27.10.23

हकलाने और तुतलाने को जड़ से ख़त्म करने का रामबाण नुस्खा

 





Stammering Problem: अक्सर छोटी उम्र में बच्चे शब्दों को ठीक तरह से नहीं बोल पाते हैं. कई बार तुतलाना या हकलाना छोटे बच्चों में देखा जाता है. उम्र बढ़ने पर भी अगर बच्चा रुक-रुक कर बोल रहा है या किसी एक शब्द को लंबा खींच रहा है, तो ये चिंता की बात है. ये स्टैमरिंग या हकलाने की शुरुआत हो सकती है.
छोटे बच्‍चे जब तुतलाकर बोलना शुरू करते हैं तो कितना अच्‍छा लगता है लेकिन जैसे-जैसे बच्‍चा बड़ा होने लगता है उसका तुतलाकर बोलना हंसी-मजाक का विषय बन जाता हैअगर आपका बच्‍चा भी थोड़ा तुतलाकर या फिर हकलाकर बोलता है तो इसे आम समस्‍या मानकर इग्‍नोर न करें बलिक इस घरेलू उपाय की मदद से भी आप जल्‍द ही इस परेशानी का समाधान निकाल सकते हैं.
यह समस्या मोटी जीभ, हकलाने वाली की नकल करने और नाड़ियों में किसी प्रकार के दोष होने से हो सकती है. जब हम बोलते वक्त सही से अक्षरों को नहीं बोल पाते हैं ,रुक-रुककर बोलते हैं तो यह तुतलाने या हकलाने कहलाता है. डॉक्टरों के अनुसार, अगर कोई बच्चा बोलते वक्त हकलाता है, तो उसके लिए आंवला बहुत ही फायदेमंद हो सकता है. ऐसे बच्चों को कुछ दिनों तक आंवला चबाने के लिए देना चाहिए.
दरअसल आंवला चबाने से जीभ पतली होने में मदद मिलती है और आवाज साफ निकलने लगती है. आंवले से आवाज साफ होती है और हकलाने की समस्या धीरे-धीरे कम होती जाती है,बच्‍चों के हकलाने और तुतलाने पर कच्चे, पके हरे आंवले को उन्‍हें चूसने के लिए दें और आप जल्‍द ही इसका प्रभाव देख़ सकते हैं. आंवले के सेवन से आवाज साफ होती है. - बादाम के सात टुकड़े और उतनी ही मात्रा में काली मिर्च को पीसकर एक चटनी जैसा पेस्ट तैयार कर लें. इसमें शहद मिलाकर बच्चे को चाटने के लिए दें. - 
काली मिर्च चूसना भी बहुत फायदेमंद रहेगा.
तेजपत्ता : जिनको रुक-रुक कर बोलना या हकलाने की परेशानी उन व्यक्ति को तेजपत्ता जीभ के नीचे रखने से बहुत लाभ मिलता है और हकलापन तथा रुक-रुककर बोलना दूर हो जाता है। आंवला : काम से काम दो आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने से जीभ पतली और आवाज साफ होती है साथ ही उनका हकलापन और तुतलापन भी दूर हो जाता है।

तुतलाने और हकलाने के उपाय :-

1.आंवला :-

बच्चे यदि एक ताजा हरा आंवला रोजाना कुछ दिन चबाएं तो तुतलाना और हकलाना मिटता है । इससे जीभ पतली होने लगती है और आवाज साफ आने लगती है।

ए​क चम्मच आंवले के चूर्ण को एक चम्मच गाय के घी में मिलाकर लेने से भी हकलाने की समस्या दूर होती है।

2.सौंफ:-

5 ग्राम सौंफ को थोड़ा कूटकर 300 ग्राम पानी में उबालें । जब पानी उबलकर सौ ग्राम रह जाए तब उसमें 50 ग्राम मिश्री तथा ढाई सौ ग्राम गाय का दूध मिलाकर रोजाना सोने से पहले पीते रहने से कुछ दिनों में ही हकलाकर बोलना ठीक हो जाता है।

3.बादाम:-

7 बादाम की गिरी, सात काली मिर्च , दोनों को कुछ बूंदे पानी के साथ घिसकर चटनी सी बना लें और इसमें जरा सी मिश्री पिसी हुई मिलाकर चाटे । सुबह खाली पेट कुछ दिन ले । इससे भी हकलाना बंद हो जाएगा ।

12 बादाम को रात भर पानी में भीगे रहने दे मैं सुबह छिलके उतारकर पीस लें इसे 30 ग्राम मक्खन के साथ लेने से हकलाने की समस्या से निजात मिलता है

4.छुआरे :-

छुहारे को दूध में उबालकर रात को सोते समय देने से भी आवाज साफ होती है और हकलाना बंद होता है । इसे देने के बाद 2 घंटे तक पानी नहीं पिए ।

5.कलौंजी का तेल:-

एक चम्मच कलौंजी के तेल में दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार जुबान पर रखें । इससे भी तुतलाना और हकलाना बंद हो जाता है।

6. ब्राह्मी तेल:-

ब्राह्मी तेल को थोड़ा सा गुनगुना कर लें व इससे सिर पर मसाज करें। 30- 40 मिनट बाद गुनगुने पानी से नहा लें । इस उपयोग से स्मरण शक्ति तेज होती है व हकलाने की समस्या भी दूर होती है।

7. एक चम्मच मक्खन में एक चुटकी काली मिर्च पाउडर डाल कर सुबह सुबह लेने से भी हकलाने की प्रॉब्लम दूर हो जाती है

इन घरेलू उपायों के साथ अगर आप निम्न तरीके भी अपनाते हैं तो हकलाने और तुतलाने की बीमारी से आप जल्दी निजात पा सकते हैं :-


1.शीशे के सामने खड़े होकर खुद से बातें करें जिससे आपमे कॉन्फिडेंस आएगा और हकलाने की समस्या कम होगी ।

2.जोर-जोर से किताब को पढे जिससे आवाज साफ होगी और आप अपने शब्दों पर अच्छे से ध्यान दे पाएंगे ।

3.आप जिन शब्दों पर ज्यादा अटकते हैं उन को नोट करके उन पर विशेष ध्यान दें।







सौंठ के फायदे और नुकसान

 


क्या आपको पता है कि सब्जियों का स्वाद बढ़ाने वाला सोंठ कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। लंबे समय से सोंठ को एक कारगर औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह अदरक को सूखाकर बनाया जाने वाला पाउडर है, जिसका इस्तेमाल अदरक की तरह ही किया जाता है। भोजन में एक मसाले की तरह इस्तेमाल किया जाने वाला सोंठ आंतरिक स्वास्थ्य से लेकर त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए भी फायदेमंद है.

 सर्दी के मौसम में अदरक का इस्तेमाल सुबह की चाय से लेकर रात की सब्जी तक में किया जाता है। लेकिन जब इसे सुखा कर व पीसकर तैयार किया जाता है तो यह एक मसाले की शक्ल ले लेता है, जिसे सोंठ कहा जाता है। अधिकतर लोग अपने घरों में सोंठ का प्रयोग मसाले के रूप में करते हैं तो कुछ लोग ठंड से बचने के लिए सोंठ के लड्डू बनाकर रखते हैं। वैसे इसकी मदद से कई समस्याओं से भी राहत पाई जा सकती है।

सिरदर्द से राहत

सिरदर्द होने पर सोंठ का प्रयोग करना एक अच्छा विचार हो सकता है। बस इसका पेस्ट बनाकर अपने माथे पर लगाएं। इससे आपको काफी आराम होगा। वहीं जिन लोगों को माइग्रेन है, वह भी दो टेबल स्पून सोंठ को गर्म पानी में डालकर पीएं। इस उपाय से आधे सिर के दर्द से भी आराम मिलता है। आप चाहें तो गले में दर्द होने पर भी इस पेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

जुकाम से राहत

सोंठ अदरक का पाउडर है, जो हर घर की रसोई में उपयोग किया जाता है। इसे मुख्यतः सब्जी, चाय और अन्य पेय पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है। शोध के अनुसार, अदरक मलेरिया और बुखार जैसी समस्याओं के साथ सर्दी-जुकाम से राहत देने का काम कर सकता है (1)। इसलिए, माना जा सकता है कि सोंठ का प्रयोग कर जुकाम से राहत पाई जा सकती है।

पेट की जलन से राहत

पेट की जलन को दूर करने में अदरक कारगर भूमिका निभा सकता है। दरअसल, इस खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल प्राचीन समय से पेट से जुड़ी हुई कई समस्याओं, जैसे कब्ज, दस्त, अपच, पेट फूलना, गैस, गैस्ट्रिक अल्सर, मतली और उल्टी का इलाज करने के लिए किया जा रहा है, जो पेट में जलन का कारण बन सकती हैं

वजन करे कम

अदरक में थर्मोजेनिक एजेंट नामक तत्व होता है जो वसा को जलाने में मदद करता है, जिससे वजन आसानी से कम होता है। गरम पानी के साथ इसका सेवन मोटापे को कम करने में सहायक है
इसके लिए एक चौथाई टीस्पून सोंठ को एक कप गर्म पानी में अच्छे से मिलाएं। अब इसका प्रतिदिन सेवन करें। आप चाहें तो इसमें थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं।

सामान्य ठंड,बुखार 

सर्दी में ठंड लगने पर लोग अदरक का सेवन किसी न किसी रूप में अवश्य करते हैं। लेकिन इसके अतिरिक्त सोंठ का प्रयोग करके भी ठंड से निजात पाई जा सकती है। इसके लिए चाहें तो सोंठ को चाय में डालकर पीएं या फिर सोंठ के साथ गुड़ मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से बहती नाक से आराम मिलता है। यह पसीने को निकालने में सहायक है, जिससे शरीर का तापमान कम हो सकता है और शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे बुखार में भी आराम मिलता है। शहद के साथ इसे खाने से बुखार कम होता है

यूरिनरी इंफेक्शन

यूरिनरी इंफेक्शन कई बार बेहद गंभीर हो सकता है। इससे बचने का एक आसान उपाय है कि सोंठ को दूध व चीनी के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे इंफेक्शन काफी हद तक कम हो जाता है।
*जोड़ों के दर्द में सूखी अदरक, जिसे हम सोंठ कहते हैं, काफी लाभदायक होती है। सोंठ, जायफल को पीसकर तिल के तिल के में डालकर, उसमें भीगी हुई पट्टी जोड़ों पर लगाने से आराम मिल सकता है। इसके अलावा उबले हुए पानी के साथ शहद और अदरक पाउडर को पीने से गठिया में लाभ होता है।

एक्ने से छुटकारा

टीनेज में एक्ने होना एक सामान्य बात है, लेकिन इससे निजात पाने के लिए तरह−तरह की क्रीम अपनाने की आवश्यकता नहीं है। सोंठ भी एक्ने से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है। बस, मिल्क पाउडर व सोंठ को आपस में मिलाकर एक स्मूद पेस्ट बनाएं। अब चेहरे को साफ करके इस पेस्ट को अप्लाई करें। करीबन 20 मिनट बाद चेहरा वॉश करके मॉइश्चराइजर इस्तेमाल करें। सप्ताह में एक बार इस पेस्ट का इस्तेमाल करने से कुछ ही दिनों में फर्क नजर आने लगता है।

गैस की समस्या

सोंठ, हींग और काला नमक मिलाकर लेने से गैस की समस्या में लाभ होता है। पिसी हुई सोंठ और कैरम के बीजों को नींबू के रस में भि‍गोकर छाया में सुखाकर प्रतिदिन सुबह लेने से गैस और पेडू के दर्द में आराम मिलता है।
* यह पाचनक्रिया को दुरूस्त कर वजन कम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह रक्त में मौजूद शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर, वसा को सक्रिय करता है।

सूजन को कम करना

कई बीमारियों और दर्द का कारण सूजन हो सकता है। इस सूजन की समस्या को दूर करने के लिए सोंठ आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। जैसा कि आपको पहले बताया जा चुका है कि सोंठ अदरक से बना पाउडर होता है और अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो दर्द के साथ-साथ सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं

पेट दर्द, कब्ज

पेट दर्द, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में इसे पीसकर हींग और सेंधा नमक के साथ लेने से आाम मिलता है। इसके अलावा इसे पानी के साथ उबालकर बार-बार पीने से डायरिया में काफी लाभ मिलता है।

मधुमेह

सोंठ का सेवन मधुमेह की समस्या से निजात दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, अदरक को लेकर किए गए शोध में इसमें मौजूद एंटी-डायबिटिक, हाइपोलिपिडेमिक और एंटी-ऑक्सीडेटिव गुणों के बारे में पता चला है, जो मधुमेह के रोगियों में शुगर की मात्रा को संतुलित करने का काम कर सकता है

हिचकी

सोंठ को दूध में उबालकर, ठंडा करके पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है। पसलियों में दर्द होने पर इसे पानी में उबालकर ठंडा कर दिन में कम से कम चार बार पीने से लाभ होता है।

दांत दर्द से राहत


सोंठ का उपयोग एक आयुर्वेदिक दवा के रूप में कई शारीरिक समस्याओं के लिए किया जाता है, जिसमें दांत दर्द का उपचार भी शामिल है। दरअसल, अदरक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होता है, जो दांत दर्द के राहत देने में एक अहम भूमिका निभा सकता है

मुंहासों के लिए


अदरक के पाउडर को सोंठ के नाम से जाना जाता है। अदरक में पाए जाने वाला गुण सोंठ में भी मौजूद होते हैं। सोंठ को होम्योपैथिक इलाज के लिए भी उपयोग किया जाता है, जो आपके मुंहासे की समस्या को दूर करने में मददगार हो सकता है। इसके अलावा, अदरक का उपयोग मुंहासों को दूर करने वाली क्रीम में भी किया जाता है

कैंसर के लिए

कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर भी सोंठ के सकारात्मक परिणाम देखे जा सकते हैं। जैसा कि हमने बताया कि सोंठ अदरक का पाउडर है और अदरक एंटी-कैंसर गुणों से समृद्ध होता है। शोध के अनुसार, अदरक कई प्रकार के कैंसर से बचाव कर सकता है। इनमें कोलन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर मुख्य हैं

लकवे मे-

लकवे के प्रभाव को कम करने के लिये सूखी अदरक का पाउडर, जिगरी और गर्म मसूर की दाल को मिलाकर खाने से फायदा होता है। इसके अलावा लहसुन, सूखी अदरख और पानी का लेप बनाकर लगाने से भी काफी लाभ होता है।

माइग्रेन लिए सोंठ के फायदे

माइग्रेन को दूर करने के लिए आप कई तरह के उपचार का सहारा लेते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि सोंठ का सेवन माइग्रेन की समस्या से राहत दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, सोंठ पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सोंठ (Ginger Powder) माइग्रेन कम करने वाली दवा के सामान प्रभावकारी हो सकता है

पत्थरचट्टा है पथरी और जोड़ों के दर्द की रामबाण औषधि-Berberis Vulgaris




आयुर्वेद में पत्थरचट्टा को कई बीमारियों के लिए जादुई दवा कहा जाता है। इससे किडनी स्टोन, जोड़ों में दर्द, जैसी तमाम बीमारियों जड़ से खत्म किया जा सकता है. पत्थरचट्टा एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है जो कि शरीर में कई प्रकार के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा ये पेट की पथरी को भी कम करने में मददगार है। इसका ड्यूरेटिक गुण आपके शरीर के टॉक्सिन को पेशाब के साथ फ्लश ऑउट कर देता है और पेट व आंतों के काम काज को बेहतर बनाता है।

जोड़ों के दर्द में कारगर है पत्थरचट्टा-

जोड़ों के दर्द में पत्थरचट्टा का इस्तेमाल कई प्रकार से फायदेमंद है। ये असल में एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है जो कि हड्डियों के दर्द को कम करता है और सूजन में कमी ला सकता है। इसके अलावा ये हड्डियों को अंदर से मजबूत बनाता है और इनके काम काज को बेहतर करता है। साथ ही इसके टिशूज को हेल्दी रखता है और इस दर्द में कमी लाता है।

पत्थरचट्टा का पानी पिएं-

जोड़ों के दर्द के लिए आप पत्थरचट्टा का कई प्रकार से इस्तेमाल कर सकते हैं जिसमें से एक है इसका पानी। दरअसल, पत्थरचट्टा के पत्तियों को पानी में उबाल लें और फिर इसे पानी में नमक मिलाकर इसका सेवन करें। आप इसका काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं जो कि जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद कर सकता है क्योंकि ये शरीर की ताप बढ़ाता है और सूजन को कम करता है।

पत्थरचट्टा का लेप लगाएं-

पत्थरचट्टा का लेप, हड्डियों के दर्द और सूजन को तेजी से कम कर सकता है। आपको करना ये है कि पत्थरचट्टा को पीसकर और इसमें हल्दी मिलाकर इसका लेप तैयार कर लें और फिर इसे अपने जोड़ों पर लगाएं और हल्के हाथों से मालिश करें। इसे कुछ देर के लिए ऐसे ही छोड़ दें। रोजाना दिन में तीन बार इसे ऐसे ही लगाएं। ये हड्डियों की सेहत के लिए फायदेमंद है।


किडनी की पथरी के लिए-

काफी सालों से किडनी की पथरी के लिए पत्थरचट्टे के पौधे का इस्तेमाल होता चला आ रहा है। इसके लिए पत्थरचट्टा के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसमें शहद और शिलाजीत को मिलाकर अच्छे से मिक्स कर लें और फिर थोड़ी-थोड़ी देर पर इसका सेवन करते रहने से किडनी की पथरी की समस्या दूर होती है।


आंखों के लिए-

आंखों की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए पत्थरचट्टा का पौधा बहुत ही काम का है। ये आंखों की कई सारी परेशानियों को दूर करने का काम करता है। इसके लिए आपको पत्थरचट्टा के पत्तों का रस निकालकर अपनी आंखों के चारों ओर लगाना होगा। ऐसा करने से आंखों के सफेद हिस्से में जो दर्द हो रहा है वह दूर हो जाएगा।


योनि संक्रमण के लिए

वेजाइनल डिसचार्ज होने के कारण महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें अकसर योनि के संक्रमित होने की आशंका भी बढ़ जाती है। ऐसे में आप पत्थरचट्टा से बना काढ़ा इस्तेमाल कर सकते हैं ये योनि की समस्या के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकती है। इसके लिए पत्थरचट्टा के पत्ते में 2 ग्राम शहद को मिला लें और फिर इसका सेवन आप 1 दिन में एक या दो बार करें। ऐसा करने से योनि स्राव कम हो जाएगा। साथ ही योनि संक्रमण का खतरा भी कम हो जाएगा।

सिर दर्द की समस्या के लिए=

सिर दर्द की समस्या के लिए भी पत्थरचट्टा का उपयोग किया जाता है। इसके लिए इसके पत्तों का लेप बनाकर माथे पर लगाना होता है। ये सिर्फ सिर दर्द ही नहीं बल्कि माइग्रेन की समस्या को भी दूर करने का काम करता है।

बीपी की समस्या के लिए-

जिन लोगों को बीपी की परेशानी रहती हो उन्हें पत्थरचट्टा के पत्तों का सेवन करना चाहिए। इसके लिए पत्थरचट्टा की पत्तियों से बने रस का सेवन 1 दिन में दो से तीन बार करें। ऐसा करने से हाइपरटेंशन में राहत मिलेगी।

पत्थरचट्टा का इस्तेमाल कैसे करें'

पत्थरचट्टा का इस्तेमाल कई तरीकों से किया जा सकता है। आप इसके पत्तों के रस को गुनगुने पानी में मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा इसके पत्तों को सलाद में काटकर सब्जियों के साथ भी खा सकते हैं। पत्थरचट्टा के पत्तों को उबालकर या पीसकर त्वचा पर भी लगाया जा सकता है।








21.10.23

मरुआ का पौधा इतनी बीमारियों में लाभदायक है ! नहीं जानते होंगे आप!




आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जिनका इस्तेमाल शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इन्हीं में से एक है मरुआ। मरुआ का पौधा अधिकतर घरों में गमलों में उगाया जाता है। यह एक सुगंधित पौधा है, इसका उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है। मरुआ अत्यंत गुणकारी और हानिरहित पौधा है। आप हम बात कर रहे हैं मरुआ के पत्ते के फायदों के बारे में-
मरुआ के पत्तों में पोटैशियम, कार्बोहाइड्रेट, डाइटरी फाइबर, प्रोटीन, विटामिन सी और कैल्शियम काफी मात्रा में होता है। इसके अलावा मरुआ आयरन, विटामिन बी6 और मैग्नीशियम का भी अच्छा सोर्स है

मरूआ पौधे को अनेकों प्रकार की घरेलू दवाइयों को बनाने के लिए बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है। इसके अंदर बहुत सारे औषधीय और आयुर्वेदिक गुण पाए जाते हैं जिसकी वजह से आपको इससे निम्नलिखित फायदे मिल सकते हैं जो कि इस प्रकार से हैं –

मरूआ पौधे के फायदे सूजन में

मरूआ पौधे की टहनियां व्यक्ति के शरीर की सूजन को कम करने में लाभदायक साबित हो सकती हैं। यहां बता दें कि इसकी टहनियों को पानी में अच्छी तरह से उबालने के बाद सूजन वाली जगह पर इस गर्म पानी से मालिश करने पर लाभ मिलता है। साथ ही बता दें कि सूजन कम करने के अलावा यह शरीर के दर्द में राहत पहुंचाने का काम भी करता है।

सिरदर्द में उपयोगी

मरुआ की पत्तियां सिरदर्द, माइग्रेन की समस्या में भी उपयोगी होती हैं। अगर आपको माइग्रेन की शिकायत है, तो 8-10 पत्तियां का रस निकाल लें। इसे दोनों नासिकाओं में 4-4 बूंद डाल दें। इससे आपको काफी आराम मिलेगा। इसके अलावा आप मरुआ के पत्तों का लेप भी माथे पर लगा सकते हैं। इससे सिरदर्द, माइग्रेन में आराम मिलेगा।

कफ रोगियों के लिए गुणकारी

आयुर्वेद में मरुआ के पत्ते को कफ रोगियों के लिए गुणकारी बताया गया है। इसका काढ़ा पीने से खांसी दूर होती है। फेफड़ों की सफाई होती है, साथ ही इससे गले में जमा बलगम भी आसानी से निकलता है।

मरूआ पौधे के लाभ पेचिश में

पेचिश एक ऐसी भयानक स्थिति है जिसकी वजह से व्यक्ति की हालत काफी ज्यादा खराब हो जाती है और अगर ठीक से इलाज न करवाया जाए तो जान जाने का खतरा भी रहता है। यहां बता दें कि जिन लोगों को पेचिश की समस्या हो गई है उन्हें चाहिए कि मरूआ के पौधे की पत्तियों को लेकर उनको अपने हाथ में मसल कर अपने पेट पर उसे मालिश कर लें। फिर उसके बाद उस जगह की हल्की-हल्की सिकाई कर लें। ऐसा करने से पेचिश में तुरंत राहत मिलेगी।

मुंह की बदबू दूर करे

मरुआ के पत्ते मसूड़ों की समस्या, मुंह की बदबू को भी दूर करता है। इसके लिए मरुआ की पत्तियों को चबाएं। आप इन पत्तियों को अंदर भी ले सकते हैं, थूक भी सकते हैं। इससे आपके मुंह की दुर्गंध दूर होगी। मसूड़ों की समस्या, मसूड़ों की सूजन भी दूर होगी। मुंह की समस्याओं, गले में खराश होने पर आप मरुआ के पत्तों को पानी में उबालकर गरारे भी कर सकते हैं।

खूनी दस्त से दिलाए छुटकारा

अगर किसी व्यक्ति को खूनी दस्त की समस्या हो गई है तो उसे चाहिए कि वह मरूआ पौधे का उपयोग करके इससे राहत पाए। यहां बता दें कि रोगी को मरूआ का बना हुआ काढ़ा पीने से काफी लाभ होता है। लेकिन इस काढ़े में थोड़ा सा शहद मिलाने के बाद ही सेवन करें। जब तक खूनी दस्त में फायदा ना पहुंचे तब तक इसका हर दिन 3 टाइम सुबह, शाम, दोपहर नियमित सेवन करें।

बच्चों के पेट में कीड़े खत्म करे

बच्चों के पेट में अकसर कीड़े की समस्या देखने को मिलती है। बच्चे बार-बार पेट दर्द की शिकायत भी करते हैं। इनके लिए मरुआ का उपयोग करना लाभकारी होता है। यह पेट के कीड़े की घरेलू दवा है। मरुआ की चटनी खाने से पेट की कीड़े निकल जाते हैं। यह पेट के इंफेक्शन को भी ठीक करता है।

मरूआ पौधे के फायदे गठिया में

ऐसे बहुत से लोग हैं जिनको गठिया यानी के जोड़ों के दर्द की समस्या रहती है और उसकी वजह से वो बहुत परेशान भी रहते हैं। यहां जानकारी के लिए बता दें कि जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए आप मरूआ पौधे की जड़, तना, फल, फूल और पत्ती का एक काढ़ा बनाकर तैयार कर लें। हर दिन कम से कम 100 मिलीलीटर की क्वांटिटी में इसे दिन में तीन बार पिएं। इस प्रकार कुछ ही दिनों में आपको गठिया के दर्द से छुटकारा मिल जाएगा।

सर्दी-जुकाम में आराम दिलाए

बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम और खांसी की समस्या होना आम है। अगर आप इससे परेशान हैं, तो मरुआ की पत्तियां का उपयोग कर सकते हैं। मरुआ की पत्तियां सर्दी-जुकाम और खांसी में आराम दिलाती हैं। इसके लिए चाय में मरुआ की 8-10 पत्तियां डाल लें। आप चाहें तो बेहतर परिणाम के लिए मुलेठी भी डाल सकते हैं। इससे जल्दी ही सर्दी-जुकाम में आराम मिलेगा। मरुआ की चाय को फायदेमंद बनाता है।

मासिक धर्म में करे सुधार

महिलाओं को आमतौर पर मासिक धर्म से संबंधित काफी परेशानियां रहती हैं जिनमें से एक है मासिक धर्म का बंद हो जाना। तो ऐसे में अगर इस पौधे की लुगदी बनाकर 20-30 ग्राम प्रतिदिन सेवन की जाती है तो उससे रुका हुआ मासिक धर्म फिर से आना शुरू हो सकता है।

अपच की समस्या दूर करे

मरुआ की पत्तियां अपच की समस्या को दूर करने में भी लाभकारी हैं। इसके लिए मरुआ और अदरक की चटनी बना लें। इससे अपच की समस्या दूर होगी, साथ की भूख भी बढ़ेगी। मरुआ पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। यह अपच दूर करने का अच्छा घरेलू उपाय है।
मरुआ का सेवन करने का तरीका1. जिस तरह के पुदीने की चटनी बनाई जाती है, वैसे ही आप मरुआ के पत्तों की भी चटनी  बना सकते हैं।
2. मरुआ की पत्तियों का रस निकालें। इसका सेवन खाली पेट किया जा सकता है।
3. मरुआ की पत्तियों का उपयोग चाय में डालकर भी किया जा सकता है।
4. मरुआ की पत्तियों का काढ़ा काफी गुणकारी होता है। आप पानी में मरुआ की पत्तियां, अदरक, काली मिर्च और लौंग डालकर उबाल लें। इसका काढ़ा पीने से आपकी कई समस्याएं दूर होती हैं।

मरूआ पौधे के उपयोग से नुकसान

मरूआ पौधे मैं वैसे तो बहुत सारे लाभदायक गुण पाए जाते हैं लेकिन इसको गलत तरीके से इस्तेमाल करने पर कुछ नुकसान भी आपको हो सकते हैं जिनकी जानकारी हम निम्नलिखित दे रहे हैं –इस पौधे की तासीर काफी गर्म होती है इसलिए अगर कोई व्यक्ति इसका सेवन हद से ज्यादा करता है तो उसे पेट संबंधित समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि पेट में दर्द, दस्त और ऐंठन इत्यादि।
जिन लोगों को एलर्जी की समस्या हो उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए या डॉक्टर से राय करने के बाद ही इसका उपयोग करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन करने से बचना चाहिए।
गर्मियों में इसका अत्यधिक इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।








औषधीय गुणों से भरपूर है सदा बहार का फूल -sadabahar flower





अक्सर आपने बाग-बगीचों में सदाबहार फूल लगा हुआ देखा होगा. इसमें खुशबू न रहने की वजह से लोग इससे अट्रैक्टिव नहीं होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह फूल भले ही आपको खुशबू न दें लेकिन आपके स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में काफी असरदार होता है. सदाबहार फूल के गुणों की जितनी चर्चा की जाए उतनी कम है. खासतौर पर डायबिटीज मरीजों के लिए सदाबहार फूल औषधि से कम नहीं होता है.
सदाबहार के फूलों को आयुर्वेद में संजीवनी के नाम से जाना जाता है। आज के समय में लाइफस्टाइल में गड़बड़ी, खानपान में असंतुलन के कारण लोगों को डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं हो रही हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए सदाबहार के फूलों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के मुताबिक सदाबहार में तिक्त रस यानी कड़वापन जैसे गुण पाए जाते हैं इसके अलावा यह वात और कफ दोषों को दूर करने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। सदाबहार के फूल में मौजूद गुण गले के संक्रमण से लेकर डायबिटीज की समस्या में बहुत उपयोगी और प्रभावी होते हैं। इसमें मौजूद एलकालॉइड्स, एजमेलीसीन, सरपेन्टीन नामक तत्व शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा शरीर में मौजूद टॉक्सिन को बाहर निकालने में सदाबहार के फूलों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। डायबिटीज और शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सदाबहार के फूलों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है।

सदाबहार के फूल के फायदे

सदाबहार के फूलों में मौजूद गुण न सिर्फ शरीर की समस्याओं में फायदेमंद होते हैं बल्कि इसका इस्तेमाल स्किन को भी बेहतर बनाने में फायदेमंद होता है। आरोग्यं हेल्थ सेंटर के डॉ एस के पांडेय के मुताबिक अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने के लिए सदाबहार के फूलों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। सदाबहार के फूलों का इस्तेमाल इन समस्याओं में बहुत उपयोगी माना जाता है।

डायबिटीज करे कंट्रोल

शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने से डायबिटीज की परेशानी होती है. अगर आप ब्लड शुगर को कंट्रोल करके रखते हैं तो इससे डायबिटीज में होने वाली कई तरह की समस्याओं से बच सकते हैं. सदाबहार पौधे की फूल और पत्तियां दोनों ही डायबिटीज को कंट्रोल कर सकती हैं. इसका सेवन आप चाय या फिर पाउडर के रूप में कर सकते हैं.
शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने की स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इस समस्या में सदाबहार के फूलों के अलावा इसकी पत्तियों का इस्तेमाल भी बहुत फायदेमंद होता है। 

इम्यूनिटी बूस्ट करे

सदाबहार के फूलों का काढ़ा पीने से आपकी कमजोर इम्यूनिटी बूस्ट होती है। यह शरीर में संक्रमण और बैक्टीरियल समस्याओं को रोकने में आपकी मदद कर सकता है. अगर आप वायरल या बैक्टीरियल समस्याओं से ग्रसित हैं तो नियमित रूप से सदाबहार फूलों का काढ़ा पिएं.

तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याओं में उपयोगी


सदाबहार के फूलों का इस्तेमाल तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याओं में बहुत फायदेमंद होता है। इसका सेवन करने से नर्वस सिस्टम से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में फायदा मिलता है।


ब्लड प्रेशर करे कंट्रोल


सदाबहार के फूलों का इस्तेमाल करने से ब्लड प्रेशर से जुड़ी परेशानियों को दूर किया जा सकता है. यह हमारे शरीर के लिए एंटीहाइपरटेन्सिव एजेंट के रूप में कार्य करता है, जिससे आप ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर सकते हैं. साथ ही यह हार्ट से जुड़ी बीमारियों को दूर रखने में भी प्रभावी हो सकता है.

सदाबहार के फूलों का सेवन करने का तरीका




सदाबहार के फूलों का सेवन आप अलग-अलग समस्याओं में अलग-अलग तरीके से कर सकते हैं। आप सदाबहार के फूलों का रस पी सकते हैं और इसके अलावा इसके फूलों का काढ़ा भी बना सकते हैं। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और अन्य समस्याओं में सदाबहार के फूलों के काढ़े का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। इसका इस्तेमाल से करने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लेनी चाहिए।
  आयुर्वेद में हजारों सालों से बीमारियों के लिए पेड़-पौधों और जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इनमें कई पौधे ऐसे भी है जो हमारे आस-पास या हमारे खुद के घर में होते हैं, लेकिन इनकी खासियत के बारे में हमे नहीं मालूम होता है। ऐसा ही एक पौधा सदाबहार फूल का है जिसकी पत्तियां स्वास्थ्य के लिए संजीवनी के तौर पर जानी जाती है। आइए जानते हैं ये किन बीमारियों के लिए रामबाण इलाज है और इसे कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
इन बीमारियों का रामबाण इलाज है सदाबहार का पौधा'सदाबहार की पत्तियों में मौजूद एल्कलॉइड नामक कंपाउंड पाया जाता है, जो बॉडी में इंसुलिन का निर्माण तेजी से करता है। ऐसे में जो लोग शुगर से ग्रसित हैं उनके लिए सदाबहार के पत्तियों का सेवन बहुत ही फायदेमंद होता है।

सदाबहार की पत्तियों में हैं कमाल के गुण 

  सदाबहार की पत्तियों में मौजूद गुण संक्रमण की समस्या से निजात पाने में भी काफी मददगार साबित होते हैं। इसके इस्तेमाल से आप गले में किसी भी तरह की समस्या को दूर सकते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर सदाबहार की पत्तियों का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है।
स्किन से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए भी सदाबहार की पत्तियां बहुत फायदेमंद होती है। ये खुजली, कील-मुहांसों और झुर्रियों जैसी परेशानियों को दूर करने का काम करता है।
ये बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि सदाबहार की पत्तियां किडनी स्टोन की समस्या से भी छुटकारा दिलाने का काम करती है।
कैसे करें सदाबहार की पत्तियों का इस्तेमाल'डायबिटीज की परेशानी में मरीज को सदाबहार की पत्तियों को डायरेक्टर चबा-चबाकर खाना चाहिए।
गले की किसी भी तरह की परेशानी और संक्रमण से होने वाली बीमारियों के साथ-साथ इंफेक्शन जैसी समस्याओं के लिए सदाबहार की पत्तियों का रस या काढ़ा पीना चाहिए।
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए सदाबहार की पत्तियों का सेवन करें। इसे आप चबा-चबाकर खाएं।
स्किन से रिलेडेट किसी भी तरह की परेशानी से छुटकारा पाने के लिए सदाबहार की पत्तियों का पेस्ट बनाकर उसे त्वचा पर अप्लाई करें।
किडनी में पथरी होने पर सदाबहार की पत्तियों को पानी में उबालकर इसका पानी नियमित रूप से पिएं।

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20.10.23

गुलाब के फूल का पाउडर कितना उपयोगी है? जानें





गुलाब के फूल के 10 स्वास्थ्य लाभ और उपयोग


गुलाब एक लकड़ीदार और कांटेदार बारहमासी पौधा है, जो मुख्य रूप से अपनी सुंदर और सुगंधित प्रकृति के लिए जाना जाता है। इसे भारतीय पत्तागोभी गुलाब भी कहा जाता है। गुलाब एक छोटी झाड़ी है जो लगभग ऊंचाई तक बढ़ती है। कांटों के साथ 1.5-2 मीटर और ऊंचाई 7 मीटर तक पहुंच सकती है।
इस पौधे की पत्तियाँ नुकीले दांतों वाली अंडाकार होती हैं और इसका फल मांसल और खाने योग्य होता है, जो पकने पर गुलाब कूल्हे कहलाता है। गुलाब विभिन्न रंगों जैसे गुलाबी, लाल, नारंगी, पीला, सफेद और काले में आते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम 'रोजा सेंटीफोलिया' है।
विभिन्न भाषाओं में गुलाब के अलग-अलग नाम हैंहिंदी में इसे "गुलाब" कहा जाता है।
कन्नड़ में इसे "गुलाबी हूवु" कहा जाता है।
तेलुगु में इसे "गुलाबिपुवु" कहा जाता है।
और संस्कृत में इसे "शतपत्री" कहा जाता है।

गुलाब का महत्व

गुलाब का उपयोग मुख्यतः व्यापारिक एवं औषधीय प्रयोजनों में किया जाता है। यह अपने सूजनरोधी, कामोत्तेजक, अवसादरोधी, कसैले, ऐंठनरोधी, सफाई करने वाले, बैक्टीरियारोधी और एंटीसेप्टिक गुणों जैसे औषधीय गुणों के कारण त्वचा रोगों, आंखों के तनाव, तनाव, अनिद्रा, दस्त और हाइपरएसिडिटी का इलाज करता है।
गुलाब की पंखुड़ियाँ मेथिओनिन सल्फ़ोक्साइड से बनी होती हैं। इसमें टैनिन और सैपोनिन जैसे यौगिक मौजूद होते हैं। पूरा पौधा काएम्फेरोल, क्वेरसेटिन और साइनाइड का उत्पादन करता है।
गुलाब के स्वास्थ्य लाभहाइपरएसिडिटी से राहत दिलाता है:हाइपरएसिडिटी का मतलब है पेट में एसिड का बढ़ा हुआ स्तर। गुलाब के पाउडर का नियमित सेवन इसके शीतल (ठंडा) गुणों के कारण पेट में एसिडिटी को कम करने में मदद करता है।

दस्त का इलाज करता है:

गुलाब का पाउडर अपने ग्राही (अवशोषक) गुणों के कारण आपके शरीर को अधिक पोषक तत्वों को अवशोषित करने और दस्त को नियंत्रित करने में मदद करता है।

मेनोरेजिया (भारी मासिक धर्म रक्तस्राव) को नियंत्रित करता है:

मेनोरेजिया शरीर में पित्त दोष के खराब होने के कारण होता है। गुलाब पित्त दोष को संतुलित करके मासिक धर्म में भारी रक्तस्राव को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह इसके शीत (ठंडा) और कषाय (कसैले) गुणों के कारण है।
त्वचा की सूजन या चकत्ते का इलाज करता है:

गुलाब अपने सूजन-रोधी और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण त्वचा पर लालिमा, सूजन या चकत्ते को कम करने में मदद करता है।

तनाव कम करता है और अनिद्रा का इलाज करता है:

गुलाब को मूड फ्रेशनर माना जाता है क्योंकि इसमें एंटी-डिप्रेसेंट और क्लींजिंग गुण होते हैं जो दिमाग को शांत करते हैं और तनाव और चिंता को कम करते हैं। इस प्रकार, यह अच्छी नींद प्रदान करता है।

मुँहासे और पिंपल्स का इलाज करता है:

गुलाब त्वचा के छिद्रों से तेल और गंदगी हटाने के लिए उपयोगी है क्योंकि इसमें कसैले गुण होते हैं। यह अपने शीतल (ठंडे) गुणों के कारण बढ़े हुए पित्त को संतुलित करता है, जिससे मुंहासे होने से बचाव होता है।

गठिया रोग में सहायक:

गुलाब अपने गठिया-रोधी, सूजन-रोधी और एनाल्जेसिक गुणों के कारण गठिया और संबंधित लक्षणों के इलाज में उपयोगी है।

वजन घटाने में उपयोगी:

गुलाब अपने दीपन (भूख बढ़ाने वाला) और पचन (पाचन) गुणों के कारण वजन घटाने के लिए उपयोगी है। यह विषाक्त पदार्थों को अवशोषित करता है और उन्हें शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे चयापचय को बढ़ाने में मदद मिलती है।

आंखों के दर्द से राहत दिलाता है:

गुलाब के रोपन (उपचार) और शीत (ठंडा) गुणों के कारण, यह आंखों के तनाव और आंखों के दर्द को तुरंत प्रभाव से दूर करने के लिए जाना जाता है।

खांसी ठीक करता है:

गुलाब अपने रोगनाशक गुणों के कारण खांसी से राहत दिलाने में मदद करता है। यह गले की हल्की खराश और ब्रोन्कियल संक्रमण को कम करता है।

गुलाब का उपयोग 

इसकी पंखुड़ियों से बना सूखा पेस्ट गैस्ट्राइटिस और ग्रहणी संबंधी अल्सर के इलाज में बहुत प्रभावी होता है, जिसका सेवन दूध के साथ किया जा सकता है।
गुलाब की कलियों का काढ़ा कब्ज में लाभकारी होता है।
गुलाब टिंचर में कसैला प्रभाव होता है जो दस्त और पेट के दर्द से राहत देता है।
गुलाब की पंखुड़ियों से बने अर्क का उपयोग गरारे करने के लिए किया जाता है।
गुलाब के आवश्यक तेल से तैयार क्रीम सूखी या सूजन वाली त्वचा के इलाज में प्रभावी है।
जंगली गुलाब के सूखे फल में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है जो स्कर्वी से बचाव में कारगर है।
शरीर में एसिडिटी और जलन को नियंत्रित करने के लिए गुलाब की पंखुड़ियों से बनी हर्बल चाय बहुत अच्छी होती है।
गुलाब का आवश्यक तेल अनिद्रा और रक्तचाप से राहत के लिए अरोमाथेरेपी में उपयोगी है।
गुलाब की पंखुड़ियों से बना पेस्ट शरीर पर लगाने से अत्यधिक पसीना नियंत्रित होता है और अच्छी खुशबू आती है।
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5.10.23

करी पत्ते के के इतने फायदे जानते हैं आप! Curry Patte ke fayde

 



  करी पत्ते (Curry Patte khane ke fayde) का उपयोग अधिकतर भारतीय घरों में कई खाने की चीजे (पोहा, सांभर, उत्तपम, उपमा, काढ़ा, चाय, हेयर मास्क, फेस मास्क ) बनाने के वक्त किया जाता है. जिसेक इस्तेमाल इन डिशेज को बेहतरीन स्वाद और खुशबू प्रदान करने का काम करता है. इसके साथ इसमें कई औषधीय गन भी मौजूद होते है शरीरं को अनेक लाभ पहुंचने में मदद करते है. कुछ लोग करी पत्ते के पानी को पीते है तो कुछ खाली पेट करी पत्ते चबाते है. कहने का यह मतलब है कि करी पत्ता को आप की भी तरह खाएं वह आपको फायदे ही पहुँचायेगा
कड़ी पत्ते सुगंधित और बहुमुखी छोटे पत्ते हैं, जो की एक साधारण से व्यंजन जैसे उपमा या पोहा को खाने के शौकीन लोगो के लिए अत्यंत स्वादिष्ट बना देते हैं। कड़ी / कढ़ी पत्ते अपने विशिष्ट स्वाद और रूप से भोजन में विशेष प्रभाव डालते हैं और भारतीय भोजन का एक प्रमुख हिस्सा हैं। कड़ी पत्तों का उपयोग चटनी और चूर्ण बनाने में भी किया जाता है। कड़ी पत्तों को मुख्यतः चावल, डोसा और इडली जैसे व्यंजनों में भी इस्तेमाल किया जाता है।
करी पत्ता (कड़ी पत्ता) का वैकल्पिक नाम
कड़ी पत्ते का वानस्पतिक नाम: Murraya Koenigii
कड़ी पत्ते का अंग्रेजी नाम: Curry Leaf
कड़ी पत्ते का संस्कृत नाम: कृष्णा निंबा
करी पत्ता (कड़ी पत्ता) के फायदे
पौष्टिक मूल्यों से भरपूर कड़ी पत्तों में औषधीय, निरोधक और सौंदर्य गुण भी हैं। यह रोगाणु को नष्ट करता है, बुखार और गर्मी से राहत प्रदान करता है, भूख में सुधार लाता है, मल को नरम करता है और पेट फूलने से राहत देता है। कच्चे और मुलायम कड़ी पत्ते पके हुए पत्तों की अपेछा अधिक मूल्यवान हैं। यह आंख और बालों के लिए लाभदायक हैंI इसके जड़ और तना का भी आयुर्वेदिक प्रयोग और उपचार में विशेष महत्व है।

डायबिटीज में फायदेमंद करी पत्ते

करी पत्ते डायबिटीज (curry leaves Beneficial in diabetes) को कंट्रोल करने लिए उत्तम इसलिए माने जाते कि इनमें हाइपोग्लाइसेमिक गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते ही जो डायबिटीज के स्तर को कम करने में सहायक होते होता है. डायबिटीज के रोगी करी पत्तों को चवाकर खा सकते है या फिर उसका रस पी सकते है.

पाचन के लिए कढ़ी पत्ते के फायदे

पाचन क्रिया को दुरुस्त करना है तो करी पत्ते (Curry Leaves Benefits) खाने बेहतर विकल्प हो सकते है. मुराया कोएनिजी (Murraya koenigii) की पत्तियों में कई प्रकार के ऐसे गुण मौजूद होते है जो एसिडिटी, अपच और पेट की अन्य समस्याओं को (Stomach Problems) को ख़त्म करने में सहायक हो सकते है. इसके लिए आप सुबह खाली पेट करी पत्ते चबा सकते है या फिर करी पत्तों को पानी उबलने के बाद छानकर पानी पी सकते है.

लिवर के लिए करी पत्ते के फायदे

मुराया कोएनिजी (Murraya koenigii) की पत्तियों में पाए जाने वाले हेप्टोप्रोटेक्टिव गुण लिवर की कार्यक्षमता को बढाने में सक्षम माने जाते है. इसलिए करी पत्ते के फायदे लिवर (curry leaves benefits for liver) के रिस्क को कम करने में सहायक हो सकते है.

वजन कम करे कढ़ी पत्ता के फायदे


वजन कम (Weight Loss) करने के लिए करी पत्तों (Curry Leaves For Weight Loss) को आने भोजन में शामिल कर सकते है. वजन कम करने के लिए सूखे या ताजे करी पत्तों का इस्तेमाल सब्जी, सूप, सलाद या फिर डिटॉक्स वॉटर (detox water) कर सकते है.

ह्रदय के लिए करी पत्ते के फायदे

ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए करी पत्तों का सेवन एक आयुर्वेदिक औषधि के रूप किया जा सकता है. करी पत्ता (curry leaves Benefits of heart) कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर हृदय को स्वस्थ रखने में अपना सहयोग देता है. इस आधार पर करी पत्ते दिल के लिए फायदेमंद माने जाते है.

आंखों के लिए करी पत्ते के फायदे

करी पत्ते में पाई जाने वाली विटामिन ए आँखों को सेहतमंद बनाने में अपना पूरा सहयोग करती है. करी पत्ते खाने के फायदे (benefits of curry leaves for eyes) आंखों की रोशनी में सुधर कर सकते है.

कोलेस्ट्रॉल में लाभकारी करी पत्ते

कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सुधरने के लिए करी पत्तों का सेवन किया जा सकता है क्योकि इसमें हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने के साथ अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करने वाले एंटीऑक्सीडेटिव गुण पाए जाते है. इसलिए करी पत्ते कोलेस्ट्रॉल (curry leaves beneficial in cholesterol) के स्तर को बेहतर करने के लिए फायदेमंद माने जाते है.

अन्य स्वास्थ्य लाभ|

अपच: सूखे कड़ी पत्ते, मेथी और काली मिर्च का चूर्ण बना लें, इसमें थोड़ा घी मिलाकर प्रतिदिन सेवन करें।
दस्त: कड़ी पत्तों का रस बना कर दिन में दो बार दो बार चम्मच रस का सेवन करें।
जी मचलना और उल्टी: एक मुट्ठी कड़ी पत्ते को चार कप पानी डालकर उबालें और इसे एक कप बना लें। इसे दिन में चार से छः बार पियें।
अम्लता-प्रेरित उल्टी: तने और टहनियों के चूर्ण को ठंडे पानी के साथ मिला कर उपयोग करें।
स्वस्थ बाल
रूसी: नींबू के छिल्कों, कड़ी पत्ते, मेथी और रीठा के चूर्ण का मिश्रण बनायें। बालों को धोने के लिए साबुन या शैम्पू के स्थान पर इस मिश्रण का उपयोग करें।
स्वस्थ बाल: नारियल के तेल में कड़ी पत्तों को गहरे भूरे होने तक उबाल लें। पत्तियों को इससे बाहर निकाल लें और प्रतिदिन सर में इस तेल का प्रयोग करें।
बालों का पकना: कच्चे पत्तों का चबाकर सेवन करने से बालों का झड़ना कम होता है। कड़ी पत्ते डालकर उबाला हुआ तेल बालों के असमय पकने को रोकता है।
अन्य स्वास्थ्य लाभ
जलने पर: जले हुए जगह पर कड़ी पत्तों का पेस्ट बना कर लगायें।








3.10.23

सूखा अदरक (सौंठ) के आयुर्वेदिक उपयोग Sounth ke fayde

 



  क्या आपको पता है कि सब्जियों का स्वाद बढ़ाने वाला सोंठ कई बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकता है। लंबे समय से सोंठ को एक कारगर औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह अदरक को सूखाकर बनाया जाने वाला पाउडर है, जिसका इस्तेमाल अदरक की तरह ही किया जाता है। भोजन में एक मसाले की तरह इस्तेमाल किया जाने वाला सोंठ आंतरिक स्वास्थ्य से लेकर त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए भी फायदेमंद है.

 सर्दी के मौसम में अदरक का इस्तेमाल सुबह की चाय से लेकर रात की सब्जी तक में किया जाता है। लेकिन जब इसे सुखा कर व पीसकर तैयार किया जाता है तो यह एक मसाले की शक्ल ले लेता है, जिसे सोंठ कहा जाता है। अधिकतर लोग अपने घरों में सोंठ का प्रयोग मसाले के रूप में करते हैं तो कुछ लोग ठंड से बचने के लिए सोंठ के लड्डू बनाकर रखते हैं। वैसे इसकी मदद से कई समस्याओं से भी राहत पाई जा सकती है।

सिरदर्द से राहत

सिरदर्द होने पर सोंठ का प्रयोग करना एक अच्छा विचार हो सकता है। बस इसका पेस्ट बनाकर अपने माथे पर लगाएं। इससे आपको काफी आराम होगा। वहीं जिन लोगों को माइग्रेन है, वह भी दो टेबलस्पून सोंठ को गर्म पानी में डालकर पीएं। इस उपाय से आधे सिर के दर्द से भी आराम मिलता है। आप चाहें तो गले में दर्द होने पर भी इस पेस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

जुकाम से राहत

सोंठ अदरक का पाउडर है, जो हर घर की रसोई में उपयोग किया जाता है। इसे मुख्यतः सब्जी, चाय और अन्य पेय पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है। शोध के अनुसार, अदरक मलेरिया और बुखार जैसी समस्याओं के साथ सर्दी-जुकाम से राहत देने का काम कर सकता है । इसलिए, माना जा सकता है कि सोंठ का प्रयोग कर जुकाम से राहत पाई जा सकती है।

पेट की जलन से राहत

पेट की जलन को दूर करने में अदरक कारगर भूमिका निभा सकता है। दरअसल, इस खाद्य पदार्थ का इस्तेमाल प्राचीन समय से पेट से जुड़ी हुई कई समस्याओं, जैसे कब्ज, दस्त, अपच, पेट फूलना, गैस, गैस्ट्रिक अल्सर, मतली और उल्टी का इलाज करने के लिए किया जा रहा है, जो पेट में जलन का कारण बन सकती हैं

वजन करे कम

अदरक में थर्मोजेनिक एजेंट नामक तत्व होता है जो वसा को जलाने में मदद करता है, जिससे वजन आसानी से कम होता है। गरम पानी के साथ इसका सेवन मोटापे को कम करने में सहायक है
इसके लिए एक चौथाई टीस्पून सोंठ को एक कप गर्म पानी में अच्छे से मिलाएं। अब इसका प्रतिदिन सेवन करें। आप चाहें तो इसमें थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं।

सामान्य ठंड,बुखार 

सर्दी में ठंड लगने पर लोग अदरक का सेवन किसी न किसी रूप में अवश्य करते हैं। लेकिन इसके अतिरिक्त सोंठ का प्रयोग करके भी ठंड से निजात पाई जा सकती है। इसके लिए चाहें तो सोंठ को चाय में डालकर पीएं या फिर सोंठ के साथ गुड़ मिलाकर सेवन करें। ऐसा करने से बहती नाक से आराम मिलता है। यह पसीने को निकालने में सहायक है, जिससे शरीर का तापमान कम हो सकता है और शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे बुखार में भी आराम मिलता है। शहद के साथ इसे खाने से बुखार कम होता है

यूरिनरी इंफेक्शन

यूरिनरी इंफेक्शन कई बार बेहद गंभीर हो सकता है। इससे बचने का एक आसान उपाय है कि सोंठ को दूध व चीनी के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे इंफेक्शन काफी हद तक कम हो जाता है।
*जोड़ों के दर्द में सूखी अदरक, जिसे हम सोंठ कहते हैं, काफी लाभदायक होती है। सोंठ, जायफल को पीसकर तिल के तिल के में डालकर, उसमें भीगी हुई पट्टी जोड़ों पर लगाने से आराम मिल सकता है। इसके अलावा उबले हुए पानी के साथ शहद और अदरक पाउडर को पीने से गठिया में लाभ होता है।

एक्ने से छुटकारा

टीनेज में एक्ने होना एक सामान्य बात है, लेकिन इससे निजात पाने के लिए तरह−तरह की क्रीम अपनाने की आवश्यकता नहीं है। सोंठ भी एक्ने से निजात दिलाने में मददगार हो सकता है। बस, मिल्क पाउडर व सोंठ को आपस में मिलाकर एक स्मूद पेस्ट बनाएं। अब चेहरे को साफ करके इस पेस्ट को अप्लाई करें। करीबन 20 मिनट बाद चेहरा वॉश करके मॉइश्चराइजर इस्तेमाल करें। सप्ताह में एक बार इस पेस्ट का इस्तेमाल करने से कुछ ही दिनों में फर्क नजर आने लगता है।

गैस की समस्या

सोंठ, हींग और काला नमक मिलाकर लेने से गैस की समस्या में लाभ होता है। पिसी हुई सोंठ और कैरम के बीजों को नींबू के रस में भि‍गोकर छाया में सुखाकर प्रतिदिन सुबह लेने से गैस और पेडू के दर्द में आराम मिलता है।
* यह पाचनक्रिया को दुरूस्त कर वजन कम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह रक्त में मौजूद शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर, वसा को सक्रिय करता है।

सूजन को कम करना

कई बीमारियों और दर्द का कारण सूजन हो सकता है। इस सूजन की समस्या को दूर करने के लिए सोंठ आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। जैसा कि आपको पहले बताया जा चुका है कि सोंठ अदरक से बना पाउडर होता है और अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो दर्द के साथ-साथ सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं

पेट दर्द, कब्ज

पेट दर्द, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं में इसे पीसकर हींग और सेंधा नमक के साथ लेने से आाम मिलता है। इसके अलावा इसे पानी के साथ उबालकर बार-बार पीने से डायरिया में काफी लाभ मिलता है।

मधुमेह

सोंठ का सेवन मधुमेह की समस्या से निजात दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, अदरक को लेकर किए गए शोध में इसमें मौजूद एंटी-डायबिटिक, हाइपोलिपिडेमिक और एंटी-ऑक्सीडेटिव गुणों के बारे में पता चला है, जो मधुमेह के रोगियों में शुगर की मात्रा को संतुलित करने का काम कर सकता है

हिचकी

सोंठ को दूध में उबालकर, ठंडा करके पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है। पसलियों में दर्द होने पर इसे पानी में उबालकर ठंडा कर दिन में कम से कम चार बार पीने से लाभ होता है।

दांत दर्द से राहत


सोंठ का उपयोग एक आयुर्वेदिक दवा के रूप में कई शारीरिक समस्याओं के लिए किया जाता है, जिसमें दांत दर्द का उपचार भी शामिल है। दरअसल, अदरक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण से समृद्ध होता है, जो दांत दर्द के राहत देने में एक अहम भूमिका निभा सकता है

मुंहासों के लिए


अदरक के पाउडर को सोंठ के नाम से जाना जाता है। अदरक में पाए जाने वाला गुण सोंठ में भी मौजूद होते हैं। सोंठ को होम्योपैथिक इलाज के लिए भी उपयोग किया जाता है, जो आपके मुंहासे की समस्या को दूर करने में मददगार हो सकता है। इसके अलावा, अदरक का उपयोग मुंहासों को दूर करने वाली क्रीम में भी किया जाता है

कैंसर के लिए

कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पर भी सोंठ के सकारात्मक परिणाम देखे जा सकते हैं। जैसा कि हमने बताया कि सोंठ अदरक का पाउडर है और अदरक एंटी-कैंसर गुणों से समृद्ध होता है। शोध के अनुसार, अदरक कई प्रकार के कैंसर से बचाव कर सकता है। इनमें कोलन कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर मुख्य हैं

लकवे मे-

लकवे के प्रभाव को कम करने के लिये सूखी अदरक का पाउडर, जिगरी और गर्म मसूर की दाल को मिलाकर खाने से फायदा होता है। इसके अलावा लहसुन, सूखी अदरख और पानी का लेप बनाकर लगाने से भी काफी लाभ होता है।

माइग्रेन लिए सोंठ के फायदे

माइग्रेन को दूर करने के लिए आप कई तरह के उपचार का सहारा लेते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि सोंठ का सेवन माइग्रेन की समस्या से राहत दिलाने का काम कर सकता है। दरअसल, सोंठ पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि सोंठ (Ginger Powder) माइग्रेन कम करने वाली दवा के सामान प्रभावकारी हो सकता है
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