11.11.20

सेब का सिरका ,शहद,अदरक ,हल्दी मिलाकर सेवन करने के फायदे

 


सेब का सिरका सेहत से लेकर त्वचा तक सभी को फायदा पहुंचाता है। मगर यदि आप सेब के सिरके में शहद, अदरक का रस और हल्दी मिला लें, तो इससे मिलने वाले फायदे और भी दोगुने हो जाते हैं। आइए जानते हैं सेब के सिरके में शहद, अदरक का रस और हल्दी मिलाकर पीने से मिलने वाले फायदे.

पहले जानते हैं एप्पल साइडर ड्रिंक बनाने का तरीका...

पानी - 1 कप
सेब का सिरका - 1 टीस्पून
शहद - 1 टेबलस्पून
अदरक का रस - 1 चम्मच
हल्दी पाउडर - 1 चुटकी

 

गैस पर 1 कप पानी को गर्म होने के लिए रख दें। उसके बाद उसमें अदरक का रस और हल्दी डाल दें। ध्यान रखें पानी को लगातार चलाते रहें। कप में शहद और सेब का सिरका डाल लें। 2 मिनट तक पानी को उबालें और थोड़ा ठंडा होने के बाद कप में डाल लें। आपकी हेल्दी और बीमारियां दूर रखने वाली ड्रिंक तैयार है। आप चाहें तो इसे ठंडा करके भी पी सकते हैं।

फायदे...


वजन कम करने में मददगार


तीनों चीजों को इकट्ठा पीने से आपकी भूख पर कंट्रोल रहता है। खासतौर पर शहद में मौजूद Peptide YY आपके पाचन तंत्र को तंदरूस्त करके भूख लगने वाले हार्मोन्स को कंट्रोल में रखता है।


जी मचलाना


कई बार मां बनने वाली औरत का मन खराब होता है, ऐसे में सेब के सिरके में शहद और अदरक का रस मिलाकर पीने से लाभ मिलता है। जिन लोग की कीमोथेरेपी हो रही है या फिर किसी भी अन्य वजह से जी घबराए तो आप सेब के सिरके को आधा गिलास गुनगुने पानी में डालकर 1 चम्मच शहद  और अदर का रस डालकर पिएं। मन घबराना ठीक हो जाएगा।


लिवर की करे सफाई


सेब का सिरका शरीर में मौजूद टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करता है। शरीर से सारी गंदगी बाहर निकालने का काम लिवर का होता है, जिसमें सेब का सिरका, शहद और हल्दी उसकी मदद करते हैं। अगर आप हर रोज सुबह सेब के सिरके में ह्लदी और शहद मिलाकर पिएं तो आपका लिवर हमेशा अच्छे से काम करेगा।


इंटेस्टाइन के लिए बेहतरीन ड्रिंक


आपके गट का हेल्दी रहना बहुत जरूरी है। इन चारों चीजों का मिश्रण आपके गट की लाइफ बढ़ने में मदद करता है, यह बॉडी में गुड बैक्टीरिया को जन्म देता है। जो आपकी आंतों की सफाई में शरीर की मदद करता है।


घुटनों का दर्द या आर्थराइटिस


अदरक का रस शरीर के जोड़ों में पैदा होने वाली सूजन को कम करने में मदद करता है। आर्थराइटिस की समस्या में यह आपके लिए एंटी-इंफलेमेंटरी का काम करता है, जिससे शरीर में सूजन को आराम मिलता है। अदरक का रस जोड़ों में पैदा होने वाली दर्द में भी राहत देता है, उसी तरह हल्दी भी एंटी-बायोटिक का काम करती है।


बैक्टीरिया से लड़ने में करता है मदद


इन तीनों चीजों का मिश्रण पेट में किसी भी तरह की इंफेक्शन नहीं होने देता। यह बॉडी की इम्यून पॉवर को स्ट्रांग करके शरीर को रोगों से लड़ने और बचने में मदद करता है।


डायबिटीज का खतरा करे कम


आज हर वर्ष पूरी दुनिया में 1.4 मिलियन लोग डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। खाने से पहले इस ड्रिंक को लेने से यह शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में मदद करती है, खासतौर पर जब आपके भोजन में कार्बस की मात्रा अधिक हो। टाइप -1 डायबिटिक पेशेंट्स के लिए इस ड्रिंक का सेवन बहुत ही फायदेमंद सिद्ध हुआ है।



















































7.11.20

घुटनों में ग्रीस की कमी और दर्द के घरेलू उपचा:ghutano ka dard ki aushadhi

 


    अगर आपके घुटने में दर्द होता है तो ये उपाय आपके काफी हद तक राहत दिला सकते हैं। आइए जानें कौन से हैं ये उपाय:

    1. कपड़े को गर्म पानी में भिगोकर बनाए पैड से सिंकाई करने से घुटने के दर्द में आराम मिलता है।
    2. भोजन में दालचीनी, जीरा, अदरक और हल्दी का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें। गर्म तासीर वाले इन पदाथार्ें के सेवन से घुटनों की सूजन और दर्द कम होता है।
    3. मेथी दाना, सौंठ और हल्दी बराबर मात्रा में मिला कर तवे या कढ़ाई में भून कर पीस लें। रोजाना एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम भोजन करने के बाद गर्म पानी के साथ लें।
    4. रोज सुबह खाली पेट एक चम्मच मेथी के पिसे दानों में एक ग्राम कलौंजी मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लें। दोपहर और रात में खाना खाने के बाद आधा-आधा चम्मच लेने से जोड़ मजबूत होंगे और किसी प्रकार का दर्द नहीं होगा।
    5. सुबह खाली पेट लहसुन की एक कली दही के साथ खाएं।
    6. हल्दी चूर्ण, गुड़, मेथी दाना पाउडर और पानी सामान मात्रा में मिलाएं। थोड़ा गर्म करके इनका लेप रात को घुटनों पर लगाएं और पट्टी बांधकर लेटें।
    7. अलसी के दानों के साथ दो अखरोट की गिरी सेवन करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
    8. बराबर मात्रा में नीम और अरंडी के तेल को हल्का गर्म करके सुबह-शाम जोड़ों पर मालिश करें।
    9. मालिश के लिए आप इन चीजों से भी तेल बना सकते हैं। 50 ग्राम लहसुन, 25 ग्राम अजवायन और10 ग्राम लौंग 200 ग्राम सरसों के तेल में पका कर जला दें। ठंडा होने पर कांच की बोतल में छान कर रख लें। इस तेल से घुटनों या जोड़ों की मालिश करें।
    10. गेहंू के दाने के आकार का चूना दही या दूध में घोलकर दिन में एक बार खाएं। इसे 90 दिन तक लेने से कैल्शियम की कमी दूर होगी।
    खड़े होकर न पीएं पानी
    हमारे शरीर में लगभग 70 प्रतिशत पानी होता है और यह पानी हमारे शरीर के हर भाग को क्रियाशील रखने में मदद करता है और यदि शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है तो शरीर के भाग पानी जुटाने में मदद करते हैं और कईं बार पानी की कमी से शरीर डीहाईड्रेट भी हो जाता है परंतु पानी भी घुटनों को नुकसान करता है अगर उसे खड़े होकर पीया जाए इसीलिए पानी जब भी पीएं बैठ कर पीए.

    रात में न खाएं खट्ठी चीज़ें


    जैसे कि हम ऊपर भी बता चुके हैं कि खानपान का घुटनों से सीधा संपर्क है इसलिए क्या खाएं, यह जानने से ज़्यादा ज़रुरी है कि क्या न खाएं. रात्रि के समय खट्टी चीजें जैसे - दही, संतरा,मौसमी, नींबू, कीनू, छाछ, इमली और आम का सेवन न करें. रात के समय इनका सेवन आपके खुटनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है.

    अखरोट का सेवन

    अखरोट घुटनों का सबसे अच्छा दोस्त है. हर रोज कम से कम दो अखरोट खाने से घुटनों का ग्रीस बढ़ने लगता है. अखरोट में पाया जाने वाला प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन ई समेत अनेक पोषक तत्व आपके घुटनों को मजबूती प्रदान करते हैं
    हरसिंगार के पत्ते

    हरसिंगार यानि पारिजात के फूल, पत्ते और छाल घुटनों के लिए औषधि का काम करते हैं. इस पौधे के लिए विशेष मेहनत की जरूरत नहीं पडेगी. आमतौर पर इसके पौधे हमारे घरों के आस-पास भी आराम से देखने को मिल जाते हैं. इसके सेवन से जहां जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है, वहीं घुटनों की ग्रीस प्रभावी रूप से बढ़ती है. घुटनों की ग्रीस बढ़ाने के लिए इसके पत्तों को पीस लें. फिर इसके पेस्ट को धीमी आंच पर पकाएं. पानी आधा रहने के बाद छानकर ठंडा करके पियें. ऐसा करने से घुटनों में ग्रीस की बढ़त होगी.
    आयुर्वेदीय दृष्टिकोण से घुटनों के दर्द के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं-रूखे, ठंडे, थोड़े तथा हलके भोजन का निरंतर सेवन करना,
    अत्यधिक मैथुन करना,
    रात को जागने की आदत, अधिक पैदल चलना, अधिक तैरना, वाहन से लंबी यात्राएं करना
    अधिक चिंता करना,अधिक शोक करना अर्थात दुखी रहना
    मल-मू़त्रादि वेगों को धारण करना,
    अधिक उपवास करना,
    विविध रोगों से पैदा हुई दुर्बलता,
    गिरने से चोट लगना,
    अधिक वजन होना
    कब्ज रहना
    खाना जल्दी-जल्दी खाने की आदत होना,
    फास्ट-फूड का अधिक सेवन
    तली हुई चीजें अधिकाधिक खाना
    रिफाइंड तेलों का अंधाधुंध सेवन करना
    कम मात्रा में पानी पीना तथा खड़े होकर पानी पीना
    शरीर में केैल्शियम की कमी होना

    उपचार –
     एक अनुभूत नुस्खा
    चंद्रप्रभावटी – दो दो गोलियां दिन में तीन बार
    महायोगराज गूगल – दो दो गोलियां दिन में तीन बार
    आरोग्यवर्धनीवटी – दो दो गोलियां सवेरे सायं
    सिंहनाद गूगल – दो दो गोलियां दिन में तीन बार
    वातगजांकुश रस – दो दो गोलियां सवेरे सायं
    पुनर्नवा मंडूर – दो दो गोलियां दिन में तीन बार
    अनुपान के रूप में त्रिफला का काढ़ा लें।

    बाह्य प्रयोग के लिए
    महानारायण तेल, महामाष तेल, प्रसारणी तेल
    ध्यान दीजिए – औषधियों का सेवन विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें। आयुर्वेद विशेषज्ञ का अनुभव भी इसमें विशेष रूप से लाभ देता है।
    सेवन करें बासमती चावल,गैंहू, बाजरा, माष, मूंग, तिल
    मेथी, परवल, सहिजन की फली, बैंगन, मूली, एलोवैरा, टिंडा, कच्ची हलदी, लौकी, गाजर, भिंडी, करेला,
    लहसुन,अदरक,हींग
    आम, आंवला, अनार, अंजीर, बेर, खजूर, मुनक्का, नारियल, चीकू, अंगूर, पपीता, बादाम, पिस्ता, चिरौंजी, अखरोट, सूखा नारियल,

    सेवन करने से बचें-
    अचार, मिर्च-मसाले, इमली, अमचूर, सेम की फली, अरबी, आलू, गोभी, कंद-शाक, कंगुनी, मोठ, चौला, जौ, मक्का, ज्वार, बेसन, सुखाई हुई सब्जियां, सुखाया हुआ मांस,
    तीखे एवं शरीर में जलन पैदा करने वाले खाद्य-पदार्थ, दही, लस्सी, दूध, फ्रीज का पानी, चाय
    रात को दही, मूली, खीरा, बेसन, चना, कढ़ी, अरबी, राजमा भूलकर भी सेवन नहीं करें।

    कुछ घरेलू उपाय

    सूखा नारियल खाने से काफी आराम मिलता है। नियमित रूप से सवेरे खाली पेट अखरोट खाएं। दिन भर में तीन अखरोट अवश्य खाएं। यदि अनुकूल नहीं पड़ता हो तो, अखरोट की मात्रा कम कर सकते हैं। अरंड व मेंहंदी के पत्ते पीसकर घुटनों पर लेप करने से भी दर्द में आराम मिलता है।
    नियमित रूप से कच्चे लहसुन का सेवन करते रहें।
    पानी हमेशा बैठकर पिएं। यह आयुर्वेद की विशिष्ट मान्यता है कि पानी हमेशा बैठकर ही पिया जाना चाहिए और दूध हमेशा खड़े होकर ही पीना चाहिए।
    खाने के एक ग्रास को कम से कम बत्तीस-बार चबाकर खाएं। इस साधारण से दिखने वाले प्रयोग से कुछ ही दिनों में घुटनों में ग्रीस (सायनोवियल फ्लूइड) बनने लग जाती है, अनुभूत है।
    भोजन के साथ अंकुरित मेथी का सेवन करें।
    पूरे दिन भर में कम से कम बारह से चौदह गिलास तक की मात्रा में पानी पिएं। ध्यान दीजिए, कम मात्रा में पानी पीने से भी घुटनों में दर्द बढ जाता है। ठंडे पानी की अपेक्षा गरम करके थोडा ठंडा किया गया पानी विशेष लाभ देता है। आयुर्वेद के अनुसार वायु रोगों से पीडि़तों को तो हमेशा गरम पानी ही पीना चाहिए।
    नियमित रूप से कच्चे लहसुन का सेवन करते रहें।
    लगभग बीस ग्राम ग्वारपाठे अर्थात एलोवेरा के ताजा गूदे को चबा-चबाकर खाएं, साथ में एक दो काली-मिर्च एवं थोड़ा सा काला-नमक तथा उपर से गरम पानी पिएं। यह प्रयोग खाली पेट करें । इस प्रयोग के द्वारा भी घुटनों में यदि ग्रीस कम हो गई हो, तो बनने लग जाती है। त्रिफला जूस, एलोवैरा जूस, ऐलोवैरा गार्लिक जूस इनमें से कोई एक नियमित रूप से खाली पेट सेवन करने से लाभ मिलता है।
    चार कच्ची-भिंडी सवेरे पानी के साथ खाएं। इससे भी सायनोवियल फ्लूइड बनने लगता है। अनुभूत प्रयोग है।
    प्रतिदिन कम से कम दो से तीन किलोमीटर तक पैदल चलें।
    दिन में दस मिनट आंखें बंद कर, सीधे लेटकर घुटने के दर्द का ध्यान करें। नियमित रूप से अनुलोम-विलोम एवं कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम-विलोम धीरे-धीरे एवं कम से कम सौ बार अवश्य करें। इससे लाभ जल्दी होने लगता है।
    सुबह खाली पेट तीन-चार अखरोट की गिरियां निकालकर कुछ दिनों तक खाएं। इसके नियमित सेवन से घुटनों के दर्द में आराम मिलता हैं अगर आप चाहें तो नारियल की गिरी भी रोजाना खा सकते हैं। इसको खाते रहने से भी घुटनों में दर्द होने की संभावना नहीं रहती। अगर दर्द हो तो उसमें आराम मिल जाता है।
    निगुंडी (वाइटैक्स निगुंडो), दशमूल तथा गिलोय से बनाए हुए बीस मिलीलीटर काढ़े में एक ग्राम त्रिफला चूर्ण मिलाकर पिएं।
    हारसिंगार के पांच पत्ते लेकर एक गिलास पानी में धीमी आग पर भली-भांति पकाएं। उबलते-उबलते जब पानी आधा बचे, तो इस पानी को छान कर, हलका गरम बचने पर इसे पी लें। ध्यान रखें, हर बार ताजा काढ़ा ही बनाना है। नियमित सेवन करने पर घुटनों के दर्द, चिकनाई समाप्त होना, जकडऩ पैदा होना, आवाजें आना इत्यादि विकारों से मुक्ति मिल जाती है। अनुभूत प्रयोग है।
    नियमित रूप से सवेरे-सवेरे मेथी दाना के बारीक चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में पानी के साथ खाएं। इससे घुटनों का दर्द समाप्त होता है। खास तौर पर बुढ़ापे में घुटने नहीं दुखते।
    प्रतिदिन कम से कम दो से तीन किलोमीटर तक पैदल चलें।
    दिन में दस मिनट तक आंखें बंद कर, लेटकर घुटनों के दर्द का ध्यान करें।
    मुद्रा-चिकित्सा – तर्जनी अंगुलि अर्थात इंडेक्स फिंगर को अंगूठे की गददी पर लगाएं और अंगूठे से हलका दबाएं। इसे वायु मुद्रा कहा जाता है। यह मुद्रा जोड़ों के दर्दों तथा पेट के विविध विकारों को शांत करती है। यह प्रयोग आधा-आधा घंटे दिन में दो बार करें ।
    आसन – पक्षी आसन
    प्राणायाम-अनुलोम विलोम। पूर्ण मनोयोग के साथ इस प्राणायाम का नियमित रूप से अभ्यास करने से घुटनों में चिकनाई का पुनर्निमाण होने लगता है।
    घुटने में दर्द होना, ग्रीस समाप्त होना इत्यादि रोगों से पीडितों को दूध नहीं पीना चाहिए, क्योंकि दूध में लैक्टिक-एसिड पाया जाता है,जो कि घुटनों में दर्द को बढाता है। हां, दूध को ठंडा करके उसमें हनी तथा चुटकी भर सौंठ मिलाकर घूंट-घूंट कर धीरे-धीरे पी सकते हैं। दूध बहुत गाढ़ा नहीं होना चाहिए।
    स्टीरायड के इंजेक्शन भूलकर भी नहीं लगवाएं। इनके ढेरों साइड-इफेक्ट होने के साथ-साथ एक दिन स्थिति ऐसी पैदा हो जाती है-मर्ज बढता ही गया ,ज्यूं-ज्यूं दवा की
    एलोवेरा-जूस , एलोवेरा-त्रिफला जूस, एलावेरा-गार्लिक-जूस इनमें से कोई एक रोग के लक्षणों के अनुसार सेवन करते रहने से अवश्य ही रोग से मुक्ति मिल जाती है। पूर्ण धैर्य के साथ तीन-चार महीनों तक नियमित रूप से खाली पेट सेवन करना चाहिए।

7.8.20

अंकुरित आहार से रखें सेहत का खयाल :Ankurit aahar ke fayde


शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में अंकुरित अनाज यानी स्प्राउट्स बेहद महत्त्व पूर्ण है| अगर आप रोजाना अंकुरित सलाद को अलग-अलग तरीके से लें, तो इससे आपकी सेहत बनी रहती है। अनाज, दाल या बीज को अंकुरित कर के खाने से उसकी पौष्टिकता कई गुना बढ़ जाती है। इसलिए आहार विशेषज्ञ नाश्ते में स्प्राउट्स खाने की सलाह भी देते हैं।






विटामिन्स का भंडार-

विटामिन ए, सी, बी-6 और ‘के’ के साथ-साथ इसमें कई तरह के मिनरल्स जैसे मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, मैंगनीज और पोटैशियम भी होते हैं।

एंटी-ऑक्सीडेंट्स-

अंकुरित अनाजों में एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी होते हैं।
इसलिए इसके सेवन से ना सिर्फ झुर्रियां दूर रहती हैं, बल्कि त्वचा पर नेचुरल ग्लो भी आता है। इसके अलावा स्प्राउट्स में डाइटरी फाइबर, प्रोटीन आयरन,,ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे पौष्टिक तत्‍व भी होते हैं। इस कारण यह शाकाहारी लोगों के लिए सबसे अच्छा विकल्प भी है.

हाजमा ठीक रखता है-

यह हाजमे के लिए जरूरी एन्जाइम का अच्छा स्रोत भी है।  कैलोरी की मात्रा कम होने के कारण यह वजन कम करने वाले लोगों के लिए अच्छा विकल्प है।





अंकुरित आहार शरीर को नवजीवन देने वाला अमृतमय आहार कहा गया है।
अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन (`ए´, `बी´, `सी´, `डी´ और `के´) कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है।
अंकुरीकरण की प्रक्रिया में अनाज/दालों में पाए जाने वाले कार्बोहाइट्रेड व प्रोटीन और अधिक सुपाच्य हो जाते हैं।
अंकुरित दानों का सेवन केवल सुबह नाश्ते के समय ही करना चाहिये
अंकुरित आहार को अमृत आहार कहा गया है |अंकुरित आहार भोजन की सप्राण खाद्यों की श्रेणी
में आता है। यह पोषक तत्वों का श्रोत माना गया है । अंकुरित आहार न सिर्फ हमें उन्नत
रोग प्रतिरोधी व उर्जावान बनाता है बल्कि शरीर का आंतरिक शुद्धिकरण कर रोग मुक्त
भी करता है । अंकुरित आहार अनाज या दालों के वे बीज होते जिनमें अंकुर निकल
आता हैं इन बीजों की अंकुरण की प्रक्रिया से इनमें रोग मुक्ति एवं नव जीवन प्रदान
करने के गुण प्राकृतिक रूप से आ जाते हैं।
अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन (`ए´, `बी´, `सी´, `डी´ और `के´) कैल्शियम,
फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है।
अंकुरित भोजन से काया कल्प करने वाला अमृत आहार कहा गया है अर्थात् यह
मनुष्य को पुनर्युवा, सुन्दर स्वस्थ और रोगमुक्त बनाता है। यह महँगे फलों और
सब्जियों की अपेक्षा सस्ता है, इसे बनाना खाना बनाने की तुलना में आसान है
इसलिये यह कम समय में कम श्रम से तैयार हो जाता है। बीजों के अंकुरित होने के
पश्चात् इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता
है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों
में भी वृद्धि हो जाती है।
खड़े अनाजों व दालों के अंकुरण से उनमें उपस्थित अनेक पोषक तत्वों की मात्रा
दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है, मसलन सूखे बीजों में विटामिन 'सी' की मात्रा
लगभग नहीं के बराबर होती है लेकिन अंकुरित होने पर लगभग दोगुना विटामिन
सी इनसे पाया जा सकता है।
अंकुरण की प्रक्रिया से विटामिन बी कॉम्प्लेक्स खासतौर पर थायमिन यानी विटामिन
बी१, राइबोप्लेविन यानी विटामिन बी२ व नायसिन की मात्रा दोगुनी हो जाती है।
इसके अतिरिक्त 'केरोटीन' नामक पदार्थ की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो शरीर में
विटामिन ए का निर्माण करता है। अंकुरीकरण की प्रक्रिया में अनाज/दालों में पाए
जाने वाले कार्बोहाइट्रेड व प्रोटीन और अधिक सुपाच्य हो जाते हैं। अंकुरित करने
की प्रक्रिया में अनाज पानी सोखकर फूल जाते हैं, जिनसे उनकी ऊपरी परत फट
जाती है व इनका रेशा नरम हो जाता है। परिणामस्वरूप पकाने में कम समय लगता
है और वे बच्चों व वृद्धों की पाचन क्षमता के अनुकूल बन जाते हैं।
अंकुरित करने के लिये चना, मूँग, गेंहू, मोठ, सोयाबीन, मूँगफली, मक्का,
तिल, अल्फाल्फा, अन्न, दालें और बीजों आदि का प्रयोग होता है। अंकुरित भोजन
को कच्चा, अधपका और बिना नमक आदि के प्रयोग करने से अधिक लाभ होता है।
एक दलीय अंकुरित (गेहूं, बाजरा, ज्वार, मक्का आदि) के साथ मीठी खाद्य (खजूर, किशमिश, मुनक्का तथा शहद आदि) एवं फल लिए जा सकते हैं।
द्विदलीय अंकुरित (चना, मूंग, मोठ, मटर, मूंगफली, सोयाबीन, आदि) के साथ
टमाटर, गाजर, खीरा, ककड़ी, शिमला मिर्च, हरे पत्ते (पालक, पुदीना, धनिया, बथुआ, आदि)
और सलाद, नींबू मिलाकर खाना बहुत ही स्वादिष्ट और स्वास्थ्यदायक होता है। इसे कच्चा
खाने बेहतर है क्यों कि पकाकर खाने से इसके पोषक तत्वों की मात्रा एवं गुण में कमी आ
जाती है। अंकुरित दानों का सेवन केवल सुबह नाश्ते के समय ही करना चाहिये। एक बार में
दो या तीन प्रकार के दानों को आपस में मिला लेना अच्छा रहता है। यदि ये अंकुरित दाने
कच्चे खाने में अच्छे नहीं लगते तो इन्हें हल्का सा पकाया भी जा सकता है। फिर इसमें कटे
हुए प्याज, कटे छोटे टमाटर के टुकड़े, बारीक कटी हुई मिर्च, बारीक कटा हुई धनिया
एकसाथ मिलाकर उसमें नींबू का रस मिलाकर खाने से अच्छा स्वाद मिलता है।

अंकुरण की विधि -

अंकुरित करने वाले बीजों को कई बार अच्छी तरह पानी से धोकर एक शीशे के जार में
भर लें शीशे के जार में बीजों की सतह से लगभग चार गुना पानी भरकर भीगने दें अगले
दिन प्रातःकाल बीजों को जार से निकाल कर एक बार पुनः धोकर साफ सूती कपडे में
बांधकर उपयुक्त स्थान पर रखें ।
गर्मियों में कपडे के ऊपर दिन में कई बार ताजा पानी छिडकें ताकि इसमें नमी बनी रहे।
गर्मियों में सामान्यतः २४ घंटे में बीज अंकुरित हो उठते हैं सर्दियों में अंकुरित होने में कुछ
अधिक समय लग सकता है । अंकुरित बीजों को खाने से पूर्व एक बार अच्छी तरह से धो लें
तत्पश्चात इसमें स्वादानुसार हरी धनियाँ, हरी मिर्च, टमाटर, खीरा, ककड़ी काटकर मिला
सकते हैं द्य यथासंभव इसमें नमक न मिलाना ही हितकर है।

जरूरी निर्देश -

अंकुरित करने से पूर्व बीजों से मिटटी, कंकड़ पुराने रोगग्रस्त बीज निकलकर साफ कर लें।
प्रातः नाश्ते के रूप में अंकुरित अन्न का प्रयोग करें । प्रारंभ में कम मात्रा में लेकर
धीरे-धीरे इनकी मात्रा बढ़ाएँ।
अंकुरित अन्न अच्छी तरह चबाकर खाएँ।
नियमित रूप से इसका प्रयोग करें।
वृद्धजन, जो चबाने में असमर्थ हैं वे अंकुरित बीजों को पीसकर इसका पेस्ट बनाकर
खा सकते हैं। ध्यान रहे पेस्ट को भी मुख में कुछ देर रखकर चबाएँ ताकि इसमें लार
अच्छी तरह से मिल जाय।
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तुलसी है कई रोगों मे उपयोगी औषधि

मुलेठी के आयुर्वेदिक उपयोग






मुलेठी बहुत गुणकारी औषधि है। मुलेठी के प्रयोग करने से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर के लिए फायदेमंद है। इसका पौधा 1 से 6 फुट तक होता है। यह मीठा होता है इसलिए इसे ज्येष्ठीमधु भी कहा जाता है। असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है।
यह सूखने पर अम्ल जैसे स्वाद की हो जाती है। मुलेठी की जड़ को उखाड़ने के बाद दो वर्ष तक उसमें औषधीय गुण विद्यमान रहता है। ग्लिसराइजिक एसिड के होने के कारण इसका स्वाद साधारण शक्कर से पचास गुना अधिक मीठा होता है।



मुलेठी के गुण -

- यह ठंडी प्रकृति की होती है और पित्त का शमन करती है .
- मुलेठी को काली-मिर्च के साथ खाने से कफ ढीला होता है। सूखी खांसी आने पर मुलेठी खाने से फायदा होता है। इससे खांसी तथा गले की सूजन ठीक होती है।- अगर मुंह सूख रहा हो तो मुलेठी बहुत फायदा करती है। इसमें पानी की मात्रा 50 प्रतिशत तक होती है। मुंह सूखने पर बार-बार इसे चूसें। इससे प्‍यास शांत होगी।
- गले में खराश के लिए भी मुलेठी का प्रयोग किया जाता है। मुलेठी अच्‍छे स्‍वर के लिए भी प्रयोग की जाती है।
- मुलेठी महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। मुलेठी का एक ग्राम चूर्ण नियमित सेवन करने से वे अपनी सुंदरता को लंबे समय तक बनाये रख सकती हैं।
- लगभग एक महीने तक , आधा चम्मच मूलेठी का चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ चाटने से 
मासिक सम्बन्धी सभी रोग दूर होते है.
- फोड़े होने पर मुलेठी का लेप लगाने से जल्दी ठीक हो जाते है.
- रोज़ ६ ग्रा. मुलेठी चूर्ण , ३० मि.ली. दूध के साथ पिने से शरीर में ताकत आती है.
- लगभग ४ ग्रा. मुलेठी का चूर्ण घी या शहद के साथ लेने से ह्रदय रोगों में लाभ होता है.
- इसके आधा ग्राम रोजाना सेवन से खून में वृद्धि होती है.
- जलने पर मुलेठी और चन्दन के लेप से शीतलता मिलती है.
- इसके चूर्ण को मुंह के छालों पर लगाने से आराम मिलता है.
- मुलेठी का टुकड़ा मुंह में रखने से कान का दर्द और सूजन ठीक होता है.
- उलटी होने पर मुलेठी का टुकडा मुंह में रखने पर लाभ होता है.
- मुलेठी की जड़ पेट के घावों को समाप्‍त करती है, इससे पेट के घाव जल्‍दी भर जाते हैं। पेट के घाव होने पर मुलेठी की जड़ 
का चूर्ण इस्‍तेमाल करना चाहिए।
- मुलेठी पेट के अल्‍सर के लिए फायदेमंद है। इससे न केवल गैस्ट्रिक अल्सर वरन छोटी आंत के प्रारम्भिक भाग ड्यूओडनल अल्सर में भी पूरी तरह से फायदा करती है। जब मुलेठी का चूर्ण ड्यूओडनल अल्सर के अपच, हाइपर एसिडिटी आदि पर लाभदायक प्रभाव डालता है। साथ ही अल्सर के घावों को भी तेजी से भरता है।
]- खून की उल्टियां होने पर दूध के साथ मुलेठी का चूर्ण लेने से फायदा होता है। खूनी उल्‍टी होने पर मधु के साथ भी इसे लिया जा सकता है।
- हिचकी होने पर मुलेठी के चूर्ण को शहद में मिलाकर नाक में टपकाने तथा पांच ग्राम चूर्ण को पानी के साथ खिला देने से लाभ होता है।
- मुलेठी आंतों की टीबी के लिए भी फायदेमंद है।
- ये एक प्रकार की एंटीबायोटिक भी है इसमें बैक्टिरिया से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। यह शरीर के अन्‍दरूनी चोटो में भी
लाभदायक होती है।
- मुलेठी के चूर्ण से आँखों की शक्ति भी बढ़ती है सुबह तीन या चार ग्राम खाना चाहिये।
- यदि भूख न लगती हो तो एक छोटा टुकड़ा मुलेठी कुछ देर चूसे, दिन में ३,४, बार इस प्रक्रिया को दोहरा ले ,भूख खुल जाएगी .
- कोई भी समस्या न हो तो भी कभी-कभी मुलेठी का सेवन कर लेना चाहिए आँतों के अल्सर ,कैंसर का खतरा कम हो जाता है तथा पाचनक्रिया भी एकदम ठीक रहती है|
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दुबले पतले शरीर को सूडोल बनाने के तरीके



भोजन खूब अच्छी तरह से चबा चबा कर खाना चाहिये। दांत का काम आंत पर डालना उचित नहीं है।
दोनों वक्त शोच निवृत्ति की आदत डालें।

किशमिश-

५० ग्राम किशमिश रात को पानी में भिगोदे सुबह भली प्रकार चबा चबा कर खाएं। २-३ माह के प्रयोग से वजन बढेगा।

नारियल का दूध -

यह आहार तेलों का समृद्ध स्रोत है और भोजन के लिए अच्छा तथा स्वादिस्ट जायके के लिए जाना
जाता है। नारियल के दूध में भोजन पकाने से खाने में कैलोरी बढ़ेगी। जिससे आपके वजन में वृद्धि
होगी।


मलाई-

 मिल्क क्रीम में आवश्यकता से ज्यादा फैटी एसिड होता है। और ज्यादातर खाद्य उत्पादों की तुलना में अधिक कैलोरी की मात्रा होती है। मिल्क क्रीम को पास्ता और सलाद के साथ खाने से वजन तेजी से बढ़ेगा।

अखरोट - 

अखरोट में आवश्यक मोनोअनसेचुरेटेड फैट होता है जो स्वस्थ कैलोरी को उच्च मात्रा में
प्रदान करता है। रोज़ 20 ग्राम अखरोट खाने से वजन तेजी से प्राप्त होगा।

केला- 

तुरंत वजन बढाना हो तो केला खाइये। रोज़ दो या दो से अधिक केले खाने से आपका पाचन
तंत्र भी अच्छा रहेगा।
ब्राउन राइस - 

ब्राउन राइस कार्बोहाइड्रेट और फाइबर की एक स्वस्थ खुराक का स्रोत है। भूरे रंग के
चावल कार्बोहाइड्रेट का भंडार है इसलिए नियमित रूप से इसे खाने से वजन तेजी से हासिल होगा।

आलू- 

 आलू कार्बोहाइड्रेट और काम्प्लेक्स शुगर का अच्छा स्त्रोत है। ये ज्यादा खाने से शरीर में
फैट की मात्रा बढ़ जाती है।

बीन्स : 

जो लोग शाकाहारी है और नॉनवेज नहीं खाते उनके लिए बीन्स से अच्छा कोई विकल्प
नहीं है। बीन्स के एक कटोरी में 300 कैलोरी होती है। यह सिर्फ वजन बढ़ने में ही मदत नहीं करता
बल्कि पौष्टिक भी होता है।

मक्खन : 

मक्खन में सबसे ज्यादा कैलोरी पाई जाती है। मक्खन खाने के स्वाद को सिर्फ बढ़ाता ही
नहीं बल्कि वजन बढ़ाने में भी मदद करता है।

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28.6.20

उलट कम्बल के औषधीय उपयोग,ulat kambal

  
   

उलट कम्बल गर्भाशय संबंधी विकारो की रोकथाम के लिए उपयुक्त औषधि हैं। इसके अलावा इसका सेवन करने से गठिया, गठिये में होने वाले दर्द, कष्टार्तव, मधुमेह जैसी समस्याओं में फायदा होता हैं। उलट कम्बल से साइनसाइटिस से होने वाले सिरदर्द से भी राहत मिलती हैं।


औषधीय भाग

जड़ और जड़ की छाल उलट कम्बल (एब्रोमा ऑगस्टा) का महत्वपूर्ण औषधीय भाग हैं। इसकी जड़ों का प्रयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता हैं। यह गर्भाशय के लिए टॉनिक, आर्तवजनक, गर्भाशय के विकारो से मुक्त करने वाला और पीड़ानाशक होता हैं। इसी वजह से इसका प्रयोग भारतीय पारंपरिक दवाईयों में भी किया जाता हैं। कुछ मामलों में इसकी पत्तियां और तना भी राहत प्रदान करने का काम करती हैं।



औषधीय कर्म

उलट कम्बल में निम्नलिखित औषधीय गुण है:
गर्भाशय-बल्य
गर्भाशय उतेजक
आर्तव जनन
वेदनास्थापन – पीड़ाहर (दर्द निवारक)
चिकित्सकीय संकेत 
उलट कम्बल निम्नलिखित व्याधियों में लाभकारी है:

रजोरोध

अनियमित माहवारी (अनियमित ऋतुस्त्राव)
संधिशोथ 

उलट कम्बल के लाभ और औषधीय प्रयोग

उलट कम्बल कई बिमारियों के लिए एक बहुत अच्छी आयुर्वेदिक औषधि हैं। इसके कुछ लाभ और औषधीय प्रयोग इस प्रकार हैं।
उलट कम्बल के जड़ की छाल मासिक धर्म को नियंत्रित करने सहायक हैं। यह औषधि हार्मोन्स को संतुलित करती हैं। जिससे अंडे (अंडाणु) के बनने की प्रक्रिया भी संतुलित होती हैं।

रजोरोध, अनियमित माहवारी और अंडे (अंडाणु) का न बनना

यह औषधि दोनों तरह की रजोरोध में भी लाभदायक हैं। यह अंडाशय को उभारता हैं, जिससे हार्मोन्स संतुलित होते हैं। यह माहवारी को शुरू करने में सहायक है।
माहवारी न आती हो (रजोरोध के इलाज के लिए)
इन बिमारियों में उलट कम्बल की जड़ की छाल का चूर्ण (1 to 3 ग्राम) और काली मिर्च (125 से 500 मिलीग्राम) दिये जाते हैं। इस औषषि का सेवन पानी के साथ तब तक किया जाता हैं जब तक की माहवारी शुरू न हो जाये।

माहवारी नियमित करने के लिए

इस औषधि का सेवन माहवारी आने की तिथि से सात दिन पहले शुरू किया जाता हैं। महावरी के चार दिन बाद तक इस औषधि को दिया जाता हैं। इस उपाय से माहवारी नियमित हो जाती हैं। ऐसे ही इसका प्रयोग कम से कम चार महीनो तक करना चाहिए।




कष्टार्तव


उलट कंवल जड़ की छाल माहवारी में होने वाली दर्द और माहवारी से पहले के दर्द और अन्य लक्षण पर भी अपना असर डालती हैं। इन रोगों का उपचार करने के लिए, जड़ की छाल के चूर्ण का सेवन माहवारी आने की तारीख से 3 से 7 दिन पहले शुरू करना चाहिए। इसका सेवन तब तक करना चाहिए जब तक ब्लीडिंग रुक न जाये।

संधिशोथ

उलट कम्बल का प्रयोग संधिशोथ में बहुत ही कम किया जाता हैं। मगर इस औषधि में सूजन और पीड़ा कम करने वाले गुण होते हैं। इस गुणों की वजह से संधिशोथ के रोगियों को जोड़ो में होने वाली सूजन और पीड़ा से राहत मिलती हैं।

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