18.6.23

अजवाइन (Ajwain) के उपयोग (Uses) और नुस्खे

 



  अजवाइन को आमतौर पर कैरम या बिशप वीड्स के रूप में जाना जाता है। इसमें एसेंशियल ऑयल होता है, जो कई बायोएक्टिव कंपाउंड से बना होता है, और इसलिए इसका औषधीय महत्व है। अजवाइन साल भर उपलब्ध रहती है। अजवाइन के पत्ते पंखदार होते हैं। अजवाइन झाड़ी का फल है, जो छोटा, अंडाकार आकार का और हल्के पीले रंग का होता है।
अजवाइन सौंफ और जीरे की तरह दिखती है। प्राचीन काल से भारतीय, अफ्रीकी और मध्य पूर्वी देशों में खाना पकाने के लिए अजवाइन का इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह खाने का स्वाद भी बढ़ाती है और चटनी, अचार और जैम में प्रेज़रवेटिव की तरह काम करती है। इसमें डाइजेस्टिव फाइबर का एक अनूठा स्रोत होता है जो पेट की सेहत अच्छी रखने में मदद करता है।
पाचन प्रक्रिया को ठीक रखने के लिए अजवाइन और हरड़ को बराबर मात्रा में पीस लें। हींग और सेंधा नमक स्वादानुसार मिलाकर चूर्ण बना कर किसी बोतल में भर लें। इस चूर्ण का एक चम्मच गर्म पानी के साथ लें। 10 ग्राम पुदीने का चूर्ण, 10 ग्राम अजवाइन और 10 ग्राम कपूर एक साफ बोतल में डालकर धूप में रखें। तीनों चीजें गलकर पानी बन जाएंगी। इसकी 5-7 बूंदें बताशे के साथ खाने से मरोड़, पेट दर्द, जी मिचलाने जैसी समस्या में लाभ होगा।

ajwain benefits

एक कप छाछ के साथ एक चम्मच अजवाइन खाने से सर्दी-जुकाम के कारण बनने वाले कफ में राहत मिलती है। एक चम्मच अजवाइन के दानों को हाथ से मसल कर बारीक कर लें और इसे थोड़े से गुड़ के साथ मिलाकर टॉफी की तरह चूसकर सेवन करें, लाभ होगा। एक मुलायम कपड़े में थोड़ी सी अजवाइन डाल कर पोटली बना लें। इसे तवे पर गर्म कर चेस्ट की सिकाई करें, आराम मिलेगा।

ajwain benefits

कब्ज होने पर 10 ग्राम अजवायन, 10 ग्राम त्रिफला और 10 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना इसमें से 3 से 5 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें, बहुत जल्द ही आराम होगा।
एक कप पानी में एक चम्मच पिसी अजवाइन और थोड़ा सा नमक उबालें। पानी गुनगुना रह जाए तो उसे मुंह में लेकर कुछ देर रोकें और फिर कुल्ला कर फेंक दें। ऐसा दिन में तीन बार करें। अजवाइन भून कर पीस लें। इस तैयार चूर्ण से मंजन करने पर मसूढ़ों की बीमारियों में आराम मिलता है।

ajwain benefits

अपच होने पर एक कप पानी में एक चम्मच अजवाइन के बीज उबालें। थोड़ा ठंडा होने पर पिएं। एक ग्राम अजवाइन में एक चुटकी नमक मिलाकर चबा-चबा कर खाने से पेट में बनी गैस से होने वाले पेट दर्द में आराम मिलता है। तीन चम्मच अजवाइन के बीजों में नीबू का रस और थोड़ा सा काला नमक मिलाएं। इस मिश्रण को गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार खाएं। आधा लीटर पानी में एक-एक चम्मच अजवाइन और सौंफ के बीज डाल कर धीमी आंच पर पकाएं। ठंडा होने के बाद भोजन के बाद हर रोज पिएं
अजवाइन के औषधीय उपयोग और सेहत को मिलने वाले फायदे:अजवाइन के अर्क से मेथॉक्ससेलेन दवा बनाई जाती है। यह कैप्सूल, टॉपिकल क्रीम जैसा अलग-अलग फॉर्मेट में उपलब्ध है। विटिलिगो (स्किन पिगमेंटेशन का आंशिक नुकसान) सोरायसिस जैसी त्वचा की समस्याओं के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
प्राचीन काल से हर्बल फॉर्मूलेशन तैयार करने के लिए अजवाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि उनका मानना है कि यह शरीर के सिस्टम को संतुलित कर सकता है।
अजवाइन में कई स्वास्थ्यप्रद और उपचारात्मक गुण हैं।
अजवाइन घुलनशील डाइटरी फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, और यह पेट की समस्याओं में पाचन तंत्र को बेहतर करने, आंतों की सेहत में सुधार करने के लिए जाना जाता है। यह पेट फूलने की समस्या से राहत दिलाने में भी मदद करती है।
अजवाइन मांसपेशियों में ऐंठन के दर्द, अपच के कारण पेट की समस्या, छाती में जलन और भूख न लगने के इलाज में फायदेमंद होती है।
अजवाइन एंटी-ऑक्सीडेंट का बेहतरीन स्रोत है और इसलिए यह दिल के मरीजों के लिए वरदान है। एंटीऑक्सीडेंट शरीर में अच्छे और खराब कोलेस्ट्रॉल को मैनेज कर सकते हैं और इस तरह से ये दिल की बीमारियों को रोकते हैं।
अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल (जीवाणुरोधी) और एंटी-फंगल (फंगस रोधी) गुण होते हैं और इसलिए यह फूड पोइज़निंग और आंत व पेट की समस्याओं को रोकने के लिए साल्मोनेला, ई कोली और फंगई जैसे बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।
अजवाइन के अर्क में प्रमुख केमिकल कंपाउंड (रासायनिक यौगिक) होते हैं जो कैल्शियम चैनलों को ब्लॉक करते हैं, जो ब्लड प्रेशर लेवल को और कम कर सकते हैं।
अजवाइन को चबाना अपच और पेट फूलने जैसी समस्याओं को खत्म करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है।
अजवाइन की चाय डायरिया, पेचिश, स्पास्मोडिक (ऐंठन) दर्द के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद है।
अजवाइन का तेल स्टीम डिस्टिलेशन (भाप आसवन) प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है और यह रह्यूमेटिक दर्द के इलाज में बहुत असरदार है इसलिए इसे दर्द वाली जगह पर लगाया जाता है।
अस्थमा (दमा) और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियों के इलाज के लिए अजवाइन और अदरक के अर्क का मेल काफी असरदार होता है।
अजवाइन वायु प्रवाह और फेफड़ों के कामकाज में सुधार करती है।
अजवाइन में ब्रोंको-डाइलेटिंग प्रभाव होता है, यह फेफड़ों में ब्रोन्कियल नलियों को फैलाने में मदद करता है जिससे हल्के अस्थमा में राहत मिलती है।
अजवाइन का पानी एक बेहतरीन माउथ वॉश है, और यह अच्छी ओरल हाइजीन बनाए रखने में मदद कर सकता है।
अजवाइन गर्भवती महिलाओं की अपच संबंधी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है; यह गर्भाशय और पेट को साफ करने में मदद करती है, जिससे अनियमित पीरियड्स की समस्या दूर हो जाती है।
नियमित रूप से अजवाइन का पानी पीने से मेटाबोलिज्म बढ़ता है, जिससे शरीर की चर्बी कम करने में मदद मिलती है
अजवाइन में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, और यह लाली को कम करने और जलन व सूजन के लिए फायदेमंद होती है।
अजवाइन के एनेस्थेटिक गुणों के कारण यह दर्द और सूजन को दूर करने में मदद करती है।
सिर, कान और दांत दर्द के लिए अजवाइन :

कान के दर्द से राहत पाने के लिए अजवाइन के तेल की कुछ बूंदें काफी हैं। दांत दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए अजवाइन और नमक का गुनगुने पानी का मिश्रण बहुत असरदार होता है। कभी-कभी जले हुए अजवाइन का धुंआ दांत दर्द के लिए ज़्यादा असरदार होता है। अजवाइन में एक आवश्यक बायोएक्टिव घटक, यानी थाइमोल होता है जो एक मजबूत कवकनाशी और कीटाणुनाशक है। इसलिए, स्किन इंफेक्शन से राहत पाने के लिए अजवाइन को पीसकर लगाया जाता है।
एक्ने और पिंपल्स की रोकथाम के लिए अजवाइन:
अजवाइन में अलग-अलग एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी घटक होते हैं, और इसलिए अजवाइन के बायोएक्टिव अर्क भी एक्ने और पिंपल्स जैसी स्किन की समस्याओं को कम करने में मददगार होते हैं। अजवाइन में मौजूद थाइमोल और कार्वैक्रोल बैक्टीरिया और फंगस को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं। अजवाइन पाउडर सप्लीमेंट मुँहासे के निशान को हल्का करने में मदद करते हैं।
अजवाइन के प्रोडक्ट और उनकी अनुशंसित डोज़:
अजवाइन की आयुर्वेदिक डोज़ इसके रूपों के मुताबिक अलग-अलग होती है। अजवाइन प्रोडक्ट्स के विभिन्न रूप
प्रोडक्ट कैसे इस्तेमाल करें दिन में कितनी बार
चूर्ण पाचन को बेहतर बनाने के लिए खाने से पहले और बाद में गुनगुने पानी के साथ आधा चम्मच अजवाइन चूर्ण लें। दो बार
काढ़ा एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन डालकर 10 मिनट तक उबालें। अस्थमा (दमा) और सर्दी के लिए आधा चम्मच अजवाइन का काढ़ा लें। तीन बार
पेस्ट भुने हुए अजवाइन और गुड़ को मिलाकर मिक्सी में पेस्ट बना लें। इसे खाना खाने के बाद लें। दो बार
गोली गर्म पानी के साथ अजवाइन की एक गोली लें। दो बार
अर्क खाने के बाद अजवाइन अर्क की पाँच बूँदें गर्म पानी के साथ लें।
दो बार
अजवाइन के साइड इफेक्ट और सावधानियां:अजवाईन के ज़्यादा सेवन से पेट में गैस बन सकती है, जिससे एसिडिटी और रिफ्लक्स हो सकता है।
कुछ लोगों को अजवाइन के बीज से एलर्जी होती है, जो थाइमोल की मौजूदगी के कारण होता है, जिससे चक्कर आना, मतली और उल्टी हो सकती है।
अजवाइन के कुछ बायोएक्टिव कंपाउंड ज़्यादा असर डाल सकते हैं, इनसे मुंह में इंफ्लेमेशन हो सकता है, जिसके कारण जलन और मुंह में छाले हो सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं को बहुत ज़्यादा मात्रा में अजवाइन लेने से बचना चाहिए क्योंकि भ्रूण के विकास पर इसका उल्टा असर पड़ने की संभावना है।
अजवाइन को ज़्यादा मात्रा में खाने को विषैला माना जाता है; इसका परिणाम घातक पोइज़निंग हो सकता है।
सर्जरी के दौरान और बाद में अजवाइन सप्लीमेंट लेने से ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, सर्जरी से 2 हफ्ते पहले अजवाइन का सेवन बंद करने की सलाह दी जाती है।
अजवाइन का अन्य दवाओं के साथ इंटरेक्शन (परस्पर क्रिया):कभी-कभी अजवाइन खून के थक्के जमने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। अगर कोई खून पतला करने जैसी दवाएं ले रहा है तो अजवाइन का सेवन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। आइबूप्रोफेन, डाइक्लोफेनेक, वार्फरिन और एस्पिरिन जैसी दवाओं में खून पतला करने वाले पदार्थ होते हैं।
अजवाइन उन दवाओं में भी हस्तक्षेप कर सकती है जो लीवर में ब्रेक डाउन होती हैं। लीवर में लवास्टैटिन, केटोकोनाज़ोल और इट्राकोनाज़ोल जैसी दवाएं ब्रेक डाउन होती हैं। अगर आप इनमें से कोई भी दवा ले रहे हैं तो अजवाइन का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
यदि आप ऐसी दवा ले रहे हैं जो लीवर पर दबाव डालती है, तो अजवाइन खाने से बचना चाहिए, अजवाइन लीवर को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं के साथ-साथ लीवर के खराब होने की संभावना को बढ़ा सकती।

*******

30.5.23

पत्थरचट्टा का उपयोग कैसे करें,How to use Patharchatta

                                            


पत्थरचट्टा के फायदे (Benefits of Patharchatta)

पत्‍थरचट्टा (Patharchatta) एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, पत्थरचट्टा का वैज्ञानिक नाम ब्रायोफिलम पिनाटा (Bryophyllum pinnatum) है। आमतौर पर पथरचटा को अन्‍य नामों जैसे कि मिरेकल लीफ (Miracle Leaf), एयर प्‍लांट (air plant), कैथेड्रल वेल (cathedral bells), लीफ आफ लाइफ (leaf of life) और गोएथे पौधे (Goethe plant) के रूप मे जाना जाता है। यह एक लोकप्रिय घरेलू पौधा है जो उष्‍णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से होता है। यह क्रसुलाकेआ (Crassulaceae) परिवार से संबंधित है। पथरचटा के फायदे बहुत से घरेलू उपचारों के लिए उपयोग किये जाते है। पथरचटा के गुण पथरी हटाने, रक्‍तचाप, सिरदर्द, अस्‍थमा, मूत्ररोग आदि को ठीक करने के लिए जाने जाते है। आइये जाने पत्‍थरचट्टा के फायदे और पत्‍थरचट्टा के नुकसान (Patharchatta ke fayde aur Nuksan) के बारे में।
पत्थरचट्टा (Patharchatta) में मौजूद स्वास्थ्यवर्धक गुण कई रोगों का इलाज करने में मदद करते हैं। पत्थरचट्टा पथरी (kidney stones) से लेकर स्किन से जुड़ी समस्याओं जैसे एक्ज़िमा और रैशेजआदि से राहत पाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस गुणकारी और सदाबहार पौधे के इस्तेमाल से प्राप्त होने वाले प्रमुख स्वास्थ्य लाभों में निम्न शामिल हैं -
1किडनी के लिए पत्थरचट्टा को काफी लाभदायक औषधि माना गया है। कुछ अध्ययनों के अनुसार जिन लोगों को गुर्दे में पथरी होने का खतरा है, उनके लिए पत्थरचट्टा का इस्तेमाल करना काफी अच्छा विकल्प हो सकता है।

2. पत्थरचट्टा से करें ब्लड प्रेशर कंट्रोल

पत्थरचट्टा के पत्तों (Patharchatta leaves) से प्राप्त होने वाले रस में खास प्रकार के तत्व होते हैं, जो रक्तचाप (blood pressure levels) के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। पत्थरचट्टा का नियमित सेवन हृदय के लिए भी अच्छा रहता है।
3. त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है पत्थरचट्टा

पत्थरचट्टा के पत्तों में खास प्रकार के कंपाउंड पाए जाते हैं, जो घाव के ठीक होने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं। साथ ही इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण सूजन, लालिमा व जलन जैसे लक्षणों को भी कम कर देते हैं।
4. संक्रमण को फैलने से रोकता है पत्थरचट्टा

पत्थरचट्टा पर कुछ अध्ययन किए गए और इसमें पाया गया कि इसके पत्तों में एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल एजेंट पाए जाते हैं, जो संक्रमण का कारण बनने वाले कुछ प्रकार के बैक्टीरिया और फंगस नष्ट करने की क्षमता रखते हैं।
हालांकि, पत्थरचट्टा से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ आमतौर पर कुछ प्रकार के अध्ययनों पर आधारित हैं और हर व्यक्ति के शरीर पर इसका अलग प्रभाव हो सकता है।
पत्थरचट्टा के नुकसान (Side effects of Patharchatta)

पत्थरचट्टा का सेवन कुछ लोगों के शरीर में विषाक्त प्रभाव पैदा कर सकता है और ऐसे में उन्हें निम्न लक्षण हो सकते हैं -
पेट में दर्द(stomach ache)
सीने में जलन (heart burn)
जी मिचलाना या उल्टी (Nausea)
खट्टी डकार आना (acidity)
दस्त लगना (diarrhea)
पत्थरचट्टा से कुछ लोगों को एलर्जी के लक्षण (allergic reactions) भी हो सकते हैं, जिससे त्वचा में खुजली, सूजन, लाल चकत्ते और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
पत्थरचट्टा का उपयोग कैसे करें (How to use Patharchatta)
पत्थरचट्टा का इस्तेमाल निम्न तरीकों से किया जा सकता है-पत्तों के रस को गुनगुने पानी में मिलाकर
धुले हुए पत्तों को सलाद में काटकर
सब्जियों के साथ उबालकर
पीसकर त्वचा पर भी लगाया जा सकता है

29.5.23

ज्यादा उम्र में भी जवान बनाये रखने वाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ ,Antiageing Ayurvedic herbs

                                        


Anti Ageing Herbs: हमेशा जवान दिखने के लिए दूध में मिलाकर डेली पिएं ब्राह्मी, इन आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के सेवन से नहीं आएगा बुढ़ापा!
Ayurveda Anti Ageing Herbs: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे हमारे चेहरा का ग्लो जाने लगता है और बाल सफेद होने लगते हैं। चेहरे पर झुर्रियां, झाइयां, सफेद बाल आदि उम्र बढ़ने के लक्षण हैं और इन परिवर्तनों से कोई नहीं बच सकता है। लेकिन मौजूदा दौर में जिस तरह की लाइफ स्टाइल को हमना अपना रूटीन बना रखा है उसे फॉलो करके तो हम लोग उम्र से पहले भी बूढ़े दिखने लगते हैं। हालांकि, अगर हम अपने खान-पान और एक बेहतरीन दिनचर्या अपनाते हैं तो लंबे समय तक इन समस्याओं से बच सकते हैं। आयुर्वेद में ऐसी प्राकृतिक जड़ी-बूटियां हैं जिनके माध्यम से निश्चित रूप से हम काफी उम्र तक जवान दिख सकते हैं।
प्रजेंट सिनेरियो में हर कोई चाहता है कि वो लंबे समय तक जवान दिखे और ऐसे लोग न जाने कितने ही प्रोडक्ट्स का चयन करते हैं। लेकिन कभी-कभी फार्मेसी प्रोडक्ट्स हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो जाते हैं। लिहाजा अगर हम नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करते हैं तो किसी भी तरह के जोखिम से बच सकते हैं। एंटी एजिंग (Anti Ageing) को लेकर हमें आयुर्वेदिक डॉक्टर ने कुछ जड़ी-बूटियों के सेवन करने का सुझाव दिया है जिनके जरिए हम उम्र बढ़ने वाले लक्षणों को कम कर सकते हैँ।
जीवोत्तम आयुर्वेद केंद्र के विशेषज्ञ शरद कुलकर्णी मानते हैं कि आयुर्वेद कुछ जड़ी-बूटियों (Ayurvedic Herbs) का सुझाव देता है जो शरीर की कोशिकाओं को फिर से उत्पन्न करके उम्र बढ़ने के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। क्योंकि आयुर्वेद की अधिकांश जड़ी-बूटियां एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती हैं जो शरीर में मुक्त कणों (Free radicals) को नुकसान पहुंचाने वाले सेल्स के विकास को रोकती हैं।


देसी घी



घी खाने के कई सेहत लाभ हैं। कुछ लोग वेट लॉस की प्लानिंग के चलते देसी घी का सेवन बंद कर देते हैं लेकिन आयु्र्वेद घी को जवान रखने वाला सर्वश्रेष्ठ आहार मानता है। ऐसे में यदि आप खुद को लंबे समय तक जवान देखना चाहते हैं और सफेद बाल नहीं चाहते तो घी का सेवन कीजिए।

इसे रोजाना खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर नियमित रूप से पीने से वजन कम होता है। इसे रोजाना पीने से मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है और खाली पेट एक चम्मच देसी घी खाने से बाल भी काले रहते हैं।

शंखपुष्पी

आयुर्वेदिक दवाओं में शंखपुष्पी का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है। शंखपुष्पी की प्रकृति ठंडी होती है और यह स्वाद में कसैली होती है। यह मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अमृत का काम करती है। शंखपुष्‍पी को वैष्‍णव, विष्‍णुकांता और विष्‍णुगंधी जैसे कई नाम से भी जाना जाता है। यह आपको अस्थमा, बवासीर, मिर्गी, डायबिटीज जैसे कई बीमारियों से बचाती है और लंबी उम्र देती है। इसे पीने से आप तमाम तरह के रोगों से बच सकते हैं।

अश्वगंधा


अश्वगंधा तेजी से कोशिका पुनर्जनन और कायाकल्प में मदद करता है और बदले में बढ़ने वाली उम्र के संकतों को डिले करता है। इसके सेवन से स्किन पर कभी झाइयां या झुर्रियां पड़ती हैं। लेकिन सुनिश्चित करें कि आप इन जड़ी बूटियों का उपयोग आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की देखरेख में करते हैं। आप इसका कैप्सूल भी ले सकते हैं या फिर 2 ग्राम अश्वगंधा पाउडर को सुबह - शाम गर्म दूध या पानी के साथ भी खा सकते हैं।

आँवला

अगर आप लंबे समय तक जवान दिखना चाहते हैं और एंटी एजिंग से बचना चाहते हैं तो पिसा हुआ आंवला प्रतिदिन एक चम्मच पानी के साथ लें। इससे शरीर में स्फूर्ति आती है और ऊर्जावान रहते हैं। आंवले का पाउडर दो चम्मच गेंहू की ब्रेड या रोटी के साथ रोजाना खाने से बुढ़ापा देर से आता है।

जिनसेंग

जिनसेंग (Ginseng) भी आयुर्वेद की एक कमाल की जड़ी बूटी है। जिनसेंग का प्रयोग सेक्सुअल रोगों के इलाज में किया जाता है लेकिन अगर आप इसका सेवन करते हैं तो हमेशा जवान भी रह सकते हैं। जिनसेंग में बहुत सारे फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो त्वचा के चयापचय (skin metabolism) को उत्तेजित और सक्रिय करने में मदद करते हैं।

ये फाइटोकेमिकल्स आपको मुक्त कणों से छुटकारा पाने में भी मदद करते हैं जो आपकी त्वचा के प्रदूषण और धूप के संपर्क में आने पर जमा हो जाते हैं।

गुडुची या गिलोय हमारे त्वचा के ऊतकों (skin tissues) को पुनर्जीवित करता है और अपने एंटी इन्फ्लामेट्री गुणों के जरिए हमारी स्किन को टाइट रखता है। इसका प्रयोग स्मृति और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। गिलोय शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है, ब्लड को शुद्ध करता है और बैक्टीरिया से लड़ता है।

हल्दी

कोरोना काल में हल्दी वाले दूध का सेवन काफी किया जा रहा है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं और इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है। लेकिन यह स्किन के लिए फायदेमंद है जिसके लेप लगाने से आप झाइयें से बच सकते हैं। हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभावों (antioxidant and anti-inflammatory Effects) के लिए जाना जाता है।

गिलोय

गिलोए लिवर की बीमारी वाले लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। यह डेंगू, स्वाइन फ्लू और मलेरिया जैसी जानलेवा बुखार के लक्षणों को कम करता है। वैज्ञानिकों ने गिलोय के पौधे में से विभिन्न प्रकार के तत्वों को पाया है जिसमें बरबेरिम, ग्लुकोसाइड गिलाइन आदि रासायनिक तत्व पाए जाते हैं।


27.4.23

घुटनों के दर्द की रामबाण हर्बल औषधि ,Knee pain herbal Medicine

 



घुटना शरीर का भार सहता है,उसे सपोर्ट करता है और चलायमान बनाता है| लेकिन घुटनों में विकार आने पर रोजमर्रा के काम करने में कठिनाई महसूस होने लगती है| जीवन में कभी न कभी घुटनों के दर्द की समस्या से सभी स्त्री-पुरुषों को रूबरू होना ही पड़ता है| कुछ लोग जवानी में ही इस दर्द की चपेट में आ जाते हैं और बुढापा तो घुटनों की पीड़ा के लिए खास तौर पर जाना जाता है| घुटनों के अंदरूनी या मध्य भाग में दर्द छोटी मोटी चोंटों या आर्थराईटीज के कारण हो सकता है| लेकिन घुटनों के पीछे का दर्द उस जगह द्रव संचय होने से होता है इसे बेकर्स सिस्ट कहते हैं| सीढ़ियों से नीचे उतरते वक्त अगर घुटनों में दर्द होता है तो इसे नी केप समस्या जाननी चाहिए | यह लक्षण कोंट्रोमलेशिया का भी हो सकता है| सुबह के वक्त उठने पर अगर आपके घुटनों में दर्द होता है तो इसे आर्थराई टीज की शुरू आत समझनी चाहिए\ चलने फिरने से यह दर्द धीरे-धीरे कम हो जाता है| बिना किसी चोंट या जख्म के अगर घुटनों में सूजन दिखे तो यह ओस्टियो आर्थ रा ईटीज,गाऊट अथवा जोड़ों का संक्रमण की वजह से होता है| घुटनों में दर्द को कम करने के लिए गरम या ठंडे पेड से सिकाई की जरूरत हो सकती है| घुटनों में तीव्र पीड़ा होने पर आराम की सलाह डी जाती है ताकि दर्द और सूजन कम हो सके\ फिजियो थेरपी में चिकित्सक विभिन्न प्रक्रियाओं के द्वारा घुटनों के दर्द और सूजन को कम करने का प्रयास करते हैं.
*मैथी के बीज संधिवात की पीड़ा निवारण करते हैं| एक चम्मच मैथी बीज रात भर साफ़ पानी में गलने दें | सुबह पानी निकाल दें और मैथी के बीज अच्छी तरह चबाकर खाएं| शुरू में तो कुछ कड़वा लगेगा लेकिन बाद में कुछ मिठास प्रतीत होगी| भारतीय चिकित्सा में मैथी बीज की गर्म तासीर मानी गयी है| यह गुण जोड़ों के दर्द दूर करने में मदद करता है|


herbal remedies for knee pain

*भोजन द्वारा इलाज के अंतर्गत रोजाना ३-४ खारक खाते रहने से घुटनों की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है| *अस्थियों को मजबूत बनाए रखने के लिए केल्शियम का सेवन करना उपकारी है| केल्शियम की ५०० एम् जी की गोली सुबह शाम लेते रहें| | दूध ,दही,ब्रोकली और मछली में पर्याप्त केल्शियम होता है|
*घुटनों के लचीलेपन को बढाने के लिए दाल चीनी,जीरा,अदरक और हल्दी का उपयोग उत्तम फलकारी है| इन पदार्थों में ऐसे तत्त्व पाए जाते हैं जो घुटनों की सूजन और दर्द का निवारण करते हैं|
*गाजर में जोड़ों में दर्द को दूर करने के गुण मौजूद हैं |चीन में सैंकडों वर्षों से गाजर का इस्तेमाल संधिवात पीड़ा के लिए किया जाता रहा है| गाजर को पीस लीजिए और इसमें थोड़ा सा नीम्बू का रस मिलाकर रोजाना खाना उचित है| यह घुटनों के लिगामेंट्स का पोषण कर दर्द निवारण का काम करता है|*प्याज अपने सूजन विरोधी गुणों के कारण घुटनों की पीड़ा में लाभकारी हैं| दर असल प्याज में फायटोकेमीकल्स पाए जाते हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम को ताकतवर बनाते हैं| प्याज में पाया जाने वाला गंधक जोड़ों में दर्द पैदा करने वाले एन्जाईम्स की उत्पत्ति रोकता है| एक ताजा रिसर्च में पाया गया है कि प्याज में मोरफीन की तरह के पीड़ा नाशक गुण होते हैं|


herbal remedies for knee pain

*गरम तेल से हल्की मालिश करना घुटनों के दर्द में बेहद उपयोगी है| एक बड़ा चम्मच सरसों के तेल में लहसुन की २ कुली पीसकर डाल दें | इसे गरम करें कि लहसुन भली प्रकार पक जाए| आच से उतारकर मामूली गरम हालत में इस तेल से घुटनों या जोड़ों की मालिश करने से दर्द में तुरंत राहत मिल जाती है| इस तेल में संधिवात की सूजन दूर करने के गुण हैं| घुटनों की पीड़ा निवारण की यह असरदार चिकित्सा है|
जोड़ों की पीड़ा दूर करने के लिये तेल निर्माण करने का एक बेहद असरदार फार्मूला नीचे लिख रहा हूँ ,जरूर प्रयोग करें-
*काला उड़द १० ग्राम ,बारीक पीसा हुआ अदरक ५ ग्राम ,पीसा हुआ कर्पूर २ ग्राम लें| ये तीनों पदार्थ ५0 ग्राम सरसों के तेल में ५ मिनिट तक गरम करें और आंच से उतारकर छानकर बोतल में भर लें| मामूली गरम इस तेल से जोड़ों की मालिश करने से दर्द में आराम मिलता है| दिन में २-३ बार मालिश करना उचित है| यह तेल आर्थ्रराईटीज जैसे दर्दनाक रोगों में भी गजब का असर दिखाता है|


herbal remedies for knee pain

नीचे बताई गयी सामग्री को मिला कर हल्दी का एक दर्द निवारक पेस्ट बना लीजिये.
1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
1 छोटा चम्मच पीसी हुई चीनी, या बूरा या शहद
1 चुटकी चूना (जो पान में लगा कर खाया जाता है)
आवश्यकतानुसार पानी
इन सभी को अच्छी तरह मिला लीजिये. एक लाल रंग का गाढ़ा पेस्ट बन जाएगा.

यह पेस्ट कैसे प्रयोग करें:-

सोने से पहले यह पेस्ट अपने घुटनों पे लगाइए. इसे सारी रात घुटनों पे लगा रहने दीजिये.
सुबह साधारण पानी से धो लीजिये.
कुछ दिनों तक प्रतिदिन इसका इस्तेमाल करने से सूजन, खिंचाव, चोट आदि के कारण होने वाला घुटनों का दर्द पूरी तरह ठीक हो जाएगा.

घुटनों का दर्द – उपाय 2

1 छोटा चम्मच सोंठ का पाउडर लीजिये और इसमें थोडा सरसों का तेल मिलाइए.
इसे अच्छी तरह मिला कर गाड़ा पेस्ट बना लीजिये.
इसे अपने घुटनों पर मलिए. इसका प्रयोग आप दिन या रात कभी भी कर सकते हैं.
कुछ घंटों बाद इसे धो लीजिये. यह प्रयोग करने से आपको घुटनों के दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलेगा.घुटनों का दर्द – उपाय 3

नीचे बताई गयी सामग्री लीजिये:-
4-5 बादाम
5-6 साबुत काली मिर्च
10 मुनक्का
6-7 अखरोट
प्रयोग:
इन सभी चीज़ों को एक साथ मिलाकर खाएं और साथ में गर्म दूध पीयें.
कुछ दिन तक यह प्रयोग रोजाना करने से आपको घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा.

घुटनों का दर्द – उपाय 4

खजूर विटामिन ए, बी, सी, आयरन व फोस्फोरस का एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत है. इसलिए, खजूर घुटनों के दर्द सहित सभी प्रकार के जोड़ों के दर्द के लिए बहुत असरकारक है.

प्रयोग:
एक कप पानी में 7-8 खजूर रात भर भिगोयें.
सुबह खाली पेट ये खजूर खाएं और जिस पानी में खजूर भिगोये थे, वो पानी भी पीयें. ऐसा करने से घुटनों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, और घुटनों के दर्द में बहुत लाभ मिलता है.
घुटनों का दर्द – उपाय 5

नारियल भी घुटनों के दर्द के लिए बहुत अच्छी औषधी है.
नारियल का प्रयोग:
रोजाना सूखा नारियल खाएं.
नारियल का दूध पीयें.
घुटनों पर दिन में दो बार नारियल के तेल की मालिश करें.
इससे घुटनों के दर्द में अद्भुत लाभ होता है.
आशा है आपको इन आसान घरेलू उपायों की मदद से घुटनों के दर्द से छुटकारा मिलेगा और आपकी ज़िंदगी बेहतर हो सकेगी
प्रतिदिन नारियल की गिरी का सेवन करें|इससे घुटनों को ताकत आती है|
लगातार 20 दिनों तक अखरोट की गिरी खाने से घुटनों का दर्द समाप्त होता है।
बिना कुछ खाए प्रतिदिन प्रात: एक लहसन कली, दही के साथ दो महीने तक लेने से घुटनों के दर्द में चमत्कारिक लाभ होता है।

विशिष्ट परामर्श-  


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|






















24.4.23

हड्डियों के जोड़ मजबूत कैसे करें?Haddiyon ko kaise majbut banayen

 




अगर आप सोंचते हैं कि आप जवान हैं और आपकी हड्डी अभी कमजोर नहीं हो सकती, तो आप बिल्कुल गलत हैं। जाने माने हड्डी के सर्जन का कहना है कि आज कल लोगों को कम ही उम्र में ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डी विकार) होने का खतरा पहले की तुलना में ज्यादा बढ गया है।
अगर आप अपने भोजन में कैल्शियम युक्त भोजन नहीं लेते तो आपके घुटने कुछ ही दिनों में कमजोर हो जाएंगे। अगर घुटना किसी भी प्रकार से क्षतिग्रस्त हो गया तो उसे ठीक करना बहुत मुश्किल है।अच्छा है कि आप अपने भोजन में कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें, जो आपके घुटनों के लिये अच्छे हों।

हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस, प्रोटीन व अन्य कई प्रकार के मिनरल से मिलकर बनी होती हैं। किंतु अनियमित जीवनशैली, खान-पान व शारीरिक निष्क्रीयता की वजह से ये मिनरल खत्म होने लगते हैं, जिससे हड्डियों का घनत्व (बोन डेंसिटी) कम होने लगता है और धीरे-धीरे वो घिसने और कमजोर होने लगती हैं। कई बार हड्डीयों में यह कमजोरी इतनी हो जाती है कि मामूली सी चोट लगने पर भी फ्रैक्चर हो जाता है।
जॉइंट्स यानी हड्डियों का जोड़ हमें मजबूती देने के साथ-साथ ईजी मोबिलिटी में भी मदद करते हैं। ऐसे में अगर जॉइंट्स स्मूथली काम न करे तो हमें कई तरह की परेशानियों और दर्द का सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा ये बेहद जरूरी है कि जॉइंट्स के साथ हमारा अच्छा रिश्ता बना रहे।
भारत मे आज कल हड्डियों से जुड़ी समस्या बहुत आम बात हो गई है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, हड्डी, जोड़ और कमर का दर्द जीवन का अभिन्न अंग बन जाता है। आज हर दस में से लगभग चार स्त्रियों और चार में से एक पुरुष को हड्डी से जुड़ी कोई न कोई समस्या घेरे रहती है। पर ध्यान रहे, हड्डियां रातों-रात कमजोर नहीं होतीं। यह प्रक्रिया सालों-साल चलती है। डॉक्टरों का मानना है कि 15-25 वर्ष तक की उम्र में हड्डियों का मास यानी द्रव्यमान पूर्ण रूप से विकसित हो जाता है। ऐसे में बचपन और युवावस्था के समय का खान-पान, पोषण, जीवनशैली और व्यायाम आगे चल कर हड्डियों की सेहत को निर्धारित करने वाले कारक बनते हैं।हड्डियों कमजोर होने के कारण और हड्डियों का खोखलापन होने से सिल्पडिकस, थोड़ी सी चोट से टुट जाना, हड्डियों का दर्द होना, हड्डी भूरभरी होना आदि|

हड्डियों से जुड़ी समस्या के उपचार -

पिस्ता, अखरोट और बादाम-

ये कुछ ऐसे ड्राई फ्रूट्स हैं जिनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटमिन ई, प्रोटीन और अल्फा-लिनोलेनिक भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है। खासकर अखरोट में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो ऑस्टियोआर्थराइटिस और रूमेटाइड आर्थराइटिस से छुटकारा पाने में मदद करता है।


पालक

ऐंटिऑक्सिडेंट्स से भरपूर पालक ऑस्टियोआर्थराइटिस को कम करने में मदद करने के साथ ही सूजन, जलन और दर्द को भी कम करता है। आप चाहें तो पालक का सूप, जूस, पालक की सब्जी या फिर कई अलग-अलग तरीकों से पालक को अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं।

पपीता : 

पपीते में ढेर सारा विटामिन सी होता है। रिसर्च में पाया गया है कि जिन लोगों के अदंर विटामिन सी की कमी होती है उनमें जोड़ो का दर्द आम बात है।

*ब्रॉकली

*ब्रॉकली मे सल्फोराफेन पाया जाता है जो जोड़ों के दर्द की तकलीफ को कम करने के साथ ही रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षणों को भी कम करने में मदद करता है। ब्रॉकली खाने का ढेरों फायदा आपको मिले इसके लिए इसे अपने सलाद या फिर स्टर-फ्राई सब्जी में यूज करें।

मछली

साल्मन, ट्यूना और ट्रॉट जैसी मछलियों की वरायटी में ओमेगा 3 फैटी ऐसिड भरपूर मात्रा में होता है जो सूजन-जलन और उत्तेजना से लड़कर जोड़ों के दर्द को तुरंत कम करने में मदद करता है। इन मछलियों में विटमिन डी की मात्रा भी काफी अधिक होती है जो आर्थराइटिस और उस जैसी कई बीमारियों के लक्षणों को कम करता है।

गुड़ और तिल :

20 ग्राम तिल थोडे से गुड के साथ मिक्सर में चलाकर तिलकुट्टा बनालें। रोजाना सुबह उपयोग करने से अस्थि मृदुता निवारण में मदद मिलती है।

जोड़ मजबूत करने के निम्न उपाय भी बहुत महत्व पूर्ण है-

१) रिफाईनड तेल खाना छोड दें । रिफाइंड तेल में ज्यादा लाईपो कैमिकल होता है और यह शरीर के केल्सियम को मूत्र के जरिये बाहर निकालता है। केल्शियम अल्पता से अस्थि-भंगुरता होती है। रिफाइंड की बजाय कच्ची घाणी का तेल प्रचुरता से उपयोग करें।
२) प्रतिदिन बाजरा और तिल का तेल उपयोग करें। यह ओस्टियो पोरोसिस( अस्थि मृदुता) का उम्दा इलाज है।खोखली और कमजोर अस्थि-रोगी को यह उपचार अति उपादेय है।
३) एक चम्मच शहद नियमित तौर पर लेते रहें। यह आपको अस्थि भंगुरता से बचाने का बेहद उपयोगी नुस्खा है।
४) दूध केल्सियम की आपूर्ति के लिये श्रेष्ठ है। इससे हड्डिया ताकतवर बनती हैं। गाय या बकरी का दूध भी लाभकारी है।
५) विटामिन “डी ” अस्थि मृदुता में परम उपकारी माना गया है। विटामिन डी की प्राप्ति सुबह के समय धूपमें बैठने से हो सकती है। विटामिन ’डी” शरीर में केल्सियम संश्लेशित करने में सहायक होता है।शरीर का २५ प्रतिशत भाग खुला रखकर २० मिनिट धूपमें बैठने की आदत डालें।
६) एक गेहूं के दाने के समान चूना तरल पदार्थ में मिलाकर खाये, यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं ।(पथरी का रोगी चुना ना खाये)
७) तिल के उत्पाद अस्थि मृदुता निवारण में महत्वपूर्ण हैं। इससे औरतों में एस्ट्रोजिन हार्मोन का संतुलन बना रहता है। एस्ट्रोजिन हार्मोन की कमी महिलाओं में अस्थि मृदुता पैदा करती है।तिल का तेल उत्तम फ़लकारक होता है।
८) केफ़िन तत्व की अधिकता वाले पदार्थ के उपयोग में सावधानी बरतें। चाय और काफ़ी में अधिक केफ़िन तत्व होता है। दिन में बस एक या दो बार चाय या काफ़ी ले सकते हैं।
९) बादाम अस्थि मृदुता निवारण में उपयोगी है। ११ बादाम रात को पानी में गलादें। छिलके उतारकर गाय के २५० मिलि दूध के साथ मिक्सर या ब्लेन्डर में चलावें। नियमित उपयोग से हड्डियों को भरपूर केल्शियम मिलेगा और अस्थि भंगुरता का निवारण करने में मदद मिलेगी।
१०) बन्द गोभी में बोरोन तत्व पाया जाता है। हड्डियों की मजबूती में इसका अहम योगदान होता है। इससे खून में एस्ट्रोजीन का स्तर बढता है जो महिलाओं मे अस्थियों की मजबूती बढाता है। पत्ता गोभी की सलाद और सब्जी प्रचुरता से इस्तेमाल करें।
११) नये अनुसंधान में जानकारी मिली है कि मेंगनीज तत्व अस्थि मृदुता में अति उपयोगी है। यह तत्व साबुत गेहूं,पालक,अनानास,तिल और सूखे मेवों में पाया जाता है। इन्हें भोजन में शामिल करें।
१२) विटामिन “के” रोजाना ५० मायक्रोग्राम की मात्रा में लेना हितकर है। यह अस्थि भंगुरता में लाभकारी है।
१३) सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि हड्डियों की मजबूती के लिये नियमित व्यायाम करें और स्वयं को घर के कामों में लगाये रखें।
१४) भोजन में नमक की मात्रा कम कर दें। भोजन में नमक ज्यादा होने से सोडियम अधिक मात्रा मे उत्सर्जित होगा और इसके साथ ही केल्शियम भी बाहर निकलेगा।
१५) २० ग्राम तिल थोडे से गुड के साथ मिक्सर में चलाकर तिलकुट्टा बनालें। रोजाना सुबह उपयोग करने से अस्थि मृदुता निवारण में मदद मिलती है।
***************

23.4.23

शीघ्र पतन क्यों होता है ,रतिक्रिया का समय कैसे बढ़ाएं?




आमतौर पर यौन समस्याएं महिला और पुरुष दोनों को होती है, लेकिन वीर्य जल्दी बाहर निकल आना या शीघ्रपतन एक ऐसी समस्या है जो पुरुषों में बहुत सामान्य है। अक्सर पाया गया है कि ज्यादातर पुरुष जोश में जल्दी वीर्य गिरने की समस्या से परेशान रहते हैं। चूंकि जल्दी स्खलित हो जाने से पत्नी या पार्टनर को बेहतर शारीरिक सुख प्राप्त नहीं हो पाता है, इसलिए यह समस्या पुरुषों की मर्दानगी पर भी सवाल उठाती है। अगर आप भी जल्दी स्खलित हो जाते हैं तो इस लेख में हम आपको वीर्य को जल्दी निकलने से रोकने के घरेलू उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं।
वीर्य का जल्दी बाहर निकल आना या शीघ्रपतन एक ऐसी समस्या है आप अपने साथी के साथ संभोग करते समय एक मिनट से भी कम समय में या बहुत जल्दी स्खलित हो जाते हैं और अपने साथी को यौन संतुष्टि प्रदान नहीं कर पाते और वह सेक्स का आनंद नहीं ले पाती है। जल्दी स्खलित होने की समस्या काफी शर्मनाक मानी जाती है और यह शादीशुदा जीवन को भी प्रभावित करती है।
वास्तव में सेक्स के दौरान वीर्य बाहर निकलने का कोई सटीक समय नहीं है और अब तक जल्दी स्खलन होने का वास्तविक कारण भी ज्ञात नहीं हो पाया है। लेकिन सेक्सोलॉजिस्ट मानते हैं कि यह पुरुषों के मस्तिष्क से जुड़ा होता है। इसका अर्थ यह है कि यदि किसी पुरुष के मस्तिष्क में सेरोटोनिन (serotonin) नामक रसायन का स्तर कम है तो उसे सेक्स के दौरान जल्दी वीर्य बाहर आने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा यह समस्या अन्य कई कारणों से होती है।पर्याप्त उत्तेजना न होने के कारण
सेक्स का दर्दनाक अनुभव होने के कारण
डायबिटीज या प्रोस्टेट रोग होने के कारणअधिक तनाव और डिप्रेशन के कारण
सेक्स करने का पर्याप्त अनुभव न होने के कारण
पार्टनर के साथ संबंध अच्छे न होने के कारण
संभोग के दौरान वीर्य का जल्दी बाहर निकल आना कोई गंभीर समस्या नहीं है। आमतौर पर यह खराब जीवनशैली और गलत खानपान की आदतों के कारण होता है। इसलिए यदि आप अपनी जीवनशैली सुधार लें तो यह समस्या काफी हद तक ठीक हो सकती है। संबंध बनाते समय वीर्य का जल्दी गिरना एक आम समस्या है। आइये जानतें हैं वीर्य को अधिक देर तक गिरने से रोकने के लिए कारगर उपाय और वीर्य को जल्दी बाहर निकलने से रोकने के रामबाण उपाय क्या है।
प्याज -
माना जाता है कि हरे प्याज के बीज में कामोत्तेजक गुण पाया जाता है जो पुरुषों में वीर्य को जल्दी निकलने से रोकता है। हरा प्याज पुरुषों की यौन शक्ति की बढ़ाता है जिससे पुरुष अपने पार्टनर का बिस्तर पर लंबे समय तक साथ देता है। अगर आपको शीघ्रपतन जैसी यौन समस्या है तो हरे प्याज के बीज को कुचलकर पानी में अच्छी तरह मिला लें। इस औषधीय पानी को भोजन करने से ठीक पहले दिन में दो बार पीएं। आप चाहें तो सफेद प्याज का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह वास्तव में प्रजनन अंगों को मजबूत करने का काम करता है जिससे वीर्य जल्दी बाहर नहीं निकलता है।
अश्वगंधा-
यह औषधीय जड़ी बूटी पुरुषों में यौन समस्याओं के इलाज के लिए एक प्रभावी उपाय है। अश्वगंधा दिमागी शक्ति में सुधार करता है और शरीर में कामेच्छा को भी बढ़ाता है। इससे पुरुष अपने स्खलन को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकते पाते हैं और संभोग को लम्बा खींच सकते हैं। यह जड़ी बूटी सहनशक्ति को भी बढ़ाती है, और यह स्तंभन दोष के इलाज में भी प्रभावी है। वीर्य को जल्दी निकलने से रोकने के लिए आप सीधे अश्वगंधा जड़ी बूटी का पाउडर या इसके सप्लिमेंट्स का उपयोग कर सकते हैं।
शतावरी-
शतावरी की जड़ों में पाया जाने वाला कामोत्तेजक गुण पुरुषों में शीघ्रपतन की समस्या को कम करने में मदद करता है। इसलिए वीर्य जल्दी निकलने की समस्या से परेशान पुरुषों को 3 से 4 चम्मच शतावरी पाउडर को एक गिलास दूध के साथ मिलाकर सेवन करना चाहिए। इसके अलावा आप शतावरी की जड़ों को दूध में उबालने के बाद छानकर भी पी सकते हैं। पुरुषों में ताकत बढ़ाने और अन्य यौन समस्याओं को दूर करने के लिए के शतावरी और दूध का सेवन दिन में दो बार करें, आपको शीघ्रपतन नहीं होगा।
भिन्डी-
जल्दी स्खलित हो जाने या वीर्य निकलने की समस्या को दूर करने के लिए भिंडी एक प्रभावी उपाय है। यदि आप इस समस्या से पीड़ित हैं तो आपको भिंडी को सब्जी के रूप में अपने रोजमर्रा के आहार में शामिल करना चाहिए या भिंडी के पाउडर का सेवन करना चाहिए। आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि नियमित रूप से भिंडी पाउडर या चूर्ण का सेवन कुछ हफ्तों तक करने से इंटरकोर्स के दौरान जल्दी वीर्य बाहर नहीं निकलता है और शीघ्रपतन की समस्या नियंत्रित हो जाती है।
शहद और अदरक-
सेक्सोलॉजिस्ट का मानना है कि अदरक का सेवन करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और यह विशेष रूप से पेनिस की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। इससे पुरुष अपने स्खलन पर अधिक नियंत्रण करने में सक्षम हो पाता है। इसके अलावा अदरक इरेक्शन को बनाए रखने में सहायक होता है क्योंकि यह शरीर को गर्म करता है, जिससे रक्त प्रवाह तेज होता है। शहद के साथ अदरक को मिलाकर खाने से यौन शक्ति बढ़ती है और इंटरकोर्स करते समय वीर्य जल्दी बाहर नहीं निकलता है। आधा चम्मच अदरक को शहद के साथ मिलाएं और सोने से पहले इसका सेवन करें। जल्द ही आपकी जल्दी झड़ जाने की समस्या दूर हो जाएगी।
लहसुन-
लहसुन में कामोत्तेजक (aphrodisiac) गुण होता है और यह समय से पहले वीर्य को गिरने से रोकता है और संभोग की अवधि को बढ़ाने में काफी मददगार साबित होता है। लहसुन का एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है और शरीर को गर्म भी रखता है। यदि आप जल्दी स्खलित हो जाते हैं या आपका वीर्य जल्दी बाहर निकल आता है तो आप सुबह शाम लहसुन की कलियां चबाएं या लहसुन को घी में उबालकर खाएं, इससे आपकी समस्या दूर हो जाएगी। आप चाहें तो खाली पेट भी लहसुन खा सकते हैं|
विशिष्ट परामर्श- 

नपुंसकता एक ऐसी समस्या है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. किसी भी पुरुष के एक पिता बनने में असमर्थ होने को पुरुष बांझपन या नपुंसकता कहा जाता है।यह तब होता है जब कोई पुरुष संभोग के लिए पर्याप्त इरेक्शन प्राप्त नहीं कर पाता या उसे मजबूत नहीं रख पाता. दामोदर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र 
9826795656 द्वारा विकसित "नपुंसकता नाशक हर्बल औषधि" से सैंकड़ों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं। स्तंभन दोष दूर करने मे यह औषधि रामबाण सिद्ध होती है।

************

20.4.23

लम्बी उम्र तक हड्डियों की मजबूती के उपाय ,Haddiyon ko kaise majbut banayen?




एक मजबूत शरीर के लिए, बाकी अंगों के साथ हड्डियों का मजबूत (Strong Bones) होना भी ज़रूरी होता है। हमारी हडियां कैल्शियम (Calcium), प्रोटीन (Protein), फॉस्फोरस (Phosphorus) के अलावा अन्य मिनरल (Other Minerals) से बानी हुई होती हैं। खराब लाइफस्टाइल, पोषण की कमी से यह मिनरल ख़तम होने लगते हैं और धीरे-धीरे हडियों कमजोर हो जाती हैं। इसी कारण से चोट या एक्सीडेंट होने पर फ्रैक्चर (Fracture) हो जाता है। स्‍वाभाविक है कि हमारे शरीर को पोषण और ताकत केवल आहार के माध्‍यम से ही प्राप्‍त हो सकता है। लेकिन जब हड्डीयों की बात आती है तो दो प्रमुख पोषक तत्‍व कैल्शियम और विटामिन D बहुत ही आवश्‍यक होते हैं। यदि आप अपनी हड्डियों को मजबूत रखना चाहते हैं तो कैल्शियम और विटामिन-D आधारित खाद्य पदार्थों पर ध्‍यान दें। इस लेख में बुढ़ापे तक साथ निभाने वाली हड्डियों को मजबूत कैसे बनाए रखने के उपाय बताए गए हैं।

दूध-

दूध कैल्शियम का हाई सोर्स है जिससे आपकी हड्डियों को सेहतमंद रखने में काफी मदद मिलती है। यदि आप रोज एक कप दूध (250-300 Ml) पीते हैं तो उससे रोजाना कैल्शियम की जरुरत का एक तिहाई हिस्सा मिल जाता है।
दूध में पोटेशियम (Potassium), विटामिन बी (Vitamin B), विटामिन ए (Vitamin A) और प्रोटीन (Protein) काफी मात्रा में होता है। यदि आप लो कैलोरी चाहते हैं तो लो या बिना-फैट वाले दूध (Low Or Non-Fat Milk) का उपयोग कर सकते हैं।

बाजरा (Bajra)

रोज़ाना बाजरा और तिलके तेल का उपयोग करेने से यह हड्डियों की बिमारी से बचाएगा जैसे ऑस्टियोपोरोसिस।

काजू-

काजू काफी टेस्टी और हेल्दी ड्रायफ्रूट है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम (Magnesium) और खनिज (Minerals) हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं।
साथ ही साथ इसमें हाई मात्रा में कॉपर (Copper) होता है। काजू के एक औंस (28.34 Gm) में 622 Mg कॉपर होता है। 19 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों के लिए रोजाना 900 Mg कॉपर की जरुरत होती है।(3)

कच्ची घानी तेल (Kacchi ghani ka tel)

रिफाइंड तेल का सेवन करना छोड़ दें, इसमें मौजूद लिपो केमिकल हड्डियों को शांति पहुंचता हैं। यह शरीर के कैल्शियम को मूत्र के जरिए बाहर निकालता हैं। रिफाइंड तेल के स्थान पर कच्ची घानी तेल का उपयोग करें।

टमाटर का जूस-

टमाटर का जूस मिटामिन और मिनरल्स में काफी हाई होता है। इसमें मैग्नीशियम, विटामिन ए (Vitamins A ), विटामिन सी (Vitamins C) काफी मात्रा में पाया जाता है। साथ ही साथ कैल्शियम और विटामिन के (Vitamins K) भी कुछ मात्रा में पाया जाता है।
इसलिए ताजे टमाटर का जूस पीना हड्डियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

सूरज से मिलने वाली धुप (Having Sunlight Or Sunbathing)

विटामिन D की प्राप्ति सुबह के समय धूप में बैठने से हो सकती हैं। विटामिन D शरीर में कैल्शियम संष्लेशित करने में सहायक होता है। शरीर का 25% भाग खुला रखकर 20 मिनट धुप में बैठने की आदत डालें।

चुना (Chuna)

गेहूं के दाने के समान चुना तरल पदार्थ में मिलाकर खाए, यह कैल्शियम का अच्छा स्रोत है। (पथरी में चुना ना खाएं)

अखरोट-


अखरोट टेस्ट के साथ-साथ गुणों में भी काफी अच्छा होता है। ये कैल्शियम, प्रोटीन और मैग्नीशियममें काफी हाई होता है। साथ ही साथ ये ओमेगा-3 (Omega-3) फैटी एसिड का भी मुख्य सोर्स होता है।
ये कॉपर का अच्छा सोर्स है और ये बात तो आप जानते ही हैं कि कॉपर की कमी से बोन डेंसिटी कम होने और ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ सकता है।
सभी नट्स की तरह इसमें भी अधिक कैलोरी होती है। लेकिन इसकी कुछ मात्रा खाने से आपको काफी लंबे समय तक भूख नहीं लगती।

बादाम (Almonds)

4-5 बादाम रात को पानी में भिगो के रख दें। छिलके उतारकर गाय के 240 ml दूध के साथ मिक्सर में ब्लेंड करके सेवन करे। यह अस्थि मृदुता निवारण में उपयोगी है।

गोभी (Gobhi)

गोभी में बोरोन तत्व पाया जाता है। हड्डियों की मजबूती में इसका अहम योगदान होता है। इससे खून में एस्ट्रोजीन का स्तर बढ़ता है जो महिलाओं में अस्थियों की मजबूती बढ़ता है। पत्ता गोभी की सलाद और सब्ज़ी प्रचुरता से इस्तेमाल करें।

दही -

दही में हाई मात्रा में कैल्शियम और प्रोटीन पाया जाता है। एक कप दही से आपको 450 Mg कैल्शियम और 12 Gm प्रोटीन मिल सकता है।
साथ ही साथ इसमें हड्डियों की हेल्थ के लिए कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे: कैल्शियम (Calcium), प्रोटीन (Protein), पोटेशियम (Potassium), फॉस्फोरस (Phosphorus) और विटामिन डी (vitamin D)।

अनाज (Whole Grains)

मेंगनीज तत्व अस्थि मृदुता में अति उपयोगी है। यह तत्व साबुत गेहूं, पालक, अनानास, टिल और सूखे मेवों में पाया जाता है।

व्यायाम (Exercise)

सबसे ज़रूरी बात यह है की हड्डियों की मजबूती की मजबूती के लिए नियमित व्यायाम करें और स्वयं को घर के कामों में लगाए रखें।
************