18.12.19

खाने के बाद 30-40 मिनट पैदल चलने से मोटापा और हार्ट रोग रहेंगे दूर


पैदल चलना (Walking) अपने आप में एक बेहतरीन एक्सरसाइज है। सुबह से लेकर रात तक जब भी समय और मौका मिले, आपको पैदल जरूर चलना चाहिए। रेगुलर वॉक करने से आप न सिर्फ शारीरिक रूप से फिट रहते हैं, बल्कि शरीर की कई बीमारियों की भी 'टाटा बाय-बाय' कह सकते हैं। जी हां, शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ 3 मिनट पैदल चलकर आप अपना बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर कंट्रोल कर सकते हैं। इसी तरह 5 मिनट पैदल चलकर आप अपने खराब मूड को ठीक कर सकते हैं।
दरअसल प्रकृति ने आपका शरीर आराम करने के लिए नहीं बनाया गया है। अगर आप दिन भर एक ही जगह बैठे-बैठे या लेटे हुए गुजार देते हैं, तो आपका शरीर कई तरह की बीमारियों का शिकार बनता जाता है। इसलिए अपने बॉडी पार्ट्स को मूव करते रहना और थोड़ा-बहुत काम करते रहना बेहद जरूरी है। अगर आप जिम जाकर वर्कआउट नहीं कर सकते हैं, सुबह उठकर पार्क में एक्सरसाइज नहीं कर सकते हैं, घर में योगासन भी नहीं कर सकते हैं, तो कम से कम आपको पैदल तो चलना ही चाहिए। आइए आपको बताते हैं दिन में थोड़ा-थोड़ा पैदल चलना आपके लिए कैसे फायदेमंद साबित होता है।
10 मिनट चलकर घटा सकते हैं ब्लड प्रेशर

शोध बताते हैं कि अगर आप हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) के शिकार हैं, तो दिन में 3-4 बार 10 मिनट तेज गति से पैदल चलने से आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल हो सकता है। ये ऐसे लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है, जो काफी बिजी रहते हैं। ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करना इसलिए जरूरी है क्योंकि इसके कारण आपको हार्ट अटैक, किडनी फेल्योर और स्ट्रोक आदि गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
5 मिनट पैदल चलने से आपका बिगड़ा मूड सही हो जाता है
इस बात को आपने भी महसूस किया होगा कि जब आप बहुत अधिक टेंशन में हों, तो उठकर थोड़ी दूर पैदल चलने से आपकी टेंशन कम हो जाती है। दरअसल पैदल चलना आपके मूड को सही करता है। जब भी आपका मूड थोड़ा खराब हो, कमरे से बाहर निकलें और 5-7 मिनट चीजों-लोगों को देखते हुए पैदल चलें। इससे आपका मूड तुरंत सही हो जाएगा और तनाव भी कम होगा। शोध बताता है कि जो लोग ऑफिस में देर तक बैठकर काम करते हैं, वो अगर अपनी सीट से उठकर हर 1-2 घंटे में 5 मिनट पैदल चलें, तो उनकी प्रोडक्टिविटी बढ़ती है।
5-10 मिनट पैदल चलने से बढ़ती है आपकी क्रिएटिविटी

अगर आप कोई क्रिएटिव आइडिया खोज रहे हैं या कोई समस्या सुलझा रहे हैं, जो आपको काफी देर से उलझाए हुए है, तो 5 मिनट पैदल चलें और आप पाएंगे कि आप ज्यादा बेहतर सोच पा रहे हैं। जी हां, रिसर्च बताती है कि पैदल चलने से आपकी क्रिएटिविटी बेहतर होती है और आप ज्यादा बेहतर सोच सकते हैं।
रात के खाने के बाद 15 मिनट पैदल चलें, कंट्रोल होगा ब्लड शुगर
रात के खाने के बाद आपको तुरंत लेटना या बैठना नहीं चाहिए। खाने के बाद 15 मिनट पैदल चलने से आप अपने ब्लड शुगर को बढ़ने से रोक सकते हैं। जी हां, अमेरिकन डायबिटीज सेंटर के डायबिटीज केयर नाम के जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार आप रात के खाने के बाद सिर्फ 15 मिनट पैदल चलकर, दिनभर अपना ब्लड शुगर कंट्रोल रख सकते हैं।
खाने के बाद 30-40 मिनट पैदल चलने से मोटापा और हार्ट रोग रहेंगे दूर
रोजाना खाना खाने के बाद अगर आप सिर्फ 30 मिनट पैदल चलते हैं, तो इससे आपका मोटापा कम होता है और शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी घटती है। इसके अलावा अगर आप खाने के बाद 40 मिनट पैदल चलते हैं, तो आप कार्डियोवस्कुलर बीमारियों (हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और स्ट्रोक आदि) के खतरे को कम कर सकते हैं।
अध्ययन से पता चलता है कि सुबह की गई नियमित सैर जोड़ों के दर्द और अकड़न से निजात दिला सकती है । सुबह की सैर हड्डियों के साथ-साथ मांसपेशियों की क्षमता को भी बढ़ाती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों के लिए सुबह की सैर फायदा पहुंचा सकती है। इसके अलावा, कुछ अध्ययन बताते हैं कि रजोनिवृत्ति के बाद जो महिलाएं रोजाना एक मील चलती हैं, उनमें हड्डियों का घनत्व रोजाना कम चलने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक रहता है।
डिप्रेशन से मुक्ति
इस समय की सबसे बड़ी बीमारियों में डिप्रेशन को गिना जाता है। यह कई मानसिक व शारीरिक रोगों का कारण बन सकता है और सबसे घातक परिणाम मृत्य भी हो सकता है। यह एक धातक विकार है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि अगर आप सुबह भ्रमण पर निकलते हैं, तो आप तनाव मुक्त हो सकते हैं। सुबह की ताजगी भरी सैर मन-मस्तिष्क को शांत करने में मदद करेगी।
शोध में पता चलता है कि अगर तनाव से ग्रसित इंसान रोज 20 से 40 मिनट की सैर करे, तो वो अपने तनाव का स्तर कम कर सकता है। इसलिए, डिप्रेशन से मुक्त होने के लिए आप रोजाना नियमित सुबह की सैर कर सकते हैं
हृदय स्वास्थ्य
मॉर्निंग वॉक का सबसे बड़ा फायदा हृदय का ध्यान रखना भी है। सुबह की नियमित सैर आपको मजबूत बनाती है, जिससे आपको हृदय से जुड़े रोगों से लड़ने में मदद मिलती है। हृदय की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए सुबह की सैर अच्छा विकल्प हो सकता है।
शोध से पता चलता है कि मात्र चलने से हृदय संबंधी जोखिम 31 प्रतिशत और इससे मरने का जोखिम 32 प्रतिशत तक कम हो सकता है। यह लाभ पुरुष और महिलाओं दोनों पर लागू होता है। हृदय स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए आप रोज सुबह की सैर का आनंद ले सकते हैं

मधुमेह नियंत्रण

Pinit
मधुमेह अनियंत्रित जीवनशैली के कारण होनी वाली आम बीमारियों में से एक है। वहीं, अगर आप सुबह घूमने जाते हैं, तो आप इस समस्या को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। शोध के अनुसार, सुबह 30 मिनट की सैर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के साथ-साथ टाइप-2 डायबिटीज से निजात दिलाने में मदद कर सकती है (5)।
 कैंसर से बचाव
विशेषज्ञों का मानना है कि कैंसर का खतरा सुस्त और व्यस्त जीवनशैली की वजह से भी हो सकता है। ऐसे में सुबह की सैर कई तरह के कैंसर को दूर रखने में मदद करती है। सुबह की ताजगी भरी सैर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का काम करती, जिससे कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है।
यहां हम यह नहीं कर रहे हैं कि मॉर्निंग वॉक कैंसर का सटीक इलाज है, लेकिन यह कैंसर की आशंका को कम कर सकती है। शोध बताते हैं कि सुबह की सैर स्तन, किडनी, ओवेरियन और सर्वाइकल से जुड़े कैंसर से लड़ने में मदद कर सकती है|
बढ़ती है मस्तिष्क की कार्यक्षमता
मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के लिए भी सुबह की सैर जरूरी है। नियमित व्यायाम जैसे मॉर्निंग वॉक आपकी याददाश्त को बढ़ा सकता है और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बेहतर कर सकता है (9)। जब आप चलते हैं, तो मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है और रक्त की आपूर्ति (Supply) में तेजी आती है, जिससे याददाश्त मजबूत होती है |
 वजन घटाने में मदद
अनियंत्रित खान-पान और खराब जीवनशैली मोटापे का सबसे बड़ा कारण है। जब हम बिना शारीरिक परिश्रम के किसी भी वक्त भोजन का सेवन करने लग जाते हैं, तो इससे शरीर का वजन बढ़ने लगता है। बाद में यही मोटापा कई बीमारियों का कारण बन सकता है। अगर आप इसे कम करना चाहते हैं, तो रोजाना नियमित रूप से मॉर्निंग वॉक करें। प्रतिदिन 30-40 मिनट की सैर आपकी अतिरिक्त कैलोरी को कम करने में मदद करेगी।
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17.12.19

यात्रा के दौरान मितली उल्टी आने के उपाय व उपचार




बस या कार में यात्रा करते हुए जी मचलना या उल्टी आना, ऐसी परेशानी बहुत लोगों को होती है. असल में ऐसा मस्तिष्क के जबरदस्त हुनर के चलते होता है.
हममें से कई लोग यात्रा के दौरान होने वाली मतली या उल्टी के कारण, बस में या कार में सफर करना अवॉयड करते हैं। मोशन सिकनेस बीमारी (Motion sickness)(यात्रा संबंधी मतली) एक ऐसी स्थिति है जिसमें आँखों के द्वारा मूवमेंट को भापना और वेस्टिबुलर सिस्टम की मूवमेंट की भावना के बीच के अंतर के कारण होता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जिनके बारे में हम आमतौर पर ध्यान नहीं देते। यात्रा के दौरान उल्टी को कार सिकनेस (बीमारी), सिमुलेशन सिकनेस या एयर सिकनेस के रूप में भी समझा जा सकता है।
बस, कार, विमान या पानी के जहाज में यात्रा करने के दौरान शरीर और मस्तिष्क के बीच एक असमंजस की स्थिति बन जाती है. कार्डिफ यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट डॉक्टर डिएन बर्नेट के मुताबिक यात्रा के दौरान दिमाग को ऐसा लगता है जैसे शरीर में जहर फैल रहा है. जान बचाने के लिए मस्तिष्क हरकत में आता है. जी मचलने लगता है और उल्टी सी आने लगती है. इस तरह दिमाग शरीर से विषैले तत्वों को बाहर करने की कोशिश करता है.
चक्कर आना, थकान और मतली, मोशन सिकनेस के सबसे आम लक्षण हैं। सोपाइट सिंड्रोम (Sopite syndrome), जिसमें एक व्यक्ति थकान या थकावट महसूस करता है, मोशन सिकनेस से भी जुड़ा हुआ है। ग्रीक में “मतली”(nausea) का अर्थ सी-सिकनेस (See-sick syndrome) है। अगर मतली पैदा करने वाली गति का समाधान नहीं होता है, तो पीड़ित को आमतौर पर उल्टी हो जाएगी। उल्टी से अक्सर कमजोरी और मतली की भावना से छुटकारा नहीं मिलता है, जिसका मतलब है कि जब तक मतली का इलाज नहीं किया जाता है तब तक व्यक्ति को उल्टियां आती रहेगी।
मोशन सिकनेस आमतौर पर पेट के खराब होने का कारण बनती है। इसके अन्य लक्षणों में ठंडा पसीना और चक्कर आना शामिल है। मोशन सिकनेस वाले व्यक्ति को सिरदर्द, और पीले पड़ने की शिकायत हो सकती है। मोशन सिकनेस के परिणामस्वरूप निम्न लक्षणों का अनुभव करना भी आम है:
यात्रा सम्बन्धी मतली के गंभीर लक्षणों में शामिल हैं:
हल्की बेचैनी
उबासी लेना
पसीना आना
असुविधा की एक सामान्य भावना
अच्छी तरह से महसूस नहीं करना (malaise)
हल्की सांस लेना (सांस की कमी)
सिर चकराना
जी मिचलाना
उल्टी
पीलापन
उनींदापन
सरदर्द
किसी को भी यात्रा के दौरान उल्टी (मोशन सिकनेस) हो सकती है, लेकिन यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं में सबसे आम है। यह संक्रामक नहीं है।
2 से 12 वर्ष की उम्र के बच्चों को मोशन सिकनेस से ग्रस्त होने की सबसे अधिक संभावना है। गर्भवती महिलाओं को भी इसका सामना करने की संभावना अधिक होती है।
आपकी इंद्रियों के बीच में संघर्ष होने पर आपको मोशन सिकनेस की बीमारी होती है। मान लें कि आप मेले में एक झूले पर हैं, और यह आपको चारों ओर और ऊपर घुमाया जा रहा है। आपकी आंखें एक चीज को देखती हैं, आपकी मांसपेशियों को कुछ और महसूस होता है, और आपके कान के भीतर कुछ और समझ आता है।
आपका दिमाग उन मिश्रित संकेतों को एक साथ नहीं ले सकता है। यही कारण है कि आप को चक्कर आना और बीमार महसूस होने जैसा लगता है।
सफर के दौरान उल्टियां होने पर (मोशन सिकनेस) अधिकांश मामले में आप खुद इलाज कर सकते हैं।
बहुत गंभीर मामले, और जो प्रगतिशील रूप से बदतर हो जाते हैं, जैसे कान में असंतुलन और तंत्रिका तंत्र की बीमारियों में, अपने चिकित्सक से जाकर मिले।
मोशन सिकनेस का निदान करने में मदद के लिए, डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में पूछेगा और पता लगाएगा कि आम तौर पर समस्या का कारण क्या होता है (जैसे नाव में सवारी करना, विमान में उड़ना, या कार में सफर करना और गाड़ी चलाना)।
मोशन सिकनेस के लक्षण आमतौर पर तब बंद हो जाते हैं जब आप रुक जाते हैं। लेकिन यह हमेशा सच नहीं है। ऐसे लोग हैं जो यात्रा खत्म होने के कुछ दिनों बाद भी लक्षण से पीड़ित रहते हैं। अतीत में यात्रा के दौरान उल्टी (मोशन सिकनेस) वाले ज्यादातर लोग अपने डॉक्टर से पूछते हैं कि अगली बार सफर के दौरान उल्टियां होने पर क्या करें और कैसे रोकें। निम्नलिखित उपचार आपकी यात्रा के दौरान उल्टी और मतली ठीक करने में मदद कर सकते हैं:
एक्यूप्रेशर में सुइयों को डालने के बजाये उंगली के दबाव से मतली में राहत मिलती है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि एक्यूप्रेशर एक्यूपंक्चर के समान मोशन सिकनेस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
सफर के दौरान उल्टियां होने पर ताजा, ठंडी हवा भी मोशन सिकनेस में थोड़ी राहत दे सकती है। यदि आप कार, बस, ट्रेन में सफर कर रहें हैं तो खिड़की से ताजी हवा ले सकते हैं।
च्यूइंग गम मोशन सिकनेस को कम करने का एक आसान तरीका है। सफर के दौरान उल्टियां होने पर सामान्य और हल्की कार सिकनेस से मुक्त होने के लिए यह एक सरल विधि है। च्यूइंग गम या लौंग या इलायची चबाने से कार में वोमिटिंग के हल्के प्रभाव से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
यात्रा के दौरान उल्टी रोकने के लिए एक आम सुझाव है कि चलती गाड़ी की खिड़की से बाहर यात्रा की दिशा में क्षितिज (सामने की तरफ) की ओर देखे। यह गति की द्रश्य में नयापन लाकर आपके संतुलन की भावना को फिर से चालू करने में मदद करता है।
यात्रा या हवाई यात्रा के दौरान उल्टी रोकने के लिए जहाज में, आंखों को बंद करना उपयोगी होता है, इसलिए यदि संभव होतो झपकी लें। यह आंखों और आंतरिक कान के बीच के इनपुट संघर्ष को हल करता है।
एक बार यात्रा खत्म होने के बाद मोशन सिकनेस बीमारी आमतौर पर दूर हो जाती है। लेकिन अगर आप को अभी भी चक्कर आ रहे हैं, सिरदर्द है, उल्टी, सुनने में कमी या छाती में दर्द है, तो अपने डॉक्टर से मिले।
यात्रा के दौरान मितली होने पर, यात्रा के दौरान आप कहां बैठते हैं इससे भी फर्क पड़ता है। कार की आगे की सीट, ट्रेन-बस में खिड़की वाली सीट, नाव में ऊपरी डेक या विमान में विंग सीट आपको यात्रा के दौरान उल्टी के बिना एक आसान सवारी का मजा दे सकती है। यात्रा करते वक्त खिड़की के बहार दाए और बाए दिशा में देखें। वाहन में कुछ पढ़ने या देखने की कोशिश ना करें, और यात्रा के पहले भारी भोजन, शराब और अन्य सॉफ्ट ड्रिंक्स से बचें। इसके अलावा यात्रा के दौरान उल्टी से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पियें।
यात्रा में उल्टी- घबराहट से बचने के घरेलू उपाय
अदरक:
अदरक में ऐंटीमैनिक गुण होते हैं। एंटीमैनिक एक ऐसा पदार्थ है जो उल्टी और चक्कर आने से बचाता है। सफर के दौरान जी मिचलाने पर अदरक की गोलियां या फिर अदरक की चाय का सेवन करें। इससे आपको उल्टी नहीं आएगी। अगर हो सके तो अदरक अपने साथ ही रखें। अगर घबराहट हो तो इसे थोड़ा-थोड़ा खाते रहें।
प्याज का रस
सफर में होने वाली उल्टियों से बचने के लिए सफर पर जाने से आधे घंटे पहले 1 चम्मच प्याज के रस में 1 चम्मच अदरक के रस को मिलाकर लेना चाहिए। इससे आपको सफर के दौरान उल्टियां नहीं आएंगी। लेकिन अगर सफर लंबा है तो यह रस साथ में बनाकर भी रख सकते हैं।
लौंग
सफर के दौरान जैसे ही आपको लगे कि जी मिचलाने लगा है तो आपको तुरंत ही अपने मुंह में लौंग रखकर चूसनी चाहिए। ऐसा करने से आपका जी मिचलाना बंद हो जाएगा।लौंग को भूनकर इसे पीस लें और किसी डिब्बी में भरकर रख लें। जब भी सफर में जाएं या उल्टी जैसा मन हो तो इसे सिर्फ एक चुटकी मात्रा में चीनी या काले नमक के साथ लें और चूसें।
रुमाल में पुदीना रख लें
पुदीना पेट की मांसपेशियों को आराम देता है और इस तरह चक्कर आने और यात्रा के दौरान तबीयत खराब लगने की स्थिति को भी खत्म करता है। पुदीने का तेल भी उल्टियों को रोकने में बेहद मददगार है। इसके लिए रुमाल पर पुदीने के तेल की कुछ बूंदे छिड़कें और सफर के दौरान उसे सूंघते रहें। सूखे पुदीने के पत्तों को गर्म पानी में मिलाकर खुद के लिए पुदीने की चाय बनाएं। इस मिश्रण को अच्छे से मिलाएं और इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं। कहीं निकलने से पहले इस मिश्रण को पिएं।
नींबू
नींबू में मौजूद सिट्रिक ऐसिड उलटी और जी मिचलाने की समस्या को रोकते हैं। एक छोटे कप में गर्म पानी लें और उसमें 1 नींबू का रस व थोड़ा सा नमक मिलाएं। इसे अच्छे से मिलाकर पिएं। आप नींबू के रस को गर्म पानी में मिलाकर या शहद डालकर भी पी सकते हैं। यात्रा के दौरान होने वाली परेशानियों को दूर करने का यह एक कारगर इलाज है।






15.12.19

बढ़ती उम्र मे आँखों की सावधानी और उपाय



आप भी बढ़ती उम्र के साथ अपनी आंखों का ख्याल रखना चाहते हैं? अगर आप अपनी आंखों को हमेशा स्वस्थ रखना चाहते हैं तो, इसके लिए जरूरी है स्वस्थ खानपान। आंखों को स्वस्थ रखने और बेहतर रोशनी के लिए विटामिन ए और विटामिन के से भरपूर भोजन लेना बहुत जरूरी है।
 शोधकर्ताओं ने पाया की जो लोग रेड मीट, फ्राइड फूड और हाई फैट डेयरी प्रोडक्ट का सेवन ज्यादा मात्रा में करते हैं उनकी आंखों पर इसका सीधा असर पड़ता है। ये आंखों के रेटिना को डेमैज करने का काम करता है साथ ही आंखों की रोशनी पर भी असर डालता है।
इस स्थिति को ऐज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन (AMD) कहा जाता है। इससे आपकी आंखों की रोशनी पर असर धीरे-धीरे पड़ता है। न्यूवैस्कुलर(ऐज रिलेटेड मैक्युलर डिजेनेरेशन) AMD काफी महंगा है और जियोग्राफिक ऐट्रोफी में इसका कोई इलाज नहीं है। अगर AMD का दूसरा रूप देखें तो वो ये है की उससे आपकी आंखों की रोशनी कम होने लगती है।
यूएस की यूनिवर्सिटी में श्रुति धीगे के द्वारा किए गए शोध के मुताबाकि, AMD से बचने के लिए हमे इसके लिए पहले से तैयार होने की जरूरत है और अगर हम पहले से ही इस समस्या को पकड़ लेंगे तो ये हमारे लिए फायदेमंद होगा।
  धीगे और उनके साथियों ने 66 अलग-अलग खाने की चीजों पर डेटा का प्रयोग किया जो लोगों ने साल 1987 और 1995 के बीच सेवन किया। इसमें दो तरह के डाइट की पहचान की गई। इनमें दो तरह के डाइट शामिल थे एक वेस्टर्न और हेल्दी, जिनके बीच में काफी ज्यादा अंतर पाया गया।
अध्ययन के लेखक ऐम्मी मिलेन जो कि यूनिवर्सिटी के बफैलो में प्रोफेसर है, उनके मुताबिक अध्ययन में पाया गया था की जिन लोगों को AMD नहीं है और जिन्हें AMD से पहले उन्होंने ज्यादा मात्रा में अनहेल्दी फूड का सेवन किया जिससे उनकी आंखों की रोशनी के कम होने का खतरा बढ़ गया।
AMD से पहले वाली स्थिति को अस्यमपटोमेटिक कहा जाता है, जो कि किसी को भी इसका पता नहीं होता। AMD से पहले आंखों में नए ब्लड वैसल्स बनते हैं जिसे मैक्युला से जाना जाता है।
मैक्युलर डिजनरेशन क्या है?
आंखों में मैक्युला पैनी और केंद्रीत नजरों के लिए जरूरी होता है। ये रेटिना के पास एक छोटे से रूप में दिखाई देता है। जिससे हमारी आंखों के सामने आने वाली किसी भी चीज को देखने में मदद करता है। मैक्युलर डिजनरेशन इसी मैक्युला के खराब होने के कारण ही मैक्युलर डिजनरेशन होता है। इससे कई लोगों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है।
मैक्युलर डिजनरेशन के लक्षण
आंखें लाल होना या दर्द होना
आंखों के सामने बार-बार कालापन आना
धुंधला दिखाई देना
कोई भी चीज ज्यादा छोटी दिखना
नजर की चमक में बदलाव
नजदीक की चीजों को देखने में परेशानी

अगर आप आंखों को बुढ़ापे तक ठीक रखना चाहते हैं तो आंखों की एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए. जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है वैसे वैसे ही आपकी आंखों की रोशनी कम होती जाती है. लेकिन एक्सरसाइज से आप इसे हमेशा ही स्वस्थ रख सकते हैं. आँखें हमेशा ठीक रहे उसके लिए कुछ आसान सी एक्सरसाइज होती है. आंखों की एक्‍सरसाइज, आंखों को स्‍वस्‍थ बनाएं रखती है और इन पर पड़ने वाले तनाव को कम करने में भी मदद करती है. तो चलिए आपको बता देते हैं कि आँखों के लिए कौनसी एक्सरसाइज जरुरी हैं.

आंखों की एक्सरसाइज कैसे करें

एक कुर्सी पर आराम से बैठें. अपनी दोनो हाथों को हथेलियों को रगड़ कर गर्म करें.
अपनी आखें बंद कर लें और गर्म हथेलियों से हल्‍के से उन्‍हे ढक लें.

आईवॉल पर प्रेशर न डालें.

आंखों को इस प्रकार कवर करें कि उंगलियों या हथेलियों के बीच से उन तक रोशनी की एक भी किरण न पहुंचे.इस दौरान आप धीमे से गहरी सांस लें और किसी अच्‍छी घटना के बारे में या फ्यूचर में होने वाली किसी अच्‍छी बात के बारे में सोचें.इसके बाद आप हथेलियों को हटा लें और धीमे से आखें खोल लें.इस प्रक्रिया को दिन में कम से कम 3 मिनट या ज्‍यादा करें.

आंखों को तरोताजा कैसे करें

दो तौलियां लीजिए, एक को गर्म पानी में भिगोएं और दूसरे को ठंडे पानी में भिगो दें.पहले किसी एक तौलिया को लीजिए और चेहरे पर हल्‍का दबाव डालते हुए घुमाइए.अपने भौं और आखों के आस-पास के एरिया में आराम से आहिस्‍ता से टच करवाएं.इस दौरान अपनी पलकों को बंद रखें ताकि आखों पर अच्‍छे से सेक हो सके.इस प्रकार दोनो तौलिए से एक-एक बार आंखों और चेहरे पर सेक दें.अंत में ठंडे पानी की तौलिया को इस्‍तेमाल करें.

अपनी आखें बंद कर लें और अपनी अंगुलियों के सिरो से आखों पर हल्‍के-हल्‍के से गोलाई में घुमाएं, ऐसा 2 से 3 मिनट तक करें.इस प्रक्रिया को बेहद धीमी तरीके से करें और बाद में बिना आखों को नुकसान पहुंचाए हाथों को धुल लें.ऊपर दी गयी सभी प्रक्रिया अगर आप करते हैं तो आंखों की एक्सरसाइज ज्यादा फायदेमंद होती है.
जिस प्रकार हमारी शारीरिक शक्ति, उम्र के साथ कम होती जाती है, वैसे ही हमारी दृष्टि भी कमज़ोर होती जाती है विशेषकर 60 वर्ष की आयु के बाद ।
कुछ आयु-संबंधी नेत्र परिवर्तन, जैसे कि प्रेस्बायोपिया (निकट वस्तुओं पर फोकस करने की हमारी क्षमता का नुकसान), सामान्य और आसानी से चश्मा, कॉन्टैक्ट लेंस या सर्जरी के साथ इलाज किया जाता है । मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) , भारत में दृष्टिविहीनता का प्रमुख कारण है , मोतियाबिंद का उपचार सर्जरी द्वारा आसानी से ठीक किया जा सकता है ।
हम में से कुछ, हालांकि, अधिक गंभीर उम्र-से-संबंधित नेत्र रोगों (ग्लोकोमा (काला मोतिया) ,मैकुलर डिजनरेशन ( धब्बेदार अध: पतन ) और मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी) का अनुभव करेंगे जो हमारे बड़े होने के साथ ही हमारे जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने की अधिक क्षमता रखते हैं ।
आयु संबंधी दृष्टि परिवर्तन कब होते हैं ?

प्रेसबायोपिया

40 वर्ष की आयु पार करने के बाद, करीब की वस्तुओं पर फोकस करना कठिन होता है । प्रेसबायोपिया फोकस करने की क्षमता का एक सामान्य नुकसान है जैसे ही आप बड़े होते हैं ।
एक समय के लिए, आप अपनी आंखों से दूर पढ़ने वाली सामग्री को पकड़कर प्रेसबायोपिया के लिए क्षतिपूर्ति कर सकते हैं, लेकिन अंततः आपको पढ़ने के लिए चश्मा, प्रोग्रेसिव लेंसस, मल्टीफ़ोकल कांटैक्ट लेंस या दृष्टि सर्जरी की आवश्यकता होगी ।

मोतियाबिंद (कैटरेक्ट), जो वर्षों के दौरान विकसित होता है, वृद्धावस्था में एक सामान्य स्थिति है .. मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) का मुख्य लक्षण धुंधली दृष्टि है जो ऐसा प्रतीत होता है मानो आप किसी धुंधली खिड़की से देख रहे हों ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) के नवीनतम आंकलन के अनुसार, मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) दुनिया भर में 51 प्रतिशत दृष्टिविहीनता के लिए जिम्मेदार है । भारत में हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 63 प्रतिशत दृष्टिविहीनता मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) के कारण होती है ।
मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) सर्जरी सुरक्षित है , इसलिए अपनी स्पष्ट दृष्टि को बहाल करने के लिए अपने नेत्र चिकित्सक से परामर्श करें । मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) के कारण होने वाली धुँधली दृष्टि को ड्राइव करने, पढ़ने, किराने का सामान खरीदने, अपने फोन का उपयोग करने और अपने घर के आसपास आने-जाने में कठिनाई होती है ।

उम्र बढ़ने पर हमारी आंखों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

जबकि आम तौर पर हम उम्र बढ़ने के बारे में सोचते हैं क्योंकि यह प्रेस्बायोपिया और मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) जैसी स्थितियों से संबंधित है, हमारी दृष्टि और आंखों में अधिक सूक्ष्म परिवर्तन भी होते हैं जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं । इन परिवर्तनों में शामिल हैं :

• पुतली का आकार कम होना

जैसे - जैसे हमारी उम्र बढ़ती है,, मांसपेशियों जो हमारे पुतली के आकार और प्रकाश की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करती हैं, कुछ ताकत खो देती हैं । इससे पुतली, परिवेशीय प्रकाश में परिवर्तन के लिए छोटी और कम प्रतिक्रियाशील हो जाती है ।
इन परिवर्तनों के कारण 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को युवा पीढ़ी की तुलना में आरामदायक पढ़ने के लिए तीन गुना अधिक परिवेश प्रकाश की आवश्यकता होती है ।
इसके अलावा, सीनियर्स को उज्ज्वल सूरज की रोशनी और चौंध से चकाचौंध होने की संभावना है जब एक फिल्म थिएटर जैसे मंद रोशनी वाली इमारत से बाहर आते है । फोटोक्रोमिक लेंस और एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटिंग वाले चश्मे इस समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं ।

शुष्क आंखें (ड्राई आईज) :

जैसे – जैसे हमारी उम्र बढ़ती है , हमारी आँखें कम आँसू पैदा करती हैं । यह मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति) के बाद महिलाओं के लिए विशेष रूप से सत्य है ।
यदि आप शुष्क आंखें ( ड्राई आईज) से संबंधित जलन, चुभने या आंखों की अन्य परेशानी का अनुभव करते हैं, तो आवश्यकतानुसार कृत्रिम आँसू का उपयोग करें, या अन्य विकल्पों के लिए अपने नेत्र चिकित्सक से परामर्श करें ।


एजिंग भी परिधीय दृष्टि के सामान्य नुकसान का कारण बनता है, जो हमारे दृश्य क्षेत्र के आकार के साथ जीवन के दशक में लगभग एक से तीन डिग्री कम हो जाता है । जब तक आप अपने 70 और 80 के दशक तक पहुंचते हैं, तब तक आपको 20 से 30 डिग्री का परिधीय दृश्य क्षेत्र नुकसान हो सकता है ।
वाहन चलाते समय अधिक सतर्क रहें क्योंकि दृश्य क्षेत्र की हानि से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है .. अपनी दृष्टि की सीमा को बढ़ाने के लिए, अपने सिर को घुमाएं और चौराहों पर पहुंचने के दौरान दोनों तरफ देखें ।

रेटिना में कोशिकाएं जो रंग दृष्टि के लिए जिम्मेदार हैं, जैसे - जैसे हमारी उम्र बढ़ती है उनकी संवेदनशीलता में गिरावट आती है, जिससे रंग कम उज्ज्वल हो जाते हैं और रंगों के बीच कंट्रास्ट कम ध्यान देने योग्य हो जाते हैं 
विशेष रूप से, नीले रंग फीके दिखाई दे सकते हैं । यदि आप किसी ऐसे पेशे में काम करते हैं जिसमें रंग-भेदभाव (जैसे कलाकार, सीमस्ट्रेस, या इलेक्ट्रीशियन) की आवश्यकता होती है, तो आपको पता होना चाहिए कि रंग-बोध के इस उम्र से संबंधित नुकसान का कोई इलाज नहीं है ।

जैसे - जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, आंख के अंदर जेल की तरह विट्रियस द्रवीभूत (लिक्विडीफ्य) होकर और रेटिना से दूर खींचने के लिए शुरू होता है, जिससे "स्पॉट और फ्लोटर्स" और (कभी-कभी) प्रकाश की चमक होती है । यह स्थिति, जिसे विट्रियस डिटैचमेंट कहा जाता है, आमतौर पर हानिरहित होती है ।
लेकिन फ्लोटर्स और प्रकाश की चमक भी रेटिना डिटैचमेंट की शुरुआत का संकेत दे सकती है - एक गंभीर समस्या जो तुरंत इलाज न होने पर दृष्टिविहीनता (ब्लाईंडनेस्स) का कारण बन सकती है । यदि आपको चमक और फ्लोटर्स का अनुभव होता है, तो कारण निर्धारित करने के लिए तुरंत अपने नेत्र चिकित्सक से परामर्श करें 
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14.12.19

जल्दी जल्दी खाना खाने से वजन बढ़ता है और होती हैं ये बीमारियां/fast eating


  क्या आप भी रोज की भागदौड़ के कारण जल्दी-जल्दी खाना खाते हैं या जल्दी निकलने के लिए जल्दी-जल्दी खाना आपकी आदत बन गई है। अगर ऐसा है तो सावधान हो जाइए।

  वैसे तो हमें बचपन से ही धीरे-धीरे चबाकर भोजन करना सिखाया जाता हैं, लेकिन फिर भी कई लोग व्यस्तता के चलते जल्दी-जल्दी में ही खाने खाने की आदत बना लेते हैं। अगर आप भी ऐसा ही करते हैं, तो आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ऐसा करना सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। यहां तक की आपको मोटापे का शिकार भी बना सकता है। आइए, जानते हैं कि आखिर क्यों जल्दी में न खाते हुए, धीरे-धीरे चबाकर भोजन करना चाहिए -
क्या आपकी आदत भी जल्दी-जल्दी खाना खाने की है? कुछ लोगों के खाने की स्पीड इतनी तेज होती है कि उन्हें अक्सर अपने साथ खाने वालों का या तो इंतजार करना पड़ता है या लोगों को खाता हुआ छोड़कर उठना पड़ता है। ऐसे लोग जल्दी-जल्दी खाने को अपनी क्वलिटीज में गिनना शुरू कर देते हैं बकियों को 'स्लो ईटर' कहकर चिढ़ाने लगते हैं। मगर वो शायद नहीं जानते हैं कि जल्दी-जल्दी खाने की आदत उनके लिए कितनी नुकसानदायक हो सकती है। जी हां, वैज्ञानिकों के अनुसार हमें अपना खाना हमेशा धीरे-धीरे, अच्छी तरह चबाकर और स्वाद लेकर खाना चाहिए। इससे खाना पचाने में आसानी रहती है। जल्दी-जल्दी खाना खाने की आदत आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है।

तेजी से बढ़ने लगता है वजन

अगर आप जल्दी-जल्दी बिना ढँग से चबाए खाना खाते हैं तो आपकी इस आदत से आपका वजन भी तेजी से बढ़ने लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि तेजी से खाना खाने से आपके शरीर में मेटाबलिज्म की प्रक्रिया पर भी असर पड़ता है, जिसका वजन से सीधा संबंध है। जब आप धीरे-धीरे खाना खाते हैं तो आप सही मात्रा में जरूरत के अनुसार खाते हैं। साथ ही शरीर के हार्मोन्स ब्रेन में पेट भरने का संकेत भेजते हैं। अध्ययन में देखा गया है कि 5 साल के समय के दौरान 84 लोगों में मैटाबॉलिज्म सिंड्रोम पनपा, जो प्रतिभागी तेजी से खाना खाते थे उनका वजन बढ़ा, रक्त शर्करा में भी बढ़ौतरी हुई, बैड कोलेस्ट्राल भी बढ़ा और कमर के आकार में भी बढ़ोतरी हुई।भले ही आप किसी भी कारणवश जल्दी में खाना खाएं, इसके कारण आपका वजन बढ़ना तय है और बढ़ता वजन अपने आप में ही एक गंभीर समस्या है।दरअसल, जल्दबाजी में खाना-खाने से दिमाग को पेट भरने का अहसास नहीं हो पाता है। ऐसे में आप ज्यादा खाना खा लेते हैं जो वजन बढ़ने या मोटापे का मुख्य कारण बन जाता है।इसलिए बढ़ते वजन से बचने के लिए खाने को हमेशा अच्छे से चबाकर ही खाएं।

प्रभावित होता है इंसुलिन

शोधकर्ताओं ने कहा कि जल्दी-जल्दी खाना खाने से दिमाग को जरूरी संदेश नहीं मिल पाता है। इसकी वजह से जरूरी हार्मोन्स नहीं निकल पाते हैं। इस कारण इंसान का इंसुलिन प्रभावित होता है और इंसुलिन प्रभावित होने की वजह से टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा बढ़ जाता है। खाना अच्छी तरह चबाकर खाने से मुंह में मौजूद बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। देर तक खाने से मुंह में बनने वाली लार बैक्टीरिया खत्म कर देती है, जिससे शरीर बैक्टीरियल संक्रमण से दूर रहता है।
  डायबिटीज के खतरे को कम करने के लिए भी भोजन को धीरे -धीरे चबाकर खाना चाहिए इससे खाना तो ठीक से पचता ही है साथ ही ग्लूकोज भी ठीक प्रकार से टूट कर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है

हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट रोग का खतरा

इंसान का खान पान उसे कई बीमारियों से बचाता है. तो वहीं जल्दी जल्दी खाने की वजह से कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.
जब इंसान मेटाबॉलिक सिंड्रोम का शिकार होता है तो उसे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती है. हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी की वजह से हार्ट रोग का खतरा बढ़ जाता है
 
हो सकता है मेटाबॉलिक सिंड्रोम

जल्दबाजी में खाना खाने से मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने की संभावना भी बढ़ सकती है।दरअसल, जल्दबाजी में खाना खाने से शरीर में रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है और ये दोनों समस्याएं मिलकर मेटाबॉलिज्म सिंड्रोम की स्थिति बना सकती हैं।इसमें मेटाबॉलिज्म का स्तर असंतुलित हो जाता है जो शरीर में अन्य कई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।इसलिए कभी भी जल्दबाजी में खाना खाने की भूल न करें।

अच्छी तरह नहीं पचता है खाना

आप तेज खाना इसलिए खा पाते हैं क्योंकि खाने को दांत से देर तक चबाने के बजाय सीधा निगल लेते हैं। खाने को चबाना इसलिए जरूरी है ताकि आपका खाना छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाए और डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए उसे पचाना और प्रॉसेसिंग करना आसान हो जाए। इसके अलावा जब आप खाने को चबाकर खाते हैं, तो आपके मुंह की राल उसमें मिल जाती है। आपका थूक पेट में डाइजेस्टिव एंजाइम्स को एक्टिवेट करता है, ताकि वो खाने को तोड़कर पोषक तत्वों को अलग कर सकें।

ब्लड शुगर बढ़ सकता है

  जी हां, यह बात पढ़कर आपको भी झटका लग सकता है कि तेजी से खाना खाने से आपका ब्लड शुगर बढ़ सकता है। दरअसल तेजी से खाना खाने से शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस शुरू हो जाता है, जिसके कारण आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। लंबे समय में ये आदत आपको डायबिटीज का शिकार बना सकती है। अगर आप पहले से डायबिटीज का शिकार हैं, तो आपके लिए तेजी से खाना खाना बहुत खतरनाक हो सकता है। इसलिए आपको हमेशा खाना धीरे-धीरे खाना चाहिए।
  धीरे-धीरे और अच्छी तरह से चबाकर खाने से भोजन में लार अच्छी तरह मिल जाती है, जिससे भोजन को पचाना आसान हो जाता है। इससे आपका मेटाबॉलिज्म भी सही रहता है।
माना जाता है कि डायबिटीज के खतरे को कम करने के लिए भी भोजन को धीरे-धीरे चबाकर खाना चाहिए। इससे खाना तो ठीक से पचता ही है साथ ही ग्लकोज भी ठीक प्रकार से टूट कर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
धीरे-धीरे और चबाकर खाने से पेट से जुड़ी कई समस्याएं खत्म हो जाती हैं, जैसे कब्ज व गैस आदि। धीरे-धीरे खाने से मन भी शांत रहता है और छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ाना या गुस्सा आना भी कम हो जाता है।
 धीरे-धीरे, चबाकर खाने से भोजन करने में समय लगता है और आप ज्यादा खाने से बच जाते हैं, जिससे मोटापे जैसे परेशानी से भी बचाव होने में मदद मिलती है।

  गैस की समस्या 

भी आमतौर पर खाने की गलत आदतों के कारण होती है।यह समस्या होने पर उल्टी, जी मचलाना, पेट में जलन, पेट में गुड़गुड़ाहट और सीने में दर्द जैसी परेशानियां हो सकती हैं।वहीं इस कारण गैस्ट्रोइंट्सटाइनल डिजीज होने का भी खतरा रहता है। यह गैस से संबंधित गंभीर समस्या है।इसलिए अगर आपकी जल्दबादी में खाना खाने की आदत है तो इसे जल्द सुधारने की कोशिश करें।

धीरे खाना खाने का शरीर पर असर

जब हम धीरे और चबाकर खाना खाते हैं तो हमारी आंतों को इस भोजन को पचाने में आसानी होती है। धीमी गति से खाना खाने के दौरान हमारे पाचनतंत्र और दिमाग के हॉर्मोन्स के बीच सही कनेक्शन बन पाता है और हमारा दिमाग सिग्नल देता है कि हमें कितना खाना खाना है या नहीं खाना है।
लेकिन जल्दबाजी में खाना खाने के दौरान हम इस तरह का कनेक्शन डिवेलप नहीं कर पाते हैं। जब इस तरह भोजन करना हमारी आदत बन जाती है हमारे शरीर में कई तरह की बीमारियां पनपने लगती हैं। इनमें पाचन से लेकर मोटापे तक कई समस्याएं शामिल हैं।
जब हम धीरे-धीरे खाना खाते हैं तब सही मात्रा में और जरूरत अनुसार खाते हैं। साथ ही शरीर के हॉर्मोन्स ब्रेन में अलार्म करते हैं। इसकी वजह होती है कि शरीर में इंसुलिन का स्तर प्रभावित होता है। यदि इंसुलिन शरीर में कम होने लगता है तो डाबिटीज टाइप-2 का खतरा बढ़ जाता है।
 
*विशेषज्ञ कहते हैं कि खाना खाने में करीब 20 मिनट का वक्त लेना चाहिए, ताकि आप अपने खाने को अच्छे तरीके से चबाकर खा सकें। यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के शोधकर्ताओं ने भी इस बात की पुष्टि की है कि खाने को ज्यादा देर तक चबाने से आप कम खाना तो खाते ही हैं, साथ ही 2 घंटे बाद कुछ हल्का खाने की आदत भी नियंत्रण में रहती है
*हीरोशिमा यूर्निवर्सिटी के शोधकर्ता डॉ. ताकायुकी यामाजी और उनकी टीम ने 1,000 प्रतिभागियों पर 5 वर्ष तक अध्ययन किया। इस अध्ययन का प्रमुख उद्देशय खाना खाने की गति और मैटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच संबंधों की खोज करना था। मैटाबॉलिक सिंड्रोम ऐसे 5 जोखिम कारकों का समायोजन है, जिससे दिल के रोगों, डायबिटीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है। इन जोखिमों में हाई ब्लड प्रेशर, हाई ट्राइग्लिसराइड, रक्त में मौजूद वसा, उच्च रक्त शर्करा व गुड कोलैस्ट्रॉल की कमी और बढ़ता हुआ वजन शामिल है।


  • बैंगन के जूस के स्वास्थ्य लाभ



    बैंगन बहुत आम सब्जी माना जाता है क्योंकि इसके फायदों के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। मगर बैंगन में मौजूद मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स बताते हैं कि बैंगन को सामान्य सब्जी समझकर आप बड़ी भूल कर रहे हैं। रिसर्च बताती हैं कि बैंगन में ऐसे बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं, जो हमारे बॉडी फंक्शन को बेहतर बनाते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बैंगन की सब्जी या अन्य डिश बनाने से कहीं ज्यादा फायदेमंद इसका जूस हो सकता है। अगर आपने पहले कभी बैंगन के जूस के बारे में नहीं सुना है, तो आपको हैरानी हो सकती है। मगर आज हम आपको बता रहे हैं बैंगन का जूस पीने के 5 जबरदस्त फायदे।
    हाई ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोल

    बैंगन का जूस हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) के मरीजों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इसका कारण यह है कि इसमें पोटैशियम अच्छी मात्रा में होता है। रिसर्च बताती हैं कि हाई ब्लड प्रेशर का एक बड़ा कारण शरीर में पोटैशियम की कमी और सोडियम की अधिकता है। इसलिए पोटैशियम वाले आहार ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करते हैं। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए भी बैंगन का जूस पीना फायदेमंद है।
    डायबिटीज में भी हो सकता है फायदेमंद

    चूंकि बैंगन में फाइबर भी अच्छी मात्रा में होता है और बहुत कम मात्रा में घुलनशील कार्बोहाइड्रेट होता है। इसलिए बैंगन डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। डायबिटीज के मरीज चाहे बैंगन की सब्जी, अन्य डिश खाएं या जूस पिएं, इससे उनका ब्लड शुगर कंट्रोल रहेगा।
    हार्ट के रोगियों के लिए फायदेमंद

    बैंगन में विटामिन बी6, विटामिन सी, पोटैशियन, फाइबर और साइटोन्यूट्रिएंट्स आदि की मात्रा अच्छी होती है। ये सभी तत्व दिल के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। इसलिए अगर दिल के मरीज रोजाना एक कप बैंगन का जूस पीते हैं, तो ये उनके लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर स्वस्थ व्यक्ति इस जूस को पीते हैं, तो उन्हें भविष्य में कार्डियोवस्कुलर बीमारियां होने की संभावना कम हो जाती है। बैंगन में फ्लैवोनॉइड्स की मात्रा भी अच्छी होती है इसलिए ये स्ट्रोक और हार्ट अटैक के खतरे को कम करता है।

    कोलेस्ट्रॉल घटाने में मदद करेगा बैंगन का जूस


    बैंगन का जूस आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल को भी कम कर सकता है। जानवरों पर किए गए एक शोध के बाद वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया था कि बैंगन के सेवन से कोलेस्ट्रॉल घट सकता है। दरअसल बैंगन में क्लोरोजेनिक एसिड होता है, जो फ्री रेडिकल्स से लड़ता है और बैड कोलेस्ट्रॉल कम करता है।
    वजन भी घटाता है बैंगन का जूस

    अपनी डाइट में बैंगन को और रोजाना की आदत में 1 कप बैंगन का जूस पीकर आप अपना वजन भी घटा सकते हैं। बैंगन आपके बॉडी फैट को बर्न करने में मदद करता है और आपके मेटाबॉलिज्म को तेज करता है। बैंगन में मौजूद फाइबर आपके पेट को देरतक भरा रखता है, जिससे आपके द्वारा ली गई कैलोरीज में भी अंतर आता है। इस तरह बैंगन का जूस वेट लॉस के लिए भी अच्छा विकल्प है।
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    13.12.19

    इमली की पतियों से बढ़ता है ब्रेस्ट मिल्क



     खट्टी-मीठी स्वाद वाली इमली ही नहीं उसकी पत्तियां भी कम काम की नहीं। इन पत्तियों में कई ऐसे तत्व होते हैं जो सेहत को दुरुस्त करने के साथ बीमारियों को दूर करने में भी काम आते हैं।
    इमली का प्रयोग आप खाने पीने की कई चीजों में उसका स्वाद बढ़ाने के लिए करते रहे होंगे, लेकिन इमली की पत्तियों की चटनी या इसे विविध रूप में प्रयोग करना भी सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
    इमली ही नहीं इसकी पत्तियां भी एंटीसेप्टिक गुण से भरी होती हैं। यदि आपका घाव लंबे समय से सही नहीं हो रहा तो आप इमली की पत्तियों का रस निकाल कर उसे अपने घाव पर लगाएं। एंटीसेप्टिक गुणों से भरी ये पत्तियां घावों को तेजी से भरती हैं। ये पत्तियां संक्रमण और परजीवी विकास को रोकतती हैं और घाव तेजी से भरने लगता है।
    बढ़ाता है ब्रेस्ट मिल्क
    जिन महिलाओं को डिलेवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क न निकलने या कम निकलने की दिक्कत होती हो, उन्हें इमली की पत्तियों का रस निकाल कर पिलाया जाए तो उनके दूध में बढ़ोरती होगी। वहीं, जिन लोगों को बार बार जननांग संक्रमण होता रहता है, उनके लिए इमली की पत्तियों के रस का सेवन करना बहुत फायदेमंद साबित होगा।
    इमली की पत्तियां विटामिन सी भरी होती हैं और ये सूक्ष्मजीव संक्रमण से हमें बचाती हैं। इमली की पत्तियों का सेवन करने से शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर हमेशा संतुलित रहता है। यदि आपको शुगर की समस्या है तो इमली की पत्तियों का सेवन किसी भी रूप में रोज करें।



    घावों को सही करे


    इमली की पत्तियों का रस निकाल कर घावों पर लगाया जाता है, तो वे घाव को तेजी से ठीक करते हैं। इसके पत्तों का रस किसी भी अन्य संक्रमण और परजीवी विकास को रोकता है। इसके अलावा यह नई कोशिकाओं का निर्माण भी तेजी से करता है।
    जननांग संक्रमण
     इमली की पत्तियों के रस का सेवन जननांग संक्रमण रोकता है और पहले से होने वाली ऐसी बिमारी के लक्षणों से राहत प्रदान करता है। इमली की पत्तियों में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जो कि किसी भी सूक्ष्मजीव संक्रमण से हमारे शरीर की पूर्णत: दूर रखता है। जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
    स्कर्वी से होगा बचाव
    स्कर्वी विटामिन सी की कमी के कारण होता है और इमली की पत्तियों में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। स्कर्वी रोग में मसूड़ों और नाखूनों, थकान होने लगती है। इमली के पत्तों में मौजूद उच्च एस्कॉर्बिक एसिड सामग्री एंटी-स्कर्वी के रूप में काम करता है।
    इमली की पत्तियों के रस का सेवन यदि आप रोज करें तो शरीर में सूजन और जोड़ों का दर्द भी कम होता है। पत्तियों का रस पीने एलर्जी की समस्या भी दूर होती है। इमली की पत्तियों के इतने गुण सुनने के बाद आपको भी अपनी डाइट में इस पत्तियों को किसी न किसी रूप में जरूर शामिल करना चाहिए।
    डायबिटीज को करें न‍ियंत्रित
    इमली की पत्तियों का सेवन करने से शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे डायबिटीज जैसी बीमारी को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
    सूजन और जोड़ों से राहत
    इमली की पत्तियों के रस के सेवन से शरीर की सूजन और जोड़ो के दर्द में राहत मिलती है और किसी भी प्रकार की शारीरिक सूजन को इसके इस्तेमाल से कम किया जा सकता है। पत्तियों की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए पपीता,नमक और पानी को पत्तियों में मिलाया जा सकता है। लेकिन, सुनश्चिति करें कि आप बहुत अधिक नमक का उपयोग ना करें। इमली के पत्तों का रस शरीर में होने वाली एलजी को भी रोकता है।
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    8.12.19

    सर्दी के मौसम के फलों से तंदुरुस्ती बढ़ाएँ



     सभी मौसम के सीजनल फलों का सेवन करना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। लेकिन क्‍या आप सर्दियों में खाये जाने वाले फल और उनके लाभ जानते हैं? कई बार हम फलों की तासीर जाने बिना ही उनका उपभोग कर लेते हैं जिससे हम सर्दी और खांसी की तरह ही अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं का शिकार हो सकते हैं। जबकि ठंडी के मौसम में हमें गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। वैसे तो सर्दियों के मौसम में ही सबसे ज्‍यादा फल और सब्जियां मिलती हैं। ऐसी स्थिति में यह निश्चित करना मुश्किल होता है कि सर्दियों में क्‍या खाना चाहिए और क्‍या नहीं।
    सर्दी के मौसम में हमारे शरीर को विभिन्‍न प्रकार के खनिज पदार्थ और पोषक तत्‍वों की अतिरिक्‍त मात्रा की आवश्‍यकता होती है। हालांकि इस मौसम में अधिक कैलोरी और वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए। सर्दी के सीजन में हमारे शरीर को विटामिन, मिनरल, फोलेट, एंटीऑक्‍सीडेंट और एंटी-बैक्‍टीरियल गुणों से भरपूर खाद्य पदार्थों का पर्याप्‍त सेवन करना चाहिए। इन पोषक तत्‍वों को प्राप्‍त करने के लिए आपको सर्दियों में मिलने वाले लगभग सभी प्रकार के फलों का सेवन करना चाहिए। इन फलों को सेवन करने का फायदा वजन घटाने, मधुमेह को रोकने, कैंसर की रोकथाम करने, त्‍वचा सौंदर्य और बालों के लिए भी होता है। ये सभी फल हमें सर्दी के दौरान होने वाली समस्‍याओं से लड़ने की शक्ति देते हैं और शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करते हैं।
    सामान्‍य रूप से सर्दियों में खाये जाने वाले फलों के लिए कोई निश्चित समय निर्धारित नहीं किया गया है। इसका मतलब यह है कि आप अपनी सुविधा के अनुसार इन्‍हें कभी भी खा सकते हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि सुबह के नाश्‍ते के समय और दोपहर के भोजन के कुछ समय पहले इनका सेवन करना अच्‍छा होता है। खाली पेट फलों का सेवन अधिक लाभकारी माना जाता है। इसलिए भोजन करने के बाद फलों का सेवन करने से बचना चाहिए।
    ठंडी के मौसम में फल खाने का सबसे अच्‍छा समय भोजन करने के लगभग 15 से 20 मिनिट पहले या भोजन करने के लगभग 1 से 2 घंटे बाद होता है। ऐसा करने पर इन्‍हें पचाने में आसानी होती है साथ ही इनके पूरे पोषक तत्‍वों और खनिज पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। सर्दियों के मौसम में खाये जाने वाले फलों को रात के समय खाने से बचना चाहिए।
    फल तो हमें हर मौसम में प्राप्‍त होते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। लेकिन सर्दियों में कुछ विशेष फलों का सेवन करना हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के बहुत ही लाभकारी हो सकता है। आइए जाने सर्दियों में कौन-कौन से फलों का सेवन करना चाहिए।


    खजूर



    खजूर एक छोटा और अनोखा फल है जिसके बहुत से फायदे होते हैं। इस अद्भुद फल में कई प्रकार के विटामिन और खनिज पदार्थों की उच्‍च मात्रा होती है। जिसके कारण सर्दियों में मौसम में विशेष रूप से खजूर का सेवन किया जाता है। खजूर में आयरन और कैल्सियम की उच्‍च मात्रा एनीमिया के उपचार में मदद कर सकती है। साथ ही उन लोगों के लिए भी खजूर फायदेमंद होता है जिनकी हड्डियों भंगुर या हड्डी का घनत्‍व कम होता है।
    ठंडी में खजूर खाने का सबसे बड़ा फायदा इसमें मौजूद फाइबर के कारण होता है। जो कि आपकी पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी होता है। यदि आप सर्दी के मौसम में कब्‍ज से परेशान हैं तो खजूर आपके लिए सबसे अच्‍छे घरेलू उपाय साबित हो सकते हैं।

    पपीता


    अक्‍सर बीमार होने पर डॉक्‍टर हमें पपीता का सेवन करने की सलाह देते हैं। क्‍योंकि पपीता में ऐसे पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ होते हैं जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। हालांकि पपीता साल के 12 महिने बाजार में उपलब्‍ध होता है। लेकिन सर्दी के मौसम में पपीता खाना अधिक फायदेमंद होता है। क्‍योंकि पपीता में न केवल विटामिन सी बल्कि विटामिन बी की भी अच्‍छी मात्रा होती है। इसके अलावा इसमें बहुत से एंटीऑक्‍सीडेंट और खजिन पदार्थ भी होते हैं। जिनमें हृदय और पाचन संबंधी समस्‍याओं को रोकने की क्षमता होती है। इसलिए आप पपीता को न केवल सर्दी में बल्कि पूरे साल तक उपभोग कर सकते हैं।

    नाशपाती

    सर्दियों के सीजन में इम्‍यूनिटी पावर को बेहतर बनाना सरल होता है, क्योंकि इस समय हमारा डायजेशन सिस्‍टम ज्यादा अच्‍छे से काम करता है। सर्दी के मौसम में आप अपने आहार में नाशपाती को भी शामिल कर सकते हैं। ठंड के सीजन में यदि आप अपनी और अपने बच्‍चों की सुरक्षा सर्दी और वायरल फ्लू से करना चाहते हैं तो नाशपाती एक अच्‍छा विकल्‍प है। क्‍योंकि इसमें कई प्रकार के विटामिन, खनिज पदार्थ और अन्‍य पोषक तत्‍व होते हैं। जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायक होते हैं।

    सेब


    अक्‍सर सर्दियों के मौसम में फलों की बहार आ जाती है। जिसके कारण बाजार में कई रंगों के फल दखाई देने लगते हैं। सेब भी उन्‍हीं फलों में से एक है। अंग्रेजी में कहा भी जाता है कि ‘’ एन एप्पल अ डे कीप्स द डॉक्टर अवे’’ (An apple a day keeps the doctor away) क्‍योंकि सेब है ही ऐसा अद्भुद फल। सेब में ग्लूकोज के स्तर को हमारे शरीर में कम करने और कैंसर से लड़ने की क्षमता देता है। सर्दियों में सेब का सेवन करने से हमारे सारे सिस्टम को डिटोक्सिंग करने में मदद मिलती है। आप भी सर्दियों में खाये जाने वाले फलों की सूची में सेब को शामिल कर सकते हैं।



    ठंडी के मौसम अक्‍सर आवला न खाने की सलाह दी जाती है। कारण कि इसका सेवन करने से सर्दी हो सकती है। लेकिन लोगों को शायद पता नहीं है कि आंवला में रोग प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने की क्षमता होती है। आंवला में विटामिन ए, सी और बहुत से खनिज पदार्थ उच्‍च मात्रा में होते हैं। नियमित आधार पर आंवला का सेवन करने से रक्‍त शर्करा के स्‍तर को भी नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। आप अपने आहार में आंवले को कई प्रकार से शामिल कर सकते हैं। जैसे आंवले का अचार या आंवले का मुरब्‍बा या कच्‍चे ही आंवले के रूप में।

    नींबू


    नींबू में विटामिन सी की सबसे अधिक मात्रा होती है। विटामिन सी एक प्रकार का एंटीऑक्‍सीडेंट है जो हमारे शरीर को फ्री रेडिकल्‍स से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करता है। सर्दियों के मौसम में आप अपने आहार के साथ ताजा नींबू के रस का उपयोग कर सकते हैं। यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है।

    संतरा


    ठंडी के मौसम में खाये जाने वाले फलों में संतरा सबसे प्रमुख है। क्‍योंकि इन दिनों पूरे बाजार में केवल संतरा का सुनेहरा रंग अलग ही दिखाई देता है। ठंड में फ्लू और सर्दी से बचने के लिए आप संतरा का सेवन कर सकते हैं। सभी लोग जानते हैं कि संतरा विटामिन सी के सबसे अच्‍छे स्रोत में से एक है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि ऑरेंज में फाइटोकेमिकल्‍स (phytochemicals) भी होते हैं जिनमें कैंसर रोधी (Anti-Cancer) गुण होते हैं। इसके अलावा संतरा में मौजूद अन्‍य पोषक तत्‍व किड़नी संबंधी बीमारियों से लड़ने में भी सहायक होते हैं। अच्‍छी बात यह है कि संतरा आज कल केवल सर्दियों में ही नहीं बल्कि इसके अलावा साल के कुछ महिनों में प्राप्त किये जा सकते हैं। आप अपने शरीर को विभिन्‍न प्रकार की बीमारियों से बचाने और इम्‍यूनिटी बढ़ाने के लिए संतरे का नियमित सेवन कर सकते हैं।

    केला


    सर्दियों के मौसम में खाये जाने वाले फलों में केला को भी शामिल किया जा सकता है। अधिकांश लोगों का मानना होता है कि ठंडी के मौसम में केला खाने से सर्दी हो सकती है। जबकि इसमें ऐसे पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ होते हैं जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बए़ाने में मदद कर सकते हैं। आप अपने शरीर स्‍वस्‍थ रखने के लिए सर्दियों के मौसम में केला को नियमित आहार के रूप में जगह दे सकते हैं। यह आपके लिए बेहतरीन आहार साबित हो सकता है।



    सर्दी के मौसम में स्‍वस्‍थ रहने का सबसे अच्‍छा घरेलू उपाय अनार का नियमित सेवन करना हो सकता है। अनार में एलैजिक एसिड, एलैजिटानिंस, प्यूनिसिक एसिड, फ्लेनॉयड, एंथोसायनिन जैसे भिन्न-भिन्न प्रकार के सैकड़ों बायोएक्टिव यौगिक पाये जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए कई मायनों में गुणकारी होते हैं। विभिन्न बीमारियों के इलाज में अनार का उपयोग वर्षों से किया जा रहा है। अनार का उपयोग परजीवी और माइक्रोबियल संक्रमण, डायरिया, अल्सर, रक्तस्राव और श्वसन संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है। अनार प्रोबायोटिक बैक्टीरिया को उत्तेजित करता है जिससे यह संक्रमण से लड़ने में सक्षम होता है और बीमारियों से हमें छुटकारा दिलाता है। हालांकि अनार भी ऐसा फल है जो 12 महिने उपलब्‍ध होता है। लेकिन ठंडी में इस फल का नियमित सेवन करने के लाभ बहुत अधिक होते हैं।

    शकरकंद

    सर्दियों के मौसम में शकरकंद भी पर्याप्‍त मात्रा में मिलता है। हालांकि यह फल न होकर एक कंद है। लेकिन सर्दियों में मौसम में इसका पर्याप्‍त सेवन करना आपको कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ दिला सकता है। शकरकंद में विटामिन ए और विटामिन सी की पर्याप्‍त मात्रा होती है। इसके अलावा शकरकंद की गर्म तासीर हमारे शरीर को सर्दियों के मौसम में गर्म रखने में मदद कर सकती है। यह फाइबर का सबसे अच्‍छा स्रोत होता है जो पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में सहायक होता है। आप भी इस मौसम में अपने शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए शकरकंद का नियमित सेवन कर सकते हैं।

    शरीफा या सीताफल

    कस्टर्ड एप्पल, जिसे शरीफा या सीताफल के रूप में भी जाना जाता है, एक मीठा फल है, जो दुनिया भर में व्यापक रूप से उगाया जाता है। भारत में इसे आमतौर पर ‘सीताफल’ के रूप में जाना जाता है। यह व्यापक रूप से सर्दियों के मौसम में उपलब्ध होता है और भारत के स्थानीय बाजारों में बेचा जाता है। नियमित रूप से सीताफल का सेवन आपकी त्वचा को प्राकृतिक रूप से सुंदर बनाने में मदद कर सकता है। इस फल में प्रचुर मात्रा में मौजूद विटामिन ए त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करती है।

    अमरूद


    सर्दियों के मौसम में अमरूद भी बहुत देखने मिलते हैं। पके हुए अमरूद देखकर कोई भी इन्‍हें खाने का मन बना सकता है। लेकिन क्‍या आप अमरूद खाने के फायदे जानते हैं। सर्दियों में अमरूद खाना आपकी सेहत के लिए बहुत ही अच्‍छा माना जाता है। क्‍योंकि अमरूद में फोलेट, फाइबर, विटामिन और कई प्रकार के एंटीऑक्‍सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। जिसके कारण सर्दियों में होने वाली बहुत सी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं की रोकथाम करने में अमरूद आपकी मदद कर सकती है।



    सिंघाड़ा एक जलीय फल है जिसे वॉटर चेस्‍टनट्स (Water Chestnut) भी कहा जाता है। यह सर्दीयों के मौसम में विशेष रूप से भारतीय बाजारों में मिलता है। सिंघाड़ा के फायदे इसमें उपस्थित पोषक तत्‍वों और स्‍वाद के कारण स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत अधिक होते हैं। पानी में पैदा होने वाले फल सिंघाड़ा सर्दियों के मौसम में अक्सर बाजार में देखने को मिलता है। सिघाड़े में साइट्रिक एसिड, कर्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, निकोटेनिक एसिड, रीबोफ्लेविन, थायमाइन, विटामिन्स-ए, सी, मैगनीज तथा फास्फोरस आदि होते हैं। सिंघाड़ा सर्दियों में खाये जाना वाला एक अच्छा फल है।

    बेर


    ठंड के मौसम में मिलने वाला एक खास और खट्टा-मीठा फल है ‘बेर’। यह फल खाने में जितना स्वादिष्ट होता है, इसके फायदे भी उतने ही अधिक होते है। पकी हुई बेर का नाम सुनते ही आपके मुंह में पानी आना लाजमी है क्‍योंकि यह फल है ही इतना स्‍वादिष्‍ट। बेर खाने के फायदे वजन कम करने, हृदय स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ाने, कैंसर रोकने, रक्‍तचाप नियंत्रित करने, पेट की समस्‍याओं आदि के लिए होते हैं।