22.8.23

रोगों का इलाज फूलो-पत्तियों से : क्या है तरीका?

 




भारतीय आयुर्वेद (Ayurveda) में विभिन्न प्राकर के फूलों का इस्तेमाल बहुत पहले से ही होता रहा है. कहते हैं कि कुछ खास प्रकार के फूल (Special Flowers) बीमारियों को ठीक करने में सक्षम होते हैं. इन फूलों का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है. फूल हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग हैं और यह न केवल आपके आसपास की सुंदरता को बढ़ाते हैं बल्कि पोषण और औषधीय उपयोग के लिए भी इस्तेमाल होते हैं. सुंदर से दिखने वाले कई तरह के फूलों में त्वचा की समस्याओं से लेकर कई तरह के संक्रमण (Infection) तक को ठीक करने की शक्ति होती है. आपको बता दें कि कुंभी फूल, गुलाब और केसर के फूल का औषधीय प्रयोजनों के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है. इनका सेवन पंखुड़ियों के रूप में या जूस और काढ़े के रूप में भी किया जा सकता है. इसे टिंचर के रूप में शरीर पर लगाया जा सकता है. यदि आपको घाव हो जाए या कहीं चोट लग जाए तो आपको गेंदे के फूल का रस वहां लगाना चाहिए। ये एंटीसेप्टिक होता है और घाव भरने में करागर होता है। फोड़े-फुंसी हो जाए तो गेंदे कि पत्तियों को पीस कर वहां लगा दें।
गुलाब स्कर्वी के उपचार और गुर्दे से जुड़ी समस्याओं पर बेहद कारगर होता है। गुलाब का फूल विटामिन सी की कमी को पूरा करने में भी सहायक है। इसे आप किसी भी रूप में लें ये आपके शरीर को डिटॉक्स भी करता है।
गुलाब की कलियों का अर्क यूरिन से जुड़ी बीमारियों को दूर करता है। साथ ही पेट की जलन को शांत भी करता है।
गुलाब की पंखुड़ियां को पीस कर अगर पीएं या शरीर पर लगा लें तो गर्मी के कारण हो रहे सिर दर्द और बुखार को ठीक किया जा सकता है। साथ ही ये झाइयों को दूर करने में भी कारगर है।

पुष्पों के औषधीय प्रयोग-

पुष्प शीत-गरमी-वर्षा पूरे वर्ष रंग-बिरंगे, परस्पर प्रतिस्पर्धा करते हुए, विभिन्न आकार-प्रकार में दृष्टिगोचर होते हैं। फूलों को शरीर पर धारण करने से शोभा, कांति, सौंदर्य और श्री की वृद्धि होती है। इनको प्राचीनकाल से रानी-महारानी अपनी त्वचा को कोमल बनाने में तथा शृंगार में उपयोग करती रही हैं। जंगली आदिवासी आभूषण बनाने तथा केश सज्जा में करते हैं। फूलों की सुगंध रोग नाशक भी है। इनके सुगंधित परमाणु वातावरण में घुलकर नासिका की झिल्ली में पहुँचकर अपनी सुगंध का एहसास कराते हैं, जिससे मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्सों पर प्रभाव दिखाकर उत्तेजना-सी अनुभव कराते हैं। जिनका मस्तिष्क, हृदय, आँख, कान, पाचन क्रिया, रति क्रिया पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। थकान को तुरंत दूर करते हैं। इसकी सुगंध से की गयी उपचार-प्रणाली को ‘ऐरोमा थैरेपी’ कहते हैं। पुष्पों के कुछ औषधीय प्रयोग निम्न हैं-


कमल-

कमल और लक्ष्मी का संबंध अविभाज्य है। कमल सृष्टि की वृद्धि का द्योतक है। इसके पराग से मधुमक्खी शहद तो बनाती ही है, इसके फूलों के गुलकंद का प्रत्येक प्रकार के रोगों में, कब्ज निवारण के लिए उपयोग किया जाता है। फूल के अदंर हरे रंग के दाने-से निकलते हैं जिन्हें भूनकर मखाने बनाये जाते हैं, लेकिन उनको कच्चा छीलकर खाना स्तंभन में उपनयोगी होता है। इसका गुण शीत वीर्य है। इसका प्रयोग सबसे अधिक अंजन की भांति नेत्रों में ज्योति बढ़ाने के लिए, शहद में मिलाकर किया जाता है। इसी कारण आँख को ‘कमल नयन’ भी कहते हैं। पंखुड़ियों को पीसकर उबटन में मिलाकर मलने से चेहरे की सुंदरता बढ़ती है।


केवड़ा-

इसकी गंध कस्तूरी-जैसी मादक होती है। इसके पुष्प दुर्गन्धनाशक मदनोन्मादक हैं। इसका तेल उत्तेजक श्वास विकार में लाभकारी है। सिरदर्द और गठिया में इसका इत्र उपयोगी है। इसकी मंजरी का उपयोग पानी में उबालकर कुष्ठ, चेचक, खुजली, हृदय रोगों में स्नान करके किया जा सकता है। इसका अर्क पानी में डालकर पीने से सिरदर्द तथा थकान दूर होती है। बुखार में एक बूँद देने से पसीना बाहर आता है। इत्र की दो बूँद कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।


गुलाब-

आशिक मिजाजी, प्रेम का प्रतीक गुलाब है। इसका गुलकंद रेचक है, जो पेट व आँतों की गरमी शांत कर हृदय को प्रसन्नता प्रदान करता है। गुलाब जल से आँखें धोने से आँखों की लाली, सूजन कम होती है। इसका इत्र कामोत्तेजक है। इसका तेल मस्तिष्क को ठंडा रखता है। गुलाब का अर्क मिठाइयों में प्रयोग किया जाता है। गर्मी में इसका प्रयोग शीतवर्द्धक है।


चंपा-

इसके फूलों को पीसकर कुष्ठ रोग के घाव में लगाया जा सकता है। इसका अर्क रक्त के कृमि को नष्ट करता है। फूलों को सुखाकर चूर्ण खुजली में उपयोगी है। ज्वरहर, मूत्रल, नेत्र ज्योति वर्द्धक तथा पुरुषों को रतिदायक उत्तेजना प्रदान करता है। कहावत है ‘चंपा एक चमेली सौ’ अर्थात सौ चमेली पुष्पों के बराबर एक चंपा पुष्प होता है।


सौंफ (शतपुष्पा)-

सौंफ के पुष्पों को पानी में डालकर उबालें, साथ में एक बड़ी इलायची तथा कुछ पोदीना के पत्ते भी लें। अच्छा यह रहेगा कि मिट्टी के बर्तन में उबालें। पानी को ठंडा करके दाँत निकलने वाले बच्चे या छोटे बच्चे जो गर्मी से पीड़ित हों, एक-एक चम्मच कई बार दें, तो उनको पेट में पीड़ा इत्यादि शांत होगी तथा दाँत भी ठीक प्रकार निकलेंगे।


धतूरा-

यह मादक तथा विषैला पौधा है, जिनको उन्माद रोग के कारण अनिद्रा रोग हो, उन्हें फूलों को एकत्रित करके बारीक कपड़े में बाँधकर सिरहाने रखने से निद्रा आना शुरू हो जाती है।


गैंदा-

मलेरिया के मच्छरों का प्रकोप सारे देश में है, लेकिन इनकी खेती यदि गंदे नालों और घर के आसपास की जाए, तो इसकी गंध से मच्छर दूर भागते हैं। यह जंगली फूलों वाला पौधा है, जो आसानी से एक बार बोने पर लग जाता है। लीवर की सूजन, पथरी-नाशक, चर्मरोगों में इसका प्रयोग किया जा सकता है।


बेला-

अत्यधिक सुगंध का गर्मी में अधिकता से फूलने वाला पौधा है, लेकिन आजकल घरों में इसे कम लगाते हैं। गर्मी में इसके हार या पुष्पों को अपने पास रखने से पसीने में गंध नहीं आती है। महिलाएँ इसको केश-सज्जा में बहुत प्रयोग करती हैं। इसकी सुगंध प्रदाह नाशक है। स्त्रियों के गर्भाशय में उत्तेजना को प्रदान करने वाला एकमात्र पुष्प है, रतिदायक है। इसकी कलियाँ चबाने से मासिक खुलकर आता है।


रात की रानी-

इसकी गंध इतनी तीव्र होती है कि पड़ोसियों तक को लुभायमान कर देती है। यह सायं ७ से ११ बजे रात्रि तक खुशबू अधिक देता है। इसके बाद सुप्त हो जाता है। इसकी गंध में मच्छर नहीं आते। इसकी गंध मादकता और निद्रादायक है।


सूरजमुखी-

विटामिन ए/डी होता है। सूर्य की रोशनी न मिलने के कारण होने वाले रोगों को रोकता है। इसकी खेती व्यापारिक स्तर पर लाभकर है। इसका तेल हृदय रोगों में कोलेस्ट्रोल को कम करता है।


चमेली-

चर्म रोगों की औषधि, पायरिया, दंतशूल, घाव, नेत्ररोगों और फोड़ों-फुंसियों में इसका तेल बनाकर उपयोग किया जाता है। इसका तेल बाजीकरण में मालिश के योग्य है। शरीर में रक्त संचार की मात्रा बढ़ाकर स्फूर्तिदायक बन जाता है। इसके पत्ते चबाने से मुँह के छाले तुरंत दूर होते हैं। इसकी माला रति इच्छा बढ़ाने में सहायक है।


केसर-

मन को प्रसन्न करता है। चेहरे को कांतिवान बनाता है। रज दोषों का नाशक, शक्तिवर्द्धक, वमन को रोककर वात, पित्त, कफ (त्रिदोषों का) नाशक है। तंत्रिकाओं में व्याप्त उद्विगन्ता एवं तनाव को केसर शांत रखता है, इसलिए इसे प्रकृति प्रदत्त ‘ट्रैंकुलाइजर’ भी कहा जाता है। यह काम तथा रति में उद्दीपन का कार्य करता है, अतः दूध या पान के साथ सेवन योग्य है।


अशोक-

यह मदन वृक्ष भी कहलाता है। इसके फूल, छाल, पत्तियों का स्त्रियों की औषधि में उपयोग किया जा सकता है। अशोक का अर्थ है जिसको पाकर शोक न रहे। छाल का आसव बनाकर पीने से स्त्रियों की अधिकांश बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं।


ढाक (पलाश)-

इसको अप्रतिम सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि इसके गुच्छेदार फूल बहुत दूर से ही आकर्षित करते हैं। इसी आकर्षण के कारण वन की ज्योति भी कहते हैं। इसका चूर्ण पेट के किसी भी प्रकार के कृमि का हनन करने में सहायक है। इसके पुष्पों को पानी के साथ पीसकर लुगदी बनाकर पेडू पर रखने से पथरी के कारण दर्द होने या मूत्र न उतरने पर मूत्रल का कार्य करता है।


गुड़हल (जवा)-

गणेश एवं काली देवी का प्रिय है। इसका पूर्ण संबंध गर्भाशय से है। ऋतु काल के बाद यदि फूल को घी में भूनकर महिलाएँ सेवन करें, तो उन्हें ‘गर्भ-निरोध’ हो सकता है। मुँह के छाले दूर हो जाते हैं। इसके फूलों को पीसकर बालों में लेप लगाने से बालों का गंजापन मिटता है। यह उन्माद को दूर करने वाला एकमात्र पुष्प है। शीतवर्द्धक, वाजीकारक, रक्तशोधक, सूजाक रोग में गुलकंद या शरबत बनाकर दिया जा सकता है। शरबत हृदय को फूल की भाँति प्रफुल्लित करने वाला रुचिकर है।

गुलमोहर से इलाज 

आयुर्वेद में असरदार औषधि माने जाने वाले गुलमोहर में तमाम औषधीय गुण पाए जाते हैं। यही कारण है कि इनका इस्तेमाल पुराने समय से लोग बीमारियों के इलाज में करते आ रहे हैं। गुलमोहर के इस्तेमाल से बवासीर की बीमारी और गठिया जैसी गंभीर समस्या का भी इलाज किया जाता है। इसकी पत्तियों और फूल में तमाम औषधीय गुण मौजूद होते हैं। खासतौर से इसमें एंटी-डायबिटिक, एंटी-बैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-डायरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो शरीर के लिए कई तरह से उपयोगी होते हैं। गुलमोहर के फूल, फल, पत्तियों और तने में ये औषधीय गुण मौजूद होते हैं।फूल - एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीमाइरियल, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीऑक्सिडेंट, कार्डियो-प्रोटेक्टिव, गैस्ट्रो-प्रोटेक्टिव और घाव भरने के औषधीय गुण पाए जाते हैं।
पत्तियां - गुलमोहर की पत्तियों में अतिसार-रोधी, हेपेटोप्रोटेक्शन, फ्लेवोनोइड्स और एंटी डायबिटिक गुण मौजूद होते हैं।
तने - गुलमोहर के तने की छाल में खून को बहने से रोकने के गुण, मूत्र और सूजन से जुड़ी समस्याओं को खत्म करने के गुण पाए जाते हैं।
गुलमोहर के पेड़ तो तरह के होते हैं, एक पीला गुलमोहर और दूसरा लाल गुलमोहर। दोनों तरह के पेड़ के फूल और पत्तियों का औषधीय इस्तेमाल किया जाता है। इसके इस्तेमाल से गठिया, बवासीर जैसी बीमारियों समेत स्किन और बालों से जुड़ी कई समस्याएं भी दूर की जाती हैं। गुलमोहर के पत्तों का इस्तेमाल बालों की समस्या में बहुत फायदेमंद माना जाता है। आप इसके इस्तेमाल से बाल झड़ने की समस्या में भी फायदा पा सकते हैं। आइये जानते हैं गुलमोहर के फायदे और आयुर्वेद के मुताबिक इसके इस्तेमाल के तरीके के बारे में।
गुलमोहर फूल को सुखाकर इसका चूर्ण बना लें। अब रोजाना इसके 2 से 4 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ मिलकर खाएं। ऐसा करने से पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द (Menstrual Cramp) और इससे जुड़ी अन्य समस्याओं में फायदा होगा।
 बाल झड़ने की समस्या में गुलमोहर की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। गुलमोहर के पत्तों को सुखाकर इसे पीसकर चूर्ण बना लें। अब इसे गर्म पानी में मि
अगर किसी को भी दस्त या डायरिया की समस्या हो रही है तो उसे गुलमोहर के तने की छाल का सेवन करना चाहिए। आप गुलमोहर के पेड़ के तने की छाल का चूर्ण बना लें और इसका 2 ग्राम चूर्ण डायरिया की समस्या में खाएं। पेचिश और दस्त या डायरिया में इसके सेवन से बहुत फायदा मिलता है।
 पीले गुलमोहर के पत्तों को पीसकर गठिया की दर्द वाली जगह पर लगाने से दर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है। गठिया की समस्या में आप इसके पत्तों का का काढ़ा बनाकर उसका भाप दें, इससे भी दर्द से आराम मिलता है।
बवासीर (Piles) की समस्या में गुलमोहर का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। बवासीर की समस्या होने पर आप इसके पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं। पीले गुलमोहर के पत्ते को दूध के साथ पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाएं। ऐसा करने से दर्द और बवासीर की समस्या से आराम मिलता है।

शंखपुष्पी (विष्णुकांत)-

गर्मियों में इसकी उत्पत्ति अधिक होती है। यह घास की तरह है। फूल-पत्ते तथा डंठल तीनों को उखाड़कर पीसकर पानी में मिलाकर छान लें, इसमें शहद या मिश्री मिलाकर पीने से शाम तक मस्तिष्क में ताजगी रहती है। कार्यालयों में बैठकर काम करने पर सुस्ती नहीं आएगी इसका सेवन विद्यार्थियों को अवश्य करना चाहिए।


बबूल (कीकर)-

फूलों को पीसकर सिर में लगाने से सिरदर्द गायब हो जाता है। इसका लेप दाद और एग्जिमा पर लगाने से चर्म रोग दूर होता है। इसके अर्क के सेवन से रक्त विकार दूर होते हैं। यह खाँसी और श्वास रोग में लाभकारी है। इसके कुल्ले दंतक्षय को रोकते हैं।


नीम-

फूलों को पीसकर लुग्दी बनाकर फोड़े-फुंसी पर रखने से जलन व गर्मी दूर होती है। इनको शरीर पर मलकर स्नान करने से दाद दूर हो जाता है। फूलों को पीसकर पानी में घोलकर छान दें। इसमें शहद मिलाकर पीयें, तो वजन कम होता है तथा रक्त साफ होता है। यह संक्रामक रोगों से रक्षा कारक है।


लौंग-

आमाशय और आँतों में रहने वाले उन सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट करते हैं जिसके कारण मनुष्य का पेट फूलता है। रक्त के श्वेत कणों में वृद्धि करके शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति की वृद्धि करते हैं, शरीर तथा मुँह की दुर्गंध का नाश करती हैं। शरीर के किसी भी हिस्से पर घिसकर लगाने से दर्दनाशक का काम करते हैं। दाढ़ या दंतशूल में मुख में डालकर चूसा जाता है। यज्ञ द्वारा इसका प्रयोग करने से शरीर में अनावश्यक जमा तत्वों को पसीने द्वारा बाहर निकाल देते हैं।


जूही-

फूलों का चूर्ण या गुलकंद अम्लपित्त को नष्ट कर पेट के अल्सर व छाले को दूर करता है। इसके निरंतर सानिध्य में रहने से क्षय रोग नहीं होता।


माधवी-

चर्म रोगों के निवारण के लिए इसके चूर्ण का लेप किया जाता है। गठिया रोग में प्रातःकाल फूलों को चबाने से आराम मिलता है। इसके फूल श्वास रोग भी हरते हैं।


कुसुम-

इस फूल की कलियाँ मासिक धर्म के बाद खाने से गर्भ निरोध होते देखा गया है।


हरसिंगार (पारिजात)-
गठिया रोगों का नाशक, इसका लेप चेहरे की कांति को बढ़ाता है। इसकी सुगंध ही रात्रि को मादकता प्रदान करती है।

आक-

इसका फूल कफ नाशक है। प्रदाह कारक भी है। यदि पीलिया में पान में रखकर एक या दो कली तीन दिन तक दी जाए, तो काफी हद तक आराम होगा।

गुड़हल का फूल-


गुड़हल का फूल सिर्फ देखने में सुंदर नहीं है बल्कि इसके सेहत को अनगिनत फायदे मिलते हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि इस फूल का रस ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में सहायक हो सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर का घरेलू इलाज? ब्रेस्ट कैंसर के कई लक्षण हैं और लक्षणों की गंभीरता कम करने के लिए आप दवाओं के साथ कुछ घरेलू या प्राकृतिक उपचार भी आजमा सकते हैं। ब्रेस्ट कैंसर का एक जबरदस्त प्राकृतिक उपचार गुड़हल का फूल भी है
शोधकर्ताओं का मानना है कि नेचुरल चीजें स्वास्थ्य पर साइड इफेक्ट्स नहीं डालती हैं। गुड़हल के फूल का रस लंबे समय तक खपत के लिए सुरक्षित है और इसे औषधीय रूप से सक्रिय माना गया है जिसमें कई बायोएक्टिव यौगिक शामिल हैं, जो कैंसर में कई कमजोरियों को निशाना बना सकते हैं।

कदंब-

पार्वती एवं कृष्ण प्रिय वृक्ष है। रसिक लोगों का मदन वृक्ष यही कहलाता है। कदंब वृक्ष पुराण वृक्ष है। इसको कल्प वृक्ष की संज्ञा भी प्राप्त है। यह कामोत्तेजक वृक्ष है। गाय की बीमारी में इसकी फूल-पत्ती वाली टहनी लेकर गौशाला में लगा देने से बीमारी दूर होती है। मदिरा या वारुणी बनाने में इसका प्रयोग है। वर्षा ऋतु में पल्लवित होने वाला गोपी प्रिय वृक्ष है जिसकी वृंदावन में बहुतायत है।

गुलमोहर के पेड़, फूलों की वजह से देखने में बहुत खूबसूरत लगते हैं। भारत में सबसे ज्यादा उगाए जाने वाले सबसे पुराने पेड़ों में से एक गुलमोहर है। गुलमोहर को डेलोनिक्स रेजिया, रॉयल पॉइंसियाना, फ्लेम ट्री या फायर ट्री के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में गुलमोहर के फूल को काफी असरदार औषधि माना जाता है और इसके पेड़ की छाल, पत्तियां और फल को भी औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। गुलमोहर के पेड़ में फूल अप्रैल और मई के महीने में लगते हैं और नवंबर के आसपास इसकी पत्तियां पीली होकर गिर जाती हैं। कई आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में भी गुलमोहर के फूल, तने, पत्तियों और फल का इस्तेमाल किया जाता है। गुलमोहर के इस्तेमाल से आप कई बीमारियों को दूर कर सकते हैं। आयुर्वेद में गुलमोहर के औषधीय इस्तेमाल के बारे में विस्तार से बताया गया है, जिसका इस्तेमाल लोग पुराने समय से करते आ रहे हैं।

कचनार-

इसकी कली शरद ऋतु में आती है तथा इसका उपयोग सब्जी व अचार बनाने हेतु होता है। इसकी कलियाँ बार-बार मल त्याग की प्रवृत्ति को रोकती हैं। छाल एवं फूल को जल के साथ मिलाकर पुलटिस तैयार की जाती है, जो जले घाव एवं फोड़े के उपचार में उपयोगी है।


शिरीष-

यह जंगली, तेज सुगंध वाला वृक्ष है। इसकी सुगंध जब तेज हवा के साथ आती है, तो आदमी मस्त-सा हो जाता है। खुजली में फूल पीसकर लगाना चाहिए, शिरीष के फूलों के काढ़े से नेत्र धोने से किसी भी प्रकार के विकारों को लाभ मिलेगा।


नागकेशर-

यह कौंकण और गोवा में होता है। यह खुजली नाशक है। यह लौंग-जैसी लंबी डंठी में लगा रहता है। इसके (फूलों) का चूर्ण बनाकर मक्खन में साथ या दही के साथ खाने से रक्तार्श में लाभ होता है। इसका चूर्ण गर्भ धारण में भी सहायक है।


मौलसिरी (बकुल)-

इसका प्रसिद्ध नाम मौलसिरी है। आदिवासी स्त्रियाँ इसका प्रयोग श्रृंगार में फूलों के आभूषण बनाकर प्रयोग करती हैं। इसके पुष्प तेल में मिलाकर इत्र बनाते हैं। इसके फूलों का चूर्ण बनाकर त्वचा पर लेप करने से त्वचा अधिक कोमल हो जाती है। इसके फूलों का शर्बत स्त्रियों के बाँझपन को दूर कर सकने में समर्थ है।


अमलतास-

ग्रीष्म में फूलने वाला गहरे पीले रंग के गुच्छेदार पुष्पों का पेड़ दूर से देखने में ही आँखों को प्रिय लगता है। फूलों का गुलकंद बनाकर खाने से कब्ज दूर होता है। लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने से दस्तावर, जी मिचलाना एवं पेट में ऐंठन उत्पन्न करता है।

अनार-

शरीर में पित्ती होने पर, अनार के फूलों का रस मिश्री मिलाकर पीना चाहिए। मुँह के छालों में फूल रखकर चूसना चाहिए। आँख आने पर कली का रस आँख में डालना चाहिए।
इन फूलों के पौधों की भीतरी कोशिकाओं में विशेष प्रकार के प्रदव्यी झिल्लियों के आवरण वाले कण कहलाते हैं इन्हें लवक (प्लास्टिड्स) कहते हैं। यह कण जीवित रहते हैं, जब तक फूलों का रंग समाप्त न हो जाए। यह लवक दो प्रकार के होते हैं। इनमें रंगीन लवकों को ‘वर्णी लवक’ कहते हैं। वर्णी लवक ही फूल पौधों को विभिन्न रंग प्रदान करते हैं। वर्णी लवक का आकार निश्चित नहीं होता, बल्कि लवक विभिन्न पौधों में अलग-अलग रचना वाले होते हैं। पौधों में सबसे महत्वपूर्ण लवक है हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट), हरा लवक पौधों में हरा रंग ही नहीं देता, बल्कि पौधों में भोजन का निर्माण भी करता है। हरित लवक कार्बन डाइऑक्साइड, गैस, जल और सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में ग्लूकोस-जैसे कार्बोहाइड्रेट पदार्थ का निर्माण करते हैं।

कमल-

कमल के बीज को गर्म पानी में डालें और जब ये फूल जाए तो इसमें काला नमक और चायपत्ती डाल कर उबाल लें। इसें आप दिन में कई बार पीएं।
कमल की पत्तियों को पीस कर जली या झुलसी त्वचा पर लगाने से उसकी जलन खत्म होने लगती है। साथ ही इससे जले का निशान भी धीरे-धीरे जला जाता है।
कमल कि पत्तियों को पीस कर इसका रस पीने से शरीर की वसा भी पिघलने लगती है।
एग्जिमा, दाग-धब्बे के साथ ही अगर आग से जल जाएं तो आप इस पर गेंदे और तुलसी की पत्तियों को पीस कर लगाएं। लगातार लगाने से ये समस्याएं दूर हो जाएंगी

भाप लेना किन किन रोगों में लाभप्रद है ,तरीका बताओ

 





 ठंड में स्टीम लेना लाभदायक होता है। भाप लेने से नाक, गला और फेफड़े के सभी रास्ते खुल जाते हैं और 11 बीमारियां दूर हो जाती हैं। आइए भाप लेने के फायदे जानते हैं।
ठंड से होने वाली बीमारियों  का इलाज करने और उनसे बचने के लिए स्टीम लेना शानदार घरेलू उपाय है। इसे स्टीम थेरेपी (Steam Therapy) भी कहा जाता है, जो खांसी, जुकाम और साइनस से छुटकारा पाने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती है।
फेस स्टीम लेना काफी फायदेमंद माना जाता है. हालांकि कुछ लोग इसे गलत तरीके से लेते हैं. जिस वजह से स्किन डैमेज हो सकती है, आइए जानते हैं क्या है स्टीम लेने का सही तरीका..
Face Steam:फेस स्टीम लेने से त्वचा को ढ़ेर सारे फायदे मिलते हैं.चेहरे पर भाप लेने का चलन रोमन और यूनानियों के समय से चली आ रही है.इससे स्किन को ऑक्सीजन मिलता है और स्किन हेल्दी रहती है.हालांकि कुछ लोग गलत तरीके से स्टीम ले लेते हैं जिससे त्वचा को फायदा की जगह नुकसान हो जाता है.ऐसे में आज हम आपको फेस स्टीम लेने का सही तरीका, सही वक्त और इसके फायदे बता रहे हैं.आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से.

स्टीम लेने का सही तरीका, सही वक्त

एक बड़े बर्तन में पानी लेकर उसे गर्म करना है, पानी उलब जाए तो उसे गैस से नीचे उतार लें. अब एक सूती तौलिया लें और इससे सिर और मुंह को अच्छे से ढक लें. कटोरे से करीब-करीब 30-35 सेंटीमीटर पर अपने चेहरे को रखें. अब 3 से 5 मिनट तक सांस लें, इसके बाद थोड़ा ब्रेक लें और फिर इस प्रोसेस को दोहराएं

क्या है फेस स्टीम लेने का सही वक्त ?

ज्यादा फायदा लेने के चलते कुछ लोग होते हैं जो हर रोज स्टीम लेते हैं. लेकिन ऐसा करने से नुकसान हो सकता है. इससे त्वचा के रोम छिद्र खुले रह जाएंगे.आप महीने में दो से तीन बार स्टीम ले सकते हैं. स्टीम लेने से पहले चेहरे को साफ करना जरूरी होता है. स्टीम लेने के लिए 5 से 10 मिनट का वक्त काफी है. स्टीम लेने के बाद चेहरे को पैट ड्राई कर हमेशा मॉइश्चराइज करना चाहिए. अगर आपकी त्वचा सेंसिटिव है या मुहांसे से भरी या ड्राई है तो आपको स्टीम नहीं लेना चाहिए

स्टीम लेने का प्रोसेस जानिए

स्टीम लेने के लिए आप एक बड़े कटोरे में गर्म पानी ले लीजिए.
आपको एक तौलिए की भी जरूरत होगी.
सबसे पहले अपना चेहरा साफ कर लीजिए.
गर्म पानी में अपने फेस के हिसाब से कोई भी essential.oil मिला सकते हैं.
सिर के ऊपर तौलिया ओढ़ लें.
स्टीम केवल आपके चेहरे पर आना चाहिए.
अब चेहरे को गर्म पानी के ऊपर झुकाए.
5 से 10 मिनट तक भाप लें इस दौरान आंखों को बंद रखें.
ध्यान रहे कि चेहरे को पानी के ज्यादा नजदीक लेकर नहीं जाना है.
इससे आपका चेहरा जल सकता है.
चेहरे को स्टीम देने के बाद मॉइश्चराइजिंग क्रीम या एलोवेरा जेल जरूर लगाएं

स्टीम लेने के फायदे जान लीजिए

*स्टीम लेने से चेहरे की थकान दूर होती है. ब्लड सरकुलेशन को बढ़ावा मिलता है. इससे चेहरे के पोर्स खुलते हैं.
*ब्लैकहेड्स से छुटकारा मिलता है. इससे ब्लैकहेड्स सॉफ्ट हो जाते हैं जिसके बाद आसानी से निकल जाते हैं.

भाप लेने के फायदे

*गर्म पानी का भाप लेते हैं तो ये नाक और गले के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचता है. इस तरह सर्दी-खांसी में आराम महसूस होता है. साथ ही गले में जमा कफ भी बाहर निकल जाता है.
*गर्म पानी के भाप से बंद नाक खुल जाती है, सांस लेने में हो रही दिक्कत भी खत्म हो जाती है.
*गर्म भाप लेने से रक्त धमनी का विस्तार होता है और ब्लड सर्कुलेशन भी सुधरता है.
*गर्म भाप लेने से स्किन पोर्स खुल जाते हैं और फेस पर जमी गंदगी बाहर निकल जाती है, जिससे चेहरे पर नेचुरल ग्लो आता है.
*भाप लेने से शरीर में बैक्टीरिया और कीटाणुओं के खिलाफ कार्रवाई करने वाले मजबूत प्रतिरोधक WBC का भी उत्पादन बढ़ता है, इससे इम्यूनिटी भी अच्छी होती है.
*डेड स्किन सेल्स बाहर निकल जाते हैं और आपकी त्वचा ग्लो करती है.
*भाप लेने से चेहरे में ऑक्सीजन पहुंचता है. आपकी त्वचा खुलकर सांस ले पाती है और अंदर से हेल्दी बनती है.
*.स्टीम लेने से पिंपल की समस्या भी दूर हो सकती है. क्योंकि जब आपके चेहरे पर गंदगी रहती है तो ये पोर्स ब्लॉक करती है. जिस वजह से पिंपल की दिक्कत हो सकती है.
*सर्दियों में सप्ताह में तीन से चार बार भाप लेते हैं तो आपको सर्दी-जुकाम जैसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने में मदद मिलेगी.
भाप लेने के लिए पानी में तुलसी, दालचीनी, लौंग और काली मिर्च मिलानी चाहिए। क्योंकि, ये घरेलू चीजें बलगम या जकड़न से राहत तो देती ही हैं, साथ में नाक से लेकर फेफड़ों की नलियों में मौजूद वायरस या बैक्टीरिया को भी खत्म कर देती हैं।

16.8.23

एक्जिमा की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? आयुर्वेदिक या एलोपेथिक?




  एक्जिमा की स्थिति में, त्वचा के धब्बे सूजन, लाल, खुजलीदार, फटे हुए और खुरदरे हो जाते हैं। कुछ लोगों में छाले हो जाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में एक्जिमा से पीड़ित लोगों का उच्च अनुपात है। एक्जिमा के प्रकार और चरण हैं। एक्जिमा विशेष रूप से एटोपिक डर्मेटाइटिस से सम्बंधित होती है जो एक्जिमा का सबसे आम प्रकार है।

एटोपिक का अर्थ प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी बीमारियों का एक समूह है, जिसमें एटोपिक डर्मेटाइटिस, हे फीवर और अस्थमा शामिल हैं। डर्मेटाइटिस त्वचा की सूजन की स्थिति है।
  अधिकांश शिशुओं के लिए, यह स्थिति उनके दसवें वर्ष में बढ़ जाती है जबकि कुछ लोगों में जीवन भर इसके लक्षण बने रहते हैं। उचित उपचार से लोग रोग पर अच्छा नियंत्रण कर सकते हैं। एक्जिमा के साथ रहना वास्तव में चुनौतीपूर्ण है और यह हल्के, मध्यम स्तर से लेकर गंभीर स्तर तक हो सकता है।
शिशुओं में एक्जिमा, गाल और ठुड्डी पर विकसित होता है, लेकिन यह शरीर में कहीं भी दिखाई दे सकता है। यहां तक कि वयस्क में भी यह स्थिति विकसित हो सकती है, भले ही यह उनके बचपन से नहीं था। त्वचा हमारे शरीर का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इंसान का रंग रूप और सुंदरता काफी हद तक उसकी त्वचा पर निर्भर करती है। ऐसे में त्वचा पर एक खरोंच भी आती है तो हम जल्द से जल्द उसका इलाज ढूढने की कोशिश करते हैं।
ऐसी ही एक प्रकार का त्वचा रोग या कहें चर्म रोग है एक्जिमा जिसमें त्वचा में छाले और दाने हो जाते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम एक्जिमा के बारे में बात करेंगे की एक्जिमा क्या है और एक्जिमा की आयुर्वेदिक दवा क्या है।
हम जानेंगे एक्जिमा आयुर्वेदिक लोशन कैसे बनाते हैं जिससे ये जड़ से खत्म हो जाएगा। एक्जिमा की बेस्ट क्रीम (Eczema best cream in hindi) और एक्जिमा का इंजेक्शन लेना चाहिए या नहीं, इसके बारे में भी बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक।
एक्जिमा एक चर्म रोग है जो त्वचा के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसमें शरीर में छाले पड़ जाते हैं और बहुत अधिक खुजली लगती है। अधिक खुजलाने से इनसे मवाद या खून भी निकल जाता है।
यह मवाद या पानी शरीर के जिस हिस्से में पड़ता है वहा पर भी एक्जिमा होने की संभावना रहती है या फिर दाग हो जाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि समय रहते एक्जिमा का इलाज कराया जाए।
हमने देखा है कि अक्सर लोग एक्जिमा की एलोपैथिक दवा (Eczema Allopathic Medicine) ही लेते हैं जो कि पूरी तरह लाभदायक नहीं है। एलोपैथिक दवाएं इसका असर तो कम कर देती हैं लेकिन इसे पूरी तरह से मिटा नही पाती और शरीर में दाग रह जाते हैं।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि एक्जिमा और इसके लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं। एक्जिमा के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:सबसे पहला लक्षण है तीव्र खुजली
बाद में, दाने लाल रंग के साथ प्रकट होते हैं, विभिन्न आकारों के बम्प्स के साथ विकसित होते हैं
खुजली में जलन हो सकती है, खासकर पलकों जैसी पतली त्वचा में
यह रिसना शुरू हो सकता है और खरोंचने पर क्रस्टी हो सकता है
लंबे समय तक रगड़ने से वयस्कों में त्वचा में गाढ़े प्लाक हो जाते हैं
समय के साथ, दर्दनाक दरारें दिखाई दे सकती हैं
स्कैल्प की समस्या शायद कभी शामिल हो सकती है
पलकें खुजलीदार, फूली हुई और लाल हो जाएंगी
खुजली की अनुभूति नींद के पैटर्न को बिगाड़ सकती है
दाद, वायरल संक्रमण जैसे दाद और मोलस्कम कॉन्टैगिओसम जैसे फंगल संक्रमण एक्जिमा वाले लोगों में अधिक सामान्य लक्षण हैं।

वयस्कों में एक्जिमा के लक्षण क्या हैं?

वयस्कों में एक्जिमा के लक्षण बच्चों के समान ही होते हैं। आप कह सकते हैं कि बच्चों की तुला वयस्कों में ये लक्षण और ज्यादा बड़े हुए हो सकते हैं। एक्जिमा के बाद के चरण में लक्षण देखे जा सकते हैं क्योंकि रोग के एक निश्चित चरण के बाद ही सतह पर लक्षण देखे जा सकते हैं।
ये लक्षण कोहनियों या घुटनों की सिलवटों या गर्दन के पिछले हिस्से में देखे जा सकते हैं:अधिक पपड़ीदार चकत्ते
शुष्क त्वचा
खुजली
त्वचा संक्रमण के अन्य रूपएटोपिक डार्माटाइटिस (Atopic dermatitis) या एक्जिमा एक ऐसी स्थिति है जो आपकी त्वचा को लाल और खुजलीदार बनाती है। ज्यादातर यह बच्चों मे देखने को मिलता है लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
एक्जिमा की सूजन और लंबे समय तक चलने वाली (Chronic) होती है और समय-समय पर भड़क जाती है। अभी तक एटोपिक डर्मेटाइटिस का कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है। लेकिन एक्जिमा का आयुर्वेदिक उपचार और स्व-देखभाल के उपाय से खुजली को दूर कर सकते हैं और नए प्रकोपों को रोक सकते हैं।
अधिकांशतः एक्जिमा के लक्षण (Symptoms of eczema) अक्सर 5 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाते हैं और किशोरावस्था और वयस्कता में बनी रह सकती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह एक अति सक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली यानि overactive immune system द्वारा ट्रिगर किया जाता है।
जब आपकी त्वचा बाहरी अड़चनों के संपर्क में आती है, तो एक्जिमा भड़क जाती है, जिससे आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली ओवररिएक्ट हो जाती है।

एक्जिमा निम्निलखित कारणों से हो सकता है:

क्लींजर और डिटर्जेंट में पाए जाने वाले रसायन या संरक्षक सुगंधित उत्पाद
सिगरेट का धुंआ
बाहरी एलर्जी जैसे पराग, मोल्ड, धूल, या धूल के कण
खुरदरी खरोंच वाली सामग्री, जैसे ऊन, सिंथेटिक कपड़े
पसीना आना
तापमान परिवर्तन
तनाव
फूड एलर्जी
एलोपैथिक दवाओं से एक्जिमा का permanent इलाज संभव नही है और अभी भी रिसर्च चल रहे हैं। लेकिन एक्जिमा का उपचार एक्जिमा की आयुर्वेदिक दवा से किया जा सकता है जिससे यह जड़ से खत्म हो जाता है।
यह इलाज घर पर ही संभव है जिसमे आयुर्वेदिक एक्जिमा लोशन तैयार किया जाता है और यह बहुत आसान भी है।
एक्जिमा का आयुर्वेदिक पेस्ट बनाने के लिए आपको क्या क्या चाहिए:

नीम की छाल: 20 ग्राम
पीपल की छाल: 20 ग्राम
अरंडी का तेल: 20 ग्राम
बबूल की छाल:10 ग्राम
नौशादर: 10 ग्राम
मदार के पत्ते: 2
और साफ मौसम
इन सभी सामग्री को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। अरंडी के तेल को छोड़ कर सभी चीजों को आपस में पीस लें। इसके बाद इस मिश्रण को अरंडी के तेल में अच्छी तरह से मिलाकर पेस्ट बना लें। तेल आवश्यकतानुसार ही डालें यानि की एक अच्छा पेस्ट तैयार हो सके।
तैयार पेस्ट को एक बोतल में भरकर धूप में 10 दिनों के लिए रख दें। ध्यान रहे बोतल का मुंह खुला रहे और उसे अच्छी धूप मिले। 10 दिन बाद बचे हुए पेस्ट को एक्जिमा वाले स्थान पर सुबह और शाम दिन में दो बार लगाएं।
अगर बताए हुए तरीके के अनुसार पेस्ट बनाएंगे और रोजाना इस्तेमाल करेंगे तो पुराने से पुराना एक्जिमा भी जड़ से खत्म हो जाएगा।

एलोपेथी क्या कहती है ?

हाइड्रोकार्टिसोन स्टेरॉयड वाली क्रीम खुजली से राहत दिलाने और सूजन को कम करने में मदद करती हैं। वे ओटीसी से लेकर प्रिस्क्रिप्शन दवाओं तक विभिन्न शक्तियों(स्ट्रेंग्थ्स) में उपलब्ध हैं।

एनएसएआईडी ऑइंटमेंट एक नया प्रिस्क्रिप्शन नॉन-स्टेरॉइडल, एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा है जिसका उपयोग हल्के से मध्यम स्तर की एक्जिमा के इलाज के लिए किया जाता है। इसे दिन में दो बार लगाने की सलाह दी जाती है और यह सूजन को कम करने और त्वचा को सामान्य दिखने में मदद करने में प्रभावी है।
त्वचा को स्क्रब करने से होने वाले जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स निर्धारित हैं। एंटीहिस्टामाइन रात के समय खुजली के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद करते हैं।
दवाएं प्रतिरक्षा को कम करने में मदद करती हैं जैसे कि साइक्लोस्पोरिन, मेथोट्रेक्सेट, और माइकोफेनोलेट मोफेटिल और कॉर्टिकोस्टेरॉइड गोलियां, शॉट्स, तरल पदार्थ का उपयोग फ्लेयर-अप और खुजली को कम करने के लिए किया जाता है।
यूवी(UV)लाइट थेरेपी और पुवा(PUVA) थेरेपी की भी सिफारिश की जाती है।
एक्जिमा के लिए कौन सा विटामिन अच्छा है?
चूंकि विटामिन डी की कमी एक्जिमा का कारण हो सकती है, आपके शरीर में इसकी इष्टतम उपस्थिति आपको त्वचा संक्रमण से बचाव या उपचार प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली और त्वचा की रक्षा को मजबूत करने में आपकी मदद करता है जो एक्जिमा के हमले के तहत त्वचा की उपचार प्रक्रिया को बढ़ावा देता है।

एलोपथिक मेडिसिन 

एक्जिमा के लिए दवा में स्टेरॉयड, एंटीहिस्टामाइन और सामयिक(टॉपिकल) एंटीसेप्टिक शामिल हो सकते हैं जो आपको अपनी त्वचा को शांत करने और बैक्टीरिया / वायरस / फंगस से लड़ने में मदद करेंगे जो आपकी त्वचा में इन्फेस्ट हो गए हैं।

एक्जिमा के इलाज के प्राकृतिक तरीके इस प्रकार हैं:

लीको-राइस रूट(मुलैठी की जड़) के रस का उपयोग करने से, खुजली में एक आशाजनक कमी दिखाई देती है। नारियल तेल या खुजली वाली क्रीम की कुछ बूंदें मिलाने से अतिरिक्त लाभ मिलता है।
ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और उपचार प्रक्रिया को तेज करने के लिए फ्लेयर-अप के समय में मदद करते हैं।
विटामिन ई लेना सूजन को कम करके उपचार को गति देता है और टॉपिकल ऑइंटमेंट खुजली से राहत देता है और त्वचा को झुलसने से रोकता है।
विटामिन ए से भरपूर भोजन लेने से त्वचा में सुधार होता है
कैलेंडुला क्रीम त्वचा के कट, जलन और सूजन को ठीक करती है। यह प्रभावित क्षेत्र में रक्त के प्रवाह में सुधार करता है, त्वचा को हाइड्रेट करने में मदद करता है और संक्रमण से लड़ता है
सम्मोहन, एक्यूपंक्चर जैसे वैकल्पिक उपचार तनाव और चिंता के स्तर को कम करते हैं।

सारांश: 

एक्जिमा को आमतौर पर त्वचा की खुजली और जलन के रूप में जाना जाता है। यह बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण हो सकता है जो खुली दरार और घावों द्वारा मेजबान के शरीर में प्रवेश कर गए हैं। इसे दो उपश्रेणियों(सब-कैटेगरीज़) में बांटा गया है। जबकि एक्यूट एक्जिमा इलाज योग्य है, क्रोनिक एक्जिमा का इलाज सामान्य दवा के माध्यम से नहीं किया जा सकता है। एक संक्रमित व्यक्ति से खुद को हाइड्रेटेड और सुरक्षित रखकर एक्जिमा को रोका जा सकता है।

विशिष्ट परामर्श -


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सर्दी जुकाम बुखार में राहत देता है ये काढ़ा sardi jukam ka kadha





काढ़ा (decoction), सर्दी और बुखार के लिए एक पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार है। यह जड़ी-बूटियों और मसालों का एक सरल लेकिन प्रभावी मिश्रण है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और सर्दी और बुखार के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
बच्‍चों में सर्दी जुकाम या खांसी होने पर दवाओं की बजाय घरेलू नुस्‍खों या काढे का इस्‍तेमाल करना चाहिए। यहां हम आपको घर पर काढा बनाने की विधि के बारे में बता रहे हैं। ये काढा बच्‍चों में खांसी और जुकाम का इलाज करने में असरकारी है।

​तुलसी काढा

तुलसी की चार पत्तियों, एक चम्‍मच काली मिर्च, अदरक का एक छोटा टुकडा और शहद स्‍वादानुसार। तुलसी की पत्तियों , काली मिर्च और अदरक को एक कटोरी में एक साथ पीस लें। इसे एक कप पानी में उबालें और फिर शहद मिलाकर बच्‍चे को दें।
दालचीनी की दो छोटी स्टिक और तीन लौंग एवं शहद स्‍वादानुसार। दालचीनी का काढा बनाने के लिए कप पानी में आधा चम्‍मच दालचीनी के पाउडर को लौंग के साथ उबालें। इसमें शहद मिलाकर बच्‍चों को पिलाएं। इस काढे से बच्‍चों में सर्दी जुकाम ठीक होगा।
आधा चम्‍मच घी, एक चुटकी काली मिर्च और अदरक का छोटा टुकडा, तुलसी की चार पत्तियां और चीनी। एक पैन लें और उसे गैस पर रख कर उसमें थोडा घी डालें। घी गर्म होने पर काली मिर्च, अदरक और तुलसी को कूटकर डाल दें। अब दो कप पानी और तीन चम्‍मच चीनी डालकर पानी को उबाल लें। आपका काढा तैयार है।

सर्दी जुकाम ठीक होगा इस काढ़े से-

इस काढ़े को बनाने के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी:

- 1 कप पानी (Water)

- 1 इंच अदरक (Ginger) का टुकड़ा, बारीक कटा हुआ

- लहसुन (Garlic) की 2 कलियां बारीक कटी हुई

- 1 दालचीनी स्टिक (Cinnamon)

- 1 बड़ा चम्मच शहद (Honey)

- 2-3 काली मिर्च (Black pepper)

- 2-3 तुलसी के पत्ते (Tulsi leaves)

सबसे पहले एक छोटे बर्तन में पानी उबालने के लिए रख दें। अदरक, लहसुन, दालचीनी स्टिक और काली मिर्च डालें। आँच को कम कर दें और 10-15 मिनट तक पकाएँ। इसके बाद मिश्रण में तुलसी के पत्ते और शहद डालकर अच्छी तरह मिलाएं। सॉसपैन को आंच से उतार लें और काढ़े को कमरे के तापमान पर ठंडा होने दें। आप अपनी पसंद के आधार पर इस काढ़े को गर्म या ठंडा पी सकते हैं। सर्वोत्तम परिणामों के लिए इसे दिन में दो बार, सुबह और शाम पीने की सलाह दी जाती है।
इस काढ़े में मौजूद अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) और एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant) गुण होते हैं, जो सूजन को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। लहसुन भी एक शक्तिशाली प्रतिरक्षा बूस्टर है और इसमें जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो सर्दी और फ्लू के वायरस से लड़ने में मदद कर सकते हैं। दालचीनी में रोगाणुरोधी (antimicrobial) गुण होते हैं और बुखार को कम करने और गले में खराश को शांत करने में मदद कर सकते हैं। शहद एक प्राकृतिक खांसी दमनकारी है और गले में खराश को शांत करने और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। तुलसी के पत्ते अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और जीवाणुरोधी गुणों के लिए जाने जाते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और बुखार को कम करने में मदद कर सकते हैं।
इन सामग्रियों के अलावा, इस काढ़े में काली मिर्च भी होती है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुण होते हैं। वे जमाव को साफ करने और श्वसन क्रिया को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकते हैं।
कुल मिलाकर, इस काढ़े का सेवन सर्दी और बुखार के उपचार में कई लाभ प्रदान कर सकता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने, सूजन को कम करने, जमाव को साफ करने और सर्दी और बुखार के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। इसलिए, यदि आप सर्दी या बुखार से पीड़ित हैं, तो इस काढ़े को आजमाएँ और अपने लिए लाभ देखें।
काढ़ा पीने से आप खांसी से छुटकारा पा सकते हैं।
काढ़े की खुराक आपके लिए जुकाम को कम करेगी।
बुखार में काढ़े की डोज फायदेमंद है।
इसे पीने से बहती नाक बंद हो जाएगी।
गले की खराश दूर करता है काढ़ा।
अक्सर लोगों की बुखार में भूख कम हो जाती है लेकिन काढ़ा पीने से आपका भोजन करने का मन करेगा।

हनी और लेमन टी (शहद वाली चाय)

कई रिसर्च इस बात का दावा करते हैं कि शहद सर्दी-जुकाम या खांसी के इलाज के लिए सबसे बेहतर विकल्प होता है। अगर आपको या आपके छोटे बच्चे को खांसी है, तो शहद वाली चाय (हनी टी) पीने से गले में खराश और खांसी से राहत पा सकते हैं। जुकाम के घरेलू उपचार में शहद को हमेशा अव्वल माना गया है।

कैसे बनाएं

एक कप हर्बल टी या गर्म पानी में 2 चम्मच शहद और नींबू का रस मिलाएं और इसे दिन में एक या दो बार पीएं। ध्यान रखें कि इस चाय को एक साल की उम्र से छोटे बच्चों को न पिलाएं।

अनानास का जूस

आमतौर पर सर्दी-जुकाम होने पर खट्टे फल नहीं खाने चाहिए। ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि भला अनानास का जूस क्यों पीना चाहिए। बता दें कि अनानास खांसी को बस दो दिनों में दूर कर सकता है, क्योंकि इसमें ब्रोमलेन की अच्छी मात्रा होती है। ब्रोमलेन एक एंजाइम है जो केवल अनानास के तने और फल में ही पाया जाता है। ऐसे में अनानास का जूस पीने पर गले में खराश और बलगम की समस्या से भी राहत मिलती है, तो जुकाम के घरेलू उपचार के तरीकों में एक बार अनानास के गुण भी जरूर आजमाएं

कैसे बनाएं


अनानास का छिलका हटाकर उसका जूस बनाकर पीएं या उसके 2 से 3 टुकड़े भी खा सकते हैं। दिन में तीन बार अनानास का जूस पीएं। ध्यान रखें कि अगर आप या आपका बच्चा खून पतला करने वाली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो अनानास का सेवन न करें।

काली तुलसी और मसालों वाला काढ़ा

सदियों से सर्दियों के मौसम में होने वाले जुकाम के घरेलू उपचार के लिए काढ़े का इस्तेमाल होता चला आया है। काढ़ें में कई तरह के मसाले और जड़ी-बूटियां मिलाई जाती हैं, जो गले और फेफड़े के इंफेक्शन को दूर करने में मददगार होती हैं।

कैसे बनाएं

काढ़ें की मदद से जुकाम के घरेलू उपचार के लिए दो गिलास साफ पानी गर्म करें। जब यह उबलने लगें तब उसमें लौंग, काली मिर्च, इलायची और अदरक का पाउडर मिलाएं। इसके बाद इसमें स्वादानुसार गुड़ मिलाएं। थोड़ी देर बाद इसमें 5 से 6 काली तुलसी की पत्तियां डालें। उसके बाद चायपत्ती डाल कर उसमें दो बार उबाल आने दें। इसके बाद गैस बंद कर दें और हल्का गुनगुना रहने पर इस काढ़ें को पी लें।


7.8.23

त्वचा की झुर्रियां हटाने के तरीके Jhurriyan kaise hataen

 



  हर किसी की चाहत होती है की उनकी त्वचा सुन्दर, कोमल, और युवा दिखे। बहुत से लोग अपने उम्र छुपाने का इलाज के लिए बहुत सारे क्रीम, दवाइयां इस्तेमाल करते हैं लेकिन इनसे त्वचा जवान नहीं हो पाती बल्कि स्किन और बूढी दिखने लगती है और बुढ़ापे की प्रक्रिया को गति देते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि हम में से बहुत से झुर्रियों की समस्या से जूझ रहे हैं| परन्तु वह इस समस्या का समाधान करने में असमर्थ हो जाते हैं| झुर्रियां पतली, सगनी त्वचा के कारण होती हैं।वे विशेष रूप से चेहरे, गर्दन, हाथों और पीठ पर दिखाई देती हैं| समय से पहले या अधिक झुर्रियों का कारण सूरज की रोशनी या कठोर वातावरण, धूम्रपान, कुछ दवाओं के उपयोग, अत्यधिक तनाव, अचानक वजन घटाने, विटामिन ई की हानि, और आनुवांशिक गड़बड़ी है| कई आसान घरेलू उपाय हैं जो झुर्रियों को कम करने में मदद करेंगे|
अस्वास्थ्यकर जीवन शैली, तनाव, संसाधित और खाने, कैफीन, शराब और धूम्रपान, अभाव की कमी और प्रदूषण जैसी अस्वास्थ्यकर आदतों पर निर्भरता पर त्वचा की उम्र बढ़ने और स्किन पर झुर्रियां और काले दाग-धब्बे होने लगते हैं। बुढ़ापे वाली त्वचा को अलविदा करने के लिए बहुत से उपाय एवं घरेलू उपाय हैं। अगर आप इन घरेलू देसी नुस्खे सही तरीके से आजमाएंगे तो आप दोबारा जवान कैसे दिखें नहीं पूछेंगे। तो चलिए जानते हैं चेहरे की झुर्रियां हटाने के आसान घरेलू उपाय.

झुर्रिया होने का कारण

तनाव : stress लेना हमारे तन और मन दोनो के लिए नुक़सानदायक होता है. इसकी वजह से हमारा शरीर जल्दी ही बूढ़ा दिखने लगता है और चेहरे की त्वचा जटिल हो जाती है जिससे झुर्रिया दिखने लगती है।

नशा करना : 

ज़्यादातर झुर्रिया दिखने का लक्षण है ग़लत आदतो मे पढ़ना. बीड़ी, सिगरेट, शराब हमारे शरीर की त्वचा पर असर डालती है फलस्वरूप हमारा शरीर ढीलापन मे आ जाता है।

गर्मी : 

ज़्यादा से ज़्यादा धूप मे रहने से हमारी skin सुख जाती है और झुर्रिया सुखी त्वचा पर ज़्यादा attack करती है जिसके चलते हमे जवानी मे ही बूढ़ा जैसा महसूस होता है।

ख़ान-पान की कमी : 

नियमित और संतुलित भोजन ना करने से झुर्रियो का होना एक महत्वपूर्ण कारण होता है. आज की पीढ़ी मे जंक फुड के बढ़ते और तले हुए भोजन करने से हमारे शरीर मे वसा जल्दी जमा होने लगती है शरीर को आवश्यक विमामिन नही मिल पाते है और हमारी त्वचा बुडी होने लगती है।

पानी की कमी : 

शरीर मे पानी की कमी से हमारे शरीर के सभी भागो को नुकसान पहुँचता है. इससे हमारी त्वचा को नमी नही मिल पति है जिसकी वजह से त्वचा मे झुर्रिया दिखने लगती है।

चेहरे की झुरिया पढ़ने से कैसे बचे

1. शुबह जल्दी उठकर पानी पिए फिर तोड़ा आराम करके टहलने के लिए जाए. इससे आपके शरीर को नामी मिलेगी जिससे चलते झुरिया कम होने लगेंगे.

2. बीड़ी, सिगरेट, शराब आदि नशीली चीज़ो का सेवन करना छोड़ दे, इनके इस्तेमाल से हमारे शरीर की पाचन क्रिया कमजोर होने लगती है जिसके चलते हमारे शरीर मे खून सुचारू रूप से नही बन पता है.
3. सोजाना व्यायाम, योगा करने से शरीर स्वस्थ रहता है. हमारे शरीर की कोई भी गंदगी हो जल्दी ही बाहर निकल जाती है. शरीर के इधर उधर खिचाव से झुर्रिया नही होती है.
4. ज़्यादा गर्मी मे जाने से बचे, क्यूंकी ज़्यादा गर्मी हमारी त्वचा की नामी को सोख लेती है जिसाए त्वचा मे झुर्रिया पढ़ने लगती ही. अगर आप तेज धूप मे जाते है तो सुन स्क्रीन लोशन ज़रूर लगा के जाए. अपने साथ छाता ज़रूर लेकर जाए.
5. विटामिन ए और विटामिन सी वेल फलो को ज़्यादा सेवन मे ले. विटामिन ए मे आप चने, मुंग की डाल ले सकते है और विितमिन सी मे आप संतरा, नींबू, और अंगूर ले सकते है. इन पदार्थो से हमारे शरीर को नमी मिलती है.
6. त्वचा के ढीलेपन को रोकेने के लिए ज़रूरी है की आप रोजाना ज़्यादा से ज़्यादा पानी पिए. इससे हमारे शरीर का पाचन तंतरा सही रहता है और त्वचा मे नामी बनी रहती है. जिससे हमारे शरीर मे झुर्रिया न्ही दिखाई देती है.

चेहरे की झुर्रियां हटाने के लिए घरेलू उपाय

वृद्धावस्था एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसका सबसे स्पष्ट बाह्य प्रक्षेपण झुर्रियाँ और सीधी लाइनों की उपस्थिति है। हमारी त्वचा देर से 20 के दशक से उम्र बढ़ने लगती है, लेकिन इसका प्रभाव हम उम्र के रूप में अधिक स्पष्ट हो जाते हैं। कोलेजन और इल्स्टिन दो प्रमुख प्रोटीन हैं जो आधार या सेल संरचना होते हैं जो त्वचा लोचदार, कोमल और जवान होते हैं। समय के साथ, ये प्रोटीन झुर्रियाँ, लाइनों और चेहरे, माथे, गर्दन और हाथों की पीठ पर गहरे बालों की उपस्थिति को कम करने लगते हैं।

हालांकि काउंटर क्रीम और सुन्दर त्वचा के लिए बाजार में कई क्रीम मिल जायेंगे जो त्वचा की उम्र बढ़ने के लिए मदद करते हैं, हम सभी जानते हैं की इलाज के लिए घरेलू उपचार कितना अच्छा होता है। जो हमारे स्किन पर कोई साइड इफेक्ट नहीं देते।

जैतून का तेल झुर्रियों और लाइनों को हटाए

जैतून का तेल सबसे प्रभावी प्राकृतिक तेलों में से एक है जो झुर्रियाँ और लाइनों और सख्त त्वचा को कसने में मदद करता है। यह विटामिन, खनिज और प्राकृतिक फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है जो त्वचा को पोषण करती है क्योंकि यह आसानी से त्वचा के द्वारा अवशोषित हो जाती है। विटामिन ए और ई के साथ लोड होने पर, यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है और त्वचा को हाइड्रेट करने में मदद करता है और अपनी जबरदस्त अलंकृतता और लोच को बनाए रखने में मदद करता है ताकि यह लंबे समय तक छोटी ह

जैतून का तेल सबसे प्रभावी प्राकृतिक तेलों में से एक है जो झुर्रियाँ और लाइनों और सख्त त्वचा को कसने में मदद करता है। यह विटामिन, खनिज और प्राकृतिक फैटी एसिड का एक समृद्ध स्रोत है जो त्वचा को पोषण करती है क्योंकि यह आसानी से त्वचा के द्वारा अवशोषित हो जाती है। विटामिन ए और ई के साथ लोड होने पर, यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है और त्वचा को हाइड्रेट करने में मदद करता है और अपनी जबरदस्त अलंकृतता और लोच को बनाए रखने में मदद करता है ताकि यह लंबे समय तक छोटी हो।
अपनी हथेली में जैतून का तेल की कुछ बूँदें डालें और नरम परिपत्र गति से साफ चेहरा और गर्दन पर लागू करें। बिस्तर पर जाने से पहले 5 से 10 मिनट के लिए मालिश; सुबह पानी से धोएं। कुछ समय के बाद आपको अच्छे परिणाम दिखने लगेंगे।
रिंकल्स को कम करने के लिए जैतून का उपयोग लाभदायक है | Olive oil is beneficial to reduce wrinkles
जैतून का तेल आपकी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है और चेहरे की झुर्रियां हटाने में इस्तेमाल| यह एंटीऑक्सिडेंट का एक अच्छा स्रोत है, जैसे विटामिन ए और ई, जो त्वचा के हानीकारक कणो से लड़ने में मदद करता हैं| नियमित रूप से जैतून के तेल से मालिश करने से त्वचा की कोशिकाओं को मॉइस्चराइज, मरम्मत और पुनर्जन्म मिलता है| एक अन्य विकल्प है जैतून का तेल और ग्लिसरीन की कुछ बूंदों के साथ शहद की कुछ बूंदों को मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें और इस मिश्रण से दिन में दो बार मसाज करें| जैतून के तेल से चेहरे को चमकदार भी बने जा सकता है |

एलोवेरा मुहासे और झुर्रिया दूर करे

त्वचा के लिए एलोवेरा के लाभ कई हैं यह मुँहासे के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक उपाय के रूप में कार्य करता है और त्वचा के अत्यधिक तेल में कमी को कम करता है। मुसब्बर वेरा जेल में मौजूद मलिक एसिड त्वचा की लोच को बेहतर बनाता है और झुर्रियाँ और ठीक लाइनों को कम कर देता है। एलोवेरा जेल में मौजूद जस्ता त्वचा के सफ़ेदपन को बढ़ाता है, जबकि म्यूकोपोलिसेकेराइड – जेल में मौजूद लंबी श्रृंखला वाली चीनी अणु नमी बनाए रखने में मदद करता है और कोलेजन के गठन में सुधार करता है – प्रोटीन जो सेल संरचना का आधार बनाता है और त्वचा लोच बनाए रखता है।
एलोवेरा पौधे से पत्ते काट लें और जेल बाहर निकालें फिर साफ़ चेहरे पर लागू करें, नरम परिपत्र गति में 5 से 10 मिनट के लिए मालिश करें। इसे 20 मिनट तक रहने दें और गुनगुने पानी के साथ धोएं।

मेंथी बुढ़ापे को दूर भगाये

मेथी एक बहुत ही आम रसोई मसाला है जिसमें अत्यधिक औषधीय मूल्य है और विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए घर के उपाय के रूप में उम्र के लिए इसका इस्तेमाल किया गया है। मेथी के बीज विटामिन बी 3 और नियासिन का एक समृद्ध स्रोत हैं जो क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाओं को ठीक करने में मदद करता है और नए कोशिकाओं और ऊतकों के पुनर्जन्म को बढ़ावा देता है जो उम्र के धब्बे, हाइपर पगमेन्टेशन झुर्रियों, लाइनों के इलाज के लिए अच्छा घरेलू उपचार है।
मेथी के दाल को पीसकर थोड़ा मोटी पेस्ट बनाकर उसमे शहद का एक चम्मच जोड़ें, अच्छी तरह मिलाएं और चेहरे और गर्दन पर लागू करें। इसे 1 घंटे तक रहने दें और पानी से धोएं। अच्छे परिणाम के लिए कुछ दिन यह प्रक्रिया आजमाते रहें।
रिंकल्स को कम करने के लिए मेथी का उपयोग लाभदायक है
  मेथी के पत्ते, बीज और यहां तक कि तेल भी त्वचा की विभिन्न समस्याओं के लिए उपयोगी है| पत्तियां विटामिन और खनिजों में समृद्ध होती हैं जिन्हें आसानी से शरीर अपने अंदर अवशोषित कर लेता है|और झुर्रियों को ठीक करने में मदद करता है| मेथी का पेस्ट तैयार करने के लिए मेथी की ताजी पत्तियों की पीस लें| इस मिश्रण को आप अपनी त्वचा पर लगाएं और 15 से 20 मिनट तक छोड़ दें| गुनगुने पानी के साथ इसे धो लें|

अदरक का उपयोग

रिंकल्स को कम करने के लिए रिंकल्स को कम करने के लिए अदरक का उपयोग लाभदायक है | Use of ginger is beneficial to reduce wrinkles(Adrak se chehre ki jhuriyon ka ilaj) : अदरक इसकी उच्च एंटीऑक्सिडेंट सामग्री के कारण चेहरे की झुर्रियां को काम करने में मदद करता है| शहद की एक चम्मच के साथ एक चुटकी मैश किया हुआ अदरक मिलाएं हर सुबह इस मिश्रण को खाएं|आप रोजाना दो बार अदरक की चाय भी पी सकते हैं| लाभदायक है |

अंडे का सफेद मुखौटा 

अंडे का सफेद मुखौटा लगाने से झुर्रियाँ और ठीक लाइनों का इलाज का आसान और प्रभावी तरीका है। झुर्रीदार क्षेत्रों पर अंडा का सफेद मुखौटा फैलाने से त्वचा केर खुले छिद्र को सिकुड़ते हुए इसे चिकना, युवा और युवा दिखने में मदद मिलती है। प्रोटीन, पोटेशियम, मैग्नीशियम और राइबोफ्लाविन का एक समृद्ध स्रोत होने के कारण यह ऊतक की मरम्मत, हाइड्रेट्स और त्वचा को moisturizes और मुक्त कण और ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण क्षति को कम कर देता है- समयपूर्व त्वचा उम्र बढ़ने के दो मुख्य कारण हैं।

अंडे तोड़ो और जर्दी को सावधानी से अलग करें चेहरे पर समान रूप से अंडा का सफेद मुखौटा को लागू करें, इसे 15 मिनट के लिए सूखा दें और पानी से धोएं।

रिंकल्स को कम करने के लिए बादाम का उपयोग लाभदायक है|

बादाम फाइबर, विटामिन ई, लोहा, जस्ता, कैल्शियम, फोलिक एसिड, और ओलिक एसिड का एक उत्कृष्ट स्रोत है|

कच्चे दूध में कुछ बादाम भिगोएं और रात भर के लिए रख दें| सुबह में बादाम के ऊपर से छिलका उतार दें और बादाम की मोटी पास्ट बना लें| अपनी त्वचा पर पेस्ट को लगाएं| इस पेस्ट को आप अपनी आँखों के निचे हुए काले घेरों पर इस्तेमाल करें| इसे 20 से 30 मिनट तक छोड़ दें और फिर इसे गर्म पानी से धो लें| सर्वोत्तम परिणामों के लिए प्रतिदिन इस पेस्ट का इतेमाल कीजिये| इसके अतिरिक्त आप बादाम के तेल की मालिश भी कर सकते हैं|

केले से बनाये चेहरे को जवां-

उम्र बढ़ने के उपाय में केले आसानी से उपलब्ध और सस्ते प्राकृतिक विरोधी हैं यह फल पोटेशियम, विटामिन बी, विटामिन सी और विटामिन ई जैसे पोषक तत्वों को प्रभावित करने वाली त्वचा से भरी हुई है जो कि सभी त्वचा की समस्याओं के लिए एक पूर्ण उपाय है। यह hydrating और सूखी त्वचा मॉइस्चराइजिंग में मदद करता है, कोलाजेन उत्पादन में सुधार, त्वचा लोच और लचीलापन और एक कपट और छोटी दिखने वाली त्वचा प्रदान करने के लिए मुक्त कण और ऑक्सीडेटिव तनाव को नुकसान पहुंचाता है और इसके लिए स्वस्थ चमक जोड़ता है।

2 पके केले मैश कर एक चिकनी पेस्ट बनाये, इसे साफ चेहरे पर समान रूप से लागू करें और इसे 30 मिनट तक रहने दें, पानी से अच्छी तरह से धो लें और न्यूरोराइजर लागू करें।

अदरक का उपयोग

रिंकल्स को कम करने के लिए अदरक का उपयोग लाभदायक है | Use of ginger is beneficial to reduce wrinkles(Adrak se chehre ki jhuriyon ka ilaj) : अदरक इसकी उच्च एंटीऑक्सिडेंट सामग्री के कारण चेहरे की झुर्रियां को काम करने में मदद करता है| शहद की एक चम्मच के साथ एक चुटकी मैश किया हुआ अदरक मिलाएं हर सुबह इस मिश्रण को खाएं|आप रोजाना दो बार अदरक की चाय भी पी सकते हैं|

केले का उपयोग 

रिंकल्स को कम करने के लिए केले का उपयोग लाभदायक है

केले विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट्स में समृद्ध हैं जो झुर्रियों को काम करने में मदद करते हैं| इस उपाय का प्रयोग प्रति सप्ताह दो बार उपयोग करने से आपकी त्वचा को एक नया जीवन मिलेगा| और प्राकृतिक रूप से झुर्रियों का इलाज होगा|
दो पके हुए केले लें और उन्हें मैश करके पेस्ट बना लें| झुर्रीदार क्षेत्रों पर पेस्ट को लगाएं| इसे कम से कम आधे घंटे के लिए छोड़ दें और फिर इसे गर्म पानी से धो लें।

शहद त्वचा में दे निखार

शहद प्रकृति के सभी त्वचा की समस्याओं के इलाज का सबसे अच्छा उपचार है। यह शुष्क त्वचा के लिए सबसे अच्छा पोषण है जो त्वचा को नमी हानि को रोकने के द्वारा हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। यह मृत कोशिकाओं को निकालने के लिए त्वचा को छूट देता है और नए कोशिकाओं के पुनर्जन्म को बढ़ावा देता है जो बदले में उम्र के स्पॉट, हाइपर रंजकता और निशान को हल्का करता है। शहद में मौजूद विटामिन बी और पोटेशियम त्वचा लोच और फाड़ने में सुधार करने में भी मदद करता है।
अपनी हथेली पर शुद्ध शहद के एक चम्मच को ले लो और इसे अपने साफ चेहरे पर नरम परिपत्र गति से लागू करें, इसे 20 मिनट तक रहने दें और गुनगुने पानी से धो लें।

नींबू का रस चेहरे से मुंहासे और झुर्रियां दूर करे

नींबू का रस की प्राकृतिक विरंजन संपत्ति यह तन और सनबर्न को हटाने के लिए एकदम सही प्राकृतिक उपाय बनाती है। साइट्रिक एसिड का एक समृद्ध स्रोत होने के नाते, यह त्वचा को छूटने में मदद करता है, मृत त्वचा कोशिकाओं और अशुद्धियों को हटाने और त्वचा को चिकनी और छोटी उपस्थिति प्रदान करने के लिए खुले छिद्र को कम करने में मदद करता है। यह ऊतकों को मजबूत करता है और झुर्रियां और ठीक लाइनों की उपस्थिति को कम करने के लिए त्वचा लोच बढ़ाता है। यह रंग को सुधारने और त्वचा को स्वस्थ चमक जोड़ने में भी मदद करता है।
कपास की बॉल की मदद से एक नींबू और साफ चेहरे पर डब से रस को दबाएं, इसे 30 मिनट तक रहने दें और पानी से धोएं।

अनानास बूढी त्वचा को जवां बनाये

अन्नानास पाचन में सुधार लाने और पाचन विकारों का इलाज करने के लिए एक अद्भुत प्राकृतिक उपाय के रूप में कार्य करता है। अनानास का रस भी समय से पहले बुढ़ापे को रोकने के लिए प्रभावी है। पोटेशियम और विटामिन सी जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरे होने के नाते, अनानास का रस मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों को निष्क्रिय करने और कोशिकाओं के ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने में मदद करता है, इस प्रकार त्वचा की समयपूर्व उम्र बढ़ने को रोकता है। यह त्वचा की टोन को बेहतर बनाने और असमान त्वचा टोन, अंधेरे पैच, उम्र के धब्बे और हाइपर पगमेन्टेशन को सुधारने में भी मदद करता हैz।
चिकना पेस्ट बनाने के लिए ब्लेंडर में 1/2 कप अनानास पल्प क्रश करें, इसे चेहरे और गर्दन पर लागू करें और इसे 20 मिनट तक रहने दें, गुनगुने पानी से धो लें।

एवाकाडो के फायदे 

वजन घटाने और स्वास्थ्य में सुधार के लिए एवाकाडो के फायदे अच्छी तरह से ज्ञात हैं। इस फलों का अमीर मलाईदार मांस लोच बढ़ाकर त्वचा की लालची और जवानी बढ़ाने में भी मदद करता है। यह विटामिन बी, सी, ई, के, सेलेनियम, पोटेशियम, जस्ता, फोलेट और बीटा कैरोटीन जैसे पोषक तत्वों से भरी हुई है जो त्वचा के लिए अद्भुत लाभ हैं। यह अत्यधिक सूखी त्वचा के लिए एक पौष्टिक न्यूरोराइज़र के रूप में कार्य करता है जो क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत में मदद करता है और नए कोशिकाओं के पुनर्जन्म को बढ़ावा देता है। इस विदेशी फल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और एमिनो एसिड त्वचा से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और समय से पहले त्वचा की उम्र बढ़ने से रोकता है।

एक फलों से गूदे को छीलकर एक चिकनी पेस्ट बनाने के लिए मैश करें, इसे साफ चेहरे पर लागू करें और इसे 30 मिनट तक रहने दें, पानी से धोएं।

बादाम और बादाम के तेल

बादाम और बादाम के तेल के स्वास्थ्य लाभों पर कोई जोर देने की आवश्यकता नहीं है। यह एक बहुउद्देशीय त्वचा उपचार के रूप में कार्य करता है जो इसे सौंदर्य, त्वचा देखभाल और शिशु देखभाल उत्पादों में एक सक्रिय घटक बनाती है। बादाम विटामिन ई, लोहा, जस्ता, फोलिक एसिड और ओलिक एसिड जैसे पोषक तत्वों से भरे होते हैं जो शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं जो त्वचा के कोलेजन फाइबर के पतन को रोकने और झुर्रियाँ और ठीक लाइनों के इलाज के द्वारा उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में देरी करते हैं।
रात में 8 से 10 बादाम दूध में भिगोएँ, शुबह पीस लें और इसे मोटी पेस्ट बना दें। 5 मिनट के लिए नरम परिपत्र गति का उपयोग करके साफ चेहरे और मालिश पर लागू करें, 30 मिनट के लिए छोड़ दें और गुनगुने पानी के साथ अच्छी तरह से धो लें।

झुर्रियाँ और ललित लाइनों को रोकने के लिए टिप्स

इन प्राकृतिक उपचारों का उपयोग करना और इन सरल युक्तियों का पालन करना उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमा करने और त्वचा की जबरदस्तता को बनाए रखने में काफी लंबा सफर तय कर सकता है।
एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें और एक संतुलित भोजन करें जिसमें सभी पोषक तत्व शामिल हैं।
रोजाना कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पी लें ताकि आपकी त्वचा अच्छी हाइड्रेटेड हो।
धूम्रपान और पीने जैसी अस्वास्थ्यकर आदतों को छोड़ दें।
रोज़ाना कम से कम 8 घंटे सोना चाहिए।
ओमेगा -3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट में समृद्ध पदार्थ खाएं।
तनाव और चिंता को कम करें और अपने दिमाग को आराम करने का प्रयास करें।
अब जब आप झुर्रियों के लिए आसानी से उपलब्ध प्राकृतिक उपचार जानते हैं, तो उन्हें अपने दैनिक त्वचा देखभाल शासन में शामिल करें और अपने त्वचा को युवा बनायें साथ ही अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।

झाइयां से बचने के उपाय एवं टिप्स

कुछ सरल टिप्स और अपनी जीवन शैली में कुछ मामूली बदलाव से आप त्वचा पर झाइयां होने से बच सकते हैं।
सनस्क्रीन पहनें (Wear sunscreen)- झाइयां को नियंत्रित करने के लिए सबसे लोकप्रिय और आसान उपचारों में से एक सूर्य के बाहर निकलने पर हर बार एक व्यापक-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन क्रीम या लोशन पहनना है। सूरज की रोशनी के लिए ओवरेक्स्पोज़र मेलामाजी को ट्रिगर करता है। एक सनस्क्रीन का चयन करें जिसमें जस्ता ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड होता है और इसे हर दो घंटों में दोबारा दोहराएं। महिलाओं को सूरज के खिलाफ कुछ अतिरिक्त सुरक्षा के लिए एसपीएफ़ के साथ मेक-अप और सौंदर्य प्रसाधनों का चयन करना चाहिए।

हाइड्रेट रहें  

प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन 8 से 10 गिलास पानी पीना चाइये। यह न केवल शरीर को ताज़ा करता है और सूजन को कम कर देता है। शरीर में विषाक्त पदार्थों को फैलने से बचाने में यह काफी मदद करता है। आप अपने पानी में कुछ नींबू का रस निचोड़ कर सकते हैं ताकि अपने मेलजैम लुप्त होती समारोह को बढ़ा सके।
आउटडोर टोपी पहनें (Wear outdoor hat)- सनस्क्रीन के साथ नाजुक चेहरे की त्वचा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए समुद्र तट, पूल या पार्क के दौरान अपने चौराहे के दौरान सुरक्षात्मक टोपी पहनें। चेहरे की त्वचा बेहद नाजुक होती है जैसी कठोर धूप और गर्मी और ज्यादा कमजोर बना देती है।

त्वचा की देखभाल (

 त्वचा देखभाल उत्पादों में कठोर रसायन शामिल हैं जो मेलामा को ट्रिगर कर सकते हैं या इससे पहले से ही मौजूद है, तो इससे खराब कर सकते हैं। इसलिए, कोमल और हल्के त्वचा देखभाल उत्पादों को चुनना सबसे अच्छा है जो त्वचा को परेशान नहीं करते हैं। इसलिए अगर आपके चेहरे या त्वचा पर कोई परेशानी हो तो घरेलू उपचार ही इस्तेमाल करें।

वैक्सिंग से बचें (Avoid waxing)- 

वैक्सिंग त्वचा की सूजन का कारण बन सकती है जो झाइयां को बढ़ा सकती है। इसलिए, झाइयां से प्रभावित शरीर के उन क्षेत्रों को एपिलेशन से बचाना सबसे अच्छा है।
स्वस्थ आहार (Healthy Diet) – सभी प्रकार के फलों और सब्जियों से युक्त एक संतुलित और पौष्टिक आहार रखना, न केवल समग्र स्वास्थ्य को संरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्वस्थ त्वचा, बालों और नाखून बनाए रखने के लिए भी यह अच्छा तरीका है। आपको अपने दैनिक आहार में उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड भी शामिल करना चाहिए।

तनाव से दूर रहो 

 चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में तनाव होना अनिवार्य है, लेकिन आपको संभवतः तनाव को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह मेलामा के मुख्य कारणों में से एक है। आप तनाव से राहत के तरीके जैसे कि ध्यान और योग कर सकते हैं।

बड़ी आंत Badi Aant के रोगों के उपचार,









आंत (Intestine) हमारे शरीर का एक काफी महत्वपूर्ण अंग है, आंत का सीधा संबंध हमारे पाचन तंत्र से होता है। क्योंकि आंत का काम पौष्टिक चीजों को पचाने का होता है। साथ ही शरीर में मौजूद खराब पदार्थ को शरीर से बाहर निकालने का काम भी आंत करती हैं। हमारे शरीर में दो आंत होती है, एक छोटी और दूसरी बड़ी आंत, और दोनों ही पाचन क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसलिए आंतों को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी होता है। लेकिन आजकल की अनियमित जीवनशैली और गलत खान-पान की वजह से ज्यादातर लोगों के आंत में इन्फेक्शन की शिकायत हो जा रही है। आंत में इन्फेक्शन की शिकायत होने पर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, क्योंकि इससे कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।


आंत तन्त्र के महत्वपूर्ण कार्य 

खाद्य पदार्थो का भण्डारण करना
पाचन तन्त्र के विभिन्न अंगो द्वारा उत्पन्न पाचन रसों को भोजन में मिश्रत करके उन्हें विखण्डित करने के बाद पाचन योग्य बनाना।
मुंह के भीतर चबाने जाने के बाद इस मित्रत भोजन को ग्रासनली, आमाश्य, ग्रहणी, छोटी आंत, बड़ी आंत से होते हुए गुदा द्वार तक ले जाया जाता है।
विशेषकर छोटी आंत एवं दुसरे अंगो से रक्त में पोषक तत्वों का अवशेषण करवाता है।
आंत को शरीर का दूसरा मस्तिष्क भी कहा जाता है। क्योंकि यह अंग शरीर के बाकी अंगों की तरह दिमाग के निर्देशों पर निर्भर नहीं होता है, न ही यह किसी के कार्यप्रणाली से प्रभावित होता है। इसका संचालन आंतरिक तंत्रिका तंत्र द्वारा होता है, जो पाचन क्रिया के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होता है
आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आंत का सेहतमंद होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इम्यूनिटी सिस्टम के 70 प्रतिशत कोशिका इसमें मौजूद होते हैं। इसलिए कमजोर आंत वाले लोग आसानी से फ्लू का शिकार हो जाते हैं। इसके साथ ही आंत आपके वजन को बनाने और बिगाड़ने का काम भी करते हैं। आंत में गड़बड़ी का कारण इसमें अच्छे बैक्टीरिया की कमी और खराब बैक्टीरिया की अधिकता होती है।

आंत में इन्फेक्शन के लक्षण

- पेट में दर्द बने रहना

- पेट में ऐंठन होना

- कमजोरी महसूस होना

- उल्टी की शिकायत होना

- वजन अचानक से कम होना

- भूख में कमी

- बुखार

- मांसपेशियों में दर्द होना

- सिर दर्द होना

आंत में इन्फेक्शन के कारण

- गलत खान-पान का सेवन

- दूषित पानी का सेवन

- गंदे बर्तन में खाना खा लेना

- फ्रिज में रखा भोजन करना

- अधपके मांस का सेवन करना 

 कई बार अचानक से किसी स्वस्थ आदमी की शरीर में ऐसी बड़ी बीमारी उत्पन्न हो जाती है जिससे रोगी को परेशानी तो होती ही है इसके साथ ही उसको कई बार उस बीमारी से मौत का भी डर सताने लगता है और ज्यादातर बीमारियों में हमारे शरीर में तेज दर्द की समस्याएं उत्पन्न होती है तो ऐसी एक समस्या बड़ी आंत में सूजन होना भी है.यह एक बहुत ही खतरनाक और बड़ी बीमारी है अगर किसी इंसान को यह समस्या हो जाती है तब इससे रोगी को दर्द के साथ-साथ कई अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है
 बड़ी आंत में सूजन होना एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है इससे रोगी को कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती है जब किसी इंसान की बड़ी आंत में सूजन आ जाती है तब इससे रोगी की मौत भी हो सकती है जब रोगी की आंत बड़ी आंत में सूजन होती है तब आंत के अंदरूनी भाग में सूजन होती है शुरुआत में यह सूजन रोगी के मलद्वार से शुरू होती है फिर धीरे-धीरे यह समस्या रोगी की पूरी बड़ी आंत तक फैल जाती है हालांकि यह समस्या छोटी आंत में नहीं जाती लेकिन बीमारी जब बीमारी पूरी तरह से बड़ी आंत में फ़ैल जाती है तब इसके कारण छोटी छोटी आंत भी चपेट में आ जाती है जिससे रोगी के मल के साथ खून आने लगता है और बहुत तेज दर्द भी होता है इस बीमारी को अंग्रेजी में अल्सरेटिव कोलाइटिस कहा जाता है यह समस्या किसी भी महिला या पुरुष में उत्पन्न हो सकती है लेकिन ज्यादातर मामले 20 से 30 वर्ष की आयु में ही देखे जाते हैं
अगर बड़ी आंत में सूजन आने के कारण कारणों के बारे में बात की जाए तो इस समस्या के उत्पन्न होने के पीछे कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं जैसे रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना रोगी का दूषित पानी पीना, दूषित भोजन करना, दूषित हवा में सांस लेना व दूषित क्षेत्र में रहना इसके अलावा रोगी को किसी प्रकार का संक्रमण होना, ज्यादा मानसिक, तनाव, चिंता, गुस्सा, चिड़चिड़ापन रखना रोगी की आंत पर चोट लगना रोगी का अधिक नशीली चीजों का सेवन करना जैसे शराब, तंबाकू, बीड़ी, कोकीन, अफीम, गांजा आदि रोगी का लगातार किसी खतरनाक दवाई का सेवन करना, रोगी का ज्यादा मिर्च मसालेदार व तले हुए भोजन का सेवन करना, रोगी की आंत कमजोर होना, रोगी का ज्यादा कठोर परिश्रम करना आदि समस्या के कुछ आम कारण होते हैं
रोगी में खून की कमी होना, रोगी को खूनी दस्त लगना, रोगी को मल त्याग के समय तेज दर्द होना, रोगी को उठते बैठते समय दर्द होना, रोगी की बार बार सांस फूलना, रोगी को लगातार पेट दर्द रहना, रोगी को बुखार होना, रोगी को कम भूख प्यास लगना, व रोगी का लगातार वजन कम होना, रोगी में थकान, कमजोरी, साफ, दिखाई देना, रोगी में आलस हो जाना, रोगी के जोड़ों में दर्द होना, रोगी की आंखें सूजना, रोगी की त्वचा के ऊपर घाव होना व रोगी में खून की कमी होने से पीलिया रोग उत्पन्न होना, रोगी को भोजन करते ही उल्टी आना वह बेचैनी की शिकायत होना
वैसे तो यह समस्या किसी भी आयु के महिला या पुरुष में उत्पन्न हो सकते हैं लेकिन अगर आप की आयु 20 से 30 वर्ष के बीच है तब आपको इस समस्या से सबसे ज्यादा बचकर रहने की जरूरत होती है इसके लिए आपको कुछ ऐसी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है जो कि आप को इस समस्या से बचाने में सहायक होती है जैसे -

*ज्यादा मिर्च मसालेदार व तली हुई भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
*गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
*गंदगी वाले क्षेत्र में रहने से बचना चाहिए
*लगातार किसी एक प्रकार की खतरनाक दवाई का सेवन नहीं करना चाहिए
*बीड़ी सिगरेट तंबाकूअसीम ऐसी नशीली वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए
*अपने पेट पर चोट लगते ही तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाना चाहिए
*इस समस्या के लक्षणों को पहचान कर भी अनदेखा नहीं करना चाहिए
*अपने शरीर में कब्ज की समस्या उत्पन्न नहीं होने देनी चाहिए
*अपने आंत में सूजन होते ही तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाना चाहिए
* दूषित पानी में दूषित भोजन का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए


आंत के इन्फेक्शन को दूर करने का घरेलू इलाज

- आंत में इन्फेक्शन की शिकायत होने पर तेल मसालों वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। 

खिचड़ी -

आंत में इन्फेक्शन की समस्या होने पर खिचड़ी का सेवन करना चाहिए। क्योंकि खिचड़ी काफी हल्का भोजन होता है और यह आसानी से पच जाता है।

धनिया -

पुराने समय से पाचन में सुधार के लिए धनिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके सेवन से बाइल एसिड बनता है, जो डाइजेशन के लिए जरूरी होता है।
इसके साथ ही इसमें कार्मिनेटिव गुण होता है, जो गैस की समस्या को दूर करने में मदद करता है। आंतों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए धनिया का रोजाना सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है।

दालचीनी -

दालचीनी में प्रीबायोटिक गुण होते हैं, जो आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाकर पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं।
इसके अलावा दालचीनी में एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-इफेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी डायबिटिक गुण भी होते हैं। ऐसे में डायबिटीज मरीजों को ब्लड शुगर कंट्रोल करने लिए इसका नियमित सेवन करना चाहिए।

नारियल पानी-

- आंत में इन्फेक्शन की शिकायत होने पर नारियल पानी (Coconut Water) का सेवन करना चाहिए। क्योंकि नारिलय पानी पोषक तत्वों से भरपूर होता है, इसलिए इसका सेवन करने से इन्फेक्शन की शिकायत दूर होती है।

-लौंग -

आंत में इन्फेक्शन की शिकायत होने पर  लौंग  Cloves का सेवन करना चाहिए। क्योंकि लौंग में ऐंटी-माइक्रोबियल गुण पाये जाते हैं, जो इन्फेक्शन को दूर करने में मददगार साबित होते हैं। इसके लिए रोजाना सुबह खाली पेट लौंग चबाना चाहिए।

हल्दी -

आंत में इन्फेक्शन की शिकायत होने पर हल्दी (Turmeric) का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि हल्दी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, जो इन्फेक्शन की शिकायत को दूर करने में मददगार साबित होते हैं।

फाइबर युक्त फूड्स -

आंत में इन्फेक्शन की शिकायत होने पर फाइबर (Fiber) युक्त फलों और हरी सब्जियों के जूस का सेवन करना चाहिए। क्योंकि फाइबर युक्त चीजों का सेवन करने से आंत साफ और स्वस्थ होता है। साथ ही इन्फेक्शन की शिकायत भी दूर होती है।

नाश्ते में दलिया-

- आंत में इन्फेक्शन की शिकायत होने पर सुबह के नाश्ते में दलिया (Daliya) का सेवन करना चाहिए। क्योंकि दलिया एक पौष्टिक नाश्ता माना जाता है। साथ ही दलिया के सेवन से पेट और आंत भी स्वस्थ रहता है। क्योंकि दलिया में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है।
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सिलफिस, उपदंश सुजाक, आतशक के कारण लक्षण बचाव व उपचार Treatment of gonorrhea disease



परिचय-

सुजाक और आतशक (उपदंश) यौन रोगों की बहुत ही घिनौनी बीमारियों में गिनी जाती हैं। यह रोग स्त्री और पुरुष दोनों को हो सकता है। मूत्रकच्छ,सुजाक,पूयमेह, अथवा गोनारिया एक ही रोग के अलग अलग नाम हैं ।

कारण-

सुजाक या उपदंश रोग स्त्री और पुरुषों के गलत तरह के शारीरिक संबंधों के कारण होने वाले रोग है। जो लोग अपनी पत्नियों को छोड़कर गलत तरह की स्त्रियों या वेश्याओं आदि के साथ संबंध बनाते हैं उन्हें अक्सर यह रोग अपने चंगुल में ले लेता है। इसी तरह से यह रोग स्त्रियों पर भी लागू होता है जो स्त्रियां पराएं पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाती हैं उन्हें भी यह रोग लग जाता है।
बैक्‍टीरिया और निसरेरिया गोनोरिया (neisseria gonorrhoeae) के कारण होने वाले संक्रमित संक्रमण को सूजाक या गोनोरिया कहा जाता है। इसके कारण आपके मूत्रमार्ग, गर्भाशय, गुदा, गले और आंखों में संक्रमण हो सकता है। नेइसेरिया गोनोरिया आपके रक्त में फैल सकता है जिससे बुखार, जोड़ो में दर्द और त्‍वचा में घाव हो सकते हैं।
यह रोग एक पुरुष या स्त्री में गोनोरिया के साथ शारीरिक संबंध बनाने के कारण होता है। यह गोनोकोकस नामक रोगाणु से उत्पन्न होता है। पुरुषों का मूत्र नलिका से 1 इंच पीछे होता है। रोग इस गड्ढे से धीरे-धीरे मूत्र नली मूत्राशय और अंडकोष में फैलता है।
महिलाओं में, उनकी योनि और मूत्रमार्ग, मूत्राशय, गर्भाशय आदि के पास के उपकरण पहली बीमारी की चपेट में आते हैं। जैसे, पुरुषों और महिलाओं दोनों को यह बीमारी होती है। लेकिन महिलाओं के बहुत छोटे मूत्रमार्ग के कारण, वे पुरुषों के रूप में ज्यादा पीड़ित नहीं होते हैं। इसका मवाद शरीर के किसी भी स्थान के श्लेष्म झिल्ली पर डाला जाता है और उस जगह को बीमारी का भी खतरा बना देता है। इसमें पुरुषों के मूत्रमार्ग में स्राव होता है और महिलाओं की योनि जैसे श्लेष्मा होती है।
एक सूजाक पुरुष या महिला के साथ सहवास के कई दिनों के बाद, रोगी मूत्र में जलन का अनुभव करता है। खुजली होती है। मूत्र मार्ग में क्रमशः शुद्ध स्राव निकलने लगता है। यह स्राव उज्ज्वल, पीला या हरा होता है। जलन और दर्द बढ़ने लगता है और बार-बार पेशाब करने की इच्छा होती है। पेशाब करते समय अत्यधिक दर्द होना। पेशाब साफ नहीं होता है और पेशाब बूंद-बूंद करके बाहर आता है। इन लक्षणों के अलावा किसी को कमजोरी महसूस होती है। यह ठंडा और कपटी महसूस होता है, सिरदर्द भी महसूस होता है, रात में लिंग में बेहतर कठोरता के कारण व्यक्ति को अच्छी नींद नहीं आती है। जैसे ही बीमारी पुरानी या जलती है, दर्द और पीड़ा कम हो जाती है। लेकिन शुद्ध स्राव जारी है। पुराना होने पर यह एक बूंद की तरह सफेद और लाख हो जाता है। मवाद के इस पुराने चरण को लालमेह या जीएलईईटी कहा जाता है।
यह रोग यह रोग गोनोकोक्कस संक्रामक कीटाणु के कारण उत्पन्न होता है जो कि किसी भी महिला या पुरुष के जौनांगो में मौजूद होता है और फिर आपस में संभोग करने से यह कीटाणु एक दूसरे में आसानी से फैल जाता है कई बार यह बीमारी हमें डॉक्टरों के उपकरण के द्वारा भी आ सकती है क्योंकि अगर डॉक्टर किसी यन्त्र का इस्तेमाल इस बीमारी से रहित इंसान के इलाज में करते हैं और फिर उसको बिना किसी स्वस्थ इंसान के ऊपर इस्तेमाल करते हैं तब ये कीटाणु उस स्वस्थ इंसान के शरीर में चला जाता है और ऐसे ही यह बीमारी आपस में आगे बढ़ती है हालांकि यह बीमारी पुरुषों के अलावा किसी जानवर या अन्य प्राणी में उत्पन्न नहीं होती
पुरुषों में सूजाक (गोनोरिया) के लक्षण – Symptoms of gonorrhoea in Men in Hindiएक पीली या सफेद या हरा मूत्रमार्ग निर्वहन
पेशाब करते समय दर्द या बेचैनी
टेस्टिकल्स या स्क्रोटम में दर्द
लिंग के सिर के आसपास लाली (Redness)
गुदा (Anal) निर्वहन में असुविधा
खुजली, निगलने में कठिनाई, या गर्दन लिम्फ नोड में सूजन
आंखों में दर्द, हल्की संवेदनशीलता, या आंखों का निर्वहन पस जैसा दिखता है
जोड़ों में सूजन, दर्द होना

महिलाओं में सूजाक (गोनोरिया) के लक्षण 

ज्यादातर महिलाओं में गोनोरिया के लक्षण नजर नहीं आते फिर इसके कुछ लक्षण हैं :असामान्‍य योनि निर्वहन
दर्दनाक यौन संभोग
बुखार
उल्टी और पेट या श्रोणि दर्द
संभोग के बाद खून बहना
गले में दर्द, खुजली, निगलने में कठिनाई, या सूजन
अनियमित योनि रक्‍तस्राव
मूत्र विर्सजन के समय असुविधा
श्रोणि दर्द (Pelvic pain), विशेष रूप से संभोग के दौरान
गुदा निर्वहन और असुविधा

रोड लक्षण 

रोग के स्पष्ट लक्षणों से इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। इसका दुख सूर्योदय से सूर्यास्त तक होता है, यानी दिन के दौरान ही। नया गोनोरिया 1 सप्ताह में हल हो जाता है। यदि रोग पुराना हो जाता है, तो गठिया हो जाता है, यदि आंख पर हमला होता है, तो आंख नष्ट हो जाती है, यदि प्रसव के समय बच्चे की आंख में गोनोरिया का जहर दिखाई देता है, तो बच्चा अंधा हो जाता है।

अगर इलाज नहीं किया जाता है तो गोनोरिया गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूबों में फैल सकता है जिससे पेल्विक इन्‍फ्लैमरेटरी रोग होता है। ऐसी स्थिति जो बांझपन (infertility) सहित जटिलताओं का कारण बन सकती है।
अधिकांश पुरुष 1-3 दनों के भीतर लक्षण दिखने लगते हैं। अगर महिलाएं लक्षण विकसित करती हैं तो यह कुछ ज्‍यादा समय ले सकते हैं।

पुराने सुजाक रोग की आयुर्वेदिक और घरेलु उपचार

*रीवांड का 3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से भी पुरानी सुजाक रोग दूर हो सकता है।
*केले के तने से निकाले गए 250 ग्राम रस को चीनी के साथ मिलाकर सेवन किया जा सकता है।
*2 पक्की हुई फिटकरी को छाछ के साथ लेने से सुजाक दूर होता है।
*सुजाक होने पर (जननेंद्रिय में घाव), 8-8 ग्राम पिसी हुई हल्दी को फंकी पानी के साथ रोजाना लेने से घाव में लाभ होता है।
*भुनी हुई फिटकरी और गेरू को बराबर मात्रा में लें और इसकी चीनी को दो बार मिलाएं और इसे रखें। इसके 7 टुकड़े गाय के दूध के साथ लेने से गोनोरिया मिट जाता है।
*1 रत्ती त्रिभुज भस्म और कबाब को मिश्री के मक्खन या मलाई में मिलाकर सेवन करने से सुजाक मिट जाता है। यदि वांछित है, तो आप चीनी भी जोड़ सकते हैं।
*3 माशा अजमोद को बकरी के दूध के साथ लेने से सूजाक रोग ठीक हो जाता है।
*गेंदे का पानी पीने से गोनोरिया ठीक हो जाता है।
गर्म दूध में गुड़ मिलाकर पीने से गोनोरिया मिट जाता है।
*सुजाक रोग (गोनोरिया) होने पर किन चीजों से दूर रहें?लाल मिर्च, मसाले, खट्टी चीजें, अचार, चटनी, मांस, अंडे, शराब, मक्खन, चाय, कॉफी, मैथुन, अधिक चलना, गुड़ और तिल और इनसे बनी सभी प्रकार की गर्म और तली हुई चीजें, मिठाई से दूर रहें
*यदि आप कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध बना रहे हैं तो नियमित रूप से अपनी दिनचर्या की जांच करना महत्वपूर्ण है। सुजाक को रोकने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। इसलिए, हर 3 से 6 महीने की जांच करें।
आपको कुछ ऐसी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है जो कि आपको इन समस्याओं से बचा सकती है जैसेकिसी भी महिला या पुरुष को किसी गैर मर्द या महिला के साथ संभोग नहीं करना चाहिए
*आप को संभोग करते समय कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए
आपको संभोग के दौरान किसी भी प्रकार के जौनांगो को चुमना नहीं चाहिए
*आपको अगर इस प्रकार की समस्या उत्पन्न हो जाती है तब तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाना चाहिए
*अगर आपके घर में कोई इस समस्या से परेशान है तब आपको उसके तोलिए, टॉयलेट की सीट, व बाथटब आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
*आपको कभी भी स्विमिंग पूल में स्नान नहीं करना चाहिए
*आपको डॉक्टरों से इस प्रकार की समस्या का इलाज व चेकअप करवाते समय डॉक्टरों के यंत्रों को अच्छे से सैनिटाइज करवाना चाहिए
*गर आपको इस प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न हो जाती है तब आप इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कुछ घरेलू आयुर्वेदिक चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसेआपको अपने घाव के ऊपर सुपाडी का चूर्ण लगाना चाहिए यह आपके लिए बहुत फायदेमंद होता है
*आपको बड़ के पत्तों की भरम पान में डालकर खानी चाहिए यह भी बहुत फायदा करता है
*आपको सिरस की छाल को पानी में घोलकर रसौत के साथ मिलाकर अपने घाव के ऊपर लगाना चाहिए जिससे आपके घाव में जलन कम हो जाती है वह घाव के जल्दी ठीक होते हैं
*आपको गाय के घी में चमेली के ताजा पत्ते का रस और 2 , 2 तोला राल मिलाकर पीना चाहिए इससे घाव जल्दी मिट जाते हैं
*आपको चिरचिटा की धूनी लगानी चाहिए इससे भी आपके घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं
*आपको छोटी अरंडी के पत्तों का रस दिन में दो से तीन बार पीना चाहिए
*आप अपने घाव के ऊपर अनार की छाल के चूर्ण को लगाना चाहिए यह भी आपके लिए बहुत फायदेमंद होती है
*आपको इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए ताड़ के हरे पत्तों का रस पीना चाहिए इससे आपके घाव ठीक हो जाते हैं व सूजन कम हो जाती है
*सूजाक का उपचार कराने के लगभग एक सप्‍ताह तक किसी भी प्रकार से यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए, यहां तक की कंडोम का उपयोग के साथ भी नहीं। इसके उपचार के दौरान और निदान के एक सप्‍ताह बाद तक किसी भी साझेदार के साथ यौन संबंध नहीं रखना बेहतर होता है।

गोनोरिया से कैसे बचें

पुन: संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका अपने साथी को सूचित करना है, यह भी सुनिश्चित करना कि मौजूदा साथी का इलाज किया जा चूका है और भविष्य में सम्भोग के समय हमेसा कंडोम का उपयोग किया जाना चाहिए।
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