9.7.21

गले की खराश और दर्द में राहत दिलाएंगे ये आयुर्वेदिक नुस्खे: Gale ki kharash



गले में इन्फेक्शन और खराश सबसे आम स्वास्थ्य बीमारियों में से एक है, खासकर सर्दियों में। वे आम तौर पर कॉमन कोल्ड और फ्लू के संक्रमण के कारण होते हैं और काफी दर्दनाक होते हैं, हालांकि एक सप्ताह के भीतर चले भी जाते हैं। दर्द को कम करने के लिए आपको सबसे पहले यह समझने की आवश्यकता होती है कि आपके गले में खराश की वजह क्या हो सकती है: ड्राई एयर, धूम्रपान, एसिड रिफ्लक्स, फ्लू या सामान्य सर्दी की तरह वायरल संक्रमण और स्ट्रेप जैसे जीवाणु संक्रमण - ये सभी गले में इन्फेक्शन की वजह हो सकते हैं।

सामान्य तौर पर एक वायरल संक्रमण गले में खराश के साथ अन्य लक्षणों, जैसे मांसपेशियों में दर्द और थकान, के साथ आता है। वहीँ दूसरी ओर बैक्टीरियल इन्फेक्शन के केस में दर्द आमतौर पर आपके गले पर अधिक केंद्रित होता है और संक्रमण बहुत गंभीर हो जाता है। तेज बुखार के साथ साथ आपको कुछ भी निगलने पर तेज दर्द भी हो सकता है। यहाँ कुछ ऐसे घरेलू उपचार बताये जा रहे हैं जो आपके गले के दर्द को कम कर सकते हैं। यदि आप वास्तव में गले में खराश से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो इन सर्वोत्तम उपचारों को अवश्य अपनाएं।

1. नमक का पानी

नमक का पानी गले की खराश का एक बेहतरीन घरेलू उपाय है, क्योंकि यह सूजन और जलन को कम करता है। हालांकि नमक का पानी आपको तत्काल राहत नहीं दे सकता है, लेकिन यह बलगम को ढीला और दर्द को कम करते हुए बैक्टीरिया को मारने के लिए एक प्रभावी उपाय है। बस आधा चम्मच नमक को 1 गिलास गर्म पानी में मिलाएं और गार्गिल करें।

2. शहद

हनी अपने नेचुरल एंटीबैक्टेरियल गुणों के कारण गले में खराश के लिए सबसे अच्छे उपचारों में से एक है, जो घाव को कम करने में मदद करता है और सूजन को कम करके दर्द से तुरंत राहत देता है। हनी बैक्टीरिया को भी मार सकता है और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद कर सकता है। यदि आप गले में खराश के अलावा खांसी से बुरी तरह से पीड़ित हैं तो शहद बहुत प्रभावी रूप में कार्य कर सकता है। एक गर्म गिलास पानी या चाय के साथ शहद के दो बड़े चम्मच मिलाएं और इसे अच्छी तरह से हिलाएं। आवश्यकतानुसार दिन में कई बार पिएं।

3. नींबू

नमक पानी और शहद के समान नींबू भी गले में खराश के लिए बहुत अच्छा होता है, क्योंकि वे बलगम को भगाने और दर्द से राहत प्रदान करने में मदद कर सकते हैं। नींबू विटामिन सी से भरा होता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने और संक्रमण से लड़ने के लिए इसे और अधिक शक्ति देने में मदद कर सकता है। एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच नींबू का रस मिलाएं और जल्दी राहत के लिए पिएं।

4. गर्म सॉस

संक्रमित गले को राहत देने के लिए गर्म सॉस का उपयोग करना अजीब लग सकता है, लेकिन यह मसाला वास्तव में गले में खराश के लिए राहत प्रदान करने के लिए काफी सिद्ध साबित हुआ है। हॉट सॉस का उपयोग सूजन से लड़ने और दर्द से राहत प्रदान करने के लिए किया जा सकता है। गर्म सॉस की कुछ बूंदों को गर्म पानी के गिलास में मिलाकर गरारा करने से आपके गले की खराश को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।

5. चाय

ऐसे कई प्रकार के हर्बल चाय होते हैं जिसे आप गले में राहत के लिए कोशिश कर सकते हैं। लौंग की चाय और ग्रीन टी दोनों में संक्रमण से लड़ने के लिए एंटी बैक्टिरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। रास्पबेरी, कैमोमाइल, और पेपरमिंट चाय दर्द से राहत और सूजन को कम करने के लिए बढ़िया विकल्प हैं। कैमोमाइल चाय एक प्राकृतिक लुब्रिकेंट के रूप में भी काम करती है, इसलिए यदि आपको बोलने में कठिनाई हो रही है तो यह आपका सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके अलावा, पेपरमिंट चाय स्वाभाविक रूप से आपके गले को आराम पहुंचा सकती है और दर्द को कम कर सकती है।
6. गले को आराम देने का सबसे सही समय होता है रात का वक्त। रात को सोते समय दूध में आधी मात्रा में पानी मिलाकर पिएं। इससे गले की खराब कम होगी। साथ ही गर्म हल्दी वाला दूध भी बहुत फायदेमंद होगा
7.  एक कप पानी में 4 से 5 कालीमिर्च एवं तुलसी की 5 पत्तियों को उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को पिएं। यह रात को सोते समय पीने पर लाभ होगा। इसके अलावा भोजन में आप साधारण चीजें ही खाएं तो बेहतर होगा।
8.  गले में खराश होने पर गुनगुना पानी पिएं। गुनगुने पानी में सिरका डालकर गरारे करने से गले की खराश दूर होगी और गले का संक्रमण भी ठीक हो जाएगा। इसके अलावा गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना एक अच्छा इलाज है।
9.पालक के पत्तों को पीसकर इसकी पट्टी बनाकर गले में बांधे और 15 से 20 मिनट तक इसे बांधे रखने के बाद खोल लें। इसके अलावा धनिया के दानों को पीसकर उसका पाउडर बनाएं और उसमें गुलाब जल मिलाकर गले पर लगाएं। इससे भी आराम होगा।
10.गले की खराश के लिए कालीमिर्च को पीसकर घी या बताशे के साथ चाटने से भी लाभ होता है। साथ ही कालीमिर्च को 2 बादाम के साथ पीसकर सेवन करने से गले के रोग दूर हो सकते हैं।
गले की खराश या फिर अन्य समस्या होने पर मांसाहार, रूखा भोजन, सुपारी, खटाई, मछली, उड़द इन चीजों से परहेज ही रखें, ताकि गला जल्दी ठीक हो सके।
खाना निगलते वक्त गले में दर्द होना आम बात नहीं है, यह ग्रासनली में सूजन हो सकती है। इस स्थिति में गले में खराश, दर्द होता है। मेडि‍कल भाषा में फैरिन्जाइटिस कहते हैं, जो खास तौर से सर्दियों में आपको जकड़ सकती है।

कारण, लक्षण और उपाय -

कारण - फैरिन्जाइटिस का मुख्य कारण वायरस है, लेकिन कभी-कभी बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। इसके अलावा सेकेंड-हैंड स्मोक और साइनस इन्फेक्शन के कारण भी य‍ह बीमारी हो सकती है।
लक्षण - गले में दर्द होना, खाना निगलने में दर्द, सूजन और गले में खराश होना फैरिन्जाइटिस के प्रमुख लक्षण हैं।
उपाय - 
1 पानी को गुनगुना कर लें और इसमें नमक मिलाकर गरारे करें। इसे दिन में 3 बार करने से गले की सूजन कम होगी और दर्द में राहत मिलेगी।
2 अदरक का प्रयोग करें। आप चाहें तो पानी में अदरक को उबालकर पी सकते हैं या फिर अदरक के टुकड़े को चूसना भी फायदेमंद होगा। चाय में अदरक का प्रयोग जरूर करें।
3 हल्के गर्म पानी में नींबू की कुछ बूंदे निचोड़कर इस पानी को पिएं। यह काफी आराम देगा। आप चाहें तो इसमें शहद भी मिलाकर पी सकते हैं।
4 मुलहठी और दालचीनी को चूसना भी गले की इस प्रॉब्लम में आपको आराम दे सकता है। चाहें तो गर्म पानी या चाय के साथ भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
5 गुनगुने पानी में हल्दी डालकर पीने से भी लाभ मिल सकता है। इसके अलावा लहसुन का प्रयोग भी आपके गले की सूजन और दर्द को कम कर सकता है।

क्या अवॉयड करें?
हालांकि इन सभी उपायों से गले में दर्द से काफी राहत मिल सकती है, लेकिन ऐसे कई आइटम हैं जिनसे आपको बचना चाहिए। जैसे, यदि आपके गले में खराश है तो किसी भी ऐसे खाद्य पदार्थ का सेवन न करें जिन्हें निगलने में मुश्किल हो। जब तक गले में दर्द का समाधान नहीं हो जाता, तब तक सूप और नरम खाद्य पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए। यदि आपने ये सारे घरेलू उपचार को आजमा लिया है और वे मदद नहीं करते हैं तो अपने डॉक्टर से ज़रूर मिलें। यदि आपको बुखार, ठंड लगना, निगलने में कठिनाई, यहाँ तक कि तरल पदार्थ पीने में दिक्कत हो रही है तो आपको डॉक्टर से तुरंत उपचार लेना चाहिए, क्योंकि यह अधिक गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है।
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7.7.21

आंतों में सूजन और पेट मे संक्रमण के हर्बल उपचार :bowel infection



  आंतों में सूजन एक गंभीर समस्‍या है जिसका इलाज करना जरूरी है। दवाओं के साथ-साथ घरेलू तरीकों की मदद से भी आप इस स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या को कम या नियंत्रित कर सकते हैं।

आंतों में सूजन को अल्‍सरेटिव कोलाइटिस कहा जाता है। ये इंफ्लामेट्री बाउल डिजीज का सबसे सामान्‍य प्रकार है। आंतों में सूजन की समस्‍या का घरेलू नुस्‍खों से इलाज तो नहीं किया जा सकता, लेकिन लक्षणों से राहत पाने और इसे बढ़ने से रोका जरूर जा सकता है। अगर किसी व्‍यक्‍ति की आंतों में सूजन आ गई है तो वह कुछ घरेलू नुस्‍खों की मदद से इस समस्‍या को कम या बढ़ने से रोक सकता है।

​आंतों में सूजन के लक्षण

मल में खून आना, बुखार, भूख में कमी, एनीमिया, दिल की धड़कन तेज होना और पाचन संबंधी समस्‍याएं आंतों में सूजन के लक्षणों में शामिल हैं। अगर समय पर इस समस्‍या का इलाज न किया गया तो व्‍यक्‍ति को फैट, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की कमी हो सकती है। 10 साल या इससे ज्‍यादा समय तक अल्‍सरेटिव कोलाइटिस होने पर आम लोगों की तुलना में आंत के कैंसर का खतरा 200 गुना बढ़ जाता है।
तो चलिए जानते हैं कि आंतों में सूजन आने पर किन घरेलू तरीकों से इसे कम या कंट्रोल किया जा सकता है।

​कार्बोहाइड्रेट कम लें

अल्‍सरेटिव कोलाइटिस को नियंत्रित करने के लिए आपको सबसे पहले अपने आहार से रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट को हटाना है। इसकी वजह से आंतों में सूजन के कारण होने वाली दिक्‍कतें बढ़ जाती हैं।

एलर्जी वाले खद्य पदार्थों से दूर रहें

कुछ मामलों में किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी के कारण अल्‍सरेटिव कोलाइटिस हो सकता है। अगर आपको किसी फूड की वजह से आंतों में सूजन हुई है तो आंतों में सूजन के इलाज के तौर पर आपको इन चीजों को अपने आहार से हटा देना चाहिए। इसमें मक्‍का, गेहूं और दूध से बने उत्‍पाद आ सकते हैं।

आंतों में सूजन का घरेलू उपचार है अलसी का तेल

आंतों में सूजन के घरेलू उपचार के तौर पर ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्‍त तेलों का सेवन बढ़ा दें। मछली के तेल और अलसी के तेल में ओमेगा-3 ज्‍यादा पाया जाता है। ये तेल इंफ्लामेट्री प्रक्रिया को कम करने में मदद करते हैं। रोज एक से दो चम्‍मच अलसी का तेल लेना बेहतर रहता है।

​आंतों में सूजन का इलाज हैं प्रोबायोटिक्‍स

माना जाता है कि प्रोबायोटिक्‍स अल्‍सरेटिव कोलाइटिस को नियंत्रिम करने में लाभकारी हैं। प्रोबायोटिक्‍स सूजन को कम करने के दौरान हानिकारक बैक्‍टीरिया को कंट्रोल करने में मदद करते हैं और पेट की म्‍यूकस लाइनिंग को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

​आंत में सूजन का देसी इलाज है एलोवेरा जैल

शुद्ध एलोवेरा जैल को अल्‍सरेटिव कोलाइटिस से ग्रस्‍त लोगों में सूजन-रोधी प्रभाव देने वाला पाया गया है। हालांकि, एलोवेरा रेचक प्रभाव भी रखता है इसलिए दस्‍त की स्थिति में एलोवेरा का सेवन नहीं करना चाहिए।

​आंतों में सूजन का घरेलू इलाज हर्बल टी

आंतों में सूजन के घरेलू उपचार में हर्बल-टी भी बहुत फायदेमंद होती हैं। आपको चाय और कॉफी के सेवन की बजाय अदरक की चाय और ग्रीन टी पीना शुरू कर देना चाहिए। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लामेट्री और एंटी-माइक्रोबियल गुण इर्रिटेबल बाउल डिजीज जैसे आंतों से संंबंधित रोगों के लिए फायदेमंद होते हैं।

आंतों में सूजन होने पर इन बातों का रखें ध्‍यान

दस्‍त, पेट में दर्द और गैस को कम करने के लिए डेयरी प्रोडक्‍ट्स का सेवन कम या बंद कर दें।
उच्‍च फाइबर युक्‍त चीजों जैसे कि ताजी फल और सब्जियों एवं साबुत अनाज से लक्षण और बढ़ सकते हैं। ब्रोकली और फूलगोभी से ज्‍यादा दिक्‍कत हो सकती है इसलिए इन चीजों को खाने से बचें।
ओमेगा-3 फैटी एसिड में हेल्‍दी फैट होते हैं जो कि सैल्‍मन और मैकरेल मछली में पाए जाते हैं। ये सूजन को दूर कर अल्‍सरेटिव कोलाइटिस के लक्षणों को कम करती है। अपने आहार में फैटी फिश को शामिल करें।
मसालेदार खाना, शराब और कैफीन न लें। इसकी वजह से लक्षण और गंभीर रूप ले सकते हैं।
दिन में दो या तीन बार ज्‍यादा खाने की बजाय पांच या छह बार कम मात्रा में खाना खाएं। इससे खाना आसानी से पच जाता है।

आंतों में सूजन होने पर इन बातों का रखें ध्‍यान-

दस्‍त, पेट में दर्द और गैस को कम करने के लिए डेयरी प्रोडक्‍ट्स का सेवन कम या बंद कर दें। उच्‍च फाइबर युक्‍त चीजों जैसे कि ताजी फल और सब्जियों एवं साबुत अनाज से लक्षण और बढ़ सकते हैं। ब्रोकली और फूलगोभी से ज्‍यादा दिक्‍कत हो सकती है इसलिए इन चीजों को खाने से बचें।
छोटी आंत में मौजूद छोटे तंतु भोजन में से पोषक तत्वों को सोखने में मदद करते हैं। अगर ये तंतु नष्ट हो जाते हैं तो पोषक तत्व सोखने की क्षमता खत्म हो जाती है और पीड़ित कुपोषण का शिकार हो जाता है, जिससे उसका वजन गिरने लगता है, थकावट रहने लगती है और खून की कमी यानी एनीमिया हो जाता है।
  लासा-मुक्त (gluten free)भोजन उन मरीजों को भी लेने की सलाह दी जाती है, जिन्हें गेहूं से एलर्जी, प्रतिरोधक क्षमता में गड़बड़ी, त्वचाशोथ या सूजन, छाल, मल्टीपल सलेरॉसिस, ऑस्टिन स्पैक्टरम डिसऑर्डर, अटैंशन-डैफिसिट हाईपरएक्टिविटी डिसऑडर और चिड़चिड़ापन आदि की समस्याएं होती हैं। गेहूं के आटे की बजाय बेसन का प्रयोग सबसे बेहतर विकल्प है।
  लासा gluten)गेहूं, जौ और राई जैसे अनाजों तथा गेहूं के अन्य उत्पाद दलिया, सूजी, सिवइयां, नूडल, पास्ता और मैकरॉनी भी शामिल हैं, में पाया जाता है। इसके साथ ही लासा का प्रयोग स्वादवर्धक और गाढ़ा करने वाले पदार्थ के तौर पर भी किया जाता है।
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5.7.21

चेहरे की कांति (Glow)बढ़ाने के उपचार




अगर आप कम समय में भी अपने चेहरे पर नेचुरल ग्लो पाना चाहती हैं, तो आइए हम आपको बताएं कि कैसे आप 15 दिनों में ही अपने चेहरे पर फर्क देख सकती हैं। इसके लिए आपको सिर्फ इन 5 चीजें को नियमित 15 दिन या जब तक फर्क न दिखे तब तक आजमाना है।
1 वैसे तो त्वचा पर किसी भी तेल की मालीश से ब्लड फ्लो बढ़ता है और त्वचा पर चमक आती हैं। लेकिन अगर ड्राय स्किन हो तो आप हफ्ते में 2 बार चेहरे पर बादाम तेल की मालीश जरूर करें।
2 हफ्ते में एक बार चेहरे पर बेसन और नींबू का फेसमास्क लगाएं। इसे बनाना भी काफी आसान है। आपको लगभग दो चम्मच बेसन में केवल कुछ बूंदे नींबू की मिलाना है और इस पेस्ट को चेहरे पर लगाना हैं। इससे चेहरा तुरंत चमकने लगता है।
3 भरपूर मात्रा में पानी पीने से भी चेहरा ग्लो करता है। इसलिए खूबसूरत त्वचा पाने के लिए आप रोजाना 8-12 ग्लास पानी पिएं।
4 खीरा खाने से भी चेहरे पर चमक आती है। कोशिश करें कि रोजाना एक खीरा तो जरूर खालें। इसमें मौजूद विटामिन्स त्वचा के लिए फायदेमंद होते है।
5 नारियल पानी त्वचा को टोन करता है और चेहरे पर नेचुरल ग्लो लाने में सहायक होता है। इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है जिससे हड्डियां भी मजबूत होती है साथ ही ये अन्य कई सेहत फायदे भी देता है। इसलिए इसे भी रोजाना पिएं।
6.चेहरे की चमक लाने, और चेहरे पर पड़ी झुर्रियों को हटाने के लिए अरंडी के तैल (कैस्ट्रोल ऑयल) से अपने चेहरे की नियमित रूप से मालिश करें।
7.चेहरे और गर्दन में ताजा निचोड़ा हुआ नींबू का रस लगाएं। दस मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें। नींबू में मौजूद साइट्रिक एसिड, त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद करता है, साथ ही कोशिकाओं को दोबारा बनाने की प्रक्रिया को भी तेज करता है।
8.ताजा एलोवेरा का गूदा चेहरे पर लगाएं। यह मुंहासे को खत्म करता है, तथा दाग-धब्बों को मिटाता है।
9.कच्चे आलू के रस को चेहरे पर लगाएं, तथा सूखने पर धो दें। यह चेहरे से दाग-धब्बों को हटाता है तथा त्वचा में कसाव लाता है।
10.चेहरे पर शहद लगाएं और सूखने के बाद धो लें। यह एक अच्छा मोस्चराईजर है। यह चेहरे को नरम और कोमल बनाता है। यह चेहरे की चमक को बढ़ाता है|

त्वचा को स्वस्थ बनाने के लिए आहार

चेहरे की चमक बरकरार रखने के लिए आपकी खान-पान इस तरह होनी चाहिएः-
त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए, और नुकसानदायक पदार्थ त्वचा से बाहर निकालने के लिए नींबू पानी का सेवन फायदेमंद है। दिन में कम से कम 10 गिलास पानी पीने के अलावा रोज सुबह एक गिलास नींबू पानी भी लें। नींबू में मौजूद विटामिन ‘सी’ त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद हैं।
Avacado में विटामिन ‘ई’ की प्रचुरता होती है। इसमें मौजूद एंटीओक्सीडेंट्स (Antioxidants) त्वचा की अल्ट्रा-वायलेट किरणों से रक्षा करते हैं, और निखार लाने में मददगार होते हैं।
Strawberry, bluberry, Raspberry प्रजाति के फल त्वचा में प्राकृतिक चमक (tips for glowing skin) के लिए बेहद जरूरी हैं। इनका सेवन अधिक करना चाहिए।
अखरोट का सेवन करना चाहिए। इसमें Omega-3 fatty acid होता है, जो त्वचा की दमक बनाए रखता है।
विटामिन ‘ई’ आपकी त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से बचाता है। यह ऑलिव ऑयल, नट्स, बीजों और वनस्पति तेलों में मिलता है।
विटामिन ‘ए’ त्वचा कोशिकाओं का पुनर्निमाण करता है। विटामिन ‘ए’ फलों और सब्जियों में भरपूर मात्रा में होता है।
विटामिन ‘के’ आंखों के नीचे काले घेरों को दूर करने में मदद करता है। यह हरी पत्तेदार सब्जियां और डेरी उत्पादों में मिलता है।

त्वचा की कांति बढ़ाने के लिए जीवनशैली 

त्वचा की कांति (चेहरे की चमक) बनाए रखने के लिए आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-
अपनी दिनचर्या में व्यायाम, योगाभ्यास एवं प्राणायाम को अपनाएं। जितना सम्भव हो प्राकृतिक भोजन करें। जंक फूड्स से बचें । यह आपके शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करता है।
कृत्रिम सौन्दर्यवर्धक उत्पादों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, तथा धूप में जाने से पहले उच्च गुणवत्ता वाले सनक्रीम का इस्तेमाल करना चाहिए।
स्वस्थ त्वचा, स्वस्थ आहार के सेवन से बनती है। आप जो खाते हैं उसी से आपके शरीर का निर्माण होता है। इसलिए सन्तुलित भोजन का सेवन करना चाहिए, जिसमें प्रोटीन (Protein) और विटामिन (Vitamin) प्रचुर मात्रा में हो। हरी पत्तेदार सब्जियों का अधिक सेवन करें।
चेहरे पर सप्ताह में एक बार मालिश आश्चर्यजनक परिणाम दे सकती है, सरसों, नारियल, बादाम या कुमकुम आदि तेल, चेहरे की चमक बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
त्वचा में रौनक लाने के लिए सूर्य की रोशनी से बचाव जरूरी
यदि त्वचा अधिक समय तक सूर्य की रोशनी के सम्पर्क में आये, तो भी त्वचा संबंधित विकार उत्पन्न हो सकते हैं। सूर्य में मौजूद अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाती हैं, जिससे त्वचा पर Melasma, Freckels, Pigmintation, Black Heads आदि समस्याएं होने लगती हैं।
सुबह की गुनगुनी धूप का सेवन अवश्य करना चाहिये। इससे शरीर को विटामीन डी मिलता है। दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक की धूप से बचना चाहिए। इस समय धूप में नहीं जाना चाहिए। यदि जाना भी पड़े तो उत्तम गुणवत्ता वाला सनक्रीन त्वचा पर लगाना चाहिये। जितना हो सके त्वचा को ढकना चाहिये, क्योंकि इससे चेहरे की चमक  जा सकती है।
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3.7.21

शरीर को मोटा तगड़ा बनाने के घरेलू उपचार:mota tagada banane ke upay




कुछ लोगों के लिए वजन बढ़ाना या मसल्स बनाना उतना ही मुश्किल हो सकता है जितना कि मोटे लोगों के लिए वजन कम करना होता है।
वजन बढ़ाने में प्रोटीन सप्लीमेंट सबसे अधिक प्रभावी होता है। मट्ठा, सोया, अंडा और मटर प्रोटीन सहित कई प्रकार के प्रोटीन सप्लीमेंट उपलब्ध हैं। व्हे प्रोटीन सप्लीमेंट्स और मास गेनर्स सप्लीमेंट्स जो आपको मसल्स मास बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
कुछ लोग सोचते हैं कि व्हे प्रोटीन अस्वास्थ्यकर है, लेकिन ऐसा नहीं है। मट्ठा प्रोटीन डेयरी से बना है और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और बीमारी के जोखिम को कम करने में मदद करने के लिए दिखाया गया है। आप इसे अपने वर्कआउट से पहले या बाद में और दिन में किसी भी समय इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अलावा आप घर पर भी प्रोटीन शेक को घर पर बना सकते है जो अधिक फायदेमंद होता है। आप जो स्मूदी खुद बनाते हैं, वह रेडीमेड स्मूदी खरीदने की तुलना में अधिक पौष्टिक होगी। जल्दी वजन बढ़ाने के लिए आप उच्च ऊर्जा वाले नाश्ते के साथ अपने दिन की शुरुआत करें। प्रोटीन के लिए, मूंगफली बटर, बादाम का मक्खन, अलसी, या चिया बीज का सेवन करें। प्रोटीन सामग्री को बढ़ाने के लिए सूप, मसले हुए आलू और दलिया जैसे व्यंजनों का सेवन कर सकते है।

आलू

आलू को अपने नियमित डाइट में शामिल करें। आलू में कार्बोहाइड्रेट्स और कॉम्प्लेक्स शुगर होता है जो वजन बढ़ाने में मदद करता है। इसके लिए आप आलू किसी भी तरीके से खा सकते हैं, लेकिन कोशिश करें कि वो ज्यादा तला-भुना ना हो।

घी

घी खाने से भी आपका वजन बढ़ेगा क्योंकि इसमें saturated fats और कैलारी की काफी अच्छी मात्रा होती है। घी आप खाने में डालकर भी खा सकते हैं या फिर शक्कर के साथ मिलाकर भी खा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि घी की मात्रा सीमित रहे।

वजन बढ़ाने के लिए नट्स और नट बटर खाएं –

अगर आप जल्दी वजन बढ़ाना चाहते हैं तो नट्स और नट बटर सही विकल्प हैं। सिर्फ एक मुट्ठी कच्चे बादाम (लगभग 1/4 कप) में 170 कैलोरी, 6 ग्राम प्रोटीन, 4 ग्राम फाइबर और 15 ग्राम स्वस्थ वसा होता है।
नट्स में कैलोरी बहुत अधिक होती हैं, इसलिए आप भोजन के साथ या नाश्ते के रूप में प्रतिदिन केवल दो मुट्ठी भर नट्स का सेवन करके कैलोरी को जोड़ सकते हैं। आप विभिन्न प्रकार के स्नैक्स या व्यंजनों में नट बटर में स्मूदी, योगर्ट और क्रैकर्स आदि को मिला सकते हैं।
इसके अलावा आप पीनट बटर का भी सेवन कर सकते हैं। लेकिन यदि आपको मूंगफली से एलर्जी है, तो आप दूसरे नट बटर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
जल्दी वजन बढ़ाने के लिए दूध और केला भी अच्छा विकल्प है। इसमें शुगर और कैलोरी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जो आपका वजन तेजी से बढ़ाने का काम करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि दूध के साथ केला खाने से और भी कई फायदे होते हैं, इसलिए आप इसका सेवन जरूर करें।

तेजी से वजन बढ़ाने के लिए खाएं लाल मांस

अगर आप जल्दी से अपनी मांसपेशियों का विकास करना चाहते है तो रेड मीट का प्रतिदिन सेवन करें, इससे सिर्फ मांसपेशियां ही नहीं बनती हैं बल्कि वजन भी बहुत आसानी से बढ़ जाता है। रेड मीट में ल्यूसिन (leucine), क्रिएटिन (creatine) एवं अन्य आवश्यक पोषक तत्व पाये जाते हैं जो मांसपेशियों में वृद्धि के साथ ही शरीर का वजन भी बढ़ाने में मदद करते हैं। रेड मीट में प्रोटीन और फैट भी पाया जाता है। लेकिन याद रखें कि रेड मीट का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।

जल्दी वजन बढ़ाने के लिए खाएं पनीर

जल्दी वेट गेन करने में पनीर (Cheese) या चीज आपकी मदद कर सकता है। इसमें प्रचुर मात्रा में कैलोरी और फैट होता है। अगर पनीर को अधिक मात्रा में खाया जाए तो इससे पर्याप्त प्रोटीन शरीर को मिल जाता है। पनीर तो वैसे भी बहुत स्वादिष्ट होता है। इससे भोजन और सब्जियों के रूप में खाने से आप अपने शरीर की कैलोरी (calorie) बढ़ा सकते हैं। इसमें हेल्दी फैट पाया जाता है और इसे खाने से वजन आसानी से बढ़ सकता है।

फास्ट वेट गेन करने के लिए सैल्मन मछली खाएं

रेड मीट की तरह, सैल्मन मछली प्रोटीन और स्वस्थ वसा के उत्कृष्ट स्रोत हैं। सैल्मन मछली के सभी पोषक तत्वों में से, ओमेगा -3 फैटी एसिड सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध हैं। यह आपके स्वास्थ्य के लिए कई लाभ प्रदान करते हैं और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। सैल्मन मछली में प्रोटीन और वसा पाया जाता है जो हमारी मांसपेशियों के विकास में मदद करता है, इससे आपका वजन जल्दी से बढ़ जाता है।

जल्दी वजन बढ़ाने के लिए खाना चाहिए अंडे

जल्दी वजन बढ़ाने और मसल बनाने में अंडे को सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। इनमें प्रोटीन और हेल्दी फेट्स की मात्रा बहुत अधिक होती है, इसके लिए आप होल एग का सेवन करें। अंडे में सबसे ज्यादा लाभकारी पोषण तत्व अंडे के योल्क में या पीली जर्दी में पाए जाते हैं। यह मांशपेशियों के विकास में मदद करता है।

वजन बनाने के लिए खाएं किशमिश

दुबलापन हटाने और वजन बढ़ाने के लिए किशमिश का सहारा भी लेना है। 50 ग्राम किशमिश रात को पानी में भिगो दे। सुबह भली प्रकार चबा चबा कर खाएं। दो तीन माह के प्रयोग से वजन बढेगा। किशमिश में कैलोरी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जो वजन बढ़ाने में सहायक होती है।

वेट गेन करने के लिए दही खाएं

दही में मौजूद गुड बैक्टीरिया से भूख ज्यादा लगती है और जब आप जादा खाते है तो आसानी से वजन बढ़ाने लगता है। इसलिए अगर आप वजन तेजी से बढ़ाना है तो दही को अपनी डाइट में शामिल करें।

जल्दी वजन बढ़ाने के लिए दूध पियें

तेजी से वजन बढ़ाने और मसल मास बनाने के लिए दूध को बहुत पहले से इस्तेमाल किया जा रहा है। दूध में फैट, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, विटामिन और मिनरल ये सभी बहुत संतुलित मात्रा में मौजूद होते हैं।
मिल्क सबसे बेहतरीन प्रोटीन का स्त्रोत में से एक है जो कि कैसिइन प्रोटीन और व्हे प्रोटीन दोनों की आपूर्ति करता है। कई शोध में पाया गया है कि मिल्क, कैसिइन प्रोटीन और वे प्रोटीन सब बड़ी मात्रा में मसल मास बढ़ाने में मदद करतें हैं जो कि प्रोटीन के फायदों से भी कहीं ज्यादा है।

पर्याप्त नींद

नींद को लोग वजन बढ़ने से जोड़कर नहीं देखते और अगर ऐसा कहा भी जाए कि पर्याप्त नींद लेने से वजन बढ़ता है तो वो इसे मजाक ही समझेंगे, जबकि यह सच है। जब लोग पर्याप्त नींद लेंगे यानि कम से कम 8 घंटे सोएंगे तो उनके शरीर को आराम मिलेगा और जब आराम मिलेगा तो वो जो भी खाएंगे वो उनके शरीर पर असर जरूर दिखाएगा।

  • दूध के साथ नट्स जैसे कि मूंगफली या ड्राय फ्रूट्स खाने से भी वजन बढ़ेगा, लेकिन ध्यान रहे कि यह सब एक सीमित मात्रा में हो। ऐसा ना हो कि वजन बढ़ाने के चक्कर में आप और बीमारियां शरीर में पाल लें।

बीन्स

बीन्स और फलियों के अलावा राजमा और दालें खाने से भी वजन बढ़ेगा। लायमा बीन्स और सोयाबीन इसमें ज्यादा कारगर हैं इसलिए जरूरी है कि आप इन्हें किसी ना किसी फॉर्म में जरूर खाएं। बीन्स यानि फलियों में कार्बोहाइड्रेट्स और कैलोरी के अलावा फाइबर की मात्रा भी काफी होती है और ये सब तत्व वजन बढ़ाने में मदद करते हैं।

अनार

रोजाना अनार का जूस पीने से वजन तेजी से बढ़ता है।

चना और खजूर

पतले लोग अगर चने के साथ खजूर खाएं तो वो बहुत जल्दी वेट गेन करते हैं।

अखरोट और शहद

किशमिश को दूध मिलाकर खाने से भी वजन बढ़ता है। इसके अलावा अगर अखरोट में शहद मिलाकर खाया जाया तो पतले लोग जल्दी मोटे होंगे।

मोटा होने के लिए ना करें ये चीजें


  • कई लोग वजन बढ़ाने के चक्कर में जमकर जंक फूड खाते हैं, जबकि यह सही नहीं है। जंक फूड बिल्कुल ना खाएं। इसके अलावा ऐसी कोई भी चीज ना खाएं जो पचे ना।
  • इसके अलावा कई लोग मोटापा बढ़ाने के लिए या फिर वजन बढ़ाने के लिए दवाईयां और प्रोटीन सप्लीमेंट भी ले लेते है, लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक है। दवाईयों से आप वजन से गेन तो कर ही लेंगे, लेकिन इसके बाद फ्यूचर में जो परेशानी होगी, जो साइड इफेक्ट होंगे उनका अंजाम अच्छा नहीं होगा।

ध्यान दें -

वजन बढ़ाना कोई आसान काम नहीं है और ना ही इसका कोई फिक्स तरीका है। कुछ लोगों में मोटापा या कम वजन जेनेटिक होता है, इसलिए अगर इन तरीकों के जरिए भी वजन नहीं बढ़ रहा है तो जबरदस्ती ना करें और डॉक्टर से संपर्क करें। इतना जरूर है कि ऊपर बताए उपायों को अगर नियमित रूप से किया जाएगा तो यकीनन फायदा होगा।

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पंचसकार चूर्ण के फायदे//panchsakar churn ke fayde




पंचसकार चूर्ण के फायदे-

क्या आपको कभी की पेट की समस्या लगातार रहती है? क्या आप अपने पेट के भारीपन और पेट से संबंधित रोगों की समस्या से जूझ रहे हैं? जानिए आयुर्वेद की अनुपम आयुर्वेदिक औषधि पंचसकार चूर्ण |यह एक सौम्य विरेचक औषधि है । जोकि सामान्यतया कब्ज, हलका विरेचन देने के लिए, इसके साथ साथ अन्य कई बीमारियों में इसका प्रयोग करवाया जाता है । पंचसकार चूर्ण में 5 औषधियों को मिलाया जाता है जोकि कई औषधीय गुणों के साथ में परिपूर्ण है ।
आज हम जानेंगे पंचसकार के घटक द्रव्य, पंचसकार चूर्ण के फायदे तथा उपयोग सेवन विधि और सावधानियां ।

पंचसकार चूर्ण के घटक द्रव्य-

रस तंत्र सार सिद्ध प्रयोग संग्रह के अनुसार
सोंफ
सोंठ
सनाय
सेंधा नमक
छोटी हरड़
सभी की समान मात्रा बारीक पीसकर छानने के बाद में चूर्ण को एयरटाइट डिब्बे में बंद कर ले ।

पंचसकार चूर्ण के फायदे

मुख्य रूप से अर्श रोग में मृदु विरेचन के रूप में सेवन करवाया जाता है ।
पेट की आंतों में आम की समस्या को दूर करने के लिए ।
पुरानी कब्ज या मलावरोध की समस्या के लिए प्रयोग कराया जाता है ।
गैस के कारण होने वाला सिरदर्द
अजीर्ण
पेट की गैस की समस्या ।
आफरा
पेट दर्द
गुदा मार्ग में दर्द
आंतों की कार्य क्षमता को सुधरता है ।

सेवन मात्रा-

2 ग्राम से 5 ग्राम की मात्रा गुनगुने पानी से रात को सोते समय । चिकित्सक के निर्देशानुसार सेवन करें|

सावधानी-

डॉक्टर की देखरेख में प्रयोग करें ।
लगातार आदत में ना लाएं ।
अतिसार ,प्रवाहिका रोग में इसका प्रयोग ना करें ।
अत्यधिकआफरे की स्थिति में इसका प्रयोग ना करें ।

अन्य जानकारी-

पंचसकार चूर्ण सौम्य विरेचन है। कब्ज , आमवृद्धि  शिरदर्द  अजीर्ण  उदरवात (पेट का वायु), अफरा , उदरशूल (पेट दर्द), गुदशूल आदि दोषो को दूरकर पाचन शक्ति को सुधारता है।
यह चूर्ण अर्शरोग , आमप्रकोप, जीर्ण आमवातमे संधि स्थानो की पीडा और मलावरोध तथा नये अम्लपित्त (Acidity)के रोगियो के लिए हितकारक है। इसके सेवन से आमाशय रस की अम्लता और उग्रता का ह्रास होता है। आंतोंमे गये हुये दूषित आम का पचन होता है और नये आम (Toxin) की उत्पत्तिका ह्रास होता है। इसके अतिरिक्त यकृत पित्त (Gastric Juice) का स्त्राव बढ़ता है जिससे छोटी आंतमे होनेवाली पचन क्रिया सुधरती है। यकृत पित्त पूरा मिलनेपर मलमे दुर्गंध नहीं होती। किटाणु और विष नष्ट हो जाते है तथा मलको आगे फेंकने का कार्य सरलता पूर्वक होता है और शुद्धि होने के पश्चात  उसका आंकुचन होने मे भी सहायता मिल जाती है।
पंचसकार चूर्ण  अति सामान्य औषधियोके सम्मिश्रणसे बना है, फिर भी कफ प्रधान रोगी, जीर्ण आमवातपीड़ित, अर्शरोगी, जीर्ण आमातिसार और अन्य रोगोमे होनेवाली आमवृद्धि पर अमृत सद्रश उपकारक है।
सूचना: आमातिसार मे आमवृद्धि और मलावरोध होनेपर यह चूर्ण 2 माशा (2 ग्राम) सुबह को निवाये जल (ताजे पानी) के साथ देना चाहिये। मात्रा अधिक होनेपर अंत्रमे उग्रताकी वृद्धि होती है और उदर (पेट) मे मरोड़ आता है।
मात्रा: 3 से 6 माशे (1 माशा = .97 ग्राम) तक रात्री को निवाये जल के साथ ले।
पंचसकार चूर्ण बनाने की विधि: सोंठ, सौंफ, सनाय, सैंधा नमक और बडी हरड़, सबको समभाग मिलाकर कूट-छानकर चूर्ण बना लें।
Ref: सिद्ध भेषज मणिमाला

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22.6.21

बवासीर के आयुर्वेदिक घरेलू उपचार:piles herbal medicine

 


बवासीर क्या हैं?




बवासीर को आमतौर पर पाइल्स के रूप में जाना जाता है। यह पुरानी कब्ज और टाईट दस्त के कारण होता है। जब इन क्षेत्रों की दीवारों को फैलाया जाता है तो यह गुदा और मलाशय के निचले क्षेत्रों में संलग्न नसों की सूजन और जलन होती है। विभिन्न कारण होते हैं, हालांकि कारणों के अधिकांश समय ज्ञात नहीं रहता है। यह नतीजा हो सकता है कि गर्भावस्था के दौरान इन नसों पर बढ़े हुए वजन या ठोस निर्वहन के कारण तनाव हो सकता है। वे मलाशय के अंदर स्थित हो सकते हैं, या वे गुदा के पास की त्वचा के नीचे हो सकते हैं।
चार वयस्कों में से लगभग तीन को एक बार होता है। कभी-कभी ये अलग-अलग मौके पर दुष्प्रभावों का कारण नहीं बनते हैं, ये झुनझुनी, संकट और मरने का कारण बनते हैं। रक्तस्राव बवासीर में फ्रेम कर सकता है। ये खतरनाक नहीं हैं, बल्कि अविश्वसनीय रूप से दर्दनाक हो सकते हैं और कुछ समय के लिए असुविधा हो सकती है। सौभाग्य से, कई सफल विकल्प उनके इलाज के लिए सुलभ हैं। घरेलू उपचार और जीवन में बदलाव के साथ कई लोग साइड इफेक्ट से राहत पा सकते हैं।

बवासीर के प्रकार क्या हैं?

इन्हें निम्नलीखित दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
आंतरिक बवासीर: यह आमतौर पर मलाशय के अंदर पाया जाता है। अक्सर, प्रमुख संकेत मलाशय से खून बहना होता है। मल के दौरान तनाव आंतरिक रूप से धक्का देने से होता है क्योंकि यह गुदा से गुजरता है। यह एक विकृत या लम्बी अवस्था के रूप में जाना जाता है और यह दर्दनाक हो सकता है।
बाहरी बवासीर: आम तौर पर यह गुदा के पीछे-छोर के आसपास की त्वचा के नीचे पाया जाता है। स्टूल पास करते समय दबाव डालना, नसों में बहुत अधिक दबाव के कारण रक्तस्राव हो सकता है।

बवासीर के लक्षण क्या हैं?

मल त्याग के दौरान दर्द रहित रक्तस्राव - आप अपने टॉयलेट टिशू पर या लैट्रीन में सीमित लाल रक्त देख सकते हैं
आपके रियर-एंड के पास मस्सा या गांठ, जो संवेदनशील या दर्दनाक हो सकती है
आपके गुदा में झुनझुनी या जलन
दर्द या असुविधा
आपके गुदा के आसपास सूजन

बवासीर का कारण क्या है?

रियर-एंड के आसपास नसों का विकास बवासीर का कारण बनता है। यह कारणों से हो सकता है:
गर्भावस्था: वे गर्भवती महिलाओं में अधिक नियमित रूप से होते हैं, जैसा कि गर्भाशय का फैलाव होता है, यह बृहदान्त्र में नस पर धक्का बनाता है, जिससे इसमें सूजन हो जाता है।
एजिंग: ये बड़े होकर दिखाई देते हैं। आयु वर्ग को 45 से 65 वर्ष में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि, किसी भी मामले में, कि युवा और बच्चे में नहीं होता हैं।
डायरिया: ये रन के निरंतर होने के बाद हो सकते हैं।

पुरानी कब्ज: 

मल को स्थानांतरित करने के लिए दबाव डालना नसों के डिवाइडर पर अतिरिक्त भार डालता है।

सिटिंग रिस्क: 

लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहना। मामलों को विशेष रूप से ड्राइविंग, टेलरिंग और आईटी के व्यवसायों वाले लोगों के साथ यह देखा जाता है।

भारी उठाना: 

बार-बार पर्याप्त मात्रा में सामान उठाना।

गुदा संभोग: 

इस प्रकार का संभोग नए का कारण बन सकता है या मौजूदा को उत्तेजित कर सकता है।

वजन: 

आहार संबंधी कोरपुलेंस।

आनुवांशिकी:

कुछ व्यक्ति इन्क्लनेशन रूप जीन प्राप्त करते हैं।

बवासीर का निदान कैसे किया जाता है?

यदि आपका कोई बाहरी होता है तो आपका विशेषज्ञ मौके को देखकर ही जाँच कर सकता है। आंतरिक विश्लेषण करने के लिए परीक्षण और तकनीक आपके बट-केंद्रित ट्रेंच और मलाशय की टेस्ट को शामिल कर सकते हैं:

कम्प्यूटरीकृत परीक्षण: 

कम्प्यूटरीकृत रेक्टल परीक्षण के दौरान, आपका विशेषज्ञ आपके मलाशय में ग्लव्ड, मॉइस्चराइज्ड उंगली को एम्बेड करता है। रोगी को कुछ भी विचित्र यानी घटनाक्रम के लिए महसूस करने के लिए ऐसा करता है। यह परीक्षण किसी अन्य परीक्षण के लिए विशेषज्ञ की सिफारिश कर सकता है।

दृश्य समीक्षा: 

गुदा परीक्षण के दौरान, आंतरिक लोगों को आमतौर पर महसूस किया जाना मुश्किल होता है। आपका विशेषज्ञ इसी तरह एक प्रोक्टोस्कोप और कुंडली के साथ आपके मलाशय और बृहदान्त्र के अंतिम भाग को देख सकता है। आपके विशेषज्ञ को आपके पूरे बृहदान्त्र को कोलोनोस्कोपी के उपयोग से देखने की आवश्यकता हो सकती है।

बवासीर का इलाज कैसे करें?

इसके बढ़ने की गंभीरता और स्थिति के अनुसार उपचार करने के लिए कई सर्जिकल और नॉन-सर्जिकल तरीके हैं। वे इस प्रकार सूचीबद्ध हैं:
बवासीर के इलाज के लिए नॉन-सर्जिकल तरीके:
व्यायाम करना।
उचित आहार का पालन करना।
स्टूल सॉफ्टनर का उपयोग करना।
वार्म सिट्ज बाथ लेना।
क्रीम, मलहम और सपोसिटरी।
बवासीर के इलाज के लिए सर्जिकल तरीके:
उस क्षेत्र को काटने के लिए स्केलपेल का उपयोग करना।
धीरे-धीरे उन्हें लगातार दबाव के साथ धक्का देना।
छोटे से चीरा के साथ रक्तस्राव को हटा देना।
क्या दवाएं और अन्य उत्पाद बवासीर का इलाज करते हैं?
बवासीर के इलाज के लिए डॉक्टरों द्वारा निर्धारित कई उत्पाद हैं। सबसे आम उत्पादों में से कुछ सूचीबद्ध हैं:
डॉक्टर बटलर: जलन, खुजली, रक्तस्राव को कम करने में मदद करता है।
थेना नेचुरल वेलनेस: इस सोक का उपयोग करके सिट्ज स्नान किया जाता है।
हेम नियंत्रण कैप्सूल: यह क्रीम, मलहम या अन्य उपचार का एक विकल्प है।
ट्रोनोलेन हेमोर्रोइड्स क्रिम: यह अच्छा करने और दर्द, खुजली और दर्द को कम करने के लिए कसैले के रूप में काम करता है।
मदरलव ओरगेनिक र्होइड बाम: यह गर्भवती महिलाओं के लिए मरहम के रूप में एक विशेष उपयोगी है।
डोनट टेलबोन कुशन: यह कुशन विशेष रूप से बवासीर से पीड़ित लोगों के लिए बनाया गया है।
क्या सर्जरी से बवासीर ठीक होता है?
चिकित्सा प्रक्रिया के दौरान, ज्यादातर समय मुद्दे तय होते हैं। सफल दीर्घकालिक चिकित्सा प्रक्रिया बाधा
और तनाव से बचने के लिए कब्ज को रोकना आंत्र की आदतों पर निर्भर करता है। केवल 5% व्यक्तियों में चिकित्सा प्रक्रिया के बाद भी पुनरावृत्ति होती है।
खुनी बवासीर होने पर दही या लस्सी के साथ कच्चा प्याज खाने से फायदा मिलता है।
कैसी भी बवासीर हो कच्ची मूली खाने या उसका रस पीना चाहिए। एक बार में मूली का रस 25 से 50 ग्राम तक ही ले।
आम और जामुन की गुठली के अंदर वाले हिस्से को सुखा कर पीस लें और इसका चूर्ण बना ले। रोजाना 1 चम्मच चूर्ण पानी या लस्सी के साथ लेने से खुनी बवासीर में आराम मिलता है।
शरीर में कब्ज़ रहती हो और पेट ठीक से साफ़ न होता हो तो इसबगोल की भूसी का प्रयोग करे।
50 से 60 ग्राम बड़ी इलायची तवे पर भून ले और ठंडी होने के बाद इसे पीस कर चूर्ण बना ले। रोजाना सुबह खाली पेट इस चूर्ण को पानी के साथ लेने से पाइल्स ठीक होती है।
100 ग्राम किशमिश रात को सोने से पहले पानी में भिगो कर रखे और सुबह उस पानी में किशमिश को मसल कर इस पानी का सेवन करें। कुछ दिन निरंतर इस उपाय को करने से बवासीर ठीक होने लगती है।
10 से 12 ग्राम धुले हुए काले तिल ताजा मक्खन के साथ खाने से खूनी बवासीर में खून का आना बंद होता है। 
एक चौथाई चम्मच दालचीनी 1 चम्मच शहद में मिला कर खाने से भी पाइल्स में राहत मिलती है।
अगर आप को बवासीर बार बार होती है तो दोपहर के खाने के बाद लस्सी (छाछ) का सेवन करे। लस्सी में थोड़ा सा सेंधा नमक और अजवाइन मिला कर पिये।

बवासीर के मस्सों का रामबाण इलाज

80 ग्राम अरंडी के तेल को गरम कर ले फिर इसमें 10 ग्राम कपूर मिला कर रखे। मस्सों को साफ़ पानी से धो कर इसे किसी कपड़े से पोंछ ले और अरंडी के इस तेल से मस्सों पर हलके हाथों से मालिश करे। इस देसी नुस्खे को दिन में 2 बार करने से मस्सों की सूजन, दर्द, खारिश और जलन में आराम मिलता है।
थोड़ी सी हल्दी को सेहुंड के दूध में मिलाकर इसकी 1 बूंद मस्से पर लगाने से मस्सा ठीक हो जाता है। .
सहजन के पत्ते और आक के पत्तों का लेप लगाने से भी मस्सों से जल्दी छुटकारा मिलता है।
कड़वी तोरई के रस में हल्दी और नीम का तेल मिला कर एक लेप बना ले और मस्सों पर लगाये। इस उपाय के निरंतर प्रयोग से हर तरह के मस्से ख़तम हो जाते है।

खूनी और बादी बवासीर का आयुर्वेदिक उपाय

अंजीर का सेवन पाइल्स के इलाज में बेहद लाभकारी है। रात को सोने से पहले 2 सूखे अंजीर पानी में भिगो कर रखे और सुबह खाएं और 2 अंजीर सुबह भिगो कर रख दे जिसे आप शाम को खाये। अंजीर खाने के आधे से पौना घंटा पहले और बाद में कुछ खाये पिये नहीं। 10 से 12 दिन लगातार इस नुस्खे को करने से खुनी और बादी हर तरीके की बवासीर से राहत मिलती है।

जाने कब्ज़ का इलाज के देसी नुस्खे

बवासीर का इलाज बाबा रामदेव मेडिसिन
बवासीर के मस्सों से छुटकारा पाने के लिए अगर आप आयुर्वेदिक मेडिसिन लेना चाहे तो बाबा रामदेव पतंजलि स्टोर से आप दिव्य अर्शकल्प वटी ले सकते है। इस दवा की 1 से 2 गोली दिन में दो बार पानी या लस्सी के साथ ले।
योग से बवासीर का उपचार कैसे करे?

शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से जल्दी राहत पाने में योग करना अच्छा उपाय है। बवासीर के योग में अनुलोम – विलोम और कपालभाति प्राणायाम दिन में 2 बार करें। अगर आप प्राणायाम करने की सही प्रक्रिया नहीं जानते तो आप किसी योग गुरु की मदद ले।
जाने खून की कमी कैसे दूर करें

बवासीर में क्या खाये?

करेले का रस, लस्सी, पानी।
दलिया, दही चावल, मूंग दाल की खिचड़ी, देशी घी।
खाना खाने के बाद अमरूद खाना भी फायदेमंद है।
फलों में केला, कच्चा नारियल, आंवला, अंजीर, अनार, पपीता खाये।
सब्जियों में पालक, गाजर, चुकंदर, टमाटर, तोरई, जिमीकंद, मूली खाये।

बवासीर में परहेज क्या करे

बवासीर का उपचार में जितना जरूरी ये जानना है की क्या खाये उससे जादा जरुरी इस बात की जानकारी होना है कि क्या नहीं खाये।
तेज मिर्च मसालेदार चटपटे खाने से परहेज करें।
मांस मछली, उड़द की दाल, बासी खाना, खटाई न खाएं।
डिब्बा बंद भोजन, आलू, बैंगन।
शराब, तम्बाकू।
जादा चाय और कॉफ़ी के सेवन से भी बचे।

बवासीर से बचने के उपाय

बहुत से लोग इस बीमारी से प्रभावित है पर हम कुछ बातों का ध्यान रख कर इससे बच सकते है।
खाने पीने की बुरी आदतों से परहेज करे जैसे धूम्रपान और शराब।
खाने में मसालेदार और तेज मिर्च वाली चीजें न खाये।
पेट से जुड़ी बीमारियों से बचे।
कब्ज़ की समस्या बवासीर का प्रमुख कारण है इसलिए शरीर में कब्ज़ न होने दे।
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सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार

वजन कम करने के लिए कितना पानी कैसे पीएं?

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  • 6.6.21

    दिव्य श्वासारि क्वाथ के स्वास्थ्य लाभ:shwasari kwath ke fayde




    दिव्य श्वासारि क्वाथ एक ऐसी आयुर्वेदिक औषधि हैं जो खासी और जुकाम को ठीक करने में उपयोगी हैं,इसके अलावा साँस से सम्बंधित समस्याओ को दूर करने के लिए भी यह एक असरकारक दवा हैं। दिव्य स्वशरी क्वाथ प्रकृतिक जड़ी-बूटियों का एक मिश्रण हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक हैं। साँस लेने से सम्बंधित बिमारियों का कारण धूम्रपान, धूल-मिटटी या किसी और चीज़ से एलर्जी या फिर कमजोर इम्युनिटी का होना हो सकता हैं। यह औषधि फेफड़े की कोमल मांसपेशियो का उचित उपचार करके फेफड़ों को उसका उचित काम करने में मदद करती हैं।हर 5 ग्राम दिव्य श्वासारि क्वाथ में यह घटक बराबर मात्रा में होते है:-
    छोटी कटेली
    काला वासा
    सफ़ेद वासा
    बनफ्शा
    तुलसी
    तेजपत्र
    भारंगी
    लिसोररा
    अमलतास
    मुलेठी
    छोटी पीपल
    दालचीनी
    लौंग
    सोंठ
    दिव्य श्वासारि क्वाथ लाभ एवं उपयोग
    यह औषधि बिभिन्न रोगों में इस तरह से उपयोगी हैं:-

    जुकाम और खांसी

    दिव्य श्वासारि क्वाथ खासी और जुकाम के लिए अत्यधिक लाभकारी हैं। इस औषधि का काढ़ा बना कर कुछ दिन सेवन करने से जुकाम में होने वाली समस्याओ जैसे सिरदर्द ,बदनदर्द,नाक का बहना में रहत मिलती हैं।

    साँस सम्बन्धी रोग

    यह औषधि साँस संबंधी रोगों में जैसे दमा में लाभदायक हैं।

    फेफड़ो के रोगों में लाभदायक

    दिव्य श्वासारि क्वाथ फेफड़ों में होने वाली तकलीफो को कम करता हैं और इनमे से अत्यधिक कफ को दूर करता हैं।

    अस्थमा में राहत

    इसके अलावा यह औषधि अस्थमा या एलर्जी के रोगियों के लिए भी एक सर्वोत्तम औषधि हैं। इसका सेवन करने किसी भी तरह की एलर्जी से राहत मिलती हैं।
    इम्युनिटी में बढ़ोतरी
    दिव्य श्वासारि क्वाथ इम्युनिटी को बढ़ाता हैं जिससे सर्दी-खांसी या साँस सम्बंधित रोगों से छुटकारा मिलता हैं इसके अलावा यह साँस लेने और साँस छोड़ने की प्रक्रिया को भी सुचारू रूप से काम करने के लिए सुधारता हैं।

    औषधीय मात्रा निर्धारण एवं व्यवस्था

    दिव्य श्वासारि क्वाथ की 500 मिलीग्राम से लेकर 1 ग्राम तक की मात्रा एक दिन में दो से तीन बार ली जा सकती हैं। इसे खाने से आधा घंटे पहले ले सकते हैं या फिर खाने के बाद भी इसका सेवन किया जा सकता हैं। दिव्य श्वासारि क्वाथ को शहद या गर्म पानी से साथ लेना बेहतर परिणाम देता हैं। डॉक्टर के निर्देश के अनुसार भी इसका सेवन किया जा सकता हैं।

    दुष्प्रभाव

    दिव्य श्वासारि क्वाथ पूरी तरह से आयुर्वेदिक और कुदरती जड़ी-बूटियों से बनाई औषधि हैं और इसका कोई दुष्प्रभाव नही हैं ,अगर इसके सेवन से कोई समस्या होती हैं तो डॉक्टर से सलाह लेनी आवश्यक हैं।
    बच्चे के होने के बाद भी महिलाये इसका प्रयोग आसानी से कर सकती हैं क्योंकि पूरी तरह से आयुर्वेदिक होने के कारण इससे कोई नुकसान नही होता।

    पूर्वोपाय

    धूम्रपान से बचना चाहिए।
    कसरत और योग नियमित रूप से करने चाहिए, इनसे इम्युनिटी बढ़ती हैं।
    3 ) पीने के लिए हमेशा गर्म पानी का ही प्रयोग करे, ठंडा पानी भी ऐसी बीमारियों को बढ़ाता हैं।
    तल-भुना और वसा से भरा खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, जितना हो सके इनका सेवन न करे इसकी जगह संतुलित और स्वास्थ्यबर्धक खाने का सेवन करें।
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