2.9.17

पेशाब मे जलन हो या खून आता हो तो करें ये उपाय




   पेशाब में जलन हो या खून गिर रहा हो तो उसे अनदेखा बिलकुल न करे , सही से इलाज कराये|क्योंकि अगर ऐसी परेशानी का समाधान सही समय पर नही होता तो ये विकराल रूप ले लेते हैं| पेशाब से खून आने के बहुत से कारण हो सकते हैं जो मै निचे आपको बताने जा रहा हु|इसमें बहुत सी परेशानी होती है जैसे पेशाब लाल होना, यूरिन में ब्लड आना, पस आना, पेशाब पीला होना
पेशाब में खून आने का कारण –
यूरिनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन (यूटीआई) महिलाओं में होने वाली बेहद आम समस्या होती है|मूत्र मार्ग में संक्रमण होने के कारण महिलाओं को काफी समस्या होती है, और जलन के साथ-साथ कई बार पेशाब के साथ खून भी आने लगता है|
 अगर किसी इंसान को गुर्दे में पथरी की समस्या हो तो भी कई बार पेशाब में खून आ सकता है|ऐसा इसलिये क्‍योंकि पथरी की वजह से पेशाब की प्राकृतिक प्रक्रिया में रूकावट पैदा हो जाती है|इसका उपचार हो सकता है, इसलिए समय रहते डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करें|इसके अलावा गुर्दे या पित्‍ताशय में ट्यूमर होने पर भी पेशाब में खून आने लगता है|ऐसे में डॉक्‍टरों द्वारा सर्जरी की मदद से इलाज किया जाता है|
पेशाब या मल में खून आने का ग्‍लोमेरूलोनेफ‍रिटिस या ग्‍लोमेरूलर नेफीरिटिस सबसे आम कारण होता है|बढ़ते बच्‍चों और छोटे बच्‍चों में यह समस्‍या सबसे ज्‍यादा देखने को मिलती है|लेकिन कई बार बड़े लोग को भी इस समस्‍या का सामना करना पड़ता है|
     महिलाओं में सिस्‍ट का बढ़ जाना आम बात है|ये समस्या काफी पीड़ादायक होती है और इसके कारण पेशाब में खून भी आने लगता है|आमतौर पर सिस्‍ट, गुर्दे में बढ़ता है जिसके कारण पेशाब करने में दर्द औश्र जलन की समस्या होती है| एक समय के बाद खून भी आना शुरू हो जाता है|

पेशाब में खून आने का घरेलू उपचार –
    *रात को सोते समय एक गिलास पानी में मुनक्का भिगो दें|सुबह मुनक्का उसी पानी के साथ पीस लें|इसे छानकर इसमें थोड़ा भुना पिसा जीरा मिलाकर पी ले|इससे पेशाब की जलन मिट जाती है और पेशाब खुलकर आता है साथ ही खून का आना भी बंद हो जाता है
*एक गिलास पानी में दो चम्मच धनिया और एक चम्मच पिसा हुआ आंवला रात को भिगो दें|सुबह उसी पानी में मसल कर छानकर पी लें|ऐसा ही पानी शाम को भी पिएँ| इस पानी को सुबह शाम पीने से पेशाब में जलन मिट जाती है साथ ही खून गिरने में भी राहत मिलती है|
*आधे ग्लास पानी में आधा गिलास लौकी का रस,चार चम्मच पिसी मिश्री और एक ग्राम कलमी शोरा मिलाकर पीने से पेशाब की रूकावट दूर होकर पेशाब आना शुरू हो जाता है|एक खुराक काफी होती है|अगर असर नहीं हो तो एक घंटे बाद एक खुराक और लेनी चाहिए|पेशाब में खून से भी राहत मिल सकता है|
*एक कटोरी गेंहू रात को एक गिलास पानी में भिगो दें|सुबह इसी पानी के साथ इसे बारीक पीस ले|इसमें एक चम्मच मिश्री मिलाकर पी लें|इसे एक सप्ताह तक लगातार पीने से पेशाब के साथ वीर्य जाना बंद होता है|खून आना भी बंद हो सकता है|
*दो चम्मच आंवले का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर कुछ दिन लगातार पीने से पेशाब के साथ वीर्य या धातू जाना बंद होता है|अगर पेशाब में खून की समस्या हो तो आराम मिल सकता है|
विशिष्ट परामर्श-


पथरी के भयंकर दर्द को तुरंत समाप्त करने मे यह हर्बल औषधि सर्वाधिक कारगर साबित होती है,जो पथरी- पीड़ा बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज से भी बमुश्किल काबू मे आती है इस औषधि की 2-3 खुराक से आराम लग जाता है| वैध्य श्री दामोदर 
9826795656 की जड़ी बूटी - निर्मित दवा से 30 एम एम तक के आकार की बड़ी पथरी भी  नष्ट हो जाती है|
गुर्दे की सूजन ,पेशाब मे जलन ,मूत्रकष्ट मे यह औषधि रामबाण की तरह असरदार है| आपरेशन की जरूरत ही नहीं पड़ती | पथरी न गले तो औषधि मनीबेक गारंटी युक्त है|

27.8.17

घुटनों के दर्द के लिए चमत्कारी उपाय :Ghutano ka dard




दर्द निवारक हल्दी का पेस्ट - 

किसी चोट का दर्द हो या घुटने का दर्द आप इस दर्द निवारक हल्दी के पेस्ट को बनाकर अपनी चोट के स्थान पर या घुटनों के दर्द के स्थान पर लगाइए इससे बहुत जल्दी आराम मिलता है. दर्द निवारक हल्दी का पेस्ट कैसे बनाएं इसके लिए आप सबसे पहले एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर लें और एक चम्मच पिसी हुई चीनी  या शहद मिला लें, और एक चुटकी चूना मिला दें और थोड़ा सा पानी डाल कर इसका पेस्ट जैसा बना लें। इस लेप को बनाने के बाद अपने चम्मच के स्थान पर या जो घुटना दर्द करता है उस स्थान पर  लगा ले और ऊपर से  बैंडेज या कोई पुराना सूती कपड़ा बांध दें | इसको रातभर लगा रहने दें , सुबह सादा पानी से इसको  ले इस तरह से लगभग 1 सप्तासे लेकर 2 सप्ताह तक इसको लगाने से आपके घुटने की सूजन मांसपेशियों में खिंचाव अंदरुनी होने वाले दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलता है |

दर्द से  दिलाये सौंठ का लेप - 

   सौंठ भी एक बहुत अच्छा दर्द निवारक दवा के रूप में फायदेमंद साबित हो सकता है, सौंठ से दर्द निवारक दवा बनाने के लिए  आप एक छोटा चम्मच सौंठ का पाउडर व थोड़ा तिल का तेल लें  इन दोनों को मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट जैसा बना ले। दर्द या मोच के स्थान पर या चोट के दर्द में आप इस दर्द निवारक सौंठ के पेस्ट को हल्के हल्के प्रभावित स्थान पर लगाएं और इसको दो से 3 घंटे तक लगा रहने दें इसके बाद इसे पानी से धो लें ऐसा करने से 1 सप्ताह में आपको घुटने के दर्द में पूरा आराम मिल जाता है और अगर मांसपेशियों में भी खिंचाव महसूस होता है तो वह भी जाता रहता है।

खजूर से घुटने में दर्द का इलाज -

 सर्दियों के मौसम में रोजाना 5-6 खजूर खाना बहुत ही लाभदायक होता है, खजूर का सेवन आप इस तरह भी कर सकते हैं रात के समय 6-7 खजूर पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इन खजूर को खा ले और साथ ही वह पानी भी पी ले जिनको जिसमें आपने रात में खजूर भिगोए थे. यह घुटनों के दर्द के अलावा आपके जोड़ों के दर्द में भी आराम दिलाता है।
  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  • एसिडिटी के घरेलू उपचार
  • नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  • सांस फूलने के उपचार
  • कत्था के चिकित्सा लाभ
  • गांठ गलाने के उपचार
  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  • कान बहने की समस्या के उपचार
  • पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  • पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  • डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  • हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  • चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  • ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  • व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  • घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  • चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  • अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  • वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  • शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  • वजन कम करने के उपचार
  • केले के स्वास्थ्य लाभ
  •            




    26.8.17

    आंकड़े से करें बवासीर का अचूक उपचार


       

    आक के वैसे तो सैंकड़ो प्रयोग आयुर्वेद शास्त्र में मिलते हैं, आक को आयुर्वेद का जीवन भी कहा जाता है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे महान प्रयोग के बारे में बताने जा रहें हैं जिस से कैसी भी बवासीर की समस्या हो वो 

        50 ग्राम आक के कोमल पत्रों के समभाग पांचों नमक लेकर (1. सौंचर या सौवर्चल नमक (कालानमक), 2. सैंधानमक, 3. बीड़ नमक, 4. समुद्री नमक तथा 5. सांभर नमक). अर्थात 10 – 10 ग्राम ये सभी पांच नमक. ये सभी नमक आपको थोड़ी मेहनत से किसी पंसारी के पास से मिल जायेंगे.अभी कितने आक के पत्ते लिए हैं उनके बराबर नमक ले लीजिये और उसमें सबके वजन के बराबर से चौथाई वजन तिल का तैल और इतना ही नींबू रस मिला कर एक मिटटी के बर्तन में डाल लीजिये अभी इस बर्तन के मुख कपड़ मिट्टी (अर्थात उस बर्तन को ढक्कन लगा कर इस के मुंह को सूती कपडे से अच्छे से लपेट कर उस पर गीली मिटटी से अच्छे से पैक कर दीजिये तांकि उसमे किसी प्रकार की कोई लीकेज ना रहे) अभी इसको गोबर के कन्डो की आग पर एक घंटे तक चढ़ा दें,
      ध्यान रहे के आग ज्यादा तेज़ ना हो, और धीरे धीरे कंडे लगाते रहें, अधिक तेज़ आग करने से मिटटी का बर्तन टूट सकता है। एक घंटे के बाद बर्तन को नीचे उतार लीजिये, अभी इसके अन्दर आक के पत्ते जल चुके होंगे तो सब चीजों को निकाल के पीस कर रख लें, 500 मिलीग्राम से 3 ग्राम तक आवश्यकता और आयु के अनुसार गर्म जल, काँजी, छाछ के साथ सेवन कराने से बादी बवासीर नष्ट होता है।
    आक के बवासीर के लिए प्रयोग.
     


    1. हल्दी चूर्ण को आक के दूध में भिगोकर सुखा लें, ऐसे सात बार करें. फिर आक के दूध द्वारा ही उसकी बेर जितनी गोलियाँ बना छाया में शुष्क कर रखें। प्रातः सायं शौच कर्म के बाद थूक में या जल में घिसकर मस्सो पर लेप करने से कुछ ही दिनों में वह सूखकर गिर जाते है।

    2.  तीन बूंद आक के दूध को राई पर डालकर उसपर थोड़ा कूटा हुआ जवाखार बुरक कर बताशे में रखकर निगलने से बवासीर बहुत जल्दी नष्ट हो जाती है।
    3.  शौच जाने के बाद आक के दो चार ताजे पत्ते तोड़ कर गुदा पर इस प्रकार रगड़े कि मस्सो पर दूध ना लगे केवल सफेदी ही लगे। इससे मस्सों में लाभ होता है।



    स्टेमिना बढ़ाने के प्राकृतिक तरीके


       आज की इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में हमे सबसे ज्यादा जरूरत होती है। एनर्जी, पावर और स्टैमिना की अगर हमारे अंदर स्टेमिना की कमी है तो हम अपना कोई भी काम अच्छे से नही कर सकते स्टेमिना बढाने के लिए डाइट के साथ साथ कुछ बातों का ख्याल भी रखना पड़ता है जैसे कि शरीर में सोडियम की कमी न हो, क्योंकि इससे स्टेमिना गिरने लगता है। आप भले ही व्यायाम करे लेकिन अपनी सीमा में रहकर। क्योंकि जब आप हिम्मत से ज्यादा व्यायाम करते हैं तब आपकी मांसपेशियों को नुकसान होता है।
    स्टेमिना को बढाने के प्राकृतिक उपाय अगर आप अपनी स्टेमिना को बढ़ाना चाहते हैं तब आपको आधारभूत चिकित्सा परीक्षण करना शुरु कर देना चाहिए। इससे आपको यह पता चलता है कि आप कितने फिट हो साथ ही आप अपनी बीमारी, चोट, थकान को अपने से कितने दूर रखते हो। व्यायाम को आयुर्वेद में स्टेमिना का सबसे अच्छा साधन माना जाता है। क्योकि जब भी हम व्यायाम करते है तो हमारी ऊर्जा प्रयोग में आती है। जिससे हमारी सारी थकान दूर होती है अगर आप व्यायाम नही करते तो आपको जल्द ही शुरू करना चाहते हो तो आप को इसे धीरे धीरे शुरू करना चाहिए। आप को इसके छोटे छोटे स्टेप लेने चाहिए। जिससे आप को अधिक परेशानी का सामना न करना पड़े जब हम प्रतिदिन व्यायाम करते है तो हमारा स्टेमिना बढने लगता है और हम अपना काम अच्छे से करने लगते हैं।

    संतुलित आहार-

    स्टेमिना को बढाने के आयुर्वैदिक तरीके में संतुलित आहार का सेवन अति आवश्यक है। इसमें आपको अधिक मात्रा में फल, सब्जिया, बिना चर्बी का मांस और कम वसा वाले उत्पादकों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए। इस प्रकार का सेवन करने से आप स्वास्थ्य रहते हैं। इसके सेवन से आप शारीरक के साथ साथ मानसिक तौर पर भी सहनशील प्राप्त होती है।

    खेल खेले में बढायें स्टेमिना -

    स्टेमिना को बढने का सबसे अच्छा तरीका होता है खेल । खेल खेलना जब भी आप किसी प्रकार का खेल खेलते हैं तो उससे आप का स्टेमिना बढने लगता है और साथ ही इससे आप का अच्छा व्यायाम भी हो जाता है। अगर आप फूटबाल, बास्केटबाल या फिर कोई अन्य दौड़ने वाली खेले खेलते हो तो आप का दिल मजबूत होता है और आप के शरीर में अधिक ऑक्सीजन पंहुचती है।

    बीमारियों से बचे-
    स्टेमिना को बढ़ाने के लिए हमे बीमारियों से बचना चाहिए। क्योंकि जितना हम बीमार होते हैं उतना ही हमारा स्टेमिना कमज़ोर होता है। हमें छोटी छोटी बीमारियों से बचकर रहना चाहिए जैसे कि खांसी, जुकाम, बुखार, सिरदर्द आदि। इसके लिए आप को अपने आप को साफ़ रखना होता है। आप जितना साफ़ रहते हो बीमारी उतनी ही आप से दूर रहती है।

    भोजन का प्रयोग-

    भोजन खाने से हमारे शरीर में शक्ति पैदा होती है और इसके साथ साथ हमे भोजन से ऊर्जा प्राप्त होती है। इसलिए हमे थोडा थोडा भोजन बार बार खाना चाहिए। क्योकि इससे हमारे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है

    पानी का सेवन-

    अपने आप को फिट रखने के लिए हमे पानी की मात्रा सुनिश्चित कर लेनी चाहिए। अपनी थकान को कम करने के लिए भी पानी पीना चाहिए। अगर हम पानी की मात्रा को कम रखते हैं तो हमारे शरीर का रक्त जमने लगता है। जिससे वो सही ढंग से रक्त संचार नही कर सकता और हमारी मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी आ जाती है।इसके साथ हमे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 
       पानी को अधिक मात्रा में पीये तो हमारा खून पतला पड़ जाता है। जिससे वो आसानी से हमारे शरीर के विभिन्न अंगो तक आसानी से पंहुच जाता है।
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    24.8.17

    यूरिक एसिड को खत्म करने का रामबाण उपाय

        



    यूरिक एसिड की समस्या आज सबसे तेजी से बढ़ती हुई स्वास्थय समस्याओं में से एक है,  जानकार लोग बताते हैं कि यह मुख्य तौर पर अनुचित खानपान के कारण होने वाला रोग है जो कही ना कही शरीर की रोग प्रतिरोधी शक्ति से भी जुड़ा हुआ है । हम आपको एक  विशेष चूर्ण के बारे में बता रहे हैं जो यूरिक एसिड को बहुत प्रभावी 
    रूप से नियंत्रित करने में बहुत लाभकारी होता है । 

    जरूरी सामग्री :-

    1. गिलोय का चूर्ण :- 200 ग्राम
    2. मेथी दाना चूर्ण :- 100 ग्राम
    3.  अजवायन चूर्ण :- 100 ग्राम
    4.  अर्जुन छाल चूर्ण :- 100 ग्राम
    5.  चोबचीनी चूर्ण :- 100 ग्राम
          गिलोय का चूर्ण आपको गिलोय की बेल को सुखाकर पीसकर मिल जायेगा, बाकी चार सामग्री  आपको अपने आस पास किसी जड़ीबूटी वाले अथवा पँसारी की दुकान पर आसानी से मिल जायेंगे ।

    बनाने की विधि :-
    इन सभी सामानों को एक साथ लेकर हल्का दरदरा कूटकर मिक्सी में डालकर महीन चूर्ण तैयार कर लें और किसी काँच की साफ एयरटाईट शीशी में भरकर रख लें । आपका चूर्ण तैयार है ।

    सेवन विधि  :-

    इस चूर्ण को 3-3 ग्राम की मात्रा में रोज सुबह और शाम लेना है । इस चूर्ण का सेवन गुनगुने जल के साथ करना अधिका उचित है । इसके सेवन काल में उचित परहेज का जरूर पालन करें । इस चूर्ण को लागातार 100 दिन तक सेवन करने से पुराने से पुराने यूरिक एसिड के रोगी को भी बहुत अच्छा लाभ मिलते हुये देखा गया है ।
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    विशिष्ट परामर्श-  

    संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| हर्बल औषधि होने के बावजूद यह तुरंत असर चिकित्सा है| सैकड़ों वात रोग पीड़ित व्यक्ति इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं|औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं| 





    गले और छाती मे जमे कफ, बलगम का तुरंत असर उपचार


       

    क्या आपको गले और छाती में कुछ जमा हुआ सा महसूस हो रहा है? सांस लेने में तकलीफ और लगातार छीकें आ रही हैं? ये सारे लक्षण बलगम जमा होने के होते हैं। साथी ही, नाक बहना और बुखार आना भी इस समस्या के प्रमुख लक्षण हैं। बलगम हालांकि खतरनाक नहीं होता लेकिन अगर ये लंबे वक्त तक जना रहे तो इससे आपको श्वास संबंधी अन्य समस्याएं हो सकती हैं। बलगम जमने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं, जैसे कि सर्दी-जुकाम, फ्लू, वायरल इन्फेक्शन, साइनस, अत्यधिक स्मोकिंग। इस समस्या से निपटने के लिए बहुत सारे घरेलू उपाय मौजूद हैं, आइये जानते हैं उनके बारे में।

     अदरक और शहद
    अदरक में ऐसे बहुत से तत्व होते हैं जो बहुत सारी बीमारियों का सामना कर सकते हैं। इसके सेवन से सर्दी खांसी में फायदा होता है और श्वसन प्रक्रिया ठीक हो जाती है। 100 ग्राम ग्राम अदरक को कूट लें। दो-तीन चम्मच शहद को उसमें मिला लें। इस पेस्ट को दो-दो चम्मच दिन में दो बार लें। समस्या दूर हो जाएगी।
     लेमन टी
    नींबू में मौजूद सिट्रिक एसिड और शहद के एंटीसेप्टिक तत्व बलगम कम करने और गले का दर्द दूर करने में मदद करते हैं। ब्लैक टी बनाइये, और उसमें एक चम्मच ताजे नींबू का रस और एक चम्मच शहद का मिला दीजिए।

    अंगूर का जूस
    अंगूर की प्रकृति एक्सपेक्टोरेंट होता हैं और इसलिए ये आपके फेफड़ों के लिए और बलगम दूर करने में फायदा पहुंचाता है। दो चम्मच अंगूर के जूस में दो चम्मच शहद मिला लें। इस मिक्चर को एक हफ्ते तक दिन में तीन बार लें।
    गरारे
    एक ग्लास गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाएं। अपनी गर्दन थोड़ी सी पीछे की तरफ गिराएं और फिर इस नमक के पानी से गरारे करें। इस पानी को निगलें न। कुछ देर तक गले में रखकर गरारे करने के बाद आप निश्चित रूप से अच्छा महसूस करेंगे।

    प्याज और नींबू
    एक प्याज छील कर उसे पीस लें। एअब एक नींबू का रस निकाल लें। इसे एक कप पानी में इन दोनों को मिलाकर दो तीन मिनट के लिए उबाल लें। आंच से उतार लें और एक चम्मच शहद मिला लें। इस मिक्सचर को एक दिन में तीन बार पियें, बलगम की समस्या दूर हो जाएगी।
     प्राकृतिक जड़ी बूटियाँ खाएँ
    मुलैठी (licorice), मेथी और चिकवीड (chickweed) जैसी जड़ी बूटियाँ खाना आपके गले से बलगम साफ करने में मदद करेगा। इन्हें अपने खाने में जोड़ें या अगर आप स्वाद को बर्दाशत कर सकते हैं, तो इन्हें कच्चा खाएँ या पानी में उबालकर इनकी चाय बनाएँ

     गाजर
    गाजर में विटामिन सी की प्रचुर मात्रा होती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्वों की वजह से ये आपके इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है। इसके अलावा इसमें ऐसे बहुत से विटामिन और पोषक तत्व होते हैं जो खांसी और बलगम की समस्या को दूर करते हैं। 3-4 ताजी गाजर का जूस निकालें। उसमें थोड़ा पानी और दो-तीन चम्मच शहद मिलाएं। अच्छी तरह इस मिश्रण को मिलाएं। इस मिश्रण को एक दिन में दो से तीन बार पियें, आपकी बलगम की समस्या ठीक हो जाएगी।
     लहसुन और नींबू
    लहसुन में सूजन दूर करने वाले तत्व मौजूद होते हैं और नींबू में सिट्रिक एसिड। जब दोनों का इस्तेमाल किया जाता है तो ये बलगम दूर करने में हमारी मदद करते हैं। एक कप पानी उबालें। उसमें तीन नींबू निचोड़ें। थोड़ा सा कुटा हुआ अदरक मिलाएं। साथ में आधी चम्मच काली मिर्च का पाउडर और एक चुटकी नमक। इन सब को अच्छे से मिला लें और पी लें। इससे आपको बलगम की समस्या से फौरन निजात मिल जाएगी।

     सफेद-मिर्च
    आधी चम्मच सफेद कालीमिर्च को पीस लें। इसमें 1 चम्मच शहद मिला लें। इस मिक्सचर को 10-15 सेकेंड माइक्रोवेव करें। फिर पी लें। इसे पीते ही आपको फौरन आराम मिलेगा। बलगम से पूरी तरह छुटकारा पाने के लिए इस मिक्चर को एक हफ्ते तक दिन में तीन बार जरूर लें।
     हल्दी
    बलगम के उपचार के लिए हल्दी सबसे अधिक प्रभाव डालने वाली चीज है। ये एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करती है और इसमें कर्क्यूमिन होता है जो शरीर की बहुत सारी आंतरिक और बाहरी समस्याओं में फायदा पहुंचाता है। एक ग्लास गर्म दूध में हल्की और आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर मिलाएं। अब इसमें एक चम्मच शहद मिलाएं। बलगम को दूर करने के लिए इसे रोज पियें।
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  • 21.8.17

    सौंफ है गुणों का खजाना


    सौंफ सम्पूर्ण सँसार में बहुत ज्यादा  उपयोग में  आने वाला मसाला है । अपने विशिष्ट स्वाद और मनभावन सुगन्ध के कारण यह विशेष मौको पर बनाये जाने वाले व्यंजनों का हिस्सा जरूर रहता है । खाने के बाद सौंफ का प्रयोग एक अच्छा माउथफ्रेशनर के तौर पर किया ही जाता है । प्रस्तुत लेख में प्रकाशित आयुर्वेद क्लीनिक, मेरठ के सौजन्य से हम आपको बता रहे हैं कि इस छोटी सी सौंफ से हमको कितने बड़े बड़े लाभ मिलते हैं
    सौंफ है गुणकारी नेत्र विकारों में :-
    125 ग्राम सौंफ लेकर उसको बारीक पीस लें और एक लीटर पानी के साथ तांबे के बरतन में घोलकर रख दें । सुबह इस पानी को सबसे हल्की आग पर तांबे के बरतन में ही पकने के लिये रख दें और चलाते रहें जिससे बरतन में नीचे लगे ना । जब पकते पकते बहुत गाढ़ा अवलेह जैसा हो जाये तो एक शीशी में सुरक्षित रख लें । यह आँखों के लिये अन्जन का काम करता है । रोज रात को सोते समय आँखों में अन्जन की तरह लगाकर सोने से नेत्र विकारों में बहुत लाभ होता है ।

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    सौंफ बहुत गुणकारी है गला बैठ जाने पर :-
    गला बैठ जाना जिसको स्वर भंग होना भी बोलते हैं की समस्या में सौंफ बहुत लाभकारी होती है । गला बैठ जाने की समस्या अगर हो जाये तो भुनी हुयी सौंफ को मिश्री के साथ चूसते रहने से गला खुल जाता है और आवाज भी साफ आने लगती है ।
    सौंफ से मिलता है आराम मूत्र विकारों में :-
    पेशाब में जलन होना और रुक कर पेशाब आना ये दो प्रमुख मूत्र रोग हैं जो सामान्य हर किसी को हो ही जाते हैं । इन समस्याओं के लिये सौफ से बहुत अच्छा लाभ लिया जा सकता है । 20 ग्राम सौफ का काढ़ा पकाकर उसमें 1 ग्राम खाने का सोडा मिलाकर रोज दो या अधिकतम तीन बार सेवन करने से पेशाब की पुरानी जलन में भी आराम मिलने लगता है

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     सौंफ से लाभ मिलता है फोड़े फुन्सियों में भी :-
    गरमी के मौसम में हो जाने वाले फोड़े और फुन्सियों में भी सौंफ आराम देती है । सौंफ के तेल से फोड़े और फुन्सियों पर मालिश करने से वो ठीक हो जाते हैं और त्वचा पर निशान भी नही रहते हैं । ये तेल आपको अपने आसपास किसी जड़ी बूटी वाले की दुकान पर अथवा आयुर्वेदिक दवाओं की दुकान पर आसानी से मिल जायेगा ।
    सौंफ खाने से रहता है मुँह साफ :-
    तवे पर सूखी गयी सौफ को दो चुटकी सेंधा नमक के साथ मिलाकर मुँह में डालकर धीरे धीरे चबाने से और उसकी लार को मुँह में चलाकर थूक देने से मुँह के अन्दर की सारी गन्दगी निकल जाती है और मुँह साफ हो जाता है । इस प्रयोग से मुँह से आने वाली बदबू भी दूर होती है और साँसों में ताजगी आ जाती है ।

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    सौंफ है लाभकारी मुँह आने में :-
    मुँह का आना अर्थात जीभ पर छाले हो जाना और पूरी मुखगुहा का पक जाना बहुत ही कष्टकारी रोग है । इस दशा में भी यह सौफ लाभकारी पाया जाता है । 10 ग्राम सौंफ 10 ग्राम फिटकरी को 200 मिलीलीटर पानी के साथ पकाकर इस पानी को ठण्डा कर लें और कुल्ले करें । ये कुल्ले रोज दो या तीन बार करने से मुँह आने की समस्या में जल्दी आराम हो जाता है ।
    सौंफ है कब्ज़ का पक्का इलाज :-
    कब्ज के रोगियों को सबसे बड़ी समस्या रहती है कि कई कई बार जाने के बाद भी पेट खुलकर साफ नही होता है । ज्यादा जोर लगा देते हैं तो गुदा में जलन की समस्या हो जाती है । इस परेशानी का समाधान छिपा है इस छोटी सी सौंफ में । बाजार से आधा किलो गुलकंद लाकर उसमें 200 ग्राम सौंफ को बहुत अच्छी तरह से मिलाकर रख लें । रोज दो बार 30-30 ग्राम की मात्रा में सेवन करने और उसके बाद गरम पानी पीने से हफ्ते भर में ही शौच खुलकर होने लगती है । यह कई रोगियों का आजमाया हुआ प्रयोग है ।

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    सौंफ को दरदरा कूटकर 10 ग्राम लेकर उसका आधा लीटर पानी में काढ़ा पकायें । जब पानी चौथाई अर्थात 125 मिलीलीटर शेष रहे तो इसको ठण्डा करके पी जायें । यह काढ़ा सिर के दर्द का समाधान कर देता है ।
    सौंफ के प्रयोग से मिलता है दस्तों में आराम :-
    100 ग्राम सौंफ लेकर उसको हल्का भून लें और चूर्ण बना लें इसमें बरामर मात्रा में पिसी मिश्री मिलाकर रख लें । इस स्वादिष्ट चूर्ण का सेवन ताजी बनी छाछ के साथ करने से दस्त के रोगी को आराम मिलता है । ध्यान रखें कि यदि दोपहर के बाद छाछ पी रहे हैं तो बहुत कम मात्रा लगभग 50-100 मिलीलीटर ही पीनी चाहिये । शाम 4 बजे के बाद तो छाछ का सेवन बिल्कुल भी नही करना चाहिये ।

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    सौंफ से मिलता है पेट के अफारे में आराम :-
    कुछ भी हल्का या भारी खाने के बाद जिन रोगियों को तुरन्त पेट फूलने और अफारा आने की समस्या हो जाती है उनके लिये ये हरे बीज किसी वरदान से कम नही होते हैं । इस तरह के रोगी 20 ग्राम सौंफ लेकर उसको 200 मिलीलीटर जल के साथ पकायें । जब पकते पकते आधा जल शेष रहे तो उसको उतारकर छानकर पी जायें । यह प्रयोग रोज दो तीन बार करने से पेट में अफारे की यह समस्या चली जाती है ।
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