जब किसी कारण चोट लग जाए तो उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। चोट छोटी बड़ी नहीं होती है, चोट चोट होती है। जिसका सही उपचार न करने पर वह गंभीर समस्या बन जाती है। चोट लगने या जलने से घाव हो जाता है। आप कोई उपचार करें या न करें, बॉडी चोट लगते ही घाव भरने का काम शुरु कर देती है। छोटी मोटी खरोंचे तो शरीर ख़ुद ठीक कर लेता है, लेकिन घाव अगर बड़ा हो जाए तो उसको भरने के लिए हमें कुछ उपाय करके अपने शरीर के काम में मदद करनी पड़ती है। आज हम घाव जल्दी भरने के लिए क्या करना चाहिए, इसके घरेलू उपाय जानेंगे।
घाव की गहराई की जांच
जब भी चोट लगे तो घाव की गहराई की जांच तुरंत कर लेनी चाहिए। जिससे आपको पता चलेगा कि घर पर ये ठी क हो सकेगी या फिर आपको डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा। घाव गहरा होने पर उसमें टांके लगाने पड़ सकते हैं, इसलिए बड़ी चोटों के लिए डॉक्टर से ज़रूर मिलिए।
ख़ून रोकने के उपाय
चोट से अगर ख़ून बह रहा हो तो घाव पर रूई की पट्टी बांधकर उसे थोड़ी देर हल्का सा दबाकर रखें। ज़्यादा दबाने की ज़रूरत नहीं है, ख़ून बंद न हो तो एक पट्टी और रखिए। ख़ून न रुक रहा हो फ़ौरन डॉक्टर से मिलिए। ख़ून बंद होने के बाद ही घाव भरने के उपाय किए जा सकते हैं।
घाव की सफ़ाई
ख़ून रुक जाने के बाद घाव की सफ़ाई कीजिए। ध्यान रखें कि घाव की सफ़ाई से पहले अपने हाथ साबुन से अच्छे से धो लेने चाहिए। इससे इंफ़ेक्शन के चांसेज कम हो जाएंगे। चोट पर साबुन न लगने दें।
– घाव को साफ़ पानी से धुलना चाहिए, नल के ताज़े पानी से घाव की सफ़ाई करते समय नल का प्रेशर कम रखना चाहिए।
– घाव को रुई से थपथपाना चाहिए, न कि उसे पोंछना चाहिए। पोंछने से घाव खुल सकता है।
– घाव को धूल और मिट्टी से बचाना चाहिए। धूल मिट्टी के कण घाव में बैठ जाएँ तो घाव पक सकता है।
– घाव को सैलाइन घोल _ Saline Solution से साफ़ करना चाहिए। यह डिस्टिल्ड वाटर और सोडियम क्लोराइड का आइसोटोनिक घोल _ Isotonic Solution होता है।
घाव की मरहम पट्टी
घाव पर एंटी बैक्टीरियल ओइंमेंट लगाकर पट्टी बांधनी चाहिए। ये इंफ़ेक्शन की संभावना कम करके घाव भरने की दर बढ़ाता है।
घाव भरने के उपाय
आयुर्वेदिक तरीक़ों से भी घाव जल्दी भरे जा सकते हैं, इसके लिए हर्बल एंटीसेप्टिक और मरहम का इस्तेमाल किया जाता है। इन उपायों से घाव के निशान भी गायब हो जाते हैं।
1. एलो वेरा
– ज़ख़्म गहरा न हो तो एलो वेरा जेल का प्रयोग कीजिए। इससे घाव की सूजन कम हो जाती है, साथ ही ज़ख़्म को ज़रूरी नमी मिल जाती है।
– गहरे और खुली चोटों पर ऐलो वेरा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
– ऐलो वेरा से एलर्जी होने की संभावना बहुत ही कम है, लेकिन यदि त्वचा का रंग लाल हो जाए तो डॉक्टर से मिलें।
– कटे छिले पर ऐलो वेरा का रस बहुत फ़ायदेमंद है।
2. शहद
– शहद के प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल गुण घाव को पकने से बचाते हैं। जिससे घाव जल्दी भरता है।
– छोटी मोटी चोटों के लिए घाव साफ़ करने के लिए शहद लगाकर पट्टी से बांध दें।
– त्वचा में बढ़ने वाली सूजन शहद लगाने ठीक हो जाती है।
3. हल्दी
– एंटी सेप्टिक गुणों से युक्त हल्दी घाव को इंफ़ेक्शन से बचाती है।
– घाव को गोमूत्र से भी साफ़ किया जा सकता है, इसके बाद हल्दी का लेप लगा लीजिए।
4. सिरका
कटे छिले ज़ख़्म पर सिरका लगाने से आराम मिलता है। सिरका लगाने से आपको थोड़ी जलन होगी, लेकिन घाव जल्दी भर जाता है। सिरके की दो चार बूंदे ही रुई पर डालकर साफ़ करना चाहिए।
5. आइसपैक
– चोट की सूजन कम न हो तो आइसपैक प्रयोग करनी चाहिए। इससे ख़ून बहना कम हो जाता है और दर्द में भी आराम मिलता है।
– आइसपैक न हो तो एक रूमाल या तौलिए में बर्फ़ लपेटकर घाव पर लगाएँ।
– आइसपैक या बर्फ़ को चोट के सम्पर्क में सीधे नहीं लाना चाहिए।
6. योग और व्यायाम
हल्की एक्सरसाइज़ से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। योग, स्ट्रेचिंग, टहलना और साइकलिंग आदि कर सकते हैं।
घाव भरने के आयुर्वेदिक उपाय
– चोट पर गौमूत्र या अपना मूत्र इस्तेमाल करें।
– हल्दी वाला दूध ही पीना चाहिए।
– घाव होने पर भोजन कम करना चाहिए, इससे घाव जल्दी भर जाता है।
घाव जल्दी भरने के लिए आहार
शरीर में पोषक तत्वों की कमी से घाव भरने में देर लग सकती है। इसलिए प्रोटीन और विटामिन का सेवन करना चाहिए। प्रोटीन से घाव जल्दी भरता है और विटामिन स्किन को हेल्दी रखता है। विटामिन ए और सी पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए। साथ ही ज़िंक में भी घाव भरने की क्षमता होती है।
– शाकाहारी प्रोटीन के लिए दालें, सोयाबीन और चने का सेवन करें और मांसाहारी अंडे, मछली और चिकन खा सकते हैं।
– नींबू, संतरा, अन्नानास और ब्रोकोली
से विटामिन सी मिलता है। जबकि दूध, पनीर, गाजर और हरी सब्ज़ियों में विटामिन ए होता है।
– पानी में अनेक प्रकार के मिनिरल्स होते हैं, जिससे घाव जल्दी भरते हैं। साथ यह शरीर में डी-हाइड्रेशन नहीं होता है।
घाव भरने के अन्य उपाय
चोट लगने पर डायबिटीज़ के मरीज़ का ख़ून जल्दी नहीं रुकता है, और इससे घाव भरने दर भी धीमी हो जाती है। कभी कभी समस्या गैंगरीन बन जाती है, जिसमें मरीज़ का चोटिल अंग सड़ जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि उस भाग की सभी कोशिकाएँ मर जाती हैं और नई कोशिकाएँ विकसित नहीं होती हैं। ऐसी स्थिति में अंग को काटकर अलग करना पड़ता है।
आयुर्वेदिक औषधि बनाने की विधि
गैंगरीन के उपचार के लिए आप घर पर औषधि बना सकते हैं। जिसमें गाय का मूत्र, हल्दी और गेंदे के फूल चाहिए।
– गाय के मूत्र को साफ़ कपड़े से छानकर प्रयोग करना चाहिए।
– छने हुए गौ मूत्र में हल्दी और गेंदे की पत्तियाँ मिलाकर पीस लीजिए। इस लेप का प्रयोग घाव पर दिन में दो बार करें।
– दुबारा घाव पर यह लेप लगाने से पहले घाव को गौ मूत्र से धोना चाहिए, डेटॉल से नहीं।
– लेप को प्रयोग से तुरंत पहले बनाना चाहिए।
घाव भरने के लिए सावधानियाँ
– चोट लगने पर घाव को खुला छोड़ने की बजाय उसपर एंटी सेप्टिक लगाएँ।
– घाव छूने और पट्टी बदलने से पहले अपने हाथ ज़रूर धो लें।
– चोट पर ब्यूटी या कॉस्मेटिक क्रीम का प्रयोग न करें।
– ज़ख़्म भर जाने के बाद पपड़ी को ख़ुद झड़ने दें। अगर आप ज़बरदस्ती निकालेंगे तो चोट का निशान रह जाएगा।
– कुछ हफ़्ते में घाव ठीक न हो तो डॉक्टर को दिखाएँ।
– घाव को हमेशा ढककर रखना चाहिए, ताकि उस पर मक्खियाँ न लगें।
– घाव को धूप में न रखें, इससे उसके निशान रह जाते हैं।
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