2.11.21

छोटी इलायची के बड़े फायदे: cardamom

                                 


 इलायची का आयुर्वेद में बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। प्राचीन काल से ही इलाइची का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता रहा है। इलाइची के इस्तेमाल ना सिर्फ भोजन और व्यंजनों को और स्वादिष्ट बनाया जाता है बल्कि इसके इस्तेमाल से आपको कई स्वस्थ लाभ भी होते हैं।
 एक इलायची बहुत कुछ कर सकती है। जी हां दोस्तों सिर्फ 6 दिन सोते वक्त दो इलायची खाने से ऐसा चमत्कार होता है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। 
अब हम आपको इलाइची से होने वाले स्वस्थ लाभ के बारे में बताएंगे कि कैसे रात में सोने से पहले इलाइची खाना आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। 
अगर आपको पेशाब एक संक्रमण है तो आपको इलायची का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। इसके निरंतर इस्तेमाल से पेशाब का इन्फेक्शन भी ठीक हो जाता है।

हाजमे को दुरुस्त रखता है

अक्सर देखा गया है कि लोगो में खान पान को लेकर चाव होने के बावजूद वे खाने से परहेज़ करते हैं। ऐसा करने कि मुख्य वजह है उनका हाजमा दुरुस्त ना होना। ऐसे में अगर व्यक्ति लगातार इलायची का प्रयोग करता है तो उसका हाजमा दुरुस्त हो जायेगा। एक शोध में ऐसा पाया गया है कि इलाइची पाचन तंत्र को सुधरने में बेहद कारगर है।

वजन बढ़ाने में मदद करता है

अगर आपका वजन नहीं बढ़ रहा है तो इलायची का प्रयोग आपके लिए नए दरवाज़े खोल सकता है। एक शोध में पाया गया कि इलायची का प्रयोग आपकी भूख को बढ़ाता है। इलाइची खाने से आपकी भूख भी बढ़ेगी और आपका पाचन तंत्र भी दुरुस्त होगा जिससे आप भोजन को बेहतर तरीके से पचा सकेंगे।

दिल की धड़कन को सुधारती है

आजकल हृदय रोग आम हो गया है यानी अक्सर लोगों की दिल की धड़कन कम हो जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि दिल की धड़कन को सही रखने में छोटी इलायची का सेवन बहुत कारगर साबित होता है. इलायची में पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम जैसे खनिज पदार्थ मौजूद हैं. इंसान के रक्त, शरीर में मौजूद तरल और ऊतकों का प्रमुख तत्व पोटेशियम है. इलायची के सेवन से पोटेशियम की पर्याप्त मात्रा शरीर में बनी रहती है.

फेफड़ों की परेशानी दूर करें

छोटी इलायची से फेफड़ों में रक्तसंचार तेज गति से होने लगता है. इससे सांस लेने की समस्या जैसे अस्थमा, तेज जुकाम और खांसी से राहत मिलती है. आयुर्वेद में इलायची की तासीर गर्म मानी गई है, जो कि शरीर को गर्मी देती है. इसलिए इसके सेवन से आपके शरीर पर ठंड का असर कम होता है.

रक्तचाप नियंत्रित करती है

छोटी इलायची का सेवन रक्तचाप नियंत्रण में कारगर होती है. मानव शरीर में अधिकतर बीमारियां उच्च रक्तचाप के कारण जन्म लेती हैं. यदि आप भी प्रतिदिन दो से तीन इलायची का सेवन करें तो जिंदगीभर आपका रक्तचाप नियंत्रित रहेगा.

मुंह की बदबू को दूर करें

छोटी इलायची स्वाद बढ़ाने के साथ ही माउथ फ्रेशनर का भी काम करती है. इसे खाने से मुंह की बदबू में राहत मिलती है. यदि आपके मुंह से तेज दुर्गंध आती है और लोग आपसे बात करने में संकोच करते हैं तो आप हर समय एक इलायची अपने मुंह में रख सकते हैं.

कब्ज से राहत दें

पेट में कब्ज यानी बीमारियों को न्योता. इसलिए हर किसी की कोशिश रहती है कि उसे कब्ज की समस्या न हो. यदि आपको कब्ज है तो छोटी इलायची का सेवन या छोटी इलायची को पकाकर तैयार किए गए पानी का सेवन आपको फायदा पहुंचाएगा. यह आपकी पाचन क्रिया को दुरुस्त कर कब्ज से राहत देती है.

वैवाहिक जीवन को सुखद बनाए

यह शायद ही आपको पता हो कि इलायची के सेवन से आपकी सेक्स लाइफ भी बेहतर होती है. प्रतिदिन तीन या चार इलायची का सेवन करने से आपकी सेक्स लाइफ अच्छी रहती है और आपका पार्टनर हमेशा खुश रहता है. नपुंसकता में भी छोटी इलायची का सेवन फायदा देता है.

उल्टी की समस्या में राहत

क्या आपको भी चंद किलोमीटर का सफर करने पर उल्टी आने की समस्या है. यदि हां तो सफर शुरू करने से पहले इलायची का सेवन आपको इस समस्या से राहत देगा. यदि आपको यह लग रहा है कि सफर में पूरे समय उल्टी की समस्या हो सकती है तो आप पूरे रास्ते छोटी इलायची मुंह में डाले रखें.

नींद आने में

दिनभर की बहुत ज्यादा थकान के बाद भी अगर आपको नींद आने में परेशानी होती है तो इसका उपाय भी इलायची है। नींद नहीं आने की समस्या से निजात पाने के लिए आप रोजाना रात को सोने से पहले इलायची को गर्म पानी के साथ खाएं। ऐसा करने से नींद भी आएगी और खर्राटे भी नहीं आएंगे।

इलायची के फायदे और उपयोग :

अगर आपके मुँह से दुर्गन्ध आती है, तो आपको हर दिन खाना खाने के बाद एक इलायची जरुर खानी चाहिए.
यह मुँह के अल्सर और संक्रमण से हमारी रक्षा करता है.
इलायची पाचन सम्बन्धित समस्याओं से राहत दिलाता है.
पाचनतंत्र को मजबूत बनाने के लिए आप इलायची की चाय पी सकते हैं.
अगर आपका जी मचले या चक्कर आए तो एक इलायची मुँह में लेकर चबाना शुरू कीजिए. इससे आपको राहत मिलेगी.
1-2 इलायची के बीजों को दूध में उबाल लीजिए, फिर इसमें शहद डाल दीजिए. यौन समस्याओं से आपको यह छुटकारा दिलाने में मदद करेगा.
यह शीघ्रपतन और नपुंसकता रोकने में मदद करता है.
इलायची पैर के सूजन कम करने में मदद करता है.
यह दिल की धमनियों में जमे वसा को दूर करने में मदद करता है.
अगर आपको सर्दी-खांसी या गले में खरास की शिकायत हो तो, रात में इलायची चबाकर खाने के बाद गर्म पानी पीने से आपको लाभ पहुंचेगा.
इलायची हमारे शरीर से विषैले पदार्थों को निकालने में मदद करता है.
इलायची की चाय पीने से तनाव कम होता है.
इलायची का लेप बनाकर सिर पर लगाने से सिरदर्द में आराम मिलता है.
यह बीपी सामान्य रखने में मदद करता है.
इलायची साँस लेने से सम्बन्धित समस्याओं से राहत देता है.
यह जमे हुए कफ को निकालने में मदद करता है.
इलायची का सेवन हृदय को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है.
एक गिलास गर्म दूध में 1-2 चुटकी इलायची पाउडर और हल्दी मिला लीजिए, अगर आप चाहें तो थोड़ी चीनी भी मिला सकते हैं. यह मिश्रण एनीमिया से राहत देता है, हर रात इस मिश्रण को पिएँ.
अगर आपके गले में सूजन हो, तो मूली के पानी में छोटी इलायची पीसकर लेने से फायदा पहुंचता है.
अगर आपके मुँह में छाला पड़ गया हो तो, बड़ी इलायची और मिश्री लें. फिर इन दोनों को महीन पीस लें. इस मिश्रण को छाले वाले स्थान पर रखिए. इससे आपको फायदा पहुंचेगा.
इलायची गुर्दे से सम्बन्धित बीमारियों से भी हमें बचाता है.
काली इलायची कैंसर के सेल्स नहीं बनने देता है. स्तन कैंसर आदि को रोकने में यह मदद करता है.
यह हमारे शरीर से कैफीन निकालने में भी मदद करता है.
अगर आप अपने शरीर को सुंदर बनाए रखना चाहते हैं, तो आपको हर दिन इलायची का सेवन करना चाहिए क्योंकि इससे रक्तसंचार अच्छा रहता है.
इलायची बालों को मजबूत और चमकीला बनाता है.
सिर की त्वचा के संक्रमण में भी इलायची फायदा पहुंचाता है.
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1.11.21

मोरिंगा (सहजन) के फायदे और नुकसान:drumstick sahajan


  सहजन को आयुर्वेद में अमृत समान माना गया है क्योंकि सहजन को 300 से ज्यादा बीमारियों की दवा माना गया है. इसल‍िए आयुर्वेद में इसे अमृत समान मानते हैं. इसकी नर्म पत्तियां और फल, दोनों ही सब्जी के रूप में प्रयोग किए जाते हैं. सहजन की फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्‍प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है|
   प्राकृतिक गुणों से भरपूर सहजन इतने औषधीय गुणों से भरपूर है कि इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह सिर्फ खाने वाले के लिए ही नहीं, बल्कि जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है। सहजन पेड़ नहीं मानव के लिए कुदरत का चमत्कार। इनका सेवन कर कई बीमारियों को बढ़ने से रोका जा सकता है, इसका बॉटेनिकल नाम ‘मोरिगा ओलिफेरा‘ है हिंदी में इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा नाम से भी जानते हैं, जो लोग इसके बारे में जानते हैं, वे इसका सेवन जरूर करते हैं।
सहजन का फूल पेट और कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, साइटिका, गठिया आदि में उपयोगी है। इसकी छाल का सेवन साइटिका, गठिया, लीवर में लाभकारी होता है। सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात और कफ रोग खत्म हो जाते हैं।

*इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, साइटिका, पक्षाघात, वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साइटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है। मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं और मोच के स्थान पर लगाने से जल्दी ही लाभ मिलने लगता है|
*सहजन की फली की सब्जी खाने से पुराने गठिया, जोड़ों के दर्द , वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है। इसके ताजे पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है साथ ही इसकी सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
*सहजन या मोरिंगा जड़ से लेकर फूल-पत्तियों तक सेहत का खजाना है। इसके ताजे फूल से हर्बल टॉनिक बनाया जाता है और इसकी पट्टी में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। भारत में खासकर दक्षिण भारत में इसका उपयोग विभिन्न व्यंजनो में खूब किया जाता है। इसका तेल भी निकाला जाता है और इसकी छाल पत्ती गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवाएं तैयार की जाती हैं। आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है।


सिर दर्द में फायदेमंद

सहजन की जड़ के रस में बराबर मात्रा में गुड़ मिला लें। इसे छानकर 1-1 बूंद नाक में डालने से सिर दर्द में लाभ होता है।
सहजन  के पत्तों के रस में काली मिर्च को पीस लें। इसे मस्तक पर लेप करने से मस्तक पीड़ा ठीक होता है।
सहजन के पत्तों को पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से सर्दी की वजह से होने वाला सिर का दर्द ठीक होता है।

सहजन का टाइफाइड में उपयोग

सहजन की छाल को जल में घिस लें। इसकी एक दो बूंद नाक में डालने से तथा सेवन करने से मस्तिष्क ज्वर यानी दिमागी बुखार या Typhoid में लाभ होता है, सहजन के 20 ग्राम ताजे जडों को 100 मि.ली. पानी में उबालें। इसे छानकर पीने से टॉयफॉयड ख़त्म हो जाता है।

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है

सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है , जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिए अति आवश्यक है। सहजन में विटामिन-सी की मात्रा बहुत होती है। यह शरीर के कई रोगों से लड़ता है।

सर्दी-जुखाम


यदि सर्दी की वजह से नाक-कान बंद हो चुके हैं तो , आप सहजन को पानी में उबालकर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।

रक्त को शुद्ध करने में

सहजन फली की पत्तियां और फली दोनों ही रक्त को शुद्ध करने में मदद करती हैं इसके अलावा यह एक मजबूत एंटीबायोटिक एजेंट के रूप में भी काम करती हैं. इस हरी सब्जी का नियमित रूप से सेवन करने से त्वचा सम्बंधित बीमारियाँ भी दूर हो जाती है.

सैकड़ों औषधीय गुण:

सहजन की फली वात व उदरशूल में पत्ती नेत्ररोग, मोच ,शियाटिका ,गठिया में उपयोगी है।
सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग के लिए उपयोगी है। छाल का उपयोग शियाटिका ,गठियाए,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
 सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है, शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।
 सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है। सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है। सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया ए जोड़ों के दर्दए वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है। सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
 सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है। सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
 सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है। सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है। सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है। सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
 सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है। सहजन की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है। सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है। सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है। सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
 इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है।
 सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी। सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।
 सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।सहजन की पत्ती को सुखाकर उसकी चटनी बनाने से उसमें आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। गर्भवती महिलाएँ और बुजुर्ग भी इस चटनी, अचार का प्रयोग कर सकते हैं और कई बीमारियों जैसे रक्त अल्पता तथा आँख की बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं। सहजन या सुरजने का समूचा पेड़ ही चिकित्सा के काम आता है। इसे जादू का पेड़ भी कहा जाता है। त्वचा रोग के इलाज में इसका विशेष स्थान है।
 सहजन के बीज धूप से होने वाले दुष्प्रभावों से रक्षा करते हैं। अक्सर इन्हें पीसकर डे केअर क्रीम में इस्तेमाल किया जाता है। बीजों का दरदरा पेस्ट चेहरे की मृत त्वचा को हटाने के लिए स्क्रब के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। फेस मास्क बनाने के लिए सहजन के बीजों के अलावा कुछ और मसाले भी मिलाना पड़ते हैं।
सहजन के बीजों का तेल सूखी त्वचा के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह एक ताकतवर मॉश्चराइजर है। इसके पेस्ट से खुरदुरी और एलर्जिक त्वचा का बेहतर इलाज किया जा सकता है। सहजन के पेड़ की छाल गोखरू, कील और बिवाइयों के इलाज की अक्सीर दवा मानी जाती है। सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है।
* सहजन के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी फली वात व उदरशूल में पत्ती ,नेत्ररोग, मोच सायटिका,गठिया आदि में उपयोगी है।
* सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग 
साईटिका ,गठिया,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है।
*सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है.
*सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वातए व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने 
से गठिया, शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है\ साईंटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है .
*सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है।
*सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है।
*सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया और जोड़ों के दर्द व् वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है।
*सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
*.सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है।
* सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
* सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।

* सहजन फली का रस सुबह शाम पीने सेउच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
*सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
* सहजन. की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
* सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।
*सहजन. की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
* सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है।
* सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है .
*सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
* सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तोए आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। ईससे जकड़न कम होगी।
* सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
*.सहजन का जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।

* सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
*सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
*सहजन के बीजों का तेल शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं।

*सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है।मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।  
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सेहत का खजाना अखरोट दिमाग से लेकर दिल तक के लिए जरूरी है :benefits of walnut




  अखरोट को सेहत का खजाना माना जाता है। ये स्किन से लेकर बालों तक के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे कई रोगों से भी बचाव होता है। ये बढ़ती उम्र के असर को भी कम करने में मददगार साबित होता है। अखरोट हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होता है क्यूकि केंसर, मधुमेह, थाइरोइड आदि और भी कई प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए यह उपयोगी और फायदेमंद है. अखरोट बालों और त्वचा के लिए बहुत लाभकारी है. बहुत सी दवाइयों में भी इसका उपयोग किया जाता है, इससे शरीर की अनचाही चर्बी को भी कम किया जा सकता है.

दिमाग के लिए अच्छा

अखरोट में फाइटोकेमिकल्स के साथ उच्च मात्रा में पॉलीअनसेचुरेटेड वसा होते हैं जो मस्तिष्क को स्वास्थ्य रखने में मदद करता है। इसमें ओमेगा -3 फैटी एसिड भी होता है, जो मस्तिष्क में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे विटामिन ई, फोलेट और एलाजिक एसिड जैसे तत्व पाए जाते हैं।

दिल के लिए फायदेमंद

जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन की रिपोर्ट के मुताबिक अखरोट के सेवन से हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है। अखरोट का तेल एंडोथेलियल फ़ंक्शन के लिए अधिक लाभदायक है। ये हमारे रक्त और लसीका वाहिकाओं के अंदर की परत है। अखरोट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मददगार है। मृत्यु का भी जोखिम कम होता है।

नियंत्रित रहता है कोलेस्ट्रॉल:

अखरोट में फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। साथ ही कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को भी कम करता है।

ब्रेन को रखता है एक्टिव और हेल्दी:

एक अध्ययन के मुताबिक अखरोट में जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो मस्तिष्क के कामकाज और स्वास्थ्य को बेहतर करता है। ये याद्दाश्त को बेहतर करने, ध्यान केंद्रित करने और अवसाद के लक्षणों को कम करने में सहायक है

त्वचा को करता है मॉइश्चराइज

अगर आपकी त्वचा सूखी, परतदार और बेजान हो गई है तो इसे मॉश्चराइज करने के लिए भी अखरोट का सेवन फायदेमंद होता है। अखरोट में विटामिन ए और ई होते हैं। इसके नियमित सेवन से त्वचा चमकदार बनती है।

रूखे बालों में आएगी चमक


अगर हवा या धूप के चलते आपके बालों की रंगत छिन गई तो रोजाना अखरोट का सेवन करें। इसमें स्वस्थ फैटी एसिड होता है जो बालों को मजबूत बनाने में मदद करता है। अखरोट खाने से बालों की जड़े मजबूत होती हैं और इनकी चमक बढ़ती है।
जर्नल न्यूट्रिएंट्स में प्रकाशित एक शोध में पाया गया कि प्रति सप्ताह अखरोट की पांच या अधिक अखरोट के सेवन से मृत्यु दर कम करने और लंबी उम्र में मदद करता है। इसके और भी कई स्वास्थ लाभ होते हैं।

स्तन केंसर के लिए


अमेरिकन संस्था ने कैंसर के लिए बहुत से अनुसंधान किये और 2009 में इस अनुसन्धान को जारी किया कि हर रोज अखरोट खाने से स्तन केंसर के खतरे को कम करने में सहायता मिलती है.

विद्रोहजनक बीमारियों के लिए

अखरोट में पाए जाने वाले चर्बीदार अम्ल से विद्रोहजनक बीमारियों जैसे अस्थमा, गठिया रोग और खुजली में बहुत फ़ायदा मिलता है.

हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए

अखरोट में एक बहुत ही महत्वपूर्ण चर्बीदार अम्ल पाया जाता है जिसे अल्फ़ा- लिनोलेनिक अम्ल कहते है. यह अम्ल हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ बनाता है. अखरोट में पाया जाने वाला ओमेगा-3 चर्बीदार अम्ल विद्रोहजनक बीमारियों के साथ –साथ हड्डियों को बहुत समय तक मजबूत रखने में भी सहायक होता है.

अच्छी नींद और तनाव के लिए

अखरोट में मेलाटोनिन होता है जोकि नींद के लिए बहुत अच्छा होता है. साथ ही इसमें पाया जाने वाला अम्ल खून के स्त्राव को संभालकर तनाव को दूर करता है. 

गर्भावस्था के लिए

अखरोट में विटामिन B –काम्प्लेक्स के ग्रुप जैसे थियामाइन, राइबोफ्लेविन, फोलेट आदि होते है जोकि गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत जरुरी होते है.

कब्ज और पाचन सिस्टम के लिए

अखरोट में फाइबर होता है जोकि पाचन शक्ति को सुचारू रूप से चलाता है. अखरोट का सेवन करने से आँतों में भी फ़ायदा मिलता है. साधारण प्रोटीन के स्त्रोतों जैसे मीट, रोज के उत्पाद आदि में फाइबर कम मात्रा में होता है.

डायबिटीज को रोकने के लिए

अखरोट शरीर में ग्लूकोज को कंट्रोल करता है. अखरोट में पॉलीअनसेचुरेटेड चर्बीदार अम्ल होता है जोकि लीवर में इंसुलिन की रचना करने में सहायक होता है. अखरोट में मिनिरल्स और फाइबर होते है जोकि ग्लूकोज लेवल को कम करने के लिए जरुरी होते है.

आंतरिक सफाई के लिए

अखरोट हमारे आंतरिक भाग का वैक्यूम क्लीनर होता है जोकि अंदर की सफाई करता है. इससे पाचन सिस्टम को अच्छे से चलने में सहायता मिलती है.

वजन घटाने के लिए

अखरोट में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते है जोकि वजन घटने में सहायक होते है इसलिए अखरोट वजन घटाने के लिए बहुत अच्छा घटक है. 

फंगल इन्फेक्शन के लिए

यह फंगस के लिए बहुत अच्छा नही होता है, फंगल इन्फेक्शन से पाचन शक्ति और त्वचा दोनों में प्रभाव पड़ता है. काला अखरोट फंगल के परिणाम के खिलाफ बहुत प्रभावकारी होता है लेकिन इसके साथ दूसरा इलाज भी जरुरी होता है.

अखरोट स्वस्थ और खूबसूरत त्वचा के लिए

अखरोट स्वस्थ और खूबसूरत त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है. यह निम्न प्रकार से त्वचा के लिए आवश्यक है.

त्वचा का बुढ़ापा रोकने के लिए

अखरोट त्वचा के लिए बहुत अच्छा होता है क्युकि इसमें विटामिन B होता है. यह तनाव को दूर करने में सहायक होता है जिससे त्वचा में झुर्रियां नही पड़ती. अखरोट में विटामिन E और एंटीओक्सिडेंट पाए जाते है जोकि त्वचा का बुढ़ापा रोकने के लिए फायदेमंद है.

त्वचा में नमी के लिए

अखरोट के तेल को हल्का गर्म करके सूखी त्वचा में हर रोज लगाना चाहिए, इससे त्वचा को नमी मिलती है और त्वचा स्वस्थ रहती है.

आँखों के काले घेरे के लिए


अखरोट के तेल से रोजाना आँखों की मालिश करना चाहिए, इससे आँखों को तनाव मुक्त और साथ ही आँखों के काले घेरे को साफ़ किया जा सकता है.

त्वचा के निखार के लिए

त्वचा में निखर लाने के लिए 4 अखरोट, 2 चम्मच ओट्स, 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच मलाई और 4 बूँद जैतून के तेल को साथ में पीसकर मिला लीजिये और इस मिश्रण को त्वचा में लगाइए. कुछ समय बाद गर्म पानी से धो लीजिये. त्वचा के रंग में निखार आयेगा.
अखरोट त्वचा को संक्रमण से भी बचाता है इसलिए यह फायदेमंद है.

अखरोट स्वस्थ बालों के लिए

अखरोट बालों के लिए भी सहायक घटक है इससे निम्न प्रकार के फ़ायदे होते है.

अखरोट में पाए जाने वाले तत्व जैसे पोटेशियम, ओमेगा-3, ओमेगा-6, और ओमेगा-9 चर्बीदार अम्ल होते है जोकि बालों को मजबूत बनाने में सहायता करते है. अखरोट के तेल से बालों को लम्बे, मजबूत, स्वस्थ और कोमल बनाया जा सकता है.

गंजेपन को रोकने के लिए

अखरोट के तेल को बालों में लगाने से गंजेपन की परेशानी से बचा जा सकता है.

रुसी के लिए

बालों में रुसी की समस्या रूखे बालों की वजह से होती है. अखरोट के तेल से बालों को नमी मिलती से जिससे बाल रूखे नही होते. इससे रुसी की समस्या से बचा जा सकता है. 
इस प्रकार बालों के लिए अखरोट बहुत अच्छा उत्पाद है इससे और भी बहुत से फायदे है.
*रोजाना करीब 75 ग्राम अखरोट रोजाना खाने से स्वस्थ युवा पुरुषों के शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार होता है। यूसीएल के शोधकर्ताओं का कहना है रोजाना अखरोट का पर्याप्त सेवन करने से 21 से 35 वर्ष की आयु के पुरुषों के शुक्राणुओं में अध‍िक जीवनशक्ति और गतिशीलता आती है।
* हाल ही में हुए एक सर्वे से पता चला है कि अखरोट के सेवन से तनाव का स्टार घट जाता है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और शरीर को पर्याप्‍त ऊर्जा मिलती रहती है। 9) नट्स आपकी नींद सुधार सकते हैं, इनमें मेsलाटोनिन हॉरमोन होता है, जो नींद के लिए प्रेरित करना और नींद को नियंत्रित करता है। अगर आप शाम को या सोने से पहले अखरोट खायें तो इससे आपकी नींद में सुधार आए।
*गर्भवती महिलायें जो अखरोट जैसे फैटी एसिड युक्त आहार का सेवन करती हैं, उनके बच्चों को फूड एलर्जी होने की आशंका बहुत कम होती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि माताओं के आहार में पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड (पूफा) होता है उनके बच्चे का विकास अच्छी तरह होता है। पूफा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कोश‍िकाओं को मजबूत बनाता है।
* सुखद लंबी आयु के लिए अखरोट का सेवन अच्छा रहता है। इसक नियमित सेवन से जीवनकाल बढ़ता है और आपका जीवन ऊर्जा से भरपूर रहता है।
* जो पुरूष पिता बनने की लालसा रखते हैं उनके लिए अखरोट काफी लाभकारी होता है। इसके सेवन से स्पर्म काउंट बढ़ता है।
* अगर आपको अपने स्तन को सुडौल और स्वस्थ बनाएं रखना है तो अखरोट का दैनिक रूप से सेवन करें। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।
* अखरोट का नियमित रूप से सेवन, दिमाग को तेज बनाता है इसीलिए इसे ब्रेन फूड के नाम से भी जाना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ई होने ही वजह से यह दिमाग को तेज और स्वस्थ बनाएं रखता है।

अखरोट के दुष्प्रभाव 

अखरोट के फ़ायदे के साथ -साथ कुछ दुष्प्रभाव भी है, जिनके बारे में जानना बहुत जरुरी होता है.

अखरोट से एलर्जी

अखरोट 8 एलर्जिक खाने में से एक है. अखरोट से एलर्जी भी हो सकती है जिससे बचने के लिए उपयुक्त इलाज करना ही सही है.

अन्य ओषधियों के साथ प्रतिक्रिया

अखरोट अन्य ओषधि के साथ विपरीत प्रतिक्रिया करता है, इसलिए इसे डॉक्टर की सलाह के बिना उपयोग में नही लाना चाहिए.

त्वचा के केंसर

काले अखरोट में कुछ रासायनिक तत्व ऐसे पाय जाते है जोकि त्वचा में केंसर जैसी समस्या को पैदा कर सकता है.

कोशिकाओ के DNA में बदलाव

काले अखरोट में कुछ रासायनिक तत्व ऐसे होते है जोकि प्रोटीन के लेवल को कम कर देते है जिससे DNA सेल ख़राब हो जाती है और परिणाम बहुत ही घातक होता है.
अखरोट से अश्वीय विद्रोहजनक बीमारियां का भी प्रभाव पड़ता है.
अखरोट में पाए जाने वाले कुछ तत्व शरीर से आयरन को अवशोषित कर लेते है जिससे आयरन की मात्रा कम हो जाती है.
अखरोट से लीवर और किडनी भी ख़राब होने का खतरा होता है.
अखरोट से त्वचा में घमोरियां भी फ़ैल सकती है.
अखरोट से बच्चों के जन्म में भी त्रुटी हो सकती है.
अखरोट शरीर के तरल पदार्थ को सुखा देता है, जिससे बहुत परेशानी होती है.
अखरोट का इस्तेमाल संभल कर करना चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बिना इसे उपयोग में लाना बहुत ही कठिन साबित हो सकता है
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अश्वगंधा को दूध मे घोलकर पीने के जबर्दस्त फायदा :Ashwagandha dissolved in milk





अश्वगंधा को आर्युवेद में एक औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। अश्वगंधा का सेवन करने से कमजोरी, नींद की कमी, तनाव, गठिया जैसी बीमारियां तेजी से दूर हो जाती है। इसका इस्तेमाल सिर्फ आर्युवेद में नहीं बल्कि यूनानी, अफ्रीकी चिकित्सा, सिद्ध चिकित्सा आदि में भी किया जाता है। आयुर्वेद के लेख चरक संहिता में दूध और अश्वगंधा को एक साथ लेने की बात कही गई है। 'कार्य कारण सिद्धांत' नाम के इस लेख में इस बारे में पूरी जानकारी दी गई है। जानें किस तरह दूध और अश्वगंधा का सेवन कर आप अपना वजन कम करने के साथ-साथ किन बीमारियों से बचाव हो सकता है।
आयुर्वेद के मुताबिक अश्वगंधा को दूध के साथ लेना बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में किसी भी जड़ी बूटी को किसी ‘अनुपान’ यानी साधन के साथ लिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अनुपान जड़ी बूटी के असर को बेहतर बनाता है। उसी प्रकार दूध को अश्वगंधा का अनुपान कहा गया है। इसी कारण से अश्वगंधा और दूध साथ लेने की बात कही जाती है।

दूध के औषधीय गुण

 आयुर्वेद के प्राचीन लेख चरक संहिता के मुताबिक दूध हमारे दिमाग और शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। दूध स्वाद में मीठा, ठंडा, कोमल और प्रसन्न होता है।  दूध के गुणों को शरीर के स्वास्थ्य के लिए बहुत उत्तम माना जाता है। दूध को शरीर के लिए सबसे बेहतर अनुपान माना जाता है। यह खून, हड्डियां, कोशिकाओं, और अन्य अंगों के लिए बहुत फायदेमंद है  आयुर्वेद के मुताबिक दूध सबसे उत्तम अनुपान है। ऐसे में किसी भी जड़ी बूटी के साथ इसे लिया जाना चाहिए। दूध और औषधि का मिश्रण शरीर में ज्यादा असरदार होता है और इसका प्रभाव बहुत जल्द दिखने लगता है। आयुर्वेद के लेख चरक संहिता में दूध और अश्वगंधा को साथ लेने की बात कही गयी है।  आयुर्वेद में कहा गया है, ‘सर्वदा सर्व भावनाम सामन्यम वृद्धि कारनाम।’ इसका अर्थ है कि शरीर में यदि किसी पदार्थ की मात्रा बढ़ रही है, तो उससे सम्बंधित बाहरी पदार्थों की भी मात्रा बढ़ रही है अश्वगंधा और दूध में ऐसी ही विशेषतायें हैं। अश्वगंधा और दूध दोनों ही ओजस को पोषकता पहुंचाते हैं। दोनों एक दूसरे को ऊर्जा देते हैं। जब कोई व्यक्ति इन्हें साथ लेता है, तब उसके शरीर में मौजूद कोई भी रोग दूर हो जाता है। इनका मिश्रण तीनों दोष में भी सहायक है। टीबी जैसी बिमारी में अश्वगंधा और दूध साथ लेने से आराम मिलता है। अश्वगंधा और दूध साथ लेने से शरीर हष्ट पुष्ट बनता है। आयुर्वेद के साधु सुश्रुत ने कहा था कि अश्वगंधा को दूध के साथ लेने से वत्त दोष में आराम मिलता है।

अश्वगंधा और दूध के फायदे-  

 दूध को गर्म ही पीना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्म दूध आसानी से पच जाता है और यह कफ और पित्त दोष को ख़त्म कर देता है।

अश्वगंधा और दूध बांझपन के लिए- 

बांझपन की समस्या में दूध के साथ अश्वगंधा का सेवन करें। दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को दिन में दो बार लें। इसी गर्म दूध और थोड़ी से मिश्री के साथ लें।

अश्वगंधा और दूध कमजोरी के लिए- 

  जैसा हमनें बताया कि अश्वगंधा और दूध साथ लेने से शरीर हष्ट पुष्ट बनता है। यदि आप कमजोर हैं, तो आपको इसका नियमित सेवन करना चाहिए। इसके लिए दो ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण को 125 ग्राम त्रिकाटू पाउडर के साथ लें। त्रिकाटू में सुखी असर्क, काली मिर्च और लम्बी मिर्च होती है, जो काफी फायदेमंद होती है। इन्हें दिन में दो बार दूध के साथ लें।

अश्वगंधा और दूध ऑस्टियोपोरोसिस में- 

  ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या काफी गंभीर होती है। इसके लिए दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक ग्राम अर्जुन छाल पाउडर के साथ दिन में दो बार लें। इनका सेवन दूध के साथ करें। 

अश्वगंधा और दूध अस्थिसंधिशोथ में-

 इसके लिए दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, एक ग्राम मुलेठी को गर्म दूध के साथ लें। अश्वगंधा और दूध बच्चों के लिए बच्चों में पोषकता की कमी होने पर उन्हें यह दें। इसके लिए आप अश्वगंधा की चाय बनाएं। अश्वगंधा की चाय बनाने के लिए आधा ग्लास पानी लें और आधा ग्लास दूध एक बर्तन में लें। इसमें एक ग्राम अश्वगंधा चूर्ण डालें और इसे उबाल लें। इसमें चीनी मिला लें और इसका सेवन करें।

वजन कम करे

रोजाना एर गिलास दूध में एक चम्मच अश्वगंधा और मीठापन के लिए एक चम्मच शहद मिला लें। रोजाना इसका सेवन करने से आपका पाचन तंत्र ठीक ढंग से काम करेगा। जिससे आपका वजन तेजी से कम होगा।

कमजोरी से पाएं निजात

अश्वगंधा और दूध आपके शरीर को मजबूत भी बनाता है। इसके लिए रोजाना 2 ग्राम अश्वगंधा पाउडर के साथ 125 ग्राम त्रिकाटू पाउडर एक गिलास दूध में मिक्स करके पी लें। कुछ ही दिनों में आपको फर्क नजर आ जाएगा।

ऑस्टियोपोरोसिस

अगर आपको ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी है तो उसमें दूध और अश्वगंधा काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को 1 ग्राम अर्जुन छाल पाउडर के साथ दिन में 2 बार दूध के साथ लें।

उच्च रक्त चाप के लिए दूध और अश्वगंधा-

 रक्त रक्तचाप को सामान्य करने के लिए दो ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को 125 ग्राम मोटी पिसती के साथ दिन में दो बार लें। इनका सेवन दूध के साथ करें। साधारण जीवन में भी कर सकते हैं अश्वगंधा और दूध का सेवन यदि आपको कोई बिमारी या समस्या नहीं है, तब भी आप अश्वगंधा को दूध के साथ ले सकते हैं। इसके लिए रोजाना दिन में दो बार गर्म दूध में अश्वगंधा चूर्ण मिलाकर लें।

सामग्री: 

  4 कप दूध 10 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण 1 चम्मच चीनी 4 कप दूध को 10 ग्राम अश्वगंधा में मिलाकर एक बर्तन में लें। इस मिश्रण को धीमी आंच पर रखें और इसे तब तक हिलाएं जब तक एक गाढ़ा मिश्रण बन जाए। इसके बाद इसे आंच से हटा लें। इसे अब 5 मिनट ठंडा होने दें। इसके बाद एक चम्मच चीनी मिलाएं और सेवन करें। इस अश्वगंधा और दूध की विधि को खाली पेट लेना चाहिए। खाली पेट लेने से इसका अवशोषण आसानी से हो सकेगा।
अश्वगंधा एक प्राकृतिक औषधि है, जो अपने शक्तिवर्धक गुणों के लिए जानी जाती है। आप चाहे तो इसकी पत्तियों को पीस कर या जड़ों को उबाल कर उपयोग में ला सकते हैं। अश्वगंधा का सेवन करने से थाइरॉइड की अनियमितता पर नियंत्रण होता है। इसके लिए 200 से 1200 मिलीग्राम अश्वगंधा चूर्ण को चाय के साथ मिला कर लें। चाहें तो इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए तुलसी का प्रयोग भी कर सकते हैं।
   हायपोथायरायडिज्म के लिए आयुर्वेदिक इलाज में महायोगराज गुग्गुलु और अश्वगंधा के साथ भी इलाज किया जाता हैं। अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है साथ ही कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है। साथ ही यह शरीर के अंदर का हार्मोन इंबैलेंस भी संतुलित कर देता है। यह टेस्टोस्टेरोन और एण्ड्रोजन हार्मोन को भी बढाता है।
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अलसी(flax seed) के फायदे:flax seed benifits




  सुपर फुड अलसी में ओमेगा थ्री व सबसे अधिक फाइबर होता है। यह डब्लयू एच ओ ने इसे सुपर फुड माना है। यह रोगों के उपचार में लाभप्रद है। लेकिन इसका सेवन अलग-अलग बीमारी में अलग-अलग तरह से किया जाता है। स्वस्थ व्यक्ति को रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ ,सब्जी, दाल या सलाद मे मिलाकर लेना चाहिए । अलसी के पाउडर को ज्यूस, दूध या दही में मिलाकर भी लिया जा सकता है। इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम प्रतिदिन तक ली जा सकती है। 100-500 ग्राम अलसी को मिक्सर में दरदरा पीस कर किसी एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लें। अलसी को अधिक मात्रा मंे पीस कर न रखें, यह पाउडर के रूप में खराब होने लगती है। सात दिन से ज्यादा पुराना पीसा हुआ पाउडर प्रयोग न करें। इसको एक साथ पीसने से तिलहन होने के कारण खराब हो जाता है। 
  *खाँसी होेने पर अलसी की चाय पीएं। पानी को उबालकर उसमें अलसी पाउडर मिलाकर चाय तैयार करें।एक चम्मच अलसी पावडर को दो कप (360 मिलीलीटर) पानी में तब तक धीमी आँच पर पकाएँ जब तक यह पानी एक कप न रह जाए। थोड़ा ठंडा होने पर शहद, गुड़ या शकर मिलाकर पीएँ। सर्दी, खाँसी, जुकाम, दमा आदि में यह चाय दिन में दो-तीन बार सेवन की जा सकती है। दमा रोगी एक चम्मच अलसी का पाउडर केा आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और उसका सुबह-शाम छानकर सेवन करे तो काफी लाभ होता है। गिलास काँच या चाँदी को होना चाहिए।
 *समान मात्रा में अलसी पाउडर, शहद, खोपराचूरा, मिल्क पाउडर व सूखे मेवे मिलाकर नील मधु तैयार करें। कमजोरी में व बच्चों के स्वास्थ्यके लिए नील मधु उपयोगी है।
*डायबीटिज के मरीज को आटा गुन्धते वक्त प्रति व्यक्ति 25 ग्राम अलसी काॅफी ग्राईन्डर में ताजा पीसकर आटे में मिलाकर इसका सेवन करना चाहिए। अलसी मिलाकर रोटियाँ बनाकर खाई जा सकती हैं।  इसमें कार्बोहाइट्रेट अधिक होता है।शक्कर की मात्रा न्यूनतम है। 
*कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकला तीन चम्मच तेल, छः चम्मच पनीर में मिलाकर उसमें सूखे मेवे मिलाकर देने चाहिए। कैंसर की स्थिति मेें डाॅक्टर बुजविड के आहार-विहार की पालना श्रद्धा भाव से व पूर्णता से करनी चाहिए। कैंसर रोगियों को ठंडी विधि से निकले तेल की मालिश भी करनी चाहिए। 
*साफ बीनी हुई और पोंछी हुई अलसी को धीमी आंच पर तिल की तरह भून लें।मुखवास की तरह इसका सेवन करें। इसमें सैंधा नमक भी मिलाया जा सकता है। ज्यादा पुरानी भुनी हुई अलसी प्रयोग में न लें। बेसन में 25 प्रतिशत अलसी मिलाकर व्यंजन बनाएं। बाटी बनाते वक्त भी उसमें भी अलसी पाउडर  मिलाया जा सकता है। सब्जी की ग्रेवी में भी अलसी पाउडर का प्रयोग करें। अलसी सेवन के दौरान खूब पानी पीना चाहिए। इसमें अधिक फाइबर होता है, जो खूब पानी माँगता है।

दमा में दिलाये राहतदमा के रोगी को एक चम्मच अलसी के पाउडर को आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और फिर उसे सुबह – शाम छानकर इसका सेवन करने से लाभ मिलता है| आप इसे गर्मी या सर्दी दोनों मौसम में खा सकते है| इसमें पाया जाने वाले फाइबर से हमें कई स्वास्थ लाभ पहुँचते है| कभी कभार इसके सेवन से बहुत प्यास लगती है, इसलिए इसका सेवन करते वक्त भरपूर मात्रा में पानी पिये| जो लोग कैंसर के रोगी है उन्हें 3 चम्मच अलसी का तेल पनीर में मिलाकर उसमें सूखे मेवे मिलाकर लेना चाहिए।
 *स्वस्थ व्यक्ति रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच अलसी का पाउडर पानी के साथ या फिर दाल और सब्जी के साथ ले सकते है| *स्वस्थ व्यक्ति इसकी मात्रा 30 से 60 ग्राम ले सकता है| अलसी को सूखी कढ़ाई में रोस्ट कीजिये और मिक्सी में पीस लीजिये| लेकिन एकदम बारीक मत कीजिये और दरदरे पीसिये| भोजन के बाद इसे सौंफ की तरह खाया जा सकता है|
 *दमा के रोगी को एक चम्मच अलसी के पाउडर को आधा गिलास पानी में 12 घंटे तक भिगो दे और फिर उसे सुबह – शाम छानकर इसका सेवन करने से लाभ मिलता है| आप इसे गर्मी या सर्दी दोनों मौसम में खा सकते है| इसमें पाया जाने वाले फाइबर से हमें कई स्वास्थ लाभ पहुँचाते है| कभी कभार इसके सेवन से बहुत प्यास लगती है, इसलिए इसका सेवन करते वक्त भरपूर मात्रा में पानी पिये|
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