25.8.21

सफ़ेद आक मदार का पौधा कई रोगों मे फायदेमंद :safed ankade ke fayde



 

  श्वेतार्क (Calotropis Gigantea) एक औषधीय पादप है इसको मंदार', आक, 'अर्क' और अकौआ भी कहते हैं। यह पौधा जहरीला होता है आंकड़े के पौधे से सफेद दूध भी निकलता है गर्मियों के दिनों में प्रायः अनेक स्थानों पर श्वेतार्क के बीज उड़ते हुए दिखाई देते हैं। साधारण सी भाषा में इनकों 'बुढ़िया के बाल ' कह देते हैं। इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है। पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं। हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है। फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं। फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है। आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है। चौमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है।अर्क इसकी तीन जातियाँ रक्तार्क,श्वेतार्क,राजार्क पाई जाती है इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है यह मनुष्य को मार डालता है। इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योंकि आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाये तो, उलटी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में, योग्य तरीके से, चतुर वैद्य की निगरानी में किया जाये तो अनेक रोगों में इससे बड़ा उपकार होता है।औषधीय उपयोग में केवल सफ़ेद आक का ही उपयोग करना चाहिए. नीली प्रजातियाँ अधिक विषैली होती हैं और उनका उपयोग खाने में नहीं किया जाता, केवल बाह्य उपयोग ही किया जाता है आक का हर अंग दवा है, हर भाग उपयोगी है। यह सूर्य के समान तीक्ष्ण तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायनधर्मा हैं। कहीं-कहीं इसे 'वानस्पतिक पारद' भी कहा गया है।

*आक के पीले पत्ते पर घी चुपड कर सेंक कर अर्क निचोड कर कान में डालने से आधा सर दर्द जाता रहता है बहरापन दूर होता है। दाँतों और कान की पीडा शाँत हो जाती है।
*आक के पत्तों को गरम करके बाँधने से चोट अच्छी हो जाती है। सूजन दूर हो जाती है। आक के फूल को जीरा, काली मिर्च के साथ बालक को देने से बालक की खाँसी दूर हो जाती है।
*बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से जाते रहते हैं। बर्रे काटे में लगाने से दर्द नहीं होता। चोट पर लगाने से चोट शाँत हो जाती है। जहाँ के बाल उड गये हों वहाँ पर आक का दूध लगाने से बाल उग आते हैं।
*आक की जड का धूँआ पीने से आतशक (सुजाक) रोग ठीक हो जाता है। इसमें बेसन की रोटी और घी खाना चाहिये। और नमक छोड़ देना चाहिये। आक की जड और पीपल की छाल का भस्म लगाने से नासूर अच्छा हो जाता है। आक की जड का चूर्ण का धूँआ पीकर ऊपर से बाद में दूध गुड पीने से श्वास बहुत जल्दी अच्छा हो जाता है।

आंख में पीड़ा

अगर आपकी एक आंख में पीड़ा हो रही हो तो जिस आंख में पीड़ा हो रही हो उसके दूसरे पैर के अंगूठे पर श्वेत यानि सफेद आक को दूध से पूरी तरह गीला करके कुछ देर रखने से काफी राहत मिलती है

आंखों के लिए ऐसे करें इस्तेमाल

आक की सूखी छाल को कूटकर इसमें 20 ग्राम गुलाब जल मिलाएं और इसे 5 मिनट के लिए रख दें. फिर इसे आंखों में 3 से 4 बूंद डालें. इससे आंखों का लाल होना, भारीपन, आंखों में दर्द या खुजली जैसी समस्या दूर हो जाती है.

दाढ़ में दर्द को तुरंत करे दूर

आक के दूध में रूई भिगोकर घी में अच्छी तरह से मसल लें और फिर इसे दाढ़ पर रख लें. इससे दांत या दाढ़ का दर्द तत्काल दूर हो सकता है. इसके अलावा अर्क के दूध में नमक मिलाकर दांत पर लगाने से दांत का दर्द दूर हो जाता है. वहीं, हिलते हुए दांत को अर्क का दूध लगाकर आसानी से निकाला जा सकता है. ऐसा करने से दांत निकालते समय दर्द कम होता है.

दूर होती है चेहरे की झुर्रियां व दाग


हल्दी के 3 ग्राम चूर्ण को आक के दो चम्मच दूध और गुलाब जल में अच्छी तरह से मिला लें. इसका लेप चेहरे पर लगाएं, इससे त्वचा मुलायम होती है. ध्यान रहे इसे आंख पर न लगने दें. जिनकी त्वचा पहले से मुलायम है और चेहरे पर निखार लाना चाहते हैं तो उन्हें आक के दूध के स्थान पर आक का रस इस्तेमाल करना चाहिए.

सिर व कान दर्द में उपयोगी

आक के फूल का उपयोग सिर व कान दर्द में उपयोग होता है. इसके दूध को सिर पर लगाने से माइग्रेन में फायदा मिलता है. आक के पत्तों का रस कान में डालने से कान से संबंधित रोग जैसे कान में मवाद आना, सांय-सांय की आवाज आना, दूर होते हैं.

सांस की समस्या ठीक करने में कारगर

जिन लोगों को अक्सर सांस या खांसी से संबंधित समस्या रहती है, उनके लिए आक का पौधा रामबाण औषधि की तरह है. 50 ग्राम आक के फूल की लौंग को लेकर उसमें एक चुटकी मिर्च को अच्छी तरह पीस लें और इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें. इन बारीक गोलियों को रोज सुबह गर्म पानी के साथ सेवन करें. इससे सांस से संबंधित बीमारी दूर हो जाती है. इसके अलावा आक के पत्तों पर मौजूद सफेद परत को इकट्टा करके बाजरे जैसी गोलियां बनाकर रोज सुबह-शाम पान के साथ सेवन करने से लंबे समय से बनी खांसी की समस्या को दूर किया जा सकता है|

आक की रोटी

सामग्री:
मदार की जड़ : 2 किलो
पानी : 4 लीटर
गेहूं : 2 किलो

विधि:
सफेद मदार के पौधे को उखाड़ लें और जड़ काटकर अलग कर लें। अब एक बड़े पैन में मदार की जड़ को 4 लीटर पानी में डालकर उबालें। जब पानी सूखकर आधा हो जाए, तो पैन को आंच से उतार लें और जड़ को पानी से निकाल लें। अब उबले हुए पानी में गेहूं डाल कर पानी सोखने तक छोड़ दें। जब गेहूं सारा पानी सोख ले तो इसे धूप में सुखा लें। अब इस गेहूं को पीसकर आटा बना लें। इस आटे से रोटियां बनाएं और घी और गुड़ के साथ परोसें। ये रोटियां न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, बल्कि गठिया जैसी बीमारियों को दूर भगाने में भी सक्षम है।

21.8.21

साइटिका को जड़ से खत्म करने की हर्बल औषधि:Sciatica herbal medicine



 

अक्सर कई लोगोंं को कमर के निचले हिस्से में अचनाक दर्द होने लगता है। वो इस दर्द को यह सोचकर अनदेखा कर देते हैं कि ऐसा अधिक काम करने या फिर थकान के कारण हुआ होगा और यही सबसे बड़ी भूल साबित होती है। दरअसल, आम-सा लगने वाला यह दर्द साइटिका का हो सकता है। साइटिका में धीरे-धीरे कमर के नीचे का पूरा भाग बेकार हो जाता है, लेकिन इस बात से बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं, समय रहते कुछ उपाय और उपचार अपना कर इससे बचा जा सकता है।

साइटिका नर्व नितंबों के नीचे से शुरू होकर पैरों के पिछले हिस्से से होते हुए एड़ियों पर खत्म होती है। इस नर्व यानी कि नाड़ी में जब सूजन या फिर दर्द होता है तो इसे ही साइटिका का दर्द कहा जाता है। यह अक्सर तेज दर्द के साथ शुरू होता है। यूं तो साइटिका के दर्द के लिए एलोपैथी में कई तरह के उपचार मौजूद हैं जो दर्द से तुरंत निजात दिलाने में तो कारगर हैं लेकिन इसके दीर्घकालिक उपचार में नाकाम हैं। साथ ही साथ इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स बाद में नजर आते हैं। लेकिन आयुर्वेद में इस रोग को जड़ से खत्म करने के लिए उपचार मौजूद हैं।
इसे आयुर्वेद में गृघ्रसी कहा जाता है। दरअसल यह एक तंत्रिका नाड़ी है। जो सर्दी लगने पेट की कब्जी गर्भावस्था  या रीड की हड्डी में किसी तरह की समस्या होने पर पैर की सुन्नता Numbness कमर से लेकर पैर के अंगूठे  तक खिंचाव के साथ दर्द सूजन जाती है। कई बार यह दर्द असहनीय Unbearable हो जाता है। पैर के घुटनों के पीछे भी दर्द रहता है। पैर सुन्नता हो सकती है।

दर्द के कारण

हड्डियों के बीच स्निग्धता  की कमी के कारण।
सामान्यतया 50 की उम्र के बाद हो सकता है।
वजन उठाने का काम करने वाले तथा अधिक समय तक कमर से झुकने वाले कार्य करने वाले व्यक्तियों को होता है।
लगातार कंप्यूटर में बैठकर कार्य  करने वाले व्यक्तियों को की समस्या हो सकती है।
सायटिक तंत्रिका पर किसी प्रकार की चोट पहुंचने पर sciatica का दर्द हो सकता है।
अगर आप एक वेटलिफ्टर है तो आपको भी यह समस्या हो सकती है।
वर्कआउट करते समय अपनी क्षमता से अधिक वजन उठाने पर भी इस तरह की समस्या हो सकती है।
sciatica रोग पर किसी भी प्रकार का दबाव होने पर साइटिका का दर्द  शुरू हो जाता है। यह दबाव रीड की हड्डी की कशेरुकाओं से भी हो सकता है।

साइटिका के लक्षण


साइटिका के लक्षण व्यक्ति विशेष आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं
कमर, कूल्हों, और पैरों में हल्के दर्द का बने रहना।
कमर की तुलना में पैरों में अधिक दर्द महसूस होना।
किसी एक पैर में तीव्र दर्द का महसूस होना।
पैरों के साथ पैरों की उंगलियों में दर्द होना।
कमर और परों में झुनझुनी महसूस होना।
पैरों का बेजान महसूस होना।
साइटिका के लिए घरेलू उपाय 

 लहसुन का दूध

सामग्री :
8 से 10 लहसुन की कलियां
300 एमएल दूध
एक कप पानी
शहद स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
सबसे पहले लहसुन की कलियों को कुचल लें।
अब एक बर्तन में कुचले हुए लहसुन के साथ दूध और पानी को डालकर गर्म होने के लिए गैस पर रख दें।
फिर इसमें उबाल आने तक इसे पकाएं।
उबाल आने के बाद गैस बंद कर दें और तैयार मिक्सचर को गुनगुना होने दें।
जब मिक्सचर हल्का गुनगुना हो जाए, तो उसमें स्वाद के लिए थोड़ा शहद मिलाएं।
फिर मिक्सचर को गिलास में निकाल कर पिएं।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं
लहसुन में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है। यह गुण साइटिका नर्व की सूजन को कम कर साइटिका के दर्द से राहत दिलाता है । इस कारण हम कह सकते हैं कि साइटिका का घरेलू इलाज करने के लिए लहसुन का उपयोग लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

हॉट ऑर कोल्ड कम्प्रेस

सामग्री :
एक वाश क्लॉथ
एक कटोरा गर्म या बर्फ डालकर ठंडा किया गया पानी
कैसे इस्तेमाल करें :
गर्म या ठंडे पानी में वाशक्लॉथ को डुबोएं (यह इस पर निर्भर करता है कि आप ठंडे पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं या गर्म)।
अब वाशक्लॉथ को हल्का निचोड़ कर प्रभावित स्थान पर कुछ देर के लिए रखें।
इस प्रक्रिया को करीब पांच से छह मिनट के अंतर पर कई बार दोहराएं।
इस प्रक्रिया को आप दिन में करीब तीन से चार बार दोहरा सकते हैं।

हरसिंगार –

हरसिंगार के फूल, पत्ते और छाल भी औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। साइटिका के लिए हरसिंगार के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। हरसिंगार के पत्तों को साफ कर एक लीटर पानी में उबाल लें। फिर ठंडा कर छान लें और एक दो रत्ती केसर मिला लें। अब इसे रोजाना सुबह शाम एक कप पिएं

अदरक

सामग्री :
अदरक का एक बड़ा टुकड़ा
आधा नींबू
एक चम्मच शहद स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
सबसे पहले अदरक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।
अब इसे मिक्सर में डालकर अच्छी तरह से पीस लें।
अच्छी तरह से पिस जाने के बाद अदरक के पेस्ट को निकाल लें।
इस पेस्ट को किसी साफ सूती कपड़े में रखकर इसका रस अलग कर लें।
अब इस रस में नींबू और शहद मिलाकर सेवन करें।
इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराएं।

हल्दी

सामग्री :
एक चम्मच हल्दी पाउडर
एक चम्मच तिल का तेल
कैसे इस्तेमाल करें :
तिल के तेल में हल्दी पाउडर मिलकर पेस्ट बना लें।
अब प्रभावित स्थान पर इस पेस्ट को लगाएं और हल्के हाथ से मसाज करें।
इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराएं।

विटामिन्स

कैसे है उपयोगी :

इस संबंध में किए गए शोध में पाया गया कि विटामिन सी और ई का संयुक्त इस्तेमाल साइटिका की समस्या में लाभदायक साबित होता है। इससे सूजन और दर्द में तो राहत मिलती ही है, साथ ही ये साइटिक नर्व की क्षति को भी ठीक करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिक अध्ययन में विटामिन-सी और ई के संयुक्त इस्तेमाल से एंटी-नोकिसेप्टिव का प्रभाव भी पाया गया है इसके लिए विटामिन सी (जैसे – आम, पपीता, अनानास, तरबूज)और विटामिन ई (जैसे – वेजिटेबल ऑयल, नट्स व हरी पत्तेदार सब्जियां) युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं । वहीं, डॉक्टर की सलाह पर साइटिका का उपचार करने के लिए इनके सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।

नींबू का रस

सामग्री :
आधा नींबू
एक गिलास पानी
एक चुटकी काला नमक स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
एक गिलास पानी में एक चुटकी काला नमक और नींबू का रस मिला लें और पी जाएं।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं

मेथी दाना


सामग्री :
एक चम्मच मेथी दाने का पाउडर
एक चम्मच दूध

कैसे इस्तेमाल करें :
मेथी दाने के पाउडर को दूध में मिलाएं।
प्रभावित स्थान पर तैयार पेस्ट को लगाएं।
वहीं लेप के सूख जाने पर इसे गर्म पानी से धो लें।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं।

एलोवेरा

सामग्री :
एक एलोवेरा का पत्ता
एक कप पानी
चार से पांच बूंद नींबू का रस
शहद स्वादानुसार
कैसे इस्तेमाल करें :
एलोवेरा के पत्ते को काटकर बीच का गूदा निकाल लें।
इस गूदे को एक कप पानी से साथ मिक्सर में डालें और जूस बना लें।
अब तैयार जूस को गिलास में निकालें और नींबू व शहद मिलाकर सेवन करें।
इस प्रक्रिया को दिन में करीब दो बार दोहराएं।

सेब का सिरका

सामग्री :
एक गिलास गुनगुना पानी
दो चम्मच सेब का सिरका
एक चम्मच शहद स्वाद के लिए
कैसे इस्तेमाल करें :
एक गिलास गुनगुने पानी में सेब का सिरका और शहद मिलाकर सेवन करें।
इस मिश्रण का दिन में दो बार सेवन करें।

साइटिका का आयुर्वेदिक उपचार-

सिंहनाद गुग्गुल
विषतिन्दूक वटी
त्रयोदशांग गुगलु
मकरध्वज रस
एकांगवीर रस
वृहत् वात चिंतामणि रस,
वातगजंकुश रस,
गोदंती भस्म,
शिलाजीत्वादी लौह,
अश्वगंधा चूर्ण,
अजमोदादि चूर्ण,
महारास्नादि क्वाथ ,
दशमूल क्वाथ,
अश्वगंधारिष्ट,
आदि आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही कई सारी पेटेंट औषधियों का प्रयोग भी लाभकर होता है।

अन्य चिकित्सा पैथी में में उपचार

एलोपैथी में sciatica दर्द का उपचार पेन किलर  दवाइयों तथा स्टेरॉयड का उपयोग किया जाता है। sciatica का दर्द कम ना होने पर शल्य चिकित्सा  द्वारा इसका ऑपरेशन भी किया जाता है।
फिजियो थेरेपी में sciatica का इलाज विशेष प्रकार की एक्सरसाइज  करवा कर किया जाता है। विशेष प्रकार की एक्सरसाइज की मदद से sciatica नर्व पर आए दबाव को कम कर कर उपचार किया जाता है।

एक्सरसाइज भी है जरूरी – 

साइटिका पर किए गए शोध बताते हैं कि इसका सबसे बेहतर उपचार व्यायाम होता है। नियमित व्यायाम करने से कमर की मांसपेशियों में मजबूती आती है साथ ही साथ दर्दनिवारक हार्मोंन्स का स्राव भी बढ़ता है। इसके अलावा अगर आपको दिनभर कुर्सी पर बैठना होता है तो हमेशा सीधे बैठने की कोशिश करें, या फिर कुर्सी में कमर के हिस्से पर तकिया लगा लें।

क्या करें

गुनगुना पानी पिएं, धूप लें, वजन कम करें, घर का खाना खाएं, गाय का घी, गाय का दूध, ओलिव ऑयल, तिल का तेल, मछली का तेल, गेहूं, लाल चावल, अखरोट, मुनक्का, किशमिश, सेब, अनार, आम, आैर इमली का प्रयोग करें।

क्या न करें


तैलीय खाना, मसालेदार खाना, ठंडा खाना, बासी खाना, अधिक व्यायाम, ओवर ईटिंग, दिन में सोना, रात में जागना, जामुन, सुपारी, अरहर की दाल, मूंग की दाल आदि से दूर रहें।

विशिष्ट परामर्श-  


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|













19.8.21

जामुन का सिरका के फायदे और नुकसान:Jamun ka sirka



जामुन और जामुन के बीजों के कई सेहत लाभ होते हैं। ये फल डायबिटीज रोगियों के ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखता है। यही नहीं इसका रस या सिरका भी कई गुणों से भरपूर होता है। जामुन से तैयार जूस या इसका सिरका कई सौंदर्य लाभ प्रदान करता है। इसमें विटामिन सी, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, आयरन, कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा, जामुन में ग्लूकोज, फ्रुक्टोज और सभी महत्वपूर्म लवण भी होते हैं।

जामुन का सिरका के फायदे-

कब्ज की समस्या करे दूर जामुन विनेगर

पाचन तंत्र से संबंधित समस्या से रहते हैं परेशान, तो आप जामुन का सिरका का सेवन कर सकते हैं। पेट के कई रोगों का जड़ से इलाज करता है जामुन का रस। जिन लोगों को गैस, पेट दर्द, कब्जा, की समस्या लगातार बनी रहती है, उन्हें जामुन के सिरके का सेवन करने से लाभ पहुंचता है। इतना ही नहीं, किडनी में स्टोन है, तो इस सिरका के सेवन से स्टोन धीरे-धीरे टूट कर गल जाता है और शरीर से बाहर निकल जाता है। उल्टी जैसा महसूस हो तो भी आप एक गिलास पानी में जामुन के सिरके को मिलाकर पी सकते हैं।

मौसम बदलते ही लोग सर्दी-खांसी से परेशान हो जाते हैं। आजकल कोरोना काल में खांसी होना डराने वाला होता है, क्योंकि कोरोने के मुख्य लक्षणों में सूखी खांसी भी शामिल है। आपको भी खांसी है, तो जामुन का सिरका पिएं। यह जिद्दी कफ को भी बाहर निकालता है। साथ ही आप गला खराब या गले में खराश होने पर भी जामुन का सिरका पी सकते हैं।

डायबिटीज होने पर शुगर लेवल बढ़ जाता है। ऐसे में डायबिटीज रोगियों को अपने खानपान में कुछ ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए जिससे शुगर लेवल हाई ना हो। इसके लिए आप जामुन के सिरका का सेवन करें। जामुन का सिरका आप हर दिन नाश्ते के समय लें। एक चम्मच सिरके को आधे से एक गिलास पानी में मिलाकर पिएं। इससे शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।

मुंह के छाले हो सही

मुंह में छाले होने पर आप जामुन का सिरका पी लें। जामुन का सिरका पीने से आपके मुंह के छाले तुरंत सही हो जाएंगे। छालों के अलावा मूसड़ों में दर्द होने पर भी अगर जामुन का सिरका पीया जाए तो मसूड़ों का दर्द भी एकदम सही हो जाता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी जामुन का सिरका  कारगर साबित होता है और रोज दो समय जामुन का सिरका पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर अच्छा असर पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग रोजाना इसका सेवन किया करते हैं उनका शरीर अंदर से मजबूत बन जाता है और शरीर की रक्षा कई तरह के रोगों से होती है।

लीवर के लिए लाभदायक

जामुन का सिरका पीने से लीवर एकदम सही रहता है और अच्छे से कार्य करता है। लीवर के अलावा किडनी के लिए भी जामुन का सिरका फायदेमंद साबित होता है। जिन लोगों को लिवर में सूजन की समस्या हैं वह जामुन की गुठली के रस का सेवन अवश्य करें। अगर आप रोजाना जामुन के सिरके का सेवन करेंगे आके लिवर की समस्या ठीक होने लग जाएगी।

उल्टी आने पर पीएं सिरका

उल्टी आने पर आप जामुन के सिरके का सेवन करें। जामुन का सिरका पीने से मन एकदम सही हो जाएगा और उल्टी की समस्या से राहत मिल जाएगी। उल्टी के अलावा दस्त होने पर भी जामुन का सिरका पीया जाए तो दस्त एकदम सही हो जाते हैं। यदि आपको बार बार उल्टी हो रही हैं तो आप 20 ग्राम जामुन के पत्ते लें अब इसको 400 मिली पानी में उबालें। यह पानी तब तक उबालें जब तक यह आधा न रह जाए। अब यह पानी ठंडा होने पर पिए। इससे आपकी उल्टी बंद हो जाएगी।

विटामिन सी की कमी हो पूरी

जामुन के सिरके में विटामिन सी अच्छी मात्रा में मौजूद होता है। इसलिए शरीर में विटामिन सी की कमी होने पर आप जामुन का सिरका  पीएं। इसे पीने से शरीर में विटामिन की कमी पूरी हो जाएगी

जामुन सिरका के सौंदर्य लाभ

जामुन में पानी अधिक होने से यह त्वचा को हाइड्रेट रखता है। जामुन खाने से खून साफ होता है। त्वचा को ग्लोइंग बनाने के लिए जामुन का सिरका पी सकते हैं। इससे खून में मौजूद टॉक्सिन बाहर निकलता है। जामुन में विटामिन सी की मात्रा अधिक होती है। विटामिन सी त्वचा के लिए हेल्दी होता है। आप जामुन के जूस या सिरका को त्वचा पर लगाएंगे तो स्किन में निखार आएगी| जामुन का सिरका चेहरे के लिए काफी फायदेमंद होता है. इसके साथ ही मुंहासों को कम करने के लिए भी जामुन का सिरका काफी कारगार साबित होता है.

किडनी स्टोन-

यह किडनी की समस्‍याओं से परेशान लोगों के लिए जादुई उपाय की तरह काम करता है. जामुन का सिरका किडनी स्‍टोन को तोड़ने में सक्षम है और उन्हें आपके शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है

18.8.21

भोजन के साथ पापड़ खाने के फायदे और नुकसान:papad khane ke nuksan



हमारे देश के ज्यादातर हिस्सों में भोजन के साथ पापड़ खाए जाने की परंपरा है। लेकिन सबसे अधिक पापड़ खाने का चलन राजस्थान में है। हालांकि देश में सबसे अधिक पसंद किए जानेवाले पापड़ गुजरात राज्य के हैं। देशभर में शादी-ब्याह और त्योहारों पर पकवान के साथ पापड़ बनाए जाते हैं। खाने का स्‍वाद बढ़ाने के लिए अगर आप भी साथ पापड़ खाते हैं तो अब इसके नुकसान भी जान लें। ये चटपटा और तीखा पापड़ आपकी जीभ को भले ही तसल्‍ली दे लेकिन पेट और सेहत पर भारी पड़ सकता है। भले ही आप तर्क दें कि पापड़ को दूसरों की तरह तलने की बजाय आप भून कर या रोस्‍ट करके खाते हैं, लेकिन तब भी आपको इस स्‍नैक के साइड इफेक्‍ट जान ही लेने चाहिए।

पाचन सही करता है पापड़

पापड़ को भोजन करने के अंत में खाया जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पापड़ सुपाच्य होता है और जब हम बहुत अधिक गरिष्ठ भोजन (हाई कैलरी फूड या बहुत तला-भुना और मसालेदार भोजन) करते हैं तो पापड़, उस भोजन को पचाने में हमारे पाचनतंत्र की सहायता करता है।

गुण और स्वाद का मिश्रण

आमतौर पर पापड़ मूंगदाल और उड़द की दाल के बनाए जाते रहे हैं। इन दाल को रातभर पानी में भिगोकर और महीन पीसकर पापड़ तैयार करने की पुरानी परंपरा है।
-साथ ही इन पापड़ को बनाते समय इनमें अजवाइन, काली मिर्च का पाउडर और हल्का नमक मिलाया जाता है। ये तीनों चीजें पापड़ का स्वाद बढ़ाने क साथ ही इसके गुणों में भी वृद्धि करती हैं।

पापड़ खाने के नुकसान-

खाने के साथ कई लोग सलाद की तरह पापड़ खाना भी बहुत पसंद करते हैं। यकीनन चावल, दाल, छोले और राजमा आदि के साथ पापड़ खाने का मजा ही अलग है। लेकिन क्या आपको पता है कि चटपटा और कुरकुरा पापड़ आपके स्वास्थ्य का स्वाद बिगाड़ सकता है? दरअसल पापड़ कई तरह के होते हैं और इन्हें विभिन्न प्रकार के आटे से तैयार किया जाता है। इसे स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें कई तरह के आर्टिफिशियल फ्लेवर्स और कलर एड किये जाते हैं, जो कि सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं।

सोडियम बेंजोएट की अधिक मात्रा- 

पापड़ में सोडियम बेंजोएट जैसे प्रीज़र्वटिव (यानि पापड़ को लंबे समय तक सही रखने का तत्व) की मात्रा अधिक होती है। सोडियम बेंजोएट से आपके शरीर पर कई हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, सोडियम बेंजोएट और आर्टफिशल कलर के मिश्रण से बच्चों में अतिसक्रियता बढ़ सकती है। इसका मतलब हुआ कि ज्यादा पापड़ खाने से आपका स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।

नमक की अधिक मात्रा-

 इसमें नमक की मात्रा सोडियम बेंजोएट का स्रोत बन जाता है। जाहिर है नमक की अधिक मात्रा भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। ये हाइपरटेंशन, हार्ट डिजीज़, पानी की कमी और सूजन का कारण बन सकता है।

एसिडिटी का जोखिम- 

बाज़ार में उपलब्ध पापड़ को विभिन्न तरह के मसालों से तैयार किया जाता है। इससे आपका पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है और आपको एसिडिटी की समस्या हो सकती है।

तेल की अधिक मात्रा- 

लोग पापड़ को तलने के बाद खाना ज्यादा पसंद करते हैं। जाहिर है तलने से इसमें भी तेल की मात्रा भी अधिक हो जाती है। ये आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाकर आपको हृदय रोगों की ओर ले जा सकता है।
*माना जाता है कि दो पापड़ एक रोटी के बराबर होता है। अब अगर आप डाइटिंग कर रहे हैं और कम खाने के चक्‍कर में पापड़ से पेट भर रहे हैं तो समझ जाएं कि वजन कम होना मुश्‍किल है

भुना हुआ पापड़ भी सही नहीं होता है-

कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि भुना हुआ पापड़ फ्राई पापड़ से अच्छा होता है। एक अध्ययन के अनुसार, पापड़ को फ्राई करने पर उसमें मौजूद सोडियम बेंजोएट के कारण एक्रिलामाइड का गठन होता है। ये एक कैंसरकारी कारक है। ठीक इसी तरह पापड़ को रोस्टेड करने पर एक्रिलामाइड का पूरी तरह से गठन हो जाता है।

गंदे तरीके से बना हो सकता है- 

पापड़ को बनाने का तरीका आपके लिए चिंता का विषय हो सकता है। इसे धूप में खुले स्थान पर सुखाया जाता है। जाहिर है खुले स्थान पर वायु प्रदूषण के कारण ये ख़राब हो सकता है।


17.8.21

मिश्री खाने से सेहत को होते हैं ये बड़े फायदे//mishri ke fayde




 

 मिश्री अपने स्वाद के लिए जितनी जानी जाती है उतनी ही ये अपने स्वास्थ्य लाभों के लिए भी जानी जाती है. आयुर्वेद के अनुसार इसमें औषधीय गुण पाए जाते हैं जो आपको कई बीमारियों से निजात दिला सकते हैं. मिश्री में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो सर्दी-खांसी में तुरंत राहत पहुंचाने का काम करते हैं.मिश्री को रॉक शुगर भी कहा जाता है। दरअसल, शक्कर के जमे हुए कण को ही मिश्री कहते हैं। यानी यह मिठास का ही दूसरा नाम है। इसका उत्‍पादन मूलत: भारत और पर्श‍िया माना जाता है।

 मिश्री का उत्पादन भी गन्ने के पौधे के जरिए होता है, जो कि स्वभाविक तौर पर एक मीठा
खाद्य पदार्थ है। इसे चीनी की सबसे शुद्ध मिठास मानी जाती है, क्योंकि इसमें व्हाइट शुगर की तरह केमिकल का प्रयोग नहीं होता है। डॉक्टर भावसार के अनुसार, यह बिना किसी रसायन के चीनी का सबसे शुद्ध रूप है। षडरस भोजन (संपूर्ण आहार जिसमें 6 अलग-अलग स्वाद हों) वो बहुत जरूरी होता है और इसमें मधुर रस यानी मीठे स्वाद की भी खास अहमियत है, उन्हीं में से एक मिश्री है।
 यूं तो अक्सर आप खाना खाने के बाद मिश्री और सौंफ का सेवन जरूर करते होंगे. इन दो चीजों का सेवन माउथ फ्रेशनर के रूप में किया जाता है.लेकिन क्या आप जानते हैं कि मिश्री mishri ke fayde  सेहत को भी कई तरह से फायदा पहुंचाती है. आप अगर अब तक मिश्री का सेवन रेस्टोरेंट में खाने के बाद ही करते आए हैं,तो अब इसको अपनी डाइट में शामिल कर लीजिए, क्योंकि हम आपको मिश्री से सेहत को होने वाले फायदों के बारे में बता रहे हैं

खांसी-ज़ुकामः

मिश्री को सर्दी-खासी के लिए काफी फायदेमंद mishri ke fayde माना जाता है. मिश्री को काली मिर्च के साथ रात में सेवन करने से खांसी-ज़ुकाम और गले की खराश से छुटकारा पाया जा सकता है. परेशान कर रही हो तो मिश्री इसे दूर करने में मदद करेगी। मिश्री का छोटा सा टुकड़ा मुंह में रखें। खांसी में आराम आने लगेगा। छोटे बच्‍चों को भी सर्दी से खांसी होने पर मिश्री दी जा सकती है। मिश्री को पानी में मिलाकर पीने से भी आराम मिलेगा

मस्तिष्क के लिए फायदेमंद

मिश्री के फायदे में मस्तिष्क की क्षमता में सुधार करना भी शामिल है। दरअसल, आयुर्वेद में मिश्री को मानसिक स्वास्थ्य की एक प्राकृतिक औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। माना जाता है कि मिश्री को गर्म दूध के साथ हर रात पीने से याददाश्त मजबूत होती है और मानसिक तनाव से भी राहत मिलती है।

डायरिया से दिलाए छुटकारा

डायरिया की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप 10 ग्राम मिश्री पाउडर के साथ 10 ग्राम धनिया पाउडर को करीब 100 एमएल पानी में मिलाकर नियमित रूप से दिन में तीन बार पिएं। ऐसा करने से आपको जल्द ही आराम मिल सकता है।

बच्चों के लिए फायदेमंद

जैसा कि आपको लेख में पहले भी बताया जा चुका है कि मिश्री को मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए एक प्राकृतिक औषधि माना जाता है। यह मानसिक तनाव को भी दूर करती है और याददाश्त को सुधारने में सहायक साबित होती है। इस कारण इसे बच्चों को गर्म दूध के साथ देना लाभकारी माना जाता है। इसका इस्तेमाल सीमित मात्रा में करें। अत्यधिक मात्रा में इसका इस्तेमाल फायदे की जगह नुकसानदायक साबित हो सकता है।

थकान-कमजोरीः mishri ke fayde

जिन लोगों को थकान और कमजोरी की शिकायत रहती है उन्हें अपनी डाइट में मिश्री को शामिल करना चाहिए, अगर आप दूध के साथ मिश्री का सेवन करते हैं तो ये शरीर की थकान को दूर करने में मदद कर सकती है.

एनीमिया में लाभदायक

एनीमिया जैसी गंभीर समस्या से राहत दिलाने में मिश्री काफी लाभकारी साबित हो सकती है। बताया जाता है कि मिश्री के सेवन से हीमोग्लोबिन के स्तर में सुधार होता है। साथ ही यह रक्त संचरण (ब्लड सर्कुलेशन) की प्रक्रिया को भी सुधारती है। वहीं एनीमिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कई आयुर्वेदिक दवाओं में भी मिश्री का प्रयोग किया जाता है । इस कारण यह माना जा सकता है कि मिश्री के फायदे में एनीमिया से छुटकारा भी शामिल है।

पाचनः

मिश्री को पाचन के लिए काफी अच्छा माना जाता है. अगर आप खाना खाने के बाद मिश्री को सौंफ के साथ खाते हैं तो ये आपके खाने को आसानी से पचाने में मदद कर सकती है.

नाक से खून आने की समस्या को दूर करता है-

कई लोगों को नाक से खून आने की समस्या होती है. मिश्री से तुंरत ही नाक से खून आना बंद हो जाता है. हालांकि यह समस्या गर्मी के मौसम में होती है.

मुंह के छालोंः

मुंह के छालों की समस्या से परेशान हैं तो मिश्री का सेवन आपको फायदा पहुंचा सकता है. मिश्री को इलायची पाउडर के साथ पीस कर छालों वाले स्थान पर लगाने से छालों से राहत मिल सकती है.

हीमोग्लोबिन के स्तर को बेहतर करता है- 

शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने से खून की कमी होती है, बिना कुछ किए थकान महसूस होती है, कमजोरी का एहसास होता है ,कई लोगों को चक्कर भी आते हैं, तो वहीं खून की कमी के कारण कुछ लोगों की रंगत पीली पड़ जाती है. लेकिन
मिश्री में इन सभी समस्याओं का समाधान छुपा है.
आप इसका उपयोग कड़वी दवाओं को निगलने के लिए कर सकते हैं। साथ ही नींबू जैसे फ्रेश ड्रिंक में मिलाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है। इतना ही नहीं, यह एक एनर्जी बूस्टर है और खांसी और गले की खराश से राहत दिलाने के साथ-साथ प्रजनन क्षमता में सुधार करता है। डॉ. ने रॉक शुगर को ब्रेस्टफीडिंग यानी स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी अच्छा बताया है।
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13.8.21

मूँगफली खाने के फायदे






ड्राई फ्रूट के मामले में मूंगफली एक ऐसा स्थान रखती है जो बड़ी आसानी से आपको कम से कम दाम में मिल जाती है। अन्य ड्राई फ्रूट के मुकाबले इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के पकवानों को बनाने में किया जाता है। जबकि मूंगफली का सेवन अगर रात में भिगोने के बाद सुबह उठकर किया जाए तो उसके कई बेहतरीन स्वास्थ्य फायदे देखने को मिल सकते हैं।

बॉडीबिल्डिंग में
बॉडीबिल्डिंग करने वाले पुरुषों को रोज सुबह उठने के बाद भीगी हुई मूंगफली का सेवन करना काफी फायदेमंद हो सकता है। इसमें प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है जो बॉडीबिल्डर्स को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन की पूर्ति करेगा, जिससे उन्हें बॉडीबिल्डिंग करने में काफी आसानी होगी। इसे आप स्प्राउट के रूप में सुबह-सुबह खा सकते हैं।
डायबिटीज के लिए मूंगफली के फायदे
मधुमेह से ग्रसित लोग मूंगफली को डायट में शामिल कर सकते हैं। इसका सेवन करने से डायबिटीज पेशेंट्स को बहुत फायदा पहुंच सकता है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन ने मूंगफली को डायबिटीज सुपर-फूड का दर्जा दिया है, क्योंकि इसमें मैग्नीशियम, फाइबर और हार्ट हेल्दी ऑयल्स मौजूद होते हैं। ये ब्लड ग्लूकोज को अधिक प्रभावित नहीं करते हैं । वहीं, अगर मधुमेह में मूंगफली खाना नहीं चाहते, तो मूंगफली का घर पर पीनट बटर बनाकर भी डायट में शामिल कर सकते हैं। मूंगफली के सेवन से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा काफी हद तक कम हो सकता है । इसलिए, बेहिचक शुगर में मूंगफली खा सकते हैं।
मूंगफली खाने के फायदे डिप्रेशन के लिए- डिप्रेशन से बचाव और उपचार में मूंगफली का सेवन अच्छा होता है। मूंगफली में ट्रिपटोफान नामक एमिनोएसिड होता है। जो मूड सुधारने वाले हार्मोन सेरोटोनिन का स्राव बढ़ाता है। जिससे मूड अच्छा होता है और मन शांत होता है।
पिनट के फायदे वजन कम करने के लिए- मूंगफली में प्रोटीन और फाइबर भरपूर मात्रा में होते है। यह एनर्जी का अच्छा स्रोत भी हैं। अतः इसे खाने पर जल्दी भूख नहीं लगती। ये दोनों पोषक तत्व जो भूख को कम करती है। इसलिए भोजन के बीच में थोड़ी सी मूंगफली खाने से भूख कम लगती है। जिससे वजन कम करने मे मदद मिल सकती है। मूगंफली के रोज सेवन से जल्द ही वजन कम किया जा सकता है।
अल्जाइमर और दिमाग के लिए मूंगफली के फायदे
अल्जाइमर रोग दिमाग से संबंधित एक विकार है। इस बीमारी में व्यक्ति की याददाश्त प्रभावित हो जाती है । इस बीमारी से बचाव में मूंगफली के फायदे देखे गए हैं। दरअसल, मूंगफली में नियासिन की उच्च मात्रा होती है और यह विटामिन-ई का एक अच्छा स्रोत है। रिसर्च में इन दोनों तत्वों को अल्जाइमर रोग और उम्र के साथ दिमागी शक्ति में आने वाली गिरावट से बचाव में कारगर पाया गया है। इतना ही नहीं, मूंगफली में मौजूद रेसवेराट्रॉल, अल्जाइमर रोग और अन्य नर्व सिस्टम डिसआर्डर के लिए लाभदायक हो सकता है। इसलिए, ऐसा कहा जा सकता हैं कि सींगदाना खाने के फायदे दिमाग और उससे जुड़ी समस्याओं से राहत दिला सकते हैं
मजबूत हड्डियां और ऊर्जा के लिए मूंगफली
पिनट खाने के फायदे मजबूत हड्डियां और ऊर्जा के लिए मूंगफली में आयरन और कैल्शियम की मात्रा, रक्‍त में ऑक्‍सीजन के प्रवाह और हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करती है। यह आपके शरीर के विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पोषण संबंधी सभी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है। मूंगफली में विटामिन,खनिज और एंटीऑक्‍सीडेंट के कारण शरीर को ऊर्जा मिलती है।

मूंगफली के फायदे सर्दी जुकाम के लिए मूंगफली सर्दी जुकाम के लिए फायदेमंद है। सर्दी के मौसम में मूंगफली खाने से आपका शरीर गर्म रहेगा। जो सर्दी जुकाम और खांसी के लिए उपयोगी है। 8.पिनट खाने के फायदे गर्भवास्था के लिए गर्भवती महिलाओ के लिए मूंगफली खाना फायदेमंद है। मूंगफली खाने से उनके गर्भ मे पल रहे बच्चे का विकास बेहतर ढंग से होता है। मूंगफली खाने के लाभ झुर्रियां हटाने के लिए
9. बढ़ती उम्र के लक्षणों को रोकने के लिए भी मूंगफली का सेवन किया जाता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट बढ़ती उम्र के लक्षणों जैसे बारीक रेखाएं और झुर्रियों को बनने से रोकते हैं, मूंगफली खाने से दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है।
कैंसर से बचाव के लिए मूंगफली खाने के फायदे
मूंगफली में पाए जाने वाले अनसैचुरेटड फैट्स, कुछ विटामिन, खनिज और बायोएक्टिव तत्व कैंसर विरोधी प्रभाव दिखा सकते हैं। विशेष रूप से, मूंगफली में मौजूद फाइटोस्टेरॉल कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। साइंटिफिक रिसर्च ये कहती हैं कि मूंगफली के माध्यम से फाइटोस्टेरॉल का सेवन, प्रोस्टेट ट्यूमर के मामलों में 40 प्रतिशत और शरीर के अन्य भागों में फैलने वाले कैंसर की घटनाओं में लगभग 50 प्रतिशत कमी ला सकता है।
फाइटोस्टेरॉल की तरह, रेस्वेराट्रोल भी कैंसर से बचाव में सहायक हो सकता है, क्योंकि यह बढ़ते कैंसर के लिए रक्त की आपूर्ति रोक सकता है। मूंगफली में मौजूद ये दोनों तत्व कैंसर कोशिका को पनपने से रोक सकते हैं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि मूंगफली और इससे बने उत्पाद,फेफड़े, पेट, ओवेरी, प्रोस्टेट और स्तन कैंसर से बचाव में सहायक हो सकते हैं

हृदय रोग के लिए मूंगफली के फायदे

मूंगफली में मौजूद हेल्दी फैट्स, हृदय स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हो सकते हैं। वहीं, कई वैज्ञानिक अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि संतुलित मात्रा में मूंगफली का सेवन फाइटोस्टेरॉल की अच्छी पूर्ति कर सकता है जिससे हृदय रोगों में कमी आ सकती है। हृदय रोगियों के लिए मूंगफली को इसीलिए लाभकारी कहा जाता है। मूंगफली में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, प्लांट प्रोटीन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फाइबर आर्जिनिन और कई बायोएक्टिव तत्व पाए जाते हैं, जो ब्लड प्रेशर को कम कर सकते हैं और हृदय को स्वस्थ रख सकते हैं साथ ही मूंगफली में रेस्वेराट्रोल (Resveratrol) नामक एंटी-ऑक्सीडेंट होता है, जो कार्डियोवैस्कुलर रोगों के खतरे को कम कर सकता है । इस आधार पर कहा जा सकता हैं कि मूंगफली के फायदे दिल की सुरक्षा कर सकते हैं।
पिनट के फायदे डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए मूंगफली खाने से डायबिटीज होने की आशंका घटती है। रोज एक संतुलित मात्रा में मूंगफली खाने से डायबिटीज होने की सम्भावना 21% कम होती है।मूंगफली में पाए जाने वाला मैंगनीज नामक तत्व ब्लड शुगर नियंत्रित करता है, शरीर में कैल्शियम को बढने में मदद करता है और मेटाबॉलिज्म तेज करता है।

हड्डियों/गठिया के लिए मूंगफली के फायदे

विज्ञान, हड्डियों और उनसे जुड़ी मांसपेशियों को सेहतमंद रखने में मैगनिशियम की बड़ी भूमिका बताता है। रिसर्च कहती हैं कि मैग्नीशियम, मस्कुलोस्केलेटल हेल्थ  यानी हड्डियों और मसल्स को स्वस्थ बनाए रखने में कारगर हो सकता है । मूंगफली में मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है इसलिए मूंगफली का सेवन हड्डियों की सेहत के लिए अच्छा माना जा सकता है । एक चौथाई कप भुनी मूंगफली में 63 मिलीग्राम मैग्नीशियम पाया जाता है, जो कि दैनिक जरूरत का 15 प्रतिशत है । इसके अलावा, मूंगफली के नुकसान या किसी जोखिम का डर हो तो गठिया के रोगियों को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। गठिया के रोगियों को मूंगफली को कितनी मात्रा में डायट में शामिल किया जाए इसे लेकर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

डिप्रेशन से बचाव में मूंगफली के फायदे

मूंगफली का सेवन डिप्रेशन की स्थिति में कुछ हद तक सुधार कर सकता है। पाठक यह बात अच्छी तरह जान चुके हैं कि मूंगफली में रेस्वेराट्रोल होता है। रिसर्च कहती है कि यह शक्तिशाली तत्व, एंटीडिप्रेसेंट (अवसाद कम करने वाला) दवा की तरह काम कर सकता है। रेस्वेराट्रोल का सेवन किया जाए, तो यह मस्तिष्क के हिस्सों और तंत्रिका मार्गों पर असर डाल सकता है। इसलिए, यह रेस्वेराट्रोल नामक पॉलीफेनोल, अवसाद के कई मामलों में फायदेमंद हो सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि यह रिसर्च चूहों पर की गयी है, इंसानों पर इसका प्रभाव जानने के लिए और शोध किए जाने की जरूरत है

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम में मूंगफली के फायदे

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक हार्मोनल विकार है, जो अंडाशय के बाहरी किनारों पर छोटी छोटी सिस्ट बना देता है, जिससे अंडाशय का आकार बढ़ जाता है। यह महिला प्रजनन तंत्र को प्रभावित करने के साथ और भी कई समस्या पैदा कर सकता है जैसे मोटापा, मुहांसे और अनचाहे बालों का उगना। खान-पान में सुधार लाकर और व्यायाम करके पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से निपटा जा सकता है। शोध ये कहते हैं कि पीसीओडी डाईट में भीगी हुई मूंगफली का सेवन किया जा सकता हैं । इसके अलावा मूंगफली में पाया जाने वाला रेस्वराट्राल भी ओवेरियन सिस्ट की स्थिति में सुधार ला सकता है|

तंत्रिका विकार से बचाव में मूंगफली के लाभ

मूंगफली खाने के फायदे तंत्रिका विकार से बचा सकते हैं। मूंगफली में रेस्वेराट्रोल और नियासिन की उचित मात्रा इसे नर्व हेल्थ यानी तंत्रिका तंत्र स्वास्थ्य के लिए उत्तम खाद्य पदार्थ बनाती है । चूहों पर किए गए एक अध्ययन में यह बात पता चली है कि रेस्वेराट्रोल में न्यूरोप्रोटेक्टिव प्रभाव पाया जाता है यानी यह तंत्रिका तंत्र को सुचारू रखने में सहायक हो सकता है । वहीं, नियासिन यानी विटामिन-बी 3 का होना मूंगफली को और फायदेमंद बना सकता है क्योंकि न्यूरोनल (तंत्रिका संबंधी) स्वास्थ्य बढ़ाने में विटामिन बी-3 लाभ दे सकता है। इसलिए, कहा जा सकता हैं कि विटामिन की कमी से होने वाले तंत्रिका तंत्र विकार और मनोरोगों से सुरक्षा देने में मूंगफली कारगर हो सकती है

फर्टिलिटी बढ़ाने में सहायक है मूंगफली

मूंगफली खाने के फायदे में फर्टिलिटी का बढ़ना भी शामिल है, क्योंकि इसमें अर्जिनाइन पाया जाता है, जो पुरुष प्रजनन शक्ति में इजाफा कर सकता है। इसके अलावा, जिंक की कमी शुक्राणुओं की संख्या को प्रभावित करती है। मूंगफली जिंक का एक अच्छा स्रोत है, जो शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने में मदद कर सकता है । मूंगफली महिलाओं की प्रजनन क्षमता को किस प्रकार प्रभावित करती है, इस पर अभी वैज्ञानिक शोध किया जा रहा है।

 गाल स्टोन होने पर मूंगफली के लाभ

पित्त की थैली में पथरी (गाल स्टोन) की शिकायत आजकल आम नजर आने लगी है। ऐसे में मूंगफली समेत अन्य नट्स लाभकारी हो सकते हैं। मूंगफली में कई स्वास्थ्यकारी तत्व होते हैं, जो पित्त की थैली में पथरी के जोखिम को कम कर सकते हैं। मूंगफली का सेवन करने से पथरी का जोखिम कम हो सकता है, जिससे पित्त की थैली के सर्जरी के मामलों में भी कमी आ सकती है । हालांकि, पित्त की थैली में पथरी से बचाव में सींगदाना खाने के फायदे कैसे काम करते हैं, इस पर अभी अधिक शोध की जरूरत है।

कोलेस्ट्राल कम करने में 

लो फैट डाइट की तुलना में मूंगफली और इसके उत्पाद (मक्खन और तेल) दिल की सेहत के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। शोध के अनुसार, इसमें उच्च मोनोअनसैचुरेटेड फैट होते हैं, जो कुल बॉडी कोलेस्ट्रॉल को 11 प्रतिशत और खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को 14 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। रिसर्च में यह भी पाया गया है कि मूंगफली अच्छे कोलेस्ट्राल (HDL) को बनाए रखने का काम कर सकती है। मूंगफली के ये गुण कोलेस्ट्राल का संतुलन बनाए रखने में मददगार हो सकते हैं । इसलिए, कोलेस्ट्राल कम करने में मूंगफली खाने के फायदे लिए जा सकते हैं लेकिन इसका सीमित मात्रा में सेवन करना चाहिए।

वजन  कम कर सकती है मूंगफली

शेंगदाणा खाने के फायदे में वजन कम होना भी शामिल है। जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि मूंगफली एक प्रकार का नट है जिसमें हेल्दी फैट्स (मोनोअनसैचुरेटेड फैट) पाए जाते हैं, इसलिए इसे हेल्दी डायट का हिस्सा बना सकते हैं। जो लोग वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं वो भी सीमित मात्रा में इसे डायट में शामिल कर सकते हैं। स्कूली बच्चों पर की गयी एक रिसर्च इस बात की पुष्टि करती है कि दो साल तक मूंगफली का सेवन करने के बाद ओवरवेट बच्चों के वजन में कमी पाई गयी। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि मूंगफली खाने के फायदे ये भी हैं कि यह इससे वजन बढ़ने का जोखिम न के बराबर हो सकता है|

मूंगफली के नुकसान

वैसे तो मूंगफली को सस्ता बादाम के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि मूंगफली के फायदे हमें बहुत सारी गंभीर बीमारियों से बचाते हैं, लेकिन सर्दियों के मौसम में मिलने वाली गर्मा गर्म मूंगफली के नुकसान भी होते हैं, जिनसे बचने के लिए हमें हमेशा एक सीमित मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए। ये हैं मूंगफली के नुकसान.
1. मूंगफली के नुकसानके मुताबिक मूंगफली के ज्यादा सेवन करने से आपको त्वचा संबंधी एलर्जी हो सकती है।
2.  संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को मूंगफली का सेवन करना बेहद घातक साबित होता है। मूंगफली के ज्यादा सेवन से त्वचा, चेहरे और गले पर सूजन आ सकती है। 
3. मूंगफली के ज्यादा सेवन करने से पेट में गैस की समस्या हो सकती है।
4. मूंगफली के ज्यादा सेवन करने से कई बार सांस लेने में दिक्कत होती है। यही नहीं लगातार मूंगफली के सेवन से अस्थमा अटैक का खतरा भी बढ़ सकता है।
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