31.3.22

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस(गर्दन का दर्द) के उपचार :cervical spondylosis

 


 सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (Cervical Spondylosis) गठिया का एक प्रकार है। इसमें सर्वाइकल यानि गर्दन में दर्द, अकड़न और सिर दर्द की समस्या होती है। सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की तकलीफ डेस्क वर्क करने वाले लोगों में ज्यादा देखी जाती है। युवाओं में आजकल सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की समस्या बहुत आम हो गई है, लेकिन ज्यादा लापरवाही से यह गंभीर रूप ले लेती है। यह समस्या स्री-पुरुष दोनों में देखी जाती है। 40 वर्ष की उम्र के बाद यह लगभग 60 प्रतिशत लोगों में देखी जाती है।


सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लक्षण


सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लक्षण धीरे-धीरे या फिर अचानक विकसित हो सकते हैं और रोगियों में ये लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं।
गर्दन दर्द: कंधे के ब्लेड के आसपास दर्द आम लक्षण है। कुछ लोगों में हाथ और उंगलियों में दर्द की शिकायत होती है।

मांसपेशियों की कमजोरी: 

मांसपेशियों की कमजोरी से हाथ उठाना या वस्तुओं को मजबूती से पकड़ना मुश्किल हो जाता है।
गर्दन की अकड़न: धीरे-धीरे गर्दन की अकड़न ज्यादा होती जाती है।

कंधों और बाहों में झुनझुनी या सुन्न होना
  बीमारियां आजकल तेजी से इंसान के जीवन को प्रभावित कर रही हैं। छोटे रोग इंसान को आसानी से लग जाते हैं ​और एैसे में यदि इंसान अपनी सेहत पर ध्यान ना दें तो इससे उसकी परेशानी बढ़ सकती है। एैसी ही एक समस्या है सर्वाइकल के पेन की । जी हां ये दर्द हमारी गर्दन पर होता है जिसकी वजह से इसका असर हमारे रोज के काम काजों पर पड़ता है। एैसे में इस दर्द से निजात पाने के लिए क्या करना चाहिए। 

सर्वाइकल पेन के कारण क्या हैं? 

ज़्यादा देर तक गलत पॉस्चर में सोना या बैठना सर्वाइकल पेन का कारण बन सकता है|
कई बार बहुत भरी वज़न सर पर उठाने से भी सर्वाइकल पेन कि समस्या हो सकती है|
मोबाइल इस्तेमाल करते वक़्त या लैपटाप पर काम करते वक़्त बहुत देर तक गर्दन झुकाने के कारण भी सर्वाइकल पेन कि समस्या हो सकती है |
ज़्यादा देर तक एक ही पॉस्चर या पोसिशन में बैठना भी सर्वाइकल पेन का कारण बन सकता है|
सोते वक़्त बहुत उचे और बड़े तकिये का इस्तेमाल करने से भी सर्वाइकल पेन हो सकता है|
बाइक या स्कूटी चलाते वक़्त बहुत भारी हेलमेट का इस्तेमाल करना भी सर्वाइकल पेन का कारण बन सकता है|
दिन भर में अगर आप ज़्यादातर गलत पॉस्चर में उठते-बैठते हैं तो यह सर्वाइकल पेन का मुख्य कारण बन सकता है

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के दर्द का देसी घरेलू उपचार-

लहसुन-

जिन लोगों को अक्सर गर्दन का दर्द रहता है वे लहुसन का प्रयोग जरूर करें। जी हां 5 से 8 लहसुन की कलियां लें और थोड़ा सा सरसों का तेल लें। अब आप एक कड़ाही में सरसों का तेल डालें और उसे गर्म कर लें। और उपर से आप इसमें इन लहुसन की कलियों को डाल दें। जब यह भूरा हो जाए तब इसे छानकर किसी कटोरी में डाल दें। और फिर इससे अपने गर्दन और कंधे पर मालिश करें। एैसा आप रात को सोने से पहले करें।

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस (गर्दन का दर्द) का घरेलू आयुर्वेदिक उपचार तिल के तेल का इस्तेमाल  -  
  
शरीर को अंदर से गर्म रखकर दर्द से निजात दिलवाता है तिल का तेल। इस तेल में कई गुण होते हैं। कड़ाही के अंदर ही आप इस तेल को गर्म करें और फिर इसे अलग से रखकर इसे गुन गुना होने दें। इसके बाद आप इससे मालिश करें।। एैसा करने से गर्दन या सरवाइकल का दर्द धीरे—धीरे ठीक होेने लगता है।हरड़ का इस्तेमाल-
यदि आप हरड़ का सेवन करते हो इससे गर्दन में होने वाला सर्वाइकल दर्द ठीक हो जाएगा।
 हमारा भोजन भी हमें कई तरह के दर्द से निजात दिलवा सकता है। साथ ही इससे हमारी सेहत भी अच्छी रहती है। आप अपनी डायट में पत्ता गोभी, टमाटर, मूली व खीरा के अलावा फलों का जैसे सेब, पपीता और अनार आदि को अधिक से अधिक शामिल करें।
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस को कैसे ठीक करें
ओटीसी OTC दर्द निवारक लें।
गले की मांसपेशियों के दर्द से राहत प्रदान करने के लिए अपनी गर्दन पर हीटिंग पैड या कोल्ड पैक का प्रयोग करें।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
हालांकि, आपको लंबे समय तक गर्दन का ब्रेस या कॉलर नहीं पहनना चाहिए क्योंकि इससे आपकी मांसपेशियां कमजोर हो सकती है।

इन घरेलू उपाए से सर्वाइकल पेन का होगा खत्म-

सोने का तरीका: 

अधिकतर लोग मुलायम और ऊंचे तकिये का इस्तेमाल करते हैं| इसके साथ ही लोग नरम बिस्तर का इस्तेमाल करते हैं| ये दोनों ही चीज़ेंसर्वाइकल पेन का कारण बन सकती हैं| बेहतर होगा कि ऊंची तकिया का त्याग कर दें और सख्त गद्दे पर सोने कि आदत डाल लें|
सर्वाइकल पेन से बचने के लिए पेट के बल न सोएँ, पीठ के बल करवट कर सोएँ, पेट के बल सोने से ये आपकी गर्दन को फैलाता है| कोशिश करें कि ज़मीन के तल पर अपना सर रखकर सोएँ या फिर ऐसे तकिये का प्रयोग करें जो आपकी पीठ को 15 डिग्री तक मोड़ दे|
ऐसा करने से जिन्हें सर्वाइकल पेन है उन्हें दर्द से राहत मिलेगी और जिन्हें सर्वाइकल पेन नहीं है वो इससे बचे रहेंगें >सर्वाइकल पेन को कम करने के लिए आप अपनी गर्दन पर ठंडे या गरम पदार्थ को लेकर अच्छे से सिंकाई कर सकते हैं| किसी एक पदार्थ से सिंकाई करने से अच्छा है कि बारी-बारी ठंडे और गरम पदार्थ का प्रयोग करें|

मसाज: कोई भी तेललें और उसे मसाज के लिए इस्तेमाल करें, मसाज करने से सर्वाइकल पेन में बहुत रिलीफ़ मिलता है| इसके साथ ही अगर आपको शरीर में कहीं भी और दर्द हो रहा हो तो आप वहाँ भी तेल से मसाज कर सकते हैं|

पानी पियें:

अक्सर आपने सुना होगा की कम पानी पीने से भी बहुत सी दिक्कतें हो सकती हैं| इसलिए रोजाना जितनी ज़रूरत हो उतनी मात्रा में पानी पीना ज़रूरी है| हमारे शरीर में होने वाले ज़्यादातर काम में पानी, एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है|
 हमारे जोड़ों और रीढ़ की हड्डी के बीच में जो डिस्क और जाइंट होते हैं उनमें भी ज़्यादातर हिस्सा पानी का ही होता है| अगर आप रोजाना कम पानी पीते हैं तो इससे आपके शरीर की कार्य क्षमता में कमी हो सकती है| इसलिए जितना हो सके आपको रोजाना खूब पानी पीना चाहिए|

 ये सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा पर सर्वाइकल पेन का कारण स्ट्रैस भी हो सकता है| तनाव के कारण सर्वाइकल पेन होना लगभग 60% मामलों में देखा गया है|
इसलिए ज़रूरी है की अगर आपको स्ट्रैस हो तो आप उसे कम करने के लिए कुछ ज़रूरी चीजों पर ध्यान दे जैसे की सही आहार, एक्सॅसाइज़, मेडिटेशन, सपोर्ट, डांस हर एक चीज़ जो आपके तनाव को कम करने में सहायक है उसे आपने दिनचर्या में शामिल करें|

स्ट्रेच एक्सरसाइज: 

 अच्छे खान-पान के साथ शरीर को छोटी-छोटी स्ट्रेच एक्सरसाइज के साथ लचीला भी बनाएँ रखें ऐसा करने से सर्वाइकल पेन में भी आराम मिलता है| इसके साथ ही अगर आप रोजाना थोड़ी बहुत स्ट्रेच एक्सरसाइज करते हैं तो यह आपको किसी भी तरह के दर्द से बचाए रखता है|
इन ज़रूरी आदतों को आपने दिनचर्या में शामिल करें:
कोशिश करें की ज़्यादा वज़न वाला समान न उठाएँ|
योगा के कुछ आसन जैसे की मत्स्यासन, वज्रासन और चक्रासन ज़रूर करें इसके साथ ही गर्दन को गोल-गोल घूमने की एक्सरसाइज भी करें|
रोज़ सुबह सूर्योदय से पहले उठें और कम से कम 3 किलोमीटर तेज़-तेज़ पैदल चलें|
कोशिश करें की कोई भी काम करते वक़्त बहुत ज़्यादा देर तक उसी पॉस्चर में बैठना अवॉइड करें|
अगर आप घरेलू महिला हैं तो कोशिश करें की थोड़ी-थोड़ी देर के लिए काम के बीच आराम कर लें पर बहुत देर के लिए दिन के समय न सोएँ|
अगर आप सफाई पसंद हैं तो कोशिश करें की बैठ कर पोछा लगाएँ|

परहेज करें-

आपको कुछ चीजों से परहेज जरूर करना है। एैसे में आप अधिक तली हुई चीजों, तंबाकू, धूम्रपान आदि का सेवन ना करें। इसके अलावा आप ध्यान और योग जरूर करें। इस तरह से आप सर्वाइकल पेन से जल्द ही मुक्त हो जाओगे। 
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सालमपंजा के औषधीय उपयोग-salampanja

 



सालमपंजा' एक बहुत ही गुणकारी, बलवीर्यवर्द्धक, पौष्टिक और यौन शक्ति को बढ़ाकर नपुंसकता नष्ट करने वाली वनौषधि है।

यह बल बढ़ाने वाला, शीतवीर्य, भारी, स्निग्ध, तृप्तिदायक और मांस की वृद्धि करने वाला होता है। यह वात-पित्त का शमन करने वाला, रस में मधुर होता है।

विभिन्न भाषाओं में नाम : ,

संस्कृत- मुंजातक। हिन्दी- सालमपंजा। मराठी- सालम। गुजराती- सालम। तेलुगू- गोरू चेट्टु। इंग्लिश- सालेप। लैटिन- आर्किस लेटिफोलिया।

परिचय : 

सालम हिमालय और तिब्बत में 8 से 12 हजार फीट की ऊंचाई पर पैदा होता है। भारत में इसकी आवक ज्यादातर ईरान और अफगानिस्तान से होती है। सालमपंजा का उपयोग शारीरिक, बलवीर्य की वृद्धि के लिए, वाजीकारक नुस्खों में दीर्घकाल से होता आ रहा है।

यौन दौर्बल्य : 

सालमपंजा 100 ग्राम, बादाम की मिंगी 200 ग्राम, दोनों को खूब बारीक पीसकर मिला लें। इसका 10 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन कुनकुने मीठे दूध के साथ प्रातः खाली पेट और रात को सोने से पहले सेवन करने से.शरीर की कमजोरी और दुबलापन दूर होता है, यौनशक्ति में खूब वृद्धि होती है और धातु पुष्ट एवं गाढ़ी होती है। यह प्रयोग महिलाओं के लिए भी पुरुषों के समान ही लाभदायक, पौष्टिक और शक्तिप्रद है, अतः महिलाओं के
लिए भी सेवन योग्य है।

वात प्रकोप : 

 और पीपल (पिप्पली) दोनों का महीन चूर्ण मिलाकर आधा-आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम बकरी के कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से कफ व श्वास का प्रकोप शांत होता है। सांस फूलना, शरीर की कमजोरी, हाथ-पैर का दर्द, गैस और वात प्रकोप आदि ठीक होते हैं।

रतिवल्लभ चूर्ण : 

सालमपंजा, बहमन सफेद, बहमन लाल, सफेद मूसली, काली मूसली, बड़ा गोखरू सब 50-50 ग्राम। छोटी इलायची के दाने, गिलोय सत्व, दालचीनी और गावजवां के फूल-सब 25-25 ग्राम। मिश्री 125 ग्राम। सबको अलग-अलग खूब कूट-पीसकर महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
*सालम पंजा व विदारीकन्द को बराबर मात्रा मे पीस कर 5 ग्राम चूर्ण में पिसी मिसरी व घी मिला लें। इस चूर्ण को खाने के बाद इसके ऊपर से मीठा ग्रम दूध पीने से वृद्ध पुरुष की भी संभोग करने की क्षमता वापस लौट आती है।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ दो माह तक सेवन करने से यौन दौर्बल्य और यौनांग की शिथिलता एवं नपुंसकता दूर होती है। शरीर पुष्ट और बलवान बनता है।


चूर्ण : 

विन्दारीकन्द, सालमपंजा, असगन्ध, सफेद मूसली, बड़ा गोखरू, अकरकरा सब 50-50 ग्राम खूब महीन चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें।
इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से यौन शक्ति और स्तंभनशक्ति बढ़ती है। यह योग बना-बनाया इसी नाम से बाजार में मिलता है। .

शुक्रमेह :

 सालम पंजा, सफेद मूसली एवं काली मूसली तीनों 100-100 ग्राम लेकर कूट-पीसकर खूब बारीक चूर्ण करके मिला लें और शीशी में भर लें। प्रतिदिन आधा-आधा चम्मच सुबह और रात को सोने से पहले कुनकुने मीठे दूध.के साथ सेवन करने से शुक्रमेह, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, कामोत्तजना की कमी आदि दूर होकर यौनशक्ति की वृद्धि होती है।

प्रदर रोग : 

सलमपंजा, शतावरी, सफेद मूसली और असगन्ध सबका 50-50 ग्राम चूर्ण लेकर मिला लें। इस चूर्ण को एक-एक चम्मच सुबह व रात को कुनकुने मीठे दूध के साथ सेवन करने से पुराना श्वेतप्रदर और इसके कारण होने वाला कमर दर्द दूर होकर शरीर पुष्ट और निरोगी होता है।

जीर्ण अतिसार : 

सालमपंजा का खूब महीन चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह, दोपहर और शाम को छाछ के साथ सेवन करने से पुराना अतिसार रोग ठीक होता है। एक माह तक भोजन में सिर्फ दही-चावल का ही सेवन करना चाहिए। इस प्रयोग कोलाभ होने तक जारी रखने से आमवात, पुरानी पेचिश और संग्रहणी रोग में भी लाभ होता है
विशिष्ट परामर्श-






नपुंसकता एक ऐसी समस्या है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. किसी भी पुरुष के एक पिता बनने में असमर्थ होने को पुरुष बांझपन या नपुंसकता कहा जाता है।यह तब होता है जब कोई पुरुष संभोग के लिए पर्याप्त इरेक्शन प्राप्त नहीं कर पाता या उसे मजबूत नहीं रख पाता. दामोदर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र 
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प्राकृतिक चिकित्सा से रोगों का इलाज:prakritik chikitsa

 


प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत प्रकृति के पांच तत्वों के द्वारा इलाज किया जाता है और इस इलाज की पद्धति को बेहद असरदार भी माना जाता है। 

 प्राकृतिक चिकित्सा यानि प्रकृति में पाई जाने वाली चीजों से इलाज करने की पद्धति। यह उतनी ही पुरानी है जितनी की स्वयं प्रकृति। होम्योपैथी, एक्यूपंचर आदि इसी की शाखाएं मानी जाती हैं। इन चिकित्सा पद्धतियों में जल, मिट्टी, हवा, सूरज, भोजन आदि का प्रयोग बीमारियों को जड़ से मिटाने का प्रयास किया जाता है। आइए जानें इस पद्धति में मशहूर थैरेपी।

मड थेरेपी

   प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार मिट्टी में पृथ्वी तत्व पाया जाता है जिसकी सहायता से शरीर जीवंत और ऊर्जावान बना रहता है। इसके लिए एकदम साफ, रसायन रहित और जमीन से कम से कम दो से चार फीट नीचे से निकाली गई मिट्टी इस्तेमाल में ली जाती है।

जल चिकित्सा

   पानी को खुद में एक दवाई माना जाता है। वाटर थैरेपी या जल चिकित्सा का जापान में काफी इस्तेमाल होता है। इस थेरेपी के अन्तर्गत रोग के इलाज के लिए गर्म टावल से शरीर को ढ़ंकना, हॉट बाथ, स्टीम बाथ आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसके प्रयोग से पेट में होने वाली समस्याओं, बुखार, तनाव आदि का सफल इलाज किया जा सकता है।
   अनिद्रा या तनाव के रोगियों के लिए जल चिकित्सा के अंतर्गत सोने से पहले नहाने की सलाह दी जाती है। सूर्य चिकित्सा या सूर्य की किरणों से की जाने वाली चिकित्सा                               

  सूर्य चिकित्सा के दौरान रोगों के इलाज के लिए सूरज की किरणों में पाए जाने वाले सात रंगों का प्रयोग किया जाता है। सूर्य चिकित्सा का सिद्धांत है कि अगर शरीर स्वस्थ है तो शरीर का प्राकृतिक रंग बरकरार रहेगा। लेकिन बीमार होने की सूरत में शरीर अपना रंग बदल लेता है। इसी के आधार पर सूर्य चिकित्सा के दौरान रोगियों का इलाज होता है।

वैसे भी यह सर्वमान्य है कि सूर्य की किरणों के प्रभाव से कई रोगों के जीवाणु स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं।

डाइट थैरेपी

  पेट से जुड़ी समस्याओं और मोटापे आदि में इस थैरेपी से लोगों को बहुत जल्दी फायदा पहुंचता है। प्राकृतिक चिकित्सा का मानना है कि मनुष्य के शरीर के बीमार होने का एक मूल कारण इसका गलत खान-पान भी है। पेट में जंक फूड या खराब खाने से विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं और अंत में जाकर यही किसी भी रोग का मुख्य कारण बनते हैं।
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19.3.22

विभिन्न रोगों मे कलमी शोरा के के उपयोग:kalmi shora

 



विभिन्न रोगों मे कलमी शोरा के के उपयोग

बवासीर -

*कलमी शोरा और रसोंत बराबर मात्रा में लेकर मूली के रस में पीस लें,यह पेस्ट बवासिर के मस्सो पर लगाने से
तुरंत राहत मिलती है।
*घोड़े के बाल से मस्से को काटकर  उस पर कलमी शोरा नींबू के रस मे मिलाकर लगाने से  मस्सा समाप्त हो जाता है| और घाव भी नहीं बनता है|

स्त्रियॉं मे सफ़ेद पानी जाना -

  आधा ग्राम कलमी शोरा और एक ग्राम का चौथा भाग  फिटकरी का चूर्ण दिन मे तीन बार पानी के साथ लेने से श्वेत प्रदर  काबू मे आ जाता है|

अगर उल्टी दस्त और पेशाब बंद हो जाये तो कलमी शोरा को पीसकर उसमे कपड़ा भिगोकर रोगी के पेडू(नाभि) पर रखने से पेशाब खुल कर आने लगता है|

पथरी मे-

कलमी शोरा, बड़ी इलायची के दाने, मलाई रहित ठंडा दूध व पानी। कलमी शोरा व बड़ी इलायची के दाने महीन पीसकर दोनों चूर्ण समान मात्रा में लाकर मिलाकर शीशी में भर लें।एक भाग दूध व एक भाग ठंडा पानी मिलाकर फेंट लें, इसकी मात्रा 300 एमएल होनी चाहिए। एक चम्मच चूर्ण फांककर यह फेंटा हुआ दूध पी लें। यह पहली खुराक हुई। दूसरी खुराक दोपहर में व तीसरी खुराक शाम को लें।दोदिन तक यह प्रयोग करने से पेशाब की जलन दूर होती है व मुँह के छाले व पित्त सुधरता है। शीतकाल में दूध में कुनकुना पानी मिलाएँ।
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14.3.22

गोदन्ती भस्म के उपयोग:godanti bhasm

 


 
गोदंती भस्म एक सुरक्षित दर्द निवारक औषधि है | गोदंती भस्म को गोदंती हरताल , घाषान , कर्पूर शिला व अंग्रेजी में Gypsum(जिप्सम) भी कहते है | गोदंती एक प्रकार का खनिज है | इसका यह नाम गोदंती = गो + दंती , यहाँ गो का आशय गाय से है व दंती का दांत से | यह दिखने में बिल्कुल गाय के दांत के जैसा दिखाई प्रतीत होता है इसलिए इसका नाम गोदंती रखा गया है | आयुर्वेद में गोदंती भस्मका प्रयोग बहुत अधिक किया जाता है | गोदंती भस्म का प्रयोग ज्वर पीड़ा में , सिर दर्द में , कैल्शियम पूरक के रूप में , टाइफाइड बुखार में , हड्डियों के रोग और भी विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है |

गोदंती भस्म बनाने की विधि :

गोदंती शोधन विधि : 

अच्छी गोदंती को गर्म पानी से धोकर साफ़ करके धुप में सुखाकर रख ले |

भस्म विधि :

जमीन में एक हाथ गहरा गड्डा बना उसका चौथाई भाग कंडों से भरकर उस पर गोदंती की टुकड़ों को अछि तरह बिछा दे और ऊपर कंडों से शेष भाग को भरकर आँच दे | स्वांगशीतल होने पर कंडों की राख को सावधानी से हटाकर गोदन्ती भस्म को निकाल चन्दानादि अर्क ( उत्तम चन्दन का चूर्ण, मौसमी गुलाब तथा केवड़ा, वेदमुश्क या मौलसरी और कमल के फूल सबको एकत्र कर उसमें आठ गुना पानी डालकर भबके से आधा अर्क खींचे ) इसमें या ग्वारपाठा(घीकुमारी) के रस में घोंट टिकियाँ बना धुप में सुखावें, जब टिकियाँ खूब सूख जाए तो सराव सम्पूट में बंद कर लघुपट में फूंक दे | यह स्वच्छ-सफेद और बहुत मुलायम भस्म तैयार होगी |

गोदन्ती भस्म के लाभ 

godanti bhasm ke fayde

आयुर्वेद में गोदन्ती भस्म को एक अच्छी दर्द निवारक औषधि के रूप में जाना गया है | जिसके प्रयोग से रोगी अपने दर्द से शीघ्र ही राहत पाता है |
हर प्रकार के ज्वर में शरीर का ताप कम करने में गोदन्ती भस्म का प्रयोग किया जाता है | ज्वर( बुखार) होने पर गोदंती भस्म पैरासिटामोल के रूप में कार्य करती है |
मलेरिया रोग में भी गोदंती भस्म का प्रयोग बड़े स्तर पर किया जाता है |
स्त्रियों के श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर, रक्तस्त्राव में गोदन्ती भस्म लाभ प्रदान करती है |

godanti bhasm ke fayde

सिर दर्द दूर करने में भी गोदंती भस्म का प्रयोग किया गया है |
शरीर में कैल्सियम की कमी को दूर करने में गोदंती भस्म उपयोगी है | हड्डियों की सूजन व हड्डियों की कमजोरी दूर करने में भी इसका प्रयोग बड़े स्तर पर किया गया है |
सूखी खांसी दूर करने में यह उपयोगी है
पेट में एसिड की समस्या या पेट का अल्सर दूर करने में भी इसका प्रयोग अन्य औषधियों के साथ में किया जाता है |
शरीर में कोई भी सामान्य दर्द व पीड़ा दूर करने में भी गोदंती भस्म का प्रयोग लाभप्रद सिद्ध होता है |
कब्ज व अजीर्ण आदि रोग दूर करने में भी इसका प्रयोग किया गया है |
रोगों के उपचार में गोदंती भस्म के प्रयोग :

गोदन्ती भस्म के उपयोग :

मलेरिया बुखार में गोदंती भस्म से उपचार : 

गोदंती भस्म 2 रत्ती , फिटकरी भस्म 2 रत्ती , सफ़ेद जीरे का चूर्ण 4 रत्ती – तीनों को तुलसीपत्र -रस और शहद में मिलाकर चटाने और ऊपर से सुदर्शन अर्क 5 तोला पिलाने से मलेरिया की गर्मी दूर होकर रोगी को आराम मिलता है |

godanti bhasm ke fayde

शीत ज्वर व पारी वाले बुखार में गोदंती भस्म से उपचार : 

गोदंती भस्म 6 रत्ती में एक चावल संखिया भस्म मिला शहद के साथ दे | इसके तुरंत बाद सुदर्शन चूर्ण का क्वाथ बनाकर अथवा सुदर्शन अर्क 5 तोला पिला देने से बहुत लाभ मिलता है |

सिरदर्द के उपचार में गोदन्ती भस्म का प्रयोग :

 3 रत्ती गोदन्ती भस्म और 1 माशा मिश्री तथा 1 तोला गोघृत सब को मिलाकर दिन में तीन बार देने से रोगी को विशेष लाभ मिलता है | इसी प्रकार सूर्यावर्त, अर्धावभेदक(अधकपारी) में सूर्योदय से एक -एक घंटा पहले दो मात्रा गोदन्ती भस्म शहद के साथ देने से अवश्य लाभ मिलता है |

स्त्रियों के श्वेत प्रदर में गोदन्ती भस्म का प्रयोग :

गोदंती भस्म 6 रत्ती तथा त्रिवंग भस्म 1 रत्ती मिला शर्बत बनप्सा या मधूकाद्य्वलेह के साथ देने से उत्तम लाभ होता है | रक्त प्रदर में पूर्व मिश्रण सहित देकर ऊपर से अशोकारिष्ट या पत्रांगासव पिलाने से बहुत शीघ्र लाभ मिलने लगता है |

मात्रा व सेवन विधि :

गोदन्ती भस्म के सेवन की मात्रा रोगी की उम्र व उसके वजन के अनुसार 125 मिलीग्राम से लेकर एक ग्राम तक हो सकती है | बच्चों के लिए 65 मिलीग्राम से लेकर 250मिलीग्राम तक इसकी मात्रा हो सकती है | व्यस्क के लिए 250 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक हो सकती है |

ध्यान देने योग्य :

गोदन्ती भस्म के उपरोक्त सभी प्रयोग सिर्फ और सिर्फ आपकी जानकारी हेतु प्रस्तुत किये गये है | बिना उचित जानकारी के स्वयं से रोग का उपचार हानिकारक सिद्ध हो सकता है | गोदंती भस्म का प्रयोग एक सीमित अवधि के लिए ही किया जाना चाहिए | चिकित्सक की देख-रेख में ही इस औषधि का सेवन करना चाहिए |
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12.3.22

सेब का सिरका ,शहद,अदरक ,हल्दी मिलाकर सेवन करने के फायदे :apple cyder

  


सेब का सिरका सेहत से लेकर त्वचा तक सभी को फायदा पहुंचाता है। मगर यदि आप सेब के सिरके में शहद, अदरक का रस और हल्दी मिला लें, तो इससे मिलने वाले फायदे और भी दोगुने हो जाते हैं। आइए जानते हैं सेब के सिरके में शहद, अदरक का रस और हल्दी मिलाकर पीने से मिलने वाले फायदे.

पहले जानते हैं एप्पल साइडर ड्रिंक बनाने का तरीका...

पानी - 1 कप
सेब का सिरका - 1 टीस्पून
शहद - 1 टेबलस्पून
अदरक का रस - 1 चम्मच
हल्दी पाउडर - 1 चुटकी

 

गैस पर 1 कप पानी को गर्म होने के लिए रख दें। उसके बाद उसमें अदरक का रस और हल्दी डाल दें। ध्यान रखें पानी को लगातार चलाते रहें। कप में शहद और सेब का सिरका डाल लें। 2 मिनट तक पानी को उबालें और थोड़ा ठंडा होने के बाद कप में डाल लें। आपकी हेल्दी और बीमारियां दूर रखने वाली ड्रिंक तैयार है। आप चाहें तो इसे ठंडा करके भी पी सकते हैं।

फायदे...


वजन कम करने में मददगार


तीनों चीजों को इकट्ठा पीने से आपकी भूख पर कंट्रोल रहता है। खासतौर पर शहद में मौजूद Peptide YY आपके पाचन तंत्र को तंदरूस्त करके भूख लगने वाले हार्मोन्स को कंट्रोल में रखता है।


जी मचलाना


कई बार मां बनने वाली औरत का मन खराब होता है, ऐसे में सेब के सिरके में शहद और अदरक का रस मिलाकर पीने से लाभ मिलता है। जिन लोग की कीमोथेरेपी हो रही है या फिर किसी भी अन्य वजह से जी घबराए तो आप सेब के सिरके को आधा गिलास गुनगुने पानी में डालकर 1 चम्मच शहद  और अदर का रस डालकर पिएं। मन घबराना ठीक हो जाएगा।


लिवर की करे सफाई


सेब का सिरका शरीर में मौजूद टॉक्सिंस को बाहर निकालने में मदद करता है। शरीर से सारी गंदगी बाहर निकालने का काम लिवर का होता है, जिसमें सेब का सिरका, शहद और हल्दी उसकी मदद करते हैं। अगर आप हर रोज सुबह सेब के सिरके में ह्लदी और शहद मिलाकर पिएं तो आपका लिवर हमेशा अच्छे से काम करेगा।


इंटेस्टाइन के लिए बेहतरीन ड्रिंक


आपके गट का हेल्दी रहना बहुत जरूरी है। इन चारों चीजों का मिश्रण आपके गट की लाइफ बढ़ने में मदद करता है, यह बॉडी में गुड बैक्टीरिया को जन्म देता है। जो आपकी आंतों की सफाई में शरीर की मदद करता है।


मतली से राहत

पुराने जमाने से हल्दी और अदरक मतली के इलाज और रोकथाम में इस्तमाल होता रहा है. उसका कारण अदरक में पाया जानेवाला जिंजरोल है जो चक्कर, मतली और उल्टी की समस्या को कम कर सकता है. ये प्रेगनेन्ट महिला या कीमोथेरेपी से गुजरने वाले मरीजों में उल्टी के लक्षणों को राहत देनेमें के लिए बिल्कुल मददगार है. इसके अलावा, हल्दी में मौजूद करक्यूमिन असर को सुधारेगा

घुटनों का दर्द या आर्थराइटिस


अदरक का रस शरीर के जोड़ों में पैदा होने वाली सूजन को कम करने में मदद करता है। आर्थराइटिस की समस्या में यह आपके लिए एंटी-इंफलेमेंटरी का काम करता है, जिससे शरीर में सूजन को आराम मिलता है। अदरक का रस जोड़ों में पैदा होने वाली दर्द में भी राहत देता है, उसी तरह हल्दी भी एंटी-बायोटिक का काम करती है।


बैक्टीरिया से लड़ने में करता है मदद


इन तीनों चीजों का मिश्रण पेट में किसी भी तरह की इंफेक्शन नहीं होने देता। यह बॉडी की इम्यून पॉवर को स्ट्रांग करके शरीर को रोगों से लड़ने और बचने में मदद करता है।


डायबिटीज का खतरा करे कम


आज हर वर्ष पूरी दुनिया में 1.4 मिलियन लोग डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। खाने से पहले इस ड्रिंक को लेने से यह शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में मदद करती है, खासतौर पर जब आपके भोजन में कार्बस की मात्रा अधिक हो। टाइप -1 डायबिटिक पेशेंट्स के लिए इस ड्रिंक का सेवन बहुत ही फायदेमंद सिद्ध हुआ है।


भूख कम करनेवाला

स्वस्थ सामग्रियों का ये मिश्रण बिल्कुल मददगार हो सकता है जब आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हों. क्योंकि ये आपकी भूख को कम करेगा, आप गैर जरूरी अस्वस्थ स्नैक्स के इस्तेमाल से बचेंगे. शहद खुद घ्रेलिन (भूख महसूस करानेवाला हार्मोन) और लेप्टिन (तृप्ति हार्मोन) को काबू करता है.
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11.3.22

अमरूद के पेड़ और फल के स्वस्थ्य लाभ : Amrud ke fayde

 



अमरूद हमारे देश का एक प्रमुख फल है. हल्के हरे रंग का अमरूद खाने में मीठा होता है. इसके अंदर सौकड़ों की संख्या में छोटे-छोटे बीज होते हैं. अमरूद बेहद आसानी से मिल जाने वाला फल है. लोग घरों में भी इसका पेड़ लगाते हैं. पर बेहद सामान्य फल होने के कारण ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं होता है कि ये स्वास्थ्य के लिहाज से कितना फायदेमंद होता है.

अमरूद की तासीर ठंडी होती है. ये पेट की बहुत सी बीमारियों को दूर करने का रामबाण इलाज है. अमरूद के सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है. इसके बीजों का सेवन करना भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है. अमरूद में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा होती है जिससे अनेक बीमारियों में फायदा होता है.

अमरूद के औषधीय प्रयोग : 

*बवासीर (पाइल्स) :-

*सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है।
*पके अमरुद खाने से पेट का कब्ज खत्म होता है, जिससे बवासीर रोग दूर हो जाता है।
*कुछ दिनों तक रोजाना सुबह खाली पेट 250 ग्राम अमरूद खाने से बवासीर ठीक हो जाती है। बवासीर को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट अमरूद खाना उत्तम है। 
*मल-त्याग करते समय बांयें पैर पर जोर देकर बैठें। इस प्रयोग से बवासीर नहीं होती है और मल साफ आता है।"

*सूखी खांसी :-

 *गर्म रेत में अमरूद को भूनकर खाने से सूखी, कफयुक्त और  काली खांसी में आराम मिलता है। यह प्रयोग दिन में तीन बार करें।
*एक बड़ा अमरूद लेकर उसके गूदे को निकालकर अमरूद के अंदर थोड़ी-सी जगह बनाकर अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में भर देते हैं। इसके बाद अमरूद में कपड़ा भरकर ऊपर से मिट्टी चढ़ाकर तेज गर्म उपले की राख में भूने, अमरूद के भुन जाने पर मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद पीसकर छान लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम मिलाकर चाटने से सूखी खांसी में लाभ होता है।"



* दांतों का दर्द :- 

*अमरूद की कोमल पत्तियों को चबाने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।
*अमरूद के पत्तों को दांतों से चबाने से आराम मिलेगा।
*अमरूद के पत्तों को जल में उबाल लें। इसे जल में फिटकरी घोलकर कुल्ले करने से दांतों की पीड़ा (दर्द) नष्ट हो जाती है।

*आधाशीशी आधे सिर का दर्द) :-

 *अमरूद के पत्तों को चबाने से दांतों की पीड़ा दूर होती है। मसूढ़ों में दर्द, सूजन और आंतों में दर्द होने पर अमरूद के पत्तों को उबालकर गुनगुने पानी से कुल्ले करें।"
*आधे सिर के दर्द में कच्चे अमरूद को सुबह पीसकर लेप बनाएं और उसे मस्तक पर लगाएं।
*सूर्योदय के पूर्व ही सवेरे हरे कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर जहां दर्द होता है, वहां खूब अच्छी तरह लेप कर देने से सिर दर्द नहीं उठने पाता, अगर दर्द शुरू हो गया हो तो शांत हो जाता है। यह प्रयोग दिन में 3-4 बार करना चाहिए।"

* जुकाम :- 

रुके हुए जुकाम को दूर करने के लिए बीज निकला हुआ अमरूद खाएं और ऊपर से नाक बंदकर 1 गिलास पानी पी लें। जब 2-3 दिन के प्रयोग से स्राव (बहाव) बढ़ जाए, तो उसे रोकने के लिए 50-100 ग्राम गुड़ खा लें। ध्यान रहे- कि बाद में पानी न पिएं। सिर्फ 3 दिन तक लगातार अमरूद खाने से पुरानी सर्दी और जुकाम दूर हो जाती है।
लंबे समय से रुके हुए जुकाम में रोगी को एक अच्छा बड़ा अमरूद के अंदर से बीजों को निकालकर रोगी को खिला दें और ऊपर से ताजा पानी नाक बंद करके पीने को दें। 2-3 दिन में ही रुका हुआ जुकाम बहार साफ हो जायेगा। 2-3 दिन बाद अगर नाक का बहना रोकना हो तो 50 ग्राम गुड़ रात में बिना पानी पीयें खा लें"

 :-*रक्तविकार के कारण फोड़े-फुन्सियों का होना

 4 सप्ताह तक नित्य प्रति दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाएं। इससे पेट साफ होगा, बढ़ी हुई गर्मी दूर होगी, रक्त साफ होगा और फोड़े-फुन्सी, खाज-खुजली ठीक हो जाएगी।

* पुरानी सर्दी :-

3 दिनों तक केवल अमरूद खाकर रहने से बहुत पुरानी सर्दी की शिकायत दूर हो जाती है।
*शक्ति (ताकत) और वीर्य की वृद्धि के लिए :- अच्छी तरह पके नरम, मीठे अमरूदों को मसलकर दूध में फेंट लें और फिर छानकर इनके बीज निकाल लें। आवश्यकतानुसार शक्कर मिलाकर सुबह नियमित रूप से 21 दिन सेवन करना धातुवर्द्धक होता है।

* पेट दर्द :- 


*नमक के साथ पके अमरूद खाने से आराम मिलता है।
*अमरूद के पेड़ के कोमल 50 ग्राम पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर छानकर पीने से लाभ होगा।
*अमरूद के पेड़ की पत्तियों को बारीक पीसकर काले नमक के साथ चाटने से लाभ होता है।
*अमरूद के फल की फुगनी (अमरूद के फल के नीचे वाले छोटे पत्ते) में थोड़ा-सी मात्रा में सेंधानमक को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से पेट में दर्द समाप्त होता है।
*यदि पेट दर्द की शिकायत हो तो अमरूद की कोमल पततियों को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से आराम होता है। अपच, अग्निमान्द्य और अफारा के लिए अमरूद बहुत ही उत्तम औषधि है। इन रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को 250 ग्राम अमरूद भोजन करने के बाद खाना चाहिए। जिन लोगों को कब्ज न हो तो उन्हें खाना खाने से पहले खाना चाहिए।"


* पुराने दस्त :-
 अमरूद की कोमल पित्तयां उबालकर पीने से पुराने दस्तों का रोग ठीक हो जाता है। दस्तों में आंव आती रहे, आंतों में सूजन आ जाए, घाव हो जाए तो 2-3 महीने लगातार 250 ग्राम अमरूद रोजाना खाते रहने से दस्तों में लाभ होता है। अमरूद में-टैनिक एसिड होता है, जिसका प्रधान काम घाव भरना है। इससे आंतों के घाव भरकर आंते स्वस्थ हो जाती हैं।

* मलेरिया :- 

*मलेरिया बुखार में अमरूद का सेवन लाभकारी है। नियमित सेवन से तिजारा और चौथिया ज्वर में भी आराम मिलता है।
*अमरूद और सेब का रस पीने से बुखार उतर जाता है।
*अमरूद को खाने से मलेरिया में लाभ होता है।"

*भांग का नशा :-

 2-4 अमरूद खाने से अथवा अमरूद के पत्तों का 25 ग्राम रस पीने से भांग का नशा उतर जाता है।

*मानसिक उन्माद (पागलपन) :- 

*सुबह खाली पेट पके अमरूद चबा-चबाकर खाने से मानसिक चिंताओं का भार कम होकर धीरे-धीरे पागलपन के लक्षण दूर हो जाते हैं और शरीर की गर्मी निकल जाती है।
*250 ग्राम इलाहाबादी मीठे अमरूद को रोजाना सुबह और शाम को 5 बजे नींबू, कालीमिर्च और नमक स्वाद के अनुसार अमरूद पर डालकर खा सकते हैं। इस तरह खाने से दिमाग की मांस-पेशियों को शक्ति मिलती है, गर्मी निकल जाती है, और पागलपन दूर हो जाता है। दिमागी चिंताएं अमरूद खाने से खत्म हो जाती हैं।"

*पेट में गड़-बड़ी होने पर :-

 अमरूद की कोंपलों को पीसकर पिलाना चाहिए।

* अमरूद का मुरब्बा :-

 अच्छी किस्म के तरोताजा बड़े-बड़े अमरूद लेकर उसके छिलकों को निकालकर टुकड़े कर लें और धीमी आग पर पानी में उबालें। जब अमरूद आधे पककर नरम हो जाएं, तब नीचे उतारकर कपड़े में डालकर पानी निकाल लें। उसके बाद उससे 3 गुना शक्कर लेकर उसकी चासनी बनायें और अमरूद के टुकड़े उसमें डाल दें। फिर उसमें इलायची के दानों का चूर्ण और केसर इच्छानुसार डालकर मुरब्बा बनायें। ठंडा होने पर इस मुरब्बे को चीनी-मिट्टी के बर्तन में भरकर, उसका मुंह बंद करके थोड़े दिन तक रख छोड़े। यह मुरब्बा 20-25 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से कोष्ठबद्धता (कब्जियत) दूर होती है।

*आंखों के लिए :- 

*अमरूद के पत्तों की पोटली बनाकर रात को सोते समय आंख पर बांधने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है। आंखों की लालिमा, आंख की सूजन और वेदना तुरंत मिट जाती है।
*अमरूद के पत्तों की पुल्टिस (पोटली) बनाकर आंखों पर बांधने से आंखों की सूजन, आंखे लाल होना और आंखों में दर्द करना आदि रोग दूर होते हैं।"

आंखों के नीचे काले घेरे में अमरूद के फायदे.

ऐसे तो आपने अमरूद के पत्ते के फायदे कई सारी सुनी होंगी, लेकिन आप जानते है अमरूद के पत्तो का इस्तेमाल करके आंखों के नीचे काले घेरे को ठीक किया जा सकता है. इसके लिए अमरूद की पत्त‍ियों को पीसकर उसका पेस्ट बना लें और फिर इस पेस्ट को आंखों के नीचे काले घेरे पर लगाए, इससे आंखों के नीचे काले घेरे के साथ सूजन भी ठीक हो जाते है.

Aamrud ke fayde 

*कब्ज :- 

*250 ग्राम अमरूद खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज दूर होती है।
*अमरूद के कोमल पत्तों के 10 ग्राम रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर प्रतिदिन केवल एक बार सुबह सेवन करने से 7 दिन में अजीर्ण (पुरानी कब्ज) में लाभ होता है।
*अमरूद को नाश्ते के समय कालीमिर्च, कालानमक, अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस, अफारा (पेट फूलना) की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जाएगी। नाश्ते में अमरूद का सेवन करें। सख्त कब्ज में सुबह-शाम अमरूद खाएं।
*अमरूद को कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से 3-4 दिन में ही मलशुद्धि होने लग जाती है। कोष्ठबद्धता मिटती है एवं कब्जियत के कारण होने वाला आंखों की जलन और सिर दर्द भी दूर होता है।
*अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है और कब्ज दूर हो जाता है। इसे खाना खाने से पहले ही खाना चाहिए, क्योंकि खाना खाने के बाद खाने से कब्ज करता है। कब्ज वालों को सुबह के समय नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह और शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे पेट साफ हो जाता है।
*अमरूद खाने से या अमरूद के साथ किशमिश के खाने से कब्ज़ की शिकायत नहीं रहती है।"

डायबिटीज को करे नियंत्रित

जिस तरह से अमरूद का फल डायबिटीज वालों के लिए फायदेमंद होता है, उसी तरह इसके पत्तों का पानी डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद कर सकती हैं
एक अमरूद को आग में भूनकर खाने से कफयुक्त खांसी में लाभ होता है।


सर्दी-खांसी में राहत में असरदार

चूंकि अमरूद की पत्तियों में विटामिन सी और आयरन की मात्रा अधिक होती है, इसलिए अमरूद की पत्तियों का काढ़ा खांसी और सर्दी को दूर करने में मददगार होता है. अमरूद का जूस फेफड़े और गले को साफ करने में मदद करता है.

* मस्तिष्क विकार :-

 अमरूद के पत्तों का फांट मस्तिष्क विकार, वृक्क प्रवाह और शारीरिक एवं मानसिक विकारों में प्रयोग किया जाता है।

*आक्षेपरोग :- 

अमरूद के पत्तों के रस या टिंचर को बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर मालिश करने से उनका आक्षेप का रोग दूर हो जाता है।

* हृदय :-

 अमरूद के फलों के बीज निकालकर बारीक-बारीक काटकर शक्कर के साथ धीमी आंच पर बनाई हुई चटनी हृदय के लिए अत्यंत हितकारी होती है तथा कब्ज को भी दूर करती है।

Aamrud ke fayde 

*कुकर खांसी, काली खांसी (हूपिंग कफ) :- 

*एक अमरूद को भूभल (गर्म रेत या राख) में सेंककर खाने से कुकर खांसी में लाभ होता है। छोटे बच्चों को अमरूद पीसकर अथवा पानी में घोलकर पिलाना चाहिए। अमरूद पर नमक और कालीमिर्च लगाकर खाने से कफ निकल जाती है। 100 ग्राम अमरूद में विटामिन-सी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम तक होता है। यह हृदय को बल देता है। अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है। कब्ज से ग्रस्त रोगियों को नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह-शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे दस्त साफ आएगा, अजीर्ण और गैस दूर होगी। अमरूद को सेंधानमक के साथ खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है।
 *एक कच्चे अमरूद को लेकर चाकू से कुरेदकर उसका थोड़ा-सा गूदा निकाल लेते हैं। फिर इस अमरूद में पिसी हुई अजवायन तथा पिसा हुआ कालानमक 6-6 ग्राम की मात्रा में लेकर भर देते हैं। इसके बाद अमरूद पर कपड़ा लपेटकर उसमें गीली मिट्टी का लेप चढ़ाकर आग में भून लेते हैं पकने के बाद इसके ऊपर से मिट्टी और कपड़ा हटाकर अमरूद को पीस लेते हैं। इसे आधा-आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर सुबह-शाम रोगी को चटाने से काली खांसी में लाभ होता है।

बालों झड़ने की समस्या को करे दूर

अमरूद की पत्तियां बालों का झड़ना कम कर सकती हैं या स्थिति को खराब होने से रोक सकती हैं. इसके लिए अमरूद की पत्तियां लेकर लगभग 20 मिनट के लिए पानी में उबाल लें, बाद में इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें. सबसे पहले, अपने बालों को पानी से धो लें और फिर बालों की जड़ों पर अमरूद की पत्तियों के मिश्रण को लगाएं. *एक अमरूद को गर्म बालू या राख में सेंककर सुबह-शाम 2 बार खाने से काली खांसी ठीक हो जाती है।"

शक्ति और वीर्य वृद्धि :

अच्छी तरह पके नरम, मीठे अमरूदों को मसलकर दूध में फेंट लें और फिर छानकर इनके बीज निकाल लें। आवश्यकतानुसार शक्कर मिलाकर प्रात: नियमित रूप से 21 दिन सेवन करें। इसके सेवन से शरीर की शक्ति बढ़ती है और पुरुषों के वीर्य में वृधि होती है |

सिर दर्द :

आधे सिर के दर्द में कच्चे अमरूद को सुबह पीसकर लेप बनाएं और उसे मस्तक पर लगाएं।

बवासीर (पाइल्स ) का इलाज :

सुबह खाली पेट 200-300 ग्राम अमरूद नियमित रूप से सेवन करें। ऐसा करने से बवासीर में फायदा होता है

अमरुद खाने के नुकसान

जिन लोगो की प्रकृति शीत होती है या जिनका पाचन कमजोर है वे लोग अमरुद कम खाएं. ऐसे लोगों को यह सही तरीके से नहीं पचता और नुकसान करता है | आपने अक्सर देखा होगा कि बारिश के मौसम में अमरूद के छोटे – छोटे कीड़े पद जाते हैं, ये कीड़े यदि पेट में चले जाते है तो पेट दर्द, अफारा, हैजा जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं। इसके बीज सख्त होते हैं और इस कारण से इनका पचना कठिन हो जाता है | जिन लोगो को इसके बीज नहीं पचते हैं उनको एपेन्डिसाइटिस रोग हो सकता है । अत: इनके बीजों के सेवन से बचना चाहिए।

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