29.1.21

नागफनी पौधे के गुण और फायदे:Nagfani plant


 नागफनी एक ऐसा पौधा है जिसका तना पत्ते के सामान लेकिन गूदेदार होता है. जबकि इसकी पत्तियां काँटों के रूप में बदल गई होती हैं. इसे वज्रकंटका के नाम से भी जाना जाता है. यह एक कैक्टेस है जो सूखी बंजर जगह पर उगता है. इसके पौधे को बहुत ही कम पानी की आवाश्यकता होती है. यह पौधा सबसे पहले मैक्सिको में उगाया गया था है और अब यह भारत में भी बहुत आसानी से उपलब्ध है. नागफनी स्वाद में कड़वी और प्रकृति में बहुत उष्ण होती है. नागफनी में राइबोफ़्लिविन, विटामिन बी 6, तांबा, आयरन, फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन K, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम और मैंगनीज शामिल हैं. यह कुछ जैविक यौगिकों जैसे फाइटोकेमिकल्स और कुछ पॉलीसेकेराइड्स का एक महत्वपूर्ण स्रोत है.नागफनी कैलोरी में कम, अच्छी वसा से भरपूर और कोलेस्ट्रॉल में कम होने के साथ साथ कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का स्रोत है.

1. हड्डियों के लिए


हड्डियों के लिए इसमें कैल्शियम के अलावा कई उपयोगी तत्व मौजूद होते हैं. जो क्षतिग्रस्त होने के बाद मजबूत हड्डियों के निर्माण और हड्डियों की रिपेयर का एक अनिवार्य हिस्सा है.


2. त्वचा के लिए


इसमें मौजूद फाइटोकैमिकल और एंटीऑक्सिडेंट गुण समय से पहले उम्र के लक्षणों के खिलाफ एक अच्छा रक्षात्मक तंत्र है. सेलुलर चयापचय के बाद मुक्त कण त्वचा पर रह जाते हैं जो आपकी त्वचा को प्रभावित कर सकते हैं.

3. सूजन कम करने में


नागफनी की पत्तियों से निकाले जाने वाले रस सूजन को कम करने वाले प्रभाव देखे गए हैं जिनमें गठिया, जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के तनाव से जुड़े लक्षण भी शामिल हैं. इसके रस को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं या अधिक लाभों का आनंद लेने के लिए सब्जी के रूप में उपयोग करें.

4. पाचन प्रक्रिया में


इसमें बहुत अधिक आहार फाइबर होता है. पाचन प्रक्रिया में आहार फाइबर बहुत आवश्यक होता है क्योंकि यह आँतों के कार्यों के लिए बल्क जोड़ता है. यह दस्त और कब्ज के लक्षणों को कम करता है. इसके अलावा, शरीर में अतिरिक्त फाइबर सक्रिय रूप से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम कर सकते हैं.

5. अल्सर के लिए


नाकपेशियों में तरल पदार्थ और रेशेदार पदार्थ गैस्ट्रिक अल्सर के विकास को रोकते हैं और अल्कोहल के अत्यधिक खपत के कारण विकसित होते हैं, इसलिए ऐसे लोगों के लिए जो नियमित रूप से अल्सर से ग्रस्त हैं उनको इस शक्तिशाली जड़ी बूटी को अपने आहार में शामिल करना चाहिए.
6. उपापचय के लिए


नागफनी में थायामिन, राइबोफ़्लिविन, नियासिन और विटामिन बी 6 शामिल हैं, जो सभी सेलुलर चयापचय के महत्वपूर्ण घटक होते हैं जो पूरे शरीर में एंजाइम कार्यों को विनियमित करते हैं. एक स्वस्थ अंग प्रणाली और हार्मोनल संतुलन आसानी से वजन कम करता है, स्वस्थ मांसपेशियों को बढ़ावा देता है.

7. वजन घटाने में


नागफनी में फाइबर शरीर को पूर्ण महसूस करा सकता है और घ्रालिन को रिलीज़ करने से रोकता है, यह एक भूख को बढ़ाने वाला हार्मोन है. इसके अलावा यह संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल में बहुत कम है. यह चयापचय की क्षमता से भरपूर है. इसमें मौजूद विटामिन बी 6, थियामीन, और रिबोफ़्लिविन की उपस्थिति भी चयापचयी कार्य को जल्दी से करती है.

8. मधुमेह के उपचार में


नागफनी के पत्तों से तैयार अर्क शरीर के भीतर ग्लूकोज के स्तर के लिए शक्तिशाली नियामक हो सकता है. टाइप 2 डायबिटीज़ वाले मरीजों के लिए, यह ग्लूकोज के स्तर में कम स्पाइक पैदा कर सकता है जिससे मधुमेह को मैनेज करना आसान हो जाता है.
9. कैंसर मे लाभ 


इसमें पाए जाने वाले फाइटोकेमिकल्स, फ्लेवोनोइड यौगिकों, विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सिडेंट की विविधता संपूर्ण प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए बेहद फायदेमंद होती है, खासकर जब विभिन्न कैंसर की बात आती है. एंटीऑक्सिडेंट फायदेमंद यौगिक हैं जो शरीर में मुक्त कणों की तलाश करते हैं और कैंसर कोशिकाओं में स्वस्थ कोशिकाओं के डीएनए को उत्परिवर्तित करने से पहले उन्हें समाप्त कर देते हैं.

10. अनिद्रा के उपचार में


इसमें मैग्नीशियम भी होता है जो अनिद्रा, चिंता या बेचैनी से ग्रस्त लोगों में नींद पैदा करने के लिए एक उपयोगी खनिज है. यह शरीर में सेरोटोनिन को रिलीज़ करता है, जिसके परिणामस्वरूप मेलाटोनिन का स्तर बढ़ जाता है.

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नेत्र ज्योति बढ़ाने के उपाय :Netra Jyoti Badhayen



आजकल कई लोग आँखों की रोशनी कम होने की वजह से परेशान रहते है। आँखों के कमजोर होने पर सिर दर्द की समस्या बनी रहती है। आँखों की रोशनी कम होने के कारण जैसे - हमारा रहन सहन, अधिक टी.वी देखना, मोबाइल कंप्यूटर का अधिक प्रयोग, पौष्टिक खाना ना खाना या किसी बीमारी की वजह से आँखों की रोशनी कम हो जाती है।

आँखों की रोशनी को बढ़ाने के लिए घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय अत्यंत फायदेमंद होते है। इस वीडियो में हम आपको आँखों की रोशनी बढ़ाने के रामबाण नुस्खे बता रहे है जिनकी मदद से आँखों की रोशनी को तेज किया जा सकता है।

गाजर का ज्यूस - गाजर में कई तरह के विटामिन्स होते है। यह विटामिन्स आँखों को सही रखने मे कारगर होते है इसलिए गाजर का ज्यूस पीना आँखों के लिए लाभकारी होता है।

नियमित गाजर के ज्यूस का सेवन करने से आँखों की रोशनी बढ़ती है।

धनिये का रस - धनिये की मदद से आँखों की रोशनी को बढ़ाया जा सकता है। आँखों की रोशनी को बढ़ाने के लिए धनिये का रस निकाले और इस रस को दोनों आँखों में डालें।

आँखों में धनिये का रस डालने के बाद 15 से 20 मिनट तक आँखों को बंद रखें। धनिये का रस आँखों की रोशनी को बढ़ाता है और आँखों को स्वच्छ रखता है।

धनिये में विटामिन ए, विटामिन सी फॉस्फोरस जैसे कई एंटीऑक्सीडेंट होते है जो दृष्टि दोष से रोकथाम करते है। इसके साथ ही धनिया आँखों पर तनाव को कम करने में मदद करता है।

हरी सब्जियों का सेवन - हरी सब्जियों में कई लाभकारी तत्व होते है जो शरीर के लिए गुणकारी होते है।

रोजाना हरी सब्जियों को खाने से आँखों को लाभ मिलता है और आँखों की रोशनी सही बनी रहती है। सब्जियों का सूप बनाकर पीना भी सेहत के लिए फायदेमंद होता है

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25.1.21

कब्ज मे कौन सी दवा पूरी तरह पेट साफ करती है?:kabj nashak upachar

 





कब्ज के बारे मे एक बात अच्छी तरह समझ लें| पूर्णतया पेट साफ करने के चक्कर में ऐसी दवाएं ना खाएं जो आपकी आंतों से पानी अवशोषित कर लेती है | ये दवाएं सिर्फ आपका पेट नहीं साफ करती है बल्कि धीरे धीरे आपको भी साफ कर देती है | ये दवाएं आपको कई सारी बीमारियां दे सकती हैं |
इनके साइड इफेक्ट्स को समझें | ऐसी दवाएं आयुर्वेद में भी हैं और उस भ्रम कि तत्काल अपने दिमाग से निकाल दें की आयुर्वेदिक दवाएं साइड इफेक्ट नहीं देती हैं हला हल जैसा जहर भी आयुर्वेदिक ही है दवा के आयुर्वेदिक होने का ये मतलब तो नहीं ना कि आप इसके नाम पर हलाहाल पी जायेंगे?
अब पहले समझते हैं कि ये दवाएं काम कैसे करती हैं | इन्हे आयुर्वेद में विरेचक औषधि कहते हैं यह नमक और चीनी दोनों पर आधारित हो सकती हैं | इन औषधियों का सबसे मुख्य काम होता है आंतों के आसपास के उत्तकों से पानी अवशोषित करना और उसे आंतों में भर देना| इससे मल हल्का हो जाता है और आसानी से बाहर निकल जाता है |
इससे मल तो आसानी से निकल जाता है लेकिन आंटोंबके आसपास के अंगों और अंततः पूरे शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसके गंभीर परिणाम होते हैं | शरीर इन परिणामों की बर्दाश्त नहीं कर सकता इसलिए यह पहला काम तो यह करता है कि इन दवाओं को निष्क्रिय करने का उपाय करने लग जाता है | इसीलिए कुछ दिनों के नियमित इस्तेमाल के बाद इन दवाओं का प्रभाव कम होने लगता है | पहले जो काम एक गोली में होता था उसके लिए अब दो गोलियां चाहिए |
दूसरी बात यह होती है कि मल के साथ सिर्फ मल नहीं निकलता है बल्कि जो एक्स्ट्रा पानी दवा ने आंतों में खींची थी उसके साथ कई सारे जरूरी मिनरल भी आ जाते है जो कि मल ये साथ शरीर से बाहर निकाल जाते हैं और आपको कमजोर बना देते हैं |
तो फिर उपाय क्या है ? मैंने सिर्फ प्रवचन नहीं दिया है में आपको कब्ज से छुटकारा पाने के उपाय भी बताऊंगा |
.सबसे पहला उपाय तो यह है कि सुबह उठने के साथ काम से कम 500 ml गुनगुना पानी पीएं दोनों हाथ ऊपर उठाएं और करीब सौ मीटर तक पंजों के बल चलें |
रात को तीन चार कच्चे अमरूद खाकर ऊपर से एक कप गुनगुना दूध पी लें | अमरूद की जगह नारियल या फिर भूना हुआ चूरा भी इस्तेमाल कर सकते हैं |कब्ज़ के बारे में दो बातें हमेशा याद रखें | कब्ज़ दूर करने के लिए ज़ोर कभी ना लगाएं इससे बवासीर हो सकता है और कब्ज़ खुद उतना बुरा नहीं है जितना कि इसे दूर करने वाली दवाएं |
होम्योपैथिक दवा नक्स वोमिका 3x एक बहुत ही कारगर दवा है | यह बहुत ही softly और बड़े आराम से कब्ज़ को दूर करता है | पहले हफ्ते दो गोली दिन में तीन बार खाएं उसके बाद दो गोली रात में एक बार सोने से ए पहले | दो तीन हफ्ते दवा खाने के बाद छोड़ दें | जरूरत पड़ने पर दुबारा से शुरू करें |


6.1.21

शिशुओं में गैस की समस्या के घरेलू उपाय:Child gas problem




दिन में अक्सर गैस छोड़ना शिशुओं में एक सामान्य बात है। दिन भर दूध पीने के कारण, लगभग 15 से 20 बार गैस छोड़ना आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए। लगभग हर बच्चे को पेट में गैस बनने के कारण कभी न कभी परेशानी होती ही है और हर बच्चे में यह अलग–अलग होती है, कुछ आसानी से गैस छोड़ते हैं और कुछ बच्चों को इसके लिए अत्यधिक ज़ोर लगाना पड़ता है। गैस को रोकने और उसका इलाज करने का तरीका सीखना आपको और आपके बच्चे को बहुत सारे तनाव से बचा सकता है।

शिशुओं में गैस स्तन के दूध या उसे खिलाए जानेवाले आहार में मौजूद प्रोटीन और वसा के पाचन से बनती है। गैसें पेट में बहती रहती है और थोड़ी मात्रा में दबाव बनाकर और पाचन तंत्र के साथ–साथ बहते हुए बाहर निकलती है। कभी–कभी, खिलाने या स्तनपान के दौरान बननेवाली या चूसने की क्रिया से अंदर जानेवाली अतिरिक्त गैस आंतों में फंस सकती है और दबाव पैदा कर सकती है जिससे शिशुओं को दर्द हो सकता है। निम्नलिखित कारक हैं जो शिशु के पेट में गैस बनने का कारण बनते हैं:
दूध पीते समय स्तन या दूध पिलाने की बोतल का ठीक से मुँह में नहीं बैठना अतिरिक्त हवा निगलने का कारण हो सकता है।
दूध पिलाने से पहले, शिशु का अत्यधिक रोना उनके हवा निगलने का कारण हो सकता है।यह भी एक गैस के निर्माण का कारण बन सकता है।
जन्म से ही एक नवजात शिशु की आंत विकसित होने लगती है और यह क्रिया बाद तक जारी रहती है। इस चरण में, शिशु यह सीख रहा होता है कि भोजन कैसे खाया जाए और मलत्याग कैसे किया जाए, जिस कारण भी अतिरिक्त गैस बनती है।
शिशुओं में गैस, आंतों में अविकसित जीवाणु के पनपने का एक परिणाम भी हो सकती है।
स्तन के दूध में माँ के द्वारा खाए गए भोजन के अंश होते हैं, स्तनपान करते समय कुछ खाद्य पदार्थ शिशुओं में गैस बनने का कारण बनते हैं, जैसे नट्स, कॉफ़ी, दूध से बने उत्पाद पनीर, मक्खन, घी) बीन्स और मसाले।
अत्यधिक स्तनपान कराने से बच्चे की आंत का भारीपन भी गैस के उत्पादन का कारण हो सकता है। यह भी माना जाता है कि स्तनपान के दौरान शुरुआत का दूध और आखिरी में आता दूध शिशु के पेट में गैस बनने को प्रभावित करता है। शुरु का दूध लैक्टोज़, जैसे शक्कर से भरपूर होता है और आखिरी का दूध वसा से भरपूर होता है। लैक्टोज़ की अधिकता शिशुओं में गैस और चिड़चिड़ापन का कारण हो सकती है।
हॉर्मोन संचालन, कब्ज़ और कार्बोहाइड्रेट का सेवन जैसे अनेकों कारक भी पेट में गैस बनने के कारण हो सकते हैं 

शिशुओं में गैस की समस्या के संकेत और लक्षण

शिशुओं के पास अपनी आवश्यकताओं को बताने का केवल एक ही मौखिक तरीका होता है रोना । यह भूख, दर्द, बेचैनी, थकान, अकेलापन या गैस इनमें से क्या है, यह जानने के लिए कुछ अवलोकन कौशल की ज़रूरत होती हैऔर प्रत्येक को समझने के लिए संकेत होते हैं। जब वे पेट की गैस के कारण दर्द से रोते हैं, तो रोना अक्सर तेज़, उन्मत्त और अधिक तीव्र होता है जो शारीरिक इशारों के साथ होता है, जैसे फुहार करना, मुट्ठियों को दबाना, दबाव डालना, घुटनों को छाती तक खींचना और घुरघुराना।


यदि आप सोच रहे हैं कि नवजात शिशुओं को गैस से राहत देने में मदद कैसे करें, तो निम्नलिखित प्रक्रियाएं आपकी मदद कर सकती हैं:
शिशुओं में गैस के कुछ घरेलू उपचारों में शामिल हैं:

1. उन्हें दूध पिलाते समय उचित स्थिति बनाए रखें

स्तनपान कराते समय, बच्चे के सिर और गर्दन को ऐसे कोण पर रखें ताकि वे पेट की तुलना में अधिक ऊपर हों। इससे यह सुनिश्चित होता है कि दूध पेट में नीचे तक जाता है और हवा ऊपर आ जाती है। यही बात बोतल से दूध पिलाने पर भी लागू होती है, बोतल को इस प्रकार झुकाएं ताकि हवा ऊपर की ओर उठे और निप्पल के पास जमा न होने पाए ।

2. खाने या दूध पीने के बाद शिशु को डकार लेने में मदद करें

यह शिशु द्वारा ग्रहण अतिरिक्त वायु को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है। दूध पिलाते समय, हर 5 मिनट का एक ब्रेक लें और धीरे से बच्चे की पीठ पर थपकी दें ताकि उसे डकार लेने में मदद मिल सके। जिससे दूध को पेट में स्थिर होने और गैस को बुलबुलों के रूप में बाहर आने में मदद मिलती है।

3. रोना बंद करने के लिए ध्यान भटकाना

रोने से बच्चे हवा निगलते हैं और जितना अधिक वे रोते हैं, उतना ही अधिक हवा निगलते हैं। लक्ष्य यह होना चाहिए कि शिशु का ध्यान, वस्तुओं और ध्वनियों से भटकाकर जितना ज़ल्दी संभव हो सके उसका रोना रोक दिया जाए।


शिशुओं में गैस बनना कम करने के लिए पेट की मालिश एक बेहतरीन तरीका होता है। बच्चे को पीठ के बल लिटाएं और पेट पर धीरे–धीरे, घड़ी की दिशा में सहलाएं और फिर हाथ को उसके पेट के नीचे की गोलाई तक ले जाएं । यह प्रक्रिया आंतों के बीच से फंसी हुई गैस को सरलता से निकलने में मदद करती है।

5. पैडियाट्रिक प्रोबायोटिक्स

दही जैसे प्रोबायोटिक्स, भरपूर मात्रा में सहायक बैक्टीरिया से परिपूर्ण होता है जो आंतों के लिए अच्छे होते हैं। नए शोध से पता चला है कि पैडियाट्रिक प्रोबायोटिक्स, जब कई हफ्तों की अवधि के लिए दिए जाते हैं तो गैस और पेट की समस्याओं से निपटने में आसानी होती है।

6. ग्राईप वाटर

शिशुओं की गैस समस्याओं और उदरशूल को शांत करने के लिए दशकों से ग्राइप वॉटर का उपयोग किया जाता रहा है। ग्राइप वाटर, सोडियम बाइकार्बोनेट, डिल का तेल और चीनी के साथ मिश्रित पानी का एक घोल होता है जो 5 मिनट से कम समय में गैस से सुरक्षित और प्रभावी राहत देता है।
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  • 3.1.21

    सुबह-सुबह पीएंगे ऐलोवेरा जूस, तो ये होंगे फायदे:Aloe vera juice fayde





    आपने एलोवेरा का बहुत नाम सुना होगा, और यह भी सुना होगा कि एलोवेरा को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एलोवेरा के औषधीय गुण क्या-क्या हैं। क्‍या आपको पता है कि किस-किस रोग में एलोवेरा के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में एलोवेरा के फायदे के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं।

    अगर सुबह-सुबह पीएंगे ऐलोवेरा जूस, तो ये होंगे फायदे

    अगर आपका पेट साफ नहीं रहता है या पेट से संबंधित कोई समस्या है तो आप खाली पेट ऐलोवेरा के जूस का सेवन कर सकते हैं. पानी के साथ इस जूस का सेवन करने से पेट साफ होता है. इसके साथ ही कब्ज की समस्या भी आसानी से दूर हो जाती है. ऐलोवेरा एक ऐसा पौधा है, जो आजकल हर घर में मिल जाता है. यह एक औषधि भी है, जिससे जुड़े कई घरेलू नुस्‍खे मौजूद हैं. ऐलोवेरा का इस्तेमाल करने से स्किन से संबंधित समस्याओं, पेट से संबंधित कई बीमारियों, दांतों की समस्या, सिरदर्द, भूख न लगना जैसी दिक्कतों को बड़ी आसानी से दूर किया जा सकता है.
    इसमें प्रोटीन, विटामिन समेत एंटी-ऑक्‍सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं, जो आपके शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. आपको भले विश्वास न हो लेकिन ऐलोवेरा का जूस पेट से संबंधित 200 से ज़्यादा बीमारियों को दूर करता है. ऐलोवेरा के जूस से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. ऐलोवेरा का जूस पीने में भले ही थोड़ा कड़वा लगे लेकिन इसके फायदे अनेक हैं. बाज़ार में ऐलोवेरा के इन फायदों की वज़ह से ही कई फ्लेवर में ये जूस आसानी से मिलता है. ऐसे में इस स्वास्थ्यवर्धक जूस का सेवन आप आसानी से कर सकते हैं.

    अगर अक्सर रहता है सिरदर्द तो पिएं इसे

    अगर आपको अक्सर सिरदर्द रहता है तो आप ऐलोवेरा के जूस का खाली पेट सेवन कर सकते हैं. इससे आपको अक्सर रहने वाले सिरर्द की समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा.

    कब्ज की समस्या से मिलेगा छुटकारा

    अगर आपका पेट साफ नहीं रहता है या पेट से संबंधित कोई समस्या है तो आप खाली पेट ऐलोवेरा के जूस का सेवन कर सकते हैं. पानी के साथ इस जूस का सेवन करने से पेट साफ होता है. इसके साथ ही कब्ज की समस्या भी आसानी से दूर हो जाती है.

    शरीर के विषैले तत्वों को करता है दूर

    हमारी बदलती दिनचर्या में सही खान पान और सही समय पर पोषक तत्व न मिल पाने की वजह से शरीर के अंदर कई विषैले तत्व पैदा हो जाते हैं. इन विषैले तत्वों से सिर्फ पेट की ही नहीं बल्कि स्किन से संबंधित समस्याएं हो जाती हैं. ऐलोवेरा शरीर की डिटॉक्सीफिकेशन की प्रक्रिया के जरिए उससे विषैले तत्वों को बाहर निकालता है.


    ऐलोवेरा का जूस खाली पेट पीने से रेड ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ने लगती है. ऐसे में अगर शरीर में ख़ून की कमी है तो इस जूस का सेवन रोज़ाना खाली पेट करें.

    अगर आपको भूख न लगने की समस्या है तो ऐलोवेरा का जूस आपके लिए रामबाण की तरह है. ये आपके भूख न लगने की परेशानी को दूर करता है. दरअसल पेट न साफ होने की वजह से आपकी भूख पर भी सीधा असर पड़ता है. जब आपका पेट साफ होने लगता है तो भूख भी आसानी से लगने लगती है.

    दांतों से संबंधित नहीं होगी समस्या

    ऐलोवेरा में मौजूद एंटी - माइक्रोवाइल प्रॉपर्टी आपके दांतों को साफ रखती है. इसके साथ ही बैक्टीरियल इंफैक्शन से भी आपको बचाती है. मुंह में अगर छाले होते हैं तो ऐलोवेरा का जूस उन्हें भी दूर करने में मदद करता है.

    चेहरा चमकने लगेगा

    ऐलोवेरा का जूस पीने से चेहरे पर चमक आती है. क्योंकि कील, मुहांसे और स्किन से संबंधित बीमारियां अक्सर पेट की बीमारियों से संबंध रखती हैं. ऐलोवेरा का जूस इन सारी परेशानियों को दूर कर चेहरे पर चमक लाता है.

    आंखों की बीमारी का इलाज

    आप एलोवेरा के औषधीय गुण से आंखों की बीमारी का इलाज कर सकते हैं। एलोवेरा जेल को आंखों पर लगाएंगे तो आंखों की लालिमा खत्म होती है। यह विषाणु से होने वाले आखों के सूजन (वायरल कंजक्टीवाइटिस) में लाभदायक होता है।
    एलोवेरा का औषधीय गुण आँखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आप एलोवेरा के गूदे पर हल्दी डालकर थोड़ा गर्म कर लें। इसे आंखों पर बांधने से आंखों के दर्द का इलाज होता है।

    कान दर्द में 

    भी एलोवेरा से लाभ मिलता है। एलोवेरा के रस को हल्का गर्म कर लें। जिस कान में दर्द हो रहा है, उसके दूसरी तरफ के कान में दो-दो बूंद टपकाने से कान के दर्द में आराम मिलता है।

    खांसी-जुकाम में 

    एलोवेरा के फायदे लेने के लिए इसका गूदा निकालें। गूदा और सेंधा नमक लेकर भस्म तैयार कर लें। इस भस्‍म को 5 ग्राम की मात्रा में मुनक्का के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे पुरानी खांसी और जुकाम में लाभ होता है।
    घृतकुमारी  के औषधीय गुण से पेट के रोग में भी लाभ होता है। गूदे को पेट के ऊपर बांधने से पेट की गांठ बैठ जाती है। इस उपचार से आंतों में जमा हुआ मल भी आराम से बाहर निकल जाता है।
    *एलोवेरा की 10-20 ग्राम जड़ को उबाल लें। इसे छानकर भुनी हुई हींग मिला लें। इसे पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
    *एलोवेरा के 6 ग्राम गूदा और 6 ग्राम गाय का घी, 1 ग्राम हरड़ चूर्ण और 1 ग्राम सेंधा नमक लें। इसे मिलाकर सुबह-शाम खाने से वात विकार से होने वाले गैस की समस्या ठीक होती है।
    *गाय के घी में 5-6 ग्राम घृतकुमारी के गूदे में त्रिकटु सोंठ, मरिच पिप्‍प्‍ली, हरड़ और सेंधा नमक मिला लें। इसका सेवन करने से गैस की समस्या में लाभ होता है।
    *60 ग्राम घृतकुमारी के गूदे में 60 ग्राम घी, 10 ग्राम हरड़ चूर्ण तथा 10 ग्राम सेंधा नमक मिला लें। इसे अच्छी तरह मिला लें।इसको 10-15 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से वात दोष से होने वाले पेट की गैस की समस्या से निजात मिलता है। इस पेस्‍ट का सेवन पेट से जुड़ी बीमारियों व वात दोष से होने दूसरे रोगों में भी फायदेमंद होता है।
    *एलोवेरा के पत्ते के दोनों ओर के कांटों को अच्छे से साफ कर लें। इसके छोटे-छोटे टुकड़े काटकर मिट्टी के एक बर्तन में रख लें। इसके 5 किलो के टुकड़े में आधा किलो नमक डालकर बर्तन का मुंह बंद कर दें। इसे 2-3 दिन धूप में रखें। इसे बीच-बीच में हिलाते रहें। तीन दिन बाद इसमें 100 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम धनिया, 100 ग्राम सफेद जीरा, 50 ग्राम लाल मिर्च, 6 ग्राम भुनी हुई हींग डाल लें। इसी में 30 ग्राम अजवायन, 100 ग्राम सोंठ, 6 ग्राम काली मिर्च, 6 ग्राम पीपल, 5 ग्राम लौंग भी डाल लें। इसके साथ ही 5 ग्राम दाल चीनी, 50 ग्राम सुहागा, 50 ग्राम अकरकरा, 100 ग्राम कालाजीरा, 50 ग्राम बड़ी इलायची और 300 ग्राम राई डालकर महीन पीस लें। रोगी की क्षमता के अनुसार 3-6 ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम देने से पेट के वात-कफ संबंधी सभी विकार खत्म होते हैं। सूखने पर अचार, दाल, सब्जी आदि में डालकर प्रयोग करें।
    तिल्ली बढ़ गई हो तो एलोवेरा के इस्तेमाल से फायदा होता है। 10-20 मिलीग्राम एलोवेरा के रस में 2-3 ग्राम हल्दी चूर्ण मिलाकर सेवन करें। इससे तिल्‍ली के बढ़ने के साथ-साथ अपच में लाभ होता है।
     बवासीर में एलोवेरा के प्रयोग से फायदा ले सकते हैं। एलोवेरा जेल के 50 ग्राम गूदे में 2 ग्राम पिसा हुआ गेरू मिलाएं। अब इसकी टिकिया बना लें। इसे रूई के फाहे पर फैलाकर गुदा स्‍थान पर लंगोट की तरह पट्टी बांधें। इससे मस्‍सों में होने वाली जलन और दर्द में आराम मिलता है। इससे मस्‍से सिकुड़कर दब जाते हैं। यह प्रयोग खूनी बवासीर में भी लाभदायक है।     
    पीलिया का इलाज करने के लिए भी एलोवेरा का सेवन करना फायदेमंद होता है। इसके लिए 10-20 मिलीग्राम एलोवेरा के रस को दिन में दो तीन बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
    इस प्रयोग से कब्‍ज से मुक्ति पाने में भी मदद मिलती है।
    एलोवेरा रस की 1-2 बूंद नाक में डालने से भी लाभ होता है।
    कुमारी लवण को 3-6 ग्राम तक की मात्रा में छाछ के साथ सेवन करें। इससे लीवर, तिल्‍ली के बढ़ाना, पेट की गैस, पेट में दर्द और पाचनतंत्र से जुड़ी अन्य समस्‍याओं में लाभ होता है
    लीवर विकार में एलोवेरा (ग्वारपाठा) के फायदे
    दो भाग एलोवेरा के पत्तों का रस और 1 भाग शहद लेकर उसे चीनी मिट्टी के बर्तन में रखें। इस बर्तन का मुंह बन्द कर 1 सप्ताह तक धूप में रख दें। एक सप्ताह बाद इसे छान लें। इस औषधि को 10-20 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लीवर से संबंधित बीमारियों में लाभ होता है।
    अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से पेट साफ होता है। उचित मात्रा में सेवन करने से मल एवं वात से जुड़ी समस्‍याएं ठीक होने लगती हैं। इससे लीवर स्वस्थ हो जाता है।
    मासिक धर्म विकार में एलोवेरा के सेवन से लाभ
    एलोवेरा के 10 ग्राम गूदे पर 500 मिलीग्राम पलाश का क्षार बुरककर दिन में दो बार सेवन करें। इससे मासिक धर्म की परेशानियां दूर होती हैं।
    मासिक धर्म के 4 दिन पहले से दिन में तीन बार कुमारिका वटी की 1-2 गोली का सेवन करें। इसे मासिक धर्म खत्म होने तक सेवा करना है। इससे मासिक धर्म के समय होने वाला दर्द, गर्भाशय का दर्द और योनि से जुड़ी अनेक बीमारी से आराम मिलता है।
    गठिया के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है एलोवेरा
    जोड़ो के दर्द में भी एलोवेरा के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं। 10 ग्राम एलोवेरा जेल नियमित रूप से सुबह-शाम सेवन करें। इससे गठिया में लाभ होता है।
    एलोवेरा के सेवन से कमर दर्द का इलाज
    कमर दर्द से परेशान रहते हैं तो एलोवेरा के इस्तेमाल से फायदा ले सकते हैं। गेंहू का आटा, घी और एलोवेरा जेल (एलोवेरा का गूदा इतना हो जिससे आटा गूंथा जाए) लेकर आटा गूंथ लें। इससे रोटी बनाएं। रोटी का चूर्ण बनाकर लड्डू बना लें। रोज 1-2 लड्डू को खाने से कमर दर्द ठीक होता है।
    एलोवेरा जेल कमर दर्द में दर्द निवारक दवा की तरह काम करता है।
    घाव और चोट में एलोवेरा के गुण से फायदा
    फोड़ा ठीक से पक न रहा हो तो एलोवेरा के गूदे में थोड़ा सज्जीक्षार और हरड़ चूर्ण मिलाकर घाव पर बांधें। इससे फोड़ा जल्दी पक कर फूट जाता है।
    *घृतकुमारी के पत्ते को एक ओर से छील लें। इस पर थोड़ा हरड़ का चूर्ण बुरक कर हल्‍का गर्म कर लें। इसे गांठ पर बांधें। इससे गांठों की सूजन दूर होगी।
    *स्त्रियों के स्तन में गांठ पड़ गई हो या सूजन हो गई हो तो एलोवेरा की जड़ का पेस्‍ट बना लें। इसमें थोड़ा हरड़ चूर्ण मिलाकर गर्म करके बांधने से लाभ होता है। इसे दिन में 2-3 बार बदलना चाहिए।
    *घृतकुमारी का गूदा घावों को भरने के लिए सबसे उपयुक्त औषधि है। रेडिएशन के कारण हुए गंभीर घावों पर इसके प्रयोग से बहुत ही अच्छा फायदा मिलता है।
    *आग से जले हुए अंग पर एलोवेरा के गूदे को लगाने से जलन शांत हो जाती है। इससे फफोले नहीं होते हैं।
    एलोवेरा और कत्‍था को समान मात्रा में पीसकर लेप करने से नासूर में फायदा होता है।
    *एलोवेरा के रस को तिल और कांजी के साथ पका लें। इसका लेप करने पर घाव में लाभ होता है।
    केवल एलोवेरा के रस को पकाकर घाव पर लेप करने से भी लाभ होता है।
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    2.1.21

    नाक में तेल डालने के फायदे:putting oil into nose




    नाक में तेल डालना हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। यह न केवल नाक में होने वाली परेशानी को दूर करता बल्कि अन्य शारीरिक समस्याओं को भी दूर करने में सहायक होता है।

    नाक में तेल डालने से यह मौसमी बीमारियों जैसे कि सर्दी, जुकाम, फ्लू, फंगल इंफेक्शन और बैक्टीरियल इंफेक्शन के खतरे को कम करता है। यह गले और फेफड़े में होने वाले इंफेक्शन और खुजली, रैशेज और फंगस जैसी दिक्कतें को दूर करने में सहायक होता है।

    सरसों का तेल
    सबसे लोकप्रिय तेलों में से एक माना जाता है। इसका उपयोग बहुत सारे आयुर्वेदिक उपचारों में किया जाता है। सरसों का तेल एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होता है। नाक में सरसों का तेल डालने से कई प्रकार के लाभ होते है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट सूजन संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने का काम कर सकता है।
    नाक में सरसों का तेल डालने से यह यह मौसमी बीमारियों जैसे कि सर्दी, जुकाम, छींक आना और साँस लेने में परेशान होना आदि समस्यों को दूर करने में मददगार होता है। इसके लिए आप दिन में 3 बार सरसों के तेल को अपनी नाक के दोनों नॉस्टल्स में डालें। यह ड्राईनेस को दूर करके खुजली को खत्म करता है।


    बादाम तेल नाक में डालने के फायदे

    बादाम की तरह बादाम का तेल भी बहुत ही लाभकारी होता है। बादाम का तेल त्वचा संबंधी बीमारियों एवं संक्रमण के इलाज में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह त्वचा की जलन एवं खुजलाहट को कम करके त्वचा को आराम देता है।
    नाक में बादाम का तेल डालने से यह आपको कई प्रकार की बीमारियों से दूर रखता है। यह बाल झड़ने से रोकने, सिर दर्द ठीक करने, याददाश्त बढ़ाने और साइनस की समस्या को दूर करने मदद करता है। दिन में 2 बार बादाम तेल को नाक में जरूर डालें।


    नाक में नारियल तेल डालने के फायदे

    सर्दियों के मौसम में जुकाम होना और फिर नाक का बंद होना आम बात है। आप इसके लिए नारियल के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। जब भी आपको सर्दी हो जाएं और नाक बंद हो जाएं तो आप नारियल तेल की कुछ बूंदों को अपनी नाक में डालें। इससे आपकी बंद नाक खुल जाएंगी और सर्दी भी ठीक हो जाएगी।
    इसके अलावा नारियल का तेल एक प्राकृतिक मॉश्चराइजर की तरह कार्य करता है। यह ड्राई स्किन को मॉश्चराइज करके नाक में होने वाली खुजली को भी दूर करता है।


    नाक में तिल का तेल डालने के फायदे

    तिल के तेल को इसके औषधीय गुणों के कारण जाने जाते है। इस तेल में एक जीवाणुरोधी गुण होते है जो सामान्य त्वचा रोगजनकों जैसे स्‍ट्रेप्‍टोकोकस और स्‍टाफिलोकोकस और एथलीट पैर जैसी त्वचा कवक को ठीक करता है। यह एक प्राकृतिक एंटीवायरल, एंटी इंफ्लामेंट्री  होता है।
    नाक में तिल का तेल डालने से बालों का सफ़ेद होना और झड़ना, नाक की खुश्की, दांत दर्द ,सेंसिटिविटी और मसूड़ों की समस्या आदि में लाभ मिलता है। इसके लिए आप रोज रात में सोने से पहले तिल के तेल की दो बूंदों को नाक में डालें।

    जैतून के तेल
    में भरपूर मात्रा में विटामिन E और एंटीऑक्सीडेंट होता है जो त्वचा को इन्फेक्शन से बचाये रखता है। जैतून के तेल का उपयोग मोइस्चराइजर के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। आप अपनी नाक में जैतून का तेल की कुछ बूंदों को रात में सोने से पहले डालें। इससे साइनस और साँस लेने में होने परेशानी में राहत मिलेगी।
    नाक में तेल डालने से कफ जमने की समस्या दूर होती है।
    आँखों की रोशनी बढ़ाने के लिए आप रात में सोते समय नाक में दो बूंद तेल डालें।
    नाक में तेल डालने से वात, पित्त और कफ दोष को संतुलित किया जा सकता है।
    नाक में तेल डालना तनाव दूर करने में सहायक होता है।
    रात में सोने से पहले नाक में तेल की दो बूंद डालने से अनिद्रा की समस्या दूर होती है।

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