16.11.21

लहसुन खाने के फायदे और नुकसान:Garlic Benefits

 


                                           
 लहसुन भारत की हर रसोई में उपयोग किया जाता है. अधिकतर लोग इसे सब्जी बनाने व मसालों के रूप में उपयोग करते हैं. लेकिन आप सोच भी नहीं सकते कि ये लहसुन हमारे शरीर के अनेक रोगों को बचाता है. लहसुन एक प्राकृतिक एंटीबायटिक की तरह कार्य करता है. लहसुन का वैज्ञानिक नाम है एलियम सैटीवुमएल है. लहसुन में एलियम नामक एंटीबायोटिक होता है. लहसुन का प्रयोग काफी समय से कई रोगों के लिए किया जा रहा है. लहसुन हमारे शरीर में होने वाली बीमारियों को दूर करने में मदद करता है. जैसे कि बबासीर, कव्ज, कान में दर्द इत्यादि.
 उच्च रक्त चाप, उच्च कोलेस्ट्रोल ,कोरोनरी धमनी संबधित ह्रदय दोष और हृदयाघात जैसी स्थितियों में इसका उपयोग उत्साहवर्धक परिणाम प्रस्तुत करता है| धमनी-काठिन्य रोग में भी लहसुन लाभदायक है\ लहसुन के प्रयोग विज्ञान सम्मत होने के दावे किये जा रहे हैं|

हाई बीपी को रोकने में मदद

लहसुन खाने से हाई बीपी से जुड़ी समस्या को कम किया जा सकता है. लहसुन ब्लड सर्कुलेशन को कंट्रोल करने में काफी कारगार होता है. जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है वह लहसुन का सेवन करके इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

पेट की बीमारियों की रोकथाम

लहसुन पेट से जुड़ी समस्या का भी इलाज करने में काफी मददगार है. डायरिया, कब्ज जैसी समस्या के लिए इसे बेहद उपयोगी माना गया है. पानी उबालकर उसमें लहसुन की कलियां डाल लें फिर इस पानी को सुबह खाली पेट पीनें से डायरिया और कब्ज से छुटकारा मिल जाएगा. इससे गैस की बीमारी में भी फायदा मिलता है.

दिल रहता है सेहतमंद

लहसुन दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरों को भी दूर करता हैं. लहसुन खाने से खून का जमना कम किया जा सकता है और हार्ट अटैक की परेशानी से भी राहत मिलती है. पीरियड्स के दिनों में भी लहसुन बहुत अच्छा होता है.

पाचन में मिलती है मदद

खाली पेट लहसुन की कलियां चबाने से पाचन में दिक्कत नहीं होती है और भूख भी लगना शुरू हो जाती है.


खांसी-जुकाम में आराम

लहसुन का सेवन जुकाम, अस्थमा, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस के इलाज में काफी फायदा करता है.


पेट के लिए

जो लोग जंक फूड या अस्वस्थ खाना खाते हैं उन्हें पेट की समस्याएं हो जाती हैं।
उन्हें अक्सर पेट में दर्द, गैस, एसिडिटी कब्ज, दस्त, पेचिश व अन्य समस्याएं हो जाती हैं। ऐसे में उन्हें लहसून काफ़ी फ़ायदा पहुँचा सकता है।
लहसुन में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं। ये पेट में सिर्फ़ उन्हीं बैक्टीरिया को रुकने देते हैं जो पाचन के लिए ज़रूरी हैं।
जो बैक्टीरिया पेट और पाचन के लिए नुकसानदायक होते हैं लहसुन उन्हें पेट से बाहर निकालने में मदद करता है।
इस तरह लहसुन पाचन से संबंधित परेशानियों को दूर कर देता है। जिन लोगों को पाचन-संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें सुबह ख़ाली पेट लहसुन का सेवन करना चाहिए। यह पेट की सफ़ाई करता है।

ऑक्सीडेटिव तनाव में राहत

लहसुन में पाए जाने वाले यौगिक डीएनए को डैमेज़ होने से बचाते हैं। ये ऑक्सीडेंटिव तनाव से होने वाले रोगों से शरीर की रक्षा करते हैं।
 ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने के लिए लहसुन में डायलेक्लसल्फाईइड पाया जाता है।
अर्थेरोसक्लेरोसिस शरीर के लिए एक गंभीर समस्या है जोकि ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण होती है।
इस रोग में धमनियों में कलेस्टरॉल का स्तर बढ़ जाता है और धमनियां संकरी हो जाती हैं। इस तरह रक्त का प्रवाह बाधित होने लगता है जिससे कि हृदय आघात या हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
लहसुन अतिरिक्त ग्लूकोस को ऊर्जा में बदल देता है जिससे कि ये बढ़कर कलेस्टरॉल का रूप नहीं ले पाते हैं।
इस तरह धमनियां बाधित होने से बच जाती हैं अतः लहसुन का सेवन करने से अर्थेरोसक्लेरोसिस से बचा जा सकता है।

कैंसर से बचाव

कैंसर से बचने के लिए लहसुन का प्रयोग किया जा सकता है क्योंकि यह कैंसर की संभावनाओं को चमत्कारिक रूप से कम करता है।
लहसुन में सेलेनियम नामक तत्व पाया जाता है जो माईटोसिस और मियोसिस के दौरान चेक प्वायंट्स की कार्यविधि को नियमित करता है।
इस तरह कोशिकाएं एक निश्चित क्रम में ही बढ़ती हैं और वे अनियंत्रित रूप से विभाजित नहीं होती हैं।
कैंसर के उपचार के लिए चीनी वैज्ञानिकों ने एक परीक्षण किया और उन्होंने यह पाया कि लहसुन पेट के कैंसर की 52% और ट्युमर की 33% संभावनाओं को कम करता है।

 प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए


लहसुन में विटामिन सी, विटामिन बी-6 और सेलेनियम की प्रचुर मात्रा पाई जाती है जो शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
 कुछ चिकित्सक लहसुन का प्रयोग फेफड़े के केंसर ,बड़ी आंत के केंसर ,प्रोस्टेट केंसर ,गुदा के केंसर ,आमाशय के केंसर ,छाती के केंसर में कर रहे हैं| मूत्राशय के केंसर में भी प्रयोग हो रही है लहसुन| लहसुन का प्रयोग पुरुषों में प्रोस्टेट वृद्धि की शिकायत में भी सफतापूर्वक किया जा रहा है| इसका उपयोग मधुमेह रोग अस्थि-वात् व्याथि में भी करना उचित है| लहसुन का प्रयोग बेक्टीरियल और फंगल उपसर्गों में हितकारी सिद्ध हुआ है\ ज्वर,सिरदर्द,सर्दी-जुकाम ,खांसी,,गठिया रोग,बवासीर और दमा रोग में इसके प्रयोग से अच्छा लाभ मिलता है|
सांस भरने , निम्न रक्त चाप, उच्च रक्त शर्करा जैसी स्थितियों में लाभ लेने के लिए लहसुन के प्रयोग की सलाह दी जाती है|

मधुमेह में लाभकारी

आईआईसीटी इंडिया के वैज्ञानिकों ने एक शोध किया। उन्होंने लैब में मौजूद चूहों को लहसुन खिलाई और उन्होंने पाया कि चूहों में ग्लूकोज का स्तर तेज़ी से घट गया और चूहे इंसुलिन सेंसिटिव भी हो गए।
इस प्रकार लहसुन मधुमेह से पीड़ित लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। यह रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम कर देता है।
यह रक्त में मौजूद अतिरिक्त ग्लूकोस को ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है और रक्त को गाढ़ा होने से बचाए रखता है।
इस तरह रक्त का प्रवाह भी नियमित रहता है और शुगर का स्तर भी कम होता है।
जो लोग मधुमेह से पीड़ित हैं उन्हें लहसुन खाना चाहिए।
लहसुन ख़ासकर उन लोगों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है, जो मधुमेह से पीड़ित हैं और इंसुलिन के इंजेक्शन लेते हैं।
लहसुन खाने से उनका शरीर इंसुलिन सेंसिटिव हो जाता है।
अगर आप बढ़ते बज़न से परेशान हैं तो लहसुन का सेवन आपके लिए बड़ा ही लाभदायक है। प्रति दिन आप खली पेट लहसुन का सेवन करना चालू करें बजन कम करने में लाभ मिलेगा.
इसके साथ ही साथ रात में सोते समय लहसुन की एक पोथी तकिये के नीचे रखने से निगेटिव एनर्जी से भी बचा जा सकता है और ऐसा करने से नींद अच्छी आती है.
दांत में दर्द हो रहा हो तो लहसुन की एक कली को दाँतों में दबाने से या लहसुन का तेल दांत पर लगाने से दांत का दर्द दूर हो जाता है.
लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और कैंसर जैसे गंभीर बीमारी से लड़ने में शरीर की मदद करता है.
लहसुन का तेल भी बनाया जाता है जो बच्चो को सर्दी हो जाने पर उनके शरीर पर लगाया जाता है व कान में भी डाला जाता है. लहसुन का तेल बनाने के लिए आप एक कटोरी को माध्यम आंच पर रखें और उसमें शुद्ध सरसों का तेल डाले व गरम होने दें, इसके बाद छीले हुए लहसुन की 4-5 कलियाँ उसमें डाल दें और सुनहरे होने तक तड़कने दें. गुनगुना होने पर इस तेल का उपयोग कर सकते हैं. सर्दियों के दिनों में बच्चों को इसी तेल से मालिश करने से उन्हें ठण्ड नहीं लगती.

जुकाम व अस्थमा के लिए


वैज्ञानिकों द्वारा यह पाया गया है कि लहसुन अस्थमा के लिए ज़िम्मेदार बैक्टीरिया की कार्यविधि को प्रभावित करता है।
 एक विशेष प्रकार का मस्टर्ड गार्लिक ऑयल जुकाम व अस्थमा के लिए प्रयोग किया जाता है।
 मस्टर्ड गार्लिक ऑयल को थोड़ा सा गरम करने के बाद इससे नाक, छाती व गले की मसाज की जाती है। इससे फेफड़ों और छाती में जमने वाला बलगम बाहर निकल जाता है।
 सांस के रोगी के लिए लहसुन के साथ घी का सेवन करने से लाभ मिलता है और लहसुन की कलि को भूनकर खाने से भी सांस की बीमारी में लाभ मिलता है.
सरसों के तेल में लहसुन डालकर गर्म करके मालिश करने से सर्दी-जुकाम से जल्दी राहत मिल जाती है। लहसुन खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं और साथ जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।
लहसुन की 2-3 कलियों को गर्म पानी में नींबू के साथ खाने से खून साफ होता है, जिससे चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं।
लहसुन खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार नहीं पड़ता है। लहसुन के नियमित सेवन से कैंसर पैदा करने वाले सेल्स खत्म हो जाते हैं, जिससे कैंसर होने का खतरा कम रहता है।
लहसुन खाने से दिल से जुड़ी बीमारियां होने के चांसेस कम रहते हैं। वजन कम करने के लिए भी लहसुन कारगर है।
लहसुन को शहद के साथ खाने से मोटापा कम होता है।
लहसुन में पाया जाने वाला एलिसिन यौगिक, एलडीएल (खराब कोलेस्ट्रॉल) के ऑक्सीकरण को रोकता है. यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करता है.
लहसुन का नियमित सेवन रक्त में जमे थक्कों को कम करता है और थ्रोम्बोम्बोलिज़्म (thromboembolism) को रोकने में मदद करता है. लहसुन रक्तचाप को भी कम करता है, इसलिए उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए यह फायदेमंद है.
 लहसुन का उपयोग तनाव दूर करने वाला है,थकान दूर करता है | यह यकृत के कार्य को सुचारू बनाती है| चमड़ी के मस्से ,दाद भी लहसुन के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं| लहसुन में एलीसिन तत्त्व पाया जाता है| रोगों में यही तत्त्व हितकारी है| प्रमाणित हुआ है कि लहसुन ई कोलाई, और साल्मोनेला रोगाणुओं को नष्ट कर देती है| लहसुन की ताजी गाँठ ज्यादा असरदार होती है| पुरानी लहसुन कम प्रभाव दिखाती है|
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14.11.21

कई बीमारियों से मुक्ति द‍िलाने वाला है गिलोय:Giloy benefits




क्या है गिलोय


गिलोय एक कभी ना सूखने वाला पौधा है। इसका तना रस्सी की तरह होता है और इसके पत्ते पान के आकार के होते हैं। इसके साथ ही इसमें पीले और हरे रंग के फूल गुच्छे में निकलते हैं कहा जाता है कि नीम पर चढ़ी गिलोय अधिक फायदेमंद होती है। क्योंकि गिलोय एक ऐसा पौधा है जिस पेड़ पर इसकी लतें लगती हैं यह उसके भी गुण ले लेता है। गिलोय में ग्लुकोसाइन, गिलोइन, गिलोइनिन, गिलोस्तेराल तथा बर्बेरिन नामक एल्केलाइड पाये जाते हैं। अगर आपके घर के आस-पास नीम का पेड़ हो तो आप वहां गिलोय बो सकते हैं । नीम पर चढी हुई गिलोय उसी का गुण अवशोषित कर लेती है ,इस कारण आयुर्वेद में वही गिलोय श्रेष्ठ मानी गई है जिसकी बेल नीम पर चढी हुई हो 
गिलोय एक ऐसी औषधि है, जिसे अमृत तुल्य वनस्पति माना जाता है. आयुर्वेदिक द्रष्टिकोण से रोगों को दूर करने में सबसे उत्तम औषधि के रूप में गिनी जाती है.बरसात के मौसम में होने वाली वायरल बीमारियों मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया में गिलोय का सेवन किया जाता है. चो चलिए जानते हैं इसे खाने से आपको और कितने फायदे हो सकते हैं|
डायबिटीज के लिए फायदेमंद
आजकल हर कोई डायबिटीज से परेशान है ऐसे में अगर आपके परिवार में या आपको टाइप 2 डायबिटीज है तो ऐसे में गिलोय का सेवन जरुर करें. ये आपके ब्लड सुगर को अच्छे से कंट्रोल करता है. आप इसके जूस का सेवन करें, डॉक्टर भी इसका जूस पीने की सलाह देते हैं

बुखार आने की समस्या

गिलोय का सेवन करने वाले लोगों में बुखार आने की समस्या का खतरा कई गुना तक कम हो जाता है। इसके लिए गिलोय की पत्तियों को पीसकर इसकी छोटी-छोटी गोली बना लें और मरीज को सुबह-शाम इसे खाने के लिए दें। यह उनके लिए और भी फायदेमंद साबित हो सकता है जिन्हें अंग्रेजी दवाओं से एलर्जी है। दिन में दो से तीन बार इसका सेवन करने के बाद मरीज खुद ही इसके परिणाम को महसूस कर सकेगा।

इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर

अगर आप आए दिन बिमार रहते हैं और आपको अक्सर सर्दी-खांसी होती है तो ऐसे में आपके शरीर में इम्यूनिटी की कमी है जिसकी वजह से आप ज्यादा बिमार रहते हैं और आपको इन बातों को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए ऐसे में आप गिलोय का सेवन करें ये आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करेगा. गिलोय रक्त को शुद्ध करता है, बैक्टीरिया से लड़ता है जो रोगों का कारण बनता है और हार्ड और इनफर्टलिटी के इंफेक्शन को कम करता है.

गिलोय की तासीर कैसी होती है ?


बुखार में गिलोय का सेवन करते समय, गिलोय की तासीर की जानकारी बेहद जरूरी है. क्योंकि हर मौसम में गिलोय खाना ठीक नहीं माना जाता है. आयुर्वेद की किताबों में गिलोय की तासीर गर्म बताई गयी है. सर्दी-जुकाम और बुखार में इसीलिए गिलोय लाभदायक होता है.

गिलोय का सेवन कैसे करें?

किसी भी बीमारी में किसी भी दवा का सेवन कैसे करना है, यह जानकारी होना बेहद जरूरी होता है. बुखार में गिलोय का सेवन करने के पाउडर, काढ़ा या रस के रूप में करना चाहिए. गिलोय के पत्ते और तने को एक साथ सुखाकर पाउडर बनाया जाता है. वैसे बाजार में गिलोय की गोली भी मिलती हैं. एक दिन में 1 ग्राम से अधिक गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए.

गिलोय के फायदे हैं और भी-

1) गिलोय का एक चम्मच चूर्ण या काली मिर्च अथवा त्रिफला का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
2) गिलोय की बेल गले में लपेटने से भी पीलिया में लाभ होता है। गिलोय के काढ़े में शहद मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।


3) गैस, जोडों का दर्द ,शरीर का टूटना, असमय बुढापा वात असंतुलित होने का लक्षण हैं। गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है ।
4) गिलोय का चूर्ण शहद के साथ खाने से कफ और सोंठ के साथ आमवात से सम्बंधित बीमारीयां (गठिया) रोग ठीक होता है।
5) गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं।
6) गिलोय का रस और गेहूं के जवारे का रस लेकर थोड़ा सा पानी मिलाकर इस की एक कप की मात्रा खाली पेट सेवन करने से रक्त कैंसर में फायदा होगा।

7) गिलोय और गेहूं के ज्वारे का रस तुलसी और नीम के 5 – 7 पत्ते पीस कर सेवन करने से कैंसर में भी लाभ होता है|

8) गिलोय के 6″ तने को लेकर कुचल ले उसमे 4 -5 पत्तियां तुलसी की मिला ले इसको एक गिलास पानी में मिला कर उबालकर इसका काढा बनाकर पीजिये।
9) और उक्त काढ़े के साथ ही तीन चम्मच एलोवेरा का गुदा पानी में मिला कर नियमित रूप से सेवन करते रहने से जिन्दगी भर कोई भी बीमारी नहीं आती।
10) और उक्त मिश्रण मे पपीता के 2-3 पत्तो का रस मिला कर दिन में तीन चार लेने से रोगी को प्लेटलेट की मात्रा में तेजी से इजाफा होता है प्लेटलेट बढ़ाने का इस से बढ़िया कोई इलाज नहीं है यह चिकन गुनियां डेंगू स्वायन फ्लू और बर्ड फ्लू में रामबाण होता है।






11) गिलोय को पानी में घिसकर और गुनगुना करके दोनों कानो में दिन में 2 बार डालने से कान का मैल निकल जाता है। और गिलोय के पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
12) गिलोय का रस पीने से या गिलोय का रस शहद में मिलाकर सेवन करने से प्रदर रोग खत्म हो जाता है। या गिलोय और शतावरी को साथ साथ कूट लें फिर एक गिलास पानी में डालकर इसे पकाएं जब काढ़ा आधा रह जाये इसे सुबह-शाम पीयें प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
13) गिलोय के रस में रोगी बच्चे का कमीज रंगकर सुखा लें और यह कुर्त्ता सूखा रोग से पीड़ित बच्चे को पहनाकर रखें। इससे बच्चे का सूखिया रोग जल्द ठीक होगा।
14) मट्ठे के साथ गिलोय का 1 चम्मच चूर्ण सुबह शाम लेने से बवासीर में लाभ होता है।गिलोय के रस को सफेद दाग पर दिन में 2-3 बार लगाइए एक-डेढ़ माह बाद असर दिखाई देने लगेगा ।




15) गिलोय के पत्तों को पीसकर एक गिलास मट्ठा में मिलाकर सुबह सुबह पीने से पीलिया ठीक हो जाता है|
1 लीटर उबलते हुये पानी मे एक कप गिलोय का रस और 2 चम्मच अनन्तमूल का चूर्ण मिलाकर ठंडा होने पर छान लें। इसका एक कप प्रतिदिन दिन में तीन बार सेवन करें इससे खून साफ होता हैं और कोढ़ ठीक होने लगता है।

16) गिलोय का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार प्रसूता स्त्री को पिलाने से स्तनों में दूध की कमी होने की शिकायत दूर होती है और बच्चे को स्वस्थ दूध मिलता है।
17) एक टेबल स्पून गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन पीने से घाव भी ठीक होते है।गिलोय के काढ़े में अरण्डी का तेल मिलाकर पीने से चरम रोगों में लाभ मिलता है खून साफ होता है और गठिया रोग भी ठीक हो जाता है।
18) गिलोय का चूर्ण, दूध के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करने से गठिया ठीक हो जाता है।
19) गिलोय और सोंठ सामान मात्रा में लेकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से पुराने गठिया रोगों में लाभ मिलता है।
20) गिलोय का रस तथा त्रिफला आधा कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से घुटने के दर्द में लाभ होता है।
21) गिलोय का रास शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है।
यह एक झाडीदार लता है। इसकी बेल की मोटाई एक अंगुली के बराबर होती है इसी को सुखाकर चूर्ण के रूप में दवा के तौर पर प्रयोग करते हैं। बेल को हलके नाखूनों से छीलकर देखिये नीचे आपको हरा,मांसल भाग दिखाई देगा । इसका काढा बनाकर पीजिये । यह शरीर के त्रिदोषों को नष्ट कर देगा । आज के प्रदूषणयुक्त वातावरण में जीने वाले हम लोग हमेशा त्रिदोषों से ग्रसित रहते हैं। त्रिदोषों को अगर मैं सामान्य भाषा में बताने की कोशिश करूं तो यह कहना उचित होगा कि हमारा शरीर कफ ,वात और पित्त द्वारा संचालित होता है । 

पित्त का संतुलन गडबडाने पर पीलिया, पेट के रोग जैसी कई परेशानियां सामने आती हैं । कफ का संतुलन बिगडे तो सीने में जकड़न, बुखार आदि दिक्कते पेश आती हैं । वात [वायु] अगर असंतुलित हो गई तो गैस ,जोडों में दर्द ,शरीर का टूटना ,असमय बुढापा जैसी चीजें झेलनी पड़ती हैं । अगर आप वातज विकारों से ग्रसित हैं तो गिलोय का पाँच ग्राम चूर्ण घी के साथ लीजिये । पित्त की बिमारियों में गिलोय का चार ग्राग चूर्ण चीनी या गुड के साथ खालें तथा अगर आप कफ से संचालित किसी बीमारी से परेशान हो गए है तो इसे छः ग्राम की मात्रा में शहद के साथ खाएं । गिलोय एक रसायन एवं शोधक के र्रूप में जानी जाती है जो बुढापे को कभी आपके नजदीक नहीं आने देती है । यह शरीर का कायाकल्प कर देने की क्षमता रखती है। किसी ही प्रकार के रोगाणुओं ,जीवाणुओं आदि से पैदा होने वाली बिमारियों, खून के प्रदूषित होने बहुत पुराने बुखार एवं यकृत की कमजोरी जैसी बिमारियों के लिए यह रामबाण की तरह काम करती है । मलेरिया बुखार से तो इसे जातीय दुश्मनी है। पुराने टायफाइड ,क्षय रोग, कालाजार ,पुरानी खांसी , मधुमेह [शुगर ] ,कुष्ठ रोग तथा पीलिया में इसके प्रयोग से तुंरत लाभ पहुंचता है । बाँझ नर या नारी को गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर खिलाने से वे बाँझपन से मुक्ति पा जाते हैं। इसे सोंठ के साथ खाने से आमवात-जनित बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं ।गिलोय तथा ब्राह्मी का मिश्रण सेवन करने से दिल की धड़कन को काबू में लाया जा सकता है। 

मात्रा :

 गिलोय को चूर्ण के रूप में 5-6 ग्राम, सत् के रूप में 2 ग्राम तक क्वाथ के रूप में 50 से 100 मि. ली.की मात्रा लाभकारी व संतुलित होती है।

खिसकी हुई नाभि को सही जगह पर लाने के उपाय

घबराहट दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय

खून में कोलेस्ट्रोल कम करने के असरदार उपाय

दस जड़ी बूटियाँ से सेहत की समस्याओं के समाधान

अर्जुनारिष्ट के फायदे और उपयोग

सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद

बढ़ती उम्र मे आँखों की सावधानी और उपाय

जल्दी जल्दी खाना खाने से वजन बढ़ता है और होती हैं ये बीमारियां

इमली की पतियों से बढ़ता है ब्रेस्ट मिल्क

जीरा के ये फायदे जानते हैं आप ?

शरीर को विषैले पदार्थ से मुक्त करने का सुपर ड्रिंक

सड़े गले घाव ,कोथ ,गैंगरीन GANGRENE के होम्योपैथिक उपचार

अस्थि भंग (हड्डी टूटना)के प्रकार और उपचार

पेट के रोगों की अनमोल औषधि (उदरामृत योग )

सायनस ,नाक की हड्डी बढ़ने के उपचार

किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

सायटिका रोग की रामबाण हर्बल औषधि


सुनने की क्षमता कम होने (बहरापन) के उपचार:Hearing loss






 बहरापन एक ऐसी स्थिति है, जब आप आंशिक या पूरी तरह एक या दोनों कानों से आवाज नहीं सुन पाते हैं। उम्र बढ़ना और लंबे वक्त तक ऊंची आवाज के संपर्क में रहने से बहरापन (Hearing loss) की समस्या शुरू सकती है। अन्य कारण, जैसे कान में अत्यधिक मैल अस्थाई रूप से आपको सुनने में बाधा उत्पन्न करता है। बहरापन या सुनाई न देने के ज्यादातर मामलों को ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि ठीक तरह से इलाज करवाया जाए, तो बहरापन (Hearing loss) की समस्या से बचा जा सकता है। यह स्थिति जन्मजात भी हो सकती है और बाद में किन्हीं और कारणों से हो सकती है | जन्मजात बहरापन असाध्य होता है लेकिन दूसरी तरह का बहरापन चिकित्सा से आरोग्य हो जाता है | बहरापन के कारणों में – सर्दी लगना, स्नायविक कमजोरी, पुराना जुकाम शोरगुल वाले वातावरण में रहना, कनपटी पर तेज आघात लगना , कान बहने का रोग पुराना पड़ जाना आदि प्रमुख है |


बहरेपन के क्या लक्षण हैं?

बहरेपन की लक्षण निम्नलिखित हैं:
भाषा और अन्य आवाजों को धीमा सुनना।
शब्दों को समझने में परेशानी, विशेषकर बैकग्राउंड आवाजों या भीड़ के लोगों की आवाज सुनने में परेशानी आना।
किसी भी शब्दो को सुनने में परेशानी।
बार-बार दूसरे लोगों से धीमे बोलने के लिए कहना, जैसे स्पष्ट और तेज बोलने के लिए।
टीवी या रेडियो को तेज आवाज में सुनने की आवश्यकता पड़ना।
बातचीत से पीछे हटना।
सामाजिक मेलजोल से बचना।
कुछ आवाजें तेज सुनाई देना।
दो लोगों या इससे अधिक लोगों की बातचीत न सुन पाना
किसी अन्य सुनाई देने वाले ऊंचे स्वर को न बता पाना।
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की आवाज सुनने में परेशानी आना।
सुनी हुई बातें गूंजना
अस्थिरता या चक्कर आने का अहसास
कान में दबाव का अहसास (कान के पर्दे के पीछे फ्लूड का अहसास होना)

निम्नलिखित घरेलू उपाय आपको बहरापन में राहत प्रदान करने में मदद करेंगे:

कान में ईयर वैक्स जमने पर आप नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह पर एक सिरिंज के जरिए गुनगुने पानी से इसे निकाल सकते हैं। यदि आपके कान में ईयरवैक्स सख्त और फंसा हुआ है तो ईयरवैक्स को ढीला करने वाली दवाइयों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कान साफ करते वक्त हमेशा अतिरिक्त रूप से सावधानी बरतें। कान की सफाई में परेशानी आने पर अपने डॉक्टर की मदद लें। घर पर कान साफ करते वक्त किसी भी प्रकार का नुकीला या धारदार औजार या इंस्ट्रूमेंट इस्तेमाल न करें।

तेज आवाज से बचें:

 बहरापन का एक सबसे बड़ा कारण होता है तेज आवाज के संपर्क में आना। लगातार तेज आवाज में संगीत या मशीनरी की आवाज सुनने से आपको बहरापन हो सकता है। बहरापन से बचने के लिए आपको तेज आवाज के प्रति काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप तेज आवाज के संपर्क में आने से बचें और अपने कानों की सुरक्षा करें।

पोषण युक्त डायट लें: 

बहरापन को रोकने के लिए आपको एक हेल्दी डायट लेना बेहद ही जरूरी होता है। यह सुनिश्चित करें कि आपके प्रतिदिन के खानपान में विटामिन्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और सप्लिमेंट्स शामिल हों, जो रक्त के प्रवाह में मदद करते हैं और फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं।

हीयरिंग एक्सरसाइज करें: 

जब आपको बहरापन होता है तो ध्वनि के स्रोत का स्थान और ध्वनि फिल्टरिंग दो अहम समस्या होती हैं। इनसे बचने के लिए आपको अपने कानों को मल्टिपल साउंड और ध्वनियों की स्थितियों में ट्रेंड करने की जरूरत है। इससे आप जो आवाज सुनना चाहते हैं, उस पर फोकस करने में मदद मिलेगी। इस एक्सरसाइज में आपको विभिन्न आवाजों के बीच एक आवाज के स्रोत या दिशा को पहचानने पर अपना ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है।

दालचीनी और शहद

दालचीनी और शहद की मदद से कम सुनने की क्षमता को सही किया जा सकता है। सुनने की क्षमता कम होने पर आप दालचीनी और शहद से जुड़े इस उपाय को कर लें। इस उपाय के तहत रोज दालचीनी और शहद के पानी का सेवन करें। एक गिलास पानी के अंदर एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी मिला दें। फिर इस पानी को पी लें। रोज सुबह ये पानी पीने से कान पर अच्छा असर पड़ता है। इसके अलावा आप कान के अंदर दालचीनी के तेल की कुछ बूंदे भी डाल सकते हैं। इस तेल की बूंदे कान में डालने से आपको आराम मिलेगा।


नीम का तेल

नीम के तेल को कानों में डालने से सुनने की क्षमता में सुधारा होता है। नीम के तेल को कान में रुई की मदद से दिन में तीन बार डालें। ऐसा करने से तुरंत आराम मिल जाएगा।

अश्वगंधा

सुनने की क्षमता मजबूत बनीं रहे, इसके लिए अश्वगंधा का सेवन करें। इसका सेवन करने से सुनने की क्षमता अच्छी हो जाती है। आप अश्वगंधा के पाउडर को गर्म पानी या दूध के साथ ले। रोज इसका सेवन करने से बहरापन दूर हो जाएगा।

प्याज

प्याज को 15 मिनट तक पानी में डालकर उबालें। फिर इस पानी को छान लें। इसे ठंडा कर अपने कान में इसकी कुछ बूंदे डाल दें। रोजाना ये उपाय करने से सुनने की क्षमता सही हो जाएगी।


सेब का सिरका

सेब के सिरके में मैग्नीशियम जिंक पाया जाता है। जो कि कानों की मांसपेशियों में सुधार लाने का काम करता है और ऐसा होने से सुनने की क्षमता पर अच्छा असर पड़ता है। आप बस एक गिलास पानी में शहद और एक बड़ा चम्मच सेब का सिरका मिलाएं दें और रोज इसे पीएं।

सरसों का तेल

सरसों का तेल कान के लिए उत्तम माना जाता है और इस तेल की मदद से भी कम सुनने की समस्या दूर हो जाती है। कम सुनने की समस्या होने पर शहद और सरसों के तेल को मिलाएं और इसकी बूंदें कान में दिन में दो से तीन बार डालें। सुनने की क्षमता में सुधार आ जाएगा। इसके अलावा आप सरसों के तेल को हल्का गर्म करके भी रूई की मदद से कान में इसे डाल सकते हैं।

अदरक

अदरक का रस सुनने की क्षमता को बढ़ता है और बहरेपन को दूर कर देता है। एक गिलास पानी को गैस पर गर्म करने के लिए रख दें। फिर इसके अंदर अदरक डालकर इसे उबाल सें। 5 मिनट तक इसे उबालने के बाद गैस बंद कर दें। पानी को छान लें और इसमें शहद को मिला दें। ये पानी पीने से सुनने की क्षमता अच्छी हो जाएगी।

एक्यूप्रेशर

एक्यूप्रेशर के माध्यम से भी सुनने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। एक्यूप्रेशर के तहत कानों के ऊपरी भाग को दो उंगलियों से धीरे धीरे मोड़ें। दिन में ये प्रक्रिया कई बार करें। ऐसा करने से सुनने की क्षमता बढ़ जाएगी।


कान बजना (Tinnitus)

यदि एकदम से कान बन्द हो गया हो और कुछ भी सुनाई न दे तो ऐसी स्थिति में एसारम यूरोपियम 30 या 200 देनी चहिये ।

मवाद बंनने से बहरापन होना –

कॉस्टिकम 200, IM – यदि कान बहने के कारण बन्द हो गया हो तो सबसे पहले लक्षणानुसार कान को सुखने की दवा देनी चाहिये । कान सूख जाने के बाद कॉस्टिकम 200 या 1M की एक मात्रा ही देनी चाहिये। इससे सुनाई न देने की स्थिति ठीक हो जाती है। अगर इससे भी लाभ न हो तो लक्षणानुसार अन्य औषधियों का चयन करना चाहिये।

मैल जमने से बहरापन होना –


मुलेन ऑयल – यदि कान में मैल आदि जम जाने के कारण सुनाई देना बंद हो गया हो तो सबसे पहले रुई आदि की सहायता से कान को साफ़ करना चाहिये। फिर कान में मूलन ऑयल को नियमित रूप से एक दो माह तक डालना चाहिये, इससे बहरेपन में अत्यन्त लाभ होगा ।
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10.11.21

सुडौल व उन्नत वक्ष बनाने के घरेलू आयुर्वेदिक उपाय:increase breast size



 

महिलाओं की सुन्दरता को बनायें रखने और लडको को उनकी तरफ आकर्षित करने में स्त्री स्तन एक महत्वपूर्ण अंग है. इसलिए स्त्रियाँ अपने वक्ष स्थल का बहुत ध्यान रखती है और उन्हें पूर्ण रूप से विकसित रखने की कोशिश करती है. ये ना सिर्फ इनकी बाहरी सुन्दरता को बढ़ता है बल्कि इनके अंदर के आत्मविश्वास को भी बढ़ता है. अगर किसी स्त्री के छोटे स्तन होते है तो इससे उनमे हीन भावना उत्पन्न हो जाती है.
   सुडौल व उन्नत वक्ष आपके सौन्दर्य में चार-चाँद लगा सकते है. इस बात में कोई दोराय नहीं है की सुन्दर एवम् सुडौल वक्ष प्रक्रति की देन है परन्तु फिर भी उनकी उचित देखभाल से इन्हें सुडौल व गठित बनाया जा सकता है. इससे आपके व्यक्तित्व में भी निखार आ जाता है. अधिकतर महिलाये अपने छोटे ब्रैस्ट को विकसित करना चाहती है उनके लिए दिए गये घरेलु नुस्खे काफी कारगर सिद्ध होंगे. अविकसित वक्ष न तो स्त्री को ही पसंद होते है न ही उनके पुरुष साथी को.
*कुछ स्त्रियां अपने घर में बिल्कुल मेहनत का काम नहीं करती इस वजह से उनकी छाती के क्षेत्र में ब्लड का सरकुलेशन सही तरीके से नहीं हो पाता और उनके वक्षों का साइज़ छोटा रह जाता .हैं छोटे स्तनों को सुडौल व आकर्षक बनाने के लिए अगर हो सके तो आप किचन में मसाला पीसने या चटनी पीसने के लिए मिक्सर का प्रयोग ना करते हुए सिल-बट्टे का प्रयोग करें स्तनों को बढ़ाने के लिए यह एक प्रकार की बहुत ही अच्छी एक्सरसाइज है.

*स्तनों को उचित आकार देने के लिए अपने दोनों हाथों पर को दीवार पर रखे और इस तरह जोर लगाएं जैसे आप दीवार को धक्का दे रहे हों. और ध्यान रखें कि आप की कोहनी दीवार में धक्का या जोर लगते समय बिल्कुल सीधी होना चाहिए. और आप इस तरह से लगभग रोजाना 5 मिनट की एक्सरसाइज कर लिया करें ऐसा करने से आपको एक महीने में ही फर्क दिखने लगेगा.
*वक्षों का आकार सही न रहने के पीछे अनेक कारण हो सकते है. किसी लम्बी बीमारी से ग्रसित होने के कारण भी वक्ष बेडौल हो सकते है, इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान तथा प्रसव के बाद भी स्तनों का बेडौल हो जाना एक आम बात है. ऐसी अवस्था में स्त्रियों के लिए उचित मात्रा में पौष्टिक व संतुलित आहार लेना अति आवश्यक हो जाता है. उनके भोजन में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, विटामिन्स, मिनरल्स तथा लौह तत्व भरपूर मात्रा में होने चाहिए. इसके साथ साथ ऐसी स्त्रियों को अपने स्तनों पर जैतुन का लगाकर मालिश करनी चाहिये. ऐसा करने से स्तनों में कसाव आ जाता है. मालिश करने की दिशा निचे से उपर की ओर होने चाहिए.
*मालिश करने के बाद ठन्डे व ताज़े पानी से नहाना उचित रहेगा. ऐसा करने से न केवल वक्ष विकसित व सुडौल होने लगेंगे इसके अलावा आपके रक्त संचार की गति में भी तीव्रता आयगी.

वक्ष सौन्दर्य के लिए कुछ सरल उपाय व व्यायाम:-

* सबसे पहले घुटनों के बल बैठ जाए और दोनों हाथों को सामने लाकर हथेलियों को आपस में मिलाकर पुरे बल से आपस में दबाएँ जिससे स्तनों की मांसपेशियों में खिंचाव होगा. फिर इसके बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपनी हथेलियों को ढीला कर दें. इस प्रक्रिया को नियमित रूप से १० से १५ बार करे. ( वक्षों को नहीं दबाना ह२. इसके अलावा दोनों हाथों को सामने की ओर फैलाते हुए हथेलियों को दिवार से सटाकर पांच मिनट तक दीवारे पर दबाव डालें. ऐसा करने से वक्ष की मांसपेशियों में खिचांव होगा, जिससे वक्ष पुष्ट हो जायंगे.
*घुटनों के बल चौपाया बन जाए, फिर दोनों कोहनियों को थोडा-सा मोड़ते हुए शारीर के उपरी भाग को निचे की ओर झुकाएं.
अपने शरीर का पूरा भार निचे की ओर डाले. तथा पुनः प्रथम अवस्था में आ जाए. इस व्यायाम को ६ से ८ बार दोहराएँ.
* आप व्यायाम के अलावा एक नुस्खे को अपनाकर भी ढीले पड़े स्तनों में कसावट लाई जा सकती है. इसके लिए अनार के छिलकों को छाया में सुखा लें. फिर इन सूखे हुए छिलको का महीन (बारीक़) चूर्ण बना लें, अब इस चूर्ण को नीम के तेल में मिलाकर कुछ देर के लिए पका लें. फिर इसे कुछ देर ठंडा होने के लिए छोड़ दें, ठंडा हो जाने के बाद दिन में एक बार इस लेप को वक्षों पर लगायें और तकरीबन एक से दो घंटा लगे रहने के बाद इस लेप को सादे पानी से साफ़ कर लें. इसके नियमित उपयोग से कुछ दी दिनों में आपको लाभ अवश्य दिखने लगेगा.
*जो स्त्रियाँ बच्चों को स्तनपान कराती है उन स्त्रियों को अपने वक्षों को देख-रेख की ओर और अधिक ध्यान देने की आवश्कता होती है. क्युकि बच्चों को स्तनपान कराने से स्तनों में ढीलापन आ जाता है. इसके अलावा उनके लिए कुछ बातों की और ध्यान देना भी जरूरी होता है. उन्हें कभी भी बच्चों को लेटकर स्तनपान नहीं कराना चाहिए, हमेशा बैठकर ही बच्चों को दूध पिलाना चाहिए. साथ ही इस बात का भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि स्तनपान करने के लिए दोनों स्तनों का बारी-बारी से उपयोग करना चाहिए. ऐसा न करने से वक्षों के आकार में भिन्नता आ जाती है. जिससे आपके सम्पूर्ण सौन्दर्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
*स्तनों का आकार बढ़ाने के लिए तिल भी एक बहुत अच्छा विकल्प है अपने ब्रेस्ट को सही साइज देने के लिए आप तिल को थोड़ी मात्रा में रोज खाएं और यदि संभव हो तो इसके तेल से अपने स्तनों पर रोज़ाना मालिश करें. एस करने से भी बहुत जल्दी फायदा होता है. तिल में कैल्शियम प्रोटीन और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और यह आपके वक्ष का आकार बढ़ाने में मदद करता है
*अगर आप शारीरिक रूप से भी कमजोर हैं तो आप ऐसा खाना खाएं जिसमें शक्कर की मात्रा ज्यादा हो और यह आपके शरीर को भी सुडौल बनाएगी और आपके स्तनों को भी.
*वॉशिंग मशीन की जगह कपड़े अपने हाथों से रगड़ रगड़ कर धोने से से भी आपके चेस्ट की एक्सरसाइज होती है और फल स्वरुप आपके ब्रेस्ट का साइज सही हो जाता है.


*आप अपने घर में सफाई के लिए जो झाड़ू लगाती हैं उसमें भी आपके ब्रेस्ट की एक्सरसाइज होती है. अगर आप अपने घर में झाड़ू नहीं लगातीं तो आज ही खुद अपने घर की झाड़ू देना शुरू कर दें इससे आपकी एक्सरसाइज भी हो जाएगी और आपके ब्रेस्ट के लिए भी ये फायदेमंद साबित होगा.
*अपने ब्रेस्ट को सही आकार देने के लिए आप स्वास्थ्यवर्धक वसा का अच्छे से सेवन करें, ऐसा करने से आपके स्तनों का आकार बढ़ने की संभावना बन जाती है स्वास्थ्यवर्धक वसा जैसे कि अंडे, पनीर, बटर, नाशपाती, घी इस तरह की चीजें जिन में वसा की मात्रा अधिक होती है और यह आपके स्तनों तक सीधा पहुंचता है और उनका आकार प्राकृतिक रूप से सही होना शुरू कर देता है.

सुडौल स्तन के घरेलू आयुर्वेदिक उपाय :



मेथी ( Fenugreek ) :

 मेथी में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते है जो स्तनों के विकास में सहायक होते है. इनके बीज में एस्ट्रोजिन नाम का हार्मोन पाया जाता है. जिससे स्तन का आकार और शेप दोनों उभरते है. इसके अलावा मेथी में प्रोलेकटिन नाम का हार्मोन भी हटा है. इससे स्तन आकर्षक और सख्त होते है.


प्याज ( Onion ) : 

प्यार का उपयोग स्तनों को चुस्त, नर्म और उन्नत रखने के लिए किया जाता है. अगर प्यार के रस में थोडा शहद और हल्दी मिलकर स्तनों पर मालिश की जाएँ तो इससे ढीले और लटके हुए स्तनों में भी कसावट आ जाती है और वो भी आकर्षक दिखने लगते है. ये उपाय शादीशुदा औरतों और उन औरतों के लिए बहुत लाभदायी है जिन्होंने अपने बच्चे को स्तनपान कराया हो.

अनार-

 अनार एंव केले का सेवन आपके स्तनों के आकर को बड़ा करता है अपितु इन्हें खूबसूरत बनाता है। इसके अलावा एक तरो ताजा अनार लें एंव पीस लें। इसे 200 या 250 ग्राम सरसों के तेल में डालकर गर्म कर लें। इस तेल की मालिश नियमित रूप से स्तनों पर करते रहने से स्त्रियों के स्तन उन्नत, सुडौल, सख्त और सौंदर्ययुक्त बन जाते हैं। अनार की छाल एक किलो और माजूफल 125 ग्राम को 2 लीटर पानी में डालकर इतना पकायें कि पानी आधा बच जाये। तब इसे छानकर रख लें। फिर इसी में 125 ग्राम तिल का तेल डालकर, पकाकर स्तनों पर लेप करने से स्तन कठोर होते हैं।



चिकन ( Chicken ) :
  स्तनों के आकार को बढ़ाने और उनके विकास में सबसे जरूरी हार्मोन होता है एस्ट्रोजिन और यदि आप मांसाहारी भोजन का सेवन करते हो तो आप उसके लिए दिन में एक बार चिकन का सेवन जरुर करें, इससे आपके स्तन बड़े और कसावट युक्त होते है.



विटामिन ( Vitamins ) : 

विटामिन ना सिर्फ आपके शरीर को सुन्दर और आकर्षक बनाते है बल्कि आपके स्तनों को भी सुडौल और सही आकार प्रदान करते है. इसलिए आप अपने आहार में विटामिन ए, ई और विटामिन सी की प्रचुर मात्रा लें



अंडे की जर्दी और ककड़ी- 

अंडे की जर्दी में विटामिन डी होता है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। मक्खन, ककड़ी के साथ अंडे की जर्दी को मिलाकर इसका पेस्ट तैयार करें। 20-30 मिनिट तक गोलाकार आकार में मालिश करें। ऐसा रोज करने से कसाव के साथ ही स्तन के आकार में भी परिवर्तन आयेगा।

असगंध और शतावरी 

 सुन्दर सुडौल और स्तनों के आकार में वृद्धि करने के लिए आप असगंध और शतावरी को बराबर मात्रा में लें और उन्हें सुखाकर उनका पाउडर बना लें. आप इनके मिश्रण में थोडा सा गे का घी डालकर अच्छी तरह मिलायें और इसे एक डब्बे में रख लें. आप प्रतिदिन इस मिश्रण की 10 ग्राम मात्रा में थोडा शहद मिलाकर दूध के साथ सेवन करें.

एलोविरा- 

एलोविरा यह आजकल हर घर में देखा जा सकता है। यह एक औषधीय पौधा होता है। इसे ग्वारपाठा या धृतकुमारी के नाम से भी जाना जाता है। यह कांटेदार पत्तियों वाला पौधा होता है इसमें रोग निवारण के गुण भरे होते हैं। औषधि की दुनिया में इसे संजीवनी भी कहा जाता है। इसका जूस हमारे त्वचा की नमी को बनाए रखता है जिससे त्वचा स्वस्थ दिखती है। यह स्किन के कोलेजन और लचीलेपन को बढ़ाकर स्किन को जवान और खूबसूरत बनाता है।




कमलगट्टे ( Kamalgatte ) : 

अगर आप अपने स्तनों को गोल, नर्म और सुडौल बनाना चाहते है तो उसके लिए आप आप कमलगट्टे की गिरी को पीसकर उसका पाउडर तैयार कर लें. इस पाउडर को आप प्रतिदिन 5 ग्राम की मात्रा में ग्रहण करें. इससे जल्द ही आपके स्तनों का आकार बढ़ना शुरू होता है.


स्तनों और वक्षस्थल को सही आकर देने, सुन्दर, आकर्षक, सुडौल और उत्तेजित बनाने के अन्य उपयों को जानने के लिए आप नीचे कमेंट करके जानकारी हासिल कर सकते हो

स्तन के कसाव के कुछ घरेलू उपचार

बर्फ की मालिश- बर्फ की मसाज से ब्रेस्ट लूज़ होने से रोके जा सकते हैं। बर्फ आपके स्तनों को उभार देता है और उन्हें ढीला होने से रोकता है। 2 बर्फ के टुकड़े लें और उन्हें गोलाकार मुद्रा में अपने स्तनों के आसपास घुमाएं। इसे 1 मिनट से ज़्यादा न करें क्योंकि स्तनों के पास की त्वचा काफी संवेदनशील होती है।

तेल की मालिश-

हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जिस तरह संतुलित आहार व योगासन आवश्यक है उसी तरह मालिश भी शरीर को स्वस्थ रखने में काफी योगदान रखती है। मालिश से शरीर पुष्ट होता है और मांसपेशियों को भी नवजीवन मिलता है। वैसे तो बाजार में कई औषधीय तेल मिलते हैं लेकिन स्तनों की मालिश के लिये जैतून का तेल ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आप रोजाना स्तनों की मालिश जैतून के तेल से करेगें तो आपके स्तनों का आकार बढ़ेगा। मालिश के द्वारा रक्त परिसंचरण बढ़ जाता है जो स्तनों के अंदर ऊतकों को फैलाने में मदद करता है और उन्हें बड़ा, मजबूत और कसावदार बनाने में मदद करता है।

स्तनों का आकार बढ़ाने में प्याज का प्रयोग

स्तनों का आकार बढ़ाने में प्याज का प्रयोग आप घरेलू नुस्खे के तौर पर कर सकती हैं प्याज के रस में थोड़ी हल्दी और शहद मिला लें और रात को सोते समय अपने दोनों स्तनों पर उसको मॉल लें, और अगली सुबह उठकर इन्हे ठंडे पानी से धो लें इसके प्रयोग से आपके ढीले लटके हुए स्तन एकदम टाइट हो जाते हैं और अगर आपके स्तनों का आकार सामान्य से छोटा है तो यह उन को सुडौल बनाने में बड़ा करने में आपके लिए काफी लाभकारी साबित हो सकता है. वक्षों को कैसे बढ़ाएं यह प्रयोग थोड़ा मुश्किल इसीलिए हो सकता है क्योंकि रात में आपको प्याज के रस की गंध का सामना करना पड़ता है.

केला है फायदेमंद-

*अगर आपका वजन ज्यादा नहीं है तो आप रोजाना बिना नागा किए नियमित रूप से दो केले खा लिया करें आपके स्तनों का आकार आकर्षक बनाने के लिए केले से सस्ता और आसान उपाय कोई दूसरा नहीं है. इसमें वसा की मात्रा बहुत अधिक होती है और यह आपके स्तनों को बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है और अगर आप दुबली-पतली हैं तो यह आपके शरीर को भी सुडौल बनाने में मदद करता है|
*शरीर के लिये अनियमितता बरतना सेहत के लिये काफी नुकसान देह होता है। अगर आप चाहती हैं कि आपका मोटापा ना बढ़े और स्तन भी भारी ओर बैडौल ना हो जाएं तो इसके लिए भोजन करने की आदत को ठीक करें और रोजाना व्यायाम करने की आदत डालें।
* संतुलित आहार भरपूर मात्रा में खायें। अंडा, प्रोटीन शेक, मछली, मीट और दूध में प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है और इसे भी खाने से ब्रेस्‍ट साइज बढ़ता है।
* ध्रूमपान के सेवन से बचें, जो स्वास्थ के लिये, एवं आपकी त्वचा के लिये काफी हानिकारक होता है।
हमेशा आप अपने कंधों को आगे की ओर झुकाकर ना बैठे।
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9.11.21

मुंह की लार के ये फायदे नहीं जानते होंगे आप!:saliva of the Mouth


 

मुंह की लार (Saliva) को अगर आप अब तक बेकार समझ रहे थे तो हम आपको बता दें कि मुंह की लार (Mouth Saliva) हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होती है. जी हां, भले ही आपको यह सुनकर घिन आ रही होगी, लेकिन ये सच है. आमतौर पर अधिकांश लोग अपने मुंह में बनने वाली लार की तरफ ध्यान ही नहीं देते हैं, लेकिन अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए तो इससे आपके मुंह (Mouth) का स्वाद बिगड़ सकता है और आपको कई तरह की बीमारियों व संक्रमण का खतरा हो सकता है. खासकर, सुबह के वक्त मुंह से निकलने वाली लार कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं (Health Problems) से आपको सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाती है.

 सुबह जब हम सो कर उठते है उस समय जो हमारे मुहं की लार होती है उसके अनेक फायदे है इसे बासी मुंह की लार भी कहते है । सुबह की लार का पूरा फायदा उठाने के लिए हमें बिना मुहं धोये ही उसका उपयोग करना चाहिए। यह एक औषधीय गुण है जो आपकी कई समस्याओं को खत्म करता है। आइए जानते है कि इसके क्या-क्या फायदें है।
 मुंह में बनने वाली लार हमारी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद है इस बारे में हम कभी ध्यान ही नहीं देते लेकिन अगर शरीर में इसकी कमी हो जाए तो मुंह का स्वाद बरकरार रखने से लेकर कई बीमारियों और संक्रमणों का खतरा हो सकता है।

जानते हैं लार के फायदे :-

   सोने से पहले दातों को साफ करके सोएँ और फिर सुबह उठकर बिना कुल्ला किये बिना थूके प्रयोग करे। ये मुह की लार हमारे शरीर की सर्वोत्तम अमृत तुल्य औषिधि है। जो केसा भी चश्मा हो उसको उतारने का गुण रखती है केसा भी दाद हो उसको ठीक करने का गुण रखती है, लार बाज़ार में नही मिलती यह सभी के मुँह में भगवान ने उपहार स्वरुप दी है। 

एंटीसेप्टिक है सुबह की लार

सुबह के वक्त मुंह में बनने वाली लार एक बेहतरीन एंटीसेप्टिक होती है जो मुफ्त में मिलती है और रोगों की एक कारगर दवा भी है. मुंह में बनने वाली लार में असंतुलन के कारण आज कई लोग बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. जबकि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के मुंह में हर रोज 1000 से 1500 मिलीलीटर लार बनती है जो मुंह में मौजूद कैविटी, हानिकारक बैक्टीरिया को साफ करने में मदद करती है.

लार के फायदे

आखों के नीचे काले घेरे के लिए :-

 यदि किसी भाई बहन के आखों के नीचे काले घेरे हो गये हैं तो वो सुबह मे मुह की लार से धीरे धीरे मालिश करें तो ये काले घेरे ठीक हो जायेंगे लेकिन प्रयोग 1-2 महीने करना पड़ेगा।

चस्मा उतारने के लिए :- 

चाहे कितने भी नंबर के मोटे चश्मे लगे हो वे भाई बहन सुबह उठकर पानी का कुल्ला किये बिना जो लार रात भर में इकट्ठी हुई वो आखों में काजल या गुलाब जल की तरह लगानी है | यह आप रात को सोते समय और सुबह 5 बजे उठकर बेड पर लगाये ताकि मुँह 1-2 घंटे बाद धोये तो लार का अपना काम कर सके। कैसा भी चश्मा हो उतरने के 100% आसार रहते है लेकिन आपको प्रयोग तब तक जारी रखना पड़ेगा जब तक आपके चश्मे का नंबर धीरे धीरे कम होकर शून्य हो जाये परिणाम 100% मिलेगा लेकिन कुछ वक़्त लगेगा और लार का कोई साइड इफ़ेक्ट नही है लार से तो आँखों की रौशनी (6/6) भी बढ़ती है।

पेट के लिए है लाभदायक


सुबह की लार पेट के लिए बहुत फायदेमंद होती है. दरअसल, जब आप पानी पीते हैं तो रात भर मुंह में जमा लार पानी के साथ आपके पेट के भीतर जाता है. जिससे पेट अच्छा रहता और पेट से जुड़ी समस्याओं का खतरा भी कम होता है.

 त्‍वचा के लिए गुणकारी

अगर आप दाद से परेशान हैं तो सुबह के वक्त उठकर बिना मुंह धोए मुंह की लार को दाद पर लगाएं. इससे पुराने से पुराना दाद भी ठीक हो जाता है. इसके साथ ही एक्जिमा, अन्य फोड़े-फुन्सी, मुंहासे ठीक करने में भी सुबह की लार उपयोग किया जाता है.

 घाव भरने में मददगार

सुबह की लार घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरने लगता है. शरीर में कहीं कट-छिल जाए या फिर घाव हो जाए तो उस पर सुबह की लार जरूर लगाएं. सुबह के वक्त मुंह से निकलने वाली लार डायबिटीज के रोगियों के घाव पर भी कारगर असर दिखाती है|

डायबिटीज के रोगियों के लिए :- 

डायबिटीज के रोगियों को जहाँ चोट लगी है वहां सुबह की लार लगाये घाव भरने लगेगा।

शरीर के जलने पर :-

 जिन लोगों के जलने से शरीर के किसी भी भाग में कोई दाग हो और नही जा रहा हो वे इसी लार की मालिश करें दाग त्वचा के रंग का होने लगेगा।

आंख आना

जब आंख आती है तो काफी दर्द होता है और आंखों से पानी भी आता है। ऐसे में अगर आप आंख पर लार लगाएंगी तो 24 घंटो के अंदर आंख सही हो जाती है।

दाद के लिए :-

 जिन लोगों के दाद हो गये हैं वे भी इस लार को प्रतिदिन सुबह उठते ही बिना कुल्ला किये रात भर की इकट्ठी मूंह की लार लगाये दाद देखते ही देखते छूमंतर हो जायेगा। ऐसी कई बीमारी का इलाज है ये मुह की लार |

मुहं की लार में क्या होता है :- 

आइये जानते है मुँह की लार में होता क्या है? मुँह की लार में टायलिन नामक एंजाइम होता है जो हमारी पाचन क्रिया को बढाता है और जो लोग खाते हैं या थूकते रहते हैं धीरे धीरे ये लार बनना बंद हो जाती है और मुँह के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इस लार का PH मान 8.3 होता है। और आप ये सभी सुबह जो टूथपेस्ट करते हो वो करना बंद करे क्योकि इससे लार को हम थूक देते हैं।इसके स्थान पर नीम या बबूल की दातुन करे। ये दातुन करने से लार सर्वाधिक लार बनती है और जिससे दातुन किया उस भाग को काट कर निकाल दे और पानी मे भिगोकर रखें अगले दिन फिर उसी दातुन के अगले हिस्से को प्रयोग में ले सकते है।

आंखों के लिए फायदेमंद

सुबह की लार को आखों पर काजल की तरह लगाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और चश्मे का नंबर कम होने लगता है. इसके अलावा आंखों का लाल होना, दर्द, जलन और पानी आने जैसी समस्या होने पर मुंह की लार को आंखों पर लगाने से फायदा होता है. इसके अलावा अगर आप आंखों के नीचे काले घेरे से परेशान हैं तो सुबह मुंह की लार से धीरे-धीरे मालिश करें.

जले हुए दाग मिटाएं

अगर आप सुबह-सुबह उठ के अपना लार जले हुए निशान पर लगाएंगे तो ऐसा करने से कुछ समय में दाग मिटने लगेगा।

पेट के लिए लाभदायक

जब आप सुबह पानी पीते है तो रात भर जो मुंह में जमा लार होता है वो पानी के साथ मुंह में चला जाता है जो पेट के लिए बड़ा ही फायदेमंद है।

नेत्र रोग मे - 

आजकल बच्‍चों तक को चश्‍मा लगना आम बात है। इस चश्‍में को उतारने में भी सुबह की बिना मुहं धोये की लार यदि आखों में काजल की तरह लगाया जाये तो चश्‍में कुछ ही महीने में उतर सकता है। बच्‍चों के चश्‍में चार से छ:माह में ही उतर जाते है बडों काे थोडा लम्‍बा टाइम लगभग एक साल भी लग सकता है।
  इस प्रकार सुबह की अथवा बासी मुहं की लार से हम मुफत में कई बीमारियों का इलाज कर सकते है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि इस लार में वो सभी 18 तत्‍व पाये जाते है जो कि मिटटी में पाए जाते है|
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