा जाता है. उम्र बढ़ने पर भी अगर बच्चा रुक-रुक कर बोल रहा है या किसी एक शब्द को लंबा खींच रहा है, तो ये चिंता की बात है. ये स्टैमरिंग या हकलाने की शुरुआत हो सकती है.
छोटे बच्‍चे जब तुतलाकर बोलना शुरू करते हैं तो कितना अच्‍छा लगता है लेकिन जैसे-जैसे बच्‍चा बड़ा होने लगता है उसका तुतलाकर बोलना हंसी-मजाक का विषय बन जाता हैअगर आपका बच्‍चा भी थोड़ा तुतलाकर या फिर हकलाकर बोलता है तो इसे आम समस्‍या मानकर इग्‍नोर न करें बलिक इस घरेलू उपाय की मदद से भी आप जल्‍द ही इस परेशानी का समाधान निकाल सकते हैं.
यह समस्या मोटी जीभ, हकलाने वाली की नकल करने और नाड़ियों में किसी प्रकार के दोष होने से हो सकती है. जब हम बोलते वक्त सही से अक्षरों को नहीं बोल पाते हैं ,रुक-रुककर बोलते हैं तो यह तुतलाने या हकलाने कहलाता है. डॉक्टरों के अनुसार, अगर कोई बच्चा बोलते वक्त हकलाता है, तो उसके लिए आंवला बहुत ही फायदेमंद हो सकता है. ऐसे बच्चों को कुछ दिनों तक आंवला चबाने के लिए देना चाहिए.
दरअसल आंवला चबाने से जीभ पतली होने में मदद मिलती है और आवाज साफ निकलने लगती है. आंवले से आवाज साफ होती है और हकलाने की समस्या धीरे-धीरे कम होती जाती है,बच्‍चों के हकलाने और तुतलाने पर कच्चे, पके हरे आंवले को उन्‍हें चूसने के लिए दें और आप जल्‍द ही इसका प्रभाव देख़ सकते हैं. आंवले के सेवन से आवाज साफ होती है. - बादाम के सात टुकड़े और उतनी ही मात्रा में काली मिर्च को पीसकर एक चटनी जैसा पेस्ट तैयार कर लें. इसमें शहद मिलाकर बच्चे को चाटने के लिए दें. - 
काली मिर्च चूसना भी बहुत फायदेमंद रहेगा.
तेजपत्ता : जिनको रुक-रुक कर बोलना या हकलाने की परेशानी उन व्यक्ति को तेजपत्ता जीभ के नीचे रखने से बहुत लाभ मिलता है और हकलापन तथा रुक-रुककर बोलना दूर हो जाता है। आंवला : काम से काम दो आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने से जीभ पतली और आवाज साफ होती है साथ ही उनका हकलापन और तुतलापन भी दूर हो जाता है।

तुतलाने और हकलाने के उपाय :-

1.आंवला :-

बच्चे यदि एक ताजा हरा आंवला रोजाना कुछ दिन चबाएं तो तुतलाना और हकलाना मिटता है । इससे जीभ पतली होने लगती है और आवाज साफ आने लगती है।

ए​क चम्मच आंवले के चूर्ण को एक चम्मच गाय के घी में मिलाकर लेने से भी हकलाने की समस्या दूर होती है।

2.सौंफ:-

5 ग्राम सौंफ को थोड़ा कूटकर 300 ग्राम पानी में उबालें । जब पानी उबलकर सौ ग्राम रह जाए तब उसमें 50 ग्राम मिश्री तथा ढाई सौ ग्राम गाय का दूध मिलाकर रोजाना सोने से पहले पीते रहने से कुछ दिनों में ही हकलाकर बोलना ठीक हो जाता है।

3.बादाम:-

7 बादाम की गिरी, सात काली मिर्च , दोनों को कुछ बूंदे पानी के साथ घिसकर चटनी सी बना लें और इसमें जरा सी मिश्री पिसी हुई मिलाकर चाटे । सुबह खाली पेट कुछ दिन ले । इससे भी हकलाना बंद हो जाएगा ।

12 बादाम को रात भर पानी में भीगे रहने दे मैं सुबह छिलके उतारकर पीस लें इसे 30 ग्राम मक्खन के साथ लेने से हकलाने की समस्या से निजात मिलता है

4.छुआरे :-

छुहारे को दूध में उबालकर रात को सोते समय देने से भी आवाज साफ होती है और हकलाना बंद होता है । इसे देने के बाद 2 घंटे तक पानी नहीं पिए ।

5.कलौंजी का तेल:-

एक चम्मच कलौंजी के तेल में दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार जुबान पर रखें । इससे भी तुतलाना और हकलाना बंद हो जाता है।

6. ब्राह्मी तेल:-

ब्राह्मी तेल को थोड़ा सा गुनगुना कर लें व इससे सिर पर मसाज करें। 30- 40 मिनट बाद गुनगुने पानी से नहा लें । इस उपयोग से स्मरण शक्ति तेज होती है व हकलाने की समस्या भी दूर होती है।

7. एक चम्मच मक्खन में एक चुटकी काली मिर्च पाउडर डाल कर सुबह सुबह लेने से भी हकलाने की प्रॉब्लम दूर हो जाती है

इन घरेलू उपायों के साथ अगर आप निम्न तरीके भी अपनाते हैं तो हकलाने और तुतलाने की बीमारी से आप जल्दी निजात पा सकते हैं :-


1.शीशे के सामने खड़े होकर खुद से बातें करें जिससे आपमे कॉन्फिडेंस आएगा और हकलाने की समस्या कम होगी ।

2.जोर-जोर से किताब को पढे जिससे आवाज साफ होगी और आप अपने शब्दों पर अच्छे से ध्यान दे पाएंगे ।

3.आप जिन शब्दों पर ज्यादा अटकते हैं उन को नोट करके उन पर विशेष ध्यान दें।







सौंठ के फायदे और नुकसान

 


क्या आपको पता है कि सब्जियों का स्वाद बढ़ाने वाला सोंठ कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। लंबे समय से सोंठ को एक कारगर औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह अदरक को सूखाकर बनाया जाने वाला पाउडर है, जिसका इस्तेमाल अदरक की तरह ही किया जाता है। भोजन में एक मसाले की तरह इस्तेमाल किया जाने वाला सोंठ आंतरिक स्वास्थ्य से लेकर त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए भी फायदेमंद है.

 सर्दी के मौसम में अदरक का इस्तेमाल सुबह की चाय से लेकर रात की सब्जी तक में किया जाता है। लेकिन जब इसे सुखा कर व पीसकर तैयार किया जाता है तो यह एक मसाले की शक्ल ले लेता है, जिसे सोंठ कहा जाता है। अधिकतर लोग अपने घरों में सोंठ का प्रयोग मसाले के रूप में करते हैं तो कुछ लोग ठंड से बचने के लिए सोंठ के लड्डू बनाकर रखते हैं। वैसे इसकी मदद से कई समस्याओं से भी राहत पाई जा सकती है।

सिरदर्द से राहत

सिरदर्द होने पर सोंठ का प्रयोग करना एक अच्छा विचार हो सकता है। बस इसका पेस्ट बनाकर अपने माथे पर लगाएं। इससे आपको काफी आराम होगा। वहीं जिन लोगों को माइग्रेन है, वह भी दो टेबल स्पून सोंठ को गर्म पानी में डालकर पीएं। इस उपाय से आधे सिर के दर्द से भी आराम मिलता है। आप चाहें तो गले में दर्द होने पर भी इस पेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

जुकाम से राहत

सोंठ अदरक का पाउडर है, जो हर घर की रसोई में उपयोग किया जाता है। इसे मुख्यतः सब्जी, चाय और अन्य पेय पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है। शोध के अनुसार, अदरक मलेरिया और बुखार जैसी समस्याओं के साथ सर्दी-जुकाम से राहत देने का काम कर सकता है (1)। इसलिए, माना जा सकता है कि सोंठ का प्रयोग कर जुकाम से राहत पाई जा सकती है।

पेट की जलन से राहत

पेट की जलन को दूर करने में अदरक कारगर भूमिका निभा सकता है। दरअसल, इस खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल प्राचीन समय से पेट से जुड़ी हुई कई समस्याओं, जैसे कब्ज, दस्त, अपच, पेट फूलना, गैस, गैस्ट्रिक अल्सर, मतली और उल्टी का इलाज करने के लिए किया जा रहा है, जो पेट में जलन का कारण बन सकती हैं

वजन करे कम

अदरक में थर्मोजेनिक एजेंट नामक तत्व होता है जो वसा को जलाने में मदद करता है, जिससे वजन आसानी से कम होता है। गरम पानी के साथ इसका सेवन मोटापे को कम करने में सहायक है
इसके लिए एक चौथाई टीस्पून सोंठ को एक कप गर्म पानी में अच्छे से मिलाएं। अब इसका प्रतिदिन सेवन करें। आप चाहें तो इसमें थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं।

सामान्य ठंड,बुखार 

सर्दी में ठंड लगने पर लोग अदरक का सेवन किसी न किसी रूप में अवश्य करते हैं। लेकिन इसके अतिरिक्त सोंठ का प्रयोग करके भी ठंड से निजात पाई जा सकती है। इसके लिए चाहें तो सोंठ को चाय में डालकर पीएं या फिर सोंठ के साथ गुड़ मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से बहती नाक से आराम मिलता है। यह पसीने को निकालने में सहायक है, जिससे शरीर का तापमान कम हो सकता है और शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे बुखार में भी आराम मिलता है। शहद के साथ इसे खाने से बुखार कम होता है

यूरिनरी इंफेक्शन

यूरिनरी इंफेक्शन कई बार बेहद गंभीर हो सकता है। इससे बचने का एक आसान उपाय है कि सोंठ को दूध व चीनी के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे इंफेक्शन काफी हद तक कम हो जाता है।
*जोड़ों के दर्द में सूखी अदरक, जिसे हम सोंठ कहते हैं, काफी लाभदायक होती है। सोंठ, जायफल को पीसकर तिल के तिल के में डालकर, उसमें भीगी हुई पट्टी जोड़ों पर लगाने से आराम मिल सकता है। इसके अलावा उबले हुए पानी के साथ शहद और अदरक पाउडर को पीने से गठिया में लाभ होता है।

एक्ने से छुटकारा

टीनेज में एक्ने होना एक सामान्य बात है, लेकिन इससे निजात पाने के लिए तरह−तरह की क्रीम अपनाने की आवश्यकता नहीं है। सोंठ भी एक्ने से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है। बस, मिल्क पाउडर व सोंठ को आपस में मिलाकर एक स्मूद पेस्ट बनाएं। अब चेहरे को साफ करके इस पेस्ट को अप्लाई करें। करीबन 20 मिनट बाद चेहरा वॉश करके मॉइश्चराइजर इस्तेमाल करें। सप्ताह में एक बार इस पेस्ट का इस्तेमाल करने से कुछ ही दिनों में फर्क नजर आने लगता है।

गैस की समस्या

सोंठ, हींग और काला नमक मिलाकर लेने से गैस की समस्या में लाभ होता है। पिसी हुई सोंठ और कैरम के बीजों को नींबू के रस में भि‍गोकर छाया में सुखाकर प्रतिदिन सुबह लेने से गैस और पेडू के दर्द में आराम मिलता है।
* यह पाचनक्रिया को दुरूस्त कर वजन कम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह रक्त में मौजूद शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर, वसा को सक्रिय करता है।

सूजन को कम करना

कई बीमारियों और दर्द का कारण सूजन हो सकता है। इस सूजन की समस्या को दूर करने के लिए सोंठ आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। जैसा कि आपको पहले बताया जा चुका है कि सोंठ अदरक से बना पाउडर होता है और अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो दर्द के साथ-साथ सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं

पेट दर्द, कब्ज

पेट दर्द, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में इसे पीसकर हींग और सेंधा नमक के साथ लेने से आाम मिलता है। इसके अलावा इसे पानी के साथ उबालकर बार-बार पीने से डायरिया में काफी लाभ मिलता है।

मधुमेह

सोंठ का सेवन मधुमेह की समस्या से निजात दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, अदरक को लेकर किए गए शोध में इसमें मौजूद एंटी-डायबिटिक, हाइपोलिपिडेमिक और एंटी-ऑक्सीडेटिव गुणों के बारे में पता चला है, जो मधुमेह के रोगियों में शुगर की मात्रा को संतुलित करने का काम कर सकता है

हिचकी

सोंठ को दूध में उबालकर, ठंडा करके पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है। पसलियों में दर्द होने पर इसे पानी में उबालकर ठंडा कर दिन में कम से कम चार बार पीने से लाभ होता है।

दांत दर्द से राहत


सोंठ का उपयोग एक आयुर्वेदिक दवा के रूप में कई शारीरिक समस्याओं के लिए किया जाता है, जिसमें दांत दर्द का उपचार भी शामिल है। दरअसल, अदरक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होता है, जो दांत दर्द के राहत देने में एक अहम भूमिका निभा सकता है

मुंहासों के लिए


अदरक के पाउडर को सोंठ के नाम से जाना जाता है। अदरक में पाए जाने वाला गुण सोंठ में भी मौजूद होते हैं। सोंठ को होम्योपैथिक इलाज के लिए भी उपयोग किया जाता है, जो आपके मुंहासे की समस्या को दूर करने में मददगार हो सकता है। इसके अलावा, अदरक का उपयोग मुंहासों को दूर करने वाली क्रीम में भी किया जाता है

कैंसर के लिए

कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर भी सोंठ के सकारात्मक परिणाम देखे जा सकते हैं। जैसा कि हमने बताया कि सोंठ अदरक का पाउडर है और अदरक एंटी-कैंसर गुणों से समृद्ध होता है। शोध के अनुसार, अदरक कई प्रकार के कैंसर से बचाव कर सकता है। इनमें कोलन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर मुख्य हैं

लकवे मे-

लकवे के प्रभाव को कम करने के लिये सूखी अदरक का पाउडर, जिगरी और गर्म मसूर की दाल को मिलाकर खाने से फायदा होता है। इसके अलावा लहसुन, सूखी अदरख और पानी का लेप बनाकर लगाने से भी काफी लाभ होता है।

माइग्रेन लिए सोंठ के फायदे

माइग्रेन को दूर करने के लिए आप कई तरह के उपचार का सहारा लेते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि सोंठ का सेवन माइग्रेन की समस्या से राहत दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, सोंठ पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सोंठ (Ginger Powder) माइग्रेन कम करने वाली दवा के सामान प्रभावकारी हो सकता है

पत्थरचट्टा है पथरी और जोड़ों के दर्द की रामबाण औषधि-Berberis Vulgaris




आयुर्वेद में पत्थरचट्टा को कई बीमारियों के लिए जादुई दवा कहा जाता है। इससे किडनी स्टोन, जोड़ों में दर्द, जैसी तमाम बीमारियों जड़ से खत्म किया जा सकता है. पत्थरचट्टा एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है जो कि शरीर में कई प्रकार के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा ये पेट की पथरी को भी कम करने में मददगार है। इसका ड्यूरेटिक गुण आपके शरीर के टॉक्सिन को पेशाब के साथ फ्लश ऑउट कर देता है और पेट व आंतों के काम काज को बेहतर बनाता है।

जोड़ों के दर्द में कारगर है पत्थरचट्टा-

जोड़ों के दर्द में पत्थरचट्टा का इस्तेमाल कई प्रकार से फायदेमंद है। ये असल में एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है जो कि हड्डियों के दर्द को कम करता है और सूजन में कमी ला सकता है। इसके अलावा ये हड्डियों को अंदर से मजबूत बनाता है और इनके काम काज को बेहतर करता है। साथ ही इसके टिशूज को हेल्दी रखता है और इस दर्द में कमी लाता है।

पत्थरचट्टा का पानी पिएं-

जोड़ों के दर्द के लिए आप पत्थरचट्टा का कई प्रकार से इस्तेमाल कर सकते हैं जिसमें से एक है इसका पानी। दरअसल, पत्थरचट्टा के पत्तियों को पानी में उबाल लें और फिर इसे पानी में नमक मिलाकर इसका सेवन करें। आप इसका काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं जो कि जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है क्योंकि ये शरीर की ताप बढ़ाता है और सूजन को कम करता है।

पत्थरचट्टा का लेप लगाएं-

पत्थरचट्टा का लेप, हड्डियों के दर्द और सूजन को तेजी से कम कर सकता है। आपको करना ये है कि पत्थरचट्टा को पीसकर और इसमें हल्दी मिलाकर इसका लेप तैयार कर लें और फिर इसे अपने जोड़ों पर लगाएं और हल्के हाथों से मालिश करें। इसे कुछ देर के लिए ऐसे ही छोड़ दें। रोजाना दिन में तीन बार इसे ऐसे ही लगाएं। ये हड्डियों की सेहत के लिए फायदेमंद है।


किडनी की पथरी के लिए-

काफी सालों से किडनी की पथरी के लिए पत्थरचट्टे के पौधे का इस्तेमाल होता चला आ रहा है। इसके लिए पत्थरचट्टा के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसमें शहद और शिलाजीत को मिलाकर अच्छे से मिक्स कर लें और फिर थोड़ी-थोड़ी देर पर इसका सेवन करते रहने से किडनी की पथरी की समस्या दूर होती है।


आंखों के लिए-

आंखों की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए पत्थरचट्टा का पौधा बहुत ही काम का है। ये आंखों की कई सारी परेशानियों को दूर करने का काम करता है। इसके लिए आपको पत्थरचट्टा के पत्तों का रस निकालकर अपनी आंखों के चारों ओर लगाना होगा। ऐसा करने से आंखों के सफेद हिस्से में जो दर्द हो रहा है वह दूर हो जाएगा।


योनि संक्रमण के लिए

वेजाइनल डिसचार्ज होने के कारण महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें अकसर योनि के संक्रमित होने की आशंका भी बढ़ जाती है। ऐसे में आप पत्थरचट्टा से बना काढ़ा इस्तेमाल कर सकते हैं ये योनि की समस्या के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकती है। इसके लिए पत्थरचट्टा के पत्ते में 2 ग्राम शहद को मिला लें और फिर इसका सेवन आप 1 दिन में एक या दो बार करें। ऐसा करने से योनि स्राव कम हो जाएगा। साथ ही योनि संक्रमण का खतरा भी कम हो जाएगा।

सिर दर्द की समस्या के लिए=

सिर दर्द की समस्या के लिए भी पत्थरचट्टा का उपयोग किया जाता है। इसके लिए इसके पत्तों का लेप बनाकर माथे पर लगाना होता है। ये सिर्फ सिर दर्द ही नहीं बल्कि माइग्रेन की समस्या को भी दूर करने का काम करता है।

बीपी की समस्या के लिए-

जिन लोगों को बीपी की परेशानी रहती हो उन्हें पत्थरचट्टा के पत्तों का सेवन करना चाहिए। इसके लिए पत्थरचट्टा की पत्तियों से बने रस का सेवन 1 दिन में दो से तीन बार करें। ऐसा करने से हाइपरटेंशन में राहत मिलेगी।

पत्थरचट्टा का इस्तेमाल कैसे करें'

पत्थरचट्टा का इस्तेमाल कई तरीकों से किया जा सकता है। आप इसके पत्तों के रस को गुनगुने पानी में मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा इसके पत्तों को सलाद में काटकर सब्जियों के साथ भी खा सकते हैं। पत्थरचट्टा के पत्तों को उबालकर या पीसकर त्वचा पर भी लगाया जा सकता है।








21.10.23

मरुआ का पौधा इतनी बीमारियों में लाभदायक है ! नहीं जानते होंगे आप!




आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जिनका इस्तेमाल शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इन्हीं में से एक है मरुआ। मरुआ का पौधा अधिकतर घरों में गमलों में उगाया जाता है। यह एक सुगंधित पौधा है, इसका उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है। मरुआ अत्यंत गुणकारी और हानिरहित पौधा है। आप हम बात कर रहे हैं मरुआ के पत्ते के फायदों के बारे में-
मरुआ के पत्तों में पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेट, डाइटरी फाइबर, प्रोटीन, विटामिन सी और कैल्शियम काफी मात्रा में होता है। इसके अलावा मरुआ आयरन, विटामिन बी6 और मैग्नीशियम का भी अच्छा सोर्स है

मरूआ पौधे को अनेकों प्रकार की घरेलू दवाइयों को बनाने के लिए बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है। इसके अंदर बहुत सारे औषधीय और आयुर्वेदिक गुण पाए जाते हैं जिसकी वजह से आपको इससे निम्नलिखित फायदे मिल सकते हैं जो कि इस प्रकार से हैं –

मरूआ पौधे के फायदे सूजन में

मरूआ पौधे की टहनियां व्यक्ति के शरीर की सूजन को कम करने में लाभदायक साबित हो सकती हैं। यहां बता दें कि इसकी टहनियों को पानी में अच्छी तरह से उबालने के बाद सूजन वाली जगह पर इस गर्म पानी से मालिश करने पर लाभ मिलता है। साथ ही बता दें कि सूजन कम करने के अलावा यह शरीर के दर्द में राहत पहुंचाने का काम भी करता है।

सिरदर्द में उपयोगी

मरुआ की पत्तियां सिरदर्द, माइग्रेन की समस्या में भी उपयोगी होती हैं। अगर आपको माइग्रेन की शिकायत है, तो 8-10 पत्तियां का रस निकाल लें। इसे दोनों नासिकाओं में 4-4 बूंद डाल दें। इससे आपको काफी आराम मिलेगा। इसके अलावा आप मरुआ के पत्तों का लेप भी माथे पर लगा सकते हैं। इससे सिरदर्द, माइग्रेन में आराम मिलेगा।

कफ रोगियों के लिए गुणकारी

आयुर्वेद में मरुआ के पत्ते को कफ रोगियों के लिए गुणकारी बताया गया है। इसका काढ़ा पीने से खांसी दूर होती है। फेफड़ों की सफाई होती है, साथ ही इससे गले में जमा बलगम भी आसानी से निकलता है।

मरूआ पौधे के लाभ पेचिश में

पेचिश एक ऐसी भयानक स्थिति है जिसकी वजह से व्यक्ति की हालत काफी ज्यादा खराब हो जाती है और अगर ठीक से इलाज न करवाया जाए तो जान जाने का खतरा भी रहता है। यहां बता दें कि जिन लोगों को पेचिश की समस्या हो गई है उन्हें चाहिए कि मरूआ के पौधे की पत्तियों को लेकर उनको अपने हाथ में मसल कर अपने पेट पर उसे मालिश कर लें। फिर उसके बाद उस जगह की हल्की-हल्की सिकाई कर लें। ऐसा करने से पेचिश में तुरंत राहत मिलेगी।

मुंह की बदबू दूर करे

मरुआ के पत्ते मसूड़ों की समस्या, मुंह की बदबू को भी दूर करता है। इसके लिए मरुआ की पत्तियों को चबाएं। आप इन पत्तियों को अंदर भी ले सकते हैं, थूक भी सकते हैं। इससे आपके मुंह की दुर्गंध दूर होगी। मसूड़ों की समस्या, मसूड़ों की सूजन भी दूर होगी। मुंह की समस्याओं, गले में खराश होने पर आप मरुआ के पत्तों को पानी में उबालकर गरारे भी कर सकते हैं।

खूनी दस्त से दिलाए छुटकारा

अगर किसी व्यक्ति को खूनी दस्त की समस्या हो गई है तो उसे चाहिए कि वह मरूआ पौधे का उपयोग करके इससे राहत पाए। यहां बता दें कि रोगी को मरूआ का बना हुआ काढ़ा पीने से काफी लाभ होता है। लेकिन इस काढ़े में थोड़ा सा शहद मिलाने के बाद ही सेवन करें। जब तक खूनी दस्त में फायदा ना पहुंचे तब तक इसका हर दिन 3 टाइम सुबह, शाम, दोपहर नियमित सेवन करें।

बच्चों के पेट में कीड़े खत्म करे

बच्चों के पेट में अकसर कीड़े की समस्या देखने को मिलती है। बच्चे बार-बार पेट दर्द की शिकायत भी करते हैं। इनके लिए मरुआ का उपयोग करना लाभकारी होता है। यह पेट के कीड़े की घरेलू दवा है। मरुआ की चटनी खाने से पेट की कीड़े निकल जाते हैं। यह पेट के इंफेक्शन को भी ठीक करता है।

मरूआ पौधे के फायदे गठिया में

ऐसे बहुत से लोग हैं जिनको गठिया यानी के जोड़ों के दर्द की समस्या रहती है और उसकी वजह से वो बहुत परेशान भी रहते हैं। यहां जानकारी के लिए बता दें कि जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए आप मरूआ पौधे की जड़, तना, फल, फूल और पत्ती का एक काढ़ा बनाकर तैयार कर लें। हर दिन कम से कम 100 मिलीलीटर की क्वांटिटी में इसे दिन में तीन बार पिएं। इस प्रकार कुछ ही दिनों में आपको गठिया के दर्द से छुटकारा मिल जाएगा।

सर्दी-जुकाम में आराम दिलाए

बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम और खांसी की समस्या होना आम है। अगर आप इससे परेशान हैं, तो मरुआ की पत्तियां का उपयोग कर सकते हैं। मरुआ की पत्तियां सर्दी-जुकाम और खांसी में आराम दिलाती हैं। इसके लिए चाय में मरुआ की 8-10 पत्तियां डाल लें। आप चाहें तो बेहतर परिणाम के लिए मुलेठी भी डाल सकते हैं। इससे जल्दी ही सर्दी-जुकाम में आराम मिलेगा। मरुआ की चाय को फायदेमंद बनाता है।

मासिक धर्म में करे सुधार

महिलाओं को आमतौर पर मासिक धर्म से संबंधित काफी परेशानियां रहती हैं जिनमें से एक है मासिक धर्म का बंद हो जाना। तो ऐसे में अगर इस पौधे की लुगदी बनाकर 20-30 ग्राम प्रतिदिन सेवन की जाती है तो उससे रुका हुआ मासिक धर्म फिर से आना शुरू हो सकता है।

अपच की समस्या दूर करे

मरुआ की पत्तियां अपच की समस्या को दूर करने में भी लाभकारी हैं। इसके लिए मरुआ और अदरक की चटनी बना लें। इससे अपच की समस्या दूर होगी, साथ की भूख भी बढ़ेगी। मरुआ पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। यह अपच दूर करने का अच्छा घरेलू उपाय है।
मरुआ का सेवन करने का तरीका1. जिस तरह के पुदीने की चटनी बनाई जाती है, वैसे ही आप मरुआ के पत्तों की भी चटनी  बना सकते हैं।
2. मरुआ की पत्तियों का रस निकालें। इसका सेवन खाली पेट किया जा सकता है।
3. मरुआ की पत्तियों का उपयोग चाय में डालकर भी किया जा सकता है।
4. मरुआ की पत्तियों का काढ़ा काफी गुणकारी होता है। आप पानी में मरुआ की पत्तियां, अदरक, काली मिर्च और लौंग डालकर उबाल लें। इसका काढ़ा पीने से आपकी कई समस्याएं दूर होती हैं।

मरूआ पौधे के उपयोग से नुकसान

मरूआ पौधे मैं वैसे तो बहुत सारे लाभदायक गुण पाए जाते हैं लेकिन इसको गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर कुछ नुकसान भी आपको हो सकते हैं जिनकी जानकारी हम निम्नलिखित दे रहे हैं –इस पौधे की तासीर काफी गर्म होती है इसलिए अगर कोई व्यक्ति इसका सेवन हद से ज्यादा करता है तो उसे पेट संबंधित समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि पेट में दर्द, दस्त और ऐंठन इत्यादि।
जिन लोगों को एलर्जी की समस्या हो उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए या डॉक्टर से राय करने के बाद ही इसका उपयोग करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से बचना चाहिए।
गर्मियों में इसका अत्यधिक इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।