13.4.24

लाजवंती छुई मुई: सेहत के लिए प्राकृतिक वरदान, मधुमेह, बवासीर और स्तन ढीलापन के लिए रामबाण

                                    

                       लाजवंती  छुई मुई पौधा : सेहत के लिए प्राकृतिक वरदान
  
मित्रों, घरेलू आयुर्वेद से चिकित्सा के विडिओ प्रस्तुत करने के सिलसिले मे आज का टोपिक है  "लाजवंती  छुई मुई: सेहत के लिए प्राकृतिक वरदान, मधुमेह, बवासीर और स्तन ढीलापन के लिए रामबाण"
  लाजवंती (lajwanti ke fayde) का पौधा आपने अपने घरों के आस-पास लगा हुआ देखा होगा। असल में इस पौधे को एक हीलर के रूप में जाना जाता है और आयुर्वेद में इसका व्यापक इस्तेमाल है। न सिर्फ इससे कीड़े-मकोड़ों के काटने का इलाज होता है बल्कि ये मूत्रवर्धक है जो कि आपके यूरटेर  की सेहत को भी बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। साथ ही ये  दर्द निवारक   है जिस वजह से कई प्रकार से दर्द से छुटकारा पानी के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। 
लाजवंती प्रकृति से ठंडे तासीर की और कड़वी होती है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में लाजवंती के कई फायदे (lajwanti ke fayde) बताए गए हैं जिनमें कफ पित्त को दूर करना, पित्त (नाक-कान से खून बहना), दस्त, पित्त, सूजन, जलन, अल्सर, कुष्ठ तथा योनि रोगों से आराम दिलाना आदि शामिल हैं।
  आयुर्वेद में लाजवंती को औषधि माना जाता है। इसकी बड़ी खासियत यह है कि इसकी पत्तियों को छूने पर यह सिकुड़ जाती है और जब हाथ हटा लेते हैं तो यह पूर्व की अवस्था में आ जाती हैं।
कई शोधों में खुलासा हो चुका है कि लाजवंती डायबिटीज के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसकी पत्तियों और जड़ों के चूर्ण के सेवन से शुगर को कंट्रोल में रखा जा सकता है।
लाजवंती के पत्ते के इस्तेमाल से तनाव कम होने के साथ डायबिटीज की समस्या भी दूर होती है।

डायबिटीज में फायदेमंद





लाजवंती के पत्तियों से डायबिटीज को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। इसमें एंटी डायबिटीक गुण पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने के साथ डायबिटीज को कंट्रोल करते हैं। लाजवंती के पौधे के इस्तेमाल से शरीर में ग्लूकोज का लेवल भी कम होता है।

बवासीर के लिए फायदेमंद




लाजवंती के पौधे के सेवन से बवासीर की समस्या से राहत मिलती है। इसका इस्तेमाल करने के लिए इसके पत्तों को पीसकर गुदे पर इसको लगाने से बवासीर में होने वाले दर्द, सूजन और जलन दूर होती हैं।बवासीर की समस्या होने पर अक्सर शौच के दौरान रक्तस्राव होने लगता है, इस समस्या को खूनी बवासीर कहा जाता है. इस समस्या में लाजवंती का उपयोग आपके लिए फ़ायदेमंद हो सकता है. आयुर्वेद के अनुसार लाजवंती में कषाय रस होता है जो खूनी बवासीर में होने वाले रक्तस्राव को नियंत्रित करके बवासीर के लक्षणों को कम करता है.

तनाव करें कम


लाजवंती के पौधे के इस्तेमाल से महिलाओं में होने वाला तनाव कम होता है। इसके सेवन से याददाशत तेज होती है और मेमोरी में सुधार होता है। लाजवंती के पौधे के पत्तियों के अर्क में एंटी-एंजायइटी गुण मौजूद होते हैं। इसके सेवन से टेंशन भी कम होती है।

मूत्रल  है लाजवंती

लाजवंती की जड़ों को उबालकर और इसका पानी पीना आपके ब्लैडर फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करता   है। ये पहले तो आपके ब्लैडर को हाइड्रेट करता है और इसकी लाइनिंग को साफ कर देता है। इससे होता ये है कि जब आपको तेज की पेशाब आती है तो ब्लैडर की गंदगी पानी के साथ फ्लश ऑउट हो जाती है। 


स्तनों के ढीलेपन को करे ठीक लाजवंती का पौधा 



   अक्सर उम्र बढ़ने के साथ स्तनों के ढीलेपन की समस्या होने लगती है, लेकिन लाजवंती का उपयोग इस तरह से करने पर लाभ मिलता है। लज्जालू और अश्वगंधा की जड़ को पीसकर लेप करने से स्तन्य का ढीलापन कम होता है।

एंटी-अस्थमेटिक है


छुईमुई के पत्तों में एंटी-अस्थमेटिक प्रभाव होता है। ये अस्थमा से राहत दिलाने में मददगार है। अस्थमा को कंट्रोल करने में यह काफी कारगर तरीके से काम करती है। इसके लिए आपको इन पत्तियों को अपनी चाय में शामिल करना है और इसे अस्थमा में लेना है। ये एंटीएलर्जिक की तरह भी काम करेगी और अस्थमा को ट्रिगर से रोकेगी।
*लाजवंती के पत्ते ग्रन्थि (Grandular swelling), भगन्दर (fistula), गले का दर्द, क्षत (छोटे-मोटे कटने या छिलने पर), अल्सर, अर्श या पाइल्स तथा रक्तस्राव (ब्लीडिंग) में लाभप्रद होते हैं। इसका पञ्चाङ्ग मूत्राशय की पथरी, सूजन, आमवात या गठिया तथा पेशी के दर्द में लाभप्रद होता है।

लाजवंती का सेवन करने का तरीका

लाजवंती का सेवन करने के लिए इसकी पत्तियों का रस बनाकर पीया जा सकता है। इसके रस में शहद व काली मिर्च मिलाकर सेवन कर सकते हैं। इसकी जड़ का पेस्ट लगाने से घाव भी भरता है।

शरीर में एक्ने और दाने होने पर




अगर आपके शरीर में एक्ने और दाने की समस्या हो रही है तो आपको छुईमुई का सेवन करना चाहिए। छुईमुई की पत्तियों को खाने से ये खून साफ करती है और एक्ने और दाने को होने से रोकती है। इस तरह ये स्किन की तमाम समस्याओं में कारगर है।

स्ट्रेस कम करने में

स्ट्रेस कम करने में छुईमुई का सेवन काफी फायदेमंद है। इसका सेवन दिमाग को शांत करता है। साथ ही ये तनाव को कम करने में मददगार है। इसके अलावा ये मूड स्विंग्स को कंट्रोल करनेऔर दिमाग को ठंडा करता है, जिससे डिप्रेशन के लक्षणों से बचा जा सकता है। तो, इसके लिए आप इसके पत्तों और छाल के अर्क का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

लाजवंती की जड़ें घाव भर सकती हैं

लाजवंती में दो गुण हैं जो कि घाव को भरने में मदद कर सकती है। पहले तो ये दर्द को चूस लेती है और फिर घाव की क्लीनजिंग के साथ इसकी हीलिंग में मदद कर सकती है। ऐसे में आप लाजवंती का दो प्रकारों से इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसकी पत्तियों और जड़ों का लेप बनाकर अपने घाव पर लगा सकती हैं। दूसरा, आप लाजवंती के पानी से अपने घावों की सफाई कर सकते हैं।

पेट में इंफेक्शन होने पर





पेट में इंफेक्शन होने पर छुईमुई का सेवन काफी कारगर हो सकता है। ये एंटीबैक्टीरियल है जो कि पेट के कीड़ों या बैक्टीरिया को मार कर इंफेक्शन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके लिए सुबह खाली पेट छुईमुई की पत्तियों को पीस कर इसमें शहद में मिला कर लें। ये पेट के कीड़ों को मारने में मदद कर सकते हैं।
किसी भी नुस्खे का इस्तेमाल करने से पहिले आयुर्वेद विशेषज्ञ से सलाह लेवे| यह विडिओ आपको कैसा लगा ? हमारे चैनल को सबस्क्राइब कर सेहत के लिए उपयोगी विडिओ देखते रहें| धन्यवाद आभार 

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12.4.24

ब्रूफेन 400 एमजी टैबलेट के मुख्य इस्तेमाल ,खुराक और दुष्प्रभाव

                                                  


                               


  

ब्रूफेन 400 एमजी विवरण

ब्रूफेन 400 टैबलेट में इबुप्रोफेन होता है क्योंकि इसकी ऐक्टिव घटक होती है। यह एक दर्द निवारक (एनाल्जेसिक) है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से विभिन्न दर्द और सूजन से राहत देने के लिए किया जाता है। इस प्रकार, यह दवा रूमेटॉइड गठिया, जोड़ों, पीठ, मांसपेशियों और सिरदर्द जैसी स्थितियों के इलाज में मददगार है। इसका इस्तेमाल डेंटल, पीरियड और सर्जरी के बाद के दर्द के इलाज के लिए भी किया जाता है।
ब्रूफेन 400 का इस्तेमाल बच्चों और बुजुर्गों में सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। इसका इस्तेमाल पेट के अल्सर, किडनी या लिवर या हृदय की समस्याओं वाले मरीजों में नहीं किया जाना चाहिए। इस दवा से कभी-कभी पेट में असुविधा और जलन हो सकती है।
डॉक्टर द्वारा निर्देशित ब्रूफेन 400 का इस्तेमाल करें, और इसे निर्धारित अवधि से अधिक समय तक न लें, क्योंकि इसमें ब्लीडिंग, लिवर के नुकसान और अल्सर का जोखिम होता है।
सर्दी-जुकाम और फ्लू के कई घरेलू उपचारों में ये तत्व आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं.
पेट की गड़बड़ी से बचने और साइड इफेक्ट कम करने के लिए आईबीयू 400mg टैबलेट को भोजन के साथ लिया जाना चाहिए. आमतौर पर, आपको कम से कम समय के लिए, अपने लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए, आवश्यक दवा की कम मात्रा का उपयोग करने की कोशिश करनी चाहिए. ज़रूरत पड़ने पर आपको इस दवा को नियमित रूप से लेना चाहिए.. कोशिश करें कि कोई भी खुराक न छूटे, अगर आप ऐसा करते हैं तो यह कम प्रभावी हो जाएगा.
यह दवा आमतौर पर बहुत ज्यादा फायदेमंद है, इससे कम या अधिक साइड इफेक्ट भी नही है. However, it may cause vomiting, stomach pain, nausea, and indigestion in some people. अगर इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट समय के साथ ठीक नहीं होते हैं या स्थिति अधिक खराब हो जाती है, तो आपको अपने डॉक्टर को बताना चाहिए. आपका डॉक्टर लक्षणों की रोकथाम या इन्हें कम करने के तरीके बता सकता है.
यह दवा व्यापक रूप से निर्धारित और सुरक्षित मानी जाती है लेकिन सभी के लिए उपयुक्त नहीं है. अगर आपको किडनी की समस्या, अस्थमा, ब्लड डिसऑर्डर या बहुत अधिक शराब पीते हैं, तो इसे लेने से पहले, आपको अपने डॉक्टर को बताना चाहिए. साथ ही, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप सुरक्षित हैं, आपके द्वारा ली जाने वाली सभी दवाओं के बारे में अपने डॉक्टर को बताएं. इस दवा को लेते हुए शराब पीने से बचना सबसे बेहतर है.

आईबीयू टैबलेट के मुख्य इस्तेमाल

दर्द निवारक

Treatment of Fever


आईबीयू टैबलेट के लाभ

दर्द से राहत

आईबीयू 400mg टैबलेट एक आम दर्द निवारक है जो दर्द को कम करने और दर्द का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह मस्तिष्क में उन केमिकल मैसेंजर को ब्लॉक करता है जो हमे बताते हैं कि हमें दर्द हो रहा है. यह सिरदर्द, माइग्रेन, तंत्रिका दर्द, दांत दर्द, गले में खराश, मासिक धर्म (दर्द), जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाने में प्रभावी है।.

In Treatment of Fever


आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल उच्च तापमान (बुखार) को कम करने के लिए भी किया जाता है. It works by blocking the release of certain chemical messengers that cause fever. यह अकेले या किसी अन्य दवा के साथ लिए जा सकता है. आपको इसे नियमित रूप से अपने डॉक्टर द्वारा सलाह के अनुसार लेना चाहिए.
अधिकतम फायदे के लिए इसे डॉक्टर के बताए दिशानिर्देश के अनुसार ही लें. जरूरत से ज्यादा खुराक या लंबे समय तक इसका सेवन ना करें क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है. आमतौर पर आपको सबसे कम पॉवर वाली डोज लेनी चाहिए जो थोड़े समय के लिए सही ढंग से असर करे.

आईबीयू टैबलेट के साइड इफेक्ट

इस दवा से होने वाले अधिकांश साइड इफेक्ट में डॉक्टर की सलाह लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती है और नियमित रूप से दवा का सेवन करने से साइट इफेक्ट अपने आप समाप्त हो जाते हैं. अगर साइड इफ़ेक्ट बने रहते हैं या लक्षण बिगड़ने लगते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लें
आईबीयू के सामान्य साइड इफेक्ट
उल्टी
मिचली आना
चक्कर आना
पेट में दर्द
कब्ज
पेट फूलना (गैस बनना)
डायरिया (दस्त)
डिस्पेप्सिया
सिर दर्द
थकान
रैश

आईबीयू टैबलेट का इस्तेमाल कैसे करें

इस दवा की खुराक और अनुपान की अवधि के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें. इसे साबुत निगल लें. इसे चबाएं, कुचलें या तोड़ें नहीं. आईबीयू 400mg टैबलेट को भोजन के साथ लेना बेहतर होता है.

आईबीयू टैबलेट किस प्रकार काम करता है

आईबीयू 400mg टैबलेट नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लामेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) नामक दवाओं के एक समूह से सम्बन्ध रखता है. यह कुछ विशेष रासायनिक संदेशवाहकों के स्राव को रोकती है जिनके कारण बुखार, दर्द व सूजन (लाल होना और सूजन) होती है.


सुरक्षा संबंधी सलाह
अल्कोहल
असुरक्षित
आईबीयू 400mg टैबलेट के साथ शराब पीना सुरक्षित नहीं है.

गर्भावस्था

डॉक्टर की सलाह लें

गर्भावस्था के दौरान आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल करना असुरक्षित हो सकता है.. हालांकि, इंसानों से जुड़े शोध सीमित हैं लेकिन जानवरों पर किए शोधों से पता चलता है कि ये विकसित हो रहे शिशु पर हानिकारक प्रभाव डालता है. आपके डॉक्टर पहले इससे होने वाले लाभ और संभावित जोखिमों की तुलना करेंगें और उसके बाद ही इसे लेने की सलाह देंगें. कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें.

Breast feeding

डॉक्टर की सलाह पर सुरक्षित

स्तनपान के दौरान आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल सुरक्षित है. अध्ययन से पता चला है की यह दवा ज्यादा मात्रा मैं ब्रेस्टमिल्क में नहीं जाती है और बच्चे के लिए हानिकारक नहीं है.
ड्राइविंग
सेफ
आईबीयू 400mg टैबलेट के सेवन से आपकी गाड़ी चलाने की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है.

किडनी

सावधान

किडनी की बीमारियों से पीड़ित मरीजों में आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल सावधानी के साथ किया जाना चाहिए. आईबीयू 400mg टैबलेट की खुराक में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है. कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें.
किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है. इस दवा का लंबे समय तक इस्तेमाल किडनी के कार्य को प्रभावित कर सकता है.

लिवर

सावधान

लिवर की बीमारियों से पीड़ित मरीजों में आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल सावधानी से किया जाना चाहिए. आईबीयू 400mg टैबलेट की खुराक में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है. कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें.
लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को आईबीयू 400mg टैबलेट का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है.

अगर आप आईबीयू टैबलेट लेना भूल जाएं तो?

अगर आप आईबीयू 400mg टैबलेट निर्धारित समय पर लेना भूल गए हैं तो जितनी जल्दी हो सके इसे ले लें. हालांकि, अगर अगली खुराक का समय हो गया है तो छूटी हुई खुराक को छोड़ दें और नियमित समय पर अगली खुराक लें. खुराक को डबल न करें.

ख़ास टिप्स

आपको आईबीयू 400mg टैबलेट लेने की सलाह दर्द और इनफ्लेमेशन से राहत के लिए दी गयी है.
पेट खराब होने से बचने के लिए इसे भोजन या दूध के साथ लें.
डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक और अवधि के अनुसार ही इसका सेवन करें. लम्बे समय तक इसका इस्तेमाल करने से पेट में ब्लीडिंग एवं किडनी से जुड़े रोगों जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
आईबीयू 400mg टैबलेट लेने के दो घंटे के अंदर अपच के नुस्खे (एंटासिड) न लें.
आईबीयू 400mg टैबलेट लेते समय शराब का सेवन न करें क्योंकि इससे पेट की परेशानियों का जोखिम बढ़ सकता है.
अगर आपको पहले से स्ट्रोक या ह्रदय से जुड़ी बीमारी है तो डॉक्टर को सूचित करें.
अगर आप इस दवा का इस्तेमाल लम्बे समय तक चलने वाले इलाज के लिए कर रहे हैं तो डॉक्टर नियमित रूप से आपके किडनी, लीवर और खून की जांच कर सकते हैं.

Q: क्या मैं गर्भावस्था के दौरान ब्रूफेन 400 टैबलेट ले सकती हूं?

A: ब्रूफेन 400 टैबलेट को गर्भावस्था के पिछले 3 महीनों के दौरान और पहले छह महीनों के दौरान भी पूरी तरह से टाला जाना चाहिए। इसे केवल तभी लिया जाना चाहिए जब यह बहुत आवश्यक हो और आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया जाए।

Q: क्या ब्रूफेन 400 टैबलेट से पेट दर्द हो सकता है?

A: ब्रूफेन 400 टैबलेट पेट में दर्द और असुविधा का कारण बन सकता है। इस दवा को खाने के बाद लें और अगर परेशानी बनी रहती है, तो अपने डॉक्टर से गैस्ट्रिक परेशानी के लिए सहायक दवा लेने के लिए कहें।

Q: क्या ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल सिरदर्द का इलाज करने के लिए किया जा सकता है?

A: हां, ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल सिरदर्द के इलाज के लिए किया जा सकता है।

Q: क्या ब्रूफेन 400 टैबलेट को खाली पेट लिया जा सकता है?

A: इसे खाली पेट या भोजन के साथ लिया जा सकता है, जैसा कि चिकित्सक द्वारा बताया गया है। हालांकि, अगर पेट की गड़बड़ी से बचने के लिए दूध या भोजन के साथ लिया जाता है, तो यह सबसे अच्छा होगा।

Q: अगर मैं हार्ट डिसऑर्डर से पीड़ित हूं तो क्या मैं ब्रूफेन 400 टैबलेट ले सकता/सकती हूं?

A: अगर आपको कोई प्रकार का हृदय विकार है या आपको हाल ही में कोई हृदय सर्जरी हुई है, तो स्वयं-चिकित्सा न करने की सलाह दी जाती है। इस दवा को केवल डॉक्टर की सिफारिश के तहत ही लें।

Q: ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल क्या करता है?

A: ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल रूमेटॉइड गठिया, जोड़ों में दर्द और सूजन से राहत देने के लिए किया जाता है, जोड़ों (एंकीलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस), पीठ दर्द, स्प्रेन, मांसपेशियों, डेंटल, पीरियड दर्द, सिरदर्द और सर्जिकल प्रक्रिया के बाद दर्द से राहत देने के लिए किया जाता है।

Q: मैं एक दिन में कितने ब्रूफेन 400 ले सकता/सकती हूं?

A: खुराक और अवधि आमतौर पर इस स्थिति पर निर्भर करती है कि इसे लिया जा रहा है और आप इलाज का कैसे जवाब देते हैं। आपको डॉक्टर द्वारा निर्धारित दैनिक खुराक से अधिक नहीं लेना चाहिए।

Q: ब्रूफेन टैबलेट का साइड इफेक्ट क्या है?

A: सिरदर्द, चक्कर आना, समतलता, मिचली, उल्टी, अपच कुछ सामान्य साइड इफेक्ट हैं जो ब्रूफेन टैबलेट लेने के बाद कुछ व्यक्तियों में देखे जा सकते हैं। हालांकि, ये लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं और अपने आप ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा, यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हर कोई इसका अनुभव करता है।

Q: ब्रूफेन 400 को कितना समय लगता है?

A: ब्रूफेन 400 इसे लेने के 20 से 30 मिनट के भीतर काम करना शुरू कर देता है। लेकिन अगर डॉक्टर ने इसे कुछ प्रकार के लॉन्ग-टर्म दर्द के लिए निर्धारित किया है, तो इसका पूरा प्रभाव दिखाने में 2-3 सप्ताह लग सकते हैं।

Q: क्या ब्रूफेन 400 एक दर्दनिवारक है?

A: हां, ब्रूफेन 400 टैबलेट एक दर्द निवारक दवा है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से विभिन्न दर्द और सूजन से राहत प्रदान करने के लिए किया जाता है।

Q: ब्रूफेन 400 को कैसे लिया जाता है?

अपने डॉक्टर द्वारा सुझाए गए अनुसार ब्रूफेन 400 टैबलेट लें।

इसे एक गिलास पानी के साथ पूरा निगलें।
दवा को तोड़ें, काटें या चबाएं नहीं।
आपको अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए।
Q: क्या ब्रूफेन 400 से आपको नींद आती है?

A: हां, कोई व्यक्ति ब्रूफेन 400 टैबलेट के इस्तेमाल के साथ नींद/सुस्ती का अनुभव कर सकता है। अगर आपको इस दवा के इस्तेमाल से ऐसे किसी भी प्रभाव का अनुभव होता है, तो ड्राइविंग, ऑपरेटिंग मशीनों से बचने या मानसिक सतर्कता की आवश्यकता वाले किसी भी कार्य को करने से बचने की सलाह दी जाती है।

Q: क्या ब्रूफेन 400 और आइबुप्रोफेन समान है?

A: हां, ब्रूफेन 400 और आइबुप्रोफेन समान हैं। ब्रूफेन 400 टैबलेट में ऐक्टिव पदार्थ के रूप में इबुप्रोफेन होता है।


Q: क्या ब्रूफेन 400 का इस्तेमाल बुखार के लिए किया जा सकता है?

A: हां, ब्रूफेन 400 टैबलेट का इस्तेमाल बुखार के इलाज के लिए किया जा सकता है। हालांकि, डॉक्टर द्वारा सुझाई गई सलाह पर ही आपको इस दवा का सेवन करना चाहिए।

Q: ब्रूफेन 400 बनाम कॉम्बिफ्लेम, कौन सा दर्दनिवारक बेहतर है?

A: ब्रूफेन 400 और कॉम्बिफ्लेम दोनों ही दर्द से राहत देने वाले हैं जिनमें अलग-अलग ऐक्टिव तत्व होते हैं। ब्रूफेन 400 में दर्द और सूजन से राहत पाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एनएसएआईडी आईबुप्रोफेन पाया जाता है। कॉम्बिफ्लेम एक दर्द निवारक और बुखार कम करने वाला है जिसमें इबुप्रोफेन और पैरासिटामोल होता है। दोनों के बीच का विकल्प व्यक्तिगत कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है और आपकी विशिष्ट ज़रूरतों के लिए सर्वश्रेष्ठ दर्दनिवारक पर व्यक्तिगत सलाह के लिए हेल्थकेयर प्रोफेशनल से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
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10.4.24

मीठा सोडा कई रोगों मे रामबाण औषधि /Baking soda benefits


बेकिंग  सोडा  के फायदे का विडिओ 





मित्रों,
बेकिंग सोडा  जिसे मीठा सोडा भी कहते हैं एक बहुमुखी घरेलू उपचार है जो कई  स्वास्थ्य  समस्याओं के लिए उपयोगी हो सकता है। यहाँ कुछ घरेलू उपचार  बताते  हैं जिनमें बेकिंग सोडा का उपयोग किया जा सकता है:

किडनी स्टोन होने से रोकना :

 बेकिंग सोडा क्षारीय होता है और यह स्टोन  पथरी को छोटे छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है जिससे कि यह आसानी से मूत्र से बाहर निकल जाता है। यदि आप लगातार खाली पेट बेकिंग सोडा पीते हैं तो आपको कभी भी किडनी स्टोन की समस्या नहीं आयेगी।

छाती में जलन और दर्द के लिए शक्तिशाली उपचार

बेकिंग सोडा एक एंटासिड और एक उत्कृष्ट अल्कलाइज़र है। इसके क्षारीय गुण पेट की अम्लता को अप्रभावी करने में मदद करते हैं, छाती में जलन और दर्द का ज्ञात कारण। छाती में जलन और दर्द से अस्थायी लेकिन तत्काल राहत के लिए, 100 मिलीलीटर पानी में आधा टीस्पून बेकिंग सोडा मिलाएं। सर्वोत्तम परिणामों के लिए धीरे -धीरे पीएं।

यूटीआई (मूत्र नली संक्रमण)

यूटीआई (मूत्र नली संक्रमण) में मीठा सोडा के घोल का सेवन बहुत असरदार दवा के रूप में साबित हुआ है. इसी तरह गर्भ धारण में विफलता के मामले में भी इसकी असरदार भूमिका की अनेक ‘सक्सेज़ स्टोरीज़’ हैं. आँखों का तेज़ी से ख़राब होना, दांतों का तेज़ी से घिसना, जॉन्डिस, एक्ज़िमा, सोरायसिस जैसी बीमारियों में मौखिक सेवन और गाढ़े घोल में पट्टियां भिगोकर रखने से रोग तेज़ी से घटते हैं.


 मौखिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करता है

बेकिंग सोडा  मुंह में बैक्टीरिया के विकास को रोकता है और मौखिक संक्रमण से बचाता है। इसकी विशेषता यह है कि यह मुंह के हर कोने तक पहुंच सकता है, जैसे कि दांत, मसूड़े और जीभ |इससे दांत साफ और स्वस्थ रहते हैं। बेकिंग सोडा में प्राकृतिक श्वेतकरण गुण भी होते हैं जो दांतों को चमकदार और सफेद बनाते हैं।

इंफेक्शन को दूर करे

अगर आप रोजाना बाहर जाते हैं, तो आप इसका इस्तेमाल नहाने के पानी में कर सकते हैं। क्योंकि इसमें एंटी-एजिंग गुण मौजूद होते हैं, जो स्किन की तमाम समस्याओं जैसे फंगस, दाद आदि को दूर करने का काम करते हैं। इसके लिए आप आधा चम्मच बेकिंग सोडा  का इस्तेमाल नहाने के पानी में कर सकते हैं।

नेचुरल एंटाएसिड :

हमारे पेट में एसिड होते हैं जो स्वस्थ पाचन के लिए जरुरी होते हैं। लेकिन जब यह एसिड हमारे पेट से निकलकर आहार नली में आ जाता है तो हमें गले और पेट में जलन जैसी दिक्कत होने लगती है। क्षारीय प्रवृति होने के कारण बेकिंग सोडा एक नेचुरल एंटाएसिड होता है। यह हमारे पेट में मौजूद एसिड को उदासीन करता है और पेट में गैस को बनने से रोकता है जिससे हमें पेट और गले में होने वाली जलन से आराम मिलता है।

खराब गंधों को खत्म करता है

दुर्गंध आमतौर पर अम्लीय गंध होती है। बेकिंग सोडा का उपयोग एसिडिक और बेसिक गंध अणुओं को निष्क्रिय करके खराब गंध को दूर करने में मदद करता है।

 त्वचा को गोरा करने वाला एजेंट

बेकिंग सोडा में ब्लीचिंग के बेहतरीन गुण होते हैं। इसके हल्के एक्सफोलिएशन, क्लींजिंग और त्वचा को गोरा करने वाले गुण इसे कॉस्मेटिक उत्पादों में एक बेहतरीन अतिरिक्त बनाते हैं।

स्किन ट्रीटमेंट के लिए

 इसके लिए बस 3 छोटे चम्मच बेकिंग सोडा में थोड़ा पानी मिलाकर पेस्ट तैयार लें और चेहरे पर जहां भी डेड स्किन या ब्लैकहेड्स दिख रहे हों वहां लगा लें और मसाज करें।


बग काटने के लिए उपचार

कीड़े के काटने, विशेष रूप से मच्छर के काटने से त्वचा पर लाल, दर्दनाक उभार हो जाते हैं। वे त्वचा की खुजली और जलन का कारण बनते हैं। बेकिंग सोडा के पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाने से तुरंत राहत मिलती है 

पायरिया व दांतों की अन्य बीमारियों

पायरिया व दांतों की अन्य बीमारियों में भी मीठा सोडा बड़ी मुफ़ीद दवा है. एक छोटा चम्मच सोडा में चंद बूंदे पानी की डालकर हल्के हाथों से टूथपेस्ट की तरह मसूड़ों में रगड़ने से विभिन्न दांत सम्बन्धी रोगों में लाभ पहुँचता है. गंदे और पीले दांतों की साफ़-सफ़ाई भी इसी प्रकार की जा सकती है.
 

जोड़ों के दर्द से छुटकारा

रक्त में यूरिक एसिड का उच्च स्तर जोड़ों के दर्द का कारण बनता है। बेकिंग सोडा के प्रमुख उपयोगों में रक्त और मूत्र में एसिड को निष्क्रिय करके जोड़ों के दर्द को कम करना शामिल है। इस प्रकार यह गाउट और गठिया जैसी दर्दनाक और पुरानी स्थितियों के इलाज में मदद करता है।

कैंसर से करे बचाव

नींबू और बेकिंग सोडा के सेवन से कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोका जा सकता है। दरअसल, इसके सेवन से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है, जो कैंसर के खतरे को कम करने में आपकी मदद कर सकता है।

 मूत्र पथ के संक्रमण से राहत

बेकिंग सोडा मूत्र की अम्लीय सामग्री को कम करने में मदद करता है जो अक्सर महिलाओं में मूत्र पथ के संक्रमण की बार-बार पुनरावृत्ति से जुड़ा होता है। बेकिंग सोडा का सेवन पेशाब में एसिड के स्तर को बेअसर करने में मदद कर सकता है।

मोटापे को नियंत्रण में रखता है

बेकिंग सोडा मीठे की चाहत को  कंट्रोल करने में मदद करता है। बस अपने मुंह को बेकिंग सोडा के घोल से धोने से चीनी की तलब तुरंत गायब हो जाती है। चूंकि अधिक चीनी का सेवन सीधे वजन बढ़ाने और मोटापे से जुड़ा होता है, बेकिंग सोडा स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है क्योंकि यह आपके शर्करा के सेवन को नियंत्रित रखता है।

पेट में होने वाली जलन

खाना खाने के बाद मुंह, गले और पेट में होने वाली जलन के पीछे एसिड बढ़ने की प्रवृत्ति है, इसे ज़्यादातर लोग जानते हैं और इससे जूझने के लिए वे मीठा सोडा का इस्तेमाल पीढ़ियों से करते भी आये हैं. . जिन लोगों को खाना खाते ही एसिडीटी उभर आने की प्रवृत्ति है वे इसे नियमित तौर पर ख़ाली पेट तीन बार लें

शैम्पू की तुलना में ज़्यादा असरदार

सिर के बालों में इसका गाढ़ा घोल लगाकर धोने से यह किसी भी अच्छे शैम्पू की तुमला में ज़्यादा असरदार और रसायन रहित साबित होता है. अपवाद के बतौर कुछ लोगों की खोपड़ी की त्वचा को मीठा सोडा सूट नहीं भी करता है, तो  उन्हें इसका सिर में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
किसी भी तत्व को चिकित्सा मे उपयोग करने से पहिले योग्य चिकित्सक से परामर्श लेना अच्छा होता है |
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8.4.24

"दालचीनी के अद्भुत फायदे: सेहत के लिए एक वरदान"

 
                                                         


  दालचीनी एक ऐसा मसाला है, जिसका उपयोग आपको सालभर करना चाहिए. हर मौसम और ऋतु में यह मसाला शरीर (Body) को स्वस्थ (Healthy) रखने का कार्य करता है. यह अपने आप में एक औषधि है, जो अलग-अलग चीजों के साथ उपयोग करने पर इनके गुणों में वृद्धि करती है और रोगों (Diseases) को भी दूर करती है.




दालचीनी के उपयोग

दालचीनी का उपयोग स्तंभन दोष, पुरुषों में यौन विकार के इलाज में किया जाता है। दालचीनी का उपयोग मांसपेशियों की ऐंठन के उपचार में किया जाता है और खिलाड़ियों के लिए आदर्श है, जिन्हें मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन प्रवाह की आवश्यकता होती है। दालचीनी भूख को बहाल करने में मदद करता है  दालचीनी से पुराने घाव ठीक हो जाते हैं।

वजन कम करने के लिए सुबह खाली पेट दालचीनी का सेवन

वजन कम करने के लिए दालचीनी का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। इसका सेवन वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद भी होता है। वजन कम करने के लिए आयुर्वेद में दालचीनी को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। दालचीनी का पानी पीने से शरीर का मेटाबॉलिक रेट भी संतुलित रहता है जिससे वजन कम करने में बहुत फायदा मिलता है। वजन कम करने के लिए आप खाने में भी दालचीनी के पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं। रोज सुबह दालचीनी का पानी पीने से आपको दिन में भूख भी कम लगती है जिससे आपको वजन कम करने में फायदा मिलता है। 

बांझपन उपचार

दालचीनी एक प्राकृतिक कामोद्दीपक है, और यौन इच्छा को बढ़ाने के लिए किया  जाता है। इसका उपयोग बांझपन के उपचार में भी किया जाता है । बांझपन उपचार में दालचीनी की भूमिका पुरुषों में यौन इच्छा में सुधार करना है, जिससे शुक्राणु का उत्पादन बढ़ जाता है।

दालचीनी में हैं सूजन व लालिमा दूर करने के गुण

दालचीनी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा व शरीर के अंदरूनी हिस्सों में होने वाली सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यदि आपको लंबे समय से कोई सूजन या लालिमा संबंधी समस्या है, तो दालचीनी आपके लिए लाभदायक हो सकती है।

जोड़ों के दर्द के समस्या में सुबह खाली पेट दालचीनी का प्रयोग

जोड़ों के दर्द की समस्या में दालचीनी का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। आप इस समस्या में दालचीनी का कई तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं। दालचीनी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सिडेंट प्रॉपर्टीज पायी जाती हैं जिसकी वजह से जोड़ों के दर्द की समस्या में इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है। रूमेराइट अर्थराइटिस की समस्या में भी आप दालचीनी का सेवन कर सकते हैं। आमतौर पर लोग दालचीनी का औषधीय इस्तेमाल करने के लिए इसके पाउडर का प्रयोग करते है लेकिन आप जोड़ों के दर्द में दालचीनी के पानी का सेवन भी कर सकते हैं।


इनफर्टिलिटी

यदि आपको पिता बनने का सुख प्राप्त नहीं हो रहा है, तो इसकी वजह इनफर्टिलिटी हो सकती है. पुरुषों में यह समस्या आम होती जा रही है. आप दालचीनी पाउडर को दूध या गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन करें. इसे सलाद, स्मूदी, काढ़ा, दही, सब्जी, सूप आदि में भी डालकर सेवन कर सकते हैं.


बढ़ती उम्र के निशान -

दालचीनी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है और एंटीऑक्सीडेंट्स बढ़ती उम्र की निशानियों को रोकने के लिए बेहद असरदार हैं। ये बल्ड वेसल्स को स्टिमुलेट करता है, स्किन में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है, डैमेज्ड सेल्स को रिपेयर करता। इससे बारीक रेखाएं अवॉएड की जा सकती हैं और स्किन की इलास्टिसिटी भी बेहतर होती है और स्किन जवां दिखती है।

स्त्री रोग में बहुत असरदार है दालचीनी

गर्भाशय के विकार और गनोरिया में दालचीनी का उपयोग किया जाता है।
दालचीनी से माता के स्तन का दूध बढ़ता है।
गर्भाशय का संकुचन होता है।

कान के इंफेक्शन

रात को सोते समय दालचीनी का  पानी पीने से कानों की समस्या जैसे कम सुनाई देना, कानों में आवाज़ आना, कानों में बार बार इंफेक्शन होना में फायदा होता है।

सुबह खाली पेट दालचीनी खाना दिल के लिए फायदेमंद

दिल से जुड़ी समस्याओं से बचाव के लिए सुबह खाली पेट दालचीनी खाना बहुत फायदेमंद होता है। डायबिटीज के अलावा हार्ट से जुड़ी समस्याओं में भी दालचीनी का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। शरीर में मौजूद हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए आप दालचीनी के पाउडर या इसके पानी का सेवन कर सकते हैं। कई शोध और अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि दालचीनी का सेवन शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, सीरम ग्लूकोज और ब्लड में मौजूद फैट को कम करने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और हार्ट से जुड़ी अन्य गंभीर समस्याओं से बचाव के लिए आप 1 से 3 ग्राम दालचीनी का सेवन रोजाना कर सकते हैं।

ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोल-

जिन लोगों को ब्लड प्रेशर (Blood pressure) की शिकायत होती है, उन लोगों को दालचीनी के काढ़े का सेवन करना चाहिए। दालचीनी के काढ़े का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।

साइनस की समस्या

यदि आपको साइनस की समस्या है और उसके कारण सिरदर्द हो रहा है तो दालचीनी इसमें आपकी मदद कर सकती है। जब भी सिरदर्द हो एक चौथाई चम्मच दालचीनी को पानी में मिलाकर पेस्ट बना ले। फिर इस पेस्ट को सिर में लगाएं। दालचीनी में शहद या फिर अदरक मिलाकर पीने से अर्थराइटिस का दर्द भी खत्म हो जाता है।
चुटकी भर दालचीनी पाउडर पानी में उबालकर, उसी में चुटकी भर काली मिर्च पाउडर और शहद डालकर लेने से सर्दी-जुकाम, गले की सूजन एवं मलेरिया कम हो जाता है।

सुबह खाली पेट दालचीनी खाने से पेट की समस्याओं में फायदा

 सुबह खाली पेट दालचीनी खाने से आपको पेट में जलन, ब्लोटिंग की समस्या और कब्ज में भी फायदा मिलता है। पेट में संक्रमण की समस्या में भी दालचीनी का सुबह खाली पेट सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। आप दालचीनी का सेवन पाउडर, दालचीनी के पानी या दालचीनी की चाय के रूप में कर सकते हैं।

दांत दर्द के लिए उपाय

मुंह के अंदर बैक्टीरिया के विकास से दांतों में पट्टिका और अन्य बीमारियों का निर्माण होता है। अगर नियमित रूप से लिया जाए तो दालचीनी में प्रचुर मात्रा में जीवाणुरोधी गुण होते हैं और दांतों को स्वस्थ रखते हैं।

कोलेस्ट्रोल बैलेंस करने में है मददगार

आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाने पर आप दालचीनी का सेवन कर सकते हैं. इससे ब्लड प्रेशर और सर्कुलेशन में सुधार होता है और आपके स्वास्थ्य को लाभ भी पहुंचता है.

आंखों  के लिए लाभदायक

 दालचीनी आंखों के लिए लाभदायक है। दालचीनी के फायदे आंख में सूजन और सूखी आंखों के लिए लाभदायक हैं।  सही मात्रा में दालचीनी का सेवन करने से आँख की समस्या से राहत मिलती है।

डायबिटीज और ब्लड शुगर

दालचीनी खाने के फायदे में डायबिटीज को नियंत्रित करना भी शामिल  है। मधुमेह के मरीज अगर दालचीनी को आहार में शामिल करें, तो मधुमेह को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। दरअसल, इसमें एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं। 

दालचीनी का उपयोग कैसे करें 

दालचीनी का सेवन करने का तरीका -खाद्य पदार्थों में दालचीनी का पाउडर डालकर
एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच दालचीनी का पाउडर उबालकर
एक चम्मच शहद में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर

दालचीनी के नुकसान

भोजन में दालचीनी का अधिक उपयोग पेट में जलन की वजह बन सकता है.
दालचीनी का अधिक सेवन महिलाओं को गर्भ संबंधी समस्या दे सकता है.
गर्भवती महिलाओं के साथ ही बच्चों को स्तनपान (Breastfeeding) कराने वाली महिलाओं को भी दालचीनी का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए.
दालचीनी उष्ण गुणधर्म की है, इसलिए गर्मी के दिनों में कम उपयोग करें।
दालचीनी से पित्त बढ़ सकता है।
किसी भी औषधि तत्व के उपयोग करने से पहिले चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित है 
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खाली पेट लहसुन खाने के फायदे,Lahsun khane ke fayde


                   सेहत का राज: लहसुन की 2 कलियां, फुर्ती और जोश का अनोखा मिश्रण!


मित्रों,घरेलु आयुर्वेद से चिकित्सा के विडियो प्रस्तुत करने की श्रुंखला में आज का टॉपिक है  "सेहत का राज: लहसुन की 2 कलियां, फुर्ती और जोश का अनोखा मिश्रण!"
 लहसुन जिसे आयुर्वेद में महाऔषधि कहा गया है. इसे पुराने समय से ही अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को हेल्दी रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. सुबह ब्रश करने के बाद खाली पेट एक कली कच्चा लहसुन खाने से शरीर को अनेक लाभ मिलते हैं. सुबह खाली पेट कच्चा लहसुन खाना आपके स्वास्थ्य के लिए एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय हो सकता है. इसके नियमित सेवन से शरीर को कई चमत्कारिक लाभ मिल सकते हैं, लेकिन इसे सही मात्रा और सही तरीके से सेवन करना जरूरी है. तो अब से आप भी इस चमत्कारी औषधि को अपनी रूटीन में शामिल करें और अद्भुत फायदों का आनंद लें.

खाली पेट लहसुन खाने के फायदे


उच्च रक्तचाप को कम करता है




लहसुन एक प्राकृतिक हर्बल घटक है , लहसुन तनाव के स्तर को कम करने के लिए एक प्रभावी दवा है , विशेष रूप से उच्च रक्तचाप के लक्षण में। एलिसिन, जो लहसुन का एक प्रमुख घटक है, ब्लड प्रेशर की वृद्धि की स्थिति में रक्त वाहिकाओं को आराम करने में मदद करता है। 

कैंसर को रोकता है

 शोध से पता चलता है कि प्रोस्टेट, एसोफैगल और कोलन कैंसर के खतरे को काफी हद तक खत्म करने के लिए लहसुन बेहद फायदेमंद है ।  स्तन के  कैंसर के  लिए जिम्मेदार स्तन में पुटी और ट्यूमर के विकास की संभावना को खत्म करने के लिए लहसुन भी व्यापक रूप से लोकप्रिय है

लहसुन से दांत दर्द में मिलती है राहत




अगर किसी के दांतों में दर्द हो तो उसके लिए लहसुन   रामबाण माना जाता है. इसमें कैल्शियम होने के साथ एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जिससे दांतों के दर्द से जल्द राहत मिल जाती है. इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए लहसुन की एक कली पीसकर दांत में दर्द वाली जगह पर लगा लें. ऐसा करने से आपको राहत मिल जाएगी.


सर्दी और खांसी के लिए उपचार



लहसुन, अपने कच्चे रूप में पुराने समय से ही आम सर्दी और खांसी के इलाज के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। 

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखता है

यौगिक एलिसिन की प्रचुर उपस्थिति के कारण, लहसुन हानिकारक एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को ऑक्सीकरण से बचाता है। यह  विषाक्त पदार्थों को शरीर से शुद्ध करता है, वसा के संचय को रोकता है और शरीर से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को समाप्त करता है।

इम्यूनिटी बढ़ाए- 

जब आप खाली पेट लहसुन खाते हैं तो रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. इस तरह आप रोगों से बचे रह सकते हैं. सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार या अन्य कोई इंफेक्शन से आप अक्सर परेशान रहते हैं तो इसकी वजह हो सकती है कमरोज इम्यूनिटी. लहसुन खाकर आप इम्यूनिटी  बूस्ट कर सकते हैं.

मधुमेह को रोककर रखता है





डायबिटीज शायद दुनिया में मौजूद बीमारियों में सबसे हानिकारक है तो इसके परिणामस्वरूप कई पुराने विकार हो सकते हैं, जैसे किडनी का खराब होना,  आंखों की रोशनी कमजोर होना, हृदय विकार आदि। लहसुन को आहार में उदारता से उपयोग करने की सलाह दी जाती है। 

हड्डियों की मजबूती

उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों की मोटाई कम होने लगती हैं और वे कमजोर हो जाती हैं। आयुर्वेद में कच्चे लहसुन का सेवन हड्डियों की मजबूती के लिए फायदेमंद माना गया है। लहसुन खाने से महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन में इजाफा होता है, जो हड्डियों की मजबूती में महत्वपूर्ण पाया गया है।

जोड़ों में दर्द





अगर आपको बार-बार जोड़ों में दर्द या मसल्स में दर्द होता है, तो यह शरीर में बढ़ रही इंफ्लामेशन का लक्षण होता है। लेकिन कच्चे लहसुन में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को खत्म करके दर्द से राहत देते हैं। वहीं, जाड़े में ठंड को दूर रखने के लिए भी लहसुन फायदेमंद होता है।

                                               वजन कम करने में मदद




लहसुन के सेवन से आपकी बढ़ती हुई भूख को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है। यह आपके शरीर की मेटाबोलिज्म को बढ़ावा देता है और आपको अधिक ऊर्जा देता है, जिससे आपके व्यायाम और वजन प्रबंधन में मदद मिल सकती है। लहसुन पाचन   सिस्टम को उत्तेजित करता है और पाचन जीवनुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करता है। इससे पाचन में सुधार होता है और पेट की तकलीफ के संभावना को कम किया जा सकता है।

फेफडे  से  संबंधित समस्याओं में लाभ पहुंचाए- 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब आप लहसुन खाते हैं तो यह टीबी, निमोनिया, ब्रोनकाइटिस, फेफड़ों में कंजेशन, अस्थमा, कफ आदि में लाभ पहुंचाता है. 

आंतों की बीमारियों को दूर करता है


पेचिश , कोलाइटिस , डायरिया आदि आंतों की स्थिति को रोकने और खत्म करने के लिए लहसुन एक प्रभावी तरीका है । यह एक निराविषकारी के रूप में काम करता है, जो आंत में मौजूद नकारात्मक बैक्टीरिया को खत्म करता है। यह पाचन में सहायता करते हुए और पाचन तंत्र के समुचित कार्य को बढ़ाते हुए शरीर से कीड़े को बाहर निकालता है।

कामेच्छा को बढ़ाता है

लहसुन को कामोत्तेजक गुणों के कारण यौन शक्ति बढ़ाने के लिए जाना जाताहै। यह व्यापक रूप से पुरुषों और महिलाओं दोनों में यौन कामेच्छा बढ़ाने के लिए जाना जाता है। यह तंत्रिका थकान को रोकने में मदद करता है जो एक अतिसक्रिय यौन जीवन शैली की स्थिति में हो सकता है।

                                                           हार्ट ब्लॉकेज से बचाता है




इसके अलावा, लहसुन को रक्त में प्लेटलेट्स के चिपकने को कम करने वाला माना जाता है। ये प्लेटलेट्स रक्त के थक्के बनाने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। लहसुन की एक स्वस्थ खुराक का सेवन रक्त में मौजूद प्लेटलेट्स के बहुत अधिक थक्का बनने वाले प्रभाव को कम करने में मदद करता है।


पाचन में सुधार करता है

लहसुन का नियमित सेवन मानव शरीर को पाचन के एक स्थिर स्तर को बनाए रखने में सक्षम बनाता है।  पेट की सूजन, जलन, सूजन और ऐसे अन्य विकारों को लहसुन के उपयोग से सफलतापूर्वक समाप्त किया जा सकता है।

मुहांसों को रोकता है

दुनिया के हर दूसरे व्यक्ति को जीवन में किसी न किसी मोड़ पर मुंहासों से जूझना पड़ता है। लहसुन को मुंहासों के उपचार के लिए एक अत्यधिक प्रभावी माध्यम माना जाता है 

गर्मियों में खा सकते हैं लहसुन लेकिन

गर्मियों में लहसुन खाने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन इसकी मात्रा कम कर देनी चाहिए. असल में लहसुन की तासीर गर्म होती है. ऐसे में ज्यादा मात्रा में लहसुन खाने से आपको एलर्जी या पेट से जुड़ी समस्या हो सकता है. इसमें एलिसिन नाम का तत्व पाया जाता है, जिसकी मात्रा ज्यादा होने से लिवर को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.
किसी भी पदार्थ का चिकित्सा मे प्रयोग करने से पूर्व आहार विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित है| यह विडिओ आपको कैसा लगा  लाइक करें कमेन्ट मे लिखें  धन्यवाद !


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6.4.24

यौन शक्ति बढ़ाने वाली गोरखमुंडी के और भी हैं कई चमत्कारी फायदे



मित्रों  घरेलू आयुर्वेद से रोगों की चिकित्सा के विडिओ की शृंखला मे आज का विषय है " यौन शक्ति बढ़ाने वाली गोरख मुंडी के  और भी हैं कई चमत्कारी फायदे "
गोरखमुंडी एक सुगंधित जड़ी बूटी  है जो पूरे भारत में पाई जाती है, लेकिन दक्षिणी भारत में यह प्रचुर मात्रा में पाई जाती है.
इस पौधे के पूरे हिस्से जैसे जड़, फूल और पत्तियां कई रोगों के इलाज के लिए फायदेमंद होते हैं
गोरखमुंडी के स्वास्थ्य  लाभ बताते हैं -


सर्दी-खांसी के लिए रामबाण उपाय

सर्दी, खांसी, जुकाम की समस्या के लिए गोरखमुंडी कारगर है. इसके लिए गोरखमुंडी के गोल फूल को अदरक, तुलसी, काली मिर्च को पानी में उबालकर दिन में दो बार सेवन करने से सर्दी-खांसी की समस्या दूर होती है. शरीर को आराम मिलता है.

                                             


सेक्सुअल क्षमता बढ़ाने के लिए

  गोरख मुंडी  के पौधों को छांव में सुखाकर बारीक पीस लें. अब इसमें मिश्री को पीसकर मिला लें. प्रतिदिन सुबह शाम एक छोटा चम्मच पाउडर को दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से कामेन्द्रिय की क्षमता बढ़ती है. इसके अलावा गोरखमुंडी के बीजों को सुखाकर पीस लें इसमें समान मात्रा में पीसा हुआ शक्कर मिलाकर प्रतिदिन दो से तीन ग्राम पानी के साथ पीएं. इससे सेक्सुअल स्टैमिना बढ़ता है.  गोरख मुंडी का सेवन शहद, दूध मट्ठे के साथ किया जा सकता है।

गोरख मुंडी के अद्भुत औषधीय गुण :

गोरख मुंडी का प्रयोग बवासीर में भी बहुत लाभदायक माना गया है। गोरख मुंडी की जड़ की छाल निकालकर उसे सुखाकर चूर्ण बनाकर हर रोज एक चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से मट्ठे का सेवन किया जाये तो बवासीर पूरी तरह समाप्त हो जाती है। 
  जड़ को सिल पर पीस कर उसे बवासीर के मस्सों में तथा कण्ठमाल की गाठों में लगाने से बहुत लाभ होता है। पेट के कीड़ों में भी इस की जड़ का पूर्ण प्रयोग किया जाता है, उससे निश्चित लाभ मिलता है।
गोरख मुंडी एक एसी औषधि है जो आंखो को शक्ति देती है।  आयुर्वेद मे गोरख मुंडी को रसायन कहा गया है। 

हृदय के लिए लाभकारी

गोरखमुंडी में मौजूद विशेष तत्व हार्टबीट को मजबूत करने और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं. गोरखमुंडी को पूरी तरह संपूर्ण पंचांग के रूप में जड़, फूल, तना को उबालकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से हृदय से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं.



गठिया के मरीजों के लिए

गठिया के मरीजों को 30 ग्राम गोरखमुंडी और 10 ग्राम कुटकी के पाउडर को मिलाकर एक शीशी में सुरक्षित रख लें. अब प्रतिदिन इसके दो ग्राम पाउडर को शहद में मिलाकर लेने से गठिया में राहत मिलती है.
*गोरख मुंडी का सुजाक, प्रमेह आदि धातु रोग में सर्वाधिक सफल प्रयोग किया गया है।

आंखों की रोशनी के लिए

गोरखमुंडी का उपयोग कान, नाक और गले के विकार तथा नेत्र विज्ञान के विभिन्न विकारों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके कुछ समय तक सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ सकती है. गोरखमुंडी के 3-4 ताजे फूल लें और इसे दो चम्मच तिल के तेल में मिलाएं. नियमित सेवन आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने में मदद करेगा. साथ ही आंखों की लालिमा से भी छुटकारा दिलाएगा.

किडनी के लाभकारी

गोरखमुंडी किडनी से जुड़ी बीमारी को दूर करने में सहायक है. इसमें शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने के खास गुण होते हैं. नियमित तौर पर दो कप पानी में गोरखमुंडी के जड़ और फूल को अच्छी तरह पानी में गर्म करना चाहिए. आधा कप बच जाने पर उसे छान कर सेवन करने से किडनी से जुड़ी बीमारी दूर होती है.

कुष्ठ रोग दूर करे

कुष्ठ रोग होने पर गोरख मुंडी का चूर्ण और नीम की छाल मिलाकर काढ़ा तैयार कीजिए, सुबह-शाम इस काढ़े का सेवन करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।

सांसों की बदबू से छुटकारा

सांसों की बदबू से छुटकारा पाने के लिए गोरखमुंडी का पाउडर सिरके के साथ लें. इसके लिए गोरखमुंडी पाउडर को सिरके में अच्छे से मिला लें और सुबह-शाम एक चुटकी लें.

पित्ताशय की पथरी को दूर करे

पथरी और पित्ताशय की पथरी को खत्म करने में गोरखमुंडी फायदेमंद है. गर्भाशय, योनि से संबंधित अन्य बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद औषधि है.

आंतों के कीड़े खत्म करने में

आंतों के कीड़ों को खत्म करने और बाहर निकालने में यह जड़ी-बूटी बड़े काम की साबित हो सकती है. यह पेट के कीड़ों को निकालने में भी मदद करती है. गोरखमुंडी की जड़ का पाउडर बनाकर दिन में एक बार आधा चम्मच सेवन करें.

पाइल्स के इलाज में

गोरखमुंडी का तना और जड़ लेकर इसे सुखा लें और इसका पाउडर बना लें. हर दिन मट्ठे के साथ एक चम्मच चूर्ण का सेवन करने से पाइल्स यानी बवासीर पूरी तरह समाप्त हो जाता है.

शुगर लेवल नियंत्रित करने में मददगार

गोरखमुंडी शुगर लेवल को कम करने में काफी प्रभावी माना जाता है. इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ पीने से शुगर लेवल बैलेंस रहेगा. शुगर नहीं बढ़ेगी.


सावधानी -किसी भी औषधि तत्व के प्रयोग करने से पहिले चिकित्सा विशेषज्ञ  से परामर्श लेना उचित है| हमारे चैनल को suscribe करें |धन्यवादआभार !


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