19.10.22

बवासीर 15 दिन मे जड़ से खत्म:bawasir nashak 4 jadi-buti



 

बवासीर (Piles or Hemorrhoids) एक गंभीर समस्या है जिससे आजकल बहुत लोग परेशान हैं। यह गुदा में होने वाली एक समस्या है जिसमें अक्सर अंदर और बाहर की नसों में सूजन हो जाती है। बवासीर होने पर मल त्याग करना कठिन हो जाता है और जब ज्यादा जोर लगाया जाता है, तो इन नसों पर दबाव बनता है जिससे खून आ सकता है और गंभीर दर्द हो सकता है।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बवासीर का सबसे बड़ा कारण कब्ज है, जो गलत खान-पान या सुस्त जीवनशैली की वजह से हो सकता है। बवासीर दो तरह की होती है आंतरिक और बाहरी। आंतरिक बवासीर में गुदा के अंदर नसें फूल जाती है और जोर लगाए जाने पर उनमें खून आ सकता है। बाहरी बवासीर में गुदा के बाहर मस्से बन जाते हैं जिससे मल त्याग करना कठिन और दर्दनाक बन जाता है।

 
अगर बवासीर के इलाज (Piles Treatment) की बात करें, तो एक्सपर्ट फाइबर और पानी से भरपूर चीजों के सेवन की सलाह देते हैं। ऐसा माना जाता है कि हेल्दी डाइट लेकर और फिजिकल एक्टिविटी में शामिल होकर इससे निपटा जा सकता है। जर्नल ऑफ फार्मेसी एंड टेक्नोलॉजी पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, बवासीर के इलाज के लिए कुछ जड़ी बूटियां भी हैं, जो आपके लिए कारगर साबित हो सकती हैं।

बवासीर के लिए नीम

अध्ययन के अनुसार, बवासीर के मरीजों के लिए नीम फायदेमंद हो सकता है। बाजार में नीम का तेल भी मिलता है, जो बवासीर में असरदार है। इस तेल को दिन में दो बार प्रभावित जगह पर लगाने से दर्द और खुजली कम हो जाती है, जिससे समस्या के बढ़ने की संभावना कम हो जाती है और साथ ही राहत मिलती है।

बवासीर का घरेलू इलाज है-एलोवेरा

अध्ययन के अनुसार, इसका उपयोग आंतरिक और बाहरी दोनों बवासीर में किया जाता है। इसे सीधे गुदा पर लगाया जा सकता है या एलोवेरा का रस (दिन में तीन बार 1 कप) भी लिया जा सकता है। यह उपचार में तेजी लाने, खुजली और सूजन को कम करने में मदद करता है। यह रक्तस्राव को रोकने में भी मदद करता है।
तिल के बीज और तेल खत्म करेगा बवासीर
अध्ययन के अनुसार, यह खूनी बवासीर में उपयोगी हो सकते हैं। इसके लिए इसे पीसकर मक्खन के साथ लिया जाना चाहिए। इसके अलावा आप 60 ग्राम बीजों को अच्छी तरह चबाकर खा सकते हैं। बाहरी बवासीर पर तिल का तेल लगाने से आराम मिलता है।

खूनी बवासीर का रामबाण इलाज जामुन का पेड़

जामुन एक बड़ा सदाबहार पेड़ है जिस पर गहरे बैंगनी काले रंग के फल आते हैं। जामुन का मीठा-खट्टा स्वाद होता है। इसके फल को मौसम में 2-3 महीने तक नमक के साथ लेना चाहिए। हर मौसम में इस फल का सेवन करने से बवासीर से खून बहने से बचा जा सकता है। ताजे फल को शहद के साथ लेने से भी लाभ होता है।

विशिष्ट परामर्श -


बवासीर मे  मलाशय और गुदा की नसों में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से असुविधा होता है और खून भी बहता है।तकलीफ  खास तौर पर बैठते समय या मल त्याग के दौरान होती है|दूसरे लक्षणों में खुजली और खून बहना शामिल है।बवासीर रोग को जड़ से नष्ट करने मे हर्बल चिकित्सा सर्वोत्तम प्रभावकारी सिद्ध हुई है "दामोदर चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र"  9826795656 निर्मित " दामोदर अर्श कल्याण" औषधि खूनी और बादी  दोनों तरह की बवासीर  मे आशातीत लाभकारी सिद्ध हुई है। 

करंज के तेल के उपयोग:Karanj ke tel ke fayde

 


करंज का तेल और इसके फायदे

करंज का इस्तेमाल वैदिक काल से ही आयुर्वेदिक इलाज और धार्मिक कार्यों में होता आया है। आयुर्वेद में करंज का इस्तेमाल कई औषधीय योगों (Medicinal formulations) और करंज तेल आदि का उत्पादन करने के लिए किया जाता है। जिससे प्रमेह, कृमि, कुष्ठ और स्त्रिरोगों में लाभ मिलता है। करंज को चिरबिल्व, स्निग्ध पत्र, नक्तमाल एवं गुच्छपुष्पक आदि नामों से भी जाना जाता है। औषधीय प्रयोग में प्राथमिक तौर पर इसके बीजों को प्रयोग में लाया जाता है। जिससे करंज तेल आदि का निर्माण होता है। जो चर्म रोगों के लिए बहुत फायदेमंद तेल होता है। 

 

क्या होता है करंज?


करंज का पेड़ सम्पूर्ण भारत में पाए जाते हैं। विशेषकर मध्य एवं पूर्वी हिमालयी क्षेत्रों में। करंज का पेड़ 25 से 30 फीट ऊंचा होता है। जो हमेशा हरा रहता है। इसकी शाखाएं नीचे की ओर लटकी हुई होती हैं और इसके पत्ते 8 से 15 इंच लम्बे और किनारों से फूले हुए होते हैं। इसके फूल गुच्छे में लगे गुलाबी, नीले और सफेद रंग होते हैं। जिनपर 1 से 2 इंच लम्बी एक चिकनी फली लगी होती है। यह फली मिट्टी जैसे गहरे रंग की होती है। जिसके अंदर बीज होते हैं। इन्हीं बीजों से निकाले गए तेल को करंज का तेल कहते हैं। जिसका इस्तेमाल विभिन्न रोगों के इलाज के रूप में किया जाता है।

 

करंज तेल के फायदे;



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करंज तेल से सिर की मालिश करने से इन्द्रलुप्त अर्थात गंजेपन की समस्या में लाभ मिलता है। इसके अतिरिक्त करंज के फूलों को पीसकर सिर पर लगाने से भी गंजेपन की समस्या काफी हद तक कम होने लगती है।

 

सूजन के लिए असरदार-


सूजन, जोड़ों और गठिया दर्द में करंज तेल की मालिश करने से आराम मिलता है। इसके अतिरिक्त करंज के पत्तों का सेक या स्वेदन करने से भी शरीर की हर प्रकार की सूजन में लाभ होता है।

 

दांत रोग के लिए उपयोगी-


दांतों का दर्द या पायरिया जैसी समस्या होने पर करंज तेल को दांतों पर घिसने (रगड़ने) से दांतों की पीड़ा कम होती है। इसके अतिरिक्त करंज की टहनी से दातुन करना भी पायरिया जैसी समस्या में अच्छा होता है।

 

उदर कृमि के लिए लाभदायक-


पेट के कीड़ों को उदर कृमि भी बोला जाता है। कई बार बच्चों और बड़े लोगों को पेट में कीड़े होने की परेशानी होने लगती है। ऐसे में उनके लिए करंज का तेल एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार करंज तेल का सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

 

कुष्ठ रोग (leprosy) में करंज का उपयोग-


करंज के बीजों से बना तेल कृमिनाशक होता है। इसलिए इस तेल का इस्तेमाल कुष्ठ रोग में लाभदायक होता है। दरअसल करंज तेल में जीवाणुनाशक गुण होता है, जो इसे कुष्ठ जैसे रोगों के लिए कारगर बनाता है। इसके अलावा करंज पौधे की छाल को घिसकर बना लेप भी कुष्ठ रोग और घाव आदि पर फायदा करता है।

 

घाव हेतु करंज तेल के फायदे-


चोट पर करंज तेल का प्रयोग करने से घाव में पड़ने वाला मवाद कम होता है। साथ ही घाव को इन्फेक्शन से भी बचाया जा सकता है। इसके अलावा करंज के कटु एवं तिक्त रस के गुण भी चोट और उसके घाव को जल्दी ठीक करने में सहायता करते हैं।

 

सोरायसिस के लिए असरदार-


करंज तेल से मालिश करने से त्वचा की खुजली एवं सोरायसिस आदि त्वचा विकारों में लाभ होता है।

 

दाद और त्वचा रोग के लिए-


दाद और त्वचा संबंधी अन्य रोग होने पर करंज तेल में नींबू का रस मिलाकर लगाने से दाद की खुजली एवं जलन कम होती है और अन्य रोगों में आराम मिलता है। इसके अलावा करंज पत्तों का लेप भी त्वचा संबंधी रोगों के लिए औषधि का काम करता है।

 

उपदंश (चेचक) में फायदेमंद-


करंज तेल में नींबू रस की एक से दो बूंद मिलाकर घाव पर लगाने से उपदंश (चेचक) में लाभ होता है।

 

मच्छरों का शत्रु करंज तेल-


शरीर पर करंज का तेल लगाने से मच्छरों के प्रकोप से बचा जा सकता है। इसके लिए संपूर्ण शरीर पर करंज तेल को लगाना आवश्यक है।

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