18.11.21

अनचाहे मस्से से मुक्ति के उपाय:Warts and Mole




कई लोगों के चेहरे व शरीर के अन्य हिस्सों पर मस्से हो जाते हैं, जो खूबसूरती को कम कर देते हैं। अगर आप भी मस्सों की समस्या से परेशान से है तो घबराएं नहीं।मस्से वैसे तो कोई तकलीफ़ नहीं देते लेकिन खासकर चेहरे के मस्से रंग रूप को विकृत कर देते है। ये त्वचा पर उगते उभरते हैं और अवांछित प्रतीत होते हैं। मस्से गर्दन,हाथ,पीठ ,चिन,पैर आदि किसी भी जगह हो सकते हैं।
*मस्से पिगमेंट कोषिकाओं के समूह होते हैं। ये काले भूरे रंग के होते हैं। कुछ मस्से आनुवांशिक होते हैं लेकिन अधिक धूप में रहने से भी मस्से पनप सकते हैं। अधिकतर मस्से केंसर रहित होते हैं।
*मस्से का उपचार ऐसे करे सेब का सिरका मस्सों को जड़ से खत्म करने के लिए बेहद प्रभावकारी उपाय है। इसे प्रतिदिन कम से कम 3 बार मस्सों पर रुई की सहायता से लगाएं और ऊपर से रुई चिपका दें। कुछ ही दिनों में मस्से का रंग गहरा हो जाएगा और उसकी त्वचा सूखकर निकल जाएगी। अगर इसे लगाने के बाद आपको कोई परेशानी महसूस हो, तो आप ऐलोवेरा जैल लगा सकते हैं।
*त्वचा में मेलानिन (melanin) के ज्यादा होने के कारण तिल या मस्से विकसित हो जाते हैं. तिल और मस्से जन्मजात भी हो सकते हैं. हालांकि, यह अधिकतर मामलों में कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, लेकिन फिर भी कुछ लोगों को अपने चेहरे या त्वचा पर तिल व मस्से अच्छे नहीं लगते हैं और वे उसे हटाना चाहते हैं. यहां आपको तिल और मस्से हटाने का इलाज मिलेगा, जिसके लिए आपको सिर्फ 1 लहसुन की जरूरत होगी.
तिल और मस्से हटाने का घरेलू उपायलहसुन की मदद से तिल हटाने का तरीका
*चेहरे पर मौजूद तिल व मस्से हटाने के लिए आपको सिर्फ 1 लहसुन लेना है. अब 4-5 लहसुन की कली को छिलकर छोटे टुकड़ों में काट लें. इसके बाद लहसुन के इन टुकड़ों को तिल व मस्से पर लगाकर बैंडएज (Bandage) लगा लें. इस बैंडज को 4-5 घंटे के लिए लगा रहने दें. उसके बाद बैंडज हटाकर साफ पानी से धो लें. मस्से व तिल हटाने के लिए इस तरीके को दिन में तीन बार अपनाएं.
*शरीर के लिए लहसुन काफी फायदेमंदहोता है. लहसुन का इस्तेमाल करने से त्वचा में मेलानिन का स्तर कम होता है और तिल व मस्से का रंग हल्का पड़ने लगता है और वह धीरे-धीरे दिखना बंद हो सकते हैं. तिल व मस्से को हटाने के लिए आप सिर्फ 1 लहसुन की मदद लेकर कई तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं.मस्सा हटाने के लिए 

लहसुन और सिरके का इस्तेमाल

तिल व मस्सा हटाने के लिए आप साधारण या सेब के सिरके में से किसी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. सबसे पहले लहसुन की कुछ कलियों को पीसकर पेस्ट बना लें और उसमें सिरका मिला दें. अब लहसुन और सिरके के पेस्ट को तिल या मस्से पर लगाकर 30 मिनट बाद पानी से धो लें.
तिल और मस्से का इलाज: प्याज और लहसुन का उपयोग
*मस्से व तिल हटाने के लिए आप प्याज और लहसुन को अच्छी तरह पीसकर रस निकाल लें. इन दोनों के रस को मिलाकर कॉटन बॉल की मदद से तिल या मस्से पर 15 मिनट के लिए लगा रहने दें. इसके बाद चेहरे या त्वचा को साफ पानी से धो लें. आप दिन में दो बार इस उपाय को अपना सकते हैं.

अगरबत्ती

*तिल के साथ-साथ कुछ महिलाओं की बॉडी पर मस्से भी होने लगते हैं। कई बार तो शरीर के 1-2 हिस्से पर ही मस्से होते हैं, मगर कुछ लोगों के मस्से लगातार बढ़ते चले जाते हैं। ऐसे में इन्हें कुदरती तरीके से खत्म करने के लिए एक अगरबत्ती लें, उसे 1-2 सेकेंड तक जलाने के बाद, हाथ से बुझा लें। बुझाने के बाद इसे मस्से वाली जगह पर हल्के के छुआएं। ध्यान रखें, इस उपाय का इस्तेमाल घर के बड़े व्यक्ति की देख-रेख में ही करें। अगरबत्ती मस्से को छुहाते वक्त बस एक टच के बाद हटा लेनी है। ज्यादी देर तक आपको उसे छुहा कर नहीं रखना।

*तिल या मस्से से पीछा छुड़ाने के लिए आपको किसी पान वाले की दुकान से एक पान का पत्ता और थोड़ा सा चुना लेना होगा।इसी अनुसार पान के पत्ते की नोक पर चूना लेकर अपने तिल या मस्से वाली जगह पर लगाएं। और इसे तब तक लगा रहने दें, जब तक चूना सूख न जाए। और सूखने के पश्चात इसे हल्के गुनगुने पानी से धो लें। अब आप पाएंगे कि आपके चेहरे और त्वचा से तिल या मस्सा पूरी तरह से गायब हो जाएगा। और मस्सों के लिए भी आप इसे ऊपर बताई गई विधी अनुसार ही इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि यह कोई निशान भी नहीं छोड़ता बल्कि आपके चेहरे की त्वचा जैसी है बिल्कुल वैसे ही त्वचा तिल या मस्सा हटाने के बाद दिखाई देती है। इस बात का विशेष ध्यान रखें आप को चुना और कहीं से नहीं लेना है सिर्फ पान वाले की दुकान से चुना आपको लेना है जो पान लगाने के लिए इस्तेमाल होता है।
*बरगद के पेड़ के पत्तों का रस मस्सों के उपचार के लिए बहुत ही असरदार होता है। इस प्रयोग से त्वचा सौम्य हो जाती है और मस्से अपने आप गिर जाते हैं।
*अरंडी का तेल नियमित रूप से मस्सों पर लगायें। इससे मस्से नरम पड़ जायेंगे, और धीरे धीरे गायब हो जायेंगे। अरंडी के तेल के बदले कपूर के तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं।
*लहसून के एक टुकड़े को पीस लें, लेकिन बहुत महीन नहीं, और इस पीसे हुए लहसून को मस्से पर रखकर पट्टी से बांध लें। इससे भी मस्सों के उपचार में सहायता मिलती है।
*एक बूँद ताजे मौसमी का रस मस्से पर लगा दें, और इसे भी पट्टी से बांध लें। ऐसा दिन में लगभग 3 या 4 बार करें। ऐसा करने से मस्से गायब हो जायेंगे।
*बंगला, मलबारी, कपूरी, या नागरबेल के पत्ते के डंठल का रस मस्से पर लगाने से मस्से झड़ जाते हैं। अगर तब भी न झड़ें, तो पान में खाने का चूना मिलाकर घिसें। कैस्टर ऑयल और लहसुन
तिल व मस्से का घरेलू इलाज करने के लिए कुछ बूंद कैस्टर ऑयल और लहसुन की 2 से 3 कली चाहिए. लहसुन की कलियों को महीन पीसकर पेस्ट बना लें और फिर इसमें कैस्टर ऑयल मिला लें. इस पेस्ट को तिल व मस्से पर रात भर लगा रहने दें और अगली सुबह पानी से धो लें.
*मस्से पर आलू काटकर उसकी फ़ांक रगडनी चाहिये। कुछ रोज में मस्से झडने लगेगे।
* केले के छिलके का भीतरी हिस्सा मस्से पर रगडें। हितकारी उपचार है।४) प्याज का रस नियमित रूप से मस्से पर लगाते रहने से मस्से दूर होते हैं।
  *एक लहसुन की कली चाकू से काटकर उसे मस्से पर रगडें। धीरे-धीरे मस्से सूखकर झडने लगते हैं।
 खट्टे सेवफ़ल का रस मस्से पर दिन में तीन बार लगाने और ऊंगली से मालिश करने से मस्से समाप्त होते हैं।
*अम्लाकी को मस्सों पर तब तक मलते रहें जब तक मस्से उस रस को सोख न लें। या अम्लाकी के रस को मस्से पर मल कर पट्टी से बांध लें।
*कसीसादी तेल मस्सों पर रखकर पट्टी से बांध लें।मस्सों पर नियमित रूप से प्याज़ मलने से भी मस्से गायब हो जाते हैं।
*पपीता के क्षीर को मस्सों पर लगाने से भी मस्सों के गायब होने में मदद मिलती है।थूहर का दूध या कार्बोलिक एसिड सावधानीपूर्वक लगाने से मस्से निकल जाते हैं।
*शरीर में जितने भी मस्से हो उतनि ही काली मिर्च लेकर शनिवार को दिन में न्योत दे,फिर रविवार को सबेरे ही उन्हें कपडे में बांध कर राह में छोड़ दे ।इस टोटके से भी मस्से नष्ट हो जाते है ।
*मीठा सोडा अरंडी के तेल में मिलाकर पेस्ट जैसा बनाकर रोज रात को सोते वक्त मस्सों पर ऊंगली से लगाने और उस पर पट्टी बांधने और सुबह में पट्टी खोलने के अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
*फ़ूल गोभी का रस लगाने से मस्से नष्ट हो जाते हैं।
*रात को सोते वक्त और सुबह के समय मस्सों पर शहद लगाने के लाभकारी परिणाम मिले हैं।
*मस्सों से जल्दी छुटकारा पाने के लिए आप ग्वापाठा (एलोवेरा) के जैल का भी प्रयोग कर सकते हैं। अगर आपके घर पर एलोवेरा है, तो उसका एक छोटा का टुकड़ा काटिये और ताजा जैल मस्से पर लगायें।
*लहसुन की कलियों का छिलका उतार कर काट लें और इसे मस्सों पर रगड़ें या फिर इसका पेस्ट बनाकर मस्सों पर लगाएं। ऐसा करने से भी कुछ ही दिनों में मस्से समाप्त हो जाएंगे। नींबू के रस में रुई भिगो कर मस्से पर लगाना भी लाभप्रद हो सकता है।
*सिरका को दिन में दो बार मस्सों पर लगाने से मस्सों की परेशानी दूर हो जाती है। इसको उपयोग करने के लिए चेहरे को अच्छी तरह धोएं और रूई को सिरके में भिगोकर मस्सों पर लगाएं। दस मिनट बाद गरम पानी से फेस को साफ कर लें ।
*अंजीर के इस्तेमाल से मस्से 3-4 हफ्ते में समाप्त हो जाते है। इसको इस्तेमाल करने के लिए ताजा अंजीर लें। इसे मसलकर इसकी कुछ मात्रा मस्से पर लगाएं और 20 से 30 मिनट तक लगा रहने दें फिर गुनगुने पानी से धो लें।
*आलू का रस लगाना या फिर आलू को काटकर मस्सों पर रगड़ना भी एक बढ़िया विकल्प है, अनचाहे मस्सों से निजात पाने का। आप चाहें तो आलू का रस रात भर मस्सों पर लगाकर भी रख सकते हैं।
*मस्सों से मुक्ति के लिए हरा धनिया एक कारगर उपाय है। इस उपाय को करने के लिए हरे धनिया को पीसकर उसका पेस्ट बना लें और इसे रोजाना मस्सों पर लगाएं।

बेकिंग सोडा 

बेकिंग सोडा का इस्तेमाल त्वचा की कई समस्याओं को समाप्त करने के लिए किया जाता है। मस्से समाप्त करने के लिए बेकिंग सोडा को अरंडी के तेल में मिलाकर पेस्ट तैयार करें और इसे मस्सों पर लगाएं। कुछ ही दिनों में फर्क नजर आएगा१०) विटामिन सी,विटामिन ए और विटामिन ई का नियमित सेवन करने से मस्सों से निजात मिल जाती है और स्वास्थ्य भी उन्नत हो जाता है।
 पोटेशियम युक्त सेव,केला,अंगूर,आलू,,पालक ,टमाटर का प्रचुर मात्रा में उपयोग करने से मस्से नष्ट होते हैं।



 थूहर का दूध या कार्बोलिक एसीड मस्सों पर लगाना कारगर चिक्त्सा मानी गई ह
नागरवेल के पान के डंठल का रस मस्से पर लगाना परम हितक्री उपचार है।
* ग्वार पाठा (एलोवेरा) से मस्से की चिकित्सा की जा सकती है। एलोवेरा के रस में रूई का फ़ाया (काटन बाल) एक मिनट के लिये भिगोएं फ़िर इसे मस्से पर रखें और चिपकने वाली पटी (एढीसिव टेप। से स्थिर कर दें। यह प्रक्रिया दिन में कई बार करना उचित है। ३-४ हफ़्ते में मस्से साफ़ हो जाएंगे।
 मस्से वाले भाग को पर्याप्त गरम पानी में डुबाकर रखने से मस्से मुलायम हो जाते हैं और मस्से के वायरस भी मर जाते हैं। पानी इतना गरम ना हो कि त्वचा जल जाए।
 *ताजा अंजीर लें। इसे कुचलकर -मसलकर इसकी कुछ मात्रा मस्से पर लगावें और ३० मिनिट तक लगा रहने दें फ़िर गरम पानी से धोलें। ३-४ हफ़्ते में मस्से समाप्त होंगे।
* होम्योपैथी में मस्से नष्ट करने की कई कारगर औषधियां हैं जो लक्षणों की समानता के आधार पर व्यवहार में लाई जाती हैं।
नीचे कुछ होम्योपैथिक दवाएं लिख रहा हूं जो मस्से के ईलाज में प्रयुक्त होती हैं :- थूजा 1m ,कास्टिकम 1m, कल्केरिया कार्ब 1m, डल्कामारा 1m, फ़ेरम पिक्रिकम 30, एसिड नाईट्रिक1m, नेट्रम कार्ब6, नेट्रम म्युरियेटिकम6, एन्टिमोनियम6, सीपिया 200









ग्रीन टी के फ़ायदे :Green Tea Benefits




अगर आप लंबे समय तक यंग और फिट रहना चाहते हैं तो ग्रीन टी को अपने रूटीन का हिस्सा जरूर बनाएं। दिन में एक से दो प्याली ग्रीन टी पीने से कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर तो कंट्रोल में रहता ही है साथ ही मेटाबॉलिज्म भी दुरूस्त रहता है। ग्रीन टी में विटामिन, फाइबर, कैल्शियम, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल जैसे कई गुण होते हैं। लेकिन ग्रीन-टी में कुछ और भी चीजें मिलाकर पीएं तो इसका फायदा दोगुना हो जाता है।

शहद


ग्रीट टी का स्वाद और असर बढ़ाने के लिए उसमें शहद मिलाएं। क्योंकि शहद एंटी-ऑक्सीजेंट, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल जैसे गुणों से भरा होता है। इसलिए इसे ग्रीन-टी में मिलाकर पिएं। इससे शरीर में मौजूद सारी गंदगी बाहर निकल जाती है जिससे स्किन पर ग्लो आता है।इम्यूनिटी बूस्ट होती है जिससे कई तरह की बीमारियां दूर रहती हैं।

नींबू

पेट, कमर और जांघ पर जमे फैट को कम करना है तो ग्रीन टी में नींबू मिलाकर पिएं। सिर्फ मोटापा ही नहीं ग्रीट टी औरनींबू का कॉम्बिनेशन सर्दी, खांसी, जैसे इंफेक्शन से भी दूर रखता है रोजाना इसके सेवन से डायबिटीज और ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।

दालचीनी

शहद, नींबू के अलावा ग्रीन-टी में दालचीनी मिलाकर पीना भी बेहद असरदार होता है। विटामिन, फाइबर, आयरन, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल से भरपूर दालचीनी सेहत के लिए कई तरीकों से फायदेमंद है। इससे डाइजेशन सुधरता है जिससे वजन कंट्रोल में रहता है। इसके अलावा ये इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है जिससे कई खतरनाक बीमारियों की संभावना कम हो जाती है।
 ग्रीन टी अनेक प्रकार से हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। इसके नियमित सेवन से वजन में कमी आती है, त्वचा संबंधी समस्याएं दूर होती हैं, बालों का झड़ना बंद हो जाता है और टॉक्सिन्स शरीर से बाहर हो जाते हैं। लेकिन इतने सारे फायदे होने के बावजूद ज्यादा मात्रा में ग्रीन टी पीना आपकी सेहत के लिए घातक भी हो सकता है। इससे उल्टी, दस्त, कब्ज, सिर दर्द, पेट दर्द, अनिद्रा आदि समस्याएं जन्म लेती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक एक दिन में तकरीबन 300-400 मिग्रा ही ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए।
  ग्रीन टी मे कई स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं। इसके नियमित सेवन से वज़न घटाने, त्वचा को सुंदर बनाने, तेज़ स्मरण शक्ति, पाचन और शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र मज़बूत बनाने में मदद मिलती है। यह दांतों की सड़न, ऑर्थराइटिस, किडनी के रोग, दिल के रोग और अनियमित रक्तचाप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन इसका अत्यधिक सेवन फ़ायदे की जगह नुक़सान का सबब बन सकता है।

अति’अच्छी नहीं-

 हालांकि, ग्रीन टी में ज्यादा मात्रा में कैफीन नहीं होता, फिर भी एक सीमा के बाद इसका सेवन अनिद्रा, चिंता, चिड़चिड़ापन और शरीर में आयरन की कमी के लिए ज़िम्मेदार हो सकता है। जानकारी के मुताबिक, दिन में 2-3 कप तक ही ग्रीन टी पीनी चाहिए। इससे ज्यादा पीने से उन लोगों को परेशानी हो सकती है, जो कैफीन की ज्यादा मात्रा के आदी नहीं होते हैं।

गर्भावस्था में करें नज़रअंदाज़-

 ग्रीन टी में मौजूद कैफीन व टॉनिक एसिड गर्भवती महिला और गर्भस्थ शिशु के लिए अच्छा नहीं
होता। गर्भवस्था के दौरान इसका सेवन न करें।

स्वास्थ्य के लिए लाभ

हृदय की सुरक्षा :- 

 ग्रीन टी में पाये जाने वाले एंटी – ऑक्सीडेंट ख़राब कोलेस्ट्रॉल को कम करने, अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने एवं ब्लडप्रेशर को कम करने में मदद करते हैं. और इस तरह से यह हृदय की सुरक्षा करने में मददगार होते हैं. ‘हार्वर्ड मेडिकल स्कूल’ के हेल्थ वॉच मैगज़ीन द्वारा किये गये एक अध्ययन में इसकी पुष्टि करते हुए यह कहा गया था.

मस्तिष्क की कार्यक्षमता में वृद्धि करती है :-

  ग्रीन टी में कैफीन की मात्रा पर्याप्त होती हैं, जोकि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करती है. यह शरीर में एक उत्तेजक के रूप में कार्य करता है. यदि आप बहुत अधिक मात्रा में कैफीन लेते थे और आपको उसे छोड़ना है तो आप ग्रीन टी के माध्यम से धीरे – धीरे उसे छोड़ सकते हैं. मस्तिष्क को काम करने के विभिन्न पहलू जैसे मूड, प्रतिक्रिया और मेमोरी आदि में सुधार लाने के लिए ग्रीन टी बहुत मददगार होती है. ग्रीन टी में कैफीन के साथ ही साथ एमिनो एसिड एल – थीनिन भी होता है, जोकि विशेष रूप से मस्तिष्क के फंक्शन में सुधार करने में कुशल होता हैं.


 ग्रीन टी के लोकप्रिय होने का एक मुख्य कारण वजन घटाने की दिशा में इसका योगदान भी है. और ग्रीन टी इसमें कारगार साबित हुई है. यह शरीर के चयापचय को बढ़ाती है और कुछ हद तक फैट को बर्न करने का काम भी करती है. दरअसल ग्रीन टी में पाया जाने वाला पॉलीफेनॉल फैट को बर्न करने में मदद करता हैं. और जब आपके शरीर से अतिरिक्त फैट कम हो जाता है तो आपका वजन अपने आप ही कम होने लगता है. इसलिए यह वजन कम करने के लिये फायदेमंद हैं.

बैक्टीरियल इन्फेक्शन से सुरक्षा करती हैं :- 

 ग्रीन टी में कुछ ऐसे गुण होते हैं जोकि बैक्टीरिया और वायरस के कारण शरीर में होने वाले इन्फेक्शन से रक्षा करते हैं. ग्रीन टी में मौजूद बीटा – कैरोटीन श्वसन एवं पाचन तंत्र के रखरखाव में मदद करता है. और साथ ही विटामिन सी ठण्ड को रोकने और थकान को कम करने में मदद करता है.

  यह सच हैं कि यदि आप नियमित रूप से ग्रीन टी का सेवन करते हैं तो यह आपको लंबे समय तक जीने में मदद करेगा. इसका कारण यह हैं कि यह आपको विभिन्न बीमारियों से बचाता है. एक कप ग्रीन टी आपके शरीर का कायाकल्प करती हैं, जिससे आप दिन की शुरुआत करने के लिए तरोताजा और सक्रीय महसूस करते हैं.

त्वचा के लिए लाभ

त्वचा में नई जान लाना :- 

 ग्रीन टी आपकी त्वचा में फिर से जान डालने एवं चमकदार बनाने में मदद कर सकती है. और उसे स्वस्थ बना सकती हैं. यह त्वचा से टोक्सिन को हटाने, सूजन को कम करने, और मुंहासों और निशान को ठीक करता है. यह त्वचा की इलास्टिसिटी को भी बेहतर बनाता है. इसके लिए आप 2 उपयोग किये हुए ग्रीन टी में 1-2 छोटी चम्मच शहद, एक छोटा नींबू आदि मिलाएं और इसे चेहरे पर लगायें. और 5 -10 मिनिट बाद गुनगुने पानी से धो लें. यह काफि असरदार होता है.

कैंसर की रोकथाम :-

  शोधकर्ताओं से यह पता चला है कि नियमित रूप से ग्रीन टी का सेवन करने से शरीर में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद मिल सकती हैं. साथ ही अन्य कोशिकाओं के आसपास कोई भी हेल्थ टिश्यू से शरीर को होने वाले नुकसान से यह बचाती भी है. ग्रीन टी में पाए जाने वाले एंटी – ऑक्सीडेंट कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकते हुए उसके सामने एक सुरक्षात्मक बैरियर लगा देता है. जिससे कि यह विभिन्न प्रकार के कैंसर जैसे स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर आदि से शरीर की रक्षा हो सके.

  ग्रीन टी में कैटेचिन कंपाउंड होता हैं जोकि मस्तिष्क की कोशिकाओं में न्यूरोंस पर कार्य करता है, और अल्जाइमर एवं पार्किन्सन रोगों के रिस्क को कम करने में मदद करता है, इस रोग से आमतौर पर बुजुर्ग महिलाएं एवं बुजुर्ग पुरुष पीड़ित होते हैं.

पफी आईज और डार्क सर्कल्स को कम करता है :- 

 एक शोध में यह पाया गया है कि ग्रीन टी में पाया जाने वाला विटामिन के पफी आईज और डार्क सर्कल्स को कम करता है. इसके लिए उपयोग किये हुए ग्रीन टी बैग्स को आधे घन्टे के लिए फ्रिज में रखें, फिर इसे अपनी आंखों को बंद करके उसके ऊपर रखें, और 15 मिनिट ऐसे ही रखें रहने दें, आप बहुत रिलेक्स महसूस करेंगे.
मुंहासों का इलाज एवं त्वचा के लिए टोनर :- इसी तरह उपयोग किये हुए ग्रीन टी बैग्स को पानी के साथ मिलाकर इसे कॉटन की सहायता से अपने चेहरे पर लगायें, यह मुंहासों और फुंसियों के ईलाज एवं एक त्वचा के टोनर के रूप में कार्य करता है.

बालों के लिए लाभ 

बालों के विकास को बढ़ाती है :- 

 ग्रीन टी में अधिक मात्रा में एंटी – ऑक्सीडेंट होते हैं, जो बालों के विकास को बढ़ाते हैं. इसमें मौजूद कैटेचिन में 5 अल्फ़ा – रिडक्टेज अवरोधक गुण होते हैं जो बालों के झड़ने के प्रमुख कारणों में से एक डीएचटी (डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन) को ब्लॉक करने में मदद करता है. यह नए बालों के विकास को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है. ग्रीन टी आम बालों और स्कैल्प से सम्बंधित समस्याओं जैसे ड्राई स्कैल्प और रूसी को दूर रखने में भी उपयोगी है. इसके लिए आप अपने बालों को धोने के बाद ताज़ा ग्रीन टी में पानी मिलाकर बालों में इसका प्रयोग करें. और इसे 10 मिनिट ऐसे ही रखें और इसे फिर धो लें, ऐसा एक सप्ताह में 2 से 3 बार करें. इसके अलावा बालों को सुंदर बनाने के लिए 2 से 3 कप ग्रीन टी रोज पियें.

बालों को चमकदार बनाती है :- 

 अपने बालों को मजबूत और स्वस्थ बनाने के अलावा ग्रीन टी आपके स्कैल्प की चिकनाई से छुटकारा पाने में मदद कर सकती है, जिससे आपको चमकदार और सुंदर बाल प्राप्त होते हैं. साथ ही यह प्रदूषण और कठोर रसायन आधारित बालों में उपयोग होने वाले उत्पादों के नुकसान से भी बचाती है. ग्रीन टी में मौजूद पैंथेनॉल और विटामिन सी एवं ई के हाई लेवल आपके बालों को कंडीशन करते हैं. इसके लिए आप 4 कप गर्म पानी में 2 से 3 ग्रीन टी बैग्स डालें, दूसरी ओर अपने बालों को गीला करें. इसके बाद ग्रीन टी बैग्स को हटा कर उस घोल को अपने बालों में लगायें. फिर इसे 10 मिनिट रखने के बाद शैम्पू कर लें. इस तरह से आपके बाल चमकदार बनेंगे. यह आपके स्कैल्प के खुले हुए छिद्रों को भी सिकोड़ता भी हैं जिससे कि उसमें बेक्टेरिया का इन्फेक्शन नहीं हो पाता.
इस तरह से ग्रीन टी स्वास्थ्य लाभ के अलावा आपकी त्वचा एवं बालों को भी सुन्दरता प्रदान कर लाभ देती हैं. इसलिए यह बहुत ही उपयोगी व्यंजन हैं.

ग्रीन टी से होने वाले नुकसान एवं रिस्क 

 वयस्क लोगों के लिए ग्रीन टी का सेवन करने के लिए कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं हैं लेकिन फिर भी ग्रीन टी से होने वाले कुछ नुकसान या रिस्क का पता होना भी आवश्यक हैं तो आइये आपको इसके बारे में जानकारी देते हैं –

कैफीन सेंसिटिविटी :- 

 वे लोग जो अधिक मात्रा में ग्रीन टी का सेवन करते हैं उनके शरीर में कैफीन की मात्रा बढ़ जाती हैं जिससे वे लोग अनिद्रा, चिंता, चिड़चिड़ापन, उल्टी या पेट ख़राब, अनियमित दिल की धड़कन, आँख के रोग, ब्लीडिंग डिसऑर्डर और बार – बार पेशाब आना जैसी बीमारी जा अनुभव कर सकते हैं.

गर्भावस्था के दौरान ग्रीन टी पीने में रिस्क :- 

 गर्भावस्था के दौरान, ग्रीन टी का निरंतर सेवन करने से गर्भपात होने की आशंका बढ़ जाती हैं. इसलिए यदि एक या अधिकतम दो कप ग्रीन टी का सेवन यदि ऐसी महिलाएं करती हैं तो उनके लिए उचित होगा. लेकिन यदि वे गर्भावस्था के उन कुछ महीनों के लिए इससे बच सकती हैं तो इसका सेवन न ही करें तो बेहतर होगा. क्योंकि ग्रीन टी में मौजूद कैफीन की स्तन के दूध में फैलने की सम्भावना होती हैं, जिससे बच्चे पर भी इसका दुष्प्रभाव हो सकता है.

आयरन की कमी :-

ग्रीन टी का अधिक सेवन करने से एनीमिया और आयरन की कमी जैसी समस्या भी बढ़ सकती है.

कब न पिएं...

*बासी ग्रीन टी- लंबे समय तक ग्रीन टी रखे रहने से उसमें मौजूद विटामिन और उसके एटी-ऑक्सीडेंट गुण कम होने लगते हैं। इतना ही नहीं, एक सीमा के बाद इसमें बैक्टीरिया भी पलने
लगते हैं। इसलिए एक घंटे से पहले बनी ग्रीन टी क़तई न पिएं।

*खाली पेट नहीं-

सुबह ख़ाली पेट ग्रीन टी पीने से एसिडिटी की शिकायत हो सकती है। इसके बजाय सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुना सौंफ का पानी पीने की आदत डालें। इससे पाचन सुधरेगा और शरीर के अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकालने में मदद मिलेगी।

*भोजन के तुरंत बाद- 

जल्दी वज़न घटाने के इच्छुक भोजन के तुरंत बाद ग्रीन टी पीते है, जबकि इससे पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण की प्रक्रिया प्रभावित होती है।

*देर रात पीना

कैफीन के सेवन के बाद दिमाग़ सक्रिय होता है और नींद भाग जाती है। इसलिए देर रात या सोने से ठीक पहले ग्रीन टी का सेवन न करें।
दवाई के बाद नहीं- किसी भी तरह की दवा खाने के तुरंत बाद ग्रीन टी न पिएं।
उबालना नहीं है
*उबलते पानी में ग्रीन टी कभी ना डालें। इससे एसिडिटी की समस्या हो सकती है। पहले पानी उबाल लें, फिर आंच से उतारकर उसमें ग्रीन टी की पत्तियां या टी बैग डालकर ढंक दें। दो मिनट बाद इसे छान लें या टी बैग अलग करें

आँखों की सूजन कम करने के लिए-

 चाय पत्ती आंखों की सूजन और थकान उतारने के लिए परफेक्ट उपाय है। इसके लिए आपको मशक्कत करने की ज़रूरत नहीं, बस दो टी बैग्स लीजिए और हल्के गर्म पानी में गीला करके 15 मिनट के लिए आंखों पर रखिए। इससे आपकी आंखों में होने वाली जलन और सूजन कम हो जाती है। चाय में प्राकृतिक एस्ट्रिजेंट होता है, जो आपकी आंखों की सूजन को कम करता है। टी बैग लगाने से डार्क सर्कल भी खत्म होते हैं।

*मुहासे की समस्या को कम करना

चाय एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटी-ऑक्सीडेंट होने के कारण सूजन को कम करती है। चेहरे के मुहांसों को दूर करने के लिए ग्रीन टी परफेक्ट है। चेहरे से मुहांसे खत्म करने के लिए रात में सोने से पहले ग्रीन टी की पत्तियां चेहरे पर लगाएं। खुद को फिट रखने के लिए सुबह ग्रीन टी पिएं। इससे चेहरे पर प्राकृतिक चमक और सुंदरता बनी रहती है।

*त्वचा की सुरक्षा

ग्रीन टी त्वचा  के लिए बेहद ही फायदेमंद होती है। इससे आपकी स्किन टाइट रहती है। इसमें बुढ़ापा रोकने  के तत्व  भी होते हैं। ग्रीन टी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इन्फ्लामेंटरी एलिमेंट्स एक साथ होने की वजह से यह स्किन को प्रोटेक्ट करती है। ग्रीन टी से स्क्रब बनाने के लिए शकर , थोड़ा पानी और ग्रीन टी को अच्छे से मिलाएं। यह मिश्रण आपकी त्वचा  को पोषण करने के साथ-साथ मुलायम  बनाएगा और स्किन के हाइड्रेशन लेवल को भी बनाए रखेगा।

*बालों के लिए फायदेमंद

चाय बालों के लिए भी एक अच्छे कंडिशनर का काम करती है। यह बालों को नेचुरल तरीके से नरिश करती है। चाय पत्ती को उबाल कर ठंडा होने पर बालों में लगाएं। इसके अलावा, आप रोज़मेरी और सेज हरा (मेडिकल हर्बल) के साथ ब्लैक टी को उबालकर रात भर रखें और अगले दिन बालों में लगाएं। चाय बालों के लिए कुदरती कंडिशनर है।

*पैरों की दुर्गंध दूर करने के लिए

ग्रीन टी की महक स्ट्रॉन्ग और पावरफुल होती है। इसकी महक को आप पैरों की दुर्गंध दूर करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। यूज़ की हुई चाय पत्ती को पानी में डाल दें और उसमें पैरों को 20 मिनट के लिए डालकर रखें। इससे चाय आपके पैरों के पसीने को सोख लेती है और दुर्गंध को खत्म करती है।

* नव विवाहितों के लिए

ग्लोइंग स्किन, हेल्दी लाइफ के अलावा ग्रीन टी आपकी मैरिड लाइफ में भी महक बिखेरती है। ग्रीन टी में कैफीन, जिनसेंग (साउथ एशियन और अमेरिकी पौधा) और थियेनाइन (केमिकिल) होता है, जो आपके सेक्शुअल हार्मोन्स को बढ़ाता है। खासकर महिलाओं के लिए ये काफी सही है। इसलिए अगर आपको भी मैरिड लाइफ हैप्पी चाहिए तो रोज़ ग्रीन टी पिएं
ग्रीन-टी में अनेक एंटीआॉक्सीडंट पाए जाते हैं। जो हमारे स्वास्थ्य और अच्छी सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
*ग्रीन-टी प्रभावि रूप से रक्त में ख़राब कोलेस्ट्रॉल कम करती है । साथ ही खराब कोलस्ट्रॉल और अच्छे कोलेस्ट्रॉल के अनुपात में सुधार करती है ।
*ग्रीन-टी के नियमित सेवन से हाई बीपी के खतरे को कम किया जा सकता है । एवं ग्रीन-टी का सेवन न करने वाले की अपेक्षा करने वाले 46% कम प्रभावित होते हैं।
* ग्रीन-टी में उपलब्ध एंटीआॉक्सीडंट से हमारी त्वचा में पाए जाने वाले हानिकारक कण कम हो जाते हैं । एवं त्वचा रोग होने की संभावना भी बहुत कम कर देता है।
*ग्रीन-टी में पॉलिफेनोल्स की मात्रा बहुत अधिक होती है जो कैंसर कोशिकाओं को मारने में मदद करती है और उन्हें बढ़ने से भी रोकती है ।
*ग्रीन-टी में पॉलिफेनोल्स की मात्रा अधिक होने से हड्डियों की मजबूती एवं शक्ती बनी रहती है। इसके नियमित सेवन से हड्डियों के फ्रेक्चर का जोखिम भी कम हो जाता है ।

ग्रीन टी पीने का सही समय 

सुबह 10 से 11 बजे के बीच
शाम को नाश्ते के बाद 5 से 6 बजे
रात को सोने से 2 घंटे पहले ग्रीन टी पी लेनी चाहिए
भोजन से 1 घंटा पहले या भोजन के 1 से 2 घंटे बाद पिएं
सुबह व्यायाम से लगभग 30 मिनट पहले
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16.11.21

वीर्य की मात्रा बढ़ाने और गाढ़ा करने के रामबाण उपचार:Virya badhana




 वीर्य (Semen) पुरुषत्व का प्रमुख सारतत्त्व माना गया है। संतानोत्पत्ति हेतु वीर्य आवश्यक तत्त्व है। कुसंगति, कुविचार तथा गलत आहार-विहार, अत्यधिक मैथुन के कारण वीर्य की कमी हो जाती है।
इस रोग में सबसे पहले वीर्य पतला होता है। उसके पश्चात धीरे-धीरे स्खलन की मात्रा में कमी आती जाती है। यदि सही समय पर उपयुक्त उपचार न किया जाए तो संभव है नपुंसकता हो जाए। रिसर्च में ये साबित हुआ है की वीर्य दो प्रकार का होता है एक तो गाढ़ा और सफ़ेद और दूसरा पतला पानी जैसा| रिसर्च में यह भी पाया गया है की   ज्यादातर पुरुष अपने वीर्य को गाढ़ा करना चाहते हैं क्योंकि उनके अनुसार गाढ़ा वीर्य मर्दाना ताकत और मर्दानगी का प्रतीक होता है| कुछ लोगों के अनुसार वीर्य का गाढ़ापन उनके पार्टनर को संतुष्ट करने के लिए जरुरी होता है| वहीँ कुछ पुरुष ऐसा भी सोचते हैं की पतला वीर्य होने पर उन्हें संतान प्राप्ति में दिक्कत होगी और गाढ़ा वीर्य उन्हें जल्दी संतान सुख प्रदान करेगा| इन्ही सब कारणों के कारण हर मर्द अपने वीर्य को गाढ़ा करना चाहता है|
 वीर्य की 1 ml मात्रा में करीब 2 करोड़ शुक्राणु पाए जाते हैं| आप अपनी शुक्राणु की संख्या spermcheck kit के द्वारा घर में ही जांच सकते हैं| इस kit को आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं| जैसे की हमने ऊपर बताया की गाढ़ा वीर्य मर्दानगी का प्रतीक माना जाता है खास कर तब जब आप बच्चे के लिए प्लान कर रहे हों| मोटापा, मानसिक तनाव, पोषण की कमी, tight अंडरवियर आदि कुछ कारन हैं जो की वीर्य के पतलेपन के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं| 

ज्यादा सख्लन से बचें

जरुरत से ज्यादा हस्तमैथुन करना या फिर सामान्य से अधिक संभोग में रूचि लेने से अकसर वीर्य पतले हो जाता है| इसलिए जरुरी है की आप इस ज्यादा सख्लन होने से बचें और हो सके तो हफ्ते में एक या दो बार ही संभोग करें| यह सच है की सख्लन आपको मानसिक तनाव से मुक्त रखता है लेकिन वीर्य को गाढ़ा करने के लिए जरुरी है की आप अपने ऊपर थोडा सयम रखें|

अपना लाइफस्टाइल बदलो


ख़राब लाइफस्टाइल और नशा जैसे तंबाकू, धुम्रपान, शराब का सेवन ला प्रभाव निश्चित रूप से आपकी वीर्य की सेहत पर पड़ता है और वीर्य पानी जैसा पतला हो जाता है| इसलिए यह जरुरी हो जाता है की आप बुरी आदतों से दूर रहे और अच्छी लाइफस्टाइल आदतें जैसे अच्छा पोषण युक्त खान पान, नियमित exercise और अच्छी नींद लें| अच्छी आदतों से आपकी जनन क्षमता भी अच्छी होगी और वीर्य की सेहत में भी सुधार होगा|

अश्विनी मुद्रा का अभ्यास कीजिये

अश्विनी मुद्रा को इंग्लिश में kegel exercise के नाम से भी जाना जाता है| यह मर्दों के लिए काफी अच्छी मुद्रा मानी जाती है| यह लिंग की नसों में कमजोरी, शीघ्रपतन, वीर्य सम्बन्धी समस्याएँ और स्तम्भन दोष आदि को सही करने में काफी लाभप्रद मानी जाती है| इस exercise में आपको अपनी गुदा की muscles को अन्दर की और कुछ सेकंड्स खीच कर रखना होता है और फिर यह क्रिया एक बार में 10 बार करनी होती है| *अपने आहार में फोलिक एसिड सप्लीमेंट लें: फोलिक एसिड (विटामिन B9) वीर्य की मात्रा बढ़ाने में मददगार साबित होता है। 400 ग्राम फोलिक एसिड हरी सब्जियां, फलियां, अनाज और नारंगी के रस में पाया जाता है।*विटामिन C और एंटीअॅक्सीडेंट से भरपूर भोजन खाएँ: ये पोषक तत्व आपकी वीर्य से संबंधित बीमारी को कम करेगा और वीर्य के जीवनकाल को भी बढ़ाएगा। भोजनोपरान्त एक नारंगी खाएँ! एक 8 आउन्स (230 ml) ग्लास नारंगी के जूस में 124 ml विटामिन C होता है जो एक दिन के लिए काफी है।
 जेहरीले वातावरण से करें बचाव जेहरीले वातावरण और pollution का प्रभाव आपकी जनन क्षमता को कम करता है| यदि आप किसी high रिस्क इंडस्ट्री में काम करते हैं to दस्तानों और मुँह पर मास्क पहनकर अपने ऊपर होने वाले जेहरीले तत्वों के प्रभाव से बचाव करें| इसी प्रकार डिटर्जेंट और chemicals से काम करते समय अपने हाथों पर रबर के दस्ताने पहने|

विटामिन D और कैल्शियम के प्रतिदिन सेवन को बढ़ाएँ:

आप दोनों को सप्लीमेंट के तौर पर भी ले सकते हैं या फिर कुछ समय धूप में व्यतीत करके विटामिन D की संश्लेषण कर सकते हैं। दही, स्लिम दूध, सैल्मन अधिक मात्रा में सेवन करके से आप कैल्शियम और विटामिन D की जरूरत को पूरा कर सकते हैं। अगर आप ज्यादा समय धूप में व्यतीत करते हैं तो अपने शरीर पर सनस्क्रीन लगाना नहीं भूलें ताकि सूर्य की हानिकारक किरणों से प्रभाव कम हो।
वीर्य को गाढ़ा करने वाली herbs यानि जड़ी बूटियाँ हो सकता है जिन herbs के बारे में हम यहाँ बताने वाले हैं वो भारत में ना मिलती हों लेकिन इन्हें आप आसानी से ऑनलाइन आर्डर करके मंगवा सकते हैं| यहाँ कुछ ऐसी जड़ी बूटियाँ हम बताने जा रहे हैं जो की पुरुष की समस्त समस्याएं दूर कर सकती हैं और आपके वीर्य को गाढ़ा बना सकती हैं|

वीर्य बढ़ाने के लिए मुनक्का का सेवन करें

 वीर्य (Semen) की कमी होने पर आवश्यकतानुसार मुनक्का धोकर पानी में भिगो दें। कुछ समय उसे पानी में ही रहने दें। जब मुनक्का फूल जाए तो उसे दूध में उबालकर पीने से वीर्यवर्धन होता है।
इसका सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि आप शाम को कम से कम 10 मुनक्के भिगो दें और सुबह उसे इस्तेमाल करें | यदि किसी वजह से दूध उपलब्ध न हो हो केवल मुनक्का भी खाया जा सकता है, लेकिन दूध के साथ लेने पर जल्दी फायदा होता है |

पिस्ता का सेवन वीर्य को बढाता है

पिस्ते में विटामिन-ई पाया जाता है, जो वीर्यवर्धन में सहायक है। इसलिए यदि आपको वीर्य की कमी की शिकायत है तो आप पिस्ते का सेवन अवश्य करें | आप दिन तीन बार 20 – 20 पिस्ते ले सकते हैं |

वीर्य बढ़ाने के लिए तरबूज खायें

तरबूज के सेवन से वीर्य वृद्धि होती है। इसलिए आप तरबूज का सेवन इसके सीजन में अवश्य करें | हालाकि आजकल तरबूज तो सभी सीजन में पाया जाने लगा है लेकिन ग्रामीण इलाको में हो सकता है यह सीजन के अलाव उपलब्ध न हो |

आंवला का सेवन रामबाण है

आंवले के तीन-चार चम्मच ताजा रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने तथा इसके पश्चात गर्म दूध पीने से वीर्य वृद्धि होती है तथा संभोगशक्ति भी बढ़ती है। आंवला तो वैसे भी अमृत के समान है, इसलिए आप आंवला का सेवन किसी न किसी रूप में अवश्य करे | आंवला यदि ताजा मिले तो सबसे अच्छा होता है, इसलिए जब इसका सीजन हो तो आंवले को खाने से साथ लें, चटनी बनाएं, पकाकर खायें, हलवा बनाकर खांयें |

नाशपाती खाना लाभप्रद है

प्रात: नित्य एक नाशपाती खाने से शुक्रवर्धन होता है, इसलिए आप कोशिश करें कि एक नाशपाती रोजाना खाए | कुछ ही दिनों में आपको लाभ दिखाए देगा |

आम खाए


आम के रस को दूध में मिलाकर पीने से वीर्य वृद्धि होती है। आम के सीजन में आप सीधे आम ले सकते है लेकिन जब सीजन न हो तो आम से बने उत्पाद आप ले सकते हैं जिससे किसी न किसी रूप में आम आपके शरीर में जाएगा |

नारियल

नियमित सूखे नारियल के सेवन से वीर्य गाढ़ा होता है, इसलिए आप नारियल का सेवन करे और लाभ पायें |

गोखरू

यह भारत में भी आसानी से मिल जाती है| इसमें पाए जाने वाले गुण आपके वीर्य को गाढ़ा करने में मदद करते हैं| इतना ही नहीं यह हर्ब वीर्य में शुक्राणु बढाती है, शुक्राणुओं की गतिशीलता बढाती है और शुक्राणु के जीवन को भी बढाती है| यह सभी बातें तब जरुरी होती हैं जब आपको संतान प्राप्ति में दिक्कत आ रही हो|

एलिसीन (Allicin) का सेवन करें:

यह लहसुन में पाया जाता है, एलिसीन एक ओरगानोसल्फर यौगिक है जो वीर्य की मात्रा को यौन अंग में खून के संचार के अनुकूल बनाता है, जिससे स्वस्थ वीर्य की मात्रा बढती है। कुछ नए और दिलचस्प लहसुन युक्त खाना खाएँ या फिर लौंग और लहसुन की चाय बनाकर सुबह पी लें। वीर्य को स्वस्थ बनाने वाले इन भोजनों का सेवन करें: अगर वीर्य को आँखों से चमकते हुए देखना चाहते हैं, तो अपने खानपान में इन चीजों का प्रयोग करें। Goji berries (एंटीॅआक्सीडेंट) जिनसेंग (Ginseng), अश्वगंधा पम्पकिन सीड्स (omega-3 fatty acids) अखरोट (omega-3 fatty acids) एस्परगस (विटामिन C) केला (विटामिन C)

ढीले कपडे पहनें:


ऐसे कपडे पहने जिनसे आपके अंडकोश (testicles) पर दबाब न पड़े। गर्मी अंडकोश के लिए हानिकारक होती है, इसलिए ढीले वस्त्र जिसमें हवा का प्रवेश हो पहनें। अंडकोश का शरीर से बाहर होने का एकमात्र कारण यही है, ताकि उनमें ठंडक बनी रहे

अपने वज़न की जांच करें:

ज्यादा या कम वजन हार्मोन प्रक्रिया के संचालन में प्रभाव डालता है। एस्ट्रोजन (estrogen) की ज्यादा मात्रा या टेस्टोश्टेरोन (testosterone) की कमी वीर्य की मात्रा में गलत प्रभाव डाल सकता है। जिम ज्वाइन करें, और खुद को प्रोत्साहित करने के लिए नए और दिलचस्प तरीके ढ़ूढें ताकि, अपने वज़न कम करने की लक्ष्य को आप पूरा कर पाएँ।

तनाव दूर करें:

तनाव जानलेवा होता है। हालांकि, आप इसे कुछ समय के लिए संभाल लेंगे, मगर आपका वीर्य इतना मजबूत नहीं होता। तनाव वीर्य उत्पन्न करने वाले हार्मोन को कम कर देता है

गर्म टब से बाहर निकलें:

यह सुखद तो होता है, लेकिन जब आप मनमोहक क्रिया में खोए होते हैं, आपके अंडकोश गर्मी से तप जाते हैं। टब में विश्राम को किसी और समय के लिए छोड़ दें।

साइकिल से उतर जाएं:

साइकिल की सीटें वीर्य को कम करने के लिए प्रख्यात है, अगर कुछ पल के लिए आप सोचेंगे तो आपको महसूस होगा कि क्यों! दबाव, धक्का और उछाल- वीर्य को इनमें से कुछ भी पसंद नहीं है । जब ज्यादा वीर्य उत्पन्न करने की इच्छा हो तो कार या बस का प्रयोग करें।

वीर्य गाढ़ा करने का घरेलु नुस्खा.


वीर्य ही शारीर का सार है, एक योगी को सबसे ज्यादा दुःख अपने वीर्यपात होने पर ही होता है, मगर आज कल के युवा और आधुनिक डॉक्टर इसकी उतना नहीं आंकते, अत्यधिक मैथुन से या अश्लील सिनेमा और साहित्य से वीर्यपात कर चुके युवा जिनका वीर्य पानी कि भाँती हो चूका है, उनका जीवन नरक के समान है. वीर्य ही जीवन है, यही व्यक्ति कि आभा है, ये नहीं तो कुछ नहीं. वीर्य को गाढ़ा और शक्तिशाली करने के लिए सफ़ेद प्याज और अजवायन का ये प्रयोग बहुत लाभदायक है. आइये जाने.

वीर्य गाढ़ा करने के लिए सफ़ेद प्याज और अजवायन का प्रयोग.

एक किलो सफ़ेद प्याज का रस निकाल कर रख लीजिये, अभी इसमें 100 ग्राम अजवायन को 12 घंटे तक सफेद प्याज के रस में भिगोकर रख लीजिये, रस इतना ही डाले के अजवायन इसको सोख ले, सुबह जब सारा रस अजवायन सोख ले तो इसको छाया में सुखा लें। सूखने के बाद उसे फिर से इसी प्रक्कर प्याज के रस में गीला करके सुखा लें। इस तरह से तीन बार करें। उसके बाद इसे कूटकर किसी बोतल में भरकर रख लें। आधा चम्मच इस चूर्ण को एक चम्मच पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर खा जाएं। फिर ऊपर से हल्का गर्म दूध पी लें। करीब-करीब एक महीने तक इस मिश्रण का उपयोग करें। इस दौरान संभोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। यह सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला सबसे अच्छा उपाय है।

सफ़ेद मूसली पुरुष रोगों में रामबाण औषिधि.

वियाग्रा और जिन्सेंग से कहीं बढ़कर है भारतीय सफ़ेद मूसली. आयुर्वेद में सदियों से ही इसका उपयोग कमजोरी से ग्रस्त रोगियों के लिए किया जाता रहा है. मुसली के पौधे की जड़ मूसल के समान होती और इसका रंग सफ़ेद होता है इसलिए इसे मुस्ली या मूसली कहा जाता है। वीर्य गाढ़ा करने के लिए सफ़ेद प्याज और अजवायन. वीर्य गाढ़ा करने का घरेलु नुस्खा. वीर्य ही शारीर का सार है,
 वीर्य ही शरीर की सप्त धातुओं का राजा माना जाता है और ये सप्त धातुयें भोजन से प्राप्त होती हैं | इसमे सातवी धातु ही पुरुष में वीर्य बनती है | 100 बूंद खून से एक बूंद वीर्य बनता है | एक महीने में लगभग 1 लीटर खून बनता है जिससे 25 ग्राम वीर्य बनता है और गर्भाधान के लिए 60 से 70 करोड़ जीवित शुक्राणुओं का होना जरूरी होता है | इसलिए संभोग हफ्ते में एक बार ही करना चाहिए क्योंकि एक बार के संभोग के दौरान 10 ग्राम वीर्य निकल जाता है |
 वीर्य में जीवित शुक्राणुओं की कमी से महिलाओं को गर्भवती भी बनाया नहीं जा सकता | वीर्य परीक्षण में वीर्य गर्भाधान के लिए 7.8 पी.एच से 8.2 पी. एच ही सही माना गया है | वीर्य में दो प्रकार के शुक्राणु होते हैं एक्स और वाई | एक्स शुक्राणुओं से पुत्री पैदा होती है और वाई शुक्राणुओं से पुत्र पैदा होता है | एक शुक्राणु की लम्बाई लगभग 1/500 इंच होती है
 कभी-कभी वीर्य पतला होने के कारण गर्भ नहीं ठहरा पाता ऐसा तब होता है जब कोई ज्यादा मैथुन करके वीर्य को नष्ट कर देता है या अन्य दूसरी किसी बीमारी से ग्रस्त होकर जैसे:- प्रमेह, सुजाक, मूत्रघात, मूत्रकृच्छ और स्वप्नदोष आदि |

वीर्य के दोष को दूर करने का घरेलू उपाय


ब्राह्मी:

ब्राह्मी, शंखपुष्पी, खरैटी, ब्रह्मदण्डी और कालीमिर्च को पीसकर खाने से वीर्य शुद्ध होता है 

बबूल:


बबूल की कच्ची फली को सुखाकर मिश्री में मिलाकर खाने से वीर्य की कमी व रोग दूर होते हैं | 10 ग्राम बबूल की कोंपलों को 10 ग्राम मिश्री के साथ पीसकर पानी के साथ लेने से वीर्य-रोगों में लाभ होता है | हरी कोंपले न हों तो 30 ग्राम सूखी कोंपलों का सेवन कर सकते हैं |
बबूल की फलियों को छाया में सुखा लें और बराबर की मात्रा मे मिश्री मिलाकर पीसकर रख लें | एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित रूप से जल के साथ सेवन से करने से वीर्य गाढ़ा होगा और सभी विकार दूर हो जाएंगे 
बबूल की गोंद को घी में तलकर उसका पाक बनाकर खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है और प्रसूत काल स्त्रियों को खिलाने से उनकी शक्ति भी बढ़ती है |
बबूल का पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) लेकर पीस लें, और आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से कुछ ही समय में लाभ मिलता है |
बबूल की कच्ची फलियों के रस में 1 मीटर लंबे और 1 मीटर चौडे़ कपड़े को भिगोकर सुखा लेते हैं | एक बार सूख जाने पर उसे पुन: भिगोकर सुखाते है |इसी प्रकार इस प्रक्रिया को 14 बार करते हैं | इसके बाद उस कपड़े को 14 भागों में बांट लेते है, और प्रतिदिन एक टुकड़े को 250 मिलीलीटर दूध में उबालकर पीने से धातु की पुष्टि हो जाती है |

शतावर:

शतावर रस या आंवला रस अथवा गोखरू काढ़ा शहद में मिलाकर पीने से वीर्य शुद्ध होता है | शतावर, सफेद मूसली, असगन्ध, कौंच के बीज, गोखरू और आंवला ये सभी बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें तीन-तीन ग्राम चूर्ण सुबह-शाम खाने से धातु (वीर्य) में वृद्धि होती है |

धनिया:

धनिया, पोस्त के बीज के साथ मिश्री मिलाकर खाना लाभदायक होता है |

तालमखाना:

तालमखाना मे मिश्री मिलाकर खाने से वीर्य शुद्ध यानी साफ हो जाता है |

चोबचीनी:

चोबचीनी, सोठ, मोचरस, दोनों मूसली, काली मिर्च, वायविडंग और सौंफ सबको बराबर भाग में लेकर चूर्ण बनायें | बाद में 10 ग्राम की मात्रा में रोज खाकर ऊपर से मिश्री मिला दूध पी लें इससे वीर्य साफ होता है 

नींद और व्‍यायाम –

पूरी नींद और नियमित व्‍यायाम का सीधा संबंध आपकी यौन क्षमता से होता है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि नियमित व्‍यायाम और आवश्‍यक आराम पुरुषों के शरीर में शुक्राणुकोशिकाओं की वृद्धि में सहायक होता है। इसलिए वीर्य की कमी को दूर करने के लिए सभी पुरुषों को उचित आराम और नियमित व्‍यायाम को अपने दैनिक जीवन का हिस्‍सा बनाना चाहिए।

मादक पदार्थों से परहेज –

वीर्य की गुणवत्ता और संख्‍या में कमी आने का प्रमुख कारण अधिक मात्रा में नशीले पदार्थों का सेवन हो सकता है। इसलिए जहां तक संभव हो मदिरा, धूम्रपान और अन्‍य मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें या इन्‍हें बहुत ही कम मात्रा में उपयोग करें।

विटामिन डी और कैल्शियम की उचित मात्रा –

पुरुषों में वीर्य की संख्‍या बढ़ाने में विटामिन डी और कैल्शियम की अहम भूमिका होती है। विटामिन डी और कैल्शियम स्‍वस्‍थ वीर्य के उत्‍पादन को बढ़ाने में सहायक होता है।
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लहसुन खाने के फायदे और नुकसान:Garlic Benefits

 


                                           
 लहसुन भारत की हर रसोई में उपयोग किया जाता है. अधिकतर लोग इसे सब्जी बनाने व मसालों के रूप में उपयोग करते हैं. लेकिन आप सोच भी नहीं सकते कि ये लहसुन हमारे शरीर के अनेक रोगों को बचाता है. लहसुन एक प्राकृतिक एंटीबायटिक की तरह कार्य करता है. लहसुन का वैज्ञानिक नाम है एलियम सैटीवुमएल है. लहसुन में एलियम नामक एंटीबायोटिक होता है. लहसुन का प्रयोग काफी समय से कई रोगों के लिए किया जा रहा है. लहसुन हमारे शरीर में होने वाली बीमारियों को दूर करने में मदद करता है. जैसे कि बबासीर, कव्ज, कान में दर्द इत्यादि.
 उच्च रक्त चाप, उच्च कोलेस्ट्रोल ,कोरोनरी धमनी संबधित ह्रदय दोष और हृदयाघात जैसी स्थितियों में इसका उपयोग उत्साहवर्धक परिणाम प्रस्तुत करता है| धमनी-काठिन्य रोग में भी लहसुन लाभदायक है\ लहसुन के प्रयोग विज्ञान सम्मत होने के दावे किये जा रहे हैं|

हाई बीपी को रोकने में मदद

लहसुन खाने से हाई बीपी से जुड़ी समस्या को कम किया जा सकता है. लहसुन ब्लड सर्कुलेशन को कंट्रोल करने में काफी कारगार होता है. जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है वह लहसुन का सेवन करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

पेट की बीमारियों की रोकथाम

लहसुन पेट से जुड़ी समस्या का भी इलाज करने में काफी मददगार है. डायरिया, कब्ज जैसी समस्या के लिए इसे बेहद उपयोगी माना गया है. पानी उबालकर उसमें लहसुन की कलियां डाल लें फिर इस पानी को सुबह खाली पेट पीनें से डायरिया और कब्ज से छुटकारा मिल जाएगा. इससे गैस की बीमारी में भी फायदा मिलता है.

दिल रहता है सेहतमंद

लहसुन दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरों को भी दूर करता हैं. लहसुन खाने से खून का जमना कम किया जा सकता है और हार्ट अटैक की परेशानी से भी राहत मिलती है. पीरियड्स के दिनों में भी लहसुन बहुत अच्छा होता है.

पाचन में मिलती है मदद

खाली पेट लहसुन की कलियां चबाने से पाचन में दिक्कत नहीं होती है और भूख भी लगना शुरू हो जाती है.


खांसी-जुकाम में आराम

लहसुन का सेवन जुकाम, अस्थमा, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस के इलाज में काफी फायदा करता है.


पेट के लिए

जो लोग जंक फूड या अस्वस्थ खाना खाते हैं उन्हें पेट की समस्याएं हो जाती हैं।
उन्हें अक्सर पेट में दर्द, गैस, एसिडिटी कब्ज, दस्त, पेचिश व अन्य समस्याएं हो जाती हैं। ऐसे में उन्हें लहसून काफ़ी फ़ायदा पहुँचा सकता है।
लहसुन में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं। ये पेट में सिर्फ़ उन्हीं बैक्टीरिया को रुकने देते हैं जो पाचन के लिए ज़रूरी हैं।
जो बैक्टीरिया पेट और पाचन के लिए नुकसानदायक होते हैं लहसुन उन्हें पेट से बाहर निकालने में मदद करता है।
इस तरह लहसुन पाचन से संबंधित परेशानियों को दूर कर देता है। जिन लोगों को पाचन-संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें सुबह ख़ाली पेट लहसुन का सेवन करना चाहिए। यह पेट की सफ़ाई करता है।

ऑक्सीडेटिव तनाव में राहत

लहसुन में पाए जाने वाले यौगिक डीएनए को डैमेज़ होने से बचाते हैं। ये ऑक्सीडेंटिव तनाव से होने वाले रोगों से शरीर की रक्षा करते हैं।
 ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने के लिए लहसुन में डायलेक्लसल्फाईइड पाया जाता है।
अर्थेरोसक्लेरोसिस शरीर के लिए एक गंभीर समस्या है जोकि ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण होती है।
इस रोग में धमनियों में कलेस्टरॉल का स्तर बढ़ जाता है और धमनियां संकरी हो जाती हैं। इस तरह रक्त का प्रवाह बाधित होने लगता है जिससे कि हृदय आघात या हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
लहसुन अतिरिक्त ग्लूकोस को ऊर्जा में बदल देता है जिससे कि ये बढ़कर कलेस्टरॉल का रूप नहीं ले पाते हैं।
इस तरह धमनियां बाधित होने से बच जाती हैं अतः लहसुन का सेवन करने से अर्थेरोसक्लेरोसिस से बचा जा सकता है।

कैंसर से बचाव

कैंसर से बचने के लिए लहसुन का प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि यह कैंसर की संभावनाओं को चमत्कारिक रूप से कम करता है।
लहसुन में सेलेनियम नामक तत्व पाया जाता है जो माईटोसिस और मियोसिस के दौरान चेक प्वायंट्स की कार्यविधि को नियमित करता है।
इस तरह कोशिकाएं एक निश्चित क्रम में ही बढ़ती हैं और वे अनियंत्रित रूप से विभाजित नहीं होती हैं।
कैंसर के उपचार के लिए चीनी वैज्ञानिकों ने एक परीक्षण किया और उन्होंने यह पाया कि लहसुन पेट के कैंसर की 52% और ट्युमर की 33% संभावनाओं को कम करता है।

 प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए


लहसुन में विटामिन सी, विटामिन बी-6 और सेलेनियम की प्रचुर मात्रा पाई जाती है जो शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
 कुछ चिकित्सक लहसुन का प्रयोग फेफड़े के केंसर ,बड़ी आंत के केंसर ,प्रोस्टेट केंसर ,गुदा के केंसर ,आमाशय के केंसर ,छाती के केंसर में कर रहे हैं| मूत्राशय के केंसर में भी प्रयोग हो रही है लहसुन| लहसुन का प्रयोग पुरुषों में प्रोस्टेट वृद्धि की शिकायत में भी सफतापूर्वक किया जा रहा है| इसका उपयोग मधुमेह रोग अस्थि-वात् व्याथि में भी करना उचित है| लहसुन का प्रयोग बेक्टीरियल और फंगल उपसर्गों में हितकारी सिद्ध हुआ है\ ज्वर,सिरदर्द,सर्दी-जुकाम ,खांसी,,गठिया रोग,बवासीर और दमा रोग में इसके प्रयोग से अच्छा लाभ मिलता है|
सांस भरने , निम्न रक्त चाप, उच्च रक्त शर्करा जैसी स्थितियों में लाभ लेने के लिए लहसुन के प्रयोग की सलाह दी जाती है|

मधुमेह में लाभकारी

आईआईसीटी इंडिया के वैज्ञानिकों ने एक शोध किया। उन्होंने लैब में मौजूद चूहों को लहसुन खिलाई और उन्होंने पाया कि चूहों में ग्लूकोज का स्तर तेज़ी से घट गया और चूहे इंसुलिन सेंसिटिव भी हो गए।
इस प्रकार लहसुन मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। यह रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम कर देता है।
यह रक्त में मौजूद अतिरिक्त ग्लूकोस को ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है और रक्त को गाढ़ा होने से बचाए रखता है।
इस तरह रक्त का प्रवाह भी नियमित रहता है और शुगर का स्तर भी कम होता है।
जो लोग मधुमेह से पीड़ित हैं उन्हें लहसुन खाना चाहिए।
लहसुन ख़ासकर उन लोगों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है, जो मधुमेह से पीड़ित हैं और इंसुलिन के इंजेक्शन लेते हैं।
लहसुन खाने से उनका शरीर इंसुलिन सेंसिटिव हो जाता है।
अगर आप बढ़ते बज़न से परेशान हैं तो लहसुन का सेवन आपके लिए बड़ा ही लाभदायक है। प्रति दिन आप खली पेट लहसुन का सेवन करना चालू करें बजन कम करने में लाभ मिलेगा.
इसके साथ ही साथ रात में सोते समय लहसुन की एक पोथी तकिये के नीचे रखने से निगेटिव एनर्जी से भी बचा जा सकता है और ऐसा करने से नींद अच्छी आती है.
दांत में दर्द हो रहा हो तो लहसुन की एक कली को दाँतों में दबाने से या लहसुन का तेल दांत पर लगाने से दांत का दर्द दूर हो जाता है.
लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और कैंसर जैसे गंभीर बीमारी से लड़ने में शरीर की मदद करता है.
लहसुन का तेल भी बनाया जाता है जो बच्चो को सर्दी हो जाने पर उनके शरीर पर लगाया जाता है व कान में भी डाला जाता है. लहसुन का तेल बनाने के लिए आप एक कटोरी को माध्यम आंच पर रखें और उसमें शुद्ध सरसों का तेल डाले व गरम होने दें, इसके बाद छीले हुए लहसुन की 4-5 कलियाँ उसमें डाल दें और सुनहरे होने तक तड़कने दें. गुनगुना होने पर इस तेल का उपयोग कर सकते हैं. सर्दियों के दिनों में बच्चों को इसी तेल से मालिश करने से उन्हें ठण्ड नहीं लगती.

जुकाम व अस्थमा के लिए


वैज्ञानिकों द्वारा यह पाया गया है कि लहसुन अस्थमा के लिए ज़िम्मेदार बैक्टीरिया की कार्यविधि को प्रभावित करता है।
 एक विशेष प्रकार का मस्टर्ड गार्लिक ऑयल जुकाम व अस्थमा के लिए प्रयोग किया जाता है।
 मस्टर्ड गार्लिक ऑयल को थोड़ा सा गरम करने के बाद इससे नाक, छाती व गले की मसाज की जाती है। इससे फेफड़ों और छाती में जमने वाला बलगम बाहर निकल जाता है।
 सांस के रोगी के लिए लहसुन के साथ घी का सेवन करने से लाभ मिलता है और लहसुन की कलि को भूनकर खाने से भी सांस की बीमारी में लाभ मिलता है.
सरसों के तेल में लहसुन डालकर गर्म करके मालिश करने से सर्दी-जुकाम से जल्दी राहत मिल जाती है। लहसुन खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं और साथ जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।
लहसुन की 2-3 कलियों को गर्म पानी में नींबू के साथ खाने से खून साफ होता है, जिससे चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं।
लहसुन खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार नहीं पड़ता है। लहसुन के नियमित सेवन से कैंसर पैदा करने वाले सेल्स खत्म हो जाते हैं, जिससे कैंसर होने का खतरा कम रहता है।
लहसुन खाने से दिल से जुड़ी बीमारियां होने के चांसेस कम रहते हैं। वजन कम करने के लिए भी लहसुन कारगर है।
लहसुन को शहद के साथ खाने से मोटापा कम होता है।
लहसुन में पाया जाने वाला एलिसिन यौगिक, एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) के ऑक्सीकरण को रोकता है. यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है.
लहसुन का नियमित सेवन रक्त में जमे थक्कों को कम करता है और थ्रोम्बोम्बोलिज़्म (thromboembolism) को रोकने में मदद करता है. लहसुन रक्तचाप को भी कम करता है, इसलिए उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए यह फायदेमंद है.
 लहसुन का उपयोग तनाव दूर करने वाला है,थकान दूर करता है | यह यकृत के कार्य को सुचारू बनाती है| चमड़ी के मस्से ,दाद भी लहसुन के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं| लहसुन में एलीसिन तत्त्व पाया जाता है| रोगों में यही तत्त्व हितकारी है| प्रमाणित हुआ है कि लहसुन ई कोलाई, और साल्मोनेला रोगाणुओं को नष्ट कर देती है| लहसुन की ताजी गाँठ ज्यादा असरदार होती है| पुरानी लहसुन कम प्रभाव दिखाती है|
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14.11.21

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय:Giloy benefits




क्या है गिलोय


गिलोय एक कभी ना सूखने वाला पौधा है। इसका तना रस्सी की तरह होता है और इसके पत्ते पान के आकार के होते हैं। इसके साथ ही इसमें पीले और हरे रंग के फूल गुच्छे में निकलते हैं कहा जाता है कि नीम पर चढ़ी गिलोय अधिक फायदेमंद होती है। क्योंकि गिलोय एक ऐसा पौधा है जिस पेड़ पर इसकी लतें लगती हैं यह उसके भी गुण ले लेता है। गिलोय में ग्लुकोसाइन, गिलोइन, गिलोइनिन, गिलोस्तेराल तथा बर्बेरिन नामक एल्केलाइड पाये जाते हैं। अगर आपके घर के आस-पास नीम का पेड़ हो तो आप वहां गिलोय बो सकते हैं । नीम पर चढी हुई गिलोय उसी का गुण अवशोषित कर लेती है ,इस कारण आयुर्वेद में वही गिलोय श्रेष्ठ मानी गई है जिसकी बेल नीम पर चढी हुई हो 
गिलोय एक ऐसी औषधि है, जिसे अमृत तुल्य वनस्पति माना जाता है. आयुर्वेदिक द्रष्टिकोण से रोगों को दूर करने में सबसे उत्तम औषधि के रूप में गिनी जाती है.बरसात के मौसम में होने वाली वायरल बीमारियों मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया में गिलोय का सेवन किया जाता है. चो चलिए जानते हैं इसे खाने से आपको और कितने फायदे हो सकते हैं|
डायबिटीज के लिए फायदेमंद
आजकल हर कोई डायबिटीज से परेशान है ऐसे में अगर आपके परिवार में या आपको टाइप 2 डायबिटीज है तो ऐसे में गिलोय का सेवन जरुर करें. ये आपके ब्लड सुगर को अच्छे से कंट्रोल करता है. आप इसके जूस का सेवन करें, डॉक्टर भी इसका जूस पीने की सलाह देते हैं

बुखार आने की समस्या

गिलोय का सेवन करने वाले लोगों में बुखार आने की समस्या का खतरा कई गुना तक कम हो जाता है। इसके लिए गिलोय की पत्तियों को पीसकर इसकी छोटी-छोटी गोली बना लें और मरीज को सुबह-शाम इसे खाने के लिए दें। यह उनके लिए और भी फायदेमंद साबित हो सकता है जिन्हें अंग्रेजी दवाओं से एलर्जी है। दिन में दो से तीन बार इसका सेवन करने के बाद मरीज खुद ही इसके परिणाम को महसूस कर सकेगा।

इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर

अगर आप आए दिन बिमार रहते हैं और आपको अक्सर सर्दी-खांसी होती है तो ऐसे में आपके शरीर में इम्यूनिटी की कमी है जिसकी वजह से आप ज्यादा बिमार रहते हैं और आपको इन बातों को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए ऐसे में आप गिलोय का सेवन करें ये आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करेगा. गिलोय रक्त को शुद्ध करता है, बैक्टीरिया से लड़ता है जो रोगों का कारण बनता है और हार्ड और इनफर्टलिटी के इंफेक्शन को कम करता है.

गिलोय की तासीर कैसी होती है ?


बुखार में गिलोय का सेवन करते समय, गिलोय की तासीर की जानकारी बेहद जरूरी है. क्योंकि हर मौसम में गिलोय खाना ठीक नहीं माना जाता है. आयुर्वेद की किताबों में गिलोय की तासीर गर्म बताई गयी है. सर्दी-जुकाम और बुखार में इसीलिए गिलोय लाभदायक होता है.

गिलोय का सेवन कैसे करें?

किसी भी बीमारी में किसी भी दवा का सेवन कैसे करना है, यह जानकारी होना बेहद जरूरी होता है. बुखार में गिलोय का सेवन करने के पाउडर, काढ़ा या रस के रूप में करना चाहिए. गिलोय के पत्ते और तने को एक साथ सुखाकर पाउडर बनाया जाता है. वैसे बाजार में गिलोय की गोली भी मिलती हैं. एक दिन में 1 ग्राम से अधिक गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए.

गिलोय के फायदे हैं और भी-

1) गिलोय का एक चम्मच चूर्ण या काली मिर्च अथवा त्रिफला का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
2) गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता है। गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।


3) गैस, जोडों का दर्द ,शरीर का टूटना, असमय बुढापा वात असंतुलित होने का लक्षण हैं। गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है ।
4) गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारीयां (गठिया) रोग ठीक होता है।
5) गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं।
6) गिलोय का रस और गेहूं के जवारे का रस लेकर थोड़ा सा पानी मिलाकर इस की एक कप की मात्रा खाली पेट सेवन करने से रक्त कैंसर में फायदा होगा।

7) गिलोय और गेहूं के ज्वारे का रस तुलसी और नीम के 5 – 7 पत्ते पीस कर सेवन करने से कैंसर में भी लाभ होता है|

8) गिलोय के 6″ तने को लेकर कुचल ले उसमे 4 -5 पत्तियां तुलसी की मिला ले इसको एक गिलास पानी में मिला कर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये।
9) और उक्त काढ़े के साथ ही तीन चम्मच एलोवेरा का गुदा पानी में मिला कर नियमित रूप से सेवन करते रहने से जिन्दगी भर कोई भी बीमारी नहीं आती।
10) और उक्त मिश्रण मे पपीता के 2-3 पत्तो का रस मिला कर दिन में तीन चार लेने से रोगी को प्लेटलेट की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है प्लेटलेट बढ़ाने का इस से बढ़िया कोई इलाज नहीं है यह चिकन गुनियां डेंगू स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाण होता है।






11) गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानो में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है। और गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
12) गिलोय का रस पीने से या गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग खत्म हो जाता है। या गिलोय और शतावरी को साथ साथ कूट लें फिर एक गिलास पानी में डालकर इसे पकाएं जब काढ़ा आधा रह जाये इसे सुबह-शाम पीयें प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
13) गिलोय के रस में रोगी बच्चे का कमीज रंगकर सुखा लें और यह कुर्त्ता सूखा रोग से पीड़ित बच्चे को पहनाकर रखें। इससे बच्चे का सूखिया रोग जल्द ठीक होगा।
14) मट्ठे के साथ गिलोय का 1 चम्मच चूर्ण सुबह शाम लेने से बवासीर में लाभ होता है।गिलोय के रस को सफेद दाग पर दिन में 2-3 बार लगाइए एक-डेढ़ माह बाद असर दिखाई देने लगेगा ।




15) गिलोय के पत्तों को पीसकर एक गिलास मट्ठा में मिलाकर सुबह सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है|
1 लीटर उबलते हुये पानी मे एक कप गिलोय का रस और 2 चम्मच अनन्तमूल का चूर्ण मिलाकर ठंडा होने पर छान लें। इसका एक कप प्रतिदिन दिन में तीन बार सेवन करें इससे खून साफ होता हैं और कोढ़ ठीक होने लगता है।

16) गिलोय का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार प्रसूता स्त्री को पिलाने से स्तनों में दूध की कमी होने की शिकायत दूर होती है और बच्चे को स्वस्थ दूध मिलता है।
17) एक टेबल स्पून गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन पीने से घाव भी ठीक होते है।गिलोय के काढ़े में अरण्डी का तेल मिलाकर पीने से चरम रोगों में लाभ मिलता है खून साफ होता है और गठिया रोग भी ठीक हो जाता है।
18) गिलोय का चूर्ण, दूध के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से गठिया ठीक हो जाता है।
19) गिलोय और सोंठ सामान मात्रा में लेकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से पुराने गठिया रोगों में लाभ मिलता है।
20) गिलोय का रस तथा त्रिफला आधा कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से घुटने के दर्द में लाभ होता है।
21) गिलोय का रास शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है।
यह एक झाडीदार लता है। इसकी बेल की मोटाई एक अंगुली के बराबर होती है इसी को सुखाकर चूर्ण के रूप में दवा के तौर पर प्रयोग करते हैं। बेल को हलके नाखूनों से छीलकर देखिये नीचे आपको हरा,मांसल भाग दिखाई देगा । इसका काढा बनाकर पीजिये । यह शरीर के त्रिदोषों को नष्ट कर देगा । आज के प्रदूषणयुक्त वातावरण में जीने वाले हम लोग हमेशा त्रिदोषों से ग्रसित रहते हैं। त्रिदोषों को अगर मैं सामान्य भाषा में बताने की कोशिश करूं तो यह कहना उचित होगा कि हमारा शरीर कफ ,वात और पित्त द्वारा संचालित होता है । 

पित्त का संतुलन गडबडाने पर पीलिया, पेट के रोग जैसी कई परेशानियां सामने आती हैं । कफ का संतुलन बिगडे तो सीने में जकड़न, बुखार आदि दिक्कते पेश आती हैं । वात [वायु] अगर असंतुलित हो गई तो गैस ,जोडों में दर्द ,शरीर का टूटना ,असमय बुढापा जैसी चीजें झेलनी पड़ती हैं । अगर आप वातज विकारों से ग्रसित हैं तो गिलोय का पाँच ग्राम चूर्ण घी के साथ लीजिये । पित्त की बिमारियों में गिलोय का चार ग्राग चूर्ण चीनी या गुड के साथ खालें तथा अगर आप कफ से संचालित किसी बीमारी से परेशान हो गए है तो इसे छः ग्राम की मात्रा में शहद के साथ खाएं । गिलोय एक रसायन एवं शोधक के र्रूप में जानी जाती है जो बुढापे को कभी आपके नजदीक नहीं आने देती है । यह शरीर का कायाकल्प कर देने की क्षमता रखती है। किसी ही प्रकार के रोगाणुओं ,जीवाणुओं आदि से पैदा होने वाली बिमारियों, खून के प्रदूषित होने बहुत पुराने बुखार एवं यकृत की कमजोरी जैसी बिमारियों के लिए यह रामबाण की तरह काम करती है । मलेरिया बुखार से तो इसे जातीय दुश्मनी है। पुराने टायफाइड ,क्षय रोग, कालाजार ,पुरानी खांसी , मधुमेह [शुगर ] ,कुष्ठ रोग तथा पीलिया में इसके प्रयोग से तुंरत लाभ पहुंचता है । बाँझ नर या नारी को गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर खिलाने से वे बाँझपन से मुक्ति पा जाते हैं। इसे सोंठ के साथ खाने से आमवात-जनित बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं ।गिलोय तथा ब्राह्मी का मिश्रण सेवन करने से दिल की धड़कन को काबू में लाया जा सकता है। 

मात्रा :

 गिलोय को चूर्ण के रूप में 5-6 ग्राम, सत् के रूप में 2 ग्राम तक क्वाथ के रूप में 50 से 100 मि. ली.की मात्रा लाभकारी व संतुलित होती है।

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