आमतौर पर हर्निया होने का कारण पेट की दीवार का कमजोर होना है | पेट और जांघों के जोड़ वाले भाग मे जहां पेट की दीवार कमजोर पड़ जाती है वहां आंत का एक गुच्छा उसमें छेद बनाकर निकल आता है | आंत का कुछ भाग किसी अन्य भाग से भी जहां पेट की दीवार कमजोर होती है, बाहर निकल सकता है | परंतु ऐसा बहुत कम होता है | आंत का गुच्छा बाहर निकलने से उस स्थान पर दर्द होने लगता है | इसी को हर्निया अथवा आंत्रवृद्धि कहते हैं हर्निया से आज बहुत से लोग पीड़ित हैं। लेकिन या तो वह इस बीमारी से अभी तक अनभिज्ञ हैं या फिर डॉक्टर के पास तभी जाते हैं, जब तकलीफ असहनीय हो जाती है। आमतौर पर लोगों को लगता है कि हर्निया का एकमात्र इलाज सर्जरी है जिसकी वजह से वे डॉक्टर के पास जाने से डरते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है हर्निया बिना सर्जरी के भी ठीक हो सकता है।
कारण
अत्यधिक श्रम, अपनी शक्ति से अधिक भारी वस्तु उठाना, निरंतर खांसते रहना अथवा शौच के समय मल त्यागने के लिए जोर लगाने से भी हर्निया हो जाता है | अधिक मोटे व्यक्ति को पेट पर अधिक जोर डालने से भी हर्निया होने की संभावना रहती है | ऑपरेशन होने के बाद भी हर्निया होने की संभावना रहती है | गर्भावस्था में पेट पर जोर पड़ने से भी हर्निया हो सकता है | परंतु यह रोग सामान्यतया पुरुषों को अधिक होता है |
घरेलू उपचार-
*अरंडी के तेल को एक कप दूध में डालकर पीने से हर्निया ठीक हो जाता है | इसका प्रयोग एक मास तक करें |
अदरक की जड़-
इसके सेवन से हर्निया की समस्या में आराम मिलता हैं ।
• बर्फ-
इसको हर्निया वाली जगह में रखने से आराम मिलता हैं । सूजन भी कम होता हैं और दर्द में भी आराम मिलता हैं ।
*टमाटर का रस, थोड़ा नमक और कालीमिर्च मिलाकर प्रात:काल पीने से जहां अन्य अनेक लाभ होते हैं वहीं हर्निया -ठीक होने में भी सहायता मिलती है |
• केला-
रोज केले का सेवन करे जिससे हर्निया में आराम मिलेगा ।
• सेव का सिरका-
भोजन के एक घंटे बाद एक चम्मच सेव के सिरके का सेवन करे ।
• अलसी-
अलसी को भूनकर के खाएं जिससे आराम मिलता हैं ।
• जौ का आटा-
भोजन में इसे शामिल करे जिससे आपको हर्निया की समस्या से छुटकारा मिलेगा ।
• मेथी दाना-
रात को एक चम्मच मेथी दाना एक गिलास पानी में भिगो कर रख दीजिये और सुबह मेथी दाना चबा चबा कर खा लीजिये और इस पानी को घूँट घूँट कर के पी लीजिये ।
• एलोवेरा जूस-
सुबह खाली पेट एलो वेरा जूस ज़रूर पिए, एक गिलास पानी में कम से कम ३० मिली एलो वेरा डालिये और इसको घूँट घूँट कर पी लीजिये।
* कॉफी के प्रयोग से भी बढ़ी हुई आंत का फोड़ा ठीक हो जाता है |
* यदि आगे बढ़ी आंत को आराम से पीछे धकेलकर अपने स्थान पर पहुंचा दिया जाए तो उसे उसी स्थिति में रखने के लिए कसकर बांध दिया जाता है | यह विधि कारगर न हो सके तो ऑपरेशन करना पड़ता है |
* पेट यदि बहुत बढ़ा हुआ हो तो उसे भी घटाने का प्रयत्न करना चाहिए |
* हर्निया के रोगी के लिए आवश्यक है कि वह कब्ज न होने दे वर्ना मल त्यागते समय उसे जोर लगाने की आवश्यकता पड़ेगी |
* अपच होना भी हर्निया के रोगी के लिए हानिकारक है |
हर्निया की समस्या से बचने के लिए
खाने के बाद वाकिंग
खाना खाने के बाद टहले, सीधे जाकर के सोयें नहीं ।
• दबाब से बचे-
उन कामो को करने से बचे जिनसे दवाब होता हैं क्योकि इससे हर्निया बढ़ भी सकता हैं ।
हमने आपको यहाँ पर हर्निया के इलाज बताएं हैं जिनको अपना के आप अपने इस रोग को ठीक कर सकते हैं । यह समस्या ज्यादा बड़ी नहीं होती जब आप इसका शुरुआती इलाज करले लेकिन यह बहुत बड़ी हो जाते है जब यह बढ़ जाती हैं । इसीलिए आप इन घरेलू चीजो का उपयोग करे और हर्निया को ठीक कर ले । ध्यान रहे अगर इसका उपयोग करने से आपको आराम नहीं मिलता हैं तो आप ऑपरेशन करा सकते हैं
मलाशय की ठीक प्रकार से सफाई
मोटापे व वजन बढ़ने की समस्या से बचें
प्रोटीन व विटामिन सी सप्लीमेंट का सेवन
आरामदायक अंडर गारमेंट ही पहनें
उन कार्यों से बचना चाहिए, जो हमारे पेट की मांसपेशियों पर अधिक दबाव डालते हों।
वजन भी संतुलित रखना चाहिए।
अगर कब्ज की समस्या है तो इसका तुरंत उपचार कीजिए।
रेशेदार पदार्थों का सेवन करें।
योग के जरिए हर्निया का इलाज
ट्री पोज-
पहले सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। फिर दोनों पैरों को एक दूसरे से कुछ दूर रखते हुए खड़े रहें और फिर हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए सीधाकर हथेलियों को मिला दें। इसके बाद दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए उसके तलवे को बाईं जांघ पर टिका दें। इस स्थिति के दौरान दाहिने पैर की एड़ी गुदाद्वार-जननेंद्री के नीचे टिकी होगी। बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए हथेलियां, सिर और कंधे को सीधा एक ही सीध में रखें। इसे वृक्षासन भी कहते हैं। जब तक इस आसन की स्थिति में आसानी से संतुलन बनाकर रह सकते हैं सुविधानुसार उतने समय तक रहें। एक पैर से दो या तीन बार किया जा सकता है।
एक पैर उठाकर -
किसी समतल स्थान पर दरी बिछाकर सीधे लेट जाएं। अपने एक हाथ को हर्निया वाली जगह पर रखें। उसके बाद अपने दाहिने पैर को उठाएं और ऊपर से नीचे की तरफ लाएं। इस प्रक्रिया को करते समय ध्यान रखें पैर जमीन से नहीं लगने चाहिए। इस प्रक्रिया को कम से कम दस बार करें। उसके बाद अपने बाएं पैर को उठाएं और उसी प्रक्रिया को दोहराएं। आप चाहें तो इस योग की अवधि को अपनी सुविधानुसार बढ़ा और घटा सकते हैं। इससे आपके पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
लेग क्रॉसिंग-
पीठ के बल समतल स्थान पर लेट जाएं। हाथों को हर्निया वाली जगह पर रखें। उसके बाद दोनों पैरों को जमीन से लगभग दो फीट ऊपर उठाएं। जब हम अपने दाहिने पैर को ऊपर उठाएंगे तो बायां पैर नीचे होना चाहिए और जब बायां पैर उठाएंगे तो दायां पैर नीचे होना चाहिए। इस प्रक्रिया को कम से कम दस बार दोहराएं। इस प्रक्रिया को करने के बाद पैरों को नीचे रखकर आराम करें।
मोटापे व वजन बढ़ने की समस्या से बचें
प्रोटीन व विटामिन सी सप्लीमेंट का सेवन
आरामदायक अंडर गारमेंट ही पहनें
उन कार्यों से बचना चाहिए, जो हमारे पेट की मांसपेशियों पर अधिक दबाव डालते हों।
वजन भी संतुलित रखना चाहिए।
अगर कब्ज की समस्या है तो इसका तुरंत उपचार कीजिए।
रेशेदार पदार्थों का सेवन करें।
योग के जरिए हर्निया का इलाज
ट्री पोज-
पहले सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। फिर दोनों पैरों को एक दूसरे से कुछ दूर रखते हुए खड़े रहें और फिर हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए सीधाकर हथेलियों को मिला दें। इसके बाद दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए उसके तलवे को बाईं जांघ पर टिका दें। इस स्थिति के दौरान दाहिने पैर की एड़ी गुदाद्वार-जननेंद्री के नीचे टिकी होगी। बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए हथेलियां, सिर और कंधे को सीधा एक ही सीध में रखें। इसे वृक्षासन भी कहते हैं। जब तक इस आसन की स्थिति में आसानी से संतुलन बनाकर रह सकते हैं सुविधानुसार उतने समय तक रहें। एक पैर से दो या तीन बार किया जा सकता है।
एक पैर उठाकर -
किसी समतल स्थान पर दरी बिछाकर सीधे लेट जाएं। अपने एक हाथ को हर्निया वाली जगह पर रखें। उसके बाद अपने दाहिने पैर को उठाएं और ऊपर से नीचे की तरफ लाएं। इस प्रक्रिया को करते समय ध्यान रखें पैर जमीन से नहीं लगने चाहिए। इस प्रक्रिया को कम से कम दस बार करें। उसके बाद अपने बाएं पैर को उठाएं और उसी प्रक्रिया को दोहराएं। आप चाहें तो इस योग की अवधि को अपनी सुविधानुसार बढ़ा और घटा सकते हैं। इससे आपके पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
लेग क्रॉसिंग-
पीठ के बल समतल स्थान पर लेट जाएं। हाथों को हर्निया वाली जगह पर रखें। उसके बाद दोनों पैरों को जमीन से लगभग दो फीट ऊपर उठाएं। जब हम अपने दाहिने पैर को ऊपर उठाएंगे तो बायां पैर नीचे होना चाहिए और जब बायां पैर उठाएंगे तो दायां पैर नीचे होना चाहिए। इस प्रक्रिया को कम से कम दस बार दोहराएं। इस प्रक्रिया को करने के बाद पैरों को नीचे रखकर आराम करें।
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