21.9.21

कमजोर हृदय को मजबूत करने के उपाय ,नहीं होगा हार्ट अटेक//hriday majbuti ke upay






 हृदय को स्वस्थ्य और दिल को मजबूत रखने के उपाय जानने की जरूरत सभी को है। क्‍योंकि आज की इस भाग-दौंड भरी जिंदगीबदलती जीवनशैली और खान-पान में आए बदलाव के कारण हृदय के लिए बहुत सी परेशानियां पैदा हो रही हैं। पहले आप ने देखा होगा कि 55 वर्ष की आयु से अधिक उम्र बालों लोगों को दिल का दौरा पड़ता था, लेकिन आज महज 30 वर्ष की आयु वाले नौजावन भी इससे प्रभावित हैं। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि हम अपने हृदय को मजबूत नहीं रख पाते हैं। इस लेख में आप जानेगें हृदय से जुड़े रहस्‍यों और हृदय को मजबूत करने के लिए उपयोग किये जाने वाले घरेलू उपायों के बारे में।


कोरोनरी आरटरी डिसीज-

कोरोनरी धमनी की बीमारी कमजोर दिल का सबसे आम कारण है। जब कोई व्यक्ति में धमनी में रूकावट के कारण हार्ट अटैक से ग्रसित होता है, तो हदय की मांसपेशियों का हिस्सा डैमेज हो जाता है और पंपिंग धीमी पड़ जाती है।
*वॉल्वूलर हार्ट डिसीज हृदय के वाल्व के सिकुड़ने के कारण होती है। यह हृदय की मांसपेशियों पर दबाव डालती है। जब यह वेट ओवरलोड हो जाए, तो हृदय की मांसपेशियां खराब हो जाती है और दिल कमजोर हो जाता है।
*मायोकार्डिटिस हृदय की मांसपेशियों में आनी वाली एक तरह की सूजन है, जिसे मायोकार्डियम कहा जाता है। सूजन आने से दिल की ब्लड पंप करने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है और दिल तेजी से धड़कना शुरू कर देता है। इसकी वजह वायरल संक्रमण है।

हाई ब्लड प्रेशर से होने वाला हृदय रोग-

हाई ब्लड प्रेशर एक सामान्य हृदय से जुड़ी जटिलता है। यदि व्यक्ति लंबे समय तक हाइपरटेंशन से पीडि़त रहता है, तो आगे चलकर दिल कमजोर पड़ सकता है।


​हृदय की मांसपेशियों का कमजोर हो जाना-


दिल की मांसपेशियों के कमजोर होने और दिल के फैलने के कारण भी इसमें धीरे-धीरे कमजोरी आने लगती है। इस स्थिति को डाइलेटिड कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है। लंबे समय तक शराब के सेवन के कारण अल्कोहलिक कार्डियोमायोपैथी होती है। जबकि पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी एक ऐसी स्थिति है, जब पेरिपार्टम अवधि के दौरान हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।

​कमजोर दिल के सामान्य लक्षण


सांस लेने में तकलीफ होना


जब कभी लेटने के दौरान सांस लेने में तकलीफ हो, तो उसे ऑर्थोपेनिया कहते हैं। ऐसी स्थिति में ध्यान देने की जरूरत है कि कहीं दिल पर असर तो नहीं पड़ रहा।

​टखने और पैरों में सूजन और वजन बढ़ना

तरल पदार्थ जमा होने से दोनों टखनों और पैरों के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। ऐसा हाइड्रोस्टेटिक दबाव में वृद्धि के कारण नसों से तरल पदार्थ के निकलने के कारण होता है। कई बार वॉटर रिटेंशन से भी वजन बढ़ता है।

थकान होना

हृदय की पंपिंग कम होने के कारण मांसपेशियों में खून ठीक तरह से नहीं पहुंच पाता। इसलिए जरा सी दिक्कत होने पर मरीज थकान महसूस करने लगता है।

​भूख में कमी, जी मिचलाना और उल्टी

हार्ट फैलियर के कारण लीवर और गेस्ट्रोइंटेस्टनाइल सिस्टम सिकुड़ जाता है। इससे व्यक्ति को भूख नहीं लगती और हर वक्त उल्टी जैसा महसूस होता है।

दिल की धड़कन तेज होना-

दिल की धड़कन तेज होना कमजोर दिल का लक्षण है। इस लक्षण को जल्द नहीं पहचाना जाए, तो कार्डियक डेथ तक हो सकती है।
*किसी के साथ छोटा मोटा झगडा होने पर भी उसे ऐसा महसूस होने लगता है जैसे उसके पैर सही से जमीन पर ही नहीं हैं. उसकी धड़कन बहुत तेज हो जाती है और वो जो बोलना चाहता है सही से बोल नहीं पाता. उसे कुछ ज्यादा ही पसीना आने लगता है और सांस लेने में दिक्कत होती है.
अगर आपको भी कुछ ऐसा ही महसूस होता है तो ये सारी कमजोर दिल की समस्याएँ ही हैं. आपको इस और जल्दी से जल्दी ध्यान देना होगा और दिल को मजबूत बनाने के उपाय नुस्खे ढूँढने होंगे. ताकि समस्या बढ़कर किसी बड़े दिल के रोग की शक्ल ना ले ले.
*दिल के कमजोर होने से Heart Attack का खतरा बढ़ जाता है. आजकल आप हर रोज खबर सुनते ही रहते हैं की Heart Attack से मरने वाले लोगों की संख्या में अचानक से बेतहासा वृद्धि हुयी है. इसका कारण हमारा खानपान और खराब जीवनशैली है.
पहले जहाँ सिर्फ उम्रदराज व्यक्तियों को ही हृदयघात होता था वहीँ अव ये युवाओं को भी अपना शिकार बना रहा है. इसलिए दिल को लेकर किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा सकती. जिन्हें अभी दिल की कोई समस्या नहीं है उन्हें भी पता होना चाहिए की दिल को मजबूत कैसे रखें.

​कमजोर दिल को मजबूत करने के तरीके

दिल मजबूत करने के लिए धूम्रपान छोड़ें

धूम्रपान यानी सिगरेट पीना आजकल का फैशन बन चुका है। लोग अपने स्वास्थ्य के बारे में बिना कुछ सोचे-समझे सिगरेट पीने की आदत पकड़ लेते हैं, जो आगे चलकर उनके लिए नुकसानदायक ही सिद्ध होता है। सिगरेट पीने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा तो बढ़ ही जाता है, साथ ही यह हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ा देता है। इसलिए अपने दिल को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखना है तो आज ही धूम्रपान करना छोड़ दें। सिर्फ बीडी या सिगरेट ही नहीं बल्कि यदि आप जर्दा, गुटखा और पान मसाला वगैरह खाते हैं तो ये भी आपके Heart को बहुत कमजोर बनाने का काम करते हैं.


शराब का सेवन न करें

अधिक मात्रा में शराब का सेवन शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इससे ब्लडप्रेशर और हृदय संबंधित बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। ज्यादा शराब पीने से दिल कमजोर पड़ सकता है। इसलिए दिल को मजबूत रखने के लिए या तो शराब का सेवन बिल्कुल कम कर दें या बंद कर दें तो ज्यादा बेहतर है।

Vitamin E की पूर्ती करें – 

Vitamin E हमारे दिल की सेहत के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है. यदि किसी व्यक्ति में विटामिन E की कमी हो जाती है तो उसे दिल की कमजोरी महसूस होना शुरू हो जाती है. इसलिए अपने आहार में ऐसी चीज़ें शामिल करें जिनसे हमें ये विटामिन मिल पाए.अगर आप अपने खाने पीने की चीज़ों से इसकी पूर्ती नहीं कर पा रहे हैं तो आप मार्केट से Vitamin E का कोई अच्छा सा Supplement भी खरीद सकते हैं. Vitamin E हमारी धमनियों की सफाई करता है और दिल को ताकत प्रदान करने का काम करता है.

तुलसी 

आप शायद तुलसी के फायदे जानते होगें और यह भी कि तुलसी एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। तुलसी मुख्‍य रूप से तनाव से लड़ने और तनाव से संबंधित बीमारियों को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है। कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने के लिए भी तुलसी फायदेमंद होती है। तनाव आपके शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल और रक्‍तचाप में वृद्धि कर सकता है। ये सभी समस्‍याएं आपके हृदय को कमजोर करने के प्रमुख कारण होते हैं। इसलिए आप अपने हृदय को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए पवित्र तुलसी का उपयोग कर सकते हैं।

ग्रीन टी 

आप अगर अपने दिन की शुरुआत ग्रीन टी  से करते हैं तो यह आपके हृदय के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। और यदि आप इसका इस्‍तेमाल नहीं करते हैं तो अभी शुरु करें। क्‍योंकि यह आपके दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। ग्रीन टी में केचिन (catechins) होता है जो आपके हृदय को स्‍वस्‍थ्‍य रखने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है।


Dry Fruits का नियमित सेवन करें -

 Dry Fruits जैसे बादाम, अखरोट, काजू और पिस्ता वगैरह से हमें वो सारे पौषक तत्व मिल जाते हैं जो हमें Heart को Healthy रखने के लिए चाहिए होते हैं. जैसे Unsaturated Fats, Vitamin E और Fibre वगैरह.
इसके अलावा ये आपकी भूख को कम करके, आपका Metabolism बढ़ाकर आपके वजन को नियंत्रण में रखने में भी सहायता करते हैं. हर रोज मुट्ठी पर Dry Fruits का सेवन आपके दिल को लम्बे समय तक स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है.

मेथी

एंटीऑक्‍सीडेंट की अच्‍छी मात्रा और हृदय को स्‍वस्‍थ्‍य रखने वाले गुण मेथी में मौजूद रहते हैं। मेथी का नियमित सेवन एथरोस्‍क्‍लेरोसिस की संभावनाओं को कम करता है साथ ही यह शरीर में प्‍लेटलेट को बनाए रखने में भी मदद करता है। इस प्रकार मेथी का उपयोग दिल के दौरे और स्‍ट्रोक से जुड़े रक्‍त के थक्‍के के खतरे को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा मेथी का नियमित सेवन करके रक्‍त शर्करा, अतिरिक्‍त वसा और कोलेस्‍ट्रॉल (cholesterol) आदि को कम किया जा सकता है।
इसके लिए आप 1 चम्‍मच मेथी के बीजों को रात भर के लिए भींगने दें और अगली सुबह इन बीजों को खाली पेट सेवन करें। यह आपके हृदय स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित सभी प्रकार की  परेशानियों को दूर करने में मदद करता है।

अर्जुन की छाल + अश्वगंधा + मुलेठी –

 ये एक बहुत ही बेहतरीन और असरदार दिल को मजबूत करने का तरीका है. इस पॉइंट को बहुत ही ध्यान से पढ़ें. 50 ग्राम अर्जुन की छाल का पाउडर, 50 ग्राम अश्वगंधा पाउडर और 50 ग्राम मुलेठी यानी यास्तिमधू पाउडर का मिश्रण तैयार कर लें.यानी तीनो को अच्छे से मिलाकर एक डब्बे में डाल लें. इस मिश्रण का प्रयोग आपको हर रोज दिन में 2 बार खाना खाने के बाद करना है. एक बार सुबह खाना खाने का बाद आधा गिलास पानी में 1 छोटी चम्मच पाउडर Mix करके लें और एक बार इसी तरह शाम को. आप यकीन नहीं करेंगे की आयुर्वेद में ये दिल को मजबूत बनाने का अचूक नुस्खा है.

पानी ज्यादा से ज्यादा पीयें –

 अगर लम्बे समय तक दिल को स्वस्थ रखना है तो आपको पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए. पानी ना सिर्फ शरीर की अन्दर से सफाई करता है बल्कि ये रक्त वाहिकाओं में Oxygen की Supply को बढाने का काम भी करता है.

पूरी नींद लें – 

अच्छी नींद और स्वस्थ हृदय का बहुत बड़ा सम्बन्ध है. यदि आप हर रोज बहुत कम नींद लेते हैं तो आपके दिल के लिए कतई अच्छा नहीं होता. याद रहे हमारे शरीर के हर अंदरूनी Organ को भी Recover और Fresh होने के लिए पर्याप्त नींद की जरुरत होती है.
अगर आप पूरी नींद नहीं ले पाते तो आपके शरीर में हार्मोनल क्रियाएँ गड़बड़ा जाती हैं जिनका सीधा असर दिल पर भी पड़ता है. अत: बहुत जरूरी है की आप हर रोज रात को कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें.

लहसुन का सेवन करें – 

लहसुन कई तरह से आपके दिल को लाभ पहुंचाता है. एक तो ये आपके Blood Pressure को Normal रखने का काम करता है और दूसरा ये Bad Cholestrol को Good Cholestrol में बदलने का काम करता है.
आप नियमित रूप से अपने भोजन में लहसुन का उपयोग कर सकते हैं. आप चाहें तो हर रोज लहसुन की 2-3 कली भूनकर भी खा सकते हैं. ये आपके शरीर से Becterias का सफाया करने का काम भी करता हैं.
स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक, अधिक वजन से हृदय की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा और भी कई बीमारियां शरीर को जकड़ लेती हैं। इसलिए अगर आप अपने दिल को मजबूत बनाना चाहते हैं तो कम वसा और कम मात्रा में चीनी वाला आहार लें। साथ ही ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियां खाएं और रोजाना व्यायाम करें।
हृदय रोग वर्तमान में एक गंभीर समस्या है, लेकिन इससे बचने के लिए तरीकों एवं उपचारों की भी कोई कमी नहीं है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए जानिए दो ऐसे घरेलू रामबाण उपाय, जो आपके लिए मददगार साबित होंगे -
*250 ग्राम घीया (लौकी) छिल्के सहित धोकर उसे कस लें। कसी हुई लौकी को या तो ग्राइंडर में अथवा सिल-बट्टे पर पीस लें। पिसी हुई लौकी का रस ग्राइंडर से अपने आप बाहर आ जाएगा फिर उसे कपड़े से छान लें। लौकी को पीसते समय तुलसी की 7 पत्तियां और पुदीने की 6 पत्तियां डालना न भूलें। घीया के रस में उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। पानी में 4 पिसी हुई कालीमिर्च और 1 ग्राम सेंधा नमक डाल लें। भोजन के आधे घंटे बाद सुबह-शाम और रात को 3 बार इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि हर बार रस ताजा ही निकाला जाए। घीया का रस पेट में जो भी पाचन विकार होते हैं, उन्हें दूर कर मलद्वार से बाहर निकाल देता है, संभव है कि इसके सेवन से प्रारंभ के 3-4 दिन पेट में कुछ खलबली या गड़गड़ाहट-सी महसूस हो, परंतु बाद में सब बंद हो जाएगा।
*पान, लहसुन, अदरक का 1-1 चम्मच रस और 1 चम्मच शहद- इन चारों को एकसाथ मिला ले और सीधे पी जाएं। इसमें पानी मिलाने की जरूरत नहीं है। इसे दिन में एक बार सुबह और एक बार शाम को पि‍एं, और तनाव लेना बंद कर दें। दिल में कोई कठिनाई महसूस हो तो जो सामान्य दवा लेता हो, वह लेता रहे।
प्रयत्न करें कि उसे लेना न पड़े। इस प्रयोग से एक हफ्ते में ही सुधार शुरू हो जाएगा और 21 दिन लेना फायदेमंद होगा।

अधिक फाइबर खाएं

हृदय रोग के खतरे को कम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में फाइबर खाएं। दिन में कम से कम 30 ग्राम फाइबर खाने का लक्ष्य रखें। विभिन्न स्रोतों से फाइबर खाएं जैसे साबुत अनाज का ब्रेड, ब्रैन, ओट्स और साबुत अनाज सीरियल, आलू (छिलके के साथ) और पर्याप्त फल और सब्जियां।

सैचुरेटेड वसा में कटौती करें

अधिक वसा वाले ज़्यादा खाद्य पदार्थ खाने से आपके रक्त में कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) की मात्रा बढ़ सकती है। यह आप में हृदय रोग होने के खतरे को बढ़ा सकता है। पतले टुकड़े वाले मांस और निम्न वसा दुग्ध उत्पाद का चुनाव करें । जैसे फुल फैट दूध के स्थान पर 1% फैट वाले दूध का।

नमक में कटौती करें

स्वस्थ्य रक्तचाप के लिए टेबल पर रखे नमक का इस्तेमाल करने से बचें, और अपने खाने में अधिक प्रयोग करने से भी बचें। एक बार जब आप बिना अतिरिक्त नमक के खाद्य पदार्थ खाने के आदी हो जाते हैं तो आप इसे पूर्ण रूप से छोड़ सकते हैं।
 अधिकतर नमक जो हम खाते हैं वो हमारे द्वारा खरीदे गए खाद्य पदार्थ में पहले से होता है। खाद्य पदार्थ के लेबल को देखें। यदि 100 ग्राम में 1.5 ग्राम नमक या 0.6 ग्राम सोडियम से अधिक होता है तो उस खाद्य पदार्थ में नमक की मात्रा अधिक है। एक वयस्क को दिन भर में 6 ग्राम से कम नमक खाना चाहिए - जो कि एक चाय के चम्मच के बराबर होता है।
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15.9.21

आँखों से पानी आने के कारण और इलाज


 

लगातार काम करते-करते कई बार ऐसा होता है कि अचानक आंख से पानी निकलने लगता है, कई बार ये समस्या इतनी बढ़ जाती है कि हम हर वक्त इसी से परेशान रहते हैं. ऐसे में कई लोग बार-बार आंख को साफ पानी से भी धोते हैं लेकिन उनकी समस्या जस की तस रहती है. 
सूखी आँखें या ड्राई आई सिंड्रोम एक आम लेकिन आमतौर पर प्रगतिशील स्थिति है। सूखी आँखें थकान और दर्द महसूस करती हैं। अगर आपकी आँखें भी सूखी हैं, तो आपकी आँख में चोट लग सकती है या जलन हो सकती है। आप कुछ स्थितियों में सूखी आँखों का अनुभव कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक हवाई जहाज के अंदर, एक वातानुकूलित कमरे में, बाइक चलाते समय, या कुछ घंटों के लिए स्क्रीन देखने के बाद। जब भी पलकें झपकती हैं, आँसू कॉर्निया या आँख की ऊपरी सतह पर फैल जाते हैं। आँसू आँखों को चिकना (लुब्रिकेट) करते हैं, आँखों के संक्रमण के खतरे को कम करते हैं, आँखों के बाहरी कणों को धोते हैं और कॉर्निया को चिकना और साफ रखते हैं। किसी भी अतिरिक्त आँसू का उत्पादन, स्वचालित रूप से आँसू वाहिनी या पलकों के अंदरूनी कोनों में स्थित छोटे जल निकासी नलिकाओं में प्रवाहित होता है। यह नाक के पिछले हिस्से में चला जाता है। 
  जब आँसू उत्पादन और जल निकासी मेल नहीं खाते हैं, तो सूखी आँखें हो सकती हैं। ड्राई आई सिंड्रोम का एक निम्न स्तर सूक्ष्म लेकिन लगातार आँखों में जलन पैदा कर सकता है और सूजन या कॉर्निया को चोट भी लग सकती है। शुष्क नेत्र रोग विभिन्न कारणों से हो सकता है। तदनुसार, यह संपर्क में आता है और इसका इलाज किया जाता है। इसके कारण और स्थिति के आधार पर यह पूरी तरह से ठीक हो भी सकता है और नहीं भी। लेकिन ज्यादातर मामलों में सूखी आँखों का इलाज सफलतापूर्वक हो जाता है। परिणामस्वरूप अधिक से अधिक आँखों को आराम मिलता है, कम सूखी आँख के लक्षण और कभी-कभी तेज दृष्टि भी हो जाती है इसके लिए कुछ सर्जरी या बस कुछ जीवनशैली में बदलाव और आईड्रॉप की आवश्यकता हो सकती है। इसकी पुन: घटना को नियंत्रित करने के लिए आपको लगातार निवारक उपाय करने की आवश्यकता हो सकती है।
सूखी आँख (ड्राई आई) और सूखी आँख (ड्राई आई) सिंड्रोम के लक्षण हैं:
लाल आँखें,
भारी आँखें,
थकान भरी आँखें,
आँखों में जलन,
आँखों में दर्द,
खुजली महसूस होना,
जलन महसूस होना,
सूखापन लगना,
फोटोफोबिया,
धुंधली दृष्टि,
आँखों से पानी आना भी एक लक्षण हो सकता हैंं। क्योंकि सतह पर सूखापन कभी-कभी सुरक्षात्मक तंत्र को अधिक उत्तेजित कर देता है और इस प्रकार अपने आँसू के पानी वाले घटक के उत्पादन को बढाएँ। लेकिन यह रिफ्लेक्स टियरिंग आँख पर इतनी देर तक नहीं टिकता कि सूखी आँख की अंतर्निहित स्थिति को बदल सके।
इसके एक अन्य लक्षण को फॉरन बॉडी सेन्सेशन कहा जाता है। ऐसा तब होता है जब आप महसूस करते हैं कि कुछ ग्रिट या कोई अन्य वस्तु या सामग्री आपकी आँख के अंदर है।

सूखी आँख के कारण 

सूखी आँखें अलग-अलग कारणों से विकसित होती हैं। हम उनमें से कुछ कारणों को नीचे सूचीबद्ध किया गया है, जैसे-
पर्यावरण: धुएँ, प्रदूषण, हवा और शुष्क मौसम के संपर्क में आने से आँसू वाष्पीकरण बढ़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप सूखी आँख के लक्षण दिखाई देते हैं।
लाइफस्टाइल: नियमित रूप से आँखें ब्लिंकिंग नहीं करना, खासकर जब आप लंबे समय तक एंड्रॉइड या कम्प्यूटर की ब्लू स्क्रीन पर लगातार काम करते हैं, तो यह आँखों के सूखने का कारण बन सकता है।
लिंग: महिलाओं को शुष्क आँखें होने की अधिक संभावना होती है। विशेष रूप से गर्भावस्था के कारण हार्मोनल परिवर्तनों के दौरान, मौखिक गर्भ निरोधकों का उपयोग और मेनोपॉज़।
आयु: उम्र बढ़ने के कारण भी आँखें सूखी हो सकती हैं। 65 वर्ष से अधिक आयु के अधिकांश लोग सूखी आँखों के कुछ लक्षणों का अनुभव करते हैं।
दवाएँ: डिकंजेस्टेंट्स, एंटीथिस्टेमाइंस, एंटीडिप्रेसेंट्स और ब्लड प्रेशर की दवाओं सहित कुछ दवाएँ, आँसू उत्पादन को कम कर सकती हैं।
चिकित्सा की स्थिति: डायबिटीज़, अर्थराइटिस और थायरॉइड की समस्या वाले रोगियों में सूखी आँखों के लक्षणों की अधिक संभावना होती है। इसके अलावा आँख की सतहों की सूजन, पलकों की सूजन (ब्लेफैरिटिस) के साथ समस्याएँ या पलकों के अंदर की ओर या बाहर की ओर मुड़ने से सूखी आँखें विकसित हो सकती हैं।
अन्य: लंबे समय तक कॉन्टैक्ट लेंस पहनना सूखी आँखों के विकास का एक कारक हो सकता है। अपवर्तक नेत्र विशेषज्ञ कहते हैं, उदाहरण के लिए, चश्मा हटाने की सर्जरी आँसू उत्पादन को कम कर सकती है और सूखी आँखों में योगदान कर सकती है।
सूखी आँखों को रोकने के लिए क्या करें और क्या न करें, इसके बारे में विस्तार से बताया गया है-

अपने पर्यावरण के प्रति जागरूक रहें 

ज़्यादा ऊँचाई पर, रेगिस्तानी इलाकों में और हवाई जहाज के अंदर की हवा बेहद शुष्क हो सकती है। जब आपको इस तरह के माहौल में रहना होता है, तो आपको अपने आँसुओं के वाष्पीकरण को कम करने के लिए अपनी आँखों को बार-बार कुछ मिनटों के लिए बंद करना चाहिए। हवा में नमी जोड़ें। एक ह्यूमिडिफायर सर्दियों में शुष्क इनडोर हवा में नमी जोड़ सकता है। अपने आप को हाईड्रेटेड रखें। अधिक पानी पीने से सूखी आँखों के लक्षणों के निचले स्तर को राहत देने में मदद मिल सकती है। डीहाईड्रेशन से अकसर सूखी आँख की स्थिति खराब हो जाती है। ऐसा गर्म, शुष्क और हवा के मौसम के दौरान विशेष रूप से होता है।

कम्प्यूटर स्क्रीन को एडजस्ट करें

कम्प्यूटर स्क्रीन को आँखों के स्तर से नीचे रखा जाना चाहिए। यदि आपकी कम्प्यूटर स्क्रीन आँख के स्तर से ऊपर है, तो आपको स्क्रीन देखने के लिए अपनी आँखें ज़्यादा खोलनी होंगी। एक निचला स्थान यह सुनिश्चित करेगा कि आपको अपनी आँखें ज़्यादा खोलने की आवश्यकता नहीं है। यह आँख झपकते ही आपके आँसू के वाष्पीकरण की दर को कम कर देगा।

लंबे कार्यों के दौरान ब्रेक लें 

यदि आप पढ़ रहे हैं या कुछ अन्य नज़दीकी कार्य कर रहे हैं, जिसमें दृश्य एकाग्रता की आवश्यकता होती है, तो नियमित रूप से आँखों के विराम लें और 20-20-20 का फॉर्मूला याद रखें। हर 20 मिनट के बाद, 20 सेकंड के लिए, 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें। या अपनी आँखों पर समान रूप से अपने आँसू पैदा करने और फैलाने में मदद करने के लिए कुछ सेकंड के लिए तेजी से झपकाएँ। आप कुछ मिनटों के लिए आँखें बंद भी कर सकते हैं।

अधिक बार झपकाएँ

रिसर्च से पता चला है कि लोग किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करते समय अपनी आँखें अधिक समय तक खुली रखते हैं। कम पलकें झपकाना सूखी आँख के लक्षण या उसके कारण खराब हो सकती हैं। आपको अधिक बार झपकी लेने के लिए सचेत प्रयास करने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा पूरी तरह से पलकें झपकना याद रखें। अपनी पलकों को एक साथ धीरे से हिलाएँ। यह आँखों पर आँसू की एक नई परत फैलाने में मदद करेगा।

अपनी आँखों में सीधे हवा देने से बचें 

अपनी आँखों की ओर सीथे हेयर ड्रायर, एयर कंडीशनर, कार हीटर या पंखे न लगाएँ।

धूम्रपान से बचें 


यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो धूम्रपान छोड़ने में मदद करने और योजना तैयार करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करें और सलाह लें। यदि आप स्वयं धूम्रपान नहीं करते हैं, तो ऐसे लोगों से दूर रहें जो धूम्रपान करते हैं। धूम्रपान से सूखी आँख के लक्षण खराब हो सकते हैं।

पोषक तत्वों की खुराक लें 

शोध में पाया गया है कि ओमेगा -3 फैटी एसिड, विटामिन ए और सी युक्त सप्लीमेंट ड्राई आई के लक्षणों को कम कर सकते हैं। ओमेगा -3 के कुछ स्रोत हैं, जैसे- अलसी का तेल, ठंडे पानी की मछली जैसे सालमन, सार्डिन आदि।

अपनी पलकों को साफ रखें

सोने से पहले हमेशा अपना चेहरा धोकर सोएँ। बैक्टीरिया को हटाने के लिए अपनी पलकों को आराम से धोएँ। इससे ब्लेफेराइटिस और मीबोमियन ग्लैंड की समस्याएँ हो सकती हैं जो सूखी आँखें पैदा करती हैं। लगभग 20 सेकंड के लिए बंद पलकों के लिए एक गर्म और नम वॉशक्लॉथ का उपयोग करें। फिर धीरे से एक हल्के क्लीन्ज़र के साथ अपनी पलकों को धो लें।

अच्छी तरह से आँखों का मेकअप हटा दें


आईलाइनर, कोहल और अन्य आँखों का मेकअप, आईब्रो के आधार पर मेबोमियन ग्लैंड्स के खुलने में बाधा उत्पन्न कर सकता है, जिससे मेइबोमियन ग्लैंड डिसफंक्शन और सूखी आँख हो सकती है। रात में सोने से पहले अपने लिड्स और लैशेस से मेकअप के सभी निशानों को अच्छी तरह से हटा दें।

कॉन्टैक्ट लेंस से बचें

कॉन्टैक्ट लेंस पहनना कम दें या बंद कर दें। यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, तो यह बताना मुश्किल हो सकता है कि क्या सूखी आँख की स्थिति कॉन्टैक्ट लेंस की गड़बड़ी का कारण बन रही है या आपके कॉन्टैक्ट लेंस लक्षण पैदा कर रहे हैं। यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, तो आपको उन्हें पहनने से रोकने की सलाह दी जाती है। रैपराउंड सनग्लासेस पहने या अन्य प्रॉटेक्टिव आईवियर का उपयोग करें। हवा और शुष्क हवा को ब्लॉक करने के लिए आँखों के चश्मे को सबसे ऊपर और चश्मे के किनारों से जोड़ा जा सकता है। इन शील्ड्स के लिए आप जहाँ से आप अपना चश्मा खरीदते हैं, वहाँ से पूछ सकते हैं। नियमित रूप से कृत्रिम आँसू (आर्टिफिशियल टियर्स) का उपयोग करें, यदि आपकी यह पुरानी स्थिति है, तो ठीक लगने पर भी आईड्रॉप का उपयोग करें।

आंखों की करें सिंकाई

अगर आपकी आंखों से लगातार पानी निकल रहा है और साथ ही हल्की सूजन आ गई है तो ऐसे में आप तुंरत अपने आंखों की सिंकाई हैं. इसके लिए आपके एक साफ कपड़ा लेना है और साथ ही गर्म पानी में उसे हल्का से भिगोकर उससे सिंकाई करने हा. ध्यान रहे है कि पानी बहुत गर्म ना हो, आप कपड़े को थोड़ी देर के लिए आंखों के ऊपर रेखें और धीरे-धीरे सिंकाई करें आपको खूद को राहत महसूस होगी.


कच्चा आलू

   दरअसल कच्चे आलू में एंस्ट्रिजेंट के गुण होते हैं जो आंखों की इस समस्या में जल्द ही राहत दिलाने में कारगर होते हैं. इका इस्तेमाल करने के लिए आपक आलू को काट लें और उसे पानी से धो लें, उसके बाद एक पतली सी स्लाइट काटें और 10 मिनट तक फ्रिज में रखें औऱ उसके बाद आंखों के ऊपर थोड़ी देर के लिए रख दें आपको बहुत आराम मिलेगा.

  जब आपको कभी ऐसी समस्या हो और आपकी आँखों से पानी आने लग जाए तो आपको अपनी आँखों को हलके गर्म कपडे से हलके हलके दबाना चाहिए जिससे आँखों से पानी आने की समस्या ठीक हो जाती है।
  बेकिंग सोडा किसी भी इन्फेक्शन को ठीक करने में बहुत कारगर होता है। जब आपकी आँखों से पानी निकले तो आप हलके गुनगुने पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं और इससे आँखों को धोये जिससे आपकी आंखो से यह जलन खुजली और पानी आना बंद हो जाएगा।
  नारियल तेल को हमेशा से एक अच्छा मॉइस्चराइजर कहा जाता रहा है और आँखों से पानी आने पर इसे आँखों के चारो ओर हलके हलके मसाज करके लगायें जिससे आपकी आँखों से पानी आने की समस्या दूर हो जायेगी और आपको आराम मिलेगा।
   ठंडे या गरम कपड़े से दबाना आंसू नलिकाओं की रुकावट आँखों में पानी का प्रमुख कारण है। ठंडे या गरम कपड़े से दबाने से आँखों से यह परत हट जाती है, जिससे जहरीले पदार्थ भी बाहर निकाल जाते हैं और आँख की ललाई और जलन ठीक हो जाती है।
  आँखों में कोई भी समस्या होने पर इलायची बहुत कारगर मानी जाती है और इसके इस्तेमाल से आँखों से पानी आना बंद हो जाता है। एक गिलास दूध में दो इलायची मिलाएं और सेवन करे जिससे आँखों से पानी आना और कोई भी इन्फेक्शन धीरे धीरे खत्म होने लग जाएगा।
  एक टी बैग ले और उसे कुछ देर गर्म पानी में रखे और जब यह गर्म हो जाए तो इसे अपनी आँखों में रखे और लगभग पांच मिनट तक ऐसा करके रखे जिससे आपके आँखों से पानी आना बंद हो जाएगा और आपको आराम मिलेगा।

आंखों की सेहत के लिए आहार

  अगर आप सेहतमंद आंखे चाहते हैं तो इसके लिए पत्तेदार और हरी सब्जियां, ताजे फल, मछली, सूखे मेवे और अखरोट को अपनी डायट में शामिल जरूर करें। मछली और अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड मौजूद होता है। इसके सेवन से ड्राई मैकुलर की बीमारी होने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा आप सब्जियों में ब्रोक्कोली, गोभी, पालक, मटर को शामिल कर सकते हैं, इनमें एंटीऑक्सीडेंट के साथ ल्यूटीन मौजूद होता है। इनके सेवन से हर तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।
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7.9.21

खट्टे फल खाने के है कई सारे फायदे:khatte fal



 

फल स्वास्थ्य के लिए हर तरह से फायदेमंद हैं। वैसे तो सभी तरह के फल सेहत के लिए बेहतर काम करते हैं लेकिन खट्टे फलों को सेहत के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। खट्टे फल जैसे संतरे, अंगूर, आम, अनानास और नींबू के नियमित सेवन से कई समस्याओं से से राहत मिल सकती है।


खट्टे फल में पाए जाने वाले पोषक तत्व

इनमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी और अन्य पोषक तत्व, विटामिन, खनिज और यौगिकपाए जाते हैं। इसके अलावा यह फाइबर, पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और आयरन के भी बेहतर स्रोत हैं। खट्टे फलों में फाइटोन्यूट्रिएंट्स (फाइटोन्यूट्रिएंट्स) जैसे कैरोटेनॉयड्स, फ्लेवोनोइड, पॉलीफेनोल भी होते हैं, जो पौधों की मदद करने के अलावा एक अनूठा रंग और गंध भी रखते हैं। इसमें एंटीऑक्सिडेंट गुण भी होते हैं जो शरीर में कोशिकाओं की रक्षा करने और कुछ स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने में मदद करते हैं।
खट्टे फल (Citrus Fruits) रुटेशियस जीनस से संबंधित पेड़ और पौधों से निकलते हैं। इनकी खास बात ये है कि इनमें साइट्रिक एसिड की मात्रा हाई होती है और आमतौर पर ये रसदार और मांसल गूदा वाले होते हैं। खट्टे फल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं जो स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं। जो लोग वजन घटाना चाहते हैं और हाई कैलोरी खाने से बचना चाहते हैं, उनके लिए खट्टे फल बहुत फायदेमंद है। जैसे कि एक मध्यम आकार के नारंगी में लगभग 60 से 80 कैलोरी होती है, जबकि एक कटोरी अंगूर में लगभग 90 कैलोरी होती है। साथ ही इनमें सरल कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज, सुक्रोज और फ्रुक्टोज भी पाए जाते हैं। खट्टे फलों में पाए जाने वाले आहार फाइबर में पेक्टिन होता है जो कोलेस्ट्रॉल से बांधता है और इसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। 

संतरा

संतरा विटामिन ए, बी, सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फोस्फोरस और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है। ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो कि इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ शरीर को मौसमी बीमारी से बचाते हैं।

अंगूर

अंगूर भी स्वाद में थोड़े खट्टे होते हैं। ये इम्यूनिटी बूस्टर है और विभिन्न प्रकार के रोगों से आपको बचाता है। दरअसल अंगूर में विटामिन सी की मात्रा पाई जाती है जो कि इम्यूनिटी बढ़ाने का गुण भी रखता है। इसलिए एक स्ट्रांग इम्यून सिस्टम के लिए अपनी डायट में अंगूर को जरूर शामिल करें।

कीनू

कीनू संतरा जैसा होता है पर इसका रंग संतरे से थोड़ा ज्यादा गहरा होता है। साथ ही साइज में भी ये संतरे से थोड़ा छोटा होता है। कीनू शरीर में सूजन को कम करने में सहायक है और फाइन रेडिकल्स के नुकसानों से शरीर को बचाता है। इसके अलावा ये कोशिकाओं के विकास को भी बढ़ावा देते हैं।

विटामिन सी से भरपूर आंवला

आंवले में कई ऐसे न्यूट्रिशंस पाए जाते हैं, जो सर्दी के मौसम में बेहद फायदा देते हैं। विटामिन सी बॉडी के इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाता है, तो वहीं इसमें पाए जाने वाले ऐंटि-ऑक्सीडेंट बॉडी में मौजूद केमिकल्स को बाहर निकलने में मदद करते हैं। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के साथ ही यह एनीमिया से भी बचाता है। 50-50 ग्राम के दो आंवलें अगर आप रोजाना लेंगे, तो आप 0.5 ग्राम प्रोटीन, 13.7 ग्राम कार्बोहाइट्रेट, 58 ग्राम कैलरी, 1.2 मिलीग्राम आयरन पा सकते हैं।

मौसंबी


मौसंबी खाना आपने मुंह के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं। दरअसल, ये मसूड़ों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं और स्कर्वी जैसे बीमारियों के लक्षणों को कम करते हैं।

चकोतरा

चकतोरा नींबू जैसा ही एक फल होता है, पर खट्टे प्रजातियों के फलों में सबसे कम खट्टा और थोड़ा ज्यादा मीठा होता है। चकोतरा का जूस पीने से शरीर में कैल्शियम, पोटेशियम और फॉस्फोरस की कमी नहीं होती है। ये पाचन संबंधी परेशानियों को कम करता है।

खट्टे फल के फायदे-

अगर आप वजन को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो खट्टे फल खाने चाहिए। यह पाचन को बेहतर करते हैं और पेट को लंबे समय तक भरे रहने में मदद करते हैं। इसके अलावा, खट्टे फल भी कैलोरी में कम होते हैं।
यह गुर्दे की पथरी के विकास के जोखिम को कम कर सकता है। गुर्दे की पथरी के कारणों में से एक कम मूत्र साइट्रेट है लेकिन नियमित रूप से फल और सब्जियां खाने से विशेष रूप से खट्टे फल मूत्र साइट्रेट के स्तर को बढ़ा सकते हैं। जिससे किडनी में पथरी होने का खतरा कम हो जाता है।
कुछ प्रकार के कैंसर को रोकने में मदद मिल सकती है कई अध्ययनों से संकेत मिलता है कि खट्टे फल कुछ कैंसर के विकास के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
इसके अलावा, खट्टे फल कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं। नई कैंसर कोशिकाओं के निर्माण को रोकने में मदद करता है और साथ ही कार्सिनोजेन्स की क्रिया को बाधित करने में मदद करता है प्रतिरक्षा प्रणाली के काम को बढ़ावा देने में मदद करता है।
यह दिल के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। खट्टे फलों में पोटेशियम भी हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। और स्ट्रोक के साथ-साथ मस्तिष्क को पोषण देने में मदद करें साइट्रस में क्वेरसेटिन नामक फ्लेवोनॉइड्स पुरानी सूजन के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं।

लो कैलोरी

खट्टे फलों में कैलोरी की मात्रा कम होती है इसलिए कोई भी व्यक्ति इसे खा सकता है। सबसे ज्यादा ये वजन घटाने वाले लोगों के लिए फायदेमंद है। इसलिए अगर आप वजन घटाना चाहते हैं, तो अपने खाने में खट्टे फलों को जरूर शामिल करें।

फाइबर से भरपूर

घुलनशील फाइबर बोवल मूवमेंट को विनियमित करने में मदद करता है। ये पेट को साफ करने और कब्ज जैसी परेशानियों से बचाए रखने में मदद करता है। इसलिए अगर आपको कब्ज की परेशानी है, तो आपको खट्टे फलों को खाना चाहिए।

शरीर का पीएच बैलेंस करता है

खट्टे फल हमारे शरीर के प्रोसेस को तेज करने में मदद करते हैं। ये गुर्दे की पथरी की स्थिति को करने में मदद करते हैं। खट्टे फल या उनका रस गुर्दे की प्रणाली को क्षारीय करने में मदद करता है, जिससे शरीर का पीएच बदलता है और गुर्दे में पथरी की परेशानी को कम करता है।

पथरी में लाभदायक

खट्टे फल का सेवन पथरी की समस्या से आराम पाने में भी किया जा सकता है। माना जाता है कि मूत्रवर्धक (Diuretic) पथरी से बचाव करने में मदद कर सकते हैं । ऐसे में खट्टे फल के फायदे देखे जा सकते हैं। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार शुद्ध नींबू के रस में ड्यूरेटिक प्रभाव मौजूद होते हैं, जो मुत्रस्त्राव को बढ़ावा देने में मदद कर सकते है और इससे पथरी का जोखिम कुछ हद तक कम हो सकता है। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध की आवश्यकता है

कोलेजन बढ़ाता है


विटामिन सी कोलेजन उत्पादन में मदद करता है। कोलेजन हमारे बालों की त्वचा और नाखूनों में सबसे व्यापक रूप से पाया जाने वाला प्रोटीन है। जब हमारी उम्र बढ़ने लगती है, तो शरीर में कोलेजन उत्पादन कम होने लगता है। जिससे बालों और त्वचा में बदलाव आता है। इसलिए विटामिन सी का सेवन बालों और त्वचा आदि को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।

कैल्शियम से भरपूर है

खट्टे फल अन्य पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से शरीर में अवशोषित करने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए कैल्शियम, कैटेचिन के अवशोषण में विटामिन सी बहुत फायदेमंद हैं। इसके अलावा ये आयरन के अवशोषण में सहायक होते हैं जो हमारे रेड ब्लड सेल्स को बेहतर बनाता है।

खट्टे फल पोटेशियम से भरपूर होते हैं

खट्टे फल पोटेशियम से भरपूर होते हैं, जो कि आपके दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं। पोटेशियम मांसपेशियों के संकुचन, द्रव विनियमन आदि के लिए अच्छा है। साथ पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने से स्ट्रोक का खतरा कम होता है।

हृदय को रखे स्वस्थ

कई शोधों के आधार पर यह माना गया है कि फ्लेवोनोइड से समृद्ध खाद्य पदार्थों का सेवन करने से हृदय रोग से बचने में मदद मिल सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये ब्लड लिपिड, ब्लड ग्लूकोज एवं रक्त वाहिकाओं की कार्यप्रणाली (Vascular Function) पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। सिट्रस फ्रूट में फ्लेवोनोइड पाया जाता है, इसलिए कहा जा सकता है कि ये खास फल हृदय को स्वस्थ रखने में मददगार हो सकते हैं। वहीं, नींबू की खास प्रजाति काफिर लाइम के छिलके में मौजूद एथनॉलिक अर्क, कीमोथेरेपी (एक प्रकार का कैंसर ट्रीटमेंट) के दौरान कार्डियोप्रोटेक्टिव (हृदय को क्षति से बचाने वाला गुण) प्रभाव प्रदर्शित कर सकता

पानी की कमी से बचाते हैं


खट्टे फल शरीर में हाईड्रेशन की स्थिति को बनाए रखने में मदद करते हैं क्योंकि इनमें 80-90 प्रतिशत तक पानी होता है। आप इसका जूस पिएं या आप इन्हें खाएं, ये शरीर में पानी की कमी नहीं होने देंगे।

बालों के लिए खट्टे फल के फायदे

खट्टे फल और उनमें मौजूद विटामिन-सी के फायदे सेहत और त्वचा तक ही सीमित नहीं है। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले हेयर लोस से बचाने में मदद कर सकते हैं । इसके लिए नींबू के रस का उपयोग किया जा सकता है। बालों की जड़ों में नींबू का रस लगा लें। 15 से 20 मिनट रखने के बाद बालों को शैम्पू से धो लें।

पार्किंसंस और अल्जाइमर से बचाते हैं

कुछ अध्ययनों से पता चला है कि खट्टे फलों का सेवन संज्ञानात्मक कार्य को बेहतर बनाने में मदद करता है जिससे, पार्किंसंस और अल्जाइमर जैसे मानसिक रोगों के खतरे को कम होता है। यह क्वैरसेटिन नामक एक फ्लेवनॉइड से भी भरपूर है, जो कि शरीर में पुरानी सूजन को कम करने में फायदेमंद है।
खट्टे फलों का सेवन करने का सबसे अच्छा समय सुबह का नाश्ता या दिन का लंच है। जूस के रूप में इनका सेवन करना भी बहुत फायदेमंद है पर अगर आप जूस में शुगर इनटेक को कम करना चाहते हैं, तो इसे ऐसे ही खाएं। तो, सर्दियों के दौरान अपनी डाइट में इन खट्टे फलों को शामिल करें और इनके इन तमाम स्वास्थ्य लाभों का फायदा उठाएं।

मस्तिष्क के लिए सिट्रस फल के फायदे

ऑक्सीडेटिव तनाव शरीर के लिए कई तरह से नुकसानदायक होता है और इसके ऐसे ही नुकसानों में एक नाम न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग (दिमाग से जुड़े विकारों) का भी शामिल है। इनसे बचने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन जरूरी हैं, जो एंटीऑक्सीडेंट गुण से समृद्ध हो, जैसे खट्टे फल। दरअसल, खट्टे फलों में पाए जाने वाले फ्लेवोनोइड्स शरीर पर न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव (दिमाग से जुड़े रोगों से बचने के लिए) डाल सकते हैं। इनके इन गुणों के कारण खट्टे फलों को दिमाग को स्वस्थ बनाए रखने वाले खाद्य पदार्थों में शामिल किया जा सकता है ।

खट्टे फल एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं

कई रोग या स्वास्थ्य स्थितियां मुक्त कणों के बेअसर न होने के कारण होती हैं। खट्टे फलों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट शरीर और चेहरे को तनाव से लड़ने में मदद करते हैं और फाइन रेडिकल्स में कमी लाते हैं।

आंखों के लिए सिट्रस फल के फायदे

खट्टे फल विटामिन-सी से समृद्ध होते हैं और यह शरीर के लिए कई तरह से लाभदायक हो सकता है। आंखों के लिए विटामिन-सी के फायदों की बात करें तो यह प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो आंखों को फ्री रेडिकल्स से होने वाली क्षति से बचाने में मदद कर सकता है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि आंखों की मेटाबॉलिक दर ज्यादा होती है, जिसके कारण इन्हें सामान्य से अधिक एंटीऑक्सीडेंट सुरक्षा की जरूरत होती है। इसके अलावा, विटामिन-सी आंखों में अन्य एंटीऑक्सीडेंट, जैसे विटामिन-ई को रीजेनरेट करने में भी मदद कर सकता है

विटामिन से भरपूर होते हैं

खट्टे फल विशेष रूप से विटामिन सी में उच्च होते हैं। ये पोटेशियम और फास्फोरस से भी भरपूर होते हैं, जो कि आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसके कारण आप मौसमी बीमारियों से आसानी से लड़ सकते हैं।

त्वचा के लिए खट्टे फल के फायदे

यह तो आप जान ही चुके हैं कि इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है। विटामिन सी के फायदे यह हैं कि ये एक प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो त्वचा को फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाली क्षति से बचा सकता है। फ्री रेडिकल्स के कारण त्वचा पर उम्र से पहले झुर्रियां और महीन रेखाएं दिख सकती हैं। इन सभी से त्वचा को बचाने में खट्टे फल लाभदायक हो सकते हैं । इसके लिए रात को सोने से पहले रूई की मदद से नींबू के रस को चेहरे पर लगाएं। लगभग तीन से पांच मिनट रखने के बाद चेहरा धो लें। जिनकी त्वचा संवेदनशील है, वो यह उपाय न करें
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4.9.21

पेट के मरोड़ ,पेट दर्द और लूज मोशन के घरेलू उपचार :pet ke marod ke upchar


 

-आंत में किसी तरह का संक्रमण होने पर या घाव होने पर जब आंत की परतों में संकुचन होता है तो यह दर्द की उत्पत्ति करता है। यानी आपके पेट में मरोड़ उठती है। इसके साथ ही जब आप पॉटी के लिए प्रेशर लगाते हैं या आपकी मांसपेशियां मल को बाहर निकालने का कार्य करती हैं तो इस दौरान हुए संकुचन से भी तेज दर्द उठता है।
  पेट में दर्द व मरोड होने का कारण- पेट में दर्द कई प्रकार के रोगों के होने के कारण भी हो सकता है जैसे- पित्ताशय में पथरी, पेट में कोई जख्म होना, गुर्दे में पथरी, नाभि का अपने स्थान से हट जाने तथा कब्ज बनने के कारण।नाभि के आस-पास किसी तरह का रोग हो जाने के कारण भी पेट दर्द का रोग हो सकता है।


• आंतों में गैस भर जाने से भी यह रोग हो सकता है।
• पेट में किसी उत्तेजक पदार्थ के चले जाने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
• जिगर, आंतों तथा भोजन नली में किसी जहरीले पदार्थ के पहुंच जाने के कारण भी पेट में दर्द हो सकता है।
• जब कभी शरीर में दूषित द्रव्य शरीर के स्नायुओं पर अनावश्यक दबाव डालते हैं तब व्यक्ति के पेट में दर्द होने लगता है।
• जरूरत से ज्यादा भोजन करने के कारण भी पेट में दर्द होने लगता है।
• किसी दुर्घटना के कारण पेट में चोट लग जाने के कारण भी पेट में दर्द हो सकत• गुदाद्वार या आंतों में किसी प्रकार की सूजन हो जाने के कारण भी पेट में दर्द हो सकता है।
  आजकल फास्टफूड और तैलीय भोजन खाने से कई बार पेट में मरोड़ उठने लगती है जो काफी परेशान करती है। इसी के साथ दस्त भी शुरू हो जाए तो इंसान की हालत पस्त हो जाती है। गलत खानपान के कारण हमारा पाचनतंत्र प्रभावित होता है और कई बार हमारे पेट में दर्द होने लगता है। इस दर्द का कारण पेट की गैस, अपच, एसिडिटी, कब्ज, पेट का फ्लू, फूड प्वायनिंग आदि हो सकती है। 

pet me dard marod ke upchar-

मेथी के बीज - 

मेथी पाचन के लिए फायदेमंद होती है और इसमें फाइबर की मात्रा भी खूब होती है इसलिए ये पेट की मरोड़ में फायदेमंद होती है। इसके लिए एक कटोरी में दही लेकर उसमे मेथी के दानों को पीसकर अच्छी तरह मिला लें। स्वाद के लिए थोड़ा सा काला नमक भी डाल सकते हैं। इस दही का सेवन करने से पेट की मरोड़ में लाभ मिलेगा।

मूली -

 मूली का प्रयोग मूली भी पेट में मरोड़ उठने पर फायदेमंद होती है। इसके लिए मूली को अच्छी तरह धुलकर छील लें और फिर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। अब इन टुकड़ों पर थोड़ा सा काला नमक या सेंधा नमक डालें और काली मिर्च छिड़क लें। इसे खाने से थोड़ी देर में ही पेट दर्द से आराम मिलेगा।

हींग भी है फायदेमंद -

 पेट में होने वाली मरोड़ के लिए हींग भी एक बेहतर उपाय है। इसके लिए दो ग्राम हींग को पीस लें और आधी ग्लास पानी के साथ इसे निगल लें। छोटे बच्चों को चम्मच से पिलाकर हींग का लेप नाभि पर करें। ऐसा करने से पेट में मरोड़ शांत हो जाती है।

ईसबगोल - 

ईसबगोल न सिर्फ दर्द बल्कि दस्त में भी राहत दिलाता है और ये आंतों की अच्छे से सफाई कर देता है। इसके लिए एक कटोरी दही में दो चम्मच ईसबगोल मिलाकर खाएं या किसी मिठाई को तोड़कर उसमें ईसबगोल मिला लें और खा लें।

अजवाइन का प्रयोग - 

अजवाइन पेट की मरोड़ और एसिडिटी को ठीक करती है। इसके सेवन से पेट की लगभग सभी बीमारियों में लाभ मिलता है। पेट में मरोड़ के लिए तवे पर अजवाइन भून लें। इसके बाद आप इसमें सेंधा नमक या काला नमक डालकर तीन ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करें। दिन में दो बार पीने से पेट में मरोड़ एकदम ठीक हो जाएगी।

आयुर्वेदिक घरेलु उपचार

★ रात को सोते समय रोगी व्यक्ति को पीतल के लोटे में पानी को भरकर रखना चाहिए और फिर सुबह के समय में उठते ही इस पानी को पी लेना चाहिए। ऐसा करने से शौच खुलकर आती है और पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
★ अदरक के 1 छोटे टुकड़े को मुंह में रखे और इसका रस चूसे, इससे पेट का दर्द में जल्द आराम मिलेगा। 1 से 2 चम्मच नींबू रस, 1 चम्मच अदरक का रस और थोड़ी सी चीनी मिला कर सेवन करने से पेट दर्द से तुरंत छुटकारा मिलता है।
★ नाभि पर अदरक के रस से मालिश करने पर भी पेट दर्द दूर होता है।
★ पेट में दर्द होने पर अजवाइन में थोड़ा सा नमक मिलाकर गर्म पानी के साथ लेने से पेट का दर्द होना तुरंत ठीक हो जाता है।
★ एक चम्मच कुटी हुई सौंफ को एक कप पानी में डालकर 10 मिनट के लिए उबालें। इसके बाद स्वादानुसार शहद मिलाकर सेवन करें। या फिर, खाना खाने के बाद दो चम्मच सौंफ को चबाकर खाएं। इससे आराम मिलेगा।
★ एक कप पानी में 2 चमच्च दही और एक चुटकी नमक मिलाये। अब इसमें 3 चमच्च धनिये के पत्तियों का रस और आधा चमच्च इलायची पाउडर डालकर अच्छी तरह से मिलाये। खाना खाने के एक घंटे बाद इस खाए। इसके अलावा आप सादा दही का भी सेवन करेंगे तो आपको लाभ होगा।
★ जब रोगी के पेट में दर्द हो तो उस समय रोगी व्यक्ति को नींबू का रस निकालकर पानी में मिलाकर पीना चाहिए तथा उपवास रखना चाहिए। इससे रोगी के पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

★पथरी होने से पेटदर्द -

 हो सकता है कि रोगी के पेट में दर्द पेट में पथरी रोग होने के कारण हो, इसलिए कुलथी की दाल को सुबह के समय में पानी में भिगोकर रख दें तथा शाम के समय में इसे पानी में पीसकर उस पानी को पी लें। इस प्रकार से प्रतिदिन प्रयोग करने से कुछ ही दिनों में हर प्रकार की पथरी गलकर शरीर से बाहर हो जाती है। जिसके परिणामस्वरूप पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
★ पेट दर्द मे हींग बहुत ही लाभकारी है। 5 ग्राम हींग थोडे पानी में पीसकर पेस्ट बनाएं। इसे नाभी पर और उसके आस पास लगायें फिर क़ुछ देर लेटे रहें। इससे पेट की गैस निकल जायेगी और दर्द में राहत मिलेगी ।

दस्त और मरोड़ का रामबाण इलाज

दस्त लगने पर पांच ग्राम जीरा ले और इसे भून कर पीस ले और दही या दही से बनी हुई लस्सी के साथ इसका सेवन करने पर कुछ ही देर में आराम मिल जाता है और अगर दस्त के साथ पेट में मरोड़ भी उठ रही हो तो जीरे के बराबर मात्रा में सौंफ भून कर दोनों को पीस ले और इसका एक चम्मच दिन में दो से तीन बार ले। पेट में उठने वाली मरोड़ और दस्त से तुरंत आराम पाने का ये रामबाण उपाय है।
*काली मिर्च के साथ एक चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच अदरक का रस लेने से भी लूज मोशन में राहत मिलती है। अदरक का छोटा टुकड़ा मुँह में रख कर कुछ देर चूसे, इस उपाय से दस्त में आराम मिलता है और पेट की मरोड़ शांत होती है। अदरक की चाय भी दस्त रोकने में मददगार है।

बच्चों के दस्त के घरेलू उपाय

जब पहली बार बच्चे के दाँत निकलते है तब दस्त और बुखार की समस्या हो जाती है। ऐसे में बच्चे के खाने पीने का ख्याल रखना ज़रूरी है। बच्चे को दस्त होने पर हल्का खाना खिलाए।
*मेथी और दही का सेवन करके भी पेट की मरोड़ को ठीक किया जा सकता है. यह एक बहुत ही सरल उपाय हैं, तथा इस उपाय को करने के लिए ज्यादा समय की भी आवश्यकता नही हैं. इसके लिए एक कटोरी में दही लेकर उसमे मेथी के दानों को पीसकर अच्छी तरह मिला लें. अब इस दही का सेवन करें. दही का सेवन करने से पेट की मरोड़ में लाभ होगा.
*कई बार जादा गर्मी लगने या फिर शरीर में नमक की कमी होने से बच्चों को डायरिया हो जाता है। ऐसी स्थिति में पानी में थोड़ा नमक घोल कर बच्चे को पिलाए।
* दूषित खाने से भी बच्चे को दस्त लग जाते है, इसलिए बच्चे को साफ़ सुथरा फुड ही खिलाए।

पेचिस की बीमारी

पेचिस की बीमारी को दूर करने के लिए काफी ऐसे उपाय हैं, जिनका उपयोग हम पेट की मरोड़ को ठीक करने के लिए भी कर सकते हैं. जिस प्रकार ताजी लस्सी और बेलगिरी के गुद्दे को मिलाकर पीने से पेचिस का रोग ठीक हो जाता हैं. ठीक उसी प्रकार पेट की मरोड़ को ठीक करने के लिए भी बेलगिरी के गुद्दे और ताजी लस्सी का प्रयोग किया जाता हैं. बेलगिरी का प्रयोग करने से पेट की मरोड़ में जल्दी ही आराम हो जाता है. लस्सी और बेलगिरी के मिश्रण को पीने से पेट की मरोड़ तो खत्म हो ही जाएगी, इसके साथ ही इससे पेट को ठंडक भी मिलेगी. क्योंकि बेलगिरी और लस्सी दोनों ही ठंडे प्रदार्थ हैं. गर्मी के दिनों में लोग इन दोनों का सेवन करना अधिक पसंद करते हैं.
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30.8.21

जानें उड़द दाल खाने के कमाल के फायद/udad dal ke fayde






काली दाल, यानि उड़द की दाल को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता हैं. दालों को प्रोटीन का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है. दालों के सेवन से शरीर में प्रोटीन की कमी नहीं होती.

खासतौर पर शाकाहारी लोगों के लिए दालों का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है. आपको बता दें कि दालें कई प्रकार की होती हैं. वैसे तो आप किसी भी दाल का सेवन करें, ये सभी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं. लेकिन आज हम जिस दाल के बारे में बात कर रहे हैं वो है काली दाल, यानि उड़द की दाल, हालांकि उड़द की दाल दो प्रकार की होती है काली तथा हरी. असल में उड़द की दाल में बहुत से ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए अच्छे माने जाते हैं. उड़द दाल में प्रोटीन के अलावा फैट, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी, आयरन, फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मददगार माने जाते हैं. उड़द की दाल udad dal ke fayde को डायबिटीज में काफी अच्छा माना जाता है. डायबिटीज आज के समय की एक गंभीर समस्या में से एक है जिसे खान-पान और लाइफस्टाइल में बदलाव करके कंट्रोल किया जा सकता है.
उड़द दाल खाने के फायदेः

 डायबिटीज के लिएः

डायबिटीज आज के समय की गंभीर समस्या में से एक हैं जिसे लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव करके कंट्रोल किया जा सकता है. उड़द दाल में फाइबर के गुण भरपूर होते हैं जो चीनी और ग्लूकोज के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं. डायबिटीज के रोगी डाइट में उड़द दाल को शामिल कर सकते हैं. उड़द दाल के सेवन से डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है.

पुरुषों के लिए भी है लाभदायक -

उड़द  udad dal ke fayde वीर्य वर्द्धक, हृदय को हितकारी है। यह वात, अर्श का नाश करती है। यह स्निग्ध, विपाक में मधुर, बलवर्द्धक और रुचिकारी होती है। उड़द की दाल अन्य प्रकार की दालों में अधिक बल देने वाली व पोषक होती है। अगर काली उड़द को पानी में 6 से 7 घंटे के लिये भिगो कर उसे घी में फ्राई कर के शहद के साथ नियमित सेवन किया जाए तो पुरुष की यौन शक्ति बढती है तथा सभी विकार दूर होते हैं|

कब्ज के लिएः

उड़द की दाल में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं, जो पाचन तंत्र को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं. उड़द दाल के सेवन से पाचन, कब्ज और ऐंठन की समस्या को दूर किया जा सकता है.

जोड़ों और मांसपेशियों में होनेवाले दर्द

जोड़ों और मांसपेशियों में होनेवाले दर्द और सूजन से तुरंत राहत पाने के लिए उड़द की दाल का पेस्ट दर्द वालेी जगह पर लगाने से आराम मिलता है। इसके अलावा यह किसी भी तरह की त्वचा की जलन को कम करने में, टैन और सनबर्न से छुटकारा दिलाने में भी मदद करती है। इसके अलावा उड़द दाल में उच्च मात्रा में विटामिन और खनिज होते हैं, जो आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करते हैं। उड़द की दाल आपके ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में भी मदद करती है।

दिल के लिएः

दिल के मरीजों के लिए फायदेमंद है उड़द की दाल. उड़द दाल को पोटेशियम का अच्छा सोर्स माना जाता है. पोटेशियम रक्त परिसंचरण में सुधार कर सकती है. ये रक्त वाहिकाओं और धमनियों में तनाव को कम करने में मदद कर सकती है. उड़द दाल  udad dal ke fayde के सेवन से हार्ट को हेल्दी रखा जा सकता है.

आयरन के लिएः

उड़द की दाल में आयरन भरपूर मात्रा में होता है, जो आपके शरीर में एनर्जी के लेवल को बढ़ाने में मदद करता है और आपको एक्टिव रखता है। आयरन लाल रक्त कोशिकाओं के बनने में मदद करता है, जो आपके शरीर के सभी अंगों में ऑक्सीजन ले जाने के लिए जिम्मेदार है। जिन गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है, उनके लिए आयरन से भरपूर उड़द की दाल का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। नियमित रूप से उड़द की दाल का सेवन करने से बॉडी में आयरन के साथ-साथ एनर्जी भी बनी रहती है।

याददाश्त होगी मजबूत

अगर आपकी याददाश्त कमजोर है तो उड़द की दाल का सेवन करें. इसके लिए आप रात को सोते समय लगभग 60 ग्राम उड़द की दाल को पानी में भिगोकर रख दें. सुबह इस दाल को पीसकर दूध और मिश्री मिलाकर पीयें. इससे याददाश्त मजबूत होती है और दिमाग की कमजोरी खत्म हो जाती है.

सिरदर्द के लिएः

सिरदर्द की समस्या को कम करने में मददगार है उड़द दाल, इसमें पाए जाने वाले मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व शरीर को हेल्दी रखने का काम कर सकते हैं.

मुंहासे ठीक करने में मददगार

उड़द की दाल से मुंहासे भी ठीक हो जाते हैं. इसके लिए आप उड़द और मसूर की बिना छिलके की दाल को सुबह दूध में भिगो दें. शाम को बारीक से बारीक पीसकर उसमें नींबू के रस की थोड़ी बूंदे और शहद की थोड़ी बूंदे डालकर अच्छी तरह मिला लें और लेप बना लें. इसके बाद आप इस लेप को इस लेप को चेहरे पर लगा लें. इसके बाद सुबह चेहरा धो लें, ऐसा करने पर मुंहासे दूर हो जाएंगे.

ब्लड सर्कूलेशन बढ़ाने में भी मददगार

उड़द की दाल ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मददगार udad dal ke fayde  है. इसमें बड़ी मात्रा में बायोऐक्टिव कंपाउंड्स होते हैं, जो हमारी बॉडी के फूड फंक्शन को इंप्रूव करते हैं. जो हमारे पाचन तंत्र को ऊर्जा देकर हमें हर समय एनर्जेटिक रखते हैं.

नकसीर की समस्या से भी राहत

उड़द की दाल का उपयोग नकसीर की समस्या से भी राहत दिलाता है. कुछ लोगों को अत्यधिक गर्मी या ठंड के कारण भी नाक से खून बहने की समस्या होती है. ऐसे में उन्हें उड़द की दाल का सेवन करना चाहिए. इसके लिए आपको उड़द के आटे का तालू पर लेप करना होगा, ऐसा करने से नाक से खून (नकसीर) आना कम होता है.

नर्वस स‍िस्टम

उड़द की दाल हमारे नर्वस स‍िस्टम को मजबूत करने के अलावा हमारे ब्रेन को हैल्दी बनाती है। नर्वस स‍िस्टम की कमजोरी, लकवा, चेहरे का लकवा समेत दूसरी और कई बीमार‍ियों को ठीक करने के लिए अलग-अलग आयुर्वेदिक दवाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

सावधानी-

उड़द दाल के अधिक सेवन से पित्त की पथरी या गाउट भी हो सकता है। अगर आप इसका अधिक सेवन करते हैं तो यह आपके पाचन को भी प्रभावित कर सकती है। उड़द दाल का अधिक सेवन करने से कब्ज की समस्या भी हो सकती है। जिन लोगों को पहले से यह समस्या है, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। हर एक व्यक्ति में इसका प्रभाव अलग-अलग होता है।
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