14.2.20

भूलने की बीमारी के आयुर्वेदिक नुस्खे :घरेलू आयुर्वेद






आमतौर पर हम सभी के घरों में किचन में पाई जाने वाली हल्दी अपने आप में किसी डॉक्टर से कम नहीं है। तभी तो आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित ग्रंथों में घरेलू हल्दी को चमत्कारी औषधि का दर्जा दिया गया है। जिस बात को आयुर्वेद में हजारों साल पहले कह दिया था, उसकी सच्चाई और प्रामाणिकता पर आज विज्ञान जगत भी मुहर लगा रहा है।





हल्दी के औषधीय गुणों पर किये जा रहे शोध बताते हैं कि हल्दी में कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है। भारतीय लोग तो हल्दी के फायदों से परिचित हैं ही लेकिन अब वैज्ञानिकों ने भी साबित कर दिया है कि हल्दी में न केवल कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता होती है, बल्कि डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी जिसमें रोगी को मतिभ्रम हो जाता है और वह जरूरी बातें भी भूल जाता है, को भी नियंत्रित करने की क्षमता होती है।



डिमेंशिया में भी अचूक-

हल्दी में पाए जाने वाले रसायन 'करक्यूमिन' में रोगहारी शक्ति होती है, जो गठिया और मनोभ्रंश या डिमेंशिया यानी भूलने की बीमारी जैसी बीमारियों के इलाज में प्रभावी सिद्ध हो चुकी है। 

कैंसर की रोकथाम- 

ब्रिटेन के कॉर्क कैंसर रिसर्च सेंटर में किए गए परीक्षण दिखाते हैं कि प्रयोगशाला में जब करक्यूमिन का प्रयोग किया गया तो उसने गले की कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर दिया|



डॉ शैरन मैक्केना और उनके दल ने पाया कि करक्यूमिन ने 24 घंटों के भीतर कैंसर की कोशिकाओं को मारना शुरु कर दिया। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रिटिश जरनल ऑफ़ कैंसर में प्रकाशित यह खोज कैंसर के नए इलाज विकसित करने में सहायक हो सकती है।


डेंगू ज्वर :कारण और निवारण के उपाय




प्रत्येक वर्ष जुलाई से अक्टूबर के मध्य डेंगू बुखार का प्रकोप फैलता है। सामान्यत: डेंगू वायरस शरीर में पहुंचने के 3-5 दिन बाद अपना असर दिखाता है, लेकिन कभी-कभी ये अवधि 3-10 दिन की भी होती है। यह एक वायरस से फैलने वाला रोग है जो एक संक्रमित मच्छर एडिस एजीप्टि के काटने से मनुष्यों में फैलता है। यह डेंगू बुखार के तौर पर जाना जाता है।










यह एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है की उसे कोई भी कर सकता है l
तीव्र ज्वर, सर में तेज़ दर्द, आँखों के पीछे दर्द होना, उल्टियाँ लगना, त्वचा का सुखना तथा खून के प्लेटलेट की मात्रा का तेज़ी से कम होना डेंगू के कुछ लक्षण हैं जिनका यदि समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी की मृत्यु भी सकती है l
डेंगू हिमोरेजिक बुखार (डीएचएफ)/डेंगू आघात संलक्षण (डीएसएस) डेंगू बुखार फ्लेवी वायरस नामक जीनस के वायरस से होता है। इस वायरस के 4 सिरोटाइप होते हैं (डीईएन 1, डीईएन 2, डीईएन 3 और डीईएन 4) और ये चारों प्रकार भारत में पाए जाते हैं। किसी भी सिरोटाइप से पहला संक्रमण स्वयं सीमाकारक रोग (क्लासिकल डेंगू) उत्पन्न करता है जो लगभग 1 सप्ताह तक रोग का प्रभाव बनाए रखता है। संक्रमण के लिए उत्तरदायी विशिष्ट सिरोटाइप की तुलना में इसकी प्रतिरक्षा लम्बे समय तक चलती है। जबकि इसके बाद होने वाले संक्रमण में भिन्न प्रकार के सिरोटाइप क्लासिकल डेंगू उत्पन्न कर सकते हैं अथवा कई बार कुछ व्यक्तियों में रोग का गंभीर रूप बन जाता है ।


तरह-तरह के डेंगू और उनके लक्षण-

डेंगू बुखार मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है- साधारण डेंगू बुखार, डेंगू हैमरेजिक बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम। साधारण डेंगू बुखार, जिसे क्लासिकल डेंगू भी कहते हैं, सामान्यत: 5-7 दिन तक रहता है। इसमें ठंड लगने के बाद तेज बुखार चढऩा, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ता है, बहुत अधिक कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मिचलाना, मुंह का स्वाद खराब होना, गले में हल्का-हल्का दर्द होना, शरीर विशेषकर चेहरे, गर्दन और सीने पर लाल/गुलाबी रंग के रैशेज के लक्षण नजर आते हैं।





अगर ऊपर बताये गये साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ पीडित में नाक और मसूढ़ों से खून आना, शौच या उल्टी में खून आना, त्वचा पर नीले/काले रंग के कत्ते पड़ जाना जैसे लक्षण प्रकट हों, तो उसे डेंगू हैमरेजिक बुखार हो सकता है। इसकी पड़ताल से रक्त की जांच आवश्यक होती है।
इसके विपरीत डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीजों में साधारण डेंगू बुखार और डेंगू हैमरेजिक बुखार के लक्षणें के साथ-साथ बेचैनी महसूस हो, तेज बुखार के बावजूद उसकी त्वचा ठंडी हो, मरीज पर बेहोशी हावी हो, नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगे और ब्लड प्रेशर एकदम लो हो जाए, तो डेंगू शॉक सिंड्रोम का मामला बनता है। डेंगू की यह अवस्था बेहद खतरनाक होती है, जिसमें मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना आवश्यक होता है.

डेंगूं का इलाज-

साधारण डेंगू बुखार में आमतौर से पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) से काम चल सकता है। लेकिन ऐसे रोगियों को एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल नहीं देनी चाहिए। क्योंकि इससे प्लेटलेट्स कम होने का खतरा रहता है।
किसी भी अन्य मर्ज की भांति ही डेंगू के रोगी को भी अच्छे डॉक्टर के दिखाना जरूरी होता है। लेकिन इसके साथ ही साथ यह भी जानना जरूरी है कि डेंगू कोई असाध्य रोग नहीं है। इसलिए यदि सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो डेंगू बुखार का पूरा इलाज सम्भव है।



बचाव के घरेलू इलाज-

**विटामिन-सी की अधिकता वाली चीजें जैसे आंवला, संतरा या मौसमी पर्याप्त मात्रा में लें, इससे शरीर का सुरक्षा चक्र मजबूत होता है।
**खाने में हल्दी का अधिकाधिक प्रयोग करें। इसे सुबह आधा चम्मच पानी के साथ या रात को दूध के साथ लिया जा सकता है। किन्तु यदि पीडित को नजला/जुकाम हो, तो दूध का प्रयोग न करें।
**तुलसी के पत्ते पानी में उबालें फिर मामूली गरम हालत में उसमे शहद मिलाकर पियें| इससे इम्यून सिस्टम बेहतर बनता है।
**नाक के अंदर की ओर सरसों का तेल लगाएं। तेल की चिकनाहट बाहर से बैक्टीरिया को नाक के भीतर जाने से रोकती है।

यदि किसी को डेंगू रोग हुआ हो और खून में प्लेटलेट की संख्या कम होती जा रही हो तो निम्न चार चीज़ें रोगी को दें :
१) अनार जूस
२) गेहूं के जवारे का रस
३) पपीते के पत्तों का रस
४) गिलोय का रस
** अनार जूस तथा गेहूं घास रस नया खून बनाने तथा रोगी की रोग से लड़ने की शक्ति प्रदान करने के लिए है, अनार जूस आसानी से उपलब्ध है यदि गेहूं घास रस ना मिले तो रोगी को सेब का रस भी दिया जा सकता है l

**पपीते के पत्तों का रस सबसे महत्वपूर्ण है, पपीते का पेड़ आसानी से मिल जाता है उसकी ताज़ी पत्तियों का रस निकाल कर मरीज़ को दिन में २ से ३ बार दें , एक दिन की खुराक के बाद ही प्लेटलेट की संक्या बढ़ने लगेगी l** गिलोय की बेल का सत्व मरीज़ को दिन में २-३ बार दें, इससे खून में प्लेटलेट की संख्या बढती है, रोग से लड़ने की शक्ति बढती है तथा कई रोगों का नाश होता है |
ध्यान देने योग्य है कि मानव शरीर में 1 मिलीलीटर ख़ून में 30-40 हजार प्लेटलेट होते हैं. इतने प्लेटलेट रोज़ाने मरते हैं, और बनते भी रहते हैं.
डेंगू में शरीर का काम आंशिक रूप से बंद हो जाता है जिसके कारण प्लेटलेट
बनने की गति धीमी हो जाती है.
ऐसे में डॉक्टर मरीज़ के शरीर में पानी की सप्लाई बनाए रखते हैं और ब्लड प्रेशर देखते हैं.
उनकी कोशिश होती है कि शरीर में इम्यूनिटी बढ़े और मरीज़ का शरीर जल्द ठीक हो जाए.








डेंगू को रोकने के उपाय- 

**चूंकि डेंगू एडीज मच्छरों से उत्पन्न होता है, इसलिए सर्वप्रथम यह प्रयास करें कि इन मच्छरों की पैदावार पर लगाम लगई जाए। इसके लिए अपने घर के आसपास पानी न जमा होने दें। यदि आसपास कोई गड्ढा हो, तो उसे मिट्टी से भर दें और नालियों की सफाई करवा दें। जिससे उनमें पानी न रूके और मच्छरों को पनपने का अवसर न मिले। यदि आसपास भरे पानी को हटावा सम्भव न हो, तो उसमें उसमें केरोसिन/मिट्टी का तेल अथवा पेट्रोल डाल दें।
**डेंगू के मच्छर साफ पानी में उत्पन्न होते हैं, इसलिए कूलर और पक्षियों को पानी देने के बर्तनों का पानी प्रत्येक दिन बदलें। पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें। यदि घर में छत वगैरहपर पुराने डिब्बे, बर्तन, टायर आदि रखे हों, तो उन्हें हटा दें या फिर देखलें कि उनमें पानी न भरा हुआ हो।
**ऐसे कपड़ों का उपयोग करें, जिनसे शरीर का अधिकाधिक भाग ढ़का रहे। घरों की खिड़कियों, रोशनदानों आदि में मच्छर जाली का उपयोग करें। यथासम्भव मच्छर रोधी क्वाएल/क्रीम का उपयोग करें। और सबसे बेहतर तो यही है कि रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।
**यदि किसी व्यक्ति को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी में ही लिटाएं, जिससे मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैला सकें।



पौषक तत्वों से परिपूर्ण है चुकंदर




इसके रस को पीने से न केवल शरीर में रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। यदि आप इस सब्जी से नफरत करते हैं तो जरा एक बार इसके फायदों के बारे में जरूर पढ़ लें। शायद कम लोग ही जानते हैं कि चुकंदर में लौह तत्व की मात्रा अधिक नहीं होती है, किंतु इससे प्राप्त होने वाला लौह तत्व उच्च गुणवत्ता का होता है, जो रक्त निर्माण के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि चुकंदर का सेवन शरीर से अनेक हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में बेहद लाभदायी है। ऐसा समझा जाता है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें लौह तत्व की प्रचुरता के कारण है, बल्कि सच यह है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें पाए जाने वाले एक रंगकण (बीटा सायनिन) के कारण होता है। एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के कारण ये रंगकण स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं।

एनर्जी बढ़ाये : यदि आपको आलस महसूस हो रही हो या फिर थकान लगे तो चुकंदर का जूस पी लीजिये। इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है जो शरीर यह पानी फोड़े, जलन और मुहांसों के लिए काफी उपयोगी होता है। खसरा और बुखार में भी त्वचा को साफ करने में इसका उपयोग किया जा सकता है।

पौष्टिकता से भरपूर : यह प्राकृतिक शर्करा का स्रोत होता है। इसमें कैल्शियम, मिनरल, मैग्नीशियम, आयरन, सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाये जाते हैं। इसलिए घर पर इसकी सब्जी बना कर अपने बच्चों को जरूर से खिलाएं।


हृदय के लिए : चुकंदर का रस हाइपरटेंशन और हृदय संबंधी समस्याओं को दूर रखता है। खासकर के चुंकदर के रस का सेवन करने से व्यक्ति में रक्त संचार काफी बढ़ जाता है। रक्त की धमनियों में जमी हुई चर्बी को भी इसमें मौजूद बेटेन नामक तत्व जमने से रोकता है।






स्वास्थ्यवर्धक पेय :
 
जो लोग जिम में जी तोड़ कर वर्कआउट करते हैं उनके लिये चुकंदर का जूस बहुत फायदेमंद है। इसको पीने से शरीर में एनर्जी बढ़ती है और थकान दूर होती है। साथ ही अगर हाई बीपी हो गया हो तो इसे पीने से केवल 1 घंटे में शरीर नार्मल हो जाता है
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जामुन के सिरके के फायदे और बनाने की विधि

  
                               


कब्ज और उदर रोग में जामुन का सिरका उपयोग करें। जामुन का सिरका गुणकारी और स्वादिष्ट होता है, इसे घर पर ही आसानी से बनाया जा सकता है और कई दिनों तक उपयोग में लाया जा सकता है।

जामुन का सिरका जितना पुराना होता है यह खाने में उतना ही स्वादिष्ट और पेट सम्बंधित रोगों के लिए उतना ही अधिक लाभकारी होता है। जामुन के सिरके के सेवन से भूख बढ़ती है, पेट की वायु निकलती है और कब्ज की समस्या दूर होती है
जामुन की तासीर ठंडी होती है और इसकी कई देसी विदेशी किस्मे होती हैं | लेकिन सबके धर्म, गुण समान हैं। जामुन का अंग्रेजी नाम – Java Plum और Blackberry है | जामुन से भूख बढती है और भोजन पचाती है, शरीर से गंदगी बाहर निकलती है। जामुन नहीं होने पर इसका सिरका काम में ले सकते हैं। यह मोटी और पकी हुई अच्छी होती है। इसका खट्टापन और अम्लीय गुण रक्त-दोषों को दूर करते है।




जामुन का सिरका रेसपी 

काले जामुन – 1/2 किलो
सूखी मिर्च – 3
नमक – आवश्यकतानुसार
पानी – आवश्यकतानुसार
सहायक सामग्री
सूती कपड़ा – जामुन बांधने के लिए
मिट्टी का बर्तन – जामुन रखने के लिए
कांच की बोतल – सिरका रखने के लिए
जामुन का सिरका बनाने का तरीका
– काले जामुन को साफ पानी से धो कर पोछ लें।
– फिर इसे मिट्टी के बर्तन में डालकर नमक मिलाकर साफ कपड़े से बांध कर धूप में रख दें।
– लगभग एक महीनों तक धूप में रखने के बाद इसके रस को किसी साफ सूती कपड़े से छानकर कांच के बोतल में भर कर रख लें।
– अब इसमें 3 सूखी लाल मिर्च डाल दें और कांच की बोतल का मुंह बंद कर दें।


बच्चों और बूढों को ब्राह्मी और शंख पुष्पी का शरबत दें//Brahmi shankhpushpi




शंख पुष्पी और ब्राह्मी आयुर्वेद में ऐसी दो जड़ी बूटिया हैं जो मस्तिष्क बहुत ताकतवर बनाती है| इन दोनों जड़ी बूटियों में ऐसे तत्त्व मौजूद हैं जो मस्तिष्क के अंदर तक अपना असर डालते हैं| यही कारण है कि ये जड़ी बूटियाँ न केवल स्मरण शक्ति बढाती हैं बल्कि व्यक्ति को मानसिक रूप से बलवान भी बनाती हैं| न केवल भारत अपितु सारे विश्व में इनके ऊपर अनुसंधान कार्य चल रहे हैं \ऐसा माना जा रहा है कि ये जड़ी-बूटियाँ अल्जाईमर्स,डिमेंशिया, और पार्किन्सन जैसी बीमारियों को ठीक करने में उपयोगी होंगी| यह इसलिए कि इनमें दिमाग को ठीक करने की ताकत है| भारत में मेधा शक्ति बढाने के लिए इन जड़ी बूटियाँ का प्राचीन काल से उपयोग होता आया है| इससे नींद अच्छी आती है| मस्तिष्क में ताजगी लाती है| मस्तिष्क का तनाव कम करती हैं| ये दोनों जड़ी - बूटियाँ खोई हुई स्मरण शक्ति वापस लौटाने की ताकत रखती हैं| ब्राह्मी और शंख पुष्पी का सेवन भी बहुत आसान है|







बच्चों की मेमोरी पावर बढाने के लिए सोते वक्त एक गिलास गरम दूध में एक चम्मच ब्राह्मी का चूर्ण मिलाकर लेना कर्त्तव्य है| कुछ ही महीनों में इसका असर दिखने लगेगा| ऐसे लोग जिन्हें अनिद्रा रोग है| नींद कम लेने से शरीर में कई तरह के विकार पैदा हो जाते हैं|
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए रोज रात को सोते वक्त गरम दूध में एक चम्मच ब्राह्मी का चूर्ण मिलाकर पीया जाए तो बहुत लाभ होगा | इसे और अधिक स्वादिष्ट और गुणकारी बनाने के लिए रात को ७ नग बादाम के गला दें |सुबह ब्राह्मी या शंख पुष्पी के दूध में मिले मिश्रण को छानकर उसमें बादाम और ५ नाग काली मिर्च पीसकर मिला दें इसमें मिश्री भी अंदाजन मिला दें| दवा तैयार है | यह एक खुराक है | यह स्मरण शक्ति बढाने का बेहतरीन नुस्खा है\ कुछ दिन तक नियमित लेते रहें|





ब्राह्मी और शंख पुष्पी मिर्गी रोग में काफी लाभ दायक साबित होती है| ये जड़ी बूटियाँ मस्तिष्क में विद्युत प्रस्फुरण को कम करती है| इससे मिर्गी के दौरों की आवृती कम हो जाती है और बीमार को शान्ति मिलती है|
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8.2.20

पेट और कमर की चर्बी कम करने के उपाय और उपचार,pet kamar ki charbi



कमर और पेट के आसपास जरूरत से ज्यादा चर्बी का जमना लोगों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है, पेट की चर्बी दूसरों को ना सिर्फ देखने में खराब लगती है बल्कि यदि यह जरूरत से ज्यादा बढ़ जाए तो इससे कई तरह की बीमारियां होने का खतरा भी अधिक हो जाता है। पेट के चारों ओर जमा हो रही चर्बी के कारण ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और शुगर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। यदि आप भी अपने पेट और कमर के चारों ओर बढ़ रही चर्बी से परेशान हैं तो आज हम हेल्थअनबॉक्स के इस लेख में जानेंगे कि कैसे आप पेट और कमर की चर्बी कम करने के घरेलू उपाय और तरीकों को अपनाकर अपने पेट और कमर की चर्बी को कम कर सकते हैं और पेट और कमर कम करने के तरीके अपनाकर उसे बढ़ने से भी रोक सकते हैं।
पेट पर जमे अतिरिक्त फैट को कम करना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं है। सही समय पर संतुलित आहार और व्यायाम कर आसानी से घर पर ही पेट और कमर की चर्बी को कम किया जा सकता है। क्या आप जानते हैं? मोटापे के भी दो प्रकार होते हैं, जी हां… कुछ लोग सिर से लेकर पांव तक मोटे होते हैं, कहने का मतलब उनका पूरा शरीर ही वजनदार और मोटापा से ग्रस्त होता हैं। लेकिन कुछ लोग केवल अपने मोटापे का कारण अपने टमी फैट को मानतें हैं मतलब इनका मोटापा केवल इनके पेट पर दिखता है। जिसका मुख्य कारण उनका खानपान और लाइफस्टाइल होती है जिसे वह चाहकर भी छोड़ नहीं पाते हैं।
बेल्ली फैट कम करने के उपाय अनेक हैं आपने टीवी पर पेट और कमर की चर्बी घटाने और मोटापा कम करने के एड जरूर देखें होगें। जिसमें खाने पीने से लेकर कई तरह की एक्सरसाइजया स्वेट स्लिम बेल्ट  के बारे में दिखाया जाता है। लेकिन पेट और कमर की चर्बी कम करने के ये सारे उपाय काफी मंहगे होते हैं और कुछ सही से काम नहीं करते या किसी के साइड इफेक्ट्स होते हैं। ऐसे में अगर आप बिना पैसे खर्च किये पेट और कमर कम करने के तरीके खोज रहें हैं तो हम आपको घर में ही कुछ आसान उपायों से पेट की चर्बी घटाने मोटापा कम करने और कमर की चर्बी कम करने के घरेलू उपाय  बता रहे हैं।


जब भी बात पेट और कमर पर जमा चर्बी को कम करने की आती है तो लोग इसके लिए इंटरनेट पर घरेलू उपाय ढूंढने लगते हैं, लेकिन कमर और पेट कम कैसे करें में केवल घरेलू उपाय ही कारगर नहीं हैं इसके लिए आपको कुछ कारगर पेट और कमर कम करने के तरीके अपनाने होंगे जिनमें योग व्यायाम और सही डाइट शामिल है। आज हम आपको इन्हीं चीजों के बारे में बताएंगे यदि आप सच में अपने बड़े हुए पेट को कम करना चाहते हैं और अपनी कमर का साइज घटाना चाहते हैं तो इन्हें नियमित रूप से करें, केवल एक-दो दिन इन्हें कर लेने से आपको मनचाहे परिणाम प्राप्त नहीं होंगे।
यह तो आपको पता है कि मोटापा दिन-ब-दिन बढ़ती एक समस्या बनती जा रही है। कमर और पेट कम कैसे करें इसे जानने से पहले हमें यह जानना होगा की आखिर पेट और कमर के आसपास चर्बी का जमाव क्यों होता है। इसलिए हम कमर और पेट कम करने के उपायों को जानने से पहले यह जान लेते हैं कि आखिर यह समस्या होती क्यों है और इसके मुख्य कारण क्या है।
यदि कमर और पेट के आसपास थोड़ी मात्रा में चर्बी एकत्रित हो जाती है तो इससे कोई घाटा नहीं है, क्योंकि एक निश्चित मात्रा में जमा हुई चर्बी (वसा) हमारे शरीर के लिए कुशन की तरह कार्य करती है। जिससे हमारी हड्डियां सुरक्षित रहती हैं, साथ ही यह हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों को भी सुरक्षा प्रदान करती है। लेकिन जब यही चर्बी जरूरत से ज्यादा बढ़ने लगती है तो कई बीमारियां हमें होने लगती हैं। इसलिए हम सबसे पहले इसी बात पर चर्चा करने वाले हैं कि आखिर हमारे शरीर में अतिरिक्त चर्बी के जमने के मुख्य कारण कौन से हैं।

खराब पाचन तंत्र

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है हमारा पाचन तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है, इससे हमारे शरीर में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम भी प्रभावित होने लगता है जिसके कारण पेट और कमर के आसपास चर्बी बढ़ने लगती है |

अनुवांशिकता

कई वैज्ञानिक शोधों से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि शरीर में कुछ फेट सेल का डेवलपमेंट अनुवांशिक तौर पर होता है, कहने का मतलब यह है कि यदि आपके परिवार में किसी को मोटापे की परेशानी है या कोई शरीर में अधिक चर्बी जमने की समस्या का शिकार है, तो अधिक चांस है कि आपको भी इस तरह की समस्या का सामना करना पड़े । लेकिन यह हर जगह लागू नहीं होता एक अच्छी लाइफ स्टाइल और डाइट के साथ आप इसे बदल भी सकते हैं।

हार्मोनल असंतुलन

पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में हार्मोनल बदलाव अधिक देखे जाते हैं। महिलाओं के जीवन में ऐसी कई स्थितियां आती हैं जब उन्हें अपने शरीर में हार्मोन में बदलाव देखने को मिलते हैं। इस तरह के बदलाव मुख्यतः प्रेग्नेंसी के समय और किसी महिला के जीवनकाल के मध्य पड़ाव लगभग 40 साल के आसपास पहुंच चुकी महिलाओं में देखे जाते हैं। इस समय उनके शरीर का वजन तेजी से बढ़ने लगता है और कमर और पेट के आसपास की चर्बी भी उतनी ही तेजी से जमा होने लगती है । यह स्थिति रजोनिवृत्ति के दौरान देखने को मिलती है जिसका कारण एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में कमी या बढ़ोतरी मानी जाती है। यही कारण है कि महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण कमर और पेट के आस-पास अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है।

अधिक तनाव

आज के समय में तनाव होना बड़ी ही आम बात है तनावग्रस्त व्यक्ति एक के बाद एक बहुत सारी बीमारियों से घिरता चला जाता है और उन्हें बीमारियों में से एक है चर्बी का बढ़ना जिसके कारण ही उसे और कई बीमारियां घेर लेती है। अधिक तनाव के कारण हमारे ब्लड में कॉर्टिसोल नामक हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। कोर्टिसोल हार्मोन शरीर में अतिरिक्त वसा को जमा करने का भी कारण हो सकता है, क्योंकि यह शरीर में बसा के स्तर को बढ़ा देता है, जिससे वसा कोशिकाएं बड़ी हो जाती है। इसलिए अधिक तनाव लेने के कारण व्यक्तियों में धीरे-धीरे पेट के आसपास और अन्य जगहों पर चर्बी एकत्रित होने लगती है | अगर आपके खानपान की आदतें सही नहीं हैं तो तनाव और भी बुरा परिणाम दे सकता है। क्योंकि आमतौर पर लोग तनाव में होने पर कुछ न कुछ खाते रहते हैं। जिससे उनके पेट पर चर्बी जमा होने लगती है।

मांसपेशियों में कमजोरी

जब हमारे पेट के आसपास की मांसपेशियां ढीली और कमजोर होने लगती हैं तो इस जगह चर्बी बढ़ना शुरू हो जाती है।

अधिक समय तक बैठकर काम करने की आदत


आज के आधुनिक दौर में हर चीज को बैठे-बैठे किया जा सकता है, इससे हमारा जीवन तो आसान हो गया है लेकिन हमारी शारीरिक गतिविधियां बहुत ही कम हो गई है, जिसका परिणाम हम अपने शरीर पर चर्बी को एकत्रित होता देख सकते हैं। आप चाहे घर में हो या फिर ऑफिस में हो अधिक देर तक एक ही जगह बैठे रहना और काम करते रहना कहीं ना कहीं पेट और कमर पर जम रही अतिरिक्त चर्बी का कारण हो सकता है। कंप्यूटर पर बैठकर अधिक देर काम करना भी शरीर में चर्बी बढ़ने का एक कारण हो सकता है। पेट की चर्बी बढ़ने के कारण में हमारे बैठने का तरीका भी बहुत असर डालता है। हमेशा कमर झुकाकर या पेट बाहर निकाल कर बैठना पेट और कमर पर चर्बी (फैट) के जमा होने का कारण बन सकता है।

कम प्रोटीन और ज्यादा कार्बोहाइड्रेट लेना

हर व्यक्ति दिन भर कुछ ना कुछ खाता रहता है लेकिन हम अपने खाने के बारे में ज्यादा सोचते नहीं हैं। कभी-कभी हम काम के प्रेशर में या फिर किसी स्ट्रेस में जरूरत से ज्यादा खा लेते हैं या फिर किसी पार्टी या खास समय में बाहर खाने जाने पर हम बिना सोचे समझे कुछ भी खा लेते हैं। जब हम खाने में मौजूद पोषक तत्वों पर ध्यान नहीं देते तो कहीं ना कहीं यह चीजें हमें नुकसान पहुंचाती हैं यदि हमारे खाने में प्रोटीन कम होगा और कार्बोहाइड्रेट और फैट की मात्रा अधिक होगी तो यह आगे चलकर कमर व पेट के आसपास चर्बी बढ़ाने का काम करेगा।

अन्य बीमारियां

कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जिनके कारण मोटापा बढ़ने लगता है यदि व्यक्ति इन बीमारियों की चपेट में आता है तो उसके शरीर में चर्बी का स्तर बढ़ने लगता है महिलाओं में इस प्रकार की समस्या ज्यादा होती है इन बीमारियों में मुख्यतः शुगर, ब्रेस्ट कैंसर या ह्रदय से जुड़ी बीमारियां होती हैं। थायराइड और उच्च रक्तचाप भी कभी-कभी पेट के आसपास चर्बी बढ़ने की आशंका बढ़ा सकता है।

कम नींद लेना

मोटापा बढ़ें का एक कारण नींद में कमी हो सकती है। पर्याप्त नींद (7-8 घंटे) न लेने से भूख बढ़ाने वाले हार्मोन (ghrelin) का उत्पादन बढ़ जाता है। जो शरीर में शर्करा और फैट बढ़ाने वाले भोजन का संरक्षण करता है। रात में पूरी नींद न लेने से कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर भी बढ़ जाता है जो पेट और कमर की चर्बी बढ़ने का कारण हो सकता है।

संतुलित मात्रा में खाएं

दिनभर में केवन तीन बार खाने से हमारा पाचन तंत्र ठीक तरह से से काम नहीं कर पाता है। इसलिए, पेट और कमर की चर्बी कम करने के लिए पूरे दिन भर में 5 से 6 बार में थोड़ा-थोड़ा खाते रहें।

नींबू पानी से करें दिन की शुरुआत

पेट की चर्बी कम करने के लिए सुबह खाली पेट एक ग्लास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़कर पिएं। इसमें शहद मिलाकर पीने से अधिक फायदा होगा। ऐसा करने से मेटाबॉलिजम तेज होता है और फैट्स जल्दी बर्न होता है।

अधिक फल व सब्जियां खाएं

दिनभर में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फल व सब्जियों का सेवन करते रहना चाहिए। इससे भूख कम लगेगी और पेट और कमर की चर्बी कम करने में मदद मिलेगी।

अधिक पानी पिएं

दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी पीना सेहत के लिए जरूरी है। यदि आप पेट और कमर की चर्बी कम करना चाहते हैं तो 2-3 लीटर पानी पीना शुरू कर दें। दिनभर में तय समय पर थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें। पानी पीने से ज्यादा खाने की आदत कम हो सकती है।

नाश्ता करना न भूलें

दिनभर एनर्जी बनाये रखने के लिए हेल्दी नाश्ता जरूरी है। पेट की चर्बी को कम करने के लिए नाश्ता करना न भूलें। कुछ लोग मानते हैं कि नाश्ता नहीं करने से वजन कम होता है, जबकि ऐसा नहीं है। होता इससे उल्टा है, नाश्ता न करने से हमारी भूख बढ़ती है और हम लंच में ज्यादा खा लेते हैं, जिससे इसे पचाने में दिक्कत होती है और वजन बढ़ने की समस्या होने लगती है।

 पूरी नींद सोना 

पेट और कमर की चर्बी को कम करने के लिए पूरी नींद सोना भी जरूरी है। हर किसी को चाहे वह वजन कम करना चाहता हो या फिट रहना सभी को सात से आठ घंटे की नींद लेनी ही चाहिए। कम नींद के साथ ही ज्यादा सोना भी वजन बढ़ने का अहम कारण हैं। जब आप पूरी नींद सोते हैं, तो आपका पाचन तंत्र ठीक से काम करता है और भोजन सही से पचाता है।
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  • 30.1.20

    बाहर निकली तोंद को 30 दिन मे अंदर करने के उपचार



    पेट की चर्बी लोगों की सबसे बड़ी समस्या है। कुछ लोग तुरंत स्लिम होने के लिए दवाओं का सहारा लेते हैं। ये दवाएं कुछ समय के लिए तो फायदा पहुंचाती हैं, लेकिन बाद में इसके ढेरों साइड इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पेट पर जमा चर्बी न सिर्फ आपकी सुंदरता को बिगाड़ती है, बल्कि कई बीमारियों को बुलावा भी देती है। इसलिए चर्बी कम करके खुद को फिट रखना बेहद जरूरी है। फिट रहने के लिए घर में किए जाने वाले कुछ उपाय आपकी मदद कर सकते हैं।
    व्यस्तता और बिगड़ते खान-पान के कारण, लोगों का शरीर बेडोल होता जा रहा है। इससे कई बार उन्हें शर्मिन्दगी भी उठानी पड़ती है। ऐसे में वे सोचते हैं, कि ऐसा कोई तरीका मिल जाए, जिसे अपनाकर वह एक महीने में ही फिट हो जाएं और उनका फिगर शेप में आ जाए।
    व्यायाम जल्फिदी फिट होने और स्वस्थ शरीर को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण तरीका है। हालांकि, प्रमुख परिणाम देखने के लिए 30 दिन पर्याप्त समय नहीं है।
    कई लोग फैट को कम करने के लिए जिम जाते हैं, वहीं कुछ दवाईयों का सहारा लेते हैं। जिनके बहुत से साइड इफैक्ट होते हैं। अपनी बॉडी को अच्छा शेप देने के लिए शरीर के किसी एक हिस्से पर नहीं, बल्कि पूरे शरीर पर मेहनत करनी होगी।

    कार्डियोवैस्कुलर एक्टिविटी
    अच्छे परिणामों के लिए, अपनी दैनिक एक्सरसाइज में कार्डियोवैस्कुलर एक्टिविटी शामिल करें। इसमें 30 मिनट की जॉगिंग, साइकिल चलाना, लंबी पैदल यात्रा, तैराकी या खेल खेलना शामिल हो सकता है। अपने पसंदीदा कार्डियोवैस्कुलर एक्टिविटी के साथ कसरत करें या हर दिन कुछ अलग करने की कोशिश करें। फिटनेस के लिए अपने समय में एक विशिष्ट समय निर्धारित करने से आपको प्रतिबद्ध रहने में मदद मिलेगी।

    स्ट्रेंथ ट्रेनिंग 
    इसके अलावा, प्रत्येक सप्ताह कम से कम दो दिन की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को शामिल करें। आप वेट का उपयोग कर सकते हैं – जैसे डम्बल या एक बारबेल – या बस अपने शरीर के वजन को इस्तेमाल करने दें। बॉडी-वेट स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के कुछ उदाहरणों में पुश-अप्स, पुल-अप्स, चेयर डिप्स, प्लांक, क्रंचेज, स्क्वेट्स, लंग्स और वॉल-सिट्स शामिल हैं। एक साथ में, ये एक्सरसाइज एक पूर्ण शरीर की कसरत का प्रोग्राम बनाती हैं जो आप कहीं भी कर सकते हैं।
    कुछ ऐसी एक्सरसाइज हैं, जो आपको फैट से फिट बनाने में मदद करेंगी। नीचे जानिए वजन घटाने वाली कुछ ऐसी ही एक्सरसाइज के बारे में।
    कोबरा एक्सरसाइज 
    कोबरा एक्सरसाइज को आप कमर को पतली करने के लिए कर सकते हैं। एक महीने लगातार इसे करने से आपका बैली फैट घट जाएगा, जिसके बाद आप स्लिम-ट्रिम नजर आएंगे।
    कोबरा एक्सरसाइज करने के लिए अपने पैरों को जोड़कर पेट के बल लेट जाएं।
    अब कोहनी से अपनी बाहों को मोड़ें और एक सीधे कोण पर अपने हाथों के साथ अपना बैलेंस बनाने की कोशिश करें।
    अब सांस लेते हुए कमर को झुकाएं और सिर को होल्ड करते हुए धड़ को खींचें। सैकंड के लिए इसी स्थिति में रहें।
    इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ें और नीचे ले आएं। इस एक्सरसाइज को लगातार एक महीने तक करने से आप फैट से फिट होते दिखाई देंगे।
    कैंडलस्टिक एक्सरसाइज 

    कैंडलस्टिक एक्सरसाइज पेट को शेप में लाने के लिए की जाती है। एक महीने में फैट से फिट होने के लिए ये शानदार एक्सरसाइज है, जिसके बारे में अभी बहुत कम लोग जानते हैं।
    इसे करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं।
    अब अपनी टांगों को घुटनों से मोड़ते हुए छाती पर रखें।
    अब धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों को ऊपर की ओर उठाते हुए अपनी कमर को दोनों हाथों से सहारा दें। इस स्थिति में 30-50 सैकंड रहें और फिर पहले की स्थिति में आ जाएं। इस प्रक्रिया को कुछ मिनट तक बार-बार दोहराते रहें।
    बर्ड डॉग एक्सरसाइज

    बर्ड डॉग एक्सरसाइज आपके कमर के पीछे वाले हिस्से को टारगेट करती है। इससे आपकी कमर के पीछे और साइड वाली चर्बी कम होती है। कमर को पतला करने के लिए यह जरूरी होता है, कि पेट की चर्बी को कम करने के साथ
    कमर के पीछे वाले फैट को भी कम किया जाए। इस लिहाज से यह एक्सरसाइज बहुत फायदेमंद है।
    इस एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले डॉग की पोशिशन ले लें।
    इसके बाद अपनी दाएं बाजू को सीधा करें और बाएं पैर को सीधा करें।
    दो सैंकड तक इसी स्थिति में रहें और फिर वापस पहले वाली पोजीशन में आ जाएं।
    इसी तरह अब दाएं बाजू को सीधा करें और दाएं पैर को सीधा करें और फिर नॉर्मल पोजीशन में आ जाएं। आपको ऐसा 20 बार करना है।
    अगले हफ्ते बाजू और पैर को सीधा करने के बाद रूकने वाले समय को चार सैकंड के लिए बढ़ा दें। ऐसे करते हुए चौथे हफ्ते में 8 सैकंड तक रूकें।
    यह एक्सरसाइज आपके पेट के लिए बहुत अच्छी है। ये आपके पेट के साइड और सामने वाले हिस्से को टारगेट करती है। एक महीने तक रशियन ट्विस्ट एक्सरसाइज करने से आपके पूरे पेट पर जम रही चर्बी कम हो जाती है और पेट की सभी मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं।
    इस एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले दोनों पैरों को आगे करके सीधे बैठ जाएं।
    अब टांगों को घुटनों से थोड़ा सा मोड़ लें और पैरों को हवा में उठा लें।
    अब अपने हाथों में कोई चीज पकड़ लें, जैसे कि बोतल।
    अपने पैरों को इसी स्थिति में रखें और जो चीज आपने अपने हाथ में पकड़ी है, उसे एक बार लेफ्ट और दूसरी बार राइट में ले जाएं।
    एक बार लेफ्ट और एक बार राइट ले जाकर एक गिनें। ऐसा 12 बार करें। इसके बाद थोड़ा रेस्ट करें और एक बार फिर इस एक्सरसाइज को दोहराएं। पहली बार इस एक्सरसाइज के तीन राउंड करें।

    चेस्ट प्रेस एक्सरसाइज 


    फिट रहने के लिए चेस्ट को भी शेप में लाना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप चेस्ट प्रेस एक्सरसाइज कर सकते हैं। यह एक्सरसाइज चेस्ट के सामने मांसपेशियों को मजूबत करने के लिए की जाती है। इसे करने के लिए अपने दोनों हाथों में
    डंबल पकड़कर पीठ के बल लेट जाएं और घुटनों को मोड़ लें।
    अब अपर आर्म को शरीर के साथ सीधा और फोरआम्र्स को फर्श के साथ सीधा करें।
    धीरे-धीरे अपने ऊपर वजन डालें, तब तक जब की आपकी कोहनी सीधी रहे। चेस्ट को शेप देने के लिए यह एक्सरसाइज बेस्ट है।
    एक महीने में वजन कम करने वाले लोगों के लिए ग्रीन टी
    सबसे अच्छा घरेलू उपाय है। ग्रीन टी के नियमित सेवन से वजन को मेंटेन करने में मदद मिलती है। दरअसल, ग्रीन टी में पॉलीफेनाल्स पाए जाते हैं, जो फैट बर्न करने में सहायक हैं। इसे बनाने के लिए एक कप गर्म पानी में एक चम्मच ग्रीन टी मिलाएं। इसमें शक्कर नहीं डालनी है, इसलिए मिठास लाने के लिए चाहें, तो थोड़ा सा शहद मिला सकते हैं। एक महीने तक दिन में दो से तीन बार ग्रीन टी पीने से आपका वजन तेजी से कम होगा और आप बन जाएंगे एकदम फिट एंड फाइन।
    तेजी से स्लिम होने वाले लोगों के लिए काली मिर्च बेहतर घरेलू नुस्खा है। इसमें पेपरिन नामक यौगिक होता है, जिससे इसे तीखा स्वाद मिलता है। पेपरीन में वसा को कम करने वाले गुण होते हैं, जो वजन कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। आप रोजाना अपनी चाय में या खाने में एक चम्मच काली मिर्च का इस्तेमाल कर सकते हैं। एक महीने के अंदर आपका पेट तुरंत अंदर हो जाएगा और आप फिट दिखने लगेंगे।
    दालचीनी का उपयोग वजन कम करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग करने के लिए एक गिलास गर्म पानी में दो चम्मच दालचीनी का पाउडर मिलाएं। इसमें आधे नींबू
    का रस मिलाएं और फिर इस मिश्रण में थोड़ा सा शहद मिलाएं और पी जाएं। एक महीने में फैट से फिट होने का यह बहुत शानदार घरेलू तरीका है। हर दिन सुबह खाली पेट इस मिश्रण को पीने से आपको बहुत फायदा होगा।
    लहसुन एक जड़ी -बूटी है, जो आपको प्राकृतिक रूप से वजन कम करने में मदद करती है। इसमें पाई जाने वाली नेचुरल एंटी ओबेसिटी प्रॉपर्टी के कारण तेजी से वजन घटाया जा सकता है। इसके लिए आपको हर दिन अपने सब्जी या किसी डिश में एक से दो चम्मच किसा हुआ लहसुन मिलाना होगा। आप चाहें, तो लहसुन की कलियों को सीधे चबा भी सकते हैं। दिन में तीन बार ऐसा करने से फैट बहुत जल्दी कम हो जाएगा और आप एक फ्लैट टमी पा सकेंगे।
    कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो बिना डाइटिंग और कड़ी मेहनत के एकदम फिट बने रहते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार दुबले लोग हर दिन कुछ ऐसी आदतें अपनाते हैं, जिसकी वजह से उनकी बॉडी में एकस्ट्रा फैट या तो जमा नहीं होता या होता भी है, तो जल्दी घुल जाता है। नीचे हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स बता रहे हैं, जिसे अपनी लाइफस्टाइल में अपनाकर आप एक महीने में फैट से फिट बन सकते हैं।
    फिट रहने के लिए सुबह उठकर एक गिलास पानी पीएं। इससे बॉडी डिटॉक्स होती है, डाइजेशन अच्छा होता है और मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है, जिससे मोटापा नहीं बढ़ता।
    स्लिम बॉडी पाने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करना अच्छा विकल्प है। इससे ब्लड सकुर्लेशन अच्छा होता है। इतना ही नहीं लगातार एक महने तक एक्सराइज करने से मसल्स टाइट होने के साथ एक्स्ट्रा फैट और कैलोरी बर्न होती है, जिससे बॉडी फिट होती है।
    नियमित रूप से ब्रेकफास्ट करने से आपकी बॉडी हमेशा फिट रहेगी। सुबह उठने के आधे घंटे के भीतर ब्रेकफास्ट ले लेना चाहिए। हेल्दी ब्रेकफास्ट करने से दिन की हेल्दी शुरूआत होती है, जिससे लंच में ज्यादा कैलोरी लेने की जरूरत नहीं पड़ती।
    रोजाना अपनी डाइट में प्रोटीन और अनाज शामिल करें। इससे पेट ज्यादा देर तक भरा रहता है, जिससे बार-बार भूख लगने की संभावना कम हो जाती है।
    एक महीने मीठा खाने से परहेज करें। शक्कर में फ्रुक्टोज होता है, जो बॉडी में फैट बढ़ाता है।
    अपने दिनभर की डाइट में फल-सब्जियों को शामिल करें। इससे पेट की सफाई होती है, कैलोरी इंटेक कम होता है और डाइजेशन भी अच्छा रहता है।
    एक महीने में फैट से फिट होने के लिए लिफ्ट का इस्तेमाल न करें। इसके बजाए सीढ़ियों से चढ़ें-उतरें। ऐसा करने से एक महीने के अंदर आप खुद में एक अलग बदलाव पाएंगे।
    चबा-चबाकर खाना खाएं। हर बाइट को कम से कम तीस सैकंड तक चबाएं। इससे खाना अच्छे से पचता है और बॉडी में फैट जमा होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
    रोजाना छह से आठ घंटे की नींद लेने से भी फिट बना जा सकता है। इससे भूख नियंत्रित रहती है और हाई कैलोरी फूड खाने की इच्छा भी कम हो जाती है।
    अपनी लाइफस्टाइल में इन छोटी-छोटी आदतों को सिर्फ एक महीने अपनाकर देखें। इन टिप्स या आदतों को अपनाने से कैलोरी बर्न होगी, बॉडी में फैट जमा नहीं होगा और आप सफलतापूर्वक फैट से फिट बन जाएंगे।
    फिटनेस का एक महीना आपमें स्वस्थ आदतों का निर्माण करेगा, जो लंबे समय तक रहेगा। हो सकता है कि 30 दिनों में शरीर में होने वाले परिवर्तन मामूली हों, हालांकि ये सबके अलग-अलग बॉडी टाइप पर निर्भर करता है, लेकिन मन और शरीर को मजबूत बनाने में आप सफल होंगे। कार्डियोवस्कुलर एक्सरसाइज और स्वस्थ भोजन की आदतों को अपनाकर आप 30 दिनों के भीतर ज्यादा से ज्यादा एनर्जी, कम तनाव, मजबूत हड्डियों के साथ आत्मविश्वास में मजबूती ला सकते हैं। शारीरिक परिवर्तनों के लिए हर व्यक्ति और शरीर अलग होता है, जो लोग फिटनेस के लिए नए हैं, खासतौर से उन्हें अधिक वजन घटाने की तुलना में शारीरिक बदलाव ज्यादा देखने को मिलेंगे।





    नीम के पानी से नहाने के लाभ



    अक्सर लोग ये जानना चाहते हैं कि नीम के पानी से नहाने से क्या होता है तो आपको बता दें की आयुर्वेद में नीम के पानी से नहाने का अपना एक अलग ही महत्‍व है। ऐसा माना जाता है नीम के पानी में नहाने के फायदे हमारे स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़े हुए हैं। ऐसा हो भी क्‍यों ना क्‍योंकि नीम में औषधीय गुण होते हैं जो हमें विभिन्‍न प्रकार के संक्रमण से बचाते हैं। प्राचीन समय से ही नीम के पानी का उपयोग नहाने के लिए किया जा रहा है। नीम में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण के कारण यह हमारी बहुत सी त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में मदद करता है।
    नीम के पानी के लाभ इतने हैं कि जिन्‍हें जानकर आप भी नीम का उपयोग किये बिना नहीं रह पाएगें। आइए जाने नीम के पानी से नहाने के लाभ क्‍या हैं।


     त्वचा समस्या-
    नीम का पानी त्वचा समस्याओं के लिए लाभकारी होता है। आपको यह जान कर आश्‍चर्य हो सकता है कि नीम के विभिन्न हिस्‍सों में 140 से अधिक सक्रिय यौगिक होते हैं। जिनके कारण नीम पानी के फायदे हमारी त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में मदद करते हैं। नीम के पानी का एक और फायदा यह है कि इसमें एंटीमिक्राबियल गुण भी उच्‍च मात्रा में होते हैं। इसका तात्‍पर्य यह है कि नीम के पानी से नहाने के फायदे आपको त्‍वचा संक्रमण से बचा सकते हैं। नीम के पानी का उपयोग विशेष रूप से चिकनपॉक्‍स (छोटी माता) से ग्रसित लोगों के लिए फायदेमंद होता है। यदि आप सोरायसिस या एक्जिमा (Psoriasis vs Eczema) जैसी समस्‍याओं से परेशान हैं तो नीम के पानी से नहाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।


    तन की बदबू को हटाना
    नीम के उपयोग तन की बदबू को हटाने में किया जा सकता है। यदि आपको या आपके किसी परिचित को इस प्रकार की समस्‍या है तो उन्‍हें नीम के पानी से नहाने की सलाह दी जा सकती है। नीम के पानी से स्‍नान करने से आप शरीर की बदबू को दूर कर सकते हैं। अक्‍सर शरीर के गर्म और नमी युक्‍त भाग जैसे जननांग क्षेत्र या बगल में बैक्‍टीरिया की उपस्थिति के कारण शरीर से बदबू आने लगती है। नीम के पानी में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण उन बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने और उनके प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं। इस तरह से नीम के पानी का इस्‍तेमाल कर आप शरीर की दुर्गंध को दूर कर सकते हैं।


     बालों की समस्‍या -
    जो लोग बालों की समस्‍या से परेशान हैं वे नीम के पानी का उपयोग कर सकते हैं। नीम में पानी में मौजूद औषधीय गुण न केवल आपके बालों को स्‍वस्‍थ्‍य रखता है बल्कि उन्‍हें डैंड्रफ मुक्‍त भी रखता है। यदि आपको भी डैंड्रफ से छुटकारा चाहिए तो नियमित रूप से सप्‍ताह में 2 बार नीम के पानी से स्‍नान करें। यह आपके बालों को प्राकृतिक चमक दिलाने में भी सहायक होता है।

    आंखों की समस्‍याएं-
    आप नीम के पानी का उपयोग अपनी आंखों की समस्‍याएं जैसे आंख की खुजली, आंख आना इत्यादि के लिए कर सकते हैं। नीम के पानी से स्‍नान के दौरान नीम का पानी आपकी आंखों में मौजूद बैक्‍टीरिया को नष्‍ट करने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि नीम के पानी में एंटी-बैक्‍टीरियल गुण अच्‍छी मात्रा में होते हैं। इस तरह से यह स्‍पष्‍ट होता है कि नीम की पत्तियों को उबाल कर स्‍नान करना आंखों के लिए लाभकारी होता है।


    एंटी-एजिंग गुण-
    आप नीम के पानी का इस्‍तेमाल उम्र बढ़ने संबंधी लक्षणों को कम करने के लिए कर सकते हैं। नीम के पानी में एंटी-एजिंग गुण भरपूर मात्रा में होते हैं। नियमित रूप में नीम के पानी का नहाने के लिए उपयोग करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। क्‍योंकि नीम आपकी त्‍वचा को पोषण देने के साथ ही झुर्रियों और डार्क सर्कल्‍स को हटाने में भी सहायक होता है। जिससे आपकी त्‍वचा को पर्याप्‍त मॉइस्‍चराइजिंग और प्राकृतिक चमक मिलती है।
     

    बालों को मजबूत करता है -
    नीम का पानी बाज़ार में उपलब्ध रासायनिक उत्‍पाद जिनका उपयोग आप बालों के लिए करते हैं, उनसे कहीं बेहतर है। नीम का पानी बालों के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने वाला प्राकृतिक उत्‍पाद है। इसका उपयोग करने से बालों में किसी प्रकार के दुष्‍प्रभाव नहीं होते हैं। नीम का पानी बालों को मजबूत करता है और इन्‍हें गिरने से बचाता है। इसके अलावा नीम में मौजूद औषधीय गुण रोम छिद्रों को साफ करने और नए बालों को उगाने में मदद करते हैं। इसके लिए आप कुछ नीम की पत्तियों को पानी में उबालें और पानी को ठंडा करने के बाद अपने बालों को धोलें। नीम का पानी सिर की जूँ और लीख को हटाने में भी मदद करता है।

    मांसपेशीय दर्द-
    आप नीम के पानी का उपयोग मांसपेशीय दर्द को कम करने में कर सकते हैं। यह एक आम समस्‍या है जिससे सभी लोग प्रभावित रहते हैं। लेकिन अध्‍ययनों से पता चलता है कि मांसपेशीयों के दर्द को कम करने में गर्म पानी मदद करता है। इसलिए आप नीम की पत्तियों को उबाल कर इस पानी का उपयोग स्‍नान के लिए कर सकते हैं। दर्द को कम करने के लिए नीम का उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है। आप अपने नहाने के पानी में नीम तेल का भी उपयोग कर सकते हैं। नीम का पानी दर्द को कम करने के साथ ही त्‍वचा के लिए भी फायदेमंद होता है।


    गठिया की सूजन -
    कुछ अध्‍ययनों से पता चला है कि नीम के पानी से स्‍नान करने पर गठिया की सूजन को कम किया जा सकता है। नीम का पानी न केवल गठिया की सूजन बल्कि दर्द को भी कम करता है। क्‍योंकि नीम के औषधीय गुणों में दर्दनाशक गुण भी शामिल हैं। नीम शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत और संतुलित बनाने में मदद करता है। इस तरह से नीम का पानी सीधे ही गठिया के प्रभाव और विकास को रोकने में सहायक होता है।

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