18.6.23

यकृत( Liver) के रोग (Ailments) और निष्क्रियता के लक्षण और रामबाण हर्बल औषधि



 पीलिया यकृत की विकृति अर्थात यकृत के रोगग्रस्त होने के कारण होने वाला रोग है | यकृत के रोग ग्रस्त होने के बाद सबसे पहले लक्षण के रूप में पीलिया (Jaundice) ही प्रकट होता है | इसमें रोगी के त्वचा, नाखूनों, आँखों, एवं मूत्र में पीले रंग की अधिकता हो जाती है | इसका मुख्य कारण रक्त में पित रस की अधिकता (Bile Juice) होना होता है | वैसे दिखने में यह बहुत ही साधारण सा रोग प्रतीत होता है , लेकिन अगर सही समय पर उपचार एवं उचित आहार न लिए जाएँ तो पीलिया जानलेवा रोग बन जाता है |

  पीलिया और अन्य लिवर विकारों से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक उपचार की मदद ली जा सकती है। पीलिया एक बहुत ही आम यकृत विकार है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें बहुत अधिक बिलीरुबिन रक्त में घूल जाता है। (बिलीरुबिन लाल रक्त कोशिकाओं से हीमोग्लोबिन के टूटने से उत्पन्न एक यौगिक है)। पीलिया एक शब्द है जिसका उपयोग त्वचा, श्लेष्मा झिल्ली और आंखों का पीला रंग, रक्त में सीरम बिलीरुबिन की अपर्याप्त समाशोधन और बढ़ी हुई मात्रा के कारण होता है।

लिवर में खराबी की पहचान 

पेट के एक हिस्से में लगातार दर्द होना: वैसे तो पेट दर्द होने के कई कारण हो सकते है लेकिन अगर आपके पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से या पसलियों के नीचे दाहिने भाग में लगातार दर्द हो रहा है तो इसका मतलब आपके लिवर में कुछ खराबी है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और उन फूड का सेवन कम करें जिससे आपकी स्थिति बिगड़ने की आशंका हो जैसे जंक फूड, फास्ट फूड आदि।

पेट पर सूजन आना: 

पेट पर सूजन आ जाना या फिर पेट बाहर की ओर निकल जाना लिवर सिरोसिस नाम की बीमारी का संकेत है। इस स्थिति में आपके पेट में तरल पदार्थ जमा होने लगता है और आंतों से रक्तस्राव होने लगता है। अगर समय रहते इस स्थिति का उपचार ना किया जाए तो लिवर कैंसर की शिकायत हो सकती है।

स्किन पर रैशेज़ की समस्या: 

स्किन पर शुरुआत में खुजली और फिर त्वचा पर पड़ने वाले चकत्ते लिवर में खराबी आने की ओर इशारा करते हैं। अगर आपकी स्किन रूखी होने लगी है तो समझ लीजिए कि आपका लिवर सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। त्वचा का नम बने रहना जरूरी होता है इसलिए हाइड्रेट रखने वाले फूड का सेवन करते रहें।

पीलिया होना: 

अगर आपके कुछ दिनों से आंखों का रंग पीला और त्वचा का रंग सफेद हो रहा है तो यह इस बात का संकेत है कि आपके खून में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने लगा है। इस स्थिति में आपके शरीर से अनावश्यक पदार्थों का बाहर निकलना संभव नहीं हो पाता।

वजन कम होना:

 अगर आपका वजन बिना किसी वजह के कम हो रहा है तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। लिवर में किसी प्रकार की खराबी आने पर भूख कम लगने लगती है, जिस कारण वजन कम होना शुरू हो जाता है। इस स्थिति में आपको इलाज लेने की आवश्यकता होती है।

मुंह से बदबू आना


अगर आपके मुंह में लगातार बदबू (Smell in Mouth) आने की समस्या रहती है तो यह लिवर में खराबी या उसके कमजोर होने का एक संकेत हो सकता है। मुंह से बदबू आना शरीर में पानी की कमी के कारण भी हो सकता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। ऐसा करने से आपके मुंह से बदबू नहीं आती है। दरअसल सिरोसिस (Cirrhosis) की परेशानी होने पर रक्त में मौजूद डाइमिथाइल सल्फाइड (Dimethyl sulfide) की वजह से भी ऐसा होता है।

त्वचा पर नीली रेखाएं पड़ना

अगर आपका लिवर कमजोर हो गया है या उसमें किसी प्रकार की खराबी आ गई है या फिर वह सही तरीके से काम नहीं कर रहा है तो आपकी त्वचा पर मकड़ी के जाले जैसे नीली रेखाएं बनने लगती है। ऐसा शरीर में एस्ट्रोजन (Estrogen) की मात्रा बढ़ने की वजह से भी होता है। इसलिए त्वचा पर भी जब आपको ऐसा लगे कि नीली रंग की रेखाएं उभरने लगी हैं तो समझ लीजिए कि आपका लिवर कमजोर हो चुका है।

मल में परिवर्तन आना: 

लिवर खराब होने की स्थिति में किसी भी व्यक्ति को कब्ज और अपच की शिकायत होने लगती है। इस स्थिति के लंबे वक्त तक बने रहने से मल में खून आने लगता है और मल का रंग काला हो जाता है।

थकान महसूस होना:

 ज्यादा देर तक काम करने के बाद थकान होना स्वाभाविक है। लेकिन अगर आपने पूरे दिन कुछ काम नहीं किया फिर भी आपको थकान महसूस हो रही है, चक्कर आने जैसा महसूस हो रहा है और मांसपेशियों में कमजोरी सी लग रही है तो यह आपके लिवर खराब होने का संकेत है।|

हथेलियों का लाल होना


अगर आपकी हथेलियां नियमित रूप से लाल रहने लगी है या फिर उनमें आपको रैशेज जैसी दिक्कत हो रही है तो या उनमें जलन व खुजली हो रही हैं तो समझ लीजिए आपका लिवर कमजोर होने लगा है और आपके लिवर में किसी न किसी प्रकार की दिक्कत आ रही है।


मूली के पत्ते

मूली के कुछ पत्ते लें और एक छलनी की मदद से इसका रस निकालें। लगभग आधा लीटर रस प्रतिदिन पीने से लगभग दस दिनों में रोगी को पीलिया रोग से छुटकारा मिल जाता है।

पपीता के पत्ते

एक चम्मच पपीते के पत्तों के पेस्ट में एक चम्मच शहद मिलाएं। इसे नियमित रूप से लगभग एक या दो सप्ताह तक खाएं। यह पीलिया के लिए एक बहुत प्रभावी घरेलू इलाज है।

गन्ना

गन्ना उचित पाचन और उचित यकृत के कार्य में मदद करता है, जिससे रोगी को पीलिया ( Jaundice) से जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। एक गिलास गन्ने का रस लें और इसमें थोड़ा सा नींबू का रस मिलाएं। बेहतर परिणाम के लिए इस रस को रोजाना दो बार पियें। गन्ने से रस निकालने से पहले गन्ने को अच्छी तरह साफ करना सुनिश्चित करें।

तुलसी के पत्ते

लगभग 10-15 तुलसी के पत्ते लें और इसका पेस्ट बना लें। इसमें आधा गिलास ताजा तैयार मूली का रस मिलाएं। बेहतर परिणाम के लिए लगभग दो से तीन सप्ताह तक इस जूस को रोजाना पिएं।

आंवला

आंवला विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है और Jaundice (पीलिया) के लक्षणों को कम करने में बहुत उपयोगी है।

पीलिया का इलाज जौ:liver disease 

जौ का पानी बनाने के लिए जो को लगभग तीन लीटर पानी में उबालें और इसे लगभग तीन घंटे तक उबालने दें। Jaundice (पीलिया) से जल्दी ठीक होने के लिए इस पानी को दिन भर में जितनी बार पी सकें पीयें।

टमाटर का रस

एक गिलास टमाटर का रस, एक चुटकी नमक और काली मिर्च के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट पीना पीलिया के लिए बहुत प्रभावी घरेलू उपाय है।

एलो वेरा के पत्ते

भारतीय एलोवेरा की पत्तियों का गूदा लें और इसे काले नमक और अदरक के साथ मिलाएं। इसे रोज सुबह लगभग दस दिनों तक लें।

चुकंदर और नींबू का रस:liver disease 

एक कप चुकंदर का रस लें और इसमें नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाएं और प्रभावी परिणाम के लिए कुछ दिनों तक नियमित रूप से इसका सेवन करें।

चिकोरी प्लांट

जड़ी बूटी (फल, पत्ते, फूल, बीज और जड़) का एक रस बनाएं। इस रस का एक चम्मच दिन में कई बार लें। इसका प्रयोग कम से कम 15 दिन करें। जिगर की समस्याओं को ठीक करने में पौधे के सभी भाग उपयोगी होते हैं। फूल, बीज और जड़ें उपयोग किए जाने वाले अधिक सामान्य भाग हैं। शिमला मिर्च का रस तिल्ली के बढ़ने, जिगर की सुस्ती का इलाज करने में मदद करता है और यह पित्त के स्वस्थ स्राव को भी बढ़ावा देता है।

पीलिया को जड़ से ख़त्म करे छाछ:liver disease 

पर्याप्त मात्रा में छाछ लें, उसमें भुनी हुई फिटकरी (roasted alum) और थोड़ी सी काली मिर्च मिलाएं। इन्हें अच्छे से मिलाएं। बेहतर परिणाम के लिए दिन में कम से कम तीन बार पियें।

बादाम

बादाम की 8 , दो खजूर और पांच इलायची लें और उन्हें पानी में भिगो दें। इसे रात भर छोड़ दें। सुबह में, छिलके को हटा दें और इसका पेस्ट बनाएं। थोड़ी चीनी और मक्खन मिलाएं। इस मिश्रण को दिन में कई बार लें।

हल्दी:liver disease 

एक गिलास गर्म पानी लें और इसमें एक चुटकी हल्दी मिलाएं। अच्छी तरह से मिलाएं और दिन में तीन या चार बार पिएं।

लौकी के पत्ते

लगभग 7-10 पत्ते लें और इसे एक कप पानी में उबालें और इसे ठंडा होने दें। 10-15 धनिया के बीज लें और इसे आधा लीटर पानी में उबालें। इसे पहले से तैयार काढ़े के साथ मिलाएं। पीलिया के प्रभावी इलाज के लिए दिन में कम से कम तीन बार पियें।

पीलिया का रामबाण इलाज केला:liver disease 

पके केले को मसल लें और थोड़ा शहद मिलाएं और इसे दिन में कम से कम दो बार पीलिया के प्रबंधन में बेहतर परिणाम के लिए लें।

गाजर का रस

ताजा गाजर का रस जूसर की मदद से या क्रशिंग और एक्सट्रैक्टिंग विधि से बनाएं। Jaundice (पीलिया) के प्रभावी इलाज के लिए इस रस को दिन में कई बार पिएं। इसे रोगी के आहार में भी शामिल किया जा सकता है।

बेल के पत्ते

सूखे बेल के पत्ते लें और पीसकर पाउडर बना लें। इसे एक गिलास पानी में मिलाएं। पीलिया के प्रभावी इलाज के लिए इसे दिन में एक बार पियें।

नींबू

नींबू में उपलब्ध एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पीलिया (jaundice) के इलाज में मदद करता है। यह पित्त नलिकाओं को भी अनब्लॉक करता है, जिससे यह पीलिया के लिए सबसे प्रभावी घरेलू उपाय बन जाता है। 2 नींबू का रस निचोड़ें और इसे एक गिलास पानी में मिलाएं। दिन में तीन बार इस थोड़ा-थोड़ा पीयें, क्योंकि यह जिगर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है।

मटर के पत्ते

मटर के पत्तों के रस को कुचलकर रस निकाल लें और पीलिया के इलाज के लिए इस रस का कम से कम 60 मिली प्रतिदिन सेवन करें। इनमें से फलियां भी बहुत पौष्टिक होती हैं और इन्हें आहार में जोड़ा जा सकता है।

पीलिया रोगी का आहार;liver disease 

दवाइयों से ज्यादा आहार की व्यवस्था इस रोग में आराम पहुंचती है | हमेशां रोगी के लिए क्या खाना है और क्या नहीं खाना की एक लिस्ट होनी चाहिए उसी के अनुसार रोगी को आहार देना चाहिए | बहुत से भोजन एसे है जो रोग को कम करने की बजाय और अधिक बढ़ा देतें है | इस रोग में निम्न आहार को अपनाना लाभदायक होता है |
इस रोग में गन्ने का रस लेना सर्वोतम सिद्ध होता है | हमेशां साफ़ एवं स्वच्छ गन्ने का रस सेवन करे , इससे जल्द ही पीलिया कम होने लगता है |
प्रात: के समय गन्ने के रस के साथ नारंगी का जूस भी सेवन करना फायदेमंद होता है |
संतरे का सेवन करे | संतरे का जूस निकाल कर भी सेवन कर सकते है |
पीलिया रोग में कच्चे नारियल का पानी पीना बहुत लाभकारी होता है | नित्य सुबह एवं शाम नारियल के पानी का सेवन करे |
अनार का रस लिया जा सकता है |
डाभ एवं जौ के पानी से भी पीलिया उतरने लगता है |
मूली के साफ़ सुथरे पतों को लेकर इनका जूस निकाल ले | इसका सेवन प्रात: काल के समय करना चाहिए |
दही में पानी मिलाकर इसकी छाछ बना ले एवं सेवन करे |
रात के समय एक गिलास पानी में मुन्नका को भिगों दे | सुबह मुन्नका के बीज निकाल कर इन्हें खालें और ऊपर से बच्चा हुआ पानी पीलें |
अनार , संतरा, अंगूर आदि फलों का सेवन इस रोग में लाभकारी होता है |
पपीता का सेवन करें |
मौसमी, पपीता, चीकू, अनार, संतरा आदि फलों का या इनके रस का सेवन करना चाहिए |
हमेशां पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन लें |
उष्ण, तीक्षण और अम्लीय पदार्थों का त्याग कर दें , अन्यथा रोग को गंभीर होते समय नहीं लगता |
शराब एवं अन्य प्रकार के नशे से दूर रहना ही अच्छा रहता है |

आसानी से पचने योग्य आहार को लेना चाहिए। आमतौर पर पहले 4 से 5 दिनों के लिए तरल आहार की सलाह दी जाती है।
मसाले और वसा के बिना उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार लेने की सलाह दी जाती है।
 हमेशा उबला हुआ पानी पियें। तरल पदार्थों का एक अच्छा सेवन मूत्र और मल के माध्यम से शरीर से अतिरिक्त बिलीरुबिन को हटाने में मदद करता है। सुनिश्चित करें कि आप साफ, बिना प्रदूषित पानी पीते हैं।
 सब्जियों और फलों के रस को कच्चे या स्टीम्ड रूप में लिया जाना चाहिए, क्योंकि वे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स के संतुलन को विनियमित करने में मदद करते हैं। डिब्बाबंद जूस से बचें।
लगभग एक सप्ताह तक फलों का रस रोगी के लिए बहुत प्रभावी है।
 एक बार जब बिलीरुबिन का स्तर कम होने लगता है, तो हल्के खाद्य पदार्थ जैसे फल, दही और दलिया को आहार में जोड़ा जा सकता है। इस समय गाजर और पालक जैसी सब्जियों का भी सेवन कर सकते हैं। दुबले प्रोटीन की कुछ मात्रा जल्दी ठीक होने में मदद करेगी और इसलिए आप अंडे का सेवन भी कर सकते हैं। यह सलाह दी जाती है कि अपने भोजन को छोटे भागों में विभाजित करें और दिन में उन्हें बार बार खाएं।
जैसा कि बिलीरुबिन का स्तर लगभग सामान्य स्तर पर कम हो जाता है, आप अपने आहार में चावल, मछली या दाल जैसे खाद्य पदार्थ शामिल कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि खाद्य पदार्थों को पकाने के लिए किसी तेल का उपयोग नहीं किया गया है। मछली को उबला हुआ या स्टीम्ड हो तो खा सकते हैं। मांस या मुर्गी खाने से बचें क्योंकि इस समय इसे पचाना मुश्किल हो सकता है।
एक बार पीलिया के लक्षण कम हो गए हैं और रोगी को इसके लिए डॉक्टर की मंजूरी मिल गई है, तो जैतून के तेल में पकाए गए खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन कोलेस्ट्रॉल से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने से बचने की कोशिश करें और जो इस समय पचाने में मुश्किल होते हैं क्योंकि शरीर को अपने सामान्य कामकाज को फिर से हासिल करने के लिए समय की आवश्यकता होती है।
करेला और सहजन की फली (ड्रमस्टिक) पीलिया के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं।
कैल्शियम और अन्य खनिजों जैसे आयरन और मैग्नीशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं।

सोडा और कोल्ड ड्रिंक का सेवन ना करें: 

कोल्ड ड्रिंक और सोडा में बहुत ज्यादा शुगर की मात्रा होती है। इससे आपका वजन बढ़ता है साथ ही ये लिवर के लिए भी खतरनाक हैं। लंबे समय तक सोडा और कोल्ड ड्रिंक के सेवन से लिवर डैमेज होने का खतरा होता है। इसका खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है, जो पहले से ही मोटे हैं।

अत्याधिक शराब का सेवन -

 शराब का ज्यादा सेवन करना भी आपके लिवर को खराब कर देता है।

मोटापा खतरनाक है: 

मोटापा शरीर के लिए खतरनाक है। जरूरत से ज्यादा खाने से शरीर में एक्सट्रा फैट हो जाता है, जो स्टोरिंग सेल से बाहर आकर लिवर में जमा होने लगता है। इससे लिवर डैमेज होने लगता है। लिवर फैटी होने से हार्ट और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है इसलिए अपने आहार और एक्सरसाइज पर ध्यान दें।

हेपेटाइटिस:

हेपेटाइटिस के कारण लिवर प्रभावित होता है और इसमे सूजन आ जाती है। अगर सही समय पर हेपेटाइटिस का इलाज ना किया जाए, तो यह गंभीर रूप ले लेती है जिसे फाइब्रोसिस अथवा लिवर कैंसर तक हो सकता है। एल्‍कोहल, गंदे पानी और ऑटोइम्‍यून डिजीज के कारण हेपेटाइटिस का खतरा होता है।

नींद की कमी होना: 

नींद की कमी के कुछ ऐसे प्रभाव हैं जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती। जिस वजह से हम लिवर को नुकसान पहुँचा देते है। नींद की कमी से लीवर पर अधिक दबाव पड़ता है। लीवर के साथ साथ अपने शरीर के अन्य अंगों को ठीक रखने के लिए भी हमें 8 घंटे की नींद लेना जरूरी है।

 सिगरेट और शराब की लत होना: 

सिगरेट की आदत एक जानवेला आदत है जो आपके शरीर को किसी भी तरह से नुकसान पहुँचा सकती है। सिगरेट के धुए में पाए जाने वाले जहरीले केमिकल्स अंत में आपके लीवर तक पहुँचते हैं और लिवर सेल्स को नुकसान पहुँचाते हैं। इसके अलावा शराब लिवर के लिए जहर की तरह काम करता है। लंबे वक्त तक अधिक मात्रा में शराब पीने वाले लोगों का लिवर फेल हो सकता है।
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विशिष्ट परामर्श-



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अजवाइन (Ajwain) के उपयोग (Uses) और नुस्खे

 



  अजवाइन को आमतौर पर कैरम या बिशप वीड्स के रूप में जाना जाता है। इसमें एसेंशियल ऑयल होता है, जो कई बायोएक्टिव कंपाउंड से बना होता है, और इसलिए इसका औषधीय महत्व है। अजवाइन साल भर उपलब्ध रहती है। अजवाइन के पत्ते पंखदार होते हैं। अजवाइन झाड़ी का फल है, जो छोटा, अंडाकार आकार का और हल्के पीले रंग का होता है।
अजवाइन सौंफ और जीरे की तरह दिखती है। प्राचीन काल से भारतीय, अफ्रीकी और मध्य पूर्वी देशों में खाना पकाने के लिए अजवाइन का इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह खाने का स्वाद भी बढ़ाती है और चटनी, अचार और जैम में प्रेज़रवेटिव की तरह काम करती है। इसमें डाइजेस्टिव फाइबर का एक अनूठा स्रोत होता है जो पेट की सेहत अच्छी रखने में मदद करता है।
पाचन प्रक्रिया को ठीक रखने के लिए अजवाइन और हरड़ को बराबर मात्रा में पीस लें। हींग और सेंधा नमक स्वादानुसार मिलाकर चूर्ण बना कर किसी बोतल में भर लें। इस चूर्ण का एक चम्मच गर्म पानी के साथ लें। 10 ग्राम पुदीने का चूर्ण, 10 ग्राम अजवाइन और 10 ग्राम कपूर एक साफ बोतल में डालकर धूप में रखें। तीनों चीजें गलकर पानी बन जाएंगी। इसकी 5-7 बूंदें बताशे के साथ खाने से मरोड़, पेट दर्द, जी मिचलाने जैसी समस्या में लाभ होगा।

ajwain benefits

एक कप छाछ के साथ एक चम्मच अजवाइन खाने से सर्दी-जुकाम के कारण बनने वाले कफ में राहत मिलती है। एक चम्मच अजवाइन के दानों को हाथ से मसल कर बारीक कर लें और इसे थोड़े से गुड़ के साथ मिलाकर टॉफी की तरह चूसकर सेवन करें, लाभ होगा। एक मुलायम कपड़े में थोड़ी सी अजवाइन डाल कर पोटली बना लें। इसे तवे पर गर्म कर चेस्ट की सिकाई करें, आराम मिलेगा।

ajwain benefits

कब्ज होने पर 10 ग्राम अजवायन, 10 ग्राम त्रिफला और 10 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना इसमें से 3 से 5 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी के साथ लें, बहुत जल्द ही आराम होगा।
एक कप पानी में एक चम्मच पिसी अजवाइन और थोड़ा सा नमक उबालें। पानी गुनगुना रह जाए तो उसे मुंह में लेकर कुछ देर रोकें और फिर कुल्ला कर फेंक दें। ऐसा दिन में तीन बार करें। अजवाइन भून कर पीस लें। इस तैयार चूर्ण से मंजन करने पर मसूढ़ों की बीमारियों में आराम मिलता है।

ajwain benefits

अपच होने पर एक कप पानी में एक चम्मच अजवाइन के बीज उबालें। थोड़ा ठंडा होने पर पिएं। एक ग्राम अजवाइन में एक चुटकी नमक मिलाकर चबा-चबा कर खाने से पेट में बनी गैस से होने वाले पेट दर्द में आराम मिलता है। तीन चम्मच अजवाइन के बीजों में नीबू का रस और थोड़ा सा काला नमक मिलाएं। इस मिश्रण को गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार खाएं। आधा लीटर पानी में एक-एक चम्मच अजवाइन और सौंफ के बीज डाल कर धीमी आंच पर पकाएं। ठंडा होने के बाद भोजन के बाद हर रोज पिएं
अजवाइन के औषधीय उपयोग और सेहत को मिलने वाले फायदे:अजवाइन के अर्क से मेथॉक्ससेलेन दवा बनाई जाती है। यह कैप्सूल, टॉपिकल क्रीम जैसा अलग-अलग फॉर्मेट में उपलब्ध है। विटिलिगो (स्किन पिगमेंटेशन का आंशिक नुकसान) सोरायसिस जैसी त्वचा की समस्याओं के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है।
प्राचीन काल से हर्बल फॉर्मूलेशन तैयार करने के लिए अजवाइन का इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि उनका मानना है कि यह शरीर के सिस्टम को संतुलित कर सकता है।
अजवाइन में कई स्वास्थ्यप्रद और उपचारात्मक गुण हैं।
अजवाइन घुलनशील डाइटरी फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, और यह पेट की समस्याओं में पाचन तंत्र को बेहतर करने, आंतों की सेहत में सुधार करने के लिए जाना जाता है। यह पेट फूलने की समस्या से राहत दिलाने में भी मदद करती है।
अजवाइन मांसपेशियों में ऐंठन के दर्द, अपच के कारण पेट की समस्या, छाती में जलन और भूख न लगने के इलाज में फायदेमंद होती है।
अजवाइन एंटी-ऑक्सीडेंट का बेहतरीन स्रोत है और इसलिए यह दिल के मरीजों के लिए वरदान है। एंटीऑक्सीडेंट शरीर में अच्छे और खराब कोलेस्ट्रॉल को मैनेज कर सकते हैं और इस तरह से ये दिल की बीमारियों को रोकते हैं।
अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल (जीवाणुरोधी) और एंटी-फंगल (फंगस रोधी) गुण होते हैं और इसलिए यह फूड पोइज़निंग और आंत व पेट की समस्याओं को रोकने के लिए साल्मोनेला, ई कोली और फंगई जैसे बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करती है।
अजवाइन के अर्क में प्रमुख केमिकल कंपाउंड (रासायनिक यौगिक) होते हैं जो कैल्शियम चैनलों को ब्लॉक करते हैं, जो ब्लड प्रेशर लेवल को और कम कर सकते हैं।
अजवाइन को चबाना अपच और पेट फूलने जैसी समस्याओं को खत्म करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है।
अजवाइन की चाय डायरिया, पेचिश, स्पास्मोडिक (ऐंठन) दर्द के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद है।
अजवाइन का तेल स्टीम डिस्टिलेशन (भाप आसवन) प्रक्रिया द्वारा तैयार किया जाता है और यह रह्यूमेटिक दर्द के इलाज में बहुत असरदार है इसलिए इसे दर्द वाली जगह पर लगाया जाता है।
अस्थमा (दमा) और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियों के इलाज के लिए अजवाइन और अदरक के अर्क का मेल काफी असरदार होता है।
अजवाइन वायु प्रवाह और फेफड़ों के कामकाज में सुधार करती है।
अजवाइन में ब्रोंको-डाइलेटिंग प्रभाव होता है, यह फेफड़ों में ब्रोन्कियल नलियों को फैलाने में मदद करता है जिससे हल्के अस्थमा में राहत मिलती है।
अजवाइन का पानी एक बेहतरीन माउथ वॉश है, और यह अच्छी ओरल हाइजीन बनाए रखने में मदद कर सकता है।
अजवाइन गर्भवती महिलाओं की अपच संबंधी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद है; यह गर्भाशय और पेट को साफ करने में मदद करती है, जिससे अनियमित पीरियड्स की समस्या दूर हो जाती है।
नियमित रूप से अजवाइन का पानी पीने से मेटाबोलिज्म बढ़ता है, जिससे शरीर की चर्बी कम करने में मदद मिलती है
अजवाइन में एंटीबायोटिक गुण होते हैं, और यह लाली को कम करने और जलन व सूजन के लिए फायदेमंद होती है।
अजवाइन के एनेस्थेटिक गुणों के कारण यह दर्द और सूजन को दूर करने में मदद करती है।
सिर, कान और दांत दर्द के लिए अजवाइन :

कान के दर्द से राहत पाने के लिए अजवाइन के तेल की कुछ बूंदें काफी हैं। दांत दर्द से तुरंत राहत पाने के लिए अजवाइन और नमक का गुनगुने पानी का मिश्रण बहुत असरदार होता है। कभी-कभी जले हुए अजवाइन का धुंआ दांत दर्द के लिए ज़्यादा असरदार होता है। अजवाइन में एक आवश्यक बायोएक्टिव घटक, यानी थाइमोल होता है जो एक मजबूत कवकनाशी और कीटाणुनाशक है। इसलिए, स्किन इंफेक्शन से राहत पाने के लिए अजवाइन को पीसकर लगाया जाता है।
एक्ने और पिंपल्स की रोकथाम के लिए अजवाइन:
अजवाइन में अलग-अलग एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी घटक होते हैं, और इसलिए अजवाइन के बायोएक्टिव अर्क भी एक्ने और पिंपल्स जैसी स्किन की समस्याओं को कम करने में मददगार होते हैं। अजवाइन में मौजूद थाइमोल और कार्वैक्रोल बैक्टीरिया और फंगस को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं। अजवाइन पाउडर सप्लीमेंट मुँहासे के निशान को हल्का करने में मदद करते हैं।
अजवाइन के प्रोडक्ट और उनकी अनुशंसित डोज़:
अजवाइन की आयुर्वेदिक डोज़ इसके रूपों के मुताबिक अलग-अलग होती है। अजवाइन प्रोडक्ट्स के विभिन्न रूप
प्रोडक्ट कैसे इस्तेमाल करें दिन में कितनी बार
चूर्ण पाचन को बेहतर बनाने के लिए खाने से पहले और बाद में गुनगुने पानी के साथ आधा चम्मच अजवाइन चूर्ण लें। दो बार
काढ़ा एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन डालकर 10 मिनट तक उबालें। अस्थमा (दमा) और सर्दी के लिए आधा चम्मच अजवाइन का काढ़ा लें। तीन बार
पेस्ट भुने हुए अजवाइन और गुड़ को मिलाकर मिक्सी में पेस्ट बना लें। इसे खाना खाने के बाद लें। दो बार
गोली गर्म पानी के साथ अजवाइन की एक गोली लें। दो बार
अर्क खाने के बाद अजवाइन अर्क की पाँच बूँदें गर्म पानी के साथ लें।
दो बार
अजवाइन के साइड इफेक्ट और सावधानियां:अजवाईन के ज़्यादा सेवन से पेट में गैस बन सकती है, जिससे एसिडिटी और रिफ्लक्स हो सकता है।
कुछ लोगों को अजवाइन के बीज से एलर्जी होती है, जो थाइमोल की मौजूदगी के कारण होता है, जिससे चक्कर आना, मतली और उल्टी हो सकती है।
अजवाइन के कुछ बायोएक्टिव कंपाउंड ज़्यादा असर डाल सकते हैं, इनसे मुंह में इंफ्लेमेशन हो सकता है, जिसके कारण जलन और मुंह में छाले हो सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं को बहुत ज़्यादा मात्रा में अजवाइन लेने से बचना चाहिए क्योंकि भ्रूण के विकास पर इसका उल्टा असर पड़ने की संभावना है।
अजवाइन को ज़्यादा मात्रा में खाने को विषैला माना जाता है; इसका परिणाम घातक पोइज़निंग हो सकता है।
सर्जरी के दौरान और बाद में अजवाइन सप्लीमेंट लेने से ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, सर्जरी से 2 हफ्ते पहले अजवाइन का सेवन बंद करने की सलाह दी जाती है।
अजवाइन का अन्य दवाओं के साथ इंटरेक्शन (परस्पर क्रिया):कभी-कभी अजवाइन खून के थक्के जमने की प्रक्रिया को धीमा कर सकती है। अगर कोई खून पतला करने जैसी दवाएं ले रहा है तो अजवाइन का सेवन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। आइबूप्रोफेन, डाइक्लोफेनेक, वार्फरिन और एस्पिरिन जैसी दवाओं में खून पतला करने वाले पदार्थ होते हैं।
अजवाइन उन दवाओं में भी हस्तक्षेप कर सकती है जो लीवर में ब्रेक डाउन होती हैं। लीवर में लवास्टैटिन, केटोकोनाज़ोल और इट्राकोनाज़ोल जैसी दवाएं ब्रेक डाउन होती हैं। अगर आप इनमें से कोई भी दवा ले रहे हैं तो अजवाइन का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
यदि आप ऐसी दवा ले रहे हैं जो लीवर पर दबाव डालती है, तो अजवाइन खाने से बचना चाहिए, अजवाइन लीवर को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं के साथ-साथ लीवर के खराब होने की संभावना को बढ़ा सकती।

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30.5.23

पत्थरचट्टा का उपयोग कैसे करें,How to use Patharchatta

                                            


पत्थरचट्टा के फायदे (Benefits of Patharchatta)

पत्‍थरचट्टा (Patharchatta) एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, पत्थरचट्टा का वैज्ञानिक नाम ब्रायोफिलम पिनाटा (Bryophyllum pinnatum) है। आमतौर पर पथरचटा को अन्‍य नामों जैसे कि मिरेकल लीफ (Miracle Leaf), एयर प्‍लांट (air plant), कैथेड्रल वेल (cathedral bells), लीफ आफ लाइफ (leaf of life) और गोएथे पौधे (Goethe plant) के रूप मे जाना जाता है। यह एक लोकप्रिय घरेलू पौधा है जो उष्‍णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से होता है। यह क्रसुलाकेआ (Crassulaceae) परिवार से संबंधित है। पथरचटा के फायदे बहुत से घरेलू उपचारों के लिए उपयोग किये जाते है। पथरचटा के गुण पथरी हटाने, रक्‍तचाप, सिरदर्द, अस्‍थमा, मूत्ररोग आदि को ठीक करने के लिए जाने जाते है। आइये जाने पत्‍थरचट्टा के फायदे और पत्‍थरचट्टा के नुकसान (Patharchatta ke fayde aur Nuksan) के बारे में।
पत्थरचट्टा (Patharchatta) में मौजूद स्वास्थ्यवर्धक गुण कई रोगों का इलाज करने में मदद करते हैं। पत्थरचट्टा पथरी (kidney stones) से लेकर स्किन से जुड़ी समस्याओं जैसे एक्ज़िमा और रैशेजआदि से राहत पाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस गुणकारी और सदाबहार पौधे के इस्तेमाल से प्राप्त होने वाले प्रमुख स्वास्थ्य लाभों में निम्न शामिल हैं -
1किडनी के लिए पत्थरचट्टा को काफी लाभदायक औषधि माना गया है। कुछ अध्ययनों के अनुसार जिन लोगों को गुर्दे में पथरी होने का खतरा है, उनके लिए पत्थरचट्टा का इस्तेमाल करना काफी अच्छा विकल्प हो सकता है।

2. पत्थरचट्टा से करें ब्लड प्रेशर कंट्रोल

पत्थरचट्टा के पत्तों (Patharchatta leaves) से प्राप्त होने वाले रस में खास प्रकार के तत्व होते हैं, जो रक्तचाप (blood pressure levels) के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं। पत्थरचट्टा का नियमित सेवन हृदय के लिए भी अच्छा रहता है।
3. त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है पत्थरचट्टा

पत्थरचट्टा के पत्तों में खास प्रकार के कंपाउंड पाए जाते हैं, जो घाव के ठीक होने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं। साथ ही इसमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण सूजन, लालिमा व जलन जैसे लक्षणों को भी कम कर देते हैं।
4. संक्रमण को फैलने से रोकता है पत्थरचट्टा

पत्थरचट्टा पर कुछ अध्ययन किए गए और इसमें पाया गया कि इसके पत्तों में एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल एजेंट पाए जाते हैं, जो संक्रमण का कारण बनने वाले कुछ प्रकार के बैक्टीरिया और फंगस नष्ट करने की क्षमता रखते हैं।
हालांकि, पत्थरचट्टा से प्राप्त होने वाले उपरोक्त लाभ आमतौर पर कुछ प्रकार के अध्ययनों पर आधारित हैं और हर व्यक्ति के शरीर पर इसका अलग प्रभाव हो सकता है।
पत्थरचट्टा के नुकसान (Side effects of Patharchatta)

पत्थरचट्टा का सेवन कुछ लोगों के शरीर में विषाक्त प्रभाव पैदा कर सकता है और ऐसे में उन्हें निम्न लक्षण हो सकते हैं -
पेट में दर्द(stomach ache)
सीने में जलन (heart burn)
जी मिचलाना या उल्टी (Nausea)
खट्टी डकार आना (acidity)
दस्त लगना (diarrhea)
पत्थरचट्टा से कुछ लोगों को एलर्जी के लक्षण (allergic reactions) भी हो सकते हैं, जिससे त्वचा में खुजली, सूजन, लाल चकत्ते और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
पत्थरचट्टा का उपयोग कैसे करें (How to use Patharchatta)
पत्थरचट्टा का इस्तेमाल निम्न तरीकों से किया जा सकता है-पत्तों के रस को गुनगुने पानी में मिलाकर
धुले हुए पत्तों को सलाद में काटकर
सब्जियों के साथ उबालकर
पीसकर त्वचा पर भी लगाया जा सकता है

29.5.23

ज्यादा उम्र में भी जवान बनाये रखने वाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटियाँ ,Antiageing Ayurvedic herbs

                                        


Anti Ageing Herbs: हमेशा जवान दिखने के लिए दूध में मिलाकर डेली पिएं ब्राह्मी, इन आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के सेवन से नहीं आएगा बुढ़ापा!
Ayurveda Anti Ageing Herbs: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे हमारे चेहरा का ग्लो जाने लगता है और बाल सफेद होने लगते हैं। चेहरे पर झुर्रियां, झाइयां, सफेद बाल आदि उम्र बढ़ने के लक्षण हैं और इन परिवर्तनों से कोई नहीं बच सकता है। लेकिन मौजूदा दौर में जिस तरह की लाइफ स्टाइल को हमना अपना रूटीन बना रखा है उसे फॉलो करके तो हम लोग उम्र से पहले भी बूढ़े दिखने लगते हैं। हालांकि, अगर हम अपने खान-पान और एक बेहतरीन दिनचर्या अपनाते हैं तो लंबे समय तक इन समस्याओं से बच सकते हैं। आयुर्वेद में ऐसी प्राकृतिक जड़ी-बूटियां हैं जिनके माध्यम से निश्चित रूप से हम काफी उम्र तक जवान दिख सकते हैं।
प्रजेंट सिनेरियो में हर कोई चाहता है कि वो लंबे समय तक जवान दिखे और ऐसे लोग न जाने कितने ही प्रोडक्ट्स का चयन करते हैं। लेकिन कभी-कभी फार्मेसी प्रोडक्ट्स हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो जाते हैं। लिहाजा अगर हम नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करते हैं तो किसी भी तरह के जोखिम से बच सकते हैं। एंटी एजिंग (Anti Ageing) को लेकर हमें आयुर्वेदिक डॉक्टर ने कुछ जड़ी-बूटियों के सेवन करने का सुझाव दिया है जिनके जरिए हम उम्र बढ़ने वाले लक्षणों को कम कर सकते हैँ।
जीवोत्तम आयुर्वेद केंद्र के विशेषज्ञ शरद कुलकर्णी मानते हैं कि आयुर्वेद कुछ जड़ी-बूटियों (Ayurvedic Herbs) का सुझाव देता है जो शरीर की कोशिकाओं को फिर से उत्पन्न करके उम्र बढ़ने के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। क्योंकि आयुर्वेद की अधिकांश जड़ी-बूटियां एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती हैं जो शरीर में मुक्त कणों (Free radicals) को नुकसान पहुंचाने वाले सेल्स के विकास को रोकती हैं।


देसी घी



घी खाने के कई सेहत लाभ हैं। कुछ लोग वेट लॉस की प्लानिंग के चलते देसी घी का सेवन बंद कर देते हैं लेकिन आयु्र्वेद घी को जवान रखने वाला सर्वश्रेष्ठ आहार मानता है। ऐसे में यदि आप खुद को लंबे समय तक जवान देखना चाहते हैं और सफेद बाल नहीं चाहते तो घी का सेवन कीजिए।

इसे रोजाना खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर नियमित रूप से पीने से वजन कम होता है। इसे रोजाना पीने से मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है और खाली पेट एक चम्मच देसी घी खाने से बाल भी काले रहते हैं।

शंखपुष्पी

आयुर्वेदिक दवाओं में शंखपुष्पी का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है। शंखपुष्पी की प्रकृति ठंडी होती है और यह स्वाद में कसैली होती है। यह मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अमृत का काम करती है। शंखपुष्‍पी को वैष्‍णव, विष्‍णुकांता और विष्‍णुगंधी जैसे कई नाम से भी जाना जाता है। यह आपको अस्थमा, बवासीर, मिर्गी, डायबिटीज जैसे कई बीमारियों से बचाती है और लंबी उम्र देती है। इसे पीने से आप तमाम तरह के रोगों से बच सकते हैं।

अश्वगंधा


अश्वगंधा तेजी से कोशिका पुनर्जनन और कायाकल्प में मदद करता है और बदले में बढ़ने वाली उम्र के संकतों को डिले करता है। इसके सेवन से स्किन पर कभी झाइयां या झुर्रियां पड़ती हैं। लेकिन सुनिश्चित करें कि आप इन जड़ी बूटियों का उपयोग आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की देखरेख में करते हैं। आप इसका कैप्सूल भी ले सकते हैं या फिर 2 ग्राम अश्वगंधा पाउडर को सुबह - शाम गर्म दूध या पानी के साथ भी खा सकते हैं।

आँवला

अगर आप लंबे समय तक जवान दिखना चाहते हैं और एंटी एजिंग से बचना चाहते हैं तो पिसा हुआ आंवला प्रतिदिन एक चम्मच पानी के साथ लें। इससे शरीर में स्फूर्ति आती है और ऊर्जावान रहते हैं। आंवले का पाउडर दो चम्मच गेंहू की ब्रेड या रोटी के साथ रोजाना खाने से बुढ़ापा देर से आता है।

जिनसेंग

जिनसेंग (Ginseng) भी आयुर्वेद की एक कमाल की जड़ी बूटी है। जिनसेंग का प्रयोग सेक्सुअल रोगों के इलाज में किया जाता है लेकिन अगर आप इसका सेवन करते हैं तो हमेशा जवान भी रह सकते हैं। जिनसेंग में बहुत सारे फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो त्वचा के चयापचय (skin metabolism) को उत्तेजित और सक्रिय करने में मदद करते हैं।

ये फाइटोकेमिकल्स आपको मुक्त कणों से छुटकारा पाने में भी मदद करते हैं जो आपकी त्वचा के प्रदूषण और धूप के संपर्क में आने पर जमा हो जाते हैं।

गुडुची या गिलोय हमारे त्वचा के ऊतकों (skin tissues) को पुनर्जीवित करता है और अपने एंटी इन्फ्लामेट्री गुणों के जरिए हमारी स्किन को टाइट रखता है। इसका प्रयोग स्मृति और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। गिलोय शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है, ब्लड को शुद्ध करता है और बैक्टीरिया से लड़ता है।

हल्दी

कोरोना काल में हल्दी वाले दूध का सेवन काफी किया जा रहा है। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं और इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है। लेकिन यह स्किन के लिए फायदेमंद है जिसके लेप लगाने से आप झाइयें से बच सकते हैं। हल्दी में करक्यूमिन होता है, जो इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभावों (antioxidant and anti-inflammatory Effects) के लिए जाना जाता है।

गिलोय

गिलोए लिवर की बीमारी वाले लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। यह डेंगू, स्वाइन फ्लू और मलेरिया जैसी जानलेवा बुखार के लक्षणों को कम करता है। वैज्ञानिकों ने गिलोय के पौधे में से विभिन्न प्रकार के तत्वों को पाया है जिसमें बरबेरिम, ग्लुकोसाइड गिलाइन आदि रासायनिक तत्व पाए जाते हैं।