13.2.22

वेरिकोस वेन्स(सूजे हुए नस) के घरेलू उपचार//suje hue nas ke upchar

 


क्‍या है वैरिकोज वेन्स ?



 पैर की नसों में मौजूद वाल्‍व, पैरों से रक्त नीचे से ऊपर हृदय की ओर ले जाने में मदद करते है। लेकिन इन वॉल्‍व के खराब होने पर रक्त ऊपर की ओर सही तरीके से नहीं चढ़ पाता और पैरों में ही जमा होता जाता है। इससे पैरों की नसें कमजोर होकर फैलने लगती हैं या फिर मुड़ जाती हैं, इसे वैरिकोज वेन्‍स की समस्‍या कहते हैं। इससे पैरों में दर्द, सूजन, बेचैनी, खुजली, भारीपन, थकान या छाले जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।


 आइये जाने इस के आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे-


 जैतून का तेल : –

जैतून के तेल और विटामिन ई तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर उसे थोड़ा सा गर्म कर लें। इस गर्म तेल से नसों की मालिश कई मिनट तक एक से दो महीने के लिए करें।

 लहसुन :-

छह लहसुन की कली लेकर उसे एक साफ जार में डाल लें। तीन संतरे का रस लेकर उसे जार में मिलाये। फिर इसमें जैतून के तेल मिलायें। इस मिश्रण को 12 घंटे के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण से कुछ बूंदों को हाथों पर लेकर 15 मिनट के लिए सूजन वाली नसों पर मालिश करें। इस पर सूती कपड़ा लपेट कर रातभर के लिए छोड़ दें। इस उपाय को कुछ महीनों के लिए नियमित रूप से करे |

सेब साइडर सिरका :-

सेब साइडर सिरका वैरिकोज वेन्‍स के लिए एक अद्भुत उपचार है। यह शरीर की सफाई करने वाला प्राकृतिक उत्‍पाद है और रक्त प्रवाह और रक्‍त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है। समस्‍या होने पर सेब साइडर सिरके को लगाकर उस हिस्‍से की मालिश करें। इस उपाय को नियमित रूप से रात को बिस्‍तर पर जाने से पहले और अगले सुबह फिर से करें। कुछ दिन ऐसा करने से कुछ ही महीनों में वैरिकोज वेन्‍स का आकार कम होने लगता है। या फिर एक गिलास पानी में दो चम्‍मच सेब साइडर सिरके को मिलाकर पीये। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए इस मिश्रण का एक महीने तक दिन में दो बार सेवन करें।

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 बुचर ब्रूम :-

बुचर ब्रूम वैरिकोज वेन्‍स की असुविधा से राहत देने में बहुत ही उपयोगी होता है। इस जड़ी बूटी में रुसोगेनिन्स नामक गुण सूजन को कम करने में मदद करता है और एंटी-इफ्लेमेंटरी और एंटी-इलास्‍टेज गुण नसों की बाधा को कम करता है। यह पोषक तत्‍वों को मजबूत बनाने और नसों की सूजन को कम करने के साथ ही पैरों के रक्‍त प्रवाह में सुधार करने में मदद करते हैं। लेकिन उच्‍च रक्तचाप वाले लोग इस जड़ी-बूटी के सेवन से पहले चिकित्‍सक से परामर्श अवश्‍य ले लें।

 अखरोट : –

अखरोट के तेल में एक साफ कपड़े को डूबाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाये। ऐसा एक या दो महीने के लिए दिन में दो से तीन बार करें।

अजमोद :- (अजवायन)

एक मुठ्ठी ताजा अजमोद की एक मुठ्ठी लेकर उसे एक कप पानी में पांच मिनट के लिए उबाल लें। फिर इसे मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें। फिर इस मिश्रण में गुलाब और गेंदे की तेल की एक-एक बूंद मिला लें। अब इस मिश्रण को कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें। इस मिश्रण को कॉटन पर लगाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगायें। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए इस उपाय को कुछ महीनों तक करें।

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लाल शिमला मिर्च :-

लाल शिमला मिर्च को वैरिकोज वेन्‍स के इलाज लिए एक चमत्‍कार की तरह माना जाता है। विटामिन सी और बायोफ्लेवोनॉयड्स का समृद्ध स्रोत होने के कारण यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाने और संकुलित और सूजी हुई नसों के दर्द को आसान बनाता है। गर्म पानी में एक चम्‍मच लाल शिमला मिर्च के पाउडर को मिलाकर, इस मिश्रण का एक से दो महीने के लिए दिन में तीन बार सेवन करें।

 अर्जुन की छाल : 

अर्जुन की छाल वेरीकोस वेन्स के लिए बहुत बढ़िया दवा हैं, अगर आप इस समस्या से परेशान हैं तो आप रात को सोते समय गाय के दूध में या साधारण पानी में अर्जुन की चाल को चाय की तरह उबाले और आधा रहने पर इसको छान कर पी ले।
ये सब प्रयोग आपको एक दिन में आराम नहीं देंगे, मगर 4 से 6 महीने में चमत्कारिक परिणाम मिलेंगे।

वेरीकोस वेन्स में महत्वपूर्ण.

अगर शरीर में रक्त परिसंचरण सही रूप से हो तो यह अनेक समस्याएँ उत्पन्न नहीं होती, इसके लिए हर रोज़ सुबह शौच जाने के बाद 10 मिनट आँखे बंद करके शीर्षासन या सर्वांगासन करें… समस्या चाहे जितनी भी भयंकर हो उसमे आराम आएगा

अगर आप इस बिमारी का शिकार हो चुके हो तो घबराने की बात नहीं है | हम आपको एक ऐसा घरेलू नुस्खा बताएंगे जिससे आपके नसों तथा varicose veins की समस्या दूर हो जायेगी सिर्फ कुछ ही दिनों में |

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सामग्री- 

1 गिलास भेड का दूध
नहाने का साबुन आधा टुकड़ा 

विधि :-

पहले दूध में साबुन को पीस कर डाल दें और इस मिश्रण को प्लास्टिक कंटेनर में डाल कर फ्रिज में स्टोर करके रखें 
इस मिश्रण को दिन में तीन बार प्रभावित जगह पर रगड़ने से बहुत जल्द अच्छे नतीजे सामने आयगे |
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12.2.22

बालों के लिए बेहद फायदेमंद है नींबू और नारियल तेल//Nariyal tel aur nimbu



 आपके शरीर के अन्‍य हिस्‍सों की तरह ही आपके बालों के लिए नींबू और नारियल के तेल के फायदे होते हैं। आप अपने बालों से निश्चित ही बेहद प्‍यार करते होगें। लेकिन क्‍या आप इनकी सुरक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी चिंतित हैं। आप अपने बालों के लिए कई प्रकार के रासायनिक उत्पादों का इस्‍तेमाल करते हैं। लेकिन शायद आपको पता नहीं है कि बालों के लिए नींबू और नारियल तेल का उपयोग लाभकारी होता है।

औषधीय गुणों से भरपूर नींबू का रस और नारियल तेल का उपयोग बालों में किया जा सकता है। नियमित रूप से इस मिश्रण का उपयोग करने से बालों के विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
नारियल तेल और नींबू में मौजूद खनिज पदार्थ बालों की जड़ों को पोषण दिलाते हैं और नए बालों को उगने में मदद करते हैं। इस तरह से बालों के लिए नींबू और नारियल तेल के फायदे उनके के विकास में मदद करते हैं। इन्‍हीं गुणों के कारण बहुत सी महिलाएं इन दोनों उत्‍पादों का भरपूर उपयोग करने की सलाह देती हैं।

balon ke liye nimbu aur nariyal tel

सिर की खुजली दूर करे

बहुत से लोगों को सिर की खुजली होने की समस्‍या होती है। यह समस्‍या सिर में मौजूद गंदगी और संक्रमण के कारण हो सकती है। लेकिन ऐस‍ी स्थिति में नारियल तेल और नींबू रस के मिश्रण का उपयोग फायदेमंद होता है। इन दोनों के मिश्रण को सिर में लगाने से खुजली को शांत किया जा सकता है। इसके अलावा यह मिश्रण आपके सिर की ऊपरी त्‍वचा को मॉइस्‍चराइज भी रखता है। इस तरह से आप नींबू और नारियल तेल का उपयोग कर आप लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।

balon ke liye nimbu aur nariyal tel

डैंड्रफ दूर करे

सिर में रूसी होना बालों की एक विशष समस्‍या है। जानकारों के अनुसार बाल झड़ने का प्रमुख कारण रूसी ही होती है। इसके अलावा डैंड्रफ के कारण कई बार आपको शर्मिंदगी का अनुभव भी करना पड़ता है। लेकिन न‍ारियल तेल और नींबू का उपयोग कर आप डैंड्रफ को दूर कर सकते हैं। नारियल के तेल में शक्तिशाली एंटी-ऑक्‍सीडेंट होते हैं। इसके साथ ही ये नींबू के साइट्रिक गुणों के साथ मिलकर डैंड्रफ का इलाज कर सकते हैं। यह प्राकृतिक उपचार आपके बालों को मजबूत करता है और प्रभावी रूप से डैंड्रफ को दूर करने में मदद करता है।

बालों की चमक बढ़ाए-

कौन नहीं चाहता है कि उनके बाल सुंदर और चमकदार हों। यदि आप भी ऐसी ही इच्‍छा रखते हैं तो अपने बालों को अतिरिक्‍त पोषण दें। इसके लिए आप नारियल तेल और नींबू के रस का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इस मिश्रण का उपयोग आपके बालों को प्राकृतिक चमक दिला सकता है। इसके लिए आप अपने कंडीशनर के साथ नींबू के रस को मिलाकर अपने बालों को धुलें। इसके बाद आप नींबू और नारियल तेल के मिश्रण को अपने बालों में भी लगा सकते हैं। यह आपके बालों को पहले ज्‍यादा चमकदार बना सकता है।

बालों को मुलायम करे

ये दोनों ही घटक बालों को सुंदर और मुलायम बनाने में अहम योगदान देते हैं। नियमित रूप से अपने बालों में नारियल तेल और नींबू के रस का उपयोग इन्‍हें शिल्‍की और चमकदार बना सकता है। क्‍योंकि इन दोनों घटकों में कंडीशनिंग क्षमता उच्‍च होती हे। इस तरह से आप नारियल तेल और नींबू के रस की बराबर मात्रा का उपयोग अपने बालों में कर सकते हैं। लेकिन जिन लोगों को नींबू के रस से एलर्जी हैं उन्‍हें सावधानी से इसका उपयोग करना चाहिए।

धूप की क्षति से बचाये

अक्‍सर अधिकतर लोग धूप में चलने के दौरान बालों की सुरक्षा नहीं करते हैं। जबकि सूर्य की तेज धूप बालों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए आप अपने बालों में नियमित रूप से नींबू और नारियल तेल का उपयोग कर सकते हैं। क्‍योंकि यह सूर्य की यूवी किरणों और अधिक ताप से आपके बालों की रक्षा करने में मदद करते हैं। इस तरह से आप धूप में निकलने के पहले अपने बालों में नींबू और नारियल तेल के मिश्रण का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा विकल्‍प के रूप में आप धूप से बचने के लिए कैप आदि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

balon ke liye nimbu aur nariyal tel

बाल सफेद होने से रोकना

समय से पहले बालों को सफेद होने से रोकने के लिए आप नारियल तेल और नींबू के रस के फायदे ले सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि नारियल तेल सिर की ऊपरी सतह के अंदर तक जा कर बालों को पोषण देता है। इसके अलावा नींबू के रस में मौजूद विटामिन सी आपके बालों को सफेद या भूरा होने से रोक सकता है। इस तरह से आप अपने बालों को सफेद होने से रोकने के लिए नींबू और नारियल तेल का उपयोग कर सकते हैं।

बालों को पतला होने से बचाये

बहुत सी महिलाएं और पुरुषा पतले बालों की समस्‍या से परेशान रहते हैं। क्‍योंकि पतले बाल जरूरत से अधिक कोमल होते हैं। जिसके कारण उन्‍हें अपनी इच्‍छा अनुसार हेयर स्‍टाइल बनाने में परेशानी होती है। लेकिन नारियल तेल और नींबू के मिश्रण का उपयोग कर आप बालो को पतला होने से रोक सकते हैं। नियमित रूप से उपयोग करने पर यह आपके रोम छिद्रों को मजबूत करता है और बालों को मोटा बनाने में सहायक होता है। यदि आप भी इस प्रकार के लाभ चाहते हैं तो नींबू और नारियल तेल का उपयोग कर सकते हैं।
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11.2.22

हथेली और तलवों मे पसीना आने के उपचार:Hatheli aur talvon ke pasine upchar



सामान्यत: शरीर के कुछ खास अंगों में अधि‍क पसीना आता है लेकिन हथेली और तलवों में हर किसी को पसीना नहीं आता। अगर आपको भी हथेली और पैर के तलवों में पसीना आता है, तो यह जानकारी आपके लिए है। समान्य तापमान पर भी हथेली और तलवों में पसीना आना बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह किसी स्वास्थ्य समस्या का सूचक भी हो सकता है।  

hatheli aur talavon par paseena ke upchar  

दरअसल सामान्य या कम तापमान पर भी पसीना आना, और खास तौर से हथेली व पैर के तलवों में पसीना आने की यह समस्या हाइपरहाइड्रोसिस नामक बीमारी भी हो सकती है। कभी कभार ऐसा होना सामान्य हो सकता है, लेकिन अक्सर इस तरह से पसीना आना हाइपरहाइड्रोसिस की ओर इशारा करता है। केवल हथेली या तलवे ही नहीं पूरे शरीर में अत्यधि‍क पसीना आना भी इस समस्या को दर्शाता है।

hatheli aur talavon par paseena ke upchar  

पसीना आना भले ही शरीर से अवांछित तत्वों को बाहर निकालने की प्रक्रिया है जो त्वचा और शरीर की आंतरिक सफाई का एक हिस्सा है, लेकिन दूसरी ओर अधि‍क पसीना आना आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ भी सकता है। ज्यादा पसीना नमी पैदा करता है, और इसमें पनपने वाले बैक्टीरिया आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और कई बीमारियों को पैदा करने में महत्वपूर्ण भमिका निभाते हैं।
  हाइपरहाइड्रोसिस का इलाज सामान्यत: स्वेद ग्रंथि के ऑपरेशन द्वारा होता है लेकिन अत्यधि‍क पसीने की परेशानी को आप कुछ हद तक कम कर सकते हैं।इसके लिए आपको ऐसे कपड़ों का चुनाव करना चाहिए जो पसीने को आसानी से सोख ले और आपकी त्वचा सांस ले सके।   
इसके अलावा हथेली और के तलवों में आने वाले पसीने से बचने के लिए उन्हें खुला रखना बेहद जरूरी है। दिनभर अगर आप ऑफिस में या बाहर, मोजे और जूतों से पैक रहते हैं, तो घर पर उन्हें पूरी तरह से खुला रखें। इसके अलावा जब भी संभव हो पैरों से जूते और मोजे निकाल दें। इससे पसीना कम आएगा और बैक्टीरिया भी नहीं पनपेंगे। 

hatheli aur talavon par paseena ke upchar  

 हाथों के लिए भी खुलापन बहुत जरूरी है और इसमें लगातार हवा लगती रहे इस बात का भी ध्यान रखें। हाथों को हमेशा साफ रखें और शरीर की सफाई का भी विशेष ध्यान रखें।
प्रतिदिन नहाएं और त्वचा को अच्छी तरह से पोंछकर साफ करें, इसके बाद डिओ या अन्य उत्पादों का प्रयोग करें। हो सके तो नहाने के पानी में एंटी बैक्टीरियल लिक्विड की कुछ बूंदे डाल दें।
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गांठ गलाने के रामबाण देसी उपचार:gaanth galne ke upchar

 

शरीर के किसी भी हिस्से में उठने वाली कोई भी गठान या रसौली एक असामान्य लक्षण है जिसे गंभीरता से लेना आवश्यक है। ये गठानें पस या टीबी से लेकर कैंसर तक किसी भी बीमारी की सूचक हो सकती हैं। गठान अथवा ठीक नहीं होने वाला छाला व असामान्य आंतरिक या बाह्य रक्तस्राव कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ज़रूरी नहीं कि शरीर में उठने वाली हर गठान कैंसर ही हो।अधिकांशतः कैंसर रहित गठानें किसी उपचार योग्य साधारण बीमारी की वजह से ही होती हैं लेकिन फिर भी इस बारे में सावधानी बरतनी चाहिए। इस प्रकार की किसी भी गठान की जाँच अत्यंत आवश्यक है ताकि समय रहते निदान और इलाज शुरू हो सके।

चूँकि लगभग सारी गठानें शुरू से वेदना हीन होती हैं इसलिए अधिकांश व्यक्ति नासमझी या ऑपरेशन के डर से डॉक्टर के पास नहीं जाते। साधारण गठानें भले ही कैंसर की न हों लेकिन इनका भी इलाज आवश्यक होता है। उपचार के अभाव में ये असाध्य रूप ले लेती हैं, परिणाम स्वरूप उनका उपचार लंबा और जटिल हो जाता है।कैंसर की गठानों का तो शुरुआती अवस्था में इलाज होना और भी ज़रूरी होता है। कैंसर का शुरुआती दौर में ही इलाज हो जाए तो मरीज के पूरी तरह ठीक होने की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।

आपके शरीर मे कहीं पर भी किसी भी किस्म की गांठ हो। उसके लिए है ये चिकित्सा चाहे किसी भी कारण से हो सफल जरूर होती है। कैंसर मे भी लाभदायक है।
आप ये दो औषधि पंसारी या आयुर्वेद दवा की दुकान से लेले

कचनार की छाल और गोरखमुंडी : वैसे यह दोनों जड़ी बूटी बेचने वाले से मिल जाती हैं पर यदि कचनार की छाल ताजी ले तो अधिक लाभदायक है। कचनार का पेड़ हर जगह आसानी से मिल जाता है।

gaanth galane ke upachar

कचनार इसकी सबसे बड़ी पहचान है – सिरे पर से काटा हुआ पत्ता। इसकी शाखा की छाल ले। तने की न ले। उस शाखा (टहनी) की छाल ले जो 1 इंच से 2 इंच तक मोटी हो। बहुत पतली या मोटी टहनी की छाल न ले। गोरखमुंडी का पौधा आसानी से नहीं मिलता इसलिए इसे जड़ी बूटी बेचने वाले से खरीदे।कैसे प्रयोग करे ?>कचनार की ताजी छाल 25-30 ग्राम (सुखी छाल 15 ग्राम ) को मोटा मोटा कूट ले। 1 गिलास पानी मे उबाले। जब 2 मिनट उबल जाए तब इसमे 1 चम्मच गोरखमुंडी (मोटी कुटी या पीसी हुई ) डाले। इसे 1 मिनट तक उबलने दे। छान ले। हल्का गरम रह जाए तब पी ले। ध्यान दे यह कड़वा है परंतु चमत्कारी है।

गांठ कैसी ही हो, प्रोस्टेट बढ़ी हुई हो, जांघ के पास की गांठ हो, काँख की गांठ हो गले के बाहर की गांठ हो , गर्भाशय की गांठ हो, स्त्री पुरुष के स्तनो मे गांठ हो या टॉन्सिल हो, गले मे थायराइड ग्लैण्ड बढ़ गई हो (Goiter) या LIPOMA (फैट की गांठ ) हो लाभ जरूर करती है। कभी भी असफल नहीं होती। अधिक लाभ के लिए दिन मे 2 बार ले। लंबे समय तक लेने से ही लाभ होगा। 20-25 दिन तक कोई लाभ नहीं होगा निराश होकर बीच मे न छोड़े।

gaanth galane ke upachar

गाँठ को घोलने में कचनार पेड़ की छाल बहुत अच्छा काम करती है. आयुर्वेद में कांचनार गुग्गुल इसी मक़सद के लिये दी जाती है जबकि ऐलोपैथी में ओप्रेशन के सिवाय कोई और चारा नहीं है।

आकड़े के दूध में मिट्टी भिगोकर लेप करने से तथा निर्गुण्डी के 20 से 50 मि.ली. काढ़े में 1 से 5 मि.ली अरण्डी का तेल डालकर पीने से लाभ होता है।

गेहूँ के आटे में पापड़खार तथा पानी डालकर पुल्टिस बनाकर लगाने से न पकने वाली गाँठ पककर फूट जाती है तथा दर्द कम हो जाता है।
फोडा-फुन्सी होने पर

अरण्डी के बीजों की गिरी को पीसकर उसकी पुल्टिस बाँधने से अथवा आम की गुठली या नीम या अनार के पत्तों को पानी में पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी में लाभ होता है।

एक चुटकी कालेजीरे को मक्खन के साथ निगलने से या 1 से 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से तथा त्रिफला के पानी से घाव धोने से लाभ होता है।

सुहागे को पीसकर लगाने से रक्त बहना तुरंत बंद होता है तथा घाव शीघ्र भरता है।

gaanth galane ke upachar
फोड़े से मवाद बहने पर

अरण्डी के तेल में आम के पत्तों की राख मिलाकर लगाने से लाभ होता है।

थूहर के पत्तों पर अरण्डी का तेल लगाकर गर्म करके फोड़े पर उल्टा लगायें। इससे सब मवाद निकल जायेगा। घाव को भरने के लिए दो-तीन दिन सीधा लगायें।

पीठ का फोड़ा होने पर गेहूँ के आटे में नमक तथा पानी डालकर गर्म करके पुल्टिस बनाकर लगाने से फोड़ा पककर फूट जाता है।
गण्डमाला की गाँठें (GOITRE)

गले में दूषित हुआ वात, कफ और मेद गले के पीछे की नसों में रहकर क्रम से धीरे-धीरे अपने-अपने लक्षणों से युक्त ऐसी गाँठें उत्पन्न करते हैं जिन्हें गण्डमाला कहा जाता है।

मेद और कफ से बगल, कन्धे, गर्दन, गले एवं जाँघों के मूल में छोटे-छोटे बेर जैसी अथवा बड़े बेर जैसी बहुत-सी गाँठें जो बहुत दिनों में धीरे-धीरे पकती हैं उन गाँठों की हारमाला को गंडमाला कहते हैं और ऐसी गाँठें कंठ पर होने से कंठमाला कही जाती है।

क्रौंच के बीज को घिस कर दो तीन बार लेप करने तथा गोरखमुण्डी के पत्तों का आठ-आठ तोला रस रोज पीने से गण्डमाला (कंठमाला) में लाभ होता है। तथा कफवर्धक पदार्थ न खायें।
काँखफोड़ा (बगल मे होने वाला फोड़ा)

कुचले को पानी में बारीक पीसकर थोड़ा गर्म करके उसका लेप करने से या अरण्डी का तेल लगाने से या गुड़, गुग्गल और राई का चूर्ण समान मात्रा में लेकर, पीसकर, थोड़ा पानी मिलाकर, गर्म करके लगाने से काँखफोड़े में लाभ होता है।

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गुदा के रोगों की होम्योपैथिक चिकित्सा:Guda ke rog

 


भगन्दर गुद प्रदेश में होने वाला एक नालव्रण है जो भगन्दर पीड़िका  से उत्पन होता है। इसे इंग्लिश में फिस्टुला (Fistula-in-Ano) कहते है। यह गुद प्रदेश की त्वचा और आंत्र की पेशी के बीच एक संक्रमित सुरंग का निर्माण करता है जिस में से मवाद का स्राव होता रहता है। यह बवासीर से पीड़ित लोगों में अधिक पाया जाता है। 

मलद्वार एवं गुदा से संबंधित बीमारियां कोई असाधारण बीमारियां नहीं हैं। हर तीसरा या चौथा व्यक्ति चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, किसी-न-किसी रूप में इन बीमारियों से पीड़ित पाया जाता है।

बवासीर : 

मलद्वार के अन्दर अथवा बाहर हीमोरायडल नसों के अनावश्यक फैलाव की वजह से ही बवासीर होता है।

बवासीर का कारण

कब्ज बने रहने, पाखाने के लिए अत्यधिक जोर लगाने एवं अधिक देर तक पाखाने के लिए बैठे रहने के कारण नसों पर दबाव पड़ता है एवं खिंचाव उत्पन्न हो जाता है, जो अन्तत: रोग की उत्पत्ति का कारण बनता है।
गुदा में खुजली महसूस होना, कई बार मस्से जैसा मांसल भाग गुदा के बाहर आ जाता है। कभी-कभी बवासीर में दर्द नहीं होता, किन्तु बहुधा कष्टप्रद होते हैं। मलत्याग के बाद कुछ बूंदें साफ एवं ताजे रक्त की टपक जाती हैं। कई रोगियों में मांसल भाग के बाहर निकल आने से गुदाद्वार लगभग बंद हो जाता है।  ऐसे रोगियों में मलत्याग अत्यंत कष्टप्रद होता है।

बवासीर का लक्षण

भगन्दर : 


गुदा की पिछली भित्ति पर उथला घाव बन जाता है। दस प्रतिशत रोगियों में अगली भिति पर बन सकता है अर्थात् गुदाद्वार से लेकर थोड़ा ऊपर तक एक लम्बा घाव बन जाता है। यदि यही घाव और गहरा हो जाए एवं आर-पार खुल जाए, तो इसे ‘फिस्चुला’ कहते हैं। इस स्थिति में घाव से मवाद भी रिसने लगता है।

भगन्दर का लक्षण

अक्सर स्त्रियों में यह बीमारी अधिक पाई जाती है। वह भी युवा स्त्रियों में अधिक। इस बीमारी का मुख्य लक्षण है ‘दर्द’ मल त्याग करते समय यह पीड़ा अधिकतम होती है। दर्द की तीक्ष्णता की वजह से मरीज पाखाना जाने से घबराता है। यदि पाखाना सख्त होता है या कब्ज रहती है, तो दर्द अधिकतम होता है। कई बार पाखाने के साथ खून आता है और यह खून बवासीर के खून से भिन्न होता है। इसमें खून की एक लकीर बन जाती है, पाखाने के ऊपर तथा मलद्वार में तीव्र पीड़ा का अनुभव होता है।
भगन्दर की स्थिति अत्यंत तीक्ष्ण दर्द वाली होती है। इस स्थिति में प्राय: ‘प्राक्टोस्कोप’ से जांच नहीं करते। यदि किसी कारणवश प्राक्टोस्कोप का इस्तेमाल करना ही पड़े, तो मलद्वार को जाइलोकेन जेली लगाकर सुन कर देते हैं।
जांच के दौरान मरीज को जांच वाली टेबल पर करवट के बल लिटा देते हैं। नीचे की टांग सीधी व ऊपर की टांग को पेट से लगाकर लेटना होता है। मरीज को लम्बी सांस लेने को कहा जाता है। उंगली से जांच करते समय दस्ताने पहनना आवश्यक है। ‘प्राक्टोस्कोप’ से जांच के दौरान पहले यंत्र पर कोई चिकना पदार्थ लगा लेते हैं।

भगन्दर रोग की पहिचान 

बार-बार गुदा के पास फोड़े का निर्माण होता
मवाद का स्राव होना
मल त्याग करते समय दर्द होना
मलद्वार से खून का स्राव होना
मलद्वार के आसपास जलन होना
मलद्वार के आसपास सूजन
मलद्वार के आसपास दर्द
खूनी या दुर्गंधयुक्त स्राव निकलना
थकान महसूस होना
इन्फेक्शन (संक्रमण) के कारण बुखार होना और ठंड लगनाबचाव
कब्ज नहीं रहनी चाहिए, पाखाना करते समय अधिक जोर नहीं लगाना चाहिए।

Guda ke rog ke upachar

उपचार

आधुनिक चिकित्सा पद्धति में बवासीर का इलाज आपरेशन एवं भगन्दर का इलाज यंत्रों द्वारा गुदाद्वार को चौड़ा करना है। होमियोपैथिक औषधियों का इन बीमारियों पर चमत्कारिक प्रभाव होता है।
‘एलो’, ‘एसिड नाइट्रिक’, ‘एस्कुलस’, ‘कोलोसिंथर’, ‘हेमेमिलिस’, ‘नवसवोमिका’, ‘सल्फर’, ‘थूजा’, ‘ग्रेफाइटिस’, ‘पेट्रोलियम’, ‘फ्लोरिक एसिड’, ‘साइलेशिया’, औषधियां हैं। कुछ प्रमुख दवाएं इस प्रकार हैं –

एलो : 

मलाशय में लगातार नीचे की ओर दबाव, खून जाना, दर्द, ठंडे पानी से धोने पर आराम मिलना, स्फिक्टर एनाई नामक मांसपेशी का शिथिल हो जाना, हवा खारिज करते समय पाखाने के निकलने का अहसास होना, मलत्याग के बाद मलाशय में दर्द, गुदा में जलन, कब्ज रहना, पाखाने के बाद म्यूकस स्राव, अंगूर के गुच्छे की शक्ल के बाहर को निकले हुए बवासीर के मस्से आदि लक्षण मिलने पर 6 एवं 30 शक्ति की कुछ खुराक लेना ही फायदेमंद रहता है।

Guda ke rog ke upachar

एस्कुलस : 


गुदा में दर्द, ऐसा प्रतीत होना, जैसे मलाशय में छोटी-छोटी डंडिया भरी हों, जलन, मलत्याग के बाद अधिक दर्द, कांच निकलना, बवासीर, कमर में दर्द रहना, खून आना, कब्ज रहना, मलाशय की श्लेष्मा झिल्ली की सूजन आदि लक्षणों पर, खड़े होने से, चलने से परेशानी बढ़ती हो, 30 शक्ति में दवा लेनी चाहिए।

साइलेशिया :

 मलाशय चेतनाशून्य महसूस होना, भगन्दर, बवासीर, दर्द, ऐंठन, अत्यधिक जोर लगाने पर थोड़ा-सा पाखाना बाहर निकलता है, किन्तु पुन:अंदर मलाशय में चढ़ जाता है, स्त्रियों में हमेशा माहवारी के पहले कब्ज हो जाती है। फिस्चुला बन जाता है, मवाद आने लगता है, पानी से दर्द बढ़ जाता है। गर्मी में आराम मिलने पर साइलेशिया 6 से 30 शक्ति में लेनी चाहिए।
दवाओं के साथ-साथ खान-पान पर भी उचित ध्यान देना आवश्यक है। गर्म वस्तुएं, तली वस्तुएं, खट्टी वस्तुएं नहीं खानी चाहिए। पानी अधिक पीना चाहिए। रेशेदार वस्तुएं – जैसे दलिया, फल – जैसे पपीता आदि का प्रयोग अधिक करना चाहिए।

कोलिन्सोनिया : 

महिलाओं के लिए विशेष उपयुक्त। गर्भावस्था में मस्से हों, योनिमार्ग में खुजली, प्रकृति ठण्डी हो, कब्ज रहे, गुदा सूखी व कठोर हो, खांसी चले, दिल की धड़कन अधिक हो।

Guda ke rog ke upachar

हेमेमिलिस : 

नसों का खिंचाव, खून आना, गुदा में ऐसा महसूस होना जैसे चोट लगी हो, गंदा रक्त टपकना, गुदा में दर्द, गर्मी में परेशानी बढ़ना, रक्तस्राव के बाद अत्यधिक कमजोरी महसूस करना आदि लक्षणों के आधार पर 30 शक्ति की दवा कारगर है|

एसिड नाइट्रिक :

 कब्ज रहना, अत्यधिक जोर लगाने पर थोड़ा-सा पाखाना होना, मलाशय में ऐसा महसूस होना, जैसे फट गया हो, मलत्याग के दौरान तीक्ष्ण दर्द, मलत्याग के बाद अत्यधिक बेचैन करने वाला दर्द, जलन काफी देर तक रहती है। चिड़चिड़ापन, मलत्याग के बाद कमजोरी, बवासीर में खून आना, ठंड एवं गर्म दोनों ही मौसम में परेशानी महसूस करना एवं किसी कार आदि में सफर करने पर आराम मालूम देना आदि लक्षणों के आधार पर 30 शक्ति एवं 6 शक्ति की दवा उपयोगी है।

थूजा : 


सख्त कब्ज, बड़े-बड़े सूखे मस्से, मल उंगली से निकालना पड़े, प्यास अधिक, भूख कम, मस्सों में तीव्र वेदना जो बैठने से बढ़ जाए, मूत्र विकार, प्रकृति ठण्डी, प्याज से परहेज करे, अधिक चाय पीने से रोग बढ़े, तो यह दवा लाभप्रद। बवासीर की श्रेष्ठ दवा।

Guda ke rog ke upachar


रैटेन्हिया : 


मलद्वार में दर्द व भारीपन, हर वक्त ऐसा अहसास जैसे कटा हो, 6 अथवा 30 शक्ति में लें।
नक्सवोमिका : प्रकृति ठण्डी, तेज मिर्च-मसालों में रुचि, शराब का सेवन, क्रोधी स्वभाव, दस्त के बाद आराम मालूम देना, मल के साथ खून आना, पाचन शक्ति मन्द होना।


सल्फर : 

भयंकर जलन, खूनी व सूखे मस्से, प्रात: दर्द की अधिकता, पैर के तलवों में जलन, खड़े होने पर बेचैनी, त्वचा रोग रहे, भूख सहन न हो, रात को पैर रजाई से बाहर रखे, मैला-कुचैला रहे।

लगाने की दवा :


 बायोकेमिक दवा ‘कैल्केरिया फ्लोर’ 1 × शक्ति में पाउडर लेकर नारियल के तेल में इतनी मात्रा में मिलाएं कि मलहम बन जाए। इस मलहम को शौच जाने से पहले व बाद में और रात को सोते समय उंगली से गुदा में अन्दर तक व गुदा मुख पर लगाने से दर्द और जलन में आराम होता है। ‘केलेण्डुला आइंटमेंट’ से भी आराम मिलता है। लगाने के लिए ‘हेमेमिलिस’ एवं ‘एस्कुलस आइंटमेंट’ (मलहम) भी शौच जाने के बाद एवं रात में सोते समय, मलद्वार पर बाहर एवं थोड़ा-सा अंदर तक उंगली से लगा लेना चाहिए। बवासीर, भगन्दर के रोगियों के लिए ‘हॉट सिट्जबाथ’ अत्यधिक फायदेमंद रहता है। इसमें एक टब में कुनकुना पानी करके उसमें बिलकुल नंगा होकर इस प्रकार बैठना चाहिए कि मलद्वार पर पानी का गर्म सेंक बना रहे। 15-20 मिनट तक रोजाना 10-15 दिन ऐसा करने पर आशाजनक लाभ मिलता है।
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10.2.22

ब्राह्मी गोटुकोला मंडूकपर्णी के आयुर्वेदिक फायदे:Brahmi ke fayde



भारत में सदियों से जड़ी बूटियों का उपयोग होता आ रहा है। शरीर से जुड़ी हर छोटी-बड़ी परेशानियों से बचाव व इनके लक्षण कम करने में ये प्राकृतिक औषधियां सक्षम मानी जाती हैं। इन्हीं जड़ी-बूटियों में एक गोटू कोला यानी मण्डूकपर्णी भी है। कम ही लोग इसके नाम को जानते हैं, लेकिन गोटू कोला के फायदे अनेक हैं।

गोटू कोला एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे ब्राह्मी बूटी या मण्डूकपर्णी और अंग्रेजी में Centella asiatica कहां जाता है। इस जड़ी बूटी को बहुत सारे कामों के लिए उपयोग किया जाता है। जिस वजह से आज के इस लेख में हम आपको गोटू कोला के फायदे, नुकसान और उपयोग के बारे में सभी महत्वपूर्ण और जरूरी जानकारी आपको प्रदान करने वाले हैं।
  गोटू कोला खाने में थोड़ा कड़वा लगता है। लेकिन हर दिन इसके 1 पत्ते को सुबह-सुबह खाने से हमारे शरीर में अनेक फायदे पहुंचते हैं। जिस वजह से कोंकण प्रदेश के लोग इसे आज भी सेवन करते हैं। खास तौर पर गोटू कोला का उपयोग दिमाग की शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है और आयुर्वेद के ग्रंथों में भी इसका उल्लेख किया गया है। आजकल के लोगो के लिए गोटूकोला का सेवन करना जरूरी हो गया है। क्योंकि इससे सभी मानसिक बीमारी ठीक हो सकती है।

brahmi ke upyog 

  दिमाग तेज होता है

  गोटू कोला के सेवन से ऑक्सीडेटिव तनाव कम होता है। साथ ही दिमाग तेज होता है। अगर शार्प मेमोरी की इच्छा है, तो अपनी डाइट में गोटू कोला को जरूर शामिल करें। रक्त चाप नियंत्रित रहता है एक शोध में खुलासा हुआ है कि गोटू कोला के सेवन से रक्त चाप नियंत्रित रहता है। इसमें टोटल फेनोलिक कंटेंट पाया जाता है जो रक्त चाप को कंट्रोल करने में सहायक होते हैं। त्वचा के लिए भी गुणकारी है गोटू कोला में पानी अधिक मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से शरीर हायड्रेट रहता है। जबकि त्वचा में नमी बनी रहती है। साथ ही त्वचा संबंधी परेशानियों से निजात मिलता है।
  गोटू कोला के फायदे को कई बार एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी देखे जाता है। ये एंटीऑक्सीडेंट फ्री-रेडिकल्स के प्रभाव को कम करते हैं, जिसकी वजह से सोचने की शक्ति अधिक बढ़ जाती है। इसके अलावा कई जानकार लोगों का ये भी मानना है कि गोटू कोला की मदद से स्ट्रेच मार्क्स की परेशानी को भी आसानी से दूर किया जा सकता है। ऐसे में आप इन समस्यों से कुछ अधिक ही परेशान रहती हैं, तो आप इस पौधे का इस्तेमाल कर सकती हैं।

brahmi ke upyog 

घाव भरता है 2012 की एक शोध के अनुसार, गोटू कोला के सेवन से घाव जल्दी भर देता है। चूहों पर किए गए शोध में पाया गया है कि गोटू कोला घाव को भरने में सक्षम है। इसमें विटामिन-बी, सी, फ्लेवोनॉयड्स, टैनिन और पॉलीफिनोल पाए जाते हैं।

 घाव को भरने के लिए 

  प्राचीन काल से घाव को भरने के लिए कई जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इन्हीं औषधि में से एक है गोटू कोला। इस पौधे में ऐसे कई गुण मौजूद होते हैं, जो घाव प्रभावित क्षेत्र पर अन्य सेल्स का उत्पादन करते हैं और घाव को तुरंत भर देते हैं। इससे निर्मित जेल या घाव क्रीम लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं। इसमें मौजूद प्राकृतिक गुण शरीर में मौजूद कोलेजन को बढ़ाने में मदद करते हैं और इसी कोलेजन की वजह से घाव जल्दी ही भर जाते हैं।

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कैंसर का करे इलाज

  गोटू कोला के सेवन से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का भी इलाज किया जा सकता है। इसमें मौजूद औषधीय गुण कैंसर के प्रभाव को कम करने में असरकारी होते हैं। दरअसल, गोटू कोला एंटीप्रोलिफेरेटिव का स्वरूप माना जाता है। यह हमारे शरीर में मौजूद ट्यूमर कोशिकाओं को नष्‍ट करने और उसके विकास को धीमा करने में मददगार साबित हो सकता है। कई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि गोटू कोला का सेवन करने से कैंसर की कोशिकाओं का विकास कम किया जा सकता है।इस औषधी के विशेष स्‍वास्‍थ्‍य लाभों में कैंसर उपचार भी शामिल है। गोटू कोला के औषधीय गुण कैंसर के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। गोटू कोला को एंटीप्रोलिफेरेटिव  के रूप में जाना जाता है। यह कुछ प्रकार के मानव ट्यूमर कोशिकाओं को नष्‍ट करने और उनके विकास को धीमा करने में मदद करता है। कुछ अध्‍ययन बताते हैं कि गोटूकोला का उपभोग करने पर यह स्‍तन कैंसर की कोशिकाओं के विकास को कम कर सकता है। इस तरह से मण्‍डूकपर्णी मावन जीवन के लिए एक विशेष औषधी मानी जाती है।

गैस्ट्रिक प्रॉब्लम को करें दूर

  आजकल के बदलते लाइफस्टाइल और गलत खानपान की वजह से लगभग हर कोई गैस्ट्रिक प्रॉब्लम से परेशान रहता है। गलत खानपान की वजह से पाचन क्रिया की भी परेशानी होती है। ऐसे में गोटू कोला पौधा आपके लिए बेस्ट उपचार हो सकता है। गोटू कोला का अर्क गैस्ट्रिक म्यूकोसा बैरियर को मजबूत रखता है, जिसके कारण गैस्ट्रिक की समस्या नहीं होती है। इसके सेवन से पेट भी साफ रहता है और पेट सूजन की परेशानी भी आसानी से दूर हो जाती है।

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चिंता और अवसाद करता है कम

  आज के समय में लगभग हर दस इंसान में से दो से तीन इंसान किसी न किसी वजह से चिंता और अवसाद के कारण ज़रूर परेशान रहते हैं। इस लिस्ट में महिलाएं भी शामिल है। अगर आप भी घर के कम, ऑफिस के काम आदि की समस्या से हमेशा ही चिंता में रहती हैं, तो ये पौधा आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। कहा जाता है कि इस पौधे के अर्क में मौजूद गुण अचानक डर जाना या घबरा जाना आदि की समस्या के लिए भी बेस्ट हो सकता है। इसे इटिंग डिसऑर्डर की परेशानी को दूर करने के लिए बेस्ट माना जाता ह

अनिद्रा करे दूर

  अगर आप अनिद्रा की परेशानी से जूझ रहे हैं, तो आपके लिए गोटू कोला असरकारी साबित हो सकता है। इसके सेवन से आप मन और दिमाग को शांत कर सकते हैं। मन और दिमाग शांत रहने से आपको नींद काफी अच्छी आती है। डॉक्टर राहुल चतुर्वेदी बताते हैं कि अनिद्रा की शिकायत होने पर लोगों को नियमित रूप से 3 ग्राम गोटू कोला पाउडर का सेवन करने की सलाह दी जाती है। सप्ताह में गर्म दूध के साथ लगातार इसका सेवन करने से अनिद्रा की परेशानी दूर रहेगी।

दिमाग को रखता है सुरक्षित


  गोटू कोला के फायदे को कई बार एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी देखे जाता है। ये एंटीऑक्सीडेंट फ्री-रेडिकल्स के प्रभाव को कम करते हैं, जिसकी वजह से सोचने की शक्ति अधिक बढ़ जाती है। इसके अलावा कई जानकार लोगों का ये भी मानना है कि गोटू कोला की मदद से स्ट्रेच मार्क्स की परेशानी को भी आसानी से दूर किया जा सकता है। ऐसे में आप इन समस्यों से कुछ अधिक ही परेशान रहती हैं, तो आप इस पौधे का इस्तेमाल कर सकती हैं।

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अल्जाइमर रोगियों के लिए लाभकारी

  अल्जाइमर एक मानसिक बीमारी है, जो अधिकतर बुजुर्गों में देखी गई है। गोटू कोला के सेवन से अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बड़ी मानसिक बीमारी को कंट्रोल कर सकते हैं। दरअसल, इसमें न्‍यूरोप्रोटेक्टिव गुण पाया जाता है, जो बुजुर्गों में अल्‍जाइमर के प्रभाव को कम करने में मददगार होता है। अल्जाइमर से जूझ रहे लोगों को डॉक्टर की सलाहनुसार गोटूकोला का सेवन करना चाहिए, यह उनके लिए काफी असरकारी साबित हो सकता है।

सूजन को करे कम

  शरीर में होने वाले पुराने से पुराने दर्द और सूजन को दूर करने में गोटू कोला काफी फायदेमंद होता है। दरअसल, गोटू कोला में एशियाटिक एसिड और मेडेकैसिक एसिड (Asiatic acid and madecassic acid) की प्रचुरता होती है, जो शरीर में बैक्‍टीरिया को फैलने नहीं देता है। साथ ही इससे शरीर में फैलने वाले संक्रमण को रोका जा सकता है। गोटू कोला के सेवन से आप कोशिकाओं में मौजूद वायरस आईएल-1बीटा, टीएनएफ-अल्‍फा और आईएल-6 को रोक सकते हैं।

बालों के लिए लाभकारी

  गोटू कोला एक आयुर्वेदिक औषधी है, जो बालों पोषक तत्व प्रदान करता है। इसके सेवन से आप झड़ते बालों की परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं। कई रिसर्च में इस बात को साबित किया जा चुका है कि गोटू कोला का इस्तेमाल करने से बालों की लंबाई तेजी से बढ़ती है। इसके साथ ही यह आपकी स्किन के लिए भी काफी लाभकारी होता है।
गोटू कोला के अन्य लाभ
इम्यूनिटी करे बूस्ट
उच्‍च रक्‍तचाप से छुटकारा दिलाने में है सहायक
गठिया की परेशानी में लाभकारी
रक्‍त रोग से दिलाए मुक्ति
संक्रामक दिल की विफलता
मूत्र मार्ग में होने वाली परेशानी से राहत

गोटू कोला के नुकसान

  गोटू कोला के सेवन से आपको कई फायदे हो सकते हैं। अधिकतर लोगों के लिए यह लाभकारी होता है। लेकिन कुछ संवेदनशील लोगों के लिए इसके नुकसान भी हो सकते हैं। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गोटू कोला के सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। इसके अधिक सेवन से आपको निम्न नुकसान भी हो सकते हैं-
सिरदर्द
नींद की कमी
चक्‍कर आना
त्‍वचा में जलन या चकते आना
उल्‍टी आना आदि।
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