26.9.23

गठिया gout ,संधिवात ,कमरदर्द, जोड़ों के दर्द की औषधि के बारे में बताओ

 




जैसे-जैसे इंसान की जिंदगी आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे वो कई समस्याओं का भी शिकार होते चला जाता है। वहीं, आज के दौर में तो लगभग हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है। इसके पीछे कहीं न कहीं हमारा खानपान, हमारी खराब दिनचर्या और हमारा अनुशासन का पालन न करना शामिल है। न तो लोग समय पर खाना खाते हैं और न ही छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देते हैं, जो आगे चलकर विकराल रूप ले लेती है। जैसे- जोड़ों का दर्द। सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं, बल्कि युवा भी काफी संख्या में इस बीमारी से ग्रसित हैं। 

  आयुर्वेद में बहुत सी वात व्याधियों का वर्णन है | इनमे से एक आमवात है जिसे हम गठिया रोग भी कह सकते है | आमवात में पुरे शरीर की संधियों में तीव्र पीड़ा होती है साथ ही संधियों में सुजन भी रहती है | आमवात दो शब्दों से मिलकर बना है – आम + वात | आम अर्थात अद्पच्चा अन्न या एसिड और वात से तात्पर्य दूषित वायु | जब अधपचे अन्न से बने आम के साथ दूषित वायु मिलती है तो ये संधियों में अपना आश्रय बना लेती है और आगे चल कर संधिशोथ व शुल्युक्त व्याधि का रूप ले लेती जिसे आयुर्वेद में आमवात और बोलचाल की भाषा में गठिया रोग कहते हैं.
चरक संहिता में भी आमवात विकार की अवधारणा का वर्णन मिलता है लेकिन आमवात रोग का विस्तृत वर्णन माधव निदान में मिलता है

आमवात के कारण


आयुर्वेद में विरुद्ध आहार को इसका मुख्य कारण माना है | मन्दाग्नि का मनुष्य जब स्वाद के विवश होकर स्निग्ध आहार का सेवन करता और तुरंत बाद व्याम या कोई शारीरिक श्रम करता है तो उसे आमवात होने की सम्भावना हो जाती है | रुक्ष , शीतल विषम आहार – विहार, अपोष्ण संधियों में कोई चोट, अत्यधिक् व्यायाम, रात्रि जागरण , शोक , भय , चिंता , अधारणीय वेगो को धारण करने से आदि शारीरिक और मानसिक वातवरणजन्य कारणों के कारण आमवात होता है |

gathiyavat herbal medicine 

आमवात के लिए कोई बाहरी कारण जिम्मेदार नहीं होता इसके लिए जिम्मेदार होता है हमारा खान-पान | विरुद्ध आहार के सेवन से शारीर में आम अर्थात यूरिक एसिड की अधिकता हो जाती है | साधारनतया हमारे शरीर में यूरिक एसिड बनता रहता है लेकिन वो मूत्र के साथ बाहर भी निकलता रहता है | जब अहितकर आहार और अनियमित दिन्चरिया के कारन यह शरीर से बाहर नहीं निकलता तो शरीर में इक्कठा होते रहता है और एक मात्रा से अधिक इक्कठा होने के बाद यह संधियों में पीड़ा देना शुरू कर देता है क्योकि यूरिक एसिड मुख्यतया संधियों में ही बनता है और इक्कठा होता है | इसलिए बढ़ा हुआ यूरिक एसिड ही आमवात का कारन बनता है |

आमवात के संप्राप्ति घटक-

दोष – वात और कफ प्रधान / आमदोष | दूषित होने वाले अवयव – रस , रक्त, मांस, स्नायु और अस्थियो में संधि | अधिष्ठान – संधि प्रदेश / अस्थियो की संधि | रोग के पूर्वप्रभाव – अग्निमंध्य, आलस्य , अंग्म्रद, हृदय भारीपन, शाखाओ में स्थिलता | आचार्य माधवकर ने आमवात को चार भागो में विभक्त किया है 1. वातप्रधान आमवात 2. पितप्रधान आमवात 3. कफप्रधान आमवात 4. सन्निपताज आमवात

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 आमवात की आयुर्वेदिक औषधियां -

आमवात में मुख्या तय संतुलित आहार -विहार का ध्यान रखे और यूरिक एसिड को बढ़ाने वाले भोजन का त्याग करे | अधिक से अधिक पानी पिए ताकि शरीर में बने हुए विजातीय तत्व मूत्र के साथ शारीर से बाहर निकलते रहे | संतुलित और सुपाच्य आहार के साथ वितामिन्न इ ,सी और भरपूर कैरोटिन युक्त भोजन को ग्रहण करे | अधिक वसा युक्त और तली हुई चीजो से परहेज रखे |

अदरक

जोड़ों के दर्द में राहत पाने के लिए आप अदरक के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं, अदरक वाली चाय पीने से भी आपको लाभ मिल सकता है। इसके अलावा आप अदरक को गर्म पानी में शहद और नींबू के साथ मिलाकर पी सकते हैं। अदरक में पाया जाने वाला एंटी इंफ्लेमेटरी कंपाउंड सूजन को कम करने में मदद करता है।

धूप लेना जरूरी

जोड़ों का दर्द मांसपेशियों और हड्डियों के कमजोर होने पर होता है। ऐसे में इससे बचने के लिए आपके लिए जरूरी है कि आप धूप ले सकते हैं, क्योंकि ये विटामिन-डी का सबसे अच्छा स्त्रोत है। ऐसा करने से आपकी हड्डियां मजबूत होने में मदद मिलेगी।

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तुलसी

तुलसी में पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी स्पास्मोडिक गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द में राहत दिलाने का काम करते हैं। आपको करना ये है कि रोजाना तीन से चार बार तुलसी की चाय का सेवन करना है। ऐसा करने से आपको जरूर लाभ मिल सकता है।

इन चीजों का कर सकते हैं सेवन

आपकी डाइट एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होनी चाहिए, जिसके लिए आप मछली, फल, जैतून का तेल, अखरोट, मेथी के दानों को पानी में भिगोकर खाएं, सब्जियां और टी का सेवन कर सकते हैं। ऐसी डाइट लेने से जोड़ों के दर्द में काफी आराम मिल सकता है।


जोड़ो के दर्द के लिए के लिए घरेलू उपाय

गर्म और ठंडा कंप्रेशन- 

 गर्म और ठंडा दोनों कंप्रेशन एक एंटी-इंफ्लेमेटरी के रूप में काम करते हैं. गर्मी मांसपेशियों को आराम देती है. बेहतर परिणामों के लिए, आप गर्म पानी की बोतल या गर्म पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं. घुटने की सूजन को कम करने के लिए आप बर्फ का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आप एक आइस क्यूब को एक कपड़े में लपेट कर प्रभावित हिस्से पर लगा सकते हैं.

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हल्दी- 

 हल्दी एक जादुई मसाला है. इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं. इसमें एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. इसमें करक्यूमिन होता है जो हल्दी में पाया जाने वाला एक एंटी-इंफ्लेमेटरी रसायन है जिसमें बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. ये रूमेटाइड अर्थराइटिस को कम करने में मदद करती है. ये घुटने के दर्द के कारणों में से एक है. राहत के लिए आधा चम्मच पिसी हुई अदरक और हल्दी को एक कप पानी में 10 मिनट तक उबालें. छान लें, स्वादानुसार शहद डालें और इस चाय का सेवन दिन में दो बार कर सकते हैं.

 आमवात की औषध व्यवस्था 

गुगुल्ल प्रयोग –  सिंहनाद गुगुल्लू , योगराज गुगुल , कैशोर गुगुल , त्र्योंग्दशांग गुगुल्ल आदि |
भस्म प्रयोग –  गोदंती भस्म, वंग भस्म आदि |
रस प्रयोग –  महावातविध्वंसन रस, मल्लासिंदुर रस , समिर्पन्न्ग रस, वात्गुन्जकुश | संजीवनी वटी , रसोंनवटी, आम्वातादी वटी , चित्रकादी वटी , अग्नितुण्डी वटी आदि |
स्वेदन –  पत्रपिंड स्वेद, निर्गुन्द्यादी पत्र वाष्प |
सेक –  निर्गुन्डी , हरिद्रा और एरंडपत्र से पोटली बना कर सेक करे | 
लौह –  विदंगादी लौह, नवायस लौह , शिलाजीतत्वादी लौह, त्रिफलादी लौह |
अरिष्ट / आसव –  पुनर्नवा आसव , अम्रितारिष्ट , दशमूलारिष्ट आदि |
तेल / घृत ( स्थानिक प्रयोग ) –  एरंडस्नेह, सैन्धाव्स्नेह, प्रसारिणी तेल, सुष्ठी घृत आदि का स्थानिक प्रयोग क्वाथ प्रयोग   रस्नासप्तक , रास्नापंचक , दशमूल क्वाथ, पुनर्नवा कषाय आदि |
स्वरस – निर्गुन्डी, पुनर्नवा , रास्ना आदि का स्वरस |
चूर्ण प्रयोग –  अज्मोदादी चूर्ण, पंचकोल चूर्ण, शतपुष्पदी चूर्ण , चतुर्बिज चूर्ण |

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घरेलू असरदार नुस्खे -

* अजवायन या नीम के तेल से मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलेगा.
* पानी में एक मुट्ठी अजवायन और 1 बड़ा चम्मच नमक डालकर उबालें. उस पर जाली रखकर कपड़ा निचोड़कर तह करके गरम करें और उससे सेंक करें. दर्द दूर हो जाएगा.
* राई का लेप करने से भी हर तरह का दर्द दूर होता है.
* अजवायन को पानी में डालकर पका लें और उस पानी की भाप को दर्द वाली जगह पर दें. देखते ही देखते दर्द छूमंतर हो जाएगा.
लहसुन पीसकर लगाने से बदन के हर अंग का दर्द छूमंतर हो जाता है, लेकिन इसे ज़्यादा देर तक लगाकर न रखें, वरना फफोले पड़ने का डर रहता है.
* कड़वे तेल में अजवायन और लहसुन जलाकर उस तेल की मालिश करने से हर तरह के दर्द से छुटकारा मिलता है.
* विनेगर और जैतून के तेल को मिलाकर मालिश करें.
* कपड़े में 4-5 नींबू के टुकड़े बांधकर गरम तिल के तेल में थोड़ी देर डुबोएं. फिर उसे घुटनों पर लगाएं.
* राई को पीसकर घुटनों पर उसका लेप करें. तुरंत आराम मिलेगा.
* अजवायन को पानी में उबालकर उसकी भाप घुटनों पर लेने से दर्द से राहत मिलेगी.
* सेंधा नमक को गुनगुने पानी में डालकर नहाएं.
* दालचीनी पाउडर और शहद मिलाकर पेस्ट बनाएं. इससे जोड़ों पर मालिश करें.
* जोड़ों के दर्द में नीम के तेल की मालिश लाभदायक होती है.
* लहसुन की दो कलियां कूटकर तिल के तेल में गर्म करके जोड़ों पर मालिश करें.
* सरसों के तेल में अजवायन और लहसुन गरम करके दर्दवाले भाग पर मालिश करें.
* अमरूद के पत्ते पीसकर दर्द वाले स्थान पर लगाएं. अमरूद के पत्ते पानी में उबालकर इस पानी से सिकाई करने से भी लाभ मिलता है.
* कांच की बॉटल में आधा लीटर तिल का तेल और 10 ग्राम कपूर मिलाकर धूप में रख दें. जब ये दोनों घुलकर एक हो जाएं, तो इस तेल से मालिश करें. जोड़ों के दर्द से आराम मिलेगा.
* लहसुन की दो कलियां कूटकर तिल के तेल में गरम करें और इससे जोड़ों पर मालिश करें. बहुत लाभ होगा.
* दर्द से परेशान होने पर कपड़े को गरम करके जोड़ों पर सेंक कर करें. इससे बहुत आराम मिलता है.
* कनेर की पत्ती उबालकर पीस लें और मीठे तेल में मिलाकर लेप करें.
       परामर्श -
       

               संधिवात,कमरदर्द,गठिया
    साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| बड़े अस्पताल के महंगे इलाज के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से निरोग हुए हैं| बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| 
    औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|
पित्ताशय की पथरी (Gall Stone) रामबाण हर्बल औषधि बताओ

गुर्दे की पथरी की अचूक हर्बल औषधि

हार सिंगार का पत्ता गठिया और सायटिका का रामबाण उपचार

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से मूत्र रुकावट की हर्बल औषधि

घुटनों के दर्द की हर्बल औषधि

मर्दानगी बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे

डिप्रेशन अवसाद से कैसे निजात पाएं

गोखरू गुर्दे के रोगों मे अचूक जड़ी बूटी

एक्जिमा की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? आयुर्वेदिक या एलोपेथिक?

सायटिका रोग की सबसे अच्छी औषधि बताओ

किडनी फेल ,गुर्दे खराब की जीवन रक्षक औषधि

यकृत( Liver) के रोग (Ailments) और निष्क्रियता के लक्षण और रामबाण हर्बल औषधि

गोखरू के औषधीय गुण ,गुर्दे के रोगों में फायदे





गोखरू एक बहुत ही गुणकारी एवं दिव्य जड़ी बूटी है | आयुर्वेद में गोखरू के पंचमूल का उपयोग करके बहुत सी प्रभावी औषधियां बनायी जाती हैं | मूत्र विकार, किडनी के रोग, शारीरिक क्षमता एवं पौरुष कामशक्ति बढाने के लिए गोखरू का उपयोग किया जाता है | गोखरू से बनने वाली कुछ प्रमुख औषधियां :-
गोक्षुरादी चूर्ण
गोखरू पाक
गोक्षुरादी क्वाथ
त्रिकंटादि क
गोखरू पाक बनाने की विधि, फायदे एवं उपयोग 
यह पौष्टिक एवं बलवर्धक औषधि है | प्रमेह, क्षय, मूत्र जनित रोग, शुक्रजनित शारीरिक कमजोरी एवं यौन शक्ति बढाने के लिए इसका सेवन करना चाहिए | आइये जानते हैं गोखरू पाक के घटक द्रव्यों के बारे में :-
गोखरू (चूर्ण किया हुवा) – 64 तोला
दूध – 256 तोला
लौंग, लौह भस्म, काली मीर्च
कपूर, सफ़ेद आक की जड़, कत्था
सफ़ेद जीरा, श्याह जीरा, हल्दी
आंवला, पीपल, नागकेशर
जायफल, जावित्री, अजवायन, खस
सोंठ, करंजफल की गिरी (सभी 1 तोला)
गो घृत – 32 तोला
चाशनी
गोखरू पाक बनाने के लिए इन सभी जड़ी बूटियों की आवश्यकता होती है |
गोक्षुर एक ताक़तवर जड़ी बूटी है एवं यह आसानी से उपलब्ध हो जाती है | सर्दियों में गोखरू के लड्डू या गोखरू पाक का सेवन बहुत फायदेमंद रहता है | शरीर में आई कमजोरी को दूर करने के लिए यह बहुत ही कारगर औषधि है |
गोखरू का महीन चूर्ण बना लें |
इस चूर्ण को दूध में अच्छे से पका कर खोवा बना लें |
अब इस खोवे को गो घृत में भुन लें |
ध्यान रखें इसे धीमी आंच पर भुने |
अब अन्य सभी द्रव्यों का चूर्ण बना उन्हें मिला लें |
इस चूर्ण को चाशनी तैयार कर उसमें मिला देवें |
अब खोवा और चाशनी के मिश्रण को मिला लें |
इस तरह से उत्तम श्रेणी का गोखरू पाक तैयार हो जाता है |
अनुपान कैसे करें :-
गोखरू पाक को रोजाना 2- 3 चम्मच दूध या ठन्डे पानी के साथ सेवन करें या रोगानुसार अनुपान करें |
आइये जानते हैं गोखरू पाक के फायदे एवं उपयोग के बारे में |
अर्श एवं प्रमेह नाशक यह औषधि बहुत गुणकारी है | यह उत्तम बलवर्धक एवं पौष्टिक उत्पाद है | मूत्र विकारों में यह बहुत असरदार है | आइये जानते हैं इसके फायदे :-
अर्श रोग नाशक है |
क्षय रोग में बहुत फायदेमंद औषधि है |
मूत्र पिंड की सुजन को कम करता है |
बलवर्धक एवं पौष्टिक है |
प्रमेह रोग से उत्पन्न कमजोरी को दूर करता है |
वीर्य विकारों में इसका सेवन करने से बहुत लाभ होता है |
पौरुष यौन शक्ति बढाने के लिए इसका उपयोग करें |
गर्भाशय को सशक्त बनाता है |
गोखरू पाक शुक्र जनित दुर्बलता को दूर करता है |

किडनी स्टोन

गोखरू का सेवन करने से आप आसानी से किडनी के स्टोन से भी छुटकारा पा सकते हैं। इसके लिए 4 ग्राम गोखरू पाउडर में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करें। इसके बाद ऊपर से बकरी का दूध पी लें। इस उपाय के अलावा गोखुरू के पानी का सेवन करने से भी किडनी का स्टोन खत्म हो जाता है।

क्रिएटिनिन और यूरिया स्तर सुधारे –

 किडनी खराब हो जाने कारण शरीर में क्रिएटिनिन और यूरिया का स्तर बढ़ जाता है, जिसके कारण किडनी की कार्यक्षमता दर लगातार गिरती रहती है। ऐसे में क्रिएटिनिन के स्तर को कम करना बहुत जरुरी होता है। इसके लिए एलोपैथी उपचार में डायलिसिस का सहारा लिया है जबकि आयुर्वेद में आयुर्वेदिक औषधियों की मदद से ही इसके स्तर को कम किया जाता है। अगर किडनी रोगी अपने चिकित्सक की निगरानी में गोखरू के काढ़े का सेवन करें, तो जल्द ही उसका क्रिएटिनिन और यूरिया स्तर कम होने लगेगा। क्रिएटिनिन और यूरिया का स्तर बढ़ना किडनी खराब होने का आम संकेत है

डायबिटीज (Controls Diabetes)

शुगर की समस्या होने पर ब्लड शुगर लेवल अस्थिर हो सकता है, ऐसे में गोखरू का रोज़ाना सेवन फायदेमंद माना जाता है। इससे डायबिटीज का खतरा कम रहता है और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

एक्जिमा जैसे त्वचा रोग के लिए 

एक्‍जिमा की वजह से जब स्‍किन पर खुजली होने लगती है, ऐसे में गोखरू आपके काफी काम आ सकता है। एक्जिमा एक इंफ्लेमेटरी त्वचा की परेशानी है। गोखरू के फल में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो एक्जिमा के खतरे को कम कर सकते हैं।

पाचन शक्ति के लिए

खराब आहार से ना केवल पथरी जैसी बीमारियां होती है बल्कि यह पाचन संबंधित समस्याओं को भी बुलावा देता है। गोखरू का सेवन काढ़े के रूप में करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है और खाना हज़म करना आसान हो जाता है। गोखरू का उपयोग बहुत ही फायदेमंद है।  

महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य में लाभदायक

PCOD महिलाओं में आम समस्या है। इसके उपचार के लिए वजन नियंत्रित रखना ज़रूरी होता है। गोखरू महिलाओं में पीसीओडी को ठीक करने में फायदेमंद माना जाता है। यह पीरियड्स में होने वाले दर्द को कम करने में भी फायदेमंद माना जाता है। यह मेनोपॉज़ में भी लाभदायक होता है।

सूजन में राहत दिलाए –

किडनी खराब हो जाने पर शरीर के कई हिस्सों में सूजन आ जाती है, जैसे – चेहरे और पैरों में। पैरों में आई सूजन के चलते रोगी को चलने-फिरने में काफी परेशानी होती है। ऐसे में अगर आप गोखरू के चूर्ण से बने काढ़े का सेवन करते हैं, तो आपको सूजन में जल्द राहत मिलेगी। किडनी खराब होने के इतर गोखरू और भी कई अन्य कारणों के चलते आने वाली सूजन में राहत दिलाता है।







25.9.23

करंज कई बीमारियों में उपयोगी पेड़ karanj fayde






करंज (Millettia Pinnata) विशाल ,अनेक शाखाओं से युक्त छाया दार पेड़ है. इसकी ऊँचाई और चौडाई दोनों ही खूब होती हैं. इसके कारण ये घनी छाया देते हैं. ये अक्सर नदी, तालाबों के किनारे देखने को मिलते है. ये मुख्यरूप से आद्र भूमी पर पाए जाते हैं.

करंज का वृक्ष जंगलोँ मेँ होता है। इसकी छाया घनी और ठंडी होती है। करंज की फली लंबी होती है और इसमेँ लंबे व मोटे बीज होते हैँ।
करंज के विभिन्न नाम:
संस्कृत- करंज
हिन्दी- कंजा या कटजरंजा
लैटिन- पोनगेमियालेवा
अंग्रेजी- स्मघलिव्ड पोनगेमिया
गुजराती- कणझी
मराठी- करंज
बंगाली- डहरकरंज<>इस पर कांटे बहुत होते हैं. इनके बीजों का आवरण कौड़ी के समान सख्त होते हैं. कंटीले होने के कारण लोग इन्हें बाग़ और खेतों की मुंडेरों पर लगाते हैं.
इसके बीजों से तेल निकला जाता है. इसी का मुख्य प्रयोग होता है. इस का फल वात, पित्त, कफ, प्रमेह, दिमांगी रोग, को खतम करता है. इसका तेल योनीदोष, गुल्म, उदावर्त, खुजली, नेत्र रोग, घाव आदि में उपयोग होता है.

करंज के  औषधीय उपयोग:

treatment using karanj

करंज के फायदे और नुकसान ( karanj ke fayde aur nuksan ) : करंज औषधीय गुणों से भरपूर एक पौधा हैं, जो समस्त भारत में 1200 मीटर तक की ऊँचाई पर पाया जाता है। करंज पौधे का हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने में सहायक होता है।
करंज (Millettia Pinnata) विशाल ,अनेक शाखाओं से युक्त छाया दार पेड़ है. इसकी ऊँचाई और चौडाई दोनों ही खूब होती हैं. इसके कारण ये घनी छाया देते हैं. ये अक्सर नदी, तालाबों के किनारे देखने को मिलते है. ये मुख्यरूप से आद्र भूमी पर पाए जाते हैं.

करंज का वृक्ष जंगलोँ मेँ होता है। इसकी छाया घनी और ठंडी होती है। करंज की फली लंबी होती है और इसमेँ लंबे व मोटे बीज होते हैँ।
करंज के औषधीय गुणों के कारण, आयुर्वेद में करंज का इस्तेमाल कई बीमारियों के उपचार के लिए औषधि रूप में किया जाता है। इसके अलावा करंज बीजों से प्राप्त तेल का प्रयोग चर्म रोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
करंज के विभिन्न नाम:
संस्कृत- करंज
हिन्दी- कंजा या कटजरंजा
लैटिन- पोनगेमियालेवा
अंग्रेजी- स्मघलिव्ड पोनगेमिया
गुजराती- कणझी
मराठी- करंज
बंगाली- डहरकरंजइस पर कांटे बहुत होते हैं. इनके बीजों का आवरण कौड़ी के समान सख्त होते हैं. कंटीले होने के कारण लोग इन्हें बाग़ और खेतों की मुंडेरों पर लगाते हैं.
इसके बीजों से तेल निकला जाता है. इसी का मुख्य प्रयोग होता है. इस का फल वात, पित्त, कफ, प्रमेह, दिमांगी रोग, को खतम करता है. इसका तेल योनीदोष, गुल्म, उदावर्त, खुजली, नेत्र रोग, घाव आदि में उपयोग होता है.

करंज के औषधीय उपयोग:

treatment using karanj

*करंज में पाए जाने वाले औषधीय गुण, दांतों के दर्द को ठीक करने में सहायक होते है। इसके लिए आप करंज पंचांग को जलाकर भस्म बना लें और इसमें नमक मिलाकर दांतों और मसूड़ों पर रगड़े, यह दांत दर्द में आराम दिलाता है।
*कुक्कुर खांसी की समस्या को दूर करने के लिए 1-3 ग्राम करंज बीज के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर चाटें। इसके अलावा उल्टी होने पर करंज के पत्तों से बने काढ़े का सेवन करें, यह उल्टी को रोकने में सहायक होता है। लेकिन बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
*करंज बीज के तेल से जोड़ों पर मालिश करने से गठिया में लाभ मिलता है। इसके अलावा आंखों के स्वास्थ्य के लिए करंज बीज के पेस्ट को दूध में पकाकर ठंडा कर लें। इसे छानकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के रोगों में लाभ मिलता है।
*सोरायसिस के लक्षणों को कम करने के लिए भी करंज का उपयोग फायदेमंद होता है। इसके लिए आप करंज के क्षार में अरंडी तेल मिलाकर लेप बनाए और इस लेप को सोरायसिस से प्रभावित हिस्सों पर लगाएं। इसके अलावा आप करंज तेल से मालिश भी कर सकते हैं, यह खुजली, सोरायसिस आदि त्वचा विकारों के लक्षणों को कम करता है।
*करंज के बीजों से बने तेल में पाए जाने वाले औषधीय गुण, गंजेपन की समस्या को दूर करने में सहायक होते है। इसके लिए आप करंज तेल से सिर की नियमित रूप से मालिश करें, यह गंजेपन की समस्या को दूर करने में सहायक होता है।
*करंज की लकड़ी का सेवन करने से भोजन के प्रति अरुचि खत्म होती है और भूख बढ़ती है। इसके अलावा बार-बार पेशाब आने की समस्या को दूर करने के लिए आप करंज के फूलों से बने काढ़े का 10-15 मिली की मात्रा में सेवन करें। यह बार-बार पेशाब आने की समस्या को दूर करता है।
*बवासीर रोगियों के लिए भी करंज का उपयोग फायदेमंद होता है। इसके लिए बवासीर रोगी करंज के कोमल पत्तों को पीसकर बवासीर के मस्सों में लगाएं। इससे खूनी बवासीर में लाभ होता है।
*पाचन स्वास्थ्य के लिए करंज का पानी पीना लाभकारी होता है। दरअसल करंज में पाए जाने वाले औषधीय गुण, पाचन में सुधार कर, पाचन तंत्र को स्वस्थ एवं मजबूत बनाए रखने के साथ पेट के रोगों को भी दूर करने में सहायक होते है। इसके लिए आप करंज के बीजों को फोड़कर रात को एक गिलास पानी में भिगो दें फिर सुबह खाली पेट पी लें। ऐसा नियमित करने से पेट के रोग में फायदा मिलता है।

करंज के नुकसान -

*करंज का अधिक मात्रा में सेवन मतली, उल्टी और पेट में दर्द जैसी समस्याओं का कारण बन सकता हैं।
*गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को करंज का सेवन करने से पहले डॉक्टर से राय लेनी चाहिए क्योंकि करंज का अधिक मात्रा में सेवन, गर्भपात का कारण बन सकता है।
*अगर कोई व्यक्ति किसी विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन करता हैं, तो वह व्यक्ति करंज का सेवन करने से पहले, अपने डॉक्टर से सलाह लें।
*कुछ लोगों को करंज के सेवन से एलर्जी की समस्या हो सकती हैं इसलिए किसी भी व्यक्ति को करंज के सेवन से किसी भी प्रकार की एलर्जी होती हैं, तो वह व्यक्ति करंज का सेवन करने से बचें।
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23.9.23

डिप्रेशन ,अवसाद से कैसे निजात पाएं

 






डिप्रेशन क्या है? 

डिप्रेशन एक मानसिक बिमारी है, जिसका संबंध मनोविज्ञान में किसी व्यक्ति के मन की भावनाओं से जुड़े दुखों या निराशा से होता है। अवसाद या डिप्रेशन को मूड डिसऑर्डर के तौर पर क्लासीफाइड किया गया है। हर व्यक्ति समय-समय पर उदासी का अनुभव करता है। मगर जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक लगातार नकारात्मक सोच, दुखी मनोदशा मे घिर जाए और अपनी पसंदीदा गतिविधियों में भी दिलचस्पी न ले, तो इस तरह के लक्षण डिप्रेशन हो सकते हैं। इसे इंसान की उदासी, नुकसान या ऐसे गुस्से के रूप में समझा जा सकता है, जिससे किसी इंसान की रोजमर्रा की गतिविधियों पर असर पड़ता है।
 आजकल की व्यस्त लाइफस्टाइल में अवसाद की समस्या आम बन चुकी है। अवसाद एक द्वन्द है, जो मन एवं भावनाओं में गहरी दरार पैदा करता है। अवसाद यह संकेत देता है कि आप कई मनोविकारों का शिकार हो सकते हैं। अवसाद में सामान्यत: मन अशान्त, भावना अस्थिर एवं शरीर अस्वस्थता का अनुभव करते हैं। ऐसी स्थिति में हमारी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और हमारी शारीरिक व मानसिक विकास में व्यवधान आता है।
अवसाद यानी डिप्रेशन किसी भी इंसान के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बीमारी है। इस बीमारी में डॉक्टर के इलाज के अलावा घरेलू उपचार करके भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है। सेब, काजू, इलायची, जैम, टोस्ट और केक अवसाद कम करने में मदद करते हैं।
 डिप्रेशन से परेशान इंसान चाहता है कि वह इससे उबर जाये लेकिन ऐसा अक्सर हो नहीं पाता है वह इसलिए कि डिप्रेशन का शिकार हुआ इंसान ज्यादातर अकेला रहना पसन्द करने लगता है वह अपनी परेशानियों को दूसरों से छिपाने की कोशिश करने लगता है जिसकी वजह से उसके करीबी लोग भी उसके संघर्ष , उसके दुःख दर्द को कभी समझ ही नहीं पाते । और वह इंसान धीरे धीरे और भी डिप्रेशन का शिकार होता चला जाता है। इंसान की सोचने-समझने की शक्ति खत्म होने लगती है। कोई भी व्यक्ति डिप्रेस्ड की अवस्था में अपने आपको लाचार और निराश महसूस करता है। यदि आपको ऐसा लगता है कि आप डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं तो तुरंत अपने करीबी लोगों को इसके बारे में बताएं और उनसे अपनी समस्या को शेयर करें
 उदासी की यह भावना अक्सर चिंता, निराशा की भावना और ऊर्जा की कमी के साथ होती है जो किसी व्यक्ति के उत्साह को घटा देती है। डिप्रेशन कई बार थोड़े समय के लिए हो सकता है मगर जब यह किसी व्यक्ति में लंबे समय तक हो तो स्थिति गंभीर हो सकती है.>डिप्रेशन के चलते व्यक्ति मे जीने की इच्छा समाप्त हो जाती है. डिप्रेशन को नैदानिक अवसाद, प्रमुख अवसाद या बायोलॉजिकल डिप्रेशन जैसे कई नामों से जाना जाता है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन अधिक देखने को मिलता है।
प्रसव के बाद महिलाओं के जीवन में सब कुछ बदल जाने से कभी कभी वे अवसाद से ग्रस्त हो जाती हैं क्योंकि उन्हें अपनी आदतें अपने शिशु की दिनचर्या के अनुसार बदलनी पड़ती हैं।
 आपको डिप्रेशन से बचना है तो अपनी लाइफस्टाइल व डेली रूटीन पर गौर करना जरूरी है। अवसाद से निपटने के कई तरीके व दवाएं हैं लेकिन अगर प्राकृतिक तरीकों से इसका निपटारा किया जाए तो बेहतर है। इससे आपकी सेहत को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचेगा।

संतुलित आहार

संतुलित आहार लें फल, सब्जी, मांस, फलियां, और कार्बोहाइड्रेट आदि का संतुलित आहार लेने से मन खुश रहता है। एक संतुलित आहार न केवल अच्छा शरीर बनता है बल्कि यह दुखी मन को भी अच्छा बना देता है।

दोस्त बनाएं

अच्छे दोस्त बनायें अच्छे दोस्त आपको आवश्यक सहानुभूति प्रदान करते हैं और साथ ही साथ अवसाद के समय आपको सही निजी सलाह भी देते हैं। इसके अतिरिक्त, जरूरत के समय एक अच्छा श्रोता साथ होना नकारात्मकता और संदेह को दूर करने में सहायक है।

नकारात्मक लोगों से बचें सामाजिक बनें

अकसर अवसादग्रस्त होने पर लोग खुद को एक कमरे में बंद कर लेते हैं जो कि बहुत गलत है। ऐसे समय में आपको और भी ज्यादा मजबूत बनना चाहिए और लोगों से घुल मिल कर रहना चाहिए। खुद को सामाजिक बनाएं ऐसे में आपको नकारात्मक विचारों से अपना ध्यान हटाने में मदद मिलेगी।

व्यायाम करें

व्यायाम अवसाद को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। इससे न केवल एक अच्छी सेहत मिलती है बल्कि शरीर में एक सकारात्मक उर्जा का संचार भी होता है। व्यायाम करने से शरीर में सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन्स का स्राव होता है जिससे दिमाग स्थिर होता है और अवसाद देने वाले बुरे विचार दूर रहते हैं।
नकारात्मक लोगों से दूर रहें कोई भी ऐसे लोगों के बीच में रहना पसंद नहीं करता जो कि लगातार दूसरों को नीचे गिराने में लगे रहते हैं। ऐसे लोगों से दूर रहने से मन को शांति और विवेक प्रदान करने में आपको मदद मिलेगी।

पर्याप्त नींद लें

अवसाद की समस्या तभी होती है जब या तो बहुत अधिक सोते हैं या बिल्कुल नहीं सो पाते हैं। इस समस्या से बचने के लिए बेड पर जाने का एक समय निर्धारित कर लें और हर रोज उसी समय पर सोएं। इससे आप अवसाद से तो बचेंगे ही साथ ही आपकी लाइफस्टाइल भी अच्छी होगी। अच्छी नींद के लिए आप चाहें तो सोने से पहले नहा सकते हैं या हर्बल टी या भी ले सकते हैं।

कुछ नया करें


जब आप अवसाद ग्रस्त होते हैं तो खुद को कुछ नया करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। म्यूजियम जाएं या अपनी कोई मनपसंद लेखक की किताब पार्क में बैठकर पढ़ें। आप चाहें तो अपनी मनपसंद हॉबी क्लास भी ज्वाइन कर सकती हैं जैसे डांस, कुकिंग, गायन, पेंटिंग आदि। इससे आपका मन भी लगा रहेगा और अवसाद की समस्या से भी बचेंगे।
 रिसर्च में सामने आया है कि औरतें ज्यादा तनाव की शिकार होती हैं। अब तो कहा जा रहा है कि बच्चों में भी तनाव की समस्या उभर रही है। इसकी एक वजह आज की लाइफस्टाइल को भी बताया जा रहा है, जहां हर आदमी एक तरह की चूहा दौड़ में शामिल है। ऐसे तो तनाव अपने आप में ही एक बीमारी है, पर जब यह ज्यादा बढ़ता है तो कई दूसरी बीमारियों को भी पैदा कर देता है, जैसे माइग्रेन, डिप्रेशन और हाइपर टेंशन जैसी बीमारियां जो बेहद खतरनाक मानी जाती हैं। सकारात्मक सोच के साथ कुछ घरेलू नुस्खों के जरिए तनाव को दूर किया जा सकता है। जानते हैं इनके बारे में।

नीम का लेप: 

वैसे तो यह माना जाता है कि नीम से त्वचा संबंधी बीमारियां दूर होती हैं, पर तनाव को खत्म करने में भी यह कारगर पाया गया है।तनाव कम करने के लिए नीम की पत्तियों का पेस्ट तैयार कर माथे पर लेप करना चाहिए। इससे कुछ देर में आराम मिलने लगता है।

दूध: 

कहा जाता है कि तनाव को दूर करने के लिए बादाम के साथ दूध पीना चाहिए। कम से कम 5 बादाम खाकर एक गिलास हल्का गर्म दूध पीने से तनाव में काफी रहात मिलती है। दूध में अदरक का पाउडर मिला कर पेस्ट बना माथे पर लगाने से भी तनाव कम होता है।

गुलकंद: 

वैसे तो गुलकंद कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करता है, पर तनाव दूर करने में यह बेहद कारगर है। तनाव होने पर दूध में गुलकंद मिला कर सोने से पहले पीना चाहिए। कुछ दिनों तक ऐसा करने से राहत मिलती है और तनाव खत्म हो जाता है। मीठी लस्साी में भी गुलकंद मिला कर पिया जा सकता है।

पान के पत्ते: 

पान के पत्ते चबाने से भी तनाव से राहत मिलती है। वैसे तो पान की तासीर को गर्म कहा गया है, पर तनाव में इसका अच्छा असर देखा गया है। पान का पत्ता चबाने के साथ उसे पानी में भिगो कर माथे पर पट्टी की तरह भी रख सकते हैं। इससे काफी राहत मिलती है।

ग्रीन टी: 

ग्रीन टी में एंटी-ऑक्सीडेंट के साथ ही एल-तियमाइन नाम का तत्व होता है जो तनाव को खत्म करता है। इसलिए जब भी तनाव हो ग्रीन टी जरूर पिएं। इससे तत्काल एनर्जी भी मिलती है।

नारियल तेल:

 तनाव होने पर नारियल के तेल से मसाज करने पर भी राहत मिलती है। नारियल के तेल से मसाज करने पर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जिससे ताजगी महसूस होती है। मसाज के बाद ठंडे पानी से नहाने से और भी राहत मिलती है।

अवसाद की स्थिति और नींद का महत्व

 नींद की कमी बिमारी का घर

यदि आप सोने में कोताही करते हैं या पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो आप कई बीमारियों को आमंत्रित कर रहे हैं. कहते हैं न कि चैन से सोना है तो जाग जाइए. जब आपकी नींद पूरी नहीं होती है तो आपको कई बीमारियाँ जैसे कि याद्दाश्त कमजोर होना, उच्च रक्त चाप, आँखों में सुजन, कमजोरी, थकान, मोटापा, तनाव आदि अपना शिकार बना सकती हैं. इसलिए बेहतर यही है कि आप भरपूर नींद लेने को गंभीरता से लें और पर्याप्त नींद लें.

 बच्चों में नींद की कमी का असर और अवसाद

किशोरों या बच्चों की मानसिकता पर पर्याप्त नींद न लेने का दुष्प्रभाव उनके आत्मविश्वास पर पड़ता है. अक्सर ऐसा देखा गया है कि आठ घंटे से कम नींद लेने वाले किशोर नशे या स्मोकिंग की चपेट में होते हैं. कई बच्चे इसके दुष्प्रभाव से डिप्रेशन में भी चले जाते हैं. ऐसा होने पर कई बार बच्चे उग्र भी हो जाते हैं. एक शोध में यह पाया गया कि प्रतिदिन 7 से 8 घंटे की नींद लेने वाले 4.5 घंटे से कम सोने वालों की तुलना में लम्बी उम्र जीते हैं. तो बच्चों को भी पर्याप्त सुलाएं.

 नींद और वजन का संबंध

शोधकर्ताओं के अनुसार कम सोने वाले लोगों का वजन पर्याप्त नींद लेने वालों से ज्यादा होता है. ये भी पाया गया है कि पांच घंटे की नींद लेने वाले लोगों में भूख बढ़ाने वाला हार्मोन 15 फीसदी अधिक बनता है. लेकिन आठ घंटे की नींद लेने वाले लोगों में यह हार्मोन जरूरत के अनुसार ही बनता है. जाहिर है इससे आप मोटापे के शिकार होते हैं और अवसाद की तरफ बढ़ चलते हैं.

अवसाद, नींद और सेहत

ये तो आपने भी महसूस किया ही होगा कि जब आप गहरी नींद से सोकर उठते हैं तो आपको एक ताजगी का एहसास होता है. और पर्याप्त नींद न लेने पर दिमाग भन्नाया रहता है. दरअसल पर्याप्त नींद लेने पर हमारे शारीर में रोगों से लड़ने वाली कोशिकाएं भी ठीक तरीके से काम करती हैं. जिससे कि आप कई अनावश्यक बीमारियों से तो बचते ही हैं साथ में आपकी कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी होती है.

खान-पान भी अवसाद से बचाता है

ये भी देखा गाया है कि अपने खाने में कुछ चीजों को शामिल करके भी मानसिक अवसाद या डिप्रेशन से बचा जा सकता है. इसमें क्या क्या हो सकता है इसे देख लेते हैं-

 काजू

अवसाद को ठीक करने में तंत्रिकातंत्र की भूमिका भी महत्वपूर्ण है. इसमें विटामिन बी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और ये विटामिन ही तंत्रिका तंत्र को ठीक रखता है. इसके साथ ही काजू आपके शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाकर आपको सक्रिय रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. काजू ये ये सभी गुण आपको डिप्रेशन से दूर रखेंगे.

 
अंडे

प्रोटीन के भण्डार अंडा में डीएचए भी पाया जाता है. आपको बता दें कि डीएचए पचास फीसदी अवसाद को ठीक कर सकता है. अंडा न सिर्फ अवसाद को ठीक करेगा बल्कि आपको निरोग रखने में भी मदद करता है.

 सेब

सेब के फायदे तो सबने ही सुन रखे होंगे. तमाम पौष्टिक गुणों से भरपूर सेब आपके मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखता है. इसमें पाया जाने वाले विटामिन बी, फास्फोरस और पोटैशियम मिलकर ग्लूटामिक एसिड का निर्माण करते हैं. ये एसिड मानसिक स्वस्थ्य ठीक रखता है.

डेजर्ट

अवसाद को दूर करने में चीनी की भी भूमिका देखी गई है. दरअसल इसके प्रयोग से शरीर के शुगर लेवल को एक नई ऊर्जा दी जाती है. आप चाहें तो इसके लिए चीनी से बने किसी भी खाद्य पदार्थ केक, डेजर्ट या जूस का इस्तेमाल कर सकते हैं.

टोस्ट या जैम

मानसिक असाद से पीड़ित लोगों के लिए कार्बोहाइड्रेट का सेवन लाभकारी होता है. कई लोग तो इसके लिए ब्रेड पर जैम लगाकर भी खाते हैं.

आयरन युक्त भोजन

हमारे शरीर में आयरन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है. लेकिन कई लोगों में आयरन की कमी होती है खासकरके लड़कियों में. तो ऐसे में इसका सबसे अच्छा तरीका है कि आपको आयरनयुक्त भोजन करना चाहिए. इससे आपमें आयरन लेवल तो ठीक रहता ही है, साथ में आपका मूड भी ठीक रहता है. इस तरह आप अवसाद से बाख जाते हैं. आयरन के लिए सबसे अच्छा स्त्रोत पालक है.

 
इलायची

आप खुद को तरोताजा रखने के लिए इलायची का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आपको बस इतना करना है कि इलायची के पिसे हुए बीज को पानी के साथ उबाल कर या चाय के साथ लें. इससे आपका मूड फ्रेश हो जाएगा.
आप डिप्रेशन से बचने के लिए उपरोक्त तरीकों के अलावा और भी कई चीजें कर सकते हैं. हम आपको कुछ बेहद महत्वपूर्ण तत्व बता रहे हैं जो आपको डिप्रेशन को दूर करने में मदद करेंगे.

आयोडीन

हमारे शरीर में आयोडीन के महत्व से तो आप परिचित होंगे ही. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी कमी से हमारा दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता है. हमारे दिमागी विकास के लिए जरुरी आयोडीन का सबसे आसान स्त्रोत आयोडीन युक्त नमक है. आयोडीन के लिए आप आलू, दही, लहसुन आदि का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

ओमेगा थ्री

विशेषज्ञों के अनुसार ओमेगा थ्री के नियमित सेवन से हमारे दिमाग में न्यूरॉन से सेल्स की वृद्धि होती है. इसलिए इसे डिप्रेशन से बचने का सबसे अच्छा स्त्रोत माना जाता है. यदि ओमेगा थ्री के स्त्रोतों की बात करें तो मछली, सुखा मेवा, सरसों के बीज, सोयाबीन, गोभी, फल और हरी बीन्स आदि प्रमुख हैं.

जिंक

हमारे शरीर की कोशिकाओं में पाया जाने वाले जिंक की कमी से डिप्रेशन के अलावा और भी कई बीमारियाँ हो सकती हैं. इसलिए जिंक का नियमित सेवन भी जरुरी है. इसे हम मूंगफली, लहसुन, राजमां, दालें, सोयाबीन, बादाम, अंडे, बीज, मटर आदि से प्राप्त कर सकते हैं.

मैग्नीशियम

याद्दाश्त को बनाए रखने में मैग्नीशियम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. इसलिए इसकी कमी से याद्दाश्त कमजोर होने के साथ ही डिप्रेशन भी बढ़ सकता है. मैग्नीशियम हमें काजू, बादाम, पीनट बटर, अंजीर आदि खाकर मिल सकता है.

दूध और इसके उत्पाद

कहा जाता है कि दूध एक सम्पूर्ण पौष्टिक आहार है. तो ऐसे में शरीर में होने वाले पोषक तत्वों की कमी को हम दूध और इसके विभिन्न उत्पादों से पूर्ति कर सकते हैं. जाहिर है कुपोषित शरीर के अवसाद ग्रस्त होने की संभावना अधिक होती है.


अवसाद को दूर करता है म्यूजिक थेरेपी

जैसा कि आम तौर पर कहा जाता है कि संगीत हमें दुसरी दुनिया में ले जाता है. इस बात को शोधकर्ताओं ने भी माना है कि संगीत मूड को शांत और सक्रीय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. म्यूजिक थेरेपी से अवसाद दूर करने का आधार यही है. चूँकि अवसाद मानसिक भटकाव की तरफ ले जाता है और संगीत हमें एकाग्रचित होने में मदद करता है इसलिए संगीत के माध्यम से हम अवसाद का सफल उपचार कर सकते हैं. इससे हमें नींद भी गहरी आती है और हमारा शरीर पूरी तरह से रिचार्ज हो जता है.
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21.9.23

उड़द की दाल के के इतने फायदे जानते हैं आप?

 







काली दाल, यानि उड़द की दाल को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता हैं. दालों को प्रोटीन का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है. दालों के सेवन से शरीर में प्रोटीन की कमी नहीं होती.

खासतौर पर शाकाहारी लोगों के लिए दालों का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है. आपको बता दें कि दालें कई प्रकार की होती हैं. वैसे तो आप किसी भी दाल का सेवन करें, ये सभी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं. लेकिन आज हम जिस दाल के बारे में बात कर रहे हैं वो है काली दाल, यानि उड़द की दाल, हालांकि उड़द की दाल दो प्रकार की होती है काली तथा हरी. असल में उड़द की दाल में बहुत से ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए अच्छे माने जाते हैं. उड़द दाल में प्रोटीन के अलावा फैट, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी, आयरन, फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मददगार माने जाते हैं. उड़द की दाल udad dal ke fayde को डायबिटीज में काफी अच्छा माना जाता है. डायबिटीज आज के समय की एक गंभीर समस्या में से एक है जिसे खान-पान और लाइफस्टाइल में बदलाव करके कंट्रोल किया जा सकता है.
उड़द दाल खाने के फायदेः

 डायबिटीज के लिएः

डायबिटीज आज के समय की गंभीर समस्या में से एक हैं जिसे लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव करके कंट्रोल किया जा सकता है. उड़द दाल में फाइबर के गुण भरपूर होते हैं जो चीनी और ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं. डायबिटीज के रोगी डाइट में उड़द दाल को शामिल कर सकते हैं. उड़द दाल के सेवन से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है.

पुरुषों के लिए भी है लाभदायक -

उड़द  udad dal ke fayde वीर्य वर्द्धक, हृदय को हितकारी है। यह वात, अर्श का नाश करती है। यह स्निग्ध, विपाक में मधुर, बलवर्द्धक और रुचिकारी होती है। उड़द की दाल अन्य प्रकार की दालों में अधिक बल देने वाली व पोषक होती है। अगर काली उड़द को पानी में 6 से 7 घंटे के लिये भिगो कर उसे घी में फ्राई कर के शहद के साथ नियमित सेवन किया जाए तो पुरुष की यौन शक्ति बढती है तथा सभी विकार दूर होते हैं|

कब्ज के लिएः

उड़द की दाल में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं, जो पाचन तंत्र को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं. उड़द दाल के सेवन से पाचन, कब्ज और ऐंठन की समस्या को दूर किया जा सकता है.

जोड़ों और मांसपेशियों में होनेवाले दर्द

जोड़ों और मांसपेशियों में होनेवाले दर्द और सूजन से तुरंत राहत पाने के लिए उड़द की दाल का पेस्ट दर्द वालेी जगह पर लगाने से आराम मिलता है। इसके अलावा यह किसी भी तरह की त्वचा की जलन को कम करने में, टैन और सनबर्न से छुटकारा दिलाने में भी मदद करती है। इसके अलावा उड़द दाल में उच्च मात्रा में विटामिन और खनिज होते हैं, जो आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करते हैं। उड़द की दाल आपके ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में भी मदद करती है।

दिल के लिएः

दिल के मरीजों के लिए फायदेमंद है उड़द की दाल. उड़द दाल को पोटेशियम का अच्छा सोर्स माना जाता है. पोटेशियम रक्त परिसंचरण में सुधार कर सकती है. ये रक्त वाहिकाओं और धमनियों में तनाव को कम करने में मदद कर सकती है. उड़द दाल  udad dal ke fayde के सेवन से हार्ट को हेल्दी रखा जा सकता है.

आयरन के लिएः

उड़द की दाल में आयरन भरपूर मात्रा में होता है, जो आपके शरीर में एनर्जी के लेवल को बढ़ाने में मदद करता है और आपको एक्टिव रखता है। आयरन लाल रक्त कोशिकाओं के बनने में मदद करता है, जो आपके शरीर के सभी अंगों में ऑक्सीजन ले जाने के लिए जिम्मेदार है। जिन गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है, उनके लिए आयरन से भरपूर उड़द की दाल का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। नियमित रूप से उड़द की दाल का सेवन करने से बॉडी में आयरन के साथ-साथ एनर्जी भी बनी रहती है।

याददाश्त होगी मजबूत

अगर आपकी याददाश्त कमजोर है तो उड़द की दाल का सेवन करें. इसके लिए आप रात को सोते समय लगभग 60 ग्राम उड़द की दाल को पानी में भिगोकर रख दें. सुबह इस दाल को पीसकर दूध और मिश्री मिलाकर पीयें. इससे याददाश्त मजबूत होती है और दिमाग की कमजोरी खत्म हो जाती है.

सिरदर्द के लिएः

सिरदर्द की समस्या को कम करने में मददगार है उड़द दाल, इसमें पाए जाने वाले मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व शरीर को हेल्दी रखने का काम कर सकते हैं.

मुंहासे ठीक करने में मददगार

उड़द की दाल से मुंहासे भी ठीक हो जाते हैं. इसके लिए आप उड़द और मसूर की बिना छिलके की दाल को सुबह दूध में भिगो दें. शाम को बारीक से बारीक पीसकर उसमें नींबू के रस की थोड़ी बूंदे और शहद की थोड़ी बूंदे डालकर अच्छी तरह मिला लें और लेप बना लें. इसके बाद आप इस लेप को इस लेप को चेहरे पर लगा लें. इसके बाद सुबह चेहरा धो लें, ऐसा करने पर मुंहासे दूर हो जाएंगे.

ब्लड सर्कूलेशन बढ़ाने में भी मददगार

उड़द की दाल ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मददगार udad dal ke fayde  है. इसमें बड़ी मात्रा में बायोऐक्टिव कंपाउंड्स होते हैं, जो हमारी बॉडी के फूड फंक्शन को इंप्रूव करते हैं. जो हमारे पाचन तंत्र को ऊर्जा देकर हमें हर समय एनर्जेटिक रखते हैं.

नकसीर की समस्या से भी राहत

उड़द की दाल का उपयोग नकसीर की समस्या से भी राहत दिलाता है. कुछ लोगों को अत्यधिक गर्मी या ठंड के कारण भी नाक से खून बहने की समस्या होती है. ऐसे में उन्हें उड़द की दाल का सेवन करना चाहिए. इसके लिए आपको उड़द के आटे का तालू पर लेप करना होगा, ऐसा करने से नाक से खून (नकसीर) आना कम होता है.

नर्वस स‍िस्टम

उड़द की दाल हमारे नर्वस स‍िस्टम को मजबूत करने के अलावा हमारे ब्रेन को हैल्दी बनाती है। नर्वस स‍िस्टम की कमजोरी, लकवा, चेहरे का लकवा समेत दूसरी और कई बीमार‍ियों को ठीक करने के लिए अलग-अलग आयुर्वेदिक दवाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

सावधानी-

उड़द दाल के अधिक सेवन से पित्त की पथरी या गाउट भी हो सकता है। अगर आप इसका अधिक सेवन करते हैं तो यह आपके पाचन को भी प्रभावित कर सकती है। उड़द दाल का अधिक सेवन करने से कब्ज की समस्या भी हो सकती है। जिन लोगों को पहले से यह समस्या है, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। हर एक व्यक्ति में इसका प्रभाव अलग-अलग होता है।








20.9.23

गुड़हल के औषधीय गुण और उपयोग

 



गुडहल (फूल) के गुण :-

गुडहल एक आम सा फूल है जो कि देखने में सुंदर होता है। ऐसे कई गुडहल के फूल हैं जो कि अलग-अलग रंगों में पाये जाते हैं जैसे, लाल, सफेद , गुलाबी, पीला और बैगनी आदि। यह सुंदर सा गुडहल का फूल स्वास्थ्य के खजाने से भरा पड़ा है। इसका इस्तेमाल खाने- पीने या दवाओं लिए किया जाता है। इससे कॉलेस्ट्रॉल, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर और गले के संक्रमण जैसे रोगों का इलाज किया जाता है। यह विटामिन सी, कैल्शियम, वसा, फाइबर, आयरन का बढिया स्रोत है।
गुडहल के ताजे फूलों को पीसकर लगाने से बालों का रंग सुंदर हो जाता है।
मुंह के छाले में गुडहल के पते चबाने से लाभ होता है।डायटिंग करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं।
क्या आप जानते हैं कि गुडहल की चाय भी बनती है। जी हां, गुडहल की चाय एक स्वास्थ्य हर्बल टी है। तो आइये जानते हैं गुडहल के स्वास्थ्य और औषधीय लाभ के बारे में-

गुडहल के गुण -

*जपाकुसुम के पत्ते तथा फूल भी बाल झड़ने से रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं। अब आप इन दोनों पदार्थों को मिलाकर बालों को स्वस्थ और सुन्दर बना सकते हैं। एक ताज़ा प्याज लें तथा इसे छीलें। इसके बाद इसे ग्राइंडर में डालकर इसका गूदा बनाएं। इस गूदे से पानी को निचोड़ें तथा रस को एक पात्र में रखें। इसमें जपाकुसुम के पत्तों का रस डालें तथा अच्छे से मिलाएं। इस पैक को बालों पर लगाएं और असर देखें।
* गुडहल से बनी चाय को प्रयोग सर्दी-जुखाम और बुखार आदि को ठीक करने के लिये प्रयोग की जाती है।
* गुड़हल के फूल का अर्क दिल के लिए उतना ही फायदेमंद है जितना रेड वाइन और चाय।
*आंवला का प्रयोग सदियों से बालों के उपचार के लिए किया जाता रहा है। इस फल को कच्चा खाने से भी बालों को पोषण मिलता है तथा चेहरे पर चमक आती है। अगर आप आंवले के रस के साथ जपाकुसुम की पत्तियों का रस मिलाएं तो आपके बाल बिलकुल स्वस्थ हो जाएंगे तथा आपको बाल झड़ने की समस्या से भी मुक्ति मिलेगी।
विज्ञानियों के मुताबिक चूहों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि गुड़हल का अर्क कोलेस्ट्राल को कम करने में सहायक है। इसलिए यह  मनुष्यों पर भी कारगर होगा|


*कैंसर से राहत
गुड़हल की चाय का रोजाना सेवन करके आप कैंसर से बच सकते है। और यदि आपको कैंसर हो चुका है तो भी यह कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को भी धीमा कर देती है। लेकिन हां एक बात का ख्याल रहे की गुड़हल की चाय का सेवन करते समय अपनी ‘कैंसर की मेडिसिन’ नियमित रूप से लेना ना भूले|4. - डायटिंग करने वाले या गुर्दे की समस्याओं से पीडित व्यक्ति अक्सर इसे बर्फ के साथ पर बिना चीनी मिलाए पीते हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक मूत्रवर्धक गुण होते हैं।
*गुडहल के फूल के फायदे, आप अब जपाकुसुम की पत्तियों और फूलों के साथ जैतून का तेल मिलाकर इसे शैम्पू की तरह प्रयोग में ला सकते हैं। इस मिश्रण के लिए आपको ३ से ४ जपाकुसुम के फूल चाहिए होंगे। इस पेड़ की पत्तियों की भी एक समान पत्तियों की मात्रा लें। आप मूसल और मोर्टार की मदद से जपाकुसुम की पंखुड़ियों को मसल सकते हैं। एक बार ये हो जाने पर इस पेस्ट को महीन बनाने के लिए इसमें जैतून के तेल की कुछ बूँदें और थोड़ा पानी डालें। अब इस मास्क को बालों में इस तरह लगाएं कि बालों के जड़ों तक ये पहुँच जाए। इस पैक को १५ मिनट तक रखें और फिर धो दें।

* अगर गुडहल को गरम पानी के साथ या फिर उबाल कर फिर हर्बल टी के जैसे पिया जाए तो यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करेगा और बढे कोलेस्ट्रॉल को घटाएगा क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है।*लोगों को अकसर बाल झड़ने के साथ बालों के पतले होने की समस्या भी पेश आती है। बालों को पतले होने से बचाने के लिए अदरक एक बेहतरीन विकल्प है। इस हेयर पैक को बनाने के लिए अदरक की जड़ का छोटा सा भाग लें। इसे पीसें तथा इसका रस निकालें। अब जपाकुसुम के फूल से रस निकालें तथा इसे अदरक के रस के साथ मिलाएं। इस मिश्रण को बालों पर अच्छे से लगाएं जिससे एक भी बाल ना छूटें। अगर आप इसका प्रयोग रोज़ाना करें तो बालों का दोबारा उगना भी संभव है।
 *गुडहल का फूल काफी पौष्टिक होता है क्योंकि इसमें विटामिन सी, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट होता है। यह पौष्टिक तत्व सांस संबन्धी तकलीफों को दूर करते हैं। यहां तक की गले के दर्द को और कफ को भी हर्बल टी सही कर देती है।

gudhal ke fayde 

*स्मरण शक्ति बढ़ाये
गुड़हल की पत्तियां शरीर की एनर्जी और इम्युनिटी लेवल को बढ़ाती है। गुडहल के पत्ते या इसके फूलों को सुखाकर पीस लें। अब इसके एक चम्मच पाउडर में एक चम्मच मिर्श्री को मिलाकर पानी के साथ लेने से स्मरण शक्ति तथा स्नायुविक शक्ति बढ़ती है।
 गुडहल के फूलों का असर बालों को स्वस्थ्य बनाने के लिये भी होता है। इसे पानी में उबाला जाता है और फिर लगाया जाता है जिससे बालों का झड़ना रुक जाता है। यह एक आयुर्वेद उपचार है। इसका प्रयोग केश तेल बनाने मेभी किया जाता है।
*अगर गुडहल को गरम पानी के साथ या फिर उबाल कर हर्बल टी के जैसे पिया जाए तो यह हाई ब्लड प्रेशर को कम करेगा और बढे कोलेस्ट्रॉल को घटाएगा क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट होता है।
* गुडहल के पत्ते तथा फूलों को सुखाकर पीस लें। इस पावडर की एक चम्मच मात्रा को एक चम्मच मिश्री के साथ पानी से लेते रहने से स्मरण शक्ति तथा स्नायुविक शक्ति बढाती है।

*कोलेस्ट्रोल रखे नियंत्रित-

गुड़हल के फूल दिल की रक्षा करने के लिए बेहद ही फायदेमंद होते है। यह कॉलेस्ट्रोल, मधुमेह से सम्भंदित बीमारियाँ और रक्तचाप आदि जो की हृदय रोग का कारण बनते है इन सभी परेशानियों को दूर करने में मदद करता है|

gudhal ke fayde 

* गुडहल के फूलों को सुखाकर बनाया गया पावडर दूध के साथ एक एक चम्मच लेते रहने से रक्त की कमी दूर होती है |
प्रकृति में ऐसी कई जड़ीबूटियां हैं जो बालों को स्वस्थ रखने में काफी अहम भूमिका निभाते हैं। इसका एक और उदाहरण जपाकुसुम और करी पत्तों का मिश्रण है। आप जपाकुसुम की पत्तियों, करी पत्तों और नारियल तेल की कुछ बूँदें मिलाकर एक पेस्ट बनाएं। इसे अच्छे से इस तरह मिलाएं कि एक भी पत्ती न दिखे। एक बार महीन पेस्ट बन जाने पर इसे बालों में अच्छी तरह लगाएं और किसी भी हिस्से को न छोड़ें। क्योंकि इसमें नारियल तेल मिला हुआ है, अतः यह बालों की मसाज काफी अच्छे से करता है।
 यदि चेहरे पर बहुत मुहासे हो गए हैं तो लाल गुडहल की पत्तियों को पानी में उबाल कर पीस लें और उसमें शहद मिला कर त्वचा पर लगाए |

*किडनी और पथरी की समस्या-
गुड़हल के पत्तो से बनी चाय विदेशो में हर्बल टी के रूप में इस्तेमाल की जाती है। किडनी के रोगियों के लिए गुड़हल की चाय लाभकारी होती है| इससे किडनी की पथरी भी दूर होती है।
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19.9.23

कान बहने (Ear Discharge)के उपयोगी उपचार

 




कान का बहना अक्सर कई लोगों को परेशान करता है. इसका मतलब होता है कान से एक प्रकार के तरल पदार्थ का रिसाव होना. इसे चिकित्सीय भाषा में ओटोरिया कहा जाता है. अधिकांश मामलों में इसकी वजह आपके कान में मौजूद वैक्स होती है. आपको बता दें कि वैक्स का काम यह सुनिश्चित करना है कि धूल, बैक्टीरिया या अन्य पदार्थ आपके कान में न जा पाएं. हालांकि, कुछ अन्य स्थितियों, जैसे कि कान के परदे के फटने से आपके कान से रक्त या अन्य तरल पदार्थों का रिसाव भी हो सकता है. इससे यह पता लगता है की आपके कान में इंजरी है या इन्फेक्शन है और आपको शीघ्र ही मेडिकल हेल्प लेने की जरुरत पड़ सकती है. कान से लीकेज सामान्य, खूनी और सफेद हो सकता है, जैसे मवाद. रिसाव के कारणों पर निर्भर करते हुए, लोगों को कान में दर्द, बुखार, खुजली, वर्टिगो, कान बजना और सुनाई देना बंद होना हो सकता है
कान में दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें कान में पानी चला जाना, कान में कुछ कीट चले जाना, संक्रमण इत्यादि हो सकते हैं। लेकिन कई बार कान में दर्द के साथ-साथ मवाद भी निकलना शुरू (kaan se mawad aana) हो जाता है। ऐसी स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टरी सलाह की जरूरत होती है, ताकि कान में होने वाली परेशानी का जल्द से जल्द इलाज किया जा सके। इसके साथ ही आप कान में मवाद निकलने की परेशानी का इलाज कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी (kaan me pas ka ilaj) कर सकते हैं। 
कान के बहने का उपचार कारण पर निर्भर होता है. जिन लोगों के कान के परदे में बड़े छेद होते हैं, उन्हें कान से पानी को दूर रखने की सलाह दी जाती है. पानी को कान से बाहर रखने के लिए, रुई पर पेट्रोलियम जेली लगाएं और कान में रख लें. डॉक्टर भी आपके लिए सिलिकॉन के डाट बना सकते हैं और कान में लगा सकते हैं.
कान से पस की परेशानी को दूर करने के लिए आप कुछ असरदार नुस्खों का सहारा ले सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में-


लहसुन और सरसों का तेल

लहसुन और सरसों तेल की जोड़ी आपको कई तरह की परेशानियों से राहत दिलाने में प्रभावी होती है। मुख्य रूप से अगर आप कान में पस की परेशानी से जूझ रहे हैं, तो यह आपके लिए दवा के समान है। इसका प्रयोग करने के लिए 2 चम्मच सरसों तेल लें। अब इसमें 4 से 5 लहसुन की कलियों को छीलकर डालें और तेल को गर्म करें। इसके बाद तेल को ठंडा करें, जब तेल हल्का गुनगुना रह जाए तो इसकी कुछ बूदों को कान में डालें। कुछ दिनों तक इसका प्रयोग करने से कान से मवाद या पस निकलना बंद हो सकता है।

तुलसी का रस है उपयोगी 

कान से पस या फिर मवाद निकलने की परेशानी को दूर करने के लिए आप तुलसी के रस का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए 10 से 15 तुलसी की पत्तियां लें। अब इन पत्तियों को अच्छी तरह से कुचल लें। इसके बाद इससे रस निकाल लें। अब इस रस को अपने कान में दिन में दो बार डालें। इससे आपको दर्द से भी आराम मिलेगा। साथ ही पस निकलने की परेशानी भी दूर हो सकती है।

पुदीने की पत्तियों का रस

कान से दर्द या फिर पस निकलने की परेशानी को दूर करने के लिए आप पुदीने की पत्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए पुदीने की पत्तियों को मसलकर इसका रस निकाल लें। इसके बाद इसकी 2 से 3 बूंदों को अपने कान में डालें। रोजाना इस तरह पुदीने की पत्तियों का रस कान में डालने से आप पस निकलने की परेशानी को दूर कर सकते हैं।

कान बहने के अन्य घरेलु उपचार 

माजूफल को कूटकर सिरके में उबाल कर फ़िल्टर कर लें, इसे कान में डालने से कान बहना बंद हो जाता है.
तिल का तेल 1 भाग और हुलहुल का रस 4 भाग मिलाकर आग पर तब तक पकाएं, जब तक कि तेल आधा ना रह जाए. फिर इसे छानकर कान में डाल लें. इस उपाय से कान का बहना बंद हो जाता है.
किसी बर्तन में 60 ग्राम सरसों का तेल गर्म करें, इसमें 4 ग्राम वैक्स डाल दें. जब वैक्स पिघल जाय, तब आग से उतार लें, फिर इसमें 8 ग्राम पिसी हुई फिटकरी डाल दें. अगर किसी भी अन्य दवा से कान का बहना बंद न हुआ तो इस उपाय को आजमाएं.
1 ग्राम हरताल बर्कीय को पिसकर 50 ग्राम सरसों के तेल में इतना पकाएं कि धुआँ निकलने लगे, फिर इसे छानकर कान में डालने से कान का बहना 2-3 दिन में रुक जाएगा.
मेथीदाना को दूध में भिगाकर पीस लें, इसके बाद इसे हल्का गरम करके कान में डालने से कान का बहना रुक जाता है.
सूरजमुखी के पत्तों का रस तेल में मिलाकर कान में डालने से कान का बहना रुक जाता है.
नीम के तेल में रुई भिगोकर कान में रखने से कान का बहना बंद हो सकता है.
चुने के पानी में उतना ही दूध मिलाकर पिचकारी देने से कान का बहना रुक जाता है.
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पेट दर्द , मरोड़ ,पतले दस्त के घरेलु उपचार






पेट से जुड़ी आम समस्याओं में दस्त भी है। यह वो चिकित्सीय स्थिति है, जब मल सामान्य से बिल्कुल पतला यानी पानी की तरह आता है। मरीज को बार-बार शौच जाना पड़ता है। दस्त को डायरिया और लूस मोशन भी कहा जाता है। इस अवस्था में शरीर में पानी और ऊर्जा की कमी होने लगती, जिससे मरीज कमजोरी महसूस करने लगता है। लूस मोशन दो प्रकार के होते हैं। पहला एक्यूट डायरिया, जो 1-2 दिन तक रहता है। वहीं, दूसरा क्रोनिक डायरिया है, जो दो से अधिक दिन तक बना रहता है दूसरी स्थिति ज्यादा गंभीर होती है। दस्त से पीड़ित मरीज बस यही सोचता है कि लूस मोशन कैसे रोकें। स्टाइलक्रेज के आर्टिकल में हम विभिन्न शोधों पर आधारित दस्त रोकने के घरेलू उपाय बता रहे हैं।
दस्त के लक्षण – Symptoms of Loose Motion 

दस्त होने पर नजर आने वाले प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं (1):पेट में ऐंठन या दर्द का होना।
बार-बार शौचालय जाना।
आंतों के कार्य प्रणाली का कमजोर होना।
अगर वायरस या बैक्टीरिया दस्त का कारण है, तो बुखार, ठंड लगना और खूनी दस्त भी हो सकते हैं।

नमक चीनी का घोल -

नमक चीनी के घोल के सेवन से दस्त से होने वाली कमजोरी दूर हो सकती है। यह दस्त को रोकने में भी काफी मददगार है। इस उपाय को आजमाने के लिए आप को बराबर मात्रा में पानी में नमक और चीनी का घोल तैयार करना है और इसे थोड़ी थोड़ी देर में पीना है। ताकि आपके शरीर में जो पानी की कमी हो रही है, उस पर काबू पाया जा सके।

छाछ-

छाछ दस्त के लिए एक बेहतरीन विकल्प है क्योंकि इसमें मौजूद एसिड जर्म्स और बैक्टीरिया से लड़ता है और पेट साफ करने में मदद करता है। सोडियम और पोटेशियम सहित इलेक्ट्रोलाइट्स का एक अच्छा स्रोत है, साथ ही इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे मिनरल्स होते हैं।

दही और केला-

अगर आप पतले से दस्त से पीड़ित हैं, तो आपको दही और केले के मिश्रण का सेवन करना चाहिए। इससे दस्त को रोकने और पेट को साफ करने में मदद मिलती है।


सेब, घी, इलायची और जायफल-

घी में एक या दो केले, एक चुटकी इलायची और जायफल का पाउडर डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। इस मिश्रण के सेवन से पतले मल को रोकने में मदद मिल सकती है क्योंकि इस मिश्रण में पोटेशियम सामग्री भरपूर होती है।


नींबू का रस-

नींबू का रस आंतों की सफाई करने में काफी मददगार है। यह आपके दस्त को रोकने में काफी मदद कर सकता है। इसके लिए आपको एक कप पानी में नींबू का रस मिला देना है और रोज दिन में तीन बार यानी सुबह, दोपहर, शाम इसका सेवन करना है। कई लोगों को दस्त के साथ पेचिश या खूनी पेचिश की समस्या भी हो जाती है, यह उसमें काफी मददगार साबित हो सकता है।

कच्चा केला-

कच्चा केला दस्त या लूज मोशन के लिए बढ़िया घरेलू उपाय है। यह आंतों को शांत करता है। बेहतर रिजल्ट के लिए आप कच्चे केले को दही और काले नमक के साथ खा सकते हैं। कच्चा केला अल्सरेटिव कोलाइटिस के लिए भी फायदेमंद है

खसखस -

दस्त होने पर एक चुटकी खसखस लेकर उसे मुंह में रखकर धीरे-धीरे चबाना शुरू करें और फिर निगल लें। इसके बाद एक गिलास पानी पिएं। इससे लूज मोशन की शिकायत दूर होगी।

​इलायची, काली चाय, नींबू का रस

एक कप गर्म काली चाय में एक चुटकी नींबू का रस और एक चुटकी इलायची या जायफल का पाउडर मिलाकर पीने से दस्त को रोकने में मदद मिल सकती है।


जीरा पानी-

1 लीटर पानी में एक चम्मच जीरे को ऊबाल लें और फिर ठंडा करके रख लें। आपको पानी तब तक उबालना है, जब तक यह उबलकर आधा न रह जाए। उसके बाद थोड़ी-थोड़ी मात्रा में उसका सेवन करें। यह दस्त रोकने का काफी अच्छा उपाय है।

नारियल पानी-

ताजा नारियल पानी दस्त से पीड़ित रोगियों को पिलाने की सलाह दी जाती है। दरअसल नारियल पानी में पोटैशियम और सोडियम जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं। जो शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। ये लूज मोशन की वजह से होने वाले डिहाइड्रेशन से बचाता है और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है।

सेब के सिरका-

दस्त के इलाज के लिए सेब के सिरके का सहारा लिया जा सकता है। सेब के सिरके में एंटी माइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं और यह प्रकृतिक एंटीबायोटिक होता है। ये गुण बैक्टीरिया के संक्रमण से होने वाले दस्त के इलाज के लिए प्रभावी हो सकते हैं। इस प्रकार के संक्रमण अक्सर खराब या दूषित भोजन के कारण होते हैं, जिसमें एस्चेरिचिया कोलाई या साल्मोनेला नामक बैक्टीरिया हो सकते हैं

अदरक का उपयोग-

दस्त रोकने के उपाय में अदरक का उपयोग कर सकते हैं। अदरक एक गुणकारी खाद्य-पदार्थ है, जो एंटीबैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल गुणों से समृद्ध होता है अदरक पाचन तंत्र को संक्रमित करने वाले बैक्टेरिया से लड़ने के साथ-साथ आंतों को आराम पहुंचाता है। शोध में पाया गया कि आयुर्वेद में अदरक का उपयोग पेट कर कई समस्याओं के साथ ही दस्त को दूर करने के लिए भी किया जाता रहा है। इसके अलावा यह पाचन को सुधारने के साथ ही कब्ज और मतली में भी फायदेमंद हो सकता है । अदरक में पाए जाने वाले बायोएक्टिव कंपाउंड दस्त और संक्रमण का कारण बनने वाले एस्चेरिचिया कोलाई और हीट-लैबाइल नामक बैक्टीरिया को कम कर सकते हैं। इससे बैक्टीरिया के द्वारा होने वाले दस्त को रोका जा सकता है

पुदीना दस्त की घरेलू दवा -

पुदीना दस्त की घरेलू दवा के रूप में काम कर सकता है । एनसीबीआई की वेबसाइट पर इस संबंध में शोध प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन में डायरिया के लक्षणों से राहत के लिए पुदीना के तेल के फायदे देखे गए हैं। अध्ययन में यह बात सामने आई कि पुदीना का उपयोग दस्त के दौरान होने वाले पेट दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकता है । नींबू और शहद के साथ मिलकर यह और भी प्रभावकारी हो जाता है। शहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल व एंटीइंफ्लेमेशन गुण पेट को संक्रमित करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने का काम कर सकते हैं। इस प्रकार दस्त रोकने के उपाय में पुदीने को इस्तेमाल किया जा सकता है।

दालचीनी -

सेहत के लिए दालचीनी के फायदे देखे गए हैं। यह एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट व एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होती है। इसके तेल में पाया जाने वाला एंटीमाइक्रोबियल गुण दस्त का कारण बनने वाले और संक्रमण फैलाने वाले ई. कोलाई नामक बैक्टीरिया से लड़ने में मदद कर सकता है । यूनाइटेड स्टेट्स नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की ओर से किए गए जांच से पता चला है कि दस्त के इलाज में दालचीनी प्रभावी हो सकती है । शहद के साथ मिलकर यह और भी प्रभावशाली हो जाती है और संक्रमित पेट को आराम पहुंचाने का काम कर सकती है।
दस्त में क्या खाएं, क्या न खाएं – Foods to Eat in Loose Motion 

क्या खाएँ-

दस्त के दौरान शरीर में ऊर्जा के साथ-साथ जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, इसलिए खानपान ठीक रखना जरूरी है। इस अवस्था में मसालेदार, जंक फूड्स और शराब से दूर रहे हैं और नीचे बताई जा रही चीजों का सेवन करें

ईसबगोल: -

कई बार पेट में मरोड़ का कारण अपच हो सकता है. ऐसी स्थिति में दो चम्मच ईसबगोल एक कटोरी दही में मिलाकर खाना चाहिए. इससे आंतों की सफाई भी होती है व पेट की मरोड़ भी ठीक होती है. आजवाइन: - पेट में मरोड़ होने पर तीन ग्राम आजवाइन को तवा पर भून कर इसमें सेंधा नमक या काला नमक मिलाकर पानी के साथ सेवन करना चाहिए.


केला-

दस्त के दौरान केला काफी लाभदायक माना गया है। यह पोटैशियम से समृद्ध होता है, जो लूस मोशन को रोककर पाचन तंत्र को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।

अनार: दस्त के दौरान अनार का सेवन कर सकते हैं, इसमें एस्ट्रिंजेंट गुण पाए जाते हैं, जो लूस मोशन को नियंत्रित करने का काम करते हैं। यह शरीर की कमजोरी को भी दूर कर सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी : मरीज स्ट्रॉबेरी भी खा सकता है। इसमें फाइबर होता है, जो मल को सामान्य कर देता है, जिससे लूस मोशन बंद हो जाते हैं।
ब्राउन राइस : दस्त के दौरान ब्राउन राइस का सेवन भी कर सकते हैं। यह विटामिन-बी से समृद्ध होता है, जो आराम पहुंचा सकता है।
गाजर : डायरिया को नियंत्रित करने के लिए गाजर या गाजर का जूस पी सकते हैं। इसमें पेक्टिन पाया जाता है, जो लूस मोशन को रोकने का काम करता है। इसके अलावा, अमरूद भी खा सकते हैं।
ओआरएस : डायरिया के दौरान शरीर में तरल की कमी हो जाती है। इसे पूरा करने के लिए ओआरएस पीते रहें। ओआरएस को एक लीटर पानी में छह चम्मच चीनी और आधा चम्मच नमक के साथ घोलकर बनाकर दे सकते हैं। ओआरएस दस्त के देसी इलाज के रूप में काम करता है।