25.12.19

कद्दू के जूस के स्वास्थ्य लाभ



कद्दू का रस पीने के फायदे ठीक उसी तरह होते हैं जैसे कि किसी औषधीय पेय के होते हैं। आपने अब तक कद्दू के बीज और कद्दू खाने के फायदे सुने होगें। लेकिन अब कद्दू का जूस पीने के लाभ के बारे में भी जान लें। क्‍योंकि यह जूस कोई साधारण पेय नहीं है। कद्दू का रस पीने के फायदे आपको कई बीमारियों से दूर कर सकता है। कद्दू के जूस का उपयोग किडनी को स्‍वस्‍थ रखने, कब्‍ज का इलाज करने, मूत्र संक्रमण को कम करने, उच्‍च रक्‍तचाप को कम करने के लिए लाभकारी होता है। यदि आप कद्दू से बनाए गए जूस के लाभ नहीं जानते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। इस लेख में आप कद्दू के जूस के फायदे, औषधीय गुण, उपयोग, इस्‍तेमाल और नुकसान संबंधी जानकारी प्राप्‍त करेगें।
पम्‍पकिन या कद्दू का जूस एक प्रभावी पेय पदार्थ है जिसे कद्दू के गूदे से बनाया जाता है। कद्दू के ऊपरी और कठोर छिलके को हटाया जाता है। फिर कद्दू के गूदे का पेस्‍ट बनाकर पानी के साथ घोलकर कद्दू का जूस तैयार किया जाता है। इस कद्दू के जूस का सेवन करना कई गंभीर और सामान्य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी योगदान दे सकता है। आइए विस्‍तार से जाने कद्दू के जूस संबंधी अन्‍य तथ्‍य क्‍या हैं।
वजन कम करने का सबसे अच्‍छा उपाय

जब स्‍वास्‍थ्‍य की बात आती है तो कद्दू का जूस एक बेहतरीन विकल्‍प है। यह विटामिन सी, पोटेशियम, मैग्नीशियम और अन्‍य महत्‍वपूर्ण पोषक तत्‍वों से भरपूर है। इसमें कैलोरी कम होती है और कद्दू जूस का लगभग 94 प्रतिशत हिस्‍सा केवल पानी होता है। इसलिए यह शरीर को हाइड्रेट रखने और पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। आप आपने मन में कद्दू के रस को लेकर किसी प्रकार की शंका न रखें क्‍योंकि यह वजन कम करने का सबसे अच्‍छा उपाय है।


सामान्‍य रूप से कद्दू के जूस के 1 बड़े कप को दिन में दो बार सेवन किया जा सकता है। यह पेट में एसिड के स्‍तर को बेहतर बनाए रखने और पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी होता है। आप भोजन के बाद भी इस जूस का सेवन कर सकते हैं। हालांकि निर्धारित मात्रा से अधिक कद्दू का जूस पीना आपकी पाचन समस्‍याओं को बढ़ा भी सकता है।
स्‍वास्‍थ्‍य के साथ ही साथ कद्दू के रस के फायदे त्वचा और बालों के लिए भी होते हैं। इस लेख आपको कद्दू के फल से बनाए गए जूस संबंधी उन सभी लाभों के बारे में बताया जा रहा है। जिन्‍हें जानकर आप भी इस अद्भुद जूस के लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं।
गुर्दे की पथरी या पित्ताशय की समस्‍याएं
जिन लोगों को गुर्दे की पथरी या पित्ताशय की समस्‍याएं होती हैं उनके लिए कद्दू के रस का सेवन फायदेमंद हो सकता है। किडनी और लिवर संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए नियमित रूप से कद्दू के रस का सेवन किया जा सकता है। जो बीमारी को प्रभावी रूप से दूर करने में मदद करता है। कुछ लोगों का मानना है कि 10 दिन तक लगातार कद्दू का रस पीना लिवर और किडनी की समस्‍या को कम करके उन्‍हें हेल्‍थी बना सकता है। आप भी कद्दू के जूस का सेवन कर अपनी किड़नी और लीवर को स्‍वस्‍थ रख सकते हैं।

पाचन संबंधी समस्‍याओं का प्रभावी उपचार
पाचन संबंधी समस्‍याओं का प्रभावी उपचार करने के लिए कद्दू का रस एक बेहतर विकल्‍प है। कद्दू के रस में फाइबर की अच्‍छी मात्रा होती है जो पूरे पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखने के लिए आवश्‍यक है। कद्दू के रस के लाभ आंतों में चिकनाहट को बढ़ाता है जिससे मल को पारित होने में आसानी होती है। यदि आप भी कब्‍ज और अन्‍य पाचन समस्‍याओं का उपचार करना चाहते हैं तो कद्दू के रस के लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं। अच्‍छी बात यह है कि कद्दू के जूस को आप आसानी से घर पर तैयार कर सकते हैं जो कब्‍ज का सबसे अच्‍छा घरेलू उपाय हो सकता है।

क्‍या आपको पूरी और अच्‍छी नींद लेने में असुविधा होती है। इसका मतलब यह है कि आपको अनिद्रा की समस्‍या है जिसके कारण आप रात में अपनी नींद नहीं ले पा रहे हैं। इस समस्‍या का प्राकृतिक उपचार कद्दू के जूस से किया जा सकता है। अनिद्रा का घरेलू उपचार करने के लिए आप नियमित रूप से कद्दू के रस का सेवन कर सकते हैं। प्रतिदिन आप 1 गिलास कद्दू के रस में थोड़ा शहद मिलाएं और सेवन करें। यह आपकी नसों को आराम दिलाने और मस्तिष्‍क को शांत करने में मदद कर सकता है। जिससे आपको अच्‍छी नींद लेने में आसानी हो सकती है।
कद्दू के जूस का सेवन करे रक्‍तचाप नियंत्रित
जिन लोगों को उच्‍च रक्‍तचाप संबंधी समस्‍या है उन्‍हें कद्दू के जूस का सेवन फायदा दिला सकता है। अध्‍ययनों से पता चलता है कि कद्दू के रस में ऐसे पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ होते हैं जो शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल और उच्च रक्‍तचाप को नियंत्रित कर सकते हैं। पम्‍पकिन जूस में पेक्टिन की अच्‍छी मात्रा होती है जो शरीर में खराब कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है। उच्‍च रक्‍तचाप और हाई कोलेस्ट्रॉल दोनों ही हृदय संबंधी समस्‍याओं का प्रमुख कारण होते हैं। लेकिन आप इन समस्‍याओं से बचने के लिए अपने आहार में कद्दू के रस का प्रयोग कर सकते हैं।
कद्दू जूस का फायदा मार्निग सिकनेस के लिए
अक्‍सर महिलाओं को गर्भावस्‍था के दौरान सुबह की बीमारी (Morning Sickness) का सामना करना पड़ता है, उन महिलाओं के लिए कद्दू के रस पीने के फायदे हो सकते हें। गर्भावस्‍था के दौरान एसिड रिफ्लक्‍स के कारण होने वाली उल्‍टी और मतली को रोकने के लिए नियमित रूप से कद्दू के जूस का सेवन किया जा सकता है। सुबह की बीमारी का घरेलू उपचार करने के लिए नियमित रूप से प्रतिदिन 1 गिलास कद्दू का जूस पीना महिलाओं को लाभ दिला सकता है।



बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए
क्‍या आप अपने शरीर की आंतरिक अशुद्धियों को दूर करने प्राकृतिक उपाय खोज रहे हैं? यदि हां तो आप अपनी बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए कद्दू के जूस का सेवन कर सकते हैं। यह एक चमत्‍कारिक पेय पदार्थ है जो शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को प्रभावी रूप से दूर कर सकता है। इसके अलावा यह आपके शरीर की आंतरिक क्षतिग्रस्‍त कोशिकाओं की मरम्मत करने में भी प्रभावी योदान दे सकता है। आप अपने शरीर से अशुद्धियों को दूर करने के लिए सुबह के समय खाली पेट कद्दू के जूस का उपभोग कर सकते हैं। यह पाचन तंत्र और गुर्दों की बेहतर सफाई करने का अच्‍छा और प्राकृतिक घरेलू उपाय माना जाता है।

कद्दू जूस के औषधीय गुण मूत्र संक्रमण रोके
पम्‍पकिन जूस का सेवन कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ दिलाता है जिनमें मूत्र पथ को स्‍वस्‍थ रखना भी शामिल है। यदि आप मूत्र पथ के संक्रमण और अन्‍य समस्‍याओं का समाधान चाहते हैं तो कद्दू के रस का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यह आपके मूत्र पथ और गुर्दे में मौजूद अपशिष्‍ट पदार्थों को साफ करने और उन्‍हें बाहर निकालने में मदद कर सकता है। यदि आप कद्दू के जूस का सेवन कर सकते हैं तो यह आपके गुर्दे और मूत्र पथ को संक्रमण से बचा सकता है।
हेयर बेनिफिट्स के लिए कद्दू के जूस के इस्‍तेमाल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कद्दू के रस में विटामिन ए की उच्‍च मात्रा होती है जो आपके स्‍कैल्‍प (scalp) के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके अलावा कद्दू के जूस में पोटेशियम की भी अच्‍छी मात्रा होती है जो बालों में रि-ग्रोथ को बढ़ावा देने में मदद करता है। नियमित रूप से कद्दू के रस का सेवन करने से बालों को झड़ने से भी बचाया जा सकता है।
घर में कद्दू का जूस कैसे बनाए
घर में कद्दू का जूस बनाना बहुत ही आसान है। घर में तैयार किये गए प‍म्‍पकिन जूस को अधिक प्रभावी माना जाता है क्‍योंकि इसे बनाने में किसी भी केमिकल्‍स का उपयोग नहीं किया जाता है। साथ ही यह ताजा होता है। आइए जाने किस प्रकार हम घर पर ही कद्दू का रस बना सकते हैं।
कद्दू का रस बनाने के लिए आपको केवल पके हुए कद्दू का 1 टुकड़ा और पानी की आवश्‍यकता होती है।
आप कद्दू के ऊपरी छिलके को लिकाल लें और इसके छोटे-छोटे टुकड़े बना लें। इसके बाद थोड़े से पानी के साथ इन कद्दू के टुकडों को जूसर ब्‍लेंड में डालकर मिक्स करें। आपका कद्दू का जूस तैयार है। यह कम मीठा होता है। वैसे तो प्राकृतिक रूप से इतना मीठा जूस ही आपको सेवन करना चाहिए। लेकिन अतिरिक्‍त मिठास बढ़ाने के लिए आप शक्‍कर की जगह शहद का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

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    19.12.19

    सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद



    भोजन हमारे जीवन का एक अविभाज्य हिस्सा है, हम सचमुच खाने के लिए जीते हैं! लेकिन साथ ही स्वस्थ भोजन के बारे में जागरूकता भी हमारी जीवन-शैली का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई है। हम सब अपने स्तर पर स्वस्थ खाने और फिट रहने के लिए जागरूक होने का प्रयास कर रहे हैं। भोजन पकाने के लिए तेल के इस्तेमाल को लेकर कई तरह की धारणाएं बनी हुई हैं। जिसमें आमतौर पर तेल के इस्तेमाल को सेहत के लिए नुकसानदायक बताते हैं। तेल चूंकि फैट का मुख्य स्रोत है, इसलिए ये शरीर में चर्बी को बढ़ाता है। लेकिन कई स्टडीज यह दावा करती हैं कि कुछ तेल आपके हृदय को सेहदमंद रखने के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं और यह शरीर को कई बीमारियों से दूर रखते हैं। आमतौर पर भोजन पकाने के लिए जैतून के तेल (ऑलिव ऑयल) को सबसे हेल्दी माना जाता है। मगर भारत में कुकिंग के लिए ज्यादातर सरसों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। इस लेख के जरिए जानें कि कौन सा तेल आपकी सेहत बेहतर है।
    इन दिनों बाज़ार में ऑलिव ऑयल या फ्लेक्ससीड ऑयल का चलन बढ़ता जा रहा है। ऑलिव ऑयल के अपने कई फायदे हैं लेकिन अगर भोजन पकाने की बात जाए तो सरसों तो सरसों के तेल से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। हमारे देश में सरसों के तेल का इस्तेमाल ज्यादातर घरों में किया जाता है। सरसों तेल हर किचन का अहम हिस्सा है और लगभग हर घर में सरसों के तेल में भोजन पकाया जाता है। काफी पुराने समय से इसका इस्तेमाल खाना बनाने के लिए किया जा रहा है। वैसे मार्किट में और भी कुकिंग ऑयल हैं जैसे- ऑलिव ऑयल यानी जैतून का तेल, रिफाइंड ऑयल, कैनोला तेल, राईस ब्रान ऑयल, वेजिटेबल ऑयल, तिल का तेल और मूंगफली का तेल।


    जैतून का तेल (ऑलिव ऑयल)
    जैतून का तेल आज के समय में बहुत ही जाना पहचाना नाम बन चुका है। बड़े-बड़े फिटनेस एक्सपर्ट्स ने इसका खूब प्रचार किया है और जैतून के तेल को केवल एक विकल्प भर ही नहीं बताया है। फिटनेस फ्रीक्स के लिए यह तेल अधिक पॉपुलर बन गया है। इस तेल में वसा अच्छी मात्रा में होती है जो हृदय स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी होता है। यह एक ऐसा जादुई तेल है जिसके इस्तेमाल से आपका वजन नहीं बढ़ता।
    सरसों का तेल
    सरसों के तेल का इस्तेमाल आयुर्वेद से जुड़ा हुआ है जिसका इस्तेमाल भारतीय घरों में युगों से होता चला आ रहा है। इस तेल की तीखी गंध और गहरे पीले रंग से इसकी पहचान को मान्यता मिली है। भारतीय घरों इसका इस्तेमाल व्यापक स्तर पर किया जाता है। खासतौर पर पूर्वी भारत में इसका इस्तेमाल अधिक किया जाता है। हमारे पारंपरिक भोजन जैसे मछली या झालमुरी को पकाने के लिए सरसों के तेल की जगह किसी और तेल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
    सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद
    सरसों का तेल प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट और जरूरी फैटी एसिड पर्याप्त मात्रा में होते हैं। दोनों ही तेल दिल की सेहत को बनाए रखने के लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, पॉलीअनसेचुरेटेड वसा और कुछ अन्य अच्छे वसा भरपूर मत्रा में होते हैं जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। साथ ही यह तेल गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (बैड कोलेस्ट्रॉल) को बनने से रोकता है।


    यह तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड का बहुत ही अच्छा स्रोत है साथ ही इसमें शरीर के लिए अन्य जरूरी हेल्दी फैट्स भी होते हैं। भोजन पकाते समय तेल में मौजूद अच्छे फैटी एसिड और तेल न सिर्फ आपके भोजन के स्वाद को बढ़ाता है बल्कि खून में मौजूद फैट को भी कम करता है।
    ज्यादातर शोधकर्ताओं ने यह सिद्ध किया है कि जैतून के तेल की तुलना में सरसों का तेल अधिक सेहतमंद होता है। क्योंकि इसमें जरूरी फैटी एसिड मौजूद होते हैं। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड दोनों ही पर्याप्त मात्रा में होते हैं। यह आपके भोजन स्वस्थ बनाते हैं जो आपके हृदय स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी है। वहीं जैतून के तेल में इन सभी जरूरी फैटी एसिड की मात्रा कम होती है और इसकी कीमत सरसों की तेल की तुलना में बहुत अधिक होती है
    क्या है प्रमाण
    बहुत सारी स्टडीज के अनुसार सरसों के तेल को उसमें मौजूद सभी जरूरी फैटी एसिड के अनुपात कारण सबसे सेहदमंद तेलों में से एक माना जाता है। साथ ही यह भी पाया गया है कि सरसों का तेल हृदय संबंधि रोगों से बचाने में भी मदद करता है और सरसों का तेल कोरोनरी धमनी रोगों और अन्य हृदय संबंधि रोगों से बचाता है। इसके अलावा यह तेल ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है और हाई ब्लड प्रेशर के खतरे से बचाता है।

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    18.12.19

    खाने के बाद 30-40 मिनट पैदल चलने से मोटापा और हार्ट रोग रहेंगे दूर


    पैदल चलना (Walking) अपने आप में एक बेहतरीन एक्सरसाइज है। सुबह से लेकर रात तक जब भी समय और मौका मिले, आपको पैदल जरूर चलना चाहिए। रेगुलर वॉक करने से आप न सिर्फ शारीरिक रूप से फिट रहते हैं, बल्कि शरीर की कई बीमारियों की भी 'टाटा बाय-बाय' कह सकते हैं। जी हां, शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ 3 मिनट पैदल चलकर आप अपना बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर कंट्रोल कर सकते हैं। इसी तरह 5 मिनट पैदल चलकर आप अपने खराब मूड को ठीक कर सकते हैं।
    दरअसल प्रकृति ने आपका शरीर आराम करने के लिए नहीं बनाया गया है। अगर आप दिन भर एक ही जगह बैठे-बैठे या लेटे हुए गुजार देते हैं, तो आपका शरीर कई तरह की बीमारियों का शिकार बनता जाता है। इसलिए अपने बॉडी पार्ट्स को मूव करते रहना और थोड़ा-बहुत काम करते रहना बेहद जरूरी है। अगर आप जिम जाकर वर्कआउट नहीं कर सकते हैं, सुबह उठकर पार्क में एक्सरसाइज नहीं कर सकते हैं, घर में योगासन भी नहीं कर सकते हैं, तो कम से कम आपको पैदल तो चलना ही चाहिए। आइए आपको बताते हैं दिन में थोड़ा-थोड़ा पैदल चलना आपके लिए कैसे फायदेमंद साबित होता है।
    10 मिनट चलकर घटा सकते हैं ब्लड प्रेशर

    शोध बताते हैं कि अगर आप हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) के शिकार हैं, तो दिन में 3-4 बार 10 मिनट तेज गति से पैदल चलने से आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल हो सकता है। ये ऐसे लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है, जो काफी बिजी रहते हैं। ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करना इसलिए जरूरी है क्योंकि इसके कारण आपको हार्ट अटैक, किडनी फेल्योर और स्ट्रोक आदि गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
    5 मिनट पैदल चलने से आपका बिगड़ा मूड सही हो जाता है
    इस बात को आपने भी महसूस किया होगा कि जब आप बहुत अधिक टेंशन में हों, तो उठकर थोड़ी दूर पैदल चलने से आपकी टेंशन कम हो जाती है। दरअसल पैदल चलना आपके मूड को सही करता है। जब भी आपका मूड थोड़ा खराब हो, कमरे से बाहर निकलें और 5-7 मिनट चीजों-लोगों को देखते हुए पैदल चलें। इससे आपका मूड तुरंत सही हो जाएगा और तनाव भी कम होगा। शोध बताता है कि जो लोग ऑफिस में देर तक बैठकर काम करते हैं, वो अगर अपनी सीट से उठकर हर 1-2 घंटे में 5 मिनट पैदल चलें, तो उनकी प्रोडक्टिविटी बढ़ती है।
    5-10 मिनट पैदल चलने से बढ़ती है आपकी क्रिएटिविटी

    अगर आप कोई क्रिएटिव आइडिया खोज रहे हैं या कोई समस्या सुलझा रहे हैं, जो आपको काफी देर से उलझाए हुए है, तो 5 मिनट पैदल चलें और आप पाएंगे कि आप ज्यादा बेहतर सोच पा रहे हैं। जी हां, रिसर्च बताती है कि पैदल चलने से आपकी क्रिएटिविटी बेहतर होती है और आप ज्यादा बेहतर सोच सकते हैं।
    रात के खाने के बाद 15 मिनट पैदल चलें, कंट्रोल होगा ब्लड शुगर
    रात के खाने के बाद आपको तुरंत लेटना या बैठना नहीं चाहिए। खाने के बाद 15 मिनट पैदल चलने से आप अपने ब्लड शुगर को बढ़ने से रोक सकते हैं। जी हां, अमेरिकन डायबिटीज सेंटर के डायबिटीज केयर नाम के जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार आप रात के खाने के बाद सिर्फ 15 मिनट पैदल चलकर, दिनभर अपना ब्लड शुगर कंट्रोल रख सकते हैं।
    खाने के बाद 30-40 मिनट पैदल चलने से मोटापा और हार्ट रोग रहेंगे दूर
    रोजाना खाना खाने के बाद अगर आप सिर्फ 30 मिनट पैदल चलते हैं, तो इससे आपका मोटापा कम होता है और शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी घटती है। इसके अलावा अगर आप खाने के बाद 40 मिनट पैदल चलते हैं, तो आप कार्डियोवस्कुलर बीमारियों (हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट और स्ट्रोक आदि) के खतरे को कम कर सकते हैं।
    अध्ययन से पता चलता है कि सुबह की गई नियमित सैर जोड़ों के दर्द और अकड़न से निजात दिला सकती है । सुबह की सैर हड्डियों के साथ-साथ मांसपेशियों की क्षमता को भी बढ़ाती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों के लिए सुबह की सैर फायदा पहुंचा सकती है। इसके अलावा, कुछ अध्ययन बताते हैं कि रजोनिवृत्ति के बाद जो महिलाएं रोजाना एक मील चलती हैं, उनमें हड्डियों का घनत्व रोजाना कम चलने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक रहता है।
    डिप्रेशन से मुक्ति
    इस समय की सबसे बड़ी बीमारियों में डिप्रेशन को गिना जाता है। यह कई मानसिक व शारीरिक रोगों का कारण बन सकता है और सबसे घातक परिणाम मृत्य भी हो सकता है। यह एक धातक विकार है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि अगर आप सुबह भ्रमण पर निकलते हैं, तो आप तनाव मुक्त हो सकते हैं। सुबह की ताजगी भरी सैर मन-मस्तिष्क को शांत करने में मदद करेगी।
    शोध में पता चलता है कि अगर तनाव से ग्रसित इंसान रोज 20 से 40 मिनट की सैर करे, तो वो अपने तनाव का स्तर कम कर सकता है। इसलिए, डिप्रेशन से मुक्त होने के लिए आप रोजाना नियमित सुबह की सैर कर सकते हैं
    हृदय स्वास्थ्य
    मॉर्निंग वॉक का सबसे बड़ा फायदा हृदय का ध्यान रखना भी है। सुबह की नियमित सैर आपको मजबूत बनाती है, जिससे आपको हृदय से जुड़े रोगों से लड़ने में मदद मिलती है। हृदय की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए सुबह की सैर अच्छा विकल्प हो सकता है।
    शोध से पता चलता है कि मात्र चलने से हृदय संबंधी जोखिम 31 प्रतिशत और इससे मरने का जोखिम 32 प्रतिशत तक कम हो सकता है। यह लाभ पुरुष और महिलाओं दोनों पर लागू होता है। हृदय स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए आप रोज सुबह की सैर का आनंद ले सकते हैं

    मधुमेह नियंत्रण

    Pinit
    मधुमेह अनियंत्रित जीवनशैली के कारण होनी वाली आम बीमारियों में से एक है। वहीं, अगर आप सुबह घूमने जाते हैं, तो आप इस समस्या को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। शोध के अनुसार, सुबह 30 मिनट की सैर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के साथ-साथ टाइप-2 डायबिटीज से निजात दिलाने में मदद कर सकती है (5)।
     कैंसर से बचाव
    विशेषज्ञों का मानना है कि कैंसर का खतरा सुस्त और व्यस्त जीवनशैली की वजह से भी हो सकता है। ऐसे में सुबह की सैर कई तरह के कैंसर को दूर रखने में मदद करती है। सुबह की ताजगी भरी सैर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने का काम करती, जिससे कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है।
    यहां हम यह नहीं कर रहे हैं कि मॉर्निंग वॉक कैंसर का सटीक इलाज है, लेकिन यह कैंसर की आशंका को कम कर सकती है। शोध बताते हैं कि सुबह की सैर स्तन, किडनी, ओवेरियन और सर्वाइकल से जुड़े कैंसर से लड़ने में मदद कर सकती है|
    बढ़ती है मस्तिष्क की कार्यक्षमता
    मस्तिष्क की कार्यप्रणाली के लिए भी सुबह की सैर जरूरी है। नियमित व्यायाम जैसे मॉर्निंग वॉक आपकी याददाश्त को बढ़ा सकता है और मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बेहतर कर सकता है (9)। जब आप चलते हैं, तो मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है और रक्त की आपूर्ति (Supply) में तेजी आती है, जिससे याददाश्त मजबूत होती है |
     वजन घटाने में मदद
    अनियंत्रित खान-पान और खराब जीवनशैली मोटापे का सबसे बड़ा कारण है। जब हम बिना शारीरिक परिश्रम के किसी भी वक्त भोजन का सेवन करने लग जाते हैं, तो इससे शरीर का वजन बढ़ने लगता है। बाद में यही मोटापा कई बीमारियों का कारण बन सकता है। अगर आप इसे कम करना चाहते हैं, तो रोजाना नियमित रूप से मॉर्निंग वॉक करें। प्रतिदिन 30-40 मिनट की सैर आपकी अतिरिक्त कैलोरी को कम करने में मदद करेगी।
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    17.12.19

    यात्रा के दौरान मितली उल्टी आने के उपाय व उपचार




    बस या कार में यात्रा करते हुए जी मचलना या उल्टी आना, ऐसी परेशानी बहुत लोगों को होती है. असल में ऐसा मस्तिष्क के जबरदस्त हुनर के चलते होता है.
    हममें से कई लोग यात्रा के दौरान होने वाली मतली या उल्टी के कारण, बस में या कार में सफर करना अवॉयड करते हैं। मोशन सिकनेस बीमारी (Motion sickness)(यात्रा संबंधी मतली) एक ऐसी स्थिति है जिसमें आँखों के द्वारा मूवमेंट को भापना और वेस्टिबुलर सिस्टम की मूवमेंट की भावना के बीच के अंतर के कारण होता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जिनके बारे में हम आमतौर पर ध्यान नहीं देते। यात्रा के दौरान उल्टी को कार सिकनेस (बीमारी), सिमुलेशन सिकनेस या एयर सिकनेस के रूप में भी समझा जा सकता है।
    बस, कार, विमान या पानी के जहाज में यात्रा करने के दौरान शरीर और मस्तिष्क के बीच एक असमंजस की स्थिति बन जाती है. कार्डिफ यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट डॉक्टर डिएन बर्नेट के मुताबिक यात्रा के दौरान दिमाग को ऐसा लगता है जैसे शरीर में जहर फैल रहा है. जान बचाने के लिए मस्तिष्क हरकत में आता है. जी मचलने लगता है और उल्टी सी आने लगती है. इस तरह दिमाग शरीर से विषैले तत्वों को बाहर करने की कोशिश करता है.
    चक्कर आना, थकान और मतली, मोशन सिकनेस के सबसे आम लक्षण हैं। सोपाइट सिंड्रोम (Sopite syndrome), जिसमें एक व्यक्ति थकान या थकावट महसूस करता है, मोशन सिकनेस से भी जुड़ा हुआ है। ग्रीक में “मतली”(nausea) का अर्थ सी-सिकनेस (See-sick syndrome) है। अगर मतली पैदा करने वाली गति का समाधान नहीं होता है, तो पीड़ित को आमतौर पर उल्टी हो जाएगी। उल्टी से अक्सर कमजोरी और मतली की भावना से छुटकारा नहीं मिलता है, जिसका मतलब है कि जब तक मतली का इलाज नहीं किया जाता है तब तक व्यक्ति को उल्टियां आती रहेगी।
    मोशन सिकनेस आमतौर पर पेट के खराब होने का कारण बनती है। इसके अन्य लक्षणों में ठंडा पसीना और चक्कर आना शामिल है। मोशन सिकनेस वाले व्यक्ति को सिरदर्द, और पीले पड़ने की शिकायत हो सकती है। मोशन सिकनेस के परिणामस्वरूप निम्न लक्षणों का अनुभव करना भी आम है:
    यात्रा सम्बन्धी मतली के गंभीर लक्षणों में शामिल हैं:
    हल्की बेचैनी
    उबासी लेना
    पसीना आना
    असुविधा की एक सामान्य भावना
    अच्छी तरह से महसूस नहीं करना (malaise)
    हल्की सांस लेना (सांस की कमी)
    सिर चकराना
    जी मिचलाना
    उल्टी
    पीलापन
    उनींदापन
    सरदर्द
    किसी को भी यात्रा के दौरान उल्टी (मोशन सिकनेस) हो सकती है, लेकिन यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं में सबसे आम है। यह संक्रामक नहीं है।
    2 से 12 वर्ष की उम्र के बच्चों को मोशन सिकनेस से ग्रस्त होने की सबसे अधिक संभावना है। गर्भवती महिलाओं को भी इसका सामना करने की संभावना अधिक होती है।
    आपकी इंद्रियों के बीच में संघर्ष होने पर आपको मोशन सिकनेस की बीमारी होती है। मान लें कि आप मेले में एक झूले पर हैं, और यह आपको चारों ओर और ऊपर घुमाया जा रहा है। आपकी आंखें एक चीज को देखती हैं, आपकी मांसपेशियों को कुछ और महसूस होता है, और आपके कान के भीतर कुछ और समझ आता है।
    आपका दिमाग उन मिश्रित संकेतों को एक साथ नहीं ले सकता है। यही कारण है कि आप को चक्कर आना और बीमार महसूस होने जैसा लगता है।
    सफर के दौरान उल्टियां होने पर (मोशन सिकनेस) अधिकांश मामले में आप खुद इलाज कर सकते हैं।
    बहुत गंभीर मामले, और जो प्रगतिशील रूप से बदतर हो जाते हैं, जैसे कान में असंतुलन और तंत्रिका तंत्र की बीमारियों में, अपने चिकित्सक से जाकर मिले।
    मोशन सिकनेस का निदान करने में मदद के लिए, डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में पूछेगा और पता लगाएगा कि आम तौर पर समस्या का कारण क्या होता है (जैसे नाव में सवारी करना, विमान में उड़ना, या कार में सफर करना और गाड़ी चलाना)।
    मोशन सिकनेस के लक्षण आमतौर पर तब बंद हो जाते हैं जब आप रुक जाते हैं। लेकिन यह हमेशा सच नहीं है। ऐसे लोग हैं जो यात्रा खत्म होने के कुछ दिनों बाद भी लक्षण से पीड़ित रहते हैं। अतीत में यात्रा के दौरान उल्टी (मोशन सिकनेस) वाले ज्यादातर लोग अपने डॉक्टर से पूछते हैं कि अगली बार सफर के दौरान उल्टियां होने पर क्या करें और कैसे रोकें। निम्नलिखित उपचार आपकी यात्रा के दौरान उल्टी और मतली ठीक करने में मदद कर सकते हैं:
    एक्यूप्रेशर में सुइयों को डालने के बजाये उंगली के दबाव से मतली में राहत मिलती है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि एक्यूप्रेशर एक्यूपंक्चर के समान मोशन सिकनेस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
    सफर के दौरान उल्टियां होने पर ताजा, ठंडी हवा भी मोशन सिकनेस में थोड़ी राहत दे सकती है। यदि आप कार, बस, ट्रेन में सफर कर रहें हैं तो खिड़की से ताजी हवा ले सकते हैं।
    च्यूइंग गम मोशन सिकनेस को कम करने का एक आसान तरीका है। सफर के दौरान उल्टियां होने पर सामान्य और हल्की कार सिकनेस से मुक्त होने के लिए यह एक सरल विधि है। च्यूइंग गम या लौंग या इलायची चबाने से कार में वोमिटिंग के हल्के प्रभाव से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
    यात्रा के दौरान उल्टी रोकने के लिए एक आम सुझाव है कि चलती गाड़ी की खिड़की से बाहर यात्रा की दिशा में क्षितिज (सामने की तरफ) की ओर देखे। यह गति की द्रश्य में नयापन लाकर आपके संतुलन की भावना को फिर से चालू करने में मदद करता है।
    यात्रा या हवाई यात्रा के दौरान उल्टी रोकने के लिए जहाज में, आंखों को बंद करना उपयोगी होता है, इसलिए यदि संभव होतो झपकी लें। यह आंखों और आंतरिक कान के बीच के इनपुट संघर्ष को हल करता है।
    एक बार यात्रा खत्म होने के बाद मोशन सिकनेस बीमारी आमतौर पर दूर हो जाती है। लेकिन अगर आप को अभी भी चक्कर आ रहे हैं, सिरदर्द है, उल्टी, सुनने में कमी या छाती में दर्द है, तो अपने डॉक्टर से मिले।
    यात्रा के दौरान मितली होने पर, यात्रा के दौरान आप कहां बैठते हैं इससे भी फर्क पड़ता है। कार की आगे की सीट, ट्रेन-बस में खिड़की वाली सीट, नाव में ऊपरी डेक या विमान में विंग सीट आपको यात्रा के दौरान उल्टी के बिना एक आसान सवारी का मजा दे सकती है। यात्रा करते वक्त खिड़की के बहार दाए और बाए दिशा में देखें। वाहन में कुछ पढ़ने या देखने की कोशिश ना करें, और यात्रा के पहले भारी भोजन, शराब और अन्य सॉफ्ट ड्रिंक्स से बचें। इसके अलावा यात्रा के दौरान उल्टी से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पियें।
    यात्रा में उल्टी- घबराहट से बचने के घरेलू उपाय
    अदरक:
    अदरक में ऐंटीमैनिक गुण होते हैं। एंटीमैनिक एक ऐसा पदार्थ है जो उल्टी और चक्कर आने से बचाता है। सफर के दौरान जी मिचलाने पर अदरक की गोलियां या फिर अदरक की चाय का सेवन करें। इससे आपको उल्टी नहीं आएगी। अगर हो सके तो अदरक अपने साथ ही रखें। अगर घबराहट हो तो इसे थोड़ा-थोड़ा खाते रहें।
    प्याज का रस
    सफर में होने वाली उल्टियों से बचने के लिए सफर पर जाने से आधे घंटे पहले 1 चम्मच प्याज के रस में 1 चम्मच अदरक के रस को मिलाकर लेना चाहिए। इससे आपको सफर के दौरान उल्टियां नहीं आएंगी। लेकिन अगर सफर लंबा है तो यह रस साथ में बनाकर भी रख सकते हैं।
    लौंग
    सफर के दौरान जैसे ही आपको लगे कि जी मिचलाने लगा है तो आपको तुरंत ही अपने मुंह में लौंग रखकर चूसनी चाहिए। ऐसा करने से आपका जी मिचलाना बंद हो जाएगा।लौंग को भूनकर इसे पीस लें और किसी डिब्बी में भरकर रख लें। जब भी सफर में जाएं या उल्टी जैसा मन हो तो इसे सिर्फ एक चुटकी मात्रा में चीनी या काले नमक के साथ लें और चूसें।
    रुमाल में पुदीना रख लें
    पुदीना पेट की मांसपेशियों को आराम देता है और इस तरह चक्कर आने और यात्रा के दौरान तबीयत खराब लगने की स्थिति को भी खत्म करता है। पुदीने का तेल भी उल्टियों को रोकने में बेहद मददगार है। इसके लिए रुमाल पर पुदीने के तेल की कुछ बूंदे छिड़कें और सफर के दौरान उसे सूंघते रहें। सूखे पुदीने के पत्तों को गर्म पानी में मिलाकर खुद के लिए पुदीने की चाय बनाएं। इस मिश्रण को अच्छे से मिलाएं और इसमें 1 चम्मच शहद मिलाएं। कहीं निकलने से पहले इस मिश्रण को पिएं।
    नींबू
    नींबू में मौजूद सिट्रिक ऐसिड उलटी और जी मिचलाने की समस्या को रोकते हैं। एक छोटे कप में गर्म पानी लें और उसमें 1 नींबू का रस व थोड़ा सा नमक मिलाएं। इसे अच्छे से मिलाकर पिएं। आप नींबू के रस को गर्म पानी में मिलाकर या शहद डालकर भी पी सकते हैं। यात्रा के दौरान होने वाली परेशानियों को दूर करने का यह एक कारगर इलाज है।






    15.12.19

    बढ़ती उम्र मे आँखों की सावधानी और उपाय



    आप भी बढ़ती उम्र के साथ अपनी आंखों का ख्याल रखना चाहते हैं? अगर आप अपनी आंखों को हमेशा स्वस्थ रखना चाहते हैं तो, इसके लिए जरूरी है स्वस्थ खानपान। आंखों को स्वस्थ रखने और बेहतर रोशनी के लिए विटामिन ए और विटामिन के से भरपूर भोजन लेना बहुत जरूरी है।
     शोधकर्ताओं ने पाया की जो लोग रेड मीट, फ्राइड फूड और हाई फैट डेयरी प्रोडक्ट का सेवन ज्यादा मात्रा में करते हैं उनकी आंखों पर इसका सीधा असर पड़ता है। ये आंखों के रेटिना को डेमैज करने का काम करता है साथ ही आंखों की रोशनी पर भी असर डालता है।
    इस स्थिति को ऐज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन (AMD) कहा जाता है। इससे आपकी आंखों की रोशनी पर असर धीरे-धीरे पड़ता है। न्यूवैस्कुलर(ऐज रिलेटेड मैक्युलर डिजेनेरेशन) AMD काफी महंगा है और जियोग्राफिक ऐट्रोफी में इसका कोई इलाज नहीं है। अगर AMD का दूसरा रूप देखें तो वो ये है की उससे आपकी आंखों की रोशनी कम होने लगती है।
    यूएस की यूनिवर्सिटी में श्रुति धीगे के द्वारा किए गए शोध के मुताबाकि, AMD से बचने के लिए हमे इसके लिए पहले से तैयार होने की जरूरत है और अगर हम पहले से ही इस समस्या को पकड़ लेंगे तो ये हमारे लिए फायदेमंद होगा।
      धीगे और उनके साथियों ने 66 अलग-अलग खाने की चीजों पर डेटा का प्रयोग किया जो लोगों ने साल 1987 और 1995 के बीच सेवन किया। इसमें दो तरह के डाइट की पहचान की गई। इनमें दो तरह के डाइट शामिल थे एक वेस्टर्न और हेल्दी, जिनके बीच में काफी ज्यादा अंतर पाया गया।
    अध्ययन के लेखक ऐम्मी मिलेन जो कि यूनिवर्सिटी के बफैलो में प्रोफेसर है, उनके मुताबिक अध्ययन में पाया गया था की जिन लोगों को AMD नहीं है और जिन्हें AMD से पहले उन्होंने ज्यादा मात्रा में अनहेल्दी फूड का सेवन किया जिससे उनकी आंखों की रोशनी के कम होने का खतरा बढ़ गया।
    AMD से पहले वाली स्थिति को अस्यमपटोमेटिक कहा जाता है, जो कि किसी को भी इसका पता नहीं होता। AMD से पहले आंखों में नए ब्लड वैसल्स बनते हैं जिसे मैक्युला से जाना जाता है।
    मैक्युलर डिजनरेशन क्या है?
    आंखों में मैक्युला पैनी और केंद्रीत नजरों के लिए जरूरी होता है। ये रेटिना के पास एक छोटे से रूप में दिखाई देता है। जिससे हमारी आंखों के सामने आने वाली किसी भी चीज को देखने में मदद करता है। मैक्युलर डिजनरेशन इसी मैक्युला के खराब होने के कारण ही मैक्युलर डिजनरेशन होता है। इससे कई लोगों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है।
    मैक्युलर डिजनरेशन के लक्षण
    आंखें लाल होना या दर्द होना
    आंखों के सामने बार-बार कालापन आना
    धुंधला दिखाई देना
    कोई भी चीज ज्यादा छोटी दिखना
    नजर की चमक में बदलाव
    नजदीक की चीजों को देखने में परेशानी

    अगर आप आंखों को बुढ़ापे तक ठीक रखना चाहते हैं तो आंखों की एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए. जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है वैसे वैसे ही आपकी आंखों की रोशनी कम होती जाती है. लेकिन एक्सरसाइज से आप इसे हमेशा ही स्वस्थ रख सकते हैं. आँखें हमेशा ठीक रहे उसके लिए कुछ आसान सी एक्सरसाइज होती है. आंखों की एक्‍सरसाइज, आंखों को स्‍वस्‍थ बनाएं रखती है और इन पर पड़ने वाले तनाव को कम करने में भी मदद करती है. तो चलिए आपको बता देते हैं कि आँखों के लिए कौनसी एक्सरसाइज जरुरी हैं.

    आंखों की एक्सरसाइज कैसे करें

    एक कुर्सी पर आराम से बैठें. अपनी दोनो हाथों को हथेलियों को रगड़ कर गर्म करें.
    अपनी आखें बंद कर लें और गर्म हथेलियों से हल्‍के से उन्‍हे ढक लें.

    आईवॉल पर प्रेशर न डालें.

    आंखों को इस प्रकार कवर करें कि उंगलियों या हथेलियों के बीच से उन तक रोशनी की एक भी किरण न पहुंचे.इस दौरान आप धीमे से गहरी सांस लें और किसी अच्‍छी घटना के बारे में या फ्यूचर में होने वाली किसी अच्‍छी बात के बारे में सोचें.इसके बाद आप हथेलियों को हटा लें और धीमे से आखें खोल लें.इस प्रक्रिया को दिन में कम से कम 3 मिनट या ज्‍यादा करें.

    आंखों को तरोताजा कैसे करें

    दो तौलियां लीजिए, एक को गर्म पानी में भिगोएं और दूसरे को ठंडे पानी में भिगो दें.पहले किसी एक तौलिया को लीजिए और चेहरे पर हल्‍का दबाव डालते हुए घुमाइए.अपने भौं और आखों के आस-पास के एरिया में आराम से आहिस्‍ता से टच करवाएं.इस दौरान अपनी पलकों को बंद रखें ताकि आखों पर अच्‍छे से सेक हो सके.इस प्रकार दोनो तौलिए से एक-एक बार आंखों और चेहरे पर सेक दें.अंत में ठंडे पानी की तौलिया को इस्‍तेमाल करें.

    अपनी आखें बंद कर लें और अपनी अंगुलियों के सिरो से आखों पर हल्‍के-हल्‍के से गोलाई में घुमाएं, ऐसा 2 से 3 मिनट तक करें.इस प्रक्रिया को बेहद धीमी तरीके से करें और बाद में बिना आखों को नुकसान पहुंचाए हाथों को धुल लें.ऊपर दी गयी सभी प्रक्रिया अगर आप करते हैं तो आंखों की एक्सरसाइज ज्यादा फायदेमंद होती है.
    जिस प्रकार हमारी शारीरिक शक्ति, उम्र के साथ कम होती जाती है, वैसे ही हमारी दृष्टि भी कमज़ोर होती जाती है विशेषकर 60 वर्ष की आयु के बाद ।
    कुछ आयु-संबंधी नेत्र परिवर्तन, जैसे कि प्रेस्बायोपिया (निकट वस्तुओं पर फोकस करने की हमारी क्षमता का नुकसान), सामान्य और आसानी से चश्मा, कॉन्टैक्ट लेंस या सर्जरी के साथ इलाज किया जाता है । मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) , भारत में दृष्टिविहीनता का प्रमुख कारण है , मोतियाबिंद का उपचार सर्जरी द्वारा आसानी से ठीक किया जा सकता है ।
    हम में से कुछ, हालांकि, अधिक गंभीर उम्र-से-संबंधित नेत्र रोगों (ग्लोकोमा (काला मोतिया) ,मैकुलर डिजनरेशन ( धब्बेदार अध: पतन ) और मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी) का अनुभव करेंगे जो हमारे बड़े होने के साथ ही हमारे जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने की अधिक क्षमता रखते हैं ।
    आयु संबंधी दृष्टि परिवर्तन कब होते हैं ?

    प्रेसबायोपिया

    40 वर्ष की आयु पार करने के बाद, करीब की वस्तुओं पर फोकस करना कठिन होता है । प्रेसबायोपिया फोकस करने की क्षमता का एक सामान्य नुकसान है जैसे ही आप बड़े होते हैं ।
    एक समय के लिए, आप अपनी आंखों से दूर पढ़ने वाली सामग्री को पकड़कर प्रेसबायोपिया के लिए क्षतिपूर्ति कर सकते हैं, लेकिन अंततः आपको पढ़ने के लिए चश्मा, प्रोग्रेसिव लेंसस, मल्टीफ़ोकल कांटैक्ट लेंस या दृष्टि सर्जरी की आवश्यकता होगी ।

    मोतियाबिंद (कैटरेक्ट), जो वर्षों के दौरान विकसित होता है, वृद्धावस्था में एक सामान्य स्थिति है .. मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) का मुख्य लक्षण धुंधली दृष्टि है जो ऐसा प्रतीत होता है मानो आप किसी धुंधली खिड़की से देख रहे हों ।
    विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) के नवीनतम आंकलन के अनुसार, मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) दुनिया भर में 51 प्रतिशत दृष्टिविहीनता के लिए जिम्मेदार है । भारत में हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 63 प्रतिशत दृष्टिविहीनता मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) के कारण होती है ।
    मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) सर्जरी सुरक्षित है , इसलिए अपनी स्पष्ट दृष्टि को बहाल करने के लिए अपने नेत्र चिकित्सक से परामर्श करें । मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) के कारण होने वाली धुँधली दृष्टि को ड्राइव करने, पढ़ने, किराने का सामान खरीदने, अपने फोन का उपयोग करने और अपने घर के आसपास आने-जाने में कठिनाई होती है ।

    उम्र बढ़ने पर हमारी आंखों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

    जबकि आम तौर पर हम उम्र बढ़ने के बारे में सोचते हैं क्योंकि यह प्रेस्बायोपिया और मोतियाबिंद (कैटरेक्ट) जैसी स्थितियों से संबंधित है, हमारी दृष्टि और आंखों में अधिक सूक्ष्म परिवर्तन भी होते हैं जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं । इन परिवर्तनों में शामिल हैं :

    • पुतली का आकार कम होना

    जैसे - जैसे हमारी उम्र बढ़ती है,, मांसपेशियों जो हमारे पुतली के आकार और प्रकाश की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करती हैं, कुछ ताकत खो देती हैं । इससे पुतली, परिवेशीय प्रकाश में परिवर्तन के लिए छोटी और कम प्रतिक्रियाशील हो जाती है ।
    इन परिवर्तनों के कारण 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को युवा पीढ़ी की तुलना में आरामदायक पढ़ने के लिए तीन गुना अधिक परिवेश प्रकाश की आवश्यकता होती है ।
    इसके अलावा, सीनियर्स को उज्ज्वल सूरज की रोशनी और चौंध से चकाचौंध होने की संभावना है जब एक फिल्म थिएटर जैसे मंद रोशनी वाली इमारत से बाहर आते है । फोटोक्रोमिक लेंस और एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटिंग वाले चश्मे इस समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं ।

    शुष्क आंखें (ड्राई आईज) :

    जैसे – जैसे हमारी उम्र बढ़ती है , हमारी आँखें कम आँसू पैदा करती हैं । यह मेनोपॉज़ (रजोनिवृत्ति) के बाद महिलाओं के लिए विशेष रूप से सत्य है ।
    यदि आप शुष्क आंखें ( ड्राई आईज) से संबंधित जलन, चुभने या आंखों की अन्य परेशानी का अनुभव करते हैं, तो आवश्यकतानुसार कृत्रिम आँसू का उपयोग करें, या अन्य विकल्पों के लिए अपने नेत्र चिकित्सक से परामर्श करें ।


    एजिंग भी परिधीय दृष्टि के सामान्य नुकसान का कारण बनता है, जो हमारे दृश्य क्षेत्र के आकार के साथ जीवन के दशक में लगभग एक से तीन डिग्री कम हो जाता है । जब तक आप अपने 70 और 80 के दशक तक पहुंचते हैं, तब तक आपको 20 से 30 डिग्री का परिधीय दृश्य क्षेत्र नुकसान हो सकता है ।
    वाहन चलाते समय अधिक सतर्क रहें क्योंकि दृश्य क्षेत्र की हानि से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है .. अपनी दृष्टि की सीमा को बढ़ाने के लिए, अपने सिर को घुमाएं और चौराहों पर पहुंचने के दौरान दोनों तरफ देखें ।

    रेटिना में कोशिकाएं जो रंग दृष्टि के लिए जिम्मेदार हैं, जैसे - जैसे हमारी उम्र बढ़ती है उनकी संवेदनशीलता में गिरावट आती है, जिससे रंग कम उज्ज्वल हो जाते हैं और रंगों के बीच कंट्रास्ट कम ध्यान देने योग्य हो जाते हैं 
    विशेष रूप से, नीले रंग फीके दिखाई दे सकते हैं । यदि आप किसी ऐसे पेशे में काम करते हैं जिसमें रंग-भेदभाव (जैसे कलाकार, सीमस्ट्रेस, या इलेक्ट्रीशियन) की आवश्यकता होती है, तो आपको पता होना चाहिए कि रंग-बोध के इस उम्र से संबंधित नुकसान का कोई इलाज नहीं है ।

    जैसे - जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, आंख के अंदर जेल की तरह विट्रियस द्रवीभूत (लिक्विडीफ्य) होकर और रेटिना से दूर खींचने के लिए शुरू होता है, जिससे "स्पॉट और फ्लोटर्स" और (कभी-कभी) प्रकाश की चमक होती है । यह स्थिति, जिसे विट्रियस डिटैचमेंट कहा जाता है, आमतौर पर हानिरहित होती है ।
    लेकिन फ्लोटर्स और प्रकाश की चमक भी रेटिना डिटैचमेंट की शुरुआत का संकेत दे सकती है - एक गंभीर समस्या जो तुरंत इलाज न होने पर दृष्टिविहीनता (ब्लाईंडनेस्स) का कारण बन सकती है । यदि आपको चमक और फ्लोटर्स का अनुभव होता है, तो कारण निर्धारित करने के लिए तुरंत अपने नेत्र चिकित्सक से परामर्श करें 
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