16.3.16

केसर के फायदे // Benefits of saffron





केसर एक अत्युत्तम  औषधि  है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार रोजाना थोड़ी मात्रा में केसर लेने से शरीर में कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं। इसका स्वभाव गर्म होता है। इसलिए औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती।
यह एक कामशक्ति बढ़ाने वाला रसायन है। महिलाओं की कुछ बीमारियों में यह रामबाण साबित होता है। बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय की सफाई के लिए कुछ दिनों तक इसका नियमित सेवन करना बहुत अच्छा रहता है। माहवारी के दौरान दर्द, अनियमितता व गड़बड़ी से निजात के लिए यह एक अच्छी औषधि है। मासिक धर्म साफ लाने वाली, गर्भाशय व योनि संकोचन जैसे रोगों को भी दूर करती है।
केसर त्वचा को सुंदर व निखरा बनाती है। यह शरीर को मजबूत बनाती है। लो ब्लडप्रेशर में ये एक बेहतरीन दवा है। अगर ज्यादा सर्दी-खांसी हो रही हो तो केसर दी जाती है क्योंकि ये कफ का नाश करने वाली औषधि है। मन को प्रसन्न करने वाली रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है। 
अगर सर्दी लग गई हो तो रात्रि में एक गिलास दूध में एक चुटकी केसर और एक चम्मच शहद डालकर यदि मरीज को पिलाया जाए तो उसे अच्छी नींद आती है। त्वचा रोग होने पर खरोंच और जख्मों पर केसर लगाने से जख्म जल्दी भरते हैं।
शिशुओं को अगर सर्दी जकड़ ले और नाक बंद हो जाये तो मां के दूध में केसर मिलाकर उसके माथे और नाक पर मला जाये तो सर्दी का प्रकोप कम होता है और उसे आराम मिलता है।
गंजे लोगों के लिए तो यह संजीवनी बूटी की तरह कारगर है।
जिनके बाल बीच से उड़ जाते हैं, उन्हें थोड़ी सी मुलहठी को दूध में पीस लेना चाहिए। उसमें चुटकी भर केसर डाल कर उसका पेस्ट बनाकर सोते समय सिर में लगाने से गंजेपन की समस्या दूर होती है।
रूसी की समस्या हो या फिर बाल झड़ रहे हों, ऎसी स्थिति में भी उपरोक्त फार्मूला अपनाना चाहिए। पुरूषों में वीर्य शक्ति बढ़ाने हेतु शहद, बादाम और केसर लेने से फायदा होता है। पेट संबंधित बीमारियों के इलाज में केसर बहुत फायदेमंद है।

बदहजमी, पेट-दर्द व पेट में मरोड़ आदि हाजमे से संबंधित शिकायतों में केसर का सेवन करने से फायदा होता है।सिर दर्द को दूर करने के लिए केसर का उपयोग किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है।
खाने का स्‍वाद बढ़ाने के साथ-साथ केसर का उपयोग कई तरह के आयुर्वेदिक उपचार में भी किया जाता है। हल्‍के और अपने सुनहरे लाल रंगों के साथ यह पदार्थ कमल की भीनी खुशबू लिए होता है। केसर को संस्‍कृत में कुमकुम के नाम से पुकारा जाता है। भारत में यह केवल जम्मू तथा कश्मीर के सीमित क्षेत्रों में पैदा होती हैं। केसर विश्व का सबसे कीमती पौधा है।
*केसर उपयोग की जाने वाली एक अत्युत्तम दवा है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार रोजाना थोड़ी मात्रा में केसर लेने से शरीर में कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं। इसका स्वभाव गर्म होता है। इसलिए औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती।
*यह एक कामशक्ति बढ़ाने वाला रसायन है। महिलाओं की कुछ बीमारियों में यह रामबाण साबित होता है। बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय की सफाई के लिए कुछ दिनों तक इसका नियमित सेवन करना बहुत अच्छा रहता है। माहवारी के दौरान दर्द, अनियमितता व गड़बड़ी से निजात के लिए यह एक अच्छी औषधि है। मासिक धर्म साफ लाने वाली, गर्भाशय व योनि संकोचन जैसे रोगों को भी दूर करती है।
*केसर त्वचा को सुंदर व निखरा बनाती है। यह शरीर को मजबूत बनाती है। लो ब्लडप्रेशर में ये एक बेहतरीन दवा है। अगर ज्यादा सर्दी-खांसी हो रही हो तो केसर दी जाती है क्योंकि ये कफ का नाश करने वाली औषधि है। मन को प्रसन्न करने वाली रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है।
*अगर सर्दी लग गई हो तो रात्रि में एक गिलास दूध में एक चुटकी केसर और एक चम्मच शहद डालकर यदि मरीज को पिलाया जाए तो उसे अच्छी नींद आती है। त्वचा रोग होने पर खरोंच और जख्मों पर केसर लगाने से जख्म जल्दी भरते हैं।
*शिशुओं को अगर सर्दी जकड़ ले और नाक बंद हो जाये तो मां के दूध में केसर मिलाकर उसके माथे और नाक पर मला जाये तो सर्दी का प्रकोप कम होता है और उसे आराम मिलता है।

*गंजे लोगों के लिए तो यह संजीवनी बूटी की तरह कारगर है। जिनके बाल बीच से उड़ जाते हैं, उन्हें थोड़ी सी मुलहठी को दूध में पीस लेना चाहिए। उसमें चुटकी भर केसर डाल कर उसका पेस्ट बनाकर सोते समय सिर में लगाने से गंजेपन की समस्या दूर होती है।
*रूसी की समस्या हो या फिर बाल झड़ रहे हों, ऎसी स्थिति में भी उपरोक्त फार्मूला अपनाना चाहिए। पुरूषों में वीर्य शक्ति बढ़ाने हेतु शहद, बादाम और केसर लेने से फायदा होता है। पेट संबंधित बीमारियों के इलाज में केसर बहुत फायदेमंद है।
*बदहजमी, पेट-दर्द व पेट में मरोड़ आदि हाजमे से संबंधित शिकायतों में केसर का सेवन करने से फायदा होता है।सिर दर्द को दूर करने के लिए केसर का उपयोग किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है।
*शुद्ध केसर तेज लाल व नारंगी रंग के रेशों की तरह होते हैं। ये 'क्रॉकस सेट्टिवम' नामक पौधे के फूलों की नाजुक पंखुडिय़ां होती हैं। इस पौधे की ऊंचाई 30 सेंटीमीटर (लगभग 1 फीट) से भी कम होती है, जिसकी पत्तियां पतली व लंबी होती हैं। इसके फूल बैंगनी रंग के होते हैं। मादा फूलों के अंदर तेज लाल रंग की दो से ढाई सेंटीमीटर (लगभग 1 ईंच) लंबी तीन पंखुडिय़ां होती हैं। इन पंखुडिय़ों को सावधानी से निकालकर सुखा लिया जाता है और इस प्रकार केसर तैयार हो जाता है।
*शुद्ध केसर काफी महंगा होता है, क्योंकि इसके पौधे की रोपाई से लेकर इसे तैयार करने में काफी मेहनत, देखभाल व धैर्य की जरूरत पड़ती है। इस कार्य में काफी वक्त भी लगता है। खाद्य व औषघि के रूप में इसकी अल्प मात्रा की ही जरूरत रहती है। इसके पौधे दक्षिणी यूरोपीय देशों में बहुतायत में मिलते हैं। स्पेन, इटली, ग्रीस व फ्रांस में इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है और इन्हीं देशों से इसे दुनियाभर में निर्यात किया जाता है। भारत में इसकी खेती जम्मू-कश्मीर में की जाती है। फ्रांस व स्पेन से भी इसका निर्यात भारत में होता है।
आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार नियमित रूप से, अल्प मात्रा में ग्रहण करने पर यह त्रि-दोषों (वात, पित्त व कफ) से निजात दिलाता है। इसका स्वभाव गर्म होता है। अत: औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती। यह एक कामोद्दीपक रसायन है। अत: इसका उपयोग बाजीकरण के लिए भी किया जाता है। कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी इसका उपयोग किया जाता है। महिलाओं की कुछ बीमारियों में यह रामबाण साबित होता है। बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय की सफाई के लिए कुछ दिनों तक इसका नियमित सेवन करना बहुत अच्छा रहता है। माहवारी के दौरान दर्द, अनियमितता व गड़बड़ी से निजात के लिए यह एक अच्छी औषधि है।
*सावधानी- 

केसर खरीदते वक्त यह सुनिश्चित करें वह मिलावटी न हो और उसकी गुणवत्ता अच्छी है। औषधीय उपयोग के लिए कश्मीरी केसर सबसे अच्छा माना जाता है। एक ग्राम केसर लगभग 100 रुपये की आती है। इसे कश्मीर एम्पोरियम या आयुर्वेदिक औषधियों की भरोसेमंद दुकानों से खरीदें व सड़क किनारे स्थित दुकानों से कदापि न लें, क्योंकि यह मिलावट वाली हो सकती है।
*पहचान-
 केसर की सुगंध बेहद तेज होती है। यहां तक कि यदि इसे प्लास्टिक की दो थैलियों में बंद करके भी रख दिया जाए, तो भी इसकी सुगंध चारों ओर फैल जाती है।
*कुछ खाद्य व औषधीय नुस्खे-
केसर दूध- 

केसर दूध ठंडा व गर्म दोनों प्रकार से तैयार किया जाता है। जाड़े के दिनों में गर्म व गर्मी के दिनों में ठंडे दूध का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
*आवश्यक सामग्री- दो लोगों के लिए-
दूध- आधा लीटर (ढाई कप), मिश्री या शक्कर- दो चम्मच या स्वाद के अनुसार, केसर- दो सौ मिलिग्राम (एक चुटकी) और कटे हुए बादाम दो चम्मच।
*गर्म दूध के लिए- 

दूध को गर्म कर लें और इसमें उपरोक्त सभी सामग्री डालकर चम्मच से तब तक मिलाएं, जब तक उसमें केसर पूरी तरह से घुल न जाए। शुद्ध केसर आहिस्ता-आहिस्ता घुलता है और दूध को एकदम से रंगीन नहीं बनाता, जैसा कि सिंथेटिक केसर करते हैं।
*ठंडे दूध के लिए-

थोड़ी सी दूध लेकर इसे गर्म कर लें और इसमें उपरोक्त सभी पदार्थों को अच्छी तरह से घुला लें। अब इसे ठंडा होने दें, फिर शेष दूध मिलाकर फ्रिज में रख दें। आप चाहें तो इसमें बर्फ के कुछ टुकड़े भी डाल सकते हैं, हालांकि इससे दूध का स्वाद कुछ बदल सकता है।"





*औषधीय नुस्खा-
आवश्यक सामग्री- केसर 25 ग्राम, घी 50 ग्राम और मिश्री या शक्कर 50 ग्राम

सबसे पहले मिश्री को अच्छी तरह पीस लें। इसके बाद घी को गर्म कर लें और उसमें केसर को डालकर धीरे-धीरे चलाएं। फिर इसमें पीसी मिश्री मिला लें और कुछ देर तक इसे चलाएं। इसके बाद इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
खुराक- चौथाई चम्मच गर्म दूध, गर्म पानी या गर्म चाय के साथ सेवन करें। यदि आपकी इच्छा इसके साथ कुछ पीने का न हो, तो इसका सेवन ऐसे भी कर सकते हैं,
*चिंता दूर करे केसर में कुछ क्रियाशील तत्व पाए जाते हैं जिससे दिमाग में डिप्रेशन नहीं पैदा होता। यह दिमाग को शांत करती है और चिंता को दूर भगाती है। पेट के लिये इसे भोजन या दूध में लेने से पाचन क्रिया बेहतरीन होती है।
*खूबसूरत त्‍वचा पुराने जमाने से ही हमारी दादी-नानी खूबसूरत त्‍वचा पाने के लिये केसर का प्रयोग किया करती थीं। केसर ना केवल चेहरे से दाग-धब्‍बे हटा कर चहरे को चमकदार बनाता है बल्‍कि यह आयुर्वेदिक तेल में भी प्रयोग किया जाता है। चेहरे के दाग हटाने के लिये पानी और केसर को मिश्रण कर के चेहरे पर लगाएं। गोरा बनाएं इस पेस पैक को बनाने के लिये एक चुटकी केसर, दूध और जैतून का तेल मिश्रण कर के चेहरे पर लगाइये। जब पैक सूख जाए तब इसे स्क्रब कर के साफ कर लीजिये और चेहरा धो लीजिये।
*मूत्र विकार यह एक मूत्रवर्धक औषधी भी है। घर पर रात को पानी में थोड़ी सी केसर भिगो कर सुबह उसे शहद या चीनी के साथ सेवन करें। इससे मूत्र विकार दूर होगा।
*दिमाग बनाए तेज केसर दिमाग और नाड़ीमंडल के लिये किसी वरदान से कम नहीं। रोज रात को सोने से पहले दूध में केसर के कुछ रेशे डालना ना भूलें। बीमारियां भगाए केसर में रासायनिक घटकों की मौजूदगी की वहज से इसे भोजन में प्रयोग करने से बीमारियों से छुटकारा मिलता है। इसमें कैल्‍शियम, विटामिन और प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जिससे पूरा शरीर निरोग रहता है।
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15.3.16

छाछ के फायदे , Benefits of Buttermilk







  आयुर्वेद में छाछ को सात्विक आहार माना गया है। दही से बनने वाला यह पेय पदार्थ स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है। जब भी आप भारी या मसालेदार भोजन की वजह से एसिडिटी का अनुभव करें, तो एक गिलास छाछ पी लें। पेट के लिए छाछ बहुत फायदेमंद है, खासकर गर्मियों में इससे बेहतर आपका मित्र और कोई नहीं हो सकता।
 कहा जाता है कि छाछ धरती का अमृत है। यह शरीर की बीमारियों को दूर भगाता है। बाजार में बिकने वाले महंगे शीतल पेयों से छाछ लाख गुना अच्छी है। इसके कई फायदे हैं। मट्ठे का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है गर्मियों में रोजाना छाछ का सेवन अमृत के समान है। इसमें कैलोरी और फैट कम होता है। छाछ के ढेरों फायदे हैं-
*छाछ को भोजन के साथ लेना हितकारी होता है। यह आसानी से पचने वाला पेय है।
*छाछ में 90 प्रतिशत से अधिक पानी होता है, इसलिए इसका सेवन शरीर में जल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। आंतें इसे धीरे-धीरे एब्जॉर्ब करती हैं, क्योंकि इसकी सामग्री ज्यादातर प्रोटीन के साथ जुड़ी होती हैं। छाछ पीना किसी भी अन्य स्वाद वाले पेय या फिर सादे पानी की तुलना में बेहतर है। फर्मेंटेड छाछ का स्वाद खट्टा होता है, लेकिन जैविक रूप से मानव शरीर और कोशिकाओं के लिए बहुत पोषक भरा होता है।

फैट के बिना कैल्शियम

बहुत लोग मानते हैं कि यह बटरमिल्क है, इसलिए यह फैट और कैलोरी से भरा होगा, लेकिन सामान्य दूध की तुलना में इसमें कम फैट होता है। दूध में एक महत्वपूर्ण घटक होता है – कैल्शियम। दूध भी वसा से भरा होता है। लैक्टोज को सहन न करने वालों ( जो दूध का सेवन करने से बचते हैं) के लिए छाछ एकमात्र प्राकृतिक कैल्शियम का स्रोत है। ऐसे लोग छाछ का सेवन करके आवश्यक कैल्शियम ले सकते हैं। यह किसी भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया का कारण नहीं होगा, क्योंकि लैक्टोज छाछ में मौजूद स्वस्थ बैक्टीरिया को लैक्टिक एसिड में बदल दिया जाता है। *ताजे दही से बनी छाछ का प्रयोग ज्यादा लाभकारी होता है। छाछ से पेट का भारीपन, आफरा, भूख न लगना, अपच व पेट की जलन की शिकायत दूर होती है।पैर की एड़ियों के फटने पर मट्ठे का ताजा मक्खन लगाने से आराम मिलता है।

पाचन तंत्र में सुधार

छाछ के सेवन से मसालेदार और तीखे भोजन से पेट में होने वाली जलन से आराम मिलता है। यह भोजन के ज्वलनशील तत्वों को साफ कर देता है, जिससे पेट को आराम मिलता है। भोजन के बाद आप इसका सेवन कर सकते हैं। इसके स्वाद और चिकित्सकीय गुणों को बढ़ाने के लिए आप इसमें अदरक व जीरा पाउडर आदि मिला सकते हैं। छाछ शरीर की गर्मी को शांत करने का काम भी करता है। यह महिलाओं द्वारा खासतौर पर पसंद किया जाता है, क्योंकि यह रजोनिवृत्ति से पहले और बाद में शरीर की गर्मी को शांत करता है। साथ ही रजोनिवृत्ति से पीड़ित महिलाओं के कई लक्षणों को छाछ कम करने का काम करता है। अचानक गर्मी (हॉट फ्लैश) लगने जैसी समस्या से पीड़ित लोग छाछ को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना सकते हैं। साथ ही जिनके शरीर का तापमान और मेटाबॉलिज्म स्तर अधिक होता है, वो बटरमिल्क का लाभ उठा सकते हैं। *अत्यधिक मानसिक तनाव होने पर छाछ का सेवन लाभकारी होता है।

तैलीय भोजन को साफ करने का काम

अगर आप भारी भोजन के बाद पेट को फूला हुआ महसूस करते हैं, तो एक गिलास छाछ आपकी इस समस्या को शांत कर सकता है। छाछ के साथ अदरक, जीरा व धनिया आदि मिलाकर पीने से पाचन क्रिया को बहुत मदद मिलती है। इसके अलावा, छाछ भोजन से तेल और वसा को साफ करने में भी कुशल है। भारी भोजन के बाद आमतौर पर लोग सुस्ती महसूस करते हैं, लेकिन भोजन के बाद एक गिलास छाछ आपकी इस सुस्ती को दूर कर सकता है। इसके सेवन के बाद आप अधिक चुस्त महसूस करने लगेंगे।
*जले हुए स्थान पर तुरंत छाछ या मट्ठा मलना चाहिए।
*सिर के बाल झड़ने पर बासी छाछ से सप्ताह में दो दिन बालों को धोना चाहिए।

डिहाइड्रेशन के खिलाफ प्रभावी

दही में नमक व मसाले डालकर बनाई गई छाछ डिहाइड्रेशन को रोकने का एक प्रभावी उपचार है। यह इलेक्ट्रोलाइट्स से भरा प्रभावी पेय है, जो शरीर से पानी की कमी और शरीर में गर्मी के खिलाफ लड़ने का काम करता है। गर्मियों के दौरान आप इसका आनंद जी भरकर ले सकते हैं। यह आपको चुभन भरी गर्मी, बेचैनी और थकान से आराम दिलाने का काम करेगा।*मोटापा अधिक होने पर छाछ को छौंककर सेंधा नमक डालकर पीना चाहिए।



6.3.16

नजर तेज करने के उपाय: Measures to sharpen eyesight






प्रकृति का खूबसूरत तोहफा है आँखें। आँख है तो दुनिया रंगीन है, वरना चारों ओर अंधेरा है, इसलिए आँख की सुरक्षा भी जरूरी है, खास कर उन लोगों के लिए, जिन्हें कम नजर आता है या चश्मा लगाना पड़ता है।यदि हम जीवन जीने की शैली को कुछ बदल लें तथा अच्छे उपाय करें तो नजर की कमजोरी ठीक कर सकते हैं।
यहाँ दिए जा रहे उपायों से आप आँखों की सुरक्षा कुछ हद तक कर सकते हैं। निरंतर बगैर नागा किए निम्नलिखित उपाय करें तो हो सकता है आपका चश्मा छूट जाए। यह सब नियम पालन पर निर्भर है।

घरेलू चिकित्सा द्वारा उपचार

*200 ग्राम बादाम गिरि, 200 ग्राम सौंफ, 20 ग्राम दक्षिणी मिर्च (सफेद मिर्च) पीसकर 50 ग्राम घी में अच्छी तरह रगड़ लें तथा 400 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। 2-2 चम्मच दवा गाय दूध के साथ सुबह-शाम 3-4 माह सेवन करने से नजर में इजाफा होता है। साथ में ऊपर बताए अन्य उपाय भी करें।
**गोरखमुंडी का अर्क 25-30 मिली नित्य प्रात: कुछ दिन सेवन करने से नजर बढ़ती है।


एक हल्दी की गांठ को नीबू में छेदकरके अन्दर रख दें। जब 8-10 दिन में नीबू सूख जाए तो फिर दूसरे नींबू में अन्दर रख दें। यह प्रक्रिया 3 बार करें। अर्थात् एक महीने बाद उस गांठ को गुलाब जल की कुछ बूंदें पत्थर में डालकर घिसकर अंजन की तरह आंख में लगाएं। कुछ दिन लगाने से आंख की रोशनी में फायदा होगा।
*100-100 ग्राम अश्वगन्धा चूर्ण, आंवला चूर्ण तथा मुलैठी चूर्ण मिलाकर रख लें। 4-5 ग्राम दवा रोज प्रात: सायं दूध के साथ 2-3 माह लेने से आंखों की कमजोरी में लाभ होता है।
*सुबह सूर्योदय से पहले उठें और उठते ही मुँह में पानी भरकर बंद आँखों पर 20-25 बार ठंडे पानी के छींटे मारें। याद रखें, मुँह पर छींटे मारते समय या चेहरे को पानी से धोते समय मुँह में पानी भरा होना चाहिए।
*धूप, गर्मी या श्रम के प्रभाव से शरीर गर्म हो तो चेहरे पर ठंडा पानी न डालें। थोड़ा विश्राम कर पसीना सुखाकर और शरीर का तापमान सामान्य करके ही चेहरा धोएँ । आँखों को गर्म पानी से नहीं धोना चाहिए।
*नहाने से पूर्व मुख में पानी भरकर और आंखें खोलकर साफ पानी से छीटें मारें या बाल्टी में साफ पानी भर कर चेहरे को थोड़ा पानी में डुबाकर पानी में आंखें 10-15 बार खोलें व बन्द करें।
* रोज प्रात: हल्के गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक डालकर टोटीदार लोटे से दोनों नथुनों से जलनेति क्रम से करें, फिर घी या सरसों का तेल लगा लें।
रात्रि में 2-3 ग्राम त्रिफला चूर्ण 20-25 मि.ली साफ पानी में मिलाकर कांच के गिलास में ढक कर रख दें। प्रात: पानी निथारकर छानकर एक बर्तन में रख लें। उसमें आंख डुबोकर बार-बार खोलें व बन्द करें। (30-40 बार)
*बहुत दूर के पदार्थों या दृश्यों को देर तक नजर गड़ाकर न देखें, तेज धूप से चमकते दृश्य को न देखें, कम रोशनी में लिखना, पढ़ना व बारीक काम न करें। नींद आ रही हो, आँखों में भारीपन, जलन या थकान महसूस हो तो काम तत्काल बंद कर थोड़ा विश्राम कर लें।
*देर रात तक जागना और सूर्योदय के बाद देर तक सोना आँखों के लिए हानिकारक होता है। देर रात तक जागना ही पड़े तो घंटा-आधा घंटे में एक गिलास ठंडा पानी पी लेना चाहिए। सुबह देर तक सोकर उठें तो उठने के बाद मुँह में पानी भरकर, आँखों पर ठंडे पानी से 20-25 छींटे जरूर मारें।
*आँखों को धूल, धुआँ, धूप और तेज हवा से बचाना चाहिए। ऐसे वातावरण में ज्यादा देर न ठहरें। लगातार आँखों से काम ले रहे हों तो बीच में 1-2 बार आँखें बंद कर, आँखों पर हथेलियाँ हलके हलके दबाव के साथ रखकर आँखों को आराम देते रहें।
*रोज प्रात: खाली पेट दोनों हाथों की तर्जनी व मध्यमा उंगली के नीचे जड़ पर तथा पैर की इन्हीं दो उंगलियों के नीचे आधा से एक मिनट क्रम में तीन बार दबाव देकर एक्यूप्रेशर चिकित्सा करें।
*दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।


 
*प्रात:-सायं भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, कपालभांति और भ्रामरी प्राणायाम करें।
*रोज प्रात: योगासान करें या पूरे शरीर का व्यायाम करें।
*खाना हल्का सुपाच्य एवं शाकाहारी करें।
*आंखों को धूल, मिट्टी, धुंआ, प्रदूषण, गन्दा पानी, अधिक धूप, अधिक ठंड आदि से बचाएं।
*यात्रा करते समय, बस, रेलगाड़ी व अन्य वाहनों में चलते-चलते कुछ न पढ़ें।
*अधिक रात्रि जागरण न करें, अधिक अंग्रेजी दवाएं सेवन न करें।
*तेज रफ्तार की सवारी करने पर हवा से आँखों को बचाएँ। अधोवायु, मल-मूत्र, छींक और तनाव अधिक देर तक लगातार रोना, अत्यधिक शोक संतृप्त रहना आदि नेत्रों को हानि पहुँचाने वाले काम हैं। इनसे बचने की भरपूर कोशिश करनी चाहिए। आँखें सबसे कोमल और संवेदनशील अंग हैं अतः जरा से गलत आचरण का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव आँखों पर ही पड़ता है यह तथ्य याद रखना चाहिए।

3.3.16

प्याज के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप Benefits of Onion







 भोजन के साथ सलाद के रूप में खाया जाने वाला कच्चा प्याज हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है। सैंडविच, सलाद या फिर चाट, प्याज सभी के स्वाद को दोगुना कर देता है। यदि आपको डर है कि प्याज खाने से दुर्गंध आएगी तो खाने के बाद माउथ फ्रेशनर खाइए या ब्रश कर लीजिए, लेकिन प्याज जरूर खाइए। आहार विशेषज्ञों की मानें तो यह यौन दुर्बलता को दूर करने में भी बहुत उपयोगी है। यौन शक्ति के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए प्याज एक सस्ता एवं सुलभ विकल्प है।
*अगर आप ये सोचते हैं कि प्याज केवल सब्जी बनाने या फिर सलाद में खाने के लिए ही है तो आपको बता दें कि प्याज किसी औषधि‍ से कम नहीं. कई गंभीर बीमारियों के लिए ये रामबाण नुस्खा है. हालांकि इस बात की जानकारी होना भी जरूरी है कि हम इसका इस्तेमाल कब और किस तरह से करें ताकि भरपूर लाभ मिले.-*हरा प्याज खाने के कई फायदे हैं। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम बनाए रखता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। एंटी बैक्टीरियल गुण के कारण ही इसे खाने से पाचन में भी सुधार होता है। हरे प्याज में क्रोमियम होता है।
* हरा प्याज खाने से इम्यूनिटी पावर बढ़ता है। हरा प्याज चेहरे की झुर्रियों को दूर करता है। इसे खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। हरा प्याज मैक्रोन्यूट्रिशयन को बनाए रखता है। हरे प्याज में एंटी-इन्फ्लामेटरी और एंटी- हिस्टामाइन गुण भी होते हैं। इसीलिए यह गठिया और अस्थमा के रोगियों के लिए लाभदायक रहता है।

लू लगने पर

*गर्मियों में लू लग जाना एक आम बात है लेकिन, अगर आप कच्ची प्याज खाती हैं तो आपको लू नहीं लगेगी. लू लगने पर प्याज का रस पीने से फायदा होता है. आपने बड़े-बुजुर्गों को ये कहते भी सुना होगा कि प्याज का टुकड़ा साथ रखने से लू नहीं लगती है.

*झड़ते बालों के लिए फायदेमंद

अगर आपके बाल गिर रहे हैं तो इसमें प्याज का रस बहुत फायदेमंद हो सकता है. साथ ही बालों में प्याज का रस लगाने से बाल चमकदार होते हैं.

*.वीर्यवृद्धि के लिए 

सफेद प्याज के रस के साथ शहद लेने पर फायदा होता है। सफेद *प्याज का रस, शहद, अदरक का रस और घी का मिश्रण 21 दिनों तक लगातार लेने से नपुंसकता दूर हो जाती है। कफ हो जाने पर प्याज के रस में मिश्री मिलाकर चाटने से फायदा मिलता है। प्याज को पीसकर गुड़ मिलाकर खाने से वीर्य वृद्धि होती है।
* 100 ग्राम अजवाइन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूख जाने पर फिर यही प्रक्रिया दोहराएं। ऐसा तीन बार करें। अच्छी तरह सूख जाने पर इसका बारीक पाउडर बना लें। अब इस पाउडर को पांच ग्राम घी और पांच ग्राम शक्कर के साथ सेवन करें। इस योग को इक्कीस दिन तक लेने पर शीघ्रपतन की समस्या से राहत मिलती है। एक किलो प्याज का रस, एक किलो शहद और आधा किलो शक्कर मिलाकर डिब्बे में पैक कर लें। इसे पंद्रह ग्राम की मात्रा में एक माह तक नियमित सेवन करें। इस योग के प्रयोग से सेक्शुअल डिजायर में वृद्धि होती है।
*एक किलो प्याज के रस में आधा किलो उड़द की काली दाल मिलाकर पीस कर पेस्ट बना लें। इसे सुखाकर एक किलो प्याज के रस में मिलाकर फिर से पीस लें। इस पेस्ट को दस ग्राम मात्रा में लेकर भैंस के दूध में पकाएं और शक्कर डाल कर पी जाएं। इस योग का सेवन तीस दिन तक नियमित सुबह-शाम सेवन करने से कमजोरी दूर होती है और कामेच्छा में बढ़ोतरी होती है।

कब्ज दूर करे-

प्यज में मौजूद रेशे पेट के लिए बेहद फायदेमंद हैं। प्याज खाने से कब्ज दूर हो जाती है। यदि आपको कब्ज की शिकायत है तो कच्चा प्याज रोज खाना शुरू कर दीजिए।

गले की खराश मिटाए

यदि आप सर्दी, कफ या खराश से पीड़ित हैं तो ताजे प्याज का रस पीजिए। इसमें गुड़ या शहद मिलाकर पीना अधिक फायदेमंद होता है।

पेशाब न होने पर

अगर किसी को रुक-रुक कर पेशाब हो रही हो तो पेट पर प्याज के रस की हल्की मालिश करनी चाहिए. प्याज का रस पीने से पेट संबंधी कई बीमारियों में फायदा होता है.

सर्दी-जुकाम में

प्याज की तासीर गर्म होती है. ऐसे में अगर आपको सर्दी हो गई है तो प्याज आपके लिए दवा का काम करेगी . इसके सेवन से बंद नाक और सर्दी में राहत मिलती है.

लंबी उम्र के लिए

प्याज का रस किसी बूटी से कम नहीं. इससे कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं इसलिए ये भी कहा जाता है कि प्याज खाने से इंसान की उम्र बढ़ती है

पथरी रोगी के लिए फायदेमंद

अगर आपको स्टोन की शिकायत है तो प्याज का रस आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं. सुबह के समय खाली पेट प्याज का देा चम्मच रस आपको इस मुसीबत से छुटकारा दिला सकता है.

ब्लीडिंग समस्या खत्म करें

नाक से खून बह रहा हो तो कच्चा प्याज काट कर सूंघ लीजिए। इसके अलावा यदि पाइल्स की समस्या हो तो सफेद प्याज खाना शुरू कर दें।

डायबिटीज करे कंट्रोल

रोजाना प्याज खाने से इंसुलिन पैदा होता है। यदि आप डायबिटिक हैं तो इसे खाने के साथ रोज सलाद के रूप में खाएं।

दिल से संबंधित बीमारियां खत्म करें

कच्चा प्याज ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। इसमें मिथाइल सल्फाइड और अमीनो एसिड होता है। इसीलिए यह कोलेस्ट्रॉल को भी काबू में रखता है और दिल को बीमारियों से बचाता है।

एनीमिया ठीक करे

रोजाना प्याज खाने से खून की कमी दूर होती है। 

गठिया के इलाज में

अगर आपके घर में किसी को गठिया या जोड़ो का दर्द है तो प्याज के रस की मालिश करने से आराम मिलेगा. प्याज के रस को सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करने से आराम मिलता है.

  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
  • जमालगोटा के औषधीय प्रयोग
  • एसिडिटी के घरेलू उपचार
  • नींबू व जीरा से वजन घटाएँ
  • सांस फूलने के उपचार
  • कत्था के चिकित्सा लाभ
  • गांठ गलाने के उपचार
  • चौलाई ,चंदलोई,खाटीभाजी सब्जी के स्वास्थ्य लाभ
  • मसूड़ों के सूजन के घरेलू उपचार
  • अनार खाने के स्वास्थ्य लाभ
  • इसबगोल के औषधीय उपयोग
  • अश्वगंधा के फायदे
  • लकवा की चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि वृहत वात चिंतामणि रस
  • मर्द को लंबी रेस का घोडा बनाने के अद्भुत नुस्खे
  • सदाबहार पौधे के चिकित्सा लाभ
  • कान बहने की समस्या के उपचार
  • पेट की सूजन गेस्ट्राईटिस के घरेलू उपचार
  • पैर के तलवों में जलन को दूर करने के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • लकवा (पक्षाघात) के आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे
  • डेंगूबुखार के आयुर्वेदिक नुस्खे
  • काला नमक और सेंधा नमक मे अंतर और फायदे
  • हर्निया, आंत उतरना ,आंत्रवृद्धि के आयुर्वेदिक उपचार
  • पाइल्स (बवासीर) के घरेलू आयुर्वेदिक नुस्खे
  • चिकनगुनिया के घरेलू उपचार
  • चिरायता के चिकित्सा -लाभ
  • ज्यादा पसीना होने के के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार
  • पायरिया रोग के आयुर्वेदिक उपचार
  • व्हीटग्रास (गेहूं के जवारे) के रस और पाउडर के फायदे
  • घुटनों के दर्द को दूर करने के रामबाण उपाय
  • चेहरे के तिल और मस्से हटाने के उपचार
  • अस्थमा के कारण, लक्षण, उपचार और घरेलू नुस्खे
  • वृक्क अकर्मण्यता(kidney Failure) की रामबाण हर्बल औषधि
  • शहद के इतने सारे फायदे नहीं जानते होंगे आप!
  • वजन कम करने के उपचार
  • केले के स्वास्थ्य लाभ

  • 2.3.16

    मौसम्बी के फायदे








    मौसम्बी गर्मी के मौसम मे सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले फलों मे से एक है| मौसम्बी का जूस स्वास्थ्य के लिये बहुत अच्छा होता है। इसके जूस में ढेर सारा मिनरल और पौष्टिक तत्व जैस विटामिन सी और पोटैशियम आदि पाया जाता है। यह हेल्दी होने के साथ ही उर्जा पहुंचाने वाला भी होता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि इसे पीने से वजन भी नियंत्रित होता है। इस बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि नींबू के बाद मौसम्बी एक ऐसा स्वीट लाइम फ्रूट होता है जो शरीर के बढ़ते वजन को कम करने में मददगार साबित हो सकता है|
    मौसमी का रस खून को साफ करने का रामबाण उपाय है इसके सेवन से फोड़े फुंसी व सरे तरह के त्वचा सम्बन्धी रोग दूर हो जाते है |
    दिल के मरीज़ो के लिए मौसमी का जूस अत्यंत फायदेमंद है । क्यूंकि ये नसों को साफ कर खून के बहाव को संतुलित करता है अतः ज्यादा से ज्यादा मौसमी का फल या जूस ले तो दिल को सुरक्षा मिलेगी ।
    टाइफाइड बुखार हो जाये तो मौसमी का रस सबसे उत्तम रहता है । इसके सेवन से नए रक्त का निर्माण होता है ।
    जुकाम हो जाये तो अदरक के रस के साथ मौसमी का रस मिलाकर देने से लाभ मिलता है हाल की एक रिसर्च के मुताबिक मौसमी, नारंगी और संतरे जैसे खट्टे फलों में कई खास केमिकल और फ्लेवनॉयड होते हैं, जो दिल को जवां बनाए रखने में मददगार होते हैं।शरीर में कमजोरी आ जाये या काम की वजह से थकान हो तो मौसमी का एक गिलास जूस या दो मौसमी शक्ति से भर देती है ये शरीर में नए खून का निर्माण कर सीधे दिल और दिमाग में ताज़गी देती है ।
    कब्ज़ के रोगियों को दोनों समय मौसमी का रस पीने से लाभ मिलता है ।

    स्कर्वी से बचाती है, इम्यून सिस्टम सही रखती है, एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल होती है, डैंड्रफ खत्म करती है, दोमुंहे बालों की समस्या से छुटकारा, एंटी-एजिंग का काम करती है, होंठों के कालेपन को दूर करती है, त्वचा में निखार लाती है।इम्यून सिस्टम सही रखती है|रोजाना इसके सेवन से इम्यून सिस्टम सही रहता है। साथ ही दिल की बीमारियों का भी खतरा कम रहता है।
    इसी प्रकार मौसंबी को अपनी गर्दन, अंडरआर्म्स(कांखें), कोहनियों और घुटनों पर रगड़कर आप उन्हें भी साफ़ कर सकते हैं। मौसंबी के छिलकों को पीसकर उसे चेहरे पर लगाकर आप मुंहासों से छुटकारा पा सकते हैं। होंठों के कालेपन को दूर करने के लिए तथा फटे होंठों को ठीक करने के लिए दिन में तीन से चार बार मौसंबी का रस लगायें।

    पुरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट) बढ़ने से मूत्र - बाधा का अचूक इलाज 

    *किडनी फेल(गुर्दे खराब ) रोग की जानकारी और उपचार*

    गठिया ,घुटनों का दर्द,कमर दर्द ,सायटिका के अचूक उपचार 

    गुर्दे की पथरी कितनी भी बड़ी हो ,अचूक हर्बल औषधि

    पित्त पथरी (gallstone) की अचूक औषधि










    1.3.16

    उड़द की दाल के फायदे , Urad Dal fayde



    उड़द को एक अत्यंत पौष्टिक दाल के रूप में जाना जाता है|छिलकों वाली उड़द की दाल में विटामिन, खनिज लवण तो खूब पाए जाते हैं और कोलेस्ट्रॉल नगण्य मात्रा में होता है।उड़द की दाल में प्रोटीन, विटामिन बी थायमीन, राइबोफ्लेविन और नियासिन, विटामिन सी, आयरन, कैल्‍शियम, घुलनशील रेशा और स्टार्च पाया जाता है। उड़द वीर्य वर्द्धक, हृदय को हितकारी है। उड़द की दाल अन्य प्रकार की दालों में अधिक बल देने वाली व पोषक होती है। गरम मसाले डालकर बनाई हुई छिलके वाली उड़द दाल ज्यादा गुणकारी होती है


    उड़द एक दलहन होता है। उड़द दाल सफेद और काली होती है और यह दक्षिण एशिया में सबसे अधिक पैदा होती है। उड़द की दाल एक अत्यंत बलवर्द्धक, पौष्टिक व सभी दालों से ज्यादा पोषक होती है। कमजोर पाचन वालों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। उड़द का प्रयोग तमाम व्यंजन बनाने के काम आता है जैसे, डोसा, पापड़, वड़ा, लड्डू और दाल आदि। जिन लोगों की पाचन शक्ति प्रबल होती है, वे यदि इसका सेवन करें, तो उनके शरीर में रक्त, मांस, मज्जा की वृद्धि होती है।
    उड़द की दाल में प्रोटीन, विटामिन बी थायमीन, राइबोफ्लेविन और नियासिन, विटामिन सी, आयरन, कैल्‍शियम, घुलनशील रेशा और स्‍टार्च पाया जाता है। उड़द वीर्य वर्द्धक, हृदय को हितकारी है। यह वात, अर्श का नाश करती है। यह स्निग्ध, विपाक में मधुर, बलवर्द्धक और रुचिकारी होती है। उड़द की दाल अन्य प्रकार की दालों में अधिक बल देने वाली व पोषक होती है। धुली हुई दाल प्रायः पेट में आफरा कर देती है। छिलकों वाली दाल में यह दुर्गुण नहीं होता। गरम मसालों सहित छिलके वाली दाल ज्यादा गुणकारी होती है। 

    उड़द दाल के लाभकारी गुण

    *प्रोटीन- वैसे तो हर दाल में भारी प्रोटीन होता है। वे लोग जो पैसे की कमी की वजह से मीट मछली नहीं खा पाते उनके लिये यह एक सस्‍ता आहार माना जाता है। शरीर के पूरे विकास और मासपेशियों की मजबूती के लिये प्रोटीन बहुत जरुरी है। प्रोटीन त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं।

    *पौरुष शक्ति बढाए- 

    अगर काली उड़द को पानी में 6 से 7 घंटे के लिये भिगो कर उसे घी में फ्राई कर के शहद के साथ नियमित सेवन किया जाए तो पुरुष की यौन शक्ति बढती है तथा सभी विकार दूर होते हैं।
    *दुबले लोग यदि छिलके वाली उड़द दाल का सेवन करे तो यह वजन बढाने में मदद करती है। अपनी दोनो समय के भोजन में उड़द दाल का सेवन करने वाले लोग अक्सर वजन में तेजी से इजाफा होता हैं|

    *हृदय का स्वस्थ्य - कोलेस्ट्रॉल घटाने के अलावा काली उड़द स्वास्थ्य वर्धक होती है। यह मैगनीशियम और फोलेट लेवल को बढा कर धमनियों को ब्‍लॉक होने से बचाती है। मैगनीशियम, दिल का स्वस्थ्य ठीक रखती है क्योंकि यह रक्त प्रवाह को बढावा देती है।

    विशिष्ट परामर्श-

    नपुंसकता एक ऐसी समस्या है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. किसी भी पुरुष के एक पिता बनने में असमर्थ होने को पुरुष बांझपन या नपुंसकता कहा जाता है।यह तब होता है जब कोई पुरुष संभोग के लिए पर्याप्त इरेक्शन प्राप्त नहीं कर पाता या उसे मजबूत नहीं रख पाता. दामोदर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र 
    9826795656 द्वारा विकसित "नपुंसकता नाशक हर्बल औषधि" से सैंकड़ों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं। स्तंभन दोष दूर करने मे यह औषधि रामबाण सिद्ध होती है।

    21.2.16

    बेर खाने के लाभ Benefits of eating berry









    बेर बहुत ही उपयोगी और पोषक तत्वों से भरपूर फल है। इन दिनों बेर का मौसम भी है। बेर को अधिकतर लोग बचपन में तो बहुत पसंद करते हैं, लेकिन बड़े होने पर खट्टेपन के कारण इसे नहीं खाते हैं। साथ ही, एक बड़ा कारण यह भी है कि लोग इसके गुणों से अनजान हैं।
    बेर दो तरह के होते है एक बड़े आकर वाले और दूसरे छोटे वाले होते है पका बेर स्वाद के साथ शरीर को कई रोग से बचाता है ।
    *गुर्दो में दर्द हो जाये तो बेरी के पत्तो को पीस कर उसका लेप पेट के गुर्दे वाली जगह पर करने से दर्द शांत होता है ।

    *विटामिन सी से भरपूर होता है-
    संतरे और नींबू की ही तरह बेर में भी प्रचूर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है। इसमें अन्य फलों के मुकाबले विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा ज्यादा होती है। इसके सेवन से त्वचा लंबी उम्र तक जवां बनी रहती है।

    *पेट दर्द की समस्या खत्म कर देता है-
    बेर को छाछ के साथ लेने से पेट दर्द की समस्या खत्म हो जाती है।
    *बालों के झड़ने या रूखेपन से बचाने के लिए बेरी के पत्तो को हाथ से मसल कर पानी में उबाल ले और उस पानी को छान कर उससे सिर धोये तो इन समस्याओ से निजात मिलती है और रुसी की परेशानी भी हल हो जाती है


    *मुंह के छालों की समस्या हो जाये तो बेरी की छाल को अच्छी तरह सुखा कर चूर्ण बनाये और उस चूर्ण को छालों पर लगाये तो आराम मिलेगा ।

    *टी बी जैसे खतरनाक रोग का बहुत ही सरल उपाय बेर है । मरीज़ दिन में ३-४ बार एक पाव बेर प्रतिदिन सेवन करने से टी बी से बचाव और रोग मुक्ति संभव है ।
    *दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है-
    बेर खाने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है। इस कारण दिल से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना कम हो जाती है।

    *बालों के लिए फायदेमंद-

    बेर की पत्तियों में 61 आवश्यक प्रोटीन पाए जाने के साथ विटामिन सी, केरिटलॉइड और बी कॉम्प्लेक्स भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह बालों को घना और हेल्दी बनाता है।
    *रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है-
    बेर में मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कॉपर, कैल्शियम और आयरन और खनिज पदार्थ भी मौजूद होते हैं। इन तत्वों से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। जिससे शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।
    *नाक में फुंसी हो जाये तो बहुत परेशान करती है अतः एक बेर को छील कर बार बार सूंघे तो ये ठीक हो जाती है

    खांसी और बुखार में है फायदेमंद-

    बेर का जूस खांसी, फेफड़े संबंधी विकारों और बुखार के इलाज में भी सहायक है। वैज्ञानिकों ने इसमें आठ तरह के फ्लेवेनॉयड ढूंढे हैं। उनके मुताबिक, यह दर्दनाशक होता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण भी हैं।

    *अनिद्रा की समस्या दूर हो जाती है-बेर में 18 प्रकार के महत्वपूर्ण एमीनो एसिड मौजूद हैं, जो शरीर में प्रोटीन को संतुलित करते हैं। चीनी दवाओं में इसके बीज से एंग्जाइटी और अनिद्रा (इंसोम्निया) का इलाज होता है।
    अंतड़ियों में घाव हो या पाचन शक्ति कमजोर हो तो मरीज़ को सुबह जल्दी उठकर खाली पेट एक पाव बेर खाने चाहिए, दिन में भोजन के बाद बेर खाने चाहिए और साँझ के समय खाने के बाद बेर न खा सके तो उसका रस पी ले तो अंतड़ियों की सभी परेशानी दूर हो जाती है ।
    मेडिकल अध्ययन के अनुसार बेर से लो-ब्लड प्रेशर, एनीमिया, लीवर आदि की समस्याओं से राहत मिलती है। यह शरीर में ट्यूमर सेल्स पनपने नहीं देता। यह त्वचा की देखभाल के लिए भी उत्तम स्रोत है।
    इनके खाने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है ।

  • पायरिया के घरेलू इलाज
  • चेहरे के तिल और मस्से इलाज
  • लाल मिर्च के औषधीय गुण
  • लाल प्याज से थायराईड का इलाज
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  • 7.2.16

    खस खस (पोस्तदाना) के स्वास्थ्य लाभ // Benefits of Poppy Seeds




     

    खसखस सूक्ष्म  आकार का बीज होता है। इसे लोग पॉपी सीड के नाम से भी जानते हैं। खसखस प्यास को बुझाता है और ज्वर, सूजन और पेट की जलन से राहत दिलाता है और यह एक दर्द-निवारक भी है। लंबे समय से ही प्राचीन सभ्यता मे इसका उपयोग औषधीय लाभों के लिए किया जाता रहा है| 
    अनिद्रा- खसखस नींद से जुड़ी दिक्कतों  में मदद करता है क्‍योंकि इसके सेवन से आपके अंदर  सोने के लिए मजबूत इच्छा पैदा होती हैं। अगर आप भी अनिद्रा की समस्या  से परेशान हैं, तो सोने से पहले खसखस के पेस्ट  को गर्म दूध के साथ सेवन करना समस्या  में बहुत प्रभावी साबित हो सकता है।

    श्वसन संबंधी विकार-खसखस के बीज में शांतिदायक गुण होने के कारण यह सांस की बीमारियों के इलाज में बहुत कारगर होता है। यह खांसी को कम करने में मदद करता है और अस्थमा जैसी समस्याओं के खिलाफ लंबे समय तक राहत प्रदान करता है। 



    कब्ज,पोषण-खसखस के बीज ओमेगा-6 फैटी एसिड, प्रोटीन, फाइबर का अच्छा स्रोत हैं। इसके अलावा इसमें विभिन्न फाइटोकेमिकल्स, विटामिन बी, थायमिन, कैल्शियम और मैंगनीज भी होता हैं। इसलिए खसखस को एक उच्च पोषण वाला आहार माना जाता है।



    -
    खसखस फाइबर को बहुत अच्छा स्रोत हैं। इसमें इसके वजन से लगभग 20-30 प्रतिशत आहार फाइबर शामिल होता हैं। फाइबर स्वस्थ मल त्याग में और कब्ज की दिक्कत दूर करने में बहुत लाभकारी होती है। लगभग 200 ग्राम खसखस आपके दैनिक फाइबर की जरूरत को पूरा कर सकता हैं|

    शांतिकर 

    औषधि-सूखी खसखस को प्राकृतिक शांति प्रदान करने वाली औषधि माना जाता है कारण ,इसमें थोड़ी सी मात्रा में ओपियम एल्कलॉइड्स नामक रसायन होता है। यह रसायन तंत्रिका की अतिसंवेदनशीलता, खांसी और अनिद्रा को कम करते हुए आपकी तंत्रिका तंत्र पर एक न्यूनतम प्रभाव उत्पन्न करता है।
    एंटीऑक्सीडेंट-माना जाता है कि खसखस में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होने के कारण इसमें अद्भुत एंटीऑक्सीडेंट गुण होते है। ये एंटीऑक्‍सीडेंट फ्री रेडिकल के हमलों से अंगों और ऊतकों की रक्षा करते है। इसलिए इन सब खतरों से बचने के लिए हमें अपने आहार में खसखस को शामिल करना चाहिए।


    दर्द-निवारक-

    खसखस में मौजूद ओपियम एल्कलॉइड्स नामक रसायन होता है, जो दर्द-निवारक के रूप में बहुत कारगर होता है। खसखस को दांत में दर्द, मांसपेशियों और नसों के दर्द को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।खसखस एक लोकप्रिय दर्द-निवारक भी है।

    त्वचा की देखभाल-

    आयुर्वेद में तो हमेशा से ही खसखस को त्‍वचा के लिए अच्‍छा माना जाता है। यह एक मॉइस्‍चराइजर की तरह काम करता है और त्वचा की जलन और खुजली को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद लिनोलिक नामक एसिड एक्जिमा के उपचार में भी मददगार होता है।