15.12.22

सौंफ़ खाने के फायदे और उपयोग :sounf ke nuskhe

 


 सामान्यत; सौंफ के औषधीय गुणों से लोग परिचित होते हैं| इसमें अनेक चमत्कारी औषिधीय गुण मौजूद  हैं | सोंफ के रस से कई प्रकार के एन्जाईम भी बनाये जाते हैं। भोजन के बाद माउथ फ्रैशनर के तौर पर भी इसका इस्तेमाल  किया जाता हैं। सौंफ का अचार में, मसालो में, पान में, आम की चटनी में, शरबत में, चाय में, इत्र और विभिन्न घरेलु नुस्खों आदि में पाचक के रूप में, औषधीयों में और सुगंघ के लिए, खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए कढ़ी एवं सूप में भी प्रयोग किया जाता है। और इन सब में सौंफ को विशेष स्थान हैं। सौंफ की तासीर ठंडी होती है। सौंफ का तेल भी कई प्रकार के रोगों का उपचार के लिए काम में आता है। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फॉस्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण तत्व होते हैं पेट के कई विकारों जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो विकार, अस्थमा, कफ और खाँसी का इलाज हो सकता है और कॉलेस्ट्रोल भी काबू में रहता है। लीवर और आँखों की ज्योति ठीक रहती है। गुड़ के साथ सौंफ खाने से मासिक धर्म नियमित होता है। तवे पर भुनी हुई सौंफ से अपच के मामले में बहुत लाभ होता है।

अब सौंफ के प्रयोग से होने वाले स्वास्थ्य लाभों का विवेचन किया जाता  है-
*सौंफ को नीबू के रस में मिलाकर भोजन के बाद थोड़ा-थोड़ा खाने से भोजन पचाने में आसानी होती है और पेट का भारीपन तथा बेचैनी भी दूर होती है।
*एक गिलास पानी में दस ग्राम सौंफ में पुरानी ईमली और काला नमक मिलाकर शर्बत बनाकर पीएं। इससे पाचन शक्ति, मन्दाग्नि और कब्ज के रोग दूर होते है।
*सौंफ के रस में थोड़ी हींग डालकर पीने से पेशाब खुल कर आता है। बताशे में सौंफ के तेल की दस पंद्रह बूंदे डालकर कर सेवन करने से भी पेशाब खुलकर आने लगता है।
*रात को सौंफ पानी में भिगोकर रख दें सुबह सौंफ को छानकर चबा ले ऊपर से सोंफ के पानी को घूंट घूंट करके पीने से सभी मूत्ररोग रोग दूर होते हैं।
*सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना कर सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से शरीर को शक्ति व सफुर्ति मिलती है। इससे बुखार में भी फायदा होता है ।
*सौंफ के पत्तों का काढ़ा प्रसूता स्त्री को पिलाने से खून साफ होता है गर्भाशय की शुद्धि होती है और सभी रक्तविकार दूर होते हैं।
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सौंफ का काढ़ा बनाकर दूध में मिलाकर पीने से नींद न आना (अनिंद्रा) दूर होता है। अथवा सौंफ का काढ़ा बना कर दस पंद्रह ग्राम घी व इच्छानुसार मिश्री मिलाकर रात को सोते समय सेवन करें। इससे नींद अच्छी आती है। अथवा जब रोगी हर समय नींद में या सुस्ती में रहता है, ऐसे रोगी को सौंफ का काढ़ा बना कर थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम हफ्ते तक पिलाएं। इससे सुस्ती दूर होती है तथा जरुरत से अधिक नींद भी नहीं आती।
*सौंफ, काला नमक और काली मिर्च को 10 : 2 : 1 के अनुपात में लेकर पीस ले और सुबह-शाम खाना खाने के बाद एक चम्मच गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज और कब्जसे उत्पन्न गैस, मरोड़ व दर्द भी ठीक होता है। सौंफ और हरड़ को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। रात को खाना खाने के बाद यह चूर्ण सेवन करने से कब्ज दूर हो जाती है। अथवा बराबर का जीरा और सौंफ ले और दो दो गुना मात्रा में एलोवेरा का गूदा और सोंठ को मिलाकर पीस ले और छोटी-छोटी गोलियां बना लें और कब्ज के लिए एक गोली सुबह-शाम पानी के साथ ले। सौंफ की जड़ को सुबह-शाम सलाद के रूप में सेवन करने से कब्ज नष्ट होता है।

*सौंफ को घी में भून कर इसमें मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण हर रोज एक चम्मच 3 बार ठंडे पानी के साथ सेवन से आंव दस्त में आराम होता है। सौंफ का तेल, मिश्री में मिलाकर हर रोज तीन चार बार सेवन करने से दस्त में आंव आना बंद होता है। अथवा 4 : 2 :1 के अनुपात में सौंफ, बेलगिरी और ईसबगोल का मिश्रण बना ले इस चूर्ण के सेवन करने से आंव दस्त बंद हो जाता है। या सौंफ, धनिया और भुना हुआ जीरा ये सब बराबर मात्रा में लेकर खूब पीस ले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में तीन बार मट्ठे के साथ सेवन करे आंव दस्त में आराम मिलेगा ।
*सौंफ और छोटी हरड़ सामान मात्रा में लेकर घी में भून लें और कुल मात्रा के बराबर मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का सेवन करने से दस्तो में आराम आता है। और लस्सी, दही या रस के साथ सौंफ का चूर्ण पीने से दस्त में आंव व खून आना बंद होता है।
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सौंफ, अजवायन और जायफल इन सब के चूर्ण को थोड़े सौंफ के रस के साथ दस्त वाले रोगी को पिलाएं आराम मिलेगा ।
*सौंफ एक चम्मच धनिया एक चम्मच, जीरा आधा चम्मच और बराबर मात्रा में एक कलि वाला लहसुन लेकर बारीख पीस लें इच्छानुसार सेंधा नमक मिलाकर एक-एक चम्मच दिन में तीन चार बार मट्ठा के साथ सेवन से बार-बार का दस्त आना ठीक हो जाता है। और शरीर में पानी की कमी भी नहीं आएगी।
*सौंफ को थोड़ा भूनकर मिश्री या शक्कर के साथ मिलाकर पीने से अथवा भुनी सौंफ, भुनी सोंठ और भुनी हरड़ 3 : 3 : 1 के अनुपात में मिलाकर खूब पीस ले। इसमें खण्ड या बूरा मिलाकर दो चम्मच दिन में 3 बार सेवन करने से दस्तो में आराम मिलता है।
*देसी गाय के दूध में थोड़ा सौंफ उबालकर प्रतिदिन तीन चार बार पिलाने से दांत आसानी से निकल आते हैं। अथवा सौंफ को पानी में उबालकर भी दिन में 3 से 4 बार बच्चे को पिलाने से दांत आसानी से निकल आते है।
बराबर का सौंफ व धनियां मिलाकर पीस लें और इसमें डेढ़ गुना घी और दो गुना मिश्री या खांड मिलाकर सुबह-शाम 25-30 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से हर प्रकार की खुजली में आराम आता है।

*बांझ स्त्रियों को सौंफ का चूर्ण घी के साथ तीन माह तक सेवन करायें। इससे स्त्री गर्भ धारण करके माँ बनती है। और मोटापा भी समाप्त होता है। कमजोर स्त्री को सौंफ और शतावरी का चूर्ण बनाकर घी के साथ तीन माह तक सेवन करायें कमजोरी के साथ साथ बाँझपन भी दूर होता है।
*गर्भपात का अंदेशा होने वाली गर्भवती महिला को सौंफ और गुलाब का गुलकन्द को 2 :1 के अनुपात में मिलाकर पानी के साथ पीसकर हर रोज नियमित पिलाने से गर्भपात की सम्भावना समाप्त हो जाती है। गर्भधारण करने के बाद से ही बच्चे के जन्म तक सौंफ का रस नियमित पीने से भी गर्भ सुरक्षित रहता है।
*सौंफ पेट साफ करने वाला, हृदय को शक्ति देने वाला, घाव, उल्टी, दस्त, खांसी, जुकाम, बुखार, अफारा, वायु विकार, रतौंधी, बवासीर (अर्श), पित्त, रक्तविकार, ज्वर, वमन (उल्टी), अनिंद्रा और अतिनिंद्रा, पेट के सभी रोग (अपच, कब्ज (अजीर्ण) दस्त, खाने के बाद तुरंत दस्त लग जाना, आंव आना, पेट का दर्द, खूनी बवासीर, पाचन, मासिक स्राव, संग्रहणी, बच्चो के दांत निकलना, खाज-खुजली, आंखों की रोशनी के लिए, दिन में दिखाई न देना, मोतियाबिन्द, बांझपन व गर्भपात, धूम्रपान, मुंह के छाले, याददास्त का कमजोर होना, अधिक भूख लगना, हिचकी आना, कान का दर्द, मुंह की दुर्गन्ध, मूत्ररोग, हकलाना, तुतलाना, बहरापन, मासिकधर्म सम्बंधी परेशानियां, प्यास अधिक लगना, गर्मी अधिक लगना, सिर का दर्द, माइग्रेन, स्तनों में दूध की कमी, नकसीरी, बेहोशी, हैजा, हृदय सम्बंधी परेशानियां, मानसिक पागलपन, नाभि का हटना (धरण) पसीना लाने के लिए शारीरिक शक्ति आदि के लिए प्रयोग किया जाता है।
सौंफ की उपयोगिता:-
*सौंफ का रस दही के साथ मिलाकर हर रोज 2-3 बार सेवन करने अधिक भूख पर रोक लगती है।
सौंफ पीसकर प्रतिदिन सुबह पानी के साथ सेवन से पेट सम्बंधित सभी रोगो के लिए लाभकारी हैं।
*बदहजमी होने पर सौंफ को उबालकर छान कर गुनगुना ठंडा करके पीने से गैस एवं बदहजमी दूर होती है।
सौंफ को पीसकर सिर पर लेप कने से सिर दर्द, गर्मी व चक्कर आना शांत होता है।
*सौंफ के पत्तों का रस पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से पसीना आने लगता है।
*सौंफ का शरबत बनाकर पीने से जी का मिचलाना बंद हो जाता है और पेट की गर्मी भी शांत हो जाती है।
*पेट में वायु की शिकायत हो तो कुछ दिनों तक दाल अथवा सब्जी में सौंफ का छोंक लगा कर प्रयोग करे।
सामान मात्रा में सौंफ का रस और गुलाबजल मिलाकर पीने से हिचकी आना रुक जाती है।
सौंफ और थोड़े से पुदीने के पत्ते आधा रह जाने तक पानी में उबालें। इस पानी को ठंडा करके दिन में तीन बार सेवन करने से उल्टी होने पर या जी घबराने पर आराम आता है।
*सौंफ में लौंग डालकर पानी में उबालकर काढ़ा बनाए इसे छानकर देशी बूरा या खांड मिलकर पीने से जुकाम शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
*सौंफ को घी में सेंक कर रख लें। जब भी धूम्रपान की तलब लगे तो इसे चबाये इससे धुम्रपान की लत धीरे धीरे छूट जाएगी।
*सौंफ और मिश्री का समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना कर रख ले। खाने के बाद इस मिश्रण के दो चम्मच सुबह शाम दो महीने तक सेवन करने से दिमागी कमजोरी दूर हो जाती है तथा मंदाग्नि भी दूर होती है।
सौंफ, धनिया व मिश्री समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर भोजन के बाद एक चम्मच लेने से हाथ-पाँव और पेशाब की जलन, एसिडिटी व सिरदर्द का उपचार हो जाता है।
*सौंफ ,धनिया और मिश्री मिलाकर दिन में दो तीन बार पानी के साथ लेंने से माइग्रेन दर्द (आधे सिर का दर्द) दूर होता है।
*बच्चों के पेट के रोगों में दो चम्मच सौंफ का चूर्ण एक गिलास पानी में एक चौथाई पानी शेष रहने तक अच्छी तरह उबाल कर काढ़ा बना ले और छानकर ठण्डा कर लें। इसे दिन में तीन-चार बार एक-एक चम्मच पिलाने से पेट का अफारा, अपच, उलटी ,प्यास, जी मिचलाना, पित्त-विकार, जलन, पेट दर्द, भूख में कमी, पेचिश मरोड़ आदि शिकायतें दूर होती हैं।
*सौंफ, जीरा और धनिये को बराबर मात्रा मिलाकर काढ़ा बनाये इसे सुबह-शाम सेवन से या सौंफ और मिश्री को पीसकर चूर्ण बना ले प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ सेवन से बवासीर के रोगो में लाभ होता है।
*सौंफ और मिश्री को पीसकर प्रतिदिन दूध के साथ सेवन से खूनी बवासीर से छुटकारा मिलता है। या सौंफ, जीरा और धनियां को मिलाकर काढ़ा बनाये इसमें देशी घी मिलाकर नियमित सेवन करने से खूनी बवासीर से निजात मिलती है।
*सौंफ रक्तशोधक एवं चर्मरोग नाशक है। खालिस सौंफ (बिना कुछ मिलाए) एक एक चम्मच सुबह शाम रोजना चबाने से या ठंडे पानी से नियमित सेवन करने से खून साफ हो जाता है और त्वचा भी साफ हो जाती है। प्यास उल्टी जी मिचलाना अजीर्ण पेट में दर्द और जलन पित्त विकार मरोडे आंव आदि में भी सौफ का सेवन बेहद लाभकारी होता है।
 
*बुखार में रोगी यदि बार-बार उल्टी करता हो तो हरी सौंफ को पीसकर उसका रस निकालकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद रोगी को पिलाएं। या सौंफ का काढ़ा बनाकर, छानकर इसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाएं तथा सौंफ के चूर्ण का सेवन करने से भी उल्टी बंद हो जाती है।
*सौंफ, कालानमक और कालीमिर्च को 10 : 2 : 1 के अनुपात में लेकर पीस ले और सुबह-शाम खाना खाने के बाद एक चम्मच गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज और कब्ज से उत्पन्न गैस, मरोड़ व पेट दर्द भी ठीक होता है। सौंफ और हरड़ को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। रात को खाना खाने के बाद यह चूर्ण सेवन करने से कब्ज दूर हो जाती है। अथवा बराबर का जीरा और सौंफ ले और दो दो गुना मात्रा में एलोवेरा का गूदा और सोंठ को मिलाकर पीस ले और छोटी-छोटी गोलियां बना लें और कब्ज के लिए एक गोली सुबह-शाम पानी के साथ ले। सौंफ की जड़ को सुबह-शाम सलाद के रूप में सेवन करने से कब्ज नष्ट होता है।
*सौंफ को घी में भून कर इसमें मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण हर रोज एक चम्मच 3 बार ठंडे पानी के साथ सेवन से आंव दस्त में आराम होता है। सौंफ का तेल, मिश्री में मिलाकर हर रोज तीन चार बार सेवन करने से दस्त में आंव आना बंद होता है। अथवा 4 : 2 :1 के अनुपात में सौंफ, बेलगिरी और ईसबगोल का मिश्रण बना ले इस चूर्ण के सेवन करने से आंव दस्त बंद हो जाता है। या सौंफ, धनिया और भुना हुआ जीरा ये सब बराबर मात्रा में लेकर खूब पीस ले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में तीन बार मट्ठे के साथ सेवन करे आंव दस्त में आराम मिलेगा ।
*सौंफ और छोटी हरड़ सामान मात्रा में लेकर घी में भून लें और कुल मात्रा के बराबर मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का सेवन करने से दस्तो में आराम आता है। और लस्सी, दही या रस के साथ सौंफ का चूर्ण पीने से दस्त में आंव व खून आना बंद होता है।
*सौंफ, अजवायन और जायफल इन सब के चूर्ण को थोड़े सौंफ के रस के साथ दस्त वाले रोगी को पिलाएं आराम मिलेगा ।
*सौंफ एक चम्मच धनिया एक चम्मच, जीरा आधा चम्मच और बराबर मात्रा में एक कलि वाला लहसुन लेकर बारीख पीस लें इच्छानुसार सेंधा नमक मिलाकर एक-एक चम्मच दिन में तीन चार बार मट्ठा के साथ सेवन से बार-बार का दस्त आना ठीक हो जाता है। और शरीर में पानी की कमी भी नहीं आएगी।
*सौंफ को थोड़ा भूनकर मिश्री या शक्कर के साथ मिलाकर पीने से अथवा भुनी सौंफ, भुनी सोंठ और भुनी हरड़ 3 : 3 : 1 के अनुपात में मिलाकर खूब पीस ले। इसमें खण्ड या बूरा मिलाकर दो चम्मच दिन में 3 बार सेवन करने से दस्तो में आराम मिलता है।
*यदि जिगर या प्लीहा रोग हो जाएं तो सौंफ से काबू में लाए जा सकते हैं। पेशाब जलन के साथ आता हो तो सौंफ का चूर्ण ठंडे पानी से, दिन में दो बार लेना फायदेमंद रहता है।
*धनिया, सौंफ और मिश्री समान मात्रा में मिलाकर पीस लें इस चूर्ण का खाना खाने के बाद एक चम्मच हर रोज लगभग दो माह तक सेवन करने से हाथ परों में जलन छाती की जलन, नेत्रों की जलन, पेशाब की जलन व सिरदर्द की शिकायत दूर हो जाती है। चक्कर आना, अफरा, एसिडिटी व कमज़ोरी दूर होती है नींद नियमित होती है, नेत्र की ज्योति व याददस्त भी बढ़ती है|
*सौंफ में कॉलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने की क्षमता होती है अत: भोजन के बाद सौंफ और मिश्री अवश्य चबाये जिससे हाजमा भी दुरूस्त रहता है। लीवर और आंखों की ज्योति भी ठीक रहती है। प्रतिदिन दो से पांच ग्राम सौंफ नियमित सेवन से मोतियाबिन्द ठीक हो जाता है।
*आँखों की रोशनी की बेहतरी के लिए सौंफ, बादाम और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। सुबह-शाम इस चूर्ण का एक चम्मच पानी के साथ दो महीने तक लगातार सेवन करने से आंखों की कमजोरी दूर हो जाती है।
हरी सौंफ का रस गाजर के रस में मिलाकर तीन माह तक सेवन करने से आंखों की रोशनी तेज होती है तथा रात को न दिखाई देने (रतौंधी) वाले को भी दिखाई देने लगता है।
*कच्ची व भुनी सौंफ बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना ले दो चम्मच चूर्ण मठ्‌ठे के साथ सेवन करने से अतिसार (दस्तो) में लाभ होता है। तथा इस सौंफ चूर्ण को सुबह शाम भोजन के बाद पानी के साथ दो माह तक नियमित सेवन करने से नेत्र ज्योति में भी वृद्धि होती है।
*सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है तथा नजर  तेज  होती है।
*सौंफ का चूर्ण बनाकर रात को सोते समय मिश्री मिले दूध या पानी के साथ लेने से आंखों की रोशनी बढ़ती हैं। भोजन के बाद नियमित सौंफ खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। पाचन क्रिया में सुधार आता है और मूत्र रोग भी दूर होते है।
*तवे पर भुनी हुई सौंफ के मिश्रण से अपच, एसिडिटी और दस्तो में भी बहुत लाभ होता है।
अच्छी उबली हुई एक चम्मच सौंफ को दिन में तीन बार लेने से अपच, अस्थमा, कफ और खांसी के इलाज के लिए काफी फायदेमंद है।

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सौंफ और धनिया बराबर मात्रा में कूट-छानकर मिश्री मिलाकर खाना खाने के बाद एक चम्मच लेने से कुछ ही दिनों में हाथ-पाँव की जलन में आराम आता है।
*सौंफ के चूर्ण को शकर के साथ बराबर मिलाकर लेने से हाथों और पैरों की जलन दूर होती है।
*सोंफ एक अच्छा माउथ फरसनर भी है। सौंफ खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है। सांसो को तरोताजा रखने के लिए भोजन के बाद सौंफ चबाइए। इससे पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है।
*सौंफ को पानी में उबालकर मिश्री डालकर ठंडा करके दिन में दो-तीन बार पीने से प्रयोग से खट्टी डकार में भी आराम मिलता है ।
*दूध में सौंफ उबालकर, छान ले और मीठा मिलाकर सेवन से उल्टी आना बंध हो जाती है।
सौंफ तथा मिश्री को एक साथ पीसकर एक चम्मच चूर्ण दिन में दो तीन बार पानी के साथ सेवन से खूनी दस्तो में लाभ होता है।
*सौंफ को उबालकर तथा मिश्री मिलाकर दिन में दो तीन बार सेवन करने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाता है। तथा पेट दर्द के लिए भुनी हुई सौंफ चबाने से शीघ्र फायदा मिलता है।
*बच्चे के जन्म के बाद यदि माता के स्तनों में दूध न उतरे तो सौंफ, सफेद जीरा व मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस ले इस का एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से स्तनों में दूध उतरने लगता है।
*सौंफ के पत्ते का काढ़ा बनाकर सेवन करने से स्त्रियों के स्तनों में दूध की कमी दूर होती है और पाचन क्रिया भी तेज होती है।
 
*सौंफ, मिश्री और शतावर को मिलाकर चूर्ण बना लें और गर्म दूध में डालकर दिन में 4 बार पीने से स्त्री के स्तनों में दूध की कमी नहीं रहती। तथा सौंफ में पिसी हुई मिश्री मिलाकर सुबह-शाम नियमित गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से भी स्त्री के स्तनों में दूध बढ़ जाता है।
*गोरा व सुंदर बच्चे की चाह रखने वाली गर्भवती माता को गर्भावस्था के बाद से प्रतिदिन भोजन के बाद सुबह शाम सौंफ चबाना चाहिए। प्रतिदिन सौंफ और मिश्री नियमित रूप से चबा चबाकर खाने से खून और रंग दोनों साफ होते हैं।
*सौंफ को उबालकर काढ़ा बना लें। इसमें थोडा सेंधा या कालानमक मिलाकर छान लें। और इसका प्रतिदिन सेवन करने से पेट की गैस, अफारा, मरोड और दर्द सब ठीक हो जाता है। यह बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी बहुत लाभदायक है।
*बेल पत्थर का गूदा और सौंफ का सुबह शाम सेवन से अजीर्ण मिटता है तथा अतिसार (दस्तों) में लाभ होता है।
*ग़ुड में पिसी सौंफ, मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से पेट की नाभि का अपनी जगह से खिसकना रुक जाता है।
*बारबार मुंह में छाले होने पर सौंफ का काढ़ा बना कर इसमें चुटकी भर भुनी फिटकरी मिलाकर दिन में दो तीन बार गरारे करें। सौंफ को मुंह में चबाते रहने से भी बैठा गला साफ हो जाता है और गले में खारिश ठीक हो जाती है। सौंफ का चूर्ण बनाकर प्रतिदिन भोजन के बाद चबाने से और मुंह के छालों पर लगाने से भी छाले ठीक होते हैं।
*रात्रि को कब्ज की शिकायत को दूर करने के लिए सोते समय गुनगुने पानी के साथ पिसी सौंफ का सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर होती है। या सौंफ को पीसकर इस को गुलकंद के साथ मिला कर सुबह-शाम भोजन के बाद खाएँ।
*गले में खराश होने पर सौंफ को मुँह में डाल कर दिन में कई बार चबाने से बैठा गला धीरे धीरे साफ हो जाता है। मुँह की दुर्गंध भी दूर हो जाती है। और पाचन क्रिया भी सुधरती है।
*सौंफ का रस और शहद मिलाकर दिन में दो तीन बार इसे चाटने से खांसी ठीक हो जाती है। या सौंफ में दुगनी मात्रा में अजवायन मिलकर पानी में उबाल लें और इसमें शहद मिलाकर छान लें। यह काढ़ा दो तीन चम्मच की मात्रा में हर घंटे के अंतर से रोगी को देने से खांसी में लाभ मिलता है। सौंफ के चूर्ण को भी शहद में मिलाकर लेंने से खाँसी में तुरंत आराम मिलता है।
*पेट में वायु की शिकायत हो तो कुछ दिनों तक दाल अथवा सब्जी में सौंफ का छोंक लगा कर अवश्य प्रयोग करे लाभ मिलेगा।
*सौंफ को पानी में उबालकर मिश्री डालकर ठंडा करके दिन में दो-तीन बार पीने से प्रयोग से खट्टी डकार में आराम मिल आता है।
*सौंफ और जीरा सामान मात्रा में लेकर हल्का हल्का भूनले और स्वादानुसार काला नमक मिलाकर चूर्ण बना लें। यह प्रभाव शाली पाचक चूर्ण है। भोजन के बाद इसे गुनगुने पानी से लें।
*सौंफ एक चम्मच, दो-दो चम्मच छोटी हरड़ और मिश्री लेकर बारीक चूर्ण बना लें। सोते समय 5 ग्राम गुनगुने पानी से लेंने से कब्ज, मंदाग्नि, गैस व आफरा में आराम मिलता है।
*यदि माहवारी स्राव अधिक हो रहा हो तो सौंफ का सेवन करने से मासिक धर्म नियमित हो जाता है।
सौंफ की गीरी और बराबर की मिश्री मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना कर सुबह शाम ताजा पानी या गर्म दूध से फंकी लें। इसके सेवन से दिमाग ठंडा और स्मरण शक्ति तेज होती है।
*सौंफ और बादाम की गिरी को पीसकर चूर्ण बना लें। रात को सोते समय गुनगुने दूध या पानी के साथ सेवन से भूलने वालो की समरण शक्ति तीव्र हो जाती है।
*घमोरियों को दूर करने के लिए एक घडे़ में रात को आधा कप सौंफ भिगों कर सुबह उसी पानी से नहाएं। इससे शरीर की गर्मी और घमोरियां ठीक हो जाती हैं।
*बुखार में कभी कभी तेज प्यास लगती है तो सौंफ को पानी में उबालकर ठंडा करके रोगी को थोडा थोडा करके पिलाए तेज प्यास शांत हो जाएगी।
*सूखी खांसी होने पर खांसी आते ही मुंह में सौंफ रखकर चबाते रहना चाहिए इससे निश्चित तोर से आराम होता है।
*सौंफ के चूर्ण का काढ़ा बना कर एक गिलास दूध और मिश्री मिलाकर रात को सोने से पहले कुछ महीनों तक नियमित सेवन से हकलाने का रोग ठीक हो जाता है।
*सौंफ के चूर्ण का काढ़ा बना कर इसको दो तीन चम्मच घी और एक गिलास गाय के दूध में मिलाकर पीने से बहरापन ठीक हो कर कानो से ठीक से सुनाई देने लगता है।
*सौंफ का काढ़ा बना लें और काढ़े को छानकर खांड मिलाकर सेवन करें। इससे पित्त बुखार ठीक होता है।
*सौंफ और पोदीना, तीन चार लौंग तथा गुलाब का गुलकन्द मिलाकर बना काढ़ा हैजा से पीड़ित रोगी को सेवन कराने से हैजे में आराम मिलता है।
*बदहजमी में बच्चे को प्रतिदिन सौंफ व पोदीना पीसकर शहद में मिलाकर चटाने से बदहजमी दूर हो जाती है।
सौंफ को रात को पानी में भिगो दें। सुबह सौंफ को इसी पानी में हल्का पीस कर छाल लें और मिश्री मिलाकर नियमित सेवन करने से हृदय रोग दूर होता है। तथा सौंफ और सूखा धनिया मोटा-मोटा कूटकर रात को एक कप गुलाब जल में भिगो दें। सुबह सौंफ व धनियां को इसी पानी में रगड़ मसल कर छान लें और किसमिस खाकर ऊपर से इस पानी को पीने से हृदय शूल में आराम आ जाता है।

सावधानी : 

सौफ की तासीर ठंडी होती है इसलिए इसका अधिक या लगातार सेवन से शरीर में जकडन हो सकती है। इसके लिए सौंफ को गर्म तवे  पर हल्का हल्का भुन लेते है या सोंठ मिलाकर सेवन करने से इस समस्या का समाधान हो जाता है |
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9.12.22

घुटनो के दर्द के आयुर्वेदिक उपचार:Ghutno ke dard ke upchar

 


   घुटना शरीर का भार सहता है,उसे सपोर्ट करता है और चलायमान बनाता है| लेकिन घुटनों में विकार आने पर रोजमर्रा के काम करने में कठिनाई महसूस होने लगती है| जीवन में कभी न कभी घुटनों के दर्द की समस्या से सभी स्त्री-पुरुषों को रूबरू होना ही पड़ता है| कुछ लोग जवानी में ही इस दर्द की चपेट में आ जाते हैं और बुढापा तो घुटनों की पीड़ा के लिए खास तौर पर जाना जाता है|
 घुटनों के अंदरूनी या मध्य भाग में दर्द छोटी मोटी चोंटों या आर्थराईटीज के कारण हो सकता है| लेकिन घुटनों के पीछे का दर्द उस जगह द्रव संचय होने से होता है इसे बेकर्स सिस्ट कहते हैं| सीढ़ियों से नीचे उतरते वक्त अगर घुटनों में दर्द होता है तो इसे नी केप समस्या जाननी चाहिए | यह लक्षण कोंट्रोमलेशिया का भी हो सकता है| सुबह के वक्त उठने पर अगर आपके घुटनों में दर्द होता है तो इसे आर्थराई टीज की शुरू आत समझनी चाहिए\ चलने फिरने से यह दर्द धीरे-धीरे कम हो जाता है| बिना किसी चोंट या जख्म के अगर घुटनों में सूजन दिखे तो यह ओस्टियो आर्थ रा ईटीज,गाऊट अथवा जोड़ों का संक्रमण की वजह से होता है|
 घुटनों में दर्द को कम करने के लिए गरम या ठंडे पेड से सिकाई की जरूरत हो सकती है| घुटनों में तीव्र पीड़ा होने पर आराम की सलाह डी जाती है ताकि दर्द और सूजन कम हो सके\ फिजियो थेरपी में चिकित्सक विभिन्न प्रक्रियाओं के द्वारा घुटनों के दर्द और सूजन को कम करने का प्रयास करते हैं.
*मैथी के बीज संधिवात की पीड़ा निवारण करते हैं| एक चम्मच मैथी बीज रात भर साफ़ पानी में गलने दें | सुबह  पानी निकाल दें और मैथी के बीज अच्छी तरह चबाकर खाएं| शुरू में तो कुछ कड़वा लगेगा लेकिन बाद में कुछ मिठास प्रतीत होगी| भारतीय चिकित्सा में मैथी बीज की गर्म तासीर मानी गयी है| यह गुण जोड़ों के दर्द दूर करने में मदद करता है|

 herbal remedies for knee pain

 *भोजन द्वारा इलाज के अंतर्गत रोजाना ३-४ खारक खाते रहने से घुटनों की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है| *अस्थियों को मजबूत बनाए रखने के लिए केल्शियम का सेवन करना उपकारी है| केल्शियम की ५०० एम् जी की गोली सुबह शाम लेते रहें| | दूध ,दही,ब्रोकली और मछली में पर्याप्त केल्शियम होता है|
*घुटनों के लचीलेपन को बढाने के लिए दाल चीनी,जीरा,अदरक और हल्दी का उपयोग उत्तम फलकारी है| इन पदार्थों में ऐसे तत्त्व पाए जाते हैं जो घुटनों की सूजन और दर्द का निवारण करते हैं|
*गाजर में जोड़ों में दर्द को दूर करने के गुण मौजूद हैं |चीन में सैंकडों वर्षों से गाजर का इस्तेमाल संधिवात पीड़ा के लिए किया जाता रहा है| गाजर को पीस लीजिए और इसमें थोड़ा सा नीम्बू का रस मिलाकर रोजाना खाना उचित है| यह घुटनों के लिगामेंट्स का पोषण कर दर्द निवारण का काम करता है|
*प्याज अपने सूजन विरोधी गुणों के कारण घुटनों की पीड़ा में लाभकारी हैं| दर असल प्याज में फायटोकेमीकल्स पाए जाते हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम को ताकतवर बनाते हैं| प्याज में पाया जाने वाला गंधक जोड़ों में दर्द पैदा करने वाले एन्जाईम्स की उत्पत्ति रोकता है| एक ताजा रिसर्च में पाया गया है कि प्याज में मोरफीन की तरह के पीड़ा नाशक गुण होते हैं|

 herbal remedies for knee pain

*गरम तेल से हल्की मालिश करना घुटनों के दर्द में बेहद उपयोगी है| एक बड़ा चम्मच सरसों के तेल में लहसुन की २ कुली पीसकर डाल दें | इसे गरम करें कि लहसुन भली प्रकार पक जाए| आच से उतारकर मामूली गरम हालत में इस तेल से घुटनों या जोड़ों की मालिश करने से दर्द में तुरंत राहत मिल जाती है| इस तेल में संधिवात की सूजन दूर करने के गुण हैं| घुटनों की पीड़ा निवारण की यह असरदार चिकित्सा है|

जोड़ों की पीड़ा दूर करने के लिये तेल निर्माण करने का एक बेहद असरदार फार्मूला नीचे लिख रहा हूँ ,जरूर प्रयोग करें-
*काला उड़द १० ग्राम ,बारीक पीसा हुआ अदरक ५ ग्राम ,पीसा हुआ कर्पूर २ ग्राम लें| ये तीनों पदार्थ ५0 ग्राम सरसों के तेल में ५ मिनिट तक गरम करें और आंच से उतारकर छानकर बोतल में भर लें| मामूली गरम इस तेल से जोड़ों की मालिश करने से दर्द में आराम मिलता है| दिन में २-३ बार मालिश करना उचित है| यह तेल आर्थ्रराईटीज जैसे दर्दनाक रोगों में भी गजब का असर दिखाता है|

 herbal remedies for knee pain

नीचे बताई गयी सामग्री को मिला कर हल्दी का एक दर्द निवारक पेस्ट बना लीजिये.
1 छोटा चम्मच हल्दी पाउडर
1 छोटा चम्मच पीसी हुई चीनी, या बूरा या शहद

1 चुटकी चूना (जो पान में लगा कर खाया जाता है)
आवश्यकतानुसार पानी
इन सभी को अच्छी तरह मिला लीजिये. एक लाल रंग का गाढ़ा पेस्ट बन जाएगा.


यह पेस्ट कैसे प्रयोग करें:-

सोने से पहले यह पेस्ट अपने घुटनों पे लगाइए. इसे सारी रात घुटनों पे लगा रहने दीजिये.
सुबह साधारण पानी से धो लीजिये.
कुछ दिनों तक प्रतिदिन इसका इस्तेमाल करने से सूजन, खिंचाव, चोट आदि के कारण होने वाला घुटनों का दर्द पूरी तरह ठीक हो जाएगा.


घुटनों का दर्द – उपाय 2

1 छोटा चम्मच सोंठ का पाउडर लीजिये और इसमें थोडा सरसों का तेल मिलाइए.
इसे अच्छी तरह मिला कर गाड़ा पेस्ट बना लीजिये.
इसे अपने घुटनों पर मलिए. इसका प्रयोग आप दिन या रात कभी भी कर सकते हैं.
कुछ घंटों बाद इसे धो लीजिये. यह प्रयोग करने से आपको घुटनों के दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलेगा.
घुटनों का दर्द – उपाय 3

नीचे बताई गयी सामग्री लीजिये:-
4-5 बादाम
5-6 साबुत काली मिर्च
10 मुनक्का
6-7 अखरोट

प्रयोग:
इन सभी चीज़ों को एक साथ मिलाकर खाएं और साथ में गर्म दूध पीयें.
कुछ दिन तक यह प्रयोग रोजाना करने से आपको घुटनों के दर्द में आराम मिलेगा.


घुटनों का दर्द – उपाय 4

खजूर विटामिन ए, बी, सी, आयरन व फोस्फोरस का एक अच्छा प्राकृतिक स्रोत है. इसलिए, खजूर घुटनों के दर्द सहित सभी प्रकार के जोड़ों के दर्द के लिए बहुत असरकारक है.
प्रयोग:
एक कप पानी में 7-8 खजूर रात भर भिगोयें.
सुबह खाली पेट ये खजूर खाएं और जिस पानी में खजूर भिगोये थे, वो पानी भी पीयें. ऐसा करने से घुटनों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, और घुटनों के दर्द में बहुत लाभ मिलता 
है.

घुटनों का दर्द – उपाय 5

नारियल भी घुटनों के दर्द के लिए बहुत अच्छी औषधी है.
नारियल का प्रयोग:
रोजाना सूखा नारियल खाएं.
नारियल का दूध पीयें.
घुटनों पर दिन में दो बार नारियल के तेल की मालिश करें.
इससे घुटनों के दर्द में अद्भुत लाभ होता है.
आशा है आपको इन आसान घरेलू उपायों की मदद से घुटनों के दर्द से छुटकारा मिलेगा और आपकी ज़िंदगी बेहतर हो सकेगी

प्रतिदिन नारियल की गिरी का सेवन करें|इससे घुटनों को ताकत आती है|

लगातार 20 दिनों तक अखरोट की गिरी खाने से घुटनों का दर्द समाप्त होता है।
बिना कुछ खाए प्रतिदिन प्रात: एक लहसन कली, दही के साथ दो महीने तक लेने से घुटनों के दर्द में चमत्कारिक लाभ होता है।

विशिष्ट परामर्श-  


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|






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30.11.22

गुड खाने के क्या फायदे होते हैं?:Gud khane ke fayde





गुड़ का आयुर्वेद में काफी महत्व बताया गया है। गुड़ केवल एक खाद्य पदार्थ या चीनी का विकल्प भर ही नहीं है बल्कि इसमें सेहत का खजाना छिपा है। यह एंटी टॉक्सिन का भी काम करता है। रात में गुड़ का सेवन करने से शरीर में मौजूद हानिकारक टॉक्सिन बाहर निकल जाता है। यानि यह खून को साफ करने का काम भी करता है। वैसे तो गुड़ के सेवन के कई फायदे हैं लेकिन हम आपको यहां 7 चुनिंदा फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं।

1.सूक्रोज़ (sucrose) का सबसे अच्छा संग्राहक गुड़ होता है। भारतीय संस्कृति में भोजन करने के बाद मीठा खाने का प्रचलन सदियों पुराना है। इस गतिविधि को आगे बढ़ाने के लिए गुड़ सबसे अच्छा माध्यम होता है। गुड़ में बहुत ही पोष्टिक तत्व होते है। इसमें फाइबर (Fiber) बिल्कुल भी नहीं होता। यह पाचन प्रक्रिया को मजबूत करने में मदद करता है साथ ही यह कब्ज को रोकने में असरदार होता है।

2. इसमें उपस्थित पोषक तत्‍वों में लौह तत्‍व और फोलेट अच्‍छी मात्रा में होते है, ये तत्‍व शरीर में लाल रक्‍त कोशिकाओं की सामान्‍य मात्रा बनाए रखने में मदद करते है। इस प्रकार यह एनीमिया (Anaemia) को रोकने में मदद करते है। जिन लोगों को लौह तत्‍व की कमी होती है उन लोगों के लिए गुड़ का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है।

3.देशी गुड़ में प्रतिरोधक तत्‍वों की अधिकता होती है इस कारण इसे कई प्रकार के सीरप और दवाओं में उपयोग किया जाता है। इसमें उपस्थित एंटीऑक्सिडेंट आपकी प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाने में मददगार होते है। सर्दी-खांसी और बुखार में इसका सेवन विशेष रूप से किया जाना चाहिए। इसमें विटामिन सी होता है जो‍ कि आपके शरीर को ठंड़ से बचा कर गर्मी देने का काम करता है। इसका सेवन करने से बीमार व्‍यक्ति को अधिक ऊर्जा प्राप्‍त होती है।

4.गुड़ अच्छी त्वचा के लिए भी जरूरी है। त्वचा की देखभाल करने के लिए आप अपने आहार में इसको शामिल कर सकते हैं। यह ब्लड प्यूरिफाई करने में मदद करता है। यह त्‍वचा को साफ रखने में अहम भूमिका निभाता है। गुड़ शरीर से हानिकारक टॉक्‍सिन बाहर निकालने में मददगार है। इससे आपकी त्‍वचा साफ और स्‍वस्‍थ बनी रहती है। रोजाना गुड़ खाने से मुंहासों से छुटकारा मिल जाता है और चेहरा ग्‍लो करने लगता है।

5.नियमित गुड़ का सेवन करने वजन कम करने में मदद मिलती है। गुड़ में पोटेशियम अच्‍छी मात्रा में होते है यह एक खनिज पदार्थ है। पोटैशियम इलेक्‍ट्रोलाइट्स (electrolytes) के स्‍तर को अनियंत्रित होने के खतरे कम करता है। यह पानी के अवशोषण को कम करता जो कि आपके वजन बढ़ने का प्रमुख कारण हो सकता है। पोटैशियम मांसपेशियां कोशिकाओं के निर्माण और चयापचय में वृद्धि करता है। इन्‍हीं वजहों से यह आपके वजन को कम करने में उपयोगी होता है।

6.शुगर और गुड़ दोनों ही मीठे होते है जो हमें शक्ति देते है, लेकिन शक्कर की अपेक्षा गुड़ हमें ज्यादा शक्ति प्रदान करता है क्‍योंकि इसमें शक्‍कर की तुलना में कार्बोहाइड्रेट ज्‍यादा होता है जो कि हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। यह खून में आसानी से अवशोषित हो जाता है जिससे हमें तत्‍काल ही ऊर्जा प्राप्‍त होने लगती है गुड़ को खाने से हमें ऊर्जा बहुत देर तक मिलती रहती है. यह शरीर की थकावट और कमजोरी को दूर करता है।

7. दूध और गुड़ का सेवन करने से जोड़ों के दर्द में या गठिया से होने वाली तकलीफों को दूर किया जा सकता है। यदि आपको जोड़ों का दर्द होता है तो इसका सेवन कर आप इसे दूर कर सकते हैं. इस को आप अदरक के साथ मिला कर उपयोग कर सकते है। आप अपनी शारीरिक संरचना और वोन्‍स को शक्तिशाली बनाने के लिए प्रतिदिन एक गिलास दूध के साथ इसका सेवन कर सकते है। यह आपको गठिया, जोड़ों के दर्द और हड्डियों की तकलीफ को दूर करने में मदद कर सकता है।
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28.11.22

शीघ्र पतन के होमयोपैथिक ,आयुर्वेदिक उपचार:shighra patan gharelu nuskhe

 




 आमतौर पर यौन समस्याएं महिला और पुरुष दोनों को होती है, लेकिन वीर्य जल्दी बाहर निकल आना या शीघ्रपतन एक ऐसी समस्या है जो पुरुषों में बहुत सामान्य है। अक्सर पाया गया है कि ज्यादातर पुरुष जोश में जल्दी वीर्य गिरने की समस्या से परेशान रहते हैं। चूंकि जल्दी स्खलित हो जाने से पत्नी या पार्टनर को बेहतर शारीरिक सुख प्राप्त नहीं हो पाता है, इसलिए यह समस्या पुरुषों की मर्दानगी पर भी सवाल उठाती है।वीर्य का जल्दी बाहर निकल आना या शीघ्रपतन एक ऐसी समस्या है आप अपने साथी के साथ संभोग करते समय एक मिनट से भी कम समय में या बहुत जल्दी स्खलित हो जाते हैं और अपने साथी को यौन संतुष्टि प्रदान नहीं कर पाते और वह सेक्स का आनंद नहीं ले पाती है। 
जल्दी स्खलित होने की समस्या काफी शर्मनाक मानी जाती है और यह शादीशुदा जीवन को भी प्रभावित करती है।
 होमियोपैथिक एक लक्षण चिकित्सा-पद्धति है । इस पद्धति में रोग के नाम के अनुसार नहीं, अपितु रोगों के लक्षण के आधार पर चिकित्सा की जाती है । शीघ्रपतन premature ejaculation के लक्षणों में निम्नलिखित होम्योपैथिक औषधियाँ लाभकारी होती हैं –


लाइकोपोडियम –

 ये ध्वजभंग की मुख्य औषध है । जननेन्द्रिय की कमजोरी, जिन युवकों ने अधिक गुप्त-पाप (व्यभिचार) किये हो तथा उनकी जननेद्रिय क्लान्त हो गयी हो, अत्यधिक मैथुन तथा अप्राकृतिक मैथुन के कारण लिंगेन्द्रिय में उत्तेजना या कड़ापन न आना अथवा थोड़ी देर के लिए आना, शीघ्रपतन आदि लक्षणों में उपयोगी है । विशेषकर वृद्धों के लिए बहुत लाभकारी है ।

ग्रैफाइटिस

 प्रचण्ड कामोत्तेजना, रात्रिकालीन स्वप्नदोष, लिंगोतेजना इतनी कड़ी होना कि लिंग-प्रवेश के तुरन्त बाद ही वीर्य-स्खलन premature ejaculation  हो जाए अथवा संगमेच्छा का अभाव एवं लिंग में कड़ापन न आना । कमजोर लिंगोद्रेक के साथ स्वप्नदोष, गुप्त-दुराचार (हस्तमैथुन) आदि तथा अतिरिक्त काम-तृप्ति के कारण ध्वजभंग, लिंगमुण्ड पर कटे घाव तथा खाल उधड़ जाना, लिंग की शोथ (सूजन) तथा पुराने सुजाक के लसदार-चिपचिपे स्राव आदि लक्षणों में।

फास्फोरस 6, 30 –

 प्रचण्ड कामेच्छा, बार-बार, लिंगोद्रेक होना, दिन-रात लिंग में दर्द होना, बिना अश्लील स्वप्न देखे ही रात में स्वप्नदोष हो जाना, नमक के अत्यधिक व्यवहार के कारण इन्द्रिय दौर्बल्य, अत्यधिक उत्तेजना तथा गुप्त व्यभिचार के बाद ध्वजभंग,
दिन-रात बारम्बार पतले, लसदार वर्णहीन तरल पदार्थ का मूत्र-मार्ग से स्राव, मेरुदण्ड के रोग के साथ अत्यधिक कामोत्तेजना, मैथुन के समय वीर्य का शीघ्र स्खलित  premature ejaculation  हो जाना आदि लक्षणों में ।

सेलिनियम 30 – 

लिंगेन्द्रिय की असीम दुर्बलता, प्रबल कामेच्छा होने पर भी लिंग में कड़ापन न आना अथवा लैंगिक-क्रिया का असन्तोषपूर्ण अथवा सम्पूर्ण न होना, बार-बार वीर्य-स्राव, बिना कामेच्छा के ही प्रात:काल लिंगोतेजना, परन्तु सहवास की चेष्टा करने पर लिंगेन्द्रिय का शिथिल हो जाना, जननेन्द्रिय में खुजली तथा सुरसुरी, नींद में चलते समय, पाखाने के समय अथवा अनजाने में लिंग से गोंद जैसा लसदार पदार्थ निकलना आदि लक्षणों में ।

सीपिया – 

पुरुषों का इन्जेक्शन के कारण रुके हुए पुराने प्रमेह का, मूत्र-नली से अत्यधिक पीला अथवा दूध जैसा स्राव अथवा अन्तिम बूंद दर्द रहित होना, मूत्रेन्द्रिय से रात के समय स्राव तथा प्रात:काल मूत्र-नली का मुख आपस में सट जाना, बहुत दिनों तक बीमारी बने रहना अथवा बारम्बार वीर्यस्राव के कारण कामेद्रिय का दुर्बल हो जाना । कामेच्छा का घट जाना अथवा कामेच्छा के प्रति अरुचि आदि लक्षणों में ।

फास्फोरिक एसिड – 

युवको की अत्यधिक कामलिप्सा तथा गुप्त-पाप (हस्तमैथुन, व्यभिचार आदि) के कारण कमजोरी, ध्वजभंग के साथ अचैतन्यता जैसी अवस्था, मानसिक अवसन्नता, शारीरिक रूप से स्वस्थ्य होने पर भी मानसिक क्षीणता, सम्पूर्ण शरीर में अत्यधिक क्लान्ति, इन्द्रिय-शैथिल्य, लिंगोद्रेक न होना, संगम से अनिच्छा, काम-वासना का नाश, आलिंगन काल में ही लिंगेन्द्रिय का शिथिल हो जाना तथा सम्पूर्ण क्रिया न कर पाना आदि लक्षणों में यह औषधि हितकर सिद्ध होती हैं ।

सल्फर –

 जननेन्द्रिय पर उदभेद, खुजली, जननेन्द्रिय के पास बहुत पसीना होना, जननेन्द्रिय की ठण्डक, पुरुषों में ध्वजभंग, कामेच्छा के समय जबरदस्त खाँसी उठना, लिंग में भरपूर कड़ापन न आना व योनि प्रवेश के पूर्व ही अथवा प्रवेश करते ही बहुत जल्दी वीर्य स्खलित  premature ejaculation  हो जाना, जननेन्द्रिय से बहुत दुर्गन्ध आना आदि लक्षणों में 
जिंकम मेटालिकम – बहुत अधिक काम के कारण रोगी का क्लान्त तथा उत्तेजनाशील होना तथा इसी कारण शीघ्रपतन के कारण होने पर इस औषध का सेवन करें ।

बर्बेरिस –

 गठिया प्रकृति वाली स्त्री के लिए यह औषध सर्वोत्तम है, जिसे सहवास-काल में वेदना होती है और पुरुष-संग की इच्छा नहीं होती ।कामोत्तेजना या तो देर से होती है अथवा होती ही नहीं, इससे उसे अवसन्नता भी आ जाती है । स्त्री की मूत्र-नली में जलन, योनि-पथ में जलन का दर्द आदि लक्षणों में।

कैलेडियम – 

स्त्रियों की जननेन्द्रिय में खुजली, जिसके साथ अस्वाभाविक उत्तेजना भी जाती रहती है । पुरुषों में, शिथिल लिंग के साथ भयानक कामेच्छा, प्रात:काल अर्द्ध-निद्रित अवस्था में लिंगोतेजना, जो जगते ही चली जाती हो, कामवासना के खूब जाग्रत होने पर भी शक्ति का न रहना, बिना इच्छा के स्वतः ही लिंगोतेजना, कड़ापन व नपुन्सकता तथा शीघ्रपतन  premature ejaculation  के लक्षणों में। कार्बोबेजिटेबिलस –

 पुरुष तथा स्त्री दोनों की जननेन्द्रिय में कमजोरी तथा शिथिलता, पुरुष-लिंग का झूल पड़ना, स्त्री-योनि की शिथिलता, ठण्डी तथा पसीने से भरी स्त्री-जननेन्द्रिय, जिससे अपने आप तरल रस रिसता रहता हो । यह औषध स्त्रियों के लिए अधिक उपयोगी है ।

कार्बोनियम सल्फ्यूरेटम – 

मूत्रनली से पुराने सूजाक जैसा स्राव, मूत्राशय के कष्ट, मूत्रनली में वेदना, सम्पूर्ण ध्वजभंग, लिंगमुण्ड का प्रदाह, अण्डकोष में दर्द, जननेन्द्रिय में खुजली, जननेन्द्रिय की शिथिलता, सहवास के समय अतिशीघ्र स्खलित हो जाना, रात में स्वप्नदोष, कामेन्द्रियों का सिकुड़ जाना, कामेच्छा का अभाव आदि लक्षणों में इस औषधि का सेवन करें ।

कोनियम मेकुलेटम 3 – 

पुरुषों की रमणशक्ति का दुर्बल पड़ जाना, ध्वजभंग, प्रचण्ड कामेच्छा रहने पर भी लिंग का उत्तेजित न होना, रात्रि में बिना स्वप्न के ही वीर्यस्राव, अत्यधिक रमणइच्छा होने पर भी सम्पूर्ण अथवा आंशिक, ध्वजभंग, दर्द भरा वीर्यस्राव तथा भारी वेदनापूर्ण लिंगोद्रेक, लिंगोद्रेक होने पर छुरी से काटने जैसा दर्द, विधुर तथा स्त्री प्रसंग के अनभ्यस्त पुरुषों की दबी हुई कामेच्छा का दुष्परिणाम, शीघ्रपतन के लक्षण में दें ।

ऐग्नस कैक्टस Q –

 लिंग में कमजोरी, परन्तु कामेच्छा का अधिक होना, मल-त्याग के समय जोर लगाने से अथवा नींद में वीर्य स्खलन, एकदम मानसिक अवसन्नता, कमजोर तथा अनमनेपन का भाव आदि लक्षणों में इसके मूल अर्क को 5 से 10 बूंद तक की मात्रा में सेवन करें ।

नूफर लूटिया –

 कामूक वार्तालाप एवं सामान्य उत्तेजना से ही वीर्य स्खलित हो जाना तथा स्वप्नदोष के साथ कमजोरी आने के लक्षणों में ।

कैल्केरिया कार्ब 6 –

 अत्यधिक मैथुनेच्छा  परन्तु लिंग में कड़ापन आने से पूर्व ही वीर्य का शीघ्र स्खलित  premature ejaculation हो जाना, सम्पूर्ण शरीर में दर्द तथा कमजोरी के लक्षणों में।

प्लैटिना 6 – 

युवावस्था के आरम्भ में ही अत्यधिक शुक्रक्षय तथा हस्तमैथुन के दुष्परिणाम स्वरूप कामेच्छा न होने पर भी लिंग में कड़ापन होना तथा वीर्य का शीघ्र स्खलित हो जाना आदि लक्षणों में इस औषधि का सेवन करें ।

नक्सवोमिका 3x, 30 – 


थोड़े ही कारण से कामोत्तेजना । प्रातः नींद खुलने पर अस्वाभाविक लिंगोद्रेक, अश्लील स्वप्न देखने के बाद स्वप्नदोष, कमजोरी, बेचैनी, मेरुदण्ड में जलन आदि लक्षण प्रतीत होने पर दें ।

थूजा Q –

 अत्यधिक शुक्र-क्षरण की यह उत्तम औषधि है । विशेषकर सूजाक के कारण उत्पन्न हुए उपसर्गों में लाभप्रद है । मात्रा 4 बूद ।

बैल्लिस पेरेनिस Q –

 धातु-दौर्बल्य की यह उत्तम औषध है । हस्तमैथुन के कारण उत्पन्न हुए इस रोग में यह औषध विशेष लाभ करती है । मात्रा-5 बूंद, दिन में दो बार नित्य सेवन करें ।
उक्त औषधियो के अतिरिक्त लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ भी उपयोगी सिद्ध होती हैं –

बैराइटा-कार्ब, पिक्रिक-

 एसिड, स्टैफिसेग्रिया, डिजिटेलिस, आर्निका, कैनाबिस-सैट, एसिड फास्फोरिक, चायना, कैन्थरिस, पल्स, इग्नेशिया, आर्जेण्ट-मेट, सिलिका, व्यूफो, कैल्के-फॉस, लैकेसिस, नेटूम, साइना आदि ।

आरम मेटालिकम 3x, 200 – 

शरीर में भयंकर कामोत्तेजना का भाव, चंचलता, परन्तु फिर शीघ्र ही एक निश्चिलता की स्थिति लिंगेन्द्रिय की अत्यधिक शिथिलता, मैथुन करते ही लिंग का ढीला पड़ जाना, हस्तमैथुन के परिणाम आदि लक्षणों में । यह औषध स्त्रियों के लिए बहुत उपयोगी है ।

प्लाटिनम –

 अत्यधिक उत्तेजना, जिसके कारण हस्तमैथुन आदि करने पड़ें, कामोत्तेजना के कारण उत्पन्न अपस्मार, असह्य कामोत्तेजना तथा जननेन्द्रिय में लगातार सुरसुरी, अत्यधिक कामोत्तेजना के कारण शीघ्रपतन के लक्षण में।

शीघ्रपतन के  घरेलू आयुर्वेदिक उपाय 

शतावरी : 

यह एक आयुर्वेदिक औषधि है और इसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। खासतौर पर यह सेक्स से जुड़ी समस्याओं के इलाज में बहुत अधिक फायदेमंद है। आयुर्वेद में शतावरी के फायदों के बारे में विस्तार से बताया गया है। शतावरी के नियमित सेवन से शीघ्रपतन के मरीजों को जल्दी आराम मिलता है।.
खुराक : रोजाना एक चम्मच शतावरी चूर्ण
सेवन का तरीका : आधा चम्मच शतावरी चूर्ण को दिन में दो बार शहद या दूध के साथ मिलाकर खाएं।

गोक्षुर :

आयुर्वेद में बताया गया है कि गोक्षुर एक ऐसी जड़ी बूटी है जो वात पित्त कफ तीनों को नियंत्रित रखने में मदद करती है।गोक्षुर का इस्तेमाल मुख्य रुप से यौन शक्ति बढ़ाने और शीघ्र स्खलन जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसके सेवन से मांसपेशियों में ताकत आती है और टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ता है।
खुराक : रोजाना एक चम्मच गोक्षुर चूर्ण
सेवन का तरीका : आधा चम्मच गोक्षुर चूर्ण को घी और चीनी के साथ मिलाकर दिन में दो बार खाएं।
 
केसर : 

केसर के मुख्य फायदों से तो सभी भलीभांति परिचित है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि केसर में कामोत्तेजक गुण भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार केसर को दूध के साथ मिलाकर पीने से शीघ्रपतन की बीमारी ठीक हो जाती है। इसके अलावा केसर के नियमित सेवन से सेक्स पॉवर और कामेच्छा बढ़ती है।
खुराक : रोजाना 5-7 केसर के रेशे (Styles)
सेवन का तरीका : 5-7 केसर के रेशे को दूध में उबालकर रात में सोने से पहले पिएं। यह शरीर की ताकत बढ़ाने वाली जड़ी बूटी है। शीघ्र स्खलन के आयुर्वेदिक दवा के रुप में इसका इस्तेमाल प्रमुखता से किया जाता है। इसके अलावा यह वीर्य बढ़ाने और नपुंसकता दूर करने के इलाज में भी इस्तेमाल की जाती है। कई डॉक्टरों का भी मानना है कि शीघ्रपतन के लिए यह एक अचूक औषधि है। आप मकरध्वज का सेवन भष्म या वटी के रुप में कर सकते हैं। इसकी मात्रा या खुराक की अधिक जानकारी के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लें।
खुराक : इसकी खुराक मरीज की वर्त्तमान स्थिति पर निर्भर करती है इसलिए खुराक के लिए डॉक्टर की सलाह लें।

सेवन का तरीका : 

डॉक्टर द्वारा बताए गये निर्देशानुसार ही इसका सेवन करें।

 मुलेठी :

 अधिकतर लोग मुलेठी का इस्तेमाल खांसी-जुकाम या गले की खराश दूर करने के लिए करते हैं लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि शीघ्रपतन के इलाज में भी आप मुलेठी का इस्तेमाल कर सकते हैं। आयुर्वेद में मुलेठी को वात-पित्त नाशक और शुक्रवर्धक माना गया है। मुलेठी का इस्तेमाल शीघ्रपतन रोकने के घरेलू उपाय के रुप में किया जाता है।
खुराक : रोजाना एक चम्मच मुलेठी चूर्ण
सेवन का तरीका : शीघ्रपतन दूर करने के लिए रोजाना आधा चम्मच मुलेठी चूर्ण को दूध या शहद के साथ मिलाकर सेवन करें।
अगर ऊपर बताए गए किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के सेवन के दौरान आपको किसी तरह की परेशानी होती है तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर से परामर्श लें। 

24.11.22

विक्स वेपोरब के फायदे:Vicks Vaporub ke upchar

 




 सर्दी आते ही सब विक्स का इस्तेमाल अपनी बंद नाक और गले के आराम के लिए करते है। लेकिन क्या आपको पता है की विक्स वेपोरब के इस्तेमाल करने के और भी बहुत सारे तरीके हैं। विक्स वेपोरब का उपयोग स्ट्रेच मार्क्स 
के निशान हटाने और वजन कम करने के लिए किया जा सकता है |VapoRub कपूर, नीलगिरी और मेन्थॉल से बना है। यह एक प्रकार की अरोमाथेरेपी है, या एक वैकल्पिक/पूरक उपचार है जिसमें सुगंधित तेलों और अन्य यौगिकों का उपयोग शामिल है।
जब आप भीड़भाड़ में होते हैं, तो VapoRub को अपनी छाती पर लगाने से (इसका इच्छित उपयोग) आपको यह महसूस करने में मदद मिल सकती है कि आपकी सांस लेने में सुधार हुआ है। यह मेन्थॉल वाष्प जारी करके ऐसा करता है जो आपके नाक मार्ग से टकराते ही ठंडक महसूस करते हैं। यह आपके मस्तिष्क को यह सोचने के लिए प्रेरित करता है कि आप अधिक आसानी से सांस ले रहे हैं।
हालांकि VapoRub वास्तव में जमाव या खांसी से राहत दिलाने में मदद नहीं करता है। आपका मस्तिष्क बस सोचता है कि यह करता है।
स्ट्रेच मार्क्स के निशान हटाने के लिए विक्स का प्रयोग

कई कारणों से स्ट्रेच मार्क्स के निशान हो सकते हैं इसमें गर्भावस्था सबसे आम है। स्ट्रेच मार्क्स के निशान विकास की गति के दौरान भी हो सकते हैं या कम समय में वजन कम करने के कारण भी हो सकते हैं।
माने या नहीं, विक्स की अनगिनत समीक्षाओं का कहना है कि यह गर्भावस्था के बाद स्ट्रेच मार्क्स के निशान या ढीले त्वचा के लिए यह इरेज़र की तरह है। मेन्थॉल, तेल और अन्य त्वचा शीतलन सामग्री का संयोजन खिंचाव के निशान के सबसे जिद्दी होने की चमक को कम करने के लिए बिल्कुल सही है! इस विधि का उपयोग करने वाले बहुत से लोग इसके बारे में बताते है, कि विक्स वेपोरब के इस्तेमाल से कुछ ही दिनों के भीतर आप स्ट्रेच मार्क्स से छुटकारा पा सकते है जबकि विक्स वेपोरब के निर्माता दावा नहीं करते हैं कि इसका उत्पाद वास्तव में खिंचाव के निशान को कम कर सकता है या उपचार के रूप में इसका उपयोग करने की सिफारिश कर सकता है।

Vicks Vaporub ke fayde 

त्वचा के स्ट्रेच मार्क्स या स्कार्फिंग के लिए, उत्पाद में नीलगिरी की एंटी इन्फ्लामेंट्री तत्व होते है, जिसमें महिलाओं का कहना है कि इसका उपयोग करने के एक सप्ताह के भीतर, उनके खिंचाव के निशान 60 से 100 प्रतिशत चले गए थे। चूंकि विक्स वेपोरब में नीलगिरी के तेल, देवदार के पत्ते के तेल, पेट्रोलोलम, कपूर और टर्पेन्टाइन तेल का संयोजन होता है, ये तेल गठबंधन करते हैं और अत्यधिक खिंचाव वाली त्वचा को नरम बनाते हैं, और ड्राईनेस को भी कम करता है जो खिंचाव के निशान को दूर करता है।
स्ट्रेच मार्क्स हटाने के लिए विक्स वेपोरब का उपयोग करने के दो तरीके हैं यदि आप खिंचाव के निशान की दृश्यता को कम करना चाहते हैं, प्रभावित क्षेत्र पर विक्स वेपोरब को हल्के होथों से रगड़े। आप नियमित रूप से दो सप्ताह के बाद सकारात्मक परिणाम देखेंगे।
अपने सभी स्ट्रेच मार्क्स पर इसे रगड़ें और अपने कूल्हों के चारों तरफ एक चिपकने वाले पनी का टुकड़ा रखें। बाद में, टाइट लेगिंग्स (tight leggings) पहने और इसे रात भर के लिए छोड़ दें। जब आप जागते हैं तो स्ट्रेच मार्क्स चले जाना चाहिए। अगर वे गायब नहीं होते हैं, तो आप इसे अगली रात दोहरा सकते हैं।

Vicks Vaporub ke fayde 

वज़न कम करने के लिए विक्स वेपोरब का प्रयोग आप अपना वजन कम करने के लिए 2 चम्मच विक्स, 1 चम्मच बेकिंग सोडा (खाने का सोड़ा) आधा चम्मच कपूर पाउडर, और 2 चम्मच एल्कॉहल का एक मिश्रण बना लें। ध्यान रहे की इस मिश्रण में इतना विक्स वेपोरब मिलाएं कि पेस्ट जैसा बन जाएं।
एक बर्तन में इन सभी सामग्री को मिलाएं और इस पेस्ट को अपने पेट पर लगाएं। 5 मिनट के लिए धीरे मालिश करें और फिर अपने पेट को प्लास्टिक शीट से लपेट लें। इसे 1-2 घंटे के लिए ऐसे ही छोड़ दें। इस बीच आप फिजीकल एक्सरसाइज करेंगें तो इसका असर डबल हो जायेगा, एक्सरसाइज करने के थोड़ी देर बाद इसे खोलकर पानी से धो लीजिए। यह विधि तुरंत परिणाम नहीं देती है, अच्छे रिजल्ट पाने के लिए लगभग 7 दिनों के लिए आपको यह करने की आवश्यकता हो सकती है।

अगर आपके हाथो या पैरो के नाखुनो में फंगस या पैरो की उंगलियो में खारवे या फंगस हो गई है तो आप वहाँ पर भी इसका इस्तेमाल कर सकते है।

पेट में गैस की वजह से दर्द 

अगर किसी के पेट में गैस की वजह से दर्द हो रहा है तो थोड़ा सा विक्स अपने पेट तथा नाभि के आस-पास लगा लें। कुछ ही देर में गैस्ट्रिक प्रॉब्लम दूर हो जाएगी और पेटदर्द से आराम आ जाएगा।

जब आपके सिर में हल्का सा दर्द हो तो आप हल्के हाथ से माथे पर इसकी मालिश कर सकते है
अगर आपको मच्छर, मक्खियां परेशान कर रहे हैं तो आप थोड़ा सा विक्स वेपोरब थोड़ी सी रूई में लगाकर अपने पास रख लें। विक्स वेपोरब की मेंथॉल खुशबू से ही मच्छर-मक्खियां आपके पास नहीं आएंगे। 

विक्स वेपोरब के हैरान कर देने वाले फायदे-

vicks की बोतल को अगर खुले में रख देते है तो उस जगह के आस पास मक्खिया नही आएगी।
अगर पैरों में मौजे पहनने पर बदबू आती है तो रात को सोते समय पैरों में हल्की सी विक्स लगाकर मौजे पहन कर सो जाएं। सुबह उठ कर पैर ठंडे पानी से धो लें। एक ही दिन में पैरों की बदबू दूर हो जाएगी।
अगर आपके कान में दर्द है तो थोड़ी सी vicks रुई में लगा कर अपने कान के पास रख ले इस में मौजूद मेंथोल अपना काम करेगा और आपको दर्द से आराम मिल जायेगा।

 मांस-पेशियों में खिंचाव

खेलते समय या कोई काम करते समय अगर शरीर की मांस-पेशियों में खिंचाव के कारण दर्द हो रहा है तो प्रभावित हिस्से तथा उसके आस-पास के हिस्से में विक्स वेपोरब लगा लें। इससे कुछ ही मिनट में आराम आ जाएगा। पीठ दर्द में भी विक्स वेपोरब से राहत मिलती है।
अगर आपकी त्वचा कहीं से कट गई है तो आप वहां पर भी vicks लगा सकते है यह बहुत दर्द करेगा पर आप इन्फेक्शन से बचे रहेगे।
अगर कोई ताज़ा खरोच लग गई हो तो vicks veporub में थोडा सा नमक मिला के लगाये |चोट का रंग नही बिगड़ेगा।

खांसी के लिए अपने पैरों पर विक्स का प्रयोग करें

यह स्पष्ट है कि Vicks VapoRub को अपने पैरों के तलवों पर लगाने से आपको कोई मदद नहीं मिलेगी। उत्पाद आपकी नाक से बहुत दूर है, इसलिए यह कोई अरोमाथेरेपी लाभ प्रदान नहीं करेगा।
फिर भी, एक लोकप्रिय सिद्धांत है जो कहता है कि विक्स आपके पैरों की नसों को उत्तेजित करके खांसी में मदद कर सकता है। सिद्धांत के अनुसार, यह उत्तेजना रीढ़ की हड्डी से मेडुला ऑबोंगेटा तक जाती हैमस्तिष्क में। मेडुला ऑब्लांगेटा आपके दिमाग का वह हिस्सा है जो खांसी को नियंत्रित करता है।
कुछ लोग इस विचार की तुलना मांसपेशियों में ऐंठन के सिद्धांत से करते हैं । कुछ वैज्ञानिक सोचते हैं कि कुछ तंत्रिकाओं की अति सक्रियता कम से कम एक प्रकार की मांसपेशियों में ऐंठन का कारण हो सकती है।
कई अध्ययनों से पता चला है कि तेज मसालों से बना पेय इस प्रकार के ऐंठन के लिए मददगार हो सकता है। दालचीनी और कैप्साइसिन जैसे मसालेयौगिक जो मिर्च को गर्म बनाता है, उन नसों को विचलित कर सकता है जो इन ऐंठन का कारण बनती हैं।
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16.11.22

मेथीदाना खाने के क्या फ़ायदे हैं ?:Methidana khane ke fayade

 



घर पर आसानी से मिल जाने वाली मेथी में इतने सारे गुण है कि आप सोच भी नहीं सकते है। यह सिर्फ एक मसाला नहीं है बल्कि एक ऐसी दवा है जिसमें हर बीमारी को खत्म करने का दम है। आइए आज हम आपको मेथी के पानी के कुछ चमत्कारिक फायदे  बताते हैं।

एक पानी से भरा गिलास ले कर उसमें दो चम्‍मच मेथी दाना डाल कर रातभर के लिये भिगो दें। सुबह इस पानी को छानें और खाली पेट पी जाएं। रातभर मेथी भिगोने से पानी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्‍सीडेंट गुण बढ जाते हैं। इससे शरीर की तमाम बीमारियां चुटकियों में खत्म हो जाती है। आइए आपको बताते है कौन सी है वो खतरनाक 7 बीमारियां जो भाग जाएंगी इस पानी को पीने से।

वजन कम करे-methi ke fayade 

यदि आप भिगोई हुई मेथी के साथ उसका पानी भी पियें तो आपको जबरदस्‍ती की भूख नहीं लगेगी। रोज एक महीने तक मेथी का पानी पीने से वजन कम करने में मदद मिलती है।

 
मेथी में galactomannan होता है जो कि एक बहुत जरुरी फाइबर कम्‍पाउंड है। इससे रक्‍त में शक्‍कर बड़ी ही धीमी गति से घुलती है। इस कारण से मधुमेह नहीं होता।

कोलेस्‍ट्रॉल लेवल घटाए-methi ke fayade 

बहुत सारी स्‍टडीज़ में प्रूव हुआ है कि मेथी खाने से या उसका पानी पीने से शरीर से खराब कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल कम होकर अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल का लेवल बढ़ता है।

कान के बहने पर मेथी के औषधीय गुण फायदेमंद

कान के बहने की बीमारी में मेथी के फायदे ले सकते हैं। मेथी के बीजों (Methi Seeds) को दूध में पीस लें। इसे छानकर तैयार कर लें। इस रस को गुनगुना या हल्का गर्म करके 1-2 बूँद कान में डालें। इससे कान का बहना बंद हो जाता है।

ब्लड प्रेशर होगा कंट्रोल-

मेथी में एक galactomannan नामक कम्‍पाउंड और पोटैशियम होता है। ये दो सामग्रियां आपके ब्‍लड प्रेशर को कंट्रोल करने में बड़ी ही सहायक होती हैं।


इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होने के नातेए मेथी का पानी गठिया से होने वाले दर्द में भी राहत दिलाती है।

कैंसर से बचाए-

मेथी में ढेर सारा फाइबर होता है जो कि शरीर से विषैले तत्‍वों को निकाल फेंकती है और पेट के कैंसर से बचाती है।किडनी स्‍टोनअगर आप भिगोई हुई मेथी का पानी 1 महीने तक हर सुबह खाली पेट पियेंगे आपकी किडनी से स्‍टोन जल्‍द ही निकल जाएंगे।
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14.11.22

पेट की बीमारियाँ कैसे दूर करें?:pet ke rog ki ramban dawa





हमारे पेट का अहम भाग होता है हमारा मलाशय. यदि पेट यानी मलाशय साफ रहेगा तो हमारी बीमारियां भी हमसे कोसो दूर रहेंगी.
पुराने जमाने में वैद्य-हकीम हमेशा अन्य बीमारियों का उपचार बाद में करते थे पहले पेट की बीमारियों को दूर करने के उपचार करते थे.
मलाशय हमारे पाचन तंत्र का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, यह हमारे पेट से उन अपाच्य भोजन को बाहर निकाल देता है जो पचता नहीं है जैसे पानी, नमक, विटामिन और अन्य पोषक तत्व.
इसलिए जब यह ठीक से काम नहीं करता है तब यह विषैले तत्वों से ग्रसित हो जाता है. जो कई सारी परेशानियां पैदा करता है जैसे सिर दर्द, सूजन, कब्ज, गैस, वजन बढ़ना, कम ऊर्जा, थकान और पुरानी बीमारी को उजागर कर देना.|
यह सारी परेशानियां अपाच्य भोजन से होती हैं जो बहुत सारे अन्य रसायनों से तैयार किए जाते हैं, जिनसे आगे चल कर मलाशय में बलगम जमा होने लगता है जो शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है.
इन उपायों से मलाशय को स्वस्थ रख सकते हैं---

सेब का रस : 

सेब का रस मलाशय की सफाई के लिए सबसे अच्छे घरेलू उपचारों में से एक है. सेब के रस का नियमित सेवन मल त्याग को प्रोत्साहित कर विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलता है. पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के साथ ही लीवर को भी बेहतर रखता है. अपने दिन की शुरुआत एक गिलास सेब के रस के साथ करें.

नींबू का रस : 

नींबू के रस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी पाचन तंत्र के लिए अच्छा होता है. इसलिए आप मलाशय की सफाई के लिए नींबू का रस ले सकते हैं. एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू का रस, चुटकी भर समुद्री नमक और थोड़ा सा शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लें. इसका सेवन आपको अधिक ऊर्जा, बेहतर मल त्याग और त्वचा को बेहतर बनाने में मदद करता है.

कच्ची सब्जियों का रस : 

यदि आपको मलाशय साफ रखना हो तो दो-तीन दिन भोजन से दूर रहें. ठोस आहार की जगह दिन में कई बार ताजा सब्जियों का जूस लें. सब्जियों के जूस में मौजूद शुगर मल त्याग में सुधार करता है.
इसमें मौजूद विटामिन, खनिज, अमीनो एसिड और एंजाइम आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं.
फाइबर युक्त आहार : फाइबर मल को नर्म कर मल त्याग में सुधार करता है. रसभरी, नाशपाती और सेब जैसे ताजे फल के साथ मटर और ब्रोकोली जैसी ताजा सब्जियों और अनाज जैसे साबुत अनाज, नट्स, बीन्स और बीज को अपने आहार में शमिल कर फाइबर की उच्च मात्रा पा सकते हैं.
रोज खाएं दही : रोज दही का सेवन मलाशय को स्वस्थ रखने का अच्छा उपाय है. दही आपके शरीर को समर्थक जैविक और अच्छे बैक्टीरिया देता है और बुरे बैक्टीरिया बाहर करता है. दही में मौजूद उच्च मात्रा में कैल्शियम मलाशय की कोशिकाओं का विकास करता है.

अलसी : 

अलसी तेजी से मलाशय को साफ करती है. अलसी पानी को अवशोषित कर विषाक्त पदार्थों और बलगम तेजी से दूर करती है. अलसी मलाशय को साफ करने के साथ ही कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह को रोकने में भी मदद करती है

पानी : 

पानी एक ऐसा आसान उपाय है जिससे आप मलाशय साफ रख सकते हैं तो दिन कम से कम 12 से 15 गिलास पानी पिएं. यह मलाशय को साफ और आपके शरीर को विषैले पदार्थों को बाहर करने में सहायक होता है.
एलोवेरा : एलोवेरा में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट पाए जा
ते हैं. यह लैक्सटिव के रूप में कार्य भी करता है. एलोवेरा में मौजूद औषधीय गुण मलाशय के स्वास्थ्य में सुधार करता है. एलोवेरा से जैल निकालकर नींबू का रस मिलाकर जूस बना लें. इस जूस को दो तीन घंटे के लिए फ्रिज में रखें. इस जूस को दिन में कई बार पी सकते हैं. इससे आपकी अन्य प्रॉब्लम भी दूर हो सकती हैं.


विशिष्ट परामर्श-


  यकृत,प्लीहा,आंतों के रोगों मे अचूक असर हर्बल औषधि "उदर रोग हर्बल " चिकित्सकीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है|पेट के रोग,लीवर ,तिल्ली की बीमारियाँ ,पीलिया रोग,कब्ज और गैस होना,सायटिका रोग ,मोटापा,भूख न लगना,मिचली होना ,जी घबराना ज्यादा शराब पीने से लीवर खराब होना इत्यादि रोगों मे प्रभावशाली है|बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज के बाद भी निराश रोगी इस औषधि से ठीक हुए हैं| औषधि के लिए वैध्य दामोदर से 9826795656 पर संपर्क करें|

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