27.12.21

सितोपलादि चूर्ण के फायदे:Sitopaladi churn

 


सितोपलादि चूर्ण क्षय (TB), खांसी, जीर्णज्वर (पुराना बुखार), धातुगत ज्वर, मंदाग्नि , अरुचि , प्रमेह, छाती मे जलन, पित्तविकार, खांसी मे कफ के साथ खून आना, बालको की निर्बलता, रात्री मे बुखार आना, नेत्रो (आंखो) मे उष्णता (गरमी) तथा गले मे जलन आदि विकारो को दूर करता है। सगर्भा स्त्रियो को 3-4 मास तक सितोपलादि चूर्ण sitopaladi churna  का सेवन कराने से गर्भ पुष्ट और तेजस्वी बनता है।

 राज्यक्षमा (TB) की प्रथम अवस्थामे श्वास प्रणालिका और फुफ्फुसों के भीतर रहे हुए वायुकोषो मे क्षय किटाणुओ के विष प्रकोप से शुष्कता (सूखापन) आजाती है। उस अवस्था मे यदि बुखार को शमन करने के लिये क्वीनाइन आदि उग्र औषधियो का, या त्रिक्टु, चित्रकमूल आदि अग्निप्रदीपन औषधियोका सेवन प्रधानरूप से या विशेष रूप से किया जाय, तो फुफ्फुस संस्थान मे शुष्कता की वृद्धि होती है। फिर शुष्क कास (सुखी खांसी) अति बढ़ जाती है और किसी-किसी रोगी को रक्त मिश्रित थूक आता रहता है। दिनमे शांति नहीं मिलती और रात्री को पूरी निंद्रा भी नहीं मिलती। व्याकुलता बनी रहती है। अग्निमांद्य, शारीरिक निर्बलता, मलावरोध (कब्ज), मूत्र मे पीलापन, शुष्क कास का वेग चलने पर बार-बार पसीना आते रहना, नेत्र मे जलन होते रहना आदि लक्षण प्रतीत होते है। एसी अवस्था मे अभ्रक आदि उत्तेजक औषधि से लाभ नहीं मिलता, किन्तु कष्ट और भी बढ़ जाता है। शामक औषधि के सेवन की ही आवश्यकता रहती है। अतः यह सितोपलादि चूर्ण अमृतके सद्रश उपकार दर्शाता है।
 मात्रा 2-2 ग्राम गौधृत (गायका घी) और शहद के साथ मिलाकर दिनमे 4 समय देते रहना चाहिये। मुक्तापिष्टि या प्रवालपिष्टि साथ मे मिला दी जाय तो लाभ सत्वर मिलता है।

सूचना: 

 याद रखे घी और शहद कभी समान-मात्रा मे न ले। समान-मात्रा मे लेने से विष के समान बन जाता है। या तो शहद को घी से कम ले या घी को शहद से कम ले।
 ज्वर जीर्ण होने पर शरीर निर्बल बन जाता है, फिर थोड़ा परिश्रम भी सहन नहीं होता; आहार विहार मे थोड़ा अंतर होने पर भी ज्वर बढ़ जाता है। शरीर मे मंद-मंद ज्वर बना रहता है या रात्री को ज्वर आ जाता है और सुखी खांसी भी चलती रहती है। उन रोगियो को प्रवालपिष्टि और सितोपलादि चूर्ण sitopaladi churna शहद मिलाकर दिन मे 3 समय देते रहने से थोड़े ही दिनो मे खांसी शांत हो जाती है, ज्वर विष का पचन हो जाता है और रस, रक्त आदि धातुए पुष्ट बनकर ज्वर का निवारण हो जाता है।
 माता निर्बल होने पर संतान निर्बल रह जाती है। उनकी हड्डीयां बहुत कमजोर होती है। ऐसे शिशुओ को प्रवाल और सितोपलादि चूर्ण का मिश्रण 1 से 2 रत्ती (125 से 250 mg) दिनमे 2 समय लंबे समय तक देते रहने से बालक पुष्ट बन जाता है। यह उपचार प्रथम वर्ष मे ही कर लिया जाय तो लाभ अधिक मिलता है।
 कितने ही मनुस्यों की निर्बलता से उनकी संतान निर्बल होती है। ऐसी संतान की माताओ को सगर्भावस्था मे अभ्रक-प्रवालसह सितोपलादि का सेवन 5-7 मास तक कराया जाय, तो संतान बलवान, तेजस्वी और बुद्धिमान बनती है। इससे गर्भिणी और गर्भ दोनों पुष्ट बन जाते है, शरीर मे स्फूर्ति रहती है और मन भी प्रसन्न रहता है।
कोई रोग की वजह से अथवा अधिक गरम-गरम मसाला, अधिक गरम चाय आदि अथवा आमाशय पित्त (Gastric Juice)की वृद्धि करने वाले लवण भास्कर आदि चूर्णोका सेवन होने पर आमाशयस्थ पित्त की वृद्धि हो जाती है या पित्त तीव्र बन जाता है अर्थात लवणाम्ल की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे छाती और गलेमे जलन, मुह मे छाले, खट्टी-खट्टी डकारे आते रहना आदि लक्षण प्रतीत होते है, आहार का योग्य पचन नहीं होता और अरुचि भी बनी रहती है। इन रोगियो को प्रवाल भस्म या वराटिका भस्म और सितोपलादि चूर्ण का सेवन कराने से थोड़े ही दिनों मे अम्लपित्त के लक्षण और अरुचि दूर होकर अग्नि प्रदीप्त हो जाती है।
आमाशय  पित्त (Gastric Juice) तीव्र बनने के कारण पचन क्रिया मंद हो जाती है। इसका उपचार शीघ्र न किया जाय तो किसी किसि को विदग्धाजीर्ण (अजीर्णका एक प्रकार है) हो जाता है। पेसाब का वर्ण अति पीला भासता है। सर्वांग मे दाह (पूरे शरीरमे जलन), तृषा (प्यास), मूत्रके परिमाणमे कमी, मूत्रस्त्राव अधिक बार होना, देह (शरीर) शुष्क (सूखा) हो जाना, चक्कर आते रहना आदि लक्षण उपस्थि होते है। इस अवस्था मे मुख्य औषधि चन्द्रकला रस के साथ साथ आमाशय पित्त की शुद्धि करने के लिये सितोपलादि चूर्णका सेवन कराया जाय तो जल्दी लाभ पहुंचता है।
 जीर्णज्वर (पुराना बुखार) या प्रकुपित हुआ ज्वर दिर्धकाल पर्यन्त रह जाने पर शरीर अशक्त बन जाता है और मस्तिष्क मे उष्णता आ जाती है। जिससे सहनशीलता कम हो जाती है, थोड़ीसी प्रतिकूलता होने या विचार विरुद्ध होने पर अति क्रोध आ जाता है। यकृत (Liver) निर्बल हो जाता है। मलावरोध (Constipation) रहता है और मल मे दुर्गंध आती है, एवं पांडुता (शरीर मे पीलापन), ह्रदय मे धड़कन और अति निर्बलता आदि लक्षण उपस्थित होते है। ऐसे रोगियोको सितोपलादि चूर्ण sitopaladi churna खमीरेगावजवा के साथ कुच्छ दिनों तक देते रहने पर सब लक्षणोसह पित्तप्रकोप दूर होकर शरीर बलवान बन जाता है।
मात्रा: 2 से 4 ग्राम दिनमे 2 बार घी और शहद के साथ। कफ प्रधान रोगो मे घी से शहद दूना (Double) ले। वात और पित्त प्रधान रोगो मे घी मे शहद आधा मिलावे। घी पहले मिलावे फिर शहद मिलावे। कफ सरलता से निकलता हो ऐसी खांसी मे केवल शहद के साथ।
सितोपलादि चूर्ण बनाने की विधि: मिश्री 16 तोले (1 तोला = 11.66 ग्राम), वंशलोचन 8 तोले, पीपल 4 तोले, छोटी इलायची के बीज 2 तोले और दालचीनी 1 तोला लें। सबको कूटकर बारीक चूर्ण बनावें।
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26.12.21

लकवा रोग की जानकारी और घरेलू उपचार:Lakwa ke nuskhe

 




लकवा (Paralysis)

मस्तिष्क की धमनी में किसी रुकावट के कारण उसके जिस भाग को खून नहीं मिल पाता है मस्तिष्क का वह भाग निष्क्रिय हो जाता है अर्थात मस्तिष्क का वह भाग शरीर के जिन अंगों को अपना आदेश नहीं भेज पाता वे अंग हिलडुल नहीं सकते और मस्तिष्क (दिमाग) का बायां भाग शरीर के दाएं अंगों पर तथा मस्तिष्क का दायां भाग शरीर के बाएं अंगों पर नियंत्रण रखता है। यह स्नायुविक रोग है तथा इसका संबध रीढ़ की हड्डी से भी है।
लकवा रोग निम्नलिखित प्रकार का होता है-

निम्नांग का लकवा- 

इस प्रकार के लकवा रोग में शरीर के नीचे का भाग अर्थात कमर से नीचे का भाग काम करना बंद कर देता है। इस रोग के कारण रोगी के पैर तथा पैरों की उंगुलियां अपना कार्य करना बंद कर देती हैं।

अर्द्धाग का लकवा- 

इस प्रकार के लकवा रोग में शरीर का आधा भाग कार्य करना बंद कर देता है अर्थात शरीर का दायां या बायां भाग कार्य करना बंद कर देता है।

एकांग का लकवा-

इस प्रकार के लकवा रोग में मनुष्य के शरीर का केवल एक हाथ या एक पैर अपना कार्य करना बंद कर देता है।

पूर्णांग का लकवा-

इस लकवा रोग के कारण रोगी के दोनों हाथ या दोनों पैर कार्य करना बंद कर देते हैं।


मेरूमज्जा-प्रदाहजन्य लकवा- 

इस लकवा रोग के कारण शरीर का मेरूमज्जा भाग कार्य करना बंद कर देता है। यह रोग अधिक सैक्स क्रिया करके वीर्य को नष्ट करने के कारण होता है।

मुखमंडल का लकवा-

इस रोग के कारण रोगी के मुंह का एक भाग टेढ़ा हो जाता है जिसके कारण मुंह का एक ओर का कोना नीचे दिखने लगता है और एक तरफ का गाल ढीला हो जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी के मुंह से अपने आप ही थूक गिरता रहता है।

जीभ का लकवा- tongue paralysis

इस रोग से पीड़ित रोगी की जीभ में लकवा मार जाता है और रोगी के मुंह से शब्दों का उच्चारण सही तरह से नहीं निकलता है। रोगी की जीभ अकड़ जाती है और रोगी व्यक्ति को बोलने में परेशानी होने लगती है तथा रोगी बोलते समय तुतलाने लगता है।

स्वरयंत्र का लकवा-

इस रोग के कारण रोगी के गले के अन्दर के स्वर यंत्र में लकवा मार जाता है जिसके कारण रोगी व्यक्ति की बोलने की शक्ति नष्ट हो जाती है।

सीसाजन्य लकवा- 

इस रोग से पीड़ित रोगी के मसूढ़ों के किनारे पर एक नीली लकीर पड़ जाती है। रोगी का दाहिना हाथ या फिर दोनों हाथ नीचे की ओर लटक जाते हैं, रोगी की कलाई की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं तथा कलाई टेढ़ी हो जाती हैं और अन्दर की ओर मुड़ जाती हैं। रोगी की बांह और पीठ की मांसपेशियां भी रोगग्रस्त हो जाती हैं।

लकवा रोग का लक्षण  symptoms of paralysis

लकवा रोग से पीड़ित रोगी के शरीर का एक या अनेकों अंग अपना कार्य करना बंद कर देते हैं। इस रोग का प्रभाव अचानक होता है लेकिन लकवा रोग के शरीर में होने की शुरुआत पहले से ही हो जाती है। लकवा रोग से पीड़ित रोगी के बायें अंग में यदि लकवा मार गया हो तो वह बहुत अधिक खतरनाक होता है क्योंकि इसके कारण रोगी के हृदय की गति बंद हो सकती है और उसकी मृत्यु भी हो सकती है। रोगी के जिस अंग में लकवे का प्रभाव है, उस अंग में चूंटी काटने से उसे कुछ महसूस होता है तो उसका यह रोग मामूली से उपचार से ठीक हो सकता है।

लकवा रोग होने के और भी कुछ लक्षण है  symptoms of paralysis

*रोगी के शरीर के जिस अंग में लकवे का प्रभाव होता है, उस अंग के स्नायु अपना कार्य करना बंद कर देते हैं तथा उस अंग में शून्यता आ जाती है।
*लकवा रोग के हो जाने के कारण शरीर का कोई भी भाग झनझनाने लगता है तथा उसमें खुजलाहट होने लगती है।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी को भूख कम लगती है, नींद नहीं आती है और रोगी की शारीरिक शक्ति कम हो जाती है।
*इस रोग से ग्रस्त रोगी के मन में किसी कार्य को करने के प्रति उत्साह नहीं रहता है।
*शरीर के जिस भाग में लकवे का प्रभाव होता है उस तरफ की नाक के भाग में खुजली होती है।

साध्य लकवा रोग होने के लक्षण-


*इस रोग के कारण रोगी की पाचनशक्ति कमजोर हो जाती है और रोगी जिस भोजन का सेवन करता है वह सही तरीके से नहीं पचता है।
*इस रोग से पीड़ित रोगी को और भी कई अन्य रोग हो जाते हैं।
*इस रोग के कारण शरीर के कई अंग दुबले-पतले हो जाते हैं।

असाध्य लकवा रोग होने के लक्षण इस प्रकार हैं-

*असाध्य लकवा रोग के कारण रोगी के मुहं, नाक तथा आंख से पानी निकलता रहता है।
*असाध्य लकवा रोग के कारण रोगी को देखने, सुनने तथा किसी चीज से स्पर्श करने की शक्ति नष्ट हो जाती है।
*असाध्य लकवा रोग गर्भवती स्त्री, छोटे बच्चे तथा बूढ़े व्यक्ति को होता है और इस रोग के कारण रोगी की शक्ति काफी कम हो जाती है।
*इस प्रकार के लकवे के कारण कई शरीर के अंगों के रंग बदल जाते हैं तथा वह अंग कमजोर हो जाते हैं।
*असाध्य लकवा रोग से प्रभावित अंगों पर सुई चुभाने या नोचने पर रोगी व्यक्ति को कुछ भी महसूस नहीं होता है।
*इस रोग से पीड़ित रोगी की ज्ञानशक्ति तथा काम करने की क्रिया शक्ति कम हो जाती है।
*असाध्य लकवा रोग से पीड़ित रोगी को और भी कई अन्य रोग हो जाते हैं।

लकवा रोग होने के निम्नलिखित कारण lakwa ke karan हैं-

*मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी में बहुत तेज चोट लग जाने के कारण लकवा रोग हो सकता है।
*सिर में किसी बीमारी के कारण तेज दर्द होने से लकवा रोग हो सकता है।
*दिमाग से सम्बंधित अनेक बीमारियों के हो जाने के कारण lakwa ke karan भी लकवा रोग हो सकता है।
*अत्यधिक नशीली दवाईयों के सेवन करने के कारण लकवा रोग हो जाता है।
*बहुत अधिक मानसिक कार्य करने के कारण लकवा रोग हो सकता है।
*अचानक किसी तरह का सदमा लग जाना, जिसके कारण रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक कष्ट होता है और उसे लकवा रोग हो जाता है



*गलत तरीके के भोजन का सेवन करने के कारण लकवा रोग हो जाता है।
*कोई अनुचित सैक्स संबन्धी कार्य करके वीर्य अधिक नष्ट करने के कारण से लकवा रोग हो जाता है।
*अधिक शराब तथा धूम्रपान करने के कारण भी लकवा रोग हो जाता है।
*अधिक पढ़ने-लिखने का कार्य करने तथा मानसिक तनाव अधिक होने के कारण लकवा रोग हो जाता है।
लकवा रोग के घरेलू उपचार-
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी को अपने शरीर पर सूखा घर्षण करना चाहिए और स्नान करने के बाद रोगी को अपने शरीर पर सूखी मालिश करनी चाहिए। मालिश धीरे-धीरे करनी चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी को अपना उपचार कराते समय अपना मानसिक तनाव दूर कर देना चाहिए तथा शारीरिक रूप से आराम करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को योगनिद्रा का उपयोग करना चाहिए।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से व्यायाम करना चाहिए जिसके फलस्वरूप कई बार दबी हुई नस तथा नाड़ियां व्यायाम करने से उभर आती हैं और वे अंग जो लकवे से प्रभावित होते हैं वे ठीक हो जाते हैं।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए सबसे पहले इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए। इसके बाद रोगी का उपचार प्राकृतिक चिकित्सा से कराना चाहिए।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नींबू पानी का एनिमा लेकर अपने पेट को साफ करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को ऐसा इलाज कराना चाहिए जिससे कि उसके शरीर से अधिक से अधिक पसीना निकले।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन भाप-स्नान करना चाहिए तथा इसके बाद गर्म गीली चादर से अपने शरीर के रोगग्रस्त भाग को ढकना चाहिए और फिर कुछ देर के बाद *धूप से अपने शरीर की सिंकाई करनी चाहिए।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी यदि बहुत अधिक कमजोर हो तो रोगी को गर्म चीजों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
*रोगी व्यक्ति का रक्तचाप अधिक बढ़ गया हो तो भी रोगी को गर्म चीजों को सेवन नहीं करना चाहिए।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी को लगभग 10 दिनों तक फलों का रस नींबू का रस, नारियल पानी, सब्जियों के रस या आंवले के रस में शहद मिलाकर पीना चाहिए।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए अंगूर, नाशपाती तथा सेब के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
लकवा रोग से पीड़ित रोगी को कुछ सप्ताह तक बिना पका हुआ भोजन करना चाहिए।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी का रोग जब तक ठीक न हो जाए तब तक उसे अधिक से *अधिक पानी पीना चाहिए तथा ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए। रोगी को ठंडे स्थान पर रहना चाहिए।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी की रीढ़ की हड्डी पर गर्म या ठंडी सिंकाई करनी चाहिए तथा कपड़े को पानी में भिगोकर पेट तथा रीढ़ की हड्डी पर रखना चाहिए।

*लकवा रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए उसके पेट पर गीली मिट्टी का लेप करना चाहिए तथा उसके बाद रोगी को कटिस्नान कराना चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से कुछ ही दिनों में लकवा रोग ठीक हो जाता है।
*लकवा रोग से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त पीले रंग की बोतल का ठंडा पानी दिन में कम से कम आधा कप 4-5 बार पीना चाहिए तथा लकवे से प्रभावित अंग पर कुछ देर के लिए लाल रंग का प्रकाश डालना चाहिए और उस पर गर्म या ठंडी सिंकाई करनी चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से रोगी का लकवा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
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24.12.21

गाजर खाने के फायदे :Benefits of carrots

 



*मासिक धर्म के दिन हर महिला के लिए बहुत तकलीफदेह होते हैं. ज्यादातर महिलाओं को मासिक के दौरान तेज दर्द, चिड़चिड़ेपन और अनियमित स्त्राव की शिकायत रहती है.इसके साथ ही कई स्त्रियों को पीठ दर्द और पैर दर्द भी होता है|
*गाजर के जूस  gajar ka ras  
से मिलेगी राहत पीरियड्स के दौरान अगर आपको भी इन तकलीफों का सामना करना पड़ता है तो गाजर का जूस पीना आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा| गाजर का जूस काफी आसानी से मिल भी जाता है| अगर जूस न पीना चाहें तो गाजर खाना भी उतना ही फायदा देगा| किसी भी रूप में गाजर का सेवन करना पीरियड्स के दौरान फायदेमंद रहता है| गाजर रक्त परिसंचरण को ठीक रखता है, दर्द में राहत देता है और चिड़चिड़ाहट को भी कम करता है|आयरन से भरपूर मासिक के दौरान खून निकलने से अनीमिया की समस्या भी हो सकती है|ऐसे में आयरन की मात्रा लेते रहना फायदेमंद रहेगा| यह एक सबसे प्रमुख कारण है जिसकी वजह से पीरियड्स में गाजर खाने की सलाह दी जाती है|
* गाज़र के मीठेपन को लेकर आपको कैलोरी की चिंता करने की भी ज़रूरत नहीं क्योंकि इसमें बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती है। गाज़र के जूस में खनिज तत्व , विटामिन्स और विटामिन ए पाया जाता है, इसलिए इसे त्वचा और आंखों के लिए अच्छा माना जाता है। गाज़र का प्रयोग आप सूप बनाने, सब्जि़यों, हल्वे और सलाद के रूप में भी कर सकते हैं।

*त्वचा निखार के लिए:gajar ka ras 

प्रतिदिन गाजर का सलाद खाने से या गाज़र का जूस पीने से चेहरे पर चमक आती है।
* गाजर रक्त की विषाक्तता कम करता है और इसके सेवन से कील-मुहासों से भी छुटकारा मिलता है।

*नजर तेज करने के लिए-:

गाजर में विटामिन ए प्रचूर मात्रा में होता है इसलिए इसके सेवन से आंखों की रोशनी ठीक होती है। आंखों से संबंधी सामान्य समस्याओं का कारण है विटामिन ए की कमी।
*पुरुषों को भी अपने खून की सफाई करनी जरुरी है। गाजर का जूस पीने से खून की सफाइ होती है।

* हृदय रोगी भी खा सकते हैं गाजर:

गाजर में कैरोटीनायड होता है, जो हृदय रोगियों के लिए अच्छा होता है। यह माना जाता है कि गाजर का प्रतिदिन सेवन कालेस्ट्राल के स्तर को कम करता है।

* डायबीटीज़ के मरीजों के लिए-

गाज़र के प्रतिदिन सेवन से रक्त में शर्करा का स्तर ठीक रहता है।
*गाजऱ में बीटा कैरोटीन होती है और यह प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए अच्छा होता है।

*बीटा कैरोटीन से भरपूर-

मासिक के दौरान बीटा कैरोटीन से भरपूर चीजों का सेवन करना फायदेमंद रहता है| ये हैवी ब्लड फ्लो को नियंत्रित करने का काम करता है. दर्द से आराम दिलाने में गाजर न केवल रक्त बहाव को नियंत्रित करने का काम करता है बल्क‍ि इस दौरान होने वाले दर्द में भी राहत दिलाता है| साथ ही मूड को भी ठीक रखता है.

*कैंसर से बचने के लिए:

गाज़र खाने से, पेट और फेफड़ों के कैंसर का जोखिम कम होता है।
*कैसे करें सेवन -
आप चाहें तो गाजर को चबा-चबाकर खा सकती हैं लेकिन अगर दर्द बहुत ज्यादा है और आप कुछ भी करने की हालत में नहीं हैं तो इसका जूस फायदेमंद रहेगा. दिन में एक या दो गिलास गाजर का जूस gajar ka ras 

गाजर खाने के फायदे और भी हैं-

1. गाजर को पीस या कूचलकर बालो की जड़ या माथे पर रगड़ने से रुसी बिलकुल ही खतम हो जाती है|

2. यदि हम गाजर के रस मे पालक का रस मिला कर सेवन करते है मोतियाबिद की बिमारी से छुटकारा मिल जाता है।
3. गाजर के रस को रोज सेवन करने से कब्ज  की बिमारी ठीक हो जाता है।
4. एक गिलास गाजर के रस मे २ चमच शहद डाल कर रोजाना सेवन करने से कैसर जैसी बिमारी मे भी आराम मिलता है।
5. लगातार उम्र बढ़ने से शरीर कमजोर होता जाता है। इस कमजोरी की पूर्ति करने के गाजर का सेवन की जाती है जिससे से रोग अपने आप ही दूर हो जाते हैं। गाजर के रस या जूस से रक्त में बढ़ोतरी होती हैं |
6. कच्ची गाजर चबाकर खाने से सबसे ज्यादा लाभ होता है। गाजर की पत्तियों में गाजर से 6 गुना अधिक आयरन होता है।
7. अगर कोई लम्बी बीमारी से बाहर निकला है तो उसके शरीर में कई प्रकार के विटामिन की कमी हो जाती है उसकी क्षतिपूर्ति करने में गाजर का जूस बहुत ही प्रभावकारी है। इससे रोगी चुस्त, ताजगी से भरपूर और शक्तिशाली बनता है।
8. गाजर और पालक के रस में भुना हुआ जीरा, काला नमक मिलाकर पीने से इसकी गुणवत्ता बढ़ जाती है। गाजर का रस हर प्रकार के ज्वर, दुर्बलता, नाड़ी सम्बन्धी रोग, अवसाद की अवस्था में लाभदायक है।
9. सर्दी के मौसम में गाजर के सेवन से शरीर गर्म रहता है और सर्दी से बचाव होता है।
10. गाजर में दूध के समान गुण हैं। गाजर का रस दूध से भी उत्तम है। दूध नहीं मिलने पर गाजर सेवन करके दूध के सारे गुण प्राप्त किये जा सकते हैं।
11. गाजर के रस में शहद मिलाकर पीने से शक्ति बढ़ती है, शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली यानि (immune system) मजबूत होता है| गाजर के रस में मिश्री व काली मिर्च मिलाकर पीने से खाँसी ठीक हो जाती है तथा ठंड से उत्पन्न कफ भी दूर होता है।
12. गाजर के छोटे-छोटे टुकड़े 150 ग्राम, तीन टुकड़े लहसुन, पाँच लौंग लेकर सबकी चटनी बनाकर प्रतिदिन एक बार सुबह खाने से सर्दियों में होने वाली बीमारिया जैसे जुकाम, कफ आदि दूर रहते है |
13. गाजर के और आंवला के रस में काला नमक मिलाकर प्रतिदिन पियें। इससे पेशाब की जलन और अन्य बीमारियों से छुटकारा मिलेगा।
14. गाजर के हरे पत्तों से सब्जी बनती है। गाजर की सब्जी बनाते समय पानी नहीं फेंके क्योकि उसमे काफी पोषक तत्व होते है।
15. गाजर कद्दूकस करके दूध में उबालकर प्रतिदिन लें। यह बहुत पौष्टिक आहार होता है |
16. रक्तवर्धक—गाजर, पालक, चुकन्दर का मिश्रित रस एक-एक गिलास प्रतिदिन दो बार पीने से खून बढ़ता है।
17. नेत्र ज्योति कम होना-विटामिन ‘ए’ की कमी से नेत्रज्योति कमजोर होते-होते व्यक्ति अंधा भी हो सकता है। गाजर विटामिन ‘ए’ का भण्डार है। लम्बे समय तक गाजर और पालक का एक गिलास रस पीते रहने से चश्मा भी हट सकता है।
18. घी में और खुले बर्तन में तेज आंच पर पकाने से विटामिन ए पूरी तरह नष्ट हो जाता है | तो अगर आप आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए गाजर का सेवन करना चाहते है तो काली गाजर का रस ही पियें |
19. बाल झड़ना (Hair Fall)- गाजर, प्याज, हरे धनिया का सलाद प्रतिदिन खाने से बाल झड़ना बन्द हो जाते है। इस सलाद से फॉस्फोरस अधिक मिलता है, जो बालों का झड़ना रोकता है।
20. गाजर+पालक के रस का एक गिलास प्रतिदिन पीने से बहुत लाभ होता है।
21. गर्भपात की समस्या – एक गिलास दूध और एक गिलास गाजर का रस उबालें। उबलते हुए आधा रहने पर प्रतिदिन पीती रहें। गर्भपात नहीं होगा। जिनको बार-बार गर्भपात होता हो, वे गर्भधारण करते ही इसका सेवन आरम्भ कर दें। 
22. गाजर का रस 3 भाग, टमाटर का रस 2 भाग और चुकंदर का रस 1 भाग निकालकर आधा गिलास की मात्रा में निरंतर 15-20 दिन सेवन करने से चेहरे की झुर्रियां, झांई, दाग-धब्बे, कील-मुहांसे दूर होकर चेहरा सुंदर हो जाता है
आप खुद को स्वस्थ रखना चाहते हैं, अपनी आंखों की रोशनी eyesight बनाए रखना चाहते हैं या फिर अपनी त्वचा की रंगत निखारने के साथ-साथ बालों को भी चमकदार बनाए रखना चाहते हैं तो गाजर का सेवन करें। 
  खाने में स्वादिष्ट और कम कैलरी वाली गाजर में पौष्टिक तत्वों की बहुतायत होती है, जो आपकी सेहत को दुरुस्त रखने में मददगार साबित होते हैं। इसमें बीटा कैरोटिन, विटामिन ए, विटामिन सी, खनिज लवण, विटामिन बी 1 के साथ-साथ एंटी ऑक्सिडेंट की बहुतायत होती है। अगर आप गाजर को नियमित तौर पर अपने आहार का हिस्सा बनाते हैं तो आप खुद को बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याओं से बचाये रख सकते हैं। गाजर का इस्तेमाल आप कच्चा या फिर पकाकर किसी भी तरह से कर सकते हैं। गाजर का इस्तेमाल केवल भोजन में ही नहीं होता, बल्कि इसका इस्तेमाल बहुत सारी दवाओं के निर्माण में भी किया जाता है।
* हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने एक शोध में बताया कि जो लोग सप्ताह में पांच या उससे अधिक गाजर खाते हैं, उन्हें उन लोगों के मुकाबले हार्ट अटैक का खतरा काफी कम रहता है, जो महीने में एक बार गाजर खाते हैं या कभी गाजर का सेवन करते ही नहीं है। गाजर का नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी नियंत्रित रहता है, क्योंकि इसमें मौजूद फाइबर शरीर में मौजूद पित्त के प्रभाव को कम करते हैं।
* विटामिन ए शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार साबित होता है। गाजर में मौजूद फाइबर कोलोन की सफाई करके कोलोन कैंसर की आशंका को काफी हद तक कम करते हैं।
*गाजर के इस्तेमाल से दांतों की सेहत भी दुरुस्त रहती है। यह दांतों की सफाई करने के साथ साथ सांसों को स्वच्छ रखता है और मसूड़ों को मजबूत करता है।
* अगर त्वचा कहीं जल गई हैतो प्रभावित हिस्से पर बार-बार गाजर का रस gajar ka ras लगाने से अराम मिलता है। खुजली की समस्या से परेशान हैं तो गाजर को कद्दूकस करके उसमें नमक मिलाकर खाने से आपको इस समस्या से मुक्ति मिलेगी।
* यह त्वचा की सेहत को दुरुस्त रखने में भी मददगार साबित होता है। इसमें विटामिन सी और एंटी ऑक्सिडेंट की बहुतायत होती है, जिसकी वजह से इसका इस्तेमाल करने से त्वचा को सूर्य की तेज रोशनी से होने वाले किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाया जा सकता है। विटामिन ए की कमी की वजह से त्वचा, नाखून और बाल रूखे होने लगते हैं। अगर आप नियमित तौर पर गाजर को अपने आहार में शामिल करते हैं तो साफ सुथरी निखरी हुई त्वचा के मालिक बन सकते हैं। इसके इस्तेमाल से वक्त से पहले आने वाली झुर्रियों wrinkles, रूखी त्वचा, एक्ने, पिगमेंटेशन, झांइयां, चितकबरी त्वचा आदि की समस्याओं को अपने से दूर रख सकते हैं।
* गाजर के जूस gajar ka ras में काला नमक, धनिया की पत्ती, भुना हुआ जीरा, काली मिर्च और नीबू का रस मिलाकर नियमित तौर पर पीने से पाचन संबंधी गड़बड़ी से तुरंत छुटकारा मिलता है।
* गाजर का किसी भी रूप में नियमित तौर पर सेवन करने से आपकी आंखों की रोशनी eyesight दुरुस्त रहती है। इसमें बीटा कैरोटिन की बहुतायत होती है, जो खाने के बाद पेट में जाकर विटामिन ए में परिवर्तित हो जाता है। आंखों के लिए विटामिन ए बेहद जरूरी है, यह हम सब जानते हैं। विटामिन ए रेटिना के अंदर परिवर्तित होता है। इसके बैंगनी से दिखने वाले पिगमेंट में इतनी शक्ति होती है कि गाजर खाने से रतौंधी जैसे रोग की आशंका कम हो जाती है। यह आंखों के रोग मोतियाबिंद की आशंका को कम करता है।
* गाजर को अपने आहार का हिस्सा बनाने से फेफड़े, ब्रेस्ट और कोलोन कैंसर का खतरा कम होता है। एक मात्र गाजर ही ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसमें फाल्केरिनोल नामक प्राकृतिक कीटनाशक पाया जाता है। विभिन्न सर्वेक्षणों में यह पाया गया है कि गाजर का सेवन करने से किसी भी कैंसर का खतरा एक तिहाई तक कम होता है।
* गाजर का सेवन करने से आप पर उम्र का असर देर से नजर आता है। यह एंटी एजिंग एजेंट की तरह कार्य करता है। इसमें भरपूर मात्रा में पाया जाने वाला बीटा कैरोटिन, एंटी ऑक्सिडेंट हमारे शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करता है, इससे कोशिकाओं की उम्र देरी से घटती है और शरीर पर झुर्रियां wrinkles नहीं पड़तीं।
* गाजर में मौजूद औषधीय गुण किसी भी किस्म के संक्रमण की आशंका को कम करते हैं। आप चाहें इसका जूस पिएं या इसे उबालकर खाएं, यह फायदेमंद है।
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23.12.21

आलू खाने के स्वास्थ्य लाभ:benefits of potatoes

 




   हर इंसान को आलू खाना पंसद होता है। इसे सभी अपने-अपने तरीके से रेसिपी बनाकर खाते है। लेकिन आप जानते है कि यह हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है। इसका सेवन करने से आपको कई बीमारियों से निजात मिल जाता है। इसका इस्तेमाल करने से केवल सेहत ही नहीं बल्कि सौंदर्य के लिए भी किया जाता है। कई लोग मानते है कि आलू खाने से आप मोटे हो जाएगे। जबकि ऐसा कुछ नहीं है |   
*उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है।
* आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा।
* कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से 5 से 6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का फूला 3 मास में साफ हो जाता है।
benefits potatoes -आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में मधु मिलाकर भी पिला सकते हैं। 

* आलुओं में मुर्गी के चूजों जितना प्रोटीन होता है, सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है। आलू का प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाला और बुढ़ापे की कमजोरी दूर करने वाला होता है।
भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज और अंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।
* चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर नित्य खाएँ। इससे गठिया ठीक हो जाता है।
benefits potatoes- गुर्दे की पथरी में केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती हैं। 

*क्या आप जानते हैं आलू में बहुत अधिक मात्रा में पोटैशियम पाया जाता हैं. जो कि सेहत के लिए फायदेमंद है. ऐसे में आपको कोशिश करनी चाहिए कि जब आप आलू का इस्तेमाल करें तो उसे अच्छे से धोकर बिना छिलका उतारे ही इस्तेमाल करें. ताकि इसमें मौजूद पौटेशियम का पूरा-पूरा फायदा मिल सके|
* रक्तपित्त बीमारी में कच्चा आलू बहुत फायदा करता है।
* कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएँ ।
* शरीर पर कहीं जल गया हो, तेज धूप से त्वचा झुलस गई हो, त्वचा पर झुर्रियां हों या कोई त्वचा रोग हो तो कच्चे आलू का रस निकालकर लगाने से फायदा होता है।

आलू का रस पीने के फायदे / benefit of potato juice

आलू के जूस को पीने से आप आसानी से अपने कोलेस्ट्रोल के स्तर को नियंत्रण में रख सकते हैं। यह आपके समस्त स्वस्थ्य सम्बन्धी समस्या का हल भी है।
*आलू का जूस आपके बढ़ते हुए वजन को घटा देता है। इसके लिए सुबह अपने नाश्ते से दो घंटे पहले आलू का जूस का सेवन करें। यह भूख को नियंत्रित करता है और वजन को कम कर देता है।
*गठिया के रोग में आलू का जूस बेहद कारगर तरह से काम करता है। आलू के जूस को पीने से यूरिक एसिड शरीर से बाहर निकलता है। और गठिया की सूजन 
gout inflammation को कम करता है।
*लिवर और गॉल ब्लैडर की गंदगी को निकालने के लिए आलू का जूस काफी मददगार साबित होता है। जापानी लोग हेपेटाइटिस से निजात पाने के लिए आलू के जूस का इस्तमाल करते हैं ।
 *आपके बालों को जल्दी बड़ा करने के लिए आलू के जूस का नियमित मास्क काफी मददगार साबित होता है। एक आलू को लेकर इसका छिलका निकाल लें। इसके टुकड़ों में काटकर पीस लें। अब इससे रस निकाल लें और इसमें शहद और अंडे का उजला भाग मिला लें। अब इस पेस्ट को सर और बालों पर लगाएं। इसे दो घंटे तक रखें और उसके बाद शैम्पू से धो लें।

*अगर आप डाइबिटीज के मरीज हैं तो यह आपके लिए बेहद फायदेमंद चीज है। इसका सेवन करने से यह शरीर के खून में शर्करा के स्तर को कम करने में काफी प्रभावकारी साबित होगा।
*अगर आपको एसिडिटी की समस्या है तो आलू का रस काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए इसके रस को रोजना आधा कप पिएं। इससे आपको लाभ मिलेगा।
*ह्रदय की बिमारी और स्ट्रोक से बचने और इसे कम करने के लिए आलू सबसे अच्छा उपाय है।
यह नब्ज़ के अवरोध, कैंसर, हार्ट अटैक और ट्यूमर को बढ़ने से कम करता है।
*potato juice-किडनी की बिमारियों का इलाज करने के लिए आलू का जूस पीने की आदत डालें। यह ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को नियंत्रण में रखने में भी मदद करता है। आलू का जूस मूत्राशय में कैल्शियम का पत्थर बनने नहीं देता।

*gout inflammation-आलू का जूस जोड़ों के दर्द व सूजन को खत्म करता है। अर्थराइटिस से परेशान लोगों को दिन में दो बार आलू का जूस पीना चाहिए। यह दर्द व सूजन में राहत देता है। शरीर में खून के संचार को भी बेहतर बनाता है आलू का जूस।
*अगर आपके चेहरे में दाग, धब्बे और पिपंल है तो आलू का रस काफी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी और बी कॉम्प्लेक्स के साथ पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और जस्त जैसे खनिज पाया जाता है, जोकि हमारी स्किन के लिए फादेमंद है

क्या हम आलू का जूस स्टोर कर सकते हैं?

आलू का जूस फ्रिज में ज्यादा से ज्यादा 3 से 4 दिन तक रह सकता है। लेकिन इसे जितना हो सके ताजा सेवन करने की सलाह दी जाती है।

आलू का रस कैसे बनाएं

आलू का रस बनाने का तरीका बहुत ही आसान है। नीचे जानिए आलू का जूस कैसे बनाते हैं:

सामग्री :
1-2 आलू

बनाने की विधि:

सबसे पहले बिना किसी दाग-धब्बों वाला कच्चा आलू लें।

अब इसे अच्छी तरह धो लें।
अगर इस पर कोई अंकुरित कोंपले हैं, तो उसे भी हटा दें।
अब आलू को छीलकर इसे कद्दूकस कर लें।
अब एक कटोरी में आलू के इस गूदे को निचोड़कर उसका रस निकालें और उसका सेवन करें।

रोजाना आलू का जूस पीने से क्या हो सकता है?

अगर रोजाना उचित मात्रा में आलू का जूस का सेवन किया जाए, तो यह गठिया, कब्ज, शरीर की सफाई करने और पेट से जुड़ी समस्याओं से बचाव में मदद कर सकता है
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  • 3.12.21

    सेक्स टाइम बढ़ाने की ताकतवर औषधि है कौंच के बीज//kounch ke beej

     

     कौंच बीज पाउडर और चूर्ण इस आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला रूप है। कौंच पाउडर एक प्रोटीन है, जो महिलाओं को संतुलित आहार बनाए रखने में मदद करता है। जो महिलाएं जिम जाना पसंद करती हैं, वे इस जड़ी-बूटी के जरिए मांसपेशियों को बढ़ा सकती हैं।
    यह उनके बॉडी मास इंडेक्स को बनाए रखने में मदद करता है। चूंकि इसमें कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, कॉपर, जिंक , मैंगनीज, सोडियम जैसे प्रमुख पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसलिए हीमोग्लोबिन की कमी से जूझ रही महिलाओं को कौंच बीज खाने की सलाह दी जाती है।
     थकान, यौन इच्छा की कमी और उसे बढ़ाने के उपचार के लिए कौंच बीजों का उपयोग किया जाता है। यह शरीर के भीतर फ्री रेडिकल को कम करने में मदद करता है। यह जड़ी बूटी यौन क्रिया के लिए बहुत ही शक्तिशाली होती है।  कौंच एवं कौंच बीज चूर्ण को आयुर्वेद में रसायन के रूप में प्रयोग किया जाता है | पुराने समय से ही कौंच एवं कौंच पाक आदि का इस्तेमाल देशी रसायन के रूप में किया जाता रहा है | आयुर्वेद में सर्दियों के मौसम में गोंद के लड्डू, ग्वारपाठे के लड्डू, मेथी के लड्डू आदि का प्रयोग सेहत एवं स्वास्थ्य के लिए किया जाता है |
    कौंच बीज़ एक आयुर्वेदिक औषधि है कौंच बीज के विषय में अपने भी पहले कभी नहीं सुना होगा| आयुर्वेद में, कोंच बीज का उपयोग आमतौर पर शरीर के तीन दोषों अर्थात वात, पित्त और कफ को संतुलित करने के लिए किया जाता है।
    कोंच बीज मस्तिष्क संबंधी समस्याओं से लेकर पुरुष बांझपन तक की समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है। कोंच बीज़ पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित करके टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन जारी करने में बहुत फायदेमंद है।

    कौंच / कपिकच्छु के फायदे

    भारत के समस्त मैदानी प्रदेशों में पायी जाने वाली एक जंगली बेल है | यह वर्षा ऋतू में मैदानी क्षेत्रों में अपने आप उग आती है , ज्यादातर हिमालय के निचले हिस्सों में होती है जंहा मैदानी प्रदेश होता है | इसके पत्ते 6 से 9 इंच लम्बे लट्टूवाकार और स्पष्ट पर्शिविक शिराओं से युक्त होते है |
    पतों का आकार अर्धहृदयत होता है | कौंच के फुल 1 इंच लम्बे नील और बैंगनी रंग के होते है , इसकी फली 5 से 10 सेमी लम्बी होती है जिसके प्रष्ठ भाग पर सघन रोम और पर्शुक होते है, अगर ये त्वचा को छू जावे तो इनसे खुजली , दाह और सुजन की समस्या हो सकती है , इसी फली में अन्दर 5 से 6 काले रंग के बीज होते है जिन्हें कौंच बीज कहा जाता है |


    कौंच के गुण धर्म

    कौंच का रस मधुर, तिक्त | यह स्वाभाव में गुरु और स्निघ्ध | इसका वीर्य उष्ण होता है अर्थात कौंच के बीज की तासीर गरम होती है | पाचन के पश्चात कौंच के बीज का विपाक मधुर होता है | यह वातशामक और कफपित्त वर्द्धक है | आयुर्वेद चिकित्सा में इससे वानरी गुटिका , माषबलादी आदि औषध योग बनाये जाते है |
    मर्दाना ताकत को बढ़ाने के लिए करे ये प्रयोग / कौंच बीजों के फायदे
    कौच के बीजों को सबसे पहले दूध में पक्का ले और इनका छिलका उतार दे | फिर इसे धुप में सुखा दे , अच्छी तरह सूखने के बाद इनका महीन चूर्ण बना ले | अश्वगंधा और सफ़ेद मुसली को भी सामान मात्रा में लेकर इनका भी चूर्ण बना ले | अब कौंच बीज चूर्ण , अस्वगंधा चूर्ण और सफ़ेद मुसली के चूर्ण को आपस में अच्छी तरह मिला ले | रोज सुबह और शाम 5 ग्राम की मात्रा में दूध में मिश्री मिलाकर इसका सेवन करे | इससे शीघ्रपतन, नंपुसकता आदि रोगों से छुटकारा मिलेगा एवं शरीर में मर्दाना शक्ति का विकास होगा
    कौंच के बीज , शतावरी, गोखरू, तालमखाना, नागबला और अतिबला – इन सभी को बराबर की मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना ले | इसका इस्तेमाल रोज रात को सोने से पहले 5 ग्राम की मात्रा में गुनगुने दूध के साथ करे | इसके इस्तेमाल से आपके सहवास का समय बढेगा और नामर्दी, शीघ्रपतन , धातु दुर्बलता में बेहतरीन परिणाम मिलेगा |

    यौन संबंधित समस्याओं का इलाज करें:

    कौंच बीज़ में कामोत्तेजक गुण होते हैं जिनमें प्रोलैक्टिन नामक एक हार्मोन होता है। यह प्रोलैक्टिन हार्मोन प्रजनन, चयापचय और इम्यूनोरेग्युलेटरी कार्यों के लिए फायदेमंद है। कोंच बीज़ की नियमित खपत से यौन संबंधी समस्याओं जैसे नपुंसकता, कम कामेच्छा, स्तंभन दोष, शीघ्रपतन, कमजोर पुरुष प्रजनन प्रणाली के उपचार में मदद मिल सकती है। इसमें ऐसे गुण होते हैं जो पुरुषों में स्खलन (शुक्राणु) की संख्या में वृद्धि करते हैं और महिला में ओव्यूलेशन करते हैं।अगर आप वियाग्रा का इस्तेमाल अपनी मर्दाना ताकत बढ़ाने के लिए करते है, तो इसे छोड दे और अभी से कौंच का इस्तेमाल करना शूरू कर दे | आप बाजार में मिलने वाले कौंच पाक का इस्तेमाल करे यह पूर्णतया सुरक्षित है एवं इसके बेहतर परिणाम भी है | कौंच पाक में कौंच बीज, सफ़ेद मुसली, वंस्लोचन, त्रिकटु, अश्वगंधा, चातुर्जात, दूध , शहद और घी जैसे पौष्टिक द्रव्य है जो आपकी नामर्दी को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखते है | कौंच पाक के इस्तेमाल से शीघ्रपतन, अंग का ढीलापन, धातु दुर्बलता, शारीरिक दुर्बलता, शुक्राणुओं की कमी आदि से छुटकारा मिलेगा और यह आपके पाचन, स्मृति और शारीरिक बल को बढ़ाएगा |
    आयुर्वेद के अनुसार शरीर को सही कार्य करने के लिए कम से कम 8 घंटे की नींद लेना अति आवश्यक है| यदि आपकी नींद पूरी नहीं होती है तो शारीरिक एवं मानसिक समस्या शरीर में होने लगती है
    कौंच बीज़ पाउडर के गुण, तंत्रिका और संज्ञानात्मक गतिविधियों को नियंत्रित करके मस्तिष्क को स्वस्थ बनाते हैं| यह तंत्रिका कार्य को बेहतर बनाने और पार्किंसंस रोग को कम करने में मदद करता है| यदि सफेद मूसली (Chlorophytum borivilianum) को कौंच (Velvet beans) के साथ सेवन किया जाए, तो अनिद्रा की समस्या से राहत मिल सकती है

    एंटी डायबिटिक हर्ब्स:

    आजकल डायबिटीज एक आम बीमारी बन गई है। जब रक्त में ग्लूकोज बढ़ जाता है या कम हो जाता है तो व्यक्ति को अच्छा महसूस नहीं होता है और कुछ मामलों में, उन्हें शरीर में दर्द और गुर्दे की समस्या हो सकती है। शोध में, यह पाया गया है कि प्राचीन समय में इन बीजों का उपयोग मधुमेह के उपचार के लिए किया जाता है। कौंच बीज़ में एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण होते हैं और ये एंटी-डायबिटीज दवा के भी अच्छे स्रोत होते हैं।

    पीठ और बदन दर्द में फायदेमंद:

    व्यस्त जीवन शैली और दैनिक दिनचर्या के कारण, कई लोग शरीर के विभिन्न हिस्सों में अपने दर्द के बारे में शिकायत करते हैं। दर्द निवारक का उपयोग शरीर के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, दर्द निवारक के बजाय, हर किसी को आयुर्वेदिक दवाएं और प्राकृतिक उपचार करना चाहिए। कौंच बीज़ में विरोधी भड़काऊ और एनाल्जेसिक गुण होते हैं जो दर्द से राहत में मदद कर सकते हैं।
    *कौंच बीज महिला प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। यह महिलाओं को उनके प्रजनन अंगों में स्वस्थ ब्लड सकुर्लेशन में सुधार करके लो लिबिडो के बढ़ाने में मदद करता है।

    गर्भावस्था में-

    कौंच बीज को रातभर पानी में भिगोने से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बहुत फायदा हो सकता है। इसमें मौजूद कैल्शियम और आयरन दूध के उत्पादन को बढ़ाता है। जिन महिलाओं ने बच्चे को जन्म दिया है, उन्हें डिलीवरी के बाद अवसाद का सामना करना पड़ता है। अपने न्यूरोट्रांसमीटर विनियमन गुणों के साथ यह अवसाद के लक्षणों को रिहेबिलेट करने के काम आता है।

    एंटी-पार्किंसन गुण:

    पार्किंसन समस्याओं के लिए कोंच बीज बहुत प्रभावी है, क्योंकि इसमें एंटी-पार्किंसन गुण हैं। कोंच बीज में एक एमिनो एसिड होता है जो एल-डोपा द्वारा जाना जाता है, जो पार्किंसन समस्याओं से राहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। पार्किंसंस न्यूरो रोगों या विकार से संबंधित है, इसमें रोगी को कंपकंपी, शरीर में दर्द और चलने में कठिनाई महसूस हो सकती है।

    कौंच पाक बनाने की विधि

    कौंच पाक को अधिकतर सर्दियों में उपयोग करना चाहिए | इसे बनाने के लिए कौंच बीजो का इस्तेमाल होता है | मर्दाना ताकत , नपुंसकता, धातु दुर्बलता, वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, शीघ्रपतन एवं शारीरिक दुर्बलता आदि में इसका सेवन करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त होंगे |
    बाज़ार से इसे खरीदने से अच्छा है की आप इसे घर पर ही तैयार करले | इसे बनाने की विधि भी आसान है और यह पूर्णतया लाभकारी होगी एवं बाज़ार में मिलने वाले कौंच पाक से बेहतर भी रहेगी | इसके निर्माण के लिए निम्न सामग्री चाहिए –
    कौंच बीज – 250 ग्राम
    गाय का दूध – 4 किलो
    गाय का घी – 500 ग्राम
    अकरकरा चूर्ण – 5 ग्राम
    रस सिन्दूर – 5 ग्राम
    केसर – 3 ग्राम

    प्रक्षेप के लिए –

     दालचीनी, लौंग, इलायची, चव्य, चित्रक, पीपलामूल, आदि सामान मात्रा में 40 ग्राम |
    विधि – सबसे पहले कौंच के बीजों को ऊपर बताई गई मात्रा में 8 से 10 घंटो के लिए भिगों दें , अच्छी तरह भीगने के बाद बीज के ऊपर के छिलके को हटा दें एवं बीजों को धूप में सुखा दें | जब बीज अच्छी तरह सुख जाए तब इन्हें बारीक़ पीसकर चूर्ण बना ले | अब इस चूर्ण को दूध में डालकर उबालें एवं इसका मावा तैयार कर ले |
    एक कडाही में घी डालकर इसमें इस मावे को भून ले | अच्छी तरह भुनने के बाद इसमें एक किलो चीनी से तैयार चासनी डालकर मिलादें | ऊपर से प्रक्षेप द्रव्य और अकरकरा चूर्ण – 5 ग्राम, रस सिन्दूर – 5 ग्राम और केसर – 3 ग्राम डालकर इसकी बर्फी काटले |

    सेवन विधि –

     20 से 40 ग्राम तक पाचन शक्ति के अनुसार सुबह और शाम दूध के साथ सेवन करे |
    इस प्रकार से कौंच पाक का निर्माण होता है | वैसे शास्त्रोक्त कौंच पाक इससे भिन्न है , लेकिन इस प्रकार से तैयार करने से भी यह योग पुरुषों के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है | यह परम पौष्टिक, शक्ति को बढाने वाला, शारीरिक कमजोरी को दूर करने वाला, नपुंसकता और धातु दुर्बलता आदि में काफी चमत्कारिक सिद्ध होता है |

    कौंच के बीज का चुर्ण

    सामग्री (Ingredients)
    · 40 ग्राम मिश्री
    · 40 ग्राम सफेद मूसली
    · 60 ग्राम शाल्मली की जड़
    · 80 ग्राम पोस्तदाना
    · 50 ग्राम गोखरू
    · 60 ग्राम कौंच के बीज
    · 60 गरम तालमखाना

    विधि (Method) –

    इस चुर्ण को बनाने के लिए इन सभी वस्तुओं को इकठ्ठा करने के बाद पीस लें और पिसने के बाद एक बारीक़ कपडे से या छलनी से छान लें. अब एक चम्मच चुर्ण का सेवन रोजाना सुबह और शाम के समय करें और उसके बाद दूध पी लें. इस चुर्ण का प्रयोग करने पर आपके शरीर की शक्ति का विकास होगा, शरीर में पौष्टिकता की वृद्धि होगी तथा दाम्पत्य जीवन भी सुखपूर्वक व्यतीत होगा. 
     कौंच बीज पाउडर का इस्तेमाल करना काफी आसान है। आधा चम्मच कौंच बीज के चूर्ण को शहद या फिर एक कप गर्म दूध में मिलाएं। दिन में दो बार भोजन के बाद इसका सेवन करें।

    सावधानी-

    कौंच बीज के जितने फायदे हैं, इसके नुकसान भी हैं। कुछ लोगों को इसके सेवन से मतली, उल्टी, अनिद्रा और सिरदर्द की शिकायत होती है। हालांकि, ऐसा होना असामान्य है, क्योंकि कौंच के बीज एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है। यहां तक की अगर आपको किडनी, लीवर ,हार्ट, ग्लूकोमा से संबंधित समस्या है, तो इसके सेवन से बचना चाहिए।
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    खिसकी हुई नाभि को सही जगह पर लाने के उपाय

    घबराहट दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय

    खून में कोलेस्ट्रोल कम करने के असरदार उपाय

    दस जड़ी बूटियाँ से सेहत की समस्याओं के समाधान

    अर्जुनारिष्ट के फायदे और उपयोग

    सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद

    बढ़ती उम्र मे आँखों की सावधानी और उपाय

    जल्दी जल्दी खाना खाने से वजन बढ़ता है और होती हैं ये बीमारियां

    इमली की पतियों से बढ़ता है ब्रेस्ट मिल्क

    जीरा के ये फायदे जानते हैं आप ?

    शरीर को विषैले पदार्थ से मुक्त करने का सुपर ड्रिंक

    सड़े गले घाव ,कोथ ,गैंगरीन GANGRENE के होम्योपैथिक उपचार

    अस्थि भंग (हड्डी टूटना)के प्रकार और उपचार

    पेट के रोगों की अनमोल औषधि (उदरामृत योग )

    सायनस ,नाक की हड्डी बढ़ने के उपचार

    किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

    किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

    प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

    सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

    सायटिका रोग की रामबाण हर्बल औषधि

    2.12.21

    छुहारे ,खजूर,खारक खाने के फायदे : Benefits of dates




    प्राचीन काल से ही हमारे यहां लोग छुहारे का सेवन करते आ रहे हैं। जहां गर्मियों में छुहारे के सेवन से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है, तो वहीं सर्दियों में इसके छुहारे के फायदे बढ़ जाते हैं। क्योंकि ये शरीर को गर्माहट देने के साथ ही डायबिटीज, साइटिका, कब्ज समेत कई सारी गंभीर बीमारियों से भी बचाता है। आयुर्वेद में छुहारे के फायदे का विस्तृत रूप से उल्लेख मिलता है। इसलिए आज हम आपको छुहारे के फायदे के बारे में बता रहें हैं। जिससे आप छुहारे का सेवन करके खुद को सेहतमंद बना सकते हैं और कई सारी गंभीर बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।

    छुहारे का नित्य उपयोग करने से हमारे फेफड़े व् चेस्ट को शक्ति मिलती है। और साँस के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी होती है।
     शरीर को मजबूत बनाने के लिए 2 या 3 छुहारों का उपयोग प्रतिदिन किया जाता है।
    *प्रतिदिन छुहारो का उपयोग करने से पेट में गैस आदि नहीं बनती है ।और शरीर हष्ठ्पुष्ठ बना रहता है।
    *छुहारे की गुठली पानी के साथ सिल पर घिस कर उसे फोड़े फुंसी पर लगाने से बहुत फायदा होता है। छोटे बच्चों को छहारा खिलाने से बच्चो को सोते समय पेशाब करने की समस्या दूर हो जाती है। इसी कारण से छुहारा हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।और हमारे शरीर के लिये उपयोगी होता है। बच्चो के शरीर के विकार के लिए छुहारा रामबाण की तरह काम करता है।
    *छुहारे खानें के फायदे: छुहारे स्वास रोग मे बहूत ही फायदेयंद है क्योकि यह छाती और फेफड़ो को ताकत देने मे मदद करता है। अगर हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं तो हमें सांस के रोग कम से कम लगते हैं। और अगर पहले किसी को सांस के रोग है और वह छुहारे का सेवन करते हैं तो उनको इस में बहुत ही फायदा मिलता है। दूध के साथ इसका सेवन करने पर यह शरीर को मजबूत बनाता है। अगर आपका शरीर कमजोर है तो आपको छुहारे का सेवन दूध में डालकर करना चाहिए। जिसके साथ साथ आपका वजन बढ़ने लगेगा और आपका शरीर भी मजबूत होने लगेगा। दूध मे उबाल कर इसको 2 से 3 महीने लगातार खाने पर यह आपका वजन बढ़ाने मे भी मदद करता है।आपको बता दें कि छुहारा, खजूर के सूखने के बाद बनता है।

    ब्लड प्रेशर

    छुहारा लो ब्लड प्रेशर वाले लोग 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठली निकाल दें. इसके बाद गाय के गर्म दूध के साथ छुहारे के गुदे को उबाल लें. उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं. कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से लो ब्लड प्रेशर से छुटकारा मिल जाएगा.

    डाइजेशन में लाभदायक

    छुहारा खाने से पेट को अतिरिक्त बल मिलता है जिससे भोजन अच्छी तरह पच जाता है. रोजाना छुहारे का सेवन करने से आपका डाइजेशन अच्छा रहेगा.

    कब्ज

    रोजाना सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर गर्म पानी पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है. इसके अलावा खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता.

    दिल की समस्या को दूर करे छुहारा

    बता दें कि हृदय प्रणाली पर छुआरा काफी प्रभावशाली है। चूंकि छुहारे के अंदर वसा कम मात्रा में पाया जाता है और इसके अंदर किसी भी प्रकार का कोलेस्ट्रोल भी नहीं पाया जाता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। साथ ही इसके अंदर सोडियम की मात्रा भी कम होती है व पोटेशियम अधिक होता है जो शरीर में रक्त के दबाव को नियंत्रित करता है।

    आंख पर गुहेरी

    आंख पर गुहेरी होने पर इसका लेप इस्तेमाल करने पर आपको जल्दी फायदा मिलेगा और इसके साथ साथ आप लेप को शरीर के किसी भी घाव पर भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके अलावा जिन लोगों को रात में दिखाई नहीं देता है अगर वह लोग छुहारे का लगातार सेवन करते हैं तो उन को रात में न दिखने की प्रॉब्लम कम हो जाती है। इसमे मौजूद कैल्सियम आपकी हड्डियों को मजबूत करता है। जो इसके साथ-साथ यह हमारी हड्डियों को स्वस्थ और ताकतवर बनाने का काम करता है। यह कई तरह की बीमारियों से भी लड़ता है।जैसे कि हमारी हड्डियों में दर्द होना। खजूर में मेगनीज, कोपर और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है जो की हड्डियों की हेल्थ के लिए बहुत ही बढ़िया है।
    *रेगुलर3 छुहारे खाने के बाद 1 ग्लास गरम पानी पीने से आपको बवासीर,कब्ज, और गैस की दिक्कत से छुटकारा मिल जाएगा। यह एनर्जी बूस्ट करने का भी काम करता है क्योंकि इसमें नेचुरल सुगर होता है। उसको आप एक्सरसाइज के बाद ले सकते हैं या एक्सरसाइज से पहले इसको आप ले सकते हैं। यह आपको जल्दी एनर्जी देने का काम करेगा। आपने बादाम का हलवा तो खूब खाया होगा लेकिन क्या आपने छुहारा का हलवा खाया है? यह भी बादाम के हलवे की तरह बहुत ही स्वादिष्ट होता है। यह हलवा सर्दियों के दिनों में बहुत ही लाभदायक होता है। इसे आप कई दिनों तक रख भी सकते हैं।

    खांसी और जुकाम को दूर करें खजूर और दूध

    दूध और खजूर का उपयोग काफी पुराने समय से चला आ रहा है। यह न केवल खांसी जुकाम की परेशानी को दूर करता है बल्कि अगर एक चुटकी काली मिर्च और इलाइची का पाउडर दूध में मिलाया जाए और खूजर के साथ इसका सेवन किया जाएगा तो यह सर्दी भगाने में भी बेहद उपयोगी है।

    जुएं

    छुहारे की गुठली को पानी में घिसकर सिर पर लगाने से सिर की जुएं मर जाती हैं.

    श्वास संबंधी रोग में फायदेमंद

    छुहारे श्वास रोग मे बहुत ही कारगर साबित होता है, क्योंकि यह छाती और फेफड़ों को ताकत देने मे मदद करता है. अगर हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं तो हमें श्वास संबंधी रोग नहीं होते और अगर पहले से किसी को सांस संबंधी परेशानी है तो छुहारे का सेवन करने से बहुत ही फायदा मिलता है.

    पेशाब की समस्या करे दूर

    छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है. बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से बहुत लाभ होगा. इसके अलावा यदि आपका बच्चा बिस्तर पर पेशाब करता हो तो उसे भी रात को छुहारे वाला दूध पिलाएं

    बालों को स्वस्थ बनाएं

    छुआरे के अंदर विटामिन b5 पैंटोथैनिक एसिड पाया जाता है जो बालों के लिए एक हेल्दी खुराक के रूप में काम करता है। ऐसे में इसका नियमित रूप से सेवन सेवन रूखे बालों का झड़ना, दो मुंहिये वालों की समस्या आदि को दूर कर सकता है। वहीं जो लोग बाल झड़ने की समस्या से परेशान रहते हैं वे नियमित रूप से छुहारे का उपयोग कर सकते हैं। छुहारा पोषक तत्व से भरा हुआ है, ऐसे में ये स्वस्थ बालों का विकास करता है और बालों को मजबूती देता है, जिससे बाल चमकदार नजर आते हैं।

    भूख न लगने की समस्या को करे खत्म

    जिन लोगों को भूख नहीं लगती है उन्हें छुहारे का सेवन जरूर करना चाहिए. इसके लिए छुहारे के गूदे को दूध के साथ उबाल लें. ठंडा होने के बाद दूध को मिक्सर में डालकर पीस लें. इसके सेवन करने से भूख न लगने की समस्या खत्म हो जाती है.

    वजन बढ़ाने में मददगार

    शारीरिक रूप से कमजोर और पतले लोगों के लिए छुहारा किसी वरदान से कम नहीं है. इसके लिए छुहारे को दूध के साथ मिलाकर पिएं. लेकिन अगर मोटे हैं तो इसका सेवन सावधानीपूर्वक करें.

    दूध में कितने छुहारे खाने चाहिए?

    रोजाना दूध और 3 छुहारे का सेवन शरीर को मजबूत बनाता है और कमजोरी को दूर भगाता है। अत्यधिक दुबले-पतले व्यक्ति अगर रोजाना 250 ग्राम दूध में छुहारे उबालकर इसका सेवन करते हैं तो इससे उन्हें मोटापा बढ़ाने में मदद मिलती है।

    सर्दी-जुकाम को भगाए दूर

    सर्दी-जुकाम से परेशान हैं तो एक गिलास दूध में पांच छुहारे, पांच दाने काली मिर्च और एक इलायची डालकर अच्छी तरह उबाल कर उसमें एक चम्मच घी डालें. फिर रात में सोने से पहले पी लें. सर्दी-जुकाम तुरंत आराम मिल जाएगा. इसके अलावा छुहारे को घी में भूनकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से खांसी, छींक, और बलगम में भी राहत मिलती है.

    घाव व चोट भरने में लाभदायक

    छुहारे की गुठली को पानी के साथ पत्थर में घिस लें. इस पेस्ट को घाव और चोट पर लगाने से यह जल्दी भर जाता है.

    दांतों को बनाए मजबूत

    छुहारे को गर्म दूध के साथ पीने से कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना आदि में भी लाभ मिलता है.

    कब्ज की समस्या

     रोजाना सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर गर्म पानी पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है. इसके अलावा खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता. छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है. बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से बहुत लाभ होगा

    खजूर खाने का सही समय क्या है?

    एक्सपर्ट की मानें तो खजूर सुबह के वक्त खाना ज्यादा बेहतर होता है. अगर आपका हीमोग्लोबिन लेवल कम है तो इसे लंच में खाने के बाद खाएं. बच्चों को दिन में खाने के बीच खजूर देना ज्यादा बेहतर विकल्प माना जाता है
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