जो व्यक्ति अपने पके हुए फोड़े को कच्चा समझकर उसके मवाद को निकलने का मुंह नही खोलता है अथवा बहुत मवाद वाले पके हुए व्रण को कच्चा सामझ कर,उसे शोधन पदार्थो से शुद्ध नही करता तथा अहितकारी आहार विहार सेवन करता है उसकी यह बढ़ी हुई मवाद -चमडा,मांस,शिरा स्नायु,सन्धि,हड्डी,कोठे और मर्म स्थानों के छेद में होकर चमड़े और मांस में घुस जाती है।चूँकि यह भीतर ही भीतर बहुत दूर तक घुस जाती है,अतः यह मवाद सदैव बहा करती है।इसलिए इसे ‘नाडी व्रण’ या “नासूर” कहते हैं ।
इस व्रण का मवाद निकले के लिए एक राह रास्ता बना लेता है और उसी राह से होकर बहा करता है ।
आइये अब आपको बताते है नासूर की घरेलु नुस्खो द्वारा चिकित्सा कैसे करे’
* अमलताश,हल्दी,निशोथ को गो मूत्र के साथ पीसकर शहद में मिलाकर बत्ती बनाकर इसको नासूर में रखने से वह शुद्ध होकर ठीक हो जाता है।
* पुराना कम्बल जलाकर राख बना लें और तुतिया पीसकर छानलें,फिर दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर नासूर पर छिड़के ।इस प्रयोग से नासूर जल्द ही ठीक हो जाता है ।
* गुलर के दूध में फाहा (रुई) भिगोकर तर करके नासूर पर लगातार कुच्छ दिनों तक रखने से नासूर ठीक हो जाता है ।इस प्रयोग से भगंदर में भी लाभ होता है ।
* समंदर शोख की राख नासूर में भरने से नासूर में अतिशीघ्र लाभ होता है ।
* मकड़ी का जाला साफ करके और शराब में भिगोकर नासूर पर लगाने से भी लाभ होता है |
*छोटी कटेरी के फल को कूट पीसकर रस निकाल लीजिए अब इसमें फाहा भरकर भिगोकर नासूर में लगाने से बहुत ज्यादा फायदा होता है ।
*थूहर का दूध,आक का दूध,और दारू हल्दी – इन तीनो की बत्ती बना कर घाव में रखने समस्त प्रकार नासूर ठीक हो जाते हैं ।
*शहद और सेंधे नमक कि बत्ती बनाकर वर्ण में रखने से नासूर ठीक हो जाता है।
जानकारी- शहद और सेंधा नमक बराबर मात्रा मे मिलाकर सूत पर लपेटने से बत्ती बनती है
घाव भरने के लिए एन्टीबायोटिक्स अंग्रेजी दवाइयां लेने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि अधिकांश अंग्रेजी दवाइयों के हानिकारक साइड इफेक्ट्स होते हैं। किसी भी प्रकार का घाव हुआ हो, टांके लगवाये हों या शल्यक्रिया (ऑपरेशन) का घाव हो, अंदरूनी घाव हो या बाहरी हो,घाव पका हो या न पका हो लेकिन आपको प्रतिजैविक लेकर जठरा, आंतों, यकृत एवं गुर्दों को साइड इफेक्ट द्वारा बिगाडऩे की कोई जरूरत नहीं है बल्कि नीचे दिये जा रहे आसान घरेलू उपायों को अपनाकर किभी भी तरह के गहरे से गहरे घाव को जड़ से मिटाया जा सकता है-
*घाव को साफ करने के लिए ताजे गोमूत्र का उपयोग करें। बाद में घाव पर हल्दी का लेप करें।
* एक से दो दिन तक उपवास रखें। ध्यान रखें कि उपवास के दौरान केवल उबालकर ठंडा किया हुआ या गुनगुना गर्म पानी ही पीना है, अन्य कोई भी वस्तु खानी-पीनी नहीं है। दूध भी नहीं लेना है।
* उपवास के बाद जितने दिन उपवास किया हो उतने दिन केवल मूंग को उबाल कर जो पानी बचता है वही पानी पीना है। मूंग का पानी धीरे-धीरे गाढ़ा करके लिया जा सकता है।
* मूंग के पानी के बाद धीरे-धीरे मूंग, खिचड़ी, दाल-चावल, रोटी-सब्जी इस प्रकार सामान्य खुराक पर आना चाहिये।
*कब्ज की शिकायत हो तो रोज 1 चम्मच हरड़ का चूर्ण सुबह अथवा रात को पानी के साथ लें।
*जिनके शरीर की प्रकृति ऐसी हो कि घाव होने पर तुरंत पक जाता हो, उन्हें त्रिफल गूगल नामक 3-3 गोलीदिन में 3 बार पानी के साथ लेनी चाहिए।
*सुबह 50 ग्राम गोमूत्र तथा दिन में 2 बार 3-3 ग्राम हल्दी के चूर्ण का सेवन करने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
*पुराने घाव में चन्द्रप्रभा वटी की 2-2 गोलियां दिन में 2 बार लें।
*जात्यादि तेल अथवा मलहम घाव पर लगाएं इससे घाव शीघ्र ही भरने लगेगा।
पुरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट) बढ़ने से मूत्र - बाधा का अचूक इलाज