26.11.23

पिंड खजूर सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं







खजूर का सेवन तो हम सभी करते हैं। कुछ लोग सूखे खजूर यानी छुहारा खाना पसंद करते हैं, वहीं कुछ लोग ताजे खजूर खाना पसंद करते हैं। आप खजूर का सेवन किसी भी रूप में करें, ये सेहत के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी पिंड खजूर का सेवन किया है? हम में से ज्यादातर लोग पिंड खजूर का सेवन करते हैं। यह थोड़े गीले और रस से भरपूर होते हैं, जिससे यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं। लेकिन ये सिर्फ स्वादिष्ट ही नहीं, सेहत के लिए बहुत फायदेमंद भी होते हैं।
पिंड खजूर में सेहत के लिए जरूरी कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। यह विटामिन बी, डाइट्री फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, आयरन, कॉपर और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। जिससे यह न सिर्फ शरीर को जरूरी पोषण प्रदान करने में सहायक है, बल्कि अद्भुत फायदे भी प्रदान करता है

वजन प्रबंधन में करे मदद:

 डाइट्री फाइबर से भरपूर पिंड खजूर बेहतरीन स्नैक हैं। यह क्रेविंग को कंट्रोल करते हैं और पाचन को बढ़ावा देते हैं। मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में मददगार हैं, साथ ही भूख को भी नियंत्रित रखते हैं। जिससे यह शरीर में स्वस्थ वजन को बनाए रखने में मदद करते हैं।

त्वचा और बालों को रखे हेल्दी: 

खून की कमी दूर करने और प्रोटीन से भरपूर होने के कारण यह आपकी त्वचा और बालों के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यह त्वचा में नेचुरल ग्लो लाता है और बालों की कई समस्याओं को दूर करता है।

अच्छी आती है नींद: 

यह चिंता, तनाव और थकान को दूर करने में लाभकारी है और शरीर को ऊर्जावान बनाता है। यह आपको रात में बेहतर नींद लेने में मदद करता है और अनिद्रा से छुटकारा दिलाता है।

आर्थराइटिस के रोगियों को खाना चाहिए

खजूर में मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है। इसलिए आर्थराइटिस के रोगियों को काफी लाभ मिलता है। खजूर में पोटैशियम, बोरोन, कैल्शियम, कोबाल्ट, कॉपर, फ्लोरीन, मैंगनीज, फॉस्फोरस, सोडियम और जिंक जैसे 15 मिनरल्स होते हैं।

जो सेब, केले, संतरे में नहीं, वो केवल खजूर में

खजूर में पाए जाने वाले प्रोटीन में 23 तरह के एमिनो एसिड पाए जाते हैं। इनमें से कुछ एमिनो एसिड संतरे, सेब और केले में भी नहीं मिलता। खजूर में विटामिन C, B1 थाईमीन, B2 राइबोफ्लेविन, नायसीन और विटामिन A की प्रचुर मात्रा रहती है।

पेट को रखे स्वस्थ

 फाइबर से भरपूर होने के कारण यह पाचन को बेहतर बनाता है। साथ ही पेट में गैस, कब्ज, अपच, ब्लोटिंग और कई अन्य समस्याओं को दूर करता है। यह आंत में अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाता है और आंत में छालों से बचाता है। सुबह खाली पेट पिंड खजूर का सेवन पेट के लिए बहुत लाभकारी है।

हीमोग्लोबिन बढ़ाता है: 

शरीर में खून की कमी (एनीमिया) को दूर करने में लाभकारी है। आयरन से भरपूर होने की वजह यह रक्त में ऑक्सीजन और लाल रक्त कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देता है।

जिन्हें खून की कमी है वो 3 महीने तक खाएं खजूर

खजूर में आयरन की मात्रा काफी अधिक होती है। जिनमें हीमोग्लोबीन की कमी हो या जिनकी इम्यूनिटी कमजोर हो, उन्हें हर दिन एक खजूर खाना चाहिए। अगर 2 से 3 महीने तक खजूर खाते हैं तो न केवल वजन बढ़ेगा बल्कि शरीर में खून भी बनेगा।

ब्लड प्रेशर रखे कंट्रोल:

 कैल्शियम, पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर पिंड खजूर हाई ब्लड प्रेशर को कम करने और बीपी को सामान्य रखने में भी मददगार हैं।
पिंड खजूर का सेवन सेहत के लिए बहुत लाभकारी है। लेकिन डायबिटीज के रोगियों को इसका सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसमें शुगर की मात्रा अधिक होती है। साथ ही इसका अधिक सेवन न करें, दिन 4-5 खजूर से ज्यादा न खाएं।

1 दिन में कितने खजूर खा सकते हैं?

शरीर को जरूरी न्यूट्रिएंट्स देने के लिए हर दिन दो खजूर खाना काफी है। अगर पाचन क्रिया ठीक है तो चार खजूर भी खाए जा सकते हैं। जबकि बच्चों को दिनभर में एक खजूर से अधिक नहीं देना चाहिए। खजूर से बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ती है।

खाली पेट खजूर खाना ज्यादा फायदेमंद

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. दीक्षा भावसार बताती हैं कि खजूर को सही समय पर लिया जाए तो शरीर को अधिक लाभ होता है। आयुर्वेद के अनुसार, खजूर सुबह खाली पेट लेना चाहिए। चूंकि खजूर की तासीर ठंडी होती है इसलिए शरीर में वात और पित्त का बैलेंस बना रहता है।
वैसे एक-दो खजूर को दोपहर में स्नैक्स की तरह ले सकते हैं या जब मीठा खाने का मन करे तब खा सकते हैं। खजूर को भोजन करने के तुरंत बाद नहीं लेना चाहिए। यदि वजन बढ़ाना चाहते हैं तो रात में सोने से पहले घी के साथ खजूर खा सकते हैं।

खजूर को 8-10 घंटे पानी में भिगो कर रखें

खजूर को खाने से पहले उसे 8-10 घंटे पानी में भिगो कर रखें। पानी में रखने से खजूर में मौजूद टैनिंस या फाइटिक एसिड निकल जाते हैं। इससे न्यूट्रिएंट्स ठीक से एब्सॉर्ब हो पाते हैं। पानी में भिगो कर रखने से इसे पचाने में भी आसानी होती है।

अन्य गुण -

दांतों को मजबूती: खजूर में फ्लोरीन होता है जो दांतों को कमजोर होने से बचाता है।

कब्ज करे दूर: खजूर में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इससे कब्ज की शिकायत दूर होती है।

हार्ट को रखे दुरुस्त: खजूर में मौजूद न्यूट्रिएंंट्स हमारे हार्ट को स्वस्थ रखते हैं।

कोलेस्ट्रॉल करे कम: हर दिन एक खजूर खाने से भी बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है।

हडि्डयों को मजबूती: खजूर को कैल्शियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कॉपर और मैग्नीशियम का पावर हाउस कहा जाता है। इससे हडि्डयों को ताकत मिलती है।

ब्रेन को खुराक: मेंटल हेल्थ को ठीक करता है, अल्जाइमर जैसी बीमारियों को कंट्रोल करने में भी मददगार होता है

स्टैमिना: शरीर की कमजोरी दूर होती है, स्टैमिना बढ़ता है।

पाइल्स में राहत: फाइबर रिच होने के कारण पाइल्स में भी खजूर खाना चाहिए।

हेल्दी प्रेग्नेंसी: आयरन की अधिक मात्रा होने की वजह से प्रेग्नेंट महिलाओं की डाइट में खजूर होना चाहिए।








24.11.23

सर्दियों के मौसम के रोग और उनके घरेलु उपचार








सर्दियों के मौसम में कई समस्याएं दस्तक देनी शुरू हो जाती हैं। शरीर का तापमान अधिक और बाहर का तापमान कम होने के कारण व्यक्ति कई समस्याओं से परेशान हो जाता है। ऐसे में इन समस्याओं से बचाव की जरूरत होती है। सर्दियों में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी काफी ज्यादा परेशान रहते हैं। शुष्क हवाओं के कारण इस मौसम में स्किन फटना बहुत ही आम समस्या है। इसके अलावा सर्दी, जुकामस फ्लू इत्यादि कई अन्य समस्याएं सर्दियों में होती हैं।

खांसी-जुकाम

सर्दियों में खांसी जुकाम होना बहुत ही आम है। लेकिन अगर समय पर इसका इलाज ना हुआ तो आपको अन्य समस्याएं हो सकती हैं। जैसे- नाक बहना, कफ, गले में दर्द, कफ की समस्या इत्यादि। इन समस्याओं से बचाव के लिए आप अपने घर में कुछ घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं.

सर्दियों में खांसी-जुकाम होना उपचार -

  खांसी और जुकाम की समस्या से राहत पाने के लिए काली मिर्च, लौंग इलायची, बरहड़, कच्ची हल्दी, अदरक इत्यादि गर्म चीजें लेने से आपको राहत मिलती हैं।

औषधीय गुणों से भरपूर चाय

सर्दी जुकाम के कारण होने वाले गले के दर्द और खांसी में औषधीय गुणों वाली चाय बहुत फायदेमंद होती है। अदरक, तुलसी, काली मिर्च, सोंठ, हल्दी, गुड़, जैसी गुणकारी चीजों को मिलाकर बनी चाय गले की तकलीफ में आराम दिलाती है।

यूरिक एसिड बढ़ना-

यूरिक एसिड की समस्या से ग्रसित लोगों को भी सर्दियों में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। सर्दियां जैसे ही शुरू होती है, उन्हें अंगूठों में दर्द की शिकायत शुरू हो जाती है। इसके अलावा अगर यूरिक एसिड शरीर में ज्यादा बढ़ जाए, तो घुटनों और जोड़ों में भी दर्द शुरू हो जाता है। इन समस्याओं से बचाव के लिए आप आयुर्वेदिक उपचार का सहारा ले सकते हैं।

यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के घरेलू उपचार - 

   यूरिक एसिड को हम कंट्रोल करने के कई घरेलू उपचार हैं। यदि आप यूरिक एसिड की समस्या से ग्रसित हैं, तो 1 चम्मच काला जीरा लें। इसे अच्छी तरह भूनें। अब इसे पीसकर 1 गिलास गर्म पानी से इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि जीरा का सेवन करने से एक घंटा पहले और बाद में कुछ भी ना खाएं।

हाइपोथर्मिया

हाइपोथर्मिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर का तापमान 35 डिग्री के नीचे चला जाता है। इस वजह से शरीर बहुत ही ज्यादा ठंडा होता है। ऐसे मरीजों को घर से बाहर निकलने या फिर पानी छूने में काफी ज्यादा ठंड लगती है। इस वजह से शरीर में थकान, बार-बार पेशाब आना औह थरथराहट जैसा महसूस होता है। इस समस्या का इलाज जल्द ना कराया गया, तो व्यक्ति की मौत हो सकती है। हाइपोथर्मिया से बचने के लिए मरीज को गर्म चीजें खानी चाहिए

हाइपोथर्मिया का घरेलू उपचार -

हाइपोथर्मिया से ग्रसित व्यक्ति को गर्म स्थान पर रखें। उन्हें कंबल या मोटी चीजों से ढककर रखें। ऐसे व्यक्ति के पास आग जलाएं, ताकि उसे गर्मी पहुंचे। स्किन टू स्किन हीट दें। हाइपोथर्मिया के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना ही इसका बचाव है।

अर्थराइटिस

आयुर्वेदाचार्य राहुल चतुर्वेदी का कहना है कि सर्दियों में हमारा शरीर हीट को काफी ज्यादा कंवर्ज करता है। इससे हृदय और फेफड़ों में ज्यादा रक्त संचार होने लगता है। ऐसे में बांह, घुटने और कंधे की कोशिकाएं काफी ज्यादा सिकुड़ जाती है। जिसके कारण जोड़ों में दर्द और अर्थराइटिस की समस्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

अर्थराइटिस की समस्या को दूर करने के घरेलू उपाय - 

सर्दियों में अर्थराइटिस की समस्याओं से बचने के लिए स्वस्थ दिनचर्या को फॉलो करें। सुबह खाली पेट गर्म पानी पिएं। इसमें 1 चम्मच सेब का सिरका डालने से यह आपके लिए और भी ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।

अस्थमा की समस्या

सर्दियों में सर्द हवाओं की वजह से अस्थमा के लक्षण काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। इस दौरान गले में घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं होने लगती है। ऐसे में अस्थमा के रोगियों ठंड के मौसम में अपना खास ख्याल रखना चाहिए। ठंडियों में हवाओं में एलर्जेंस काफी ज्यादा मौजूद होते हैं, जो अस्थमा के रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इस कारण झींक, खांसी और छाती में जकड़न जैसी परेशानी हो जाती है।

गले में खराश

सर्दियों में लोगों को गले में खराश की शिकायत काफी ज्यादा होती है। गले में खराश की वजह से बोलने और खाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। लेकिन इसकी अच्छी बात यह है कि आप घरेलू नुस्खों से गले में खराश की समस्या से निजात पा सकते हैं।
गले में खराश की समस्या से निजात पाने के लिए आप कई तरह के घरेलू नुस्खे आजमा सकते हैं। अदरक और शहद का जूस सबसे असरदार माना जाता है। 1 चम्मच अदरक से जूस में 1 चम्मच शहद मिलाकर पिएं। दिन में 2-3 बार ऐसा करने से आपके गले की खराश दूर हो जाएगी।

अस्थमा का घरेलू उपचार - 

   अस्थमा के रोगियों को सर्दियों में खास ख्याल रखना होता है। बाहर निकलने से पहले हमेशा अपने हाथ, पैर और मुंह को ढककर रखें। पैरों में हमेशा मौजे पहने रहें। चिकित्सक की सलाह पर गर्म चीजों का सेवन करें। रात में सोने से पहले 1 गिलास दूध में 5-6 लहसुन की कलियां डालकर उबालें और इसे पी जाएं। यह दूध अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

ब्रेन स्ट्रोक

सर्दियों में हाई ब्लड प्रेशर बढ़ने से ब्रेन स्ट्रोक का खतरा काफी ज्यादा रहता है। खासतौर पर 50 से 60 वर्ष की उम्र के लोगों को इन दिनों काफी ज्यादा परेशानी होती है। अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी समस्याएं हैं, तो सर्दियों में अपना खास ख्याल रखें। आयुर्वेद के कुछ उपचार अपना कर आप ब्रेन स्ट्रोक के खतरे से बच सकते हैं।

ब्रेन स्ट्रोक के खतरे से बचने के लिए घरेलू उपाय- 

ब्रेन स्ट्रोक के खतरे से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपना जरूरी है। खतरे से बचाव के लिए वजन को कम रखें। नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की जांच कराएं। खाने में हरी सब्जियों को शामिल करें। सर्दियों में एक्सरसाइज को स्किप ना करें।

ड्राई स्किन

   सर्दियों में शुष्क हवाओं की वजह से स्किन काफी ड्राई हो जाती है। ड्राई स्किन सेहत पर काफी बुरा असर डाल सकती है। ऐसे में आपको स्किन ड्राई होने से पहले कुछ घरेलू उपाय अपनाने चाहिएं।

ड्राई स्किन से बचाव के घरेलू उपाय - 

 रात को सोने से पहले अपने चेहरे और हाथ-पैरों को सरसो तेल से मालिश करें। इससे आपको अच्छी नींद भी आएगी। साथ ही ड्राई स्किन से भी छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा अगर आपकी होंठ फटती है, जो नाभि में 1 बूंद तेल डालकर सोएं। यह आपके लिए फायदेमंद है।

हाई-ब्लड प्रेशर

सर्दियों में हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ने की काफी संभावना होती है। इसका प्रमुख कारण कम शारीरिक एक्टिविटी और अधिक खानपान है। हाई ब्लड प्रेशर बढ़ने से शरीर में कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए सर्दियों में हाई ब्लड प्रेशर बढ़ने से बचने के लिए नियमित रूप से योगा और एक्सरसाइज करें।

घरेलू उपाय-

 हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को खाने में नमक की मात्रा कम रखनी चाहिए। सर्दियों में अपने शरीर को एक्टिव रखें। सुबह खाली पेट मेथी और अजवाइन का पानी आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

जावित्री और जायफल


रसोई के मसालों में मौजूद जायफल और जावित्री औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इनमें एंटी.इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। छाती में जमा कफ और जुकाम से निपटने के लिए जायफल और जायपत्री को बराबर मात्रा में पीसकर पीसकर शहद के साथ बच्चों को चटाने से आराम मिलता है।


अदरक, हल्दी और पुराना गुड़

गले में जमा कफ और बंद नाक बच्चों की परेशानी का कारण बनने लगता है। इससे निजात पाने के लिए 1 इंच अदरक को 1 चुटकी हल्दी और पुराने गुड़ के साथ दूध में उबालें। कुछ देर बॉइल करने के बाद ठण्डा करके बच्चे को पिला दें। इससे बच्चे को जल्द राहत मिलने लगती है।

अजवाइन और लहसुन का तेल

अजवाइन और लहसुन की तासीर गर्म होने से उन्हें सरसों के तेल में कुछ देर पकाकर चेस्ट और पैरों पर लगाने से बेहद फायदा मिलता है। अगर आप ओवर द कांउटर मेडिसिन से परेशान हैं, तो कुछ आसान नुस्खे इस समस्या को हल कर सकते हैं। आधा कप सरसों के तेल को अच्छी तरह से पकाकर उसमें पिसा हुआ लहसुन और 1 चम्मच अजवाइन का मिलाएं और पकने दें। इससे ठण्ड, खांसी और जुकाम की समस्या अपने आप हल हो जाती है। रात को सोते वक्त इसे लगाकर कुछ देर के लिए पंखा बंद कर दें।

अदरक का रस और शहद

 गले में होने वाली खराब को कम करने के लिए एंटी इंफलामेटरी गुणों से भरपूर अदरक का प्रयोग फायदेमंद साबित होता है। इसके लिए 1 इंच को कसकर उसका रस निकाले लें। आधा चम्मच अदरक के रस में 2 से 3 बूंद शहद की टपकाएं और बच्चे को खाने के लिए दें। ध्यान रखें कि इसका सेवन धीरे धीरे करें। अन्यथा शहद गले में चिपकने का भय रहता है।

मुलेठी का पानी

गले में बढ़ने वाली खराश और कफ की समस्या को दूर करने के लिए मुलेठी का सेवन अवश्य करें। इसमें मौजूद औषधीय गुण प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखते हैं। जो विटामिन, आयरन और फासफोरस से भरपूर है। इसे चबाकर भी खा सकते हैं। इसके अलावा आधा चम्मच मुलेठी के पाउडर को पानी में उबालकर पीने से भी राहत मिल जाती है। बच्चों को 1 चौथाई कप मुलेठी का हल्का गुनगुना पानी पीने के लिए दें। इससे खांसी और चंस्ट कंजेशन की समस्या से बचा जा सकता है।

23.11.23

शरीर सिर्फ हड्डियों का ढांचा है तो सर्दियों में कैसे वजन बढाएं?



 आज के समय में लोग मोटापे से परेशान हैं वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो दुबलेपन के कारण परेशान है. पेट भर कर खाना खाने के अलावा कई तरह के तरीके आजमाने के बाद भी उनका वजन बढ़ने का नाम नहीं लेता है.
सर्दियों को खाने-पीने के लिए एक अच्छा मौसम माना जाता है। इस मौसम में भूख ज्यादा लगती है, व्यक्ति सामान्य से अधिक खाना खा लेता है। इसलिए अकसर ऐसा समझा जाता है कि जो लोग दुबले-पतले और कमजोर हैं, उनके लिए सर्दियों का मौसम बेस्ट होता है। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपको फास्ट फूड, जंक फूड जैसे खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करना होता है। सर्दियों में भी आपको सिर्फ हेल्दी फूड्स खाकर ही वजन बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।
अगर आप सर्दियों में वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको मौसम का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। सर्दियों में वजन बढ़ाने वाले लोगों को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिनकी तासीर गर्म हो। क्योंकि इससे सर्दियों में आपको गर्माहट मिलेगी, साथ ही आप ऊर्जावान भी महसूस करेंगे। अकसर लोग सर्दियों में गुड़, सूप, ड्राई फ्रूट्स, दूध, रागी-बाजरा आटा आदि को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। वैसे तो इन चीजों का सेवन किसी भी समय पर किया जा सकता है। लेकिन अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो विंटर फूड्स को सही समय पर खाना भी बहुत जरूरी होता है। तो चलिए, जानते हैं


वजन बढ़ाने के लिए विंटर डाइट प्लान-

खाली पेट

अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो सुबह खाली पेट गुड़ का पानी पी सकते हैं। इसके लिए आप रात को एक गिलास पानी में गुड़ का टुकड़ा भिगोकर रख दें। सुबह उठते ही इस पानी को पी लें। इससे आपको आयरन, कैल्शियम मिलेगा। साथ ही दुबलेपन से भी छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा वजन बढ़ाने के लिए आप सुबह खाली पेट भीगे हुए ड्राई फ्रूट्स, बनाना शेक, मिल्क शेक, आल्मंड शेक आदि का सेवन भी कर सकते हैं।

वजन बढ़ाने के लिए ब्रेकफास्ट

ब्रेकफास्ट करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी होता है। अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको भूलकर भी ब्रेकफास्ट को स्किप नहीं करना चाहिए। वजन बढ़ाने के लिए आप ब्रेकफास्ट में अंडा, चने, स्प्राउट्स, मिल्क ओट्स, मिल्क दलिया, आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा वजन बढ़ाने के लिए आप सर्दियों में ब्रेकफास्ट में पीनट बटर सैंडविच, पैनकेक आदि खा सकते हैं। आपको ब्रेकफास्ट 8 से 9 बजे के बीच में कर लेना चाहिए।

वजन बढ़ाने के लिए मिड मॉर्निंग फूड्स

मिड मॉर्निंग में कुछ लाइट फूड्स का सेवन किया जा सकता है। अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो मिड मॉर्निंग में एक कटोरी फलों का सेवन कर सकते हैं। इसमें मौसमी फलों को ही शामिल करें। इसके अलावा आप प्रोटीन बार भी खा सकते हैं। मिड मॉर्निंग में आप पीनट बटर, कॉफी आदि का भी सेवन कर सकते हैं। लेकिन कॉफी का अधिक मात्रा में सेवन करने से बचें।

वजन बढ़ाने के लिए लंच

अगर आप नॉनवेज खाते हैं, तो लंच में फिश या मटन शामिल कर सकते हैं। लंच में आप रोटी, चावल, दही, सब्जी, दाल और सलाद शामिल करें। लंच में आपको ब्रेकफास्ट से अधिक खाना चाहिए। लंच में बैलेंस डाइट लें। वजन बढ़ाने वाले लोगों के लिए फुल फैट वाली दूध फायदेमंद साबित हो सकती है।

वजन बढ़ाने के लिए स्नैक्स

सर्दियों में वजन बढ़ाने वाले लोगों के लिए स्नैक्स में सूप पीना सबसे अधिक फायदेमंद होता है। अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो स्नैक्स में चिकन, टमाटर, वेजिटेबल सूप पी सकते हैं। इसके अलावा स्नैक्स में आप स्प्राउट्स, पनीर आदि का भी सेवन कर सकते हैं। आप स्नैक्स में तिल-गुड़ लड्डू, अलसी के लडूड भी खा सकते हैं।

वजन बढ़ाने के लिए डिनर

डिनर लाइट होना चाहिए और सोने से 2-3 घंटे पहले कर लेना चाहिए, यह नियम सभी के लिए लागू होता है। अगर आप वजन भी बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको डिनर लाइट ही करना चाहिए। साथ ही डिनर समय पर कर लेना चाहिए। आप अपने डिनर में नॉनवेज शामिल कर सकते हैं। साथ ही इसके अलावा आप 1-2 रोटी, सब्जी और सलाद भी अपने डिनर में शामिल करें।

वजन बढ़ाने के लिए बेड टाइम ड्रिंक

अगर आप वजन बढ़ाना चाहते हैं, तो रात को सोते समय हल्दी वाला दूध पी सकते हैं। इसके अलावा वजन बढ़ाने वाले लोग रात को दूध में खजूर, अंजीर, बादाम, किशमिश, काजू, अखरोट आदि मिलाकर भी पी सकते हैं। रात को दूध में होममेड प्रोटीन पाउडर मिलाकर पीने से भी वजन बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
खाने का सही विकल्प आपके वजन बढ़ाने पर बड़ा प्रभाव डाल सकते है. जी हां आज हम बात कर रहे हैं वजन को बढ़ाने के लिए खाने वाली चीजों के बारे में. जहां आज के समय में लोग मोटापे से परेशान हैं वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो दुबलेपन के कारण परेशान है. पेट भर कर खाना खाने के अलावा कई तरह के तरीके आजमाने के बाद भी उनका वजन बढ़ने का नाम नहीं लेता है. ऐसे में हमें मेवे, बीज और नट बटर कैलोरी से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए जो प्रोटीन और हेल्दी फैट से भरपूर होते हैं और मांसपेशियों के विकास में भी बढ़ावा देते हैं और शरीर को एनर्जी भी देते हैं. इसके अलावा पीनट बटर और केलों का सेवन भी वजन बढ़ाने में मदद करता है
लीन मीट, फिश और बींस जैसी चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें ये टिश्यू को रिपेयर करने में मदद कर सकते हैं. इसके अलावा चावल, सूखे मेवे और केला भी कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत हैं जो हेल्दी तरीके से वजन को बढ़ाने में मदद करता है.

चावल

वजन बढ़ाने के लिए चावल सबसे स्वास्थ्यवर्धक और संतुष्टिदायक फूड ऑप्शन्स में से एक है. इसमें मौजूद खनिज और कार्बोहाइड्रेट वजन बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. चावल के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह आपको लंबे समय तक तृप्त रखता है और साथ ही इसमें अच्छी मात्रा में पौष्टिक कैलोरी भी होती है.

ड्राई फ्रू्ट्स

ड्राई फ्रू्ट्स पोषक तत्वों का सर्वोत्तम स्रोत हैं! काजू, मूंगफली, किशमिश और बादाम जैसे सूखे मेवें वजन बढ़ाने वाले शानदार खाद्य पदार्थ हैं. इसके साथ ही भूख लगने पर इनका सेवन आपे पेट को भरा रखने में भी मदद कर सकता है. इनका सेवन शरीर को पोषण और हेल्दी फैट प्रदान करता है.

पीनट बटर

कई लोगों को लगता है कि पीनट बटर खाने से उन्हें वजन बढ़ाने में मदद मिलती है. खैर, यह सच है, और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पीनट बटर में स्वस्थ कैलोरी होती है. क्योंकि यह एक बहुत ही पौष्टिक नाश्ता है, एथलीट, जिम लवर और बॉडीबिल्डर इसका सेवन करते हैं. हालाँकि, इसका सबसे अच्छा पहलू यह है कि यह अलग-अलग तरह के फ्लेवर्स में आता है और प्रोटीन से भरपूर होता है.

केला

वजन बढ़ाने के लिए केले सबसे अच्छे खाद्य पदार्थों में से हैं क्योंकि इनमें कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट और खनिज उच्च मात्रा में होते हैं. स्वस्थ और तेजी से वजन बढ़ाने के लिए आप प्रतिदिन लगभग 4-5 पके केले खा सकते हैं. शरीर को एनर्जी देने के अलावा इसका स्वाद भी अच्छा होता है. इसके अतिरिक्त ये पाचन में सहायता करते हैं और शरीर के चयापचय को भी बेहतर करते हैं.

अंडा

वजन बढ़ाने के लिए अंडा सबसे अच्छा ऑप्शन है. ये स्वादिष्ट, पौष्टिक, स्वास्थ्यप्रद हैं और वजन बढ़ाने के लिए भी अच्छे हैं. अंडा एक ऐसा भोजन है जिसे आप कई तरीकों से खा सकते हैं. इसमें महत्वपूर्ण विटामिन के साथ-साथ प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
कमजोर शरीर के कारण अक्सर व्यक्ति को शर्मिंदगी का सामना उठाना पड़ता है. वहीं कमजोर शरीर जल्दी बीमारियों की चपेट में आ जाता है. ऐसे में यदि आप अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं तो रात को सोने से पहले कुछ चीजों का सेवन करें. इन चीजों के सेवन से आसानी से वजन बढ़ सकता है. 

दूध

व्यक्ति रात को सोने से पहले दूध का सेवन कर सकता है. बता दें कि दूध वजन को बढ़ाने में उपयोगी है. हालांकि दूध का सेवन सोने से 1 घंटे पहले करें. दूध के सेवन के साथ यदि मखाना, अंजीर, खजूर आदि का सेवन किया जाए तो जल्दी वजन बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

किशमिश 

 किशमिश के सेवन से भी वजन को बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में आप नियमित रूप से किशमिश का सेवन करें. आप चाहें तो दूध में भिगोकर किशमिश का सेवन कर सकते हैं.

बीन्स 

बीन्स के अंदर भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं. ऐसे में यदि आप सोने से दो-तीन घंटे पहले बीन्स का सेवन करते हैं तो इससे वजन को बढ़ाने में मदद मिल सकती है.

दलिया

 वजन बढ़ाने के लिए दलिया का सेवन करना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. ऐसे में आप दलिये का सेवन रात को सोने से पहले कर सकते हैं. आपको बता दें कि दलिये का सेवा नाश्ते के वक्त करना भी सेहत के लिए अच्छा हो सकता है. यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है साथ ही वजन को बढ़ाने में भी उपयोगी है. इससे हेल्दी वेट गेन हो सकता है.

ज्यादा कैलोरी-

स्टाइलसेटलाइफ वेबसाइट पर 10 दिनों में वजन बढ़ाने के टिप्स बताए गए हैं. इसमें कहा गया है कि यदि आप 10 दिनों में वजन बढ़ाना चाहते हैं तो जितनी कैलोरी आप रोजाना पहले लेते थे, उससे 1000 कैलोरी अब ज्यादा लेनी होगी. इसके लिए डाइट में अतिरिक्त चीजों को शामिल करना होगा.

5-6 बार भोजन-

 एक्स्ट्रा डाइट के लिए रोजाना 5 से 6 बार भोजन करना जरूरी है. इसके लिए डाइट चार्ट यह है कि 3 हैवी मील और 2 ब्रेकफास्ट लें. सुबह नाश्ता हैवी लें. इसके बाद दोपहर मील और रात में डिनर हैवी लें. रात में 8 बजे तक डिनर कर लें. इसके अलावा शाम में और दोपहर के बाद हल्का ब्रेकफास्ट जरूर करें. वैसे जब भूख लगे, उसी समय खाने का नियम बना लें.

सुबह खाली पेट जूस-

सुबह में खाली पेट गाजर का जूस पीएं. इससे पहले आप स्प्रॉउट लेंगे तो यह ज्यादा अच्छा रहेगा. स्प्रॉउट में मूंग, चना और कुछ साबुत अनाज ले सकते हैं. स्प्रॉउट प्रोटीन से भरा होता है. इससे शरीर को तुरंत एनर्जी मिलेगी.

पोष्टिक भोजन करें-

भोजन का मतलब यह नहीं है कि जंक फूड या फास्ट फूड खा लें. भोजन हेल्दी होना चाहिए जिसमें पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों का होना जरूरी है. इसके लिए आप डाइट चार्ट को फॉलो करें.

खाने से पहले पानी नहीं -

पानी पर्याप्त मात्रा में पीना जरूरी है लेकिन खाने से पहले पानी या अन्य तरल पदार्थ लेंगे तो सही से भोजन नहीं कर पाएंगे. इससे पेट भरा हुआ महसूस होगा और आप सही से खाना नहीं खा पाएंगे.

 एक्सरसाइज-

वजन बढ़ाने के मतलब यह नहीं कि आप खाना सिर्फ खाएं और एक्सरसाइज न करें. यदि आप चाहते हैं कि आप हेल्दी रहें तो नियमित रूप से एक्सरसाइज करें. एक्सरसाइज नहीं करेंगे तो मेटाबोलिज्म सही से नहीं होगा और मेटाबोलिज्म सही से नहीं होगा तो आप जो खा रहे हैं उसका अवशोषण नहीं होगा. यानी वह एनर्जी में नहीं बदलेगा.
----

सर्दियों के मौसम में वजन कम कैसे करें ?





 

  सर्दियों के मौसम में लोगों में आलस बढ़ जाता है. लोग शारीरिक रूप से भी कम एक्टिव रहने लगते हैं. ठंड के कारण घर से बाहर निकलने से बचते हैं. जो लोग गर्मी में जिम जाकर वर्कआउट करते थे, वे भी अब कम बाहर निकलना पसंद करते हैं. सर्दियों के मौसम में शारीरिक गतिविधियां कम होने और घर में बैठकर सारा दिन खाते रहने की आदत डेवलप हो जाती है. इससे वजन बढ़ने लगता है. ऐसे में डाइट में सोच-समझकर आपको कोई भी फूड शामिल करना चाहिए. इस मौसम में ढेरों वेरायटी में सब्जियां मिलती हैं. साथ ही कई तरह के सीजनल फल, फूड मिलते हैं, जिनका सेवन करने से वजन को काफी हद तक कंट्रोल में रखा जा सकता है. यहां हम आपको कुछ ऐसे ही फूड्स के बारे में बता रहे हैं, जिनका सेवन करके आप हेल्दी रहने के साथ मोटापे से भी बचे रहेंगे.

गाजर खाएं- 

सर्दियों में गाजर खूब मिलता है. अक्सर ठंड में लोग गाजर का हलवा खूब खाते हैं. इसमें मावा, घी, चीनी, ड्राई फ्रूट्स खूब डाले जाते हैं, जो वजन को बढ़ा सकते हैं. बेहतर है कि आप कच्चा गाजर खाएं ताकि वजन कंट्रोल में रहे. ऐसा इसलिए, क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है. फाइबर वजन घटाने में आपकी मदद करती है. इसके अलावा, इसमें कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, विटामिन के भी अधिक होता है. गाजर में कैलोरी भी कम होती है. ऐसे में वजन कम करने के लिए आप इसे प्रतिदिन खा सकते हैं. यह आंखों के लिए भी बेस्ट है.सर्दियों में फ्राईड और गर्म चीजें खाने का मन करता है, लेकिन इन चीजों से सबसे तेजी से वजन बढ़ता है. इस मौसम में मेटाबॉलिज्म भी स्लो हो जाता है. इसलिए आपको डाइट प्लान करके खाना चाहिए.
सर्दियों में तला-भुना खाने का सबसे ज्यादा मन करता है. जैसे ही ठंड के दिन आते है. घरों से पकौडे और समौसे की खुशबू आने लगती है. अक्सर आपने देखा होगा ठंड में स्ट्रीट फूड के स्टॉल्स पर भीड़ बढ़ जाती है. लोग सर्दियों में जमकर चाट-पकौड़े का मज़ा लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं ठंड में इस तरह के खाने से सबसे जल्दी वजन बढ़ता है. इस तरह के खाने से आपके शरीर को नुकसान भी हो सकता है. वहीं ऐसे मौसम में हमारी इम्यूनिटी (Immunity) भी कमजोर हो जाती है. अगर आप वजन कम करने की सोच रहे हैं तो आपको अपनी डाइट और एक्सरसाइज पर थोड़ा ध्यान देना होगा. जानिए सर्दियों में वजन कम करने के लिए आपका डाइट प्लान कैसा होना चाहिए
.
हेल्दी खाना खाएं- 

अगर आपको खाने की क्रेविंग ज्यादा होती है. तो आपको हमेशा छोटे-छोटे मील प्लान करके खाना चाहिए. इससे आपकी क्रेविंग भी खत्म हो जाएगी और वजन भी नियंत्रण में रहेगा. सर्दियों में खाना पचाने में शरीर को वक्त लगता है. ऐसे में आपको हेल्दी और सुपाच्य खाना ही खाना चाहिए. कुछ एक्टिविटी के बाद ही अपना दूसरा मील ले. अगर आपको कुछ तला भुना खाने का मन है तो आप केवल हफ्ते में एक दिन ही ऐसा खाना खाएं.

सूप या शोरबा पिएं- 

ठंड में आप डाइट में सूप जरूर शामिल करें. सूप के जरिए शरीर में बहुत सी सब्जियां और उनके पोषक तत्व चले जाते हैं जिससे आपका वजन तेजी से कम होता है. इसके अलावा शरीर के लिए भी सब्जियों का सूप बहुत फायदेमंद होगा. सूप बनाते समय मसाले ज्यादा न डालें. सूप में सब्जियों की मात्रा अच्छी डालें जिससे आप हेल्दी डाइट ले सकें. सर्दियों में गर्मा गरम सूप भी आपको फील गुड कराने के लिए अच्छा ऑप्शन है.

एंटीऑक्सीडेंट वाले फल खाएं- 

सीजनल फलों से भी आप अपने वजन को कम कर सकते हैं. इस मौसम में आने वाले फलों में बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं. जिससे आपकी इम्यूनिटी मजबूत बनती है. सीजनल फल खाने से आप इंफेक्शन से बचे रहते हैं. इतना ही नहीं अगर आप फल खाने की आदत डाल लेते हैं तो खुद को एक हेल्दी लाइफस्टाइल की ओर ले जा रहे हैं. फल खाने से आप तेलीय चीजों से दूर रहते हैं. ठंड में आप विटामिन सी से भरपूर फलों में अमरुद, संतरा, पाइनएप्पल और सेब खूब खाएं.

खूब पानी पिएं- 

सर्दियों में प्यास बहुत कम लगती है. लेकिन आपको पानी भरपूर मात्रा में पीना जरूरी है. ज्यादा मात्रा में पानी पीने से शरीर से टॉक्सिंस बाहर निकल जाते हैं जिससे वजन कम होने में मदद मिलती है. पानी पीने से भूख भी कम लगती है इसलिए ठंड में भी खुद को पूरी तरह से हाइड्रेट रखना जरूरी है.

अदरक वाली चाय- 

सर्दियों में बालकनी में खड़े होकर चाय पीना भला किसे पसंद नहीं होगा. ऐसे में अगर आप चाय के शौकीन हैं तो अदरक वाली चाय पीएं. अदरक सेहत के लिए और वजन कम करने के लिए लाभदायक है. लेकिन आप चाय में चीनी का इस्तेमाल कम करें या शक्कर वाली चाय पीएं.

वजन घटाने के लिए नींबू और शहद का उपयोग

एक गिलास पानी में आधा नींबू, एक चम्मच शहद एवं एक चुटकी काली मिर्च डालकर सेवन करें। काली मिर्च में पाइपरीन (piperine) नामक तत्व मौजूद होता है। यह नई वसा कोशिकाओं को शरीर में जमने नहीं देता है। नींबू में मौजूद एसकोरबिक एसिड (Ascorbic Acid) शरीर में मौजूद क्लेद को कम करता है, और शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।

मोटापा कम करने के लिए दालचीनी का सेवन

लगभग 200 मि.ली. पानी में 3-6 ग्राम दालचीनी पाउडर डालकर 15 मिनट तक उबालें। गुनगुना होने पर छानकर इसमें एक चम्मच शहद मिला लें। सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले पिएँ। दालचीनी एक शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल है, जो नुकसानदायक बैक्टीरिया से छुटकारा दिलाने में मदद करती है।

मोटापा घटाने के लिए सेब के सिरके का सेवन

एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर सेवन करें। इनमें मौजूद पेपटिन फाइबर (Pectin Fibre) से पेट को लम्बे समय तक भरा होने का एहसास होता है। यह लिवर में जमे फैट को घटाने में मदद करता है।

मोटापे से मुक्ति पाने के लिए पुदीना का इस्तेमाल

पुदीना की पत्तियों के रस की कुछ बूँद गुनगुने पानी में मिलाएँ। इसे खाना खाने के आधे घण्टे बाद पिएँ। यह पाचन में सहायक तथा चयापचय क्रिया को बढ़ाकर वजन घटाने में मदद करता है। इसका उपयोग लम्बे समय तक किया जा सकता है।

मोटापा घटाने के लिए सौंफ का सेवन

6-8 सौंफ के दानों को एक कप पानी में पाँच मिनट तक उबालें। इसे छानकर सुबह खाली पेट गर्म -गर्म ही पिएँ। इससे अधिक भूख लगने की समस्या से राहत मिलेगी तथा खाने की इच्छा कम होगी।

मोटापे से छुटकारा के लिए हल्दी का सेवन

हल्दी में विटामीन बी, सी, पौटेशियम, आयरन, ओमेगा- 3 फेटीऐसिड, एल्फा लिने लोयिक ऐसिड तथा फायबर्स आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, तथा अतिरिक्त चर्बी को घटाने में मदद करता है।

वजन कम करने के लिए इलायची का सेवन

रात में सोते समय दो इलायची खाकर गर्म पानी पीने से वजन कम करने में सहायता मिलती है। इलायची पेट में जमा फैट को कम करती है, तथा कोर्सिटोल (Cortisol) लेवल को भी नियंत्रित रखती है। इसमें मौजूद पोटेशियम (Potaseium), मैग्नेशियम (Magneseium), विटामिन बी1, बी6 (Vita. B1, B6), और विटामिन सी (Vita. C) वजन घटाने के साथ ही शरीर को स्वस्थ रखते हैं। इलायची अपने गुणों से शरीर में पेशाब के रूप में जमा अतिरिक्त जल को बाहर निकालती है।

मोटापा घटाने के लिए पिएं गुनगुना पानी

उबालकर आधा किया हुआ जल आधा-आधा गिलास करके दिन में ढाई से तीन लीटर पीना चाहिए। इससे आम का पाचन भी हो जाता है, और पेट भरा होने से भूख भी कम लगती है। यह हल्का, सुपाच्य, आम का पाचन करता है। यह शरीर के सभी सूक्ष्म से सूक्ष्म गंदगी को साफ करता है, और पेशाब तथा पसीना लाता है।

वजन कम करने के लिए करें अदरक और शहद का प्रयोग

लगभग 30 मि.ली. अदरक के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पिएँ। अदरक और शहद शरीर की चयापचय क्रिया को बढ़ाकर अतिरिक्त वसा को जलाने का काम करते हैं। अदरक अधिक भूख लगने की समस्या को भी दूर करता है, तथा पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है। इस योग को सुबह खाली पेट तथा रात को सोने से पहले लेना चाहिए।
------

पित्ताशय की पथरी (Gall Stone) रामबाण हर्बल औषधि बताओ

मर्दानगी बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे

डिप्रेशन अवसाद से कैसे निजात पाएं

गोखरू गुर्दे के रोगों मे अचूक जड़ी बूटी

एक्जिमा की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? आयुर्वेदिक या एलोपेथिक?

सायटिका रोग की सबसे अच्छी औषधि बताओ

किडनी फेल ,गुर्दे खराब की जीवन रक्षक औषधि

यकृत( Liver) के रोग (Ailments) और निष्क्रियता के लक्षण और रामबाण हर्बल औषधि




13.11.23

तोतलापन हकलाने की समस्या कैसे दूर करें






तुतलाने या haklana की समस्या एक प्रकार का डिसऑर्डर होता है। तुतलाने का घरेलू उपचार करने के लिए कुछ सामान्य से घरेलू नुस्खे और कुछ नियमित अभ्यास करने से फायदा मिलता है। इस आर्टिकल में विस्तार से जानेंगे हकलाना कौन सी बीमारी है और इसके होने का कारण क्या है,
तथा तुतलाने की समस्या से राहत पाने के घरेलू उपाय क्या है ?

हकलाने के कारण 

स्टैमरिंग यानि Tutlana हकलाना काफी सामान्य समस्या है। तुतलाने की समस्या बच्चों के साथ साथ बड़ो में भी होती है। Tutlane की समस्या के बहुत से कारण होते हैं। अगर माता-पिता में से किसी को हकलाने की समस्या है तो बच्चों में होने की आशंका बढ़ जाती है। क्योंकि बच्चों को भी हकलाने की आदत पड़ जाती है। स्टैमरिंग प्रॉब्लम के कई कारण हो सकते हैं जैसेबोलने में काम आने वाली मांसपेशियों व जीभ पर नियंत्रण ना होना।
दिमाग के बाएं हिस्से में कोई गड़बड़ होना।
जीभ की मांसपेशियों में सूजन होने के कारण।
बेचैन या अधिक खुश होने के दौरान जीभ पर नियंत्रण न रहना।
अधिक तनाव, कमजोरी, डर, थकान या दुखी होने पर भी हकलाने की समस्या बढ़ जाती है।

बच्चे हकलाते क्यों है?

Ans बच्चों के सबसे बड़ा कारण है बच्चे का भाषा पर पकड़ कम होना, बच्चे का भावुक ज्यादा होना, मानसिक तनाव, डर, एकाग्रता का कम होना, असमंजस की स्तिति आदि कारणों से बच्चों के तुतलाने की समस्या अधिक देखी जाती है।
हकलाने की समस्या से छुटकारा पाने के उपाय 

मक्खन में काली मिर्च

इस समस्या (Tutlana) से राहत पाने के लिए रोज सुबह मक्खन में काली मिर्च पाउडर मिलाकर खाना फायदेमंद होता है। इसका सेवन लगातार करते रहने से हकलाने की समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही इसके सेवन से आवाज व गला भी साफ करने में मदद मिलती है।

बादाम

सुबह खाली पेट नियमित बादाम, काली मिर्च और मिश्री को पीसकर मक्खन के साथ खाने से तुतलाने की समस्या से राहत मिलती है। साथ ही बादाम का नियमित सेवन करने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से होने के साथ साथ याददाश्त भी तेज होती है। इसके अलावा बादाम के तेल को भी चाटने से तुतलाना कम ) होता है।


दालचीनी


सुबह ताजे मक्खन में दालचीनी चूर्ण डालकर चाटने से आवाज मधुर होती है तथा तुतलाने की समस्या से भी छुटकारा मिलता है। इसके अलावा दालचीनी के तेल की जीभ पर कुछ दिन मालिश करने से जीभ पतली होती है और आवाज भी साफ हो जाती है।

आंवला

आयुर्वेद में आंवले का बहुत महत्व बताया गया है। शरीर में आंवला मेडिसिन की तरह काम करता है। नियमित सुबह के समय एक कच्चा आंवला चबाकर खाने से बॉडी में अनेक फायदे होने के साथ साथ यह तुतलाने की समस्या में भी लाभकारी होता है। इसके लिए रोज सुबह खाली पेट एक आंवला दो महीने तक लगातार खाना लाभदायक होता है।


 तेजपत्ता :

जिनको रुक-रुक कर बोलना या हकलाने की परेशानी उन व्यक्ति को तेजपत्ता जीभ के नीचे रखने से बहुत लाभ मिलता है और हकलापन तथा रुक-रुककर बोलना दूर हो जाता है। आंवला : काम से काम दो आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने से जीभ पतली और आवाज साफ होती है साथ ही उनका हकलापन और तुतलापन भी दूर हो जाता है।


तुतलाने की समस्या से राहत पाने के उपाय

धीरे-धीरे बोलने का अभ्यास करें


जिनको हकलाने की समस्या है उन्हें ज्यादा तेज बोलने के बजाय धीरे-धीरे बोलने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि जल्दी-जल्दी बोलने से हकलाहट की समस्या बढ़ती है। इसलिए धीरे-धीरे और आराम से बोलने का प्रयास करें और कुछ भी बोलने से पहले मन में सोचे कि क्या बोलना चाहते हैं।

मन को शांत रखें

इस समस्या से बचने के लिए बोलने से पहले गहरी सांस लें और शरीर को आराम दें तथा हकलाहट के बारे में दिमाग में बिल्कुल भी ना सोचें। हमेशा लोगों से नजर मिला कर बात करने की कोशिश करें बातों के बीच बीच में ठहराव लाएं ताकि बोलते वक्त शब्दों के बीच बीच में सोच भी सके।

डीप ब्रीदिंग

यह हकलाने की समस्या से बचने का बहुत अच्छा उपाय होता है। इसके लिए सबसे पहले गहरी सांस लें और फिर सांस को धीरे धीरे छोड़ते हुए अपनी बात बोलें। सांस को सही तरीके से नियंत्रण करने वाले अभ्यास करने से धीरे धीरे स्पीच में सुधार होने लगता है तथा हकलाने की समस्या से छुटकारा मिलने लगता है।

शब्दों को खींचकर बोलें

शब्दों को लंबा खींचकर बोलने की कोशिश करें। धीरे धीरे इसका अभ्यास करने से भी इस समस्या में राहत मिलती है। इसमें जिन शब्दों को बोलने में कठिनाई होती हो उन शब्दों का अभ्यास अधिक करें। इससे हकलाने की समस्या में राहत मिलने के साथ-साथ हकलाने में भी बदलाव आता जाएगा।

शब्द का उच्चारण करें

किसी भी एक शब्द जैसे राम, ओम, सीता आदि किसी एक शब्द का ऊंची आवाज में 10 – 15 बार उच्चारण करने को आदत बनाएं। इसके लिए सबसे पहले लंबी सांस लेकर किसी एक शब्द को देर तक बोलते रहें। यह उच्चारण शब्द बदल बदलकर अधिक समय तक करने का अभ्यास करते रहें और धीरे धीरे शब्द को बड़ा करते रहें जैसे जय श्री राम, ओम नमः शिवाय, जय सीता माता की आदि। 

शीशे के सामने अभ्यास करें

तुतलाने की समस्या से राहत पाने Stammering treatment के लिए शीशे के सामने खड़े होकर बोलने का अभ्यास करने से भी बहुत फायदा मिलता है। नियमित शीशे के सामने खड़े होकर शब्दों का अभ्यास करने के दौरान अपने मुंह और जीभ पर ध्यान रखें की किन शब्दों को बोलने में परेशानी होती है। उनको लंबा खींचकर बोलने का प्रयत्न करें। रोजाना 20 से 25 मिनट अभ्यास करने का प्रयास करें।


पित्ताशय की पथरी (Gallstones) की रामबाण औषधि

किडनी फेल ,गुर्दे ख़राब की जीवन रक्षक हर्बल औषधि

सायटिका रोग किस औषधि से ठीक होता है?

हिन्दू मंदिरों और मुक्ति धाम को सीमेंट बैंच दान का सिलसिला

दामोदर चिकित्सालय शामगढ़ के आशु लाभकारी उत्पाद

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

गठिया,संधिवात,सायटिका का परमानेंट इलाज

सेक्स का महारथी बनाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे


आर्थराइटिस(संधिवात),गठियावात ,सायटिका की तुरंत असर हर्बल औषधि

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

तिल्ली बढ़ जाने के आयुर्वेदिक नुस्खे

साहित्य मनीषी डॉ.दयाराम आलोक की जीवन गाथा

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय/sex power

जल्दी वीर्य गिरने की अनुभूत चिकित्सा सुनिए इसी लिंक में

स्तनों की कसावट और सुडौल बनाने के उपाय

लीवर रोगों के अचूक हर्बल इलाज

गांधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं - डॉ॰दयाराम आलोक

चना और गुड साथ खाने के सेहत को लाभ और नुकसान




स्वस्थ रहने के लिए हम सभी सुबह खाली पेट तरह-तरह की चीजों का सेवन करते हैं। इसमें गुड़ और चना भी शामिल हैं। जी हां, गुड़ और चना, दोनों ऐसी चीजें हैं, जो आपको हेल्दी रखने में मदद कर सकते हैं। दरअसल, गुड़ में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फाइबर और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। वहीं, चने में भी प्रोटीन, फाइबर, मैंगनीज, विटामिन बी6, फोलेट और आयरन की मात्रा अधिक होती है। वैसे तो अकसर लोग गुड़ और चने का सेवन कई तरीकों से करते ही हैं। लेकिन आप चाहें तो गुड़ और चने को एक साथ मिलाकर भी खा सकते हैं। गुड़ और चने को साथ में खाने से मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूती मिलेगी। साथ ही, इन दोनों को सुबह खाली पेट साथ में खाने से प्रतिरक्षा प्रणाली भी मजबूत बनती है।
 गुड़ का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. गुड़ और चने का साथ में सेवन कर शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. भूने चने सेहत के लिए गुणकारी माने जाते हैं. चने को प्रोटीन का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है. गुड़ (Benefits Of Jaggery) एंटी-ऑक्सिडेंट और सेलेनियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माने जाते हैं. तो वहीं चना (Roasted Gram) कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर व विटामिन-बी सहित कई अन्य पोषक तत्वों का अच्छा सोर्स है. रोजाना गुड़ और चना खाने से इम्यूनिटी को मजबूत, एनर्जी को बूस्ट किया जा सकता है. इतना ही नहीं एनीमिया की शिकायत होने पर गुड़ और चने का सेवन फायदेमंद माना जाता है
 भुना चना (Roasted Chana) सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. अगर भुने चने के साथ गुड़ को खाया जाए तो सर्दियों में ये सोने पर सुहागा जैसा हो जाता है. गुड़ और चना दोनों ही सेहत के लिए काफी लाभदायक होते हैं. इसके साथ ही गुड़ चना प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स का पावर हाउस भी होता है. भुने हुए चने के साथ गुड़ (Jaggery) को खाने से ये न सिर्फ इम्यूनिटी को बूस्ट करता है बल्कि कैल्शियम से भरपूर होने की वजह से हड्डियों में भी मजबूती लाता है. गुड़-चना साथ खाने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होने के साथ ही मेमोरी में भी सुधार आता है. भुने हुए चने और गुड़ का सेवन स्किन और दांतों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है.

चना और गुड़ साथ खाने के फायदे :

कब्ज से छुटकारा दिलाए


आजकल ज्यादातर लोगों को पेट से जुड़ी समस्याओं से परेशान होना पड़ रहा है। अगर आपको भी अपच या कब्ज जैसी दिक्कतें हैं, तो आप रोज सुबह खाली पेट गुड़ और चना खा सकते हैं। गुड़ और चना शरीर में पाचन एंजाइमों को सक्रिय करते हैं। इससे रोज सुबह आपका पेट आसानी से साफ होने लगेगा। इससे शरीर में जमा सारे विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकलेंगे और लिवर की भी सफाई होगी।

इम्यूनिटी बूस्टर – 

भुना हुआ चना हो या फिर सादा चना दोनों ही सेहत को बराबर फायदा पहुंचाते हैं. विंटर में रोस्टेड चने के साथ गुड़ को भी खाया जाए तो ये शरीर की एनर्जी को बढ़ाने के साथ ही इम्यूनिटी भी बूस्ट करते हैं. गुड़-चना एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल्स जैसे जिंक, सेलेनियम से भी भरपूर होते हैं जो फ्री रेडिकल डेमैज को रोकते हैं और संक्रमण के खिलाफ प्रतिरोधकता को बढ़ाते हैं.

पेट के लिए-

गुड़ और चने का सेवन करने से पेट संबंधी कई समस्‍याओं से बचा जा सकता है. गुड़ और भुने चने में मौजूद फाइबर के गुण पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं.

मस्तिष्क के लिए लाभकारी


गुड़ और चना खाने से सिर्फ शारीरिक लाभ ही नहीं मिलते हैं, बल्कि इन दोनों को खाने से मस्तिष्क का विकास भी तेजी से होता है। रोज सुबह खाली पेट गुड़ और चना खाने से याद्दाश्त तेज करने में मदद मिलती है। दरअसल, चने में विटामिन बी6 होता है, जो दिमाग की कार्यक्षमता में सुधार करता है और मेमोरी पावर को बढ़ाता है।

एनीमिया-

अगर आपको खून की कमी की शिकायत है तो आप गुड़ और चने का सेवन कर सकते हैं. चने और गुड़ में आयरन पाया जाता है, जो खून की कमी को दूर करने में मदद कर सकता है.

मोटापा-

भुने चने मोटापे को कम करने के लिए फायदेमंद माने जाते हैं. चने में फाइबर के गुण पाए जाते हैं, जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ एहसास कराते हैं. जिससे आप अधिक खाने से बच सकते हैं.

हड्डियों का दर्द दूर करे

अगर आपको हड्डियों में दर्द रहता है, तो अपनी डाइट में गुड़ और चने को जरूर शामिल करें। गुड़ और गुड़ में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। अगर आप रोजाना गुड़ और चना एक साथ खाएंगे, तो हड्डियां मजबूत बनेंगी। इससे हड्डियों का दर्द दूर होगा और आप हेल्दी महसूस करेंगे।

हड्डियों-

हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए रोज गुड़ और चने का सेवन करें. गुड़ और चने में मौजूद कैल्शियम हड्डियों को कमजोर होने से बचाने में मदद कर सकता है.

सावधानी-

  गर्मी बढ़ने के साथ-साथ हमें आहार संबंधी आदतों में भी बदलाव लाने की जरूरत होती है. क्योंकि अच्छी डाइट हमारे स्वास्थ्य को हेल्दी बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. हालांकि कई चीजें ऐसी भी होती हैं जो पोषक तत्वों का भंडार मानी जाती हैं, लेकिन उनको मौसम के अनुसार ही खाए जाए तो बेहतर होता है. ऐसी एक करामाती चीज का नाम है गुड़. यह खाने में जितना टेस्टी, सेहत के लिए उतना ही फायदेमंद भी होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक्सपर्ट गर्मियों में गुड़ खाने की सलाह क्यों नहीं देते हैं. दरअसल गर्मियों में खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर गुड़ का सेवन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है. गुड़ का अधिक सेवन पाचन को धीमा कर सकता है.


बढ़ सकता वजन: 

नेचुरल मिठाई के नाम से पहचाना जाने वाला गुड़ (Jaggery) कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है. गुड़ बॉडी को एनर्जी देने के साथ-साथ मेटाबॉलिज्म को मजबूत करने में भी मदद करता है. यही वजह है कि ज्यादातर लोग गुड़ का सेवन करते हैं. बेशक गुड़ खाने के कई फायदे हों, लेकिन इसके नुकसान भी हो सकते हैं. दरअसल 100 ग्राम गुड़ में करीब 385 कैलोरी पाई जाती है. साथ ही गुड़ में कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है. ऐसे में डायटिंग करने वाले लोगों को गुड़ खाने से बचना चाहिए. हालांकि कम मात्रा में गुड़ खाने से अधिक असर नहीं पड़ता है

ब्लड शुगर की समस्या: 

चीनी के मुकाबले गुड़ अधिक मीठा होता है. ऐसे में यदि गुड़ का सेवन ज्यादा किया जाए, तो ब्लड शुगर की समस्या बढ़ सकती है. दरअसल, गुड़ का सेवन करने से ब्लड शुगर को बढ़ावा मिलता है. इसको खाने से रातों-रात आपका शुगर लेवल बढ़ सकता है. ऐसे में जरूरी है कि डायबिटीज के मरीज गर्मियों में गुड़ के सेवन से बचें.

आंतों के लिए घातक: 

गुड़ का अधिक सेवन करने से आंतों को भी नुकसान हो सकता है. इससे आंतों में कीड़े होने की आशंका बढ़ जाती है. दरअसल, गुड़ ज्‍यादातर गांवों में तैयार किया जाता है, जहां इसे बनाते समय इसकी शुद्धता पर कम ध्‍यान दे पाते हैं. इस स्थिति में इनमें छोटे जीव रह जाते हैं, जो आपकी हेल्थ को खराब कर सकते हैं. इसके अलावा कई बार गुड़ का गर्मियों में ज्यादा सेवन करने से एलर्जी की परेशानी हो सकती है.

गठिया में नुकसानदायक: 

गर्मियों में गुड़ का अधिक सेवन करने से गठिया का दर्द बढ़ सकता है. दरअसल, गुड़ पूरी तरह शुद्ध नहीं होता है. इसमें काफी मात्रा में सुक्रोज पाया जाता है, इसलिए गठिया के मरीजों को खासकर गर्मियों में गुड़ नहीं खाना चाहिए. इसके अलावा सुक्रोज आपके शरीर में बनने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड में दिक्कत करता है, जिससे शरीर में जलन और सूजन की शिकायत हो जाती है.

नाक से खून आना: 

सर्दियों में गुड़ खाना जितना फायदेमंद, गर्मियों में उतना ही नुकसानदायक हो सकता है. गर्मियों में गुड़ के सेवन से नकसीर फूटने का भी खतरा बढ़ सकता है. दरअसल, गुड़ की तासीर गर्म होती है, इसलिए नाक से खून निकलने की शिकायत बढ़ जाती है. इसी वजह है एक्सपर्ट गर्मियों में गुड़ ना खाने की सलाह देते हैं


ग्रीन काफी के फायदे और नुकसान




  चाय और कॉफी हमारी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गए हैं। जहां पहले लोग इन्हें सिर्फ स्वाद के लिए पीते थे, वहीं आज स्वास्थ्य के लिहाज से इनका सेवन किया जा रहा है। आज हर्बल और ग्रीन-टी के रूप में कई विकल्प बाजार में उपलब्ध हैं। इसके साथ ही ग्रीन कॉफी का नाम भी इसी क्रम में जुड़ गया है। बात हो वजन घटने की या फिर अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की, तो ग्रीन कॉफी एक बेहतर विकल्प हो सकती है। स्टाइलक्रेज के इस लेख में आप पढ़ेंगे ग्रीन कॉफी के फायदे किस प्रकार शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। साथ ही इस लेख में आप ग्रीन कॉफी के उपयोग और ग्रीन कॉफी के नुकसान के विषय में भी जानेंगे। पाठक इस बात पर जरूर गौर करें कि ग्रीन कॉफी लेख में शामिल किसी भी स्वास्थ्य समस्या का इलाज नहीं है। यह केवल इनके प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में मददगार हो सकती है।
बाकी सभी खाने की चीजों की तरह, ग्रीन कॉफी भी पिछले कुछ साल से वजन कम करने में फायदे के तौर पर सामने आई है। यह सच है कि ग्रीन कॉफी को वजन कम करने के लिए जानी जाती है और इसका सेवन करने से कुछ किलो जरुर कम हो जाते हैं। लेकिन ग्रीन कॉफी के फायदे सिर्फ यहां तक ही सीमित नहीं हैं। ग्रीन कॉफी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है जो अपने साथ कई सारे फायदे लेकर आता है। इस बात की तह तक जाने के लिए हम आपके लिए ग्रीन कॉफी के फायदे और नुकसान के साथ- साथ ग्रीन कॉफी को बनाने की विधि की जानकारी लेकर आए हैं।
 ग्रीन कॉफी भी एक ऐसा उत्‍पाद है जो हमारे अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें मौजूद पोषक तत्‍व और विशेष रूप से एंटीऑक्‍सीडेंट हमारे शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभकारी होते हैं। कुछ लोग वजन घटाने और विशेष स्‍वास्‍थ्‍य उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए इसका नियमित सेवन करने की सलाह देते हैं। इस लेख में आप ग्रीन कॉफी के फायदे और नुकसान की जानकारी प्राप्‍त करेगें।
  चाय से ज्यादा लोग कॉफी को प्राथमिकता देते है। कोई इसे सुबह पीना पसंद करता है तो कोई अपनी थकान मिटाने के लिए पीता है तो कोई इसे मीठा खाने के बाद पीना पसंद करते है। इस कॉफी को पीने के फायदे है लेकिन वो सीमित है। हाल ही में ग्रीन कॉफी के बारे में पता चला है ये वजन कम करने में काफी मदद करता है। इस कॉफी में ज्यादा कुछ खास फर्क नहीं है, बस इस कॉफी की बीन्स कच्चे रुप में होती है। आमतौर पर कॉफी बीन्स को निकाल कर भूना जाता है ताकि उनका स्वाद अच्छा हो और महक अच्छी हो जाए। कई शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि इस कॉफी की बीन्स का स्वास्थ से महत्वपूर्ण संबंध है।
समय-समय पर पेय पदार्थों के स्वरूप और उनके सेवन के तरीकों में बदलाव कर स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने की कवायद दुनिया भर में होती रहती है। ग्रीन कॉफी ऐसा ही एक प्रयोग है। फिलहाल इसके लाभ और नुकसान को लेकर कई तरह के शोध किए जा रहे हैं।
हाल ही में आए शोधों के मुताबिक नई ग्रीन कॉफी ईजाद की गई है। इतना ही नहीं ग्रीन कॉफी को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि सुबह-सुबह खाली पेट यानी नाश्ते से पहले ग्रीन कॉफी का नियमित रूप से सेवन किया जाए तो आप आसानी से अपना वजन कम कर सकते हैं।

* क्या है ग्रीन कॉफी?

ग्रीन टी के चलन के साथ ही ग्रीन कॉफी को लेकर भी बहुत चर्चाएं की जाने लगीं। यह असल में कच्चे, बिना सिके हुए कॉफी के बीज होते हैं। इन्हें इसी स्वरूप में पीसकर काम में लाया जाता है। चूंकि ये प्राकृतिक और कच्चे रूप में काम में लिए जाते हैं, इसलिए इसे ग्रीन कॉफी कहा जाता है।

*शोधों में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ग्रीन काफी कुछ ग्रीन टी के समान है। लेकिन ग्रीन कॉफी इसलिए भी अधिक फायदेमंद है क्योंकि ग्रीन कॉफी के कच्चे और बिना भुने स्वरूप में जो तत्व मौजूद होते हैं उनसे पाचन क्षमता ठीक रहती है और ठीक इसके विपरीत इन्हीं तत्वों से वजन नियंत्रण में भी मदद मिलती है।
*रिसर्च के दौरान यह भी बात सामने आई है कि यदि ग्रीन कॉफी के कच्चे और बिना भुने स्वरूप को भूना जाएगा तो इससे असरकारक तत्व नष्ट हो जाते हैं। यही कारण है कि जो लोग सामान्य कॉफी पीने के शौकीन हैं उनका वजन कम नहीं होता क्योंकि इसे असरकारक तत्व भूनने के दौरान खत्म हो चुके होते हैं।
*दुनिया भर में कॉफी के इन बीजों का प्रयोग वजन घटाने के लिए विकल्प के तौर पर किया जा रहा है। लोग तेजी से इस ट्रैंड को अपना रहे हैं। असल में जानकारों का कहना है कि रोस्ट होने, यानी सिकने की प्रक्रिया में कॉफी के बीजों में मौजूद कुछ हेल्दी, प्राकृतिक रसायन नष्ट हो जाते हैं। पिछले कुछ समय में हुए कुछ शोध इस परिणाम को दर्शाने में सफल रहे हैं कि ग्रीन कॉफी का प्रयोग वजन घटाने में मदद कर सकता है।

 रक्तचाप में ग्रीन कॉफी पीने के फायदे – 

कई समस्याओं को दूर करने के साथ ही ग्रीन कॉफी रक्तचाप की समस्या को कम करने में भी फायदेमंद हो सकती है। एनसी

बीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, ग्रीन कॉफी में पाए जाने वाले उच्च पॉलीफोनिक पदार्थो में क्लोरोजेनिक एसिड का महत्वपूर्ण स्थान है। यह माना जाता है कि एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर क्लोरोजेनिक एसिड रक्तचाप की समस्या को कुछ हद तक कम करने में कारगर हो सकता है।

हड्डियों की मजबूती के लिए ग्रीन कॉफी 

 सेहत के साथ ही ग्रीन कॉफी का उपयोग हड्डियों को मजबूती प्रदान करने के लिए भी किया जा सकता है। दरअसल, 100 ग्राम ग्रीन कॉफी में 108 मिलीग्राम कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है। वहीं, हड्डियों की मजबूती और विकास के लिए कैल्शियम जरूरी पोषक तत्व है। इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि कैल्शियम की कमी के कारण होने वाली हड्डियों के नुकसान को रोकने के लिए ग्रीन कॉफी का सेवन फायदेमंद हो सकता है। फिलहाल, सीधे तौर पर ग्रीन टी हड्डियों के लिए किस प्रकार फायदेमंद हो सकती है, यह शोध का विषय है।

एकाग्रता और मूड में सुधार –

याददाश्त और मानसिक सुधार में भी ग्रीन काॅफी फायदेमंद हो सकती है। एक शोध के अनुसार, ग्रीन कॉफी बीन्स में कुछ मात्रा कैफीन की होती है। शोध में पाया गया कि कैफीन, सामान्य तौर पर मूड, ध्यान, स्मृति और सतर्कता को बढ़ाकर मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। इसके अलावा, एक अन्य शोध में पाया गया कि अल्जाइमर के रोगियों पर ग्रीन कॉफी बीन्स का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। शोध के अनुसार, इसमें न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण पाए जाते हैं, जो अल्जाइमर की समस्या में फायदेमंद हो सकते हैं।

. एंटीऑक्सीडेंट –

ग्रीन कॉफी के बीजों में क्लोरोजेनिक एसिड पाया जाता है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को फ्री रेडिकल्स और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाए रखने में मददगार हो सकता है। वहीं, एक शोध में जिक्र मिलता है कि एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स को जन्म देने वाले रोग जैसे कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पार्किंसंस (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से जुड़ा विकार) और अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) से बचाव में मदद कर सकते हैं। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

. भूख पर नियंत्रण –

लगातार भूख लगने की समस्या को ग्रीन कॉफी के जरिए ठीक किया जा सकता है। दरअसल, इसमें भूख को कम करने की क्षमता होती है। यह खाने की इच्छा को नियंत्रित कर सकती है, जिससे वजन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, ग्रीन कॉफी का कौन-सा गुण भूख को कम करता है, यह अभी शोध का विषय है.

पार्किंसंस बीमारी में फायदे मंद

ऐसे लोग जो पार्किंसंस नामक मस्तिष्क के विकार से पीड़ित हैं उनके लिए कॉफी पीने के फायदे देखे जा सकते हैं। आपको बता दें कि इस रोग के दौरान व्यक्ति को चलने फिरने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसे में कॉफी के अंदर मौजूद कैफीन तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर देता है। जिससे पार्किंसंस की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वहीं अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो यह आपको पार्किंसंस रोग से बचाकर भी रखती है।

अल्जाइमर और डिमेंशिया में

आज के समय में अल्जाइमर और डिमेंशिया के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आपको बता दें कि अल्जाइमर एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति धीरे – धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। ऐसे में अल्जाइमर से बचने के लिए कॉफी का सहारा लिया जा सकता है। ज्ञात हो कि कॉफी के अंदर कैफीन होता है और यह हमारे नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करके कॉग्निटिव काम करने में हमारी सहायता करता है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि कॉफी के लाभ आपको अल्जाइमर और डिमेंशिया में देखने को मिल सकते हैं। 

ग्रीन काफी मे ओआरएसी ज्यादा मात्रा में होता है-

*ओआरएसी यानि ऑक्सीजन रेडिकल एबजॉरबेंस केपेसिटी ये एक तरीका होता है जिससे एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा की जांच की जाती है। जब ग्रीन कॉफी की बीन्स की जांच की गई तो पाया गया कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट अधिक मात्रा में है। हाल ही के अध्यन में पता चला है कि ये कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को भी रोकने में कारगर है। दरअसल ये कैंसर के सेल को बनने से रोकती है।

*स्ट्रोक से बचाने में -

कॉफी के सेवन का लाभ ना केवल स्ट्रोक से बचाने में देखा गया है। बल्कि कई अध्ययन तो यह तक बताते हैं कि कॉफी के सेवन से उच्च रक्तचाप की समस्या कम होती है और डायबिटीज एंव हृदय रोग से भी बचा जा सकता है। इस स्थिति में अगर आपके परिवार में डायबिटीज के या उच्च रक्तचाप के मरीज हैं तो आपको इसका सेवन जरूर करना चाहिए। वरना यह रोग आपको भी कभी भी हो सकता है।

*ऊर्जा बढ़ाती है- 

ये भी पाया गया कि ग्रीन कॉफी मेटाबॉलिजम रेट को बढ़ाती है जो कि आपकी दिनचर्या को पूरा करने में ऊर्जा देता है।

*वजन कम करता है- 

कॉफी पीने के फायदे वजन घटाने में भी देखे जाते हैं। आपको बता दें कि कॉफी के सेवन से हमारा मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। इसके जरिए शरीर खाए गए भोजन के जरिए अधिक ऊर्जा प्रदान करता है। इसके अलावा कॉफी के जरिए शरीर में गर्मी पैदा होती है जो फैट को जलाने का काम करती है। कॉफी के इन्हीं गुणों की वजह से वजन घटाने में कारगर माना जाता है।

डिप्रेशन की समस्या 

आज के समय में ज्यादातर लोग डिप्रेशन की समस्या से परेशान हैं। इन सभी लोगों के लिए कॉफी बहेत गुणकारी हो सकती है। आपको बता दें कि हाल ही में कुछ अध्ययन हुए हैं। यह अध्ययन बताते हैं कि कॉफी के सेवन से अल्फा एमिलेज नामक एंजाइम को बढ़ावा देता है। ज्ञात हो कि यह गुण ही तनाव, डिप्रेशन से राहत दिलाने का काम करता है। ऐसे में अगर आपको डिप्रेशन या तनाव रहता है तो कॉफी का सेवन कर सकते हैं। साथ ही अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो इससे आप डिप्रेशन से भी बचे रहते हैं।

पार्किंसंस बीमारी में फायदे मंद

ऐसे लोग जो पार्किंसंस नामक मस्तिष्क के विकार से पीड़ित हैं उनके लिए कॉफी पीने के फायदे देखे जा सकते हैं। आपको बता दें कि इस रोग के दौरान व्यक्ति को चलने फिरने में भी दिक्कत होने लगती है। ऐसे में कॉफी के अंदर मौजूद कैफीन तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित कर देता है। जिससे पार्किंसंस की समस्या को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। वहीं अगर आप नियमित रूप से कॉफी का सेवन करते हैं तो यह आपको पार्किंसंस रोग से बचाकर भी रखती है।

अल्जाइमर और डिमेंशिया में

आज के समय में अल्जाइमर और डिमेंशिया के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। आपको बता दें कि अल्जाइमर एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति धीरे – धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। ऐसे में अल्जाइमर से बचने के लिए कॉफी का सहारा लिया जा सकता है। ज्ञात हो कि कॉफी के अंदर कैफीन होता है और यह हमारे नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करके कॉग्निटिव काम करने में हमारी सहायता करता है। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि कॉफी के लाभ आपको अल्जाइमर और डिमेंशिया में देखने को मिल सकते हैं। 


यूं सामान्य तौर पर किसी भी चीज का सेवन हद से ज्यादा करना तकलीफदेह हो सकता है। ग्रीन कॉफी के मामले में भी यह बात लागू होती है। इसके अलावा, कुछ विशेष परिस्थितियों में इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
*पेट की खराबी
 
* सिरदर्द
*एंग्जायटी आदि।
वहीं इसमें मौजूद कैफीन की मात्रा के कारण ग्रीन कॉफी का ज्यादा सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। विशेषकर कुछ खास शारीरिक स्थितियों वाले लोगों के लिए, जिनमें शामिल हैं:
* ऑस्टियोपोरोसिस
* ब्लीडिंग डिसऑर्डर्स आदि से ग्रसित लोग।
* ग्लूकोमा
* डायबिटीज
* हाई ब्लड प्रेशर
* इरिटेबल बाउल सिंड्रोम
*ग्रीन कॉफी या इसके सप्लीमेंट्स का सेवन करने के लिए भी कुछ खास बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। अन्यथा इससे तकलीफ हो सकती है। इसलिए इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है। डॉक्टर विशेष तौर पर बच्चों और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन न करने की सलाह देते हैं।
*इसके साथ ही कुछ विशेष औषधियों का सेवन करने वालों के लिए भी ग्रीन कॉफी के सेवन को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ग्रीन कॉफी में मौजूद कुछ तत्व इन औषध्ाियों के रसायनों के साथ मिलकर प्रतिक्रिया कर सकते हैं। ऐसी औषधियाँ हृदय रोगों के लिए, कमजोर हड्डियों के लिए, लंग डिसीज, मेनोपॉज, डिप्रेशन, स्कित्जोफ्रेनिया जैसी तकलीफों के लिए ली जाने वाली औषधियाँ शामिल हैं।
शोधों के मुताबिक, यदि आप अपने वजन से बहुत परेशान हैं लेकिन आप डायट चार्ट भी फॉलो नहीं करना चाहते तो आपको ग्रीन कॉफी का सेवन करना चाहिए।
*ग्रीन कॉफी का सबसे बड़ा फायदा है कि आप एक महीने में ही लगभग 2 किलोग्राम वजन आसानी से कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त मेहनत भी नहीं करनी होगी।

यदि आप नियमित रूप से ग्रीन कॉफी यानी हरी काफी  का सेवन करते हैं तो ग्रीन कॉफी में मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड आपकी आहार नली में शुगर की मात्रा को कम कर देता है। इसके साथ ही ग्रीन कॉफी से आपके फैट के खत्म होने के प्रक्रिया एकदम तेज हो जाती है।

दिमाग को तेज करता है- 

इस ग्रीन कॉफी को पीने से आपका मूड तो अच्छा हो ही जाता है लेकिन ये आपके दिमाग को भी तेज करता है। ये आपके दिमाग की गतिविधियों, प्रतिक्रिया, याददाश्त, सतर्कता को तेज करता है।

एंटी एजिंग- 

आजकल ऐसा कौन है जो जवां दिखना नहीं चाहता है, हर कोई अपनी बढ़ती उम्र को रोकना चाहता है। ग्रीन कॉफी इस मामले में काफी मददगार है, जी हां ये उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देती है।

कैफीन की मात्रा कम होती है- 

जैसा की आपको हमने पहले बताया है कि इस कॉफी के बीन्स को भूना नहीं जाता है, इसका कच्चे रुप में ही सेवन किया जाता है। इसलिए इसमें सामान्य कॉफी की तुलना में कैफीन की मात्रा कम होती है। हालांकि कैफीन वजन कम करने में मदद करता है और आपके एकाग्रता में सुधार लाता है। लेकिन इसका ज्यादा सेवन करना आपके स्वास्थ के लिए हानिकारक हो सकता है।