31.7.19

दूध मे अदरक मिलाकर पीने के फायदे //milk ginger

     

                                 

दूध का स्वाद बढ़ाने और स्वास्थ्यवर्धक गुणों को बढ़ाने के लिए अदरक काफी फायदेमंद होती है। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेट्र्री, एंटी-बैक्टीरियल गुण होने के साथ-साथ अनेक मेडिकल प्रोपर्टीज पाई जाती है। इसलिए अदरक के दूध का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। सर्दी-जुकाम से बचाने के साथ अदरक का दूध, हल्दी के दूध की तरह बदन दर्द को दूर करने के लिए उपयोगी होता है। दूध पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसमें अदरक मिलाने से इसके स्वास्थ्यवर्धक लाभ और भी बढ़ जाते हैं। आइए जानते हैं कि अदरक का दूध पीना स्वास्थ्य के लिए कैसे फायदेमंद होता है।

अदरक के फायदों के बारे में तो अधिकतर लोगों को पता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि अगर अदरक को दूध में मिलाकर पिया जाए तो इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाने के कारण चाहे सर्दी-जुकाम हो या वायरल फ्लू, मरीज को अदरक के सेवन की सलाह दी जाती है।
गर्भवती महिलाओं को भी मॉर्निंग सिकनेस से आराम दिलाने के लिए अदरक की चाय पीने की सलाह दी जाती है। दूध अपने आप में ही एक पूर्ण पौष्टिक आहार है और जब आप इसमें अदरक मिला देते हैं तो आप इन दोनों पौष्टिक चीजों के फायदे एक साथ हासिल कर लेते हैंयह बात बहुत कम लोग ही जानते हैं कि अदरक को दूध में मिलाकर पिया जाए तो इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। अदरक में मिलनें वाले एंटी बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण शरीर के अंदर होने वाली कई तरह की बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखते है।

गठिया के दर्द से जल्दी आराम –

बैसे तो हर कोई जानता है। कि दूध में कैल्शियम और पोटैशियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जो हमारे शरीर की हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करती हैं। दूध का सेवन करने हड्डियों की कमजोरी दूर होती है और यदि दूध के साथ अदरक को मिलाकर इसका सेवन रोज किया जाये, तो इनमें मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी के गुण हड्डियों को मजबूती देने के साथ उसकी सूजन को भी कम कर देते है। इसीलिए यह ड्रिंक गठियावाद(ऑस्टियोपोरोसिस )के मरीजों के लिए वरदान है। इसे पीने से गठिया के दर्द से जल्दी राहत मिलती है।
पाचन शक्ति मजबूत करता है –
अदरक का दूध पाचन क्रिया को मजबूत बनाने में काफी लाभकारी होता है। यह पेट दर्द से जुड़ी हर समस्या को दूर करने का सबसे अच्छा घरेलू उपचार माना गया है। नाश्ता करने के बाद आप अदरक वाले दूध का सेवन अवश्य करें।

रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है –

बदलते मौसम के साथ ही बीमारियां भी अपना रूख बदलने लगती है। जिससे इस दौरान लोग सार्दी, खांसी-जुकाम या फ्लू की चपेट में आ जाते हैं। दरअसल ऐसा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी के कारण होता है। इसलिए जिनका शरीर अत्याधिक कमजोर होता है। उन लोगों को अदरक दूध का सेवन अवश्य ही करना चाहिए। अदरक के एंटी बैक्टीरियल गुण पाये जाते है। जो शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में अहम भूमिका निभाते है और शरीर को बाहरी संक्रामण से बचाने में मदद करते है।
गले का इंफेक्‍शन –
सर्दियों के समय में ज्यादातर लोग सर्दी-खांसी से परेशान रहते है। जिसमें अधिकतर बच्चे इसकी चपेट में आ जाते है इस समस्या को दूर करने के लिये अदरक वाले दूध काफी अच्छा उपचार माना गया है। इसका सेवन करने से ना केवल गले की खराश जल्दी दूर होती है बल्कि गले में होने वाले इंफेक्‍शन से भी राहत मिल जाती है। यदि आप गले के इंफेक्‍शन से पीड़ित हैं तो रात में सोने से पहले अदरक वाला दूध अवश्य पिए, और इसके एक घंटे बाद तक पानी न पियें। आपको जल्द ही इसका असर देखने को मिल जायेगा।

हड्डियों की मजबूती :

दूध में मौजूद कैल्शियम और पोटैशियम हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद हैं। दूध से हड्डियों की कमजोरी दूर होती है वही अदरक में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण हड्डियों की सूजन कम होती है। इसीलिए यह ड्रिंक ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसे पीने से गठिया के दर्द से जल्दी आराम मिलता है।

अदरक का दूध बनाने का तरीका :

सबसे पहले अदरक को साफ़ पानी से धोलें और छोटे छोटे टुकड़ों में काट लें और फिर एक पतीले में दूध गर्म करें। जब दूध उबलने लगे तो उसमें अदरक के ये टुकड़े डालकर कुछ देर तक उबालें जिससे अदरक का सारा अर्क दूध में मिल जाए। इसके बाद दूध को छान लें और हल्का गुनगुना होने पर इसे पियें।

विशिष्ट परामर्श-  


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|








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डिप्रेशन या अवसाद के कारण,लक्षण ,उपचार



डिप्रेशन या अवसाद एक ऐसी मनो स्थिति जो हर इंसान ने अपने जीवन काल में किसी ना किसी रूप में कभी ना कभी अनुभव की है. और आज के इस तेज़-तर्रार युग में यह रोग सर्दी/ज़ुकाम की तरह हो रहा है. लगभग 10 % जनसंख्या में अवसाद रोग के रूप में पाया जाता है. विपरीत परिस्थितियों में मानसिक तनाव और विषाद महसूस करना तो प्राकृतिक ही है परंतु जब यह मानसिक स्थिति अनियंत्रित एवं दीर्घकालीन बन जाए और मानसिक विकृति बनकर रोज़मर्रा के जीवन को प्रभावित करने लगे तब इसका इलाज करना आवश्यक हो जाता है.
अवसाद के कारण 
हालाँकि यह रोग अब जनसंख्या में अत्यधिक व्याप्त होता जा रहा है परंतु अभी तक इसके मुख्य कारण के बारे में स्पष्टता नही मिल पाई है. वैज्ञानिक यही मानते हैं की यह रोग मनोवैज्ञानिक, आनुवांशिक और पर्यावरण संबंधी कारणों से उत्पन्न होता है.
कुछ लोगों में जन्म से ही अवसाद का रोग पाया जाता है. उनके मस्तिष्क में प्राकृतिक रसायनों का असंतुलन रहता है. इसके अलावा दीर्घ रूप से बीमार लोग, वीडियो गेम्स या इंटरनेट का अधिक प्रयोग करने वाले, वे लोग जिनके प्रिय जनो की मृत्यु अथवा उनसे वियोग हो गया है इत्यादि व्यवहारिक कारणों से भी ग्रस्त व्यक्ति में अवसाद का रोग उत्पन्न हो जाता है.
प्रकृति के करीब रहने से इस रोग के होने की संभावना कम हो जाती है.


इस भागती दौड़ती जिंदगी में ना तो किसी के पास हमारी समस्या सुनने के लिए समय है और ना ही हमारे पास इतना टाइम है कि हम उनसे मिलकर कुछ कह सकें। यही वजह है अंदर ही अंदर घुटते-घुटते हम अवसाद की ओर अपना कदम बढ़ाते जा रहे हैं। हर समय खाली बैठना, चिड़चिड़ा महसूस करना, निर्णय ना ले पाना, समाज से कटा हुआ रहना.... ये सभी अवसाद के प्रमुख लक्षण हैं।

आत्मिक जागरूकता लोग अवसादग्रस्त होते हैं क्यूँ की वे अपने जीवन की घटनाओं के बारें ज्यादा नहीं जानते और अपने जीवन को धक्का देते रहते हैं। स्थिति की मांग के अनुसार आत्म जागरूकता की कमी के कारण लोग अपने आपको अवसाद की स्थिति में डाल लेते हैं।
मदद मांगे जिंदगी में कठिन परिस्थितियों में किसी की मदद मांगने में कोई शर्म नहीं है। कोई भी जिंदगी का बोझ अकेला नहीं उठा सकता है। अपने बुरे समय में अपनी पत्नी, सहकर्मी और दोस्त की सहायता लेने से आपको भावनात्मक बोझ से छुटकारा मिलेगा।
नियमित रूप से छुट्टियाँ लें द्रश्यों में बदलाव होते रहना नकारात्मक विचारों को दूर रखने में मददगार है। आपके अन्दर सकारात्मकता लाने के लिए एक दिन का ट्यूर ही काफी है। आगे से यदि आप अवसादग्रस्त महसूस करें तो अपना बैग पैक करें और निकल पड़ें छुट्टी पर। नियमित रूप से छुट्टी पर जाने वाले लोग जीवन की एकरसता और बोरपन से जल्दी निकल जाते हैं बजाय की लगातार कई सप्ताह तक काम में लगे रहने वाले लोगों के।
संतुलित आहार लें फल, सब्जी, मांस, फलियां, और कार्बोहाइड्रेट आदि का संतुलित आहार लेने से मन खुश रहता है। एक संतुलित आहार न केवल अच्छा शरीर बनता है बल्कि यह दुखी मन को भी अच्छा बना देता है।
रोजाना व्यायाम करें व्यायाम अवसाद को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। इससे न केवल एक अच्छी सेहत मिलती है बल्कि शरीर में एक सकारात्मक उर्जा का संचार भी होता है। व्यायाम करने से शरीर में सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन हारमोंस का स्त्राव होता है जिससे दिमाग स्थिर होता है और अवसाद देने वाले बुरे विचार दूर रहते हैं।
वजन कम करें यदि वजन बढ़ने से आपको अवसाद प्राप्त हो रहा है तो वजन कम करने के बाद आपका मूड सामान्य हो सकता है। इसके अतिरिक्त, शारीरिक फिटनेस न केवल स्वास्थ्य में सुधार करती है बल्कि स्वयं में सकारात्मकता को बढाती है।
बुरी स्थिति के बारे में सोचने से बचें हालाँकि ऐसा माना जाता है कि जिंदगी में बुरी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। लेकिन यह एक पुराना विचार है। इससे आपका आगे बढ़ने का उत्साह कम हो जाता है और यह आपकी सफलता के रास्ते को बंद कर देता है ।
अच्छी तरह पूरी नींद सोयें एक अच्छी और पूरी रात की नींद सकारात्मक उर्जा को प्राप्त करने के लिए बहुत जरूरी है। अध्ययनों से पता चला है कि रोज 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों में अवसाद के लक्षण कम होते हैं।
अच्छे दोस्त बनायें अच्छे दोस्त आपको आवश्यक सहानुभूति प्रदान करते हैं और साथ ही साथ अवसाद के समय आपको सही निजी सलाह भी देते हैं। इसके अतिरिक्त, जरूरत के समय एक अच्छा श्रोता साथ होना नकारात्मकता और संदेह को दूर करने में सहायक है।
ब्लॉग और जर्नल लिखें अपनी रोजाना की गतिविधियों और भावनाओं को लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में आपको मदद मिलती है। एक जर्नल या डायरी रखें जिसमे रोजाना लिखें की आप जीवन के बारें में क्या महसूस करते हैं। यह आपके अवसाद को दूर करने में सहायक होगा।
अपने आपको दुनिया से दूर करने से बचें जब आप अवसादग्रस्त हों तो अपने आपको दुनिया से दूर करना आसान होता है लेकिन ऐसा करने से आप अवसाद मुक्ति का अवसर गँवा रहें हैं। यदि पूरा समाधान भी नहीं हो रहा है तो भी लोगों के बीच रहने से निराशाजनक विचारों से अपना ध्यान हटाने में मदद मिलेगी।
नकारात्मक लोगों से दूर रहें कोई भी ऐसे लोगों के बीच में रहना पसंद नहीं करता जो कि लगातार दूसरों को नीचे गिराने में लगे रहते हैं। ऐसे लोगों से दूर रहने से मन को शांति और विवेक प्रदान करने में आपको मदद मिलेगी।



जॉब का छोड़ना यदि आपका जॉब या प्रोफेशनल लाइफ आपकी चिंता का कारण बन रहा है तो इसे छोड़ने से आपको मन की शांति मिलेगी। दिन के अंत में अपने लक्ष्यों का मूल्यांकन करें और इसकी अपनी निजी ख़ुशी और संतुष्टि से तुलना करें। यदि आपका जॉब आपकी ख़ुशी के मार्ग में बाधा है तो इसे छोड़ दें।
आयुर्वेद में उपचार
आयुर्वेद में अवसाद से उपचार तीन बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है। पहली, अवसादग्रस्त व्यक्ति को उसकी शक्ति व क्षमताओं का बोध कराना, दूसरी- व्यक्ति जो देख या समझ रहा है वह असलियत में भी वही है या नहीं इसका बोध कराना और उसकी स्मृति को मजबूत बनाना जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़े और अवसाद दूर हटे।
कारगर हैं ये औषधियां
 आयुर्वेद में अवसाद से उपचार के लिए कुछ औषधियों और ब्रेन टॉनिक्स को अगर किसी चिकित्सक के परामर्श से लिया जाए तो कम समय में इसे दूर करना संभव है। ब्राह्मी, मंडूक पुष्पि, स्वर्ण भस्म आदि से मस्तिष्क को बल मिलता है और मन को शांति। इनका उपयोग अवसाद के उपचार में किया जाता है।
ब्राह्मी
किसी प्रकार का कोई मानसिक रोग हो या फिर अगर आप तनाव की चपेट में हैं तो ब्राह्मी आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इससे स्मरण शक्ति भी तेज होती है और मनोबल भी बढ़ता है। यह एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो आपको पुन: यौवन प्रदान करती है, इससे नियमित तौर पर मालिश करना लाभदायक सिद्ध हो सकता है।
मसाज भी है लाभदायक
अवसाद से निजात के लिए आयुर्वेद में मसाज थेरेपी का भी सहारा लेते हैं। चंदनबला, लाच्छादि तेल, ब्राह्मि तेल, अश्वगंधा, बला तेल आदि से मसाज की सलाह दी जाती है जो तनाव दूर करते हैं और अवसाद से मुक्ति दिलाते हैं।
बादाम का पेस्ट
अगर आप अवसाद की समस्या से घिरे हैं तो आपको गर्म दूध में बादाम का पेस्ट मिलाकर रोजाना इसका सेवन करना चाहिए। इसमें प्रोटीन, विटामिन ई और मैग्नीशियम फाइबर प्रचुर मात्रा में प्राप्त होते हैं।
अश्वगंधा
अश्वगंधा के सेवन से मन में किसी प्रकार की कोई नकारात्मक भावना नहीं आती। यह आपको तनाव से मुक्ति भी दिलाता है और साथ-साथ शारीरिक कमजोरी को भी समाप्त करता है। अगर आप प्रतिदिन शहद के साथ अश्वगंधा का सेवन करते हैं तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा।


खानपान में करें बदलाव

आयुर्वेद में अवसाद दूर करने के लिए खानपान में भी बदलाव करने पर बल दिया जाता है। डॉ. आकाश के अनुसार, 'रोगी को हल्का और सुपाच्य भोजन खाने चाहिए। दही और खट्टी चीजों से परहेज करना जरूरी है। इसके अलावा, मांसाहार, उड़द की दाल, चने आदि का सेवन नहीं करने की सलाह दी जाती है।'
इलायची
इलायची की चाय पीने से मन में सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं। आप इलायची का काढ़ा पी सकते हैं या फिर स्नान के बाद इलायची के तेल से मालिश भी कर सकते हैं।
हल्दी
अगर आप किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक व्याधि से गुजर रहे हैं तो आपको हल्दी का सेवन अवश्य करना चाहिए। जब मौसम बदलता है तो हल्दी का सेवन जरूर करना चाहिए, पानी या दूध में हल्दी मिलाकर पीने से लाभ प्राप्त होता है।
गिलोय
यह रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और साथ-साथ इससे आपकी स्मरण शक्ति भी बढ़ती है। पांच सौ मिलीग्राम गिलोय को शहद में डालकर दिन में दो बार इसका सेवन करें।







30.7.19

पेशाब मे खून आने के कारण और उपचार //blood in urine




प्रौढ़ों में अगर पेशाब में रक्त आए, तो यह जबरदस्त पेशाब संक्रमण के लक्षण हैं या फिर यह पत्थरी भी हो सकती है। किडनी, यूरीनरी ब्लैडर या प्रोस्टेट में कैंसर या ट्यूबरक्लोसिस का ट्यूमर भी हो सकता है। ठीक होने के लिए इन बीमारियों की समय पर जांच बहुत जरूरी है। जांच में देरी हो जाए, तो यह किडनी को खराब कर सकता है या कैंसर की रसौली बढ़ सकती है।

पेशाब में खून आना पुरुषों में होने वाली आम समस्या है लेकिन इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इस समस्या को नजरअंदाज करना आपको भारी पड़ सकता है। पेशाब में खून आने को मेडिकल टर्म में हेमटुरीअ कहा जाता है। यहां हम आपको पेशाब में रक्त आने के कारणों और लक्षणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। अगर आपको भी यह समस्या हो रही है तो फौरन डॉक्टरी सलाह लें। आमतौर पर माना जाता है कि पेशाब में खून पेशाब के रास्ते में होने वाले संक्रमण की वजह से आता है लेकिन इसकी कई वजह हो सकती हैं। जिनमें गुर्दे से लेकर मूत्राशय तक की पथरी शामिल है।
अक्सर हमारे शरीर में कोई भी समस्या होती है तो हमारे शरीर के अंग हमे उसका संकेत देने लगते हैं कि शरीर में कुछ दिक्कत आ रही है। हालांकि हम उन छोटी-छोटी बातों को नज़रअंदाज कर दिया करते हैं, जो हमें नहीं करना चाहिए। इन्हीं में से एक लक्षण है पेशाब के दौरान होने वाली दिक्‍कत। अगर आप भी लंबे समय से पेशाब के दौरान जलन या पेशाब के साथ खून आने की दिक्कत का सामना कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए और इसे अनदेखा करने से बचिए। पेशाब में खून आने के कई कारण हो सकते हैं इसलिए लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्‍टर से परामर्श लें। पेशाब में खून आने ये कारण हो सकते हैं।
किडनी की समस्या की वजह से भी पेशाब में खून आने की समस्या होती है। दरअसल, किडनी से रक्त को छानने का काम ग्लोमेरुली करता है। यह गुर्दे के अंदर की छोटी संरचनाएं हैं। इनकी वजह से ही किडनी से रक्त छनता है। इन संरचनाओं को ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से हमारे गुर्दे शरीर के अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर नहीं निकाल पाते हैं। इस समस्या का अगर सही वक्त पर इलाज नहीं किया गया तो किडनी फेल भी हो सकती है। इस बीमारी में सुनने और देखने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। यानी इस बीमारी से ग्रसित लोग अंधे और बहरे भी हो सकते हैं। किडनी में घाव होने के चलते ही पेशाब में खून भी आता है।
प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना
पेशाब में खून आने की वजह प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना भी है। प्रोस्टेट ग्रंथि मूत्राशय के नीचे और मलाशय के सामने होती है। यह ग्रंथि प्रजनन के लिए वीर्य का उत्पादन करती है। अगर प्रोस्टेट बढ़ जाता है तो पेशाब में तेज दर्द के साथ खून आने की समस्या हो सकती है।

यूरिन इंफेक्‍शन या यूरिनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन (यूटीआई)

यूरिनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन (यूटीआई) महिलाओं में होने वाली बेहद आम समस्या होती है। मूत्र मार्ग में संक्रमण होने के कारण महिलाओं को काफी समस्या होती है और जलन के साथ-साथ कई बार पेशाब के साथ खून भी आने लगता है।
विडिओ मे देखें गुर्दे मे पथरी का अचूक इलाज -



गुर्दे में पथरी या गुर्दे या पित्‍ताशय में ट्यूमर के कारण

अगर किसी इंसान को गुर्दे में पथरी की समस्या हो तो भी कई बार पेशाब में खून आ सकता है क्‍योंकि पथरी की वजह से पेशाब की प्राकृतिक प्रक्रिया में रूकावट पैदा हो जाती है। इसका उपचार हो सकता है इसलिए समय रहते डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करें। इसके अलावा गुर्दे या पित्‍ताशय में ट्यूमर होने पर भी पेशाब में खून आने लगता है। ऐसे में डॉक्‍टरों द्वारा सर्जरी की मदद से इलाज किया जाता है।

ग्‍लोमेरूलोनेफ‍रिटिस के कारण

पेशाब या मल में खून आने का ग्‍लोमेरूलोनेफ‍रिटिस या ग्‍लोमेरूलर नेफीरिटिस सबसे आम कारण होता है। बढ़ते बच्‍चों और छोटे बच्‍चों में यह समस्‍या सबसे ज्‍यादा देखने को मिलती है। लेकिन कई बार बड़े लोग को भी इस समस्‍या का सामना करना पड़ता है।

सिस्टिक ग्रोथ

महिलाओं में सिस्‍ट का बढ़ जाना आम बात है। ये समस्या काफी पीड़ादायक होती है और इसके कारण पेशाब में खून भी आने लगता है। आमतौर पर सिस्‍ट, गुर्दे में बढ़ता है जिसके कारण पेशाब करने में दर्द औश्र जलन की समस्या होती है। एक समय के बाद खून भी आना शुरू हो जाता है।
पेशाब में अगर खून आता हो तो उसे रक्तमेह कहा जाता है। रक्तमेह के रोग में गुर्दे की गडबड़ी के कारण रक्त पूरी तरह नहीं छन पाता है। लम्बे समय से पेशाब में जलन हो रही हो या उसमें से खून आ रहा हो, तो आपको खुद पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पेशाब में खून आने पर करें ये घरेलु उपाय।
* रात को सोते समय एक गिलास पानी में मुनक्का भिगो दें। सुबह मुनक्का उसी पानी के साथ पीस लें। इसे छानकर इसमें थोड़ा भुना पिसा जीरा मिलाकर पी ले। इससे पेशाब की जलन मिट जाती है और पेशाब खुलकर आता है साथ ही खून का आना भी बंद हो जाता है।
* लगभग 12 ग्राम आंवला और 12 ग्राम हल्दी को मोटा-मोटा पीसकर रात को पानी मे डालकर भिगों दें। सुबह इस पानी को छानकर पीने से पेशाब मे खून आने का रोग दूर होता है।
* 1 ग्राम भुनी हुई फिटकरी को सुबह और शाम पानी के साथ लेने से पेशाब मे खून आना बंद हो जाता है।
* सात बूँद बड़ का दूध शक्कर के साथ देने से पेशाब तथा गुदा द्वारा होने वाले रक्तस्राव में लाभ होता है।
* अडूसी के पत्तों का 1 तोला (लगभग 12 ग्राम) रस रोज सुबह पीने से अथवा केले के फूल का 2 से 10 मि।ली। रस 10 से 50 मि।ली। दही के साथ खाने से रक्तस्राव में लाभ होता है।
* एक गिलास पानी में दो चम्मच धनिया और एक चम्मच पिसा हुआ आंवला रात को भिगो दें। सुबह उसी पानी में मसल कर छानकर पी लें। ऐसा ही पानी शाम को भी पिएँ। इस पानी को सुबह शाम पीने से पेशाब में जलन मिट जाती है साथ ही खून गिरने में भी राहत मिलती है।
* एक कटोरी गेंहू रात को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह इसी पानी के साथ इसे बारीक पीस ले। इसमें एक चम्मच मिश्री मिलाकर पी लें। इसे एक सप्ताह तक लगातार पीने से पेशाब के साथ वीर्य जाना बंद होता है। खून आना भी बंद हो सकता है।
* 10 से 20 ग्राम लोध्रासव को बराबर मात्रा में पानी में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद खाने से पेशाब साफ आने लगता है।
* लगभग आधे से एक ग्राम सुहागे की खील को शहद मिले पानी में घोंटकर सुबह-शाम पीने से दूषित पेशाब भी ठीक हो जाता है।

विशिष्ट परामर्श-


किडनी फेल रोगी मे बढे हुए क्रिएटनिन एवं यूरिया के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की कार्य क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| डायलिसिस पर चल रहे रोगी को भी अत्यंत हितकारी है|रोगी के हीमोग्लोबिन मे भी वृद्धि होती है|औषधि के लिए वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|
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29.7.19

बाजरा खाने के स्वास्थ्य लाभ:Health benefits of eating millet bread



बाजरा हमारे पूर्वजों द्वारा उपयोग किये जाने वाले सबसे पुराने खाद्य पदार्थों में से एक है जिसे गेंहूं के आटे के साथ नियमित आहार में शामिल किया जाता था। इस खाद्य पदार्थ में बहुत अधिक मात्रा में फाइबर सामग्री (fiber content) होती हैं जो हमारे अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य और पाचन के लिए आवश्‍यक होती है।
बाजरा के फायदे और स्‍वास्‍थ्‍य लाभ बहुत अधिक होने के कारण कई स्‍वास्‍थ्‍य सलाहकारों द्वारा बाजरा के उपभोग की सलाह दी जाती है। बाजरा बहुत महंगा नहीं होता है इस कारण इसे सभी लोग आसानी से इस्‍तेमाल कर सकते हैं। बाजरा के स्‍वास्‍थ्‍य लाभों में अस्‍थमा को रोकना, खराब कोलेस्‍ट्रोल को कम करना, शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को साफ करना, मधुमेह को कम करना, दिल से संबंधित स्‍वास्‍थ्‍य और कैंसर के खतरे को कम करना आदि शामिल है। साथ ही यह एनीमिया को रोकने और शरीर के ऊतकों की मरम्‍मत करने में मदद करता है। यह ग्‍लूटेन मुक्‍त (gluten-free ) खाद्य पदार्थ का सबसे अच्‍छा विकल्‍प है।
बाजरे की रोटी खाने के फायदे –
आमतौर पर हर घर में गेंहू की रोटी ही बनती है और पूरा परिवार बड़े ही चाव से इस रोटी को खाता है.लेकिन अगर आप अपने बढ़ते वजन को कम करना चाहते हैं और वो भी रोटी खाना बंद किए बगैर. तो ये मुमकिन है.लेकिन इसके लिए आपको गेंहू के बजाय बाजरे की रोटी खाने की आदत डालनी होगी. क्योंकि गेंहू की रोटी के मुकाबले बाजरे की रोटी जल्दी वजन घटाने में मददगार साबित होता है.बाजरे की रोटी वजन घटाने के साथ ही पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाता है और कई तरह की बीमारियों से भी बचाता है.


 डायबिटीज और कैंसर से बचाव

बाजरे की रोटी कैंसर और डायबिटीज के खतरे को कम करता है. कई अध्ययनों में कहा गया है कि बाजरा कैंसर से बचाव में मददगार होता है. इसके साथ ही बाजरे की रोटी के नियमित सेवन से डायबिटीज का खतरा भी कम हो जाता है.कई बीमारियों का कारण मधुमेह (diabetes) होता है, पिछले कुछ वर्षो में मधुमेह आम बीमारी का रूप ले चुका है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग बाजरा को अपने आहार में शामिल करते हैं उन्‍हें डायिबिटीज होने का खतरा बहुत ही कम होता है। बाजरा में मैग्‍नीशियम बहुत ही अच्‍छी मात्रा में पाया जाता है जो शरीर को इंसुलिन (insulin) का अच्‍छी तरह से उपयोग करने में मदद करता है और मधुमेह के प्रभाव को कम करता है। बाजरा का नियमित सेवन कर आप अपने शरीर में बढ़ते शुगर की मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं।
रक्‍तचाप को कम करने में
मैग्‍नीशियम की अच्‍छी मात्रा बाजरा मे होती है जो मांसपेशियों (muscles) को आराम देता है।
बाजरा का नियमित सेवन करने से रक्‍तचाप को कम करने में मदद मिलती है साथ ही यह अस्‍थमा की गंभीरता और माइग्रेन के आवृत्ति (frequency) को भी कम करता है।
वजन कम करने में मददगार
फाइबर की अच्‍छी मात्रा होने के कारण बाजरा को वजन कम (weight loss) करने वाले आहारों की सूची में शामिल किया जाता है। बाजरा का सेवन करने से आपको ऊर्जा मिलती है और यह लंबे समय तक आपकी भूख नियंत्रित करता है। इसके अलावा बाजरा में कोलेस्‍ट्रोल को कम करने और इंसुलिन संवेदनशीलता (insulin sensitivity) बढ़ाने की क्षमता के कारण यह आपके वजन को कम करने में मदद करता है।अगर आप वजन घटाना चाह रहे हैं तो बाजरे की रोटी खाना आपके लिए फायदेमंद होगा.
मिलती है भरपूर एनर्जी
गेंहू की रोटी के मुकाबले बाजरा शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है. वजन घटाने के अलावा बाजरा खाने से शरीर को भरपूर एनर्जी मिलती है. बाजरे को ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्रोत माना जाता है.


घावों को ठीक करने के लिए

आप अपने घावों का उपचार करने के लिए बाजरा और पानी के मिश्रण का उपयोग कर सकते हैं। बाजरा कोलेजन की वृद्धि करने के लिए जाना जाता है जो घाव का उपचार करने में मदद करता है। एक अध्‍ययन से पता चलता है कि कुछ दिन तक नियमित रूप से बाजरा (millet) का उपयोग करने से चूहों के घाव को जल्‍दी ठीक करने में सफलता मिली है।
 पाचन शक्ति होती है मजबूत
बाजरे की रोटी में भरपूर मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने के साथ ही पाचन शक्ति को भी मजबूत बनाते हैं. इसके अलावा बाजरे की रोटी खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती है.
हड्डीयों को स्‍वस्‍थ्‍य रखे
दूध के मुकाबले बाजरा में कैल्शिम की मात्रा अधिक होती है जो आपके शरीर की हड्डियों के निर्माण (bone-building) में बहुत ही सहायक होता है। कैल्शियम के बिना आपकी हड्डीयां भंगुर और कमजोर (brittle and weak) हो सकती हैं। चूंकि आपका शरीर कैल्शियम नहीं बना सकता है, इसलिए यह महत्‍वपूर्ण है कि आप इस तरह के खनिज पदार्थों की पूर्ति अपने आहार के माध्‍यम से करें। बाजरा में मैग्‍नीशियम भी अच्‍छी मात्रा में होता है जो आपकी हड्डियों को स्‍वस्‍थ्‍य रखने में मदद करता है। इसके अलावा कुछ अध्‍ययनों से पता चलता है कि मैग्‍नीशियम फ्रैक्‍चर और ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) के खतरे को कम करने में आपकी मदद करता है।
 दिल को रखता है सेहतमंद
नियमित रुप से बाजरा खाने से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है. बाजरे की रोटी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है. इसके अलावा बाजरा मैग्नीशियम और पोटैशियम का भी अच्छा स्रोत माना जाता है जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है.
कोलेस्‍ट्रोल कम करे 
फाइबर कई बीमारियों के लिए एक फायदेमंद तत्‍व है जो हमारे शरीर मे कोलेस्‍ट्रोल को नियंत्रित करने और धमनियों को अवरुद्ध (clogging the arteries) होने से रोकने का सबसे अच्‍छा तरीका है। बाजरा में उपस्थित फाइबर शरीर की सफाई करने और खराब कोलेस्‍ट्रोल (LDL cholesterol) से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। यह आपके शरीर को विभिन्‍न बीमारीयों से बचाने का काम भी करता है। कोलेस्‍ट्रोल को कम करने के लिए बाजरा का सेवन फायदेमंद होता है।


रोके एनीमिया

महिलाओं के लिए एनीमिया (Anemia) रोग बहुत ही घातक होता है और यह उनकी मृत्‍यू का कारण भी बन सकता है। बाजरा का सेवन कर एनीमिया के प्रभाव को कम किया जा सकता है। बाजारा मे मौजूद फौलिक एसिड (folic acid), फोलेट और आयरन लाल रक्‍तकोशिकाओं के निर्माण के महत्‍वपूर्ण घटक होते हैं और हीमोग्‍लोबिन को पर्याप्‍त स्‍तर पर बनाए रखने में मदद करते हैं। बाजरा में तांबा भी अच्‍छी मात्रा में होता है जो खून में लाल रक्‍त कोशिकाओं (red blood cells) को बढ़ाने में मदद करता है।
बाजरा के गुण गैल्‍स्‍टोन रोकने में 
कुछ अध्‍ययन बताते हैं कि पित्‍ताशय की पथरी (Gallstones) के गठन को रोकने में अघुलनशील फाइबर बहुत ही उपयोगी होता है। ऐसे बहुत से मामले हैं जो यह बताते हैं कि बाजरा और अन्‍य फाइबर से युक्‍त खाद्य पदार्थ का सेवन करने से गैल्‍स्‍टोन का खतरा कम होता है। फाइबर की उचित मात्रा में सेवन करने से आंतों के पारगमन समय मे कमी आती है जिसके कारण यह पित्‍त एसिड (bile acid) के स्राव को भी कम करता है जो गैल्‍स्‍टोन को बनने से रोकने में मदद करता है।
सावधानी -
कम मात्रा में बाजरा का सेवन करने से कोई नुकसान नहीं होता है
लेकिन यदि इसका ज्‍यादा मात्रा में सेवन किया जाए तो यह बहुत सी परेशानियों का कारण बन सकता है। जो इस प्रकार है :
बाजरा में गोइट्रोजन (goitrogen) होता है जो थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को उत्तेजित करता है।
इसका अधिक मात्रा में सेवन थायरॉयड की समस्‍या का कारण बन सकता है।
अधिक मात्रा में बाजरा का सेवन करने से आपकी त्‍वचा रूखी हो सकती है।
बाजरे का अधिक उपयोग घेंघा (Goitre), चिंता, तनाव और सोचने की क्षमता मे कमी का कारण बन सकता है।




26.7.19

पिंपल्स / मुहासे हटाने के घरेलू उपचार :Home Remedies for Pimples / Acne Removal



आजकल त्वचा पर मुंहासे यानी पिंपल निकलने की समस्या बेहद आम हो गई है। खासकर जिनकी त्वचा ऑयली (तैलीय) है, उन्हें पिंपल ज़्यादा परेशान करते हैं।आम तौर पर अधिकतर कील – मुंहासे Teenage तथा युवावस्था में अधिक होते है. अगर एक बार भी किसी के Face पर पिम्पल या एक्ने आने शुरू हो गये तो इन्हें दूर करना काफी मुश्किल लगने लगता है.
मुंहासे क्या हैं?
आमतौर पर जब हमारी त्वचा पर मौजूद तेल ग्रंथियां बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाती हैं, तो मुंहासों का जन्म होता है। हथेलियों और तलवों को छोड़कर, ये तेल ग्रंथियां हमारे पूरे शरीर की त्वचा पर मौजूद होती हैं। त्वचा के रोम छिद्र अंदर से इन तेल ग्रंथियों वाली कोशिकाओं से जुड़े होते हैं। यही रोम छिद्र सीबम पैदा करते हैं, जो त्वचा की खूबसूरती और उसके भीतर तेल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। जब हमारे शरीर में हार्मोनल बदलाव होता है, तो हमारी त्वचा की तेल ग्रंथियों में तेल संतुलन बिगड़ जाता है। इस संतुलन के बिगड़ने की वजह से ही हमारी त्वचा पर मुंहासे नज़र आने लगते हैं।
पिंपल या मुंहासे का होना कोई जानलेवा बीमारी तो नहीं है, फिर भी समय रहते इस बीमारी का इलाज करवा लेना चाहिए। दरअसल, पिंपल अगर ज़्यादा हों और उनका जल्द इलाज न करवाया जाए, तो वे त्वचा पर दाग छोड़ सकते हैं।
पिंपल निकलने का कोई खास लक्षण नहीं होता है। लेकिन, कभी-कभी जहां पिंपल निकलने वाला हो, वहां आपको दर्द महसूस हो सकता है। अगर लगातार कुछ दिनों से आपको पेट से जुड़ी परेशानियां हो रही हों या आप तनाव में हों, तो भी पिंपल हो सकते हैं। सच तो ये है कि पिंपल का होना या न होना, त्वचा और शरीर की बनावट पर निर्भर करता है। इसका कोई निर्धारित लक्षण नहीं होता है।


पिंपल/मुंहासे होने के कारण 

नीचे हम कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी वजह से पिंपल हो सकते हैं:
1. अनुवांशिकता
पिंपल की समस्या अनुवांशिक हो सकती है। अगर आपके परिवार में किसी को बार-बार पिंपल होते हैं, तो आपको भी पिंपल की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। (1) (3)
2. हार्मोनल बदलाव
बढ़ती उम्र के साथ शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से भी पिंपल होते हैं। खासकर महिलाओं को मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के समय शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण पिंपल हो सकते हैं। (3)
3. दवाओं के कारण
कभी-कभी तनाव, मिर्गी या मानसिक बीमारी से जुड़ी कुछ दवाओं के सेवन से भी पिंपल निकल सकते हैं। (4)
4. कॉस्मेटिक का ज़्यादा इस्तेमाल
कॉस्मेटिक यानी सौंदर्य प्रसाधनों का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करने से पिंपल निकल सकते हैं। कई बार महिलाएं पूरे दिन मेकअप में रहती हैं और रात को ठीक से मेकअप नहीं उतारती हैं। इस वजह से भी पिंपल हो सकते हैं। इसलिए, महिलाओं को हल्का मेकअप करने और नेचुरल ब्यूटी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। (3)
5. खानपान से जुड़ी बुरी आदतें
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और द अकादमी ऑफ़ न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स की ओर से प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि उच्च ग्लाइसेमिक भोजन, जैसे – बेकरी के खाद्य पदार्थ और हाई शुगर वाले ड्रिंक्स का सेवन करने से भी पिंपल होते हैं। (5) इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट, ऑयली चीज़ें और जंक फ़ूड के ज़्यादा सेवन से भी पिंपल हो सकते हैं।
6. तनाव
ज़्यादा समय तक तनाव में रहने से भी पिंपल की परेशानी हो सकती है। जब आप तनाव में होते हैं तो आपके शरीर के अंदर कुछ बदलाव होते हैं जिस कारण पिंपल हो सकता है। दरअसल, तनाव से न्यूरोपैट्राइड्स नामक रसायन निकलता है जिससे तनाव और भी बढ़ सकता है। (1) (3)
7. बदलता मौसम और प्रदूषण
ज़्यादा समय तक धूल-मिट्टी और प्रदूषित वातावरण में रहने से पिंपल होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, अगर आप एक शहर से दूसरे शहर तक ज़्यादा आना-जाना करते हैं, तो बदलते मौसम के कारण भी आपको पिंपल हो सकते हैं।
पिंपल्स हटाने के घरेलू उपचार
टूथपेस्ट
अगर आप पिंपल्स व मुंहासों से रातों रात छुटकारा पाना चाहते हैं, तो टूथपेस्ट सबसे बढ़िया घरेलू उपाय है। इसकी मदद से बहुत कम समय में आपके चेहरे से पिंपल से निजात पाई जा सकती है। अच्छी बात यह है, कि टूथपेस्ट हर तरह की पिंपल वाली स्किन पर अपना असर दिखाता है। दरअसल, टूथपेस्ट की एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज उन बैक्टीरिया को खत्म करती हैं, जो पिंपल्स का मुख्य कारण बनते हैं। केवल चेहरे के लिए ही नहीं टूथपेस्ट का उपयोग आप शरीर पर उभरने वाले पिंपल्स के लिए भी कर सकते हैं। नीचे जानते हैं इसे इस्तेमाल करने का तरीका।
सामग्री-
टूथपेस्ट
रूई
पिंपल पर टूथपेस्ट का कैसे करें उपयोग-
चेहरे पर पिंपल हटाने के लिए टूथपेस्ट का उपयोग करना बेहद आसान है। इसके लिए बस आपको रात में रूई में टूथपेस्ट लेकर चेहरे और शरीर के उस हिस्से पर लगाना है, जो पिंपल से प्रभावित है। रातभर इसे ऐसे ही लगा छोड़ दें और सुबह उठने के बाद चेहरा धो लें। बता दें कि पिंपल्स के लिए आपको किसी जेल बेस्ड नहीं बल्कि सफेद टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना है।


मुल्तानी मिट्टी

सामग्री

दो चम्मच मुल्तानी मिट्टी
एक चम्मच गुलाब जल
चार से पांच बूंद नींबू का रस
कैसे तैयार करें?
मुल्तानी मिट्टी, गुलाब जल और नींबू के रस को मिलाकर एक पेस्ट बना लें। आप चाहे तो इसमें थोड़ा पानी भी मिला सकते हैं।
कैसे लगाएं?
हाथ से इस पेस्ट को पूरे चेहरे पर या सिर्फ़ पिंपल वाली जगह पर लगाएं।
समय
इस पेस्ट को दस से पंद्रह मिनट तक लगाकर रखें फिर पानी से धो लें।
कैसे करता है मदद?
मुल्तानी मिट्टी ना सिर्फ़ त्वचा की गंदगी को बाहर निकालती है, बल्कि त्वचा से बेकार तेल को भी खींच लेती है। साथ ही यह मिट्टी रक्त प्रवाह को बढ़ाती है। यह मिट्टी खासतौर पर तैलीय त्वचा के लिए ज़्यादा फ़ायदेमंद होती है।
अगर आपकी त्वचा रूखी है, तो इस नुस्खे का इस्तेमाल थोड़ा ध्यान से करें। दरअसल, पेस्ट को ज़्यादा देर तक लगाकर रखने से आपकी त्वचा का रूखापन बढ़ सकता है।
सेंधा नमक
सेंधा नमक पिंपल्स के लिए सबसे सस्ता और सरल घरेलू उपाय है। सेंधा नमक स्किन डेड सेल्स को एक्सफोलिएट करके और बैक्टीरिया को मारकर त्वचा की सफाई करता है। इतना ही नहीं यह त्वचा के पीएच लेवल को भी संतुलित रखता है। आप अपने हिप्स और पीठ पर उभरने वाले दर्दनाक मुंहासों से छुटकारा पाने के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल पिंपल व मुंहासों के लिए कैसे करना है, नीचे जानिए।
सामग्री-
1 चम्मच- एप्सम(सेंधा)नमक
1/2 कप- पानी
रूई
पिंपल्स पर सेंधा नमक का इस्तेमाल करने के लिए नमक में पानी घोलें। अब इस नमक के पानी में रूई डुबोकर पिंपल से प्रभावित हिस्सों पर लगा लें। कुछ मिनट के लिए इसे ऐसे ही छोड़ दें और फिर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। रोजाना एक से दो बार इस प्रक्रिया को करने से चेहरे पर दिखने वाले पिंपल बहुत कम हो जाएंगे।
एप्पल साइडर विनेगर
चेहरे पर मौजूद गंदगी के कारण कील मुंहासों की समस्या हो जाती है। अगर इससे निजात पाना चाहते हैं, तो एप्पल साइडर विनेगर सबसे अच्छा घरेलू तरीका है। विनेगर में बहुत हल्के एसिड होते हैं, जो त्वचा पर बार-बार आने वाले तेल को कंट्रोल करते हैं। विनेगर एक रोगाणुरोधी एजेंट भी है, तो आपकी त्वचा को बैक्टीरिया फ्री बनाता है। ऐसे में आप एप्पल साइडर विनेगर का उपयोग करके चेहरे पर दिखने वाले मुंहासों से छुटकारा पा सकते हैं। यह हर मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध है।
सामग्री-
1 चम्मच- पानी1 हिस्सा- सेब साइडर सिरका
कॉटन बॉल
पिंपल्स पर एप्पल साइडर विनगर लगाने की विधि बेहद आसान है। इसे लगाने के लिए एक चम्मच विनेगर को एक चम्मच पानी में मिलाएं। कॉटन बॉल को इस मिश्रण में डुबोएं और प्रभावित हिस्सों पर अप्लाई करें। 5-7 मिनट के लिए ऐसे ही रहने दें और फिर ठंडे पानी से धो लें। सेंसिटिव स्किन के लिए पानी 3 चम्मच तो विनेगर 1 चम्मच लें। इस प्रक्रिया को हफ्ते में रोज करने से पिंपल्स गायब हो जाएंगे।
बेकिंग सोडा
आपकी किचन में मौजूद बेकिंग सोडा पिंपल को रोकने में बहुत मददगार है। बेकिंग सोडा लगाने के बाद पुराने पिंपल भी जड़ से गायब हो जाते हैं, क्योंकि यह त्वचा के पीएच लेवल को संतुलित करता है। इतना ही नहीं यह त्वचा में निखार लाने के साथ मुंहासों के कारण चेहरे पर दिखने वाली सूजन को भी कम करता है। नीचे आप इसका इस्तेमाल करने का तरीका जान सकते हैं।
सामग्री
1 चम्मच- बेकिंग सोडा
पानी
पिंपल व मुहांसों पर बेकिंग सोडा लगाने के लिए पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं और उंगलियों की मदद से इस मिश्रण को प्रभावित हिस्सों पर लगाएं। 5 मिनट तक इसे लगा रहने दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें। 5 मिनट से ज्यादा इसे लगा न रहने दें, क्योंकि ऐसा करने से आपकी त्वचा सूखी हो सकती है। अगर जरूरी लगे, तो बेकिंग सोडा लगाने के बाद आप मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
एलोवेरा 
सामग्री
एलोवेरा
कैसे तैयार करें?
इसमें कुछ खास तैयारी की ज़रूरत नहीं पड़ती है। एलोवेरा को जब आप तोड़ेंगे, तो आपको उसके अंदर एक द्रव्य दिखेगा। आपको उसी द्रव्य या जेल का इस्तेमाल करना होता है।
कैसे लगाएं
एलोवेरा से निकले जेल को सीधे पिंपल वाली जगह पर लगाएं।
समय
जेल को दस से पंद्रह मिनट तक पिंपल पर लगा रहने दें और फिर पानी से धो लें।
कैसे करता है मदद?
चेहरे और पीठ पर मौजूद मुंहासों के इलाज के लिए एलोवेरा जेल को मुंहासे वल्गैरिस उपचार में और पूरे चेहरे और पीठ में उपयोग में लाया जाता है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीइन्फ़्लैमेट्री गुण त्वचा में होनी वाली सूजन और जलन को कम करते हैं।


नारियल तेल

हार्मोनल परिवर्तन के कारण युवाओं के चेहरे पर मुंहासों की समस्या पैदा हो जाती है। इसके लिए नारियल तेल सबसे अच्छा घरेलू उपचार है, क्योंकि यह त्वचा को कोमल बनाए रखने के लिए इसे हाइड्रेट करता है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज के कारण, इसे आजकल मॉइस्चराइजर और लोशन में भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। वहीं इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट स्किन सेल्स के पुर्नजन्म में मदद करते हैं। नीचे आप पिंपल्स पर नारियल तेल का उपयोग करने की विधि जान सकते हैं।
सामग्री-
6-7 बूंद नारियल तेल
पिंपल पर नारियल तेल का उपयोग करने के लिए पहले एक कटोरी में तेल लेकर इसे गर्म करें। अब फिंगर टिप्स की मदद से पिंपल वाली जगह पर नारियल तेल लगाएं और सकुर्लर मोशन में मसाज करें। कुछ घंटों के लिए इसे ऐसे ही रहने दें। हर रोज दिन में दो बार पिंपल पर नारियल तेल लगाने से आपके चेहरे के पिंपल पूरी तरह से गायब हो जाएंगे।
लहसुन 
सामग्री
दो से तीन लहसुन की कलियां
पानी
कैसे तैयार करें?
लहसुन की कलियों का पेस्ट बनाकर उसमें थोड़ा-सा पानी मिला लें।
कैसे लगाएं?
इस पेस्ट को सीधे पिंपल के ऊपर लगाएं। इस्तेमाल से पहले लहसुन का रस पानी में पूरी तरह से घुलने दें। इसके बाद ही तैयार हुए पेस्ट को पिंपल पर लगाएं।
समय
पेस्ट को पांच से दस मिनट तक लगा रहने दें और फिर पानी से धो लें।
कैसे करता है मदद?
लहसुन में एलिसिन के एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो मुंहासों के लिए ज़िम्मेदार माने जाने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं।
हल्दी 
सामग्री
हल्दी पाउडर
पानी
कैसे तैयार करें?
हल्दी में पर्याप्त मात्रा में पानी मिलाकर इसका पेस्ट बना लें।
कैसे लगाएं?
पेस्ट को उंगली से पिंपल पर अच्छी तरह लगाएं।
समय
पेस्ट को सूखने के लिए 10 से 15 मिनट का समय दें और फिर उसे पानी से धो लें।
कैसे करता है मदद?
हल्दी एक एंटीसेप्टिक औषधि है। आमतौर पर त्वचा में संक्रमण होने पर हल्दी के लेप का इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि हल्दी त्वचा पर मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को मारती है और त्वचा की कोशिकाओं को जल्द ठीक करती है। इसलिए यह पिंपल के उपचार में भी कारगर साबित हो सकती है।
गुलाबजल
गुलाबजल में एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा पर मौजूद बैक्टीरिया को मार गिराते हैं। गुलाबजल मुंहासों के निशान को ठीक करने और त्वचा को साफ करने में भी मदद करता है। इसके अलावा गुलाबजल में कूलिंग प्रॉपर्टी होती हैं, जो छिद्रों को बंद करने और तेल उत्पादन को नियंत्रित करने में मदद करती हैं । गुलाबजल आमतौर पर टोनर के रूप में भी काम करता है। नीचे इसके इस्तेमाल करने का तरीका आप जान सकते हैं।
सामग्री-
2 चम्मच- ग़ुलाब जल
2 चम्मच- चंदन पाउडर
पिंपल वाली त्वचा पर गुलाबजल लगाने के लिए पहले गुलाबजल और चंदन पाउडर को मिलाकर एक पेस्ट तैयार करें। अब इस पेस्ट को उंगली की मदद से पिंपल वाली जगह पर लगाएं। इसके सूखने का इंतजार करें और फिर पानी से धो लें। इस विधि को आप रोज अपने पिंपल पर ट्राई करें। बहुत जल्द पिंपल हल्के पड़ जाएंगे।




25.7.19

रूखी आँखें (ड्राय आई सिंड्रोम) के घरेलू उपचार




ऑंखे आपके प्रमुख अंगों में से एक है। यदि आपकी आंखें हवा या गर्मी के प्रति अति संवेदनशील है, और उनमें आसानी से खुजली और जलन हो जाती हैं, तो यह संभव है कि आप ऑंखों का सूखापन (Dry Eyes) से ग्रसित हो सकते है। जो बताता है कि आपको ड्राई ऑय सिंड्रोम (dry eyes syndrome) हुआ है।

ड्राई आई सिंड्रोम यानि आंखों में रूखापन होने की बीमारी एक आम स्वास्थ्य के मुद्दों में से एक है। बच्‍चे हो या बुजुर्ग कोई भी इससे वचिंत नहीं है। आजकल धूल- मिट्टी, प्रदूषण व गलत लाइफस्‍टाइल के साथ मोबाइल, कंप्यूटर और डिजिटल स्क्रीन गैजेट्स के ज्‍यादा उपयोग इसके पीछे का सबसे बड़े कारणों में शामिल है। आंखों में ड्राईनेस होने से आंखों में खुजली, जलन, आंखों से आंसू निकलना और बिना कारण के आंखों में थकान आदि आंखों के रूखेपन के मुख्‍य लक्षण हैं। ऐसे में बहुत से लोगों को टीवी देखते समय, फोन का इस्‍तेमाल करने और पढ़ने में दिक्‍कत होने लगती है।
यह सिंड्रोम तब होता है जब आंसू ग्रंथियां आंखों को चिकना या गीला करने के लिए पर्याप्त आँसू पैदा नहीं करती हैं। आंसू, आंखों के कार्निया एवं कन्जंक्टाइवा को नम और गीला रखता है, जिससे आंखें सूखती नहीं हैं। आंखों में टियर फिल्म पायी जाती है और इसके सबसे बाहरी परत को लिपिड या ऑयली परत कहते हैं। यह लिपिड या ऑयली परत आंसू के सूखने को कम करती है और आंखों को चिकनाई प्रदान करती है। लेकिन देर तक कंप्यूटर पर काम करने, मोबाइल फोन का ज्‍यादा इस्‍तेमाल और टीवी देखने के साथ लगातार एसी में रहने से आंखों की यह टियर फिल्म प्रभावित होती है, जो कि ड्राई आई सिंड्रोम का कारण बनते हैं। यदि आप आंखों में सूखेपन की समस्‍या से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आप इन आसान घरेलू उपायों से राहत पा सकते हैं।
फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन
अध्ययनों के अनुसार, यदि आपको आंखों में रूखेपन की समस्‍या है, तो आपको ओमेगा -3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए क्योंकि यह आपको आंखों की इस समरूश में राहत देने में मदद कर सकता है। इन खाद्य पदार्थों के एंटीइंफ्लामेटरी गुण आंखों की सूजन व जलन को कम करने में मदद करते हैं। ओमेगा 3 से भरपूर खाद्य पदार्थों में अखरोट, फैटी फिश, चिया सीड्स और अंडे शामिल हैं, ऐसे में आप इन खाद्य-पदार्थों का सेवन कर सकते हैं।
एलोवेरा
एलोवेरा स्‍वास्‍थ्‍य के लिए कितना लाभदायक है, ये आप सभी जानते ही होंगे लेकिन क्‍या यह आपको आंखों के सूखेपन में भी राहत दिला सकती है? इसका जवाब है, हां। एलोवेरा में एल्‍कलाइन व एंटीइंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिसकी वजह से यह आपकी ड्राई आंखों की समस्‍या को दूर कर सकता है। एलोवेरा जेल एक मॉश्‍चराइजर के रूप में भी काम करता है। इयलिए आंखों की ड्राईनेस की समस्‍या होने पर आप नेचुरल एलोवेरा जेल का इस्‍तेमाल ही करें। आप एलोवेरा की पत्‍ती से जेल निकालें और अपनी आंखों की पुतली पर उंगली की मदद से लगाएं। इसके 5-10 मिनट के बाद आप इसे साफ कर दें।
मेकअप से दूरी व गुलाब जल का उपयोग
यदि आप आंखों का मेकअप करते हैं, तो आंखों में रूखेपन के दौरान आई मेकअप से दूरी बना लें। इसके अलावा, दिन भर का काम खत्‍म करने के बाद आप अपनी आंखों को आराम देने के लिए गुलाबजल का इस्‍तेमाल करें। कंप्‍यूटर पर लगातार काम करने से आपकी आंखे थक जाती हैं, इसके लिए आप गुलाब जल में कॉटन को भिगोकर अपनी आंखों के ऊपर 15 मिनट के लिए रख लें। ऐसा करने से आपकी आखों की ड्राईनेस दूर होगी। यदि आप रोजाना कंप्यूटर पर काम करते हैं, तो आप रोजाना अपनी आंखों की थकान मिटाने के लिए गुलाबजल का इस्‍तेमाल कर सकते हैं। यह आपकी आंखों की नमी को वापस पाने के लिए फायदेमंद साबित हेागा।
आंखों के ड्राप या मलहम
शुष्‍क आंखों के उपचार के लिए आज बहुत से डॉक्‍टरी तरीके और दवाएं उपलब्‍ध है जो आपको राहत दिलाने में मदद कर सकते है। डॉक्‍टर द्वारा बताए गए ऑय ड्राप आपको अस्थायी राहत दिला सकते है। ध्‍यान रखने वाली बात यह है कि कुछ आंखों के ड्राप बचाव करने वाले पदार्थ (preservatives) होते है। ये आमतौर पर शीशीयों में कई बार उपयोग करने लायक मात्रा में आते है, जो शीशी खोले जाने के बाद बैक्‍टीरिया से प्रभावित होकर आपकी आंखों को भी संक्रमित कर सकते है। यदि आप एक दिन में चार बार से ज्यादा इसका उपयोग करते हैं, तो आपको संरक्षक मुक्त ड्राप का उपयोग करना चाहिए। संरक्षक मुक्त ड्राप (Preservative-free drops) आमतौर पर एकल खुराक शीशियों में आते हैं।
मरहम ड्राप से गाढ़े होते हैं और आंखों को ढंकने और सूखेपन से लंबे समय तक बचाते हैं। हांलांकि, जब आप उनका उपयोग कर रहे हों तो महलम आपकी द्रष्टि को धुंधला कर सकते हैं। सोने के समय से पहले उनका उपयोग करना सबसे अच्‍छा होता है।
गर्म सेक
आंखों की चिकनाई और आंसू की गुणवत्‍ता में सुधार लाने के लिए आंखों को गर्म सेक देना बेहद फायदेमंद व बेहतर विकल्‍प है। इसके लिए आप गुनगुना पानी लें और फिर काटन की मदद से अपने आंखों को सेक दें। ऐसा करने से आंखों की टियर फिल्म को फायदा मिलेगा और आपकी आंखों के सूखेपन से होने वाली एलर्जी जैसी सारी समस्‍याएं दूर हो जाएंगी।
पर्याप्त पानी और चीनी से दूरी
अध्ययनों के अनुसार, यदि आप आंखों के रूखेपन की समस्‍या से परेशान हैं, तो आप उस दौरान चीनी युक्त खाद्य पदार्थों से दूरी बना लें, यही आपके लिए बेहतर होगा। इसके अलावा, आप रोजाना 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं। यहद आप ऐसा करते हैं, तो जल्‍द ही आपको इस समस्‍या से निजात मिलेगी।
अरंडी का तेल-
आपकी आंखों में जैविक अरंडी तेल (Organic castor oil) की एक या दो बूंदे डालें। शुद्ध कैस्‍टर ऑयल ना होने पर आप कास्‍ट ऑयल से बने स्‍नेहक आंखों के ड्राप का भी उपयोग कर सकते हैं। ऐसा आपको रोजाना 2-3 बार करना है।
यह क्‍यों काम करता है: शुष्‍क आंखों के लिए कास्‍टल तेल का उपयोग करना फायदेमंद है क्‍योंकि यह कास्‍ट प्‍लांट (Ricinus communis) के बीज दबाकर व्‍युत्‍पन्‍न होते हैं और इसमें ऐसिड अच्‍छी मात्रा में होते है। यह स्‍वाभाविक यप से स्‍नेहक गुण प्रदान करता है। इसमें विरोधी भड़काऊ (Anti-inflammatory) गुण भी होते है जो आंखों में सूखे जे जुड़ी जलन और खुजली को दूर करने में मदद करते है।
नारियल तेल
आपको चाहिए : कार्बनिक (organic virgin) नारियल तेल की कुछ बूंदें ।
आप अपनी आंखों में इस नारियल तेल की कुछ बूंदे डालें। और आपनी पलकों को झपका कर इस तेल को अवशोषित करने का प्रयास करें। अच्‍छे परिणाम पाने के लिए आप इसे सुबह और रात में उपयोग कर सकते है।नारियल तेल का उपयोग विभिन्‍न उद्देश्‍यों को पूरा करने के लिए किया जाता है। इसमें कैप्रिक ऐसिड और लॉरिक एसिड (capric and lauric acid) जैसे फैटी ऐसिड होते हैं, जो आपकी त्‍वचा और बालों के लिए फायदेमंद होते हैं। ये भी अत्यधिक नमी और एंटी-इन्फ्लामेट्री होते हैं, इसलिए इसका उपयोग आपकी शुष्‍क और खुजली वाली आंखों में तुरंत राहत दिलाने में मदद करते है।
ककड़ी से
आप अपनी शुष्‍क आंखों का उपचार ककड़ी से कर सकते है। इसके लिए आप ककड़ी को गोल आकार में काट लें। तुरंत आराम पाने के लिए अपनी आंखों को बंद कर उनके ऊपर ककड़ी के काटे गऐ तुकड़ों को रखें। अपनी आंखों को आराम दिलाने और उन्‍हें स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए ऐसा दिन में 2-3 बार कर सकते हैं।
खीरा (Cucumber) शुष्‍क आंखों के उपचार के सबसे अच्‍छा और आसान उपचार हैं। ककड़ी में पानी पर्याप्‍त मात्रा में होता है जो आपकी आंखों को शांत करने में मदद करता है। ककड़ी में विटामिन ए भी होता है, जो सूखी आंखों के उपचार में लाभकारी होता है।
सौंफ की चाय
एक कप पानी में एक चम्‍मच सौंफ डालकर इसे 10-15 मिनिट तक उबालें। थोड़ा ठंडा होने के बाद इस गर्म चाय में सूती कपड़े को भिगों कर अपनी आंखों में रखें। और इसे कम से कम दस मिनिट के लिए छोड़ दें। आपको ऐसा प्रतिदिन 2-3 बार करना चाहिए।
सौंफ के बीज में एंथोल (anethole), एक कार्बनिक यौगिक होता है। जो एंटी-इन्फ्लामेट्री और सुखदायक गुण प्रदान करता है। सौंफ के बीज की एंटी-इन्फ्लामेट्री गतिविधियां सूजन और चिड़चिड़ापन को कम करने में मदद कर सकती हैं, आपकी आंखों में नमी को बनाए रखने के लिए इसके गुणों का उपयोग किया जा सकता है|
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