8.4.24

"दालचीनी के अद्भुत फायदे: सेहत के लिए एक वरदान"

 
                                                         


  दालचीनी एक ऐसा मसाला है, जिसका उपयोग आपको सालभर करना चाहिए. हर मौसम और ऋतु में यह मसाला शरीर (Body) को स्वस्थ (Healthy) रखने का कार्य करता है. यह अपने आप में एक औषधि है, जो अलग-अलग चीजों के साथ उपयोग करने पर इनके गुणों में वृद्धि करती है और रोगों (Diseases) को भी दूर करती है.




दालचीनी के उपयोग

दालचीनी का उपयोग स्तंभन दोष, पुरुषों में यौन विकार के इलाज में किया जाता है। दालचीनी का उपयोग मांसपेशियों की ऐंठन के उपचार में किया जाता है और खिलाड़ियों के लिए आदर्श है, जिन्हें मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन प्रवाह की आवश्यकता होती है। दालचीनी भूख को बहाल करने में मदद करता है  दालचीनी से पुराने घाव ठीक हो जाते हैं।

वजन कम करने के लिए सुबह खाली पेट दालचीनी का सेवन

वजन कम करने के लिए दालचीनी का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। इसका सेवन वजन कम करने के लिए बहुत फायदेमंद भी होता है। वजन कम करने के लिए आयुर्वेद में दालचीनी को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। दालचीनी का पानी पीने से शरीर का मेटाबॉलिक रेट भी संतुलित रहता है जिससे वजन कम करने में बहुत फायदा मिलता है। वजन कम करने के लिए आप खाने में भी दालचीनी के पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं। रोज सुबह दालचीनी का पानी पीने से आपको दिन में भूख भी कम लगती है जिससे आपको वजन कम करने में फायदा मिलता है। 

बांझपन उपचार

दालचीनी एक प्राकृतिक कामोद्दीपक है, और यौन इच्छा को बढ़ाने के लिए किया  जाता है। इसका उपयोग बांझपन के उपचार में भी किया जाता है । बांझपन उपचार में दालचीनी की भूमिका पुरुषों में यौन इच्छा में सुधार करना है, जिससे शुक्राणु का उत्पादन बढ़ जाता है।

दालचीनी में हैं सूजन व लालिमा दूर करने के गुण

दालचीनी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट त्वचा व शरीर के अंदरूनी हिस्सों में होने वाली सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यदि आपको लंबे समय से कोई सूजन या लालिमा संबंधी समस्या है, तो दालचीनी आपके लिए लाभदायक हो सकती है।

जोड़ों के दर्द के समस्या में सुबह खाली पेट दालचीनी का प्रयोग

जोड़ों के दर्द की समस्या में दालचीनी का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। आप इस समस्या में दालचीनी का कई तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं। दालचीनी में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सिडेंट प्रॉपर्टीज पायी जाती हैं जिसकी वजह से जोड़ों के दर्द की समस्या में इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है। रूमेराइट अर्थराइटिस की समस्या में भी आप दालचीनी का सेवन कर सकते हैं। आमतौर पर लोग दालचीनी का औषधीय इस्तेमाल करने के लिए इसके पाउडर का प्रयोग करते है लेकिन आप जोड़ों के दर्द में दालचीनी के पानी का सेवन भी कर सकते हैं।


इनफर्टिलिटी

यदि आपको पिता बनने का सुख प्राप्त नहीं हो रहा है, तो इसकी वजह इनफर्टिलिटी हो सकती है. पुरुषों में यह समस्या आम होती जा रही है. आप दालचीनी पाउडर को दूध या गुनगुने पानी में मिलाकर सेवन करें. इसे सलाद, स्मूदी, काढ़ा, दही, सब्जी, सूप आदि में भी डालकर सेवन कर सकते हैं.


बढ़ती उम्र के निशान -

दालचीनी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर है और एंटीऑक्सीडेंट्स बढ़ती उम्र की निशानियों को रोकने के लिए बेहद असरदार हैं। ये बल्ड वेसल्स को स्टिमुलेट करता है, स्किन में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है, डैमेज्ड सेल्स को रिपेयर करता। इससे बारीक रेखाएं अवॉएड की जा सकती हैं और स्किन की इलास्टिसिटी भी बेहतर होती है और स्किन जवां दिखती है।

स्त्री रोग में बहुत असरदार है दालचीनी

गर्भाशय के विकार और गनोरिया में दालचीनी का उपयोग किया जाता है।
दालचीनी से माता के स्तन का दूध बढ़ता है।
गर्भाशय का संकुचन होता है।

कान के इंफेक्शन

रात को सोते समय दालचीनी का  पानी पीने से कानों की समस्या जैसे कम सुनाई देना, कानों में आवाज़ आना, कानों में बार बार इंफेक्शन होना में फायदा होता है।

सुबह खाली पेट दालचीनी खाना दिल के लिए फायदेमंद

दिल से जुड़ी समस्याओं से बचाव के लिए सुबह खाली पेट दालचीनी खाना बहुत फायदेमंद होता है। डायबिटीज के अलावा हार्ट से जुड़ी समस्याओं में भी दालचीनी का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। शरीर में मौजूद हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए आप दालचीनी के पाउडर या इसके पानी का सेवन कर सकते हैं। कई शोध और अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि दालचीनी का सेवन शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, सीरम ग्लूकोज और ब्लड में मौजूद फैट को कम करने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और हार्ट से जुड़ी अन्य गंभीर समस्याओं से बचाव के लिए आप 1 से 3 ग्राम दालचीनी का सेवन रोजाना कर सकते हैं।

ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोल-

जिन लोगों को ब्लड प्रेशर (Blood pressure) की शिकायत होती है, उन लोगों को दालचीनी के काढ़े का सेवन करना चाहिए। दालचीनी के काढ़े का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।

साइनस की समस्या

यदि आपको साइनस की समस्या है और उसके कारण सिरदर्द हो रहा है तो दालचीनी इसमें आपकी मदद कर सकती है। जब भी सिरदर्द हो एक चौथाई चम्मच दालचीनी को पानी में मिलाकर पेस्ट बना ले। फिर इस पेस्ट को सिर में लगाएं। दालचीनी में शहद या फिर अदरक मिलाकर पीने से अर्थराइटिस का दर्द भी खत्म हो जाता है।
चुटकी भर दालचीनी पाउडर पानी में उबालकर, उसी में चुटकी भर काली मिर्च पाउडर और शहद डालकर लेने से सर्दी-जुकाम, गले की सूजन एवं मलेरिया कम हो जाता है।

सुबह खाली पेट दालचीनी खाने से पेट की समस्याओं में फायदा

 सुबह खाली पेट दालचीनी खाने से आपको पेट में जलन, ब्लोटिंग की समस्या और कब्ज में भी फायदा मिलता है। पेट में संक्रमण की समस्या में भी दालचीनी का सुबह खाली पेट सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। आप दालचीनी का सेवन पाउडर, दालचीनी के पानी या दालचीनी की चाय के रूप में कर सकते हैं।

दांत दर्द के लिए उपाय

मुंह के अंदर बैक्टीरिया के विकास से दांतों में पट्टिका और अन्य बीमारियों का निर्माण होता है। अगर नियमित रूप से लिया जाए तो दालचीनी में प्रचुर मात्रा में जीवाणुरोधी गुण होते हैं और दांतों को स्वस्थ रखते हैं।

कोलेस्ट्रोल बैलेंस करने में है मददगार

आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाने पर आप दालचीनी का सेवन कर सकते हैं. इससे ब्लड प्रेशर और सर्कुलेशन में सुधार होता है और आपके स्वास्थ्य को लाभ भी पहुंचता है.

आंखों  के लिए लाभदायक

 दालचीनी आंखों के लिए लाभदायक है। दालचीनी के फायदे आंख में सूजन और सूखी आंखों के लिए लाभदायक हैं।  सही मात्रा में दालचीनी का सेवन करने से आँख की समस्या से राहत मिलती है।

डायबिटीज और ब्लड शुगर

दालचीनी खाने के फायदे में डायबिटीज को नियंत्रित करना भी शामिल  है। मधुमेह के मरीज अगर दालचीनी को आहार में शामिल करें, तो मधुमेह को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। दरअसल, इसमें एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं। 

दालचीनी का उपयोग कैसे करें 

दालचीनी का सेवन करने का तरीका -खाद्य पदार्थों में दालचीनी का पाउडर डालकर
एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच दालचीनी का पाउडर उबालकर
एक चम्मच शहद में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर

दालचीनी के नुकसान

भोजन में दालचीनी का अधिक उपयोग पेट में जलन की वजह बन सकता है.
दालचीनी का अधिक सेवन महिलाओं को गर्भ संबंधी समस्या दे सकता है.
गर्भवती महिलाओं के साथ ही बच्चों को स्तनपान (Breastfeeding) कराने वाली महिलाओं को भी दालचीनी का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए.
दालचीनी उष्ण गुणधर्म की है, इसलिए गर्मी के दिनों में कम उपयोग करें।
दालचीनी से पित्त बढ़ सकता है।
किसी भी औषधि तत्व के उपयोग करने से पहिले चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित है 
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खाली पेट लहसुन खाने के फायदे,Lahsun khane ke fayde


                   सेहत का राज: लहसुन की 2 कलियां, फुर्ती और जोश का अनोखा मिश्रण!


मित्रों,घरेलु आयुर्वेद से चिकित्सा के विडियो प्रस्तुत करने की श्रुंखला में आज का टॉपिक है  "सेहत का राज: लहसुन की 2 कलियां, फुर्ती और जोश का अनोखा मिश्रण!"
 लहसुन जिसे आयुर्वेद में महाऔषधि कहा गया है. इसे पुराने समय से ही अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को हेल्दी रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. सुबह ब्रश करने के बाद खाली पेट एक कली कच्चा लहसुन खाने से शरीर को अनेक लाभ मिलते हैं. सुबह खाली पेट कच्चा लहसुन खाना आपके स्वास्थ्य के लिए एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय हो सकता है. इसके नियमित सेवन से शरीर को कई चमत्कारिक लाभ मिल सकते हैं, लेकिन इसे सही मात्रा और सही तरीके से सेवन करना जरूरी है. तो अब से आप भी इस चमत्कारी औषधि को अपनी रूटीन में शामिल करें और अद्भुत फायदों का आनंद लें.

खाली पेट लहसुन खाने के फायदे


उच्च रक्तचाप को कम करता है




लहसुन एक प्राकृतिक हर्बल घटक है , लहसुन तनाव के स्तर को कम करने के लिए एक प्रभावी दवा है , विशेष रूप से उच्च रक्तचाप के लक्षण में। एलिसिन, जो लहसुन का एक प्रमुख घटक है, ब्लड प्रेशर की वृद्धि की स्थिति में रक्त वाहिकाओं को आराम करने में मदद करता है। 

कैंसर को रोकता है

 शोध से पता चलता है कि प्रोस्टेट, एसोफैगल और कोलन कैंसर के खतरे को काफी हद तक खत्म करने के लिए लहसुन बेहद फायदेमंद है ।  स्तन के  कैंसर के  लिए जिम्मेदार स्तन में पुटी और ट्यूमर के विकास की संभावना को खत्म करने के लिए लहसुन भी व्यापक रूप से लोकप्रिय है

लहसुन से दांत दर्द में मिलती है राहत




अगर किसी के दांतों में दर्द हो तो उसके लिए लहसुन   रामबाण माना जाता है. इसमें कैल्शियम होने के साथ एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जिससे दांतों के दर्द से जल्द राहत मिल जाती है. इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए लहसुन की एक कली पीसकर दांत में दर्द वाली जगह पर लगा लें. ऐसा करने से आपको राहत मिल जाएगी.


सर्दी और खांसी के लिए उपचार



लहसुन, अपने कच्चे रूप में पुराने समय से ही आम सर्दी और खांसी के इलाज के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। 

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखता है

यौगिक एलिसिन की प्रचुर उपस्थिति के कारण, लहसुन हानिकारक एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को ऑक्सीकरण से बचाता है। यह  विषाक्त पदार्थों को शरीर से शुद्ध करता है, वसा के संचय को रोकता है और शरीर से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को समाप्त करता है।

इम्यूनिटी बढ़ाए- 

जब आप खाली पेट लहसुन खाते हैं तो रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. इस तरह आप रोगों से बचे रह सकते हैं. सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार या अन्य कोई इंफेक्शन से आप अक्सर परेशान रहते हैं तो इसकी वजह हो सकती है कमरोज इम्यूनिटी. लहसुन खाकर आप इम्यूनिटी  बूस्ट कर सकते हैं.

मधुमेह को रोककर रखता है





डायबिटीज शायद दुनिया में मौजूद बीमारियों में सबसे हानिकारक है तो इसके परिणामस्वरूप कई पुराने विकार हो सकते हैं, जैसे किडनी का खराब होना,  आंखों की रोशनी कमजोर होना, हृदय विकार आदि। लहसुन को आहार में उदारता से उपयोग करने की सलाह दी जाती है। 

हड्डियों की मजबूती

उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों की मोटाई कम होने लगती हैं और वे कमजोर हो जाती हैं। आयुर्वेद में कच्चे लहसुन का सेवन हड्डियों की मजबूती के लिए फायदेमंद माना गया है। लहसुन खाने से महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन में इजाफा होता है, जो हड्डियों की मजबूती में महत्वपूर्ण पाया गया है।

जोड़ों में दर्द





अगर आपको बार-बार जोड़ों में दर्द या मसल्स में दर्द होता है, तो यह शरीर में बढ़ रही इंफ्लामेशन का लक्षण होता है। लेकिन कच्चे लहसुन में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को खत्म करके दर्द से राहत देते हैं। वहीं, जाड़े में ठंड को दूर रखने के लिए भी लहसुन फायदेमंद होता है।

                                               वजन कम करने में मदद




लहसुन के सेवन से आपकी बढ़ती हुई भूख को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है। यह आपके शरीर की मेटाबोलिज्म को बढ़ावा देता है और आपको अधिक ऊर्जा देता है, जिससे आपके व्यायाम और वजन प्रबंधन में मदद मिल सकती है। लहसुन पाचन   सिस्टम को उत्तेजित करता है और पाचन जीवनुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करता है। इससे पाचन में सुधार होता है और पेट की तकलीफ के संभावना को कम किया जा सकता है।

फेफडे  से  संबंधित समस्याओं में लाभ पहुंचाए- 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब आप लहसुन खाते हैं तो यह टीबी, निमोनिया, ब्रोनकाइटिस, फेफड़ों में कंजेशन, अस्थमा, कफ आदि में लाभ पहुंचाता है. 

आंतों की बीमारियों को दूर करता है


पेचिश , कोलाइटिस , डायरिया आदि आंतों की स्थिति को रोकने और खत्म करने के लिए लहसुन एक प्रभावी तरीका है । यह एक निराविषकारी के रूप में काम करता है, जो आंत में मौजूद नकारात्मक बैक्टीरिया को खत्म करता है। यह पाचन में सहायता करते हुए और पाचन तंत्र के समुचित कार्य को बढ़ाते हुए शरीर से कीड़े को बाहर निकालता है।

कामेच्छा को बढ़ाता है

लहसुन को कामोत्तेजक गुणों के कारण यौन शक्ति बढ़ाने के लिए जाना जाताहै। यह व्यापक रूप से पुरुषों और महिलाओं दोनों में यौन कामेच्छा बढ़ाने के लिए जाना जाता है। यह तंत्रिका थकान को रोकने में मदद करता है जो एक अतिसक्रिय यौन जीवन शैली की स्थिति में हो सकता है।

                                                           हार्ट ब्लॉकेज से बचाता है




इसके अलावा, लहसुन को रक्त में प्लेटलेट्स के चिपकने को कम करने वाला माना जाता है। ये प्लेटलेट्स रक्त के थक्के बनाने के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। लहसुन की एक स्वस्थ खुराक का सेवन रक्त में मौजूद प्लेटलेट्स के बहुत अधिक थक्का बनने वाले प्रभाव को कम करने में मदद करता है।


पाचन में सुधार करता है

लहसुन का नियमित सेवन मानव शरीर को पाचन के एक स्थिर स्तर को बनाए रखने में सक्षम बनाता है।  पेट की सूजन, जलन, सूजन और ऐसे अन्य विकारों को लहसुन के उपयोग से सफलतापूर्वक समाप्त किया जा सकता है।

मुहांसों को रोकता है

दुनिया के हर दूसरे व्यक्ति को जीवन में किसी न किसी मोड़ पर मुंहासों से जूझना पड़ता है। लहसुन को मुंहासों के उपचार के लिए एक अत्यधिक प्रभावी माध्यम माना जाता है 

गर्मियों में खा सकते हैं लहसुन लेकिन

गर्मियों में लहसुन खाने में कोई परेशानी नहीं है लेकिन इसकी मात्रा कम कर देनी चाहिए. असल में लहसुन की तासीर गर्म होती है. ऐसे में ज्यादा मात्रा में लहसुन खाने से आपको एलर्जी या पेट से जुड़ी समस्या हो सकता है. इसमें एलिसिन नाम का तत्व पाया जाता है, जिसकी मात्रा ज्यादा होने से लिवर को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.
किसी भी पदार्थ का चिकित्सा मे प्रयोग करने से पूर्व आहार विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित है| यह विडिओ आपको कैसा लगा  लाइक करें कमेन्ट मे लिखें  धन्यवाद !


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6.4.24

यौन शक्ति बढ़ाने वाली गोरखमुंडी के और भी हैं कई चमत्कारी फायदे



मित्रों  घरेलू आयुर्वेद से रोगों की चिकित्सा के विडिओ की शृंखला मे आज का विषय है " यौन शक्ति बढ़ाने वाली गोरख मुंडी के  और भी हैं कई चमत्कारी फायदे "
गोरखमुंडी एक सुगंधित जड़ी बूटी  है जो पूरे भारत में पाई जाती है, लेकिन दक्षिणी भारत में यह प्रचुर मात्रा में पाई जाती है.
इस पौधे के पूरे हिस्से जैसे जड़, फूल और पत्तियां कई रोगों के इलाज के लिए फायदेमंद होते हैं
गोरखमुंडी के स्वास्थ्य  लाभ बताते हैं -


सर्दी-खांसी के लिए रामबाण उपाय

सर्दी, खांसी, जुकाम की समस्या के लिए गोरखमुंडी कारगर है. इसके लिए गोरखमुंडी के गोल फूल को अदरक, तुलसी, काली मिर्च को पानी में उबालकर दिन में दो बार सेवन करने से सर्दी-खांसी की समस्या दूर होती है. शरीर को आराम मिलता है.

                                             


सेक्सुअल क्षमता बढ़ाने के लिए

  गोरख मुंडी  के पौधों को छांव में सुखाकर बारीक पीस लें. अब इसमें मिश्री को पीसकर मिला लें. प्रतिदिन सुबह शाम एक छोटा चम्मच पाउडर को दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से कामेन्द्रिय की क्षमता बढ़ती है. इसके अलावा गोरखमुंडी के बीजों को सुखाकर पीस लें इसमें समान मात्रा में पीसा हुआ शक्कर मिलाकर प्रतिदिन दो से तीन ग्राम पानी के साथ पीएं. इससे सेक्सुअल स्टैमिना बढ़ता है.  गोरख मुंडी का सेवन शहद, दूध मट्ठे के साथ किया जा सकता है।

गोरख मुंडी के अद्भुत औषधीय गुण :

गोरख मुंडी का प्रयोग बवासीर में भी बहुत लाभदायक माना गया है। गोरख मुंडी की जड़ की छाल निकालकर उसे सुखाकर चूर्ण बनाकर हर रोज एक चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से मट्ठे का सेवन किया जाये तो बवासीर पूरी तरह समाप्त हो जाती है। 
  जड़ को सिल पर पीस कर उसे बवासीर के मस्सों में तथा कण्ठमाल की गाठों में लगाने से बहुत लाभ होता है। पेट के कीड़ों में भी इस की जड़ का पूर्ण प्रयोग किया जाता है, उससे निश्चित लाभ मिलता है।
गोरख मुंडी एक एसी औषधि है जो आंखो को शक्ति देती है।  आयुर्वेद मे गोरख मुंडी को रसायन कहा गया है। 

हृदय के लिए लाभकारी

गोरखमुंडी में मौजूद विशेष तत्व हार्टबीट को मजबूत करने और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं. गोरखमुंडी को पूरी तरह संपूर्ण पंचांग के रूप में जड़, फूल, तना को उबालकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से हृदय से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं.



गठिया के मरीजों के लिए

गठिया के मरीजों को 30 ग्राम गोरखमुंडी और 10 ग्राम कुटकी के पाउडर को मिलाकर एक शीशी में सुरक्षित रख लें. अब प्रतिदिन इसके दो ग्राम पाउडर को शहद में मिलाकर लेने से गठिया में राहत मिलती है.
*गोरख मुंडी का सुजाक, प्रमेह आदि धातु रोग में सर्वाधिक सफल प्रयोग किया गया है।

आंखों की रोशनी के लिए

गोरखमुंडी का उपयोग कान, नाक और गले के विकार तथा नेत्र विज्ञान के विभिन्न विकारों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके कुछ समय तक सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ सकती है. गोरखमुंडी के 3-4 ताजे फूल लें और इसे दो चम्मच तिल के तेल में मिलाएं. नियमित सेवन आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने में मदद करेगा. साथ ही आंखों की लालिमा से भी छुटकारा दिलाएगा.

किडनी के लाभकारी

गोरखमुंडी किडनी से जुड़ी बीमारी को दूर करने में सहायक है. इसमें शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने के खास गुण होते हैं. नियमित तौर पर दो कप पानी में गोरखमुंडी के जड़ और फूल को अच्छी तरह पानी में गर्म करना चाहिए. आधा कप बच जाने पर उसे छान कर सेवन करने से किडनी से जुड़ी बीमारी दूर होती है.

कुष्ठ रोग दूर करे

कुष्ठ रोग होने पर गोरख मुंडी का चूर्ण और नीम की छाल मिलाकर काढ़ा तैयार कीजिए, सुबह-शाम इस काढ़े का सेवन करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।

सांसों की बदबू से छुटकारा

सांसों की बदबू से छुटकारा पाने के लिए गोरखमुंडी का पाउडर सिरके के साथ लें. इसके लिए गोरखमुंडी पाउडर को सिरके में अच्छे से मिला लें और सुबह-शाम एक चुटकी लें.

पित्ताशय की पथरी को दूर करे

पथरी और पित्ताशय की पथरी को खत्म करने में गोरखमुंडी फायदेमंद है. गर्भाशय, योनि से संबंधित अन्य बीमारियों के लिए बहुत फायदेमंद औषधि है.

आंतों के कीड़े खत्म करने में

आंतों के कीड़ों को खत्म करने और बाहर निकालने में यह जड़ी-बूटी बड़े काम की साबित हो सकती है. यह पेट के कीड़ों को निकालने में भी मदद करती है. गोरखमुंडी की जड़ का पाउडर बनाकर दिन में एक बार आधा चम्मच सेवन करें.

पाइल्स के इलाज में

गोरखमुंडी का तना और जड़ लेकर इसे सुखा लें और इसका पाउडर बना लें. हर दिन मट्ठे के साथ एक चम्मच चूर्ण का सेवन करने से पाइल्स यानी बवासीर पूरी तरह समाप्त हो जाता है.

शुगर लेवल नियंत्रित करने में मददगार

गोरखमुंडी शुगर लेवल को कम करने में काफी प्रभावी माना जाता है. इसकी जड़ का चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ पीने से शुगर लेवल बैलेंस रहेगा. शुगर नहीं बढ़ेगी.


सावधानी -किसी भी औषधि तत्व के प्रयोग करने से पहिले चिकित्सा विशेषज्ञ  से परामर्श लेना उचित है| हमारे चैनल को suscribe करें |धन्यवादआभार !


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गर्मियों में cold drinks पीने से हो सकते हैं सेहत को खतरनाक नुकसान


 



गर्मियां शुरू होते ही कार्बोनेटेड ड्रिंक (Carbonated drinks) यानी कि सॉफ्ट ड्रिंक (soft drinks) की डिमांड भी तेजी से बढ़ना शुरू हो जाती है। अलग-अलग फ्लेवर में विभिन्न प्रकार के सॉफ्ट ड्रिंक्स बाजार में उपलब्ध हैं। यह लोगों को काफी ज्यादा पसंद होता है। गर्मियों में लोग इसे अपनी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बना लेते हैं और दिन में एक बार जरूर पीते हैं। बर्थडे पार्टी हो या ऑफिस पार्टी कार्बोनेटेड ड्रिंक्स न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। लोग जितना इसे पसंद करते हैं, उतना ही यह उनकी सेहत के लिए हानिकारक होता है। खासकर इसका सेवन पेट के लिए अधिक नुकसानदेह होता है (side effects of carbonated drinks)। ऐसे में इस गर्मी खुद को स्वस्थ रखने के लिए कार्बोनेटेड ड्रिंक्स से जितना हो सके उतना परहेज रखने की कोशिश करें।

कोल्ड ड्रिंक्स के नुकसान

दिल के मरीजों को

अगर आपको कभी हार्ट अटैक आया हो या फिर दिल से जुड़ी कोई भी बीमारी की दवा चल रही हो तो आपको कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि कोल्ड ड्रिंक कोलेस्ट्रोल बढ़ाने का काम करता है और ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है। साथ ही ये बीपी बढ़ाने का भी काम करता है इसलिए दिल के मरीजों को इसके सेवन से बचना चाहिए।

बच्चों को

बच्चों में आज कल मोटापा और डायबिटीज बेहद आम हो गया है। इसके पीछे एक बड़ा कारण है सॉफ्ट ड्रिंक्स और ऑयली फूड्स। ऐसे में बच्चों को कोल्ड ड्रिंक पीने को देना उनमें प्रीडायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है और मोटापा बढ़ने का कारण बन सकता है।

गैस्ट्रोइंटाइटिस के रोगियों को

डॉ. अमिताभ बताते हैं कि लोगों को लगता है कि कोल्ड डिंक्स एसिडिटी को कम करता है, जबकि ऐसा नहीं है उल्टा ये एसिडिटी को बढ़ा सकता है। पेट के पीएच को नुकसान पहुंचा सकता है और एसिडिक पीएच को बढ़ाता है। इसके अलावा आप जिन लोगों को लगातार पेट में दर्द, अल्स और अन्य प्रकार की पेट की समस्याएं होती हैं उन्हें कोल्ड डिंक्स या सॉफ्ट ड्रिंक पीने से बचना चाहिए। क्योंकि कोल्ड ड्रिंक पेट में सूजन बढ़ाता है और ब्लॉटिंग की समस्या पैदा करता है।

हाई बीपी के मरीजों को

जिन लोगों की हाई बीपी की शिकायत है उन्हें कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि कार्बोनेटेड ड्रिंक्स में हाई सोडियम होता है जो कि ब्लड प्रेशर बढ़ाने का काम करता है। इसके अलावा ये शरीर में प्यास कम करके पानी की कमीको बढ़ावा देता है, जिससे ब्लड वेसेल्स को नुकसान होता है और आपका ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। ऐसे में हाई बीपी के मरीजों को कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचना चाहिए।

डायबिटीज और अन्य मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है

कार्बोनेटेड ड्रिंक में रिफाइंड शुगर की मात्रा पाई जाती है। वहीं इसमें किसी प्रकार का पोषक तत्व मौजूद नहीं होता। ऐसे में एम्प्टी कैलरी कार्बोनेटेड ड्रिंक्स के सेवन से शरीर में ब्लड ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ता है। जिसके कारण आपको बार बार भूख लगती है और साथ ही थकान महसूस होता है। इसके नियमित सेवन से टाइप 2 डायबिटीज होने का जोखिम बढ़ जाता है।
किडनी की सेहत पर पड़ता है असर


अधिक मात्रा में सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन किडनी को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। यह बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करता है। ऐसे में इसके प्रभावित होने से शरीर में अन्य प्रकार की समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार किडनी आपके शरीर से एसिडिक ड्रिंक्स जैसे कि कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और सॉफ्ट ड्रिंक इत्यादि को फ्लश करता है। ऐसे में इन एसिडिक ड्रिंक्स की अधिकता किडनी स्टोन का कारण बन सकती है।

एसिडिटी और हार्टबर्न का कारण बन सकता है

कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन ब्लीचिंग का कारण बनता है। ऐसी स्थिति में खाने और पेट का एसिड फूड पाइप में वापस आ जाता है जिसकी वजह से हार्टबर्न और खट्टे डकार आने जैसी समस्याएं होती हैं। वहीं एसिड और सोडा पेट की लाइनिंग को इरिटेट कर देता है और एसिड रिफ्लक्स को बढ़ावा देता है।

दांतों को नुकसान पहुंचाता है

न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का नियमित सेवन दांतो की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। कैल्शियम और कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का इंटरेक्शन बिल्कुल भी उचित नहीं है। इसके साथ ही सॉफ्ट ड्रिंक्स में मौजूद एसिड की मात्रा इनेमल को कमजोर कर देती है और ऐसे में दांतों में सड़न आना शुरू हो जाता है।

नींद को प्रभावित करता है

सॉफ्ट ड्रिंक्स में मौजूद कैफीन काफी ज्यादा एडिक्टिव होती है। इसके साथ ही यह एड्रेनालाईन के उत्पादन को बढ़ा देती है। नियमित रूप से सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन आपकी नींद की गुणवत्ता को पूरी तरह से खराब कर देती है। इसकी वजह से शरीर में कई तरह की समस्याएं देखने को मिलती है। साथ ही ये डाइजेशन के लिए भी बिल्कुल उचित नहीं होता।

डिहाइड्रेशन का कारण बनता है

आमतौर पर गर्मी में कार्बोनेटेड ड्रिंक को लोग प्यास बुझाने के लिए पीते हैं। परंतु असल में इसका सेवन आपके शरीर को डिहाइड्रेटेड कर देता है। इसके सेवन से बार-बार बाथरूम जाने की आवश्यकता पड़ती है। वहीं पेशाब की अधिकता आपके लिए उचित नहीं है क्योंकि ये आपके शरीर से पानी को पूरी तरह बाहर निकाल देती है।
प्रीमेच्योर एजिंग का कारण बन सकता है
न्यूट्रीशनिस्ट के अनुसार इन ड्रिंक्स को बनाने में इस्तेमाल होने वाले फास्फेट और अन्य प्रोसेस फूड्स जैसे कि रिफाइंड शुगर एजिंग प्रोसेस को बढ़ावा देने का काम करते हैं। यह केवल रिंकल्स ही नहीं बल्कि त्वचा से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार होता है। इसके साथ ही इसके अधिक सेवन से किडनी और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
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उम्र ढलने पर भी यौवन का एहसास /जडी -बूटियों की रानी/शतावरी स्त्री -पुरुष दोनों के लिए रामबाण


 शतावरी गैस्ट्रिक समस्याओं, गठिया, बुखार, सिरदर्द और हार्मोनल असंतुलन को आसानी से ठीक कर सकती है। यह चिंता और तनाव को भी काफी हद तक कम कर सकता है। शतावरी के सबसे महत्वपूर्ण उपयोगों में से एक यह है कि यह नई माताओं में स्तन के दूध का उत्पादन करने में मदद करता है और मनोदशा और प्रजनन समस्याओं के साथ मदद करता है। नियमित रूप से शतावरी का सेवन करने से सांस की नली संबंधी समस्याएं भी ठीक हो सकती हैं। यह एक प्राकृतिक प्रतिजैविक है और मूत्रवर्धक के रूप में भी काम करता है।
शतावरी पुरुषों की बहुत सी समस्याओं को दूर करने में सहायक है। यह पुरुषों की यौन समस्याओं का उपचार करने वाली जड़ीबूटी है। शतावरी कोई दवा नहीं है लेकिन किसी दवा से कम भी नहीं है। पुरुषों को जाने अनजाने में ऐसी बीमारियां हो जाती है जिसका उन्हें पता भी नहीं चलता। तो अगर आप भी ऐसी किसी समस्या से पीड़ित है तो शतावरी का सेवन जरूर करें।
शतावरी के फायदे महिलाओं के लिए तो अनेक हैं। पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाले दर्द में शतावरी का उपयोग करने से बहुत फायदा मिलता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि शतावरी में पाया जाने वाला विटामिन 'के' पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में बहुत राहत पहुंचाता है। ये पीरियड्स की अनियमितता और उससे जुड़ी अनेकों तकलीफ़ों में लाभकारी है। यह महिलाओं की हार्मोन असंतुलन की समस्या में भी फायदेमंद है।
यदि कोई महिला गर्भवती है तो वो भी शतावरी के लाभ का फायदा उठा सकती है। गर्भवती महिलाएं शतावरी, सौंठ, अश्वगंधा, मुलेठी तथा भृंगराज को समान मात्रा में लें और इनका चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा को बकरी के दूध के साथ पीना चाहिए। ऐसा करने से गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ रहता है।
यदि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को स्तनों में दूध की कमी की शिकायत है तो ऐसी स्थिति में महिलाएं 10 ग्राम शतावरी चूर्ण का दूध के साथ सेवन करना चाहिए। इससे उनके स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। डिलीवरी के बाद भी शतावरी का सेवन महिलाओं की सेहत के लिए अच्छा है। इसी तरह शतावरी को गाय के दूध में पीसकर सेवन करना चाहिए। इससे स्तनों का दूध और भी पोष्टिक हो जाता है।शतावरी पुरुषों की बहुत सी समस्याओं को दूर करने में सहायक है। यह पुरुषों की यौन समस्याओं का उपचार करने वाली जड़ीबूटी है। शतावरी कोई दवा नहीं है लेकिन किसी दवा से कम भी नहीं है। पुरुषों को जाने अनजाने में ऐसी बीमारियां हो जाती है जिसका उन्हें पता भी नहीं चलता। तो अगर आप भी ऐसी किसी समस्या से पीड़ित है तो शतावरी का सेवन जरूर करें।


शतावरी महिलाओं के लिए

आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियां हैं जिनसे महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य का बेहतर किया जा सकता है लेकिन शतावरी का जवाब नहीं. शतावरी महिलाओं के लिए आयुर्वेद की क्वीन या रानी है. शतावरी महिलाओं के लिए सबसे बेस्ट हर्ब्स मानी जाती है. आयुर्वेद के मुताबिक शतावरी महिलाओं में इम्यूनिटी को बूस्ट करती है जिससे कई बीमारियां पास भी नहीं फटकती. वहीं यह नई बनी मां में दूध के प्रोडक्शन को बढ़ाती है और मेन्सट्रूअल फ्लो को नियंत्रित करने में मदद करती है. इतना ही नहीं, शतावरी महिलाओं में पीरियड्स से पहले पीएमएस के लक्षण को कम करती है और मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हॉट फ्लैशेज के जोखिम से बचाती है. महिलाओं के लिए इतना फायदेमंद होने के कारण यदि आप सोच रहे हैं कि इससे पुरुषों को कोई फायदा नहीं है तो आप गलत है. दरअसल, पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए भी शतावरी बेस्ट ऑप्शन है.
पीरियड्स के दौरान असुविधा पैदा करने वाली एसिडिटी से बचने के लिए शतावरी बहुत अच्छा घरेलु नुस्खा है। शतावार पेट दर्द को कम करने वाली एलिमेंट्री कैनाल में गैस बनने से रोकती है। इसके अलावा जिन महिलाओं को अल्सर या दस्त की समस्या है, वे इस जड़ी बूटी का सेवन कर सकती हैं। महिलाओं को दिन में दो बार 1-2 ग्राम शतावरी लेने की सलाह दी जाती है।

पुरुषों के लिए फायदे

 शतावरी पुरुषों में स्पर्म और सीमेन क्वालिटी और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाती है. जब भी कोई कपल फर्टिलिटी की शिकायत लेकर आय़ुर्वेदिक डॉक्टर के पास आते हैं तो सबसे पहले दोनों को शतावरी लेने की सलाह देते हैं.

डाइजेशन और मूड –

 शतावरी शरीर में एंडोर्फिन, सेरोटोनिन और डोपामाइन को रिलीज करती है. ये सभी हैप्पी हार्मोंस हैं. इनसे तनाव, चिंता और डिप्रेशन नहीं होता. शतावरी के सेवन से सुकून की नींद आती है. शतावरी को गट क्लीन्ज़र भी कहते हैं. यह आंतों को डिटॉक्सीफाई करती है और शरीर के पाचन एंजाइम्स की एक्टिविटी को बढ़ाती है. शतावरी को दूध में मिलाकर पीया जाता है.

. शारीरिक क्षमता बढ़ाए शतावरी

शतावरी के इस्तेमाल से पुरुषों की शारीरिक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। यह उनके यौन जीवन पर सकारात्मक असर डाल सकता है। रात में सोने से पहले हल्के गुनगुने दूध के साथ शतावरी का सेवन करने से मांसपेशियां मजबूत (shatavari for men) होती हैं। जो शारीरिक कमजोरी को दूर करने में प्रभावी होता है। ऐसे में आप नियमित रूप से शतावरी और दूध का सेवन कर सकते हैं

सांस की नली के लिए अच्छा है

अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो श्वसन संबंधी समस्याएं बहुत घातक हो सकती हैं। इससे सांस लेने में तकलीफ और श्वसनीशोध (ब्रोंकाइटिस) होता है। शतावरी के नियमित सेवन से श्वसन तंत्र की बीमारियों को कम करने में मदद मिल सकती है और यह अस्थमा रोगियों के मामलों में भी सहायक है।

तनाव और चिंता से छुटकारा दिलाता है

काम के दबाव, प्रदर्शन के दबाव, शिक्षा और मानसिक आघात के कारण तनाव हमारे जीवन का एक दैनिक हिस्सा बन गया है। हम आमतौर पर इसे नजरअंदाज करते हैं और अगली चीज जो हम जानते हैं, वह है, यह हमें कमतर आंकती है और खुशहाल जीवन जीने में मुश्किल बनाती है। प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की क्षमता के कारण शतावरी द्वारा तनाव को आसानी से कम किया जा सकता है। यह हमारे दिमाग और शरीर को रोजमर्रा की चुनौतियों से आराम और सामना करने में मदद करता है जिससे तनाव और चिंता हो सकती है।

स्तन के दूध उत्पादन में मदद करता है

युवा माताओं को आमतौर पर बहुत कम दूध उत्पादन के कारण अपने नवजात शिशुओं को स्तनपान कराना मुश्किल होता है। यह एनीमिया, निम्न रक्तचाप या तनाव जैसे कई कारणों से हो सकता है। प्रतिदिन शतावरी का सेवन दूध उत्पादन को सुगम और नियमित करने में मदद करता है। यह विधि नवजात शिशुओं के पोषण के लिए आदर्श है ताकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हो। साथ ही शतावरी एक प्राकृतिक जड़ी बूटी है इसलिए इससे बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता है।

सावधानी बरतें-

शतावरी के कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं जिनमें स्तन कोमलता शामिल हैं। यह आमतौर पर होता है क्योंकि इसमें एस्ट्रोजन के समान गुण होते हैं, इसलिए उच्च एस्ट्रोजन स्तर वाले किसी व्यक्ति को स्तन दर्द और कोमलता का सामना करना पड़ सकता है। यह एक महिला के लिए स्तन के आकार में भिन्नता पैदा कर सकता है जो उनके लिए आरामदायक नहीं हो सकता है।

शतावरी को ऐसे लोगों से बचना चाहिए जिन्हें किडनी या दिल की बीमारी है क्योंकि इसका सेवन घातक साबित हो सकता है। कुछ लोगों के लिए वजन बढ़ भी सकता है। हालाँकि किसी भी समस्या से बचने के लिए प्रमाणित और प्रामाणिक स्रोत से शतावरी खरीदना महत्वपूर्ण है।
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गर्मियों में खाएं तरबूज सेहत को होंगे जबर्दस्त फायदे ,Watermelon Benefit

                                          



गर्मी का मौसम चालू हो चुका है. इस मौसम में शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी होता है. भीषण गर्मी के दिनों में खान-पान का विशेष ध्यान देना होता है. इस मौसम में ऐसी चीजों का सेवन किया जाता है जिससे शरीर को भरपूर मात्रा में पानी और पोषक तत्व मिल सके. यही वजह है कि इस मौसम में तरबूज (Watermelon) खाने की सलाह दी जाती है. तरबूज गर्मियों के लिए रामबाण है. इसे खाने से शरीर हाइड्रेट रहने के साथ अन्य कई लाभ मिलते हैं. आइए आपको तरबूज से होने वाले फायदे बताते हैं.

वजन को कम करता है तरबूज

तरबूज में बहुत ही कम कैलोरी होती है, लेकिन ये बहुत ही लंबे समय तक आपके पेट को भरा हुआ महसूस कराता है. 100 ग्राम तरबूज में केवल 30 ग्राम कैलोरी ही होती है. इसमें करीब 1 मिलीग्राम सोडियम, कार्बोहाइड्रेट 8 ग्राम, फाइबर 0.4 ग्राम, शुगर 6 ग्राम, विटामिन ए 11 फीसदी, विटामिन सी 13 फीसदी, प्रोटीन 0.6 ग्राम पाया जाता है. ये सभी पोषक तत्व आपको हाइड्रेट रखने का काम करते हैं.

दिमाग को रखता है ठंडा

तरबूज की तासीर क्यूंकि ठंडी होती है. इसे खाने से आपका पेट तो ठंडा रहता ही है, आपका दिमाग भी शांत रहता है.अगर आप इसके बीज को पीस कर माथे पर लगाते हैं तो सिरदर्द भी ठीक हो जाता है.

त्वचा को हाइड्रेट करता है

तरबूज खाने से ये, तो आपने हजारों बार सुना होगा कि ये शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं तरबूज खाने से त्वचा को भी ताजगी का अहसास होता है। तरबूज त्वचा को अंदर से मॉइस्चराइज्ड रखता है और स्किन को हेल्दी बनाता है।

किडनी स्टोन में है फायदेमंद

जिन लोगों को किडनी में स्टोन की समस्या है तो उन्हें तरबूज खूब खाना चाहिए. तरबूज में पानी की ज्यादा मात्रा होती है और ये आपकी किडनी को भी डिटॉक्स करने में मदद करती है.

.हार्ट के लिए फायदेमंद:

हर्बेलिस्ट डॉ.दयाराम आलोक का कहना है कि तरबूज में इट्रालाइन नामक अमीनो एसिड से भरपूर होता है जो आपके शरीर में रक्त को स्थानांतरित करने में मदद करता है और रक्तचाप को कम कर सकता है. तरबूज़ के सेवन से या इसका जूस पीने से, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को बनने से रोका जा सकता है. तरबूज आपके दिल के दौरे के जोखिम को कम कर सकता है. बेशक, आपकी पूरी जीवनशैली आपके दिल के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है. इसलिए सुनिश्चित करें कि आप व्यायाम भी करें, धूम्रपान न करें और अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें.

आंखों के लिए जरूरी है तरबूज

विटामिन सी और विटामिन ए से भरपूर तरबूज आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है. इसके अलावा ये आपकी आंखों के लिए भी बहुत ही अच्छा होता है.

हाई ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोल

जिन लोगों को हाई बीपी की समस्या है, उन्हें तरबूज का सेवन जरूर ही करना चाहिए. तरबूज में बहुत कम मात्रा में सोडियम होता है और ये काफी ठंडा भी होता है.

सनबर्न से बचाव होता है

तरबूज खाने से सनबर्न से भी त्वचा का बचाव होता है। तरबूज में ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो सनबर्न और इरिटेशन को दूर करता है और त्वचा को ठंडक देता है। तरबूज का गूदा भी मुंहासों वाली त्वचा को आराम देता है और त्वचा के लालपन को कम करता है।

क्या हैं तरबूज की आयुर्वेदिक क्वालिटी?

जहां तक आयुर्वेदिक क्वालिटी का सवाल है तो तरबूज में खास क्वालिटी होती हैं जैसे -रस (स्वाद)- ये मीठा होता है।
वीराया - ये ठंडा होता है।
गुरू- ये डाइजेस्ट करने में थोड़ा हैवी होता है।
संथारपानो- ये शरीर के सभी टिशू को नॉरिशमेंट देता है।
बालया- ये ताकत में वृद्धि करता है।
वीराया विवर्धना- ये पौरुष शक्ति बढ़ा सकता है।
पुष्टि विवर्धना- ये पोषण के लिए बहुत अच्छा है।

तरबूज अपनी डाइट में शामिल करने के फायदे?

तरबूज को अपनी डाइट में शामिल करने का सबसे पहला फायदा ये है कि ये पित्त दोष को कम करता है और इसे बैलेंस करता है।
बहुत ज्यादा प्यास को बुझाता है।
थकान को कम करता है।
शरीर में अगर जलन या फिर गर्मी लग रही हो तो उसे कम करता है।
यूरीन पास करने में दिक्कत को कम करता है।
ब्लैडर इन्फेक्शन से लड़ सकता है।
ये सूजन और जलन को कम करता है।

तरबूज को खाने के नियम-

तरबूज को खाने के कई नियम होते हैं और अगर आप इन नियमों का ध्यान रखेंगे तो इसमें कोई भी दिक्कत नहीं होगी।सबसे पहला नियम तो ये है कि इसे बहुत ही ज्यादा ना खाएं। पर्याप्त मात्रा में खाना ही जरूरी है।
इसे अन्य मील्स के साथ ना खाएं। इसे जब भी खाएं सिर्फ तरबूज को ही खाएं।
इसे खाने का सबसे अच्छा समय सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक हो सकता है। इसे नाश्ते के तौर पर खाया जा सकता है या फिर नाश्ते और दोपहर के खाने के बीच खाया जा सकता है।
इसे ईवनिंग स्नैक्स के तौर पर भी खाया जा सकता है (लंच के बाद लेकिन शाम 5 बजे से पहले)
इसे रात में कभी ना खाएं या फिर खाने के साथ तरबूज कभी ना खाएं।
इसे एकदम मार्केट से लाकर तुरंत ना खाएं बल्कि थोड़ी देर पानी में डालकर रख दें।
ऐसे लोग जिन्हें डाइजेस्टिव समस्याएं होती हैं उनके लिए ये अच्छा नहीं होगा।
ऐसे लोग जिन्हें डायबिटीज की समस्या है उनके लिए भी ये अच्छा नहीं होगा।
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5.4.24

मालकाँगनी/ज्योतिष्मती पौधे के औषधीय गुण कर देंगे आपको हैरान:लाभ ,उपयोग और नुकसान





मित्रों घरेलू आयुर्वेद से चिकित्सा के विडिओ की शृंखला मे आज का विषय है "ज्योतिष्मती |मालकाँगनी/ज्योतिष्मती  पौधे के औषधीय गुण कर देंगे आपको हैरान "
  ऐसे कई औषधीय पौधे हैं जिनका उपयोग पारंपरिक रूप से आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता रहा है। उनमें से एक है मालकांगनी। आयुर्वेद में इसका विशेष स्थान है जिसे आयुर्वेद में ज्योतिष्मती और काला तेल कहा जाता है। यह एक औषधीय जड़ी बूटी है, जो सेलेस्ट्रेसी परिवार से संबंधित है  यह स्वाद में कड़वा होता है. इसके पत्ते गोल और पत्तों का किनारा कांटेदार होता है। मालकांगनी के फल गोल आकार के होते हैं। इसके कच्चे फल हरे रंग के होते हैं और पकने पर पीले दिखाई देते हैं। इसके बीज, फल, जड़, पत्तियां आदि का उपयोग आयुर्वेद में औषधि के रूप में किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार मालाकांगनी यानी ज्योतिष्मती के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसके फल का सेवन करने से व्यक्ति में बुद्धि का विकास होता है। यह पेट के कीड़ों को मारता है और गठिया के इलाज के लिए फायदेमंद है। सदियों से मलकांगनी का उपयोग मिर्गी और कुष्ठ रोग के इलाज में किया जाता रहा है। इसके अलावा यह सिरदर्द, पीलिया और मासिक धर्म जैसी समस्याओं से भी राहत दिलाता है। इन्हीं गुणों के कारण मालकांगनी को आयुर्वेदिक चिकित्सा में विशेष स्थान प्राप्त है।
भारत देश में सालों से आयुर्वेद का इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा के तौर पर किया जाता रहा है। इसके पीछे का कारण है यहां मौजूद अनगिनत जड़ी बूटियां, जिनका इस्तेमाल कई शारीरिक समस्याओं के इलाज के लिए फायदेमंद माना जाता है। मालकांगनी भी उन्हीं में से एक है।

सफेद दाग (त्वचा रोग) में लाभकारी



सफ़ेद दाग के उपचार में मालाकांगनी यानि ज्योतिष्मती का विशेष स्थान है। इसके लिए मालकांगनी और बाबची के बीज का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर एक बर्तन में रख लें। अब इस मिश्रण को रोजाना नियमित रूप से प्रभावित जगह पर लगाएं। ऐसा कुछ दिनों तक करने से सफेद दाग या अन्य त्वचा संबंधी विकारों में लाभ मिलता है।

मासिक धर्म संबंधी विकारों के लिए

मालकांगनी महिलाओं की मासिक धर्म संबंधी समस्याओं में लाभकारी है। इस पर किए गए शोध से पता चलता है कि मालकांगनी एक आग्नेय पदार्थ और प्रकृति में अर्तवजना है, जो मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित होती है। वहीं, मासिक धर्म को प्रेरित करने के लिए मालकांगनी की सूखी पत्तियों को घी में भूनकर कांजी के साथ पीसकर सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा मालकांगनी की जड़ों के सेवन से पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द भी कम हो जाता है। यह प्रजनन क्षमता को प्रेरित करने का भी काम करता है।

बालों के लिए फायदेमंद

मालकांगनी, जिसे  'जीवन का पेड़' भी कहा जाता है, एक बड़ी लकड़ी वाली चढ़ाई वाली झाड़ी है। इसका तेल बालों के लिए फायदेमंद है और इसे हेयर टॉनिक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। स्कैल्प पर मलकांगनी का इस्तेमाल बालों को स्वस्थ बनाता है और इसके एंटीफंगल गुण के कारण रूसी को कम करने में मदद करता है।
मालकांगनी के बीजों से बने तेल में मौजूद तत्व बालों को स्वस्थ रखने और उनसे जुड़ी समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। गुजरात में लोग बालों से जुड़ी समस्याओं के लिए ज्यादातर इस तेल का इस्तेमाल करते हैं। यह बालों को मुलायम और मजबूत बनाने का काम करता है।  

गठिया के उपचार में प्रभावी

गठिया के इलाज के लिए मालकांगनी या इससे बने तेल का उपयोग एक प्रभावी औषधि है। मलकांगनी में एंटी-आर्थराइटिस गुण पाए जाते हैं जो गठिया से राहत दिलाने का काम करते हैं। इसके लिए मालकांगनी का तेल दर्द वाले स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।

सूजन के लिए




मालकांगनी एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती है जो सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में सहायक होती है। इसके अलावा, मालकांगनी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव सूजन को कम करने या रोकने में भी सहायक होता है।

त्वचा के लिए फायदेमंद

स्वास्थ्य के अलावा मालकांगनी का उपयोग त्वचा के लिए भी किया जाता है।  त्वचा रोगों के लिए मालकांगनी के बीज का उपयोग फायदेमंद है। मालकांगनी तेल में एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों से बचाने वाले) और एंटी-एजिंग (उम्र बढ़ने की समस्या को दूर करने वाले) गुण होते हैं। इस तरह त्वचा से जुड़ी समस्याओं और बढ़ती उम्र के लक्षणों को दूर करने में मालकांगनी एक कारगर औषधि है।

पुरुष यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है




मालकांगनी एक बेहतरीन कामोद्दीपक है। यह पुरुषों में कामेच्छा को बढ़ाता है और सहनशक्ति में सुधार करता है। यह यौन रोग, शीघ्रपतन और शीघ्रपतन के उपचार में भी मदद करता है।

मालकांगनी तेल की मालिश के क्या फायदे हैं?

मालकांगनी तेल (ज्योतिष्मती तेल) की मालिश कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती है, जैसे कि जोड़ों के दर्द, सूजन और मांसपेशियों के दर्द से राहत, बालों के विकास में मदद, त्वचा रोगों के लक्षणों को कम करना, और ध्यान केंद्रित करने और याददाश्त को बेहतर बनाने में मदद करना.

दिमाग के लिए फायदेमंद ज्योतिष्मती 



मालकांगनी मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिए अच्छी है। इस पर किए गए शोध से पता चलता है कि मालकांगनी का उपयोग न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के इलाज और याददाश्त बढ़ाने के लिए सदियों से किया जाता रहा है। दरअसल, आयुर्वेद के अनुसार, मालकांगनी यानी ज्योतिष्मती में ज्योति का मतलब आत्मज्ञान और मति का मतलब मस्तिष्क की कार्यप्रणाली है। इसलिए, ज्योतिष्मती याददाश्त में सुधार करके स्मृति और एकाग्रता में सुधार करती है। इसका मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा मालकांगनी में शामक (दिमाग को शांत करने वाला गुण) पाया जाता है जो सिरदर्द, चिंता, तनाव और अवसाद को कम करता है। यही कारण है कि मालकांगनी की जड़ों या बीजों से बने काढ़े को मस्तिष्क टॉनिक के रूप में जाना जाता है।

आंखों के लिए फायदेमंद

बढ़ते स्क्रीन एक्सपोज़र के कारण आँखों में सूखापन और खुजली जैसी समस्याएँ आम हैं। इसके अलावा लोगों को कंप्यूटर विज़न सिंड्रोम जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में आंखों की सेहत के लिए मालकांगनी का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के अनुसार, मालकांगनी के तेल से पैरों के तलवों की मालिश करने से आंखों की समस्याएं ठीक हो जाती हैं।

सावधानी  बरतें 

मालकांगनी स्वभाव से गर्म (उष्ण) होती है जो विषाक्तता का कारण बन सकती है। इसलिए इसका सेवन ठंडे भोजन या गाय के दूध के साथ करें।
कुछ मामलों में इसके इस्तेमाल से सिरदर्द और बेचैनी भी हो सकती है.
मलकांगनी गर्भपात करा सकती  है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान इसके सेवन से बचें।
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