28.12.20

तालमखाना के फायद:Talamkhana ke fayde





तालमखाना जड़ी बूटी के फायदे के लिए इमेज परिणाम
तालमखाना मीठा, अम्लिय गुण वाला, कड़वा, ठंडे प्रकृति का, पित्त को कम करने वाला, बलकारक, खाने में रुचि बढ़ाने वाला, फिसलने वाला, वात और कफ करने में सहायक होता है।
तालमखाना का क्षुप 2 से 5 फीट तक ऊंचा होता है। किसी-किसी क्षुप में टहनियाँ नीचे जड़ के समीप से ही फुटकर फैलती है, किसी में ऊंची डाल पर ही फूट निकलती है। तालमखाना की जड़ और बीज दोनों औषधयोजना में लिये जाते है।
तालमखाना शीतल, वीर्यवर्धक, मधुर, अम्ल तथा तिक्त (कड़वा) रसयुक्त, पिच्छल (पिच्छल पदार्थ बलकारक, भारी, टूटे हुये को जोड़ने वाला और कफकारक होता है।) तथा वात, आमशोथ (आम के कारण सूजन), पथरी, प्यास, दृष्टिरोग और वातरक्त (Gout) का नाशक है।
तालमखाना का बीज भारी, ग्राही, गर्भस्थापक, कफवातकारक, मलस्तम्भकारक तथा रक्तविकार, जलन और पित्त के नाशक है। तालमखाना के पत्ते सूजन, शूल, विष (Toxin), अफरा, वात, पेट के रोग, पांडुरोग एवं मलमूत्रों की रुकावट को मिटाते है। इसी के समान बड़े तालमखाना के गुण है।
तालमखाना की जड़ चिकनी और मूत्रल है। यह सूजन, प्रमेह, यकृत (Liver) की विकृति, संधिवात और मूत्राशय के शूलों के लिये प्रयोग की जाती है। इसके बीजों का उपयोग वाजीकरण के रूप में किया जाता है। बीजों का लेप संधिवात में दुखती संधियों के लिये भी किया जाता है। सूजन के रोगियों पर तालमखाना का उपयोग लाभदायक सिद्ध हुआ है।
यूनानी मत से तालमखाना बलदायक, प्रसन्नताकारक, स्फूर्तिकारक, कामशक्तिवर्धक, वीर्यवर्धक और वीर्य को गाढ़ा करनेवाला तथा स्तंभनकारक भी है। वात और रक्तदोषों के लिये लाभदायक है। वीर्यस्त्राव (शुक्रमेह) और जलोदर को नष्ट करता है।

तालमखाना के फायदे एवं स्वास्थ्य उपयोग 

इसकी जड़ें उत्कृष्ट शीतल, वेदनानाशक, बलकारक और मूत्रल होती है | इसके बीज स्निग्ध, कुछ मूत्रल और कामेन्द्रिय को उत्तेजना देने वाले होते है | इसके पंचांग की राख मूत्रल होती है | इसकी जड़ का काढ़ा सुजाक और बस्तीशोथ रोग में दिया जाता है | इसके देने से सुजाक की जलन कम होती है और पेशाब का प्रमाण बढ़कर रोग धुल जाता है | यकृत के विकारों में तालमखाना की जड़ का क्वाथ और पंचांग की राख दी जाती है |तालमखाना के घरेलु प्रयोग
अगर आप अनिद्रा रोग से ग्रषित है तो तालमखाने की जड़ों को पानी में उबाल कर क्वाथ तैयार करके पीना चाहिए | निरंतर सेवन से उचटी हुई नींद की समस्या ठीक हो जाती है |
पत्थरी एवं मूत्रविकारों में तालमखाना के साथ गोखरू और एरंड की जड़ को दूध में घिसकर पिने से मुत्रघात, रुक रुक कर पेशाब का आना एवं पत्थरी की समस्या जाती रहती है |
तालमखाने के पुरे पौधे को जलाकर इसकी भस्म (राख) बना ले | इस राख को कपड़े से छान कर सुखी बोतल में रखलें | जलोदर जैसे रोगों में जब इसकी ताज़ी जड़ें न मिलसके तब इसकी भस्म का सेवन करना चहिये | इसका सेवन करने के लिए एक चम्मच की मात्रा के गिलास पानी में डालकर अच्छी तरह हिला कर 20 – 20 मिली की मात्रा में दो – दो घंटे के अन्तराल से सेवन करना चाहिए | इस नुस्खे से जलोदर में बहुत फायदा मिलता है |
तालमखाने की जड़ शीतल, कटु और पौष्टिक एवं स्निग्ध होती है | इसकी जड़ को एक ओंश की मात्रा में 50 तोले पानी के साथ 10 मिनट ओंटाकर निचे उतार कर छान लेना चाहिए | यह क्वाथ जलोदर, मूत्रमार्ग और जननेंद्रिय के रोगों में काफी लाभकारी होता है |
कुष्ठ रोग में इसके पौधे के पतों का रस निकाल कर पीने से और पतों का शाग खाते रहने से लाभ मिलता है 
इसके पौधे से प्राप्त गोंद को 1 ग्राम की मात्रा में कब्ज के रोगी को देने चमत्कारिक लाभ होता है |
अगर शरीर में कंही सुजन हो तो इसकी जड़ को जलाकर बनाई गई राख को पानी के साथ सेवन करने से शरीर की सुजन में आराम मिलता है |
आयुर्वेद के वाजीकरण योगों में तालमखाने का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है | यह कामोद्दीपक गुणों से युक्त होती है | इसके सेवन से जननेंद्रिय के विकारों में भी लाभ मिलता है | यह वीर्य को बढ़ाने एवं इसके विकारों को हरने वाला होता है |
तालमखाना के कुछ स्वतंत्र प्रयोग: 
౦ वाजीकरण के लिये: कौंच के बीज और तालमखाना का चूर्ण मिसरी मिलाकर धारोष्ण दूध के साथ सेवन करने से स्त्रीसंभोग-शक्ति बढ़ती है।
౦ वातरक्त (Gout) में: तालमखाना की जड़ का क्वाथ पीना चाहिये एवं पत्तों का शाक खाना चाहिये। इस प्रकार लंबा प्रयोग करने से वातरक्त नष्ट हो जाता है।
౦ संधि के मांसपेशी हट गई हो तो: तालमखाने के पंचांग का लेप करना लाभदायक है।
౦ तालमखाना का क्षार: कफ को निकालनेवाला और दस्तों के द्वारा दोषों को निकालनेवाला तथा जलोदर नाशक है।
और भी फायदे हैं तालमखाना के 
गठिया
प्रयोग से पता चला है कि तालमखाना की जड़ और पत्तियां बहुत लाभदायक होती हैं इनका काढ़ा बनाकर सेवन करने से यकृत से जुड़ी विकारों में लाभ मिलता है और साथ ही ज्ञानेंद्रियों और पेशाब से संबंधित बीमारियों में भी लाभ होता है जलोदर, गठिया तथा मूत्र से जुड़े परेशानियों में भी आराम मिलता है|
तालमखाना के फायदे हैं कुष्ठ रोग में
कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति को तालमखाना के जड़ और पत्तों का जूस निकाल कर पीने से मरीज को बहुत फायदा होता हैआप चाहे तो प्रतिदिन इसके पत्तों का साग बना कर खा सकते हैं इससे भी लाभ हो जाता है|
प्रसवकष्ट-
बगसेन का कहना है कि इसकी जड़ और शक्कर को बराबर मात्रा में लेकर मुंह में चबाने से जो रस निकलता है| उससे प्रसव की पीड़ा से परेशान महिला के कान में डालने से जल्द ही प्रसव हो जाता है|
नींद ना लगना
बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिन्हें नींद बहुत कम आती है या सोने के लिए नींद की गोली का इस्तेमाल करते हैं| आप चाहे तो उसकी जगह तालमखाना के जोड़ों को उबाल दीजिए और रोज उसके रस का सेवन करें, आप पाएंगे कि लंबे समय से चटकी हुई नींद वापस आ जाएगी और आपको नींद आने लगेगी|
नपुंसकता-
50 ग्राम कौंच का बीज और 50 ग्राम तालमखाना का मिश्रण तैयार कर लें और इसमें 100 ग्राम मिश्री को भी डाल दें, अब उसे प्रतिदिन गर्म दूध में आधा चम्मच मिश्रण डालकर उनका सेवन कीजिए| यह आपके वीर्य को गाढ़ा बना देगा और नपुंसकता भी दूर हो जाएगी|
खांसी में लाभदायक
कई लोगों को ऐसा होता है कि जब भी थोड़े बहुत मौसम का बदलाव होता है, तो सर्दी और खांसी होती ही रहती है और खांसी जल्दी जाने का नाम ही नहीं लेता, तो हम आपको घरेलू नुस्खे का प्रयोग करने की सलाह देंगे| तालमखाना के कुछ पत्तों का पाउडर बना लें, और एक चम्मच के साथ थोड़ा शहद को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें और उसे खाएं जल्द ही खांसी में आराम मिल जाता है|
ब्लड से संबंधित परेशानी
यदि ब्लड से संबंधित कोई दिक्कत है, तो तालमखाना के पत्तों को उबालने के बाद बचा हुआ पानी रोगी को पिलाएं, इससे रक्त से जुड़ी समस्या दूर हो जाएगी|
पीलिया
लंबे समय से पीलिया से ग्रसित व्यक्ति को तालमखाना का काढ़ा बनाकर देना चाहिए| इसके लिए डेढ़ गिलास पानी में एक मुट्ठी तालमखाना के पत्तों को डालकर उबालें, उसे तब तक उबालें जब तक पानी जलकर एक कप ना हो जाए और उसे रोज सुबह खाली पेट पीने को दें| इससे पीलिया, एनीमिया, जलोदर तथा मूत्र से जुड़ी दिक्कत ठीक हो जाती है|
तालमखाना के फायदे हैं मधुमेह में
दुनिया की रफ्तार इतनी तेज हो चुकी है कि इस रफ्तार में हम अपने खानपान पर ठीक से ध्यान नहीं दे पाते, जिसके चलते किसी न किसी को मधुमेह का शिकार होना ही पड़ता है| इसके लिए आप तालमखाना के बीज का काढ़ा तैयार कर लें, और उसमें थोड़ा मिश्री डालकर पीने से मधुमेह में लाभ होता है|
तालमखाना से पथरी का इलाज
तालमखाना, गोखरू और अरंडी की जड़ के चूर्ण को दूध के साथ पीने से पेशाब में दिक्कत और पथरी की समस्या से निजात मिल जाता है
यौन शक्ति
इसके बीज, कौंच का बीज, पिस्ता, बादाम, केसर, गिलोय, शतावरी को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण तैयार कर लें, और गाय के घी के साथ आधा चम्मच चूर्ण के साथ खाएं और बाद में एक गिलास दूध पीने से बल वीर्य शक्ति, शीघ्रपतन, शारीरिक कमजोरी और नपुंसकता दूर हो जाती है|

जातिफलादि वटी के गुण और फायदे:Jatifaaladi vati ke fayde




किसी भी व्यक्ति को यदि शीघ्रपतन कि शिकायत है । तो उस को जातिफलादि वटी (स्तम्भक) का प्रयोग करना चाहिये व किसी भी प्रकार कि योन समस्याओं के लिये इस गोली का प्रयोग कर सकते है ।

जातिफलादि वटी (स्तम्भक) के घटक

अकरकरा 1 तोला
सोंठ 1 तोला
शीतल चीनी 1 तोला
केशर 1 तोला
पीपल 1 तोला
जायफल 1 तोला
लौंग 1 तोला
सफेद चन्दन 1 तोला
शुद्ध अफीम 4 तोला
इन सभी जड़ी बूटियों को लेकर चूर्ण करके कपडे से छानने के बाद इस चूर्ण में अफीम और केशर मिले हुए जल के साथ दृढ़ मर्दन करे । जब यह गोली बनाने लायक हो जाये तो चने के आकार कि गोली बना कर छाया में सुखाकर रख लेते है ।

जातिफलादि वटी ( स्तम्भक ) के गुण व उपयोग

वीर्य को रोकने वाली जितनी भी दवाईयाँ होती है । वे सब स्नायु-संकोचक हुआ करती है । इस गोली का प्रभाव वातवाहिनी और शुक्रवाहिनी नाडियो पर विशेष प्रकार से होता है । इसी कारण से यह गोली वीर्य को जल्दी नही गिरने देती है । जिसके कारण शीघ्रपतन नही होता है । वीर्य-स्खलन उसी हालत में होता है । जब स्नायु ढीली पड़ जाती है । इस गोली के प्रभाव से जब तक स्नायु कड़ी रहती है, तब तक वीर्य रुका रहता है ओर इसका प्रभाव दूर हो जाने पर शुक्र निकल जाता है ।

जातिफलादि वटी ( स्तम्भक ) कि सेवन विधि

रात को सोने से पहले 1 गोली खाकर गाय का दुध पीना चाहिए या मधु अथवा घृत के साथ सेवन करना चाहिए

जातिफलादि वटी ( स्तम्भक ) के सेवन मे सावधानी

इस गोली का प्रयोग बड़ी सावधानी के साथ करना चाहिए, क्यों कि इसमें अफीम की मात्रा अधिक होती है । दूसरी बात यह है कि इस गोली के सेवन करने के बाद तीन रोज तक दूध, मलाई, रबड़ी आदि पदार्थों का खूब सेवन करना चाहिए । अन्यथा क्षणिक आनंद के लोभ में पड़कर बहुत बडा नुकसान उठाना पडता है । खुश्की बढ़ जाती है । कमजोरी तथा शक्ति की कमी किसी कार्य में मन नही लगना, शरीर की कांति नष्ट हो जाना, किसी की बात अच्छी न लगना आदि समस्या हो जाती है । कारण यह होता है कि जितनी देर से वीर्य निकलता है, उतनी ही ज्यादा मात्रा में वीर्य गीरता है, जिसकी पूर्ति तुरन्त होना कठिन हो जाता है । यह पूर्ति दूध , मलाई आदि पौष्टिक पदार्थों से शीघ्र हो जाती है ।

जातिफलादि वटी ( स्तम्भक ) के परहेज

जातिफलादि वटी ( स्तम्भक ) के कोइ परहेज नही है । परन्तु आचार , खट्टी चीज, इमली आम व तली भुनी व  बाहरका खाना नही खाना चाहिए तेल मसाले आदि का सेवन भी न के बराबर करना चाहिए । यदी इन सभी परहेजो का पालन नहीं किया तो ये गोली बुरा प्रभाव भी दिखा सकती है
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5 आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन से बनाएं सेक्स लाइफ बेहतर:sex power 5 ayurvedic herbs




सेक्स को लेकर अभी भी हमारे समाज में तरह तरह की भ्रांतियां है, लोग इससे जुड़ी किसी भी तरह की समस्या को बताने में शर्माते हैं। यही कारण है कि अपने देश में यौन रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है क्योंकि अधिकांश लोग इसका इलाज ही नहीं करवाते। सेक्स पावर में कमी भी ऐसी ही एक समस्या है जिसके बारे में लोगों को पूरी जानकारी नहीं है और वे गलत नीम-हकीमों या बाबाओं के चक्कर में पड़कर अपनी मुश्किलें और बढ़ा लेते हैं।
सेक्स पावर क्या है? :
सेक्स करने के लिए बहुत अधिक उर्जा की आवश्यकता पड़ती है और इसी उर्जा को सेक्स पावर कहा जाता है। एक शोध के अनुसार डेढ़ किलोमीटर दौड़ लगाने में जितनी उर्जा खर्च होती है उतनी उर्जा आप एक बार सेक्स करने में खर्च कर देते हैं। वास्तव में सेक्स पॉवर में कमी से मतलब यह है कि सेक्स के दौरान आप अपनी क्षमता के अनुसार सेक्स नहीं कर पा रहे हैं या कुछ ही मिनटों में बुरी तरह थक जा रहे हैं।
सेक्स क्षमता में कमजोरी के कारण :
वास्तव में सेक्स के समय कमजोरी महसूस करना शारीरिक से ज्यादा एक मानसिक समस्या है। लोगों में सेक्स से जुड़ी इतनी अधिक ग़लतफ़हमी है कि वे सेक्स के दौरान अपने लिंग के साइज़, सेक्स की अवधि आदि चीजों के बारे में ज्यादा सोचने लगते हैं और इस वजह से वे ठीक ढंग से सेक्स नहीं कर पाते हैं। ऐसा भी नहीं है कि यह पूरी तरह एक मानसिक समस्या है, कई ऐसी बीमारियां भी है जिनके होने से आपकी सेक्स क्षमता कमजोर पड़ सकती है।
सेक्स पावर कैसे बढ़ाएं
अगर आप भी दिन भर इंटरनेट पर सेक्स पावर बढ़ाने के घरेलू उपचार या मर्दाना ताकत बढ़ाने वाली दवाएं खोजते रहते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी आंख मूंदकर इन पर भरोसा ना करें. आज कल बाज़ार में सेक्स पॉवर बढ़ाने के लिए तमाम तरह की टैबलेट मौजूद हैं लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि इन दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट के कारण कई समस्याएं भी हो सकती हैं। इन दवाइयों की बजाय यौन शक्ति बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपचार अपनाएं। आयुर्वेद के अनुसार सेक्स क्षमता बढ़ाने के लिए शरीर में उर्चा का संचय होना बहुत ज़रुरी है। शरीर जितना उर्जावान रहेगा आप उतने ही बेहतर क्षमता के साथ सेक्स कर पायेंगें। इसलिए ऐसी जड़ी बूटियों का सेवन करें जो यौनशक्ति वर्धक हों और शारीरिक क्षमता बढ़ाती हों। इन औषधियों का सेवन सीमित मात्रा में करने से कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है।
सेक्स क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियां :
1- सफेद मूसली : सफेद मूसली एक ऐसी जड़ी बूटी है जो सेक्स पावर बढ़ाने के लिए बहुत प्रचलित है, इसे हर्बल वियाग्रा के नाम से भी जाना जाता है। सफेद मूसली का इस्तेमाल यूनानी, होम्योपैथी और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में काफी पहले से होता रहा है। यह एक प्रकार की जड़ें होती हैं। इसे यौन दुर्बलता, नपुंसकता और शीघ्रपतन जैसी बीमारियों के इलाज में प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार सफेद मूसली मुख्य रुप से वात और पित्त दोष पर काम करती है और कफ दोष को बढ़ाती है।
सेवन का तरीका : दिन में दो बार खाना खाने के बाद आधा चम्मच मूसली चूर्ण को गुनगुने दूध में मिलाकर सेवन करें।
2- अश्वगंधा : आयुर्वेद के अनुसार अश्वगंधा एक रसायन औषधि है और यह पुरुषों के शरीर में सभी धातुओं की मात्रा बढ़ा देती है। इसके सेवन से खासतौर पर शुक्र धातु की मात्रा काफी बढ़ जाती है। इसके नियमित सेवन से शरीर की उर्जा बढ़ती है, वीर्य बढ़ता है और सेक्स के दौरान आप जल्दी थकते नहीं हैं।
खुराक : रोजाना एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण
सेवन का तरीका : आधा चम्मच अश्वगंधा चूर्ण लें और उसे शहद या दूध के साथ मिलाकर दिन में दो बार खाने के बाद इसका सेवन करें.
3- शिलाजीत : आयुर्वेद में शिलाजीत को शक्तिवर्धक और वीर्यवर्धक औषधि माना गया है। यह शरीर की यौनशक्ति बढ़ाने में बहुत उपयोगी है। इसकी तासीर गर्म होती है इसलिए इसके सेवन के दौरान ज्यादा तली भुनी चीजें,खटाई और अधिक नमक वाली चीजों से परहेज करना चाहिए। सेक्स के दौरान अगर आपको ज्यादा कमजोरी महसूस हो रही है तो आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार शिलाजीत का सेवन तुरंत शुरु कर दें।
खुराक : रोजाना दो शिलाजीत कैप्सूल (250-500 mg)
सेवन का तरीका : सेक्स पॉवर बढ़ाने के लिए दिन में दो बार खाना खाने के बाद एक-एक शिलाजीत कैप्सूल को गाय के दूध के साथ लें।
4- कौंच बीज चूर्ण : यह झाड़ियों में पाए जाने वाला एक औषधीय पौधा है। इस पौधे के बीजों का इस्तेमाल सेक्स पॉवर बढ़ाने और नपुंसकता के इलाज में किया जाता है। जो लोग सेक्स करते समय बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस कर रहे हैं उनके लिए यह औषधि एक वरदान की तरह है। आयुर्वेद के अनुसार कौंच के बीजों का स्वभाव गुरु और स्निग्ध होता है और इसे वातनाशक और कफपित्तवर्धक माना जाता है।
खुराक : रोजाना एक चम्मच कौंच बीज चूर्ण
सेवन का तरीका : दिन में दो बार आधा चम्मच कौंच बीज चूर्ण को खाने के दो घंटे बाद गुनगुने दूध के साथ लें.
5- त्रिफला : आमला, बहेड़ा और हरड इन तीन तरह के औषधियों के मिश्रण को त्रिफला कहा जाता है। यह वजन कम करने, कब्ज़ दूर करने के अलावा सेक्स पावर बढ़ाने में बहुत असरकारक औषधि मानी जाती है। इसे चूर्ण के रुप में इस्तेमाल किया जाता है। जो लोग सेक्स करते समय बहुत जल्दी थक जाते हैं उन्हें इस जड़ी बूटी का सेवन नियमित रुप से करना चाहिए। प्रायः ऐसा देखा गया है कि सेक्स से जुड़ी कई समस्याएं पाचन तंत्र में खराबी की वजह से होती हैं. ऐसे में आप त्रिफला का इस्तेमाल पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए भी कर सकते हैं.
खुराक : रोजाना एक चम्मच त्रिफला चूर्ण
सेवन का तरीका : सेक्स पावर बढ़ाने के लिए आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण में थोड़ा शहद मिलाकर सुबह नाश्ते के बाद और शाम को इसका सेवन करें. अगर आप त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल पाचन को ठीक करने के लिए कर रहे हैं तो एक से दो चम्मच त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी के साथ मिलाकर सेवन करें.
आज कल बाज़ार में आयुर्वेदिक सेक्स मेडिसिन नाम से कई दवाइयां बेचीं जा रही हैं, कभी भी उनका इस्तेमाल बिना डॉक्टर की सलाह लिए ना करें। इसके अलावा आप सेक्स पावर बढ़ाने वाले आहार जैसे कि हरी सब्जियां, चुकंदर, ड्राई फ्रूट्स, तरबूज, सेब आदि चीजों का सेवन अधिक मात्रा में करें।
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8.12.20

पित्ताशय की पथरी (Gallstones) का रामबाण हर्बल उपचार

 



 अस्सी फीसदी पित्त की थैली की पथरी कोलेस्ट्रॉल (cholestrol) के जमने या सख्त होने के कारण होती है। पित्त की पथरी के कारण पेट में असहनीय दर्द होता है, कई बार उल्टी (vomit) भी हो सकती है। रोगी का खाना पचने में दिक्कत होने लगती है जिससे पेट में अपच (indigestion) और भारीपन रहता है।
पित्त की थैली में पथरी होने के बारे में यही कहा जाता है कि बिना ऑपरेशन के इसे निकालना मुश्किल है। ऐसे में यदि आपको गॉल ब्लेडर स्टोन की शिकायत है तो जाहिर है आपने भी ऑपरेशन का विचार बनाया होगा, लेकिन ऑपरेशन से पहले कुछ घरेलू उपाय अपनाकर देखें, संभव है कि पथरी गल जाए। कुछ घरेलू उपाय न केवल पथरी को गला देंगे बल्कि पाचन को दुरूस्त करके दर्द को भी ठीक कर देंगे।
*ध्यान देने योग्य है कि लगभग८०% पथरी कोलेस्ट्रोल तत्व से ही बनती हैं।वैसे तो यह रोग किसी को भी और किसी भी आयु में हो सकता है लेकिन महिलाओं में इस रोग के होने की सम्भावना पुरुषों की तुलना में लगभग दूगनी हुआ करती है।
*पित्त लिवर में बनता है और इसका भंडारण गाल ब्लाडर में होता है।यह पित्त वसायुक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। जब इस पित्त में कोलेस्ट्रोल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है,तो पथरी निर्माण के लिये उपयुक्त स्थिति बन जाती है। प्रेग्नेन्सी,मोटापा,मधुमेह,,अधिक बैठे रेहने की जीवन शैली, तेल घी अधिकता वाले भोजन,और शरीर में खून की कमी से पित्त पथरी रोग होने की सम्भावना बढ जाती है।

दो या अधिक बच्चों की माताओं में भी इस रोग की प्रबलता देखी जाती है।
*अब मैं कुछ आसान घरेलू उपचार प्रस्तुत कर रहा हूं जिनका उपयोग करने से इस भंयकर रोग से होने वाली पीडा में राहत मिल जाती है और निर्दिष्ट अवधि तक इलाज जारी रखने पर रोग से मुक्ति मिल जाती है

*सेब का जूस और सेब का सिरका - 

सेब में पित्त की पथरी को गलाने का गुण होता है, लेकिन इसे जूस के रूप में सेब के सिरके के साथ लेने पर यह ज्यादा असरकारी होता है। सेब में मौजूद मैलिक एसिड  पथरी को गलाने में मदद करता है तथा सेब का सिरका लिवर में कोलेस्ट्रॉल नहीं बनने देता, जो पथरी बनने के लिए जिम्मेदार होता है। यह घोल न केवल पथरी को गलाता है बल्कि दोबारा बनने से भी रोकता है और दर्द से भी राहत देता है।
उपचार के लिए- एक गिलास सेब के जूस में, एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं। इस जूस को रोजाना दिन भर में दो बार पीएं।

* नाशपाती का जूस- 

नाशपाती के आकार की पित्त की थैली को नाशपाती द्वारा ही साफ किया जाना संभव है। नाशपाती में मौजूद पैक्टिन (pectene) कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) को बनने और जमने से रोकता है। यूं भी नाशपाती गुणों की खान है जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं।
उपचार- एक गिलास गरम पानी में, एक गिलास नाशपाती का जूस और दो चम्मच शहद (honey) मिलाकर पीएं। इस जूस को एक दिन में तीन बार पीना चाहिए।

* चुकंदर, खीरा और गाजर का जूस-

जूस थेरेपी को पित्त की थैली के इलाज के लिए घरेलू उपचारों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। चुकंदर न केवल शरीर का मजबूती देता है बल्कि गॉल ब्लेडर को साफ भी करता है साथ ही लिवर के कोलोन (colon) को भी साफ करता है। खीरा में मौजूद ज्यादा पानी की मात्रा लिवर और गॉल ब्लेडर दोनों को डिटॉक्सीफाई (detoxify) करती है। गाजर में भी विटामिन सी और उच्च पोषक तत्व होने के कारण यही गुण होते हैं।
उपचार-
एक चुकंदर, एक खीरा और चार गाजर को लेकर जूस तैयार करें। इस जूस को प्रतिदिन दो बार पीना है। जूस में प्रत्येक सामग्री की मात्रा बराबर होनी चाहिए, इसलिए सब्जी या फल के साइज के हिसाब से मात्रा घटाई या बढ़ाई जा सकती है।

*पुदीना -
 

पुदीना को पाचन के लिए सबसे अच्छी घरेलू औषधि (home remedy) माना जाता है जो पित्त वाहिका तथा पाचन से संबंधित अन्य रसों को बढ़ाता है। पुदीना में तारपीन (terpenes) भी होता है जो कि पथरी को गलाने में सहायक माना जाता है। पुदीने की पत्तियों से बनी चाय गॉल ब्लेडर स्टोन से राहत दे सकती है।

उपचार-
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पानी को गरम करें, इसमें ताजी या सूखी पुदीने के पत्तियों को उबालें। हल्का गुनगुना रहने पर पानी को छानकर इसमें शहद मिलाएं और पी लें। इस चाय को दिन में दो बार पीया जा सकता है।
*खान-पान और दिनचर्या में बदलाव 
*रोजाना 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीएं। चाहे प्यास न भी लगी हो।
*वसायुक्त या तेज मसाले वाले खाने से बचें।
*प्रतिदिन कॉफी जरूर पीएं। बहुत ज्यादा भी नहीं लेकिन दिन में एक से दो कप काफी हैं। कॉफी भी पित्त वाहिका को बढ़ाती है जिससे पित्त की थैली में पथरी नहीं होती।
*अपने खाने में विटामिन सी की मात्रा बढाएं। दिनभर में जितना ज्यादा संभव हो विटामिन सी से भरपूर चीजें खाएं।
*हल्दी, सौंठ, काली मिर्च और हींग को खाने में जरूर शामिल करें।
*गाजर और ककडी का रस प्रत्येक १०० मिलिलिटर की मात्रा में मिलाकर दिन में दो बार पीयें। अत्यन्त लाभ दायक उपाय है।
*नींबू का रस ५० मिलिलिटर की मात्रा में सुबह खाली पेट पीयें। यह उपाय एक सप्ताह तक जारी रखना उचित है।
*सूरजमुखी या ओलिव आईल ३० मिलि खाली पेट पीयें।इसके तत्काल बाद में १२० मिलि अंगूर का रस या निम्बू का रस पीयें। यह ईलाज कुछ हफ़्तों तक जारी रखने पर अच्छे परिणाम मिलते हैं।
* नाशपती का फ़ल खूब खाएं। इसमें पाये जाने वाले रसायनिक तत्व से पित्ताषय के रोग दूर होते हैं।
*विटामिन सी याने एस्कोर्बिक एसिड के प्रयोग से शरीर का इम्युन सिस्टम मजबूत बनता है।यह कोलेस्ट्रोल को पित्त में बदल देता है। ३-४ गोली नित्य लें।
*पित्त पथरी रोगी भोजन में प्रचुर मात्रा में हरी सब्जीयां और फ़ल शामिल करें। ये कोलेस्ट्रोल रहित पदार्थ है।
*तली-गली,मांस,मसालेदार चीजों का परहेज जरुरी है।
*शराब,चाय,काफ़ी एवं शकरयुक्त पेय हानिकारक है।
* एक बार में ज्यादा भोजन न करें। ज्यादा भोजन से अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रोल निर्माण होगा जो हनिकारक है।
* दूध से बनी चीजें ना लें | रेशे वाली वस्तुएँ भोजन में शामिल करने की चिंता करें |अंकुरित अनाज,ताजे फल,सब्जियां,और इसबगोल की भूसी उपयोग करें|
* विटामिन सी ३००० एम जी याने ५०० एम जी की २-२ गोली दिन में ३ बार लें|
* विटामिन ई ६०० iu रोजाना लें |
*विटामिन डी ४०० iu प्रतिदिन लें|
* उक्त उपचार अपनाकर गाल ब्लाडर की २-३ एम एम साईज तक की पथरी से मुक्ति मिल जाती है। पित्त पथरी के आपरेशन में गाल ब्लाडर को हटा दिया जाता है जिसके दुष्परिणाम जीवन भर भुगतने पड़ते हैं |
पथ्य - जौ, मूंग की छिलके वाली दाल, चावल, परवल, तुरई, लौकी, करेला, मौसमी, अनार, आंवला,
मुनक्का ग्वारपाठा, जैतून का तेल आदि। भोजन सादा बिना घी-तेल वाला तथा आसानी से पचने वाला करें
और योगाभ्यास करें।

विशिष्ट परामर्श-




सिर्फ हर्बल चिकित्सा ही पित्ताशय मे पथरी में सफल परिणाम देती है| दामोदर चिकित्सालय रजिस्टर्ड 98267-95656 द्वारा निर्मित हर्बल औषधि से बड़ी Gallstone में भी आश्चर्यजनक फायदा होता है| मरीज आपरेशन की त्रासदी से बच जाता है| पथरी का भयंकर दर्द जो बड़े अस्पतालों मे महंगे इंजेक्शन से भी बमुश्किल काबू मे आता है ,इस हर्बल औषधि की  कुछ ही  खुराक लेते ही आराम लग जाता है |
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12.11.20

कब्ज के उपचार -kabj ke upchar

 


कब्ज मिटाने के सरल उपचार (Health) : सम्पूर्ण शारीरिक स्वस्थय के लिए पेट का तंदुरूस्त होना बहुत जरूरी है। यह शरीर का बहुत महत्वपूर्ण भाग है अगर पेट में किसी तरह की कोई गड़बड़ी हो तो यह और भी बहुत सी बीमारियों को न्यौता देने जैसा ही होगा | बहुत से लोग अक्सर पेट साफ न होना यानि कब्ज की शिकायत करते रहते हैं। इसका कारण पाचन क्रिया में गड़बड़ी के अलावा खान-पान का सही न होना है। कई बार हमारा गलत लाइफस्टाइल भी हमारे पेट पर बहुत बुरा असर दालता है। ज्यादा समय तक लगातार कब्ज की बीमारी से पीडित रहने पर त्वचा पर भी इसका असर दिखाई देने लगता है। इसेे चेहरे का कुदरती निखार खोना शुरू हो जाता है। इसके अलावा भूख न लगना,पेट की गैस,बेचैनी आदि की वजह भी पेट ही है। कब्ज मिटाने के सरल उपचार आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं। 

कब्ज के कारण

कब्ज होने के बहुत से कारण हो सकते है लेकिन पेट से जुड़ी परेशानी होने पर इसका सही समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी है। इसके कुछ कारण निम्नांकित है |

1. पानी का प्रयोग कम करना
2. तले हुए भोजन का अधिकांश मात्रा में सेवन 
3. वजन घटाने के लिए अनुचित डाइटिंग करना
4. मेटाबॉलिजम का कम होना
5. पेन किलर का अधिकांश सेवन
6. लगातार एक ही जगह पर बैठे रहना
7. एक ही प्रकार का भोजन खाना 

कब्ज दूर करने के आसान घरेलू उपाय


1. गर्म पानी,नींबू और कैस्टर ऑयल का प्रयोग 

सुबह खाली पेट एक कप गर्म पानी में आधा नींबू निचोड़ कर इसमें एक छोटा चम्मच आरंडी यानि कैस्टर ऑयल डाल कर पी लें। इसे पीने के 15-20 मिनट बाद पेट साफ हो जाएगा। इसके अलावा रात को सोने से पहले 1 गिलास गर्म दूध में 2-4 बूंद कैस्टर ऑयल की डालकर पीएं। इससे सुबह पेट आसानी से साफ हो जाएगा।  

2. शहद का प्रयोग त्रिदोष नाशक है 

रात को एक कप दूध में एक चम्मच शुद्ध शहद डालकर रोजाना पीएं। सेवन करने से प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी और पेट भी तंदुरूस्त रहेगा। 

3. काला नमक वातानुलोमक होता है 

सुबह खाली पेट आधे नींबू के रस में काला नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन कर लें। इससे पेट से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाएगी। 

4. त्रिफला कब्ज ठीक करने का सबसे आच्छा विकल्प 

रात को एक लिटर पानी में 20 ग्राम त्रिफला भिगोकर रखें। सुबह इस पानी को छानकर पी लें, ऐसा करने से कुछ ही दिनों में पुरानी कब्ज से भी छुटकारा मिल जाएगा। इसको गुनगुना करकर एक चम्मच शहद भी मिला सकते हैं |

5. पपीता कब्ज नाशक है इसमें बीटामिन डी , ए एवं सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है-

पपीता में विटामिन डी भरपूर मात्रा में होता है। खाने में टेस्टी होने के साथ-साथ यह पेट के लिए भी बहुत लाभकारी है। रोजाना दिन में एक बार पके हुए पपीते का सेवन करें। पका हुआ अमरूद खाने से भी कब्ज से राहत मिलती है। 

6. अंजीर कब्ज का काल 

सूखी अंजीर को रात के समय पानी में भिगोकर रखा दें और सुबह इसे चबाकर खाएं। इसके साथ दूध भी पी सकते हैं। 5-6 दिन इसका सेवन करने से कब्ज दूर हो जाएगी।
 

7. पालक करे कब्ज का नाश 

पालक की सब्जी या इसके जूस की अपनी डाइट में शामिल करें। इससे कब्ज से छुटकारा मिलेगा और सेहत भी अच्छी रहेगी।
8. सुबह उठकर प्रतिदिन खाली पेट, 4 से 5 काजू, उतने ही मुनक्का के साथ मिलाकर खाने से भी, कब्ज की शिकायत समाप्त हो जाती है। इसके अलावा रात को सोने से पहले 6 से 7 मुनक्का खाने से भी कब्ज ठीक हो जाता है।

कब्ज से ऐसे पाएं छुटकारा-

1. शीतलपेय से दूर रहें। भरपूर पानी पिएं।
2. गर्म खाना खाएं। हल्का गर्म पानी पीना चाहिए और अच्छी तरह पकी सब्जियां ही खाएं।
3. सोने से पहले गर्म दूध में एक चम्मच घी डालकर पिएं।
4. कब्ज होने पर चाय या कॉफी का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
5. व्हाइट ब्रेड और मैदायुक्त पकवान न खाएं।
6. मांस का सेवन न करें।
7. वसायुक्त भोजन का त्याग करें।
8. फास्ट फूड्स, बर्गर, और पिज्जा खाने से बचें क्योंकि इनमें पोषक तत्व नहीं होते तथा मैदा और वसा काफी मात्रा में होती है जिससे शरीर में पानी कम हो जाता है जिससे परेशानी और बढ़ सकती है।
9. नशीली चीजों, ध्रूमपान आदि का ज्यादा सेवन न करें।
10. ज्यादा मसालेदार भोजन न करें। फल और रेशेदार भोजन लें।
11. भोजन करने के बाद तुरंत न सोएं। इससे कब्ज की समस्या पैदा होगी या बढ़ जाएगी।

▪आयुर्वेदिक उपचार-

कब्ज नियंत्रित करने के लिए हरीतकी (हरड़), विभीतकी (बेहड़ा), एरंड (अरंडी), दशमूल क्वाथ, त्रिफला चूर्ण आदि का अभयारिष्ट आदि का प्रयोग किया जाता है।
▪कब्ज ठीक करने के घरेलू उपाय-
▪नित्य रात्रि में सोते समय नाभि में गाय के देशी घी की दो बूंदे लगाकर हल्की मालिश करने से पेट की समस्याएँ दूर होती है, कब्ज में भी आराम मिलता है।
▪ 20 ग्राम त्रिफला रात को 1/2 लीटर पानी में भिगोकर रख दीजिए। सुबह उठने के बाद शौच जाने से पहले त्रिफला को छानकर उस पानी को पियें और फिर थोड़ा सा टहल भी लें । इससे थोड़ी ही देर में पेट बिलकुल साफ़ हो जाएगा और इस उपाय को लगातार करने से कुछ ही दिनों में कब्‍ज की शिकायत पूरी तरह से दूर हो जाएगी।
▪रात को सोने से पहले एक चम्‍मच शहद को एक गिलास पानी के साथ मिलाकर नियमित रूप से पीने से कब्‍ज बिलकुल दूर हो जाता है।
▪ सुबह उठने के बाद नींबू के रस को काला नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से पेट साफ रहता है।
▪ प्रतिदिन प्रातःकाल बिना कुछ खाए चार पाँच दाने काजू, 5 दाने मनुक्का के साथ खाने से भी कब्ज में अवश्य ही लाभ होता है।
▪दूध या पानी के साथ रात में सोते वक्‍त इसबगोल की भूसी लेने से भी कब्‍ज शीघ्र ही समाप्‍त होता है।
▪ हर रोज रात में हर्र के बारीक चूर्ण को कुनकुने पानी के साथ लेने से कब्‍ज दूर होता है ।
▪ पका हुआ बेल फल कब्ज के लिये बहुत ही लाभदायक है। इसे पानी में उबालकर, मसलकर इसका रस निकालकर लगातार 15 दिन तक पियें। कब्ज दूर हो जाएगी ।
▪किशमिश को पानी में कुछ देर तक भिगो कर रखे, इसके बाद इसे पानी से निकालकर खा लीजिए। नियमित रूप से इसका सेवन करने से जल्द ही कब्ज दूर हो हो जाता है।
▪ प्रतिदिन अमरुद, पपीता, नींबू और अंगूर को अपने आहार में शामिल करें इससे भी कब्ज में बहुत फायदा होता है ।
 कब्ज में गरिष्ठ, बासी व बाजार के खुले, तले भुने खाद्य पदार्थों से दूर रहे । चाय, कॉफी, धूम्रपान व नशीली वस्तुओं से भी दूर रहे ।
▪कब्ज से बचने के लिए सूर्योदय से पूर्व बिस्तर अवश्य ही छोड़ दें। सुबह कुछ देर टहलने, नियमित व्यायाम वा योगासन की अवश्य ही आदत डालें।
 अंजीर को रात भर पानी में डालकर भिगो कर रखे , इसके बाद सुबह उठकर इसको खाने से कब्‍ज की शिकायत दूर होती है।
▪कच्चा पालक खाने या पालक के रस के सेवन से भी कब्ज समाप्त होता है। एक गिलास पालक का रस रोज पीने से पुरानी से पुरानी कब्ज भी मिट जाती है।
 रात को सोते समय एक गिलास दूध में 1-2 चम्मच घी मिलाकर पीने से भी कब्ज रोग का समाप्त होता है।
▪ अलसी के बीज के सेवन से भी कब्ज़ में बहुत आराम मिलता है। अलसी के बीज को सुबह नाश्ते में दलिया अथवा कॉर्नफ्लेक्स के साथ मिलाकर खा सकते हैं अथवा 20 - 25 ग्राम अलसी के बीज को सुबह गर्म पानी के साथ खाएं, इससे कब्ज पास तक नहीं फटकती है ।
▪ तांबे के लोटे को रात में 4 गिलास पानी से भरकर उसमें एक चाँदी का टुकड़ा या चाँदी का सिक्का डाल दें| प्रात: शौच जाने से पहले इस पानी को पालथी मारकर पीने से कब्ज दूर होती है, पेट के समस्त रोगो से बचाव होता है | इस उपाय को नियम से करते रहने से बालो का झड़ना रुकता है, बाल असमय सफ़ेद नहीं होते है, आँखों की रौशनी बढ़ती है।
▪ 100 ग्राम सौंफ को पीस लें फिर इसमें 20 ग्राम पिसा काला नमक और 10 ग्राम पिसी काली मिर्च मिला लें । इस चूर्ण को नित्य रात में सोने से पहले गुनगुने पानी से लें । इससे पेट ठीक रहता है ,कब्ज बिलकुल भी नही होती है ।
▪ कब्ज को जड़ से मिटाने के लिए नित्य खाली पेट गाजर खाएं या उसका जूस पियें। गाजर के सेवन से पेट साफ रहता है , गाजर आँतो से खुरच खुरच कर मल को निकाल डालती है । गाजर के सेवन से पेट के सभी रोग जैसे गैस, अपच आदि भी दूर होते है।

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