29.6.19

गेहूं के जवारे का रस अच्छे स्वास्थ्य के लिए gehoon ke jaware ka ras

                                             
गेहूं की पौध को गेहूं का ज्‍वारा कहते हैं । यानी गेहूं के बीच जब जमीन में रोपित किए जाते हैं तो 7 से 8 दिन में जो पौध बनकर तैयार होती है वो गेहूं का ज्‍वारा कहलाती है । इसे अंगेजी में Wheat Grass कहते हैं । इसके फायदे अनेक हैं, आयुर्वेद में इसके रस को संजीवनी बूटी कहा गया है । आजकल ये आयुर्वेदिक औषधि के रूप में आसानी से उपलब्‍ध है ।
सेहत के रखवाले हरी दूब और गेहूं के जवारे गेहूं के जवारों के रस को अमृत रस कहा जाता है, इसका उपयोग विकसित देशों में क्यों बढ़ता जा रहा है, पढ़ें ….. दूब घास प्रकृति में एक ऐसी वनस्पति है जो संसार के किसी भी कोने में, किसी भी जलवायु में उपलब्ध है। यूं तो इस घास को सदा से ही पूजनीय माना जाता रहा है अधिक गौर करने वाली बात यह है कि इसका उपयोग मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। इसमें कुछ ऐसे मुख्य पोषक तत्व हैं जो प्रकृति ने कूट-कूट कर भर दिये हैं। इसमें मौजूद सभी पोषक तत्वों का पता वैज्ञानिक नहीं लगा पाए हैं, फिर भी कुछ तत्व जिनके बारे में पता है, इस प्रकार हैं: बीटा केरोटीन, फोलिक एसिड, क्लोरोफिल, लौह तत्व, कैल्शियम, मैग्नीशियम, एंटी आॅक्सीडेंट, विटामिन बी काॅम्पलेक्स, विटामिन के आदि। बीटा कैरोटीन: शरीर में बीटा कैरोटीन विटामिन ‘ए’ में परिवर्तित हो जाता है। सभी जानते हैं कि विटामिन ‘ए’ हमारी त्वचा एवं आंखों की रोशनी के लिए कितना महत्वपूर्ण है। फोलिक एसिड: फोलिक एसिड हमारे शरीर में लाल रक्त कणों को परिपक्व करने के लिए एवं रक्त में होमोसिस्टीन नामक रसायन की मात्रा कम करने के लिए जरूरी है। होमोसिस्टीन की रक्त में मात्रा ज्यादा होने से न केवल रक्तचाप बढ़ जाता है अपितु हृदय रोग की भी संभावना बढ़ जाती है। क्लोरोफिल: यह मानव रक्त से बहुत मिलता-जुलता है। इसमें और मानव रक्त में केवल एक फर्क होता है, वह है क्लोरोफिल के केंद्र में मैग्नीशियम कण होता है तो हीम रिंग में लौह कण। शरीर को क्लोरोफिल को रक्त में बदलने के लिए केवल एक रासायनिक क्रिया करनी पड़ती है, मैग्नीशियम कण को निकालकर उसकी जगह लौह कण को डालना होता है और निकाले हुए मैग्नीशियम को शरीर की हड्डियों की मजबूती तथा रक्तचाप(ब्लडप्रेशर) को नियमित (सामान्य) करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।

क्लोरोफिल केवल रक्त ही नहीं बनाता अपितु यह एक अति प्रभावी ऐन्टीबायोटिक के रूप में भी कार्य करता है। इससे शरीर कीटाणुओं के संक्रमण से बचा रहता है। गेहूं के जवारों में मौजूद केल्शियम शरीर की हड्डियों एवं दांतों की मजबूती एवं स्वास्थ्य हेतु सामान्य रासायनिक क्रिया के लिए अति लाभप्रद है। इनमें मौजूद मेग्नीशियम रक्तचाप को सामान्य करने के लिए अति आवश्यक है। फ्री रेडिकल: ये अत्यंत क्रियाशील इलेक्ट्राॅन होते हैं, जो हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं में रासायनिक क्रियाओं के उपरांत उत्पन्न होते हैं। चूंकि ये इलेक्ट्राॅन असंतृप्त होते हैं, अपने को संतृप्त करने के लिए ये कोशिकाभित्ति से इलेक्ट्राॅन लेकर संतृप्त हो जाते हैं, परंतु कोशिकाभित्ति में असंतृप्त इलेक्ट्राॅन छोड़ जाते हैं। यही असंतृप्त इलेक्ट्राॅन फिर इलेक्ट्राॅन लेकर संतृप्त हो जाते हैं और इस प्रकार से बार बार नये असंतृप्त इलेक्ट्राॅन/फ्री रेडिकल उत्पन्न होते हैं और नष्ट होते रहते हैं। अगर इन फ्री रेडिकलों को संतृप्त करने के लिए समुि चत मात्रा म ंे एन्टी आॅक्सीडटंे नहीं मिलते तो कोशिकाभित्ति क्षतिग्रस्त हो जाती है। यही क्रिया बार-बार होते रहने से कोशिका समूह क्षतिग्रस्त हो जाता है और मनुष्य एक या अनेक रोगों का शिकार हो जाता है। यही एक महत्वपूर्ण कारण माना जा रहा है आजकल की लाइफस्टाइल बीमारियों मधुमेह, हृदय रोग, रक्तचाप, गठिया, गुर्दे और आंखों के काले या सफेद मोतिया रोग इत्यादि का। गेहूं के जवारे इन्हीं फ्री रेडिकलों को नष्ट करने में शरीर की हर संभव सहायता करते हैं। आज अगर प्रकृति में सभी शाकाहारी जानवरों के आहार पर गौर करें तो पाएंगे कि दूब घास उन्हें आहार से होने वाले सभी रोगों से मुक्त रखती है। कुत्ता एक मांसाहारी जानवर होते हुए भी जब बीमार होता है तो प्रकृतिवश भोजन छोड़कर केवल दूब घास खाकर कुछ दिनों में अपने आप को ठीक कर लेता है। मनुष्य साठ की आयु पर पहुंचते ही काम से रिटायर कर दिया जाता है। इसका कारण उसकी बुद्धि तथा याददाश्त कम होना माना जाता है परंतु हथिनी जिसकी आयु मनुष्य के ही बराबर आंकी गयी है, उसकी न तो याददाश्त कम होती है, न ही उसे सफेद या काला मोतिया होता है और न ही उसे 3900-6000 किलोग्राम भार के बावजूद आथ्र्राइटिस (गठिया) रोग होता है। अल्सरेटिव कोलाइटिस: अल्सरेटिव कोलाइटिस ;न्सबमतंजपअम ब्वसपजपेद्ध के रोगी द्वारा जवारों का नियमित प्रयोग करने से दवाओं की मात्रा कम करने के साथ-साथ रोग के लक्षणों में भी कमी आई।

यह बात जानने योग्य है कि इन रोगियों में इस बीमारी से आंत के कैंसर का खतरा 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। जवारों से उसका खतरा भी कम हो जाता है। सभी कैंसर रोगों में इन जवारों का उपयोग बहुत लाभकारी है। जवारे तैयार करने की विधि: लगभग 100 ग्राम अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं को साफ पानी से धोकर, फिर भिगोकर 8 से 10 घंटे रख दें। तत्पश्चात इन्हें 1 फुट ग् 1 फुट की क्यारियों या गमलों में बो दें। यह काम रोजाना सात दिनों तक करें। सातवें दिन पहले गमले/क्यारी मे   गेहूं या  जौ के जवारे करीब 8-9 इंच तक लंबे हो जाएंगे। अब उन्हें मिट्टी से ऊपर-ऊपर काट लें, मिक्सी में डालकर साथ में कोई फल जैसे केला, अनानास या टमाटर डालकर मिक्सी को चला लें । फिर इस हरे रस को चाय की छन्नी से छान कर कांच के गिलास में डालकर आधे घंटे के अंदर सेवन करें। आधे घंटे के पश्चात जवारों के रस से मिलने वाले पोषक तत्वों में कमी आ सकती है। जवारों को काटने के बाद जड़ांे को मिट्टी से उखाड़ कर फेंक दें और नई मिट्टी डालकर नये गेहूं बो दें। काटने के बाद जो जवारे दोबारा उग आते हैं उनसे शरीर को कोई लाभ नहीं मिलता है। मसूड़ों की सूजन हो एवं खून आता हो तो जवारों को चबा चबा कर खाने से यह रोग केवल एक महीने में ही काफूर हो जाता है। लू लगने पर: लू लगने पर भी जवारों के रस का सेवन बहुत लाभ पहुचाता है। किसे गेहूं के जवारे न दें: बच्चों को एवं उन लोगों को जिन्हें दस्त हो रहे हों, मितली हो रही हो और आमाशय में तेजाब बनता हो। जिन लोगों को गेहूं से एलर्जी हो, वे जौ के जवारे इस्तेमाल कर सकते हैं। गेहूं के जवारों, दूब घास आदि के नियमित प्रयोग से अन्य फायदे शरीर की प्रतिरोध क्षमता बढ़ जाती है। हिमोग्लोबिन द्वारा आॅक्सीजन ले जाए जाने की मात्रा बढ़ जाती है। जिन लोगों का रात की पार्टी में शराब या नशे के पदार्थों के सेवन से सुबह सिर भारी रहता है, उनको भला चंगा करने के लिए 1 कप जवारों का सेवन कुछ घंटे में जादू का सा असर करता है। कब्ज को दूर करते हैं और कब्ज के कारण होने वाले रोगों जैसे बवासीर, एनल फिशर एवं हर्नियां से बचाते हैं। बढ़े हुए रक्तचाप को कम करते हैं। कैंसर के रोगी का कैंसर प्रसार कम करने में सहायता मिलती है। साथ ही कैंसर उपचार हेतु दवाओं के दुष्प्रभाव भी बहुत हद तक कम होते हंै। ऐनीमिया (अल्परक्तता) के रोगी का हिमोग्लोबिन बढ़ जाता है। थेलेसिमिया नामक बीमारी में बिना खून की बोतल चढ़ाए, हिमोग्लोबीन बढ़ जाता है। भूरे/सफेद हो गए बाल पुनः काले होने लगते हैं। गठिया (ओस्टियोआथ्र्राइटिस) के रोगी बढ़ते ही जा रहे हैं।

वे इन घास/जवारों से अप्रत्याशित लाभ पाते हैं। अगर इसके सेवन के साथ-साथ वे संतुलित, जीवित आहार करें, फास्ट फूड से बचें तथा नियमित योगाभ्यास करें तो बहुत लाभ होगा। लेखक के कुछ अनुभव बेहोश व्यक्ति का होश में आना: यह व्यक्ति उच्च रक्तचाप के कारण दिमाग की रक्त धमनी से रक्त निकलने से बेहोश हो गया था। पूरा बेहोश होने के कारण उसके पोषण हेतु राईल्स नली डालकर घर भेज दिया गया था। उसे दो सप्ताह तक पानी और दूब घास के सेवन से होश आ गया और उसके बाद जीवित शाकाहारी आहार से अब पूर्णतः ठीक है। मधुमेह: रोगी को 1989 से मधुमेह है। अब उन्हें पिछले 4-5 वर्ष से घुटनों में दर्द भी रहना शुरु हो गया था। कारण बताया गया कि ओस्टियोआथ्र्राइटिस हो गया है। रोजमर्रा के घर के कार्य करने में भी परेशानी महसूस होती थी। मेरे कहने पर उन्होंने गेहूं के जवारों को उगाया और जब ये जवारे 8-9 इंच लंबे हो गये तब उन्हें काट कर पीना शुरु किया। साथ में उन्हें पैरों की उंगलियां में सुन्नपन और पिंडलियों में दर्द रहने लगा था। उन्होंने न्यूरोबियोन के 10 इन्जेक्शन लगवाए पर कोई आराम नहीं हुआ। तब उन्होंने गेहूं के जवारे 20 दिन लिये। फिर अगले महीने 20 दिन इन जवारों का रस लिया। बाद में घर में व्यस्तता के कारण जवारों का रस पीना छोड़ दिया। उन्होंने इन्हीं दिनांे अलसी के कच्चे बीज भी 15-20 ग्राम रोज खाने शुरु कर दिये। अब मधुमेह काबू में रहता है, घुटने के दर्द में बहुत आराम हुआ और जो उंगलियां सुन्न पड़ गई थी उनमें, साथ ही पिंडलियों के दर्द में भी बहुत आराम आ गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि उन्हें जो एक प्रकार का अवसाद रहने लगा था, लगभग खत्म हो गया है। मोटापा: आज से करीब 7 महीने पहले जब एक सज्जन मेरे पास आए तो उनका वजन 114 किग्रा. था। उन्होंने मेरे कहने पर पका हुआ भोजन बंद कर अंकुरित अनाज, दाल, फल, सलाद एवं दूब घास खाना शुरु कर दिया। शुरु के पहले माह ये सब भोजन खाने में बहुत कष्ट होता था, अपने आपको बहुत काबू में रखना पड़ता था, परंतु जैसे ही पहला महीना गुज़रा उनका वजन 4 कि.ग्रा. कम हो गया। अब उन्हें कच्चे, अपक्व भोजन एवं दूब घास के सेवन में बहुत आनंद आने लगा। दूसरे माह में करीब 7 कि.ग्रावजन कम हो गया। शरीर में इतनी ताकत बढ़ गयी कि जहां 50 कदम चलने से ही सांस फूलने लगता था, रक्तचाप बढ़ा रहता था, अब दोनों में आराम आ गया। अब भी प्रति माह 2 कि. ग्रा. वजन नियमित रूप से कम होता जा रहा है। उनके पूरे परिवार ने अंकुरित कच्चे अनाज एवं फल, सलाद आदि को नियमित भोजन बना लिया है। वेरिकोज़ वेन्ज से उत्पन्न घाव: एक रोगी को रक्त धमनियों के रोग वेरिकोज़ वेन्ज के कारण न भरने वाला घाव बन गया था। तीन महीने घास के रस को पीने तथा जवारे के रस की पट्टी से हमेशा के लिए ठीक हो गया। एक सज्जन को कोई 10-12 वर्ष से सोरियासिस ;च्ेवतपंेपेद्ध नामक चर्म रोग था। उन्होंने मेरे आग्रह पर गेहूं के जवारे खाना तथा जवारों का लेप शुरु कर दिया। पहले महीने में त्वचा के चकत्तांे से खून आना तथा खुजली बंद हो गई। दूसरे माह में ये सभी सूखने शुरु हो गये, साथ ही चकत्तों की परिधि की त्वचा मुलायम होनी शुरु हो गई। इन्होंने प्रेडनीसोलोन नामक दवा खानी बंद कर दी। 4 महीनों में इनकी त्वचा सामान्य हो गयी। चेहरे पर झाइयां हो जाती हों या आंखों के नीचे काले गड्ढे पड़ जाते हों तो इन दोनों ही चर्म रोगों में जवारों का रस पीने के साथ-साथ लेप करने से 3 महीने में अप्रत्याशित लाभ मिलता है। बुखार: एक बच्चा जिसे बार-बार हर महीने बुखार हो जाता था, कई बार एक्सरे कराने एवं रक्त की जांच कराने पर कुछ दोष पता नहीं चलता था। दूब घास के रस को तीन महीने पीने के बाद कभी बुखार नहीं हुआ। जुकाम एवं साइनस: एक रोगी को प्रतिदिन छींक आती रहती थी, जुकाम रहता था तथा साइनस का शिकार हो गया था। जवारों के 6 माह तक नियमित सेवन से रोग खत्म हो गया। इन्फेक्शन से गले की आवाज बैठ ;स्ंतलदहपजपेद्ध गई हो तो भी जवारों का रस या दूब के रस के सेवन से पांच दिनों में पूरा आराम मिलता है। माइग्रेन (आधे सिर का दर्द): माइग्रेन ;डपहतंपदमद्ध के कुछ रोगियों को पहले ही दिन में तीन बार जवारों का रस पीने से 50 प्रतिशत तक लाभ हो जाता है। शारीरिक कमजोरी: एक साहब को रक्तचाप बढ़ जाने से रक्तस्राव होकर अधरंग हो गया था। दवाइयां खाने से अधरंग और रक्तचाप पर तो काबू आ गया परंतु उनका वजन काफी कम हो गया और बहुत शारीरिक कमजोरी हो गई। उन्होंने शिमला में किसी सज्जन की सलाह पर गेहूं के जवारे लेने शुरु कर दिए। 3 माह के अंदर पूरा कायाकल्प हो गया। कमजोरी का नामोनिशान नहीं रहा।जवारे का रस के बनाने की विधि
आप सात बांस की टोकरी  मे अथवा गमलों  मे  मिट्टी भरकर उन मे प्रति दिन बारी-बारी से कुछ उत्तम गेहूँ के दाने बो दीजिए और छाया   मे अथवा कमरे या बरामदे मे रखकर यदाकदा थोड़ा-थोड़ा पानी डालते जाइये, धूप न लगे तो अच्छा है। तीन-चार दिन बाद गेहूँ उग आयेंगे और आठ-दस दिन के बाद 6-8 इंच के हो जायेंगे। तब आप उसमें से पहले दिन के बोए हुए 30-40 पेड़ जड़ सहित उखाड़कर जड़ को काटकर फेंक दीजिए और बचे हुए डंठल और पत्तियों को धोकर साफ सिल पर थोड़े पानी के साथ पीसकर छानकर आधे गिलास के लगभग रस तैयार कीजिए ।
वह ताजा रस रोगी को रोज सवेरे पिला दीजिये। इसी प्रकार शाम को भी ताजा रस तैयार करके पिलाइये आप देखेंगे कि भयंकर रोग दस बीस दिन के बाद भागने लगेगे और दो-तीन महीने मंे वह मरणप्रायः प्राणी एकदम रोग मुक्त होकर पहले के समान हट्टा-कट्ठा स्वस्थ मनुष्य हो जायेगा। रस छानने में जो फूजला निकले उसे भी नमक वगैरह डालकर भोजन के साथ रोगी को खिलाएं तो बहुत अच्छा है। रस निकालने के झंझट से बचना चाहें तो आप उन पौधों को चाकू से महीन-महीन काटकर भोजन के साथ सलाद की तरह भी सेवन कर सकते हैं परन्तु उसके साथ कोई फल न खाइये। आप देखेंगे कि इस ईश्वरप्रदत्त अमृत के सामने सब दवाइयां बेकार हो जायेगी।




गेहूँ के पौधे 6-8 इंच से ज्यादा बड़े न होने पायें, तभी उन्हें काम मे  लिया जाय। इसी कारण गमले में या चीड़ के बक्स रखकर बारी-बारी आपको गेहूँ के दाने बोने पड़ेंगे। जैसे-जैसे गमले खाली होते जाएं वैसे-वैसे उनमें गेहूँ बोते चले जाइये। इस प्रकार यह जवारा घर में प्रायः बारहों मास उगाया जा सकता है।
सावधानियाँ

 रस निकाल कर ज्यादा देर नहीं रखना चाहिए।
रस ताजा ही सेवन कर लेना चाहिए। घण्टा दो घण्टा रख छोड़ने से उसकी शक्ति घट जाती है और तीन-चार घण्टे बाद तो वह बिल्कुल व्यर्थ हो जाता है।
ग्रीन ग्रास एक-दो दिन हिफाजत से रक्खी जाएं तो विशेष हानि नहीं पहुँचती है।
रस लेने के पूर्व व बाद मे  एक घण्टे तक कोई अन्य आहार न लें
गमलों में रासायनिक खाद नहीं डाले।
रस में अदरक अथवा खाने के पान मिला सकते हैं इससे उसके स्वाद तथा गुण में वृद्धि हो जाती है।
रस में नींबू अथवा नमक नहीं मिलाना चाहिए।
रस धीरे-धीरे पीना चाहिए।
इसका सेवन करते समय सादा भोजन ही लेना चाहिए। तली हुई वस्तुएं नहीं खानी चाहिए।
तीन घण्टे मे जवारे के रस के पोषक गुण समाप्त हो जाते हैं। शुरु मे कइयों को उल्टी होंगी और दस्त लगेंगे तथा सर्दी मालूम पड़ेगी। यह सब रोग होने की निशानी है। सर्दीं, उल्टी या दस्त होने से शरीर में एकत्रित मल बाहर निकल जायेगा, इससे घबराने की जरुरत नहीं है।
स्वामी रामदेव ने इस रस के साथ नीम गिलोय व तुलसी के 20 पत्तों का रस मिलाने की बात कहीं है|

28.6.19

पालक खाने के स्वास्थ्य लाभ ,palak ke fayde



पालक हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है यह हमारी त्वचा की देखभाल करती है इसके अलावा यह बेहतर दृष्टि, स्वस्थ रक्तचाप, मजबूत मांसपेशियों, उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन (AMD), मोतियाबिंद, एथेरोस्लेरोसिस, दिल का दौरा, न्यूरोलॉजिकल लाभ, ऑस्टियोपोरोसिस, विरोधी अल्सरेटिव और कैंसर विरोधी लाभ, स्वस्थ भ्रूण विकास, और शिशुओं के लिएविकास में वृद्धि आदि इसके सम्मलित लाभ है।
आमतौर पर पालक को केवल हिमोग्‍लोबिन बढ़ाने वाली स‍ब्‍जी माना जाता हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि इसमें इसके अलावा भी बहुत से गुण विद्यमान है। पालक में कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, फाइबर और खनिज लवण होता हैं। साथ ही पालक में विभिन्न खनिज लवण जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन तथा विटामिन ए, बी, सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाते हैं।
खून की कमी दूर करें
पालक में आयरन की मात्रा बहुत अधिक होती है और इसमें मौजूद आयरन शरीर आसानी से सोख लेता है। इसलिए पालक खाने से हिमोग्लोबिन बढ़ता है। खून की कमी से पीड़ित व्यक्तियों को पालक खाने से काफी फायदा पहुंचता है।
रक्तचाप को बनाए रखता है Maintains blood pressure
पालक में पोटेशियम की बहुत ही उच्च मात्रा और सोडियम की मात्रा कम होती है। पालक का एक बहुत अधिक खतरा है मिनरलों की यह संरचना उच्च रक्तचाप वाले रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि पोटेशियम रक्तचाप कम करती है और सोडियम रक्तचाप बढ़ाता है।
पालक में उपस्थित फोलेट उच्च रक्तचाप की कम करने में योगदान देता है और उचित रक्त प्रवाह बनाए रखने के साथ-साथ रक्त वाहिकाओं को आराम देता है। कार्डियोवास्कुलर सिस्टम की मदद से आप तनाव को कम कर सकते हैं और इष्टतम कार्य क्षमता के लिए शरीर के अंग सिस्टम में ऑक्सीजन बढ़ा सकते हैं।


शरीर को बनाये मजबूत
पालक में मौजूद फ्लेवोनोइड्स एंटीआक्सीडेंट का काम करता हैं। यह तत्‍व रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के अलावा हृदय संबंधी बीमारियों से लड़ने में भी मददगार होता है। इसमें पाया जाने वाला बीटा कैरोटिन और विटामिन सी क्षय होने से बचाता है। सलाद में इसके सेवन से पाचनतंत्र मजबूत होता है और यह भूख बढ़ाने में सहायक होता है।
तंत्रिका संबंधी लाभ Neurological benefits
पोटेशियम, फोलेट और विभिन्न एंटीऑक्सिडेंट आदि पालक के कई घटक है ये लोगों को न्यूरोलॉजिकल परेशानी में लाभ प्रदान करता है जो इसे नियमित रूप से उपभोग करते हैं। न्यूरोलॉजी के अनुसार, उनकी अल्जाइमर की बीमारी के कारण फोलेट कम हो जाती है।
इसलिए पालक उन लोगों के लिए बहुत अच्छा होते है जो तंत्रिका या संज्ञानात्मक गिरावट के उच्च जोखिम वाले लोग हैं। पोटेशियम भी मस्तिष्क स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग है और यह मस्तिष्क और बढ़ी हुयी अनुभूति, एकाग्रता और तंत्रिका गतिविधि में रक्त के प्रवाह में वृद्धि करता है।
मसल्‍स में मजबूती
अगर आप अपनी बाहों को गठीला और मसल्‍स को मजबूत बनाने चाहते हैं तो अपने आहार में पालक को जरूर शामिल करें। स्वीडन के कारोलिंस्का संस्थान के शोधकर्ताओं के अनुसार, पालक में मौजूद अजैविक नाइट्रेट मांसपेशियां को मजबूत बनाते हैं।



मोतियाबिंद के खतरे को रोकता है Prevents Cataract
पालक में मौजूद ल्यूटिन और ज़ेक्सैंटीन दोनों मजबूत एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं, इस प्रकार यह हमारी आंखों को UV किरणों के कठोर प्रभाव से बचाता है जिससे मोतियाबिंद हो सकता है। ये मुक्त कणों के प्रभाव को भी कम करते हैं, जो मोतियाबिंद और अन्य नेत्र संबंधित बीमारियों का एक प्रमुख कारण हो सकता है।
गर्भवती के लिए फायदेमंद
गर्भवती महिलाओं में अकसर फोलिक एसिड की कमी हो जाती है, इसकी कमी को दूर करने के लिए पालका का सेवन लाभदायक होता है। साथ ही पालक में पाया जाने वाला कैल्शियम बढ़ते बच्चों, बूढ़े व्यक्तियों और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पालक खाने से स्तनपान करानेवाली माताओ के स्तनों में अधिक दूध बनता है।
गर्मी से राहत
गर्मी में होने वाले नजले, सीने और फेफड़े की जलन में भी यह लाभप्रद होता है। साथ ही पित्त को शांत करता है और गर्मी के कारण होने वाले पीलिया और खांसी में भी बहुत लाभदायक होता है।
रूखापन दूर करें
पालक त्‍वचा को रूखा होने से बचाता है। साथ ही चेहरे के कील मुहांसे मिटाने और त्‍वचा को स्‍वस्‍थ रखने में मददगार होता है। पालक का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे से झाइयां दूर हो जाती है। या पालक व गाजर के रस में थोड़ा सा नीबू कस रस को मिलाकर पीने से चेहरा सुंदर और कांतिमय होता है।
गैस्ट्रिक अलसर को कम करता है Helps in Gastric ulcer
यह पाया गया है कि पालक और कुछ अन्य सब्जियों में भी पेट की श्लेष्मा झिल्ली(Mucous membrane) की रक्षा करने की क्षमता होती है, जिससे गैस्ट्रिक अल्सर की को रोका जा सकता है।
इसके अलावा, पालक में पाया जाने वाला ग्ल्य्कोग्ल्य्सरोलिपिड (glycoglycerolipids), पाचन तंत्र के अन्दर की ताकत को बढ़ाता है, जिससे शरीर के उस हिस्से में किसी भी प्रकार की अवांछित सूजन नहीं आती है।
हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखता है Keeps bones strong
पालक विटामिन का एक अच्छा स्रोत है, जो हड्डी मैट्रिक्स में कैल्शियम को बनाए रखने का कार्य करता है, यह हड्डियों के लिए एक मिनरल है। इसके अलावा, मैंगनीज, तांबे, मैग्नीशियम, जस्ता और फास्फोरस जैसी अन्य मिनरलों से भी मजबूत हड्डियों के निर्माण में मदद मिलती है।
मोतियाबिंद के खतरे में लाभ
पालक का सेवन करने से हृदय रोग में भी फायदा होता है। इसके लिए आधा चम्‍मच चौलाई का रस, एक चम्‍मच पालक का रस और एक चम्‍मच नींबू का रस तीनों को मिलाकर सुबह नियमित रूप से सेवन करने से हृदय रोगी को लाभ होने लगेगा।
आंखों के लिये लाभकारी
पालक आंखो के लिए काफी अच्छी होती है। इसके सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती हैं। ऐसे लोग जो रतौंधी से परेशान है और उन्‍हें हल्के प्रकाश में स्पष्ट दिखाई नहीं देता उनके लिए पालक किसी चमत्‍कार से कम नहीं होता है। ऐसे लोगों को गाजर व टमाटर के रस में बराबर मात्रा में पालक का जूस मिलाकर लेना चाहिए।
पाचन तंत्र के रोग
आधा गिलास कच्‍चे पालक का रस सुबह उठकर नियमित रूप से पीने से कुछ ही दिनों में कब्‍ज की समस्‍या दूर हो जाती है। आंतों के रोगों में पालक की सब्‍जी खाने से लाभ मिलता है। साथ ही पालक के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पथरी पिघल जाती है और यूरीन के रास्‍ते इसके कण बाहर निकल जाते हैं।
बालों के लिए उपयोगी
पालक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए ही नहीं बल्कि बालों के लिए भी बहत अच्छा होता है। जो लोग बाल गिरने की समस्‍या से परेशान हैं उन्हें पालक को अपने नियमित आहार में शामिल करना चाहिए। क्‍योकि पालक शरीर में आयरन की कमी को पूरा करके बालों को गिरने से रोकता है।
त्‍वचा की समस्‍या में लाभकारी
पालक झाइयां और झुर्रियों को दूर करने में भी आपकी मदद करता हैं। इसके लिए पालक और नीबू के रस में कुछ बूंदे ग्लिसरीन की मिलाकर सोते समय त्‍वचा पर लगाने से लाभ होता है। या फिर पालक का पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे से झाइयां दूर हो जाती है। त्वचा पर फोड़े व फुन्सी हो जाने पर पालक के पत्तों को पानी में उबालकर धोने से शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
आर्थराइटिस में फायदेमंद
शरीर के जोड़ों में होने वाली बीमारी जैसे आर्थराइटिस, ओस्टियोपोरोसिस की भी संभावना को भी घटाता है। साथ ही जोड़ों के दर्द को दूर करने में भी सहायक होता है। जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए पालक, टमाटर और खीरा आदि सब्जियों को सेवन करना चाहिए या इनका सलाद बनाकर खाना चाहिए।
मोटापा कम करें
पालक के रस में गाजर का रस मिलाकर पीने से चर्बी कम होने लगती है या फिर पालक के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।
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  29. चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  30. ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  31. पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  32. व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  33. घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  34. चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  35. अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  36. वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  37. शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  38. वजन कम करने के उपचार
  39. केले के स्वास्थ्य लाभ
  40. लीवर रोगों की महौषधि भुई आंवला के फायदे
  41. हरड़ के गुण व फायदे
  42. कान मे मेल जमने से बहरापन होने पर करें ये उपचार
  43. पेट की खराबी के घरेलू उपचार
  44. शिवलिंगी बीज के चिकित्सा उपयोग
  45. दालचीनी के फायदे
  46. बवासीर के खास नुखे
  47. भूलने की बीमारी के उपचार
  48. आम खाने के स्वास्थ्य लाभ
  49. सोरायसीस के उपचार
  50. गुर्दे की सूजन के घरेलू उपचार




तिल खाने के स्वास्थ्य लाभ एवं औषधीय गुण:benefits of sesame





तिल का सेवन करना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता हैं। आयुर्वेद के अनुसार तिल बलवर्धक होता हैं। इसका सर्दी के मौसम में सेवन विशेष लाभकारी माना जाता हैं। तिल में पोषक तत्वों का खजाना हैं। इसमें पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी पाया जाता हैं जिसके कारण यह भूख बढाता हैं भोजन को भली भाति हज़म करता हैं तन्त्रिका तंत्र को बल प्रदान करता हैं।

आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञानं के अनुसार तिल स्निग्ध, मधुर और उष्ण होने से वात का शमन करता हैं यह कफ़ और पित्त को नष्ट करता हैं। बालों के लिए इसका तेल बहुत अच्छा होता हैं जाड़ों के दिनों में इसके तेल कि मालिश बहुत अच्छी रहती हैं। आयुर्वेद के अनुसार तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से बुढ़ापा, थकावट दूर होती हैं द्रष्टि बढती हैं, प्रसन्नता, पुष्टता और आयु, निद्रा में वृद्धि होती हैं यह त्वचा की सुन्दरता बढ़ाने तथा रूखापन दूर करने में उपयोगी हैं। सर्दी के दिनों में इसका नित्य उपयोग तिल्कूटा, चटनी, लड्डू, तिलपट्टी गजक के रूप में किया जाता हैं।
तिल तीन प्रकार के होते हैं काले सफ़ेद और लाल। काले तिल सर्वोत्तम और बल वीर्यवर्धक होते हैं सफ़ेद तिल मध्यम और लाल तिल हीन गुण वाले होते हैं। काले तिल तंत्र-मंत्र, हवं पूजा आदि धार्मिक कार्यों के साथ साथ औषधीय कार्यों में भी उपयोगी होते हैं।

तिल खाने के फायदे:
Health benefits of  sesame

1. फटी एड़ि‍यों में तिल का तेल गर्म करके, उसमें सेंधा नमक और मोम मिलाकर लगाने से एड़ि‍यां जल्दी ठीक होने के साथ ही नर्म व मुलायम हो जाती है।
2. मुंह में छाले होने पर, तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर लगाने पर छाले ठीक होने लगते हैं।
3. तिल को कूटकर खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती, साथ ही काले तिल को चबाकर खाने के बाद ठंडा पानी पीने से बवासीर में लाभ होता है। इससे पुराना बवासीर भी ठीक हो जाता है।
4. शरीर के किसी भी अंग की त्वचा के जल जाने पर, तिल को पीसकर घी और कपूर के साथ लगाने पर आराम मिलता है, और घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है।

Health benefits of  sesame

5. सूखी खांसी होने पर तिल को मिश्री व पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। इसके अलावा तिल के तेल को लहसुन के साथ गर्म करके, गुनगुने रूप में कान में डालने पर कान के दर्द में आराम मिलता है।
6. सर्दियों में तिल का सेवन शरीर में उर्जा का संचार करता है, और इसके तेल की मालिश से दर्द में राहत मिलती है।
7. तिल, दांतों के लिए भी फायदेमंद है। सुबह शाम ब्रश करने के बाद तिल को चबाने से दांत मजबूत होते हैं, साथ ही यह कैल्शियम की आपूर्ति भी करता है।

8. तिल का प्रयोग मानसिक दुर्बलता को कम करता है, जिससे आप तनाव, डिप्रेशन से मुक्त रहते हैं। प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में तिल का सेवन कर आप मानसिक समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
9. तिल का प्रयोग बालों के लिए वरदान साबित हो सकता है। तिल के तेल का प्रयोग या फिर प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में तिल को खाने से, बालों का असमय पकना और झड़ना बंद हो जाता है

Health benefits of  sesame

10.तिल का उपयोग चेहरे पर निखार के लिए भी किया जाता है। तिल को दूध में भिगोकर उसका पेस्ट चेहरे पर लगाने से चेहरे पर प्राकृतिक चमक आती है, और रंग भी निखरता है। इसके अलावा तिल के तेल की मालिश करने से भी त्वचा कांतिमय हे जाती है।

11.हृहय की मांसपेशि‍यों के लिए-तिल में कई तरह के लवण जैसे कैल्श‍ियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक और सेलेनियम होते हैं जो हृदय की मांसपेशि‍यों को सक्रिय रूप से काम करने में मदद करते हैं.
12.आयुर्वेद में तिल को गर्म प्रकृति का , गैस मिटाने वाला तथा दिमाग और हृदय को ताकत देने वाला बताया गया है। यह मूत्राशय और प्रजनन अंगों को स्वस्थ करता है। Til के तेल में पॉलीअनसेचुरेटेड तथा मोनोअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होते है जो हृदय के लिए लाभदायक होते है।
13.तिल के उपयोग का एक आसान तरीका यह भी है कि इसे तवे पर भून लें। इसमें थोड़ा सा नमक डालकर कूट लें। इसे सुबह शाम गरम पानी के साथ एक एक चम्मच फांक लें। इस तरह कुछ दिन लेने से शारीरिक कमजोरी , सिरदर्द , बदन दर्द आदि दूर होते है।
14.इसमें कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले फीटोस्टेरोल की मात्रा सभी मेवे , फलियां या अनाज से अधिक पाई जाती है। फीटोस्टेरोल की वजह से आंतें कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण नहीं कर पाती। तिल के छिलकों में कैल्शियम , फाइबर , पोटेशियम तथा आयरन अधिक मात्रा में होता है। अतः इसे छिलके सहित काम में लेना अधिक फायदेमन्द होता है।
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27.6.19

ईसबगोल की भूसी के फायदे Isabgol husk





आयुर्वेद के अनुसार ईसबगोल मधुर, शीतल, स्निग्ध, चिकनी, मृदु, विपाक में मधुर, कफ व पित्त नाशक, पौष्टिक कसैली, थोड़ी वातकारक, रक्तपित्त व रक्तातिसार नाशक, कब्ज दूर करने वाली, अतिसार, पेचिश में लाभप्रद, श्वास व कास में गुणकारी, मूत्र रोग में लाभकारी है.
यूनानी मतानुसार, इसकी बीज शीतल एवं शांति दायक होते हैं. जीर्ण रक्तातिसार, अंतड़ियों की पीड़ा, कब्ज, मरोड़, अतिसार, पेचिस आंतों के व्रण, दमे की बीमारी, पित्त संबंधी विकार, ठंड और कफ की बीमारियों में भी लाभदायक है.
वैज्ञानिकों के अनुसार, ईसबगोल की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने पर यह पता चलता है कि इसके बीजों में 30% म्युसिलेज होता है जो Xylose, Arabinose और Galecturonic Acid से बना होता है. इसके अलावा म्युसिलेज में एक स्थिर तेल Aucubin 5% होता है. थोड़ी मात्रा में इसमें रह रैमनोज और गैलेक्टोज भी पाए जाते हैं. बीज मज्जा में कोलेस्ट्रॉल घटाने की छमता वाला 17.7 प्रतिशत लिनोलिक एसिड बहुल तेल होता है. एक भाग बीच में इतना म्युसिलेज होता है कि वह 20 भाग के जल में थोड़ी ही देर में जेली बना लेता है.बाजार में औषधि‍ के रूप में मिलने वाले ईसबगोल का उपयोग आपने कभी किया हो या न किया हो। लेकिन इसके गुणों को जानना आपके लिए बेहद फायदे का सौदा साबित हो सकता है। यदि‍ आप सोच रहे हैं कि वह कैसे, तो जरूर पढ़ें नीचे दिए गए ईसबगोल के उपाय -


1. डाइबिटीज - 
ईसबगोल का पानी के साथ सेवन, रक्त में बढ़ी हुई शर्करा को कम करने में मदद करता है।
2.अतिसार -
 पेट दर्द, आंव, दस्त व खूनी अतिसार में भी ईसबगोल बहुत जल्दी असर करता है, और आपकी तकलीफ को कम कर देता है ।
3.पाचन तंत्र - 
यदि आपको पाचन संबंधित समस्या बनी रहती है, तो ईसबगोल आपको इस समस्या से निजात दिलाता है। प्रतिदिन भोजन के पहले गर्म दूध के साथ ईसबगोल का सेवन पाचन तंत्र को दुरूस्त करता है।
4. जोड़ों में दर्द - 
जोड़ों में दर्द होने पर ईसबगोल का सेवन राहत देता है। इसके अलावा दांत दर्द में भी यह उपयोगी है। वि‍नेगर के साथ इसे दांत पर लगाने से दर्द ठीक हो जाता है।
5.वजन कम करे -
वजन कम करने के लिए भी फाइबर युक्त ईसबगोल उपयोगी है। इसके अलावा यह हृदय को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है।
6. सर दर्द -
ईसबगोल का सेवन सि‍रदर्द के लिए भी उपयोगी है। नीलगिरी के पत्तों के साथ इसका लेप दर्द से राहत देता है, साथ ही प्याज के रस के साथ इसके उपयोग से कान का दर्द भी ठीक होता है।
7.सांस की दुर्गन्ध
ईसबगोल के प्रयोग से सांस की दुर्गन्ध से बचाता है, इसके अलावा खाने में गलती से कांच या कोई और चीज पेट में चली जाए, तो ईसबगोल सकी मदद से वह बाहर निकलने में आसानी होती है।
8.कफ - 
कफ जमा होने एवं तकलीफ होने पर ईसबगोल का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे कफ निकलने में आसानी होती है।
9. नकसीर -
नाक में से खून आने पर ईसबगोल और सिरके का सर पर लेप करना, फायदेमंद होता है।
10. बवासीर -
 खूनी बवासीर में अत्यंत लाभकारी ईसबगोल का प्रतिदिन सेवन आपकी इस समस्या को पूरी तरह से खत्म कर सकता है। पानी में भि‍गोकर इसका सेवन करना लाभदायक है।
11.आंव
एक कप गरम दूध में एक चम्मच ईसबगोल डालें, फूलने पर रात्रि में सेवन करें | सुबह एक कप दही में एक चम्मच इसबगोल डालकर अच्छी तरह फुल जाने दें | अब इसमें इच्छानुसार थोड़ा जीरा , नमक और सौंठ मिलाकर लगातार तीन दिन तक सेवन करने से आंव आने की समस्या खत्म हो जाती है |
12.मुंह के छालों में फायदे
एक गिलास पानी में एक चम्मच इसबगोल भिगोकर दो घंटे बाद कुल्ला करने से आराम महसूस होता है | इसका चिकना गुण मुंह के छालों में आराम पहुंचता है |
13.पेट में मरोड़ या एंठन –
 ताजा दही या छाछ में एक चम्मच ईसबगोल की भूसी मिलाकर सेवन करने से पेट में उठने वाली मरोड़ एवं एंठन से आराम मिलता है | यह प्रयोग दिन में तीन या चार बार तक किया जा सकता है 
14.संग्रहणी रोग में फायदे
हरा बेलपत्र और ईसबगोल दोनों को सामान मात्रा में मिलाकर पिसलें | दो चम्मच की मात्रा गुनगुने दूध में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने करें | यह प्रयोग कम से कम एक सप्ताह तक करें | काफी आराम मिलता है |
15.पेशाब में जलन – 
एक गिलास पानी में 2 चम्मच इसबगोल मिलाकर और साथ में स्वाद के अनुसार चीनी मिलाकर पिने से पेशाब में जलन की समस्या खत्म हो जाती है |
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लालमिर्च खाने के फायदे और नुकसान



लाल मिर्च लगभग हर घर की रसोई में पाया जाता है और भोजन एवं व्यंजनों में इसका प्रयोग किया जाता है। यह एक तरह से मसाले का कार्य करता है और भोजन के स्वाद को बढ़ा देता है। लाल मिर्च को पोषक तत्वों का पावर हाउस कहा जाता है। यह भोजन के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही औषधिक गुणों से भी युक्त होती है। इसमें कई तरह के केमिकल कंपाउंड मौजूद होते हैं जो शरीर के विभिन्न विकारों को दूर करने में सहायक होते हैं। लाल मिर्च कॉपर, मैग्नेशियम, आरयल, मैगनीज और पोटैशियम जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत है। साथ ही इसमें विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन k भी पाए जाते है।
रेड चिली/लाल मिर्च सोलेनेसी कुल का सदस्या है और कैप्सिकम नामक पौधे का एक फल है। माना जाता है कि लाल मिर्च मैक्सिको की उपज है इसके बाद यह भारत में आयी। लाल मिर्च में कैप्सीकिन एक सक्रिय क्षार पाया जाता है जिसके कारण यह स्वाद में तीखा होता है। यह कच्चा, सूखा और पाउडर आदि रूपों में इस्तेमाल किया जाता है। लाल मिर्च मसालेदार स्वाद वाला होता है और इसमें उच्च मात्रा में विटामिन सी और कैरोटीन पाया जाता है। इसके अलावा इसमें विटामिन ए, विटामिन बी सहित एंटीऑक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं।
लाल मिर्च लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में सहायक
शरीर में आयरन की कमी के कारण एनीमिया और थकान की समस्या होती है। लाल मिर्च में कॉपर और आयरन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जो नई रक्त कोशिकाएं बनाने में मदद करता है। लाल मिर्च में फॉलिक एसिड भी पाया जाता है जो शरीर में लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण करता है और खून की कमी को दूर करता है।
लाल मिर्च हृदय रोगों से बचाने में फायदेमंदशरीर में विभिन्न क्रियाओं के संचालन में पोटैशियम नामक खनिज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। लाल मिर्च में पोटैशियम काफी मात्रा में पाया जाता है जो इन कार्यों में सहायक होता है। फोलेट के साथ पर्याप्त पोटैशियम लेने से हृदय रोगों का खतरा कम हो जाता है। लाल मिर्च में राइबोफ्लैविन और नियासिन भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। नियासिन व्यक्ति के शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और हृदय से जुड़ी बीमारियों के खतरे को कम करता है।


लाल मिर्च फायदेमंद दर्द से राहत दिलाने में
ऑस्टियोआर्थराइटिस और डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण होने वाले दर्द को दूर करने में लाल मिर्च बहुत सहायक होता है। यह संवेदी रिसेप्टर को असंवेदनशील बनता है और एंटीइंफ्लैमेटरी गुण होने के कारण सूजन को कम करने में भी सहायता करता है। भोजन में लाल मिर्च का प्रयोग करने से एथरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) से बचाव होता है।
लाल मिर्च पाउडर के फायदे आंत की बीमारियों में
एंटीबैक्टीरियल एवं एंटी फंगल गुणों से युक्त होने के कारण लाल मिर्च का उपयोग खाद्य संरक्षक  के रूप में किया जाता है। लाल मिर्च में मौजूद कैप्सेकिन एच पाइलोरी  नामक बैक्टीरिया को नष्ट करता है और आंत में सूजन होने की समस्या से बचाता है। इसलिए आंत्र रोगों  से बचने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
लाल मिरची के फायदे स्वस्थ आंखों के लिए
एक रिसर्च में पाया गया है कि प्रतिदिन एक चम्मच लाल मिर्च का सेवन करने से आंखें स्वस्थ रहती हैं। लाल मिर्च में विटामिन ए पाया जाता है जो आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने में मदद करता है और रात में आंखों से न दिखने की समस्या को भी दूर करता है।
लाल मिर्च खाने के फायदे लंबी उम्र के लिए
विभिन्न अध्ययनों में यह पाया गया है कि 30 साल की उम्र के बाद प्रतिदिन कम से कम 5 से 6 बार भोजन में लाल मिर्च का प्रयोग करने से व्यक्ति की आयु लंबी होती है। जो लोग प्रतिदिन लाल मिर्च का सेवन नहीं करते हैं उनकी अपेक्षा प्रतिदिन लाल मिर्च का सेवन करने वाले लोगों में मृत्युदर कम पायी जाती है क्योंकि यह खून में आईजीएफ-1 नामक एंटी एजिंग हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है।


लाल मिर्च के गुण कैंसर से बचाने
एक अध्ययन में पाया गया है कि लाल मिर्च ल्यूकेमिया  और कैंसर की कोशिकाओं को खत्म करने में मदद करता है। हल्दी की तरह करी बनाते समय इसमें लाल मिर्च का प्रयोग करने से यह ट्यूमर एवं कैंसर को बढ़ने से रोकता है। इसके अलावा यह स्तन कैंसर  को भी बढ़ने से रोकने में मदद करता है।
 वजन घटाने में फायदेमंद
मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। नियमित रूप से भोजन में लाल मिर्च या लाल मिर्च पावडर का प्रयोग करने से अधिक भोजन करने की इच्छा घटती है और मेटाबोलिज्म बढ़ता है। लाल मिर्च का सेवन करने के बाद शरीर में गर्मी आती है जिससे एनर्जी बढ़ती है  और अतिरिक्त कैलोरी घटती है। इसलिए शरीर का वजन घटाने के लिए लाल मिर्च बहुत फायदेमंद है।


लाल मिर्च खाने के नुकसान
रेड चिली/लाल मिर्च में कैप्सैकिन होता है जो अधिक मसालेदार प्रकृति का होता है।
लाल मिर्च का सेवन करने से मुंह, जीभ और गले में जलन की समस्या हो सकती है।
लाल मिर्च में पाया जाने वाला कैप्सैकिन मुख गुहा(oral cavity), गले और पेट के संपर्क में आने से सूजन और जलन पैदा कर सकता है।
यदि हाथ में लाल मिर्च लगा हो तो उस हाथ से आंखों को नहीं छूना चाहिए अन्यथा आंखों में जलन  हो सकती है और आंखें लाल हो सकती हैं।
लाल मिर्च में एफ्लैटोक्सिन नामक रसायन यौगिक पाया जाता है जिसके कारण पेट, लिवर और कोलन कैंसर की समस्या हो सकती है।



19.6.19

बहुत काम के हैं संतरे के छिलके

                       
हम सभी संतरा खाने के बाद उसके छिलके को कूड़ेदान में फेंक देते हैं. हमें ये लगता है कि संतरे के छिलका के क्या फायदे हो सकते हैं, पर आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि संतरे का छिलका न केवल स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है बल्क‍ि खूबसूरती निखारने में भी ये बहुत कारगर है.
संतरे के छिलके में भी पोटैशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे तत्व मौजूद होते हैं, जिनके इस्तेमाल से आप कई तरह की स्किन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के साथ ही पा सकते हैं ग्लोइंग स्किन। संतरे में मौजूद विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स सिर्फ सेहत के लिए ही नहीं बल्कि खूबसूरती को निखारने और उसे बरकरार रखने के लिए भी बहुत ही फायदेमंद होता है।


ये चेहरे पर निखार लाने का काम करता है
संतरे के छिलके के पाउडर को शहद के साथ मिलाकर लगाने से टैनिंग दूर हो जाती है और चेहरे पर निखार आता है.
ऑयली स्किन

ऑयली स्किन सिर्फ देखने में ही खराब नहीं लगती बल्कि चेहरे पर होने वाली कई सारी दूसरी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार होती है। इसे दूर करने का बहुत ही अच्छा उपाय है संतरा। इसका एस्ट्रिंजेंट तत्व स्किन से एक्स्ट्रा ऑयल आसानी से एब्ज़ॉर्ब कर लेता है।

इस्तेमाल का तरीका

इसके लिए 1 बड़े चम्मच संतरे के छिलके के पाउडर को दूध/दही या गुलाबजल में मिलाकर अच्छे से पेस्ट बना लें। अब इसे चेहरे पर लगा लें। हल्का सूखने के बाद गुनगुने पानी से धो लें। हफ्ते में दो बार के इस्तेमाल से ही आपको फर्क नज़र आने लगेगा।

सूक्ष्म रंध्रों को खोलने में मददगार
संतरे के छिलके के पाउडर में कुछ मत्रा दही की मिलाकर इसे चेहरे पर लगाने से सूक्ष्म रंध्र खुल जाते हैं और साथ ही ब्लैक हेड्स भी साफ हो जाते हैं.



डल स्किन

धूप, पॉल्यूशन और बढ़ती उम्र कई सारी वजहों से स्किन अपनी चमक खोने लगती है। तो इसे बरकरार रखने के लिए संतरा खाने के साथ-साथ इसे लगाएं भी।

इस्तेमाल का तरीका

1 बड़े चम्मच संतरे के छिलके को 2 बड़े चम्मच शहद में मिलाकर इसका पेस्ट बनाएं। चेहरे के साथ-साथ गर्दन पर भी लगाएं। सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें। ग्लोइंग और हाइड्रेटेड स्किन के लिए ये फेस पैक है बेस्ट।
बालों के लिए भी फायदेमंद
संतरे का छिलका न केवल त्वचा के लिए फायदेमंद है बल्क‍ि बालों के लिए भी किसी औषधि से कम नहीं है. ये रूसी दूर करने में बहुत ही कारगर है. साथ ही अगर आपके बाल बहुत अधिक गिर रहे हैं और अपनी चमक खो चुके हैं तो भी संतरे का छिलका इस्तेमाल किया जा सकता है.
दाग-धब्बों के लिए

चेहरे पर किसी भी तरह के दाग-धब्बों को दूर करने में भी संतरे का छिलका बहुत ही कारगर है।

इस्तेमाल का तरीका

1 बड़े चम्मच संतरे के छिलके का पाउडर लेकर उसमें बेसन और नींबू का रस मिलाएं। इसे चेहरे पर अच्छी तरह लगाएं और 10 मिनट ठंडे पानी से धो लें। हफ्ते में दो बार इसका इस्तेमाल काफी होगा।
कील मुंहासों की रोकथाम के लिए
संतरे के छिलके का पाउडर त्वचा पर मौजूद सारी गंदगी को साफ कर देता है. इस पाउडर में थोड़ी सी मात्रा गुलाब जल की मिलाकर लगाने से कील-मुंहासों की समस्या में फायदा होता है.
ऐसे बनाएं छिलके से पाउडर

संतरे के छिलकों को धोकर धूप में सूखा लें। पूरी तरह मॉइश्चर खत्म हो जाने के बाद इसे ब्लेंडर में अच्छी तरह पीस लें। फिर किसी एयर टाइट डिब्बे में स्टोर कर लें। सेंसिटिव स्किन है तो इससे बनने वाले किसी भी तरह के पेस्ट को अवॉयड करें।
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सर्दी,जुकाम,खांसी के असरदार उपचार / cold and cough





सर्दी जुकाम और खांसी cold and cough बरसात और ठंड के मौसम में सामान्‍य समस्‍या होती है। लेकिन सर्दी जुकाम आपको बहुत ही परेशानी में डाल सकता है। सामान्‍य सर्दी की वजह से जब आपको खांसी या बुखार होता है और आप घर पर ही बिस्‍तर पर आराम  करते हैं तो यह आपके लिए सुखद अनुभव नहीं होता है। इस स्थिति में सिर दर्द, बदन दर्द, बुखार, सर्दी, नाक का बहना आदि असुविधाजनक घटनाएं आपके साथ घटित होती हैं। आप इनका इलाज भी करा सकते हैं, लेकिन आपके लिए अच्‍छी बात यह है कि इस सामान्‍य समस्‍या का उपचार आप अपने घर पर ही कुछ घरेलू उपायों के माध्‍यम से कर सकते हैं। आइए जाने सर्दी-खांसी-जुकाम के घरेलू इलाज के बारे में।

सर्दी जुकाम cold and cough का आयुर्वेदिक उपचार है लहसुन

एलिसिन नामक यौगिक की अच्‍छी मात्रा लहसुन में पाई जाती है जिसमें एंटीमाइक्रोबायल गुण होते हैं। आप अपने आहार में लहसून का उपयोग करके सर्दी के लक्षणों को दूर कर सकते हैं। कुछ अध्‍ययन बताते हैं कि यदि लहसुन का नियमित रूप से सेवन किया जाता है तो यह सर्दी जुकाम के प्रारंभिक या शुरुआती दौर में ही इसे रोकने में मदद करते हैं। लहसुन प्रकृति में गर्म होता है जो कि आपके शरीर को पर्याप्‍त गर्मी और पोषक तत्‍व उपलब्‍ध कराने में मदद करता है। इस तरह से आप सर्दी और जुकाम आदि के लक्षणों से बचने के लिए लहसुन का उपयोग कर सकते हैं। लहसुन को सर्दी जुकाम की आयुर्वेदिक दवा के रूप भी जाना जाता है।

सर्दी जुकाम cold and cough  की घरेलू दवा दूध और हल्‍दी

रसोई घर में उपलब्‍ध सबसे सामान्‍य मसाला हल्‍दी जिसका उपयोग हम अपने भोजन को स्‍वादिष्‍ट बनाने के लिए करते हैं। हल्‍दी में एंटीऑक्‍सीडेंट बहुत अच्‍छी मात्रा में होते हैं जो कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को हल करने में हमारी मदद करते हैं। यदि सर्दी जुकाम से जल्‍दी राहत पाना है तो आपको हल्‍दी और दूध का इस्‍तेमाल करना चाहिए। दूध और हल्‍दी सर्दी जुकाम का सबसे प्रभावी और उपयोगी घरेलू उपचारों में से एक है। आप रात में सोने से पहले 1 गिलास गुनगुने दूध में 1 छोटा चम्‍मच हल्‍दी मिलाकर सेवन करें। यह सर्दी जुकाम से राहत पाने का सबसे अच्‍छा तरीका हो सकता है।

खांसी जुकाम cold and cough के घरेलू नुस्खे में करें नमक और पानी से गरारे

पानी में नमक मिलाकर गरारे करने से आपको गले की खरास से राहत मिल सकती है। नमक वाला पानी सर्दी के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। पानी के साथ नमक का उपयोग करने से यह कफ की मात्रा को कम कर सकता है जिसमें बैक्‍टीरिया होते हैं। इस उपाय को अजमाने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्‍मच नमक डालें और फिर इस पानी से गरारे  करें। यह सर्दी के कारण होने वाले आपके गले के दर्द, और खरास आदि का प्रभावी तरीके से इलाज कर सकता है।

पुराने जुकाम का इलाज है हनी और ब्रांडी

आपने बुर्जुगों से सुना होगा कि ब्रांडी का उपयोग सीने को गर्म रखने के लिए उपयोग किया जाता है। ब्रांडी का उपयोग करने से शरीर के तापमान को बढ़ाया जाता है। यदि ब्रांडी में शहद को मिलाकर सेवन किया जाए तो यह सर्दी के दौरान होने वाली खांसी को कम करने में मदद करती है। इसके लिए आपको ब्रांडी की एक बोलत पीने की आवश्‍यकता नहीं है। आप केवल 1 चम्‍मच ब्रांडी में कुछ बूंदे शहद की मिला सकते हैं और इसका सेवन कर सकते हैं। यह आपको सर्दी और खांसी दोनों से राहत दिलाने में मदद करती है।

सर्दी जुकाम cold and cough का आयुर्वेदिक उपचार है मसालेदार चाय

आप सर्दी जुकाम के दौरान अपनी सामान्‍य चाय को और अधिक स्‍वादिष्‍ट और प्रभावी बनाने के लिए इसे मसालेदार बना सकते हैं। इस प्रकार की चाय आपकी सर्दी को मिटाने में बहुत ही प्रभावी होती है। आप अपनी चाय बनाते समय इसमें तुलसी, अदरक और काली मिर्चको मिला सकते हैं जो आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। ये तीनों मसाले  आपकी सामन्‍य सर्दी और जुकाम को दूर करने वाले औषधीय गुणों से भरपूर होती है।
जुकाम के घरेलू उपचार के लिए पीये गर्म पानी

सामान्‍य शीत और गले की खरास के लिए आप गुनगुने पानी का उपयोग कर सकते हैं। गर्म पानी का उपयोग करने से गले की सूजन को कम करने में मदद मिलती है। इसका एक और फायदा यह है कि गर्म पानी पीने से या गरारे करने से आपके गले और मुंह में मौजूद बैक्‍टीरिया की सफाई की जा सकती है। इसलिए सर्दी के दौरान हमेशा गुनगुना पानी  पीने की सलाह दी जाती है।

सर्दी जुकाम cold and cough  बुखार का घरेलू उपचार विटामिन सी

आपके शरीर के अच्‍छे विकास के लिए विटामिन सी बहुत ही महत्‍वपूर्ण होता है, इसके बहुत से स्‍वास्‍थ्‍य लाभ जिनमें सर्दी जुकाम भी शामिल हैं। संतरा, नींबू, अंगूर, पत्‍तेदार सब्जियां और अन्‍य फलों से विटामिन सी (vitamin C) की अच्‍छी मात्रा प्राप्‍त की जा सकती है। गर्म चाय में नींबू का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से यह सर्दी के दौरान कफ को कम करने में मदद करता है। हालांकि इस तरह के विटामिन सी से भरपूर फलों का सेवन करने पर यह पूरी तरह से सर्दी को ठीक नहीं करता है लेकिन वे आपको पर्याप्‍त विटामिन सी उपलब्‍ध करा सकते हैं जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं। विटामिन सी का उपयोग कर सर्दी से संबंधित संक्रमणों से भी बच सकते हैं।

सर्दी जुकाम cold and cough के घरेलू नुस्खे में करें चिकिन सूप का सेवन

यदि आप समझ रहे है कि चिकिन सूप का उपयोग हमेशा ही किसी दवा के रूप में उपयोग किया जा सकता है तो यह गलत है। लेकिन यदि आप सामान्‍य सर्दी या जुकाम से पीड़ित हैं तो यह आपके लिए अच्‍छा विकल्‍प हो सकता है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि सब्जियों के साथ चिकिन सूप का सेवन करने से आपके शरीर को गर्मी प्रदान करता है और यह आपके शरीर में न्‍यूट्रोफिल की गति को धीमा कर सकता है जिससे यह प्रभावित क्षेत्र में अधिक समय तक ठहरता है और आपकी उपचार प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद करता है।
न्‍युट्रोफिल सफेद रक्‍त कोशिकाओं का एक प्रकार है जो आपके शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करता है। अध्‍ययनों में पाया गया कि चिकिन सूप विशेष रूप से ऊपरी श्‍वसन संक्रमण के लक्षणों को कम करने में प्रभावी होता है। कम सोडियम सूप भी पोषण दिलाने में मदद करते हैं और आपको हाइड्रेट रखने में सहायक होते हैं।

गर्मी के जुकाम का इलाज है आंवला –

एक बहुत ही शक्तिशाली इम्यूनो मॉड्यूलेटर होने के कारण आंवला कई बीमारियों से हमारे शरीर की रक्षा करता है। नियमित रूप से आंवला का सेवन करने से बहुत से स्‍वास्‍थ्‍य लाभ प्राप्‍त हो सकते हैं। सामान्‍य मौसम में बदलाव या गर्मी के जुकाम को ठीक करने का सबसे अच्‍छा उपाय आंवला के रूप में मौजूद है। आवंला का सेवन करने से यह यकृत की उचित कार्यप्रणाली सुनिश्चित करता है और रक्‍त परिसंचरण में सुधार करता है। इसलिए आप गर्मी के जुकाम का उपचार करने के लिए आंवले का फायदेमंद उपयोग कर सकते हैं।

सर्दी का घरेलू इलाज है अदरक और नमक :cold and cough

आप सोच रहे होगें कि एक अदरक कितने प्रकार से सर्दी का उपचार कर सकता है। लेकिन यह ऐसी जड़ी बूटी  है कि यह कई प्रकार से हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होती है। आप यदि अदरक की चाय  का सेवन नहीं करना चाहते हैं तो आप अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें और इसमें अपने स्‍वादानुसार नमक मिलाएं। गले की खरास, सर्दी और खांसी से बचने के लिए आप अदरक के इन टुकड़ों को मुंह में लें और चबाएं। यह आपके गले को राहत देगा और आपकी सर्दी का उपचार भी करेगा।

पुराने जुकाम का इलाज है अदरक की चाय:cold and cough

यह आयुर्वेद की सबसे ज्‍यादा शक्तिशाली जड़ी बूटीयों में से एक है। इसमें एंटीवायरल  गुण अच्‍छी मात्रा में होते हैं जो पर्याप्‍त मात्रा में सेवन करने पर सर्दी के लक्षणों को कम करने में सहायक होते हैं। इसके लिए आप अदरक को कच्‍चा ही खा सकते हैं लेकिन अदरक की चाय ज्‍यादा सुविधाजनक और फायदेमंद होती है। इसके लिए आप अदरक का पेस्‍ट बनाकर इसका रस निकालकर इसमें नींबू का रस और शहद  को मिलाकर चाय तैयार करें। यह आपकी सर्दी को रोकने में आपकी मदद करती है।

सर्दी जुकाम की घरेलू दवा है शहद:cold and cough

कच्‍चा शहद (Unpasteurized) में एंटीमाइक्रोबायल और एंटीऑक्‍सीडेंट गुण अच्‍छी मात्रा में मौजूद रहते हैं। शहद के ये गुण प्रतिरक्षा को बढाते हैं और खांसी के प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। कच्‍चे शहद का उपयोग विशेष रूप से 6 वर्ष की आयु से छोटे बच्‍चों के लिए बहुत ही प्रभावी होता है। लेकिन कुछ जानकार सलाह देते हैं कि 1 वर्ष से कम आयु वाले बच्‍चों को शहद (Honey) का सेवन नहीं कराया जाना चाहिए। यदि आप सर्दी जुकाम के दौरान शहद का उपयोग करते हैं और इससे आपको आराम नहीं मिलता है तो आपको डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए। लेकिन आयुर्वेद में ऐसा माना जाता है कि यदि नियमित रूप से शहद का सेवन किया जाए तो यह सर्दी, खांसी जैसी सामान्‍य समस्‍याओं से छुटकारा दिला सकता है।

सर्दी जुकाम की घरेलू दवा अलसी के बीज :cold and cough

सामान्‍य सर्दी और खांसी को ठीक करने के लिए अलसी के बीज (Flax seeds) एक प्रभावी उपाय हैं। इसके लिए आप थोड़े से अलसी के बीजों को पानी में उबालें जब तक की मिश्रण गाढ़ा ना हो जाये। जब अच्‍छी तरह से अलसी बीज उबल जाएं तो आप इसे ठंडा करके इसमें नींबू का रस और शहद की कुछ बूंदे मिलाएं। इस मिश्रण को अच्‍छी तरह से मिलाने के बाद आप इसका सेवन कर सकते हैं। यह आपको सर्दी जुकाम से राहत दिलाने का सबसे अच्‍छा घरेलू उपाय है।

भाप का प्रयोग

आप सर्दी के कारण अपनी बंद नाक को साफ करने के लिए अपने चेहरे को एक गर्म पानी से भरे बर्तन के ऊपर ले जाएं और इससे निकलने वाली भाप से धीरे-धीरे सांस लें इससे आपकी बंद नाक साफ होगी और आपको सर्दी से राहत भी मिल सकती है।