10.11.21

सुडौल व उन्नत वक्ष बनाने के घरेलू आयुर्वेदिक उपाय:increase breast size



 

महिलाओं की सुन्दरता को बनायें रखने और लडको को उनकी तरफ आकर्षित करने में स्त्री स्तन एक महत्वपूर्ण अंग है. इसलिए स्त्रियाँ अपने वक्ष स्थल का बहुत ध्यान रखती है और उन्हें पूर्ण रूप से विकसित रखने की कोशिश करती है. ये ना सिर्फ इनकी बाहरी सुन्दरता को बढ़ता है बल्कि इनके अंदर के आत्मविश्वास को भी बढ़ता है. अगर किसी स्त्री के छोटे स्तन होते है तो इससे उनमे हीन भावना उत्पन्न हो जाती है.
   सुडौल व उन्नत वक्ष आपके सौन्दर्य में चार-चाँद लगा सकते है. इस बात में कोई दोराय नहीं है की सुन्दर एवम् सुडौल वक्ष प्रक्रति की देन है परन्तु फिर भी उनकी उचित देखभाल से इन्हें सुडौल व गठित बनाया जा सकता है. इससे आपके व्यक्तित्व में भी निखार आ जाता है. अधिकतर महिलाये अपने छोटे ब्रैस्ट को विकसित करना चाहती है उनके लिए दिए गये घरेलु नुस्खे काफी कारगर सिद्ध होंगे. अविकसित वक्ष न तो स्त्री को ही पसंद होते है न ही उनके पुरुष साथी को.
*कुछ स्त्रियां अपने घर में बिल्कुल मेहनत का काम नहीं करती इस वजह से उनकी छाती के क्षेत्र में ब्लड का सरकुलेशन सही तरीके से नहीं हो पाता और उनके वक्षों का साइज़ छोटा रह जाता .हैं छोटे स्तनों को सुडौल व आकर्षक बनाने के लिए अगर हो सके तो आप किचन में मसाला पीसने या चटनी पीसने के लिए मिक्सर का प्रयोग ना करते हुए सिल-बट्टे का प्रयोग करें स्तनों को बढ़ाने के लिए यह एक प्रकार की बहुत ही अच्छी एक्सरसाइज है.

*स्तनों को उचित आकार देने के लिए अपने दोनों हाथों पर को दीवार पर रखे और इस तरह जोर लगाएं जैसे आप दीवार को धक्का दे रहे हों. और ध्यान रखें कि आप की कोहनी दीवार में धक्का या जोर लगते समय बिल्कुल सीधी होना चाहिए. और आप इस तरह से लगभग रोजाना 5 मिनट की एक्सरसाइज कर लिया करें ऐसा करने से आपको एक महीने में ही फर्क दिखने लगेगा.
*वक्षों का आकार सही न रहने के पीछे अनेक कारण हो सकते है. किसी लम्बी बीमारी से ग्रसित होने के कारण भी वक्ष बेडौल हो सकते है, इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के बाद भी स्तनों का बेडौल हो जाना एक आम बात है. ऐसी अवस्था में स्त्रियों के लिए उचित मात्रा में पौष्टिक व संतुलित आहार लेना अति आवश्यक हो जाता है. उनके भोजन में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, विटामिन्स, मिनरल्स तथा लौह तत्व भरपूर मात्रा में होने चाहिए. इसके साथ साथ ऐसी स्त्रियों को अपने स्तनों पर जैतुन का लगाकर मालिश करनी चाहिये. ऐसा करने से स्तनों में कसाव आ जाता है. मालिश करने की दिशा निचे से उपर की ओर होने चाहिए.
*मालिश करने के बाद ठन्डे व ताज़े पानी से नहाना उचित रहेगा. ऐसा करने से न केवल वक्ष विकसित व सुडौल होने लगेंगे इसके अलावा आपके रक्त संचार की गति में भी तीव्रता आयगी.

वक्ष सौन्दर्य के लिए कुछ सरल उपाय व व्यायाम:-

* सबसे पहले घुटनों के बल बैठ जाए और दोनों हाथों को सामने लाकर हथेलियों को आपस में मिलाकर पुरे बल से आपस में दबाएँ जिससे स्तनों की मांसपेशियों में खिंचाव होगा. फिर इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपनी हथेलियों को ढीला कर दें. इस प्रक्रिया को नियमित रूप से १० से १५ बार करे. ( वक्षों को नहीं दबाना ह२. इसके अलावा दोनों हाथों को सामने की ओर फैलाते हुए हथेलियों को दिवार से सटाकर पांच मिनट तक दीवारे पर दबाव डालें. ऐसा करने से वक्ष की मांसपेशियों में खिचांव होगा, जिससे वक्ष पुष्ट हो जायंगे.
*घुटनों के बल चौपाया बन जाए, फिर दोनों कोहनियों को थोडा-सा मोड़ते हुए शारीर के उपरी भाग को निचे की ओर झुकाएं.
अपने शरीर का पूरा भार निचे की ओर डाले. तथा पुनः प्रथम अवस्था में आ जाए. इस व्यायाम को ६ से ८ बार दोहराएँ.
* आप व्यायाम के अलावा एक नुस्खे को अपनाकर भी ढीले पड़े स्तनों में कसावट लाई जा सकती है. इसके लिए अनार के छिलकों को छाया में सुखा लें. फिर इन सूखे हुए छिलको का महीन (बारीक़) चूर्ण बना लें, अब इस चूर्ण को नीम के तेल में मिलाकर कुछ देर के लिए पका लें. फिर इसे कुछ देर ठंडा होने के लिए छोड़ दें, ठंडा हो जाने के बाद दिन में एक बार इस लेप को वक्षों पर लगायें और तकरीबन एक से दो घंटा लगे रहने के बाद इस लेप को सादे पानी से साफ़ कर लें. इसके नियमित उपयोग से कुछ दी दिनों में आपको लाभ अवश्य दिखने लगेगा.
*जो स्त्रियाँ बच्चों को स्तनपान कराती है उन स्त्रियों को अपने वक्षों को देख-रेख की ओर और अधिक ध्यान देने की आवश्कता होती है. क्युकि बच्चों को स्तनपान कराने से स्तनों में ढीलापन आ जाता है. इसके अलावा उनके लिए कुछ बातों की और ध्यान देना भी जरूरी होता है. उन्हें कभी भी बच्चों को लेटकर स्तनपान नहीं कराना चाहिए, हमेशा बैठकर ही बच्चों को दूध पिलाना चाहिए. साथ ही इस बात का भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि स्तनपान करने के लिए दोनों स्तनों का बारी-बारी से उपयोग करना चाहिए. ऐसा न करने से वक्षों के आकार में भिन्नता आ जाती है. जिससे आपके सम्पूर्ण सौन्दर्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
*स्तनों का आकार बढ़ाने के लिए तिल भी एक बहुत अच्छा विकल्प है अपने ब्रेस्ट को सही साइज देने के लिए आप तिल को थोड़ी मात्रा में रोज खाएं और यदि संभव हो तो इसके तेल से अपने स्तनों पर रोज़ाना मालिश करें. एस करने से भी बहुत जल्दी फायदा होता है. तिल में कैल्शियम प्रोटीन और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और यह आपके वक्ष का आकार बढ़ाने में मदद करता है
*अगर आप शारीरिक रूप से भी कमजोर हैं तो आप ऐसा खाना खाएं जिसमें शक्कर की मात्रा ज्यादा हो और यह आपके शरीर को भी सुडौल बनाएगी और आपके स्तनों को भी.
*वॉशिंग मशीन की जगह कपड़े अपने हाथों से रगड़ रगड़ कर धोने से से भी आपके चेस्ट की एक्सरसाइज होती है और फल स्वरुप आपके ब्रेस्ट का साइज सही हो जाता है.


*आप अपने घर में सफाई के लिए जो झाड़ू लगाती हैं उसमें भी आपके ब्रेस्ट की एक्सरसाइज होती है. अगर आप अपने घर में झाड़ू नहीं लगातीं तो आज ही खुद अपने घर की झाड़ू देना शुरू कर दें इससे आपकी एक्सरसाइज भी हो जाएगी और आपके ब्रेस्ट के लिए भी ये फायदेमंद साबित होगा.
*अपने ब्रेस्ट को सही आकार देने के लिए आप स्वास्थ्यवर्धक वसा का अच्छे से सेवन करें, ऐसा करने से आपके स्तनों का आकार बढ़ने की संभावना बन जाती है स्वास्थ्यवर्धक वसा जैसे कि अंडे, पनीर, बटर, नाशपाती, घी इस तरह की चीजें जिन में वसा की मात्रा अधिक होती है और यह आपके स्तनों तक सीधा पहुंचता है और उनका आकार प्राकृतिक रूप से सही होना शुरू कर देता है.

सुडौल स्तन के घरेलू आयुर्वेदिक उपाय :



मेथी ( Fenugreek ) :

 मेथी में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते है जो स्तनों के विकास में सहायक होते है. इनके बीज में एस्ट्रोजिन नाम का हार्मोन पाया जाता है. जिससे स्तन का आकार और शेप दोनों उभरते है. इसके अलावा मेथी में प्रोलेकटिन नाम का हार्मोन भी हटा है. इससे स्तन आकर्षक और सख्त होते है.


प्याज ( Onion ) : 

प्यार का उपयोग स्तनों को चुस्त, नर्म और उन्नत रखने के लिए किया जाता है. अगर प्यार के रस में थोडा शहद और हल्दी मिलकर स्तनों पर मालिश की जाएँ तो इससे ढीले और लटके हुए स्तनों में भी कसावट आ जाती है और वो भी आकर्षक दिखने लगते है. ये उपाय शादीशुदा औरतों और उन औरतों के लिए बहुत लाभदायी है जिन्होंने अपने बच्चे को स्तनपान कराया हो.

अनार-

 अनार एंव केले का सेवन आपके स्तनों के आकर को बड़ा करता है अपितु इन्हें खूबसूरत बनाता है। इसके अलावा एक तरो ताजा अनार लें एंव पीस लें। इसे 200 या 250 ग्राम सरसों के तेल में डालकर गर्म कर लें। इस तेल की मालिश नियमित रूप से स्तनों पर करते रहने से स्त्रियों के स्तन उन्नत, सुडौल, सख्त और सौंदर्ययुक्त बन जाते हैं। अनार की छाल एक किलो और माजूफल 125 ग्राम को 2 लीटर पानी में डालकर इतना पकायें कि पानी आधा बच जाये। तब इसे छानकर रख लें। फिर इसी में 125 ग्राम तिल का तेल डालकर, पकाकर स्तनों पर लेप करने से स्तन कठोर होते हैं।



चिकन ( Chicken ) :
  स्तनों के आकार को बढ़ाने और उनके विकास में सबसे जरूरी हार्मोन होता है एस्ट्रोजिन और यदि आप मांसाहारी भोजन का सेवन करते हो तो आप उसके लिए दिन में एक बार चिकन का सेवन जरुर करें, इससे आपके स्तन बड़े और कसावट युक्त होते है.



विटामिन ( Vitamins ) : 

विटामिन ना सिर्फ आपके शरीर को सुन्दर और आकर्षक बनाते है बल्कि आपके स्तनों को भी सुडौल और सही आकार प्रदान करते है. इसलिए आप अपने आहार में विटामिन ए, ई और विटामिन सी की प्रचुर मात्रा लें



अंडे की जर्दी और ककड़ी- 

अंडे की जर्दी में विटामिन डी होता है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। मक्खन, ककड़ी के साथ अंडे की जर्दी को मिलाकर इसका पेस्ट तैयार करें। 20-30 मिनिट तक गोलाकार आकार में मालिश करें। ऐसा रोज करने से कसाव के साथ ही स्तन के आकार में भी परिवर्तन आयेगा।

असगंध और शतावरी 

 सुन्दर सुडौल और स्तनों के आकार में वृद्धि करने के लिए आप असगंध और शतावरी को बराबर मात्रा में लें और उन्हें सुखाकर उनका पाउडर बना लें. आप इनके मिश्रण में थोडा सा गे का घी डालकर अच्छी तरह मिलायें और इसे एक डब्बे में रख लें. आप प्रतिदिन इस मिश्रण की 10 ग्राम मात्रा में थोडा शहद मिलाकर दूध के साथ सेवन करें.

एलोविरा- 

एलोविरा यह आजकल हर घर में देखा जा सकता है। यह एक औषधीय पौधा होता है। इसे ग्वारपाठा या धृतकुमारी के नाम से भी जाना जाता है। यह कांटेदार पत्तियों वाला पौधा होता है इसमें रोग निवारण के गुण भरे होते हैं। औषधि की दुनिया में इसे संजीवनी भी कहा जाता है। इसका जूस हमारे त्वचा की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा स्वस्थ दिखती है। यह स्किन के कोलेजन और लचीलेपन को बढ़ाकर स्किन को जवान और खूबसूरत बनाता है।




कमलगट्टे ( Kamalgatte ) : 

अगर आप अपने स्तनों को गोल, नर्म और सुडौल बनाना चाहते है तो उसके लिए आप आप कमलगट्टे की गिरी को पीसकर उसका पाउडर तैयार कर लें. इस पाउडर को आप प्रतिदिन 5 ग्राम की मात्रा में ग्रहण करें. इससे जल्द ही आपके स्तनों का आकार बढ़ना शुरू होता है.


स्तनों और वक्षस्थल को सही आकर देने, सुन्दर, आकर्षक, सुडौल और उत्तेजित बनाने के अन्य उपयों को जानने के लिए आप नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो

स्तन के कसाव के कुछ घरेलू उपचार

बर्फ की मालिश- बर्फ की मसाज से ब्रेस्ट लूज़ होने से रोके जा सकते हैं। बर्फ आपके स्तनों को उभार देता है और उन्हें ढीला होने से रोकता है। 2 बर्फ के टुकड़े लें और उन्हें गोलाकार मुद्रा में अपने स्तनों के आसपास घुमाएं। इसे 1 मिनट से ज़्यादा न करें क्योंकि स्तनों के पास की त्वचा काफी संवेदनशील होती है।

तेल की मालिश-

हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जिस तरह संतुलित आहार व योगासन आवश्यक है उसी तरह मालिश भी शरीर को स्वस्थ रखने में काफी योगदान रखती है। मालिश से शरीर पुष्ट होता है और मांसपेशियों को भी नवजीवन मिलता है। वैसे तो बाजार में कई औषधीय तेल मिलते हैं लेकिन स्तनों की मालिश के लिये जैतून का तेल ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आप रोजाना स्तनों की मालिश जैतून के तेल से करेगें तो आपके स्तनों का आकार बढ़ेगा। मालिश के द्वारा रक्त परिसंचरण बढ़ जाता है जो स्तनों के अंदर ऊतकों को फैलाने में मदद करता है और उन्हें बड़ा, मजबूत और कसावदार बनाने में मदद करता है।

स्तनों का आकार बढ़ाने में प्याज का प्रयोग

स्तनों का आकार बढ़ाने में प्याज का प्रयोग आप घरेलू नुस्खे के तौर पर कर सकती हैं प्याज के रस में थोड़ी हल्दी और शहद मिला लें और रात को सोते समय अपने दोनों स्तनों पर उसको मॉल लें, और अगली सुबह उठकर इन्हे ठंडे पानी से धो लें इसके प्रयोग से आपके ढीले लटके हुए स्तन एकदम टाइट हो जाते हैं और अगर आपके स्तनों का आकार सामान्य से छोटा है तो यह उन को सुडौल बनाने में बड़ा करने में आपके लिए काफी लाभकारी साबित हो सकता है. वक्षों को कैसे बढ़ाएं यह प्रयोग थोड़ा मुश्किल इसीलिए हो सकता है क्योंकि रात में आपको प्याज के रस की गंध का सामना करना पड़ता है.

केला है फायदेमंद-

*अगर आपका वजन ज्यादा नहीं है तो आप रोजाना बिना नागा किए नियमित रूप से दो केले खा लिया करें आपके स्तनों का आकार आकर्षक बनाने के लिए केले से सस्ता और आसान उपाय कोई दूसरा नहीं है. इसमें वसा की मात्रा बहुत अधिक होती है और यह आपके स्तनों को बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है और अगर आप दुबली-पतली हैं तो यह आपके शरीर को भी सुडौल बनाने में मदद करता है|
*शरीर के लिये अनियमितता बरतना सेहत के लिये काफी नुकसान देह होता है। अगर आप चाहती हैं कि आपका मोटापा ना बढ़े और स्तन भी भारी ओर बैडौल ना हो जाएं तो इसके लिए भोजन करने की आदत को ठीक करें और रोजाना व्यायाम करने की आदत डालें।
* संतुलित आहार भरपूर मात्रा में खायें। अंडा, प्रोटीन शेक, मछली, मीट और दूध में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है और इसे भी खाने से ब्रेस्‍ट साइज बढ़ता है।
* ध्रूमपान के सेवन से बचें, जो स्वास्थ के लिये, एवं आपकी त्वचा के लिये काफी हानिकारक होता है।
हमेशा आप अपने कंधों को आगे की ओर झुकाकर ना बैठे।
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9.11.21

मुंह की लार के ये फायदे नहीं जानते होंगे आप!:saliva of the Mouth


 

मुंह की लार (Saliva) को अगर आप अब तक बेकार समझ रहे थे तो हम आपको बता दें कि मुंह की लार (Mouth Saliva) हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होती है. जी हां, भले ही आपको यह सुनकर घिन आ रही होगी, लेकिन ये सच है. आमतौर पर अधिकांश लोग अपने मुंह में बनने वाली लार की तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं, लेकिन अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए तो इससे आपके मुंह (Mouth) का स्वाद बिगड़ सकता है और आपको कई तरह की बीमारियों व संक्रमण का खतरा हो सकता है. खासकर, सुबह के वक्त मुंह से निकलने वाली लार कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं (Health Problems) से आपको सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाती है.

 सुबह जब हम सो कर उठते है उस समय जो हमारे मुहं की लार होती है उसके अनेक फायदे है इसे बासी मुंह की लार भी कहते है । सुबह की लार का पूरा फायदा उठाने के लिए हमें बिना मुहं धोये ही उसका उपयोग करना चाहिए। यह एक औषधीय गुण है जो आपकी कई समस्याओं को खत्म करता है। आइए जानते है कि इसके क्या-क्या फायदें है।
 मुंह में बनने वाली लार हमारी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद है इस बारे में हम कभी ध्यान ही नहीं देते लेकिन अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए तो मुंह का स्वाद बरकरार रखने से लेकर कई बीमारियों और संक्रमणों का खतरा हो सकता है।

जानते हैं लार के फायदे :-

   सोने से पहले दातों को साफ करके सोएँ और फिर सुबह उठकर बिना कुल्ला किये बिना थूके प्रयोग करे। ये मुह की लार हमारे शरीर की सर्वोत्तम अमृत तुल्य औषिधि है। जो केसा भी चश्मा हो उसको उतारने का गुण रखती है केसा भी दाद हो उसको ठीक करने का गुण रखती है, लार बाज़ार में नही मिलती यह सभी के मुँह में भगवान ने उपहार स्वरुप दी है। 

एंटीसेप्टिक है सुबह की लार

सुबह के वक्त मुंह में बनने वाली लार एक बेहतरीन एंटीसेप्टिक होती है जो मुफ्त में मिलती है और रोगों की एक कारगर दवा भी है. मुंह में बनने वाली लार में असंतुलन के कारण आज कई लोग बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. जबकि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के मुंह में हर रोज 1000 से 1500 मिलीलीटर लार बनती है जो मुंह में मौजूद कैविटी, हानिकारक बैक्टीरिया को साफ करने में मदद करती है.

लार के फायदे

आखों के नीचे काले घेरे के लिए :-

 यदि किसी भाई बहन के आखों के नीचे काले घेरे हो गये हैं तो वो सुबह मे मुह की लार से धीरे धीरे मालिश करें तो ये काले घेरे ठीक हो जायेंगे लेकिन प्रयोग 1-2 महीने करना पड़ेगा।

चस्मा उतारने के लिए :- 

चाहे कितने भी नंबर के मोटे चश्मे लगे हो वे भाई बहन सुबह उठकर पानी का कुल्ला किये बिना जो लार रात भर में इकट्ठी हुई वो आखों में काजल या गुलाब जल की तरह लगानी है | यह आप रात को सोते समय और सुबह 5 बजे उठकर बेड पर लगाये ताकि मुँह 1-2 घंटे बाद धोये तो लार का अपना काम कर सके। कैसा भी चश्मा हो उतरने के 100% आसार रहते है लेकिन आपको प्रयोग तब तक जारी रखना पड़ेगा जब तक आपके चश्मे का नंबर धीरे धीरे कम होकर शून्य हो जाये परिणाम 100% मिलेगा लेकिन कुछ वक़्त लगेगा और लार का कोई साइड इफ़ेक्ट नही है लार से तो आँखों की रौशनी (6/6) भी बढ़ती है।

पेट के लिए है लाभदायक


सुबह की लार पेट के लिए बहुत फायदेमंद होती है. दरअसल, जब आप पानी पीते हैं तो रात भर मुंह में जमा लार पानी के साथ आपके पेट के भीतर जाता है. जिससे पेट अच्छा रहता और पेट से जुड़ी समस्याओं का खतरा भी कम होता है.

 त्‍वचा के लिए गुणकारी

अगर आप दाद से परेशान हैं तो सुबह के वक्त उठकर बिना मुंह धोए मुंह की लार को दाद पर लगाएं. इससे पुराने से पुराना दाद भी ठीक हो जाता है. इसके साथ ही एक्जिमा, अन्य फोड़े-फुन्सी, मुंहासे ठीक करने में भी सुबह की लार उपयोग किया जाता है.

 घाव भरने में मददगार

सुबह की लार घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरने लगता है. शरीर में कहीं कट-छिल जाए या फिर घाव हो जाए तो उस पर सुबह की लार जरूर लगाएं. सुबह के वक्त मुंह से निकलने वाली लार डायबिटीज के रोगियों के घाव पर भी कारगर असर दिखाती है|

डायबिटीज के रोगियों के लिए :- 

डायबिटीज के रोगियों को जहाँ चोट लगी है वहां सुबह की लार लगाये घाव भरने लगेगा।

शरीर के जलने पर :-

 जिन लोगों के जलने से शरीर के किसी भी भाग में कोई दाग हो और नही जा रहा हो वे इसी लार की मालिश करें दाग त्वचा के रंग का होने लगेगा।

आंख आना

जब आंख आती है तो काफी दर्द होता है और आंखों से पानी भी आता है। ऐसे में अगर आप आंख पर लार लगाएंगी तो 24 घंटो के अंदर आंख सही हो जाती है।

दाद के लिए :-

 जिन लोगों के दाद हो गये हैं वे भी इस लार को प्रतिदिन सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये रात भर की इकट्ठी मूंह की लार लगाये दाद देखते ही देखते छूमंतर हो जायेगा। ऐसी कई बीमारी का इलाज है ये मुह की लार |

मुहं की लार में क्या होता है :- 

आइये जानते है मुँह की लार में होता क्या है? मुँह की लार में टायलिन नामक एंजाइम होता है जो हमारी पाचन क्रिया को बढाता है और जो लोग खाते हैं या थूकते रहते हैं धीरे धीरे ये लार बनना बंद हो जाती है और मुँह के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इस लार का PH मान 8.3 होता है। और आप ये सभी सुबह जो टूथपेस्ट करते हो वो करना बंद करे क्योकि इससे लार को हम थूक देते हैं।इसके स्थान पर नीम या बबूल की दातुन करे। ये दातुन करने से लार सर्वाधिक लार बनती है और जिससे दातुन किया उस भाग को काट कर निकाल दे और पानी मे भिगोकर रखें अगले दिन फिर उसी दातुन के अगले हिस्से को प्रयोग में ले सकते है।

आंखों के लिए फायदेमंद

सुबह की लार को आखों पर काजल की तरह लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और चश्मे का नंबर कम होने लगता है. इसके अलावा आंखों का लाल होना, दर्द, जलन और पानी आने जैसी समस्या होने पर मुंह की लार को आंखों पर लगाने से फायदा होता है. इसके अलावा अगर आप आंखों के नीचे काले घेरे से परेशान हैं तो सुबह मुंह की लार से धीरे-धीरे मालिश करें.

जले हुए दाग मिटाएं

अगर आप सुबह-सुबह उठ के अपना लार जले हुए निशान पर लगाएंगे तो ऐसा करने से कुछ समय में दाग मिटने लगेगा।

पेट के लिए लाभदायक

जब आप सुबह पानी पीते है तो रात भर जो मुंह में जमा लार होता है वो पानी के साथ मुंह में चला जाता है जो पेट के लिए बड़ा ही फायदेमंद है।

नेत्र रोग मे - 

आजकल बच्‍चों तक को चश्‍मा लगना आम बात है। इस चश्‍में को उतारने में भी सुबह की बिना मुहं धोये की लार यदि आखों में काजल की तरह लगाया जाये तो चश्‍में कुछ ही महीने में उतर सकता है। बच्‍चों के चश्‍में चार से छ:माह में ही उतर जाते है बडों काे थोडा लम्‍बा टाइम लगभग एक साल भी लग सकता है।
  इस प्रकार सुबह की अथवा बासी मुहं की लार से हम मुफत में कई बीमारियों का इलाज कर सकते है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि इस लार में वो सभी 18 तत्‍व पाये जाते है जो कि मिटटी में पाए जाते है|
लिपि 5594 शब्द 1251 वाक्य 21 पैराग्राफ 0 रिक्त स्थान 1232







2.11.21

छोटी इलायची के बड़े फायदे: cardamom

                                 


 इलायची का आयुर्वेद में बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। प्राचीन काल से ही इलाइची का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता रहा है। इलाइची के इस्तेमाल ना सिर्फ भोजन और व्यंजनों को और स्वादिष्ट बनाया जाता है बल्कि इसके इस्तेमाल से आपको कई स्वस्थ लाभ भी होते हैं।
 एक इलायची बहुत कुछ कर सकती है। जी हां दोस्तों सिर्फ 6 दिन सोते वक्त दो इलायची खाने से ऐसा चमत्कार होता है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। 
अब हम आपको इलाइची से होने वाले स्वस्थ लाभ के बारे में बताएंगे कि कैसे रात में सोने से पहले इलाइची खाना आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। 
अगर आपको पेशाब एक संक्रमण है तो आपको इलायची का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। इसके निरंतर इस्तेमाल से पेशाब का इन्फेक्शन भी ठीक हो जाता है।

हाजमे को दुरुस्त रखता है

अक्सर देखा गया है कि लोगो में खान पान को लेकर चाव होने के बावजूद वे खाने से परहेज़ करते हैं। ऐसा करने कि मुख्य वजह है उनका हाजमा दुरुस्त ना होना। ऐसे में अगर व्यक्ति लगातार इलायची का प्रयोग करता है तो उसका हाजमा दुरुस्त हो जायेगा। एक शोध में ऐसा पाया गया है कि इलाइची पाचन तंत्र को सुधरने में बेहद कारगर है।

वजन बढ़ाने में मदद करता है

अगर आपका वजन नहीं बढ़ रहा है तो इलायची का प्रयोग आपके लिए नए दरवाज़े खोल सकता है। एक शोध में पाया गया कि इलायची का प्रयोग आपकी भूख को बढ़ाता है। इलाइची खाने से आपकी भूख भी बढ़ेगी और आपका पाचन तंत्र भी दुरुस्त होगा जिससे आप भोजन को बेहतर तरीके से पचा सकेंगे।

दिल की धड़कन को सुधारती है

आजकल हृदय रोग आम हो गया है यानी अक्सर लोगों की दिल की धड़कन कम हो जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि दिल की धड़कन को सही रखने में छोटी इलायची का सेवन बहुत कारगर साबित होता है. इलायची में पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम जैसे खनिज पदार्थ मौजूद हैं. इंसान के रक्त, शरीर में मौजूद तरल और ऊतकों का प्रमुख तत्व पोटेशियम है. इलायची के सेवन से पोटेशियम की पर्याप्त मात्रा शरीर में बनी रहती है.

फेफड़ों की परेशानी दूर करें

छोटी इलायची से फेफड़ों में रक्तसंचार तेज गति से होने लगता है. इससे सांस लेने की समस्या जैसे अस्थमा, तेज जुकाम और खांसी से राहत मिलती है. आयुर्वेद में इलायची की तासीर गर्म मानी गई है, जो कि शरीर को गर्मी देती है. इसलिए इसके सेवन से आपके शरीर पर ठंड का असर कम होता है.

रक्तचाप नियंत्रित करती है

छोटी इलायची का सेवन रक्तचाप नियंत्रण में कारगर होती है. मानव शरीर में अधिकतर बीमारियां उच्च रक्तचाप के कारण जन्म लेती हैं. यदि आप भी प्रतिदिन दो से तीन इलायची का सेवन करें तो जिंदगीभर आपका रक्तचाप नियंत्रित रहेगा.

मुंह की बदबू को दूर करें

छोटी इलायची स्वाद बढ़ाने के साथ ही माउथ फ्रेशनर का भी काम करती है. इसे खाने से मुंह की बदबू में राहत मिलती है. यदि आपके मुंह से तेज दुर्गंध आती है और लोग आपसे बात करने में संकोच करते हैं तो आप हर समय एक इलायची अपने मुंह में रख सकते हैं.

कब्ज से राहत दें

पेट में कब्ज यानी बीमारियों को न्योता. इसलिए हर किसी की कोशिश रहती है कि उसे कब्ज की समस्या न हो. यदि आपको कब्ज है तो छोटी इलायची का सेवन या छोटी इलायची को पकाकर तैयार किए गए पानी का सेवन आपको फायदा पहुंचाएगा. यह आपकी पाचन क्रिया को दुरुस्त कर कब्ज से राहत देती है.

वैवाहिक जीवन को सुखद बनाए

यह शायद ही आपको पता हो कि इलायची के सेवन से आपकी सेक्स लाइफ भी बेहतर होती है. प्रतिदिन तीन या चार इलायची का सेवन करने से आपकी सेक्स लाइफ अच्छी रहती है और आपका पार्टनर हमेशा खुश रहता है. नपुंसकता में भी छोटी इलायची का सेवन फायदा देता है.

उल्टी की समस्या में राहत

क्या आपको भी चंद किलोमीटर का सफर करने पर उल्टी आने की समस्या है. यदि हां तो सफर शुरू करने से पहले इलायची का सेवन आपको इस समस्या से राहत देगा. यदि आपको यह लग रहा है कि सफर में पूरे समय उल्टी की समस्या हो सकती है तो आप पूरे रास्ते छोटी इलायची मुंह में डाले रखें.

नींद आने में

दिनभर की बहुत ज्यादा थकान के बाद भी अगर आपको नींद आने में परेशानी होती है तो इसका उपाय भी इलायची है। नींद नहीं आने की समस्या से निजात पाने के लिए आप रोजाना रात को सोने से पहले इलायची को गर्म पानी के साथ खाएं। ऐसा करने से नींद भी आएगी और खर्राटे भी नहीं आएंगे।

इलायची के फायदे और उपयोग :

अगर आपके मुँह से दुर्गन्ध आती है, तो आपको हर दिन खाना खाने के बाद एक इलायची जरुर खानी चाहिए.
यह मुँह के अल्सर और संक्रमण से हमारी रक्षा करता है.
इलायची पाचन सम्बन्धित समस्याओं से राहत दिलाता है.
पाचनतंत्र को मजबूत बनाने के लिए आप इलायची की चाय पी सकते हैं.
अगर आपका जी मचले या चक्कर आए तो एक इलायची मुँह में लेकर चबाना शुरू कीजिए. इससे आपको राहत मिलेगी.
1-2 इलायची के बीजों को दूध में उबाल लीजिए, फिर इसमें शहद डाल दीजिए. यौन समस्याओं से आपको यह छुटकारा दिलाने में मदद करेगा.
यह शीघ्रपतन और नपुंसकता रोकने में मदद करता है.
इलायची पैर के सूजन कम करने में मदद करता है.
यह दिल की धमनियों में जमे वसा को दूर करने में मदद करता है.
अगर आपको सर्दी-खांसी या गले में खरास की शिकायत हो तो, रात में इलायची चबाकर खाने के बाद गर्म पानी पीने से आपको लाभ पहुंचेगा.
इलायची हमारे शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने में मदद करता है.
इलायची की चाय पीने से तनाव कम होता है.
इलायची का लेप बनाकर सिर पर लगाने से सिरदर्द में आराम मिलता है.
यह बीपी सामान्य रखने में मदद करता है.
इलायची साँस लेने से सम्बन्धित समस्याओं से राहत देता है.
यह जमे हुए कफ को निकालने में मदद करता है.
इलायची का सेवन हृदय को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है.
एक गिलास गर्म दूध में 1-2 चुटकी इलायची पाउडर और हल्दी मिला लीजिए, अगर आप चाहें तो थोड़ी चीनी भी मिला सकते हैं. यह मिश्रण एनीमिया से राहत देता है, हर रात इस मिश्रण को पिएँ.
अगर आपके गले में सूजन हो, तो मूली के पानी में छोटी इलायची पीसकर लेने से फायदा पहुंचता है.
अगर आपके मुँह में छाला पड़ गया हो तो, बड़ी इलायची और मिश्री लें. फिर इन दोनों को महीन पीस लें. इस मिश्रण को छाले वाले स्थान पर रखिए. इससे आपको फायदा पहुंचेगा.
इलायची गुर्दे से सम्बन्धित बीमारियों से भी हमें बचाता है.
काली इलायची कैंसर के सेल्स नहीं बनने देता है. स्तन कैंसर आदि को रोकने में यह मदद करता है.
यह हमारे शरीर से कैफीन निकालने में भी मदद करता है.
अगर आप अपने शरीर को सुंदर बनाए रखना चाहते हैं, तो आपको हर दिन इलायची का सेवन करना चाहिए क्योंकि इससे रक्तसंचार अच्छा रहता है.
इलायची बालों को मजबूत और चमकीला बनाता है.
सिर की त्वचा के संक्रमण में भी इलायची फायदा पहुंचाता है.
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1.11.21

मोरिंगा (सहजन) के फायदे और नुकसान:drumstick sahajan


  सहजन को आयुर्वेद में अमृत समान माना गया है क्योंकि सहजन को 300 से ज्यादा बीमारियों की दवा माना गया है. इसल‍िए आयुर्वेद में इसे अमृत समान मानते हैं. इसकी नर्म पत्तियां और फल, दोनों ही सब्जी के रूप में प्रयोग किए जाते हैं. सहजन की फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्‍प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है|
   प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह सिर्फ खाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है। सहजन पेड़ नहीं मानव के लिए कुदरत का चमत्कार। इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ‘मोरिगा ओलिफेरा‘ है हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं, जो लोग इसके बारे में जानते हैं, वे इसका सेवन जरूर करते हैं।
सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी है। इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं।

*इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है। मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है|
*सहजन की फली की सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द , वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है। इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है साथ ही इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
*सहजन या मोरिंगा जड़ से लेकर फूल-पत्तियों तक सेहत का खजाना है। इसके ताजे फूल से हर्बल टॉनिक बनाया जाता है और इसकी पट्टी में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। भारत में खासकर दक्षिण भारत में इसका उपयोग विभिन्न व्यंजनो में खूब किया जाता है। इसका तेल भी निकाला जाता है और इसकी छाल पत्ती गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवाएं तैयार की जाती हैं। आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है।


सिर दर्द में फायदेमंद

सहजन की जड़ के रस में बराबर मात्रा में गुड़ मिला लें। इसे छानकर 1-1 बूंद नाक में डालने से सिर दर्द में लाभ होता है।
सहजन  के पत्तों के रस में काली मिर्च को पीस लें। इसे मस्तक पर लेप करने से मस्तक पीड़ा ठीक होता है।
सहजन के पत्तों को पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से सर्दी की वजह से होने वाला सिर का दर्द ठीक होता है।

सहजन का टाइफाइड में उपयोग

सहजन की छाल को जल में घिस लें। इसकी एक दो बूंद नाक में डालने से तथा सेवन करने से मस्तिष्क ज्वर यानी दिमागी बुखार या Typhoid में लाभ होता है, सहजन के 20 ग्राम ताजे जडों को 100 मि.ली. पानी में उबालें। इसे छानकर पीने से टॉयफॉयड ख़त्म हो जाता है।

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है

सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है , जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। सहजन में विटामिन-सी की मात्रा बहुत होती है। यह शरीर के कई रोगों से लड़ता है।

सर्दी-जुखाम


यदि सर्दी की वजह से नाक-कान बंद हो चुके हैं तो , आप सहजन को पानी में उबालकर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।

रक्त को शुद्ध करने में

सहजन फली की पत्तियां और फली दोनों ही रक्त को शुद्ध करने में मदद करती हैं इसके अलावा यह एक मजबूत एंटीबायोटिक एजेंट के रूप में भी काम करती हैं. इस हरी सब्जी का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा सम्बंधित बीमारियाँ भी दूर हो जाती है.

सैकड़ों औषधीय गुण:

सहजन की फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया में उपयोगी है।
सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग के लिए उपयोगी है। छाल का उपयोग शियाटिका ,गठियाए,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
 सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है, शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।
 सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है। सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है। सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया ए जोड़ों के दर्दए वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है। सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
 सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है। सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
 सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है। सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है। सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
 सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है। सहजन की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है। सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है। सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है। सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
 इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
 सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी। सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
 सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।सहजन की पत्ती को सुखाकर उसकी चटनी बनाने से उसमें आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। गर्भवती महिलाएँ और बुजुर्ग भी इस चटनी, अचार का प्रयोग कर सकते हैं और कई बीमारियों जैसे रक्त अल्पता तथा आँख की बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं। सहजन या सुरजने का समूचा पेड़ ही चिकित्सा के काम आता है। इसे जादू का पेड़ भी कहा जाता है। त्वचा रोग के इलाज में इसका विशेष स्थान है।
 सहजन के बीज धूप से होने वाले दुष्प्रभावों से रक्षा करते हैं। अक्सर इन्हें पीसकर डे केअर क्रीम में इस्तेमाल किया जाता है। बीजों का दरदरा पेस्ट चेहरे की मृत त्वचा को हटाने के लिए स्क्रब के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। फेस मास्क बनाने के लिए सहजन के बीजों के अलावा कुछ और मसाले भी मिलाना पड़ते हैं।
सहजन के बीजों का तेल सूखी त्वचा के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ताकतवर मॉश्चराइजर है। इसके पेस्ट से खुरदुरी और एलर्जिक त्वचा का बेहतर इलाज किया जा सकता है। सहजन के पेड़ की छाल गोखरू, कील और बिवाइयों के इलाज की अक्सीर दवा मानी जाती है। सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है।
* सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी फली वात व उदरशूल में पत्ती ,नेत्ररोग, मोच सायटिका,गठिया आदि में उपयोगी है।
* सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग 
साईटिका ,गठिया,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
*सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है.
*सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने 
से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है\ साईंटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है .
*सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है।
*सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।
*सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया और जोड़ों के दर्द व् वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।
*सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
*.सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
* सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
* सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।

* सहजन फली का रस सुबह शाम पीने सेउच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
*सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
* सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
* सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।
*सहजन. की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
* सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है।
* सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है .
*सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
* सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। ईससे जकड़न कम होगी।
* सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
*.सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।

* सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
*सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
*सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं।

*सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है।मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।  
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सेहत का खजाना अखरोट दिमाग से लेकर दिल तक के लिए जरूरी है :benefits of walnut




  अखरोट को सेहत का खजाना माना जाता है। ये स्किन से लेकर बालों तक के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे कई रोगों से भी बचाव होता है। ये बढ़ती उम्र के असर को भी कम करने में मददगार साबित होता है। अखरोट हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है क्यूकि केंसर, मधुमेह, थाइरोइड आदि और भी कई प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए यह उपयोगी और फायदेमंद है. अखरोट बालों और त्वचा के लिए बहुत लाभकारी है. बहुत सी दवाइयों में भी इसका उपयोग किया जाता है, इससे शरीर की अनचाही चर्बी को भी कम किया जा सकता है.

दिमाग के लिए अच्छा

अखरोट में फाइटोकेमिकल्स के साथ उच्च मात्रा में पॉलीअनसेचुरेटेड वसा होते हैं जो मस्तिष्क को स्वास्थ्य रखने में मदद करता है। इसमें ओमेगा -3 फैटी एसिड भी होता है, जो मस्तिष्क में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे विटामिन ई, फोलेट और एलाजिक एसिड जैसे तत्व पाए जाते हैं।

दिल के लिए फायदेमंद

जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन की रिपोर्ट के मुताबिक अखरोट के सेवन से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है। अखरोट का तेल एंडोथेलियल फ़ंक्शन के लिए अधिक लाभदायक है। ये हमारे रक्त और लसीका वाहिकाओं के अंदर की परत है। अखरोट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मददगार है। मृत्यु का भी जोखिम कम होता है।

नियंत्रित रहता है कोलेस्ट्रॉल:

अखरोट में फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। साथ ही कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को भी कम करता है।

ब्रेन को रखता है एक्टिव और हेल्दी:

एक अध्ययन के मुताबिक अखरोट में जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो मस्तिष्क के कामकाज और स्वास्थ्य को बेहतर करता है। ये याद्दाश्त को बेहतर करने, ध्यान केंद्रित करने और अवसाद के लक्षणों को कम करने में सहायक है

त्वचा को करता है मॉइश्चराइज

अगर आपकी त्वचा सूखी, परतदार और बेजान हो गई है तो इसे मॉश्चराइज करने के लिए भी अखरोट का सेवन फायदेमंद होता है। अखरोट में विटामिन ए और ई होते हैं। इसके नियमित सेवन से त्वचा चमकदार बनती है।

रूखे बालों में आएगी चमक


अगर हवा या धूप के चलते आपके बालों की रंगत छिन गई तो रोजाना अखरोट का सेवन करें। इसमें स्वस्थ फैटी एसिड होता है जो बालों को मजबूत बनाने में मदद करता है। अखरोट खाने से बालों की जड़े मजबूत होती हैं और इनकी चमक बढ़ती है।
जर्नल न्यूट्रिएंट्स में प्रकाशित एक शोध में पाया गया कि प्रति सप्ताह अखरोट की पांच या अधिक अखरोट के सेवन से मृत्यु दर कम करने और लंबी उम्र में मदद करता है। इसके और भी कई स्वास्थ लाभ होते हैं।

स्तन केंसर के लिए


अमेरिकन संस्था ने कैंसर के लिए बहुत से अनुसंधान किये और 2009 में इस अनुसन्धान को जारी किया कि हर रोज अखरोट खाने से स्तन केंसर के खतरे को कम करने में सहायता मिलती है.

विद्रोहजनक बीमारियों के लिए

अखरोट में पाए जाने वाले चर्बीदार अम्ल से विद्रोहजनक बीमारियों जैसे अस्थमा, गठिया रोग और खुजली में बहुत फ़ायदा मिलता है.

हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए

अखरोट में एक बहुत ही महत्वपूर्ण चर्बीदार अम्ल पाया जाता है जिसे अल्फ़ा- लिनोलेनिक अम्ल कहते है. यह अम्ल हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है. अखरोट में पाया जाने वाला ओमेगा-3 चर्बीदार अम्ल विद्रोहजनक बीमारियों के साथ –साथ हड्डियों को बहुत समय तक मजबूत रखने में भी सहायक होता है.

अच्छी नींद और तनाव के लिए

अखरोट में मेलाटोनिन होता है जोकि नींद के लिए बहुत अच्छा होता है. साथ ही इसमें पाया जाने वाला अम्ल खून के स्त्राव को संभालकर तनाव को दूर करता है. 

गर्भावस्था के लिए

अखरोट में विटामिन B –काम्प्लेक्स के ग्रुप जैसे थियामाइन, राइबोफ्लेविन, फोलेट आदि होते है जोकि गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत जरुरी होते है.

कब्ज और पाचन सिस्टम के लिए

अखरोट में फाइबर होता है जोकि पाचन शक्ति को सुचारू रूप से चलाता है. अखरोट का सेवन करने से आँतों में भी फ़ायदा मिलता है. साधारण प्रोटीन के स्त्रोतों जैसे मीट, रोज के उत्पाद आदि में फाइबर कम मात्रा में होता है.

डायबिटीज को रोकने के लिए

अखरोट शरीर में ग्लूकोज को कंट्रोल करता है. अखरोट में पॉलीअनसेचुरेटेड चर्बीदार अम्ल होता है जोकि लीवर में इंसुलिन की रचना करने में सहायक होता है. अखरोट में मिनिरल्स और फाइबर होते है जोकि ग्लूकोज लेवल को कम करने के लिए जरुरी होते है.

आंतरिक सफाई के लिए

अखरोट हमारे आंतरिक भाग का वैक्यूम क्लीनर होता है जोकि अंदर की सफाई करता है. इससे पाचन सिस्टम को अच्छे से चलने में सहायता मिलती है.

वजन घटाने के लिए

अखरोट में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते है जोकि वजन घटने में सहायक होते है इसलिए अखरोट वजन घटाने के लिए बहुत अच्छा घटक है. 

फंगल इन्फेक्शन के लिए

यह फंगस के लिए बहुत अच्छा नही होता है, फंगल इन्फेक्शन से पाचन शक्ति और त्वचा दोनों में प्रभाव पड़ता है. काला अखरोट फंगल के परिणाम के खिलाफ बहुत प्रभावकारी होता है लेकिन इसके साथ दूसरा इलाज भी जरुरी होता है.

अखरोट स्वस्थ और खूबसूरत त्वचा के लिए

अखरोट स्वस्थ और खूबसूरत त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है. यह निम्न प्रकार से त्वचा के लिए आवश्यक है.

त्वचा का बुढ़ापा रोकने के लिए

अखरोट त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है क्युकि इसमें विटामिन B होता है. यह तनाव को दूर करने में सहायक होता है जिससे त्वचा में झुर्रियां नही पड़ती. अखरोट में विटामिन E और एंटीओक्सिडेंट पाए जाते है जोकि त्वचा का बुढ़ापा रोकने के लिए फायदेमंद है.

त्वचा में नमी के लिए

अखरोट के तेल को हल्का गर्म करके सूखी त्वचा में हर रोज लगाना चाहिए, इससे त्वचा को नमी मिलती है और त्वचा स्वस्थ रहती है.

आँखों के काले घेरे के लिए


अखरोट के तेल से रोजाना आँखों की मालिश करना चाहिए, इससे आँखों को तनाव मुक्त और साथ ही आँखों के काले घेरे को साफ़ किया जा सकता है.

त्वचा के निखार के लिए

त्वचा में निखर लाने के लिए 4 अखरोट, 2 चम्मच ओट्स, 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच मलाई और 4 बूँद जैतून के तेल को साथ में पीसकर मिला लीजिये और इस मिश्रण को त्वचा में लगाइए. कुछ समय बाद गर्म पानी से धो लीजिये. त्वचा के रंग में निखार आयेगा.
अखरोट त्वचा को संक्रमण से भी बचाता है इसलिए यह फायदेमंद है.

अखरोट स्वस्थ बालों के लिए

अखरोट बालों के लिए भी सहायक घटक है इससे निम्न प्रकार के फ़ायदे होते है.

अखरोट में पाए जाने वाले तत्व जैसे पोटेशियम, ओमेगा-3, ओमेगा-6, और ओमेगा-9 चर्बीदार अम्ल होते है जोकि बालों को मजबूत बनाने में सहायता करते है. अखरोट के तेल से बालों को लम्बे, मजबूत, स्वस्थ और कोमल बनाया जा सकता है.

गंजेपन को रोकने के लिए

अखरोट के तेल को बालों में लगाने से गंजेपन की परेशानी से बचा जा सकता है.

रुसी के लिए

बालों में रुसी की समस्या रूखे बालों की वजह से होती है. अखरोट के तेल से बालों को नमी मिलती से जिससे बाल रूखे नही होते. इससे रुसी की समस्या से बचा जा सकता है. 
इस प्रकार बालों के लिए अखरोट बहुत अच्छा उत्पाद है इससे और भी बहुत से फायदे है.
*रोजाना करीब 75 ग्राम अखरोट रोजाना खाने से स्वस्थ युवा पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है। यूसीएल के शोधकर्ताओं का कहना है रोजाना अखरोट का पर्याप्त सेवन करने से 21 से 35 वर्ष की आयु के पुरुषों के शुक्राणुओं में अध‍िक जीवनशक्ति और गतिशीलता आती है।
* हाल ही में हुए एक सर्वे से पता चला है कि अखरोट के सेवन से तनाव का स्टार घट जाता है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और शरीर को पर्याप्‍त ऊर्जा मिलती रहती है। 9) नट्स आपकी नींद सुधार सकते हैं, इनमें मेsलाटोनिन हॉरमोन होता है, जो नींद के लिए प्रेरित करना और नींद को नियंत्रित करता है। अगर आप शाम को या सोने से पहले अखरोट खायें तो इससे आपकी नींद में सुधार आए।
*गर्भवती महिलायें जो अखरोट जैसे फैटी एसिड युक्त आहार का सेवन करती हैं, उनके बच्चों को फूड एलर्जी होने की आशंका बहुत कम होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि माताओं के आहार में पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (पूफा) होता है उनके बच्चे का विकास अच्छी तरह होता है। पूफा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कोश‍िकाओं को मजबूत बनाता है।
* सुखद लंबी आयु के लिए अखरोट का सेवन अच्छा रहता है। इसक नियमित सेवन से जीवनकाल बढ़ता है और आपका जीवन ऊर्जा से भरपूर रहता है।
* जो पुरूष पिता बनने की लालसा रखते हैं उनके लिए अखरोट काफी लाभकारी होता है। इसके सेवन से स्पर्म काउंट बढ़ता है।
* अगर आपको अपने स्तन को सुडौल और स्वस्थ बनाएं रखना है तो अखरोट का दैनिक रूप से सेवन करें। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।
* अखरोट का नियमित रूप से सेवन, दिमाग को तेज बनाता है इसीलिए इसे ब्रेन फूड के नाम से भी जाना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ई होने ही वजह से यह दिमाग को तेज और स्वस्थ बनाएं रखता है।

अखरोट के दुष्प्रभाव 

अखरोट के फ़ायदे के साथ -साथ कुछ दुष्प्रभाव भी है, जिनके बारे में जानना बहुत जरुरी होता है.

अखरोट से एलर्जी

अखरोट 8 एलर्जिक खाने में से एक है. अखरोट से एलर्जी भी हो सकती है जिससे बचने के लिए उपयुक्त इलाज करना ही सही है.

अन्य ओषधियों के साथ प्रतिक्रिया

अखरोट अन्य ओषधि के साथ विपरीत प्रतिक्रिया करता है, इसलिए इसे डॉक्टर की सलाह के बिना उपयोग में नही लाना चाहिए.

त्वचा के केंसर

काले अखरोट में कुछ रासायनिक तत्व ऐसे पाय जाते है जोकि त्वचा में केंसर जैसी समस्या को पैदा कर सकता है.

कोशिकाओ के DNA में बदलाव

काले अखरोट में कुछ रासायनिक तत्व ऐसे होते है जोकि प्रोटीन के लेवल को कम कर देते है जिससे DNA सेल ख़राब हो जाती है और परिणाम बहुत ही घातक होता है.
अखरोट से अश्वीय विद्रोहजनक बीमारियां का भी प्रभाव पड़ता है.
अखरोट में पाए जाने वाले कुछ तत्व शरीर से आयरन को अवशोषित कर लेते है जिससे आयरन की मात्रा कम हो जाती है.
अखरोट से लीवर और किडनी भी ख़राब होने का खतरा होता है.
अखरोट से त्वचा में घमोरियां भी फ़ैल सकती है.
अखरोट से बच्चों के जन्म में भी त्रुटी हो सकती है.
अखरोट शरीर के तरल पदार्थ को सुखा देता है, जिससे बहुत परेशानी होती है.
अखरोट का इस्तेमाल संभल कर करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बिना इसे उपयोग में लाना बहुत ही कठिन साबित हो सकता है
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