15.6.22

लोबान के विभिन्न चिकित्सा उपयोग:loban ke upyog




लोहबान को आमतौर पर लोबान भी कहा जाता है और अंग्रेजी में इसे सुमात्रा स्नोबैल (Sumatra Snowbell) और गम बेंजॉइन (Gum Benzoin) के नाम से भी जाना जाता है। आप ने अक्सर धूप जलाने या धूप-अगरबत्ती में मौजूद तत्व के रूप में इसका नाम जरूर सुना होगा। लोहबान का उपयोग सिर्फ सुगंध और महक के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि इसमें कई चिकित्सीय गुण भी होते हैं।

एंटीइंफ्लमेट्री गुण: 

पुराने समय में सूजन को कम करने की दवा के रूप में लोबान के तेल का इस्‍तेमाल किया जाता था। साल 2011 की स्‍टडी के रिव्‍यू में आज भी सूजन और दर्द को कम करने के लिए लोबान के तेल को असरकारी पाया गया है।
वर्ष 2014 के अध्‍ययन के अनुसार लोहबान का तेल अर्थराइटिस में मदद कर सकता है। हालांकि, यह रिसर्च पशुओं पर की गई थी। ऑस्टियोअर्थराइटिस या रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज के लिए इस तेल की सलाह दी जा सकती है। लेकिन अभी अर्थराइटिस पर लोहबान के तेल के प्रभाव को लेकर और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।

लिवर के लिए:

 लोहबान में ह्रदय के लिए एंटीऑक्‍सीडेंट गुण होते हैं, जो लिवर को भी स्‍वस्‍थ रख सकते हैं। साल 2013 की एक स्‍टडी में पाया गया कि लोबान के तेल के एंटीऑक्‍सीडेंट प्रभाव लिवर की कोशिकाओं को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं। साल 2011 में चूहों पर किए गए एक अध्‍ययन में लोबान के तेल को हेपेटाइटिस और लिवर फाइब्रोसिस पर असरकारी माना गया है।

कैंसर मे उपयोगी

शोध में पता चला है कि लोबान ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, अग्नाशय कैंसर, स्किन कैंसर और कोलन कैंसर यानी पेट के कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ भी प्रभावी है। यह कैंसर के उपचार के दुष्प्रभावों को कम करने में भी मदद कर सकता है।
लोहबान के तेल के गुण कैंसर से लड़ने में भी मदद करते हैं। रिसर्च के मुताबिक एसेंशियल ऑयल कई तरह से कैंसर का इलाज कर सकते हैं। साल 2011 में हुई एक स्‍टडी में लोहबान के तेल को कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने और इनके बढ़ने की गति को धीमा करने में मददगार है। हालांकि, यह स्‍टडी मनुष्‍य के शरीर की कोशिकाओं को बाहर निकालकर लैब में की गई थी।
वहीं, वर्ष 2011 में की गई एक स्‍टडी में सामने आया कि कैंसर रेडिएशन थेरेपी से होने वाली सूजन और दर्द को लोहबान कम कर सकती है। साल 2012 में कोशिकाओं पर की गई स्‍टडी के मुताबिक लोहबान का तेल कैंसर कोशिकाओं को नष्‍ट कर सकता है। एंटीऑक्‍सीडेंट की तरह काम करने वाले लोबान का तेल लंबे समय तक लेने पर कैंसर के खतरे को कम करने में छोटी-सी भूमिका निभा सकता है।

मसूड़ों की बीमारी

*लोबान ओरल हेल्थ में सुधार और मसूड़ों की बीमारी को रोकने में मदद कर सकती है। एक टेस्ट-ट्यूब अध्ययन में पता चला है कि लोबान का अर्क एग्रीगेटिबैक्टर एक्टिनोमाइसेटेमकोमिटन्स के खिलाफ प्रभावी है जो कि एक बैक्टीरिया है और यही मसूड़ों की बीमारी का कारण बनता है। एक्सपर्ट ने सुझाव दिया कि लोबान मुंह में इंफेक्शन को कम कर सकता है।


एंटीमाइक्रोबियल: 

घाव को भरने के लिए लोहबान का तेल प्रभावशाली होता है। वर्ष 2011 की एक लैबोरेट्री स्‍टडी में सामने आया है कि लोबान के तेल के एंटीमाइक्रोबियल गुणों के कारण यह घाव को भरने में लाभकारी होता है। यह बैक्‍टीरिया और अन्‍य माइक्रोब्‍स को खत्‍म कर सकता है, जिससे संक्रमण या बीमारी पैदा न हो

गठिया से राहत मिलने में मददगार

जब आपके जोड़ों में यूरिक एसिड की बहुत ज्यादा मात्रा क्रिस्टल रूप में जम जाती है, तो उस स्थिति को गठिया का रोग कहते हैं। इसकी वजह से जोड़ों में दर्द या संचालन में कमी आदि की समस्या होती है। इस समस्या में आपको कभी-कभी जोड़ों में गंभीर दर्द का दौरा पड़ता है, जिसे एक्यूट अटैक कहा जाता है। इस समस्या में एंटी-इंफ्लमेटरी दवाएं कार्य करती हैं और दर्द और सूजन को कम करती है। इसी वजह से आप इस समस्या में लोहबान का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि इसमें भी एंटी-इंफ्लमेटरी गुण होते हैं, जो आपके दर्द को कम करने में मदद करते हैं।

रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में परेशानी

कई बार रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के किसी हिस्से में जैसे, श्वसन नली, फेफड़े इत्यादि में सूजन आने की वजह से सांस लेने की प्रक्रिया में बाधा पड़ जाती है। जिसके कारण खांसी की समस्या, सांस फूलना या सीने में दर्द की दिक्कत हो सकती है। रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से जुड़ी इन सभी समस्याओं में लोहबान का इस्तेमाल काफी प्रभावशाली रहता है।
इसका मुंह द्वारा सेवन करने पर इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लमेटरी व एंटी-डिप्रेसेंट गुण श्वसन तंत्र की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, अगर आपका गला बैठ गया है या फिर बच्चों में ट्रेकिआ आदि का इंफेक्शन हो गया है, तो उसमें भी इसे इनहेल करने से आराम मिलता है।

त्वचा के कटाव या घाव का उपचार

अगर आपकी त्वचा में कोई कट लग गया है, जिससे खून निकलना बंद नहीं हो रहा है या फिर किसी घाव की वजह से सूजन आ रही है या फिर कीटाणुओं की वजह से उसमें इंफेक्शन पनपने का डर है, तो इसमें लोहबान का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल अन्य जड़ी-बूटियों को साथ मिलाकर किया जाता है, जिसे कंपाउंड बेंजॉइन टिंक्चर कहते हैं। क्योंकि, इसमें मौजूद एंटीसेप्टिक, एंटी-डिप्रेसेंट और एंटी-इंफ्लमेटरी गुण घाव की सूजन, ब्लीडिंग और इंफेक्शन को रोकने में मदद करते हैं और त्वचा को सुरक्षित रखते हैं।
 * लोबान ओरल हेल्थ में सुधार और मसूड़ों की बीमारी को रोकने में मदद कर सकती है। एक टेस्ट-ट्यूब अध्ययन में पता चला है कि लोबान का अर्क एग्रीगेटिबैक्टर एक्टिनोमाइसेटेमकोमिटन्स के खिलाफ प्रभावी है जो कि एक बैक्टीरिया है और यही मसूड़ों की बीमारी का कारण बनता है। एक्सपर्ट ने सुझाव दिया कि लोबान मुंह में इंफेक्शन को कम कर सकता है।

छाती व पेट के जलन से दिलाए राहत

आपके पेट में एक एसिड होता है, जो कि खाना पचाने में मदद करता है। लेकिन, जब यह एसिड किसी कारणवश आपके फूड पाइप में ऊपर की तरफ आने लगता है, तो इसे एसिड रिफ्लक्स की समस्या कहते हैं। इसकी वजह से छाती व पेट में जलन की दिक्कत हो सकती है। लेकिन, लोहबान के एसेंशियल ऑयल का प्रयोग करने से इस समस्या में राहत मिल सकती है। क्योंकि, इसमें मौजूद कूलिंग और डायजेस्टिव गुण एसिड रिफ्लक्स को कम करके पेट को आराम पहुंचाते हैं।

लोहबान का उपयोग कितना सुरक्षित है?

लोहबान का उपयोग करने से शरीर की लिथियम से छुटकारा पाने की क्षमता कम हो सकती है, जिससे कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए डॉक्टर या हर्बलिस्ट से संपर्क करें। बाकी उपलब्ध जानकारी के अनुसार, लोहबान का उपयोग काफी हद तक सुरक्षित है। लेकिन, अगर आप गर्भवती महिला हैं या फिर बच्चे को स्तनपान कराती हैं, तो इस जड़ी-बूटी का उपयोग किसी डॉक्टर या हर्बलिस्ट की सलाह के बिना न करें। इसके अलावा, अगर आपकी किसी बीमारी या समस्या की दवाई जारी है, तो पहले एलोपैथिक की दवा का सेवन करें और उसके करीब 30 मिनट बाद ही लोहबान या किसी अन्य हर्बल सप्लिमेंट का उपयोग करें। 
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खिसकी हुई नाभि को सही जगह पर लाने के उपाय

घबराहट दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय

खून में कोलेस्ट्रोल कम करने के असरदार उपाय

दस जड़ी बूटियाँ से सेहत की समस्याओं के समाधान

अर्जुनारिष्ट के फायदे और उपयोग

सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद

बढ़ती उम्र मे आँखों की सावधानी और उपाय

जल्दी जल्दी खाना खाने से वजन बढ़ता है और होती हैं ये बीमारियां

शीघ्र पतन क्यों होता है,रतिक्रिया का समय बढ़ाने के रामबाण उपचार 

जीरा के ये फायदे जानते हैं आप ?

शरीर को विषैले पदार्थ से मुक्त करने का सुपर ड्रिंक

सड़े गले घाव ,कोथ ,गैंगरीन GANGRENE के होम्योपैथिक उपचार

अस्थि भंग (हड्डी टूटना)के प्रकार और उपचार

पेट के रोगों की अनमोल औषधि (उदरामृत योग )

सायनस ,नाक की हड्डी बढ़ने के उपचार

किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि


2.6.22

बाहर निकले हुए पेट को अंदर करने के उपाय:Motapa door karen

 


 आमतौर पर शरीर में चर्बी या चर्बी सबसे पहले पेट और कमर के हिस्से में जमा होने लगती है। इसलिए कई बार देखा जाता है कि लोग पूरे शरीर से मोटे नहीं होते हैं, लेकिन सिर्फ उनका पेट बाहर होता है या पेट बाहर होता है। पेट के सामान्य आकार के बाहर जो भी पेट दिखाई देता है, वह वास्तव में वसा होता है, जो धीरे-धीरे जमा हो जाता है।
चर्बी जमा होने का मुख्य कारण गलत खान-पान, गलत जीवनशैली और कुछ सामान्य गलतियां हैं। भारत में बहुत से ऐसे लोग हैं जो मोटे न होने के बावजूद भी फिट नहीं हैं और पेट के चारों ओर बहुत अधिक चर्बी लेकर घूमते रहते हैं। (पेट कम करने की एक्सरसाइज) इन दिनों छोटे बच्चों और युवाओं में भी पेट खराब होने के मामले सामने आए हैं। 

बाहर निकला हुआ पेट अंदर करने के आसान घरेलू तरीके

उपवास करे

सप्ताह में एक दिन उपवास करना शरीर के लिए फायदेमंद हो सकता है। अगर आप खाने-पीने के बहुत शौकीन हैं। खाने की चीजें सामने आते ही अगर आप खुद पर काबू नहीं रख पा रहे हैं तो हफ्ते में एक दिन व्रत जरूर रखें।
इस दौरान केवल पेय पदार्थ या फल जैसे नींबू पानी, दूध, जूस, सूप आदि का सेवन करें। आप चाहें तो वेजिटेबल सलाद या फ्रूट सलाद खा सकते हैं। सलाद शरीर के लिए फायदेमंद होने के साथ-साथ वजन घटाने में भी कारगर साबित हो सकता है।

नियमित रूप से योग

पेट की चर्बी कम करने  Remedies to reduce enlarged belly के लिए योगासन एक अच्छा विकल्प है। रोज सुबह नियमित रूप से योग करने से शरीर पर जमा चर्बी को कम किया जा सकता है। इस बात का ध्यान रखें कि योगासन चुनते समय केवल ऐसे योग का चुनाव करें जो पेट की चर्बी कम करे।
योग शरीर को हर तरह की बीमारियों से दूर रखता है। सूर्य नमस्कार, सर्वागासन, भुजंगासन, वज्रासन, पद्मासन, शलभासन की सभी गतिविधियों को रोजाना करना फायदेमंद हो सकता है।  मोटापा घटाने के लिए खान-पान में सुधार जरूरी है। 
  कुछ प्राकृतिक चीजें ऐसी हैं, जिनके सेवन से वजन नियंत्रित रहता है। इसलिए यदि आप वजन कम करने के लिए बहुत मेहनत नहीं कर पाते हैं तो अपनाएं यहां बताए गए छोटे-छोटे उपाय। ये आपके बढ़ते वजन को कम कर देंगे।
 पपीता नियमित रूप से खाएं। यह हर सीजन में मिल जाता है। लंबे समय तक पपीता के सेवन से कमर की अतिरिक्त चर्बी कम हो जाती है।

अगर आप बेली फैट कम करने को लेकर गंभीर हैं तो जंक फूड से दूर रहें क्योंकि जंक फूड तेजी से वजन बढ़ाने का काम करता है। (पेट कम करने की एक्सरसाइज इमेज) कोशिश करें कि तेल मसाले कम खाएं। कई बार उबली हुई सब्जियों का सेवन भी फायदेमंद साबित हो सकता है। सामान्य आटे की जगह जौ और बेसन को मिलाकर चपाती खानी चाहिए.
2. दही का सेवन करने से शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है। छाछ का भी सेवन दिन में दो-तीन बार करें।
*छोटी पीपल का बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लें। यह चूर्ण तीन ग्राम रोजाना सुबह के समय छाछ के साथ लेने से बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है।
*आंवले व हल्दी को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को छाछ के साथ लेंं। कमर एकदम पतली हो जाएगी।

* ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाली वस्तुओं से परहेज करें। शक्कर, आलू और चावल में अधिक कार्बोहाइड्रेट होता है। ये चर्बी बढ़ाते हैं।
* केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाए गेहूं, सोयाबीन और चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फायदेमंद है।
*रोज पत्तागोभी का जूस पिएं। पत्तागोभी में चर्बी घटाने के गुण होते हैं। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म सही
रहता है।

वजन घटाने या मोटापे के लिए भी शहद फायदेमंद होता है। रोज सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में थोड़ी मात्रा में लाभकारी शहद मिलाकर पिएं और फर्क देखें। इससे आपके पेट पर जमा चर्बी कुछ ही दिनों में गायब हो जाएगी।
मोटापा कम नहीं हो रहा हो तो खाने में कटी हुई हरी मिर्च या काली मिर्च को शामिल करके बढ़ते वजन पर काबू पाया जा सकता है। एक रिसर्च में पाया गया कि वजन कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है। मिर्च में पाए जाने वाले तत्व कैप्साइसिन से भूख कम होती है। इससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है, जिससे वजन कंट्रोल में रहता है।
एक चम्मच पुदीना रस को 2 चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से मोटापा कम होता है।
 सब्जियों और फलों में कैलोरी कम होती है, इसलिए इनका सेवन अधिक मात्रा में करें। केला और चीकू न खाएं। इनसे मोटापा बढ़ता है। पुदीने की चाय बनाकर पीने से मोटापा कम होता है।

सुबह-शाम टहलने से शरीर फिट रहता है। पेट की चर्बी को दूर  Remedies to reduce enlarged belly करने के लिए रोज सुबह उठकर कुछ देर टहलने जाएं और रात के खाने के तुरंत बाद सोने के बजाय थोड़ी देर टहलें। इससे आप आसानी से अतिरिक्त कैलोरी को कम कर पाएंगे और अतिरिक्त बेली फैट को भी कम किया जा सकता है।

पुदीने से


पुदीना कई प्रकार से हमारी मदद करता है. जाहीर है पुदीने की चटनी आप भी खाते ही होंगे. लेकिन आपने शायद ही इसके होने वाले फ़ायदों पर गौर किया होगा. इसलिए आपको बता दें कि पुदीने की ताजी हरी पत्तियों की चटनी और चाय पीने से आपका वजन नियंत्रण में रहता है.

गाजर से


गाजर हमारे शरीर के लिए आवश्यक कई तत्वों कि आपूर्ति करता है. यदि आप नियमित रूप से खाने से पहले गाजर का सेवन करें तो आपकी भूख कम हो जाएगी. जाहीर है भूख कम होने से आपका पेट और कमर नियंत्रित रहेगा.

सौंफ की सहायता से


यदि आधा चम्मच सौंफ को आप एक कप पानी में डालकर 10 मिनट तक खौलाएं और फिर इसके ठंडा होने पर इसको ऐसे ही तीन माह तक लगातार पीएं तो ऐसा करने से वजन कम हो सकता है.

पपीता से


पपीता कई तरह के विटामिन ओर पोषक तत्वों से युक्त होता है. इसके साथ ही ये हमारे शरीर में अतिरिक्त चर्बी को भी कम करने में मददगार साबित होता है. इसके साथ एक अतिरिक्त लाभ ये है कि पपीता हमें हर सीजन में मिल जाता है.

दही के द्वारा

दही खाने के महत्व को हमारे देश के लोगों ने प्राचीन काल में ही जान लिया था. इसलिए इसका इस्तेमाल हम आमतौर पर करते रहे हैं. दही के सेवन से आपके शरीर की फालतू चर्बी घट जाती है. इसके लिए आपको छाछ या दही का सेवन दिन में दो-तीन बार करना होगा.

छोटी पीपल

छोटी पीपल कई बीमारियों में आपके काम आती है. इसके लिए आपको इसका बारीक चूर्ण पीसकर उसे कपड़े से छान लेना होगा. इसके बाद इस चूर्ण का तीन ग्राम नियमित रूप से सुबह के समय छाछ के साथ लेना होगा. ऐसा करने से आपका बाहर निकला हुआ पेट अंदर हो जाता है.

सोयाबीन और चना मिश्रित आटा

रोटी तो आप भी खाते ही होंगे लेकिन कमर और पेट को कम करने के लिए आपको गेहूं के आटे की रोटी की जगह गेहूं, सोयाबीन और चने के मिश्रण से तैयार आटे की रोटी खाना होगा. क्योंकि इस दौरान ये ज्यादा फायदेमंद है.

सब्जियां और फल

यदि आप अपना कमर और पेट कम करना चाहते हैं तो आपको सब्जियों और फलों का नियमित रूप से सेवन करना होगा. क्योंकि इसमें कैलोरी की ख़ासी कमी होती है. ये कम कैलोरी आपके मोटापा को भी कम करता है.

आंवला और हल्दी


आंवले और हल्दी की एक समान मात्रा को पीसकर इसका चूर्ण बना लें. इसके बाद इस चूर्ण को छाछ के साथ नियमित रूप से लेते रहें. ऐसा करते रहने से आप देखेंगे कि कुछ दिन बाद आपकी कमर एकदम पतली हो जाएगी.

हरड़ और बहेड़ा का चूर्ण


हरड़ और बहेड़ा का बारीक पीसा हुआ चूर्ण बना लें. फिर इस एक चम्मच चूर्ण को 50 ग्राम परवल के जूस के साथ मिलाकर इसे नियमित रूप से लें तो ऐसा करने से आपका वजन तेजी से कम होने लगेगा.

करेले की सब्जी


करेले की सब्जी खाने से भी वजन कम करने में मदद मिलती है. सहजन के नियमित सेवन से भी वजन नियंत्रित रहता है. साथ ही आपके शरीर से कई अन्य परेशानियाँ भी कम होंगी.

मिर्च की सहायता से

खाने में कटी हुई हरी मिर्च या काली मिर्च को शामिल करके बढ़ते वजन पर काबू पा सकते हैं. एक शोध के अनुसार वजन कम करने का सबसे बेहतरीन तरीका मिर्च खाना है. दरअसल मिर्च में पाए जाने वाले कैप्साइसिन नामक तत्व से भूख कम होती है. यही नहीं इससे ऊर्जा की खपत भी बढ़ जाती है.

शक्कर और चावल से परहेज  avoiding sugar and rice

मोटापा को या पेट को कम करने के लिए आपको इसका बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा कि इस दौरान कार्बोहाइड्रेट की अधिकता वाले खाद्यपदार्थों के सेवन से परहेज करें. आपको बता दें कि शक्कर, आलू और चावल में सबसे अधिक कार्बोहाइड्रेट मौजूद होता है.


अगर आप चाहते है कि आपका मोटापा तेजी से घटे तो हम आपको अपनी खबर में एक ऐसे जूस के बारें में बता रहे है, जिसका सेवन रात के समय करने से आपको जल्द ही मोटापा से निजात मिल जाएगा। इस जूस को बनाने के लिए आपको किसी स्पेशल चीज की जरुरत नहीं होती है। यह सब चीजें आपके घर में आसानी से मिल जाएगी। जानिए कैसे बनाएं जूस।

सामग्री

1. 1 नींबू कटा हुआ
2. 1 ग्लास पानी
3. 1 खीरा
4. 1 चम्म्च पिसा हुआ अदरक
5.1 चम्मच एलोवेरा जूस
6. थोड़ा हरा धनिया

ऐसें बनाएं जूस

सबसे पहले इन चीजों को लेकर ग्राइडर में डालकर अच्छी तरह से पीस लें। फिर इसे रात को सोने से पहले पीएं। इसमें ऐसे तत्व पाए जाते है जो रात को लेने से आपके शरीर से फैट को कम करता है। जिससे आपका मोटापा कम होता है।
इसके अलावा यह जूस आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म को गति देगा और और जिस समय आप नींद में होंगे आपका मेटाबॉलिज्म सक्रिय होकर मोटापा कम करने में सहायक होगा। रोज इस जूस का सेवन कुछ ही दिनों में आपको मोटापे से निजात दिला देगा। खास तौर से पेट की चर्बी को कम करने में यह बेहद काम की चीज है। इसलिए इसका सेवन रोज करें।
  एक शोध के अनुसार अगर हम पानी पीने का सही तरीका अपनाए तो इससे मोटापा बढ़ने पर रोक लगा सकते है और मोटापे को कम भी कर सकते है। इस शोध में पाया गया की खाना खाने के आधा घंटा पहले एक गिलास (350 ml) पानी पिए तो बिना कसरत के 3 महीने में 10 से 15 किलो तक वेट कम किया जा सकता है।
 पेट अंदर करने का तरीका Remedies to reduce enlarged belly अपना रहे है तो भोजन से 30 मिनट पहले पानी पिए। बाबा रामदेव जी का कहना है की आप जब भी पानी पिए तो इसे गुनगुना करके पिएं। इससे बॉडी का मेटाबॉलिज्म अच्छा होता है और वेट लॉस की प्रक्रिया तेज होती है।
 अक्सर कुछ लोग dieting करने के चक्कर में सुबह का नाश्ता करना भी छोड़ देते है, उन्हें लगता है नाश्ता न करना कैलोरी बर्न करने का अच्छा तरीका है, पर वे दिन में भूख लगने पर कुछ न कुछ खाते रहते है जिसमें न तो पोषक तत्व होते है और कैलोरी भी जादा होती है जिससे वेट लॉस करना और भी मुश्किल हो जाता है, और अगर ब्रेकफास्ट ना करने के बाद भी आप दिन में कुछ नहीं कहते तो इससे शरीर में कमजोरी आने लगती है जिससे आप का किसी काम में ध्यान नहीं लगता।
 दिनभर बेहतर प्रदर्शन करने के लिए सुबह का नाश्ता जरुरी है। नाश्ते में आप ब्राउन ब्रेड सैंडविच खा सकते है और साथ में कुछ फल भी खाये, इनमें फाइबर अधिक होते है और साथ ही दिन भर के लिए ऊर्जा भी मिलती है।
इस तेज रफ़्तार जीवन में हम हर काम जल्दी ख़तम कर लेना चाहते है और ऐसा ही हम भोजन करते वक़्त भी करते है। जल्दी जल्दी खाना खा कर पेट भरने की बजाय आराम से चबा चबा कर खाये गे तो आपके पाचन तंत्र को इसे पचाने में अधिक मेहनत नहीं करनी होगी, शरीर को पोषण मिलेगा और साथ ही इससे आपको वजन कम होने की प्रक्रिया में मदद मिलेगी।
 जैसा की हमने शुरू में बताया की आप बिना एक्सरसाइज के भी बाहर निकला हुआ पेट अंदर कर सकते है, पर इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं की आप शारीरिक श्रम करना बंद कर दे। हम अपने दैनिक कार्य करते करते भी कसरत कर सकते है, बस इसके लिए हमें अपनी कुछ आदतें बदलनी होगी।
 लिफ्ट की जगह सीढ़िया इस्तेमाल करे, आस पास कहीं जाना हो तो बाइक की जगह पैदल जाये और अगर आप घरेलू महिला है तो घर का काम खुद करे और इसी तरह ऑफिस में भी अपने छोटे मोटे काम किसी और से करवाने के बजाय खुद करना पसंद करे।
 इसके अलावा अगर आप सुबह और शाम की सैर पर जाएं और 15 से 20 मिनट के लिए तेज गति से चले तो ये भी आपके लिए पेट अंदर करने की एक्सरसाइज का ही एक हिस्सा है।
 शरीर को आराम दें और 6 से 8 घंटे की अच्छी नींद ले। सोते समय भी हमारा शरीर कार्य करता है और फैट बर्न होता है।

पेट अंदर करने के घरेलू नुस्खे  Remedies to reduce enlarged belly

कुछ उपाय और नुस्खे भी ऐसे है जो मोटापा कम करने के लिए आप आसानी से घर पर कर सकते है। ये घरेलू नुस्खे बॉडी का मेटाबोलिज्म बढ़ाने और पेट की चर्बी कम करने में काफी उपयोगी है, pet andar karne ke upay in hindi.
*ग्रीन टी वेट लॉस के उपाय में काफी असरदार है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है जिससे मोटापा घटाने में मदद मिलती है।
एक गिलास गुनगुने पानी में शहद और निम्बू का रस मिलाकर सुबह खाली पेट पिए। इस उपाय को हर रोज करने पर मोटापा दूर होता है और पेट अन्दर होने लगता है।
*अजवाइन का पानी वेट लॉस करने में फायदेमंद है। पेट कम करने के लिए 25 से 50 ग्राम अजवाइन रात को एक गिलास पानी में भिगो कर रखे और सुबह इसे छान कर इसमें थोड़ा शहद मिलाये और पिए। इस नुस्खे को नियमित रूप से करने पर पेट की चर्बी घटने लगती है।
*एप्पल साइडर विनेगर (सेब का सिरका) पानी के साथ मिलाकर लेने से भी पतले होने में मदद मिलती और साथ ही इससे कोलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल में रहता है।
*पत्ता गोभी में पेट की चर्बी घटाने के गुण मौजूद होते हैं, इससे बॉडी का मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है। इसलिए हर रोज पत्ता गोभी जूस पिएं।

पतला होने के लिए क्या खाएं –


यहां हम बिना डाइटिंग किये पतला होने की बात कर रहे है तो हम ऐसे किसी डाइटिंग प्लान या डाइटिंग चार्ट के बारे में बात नहीं करेंगे जिसे आप को हर रोज फॉलो करना है। यहां पर हम diet में लिए जाने वाले कुछ ऐसे आहार के बारे में जानेंगे जिन्हें बदल कर आप पेट अन्दर करने की प्रक्रिया को और आसान बना सकते है।
खाने में सलाद की मात्रा अधिक रखें।
ज्यादा मीठा खाने से बचें, इसमें अधिक कैलोरी होती है।
चाय पीने का मन हो तो दूध से बनी चाय की जगह ग्रीन टी पिए।
रात को डिनर हल्का ले और सोने से 2 घंटे पहले रात का भोजन खा ले।
अगर आप चावल और ब्रेड खाने की शौकीन है तो ब्राउन राइस और ब्राउन ब्रेड खाये।
बाहर फ़ास्ट फ़ूड खाने की बजाय फल ले कर खाये। फलों में पपीता खाने से चर्बी नहीं बढ़ती और मोटापा भी तेजी से कम होता है।
जितनी भूख हो थाली में उतना ही भोजन ले। कई बार हम थाली में बचे भोजन को खत्म करने के लिए पेट भरने के बाद भी खाना पड़ता है।
पेट को अंदर करने के लिए अगर आप कोई डाइटिंग प्लान कर रहे है तो ऊपर बताए गए वेट लॉस टिप्स भी आप साथ कर सकते है और अगर जल्दी पतले होने के लिए आप साथ में एक्सरसाइज या योग करना चाहते है तो किसी एक्सपर्ट की देखरेख में सही तरीके से करें।
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खिसकी हुई नाभि को सही जगह पर लाने के उपाय

घबराहट दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय

खून में कोलेस्ट्रोल कम करने के असरदार उपाय

दस जड़ी बूटियाँ से सेहत की समस्याओं के समाधान

अर्जुनारिष्ट के फायदे और उपयोग

सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद

बढ़ती उम्र मे आँखों की सावधानी और उपाय

जल्दी जल्दी खाना खाने से वजन बढ़ता है और होती हैं ये बीमारियां

शीघ्र पतन क्यों होता है,रतिक्रिया का समय बढ़ाने के रामबाण उपचार 

जीरा के ये फायदे जानते हैं आप ?

शरीर को विषैले पदार्थ से मुक्त करने का सुपर ड्रिंक

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सायटिका रोग की रामबाण हर्बल औषधि



सांस की तकलीफ दूर करने के उपचार:Shortness of breath

 


सर्दियों में कई तरह की बीमारियां लोगों को परेशान करती हैं। इस मौसम में सांस लेने में तकलीफ shortness of breath  आम बीमारी है। न सिर्फ वो लोग जिन्हें अस्थमा, बोंक्राइटिस और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां हैं बल्कि उन्हें भी सर्दियों में सांस लेने में तकलीफ होती है, जिन्हें इस तरह की कोई बीमारी नहीं होती है।

क्यों होती है यह प्रॉब्लम

इंडियन मेडिकल असोसिएशन के वाइस प्रेजिडेंट (इलेक्ट) डॉ. के. के. अग्रवाल का कहना है कि ज्यादा ठंडी हवा से सर्दियों में सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। फॉग और स्मॉग इसका कारण है। हमारे फेफडे़ सिकुड़ जाते हैं जिस कारण हमें सांस में लेने में दिक्कत आती है। वहीं राकलैंड हॉस्पिटल में कंसल्टेंट मेडिसिन डॉ. वैभव गुप्ता का कहना है कि फेफड़ों के सिकुड़ने से ऑक्सिजन हमारे ब्लड में सही से नहीं पहुंच पाती, जिससे ऐसी समस्या होती है।

इन्हें होती है ज्यादा समस्या

- ऐसे लोग जिन्हें लगातार चेस्ट इन्फेक्शन रहता हो
- बोंक्राइटिस के मरीज
- जिन्हें अस्थमा asthma या सांस की तकलीफ की बीमारी हो
- हाइपरटेंशन

लक्षण: 

- चलते वक्त या कोई भी काम करते समय सांस फूलना
- समय पर सही ट्रीटमेंट न लेने पर बैठे-बैठे भी सांस फूलने लगती है
- खांसी, बलगम
- बुखार के साथ बदन टूटना, बॉडी और सिर में दर्द होना
- छाती में जकड़न होना
- गले में दर्द होना

कैसे बचें

- ठंड में बाहर निकलने से पहले नाक और मुंह को अच्छी तरह ढंके। इससे ठंडी हवा सीधे अंदर नहीं जाएगी।इससे पॉल्यूशन से भी बचाव होगा क्योंकि हवा के साथ धूल के कण भी सांस के साथ अंदर चले जाते हैंजिससे सांस लेने में दिक्कत होती है।
- सर्दियों में भी ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। ठंड में हम लोग पानी कम पीते हैं जबकि यूरीन बार-बार जातेहैं जिससे इन्फेक्शन हो सकता है। पानी को गुनगुना करके पिएं तो ज्यादा बेहतर रहेगा।
- पर्सनल हाइजीन का ख्याल रखें। हर दो घंटे में हाथ और मुंह को साफ पानी से धोएं। साफ रुमाल काइस्तेमाल करें।
- बाहर का खाना खाने या ज्यादा ऑयली खाना खाने के बाद गुनगुना पानी पीएं या गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करें। इससे गले में मौजूद मिट्टी या तेल के तत्व साफ हो जाएंगे।
- सुबह मॉर्निंग वॉक पर जाने से पहले खूब सारा पानी पीकर जाएं। गले, नाक और कानों को ढककर जाएं।
- अस्थमा asthma, ब्रोंकाइटिस या सांस से जुड़ी कोई भी बीमारी है या 70 साल से ज्यादा उम्र है तो ज्यादा सुबह वॉक पर न जाएं। थोड़ी धूप निकलने के बाद ही वॉक पर निकलें।
अस्थमा asthma के मरीज इनहेलर साथ रखें
- ताजे फल और सलाद खाएं। विटामिन सी भरपूर मात्रा में लें जिससे इम्यूनिटी बनी रहे

कब जाएं डॉक्टर के पास

अगर कोई बीमारी नहीं है, फिर भी इस मौसम में सांस लेने में तकलीफ shortness of breath महसूस कर रहे हैं और घरेलू इलाजजैसे तुलसी और अदरक का काढ़ा पीना, गुनगुने पानी के गरारे, स्टीम लेने के बावजूद भी ठीक न हों तो दो से तीन दिन बाद ही डॉक्टर को दिखाएं।
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1.6.22

पेट के अल्सर के आयुर्वेदिक उपचार: pet ke ulcer ke upchar

 


अल्सर घाव को कहा जाता है। जब यह घाव आमाशय में हो जाता है, तो उसे पेप्टिक अल्सर कहते हैं। पेट में अल्सर होना केवल तकलीफदेह ही नहीं होता, बल्कि बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। पेप्टिक अल्सर पेट की अंदरूनी सतह पर बनने वाला छाला होता है। समय पर इलाज ना मिलने पर छाल जख्म में बदल जाता है। क्या आपको पता है कि आप पेप्टिक अल्सर का घरेलू इलाज कर सकते हैं।

यह आमतौर पर आहार नली, पेट और छोटी आंत के ऊपरी भाग की भीतरी झिल्ली में होता है। यह एक गम्भीर स्थिति बीमारी है, जिसमें मरीज को बहुत दिक्कतें होने लगती हैं। इसलिए आइए जानते हैं कि पेट में अल्सर होने पर आपको कौन-सा इलाज करना बेहतर होता है।
पेट में अल्सर होना क्या है ?
पेप्टिक अल्सर को गैस्ट्रिक अल्सर भी कहते हैं। समय पर भोजन ना करने, तथा तीखा-मसालेदार भोजन करने से शरीर में पित्त दोष बढ़ जाता है, जो अनेक रोगों को जन्म देता है। यह आमाशय या छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में होता है। यह तब होता है जब भोजन पचाने वाला अम्ल आमाशय या आंत की भीतरी श्लैष्मिक झिल्ली को नुकसान पहुँचाने लगता है। हमारे पेट में म्यूकस की एक चिकनी परत होती है, जो पेट की भीतरी परत को पेप्सिन और हाइड्रोक्लोरिक एसिड से बचाती है। यह दोनों एसिड पाचन क्रिया के लिए जरूरी होते हैं, लेकिन यह शरीर के ऊत्तकों को नुकसान भी पहुँचा सकते हैं। यह एसिड और म्यूकस झिल्ली के बीच का संतुलन बिगड़ने पर ही अल्सर होता है।
गैस्ट्रिक अल्सर के प्रकार
गैस्ट्रिक अल्सर इतने प्रकार के हो सकते हैंः-
Gastric ulcer – यह पेट के अन्दर होता है।
Oesophageal ulcer – यह आहार नली में होता है।
Duedenal ulcer – यह छोटी आंत के ऊपरी भाग में होता है जिसे Duodenum कहते हैं।

गैस्ट्रिक अल्सर के लक्षण
 
मरीज को अल्सर के निम्न लक्षण महसूस हो सकते हैंः-
पेट में दर्द होना इसका प्रमुख लक्षण है। खाली पेट रहने पर यह दर्द और भी तेज हो जाता है।
पेट में जलन होना। रात के समय पेट में जलन बढ़ जाती है।
अधिक गम्भीर स्थितियों में खून की उल्टी होना।
मल का रंग गहरा होना।
जी मिचलाना और खाने की बिल्कुल इच्छा न करना।
शरीर के वजन में गिरावट गैस्ट्रिक अल्सर के लक्षणहोते हैं।
पेप्टिक अल्सर होने के कारण
 
अल्सर की बीमारी निम्न कारणों से हो सकती हैः-

Helicobactor Pylori नामक बैक्टेरिया का संक्रमण अल्सर होने का सबसे प्रमुख कारण है। यह दूषित भोजन एवं पानी के द्वारा पेट में जाता है।
पेट में अत्यधिक मात्रा में एसिड का स्राव होना।
तैलीय और मिर्च मसाले युक्त भोजन का अधिक सेवन करना।
अधिक मात्रा में शराब, कैफीन और तम्बाकू का सेवन।
लम्बे समय तक ज्यादा दर्द निवारक दवाओं का सेवन।
ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) में ली जाने वाली दवाओं का सेवन करना।
एस्पिरिन (Aspirin) या ज्वलनरोधक दवाओं का सेवन करना।
अत्यधिक तनाव के कारण
अनुवांशिक कारणों से
डायबिटीज
पेट के अल्सर की आयुर्वेदिक दवा हैं या कई घरेलू उपचार भी है , जो समय के साथ अल्सर के परेशानी को कम करने में मदद करते हैं-

संधिवात ,गाउट ,वातरोग की रामबाण हर्बल औषधि 

सहजन से करें इलाज

सहजन के पत्तों को पीसकर दही के साथ मिलाकर खाएँ। इसे दिन में एक बार खाएँ। पेट में अल्सर के लक्षणों से राहत पाने के लिए सहजन का प्रयोग लाभकारी होता है।

मेथी गैस्ट्रिक अल्सर में फायदेमंद

एक चम्मच मेथी को दो कप पानी में उबालें। इसे छानकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पिएँ। पेट में अल्सर होने पर उसके लक्षणों से आराम दिलाता है।

नींबू से उपचार

आधा कप ठण्डे दूध में आधा नीम्बू निचोड़ लें। इसे पीने से पेट को आराम मिलता है और दर्द में राहत मिलती है।

पेट के अल्सर में सौंफ

चूड़ा और सौंफ को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाएँ। इस 20 ग्राम चूर्ण को दो लीटर पानी में सुबह घोलकर रख दें। शाम को इस मिश्रण को पी लें। नियमित रूप से पीने से पेप्टिक अल्सर में आराम मिलता है।

पत्ता गोभी और गाजर से उपचार-

पत्तागोभी और गाजर को बराबर मात्रा में लेकर जूस निकाल लें। इस जूस को सुबह-शाम एक कप पीने से पेप्टिक अल्सर के लक्षणों में आराम मिलता है।
बादाम से गैस्ट्रिक अल्सर का इलाज-
5-7 बादाम पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें, और ठण्डा करके पिएँ। पेट में अल्सर की परेशानी से यह आराम दिलाता है।

पेप्टिक अल्सर में मुनक्का -

4-5 मुनक्के को रात में पानी में भिगा दें। इसमें दो छोटी हरड़ मिलाकर पीस लें। सुबह इसका सेवन करें। इससे अल्सर में होने वाले जलन और उल्टी जैसे लक्षणों से राहत मिलती है।

पेट के अल्सर में आंवला

आँवले का मुरब्बा पेट के अल्सर में फायदेमन्द है। इसका सेवन करें। पेट के अल्सर की बीमारी में यह आपको मदद पहुंचाता है।

पेट के अल्सर में घी और हींग-

घी में एक चौथाई चम्मच हींग को भून लें। इसमें एक चम्मच जीरा और एक चुटकी सेंधा नमक डालकर सेवन करें। यह लाभदायक उपाय है।

पेट में अल्सर होने पर केला

कच्चे केले की सब्जी बनाकर एक चुटकी हींग मिलाकर खाएँ। यह एक असरदार उपाय है, जो पेट के अल्सर रोग में फायदेमंद है।

पेट में अल्सर मेँ अन्य घरेलू उपचार

एक गिलास ठण्डे दूध में उतना ही पानी मिलाकर पिएँ।
छाछ की कढ़ी बनाकर प्रतिदिन मक्के की रोटी के साथ खाएँ।
हींग को पानी में मिलाकर नियमित रूप से पिएँ।
नियमित रूप से सुबह अनार का रस पिएँ।
भोजन में गाय के दूध से बने घी का इस्तेमाल करें।

पेट में अल्सर के दौरान खान-पान

अल्सर रोग के दौरान आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
रोज एक सेब खाने से पेट के अल्सर का प्रभाव कम होता है। सेब में flavanoids होता है, जो H.pylori नामक बैक्टेरिया को पनपने से रोकता है।
दही पेट के लिए बहुत लाभदायक है। इसमें Probiotics, Lactobocillus और Acidophilus पाया जाता है। यह पेट के अल्सर को ठीक करने में मदद करता है।
रोज लहसुन की 2-3 कलियाँ खाएँ। यह बैक्टेरिया H.pylori को मारने में मदद करता है।
नियमित सुबह ग्रीन टी पीने से इसमें मौजूद Antioxidants पेट के अल्सर से बचाव करता है।
फूलगोभी में Sulforaphane होता है, जो पेट में अल्सर उत्पन्न करने वाले बैक्टेरिया H.pylori को नष्ट करता है। सात दिन तक दिन में दो बार फूल गोभी खाने से पेट के अल्सर के बैक्टेरिया का प्रभाव कम हो जाता है।
मूली में फाइबर होता है, जो पाचन को बेहतर करता है। यह जिंक एवं खनिज को अवशोषित करता है। नियमित सफेद मूली खाने से पेट की सूजन कम होती है। कब्ज की समस्या नहीं होती, साथ ही अल्सर रोग में भी यह प्रभावी है।
हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए, तथा मिर्च-मसाले युक्त भोजन कभी नहीं करना चाहिए।

सावधानी -

अधिक देर तक या बार-बार भूखे नहीं रहना चाहिए।
नियमित समय पर भोजन करें।
दर्द निवारक एवं एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग कम से कम करें।

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29.5.22

गठिया सन्धिवात,सायटिका घुटनों के दर्द के उपचार:Sciatica gathiya knee pain

 


आमवात जिसे गठिया भी कहा जाता है अत्यंत पीडादायक बीमारी है।अपक्व आहार रस याने "आम" वात के साथ संयोग करके गठिया रोग को उत्पन्न करता है।अत: इसे आमवात भी कहा जाता है।

लक्षण- 

जोडों में दर्द होता है, शरीर मे यूरिक एसीड की मात्रा बढ जाती है। छोटे -बडे जोडों में सूजन का प्रकोप होता रहता है।
यूरिक एसीड के कण(क्रिस्टल्स)घुटनों व अन्य जोडों में जमा हो जाते हैं।जोडों में दर्द के मारे रोगी का बुरा हाल रहता है।गठिया के पीछे यूरिक एसीड की जबर्दस्त भूमिका रहती है। इस रोग की सबसे बडी पहचान ये है कि रात को जोडों का दर्द बढता है और सुबह अकडन मेहसूस होती है। यदि शीघ्र ही उपचार कर नियंत्रण नहीं किया गया तो जोडों को स्थायी नुकसान हो सकता है।

गठिया के मुख्य कारण:--

*महिलाओं में एस्ट्रोजिन हार्मोन की कमी होने पर गठिया के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।
*अधिक खाना और व्यायाम नहीं करने से जोडों में विकार उत्पन्न होकर गठिया जन्म लेता है।
*छोटे बच्चों में पोषण की कमी के चलते उनका इम्युन सिस्टम कमजोर हो जाता है फ़लस्वरूप रुमेटाईड आर्थराईटीज रोग पैदा होता है जिसमें जोडों में दर्द ,सूजन और गांठों में अकडन रहने लगती है।
*शरीर में रक्त दोष जैसे ल्युकेमिया होने अथवा चर्म विकार होने पर भी गठिया रोग हो सकता है।
*थायराईड ग्रन्थि में विकार आने से गठिया के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
*आंतों में पैदा होने वाले रिजाक्स किटाणु शरीर के जोडों को भी दुष्प्रभावित कर सकते हैं।
गठिया के ईलाज में हमारा उद्धेश्य शरीर से यूरिक एसीड बाहर निकालने का प्रयास होना चाहिये। यह यूरिक एसीड प्यूरीन के चयापचय के दौरान हमारे शरीर में निर्माण होता है प्यूरिन तत्व मांस में सर्वाधिक होता है।इसलिये गठिया रोगी के लिये मांसाहार जहर के समान है। वैसे तो हमारे गुर्दे यूरिक एसीड को पेशाब के जरिये बाहर निकालते रहते हैं। लेकिन कई अन्य कारणों की मौजूदगी से गुर्दे यूरिक एसीड की पूरी मात्रा पेशाब के जरिये निकालने में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिये इस रोग से मुक्ति के लिये जिन भोजन पदार्थो में पुरीन ज्यादा होता है,उनका उपयोग कतई न करें। वैसे तो पतागोभी,मशरूम,हरे चने,वालोर की फ़ली में भी प्युरिन ज्यादा होता है लेकिन इनसे हमारे शरीर के यूरिक एसीड लेविल पर कोई ज्यादा विपरीत असर नहीं होता है। अत: इनके इस्तेमाल पर रोक नहीं है। जितने भी सोफ़्ट ड्रिन्क्स हैं सभी परोक्ष रूप से शरीर में यूरिक एसीड का स्तर बढाते हैं,इसलिये सावधान रहने की जरूरत है।

१) सबसे जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मौसम के मुताबिक ३ से ६ लिटर पानी पीने की आदत डालें। ज्यादा पेशाब होगा और अधिक से अधिक विजातीय पदार्थ और यूरिक एसीड बाहर निकलते रहेंगे।
२) आलू का रस १०० मिलि भोजन के पूर्व लेना हितकर है।
३) संतरे के रस में १५ मिलि काड लिवर आईल मिलाकर शयन से पूर्व लेने से गठिया में आश्चर्यजनक लाभ होता है।
४) लहसुन,गिलोय,देवदारू,सौंठ,अरंड की जड ये पांचों पदार्थ ५०-५० ग्राम लें।इनको कूट-खांड कर शीशी में भर लें। २ चम्मच की मात्रा में एक गिलास पानी में डालकर ऊबालें ,जब आधा रह जाए तो उतारकर छान लें और ठंडा होने पर पीलें। ऐसा सुबह-शाम करने से गठिया में अवश्य लाभ होगा।
५) लहसुन की कलियां ५० ग्राम लें।सैंधा नमक,जीरा,हींग,पीपल,काली मिर्च व सौंठ २-२ ग्राम लेकर लहसुन की कलियों के साथ भली प्रकार पीस कर मिलालें। यह मिश्रण अरंड के तेल में भून कर शीशी में भर लें। आधा या एक चम्मच दवा पानी के साथ दिन में दो बार लेने से गठिया में आशातीत लाभ होता है।
६) हर सिंगार (पारिजात) के ताजे पती ४-५ नग लें। पानी के साथ पीसले या पानी के साथ मिक्सर में चलालें। यह नुस्खा सुबह-शाम लें ३-४ सप्ताह में गठिया और वात रोग में जबरदस्त लाभ होगा| जरूर आजमाएं।
७) बथुआ के पत्ते का रस करीब ५० मिलि प्रतिदिन खाली पेट पीने से गठिया रोग में जबर्दस्त फ़ायदा होता है। अल सुबह या शाम को ४ बजे रस लेना चाहिये।जब तक बथुआ सब्जी मिले या २ माह तक उपचार लेना उचित है।रस लेने के आगे पीछे १ घंटे तक कुछ न खाएं। बथुआ के पत्ते काटकर आटे में गूंथकर चपाती बनाकर खाना भी हितकारी उपाय है। 


आयुर्वेदिक चिकित्सा भी कई मामलों मे फ़लप्रद सिद्ध हो चुकी है।
८) पंचामृत लोह गुगल,रसोनादि गुगल,रास्नाशल्लकी वटी,तीनों एक-एक गोली सुबह और रात को सोते वक्त दूध के साथ २-३ माह तक लेने से गठिया में बहुत फ़ायदा होता है।
९) उक्त नुस्खे के साथ अश्वगंधारिष्ट ,महारास्नादि काढा और दशमूलारिष्टा २-२ चम्मच मिलाकर दोनों वक्त भोजन के बाद लेना हितकर है।
१०) चिकित्सा वैज्ञानिकों  का मत है कि गठिया रोग में हरी साग सब्जी का प्रचुरता से इस्तेमाल करना बेहद फ़ायदेमंद रहता है। पत्तेदार सब्जियो का रस भी अति उपयोगी रहता है।
11) भाप से स्नान करने और जेतुन के तैल से मालिश करने से गठिया में अपेक्षित लाभ होता है।
१२) गठिया रोगी को कब्ज होने पर लक्षण उग्र हो जाते हैं। इसके लिये गुन गुने जल का एनिमा देकर पेट साफ़ रखना आवश्यक है।
१३) अरण्डी के तैल से मालिश करने से भी गठिया का दर्द और सूजन कम होती है।
१४) सूखे अदरक (सौंठ) का पावडर १० से ३० ग्राम की मात्रा में नित्य सेवन करना गठिया में परम हितकारी है|
१५) चिकित्सा वैज्ञानिकों का मत है कि गठिया रोगी को जिन्क,केल्शियम और विटामिन सी के सप्लीमेंट्स नियमित रूप से लेते रहना लाभकारी है।

१६) गठिया रोगी के लिये अधिक परिश्रम करना या अधिक बैठे रहना दोनों ही नुकसान कारक होते हैं। अधिक परिश्रम से अस्थि-बंधनो को क्षति होती है जबकि अधिक गतिहीनता से जोडों में अकडन पैदा होती है।
१७) गठिया उग्र होने पर किसी भी प्रकार का आटा ३ हफ्ते तक भोजन में शामिल ना करें| बाद में धीरे धीरे उपयोग शुरू करें|
१८) पनीर ,दही,माखन,इमली,कच्चा आम का उपयोग बंद करने से लाभ होता है|
१९) शकर की जगह शहद वापरें|
२०) हल्दी गठिया का दर्द घटाती है और सूजन भी कम करती है|
२१) प्याज,लहसुन और सेवफल का उपयोग हितकारी रहता है|
22) लहसुन की 10 कलियों को 100 ग्राम पानी एवं 100 ग्राम दूध में मिलाकर पकाकर उसे पीने से दर्द में शीघ्र ही लाभ होता है।
23) प्रतिदिन नारियल की गिरी के सेवन से भी जोड़ो को ताकत मिलती है।
24) आलू का रस 100 ग्राम प्रतिदिन भोजन के पूर्व लेना बहुत हितकर है।
25) सुबह के समय सूर्य नमस्कार और प्राणायाम करने से भी जोड़ों के दर्द से स्थाई रूप से छुटकारा मिलता है।
26) गठिया के रोगी 4-6 लीटर पानी पीने की आदत डालें। इससे ज्यादा पेशाब होगा और अधिक से अधिक विजातीय पदार्थ और यूरिक एसीड बाहर निकलते रहेंगे।
27) एक बड़ा चम्मच सरसों के तेल में लहसुन की 3-4 कुली पीसकर डाल दें, इसे इतना गरम करें कि लहसुन भली प्रकार पक जाए, फिर इसे आच से उतारकर मामूली गरम हालत में इससे जोड़ों की मालिश करने से दर्द में तुरंत राहत मिल जाती है।
28) प्रात: खाली पेट एक लहसन कली, दही के साथ दो महीने तक लगातार लेने से जोड़ो के दर्द में आशातीत लाभ प्राप्त होता है।
29) 250 ग्राम दूध एवं उतने ही पानी में दो लहसुन की कलियाँ, 1-1 चम्मच सोंठ और हरड़ तथा 1-1 दालचीनी और छोटी इलायची डालकर उसे अच्छी तरह से धीमी आँच में पकायें। पानी जल जाने पर उस दूध को पीयें, शीघ्र लाभ प्राप्त होगा ।
30) 100 ग्राम लहसुन की कलियां लें।इसे सैंधा नमक,जीरा,हींग,पीपल,काली मिर्च व सौंठ 5-5 ग्राम के साथ पीस कर मिला लें। फिर इसे अरंड के तेल में भून कर शीशी में भर लें। इसे एक चम्मच पानी के साथ दिन में दो बार लेने से गठिया में आशातीत लाभ होता है।
31) अमरूद की 4-5 नई कोमल पत्तियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोजाना खाने से से जोड़ो के दर्द में काफी राहत मिलती है। *काली मिर्च को तिल के तेल में जलने तक गर्म करें। उसके बाद ठंडा होने पर उस तेल को मांसपेशियों पर लगाएं, दर्द में तुरंत आराम मिलेगा।
32) दो तीन दिन के अंतर से खाली पेट अरण्डी का 10 ग्राम तेल पियें। इस दौरान चाय-कॉफी कुछ भी न लें जल्दी ही फायदा होगा।
33) दर्दवाले स्थान पर अरण्डी का तेल लगाकर, उबाले हुए बेल के पत्तों को गर्म-गर्म बाँधे इससे भी तुरंत लाभ मिलता है। 
34) गाजर को पीस कर इसमें थोड़ा सा नीम्बू का रस मिलाकर रोजाना सेवन करें । यह जोड़ो के लिगामेंट्स का पोषण कर दर्द से राहत दिलाता है। 
35) गठिया रोगी को अपनी क्षमतानुसार हल्का व्यायाम अवश्य ही करना चाहिए क्योंकि इनके लिये अधिक परिश्रम करना या अधिक बैठे रहना दोनों ही नुकसान दायक हैं।
36) जेतुन के तैल से मालिश करने से भी गठिया में बहुत लाभ मिलता है। 
37) सौंठ का एक चम्मच पावडर का नित्य सेवन गठिया में बहुत लाभप्रद है।
38) गठिया रोग में हरी साग सब्जी का इस्तेमाल बेहद फ़ायदेमंद रहता है। पत्तेदार सब्जीयो का रस भी बहुत लाभदायक रहता है।
39) दो बडे चम्मच शहद और एक छोटा चम्मच दालचीनी का पावडर सुबह और शाम एक गिलास मामूली गर्म जल से लें। एक शोध में कहा है कि चिकित्सकों ने नाश्ते से पूर्व एक बडा चम्मच शहद और आधा छोटा चम्मच दालचीनी के पावडर का मिश्रण गरम पानी के साथ दिया। इस प्रयोग से केवल एक हफ़्ते में ३० प्रतिशत रोगी गठिया के दर्द से मुक्त हो गये। एक महीने के प्रयोग से जो रोगी गठिया की वजह से चलने फ़िरने में असमर्थ हो गये थे वे भी चलने फ़िरने लायक हो गये।
40) एक चम्मच मैथी बीज रात भर साफ़ पानी में गलने दें। सुबह पानी निकाल दें और मैथी के बीज अच्छी तरह चबाकर खाएं।मैथी बीज की गर्म तासीर मानी गयी है। यह गुण जोड़ों के दर्द दूर करने में मदद करता है।

41)बिच्छू बूटी,

इस औषधि का नाम सुनने में आपको जरूर अटपटा सा लग रहा होगा, लेकिन आपको बता दें जिस तरह बिच्छु के काटने पर उसका जहर तेजी से फैलता है, ठीक उसी तरह इस औषधि का सेवन करने पर आपके 
गठिया का दर्द तेजी से कम होता है। यह गठिया की समस्या को जड़ से खत्म करने में कारगार उपाय है और आपके हड्डियों को फौलाद बनाता है।

इससे कैसे बचें-

कुछ उपाय बताता हूँ जिन्हें अपनाकर इसकी चपेट में आने से बचा जा सकता है या इसकी चपेट में आने पर स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।
* आर्थराइटिस के कारण कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है। यह 70 प्रतिशत पानी से बने होते हैं, इसलिए ढेर सारा पानी पिएं
* कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध, दुग्ध उत्पादों, ब्रोकली, सामन मछली,
*पालक, राजमा, मूंगफली, बादाम, टोफू आदि का सेवन करें।
*जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए विटामिन सी और डी बहुत जरूरी हैं। इसलिए विटामिन सी और डी से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे स्ट्रॉबेरी, संतरे, कीवी, अनन्नास, फूलगोभी, ब्रोकली, *पत्ता गोभी, दूध, दही, मछिलयों आदि का सेवन करें।
*कुछ समय धूप में भी बिताएं। यह विटामिन डी का बेहतरीन स्त्रोत है।
* वजन को नियंत्रण में रखें। वजन अधिक होने से जोड़ों जैसे घुटनों, टखनों और कूल्हों पर दबाव पड़ता है।
*नियमित रूप से व्यायाम करके आर्थराइटिस के खतरे को कम किया जा सकता है, लेकिन ऐसे व्यायाम करने से बचें, जिससे जोड़ों पर अधिक दबाव पड़ता है।
*शराब और धूम्रपान का सेवन जोड़ों को नुकसान पहुंचाता है। आर्थराइटिस से पीड़ित लोग अगर इनका सेवन बंद कर दें तो उनके जोड़ों और मांसपेशियों में सुधार आ जाता है और दर्द में भी कमी होती है।
*स्वस्थ लोग भी धूम्रपान न करें। यह आपको रूमेटाइड आर्थराइटिस का शिकार बना सकता है।
*अधिक मात्रा में फल और सब्जियों का सेवन करें। ये ऑस्टियो आर्थराइटिस से बचाते हैं।
* अदरक और हल्दी को भोजन में प्रमुखता से शामिल करें, क्योंकि ये जोड़ों की सूजन को कम करने में सहायता करते हैं।
*आरामतलबी से बचें।
* सूजन बढ़ाने वाले पदार्थ जैसे नमक, चीनी, अल्कोहल, कैफीन, तेल, दूध व दुग्ध उत्पादों, ट्रांस फैट और लाल मांस का इस्तेमाल कम करें या न करें।

गठिया का दर्द दूर करने का आसान उपाय-

* एक लिटर पानी तपेली या भगोनी में आंच पर रखें। इस पर तार वाली जाली रख दें। एक कपडे की चार तह करें और पानी मे गीला करके निचोड लें । ऐसे दो कपडे रखने चाहिये। अब एक कपडे को तपेली से निकलती हुई भाप पर रखें। गरम हो जाने पर यह कपडा दर्द करने वाले जोड पर ३-४ मिनिट रखना चाहिये। इस दौरान तपेली पर रखा दूसरा कपडा गरम हो चुका होगा। एक को हटाकर दूसरा लगाते रहें। यह उपक्रम रोजाना १५-२० मिनिट करते रहने से जोडों का दर्द आहिस्ता आहिस्ता समाप्त हो जाता है। बहुत कारगर उपाय है।


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं|  त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|

खिसकी हुई नाभि को सही जगह पर लाने के उपाय

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10.4.22

दिमागी तनाव और भय दूर करने का मंत्र:Mantra to remove mental stress and fear

 



प्रति‍दिन की भगदौड़ भरी दिनचर्या में काम और घर परिवार से जुड़ी कई बाते आपको मानसिक रूप से थका देती है और तनाव का कारण बनती हैं। अगर आप मानसिक तनाव के शि‍कार हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं, तो यह मंत्र करेगा आपकी मदद। जानिए कौन सा है यह मंत्र -

किसी प्रकार का अज्ञात
भय या असुरक्षा की भावना होने पर भी आप इंस मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसके अलावा 11 बुधवार तक लगातार 1 नारियल नीले वस्त्र में लपेटकर किसी भि‍खारी को दान करने से भी आपको भय से छुटकारा मिलेगा।
यदि आप अत्यधि‍क तनाव या मानस‍िक भार का अनुभव करते हैं तो नित्य मानसिक रूप से निम्न मंत्र का जाप अवश्य करें। जानिए मंत्र -
मंत्र :
ॐ अतिक्रकर महाकाय, कल्पान्त दहनोपम
भैरवाय नमस्तुभ्यमनुज्ञां दातुमहसि!!

तनाव दूर करने के अन्य उपाय -



आप चाहे कितना भी जरुरी काम कर रहे हो काम के बीच हर घंटे के बाद 5 मिनट का ब्रेक जरूर ले अगर आप काम के बीच में थोड़ा आराम करेंगे तो आपका ध्यान इधर उधर नहीं जायेगा।इस उपरोक्त उपाय से एक ओर जहां आपको मानसिक तनाव/ भय/ दबाव इत्यादि से मुक्ति मिलेगी वहीं परिवार में अगर कोई नकारात्मक‍ विचारधारा का है तो उसके विचारों में भी परिवर्तन आना आरंभ होगा।
जिनके जीवन में अधिक तनाव रहता हो उन्हें दिन में कुछ समय अकेले बिताने का प्रयास करना चाहिए। कुछ लोग अकेले सैर करना पसंद करते हैं। कुछ लोगों को अकेले पुस्तक पढ़ने से शांति मिलती है। कई बार अँधेरे कमरे में लेटना ही मन को शांत रखने के लिए काफी होता है, किंतु बहुत ज्यादा अकेले रहना भी ठीक नहीं, विशेषत उन लोगों के लिए जो जल्दी हताश हो जाते हैं।

कुर्सी पर आरामदेह मुद्रा में बैठ जाइए। आँखें बंद कीजिए और अपनी मांसपेशियों को ढीला छोड़ दीजिए। धीमी गति से साँस लेते रहें। मन ही मन कोई भी एक शब्द या मंत्र बार-बार दोहराते रहें। यदि आपका मन भटक जाए तो वापस उसी शब्द या मंत्र पर आ जाएँ। इसे दस से बीस मिनट तक करें।
मूड खराब होने पर किसी पालतू जानवर के साथ कुछ समय बिताये। घर के पालतू जानवरों से लगाव और स्नेह होता है ये हमें खुशी और प्यार देते है। इसलिए अपने आपके टेंशन से दूर रखना हो या फ्रेश करना हो ये उपाय काफी अच्छे है।
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