10.7.19

हरी सब्‍जी खाने के स्वास्थ्य लाभ


हरी सब्जियां खाने के कई फायदे हैं, हरी सब्जियां खाने के लाभ शायद ही किसी को पता न हों क्‍योंकि हरी सब्जियां खाने के फायदे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए किसी औषधी से कम नहीं होते हैं। हरी सब्‍जी खाने से क्‍या लाभ होते है, हरी सब्जियों के पोषक तत्‍व आदि की पूरी जानकारी लोगों को नहीं होती है। बस उन्‍हें यह पता होता है कि हरी सब्‍जी खाना उनके शरीर को स्‍वस्‍थ रखता है। हमारे शरीर को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए हरी सब्जियां का सेवन जरूरी है, हरी सब्जियां स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी गंभीर से गंभीर बीमारियों को दूर करने में सहायक होती हैं। हरी सब्‍जी खाने का फायदा कैंसर, हृदय रोग, कोलेस्ट्रॉल घटाने, मोटापा कम करने, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य जैसी समस्‍याओं को दूर करने में होते हैं।
हरी सब्‍जी खाने के फायदे न केवल स्‍वास्‍थ्‍य बल्कि बालों और त्‍वचा सौंदर्य के लिए भी होते हैं। आज इस आर्टिकल में हम हरी सब्जियां खाने के फायदे जानेगें। आइए जाने हरी सब्जियां किस प्रकार हमारे स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फायदेमंद होती हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां खाने के फायदे और हमें हरी सब्जियां क्यों खानी चाहिए?
हरी सब्‍जी खाने के फायदे हृदय के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए –
हरी सब्‍जीयों का नियमित रूप से सेवन करना हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत ही अच्‍छा होता है। हरी और गहरे रंग की पत्‍तेदार सब्जियों में ल्‍यूटिन और जेक्‍सैंथिन (Lutein and Zeaxanthin) होते हैं। ये घटक हृदय स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं। यदि आप भी हृदय संबंधी समस्‍याओं से परेशान हैं तो अपने नियमित आहार में हरी सब्जियों को विशेष रूप से शामिल करें।
सब्जियों के पोषक तत्‍व –
हम सभी जानते है कि अलग-अलग रंगों की सब्‍जी और फलों को अपने नियमित आहार में शामिल करना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अच्‍छा होता है। ल‍ेकिन अपने आहार में विशेष रूप से हरी सब्जियों को शामिल करना अधिक लाभकारी होता है। क्‍योंकि सभी प्रकार की हरी सब्जियों में विटामिन, प्रोटीन, खनिज पदार्थ, फाइबर आदि की उच्‍च मात्रा होती है। ग्रीन सब्जियों में ल्‍यूटिन और जेक्‍सैंथिन (Lutein and Zeaxanthin) जैसे घटक भी होते हैं। इसके अलावा इन सब्जियों में वसा आदि ना के बराबर होते हैं जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होता है। हरी सब्जियां कार्बोहाइड्रेट की भी अच्‍छी स्रोत मानी जाती हैं जो हमे ऊर्जा प्राप्‍त करने में सहायक होता है।
हरी सब्जियां खाने के लाभ कैंसर से बचने के लिए –
पोषक तत्‍वों की भरपूर मात्रा होने के साथ ही हरी सब्जियों में एंटीऑक्‍सीडेंट की उच्च मात्रा होती है। ये एंटीऑक्‍सीडेंट शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने और उन्‍हें नष्‍ट करने में सहायक होते हैं। यदि आप भविष्‍य में कैंसर जैसी गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं से बचना चाहते हैं तो अपने नियमित आहार में हरी सब्जियों को शामिल करें। नियमित रूप से हरी सब्जियों का सेवन स्‍तन और फेफड़े संबंधी कैंसर की रोकथाम करने में सहायक होते हैं।



टाइप २ डायबिटीज के मरीजों के लिए सहायक
अगर कोई टाइप २ डायबिटीज से ग्रसित है, तो उसके लिए हरी सब्जियां काफी फायदेमंद होती हैं क्योंकि इनमें मैग्नीशियम तो है ही, साथ में कार्बोहायड्रेट कम होता है।
हरी सब्जियों के गुण खनिज पदार्थ की कमी दूर करे
स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं अक्‍सर शरीर में विटामिन और खनिज पदार्थों की कमी के कारण होती हैं। लेकिन यदि आप हरी सब्जियों को अपने आहार में शामिल करते हैं तो इस प्रकार की समस्‍याओं से बचा जा सकता है। आप अपने शरीर में खनिज पदार्थों की कमी को दूर करने के लिए सभी प्रकार की हरी सब्जियों को अपने साप्‍ताहिक आहार का हिस्‍सा बना सकते हैं। क्‍योंकि हरी पत्‍तेदार सब्जियों में मैग्‍नीशियम, पोटेशियम, आयरन, फॉस्‍फोरस और कैल्शियम जैसे अन्‍य घटक होते हैं। मैग्‍नीशियम मांसपेशियों के स्वास्‍थ्‍य को बढ़ाने में अहम योगदान देता है।
हरी सब्जियों का उपयोग प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाये –
सभी प्रकार की हरी सब्जियों में प्रमुख घटक के रूप में एंटीऑक्‍सीडेंट उच्‍च मात्रा में होते हैं। ये एंटीऑक्‍सीडेंट हमारे शरीर की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव से बचाने में सहायक होते हैं। एंटीऑक्‍सीडेंट के अलावा हरी सब्जियों में विटामिन ए भी होता है जो शरीर के प्राकृतिक बचाव और त्‍वचा स्‍वास्‍थ्य के लिए लाभकारी होता है। हरी सब्जियों में विटामिन C और K भी अच्‍छी मात्रा में होते हैं जो हड्डियों के घनत्‍व और विकास दोनों में सहायक होते हैं। इस तरह से आप अपने शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने के लिए हरी सब्जियों को अपने नियमित आहार में शामिल कर सकते हैं।
हरी सब्जियां रखें आपकी हड्डियों को मजबूत
क्योंकि हरी सब्जियों में विटामिन के होता है, यह आपकी हड्डियों को भी मजबूत और स्वस्थ रखती हैं।
हरी सब्जियों के गुण चयापचय को बढ़ाये –
शरीर का स्‍वस्‍थ रहना आपके स्‍वस्‍थ्‍य चयापचय पर निर्भर करता है। हरी पत्‍तेदार सब्जियों में आयरन और फाइबर की उच्‍च मात्रा होती है। इसके अलावा हरी सब्जियों में ऐसे अन्‍य खनिज पदार्थ और घटक भी उच्‍च मात्रा में होते हैं जो हमारे चयापचय में सुधार करते हैं। इसके अलावा हरी सब्जियों में मौजूद आयरन विशेष रूप से हमारे शरीर में रक्‍त या लाल रक्‍त कोशिकाओं के उत्‍पादन को बढ़ाने में सहायक होता है। यदि आप भी अपने शरीर स्‍वस्‍थ्‍य रखना चाहते हैं तो अपने नियमित आहार में हारी सब्जियों को प्रमुख खाद्य पदार्थ के रूप में शामिल कर सकते हैं।
हरी सब्जी के लाभ पाचन के लिए –


पाचन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए हरी सब्जियां बहुत ही फायदेमंद होती हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि हरी सब्जियों में फाइबर की उच्‍च मात्रा होती है। हरी सब्जियों को फाइबर का सबसे अच्‍छा प्राकृतिक स्रोत माना जाता है। नियमित रूप से सेवन करने के दौरान हरी सब्जियों में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को स्‍वस्‍थ रखता है। इसके अलावा यह उस दर को धीमा करता है जिस पर आपका शरीर चीनी को अवशोषित करता है। इसके अलावा नियमित रूप से आहार के रूप में हरी सब्जियों का सेवन रक्‍त शर्करा के स्‍तर को भी नियंत्रित करता है।
ग्रीन वेजिटेबल्स के फायदे आंखों के लिए –
हरी सब्जियां आंखों के लिए फायदेमंद होती हैं। क्‍योंकि लगभग सभी प्रकार के पोषक तत्‍व, खनिज, विटामिन आदि की पर्याप्‍त मात्रा इनमें मौजूद रहती है। हम पहले ही जान चुके हैं कि अधिकांश हरी सब्जियों में ल्‍यूटिन और जेक्‍सैन्थिन (Lutein and zeaxanthin) की अच्‍छी मात्रा होती है। नियमित रूप से हरी सब्जियों का सेवन करना आपकी आंखों को स्‍वस्‍थ रखने का एक बेहतर विकल्‍प है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि हरी सब्जियों में एंटीऑक्‍सीडेंट, विटामिन ए और विटामिन सी की अच्‍छी मात्रा होती है। विटामिन ए आंखों के लिए बहुत ही आवश्‍यक घटक है। इसके अलावा विटामिन सी और अन्‍य एंटीऑक्‍सीडेंट हमारी आंखों को फ्री रेल्किल्‍स के प्रभाव से बचाने में सहायक होते हैं। इस तरह से आप अपनी आंखों को स्‍वस्‍थ रखने के लिए दैनिक आहार में नियमित रूप से हरी सब्जियों को शामिल कर सकते हैं।
हरी सब्जियों के औषधीय गुण वजन कम करे –
हरी सब्‍जी खाने के लाभ आपकी भूख को नियंत्रित कर सकते हैं। इसलिए बहुत से लोग वजन घटाने के उपाय के रूप में हरी सब्जियों का अधिक सेवन करने की सलाह देते हैं। हरी सब्जियों में मौजूद फाइबर की उच्‍च मात्रा पाचन प्रक्रिया को धीमा करती है जिससे आपको लंबे समय तक समान रूप से ऊर्जा की प्राप्ति होती रहती है। इसके अलावा फाइबर आपको लंबे समय तक पूर्णता का अनुभव कराता है जिससे आपको बार-बार भूख लगने या खाने की समस्‍या से छुटकारा मिल सकता है। हम सभी जानते हैं कि बार-बार भोजन करना या अधिक भोजन करना भी वजन बढ़ने का प्रमुख कारण होता है। इस तरह से आप अपनी भूख को नियंत्रित कर अपने बढ़ते वजन को रोक सकते हैं। हालांकि यदि आप वजन कम करने वाले अन्‍य उपाय अपना रहे हैं तब ऐसी स्थिति में हरी सब्जियों का सेवन आपको अतिरिक्‍त लाभ दिला सकता है।


हरी सब्‍जी खाने के लाभ तनाव दूर करे –
अधिक तनाव कई प्रकार की स्‍वास्थ्‍य समस्‍याओं का कारण बन सकता है। यदि आप तनाव प्रबंधन के प्रयास कर रहे हैं तो इसमें हरी सब्जियों के सेवन को भी शामिल करें। क्‍योंकि हरी सब्‍जी खाने के फायदे आपके तनाव को दूर करने और मूड में बदलाव करने में सहायक होते हैं। हरी पत्‍तेदार सब्जियों में फोलेट की उच्च मात्रा होती है। शरीर में फोलेट की उचित मात्रा सेरोटोनिन उत्‍पादन में योगदान देता है। जिससे आपके तनाव को कम करने में मदद मिलती है। यदि आप नियमित व्‍यायाम के साथ हरी सब्जियों को अपने दैनिक आहार में शामिल करते हैं तो आपको अतिरिक्‍त लाभ प्राप्‍त हो सकता है।
हरी सब्‍जी खाने के फायदे त्‍वचा के लिए –
त्‍वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा और संवेदनशील अंग है। अक्‍सर हम अपनी त्वचा संबंधी समस्‍याओं और सुंदरता बढ़ाने के लिए रासायनिक उत्‍पादों का उपयोग करते हैं। लेकिन आप अपनी त्वचा को स्‍वस्‍थ और सुंदर बनाने के लिए हरी सब्जियों का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। हम यह नहीं कहते कि आप सौंदर्य उत्‍पादों का उपयोग न करें। लेकिन अपने नियमित आहार में हरी सब्जियों को शामिल करें। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इनमें मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट आपकी त्‍वचा को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्‍टीरिया और फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव को कम करने में सक्षम होते हैं। आप अपनी त्वचा को प्राकृतिक सुरक्षा दिलाने के लिए और त्‍वचा को सूर्य की क्षति से बचाने के लिए हरी सब्जियों के सेवन को बढ़ा सकते हैं। हरी सब्जियों में मौजूद विटामिन सी, फोलिक एसिड और बीटा-कैरोटीन आपकी क्षतिग्रस्‍त त्‍वचा कोशिकाओं की मरम्‍मत करने में सहायक होते हैं।
हरी सब्जियों के लाभ हाइड्रेट रखें –
आप अपने शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए भी हरी सब्जियों का नियमित सेवन कर सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इन सब्जियों में पहले से ही पानी की भरपूर मात्रा होती है इसके अलावा इनमें फाइबर की मौजूदगी भी पानी की उचित मात्रा को बनाए रखने में सहायक होता है। हाइड्रेट रहने से आपकी त्वचा और बालों संबंधी परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है।
हरी सब्‍जी का उपयोग रक्‍तचाप के लिए –
नियमित रूप से हरी सब्‍जी और फलों का सेवन करने के फायदे उच्‍च रक्‍तचाप रोगी के लिए होते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि इन प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में पोटेशियम की उच्च मात्रा होती है। पोटेशियम शरीर में न केवल सोडियम के स्‍तर को संतुलित करता है बल्कि रक्‍त वाहिकाओं को भी स्‍वस्‍थ रखने में सहायक होता है। जिससे शरीर में स्‍वस्‍थ रक्‍त परिसंचरण को बढ़ावा मिलता है। इसके अलावा पोटेशियम रक्‍त प्रवाह में अवरूद्ध बनने वाले कोलेस्‍ट्रॉल को भी दूर करता है। इसलिए उच्‍च रक्‍तचाप रोगी को नियमित रूप से अपने आहार में हरी सब्जियों और ताजे फलों का सेवन करना चाहिए।
हरी सब्‍जी खाने से फायदा बालों के लिए –
आज अधिकांश लोग चाहे महिला हो या पुरुष बालों संबंधी समस्‍याओं से बहुत ही परेशान रहते हैं। जिसके कारण वे कई प्रकार के रासायनिक उत्पादों का उपयोग करते हैं जो उनके बालों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जबकि बालों सबंधी समस्‍याओं को दूर करने का सबसे अच्‍छा और प्राकृतिक तरीका हरी सब्जियों का नियमित सेवन है। हरी सब्जियों में विट‍ामिन A, विटामिन C, कैल्शियम और आयरन जैसे घटक अच्‍छी मात्रा में होते हैं। ये घटक सीबम उत्‍पादन में मदद करते हैं। सीबम मोम जैसा पदार्थ है जो सिर की ऊपरी त्‍वचा या स्‍कैल्‍प में जमा होता है। हमारे बालों के लिए सीबम बहुत ही फायदेमंद होता है। इसके अलावा कैल्शियम और आयरन बालों की जड़ों को मजबूत करने और उन्‍हें कमजोर होकर गिरने से रोकते हैं। इस तरह से आप अपने बालों को झड़ने से बचाने के लिए हरी सब्जियों का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।



हरी पत्तीदार सब्जियाँ प्रतिदिन वयस्क महिलाओं के लिए 100 ग्राम, वयस्क पुरुषों के लिए 40 ग्राम, स्कूल न जान वाले बालकों के लिए (4-6 वर्ष) 50 ग्राम और 10 वर्ष से अधिक उम्र वाले बालक-बालिकाओं के लिए 50 ग्राम प्रतिदिन आवश्यक है।
सावधानी -

ऐसा माना जाता है कि हरी पत्तीदार सब्जियों के सेवन से बच्चों में अतिसार हो सकता है। इसलिए अधिकांश माताएं अपने बच्चों को इस पोषक तत्व को देने से परहेज करती हैं। कई बैक्टीरिया, कीटाणु, कीट एवं अनचाही वस्तु हरी पत्तीदार सब्जियों को पानी एवं मिट्टी के द्वारा दूषित कर देते हैं और ठीक तरह से सफाई न किये जाने पर ये सब्जियां अतिसार का कारण बन सकती हैं। इसलिए सभी हरी पत्तीदार सब्जियों को दूषित होने से रोकने के लिए उन्हें अच्छी तरह से पानी से धोना चाहिए ताकि अतिसार से बचा जा सके।
हरी पत्तीदार सब्जियों को अच्छी तरह से मिलाकर, पका कर एवं छान कर ही बच्चों को परोसना चाहिए। हरी पत्तीदार सब्जियों के पोषण को बनाये रखने के लिए उन्हें अधिक पकाने से परहेज करना चाहिए। हरी पत्तीदार सब्जियों को पकाने के बाद उनसे निकलनेवाले पानी को फेंकना नहीं चाहिए। हरी पत्तीदार सब्जियों को पकाने में इस्तेमाल किये जानेवाले बर्तन को हमेशा ढ़ंक कर ही रखना चाहिए। पत्तों को सूर्य की रोशनी में न सूखायें, क्योंकि इससे केरोटिन नष्ट हो जाता है। साथ ही पत्तों को अधिक न भूनें फाइबर की उच्च मात्रा होने के कारण अधिक मात्रा में इन सब्जियों का सेवन करने से पेट संबंधी समस्‍याएं जैसे दस्‍त, अपच, बदहजमी और उल्‍टी आदि हो सकती हैं।
कुछ लोग कुछ विशेष प्रकार की सब्जियों के प्रति संवेदनशील होते हैं। ऐसे लोगों को कुछ प्रकार की सब्जियों का सेवन करने से एलर्जी आदि की समस्‍या हो सकती है। ऐसे लोगों को उन सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए।
हमेशा ताजी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। क्‍योंकि हरी सब्जियां जल्‍दी ही खराब हो जाती हैं इन सब्जियों का सेवन करने से आपको कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं।
उपयोग करने से पहले सभी प्रकार की सब्‍जीयों को अच्‍छी तरह से धो लेना चाहिए। क्‍योंकि इन सब्जियों में कीटनाशक का उपयोग किया जाता है जो आपके स्वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
हरी सब्जियों का सेवन करने के दौरान यदि किसी प्रकार की स्वास्‍थ्‍य समसया होती है तो आपको तुरंत ही डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।








3.7.19

लहसुन के गुण और नुस्खे /Garlic benefits





लहसुन एक ऐसी खाद्य सामाग्री है, जो कई सब्ज़ियों का ज़ायका बढ़ा देती है। लहसुन का तड़का बेजान से बेजान सब्ज़ी के स्वाद को कई गुणा बढ़ा देता है। लगभग हर रसोई में पाई जाने वाली ये खाद्य सामाग्री सिर्फ़ सब्ज़ियों का स्वाद ही नहीं बढ़ाती, बल्कि यह सेहत के लिए भी बहुत फ़ायदेमंद है। 

एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि जो पुरुष लहसुन खाते हैं महिलाएं उनकी तरफ़ अधिक आकर्षित होती हैं.
अध्ययन के अनुसार महिलाओं को उनके पसीने की गंध अच्छी लगती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि महिलाएं कुछ इस तरह से विकसित हो गई हैं कि अब उन्हें लहसुन खाने वाले अच्छे लगते हैं.
लहसुन में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं.
ऐसे में पुरुषों के पसीने से आने वाली लहसुन की गंध महिलाओं को उनके स्वस्थ होने का संकेत देती है.

*जो मर्द किसी कारणवश अपने प्राइवेट पार्ट में पूर्ण रूप से उत्थान को नहीं प्राप्त कर पाते उनके लिए कच्चा लहसुन वरदान माना जाता है. क्योंकि इसमें ऐफ्रोडिजिएक नामक कामोत्तेजक गुण पाया जाता है
सुबह खाली पेट अगर लहसुन की 2-4 कलियां चबाकर कमजोर मर्द खाएं तो प्राइवेट पार्ट के कार्पस कैवर्नोसा में रक्त का बहाव पूरा होता है और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या दूर हो जाती है.

लहसुन के औषधीय गुण 

एक समय था जब आज की तरह जगह-जगह दवा की दुकानें नहीं होती थीं। तब लहसुन का इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार के लिए भी होता था। लहसुन एंटी-वायरल, एंटी-फंगल, एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटी-बैक्टिरीयल गुणों से भरपूर होता है। इसमें एलीसीनऔर दूसरे सल्फ़र यौगिक मौजूद होते हैं। साथ ही लहसुन में एजोइन जैसा तत्व और एलीन जैसा यौगिक भी मौजूद होता है, जो लहसुन को और ज़्यादा असरदार औषधि बना देते हैं। हालांकि, इन तत्वों और यौगिकों की वजह से ही लहसुन का स्वाद कड़वा होता है। लेकिन, यही घटक लहसुन को संक्रमण दूर करने की क्षमता भी देते हैं।आइए अब एक-एक करके लहसुन के लाभकारी गुणों के बारे में जानते हैं:
लहसुन के फ़ायदे
सेहत/स्वास्थ्य के लिए लहसुन के फायदे –
डायबिटीज़ से लड़ने में मदद करता है लहसुन
हर रोज़ बदलती और असंतुलित जीवनशैली की वजह से कई लोग डायबिटीज़ यानी मधुमेह की बीमारी का शिकार हो रहे हैं। लेकिन काफ़ी कम ही लोग जानते हैं कि लहसुन का सेवन करने से डायबिटीज़ पर लगाम लगाई जा सकती है। आईआईसीटी (भारत) के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में चूहों को लहसुन खिलाया। इसके बाद चूहों के खून में ग्लूकोज़ और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में कमी पाई गई। इसके अलावा, चूहों के शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता में भी वृद्धि देखने को मिली । इसलिए, अगर आपको डायबिटीज़ का संदेह है या डायबिटीज़ है तो आप लहसुन का सेवन करें। यह शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित कर इंसुलिन की मात्रा बढ़ाता है।
इस्तेमाल का तरीका
हर रोज़ दो से तीन कच्ची लहसुन की कलियों का सेवन करें।
वज़न घटाने में मदद करता है लहसुन
आजकल हर किसी की व्यस्त दिनचर्या होती है। घर और काम के बीच तालमेल बनाने के चक्कर में लोग अपनी सेहत पर ज़्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं। खान-पान ठीक नहीं होने और नियमित रूप से व्यायाम न कर पाने की वजह से लोग मोटापे की बीमारी का शिकार भी होने लगे हैं।
हालांकि, कई बार लोग नियमित रूप से व्यायाम करने की और खान-पान में परहेज़ करने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे ज़्यादा दिनों तक ऐसा नहीं कर पाते हैं। ऐसे में लहसुन बढ़ते वज़न को रोकने में काफ़ी हद तक मददगार साबित हो सकता है। यह एडीपोजेनिक ऊत्तकों की अभिव्यक्ति को रोकने में मदद करता है, थर्मोजेनेसिस को बढ़ाता है और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। अपने इन अनोखे गुणों की वजह से लहसुन आपको मोटापे से राहत दिला सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप हर रोज़ खाली पेट कच्चे लहसुन की कुछ कलियों का सेवन कर सकते हैं। उसके कुछ देर बाद आप गुनगुने पानी में नींबू का शरबत बनाकर भी पी सकते हैं।
आप हर रोज़ सब्ज़ी या सूप में डालकर भी लहसुन खा सकते हैं।
गर्भावस्था में लहसुन के सेवन से होने वाले लाभ
गर्भावस्था के शुरुआती दौर में लहसुन को सीमित मात्रा में खाने में शामिल कर किया जा सकता है। इस समय लहसुन का प्रभाव भ्रूण पर कम पड़ता है । हालांकि, गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में लहसुन का प्रयोग थोड़ा सोच समझकर करना चाहिए। इस दौरान लहसुन का गलत प्रभाव पड़ने से खून का पतला होना, पेट खराब होना या लो ब्लड प्रेशर होने जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए, गर्भावस्था में लहसुन खाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।
रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है लहसुन
लहसुन में फाइटोन्यूट्रिएंट होते हैं, जो एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट होता है। एंटीऑक्सिडेंट हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं और शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं। दूसरे शब्दों में, एंटीऑक्सीडेंट आपको बीमार पड़ने से बचाते हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि लहसुन खाने से हमारे शरीर में कई तरह की प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है।
इस्तेमाल का तरीका
– रोगों से लड़ने की अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए हर रोज़ दो से तीन लहसुन की कलियों का सेवन करें।
लीवर को सेहतमंद रखता है लहसुन – Benefit of garlic for fatty liver
जिन लोगों को लीवर में सूजन की शिकायत होती है, उनके लिए एक सीमित मात्रा में लहसुन का सेवन करना उपयोगी साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि लहसुन में पाए जाने वाले एस-एलील्मर कैप्टोसाइटिस्टीन (एसएएमसी) हेपेटिक चोटों के उपचार में मददगार होते हैं। वहीं, लहसुन का तेल एंटीऑक्सीडेटिव गुणों से भरपूर होता है, जो लीवर की सूजन से बचाव करता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो एक या दो लहसुन की कलियों को बारीक काटकर पालक की स्मूदी में मिलाकर उसका सेवन कर सकते हैं।
गठिया में लहसुन खाने से मिलती है राहत
लहसुन हड्डियों के लिए भी काफी लाभदायक है। ऐसा पाया गया है कि लहसुन के सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस और गठिया जैसी हड्डियों की बीमारी से जूझ रहे रोगियों को काफ़ी राहत मिलती है। वैज्ञानिकों ने प्रयोगों के ज़रिए साबित किया है कि लहसुन अंडाइक्टोमी-प्रेरित हड्डी सोखन को दबाने में सक्षम है। इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि लहसुन डायलिल डाइसल्फाइड मैट्रिक्स को कम करने वाले एंज़ाइमों को दबाने में मदद करता है। इस तरह लहसुन हड्डियों को होने वाले नुकसान को भी रोकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप हर रोज़ एक या दो लहसुन की कलियों का सेवन कर सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम में मददगार है लहसुन
ज़्यादा तेल-घी वाले खान-पान की वजह से लोगों को कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या भी हो रही है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी एक जांच में पाया है कि पुराने लहसुन में के सेवन से शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (जो कि हानिकारक कोलेस्ट्रॉल होता है) के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, अभी तक लहसुन के इस गुण को लेकर वैज्ञानिकों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है।
इस्तेमाल का तरीका
– एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए आप हर रोज़ एक से दो लहसुन की कलियां खा सकते हैं।
किडनी संक्रमण को रोकता है लहसुन
लहसुन किडनी संक्रमण की रोकथाम में भी मदद करता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि लहसुन उस पी. एरुजिनोसा के विकास को रोकने में मदद कर सकता है, जो यूटीआई और गुर्दे के संक्रमण के लिए ज़िम्मेदार होता है।
इस्तेमाल का तरीका
– किडनी संक्रमण से बचाव के लिए हर रोज़ दो से तीन लहसुन की कलियों का सेवन करें।
लहसुन दिलाता है गैस और एसिडिटी से राहत – Benefit of garlic for gastritis
आजकल लोग गलत खान-पान के कारण एसिडिटी यागैस की समस्या के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में सब्ज़ी पकाते समय उसमें हल्का लहसुन डालें। इस तरह से पकाई गई सब्ज़ी खाने से आपको गैस ओर एसिडिटी से राहत मिल सकती है। हालांकि, अगर आपको ज़्यादा परेशानी है, तो लहसुन से परहेज़ करें।

कैंसर से बचाता है लहसुन
लहसुन में डायलिसिल्फ़ाइड मौजूद होता है, जो ऑक्सीडेटिव तनाव को रोकने में मदद करता है। लहसुन में मौजूद सेलेनियम कैंसर से लड़ने वाले गुणों के लिए जाना जाता है। साथ ही सेलेनियम डीएनए उत्परिवर्तन और अनियंत्रित सेल प्रसार और मेटास्टेसिस को भी रोकता है।
लहसुन ट्यूमर और पेट के कैंसर की आशंका को कुछ हद तक कम करता है।
इसलिए, अगर आप कैंसर के खतरे को कम करना चाहते हैं, तो स्वस्थ जीवन शैली के साथ लहसुन का नियमित सेवन करें।
इस्तेमाल का तरीका
– आप हर रोज़ कम से कम लहसुन की एक कच्ची कली का सेवन करें।
फ़ंगल संक्रमण से बचाता है लहसुन
लहसुन में एंटी-फ़ंगल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-पैरासिटिक गुण पाए जाते हैं, जो फ़ंगल संक्रमण, जैसे – दाद और कैंडिडा से लड़ने में हमारी मदद करते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
-आप फ़ंगल-संक्रमण से प्रभावित जगह पर लहसुन का तेल लगा सकते हैं। लेकिन, इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से भी परामर्श ज़रूर कर लें।
 दिल से जुड़ी बीमारियों से लड़ने में मददगार है लहसुन 
जैसा कि हम जानते हैं, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का हृदय संबंधी रोगों से सीधा रिश्ता होता है। ऐसे में लहसुन का सेवन हृदय संबंधी रोगों की रोकथाम में असरदार साबित हो सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– हर रोज़ कच्चे लहसुन की कलियां खाएं।
हाई ब्लड शुगर के स्तर को घटाता है लहसुन 
अगर आप हाई ब्लड शुगर की समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको अपने आहार में लहसुन को शामिल करना चाहिए। कुवैत के वैज्ञानिकों ने लैब में पशुओं पर कच्चे और उबले हुए लहसुन का प्रयोग करके पता लगाया है, कि कच्चे लहसुन में ब्लड शुगर के स्तर को कम करने की क्षमता होती है।
इस्तेमाल का तरीका
ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए रोज़ाना एक या दो लहसुन की कलियां खाएं।
सर्दी-ज़ुकाम से बचाता है लहसुन
मौसम में बदलाव की वजह से सर्दी-ज़ुकाम होना बहुत ही आम बात है। लेकिन, ज़रूरी नहीं कि इन बीमारियों के उपचार के लिए हर बार अंग्रेज़ी दवाओं का ही सेवन किया जाए। दरअसल, लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फ़ंगल और एंटी-ऑक्सिडेंट गुणों की भरमार होती है। इसमें एलियानेस (या एलियान) नामक एंजाइम मौजूद होता है, जो एलिसिन नामक सल्फ़र युक्त यौगिक में परिवर्तित होता है। यह यौगिक सफ़ेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाता है, जो सर्दी-ज़ुकाम के वायरस से लड़ने में मदद करता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो कच्चे लहसुन की कलियां खा सकते हैं।
– आप सूप में भी लहसुन डालकर पी सकते हैं।
– आप लहसुन की चाय भी पी सकते हैं।
– लहसुन की कुछ कलियों को आप घी में भूनकर भी खा सकते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है लहसुन
इन दिनों लोगों में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ लोग दवाओं का सहारा लेते हैं, तो कुछ लोग घरेलू नुस्खे अपनाते हैं। हाई ब्लड प्रेशर में घरेलू उपाय के तौर पर लहसुन का सेवन काफ़ी उपयोगी साबित हुआ है। दरअसल, लहसुन में बायोएक्टिव सल्फ़र यौगिक, एस-एललिस्सीस्टीन मौजूद होता है, जो ब्लड प्रेशर को 10 mmhg (सिस्टोलिक प्रेशर) और 8 mmhg (डायलोस्टिक प्रेशर) तक कम करता है। चूंकि सल्फर की कमी से भी हाई ब्ल्ड प्रेशर की समस्या होती है, इसलिए शरीर को ऑर्गनोसल्फर यौगिकों वाला पूरक आहार देने से ब्लड प्रेशर को स्थिर करने में मदद मिल सकती है।
इस्तेमाल का तरीका
-हर रोज़ कच्चे या सूखे लहसुन की कुछ कलियों का सेवन करें।
बुखार या ठंड लगने पर राहत देता है लहसुन
ठंड लगने पर या बुख़ार होने पर अगर लहसुन का उपयोग किया जाए,ये तो रोगी को बहुत हद तक राहत मिल सकती है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो दो-तीन लहसुन की कलियां खा सकते हैं। अगर कच्चा लहसुन खाना पसंद न हो, तो आप गर्म सरसों तेल में एक-दो लहसुन की कलियां डालकर उससे शरीर की मालिश कर सकते हैं।
गले की खराश से राहत देता है लहसुन
लहसुन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण गले में ख़राश जैसी परेशानी से हमारा बचाव करते हैं। लहसुन में एलीसिन नाम का ऑर्गनॉसुल्फ़र यौगिक भी होता है, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। हालांकि, यह साबित करना मुश्किल है कि लहसुन गले में खराश की परेशानी को पूरी तरह से ठीक कर सकता है या नहीं।
इस्तेमाल का तरीका
– जब भी गले में खराश जैसा महसूस हो, तो सरसों तेल में एक या दो लहसुन की कलियां डालकर उसे गुनगुना होने तक गर्म करें। इसके बाद गुनगुने तेल को हल्का-हल्का गले के आस-पास लगाएं। तकलीफ़ अगर ज़्यादा बढ़े तो डॉक्टर से संपर्क करें।
दमा में राहत देता है लहसुन
अस्थमा यानी दमा के मरीज़ों के लिए भी लहसुन काफ़ी लाभकारी है। सरसों के तेल में लहसुन पकाकर उस तेल से अगर नाक, गले और फेफड़ों के पास मालिश की जाए, तो यह छाती में जमे कफ़ से निजात दिला सकता है। वैज्ञानिकों को इस बात के सबूत भी मिले हैं कि लहसुन अस्थमा से होने वाले दुष्प्रभावों को कम कर सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप चाहें तो एक या दो लहसुन की कलियां खा सकते हैं या लहसुन और सरसों का तेल लगा सकते हैं। हालांकि, एक बार अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह ज़रूर लें।
 कान दर्द होने पर राहत देता है लहसुन
कान में होने वाले हल्के संक्रमण या दर्द में भी लहसुन फ़ायदेमंद होता है। लहसुन में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटीफ़ंगल और एंटीवायरल गुण कान के दर्द या संक्रमण से राहत दिलाते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
आप चाहें तो लहसुन का तेल कान में लगा सकते हैं। ये तेल बाज़ार में उपलब्ध होता है। इसके अलावा, आप घर पर भी लहसुन का तेल बना सकते हैं।
योनि संक्रमण से छुटकारा दिलाता है लहसुन
अक्सर महिलाएं योनि संक्रमण जैसी समस्या के बारे में सबके साथ चर्चा नहीं कर पाती हैं। इस वजह से कई बार यह समस्या गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। जबकि, घर में मौजूद रहने वाले लहसुन के ज़रिए इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। जी हां, वैज्ञानिकों ने पाया है कि लहसुन कैंडिडा नामक संक्रमण की रोकथाम करने में काफ़ी असरदार होता है।
इस्तेमाल का तरीका
सीमित मात्रा में लहसुन का सेवन करके योनि के संक्रमण से छुटकारा पाया जा सकता है। हालांकि, एक बार डॉक्टर से भी इस बारे में बात ज़रूर करें क्योंकि हर किसी की शारीरिक क्रिया थोड़ी अलग होती है। इसके अलावा, लहसुन को सीधे प्रभावित जगह पर न लगाएं।
छाले या फोड़े को ठीक करने में मदद करता है लहसुन
लहसुन में एलिन, एलिसिन और एजोइन जैसे सल्फ़र यौगिक मौजूद होते हैं, जो छाले या फोड़े को ठीक होने में मदद करते हैं। साथ ही लहसुन में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं, जो बैक्टीरिया को मारते हैं और छाले या फोड़े को बढ़ने से रोकते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
– अगर आपको साबूत लहसुन खाना पसंद नहीं, तो आधा चम्मच से भी कम लहसुन का पेस्ट या एक लहसुन की कली को बारीक़ काटकर खाने में उपयोग करें।
झुर्रियों को कम करता है लहसुन
कई बार लोगों की त्वचा पर समय से पहले झुर्रियां नज़र आने लगती हैं।दरअसल, ऐसा गलत खान-पान, तनाव, सूर्य की हानिकारक किरणों और बदलती जीवनशैली की वजह से होता है। ऐसे में अगर लहसुन का सेवन किया जाए, तो समय से पहले चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों से बचा जा सकता है। लहसुन में एस-एलिल सिस्टीन पाया जाता है जो त्वचा को सूर्य की हानिकारक किरणों और झुर्रियों से बचाने में मदद करता है। लहसुन में एंटीऑक्सिडेंट और एंटीइंफ्लैमटोरी गुण भी होते हैं, जो झुर्रियां कम करने में मदद करते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
– सुबह नींबू और शहद के साथ लहसुन की एक कली खाएं। अगर इनमें से किसी चीज़ से आपको एलर्जी हो तो, इन्हें खाने से पहले एक बार डॉक्टर से ज़रूर संपर्क करें।
 दांत दर्द से निजात दिलाता है लहसुन
वज्ञानिकों का मानना है कि लहसुन को माउथवॉश के तौर पर इस्तेमाल करना काफ़ी लाभदायक हो सकता है। इसके अलावा, ऐसे टूथपेस्ट या माउथवॉश का इस्तेमाल करना भी अच्छा होता है, जिसमें लहसुन के गुण मौजूद हो।
इस्तेमाल का तरीका
– अगर आपको दांत दर्द की शिकायत है, तो हर रोज़ एक कच्चे लहसुन की कली चबाएं। इसके अलावा, आप एक लहसुन की कली में सेंधा नमक लगाकर दर्द वाले दांत पर लगाएं। इससे आपको दांत के दर्द से आराम मिलेगा।
सोरायसिस की रोकथाम में कारगर है लहसुन
सोरायसिस एक प्रकार का त्वचा रोग है, जिसमें खुजली होने लगती है और त्वचा लाल हो जाती है। यह बीमारी ज़्यादातर सिर की त्वचा, कोहनी और घुटनों को प्रभावित करती है। इस बीमारी का कोई इलाज तो नहीं है, लेकिन लहसुन खाने से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। लहसुन में डायलिल सल्फ़ाइड और एजेन जैसे यौगिक होते हैं। ये यौगिक न्यूक्लिअर ट्रांसमिशन कारक कप्पा बी (जिसकी वजह से सोरायसिस होता है) को निष्क्रिय कर देते हैं।
इस्तेमाल का तरीका
दो से तीन लहसुन की कलियों को हरे प्याज़, ब्रोकली और चुकंदर के रस के साथ मिलाकर उसका सेवन करें। लेकिन, अगर आपको इनमें से किसी भी चीज़ से एलर्जी है, तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।
 खुजली से राहत देता है लहसुन
खुजली जैसी त्वचा संबंधी परेशानी किसी चीज़ से एलर्जी के कारण होती है। ऐसे में खुजली से राहत पाने के लिए लहसुन खाना उपयोगी हो सकता है। हालांकि, इसका कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। दरअसल, खुजली से राहत दिलाने के मामले में लहसुन की सफलता या असफलता रोगी के शरीर पर निर्भर करती है। किसी व्यक्ति को अगर लहसुन से एलर्जी है, तो यह एक्ज़िमा को बढ़ा सकता है। लेकिन जिनको लहसुन से कोई एलर्जी नहीं है, उनके लिए लहसुन का सेवन फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– शुरुआत में हर रोज़ पानी के साथ एक या दो लहसुन की कलियों का सेवन करें। 
त्वचा की खूबसूरती बढ़ाता है लहसुन
सिर्फ़ सेहत ही नहीं, बल्कि आजकल अच्छा दिखना और त्वचा का सही तरीक़े से ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी है। इस काम में भी लहसुन आपकी मदद कर सकता है।
मुंहासे और पिंपल से छुटकारा दिलाता है लहसुन
शरीर में विषाक्त पदार्थों के जमा होने से या फिर किसी संक्रमण की वजह से कील-मुंहासे हो सकते हैं। ऐसे में लहसुन का नियमित सेवन कील-मुंहासों से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
– आप ठंडे पानी के साथ एक लहसुन की कली का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा खूब पानी पिएं ताकि आपके शरीर में पानी की सही मात्रा बनी रहे।
दाद में राहत देता है लहसुन
जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं, लहसुन में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। ये गुण किसी भी तरह के संक्रमण से शरीर को बचा सकते हैं। इसलिए, जिस व्यक्ति को दाद की बीमारी होती है, उसे अपने भोजन में हल्की मात्रा में लहसुन को शामिल करने की राय दी जाती है। हालांकि, लहसुन दाद की बीमारी से पूरी तरह छुटकारा नहीं दिला सकता। लेकिन, यह दाद की वजह से होने वाली खुजली से राहत दिला सकता है।
इस्तेमाल का तरीका
आप अपने भोजन में एक निश्चित मात्रा में लहसुन को शामिल कर सकते हैं।
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    ग्लोइंग स्किन पाने के लिए शहद के नुस्खे//glowing skin

                                                       




    गोरी और चमकती त्वचा पाना कठिन काम लग सकता है। प्रदूषण, खाने की खराब आदतें और हमारी त्वचा पर कहर बरपाने वाले इन रसायनों के साथ, गोरी चमकती त्वचा को प्राप्त करना लगभग असंभव सा लगता है। लेकिन क्या होगा अगर आपको गोरी और चमकती त्वचा पाने का घरेलू नुस्खा मिल जाये? ब्यूटी प्रोडक्ट पुराने जमाने के घरेलू उपचार की उपयोगिता, सरलता और दक्षता को हरा नहीं सकता है। ग्लोइंग स्किन के लिए शहद का इस्तेमाल एक ऐसा ही घरेलू उपाय है। इस लेख मैं ग्लोइंग स्किन के लिए 11 सरल घरेलू शहद उपचारों की एक सूची दी गयी है। लेकिन पहले, आइए देखें कि शहद आपकी त्वचा की मदद कैसे कर सकती है।

    शहद और हल्दी का फेस पैक फॉर ग्लोइंग स्किन
    त्‍वचा को गोरा बनाने और अन्‍य त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने के लिए शहद और हल्‍दी का फेस पैक उपयोग किया जा सकता है। हल्‍दी में करक्‍यूमिन (curcumin) नामक एक सक्रिय घटक होता है जिसमें शक्तिशाली एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं। जिसके कारण शहद और हल्‍दी का फेस पैक त्‍वचा में जलन, सूजन और त्‍वचा की खुजलीजैसी समस्‍याओं का इलाज कर सकता है। इसके अलावा इस मिश्रण में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव को कम करने में भी सहायक होते हैं। जिससे आपकी त्‍वचा को प्राकृतिक रंग प्राप्‍त करने में मदद मिलती है।
    शहद और हल्‍दी का फेस पैक बनाने के लिए आपको 1 चम्‍मच हल्‍दी पाउउर, 1 चम्‍मच शहद और 1 चम्‍मच दही की आवश्यकता होती है।
    हनी एंड टरमेरिक फेस पैक बनाने की विधि –
    आप ऊपर बताए गए सभी मिश्रणों को एक कटोरी में लें और एक अच्‍छा पेस्‍ट तैयार करें। इस मिश्रण को उपयोग करने से पहले अपने चेहरे को अच्‍छी तरह से साफ करें। फिर इस फेस पैक को अपने चेहरे और गर्दन में समान रूप से लगाएं। लगभग 20 मिनिट या फेस पैक के सूखने तक रूकें। इसके बाद हल्के गर्म या गुनगुने पानी से अपने चेहरे को धो लें। त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं को दूर करने के लिए आप इस फेस पैक को सप्‍ताह में 1 से 2 बार उपयोग कर सकते हैं।
    चेहरे पर शहद लगाने से क्‍या होता है
    चेहरे पर शहद लगाना त्‍वचा को स्‍वस्‍थ और सुंदर बनाने का सबसे अच्‍छा तरीका है। शहद आपकी त्‍वचा को गोरा और चमकदार बनाने के अलावा भी कई लाभ दिलाता है। चेहरे पर शहद लगाने से इसमें मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट त्‍वचा कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव से बचाते हैं। जो समय से पहले बुढ़ापे का कारण होते हैं। इसके अलावा शहद के फायदे त्‍वचा को मॉइस्‍चराइज करने, मुंहासों का इलाज करने में प्रभावी योगदान देते हैं। यदि आप अपने चेहरे को दाग-धब्‍बों मुक्त बनाना चाहते हैं तब भी शहद का उपयोग किया जा सकता है। शहद के औषधीय गुण त्वचा में मौजूद ब्‍लैकहेड को कम करते हैं।
    यदि आपकी त्वचा में कसी प्रकार के घाव, मुंहासे या खरोंच आदि है तब भी शहद के लाभ इन समस्‍याओं को दूर करने में मदद करते हैं। अपन चेहरे की त्‍वचा पर शहद लगाने से आप लगभग सभी स्किन प्रोब्‍लम को दूर कर सकते हैं।
    शहद और दालचीनी फेस पैक फॉर फेयर स्किन
    दालचीनी एक औषधीय और बहुमुखी गुणों वाला घटक है। यह पाचन, महिला स्‍वास्‍थ्‍य और श्वसन संबंधी समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी होता है। लेकिन शहद के साथ दालचीनी के मिश्रण से बना फेस पैक त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं को भी दूर कर सकता है। क्‍योंकि इन दोनों घटकों में एंटीऑक्‍सीडेंट की उच्‍च मात्रा होती है। जो आपकी त्‍वचा की सुरक्षा में सहायक हो सकती है।
    शहद और दालचीनी फेस पैक बनाने के लिए आपको 3 चम्‍मच शहद और 1 चम्‍मच दालचीनी पाउडर की आवश्‍यकता होती है।
    हनी और दालचीनी फेस मास्‍क बनाने की विधि –
    इन दोनों अवयवों को अच्‍छी तरह से मिलाएं और एक पेस्‍ट बनाएं। इस पेस्‍ट को लगभग 3 मिनिट तक गुनगुना होने तक गर्म करें। इस पेस्‍ट को आप अपनी साफ त्‍वचा में समान रूप से लगाएं। फेस पैक लगाने के लगभग 10 मिनिट के बाद अपने चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। आप सामान्‍य रूप से इस फेस पैक का उपयोग सप्‍ताह में 1 से 2 बार करना फायदेमंद होता है।
    खूबसूरत त्वचा के लिए शहद और जैतून का तेल
    जैतून के तेल में प्राकृतिक मॉइस्‍चराइजिंग गुण होते हैं। इसके अलावा यह त्‍वचा छिद्रों प्राकृतिक तेल की उच्‍च मात्रा, गंदगी और बैक्‍टीरिया आदि को भी हटाने में सहायक होता है। जिससे मुंहासे और अन्‍य त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है। साथ ही शहद और जैतून के तेल का मिश्रण त्‍वचा को हाइड्रेट रखने में सहायक होता है।
    शहद और जैतून तेल से फेस पैक तैयार करने के लिए आपको 2 चम्‍मच शहद और 1 चम्‍मच जैतून का तेल चाहिए।
    हनी एंड ऑलिव ऑयल फेस पैक बनाने की विधि –
    शहद और जैतून तेल को कटोरी में लें और अच्‍छी तरह से मिलाते हुए एक पेस्‍ट तैयार करें। इस पेस्‍ट को मध्‍यम आंच में हल्‍का गुनगुना होने तक गर्म करें। फिर इस मिश्रण को अपने चेहरे की त्‍वचा में समान रूप से लगाएं। जब यह फेस मॉस्क सूखने लगे तब आप गुनगुने पानी से अपने चेहरे को अच्‍छी तरह से साफ कर लें। इस इस फेस पैक को नियमित रूप से सप्‍ताह मे 2 बार उपयोग किया जा सकता है।
    शहद और दूध का फेस पैक फॉर फेयर स्किन
    दूध में लैक्टिक एसिड (lactic acid) होता है जो त्‍वचा को एक्‍सफोलिएट करने में सहायक होता है। इसके अलावा दूध के औषधीय गुण संवेदनशील त्वचा और मुंहासे आदि का उपचार करने का उत्‍कृष्‍ट विकल्‍प है। इसके अलावा दूधऔर शहद का मिश्रण त्वचा को हाइड्रेट करने और त्‍वचा छिद्रों को कसने में भी सहायक होता है। इसके अलावा इस फेस पैक में सेब के सिरका का भी उपयोग किया जाता है जो त्‍वचा समस्‍याओं को दूर करने में प्रभावी माना जाता है।शहद और दूध फेस पैक बनाने के लिए आपको 1 बड़ा चम्‍मच दूध या दूध पाउडर, 2 चम्‍मच सेब का सिरका और 1 चम्‍मच शहद की आवश्‍यकता होती है।
    हनी एंड मिल्‍क फेस पैक बनाने की विधि –
    आप इन सभी उत्‍पादों को कटोरी में लें और अच्‍छी तरह से मिलाएं। आप अपने चेहरे को अच्‍छी तरह से धोने और सुखाने के बाद इस मिश्रण को फेस मास्‍क के रूप में लगाएं। लगभग 15 से 20 मिनिट के बाद अपनी उंगलियों को पानी में गीला करें और फिर अपने चेहरे को हल्‍के हाथों से रगड़ते हुए साफ करें। इसके बाद ठंडे पानी से अपने चेहरे को अच्‍छी तरह से धो लें। त्‍वचा को स्‍वस्‍थ रखने और उचित लाभ प्राप्‍त करने के लिए इस उपाय को सप्‍ताह में 1 बार जरूर उपयोग करें।
    शहद और टमाटर ग्‍लोइंग स्किन के लिए
    अपने चेहरे पर ग्‍लो बढ़ाने के लिए शहद के साथ टमाटर का इस्‍तेमाल अच्‍छा माना जाता है। टमाटर और शहद का उचित मिश्रण आपकी त्‍वचा को गोरा और चमकदार बनाने में प्रभावी होता है। इन दोनों ही उतपादों में ब्‍लीचिंग गुण होते हैं जो सनटैन, सांवलापन और त्‍वचा के धब्‍बों को दूर करने में मदद करते हैं। टमाटर में लाइकोपीन (lycopene) नामक सक्रिय घटक होता है जो एक एंटीऑक्‍सीडेंट है। यह त्‍वचा कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्‍स के प्रभाव से बचाता है। ये फ्री रेडिकल्‍स समय से पहले आने वाले बुढ़ापे का प्रमुख कारण होते हैं। इन सभी समस्‍याओं से बचने के लिए आप टमाटर और शहद से बने फेस पैक का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।
    शहद और टमार फेस पैक के लिए सामग्री में आपको आधा मध्‍ययम आकार का पका हुआ टमाटर, 1 बड़ा चम्‍मच शहद और तौलिया चाहिए।
    गोरी स्किन पाने के लिए दही और शहद का फेस पैक
    दही में लैक्टिक एसिड की अच्‍छी मात्रा होती है जो आपकी त्‍वचा को एक्‍सफोलिएट (exfoliate) करने में मदद करता है। इसके अलावा यह आपकी त्‍वचा को वसा, प्रोटीन, विटामिन और खनिजों आदि की आपूर्ति भी करता है। जिससे त्‍वचा स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा मिलता है। शहद के साथ दही का उपयोग त्‍वचा कोशिकाओं की क्षति को कम करता है और त्‍वचा की टोन को सुधारता है।
    इस फेस पैक को बनाने के लिए आपको 2 चम्‍मच दही और 1 चम्‍मच शहद चाहिए।
    दही और शहद का फेस पैक बनाने की विधि –
    एक कटोरी में दही और शहद को आपस में अच्‍छी तरह से मिलाएं। इस मिश्रण को चेहरे पर लगाने से पहले अपने चेहरे को धो लें फिर इस फेस पैक को लगाएं। लगभग 15 से 20 मिनिट के बाद आप अपने चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें। उचित लाभ प्राप्‍त करने के लिए सप्‍ताह में 2 बार तक इस फेस पैक का उपयोग किया जा सकता है।
    शहद और नींबू लगाने के फायदे गोरी त्‍वचा के लिए –
    नींबू का रस प्राकृतिक शुगर और फ्रुट एसिड का अच्‍छा स्रोत होता है। इसके अलावा इसमें विटामिन सी और अन्‍य पोषक तत्‍वों की अच्‍छी मात्रा होती है जो त्‍वचा के लिए आवश्‍यक होते हैं। शहद और नींबू के रस का उपयोग करने से आप अपनी त्वचा के सांवलेपन को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा शहद और नींबू के फायदे त्‍वचा के पीएच स्‍तर को बनाए रखने में भी सहायक होते हैं जिससे त्‍वचा में प्राकृतिक तेल उत्‍पान को नियंत्रित किया जा सकता है।
    गोरी स्किन पाने के लिए शहद और नींबू फेस पैक बनाने के लिए आपको आधे नींबू का रस और 1 चम्‍मच शहद की आवश्‍यकता होती है।
    हनी एंड लेमन फेस पैक बनाने की विधि –
    आप शहद और नींबू के रस को आपस में अच्‍छी तरह से मिलाएं। इस फेस पैक को चेहरे पर लगाने से पहले अपने चेहरे को अच्‍छी तरह से साफ करें। इसके बाद इस फेस पैक को अपने चहरे पर लगाएं और लगभग 15 से 20 मिनिट तक इंतजार करें। या फिर फेस पैक के सूखने पर पहले ठंडे पानी से अपने चेहरे को धुलें और फिर गर्म पानी से अपने चेहरे को साफ करें। इस फेस पैक का उपयोग सप्‍ताह में नियमित रूप से 1 बार किया जा सकता है।
    चमकती-दमकती त्वचा के लिए शहद और केला फेस पैक
    यह मास्‍क आपकी त्‍वचा को चमकदार बनाने और त्‍वचा के काले धब्‍बों को दूर करने में प्रभावी होता है। इस फेस पैक के इस्तेमाल से आपकी त्वचा में कुछ ही दिनों में फर्क नजर आने लगेगा और आपकी त्वचा चमकती-दमकती नज़र आने लगेगी। इस फेस पैक में शहद, नींबू का रस और केले का मिश्रण रोम छिद्रों को कसने में सहायक होता है। साथ ही यह फेस पैक त्‍वचा को मॉइस्‍चराइज भी करता है। आप अपनी त्‍वचा की लोच को सुधारने के लिए भी इस फेस पैक का उपयोग कर सकते हैं।
    इस फेस पैक को बनाने के लिए 1 पका हुआ केला, 1 चम्‍मच शहद और 1 चम्‍मच नींबू के रस की आवश्‍यकता होती है।
    शहद और केला फेस पैक बनाने की विधि –
    आप इन सभी उत्‍पादों को एक बर्तन में लें और अच्‍छी तरह से मिलाते हुए एक पेस्‍ट तैयार करें। इस पेस्‍ट को आप अपने चेहरे में अच्‍छी तरह से लगाएं। लगभग 15 से 20 मिनिट के बाद आप अपने चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें। इस फेस पैक का उपयोग सप्‍ताह में 1 बार किया जा सकता है।
    ग्लोइंग स्किन पाने के लिए शहद और बेसन का फेस पैक
    यदि आप अपने चेहरे को गोरा और चमकदार बनाना चाहते हैं तो बेसन और शहद के फेस पैक का उपयोग कर सकते हैं। यह त्‍वचा को गोरा बनाने और स्‍वस्‍थ रखने का सबसे अच्‍छा फेस पैक माना जाता है। यह आपकी त्‍वचा में मौजूद अतिरिक्‍त तेल को कम करने और बंद रोम छिद्रों को खोलने में सहायक होता है। इसके अलावा बेसन और शहद का मिश्रण त्‍वचा की मृत कोशिकाओं को भी हटाने में प्रभावी होता है।
    शहद और बेसन फेस पैक बनाने के लिए आपको 2 चम्‍मच बेसन और 1 चम्मच शहद की आवश्‍यकता होती है।
    शहद और बेसन फेस पैक बनाने की विधि –
    आप एक कटोरी में बेसन लें और इसमें 1 चम्‍मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण को पेस्‍ट बनाने के लिए आप इसमें थोड़ा पानी भी उपयाग करें। इस फेस पैक को अपने चेहरे की त्‍वचा में समान रूप से लगाएं। लगभग 30 मिनिट या फेस पैक के सूखने के बाद आप अपने चेहरे को गुनगुने पानी से धो कर साफ कर लें। इस फेस पैक को हर दूसरे दिन या सप्‍ताह में 3 बार तक उपयोग करना त्‍वचा के लिए अच्‍छा होता है।

    2.7.19

    पैरों में ऐंठन और दर्द से राहत के उपाय /pairon me dard

                                            


    पैरों का दर्द –
    ज्यादा देर तक खड़े रहने या फिर चलने की वजह से पैरों में दर्द की शिकायत होना वैसे तो आम समस्या है लेकिन अगर आपके पैरों में आए दिन दर्द रहता है और उसके साथ ही कमज़ोरी भी महसूस होती है तो इस समस्या को हल्के में ना लें. पैरों में बार-बार होनेवाले दर्द से निजात पाने के लिए आमतौर पर लोग डॉक्टर की मदद लेते हैं लेकिन अगर आप कुछ घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करके अपने पैरों की देखभाल करेंगे तो भी आपको इस समस्या से काफी हद तक राहत मिल सकती है. आइए हम आपको 5 घरेलू उपचार बताते हैं जो आपके पैरों का दर्द पल भर में गायब कर सकते हैं और इन नुस्खों से किसी नुकसान का डर भी नहीं है.
    अक्‍सर मसल्स को आराम न मिलने की वजह से पैरों और हाथों में ऐंठन होने लगती है। यह सुबह या रात में सोते समय भी हो सकता है। ये ऐसी समस्‍या है जो आपको कई बार रूला देती है। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि पैरों में ऐंठन और अकड़न क्‍यों होता है और इससे कैसे बचा जाए।

    पैरों में ऐंठन और दर्द का कारण और बचाव:pairon me dard 

    इलेक्ट्रोलाइट यानी पोटाशियम, सोडियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम में संतुलन होना बहुत जरूरी है। दरअसल ये ऐसे आवश्यक तत्व हैं जिनके चलते मसल्स में सिकुड़न और रिलैक्सेशन होता है। इसका मतलब यह नहीं है कि पैरों के ऐंठन का इलाज खुद करने लगे। अतिरिक्त सप्लीमेंट लेने से आपके शरीर में नुकसान हो सकता है। बेहतर यही है कि अपने खानपान में विकल्पों को शामिल करें ताकि तमाम आवश्यक तत्व आपके शरीर में आसानी से जा सकें।
    कुछ दवाओं के चलते भी पैरों में दर्द, ऐंठन और अकड़न हो सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो कोई भी दवा बिना चिकित्सक की सलाह के नहीं लेना चाहिए। यदि किसी दवा के कारण आपके पैरों में दर्द हो तो तुरंत विशेषज्ञों से संपर्क करें। लेकिन अगर आप दर्द को दूर करने के लिए घरेलू उपायों का इस्‍तेमाल कर रहे हैं और किसी भी घरेलू उपचार के जरिये न जाए तो ऐसे में बेहतर है कि दवा का सहारा लें।
    किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें और सलाह अनुसार दवा ही लें। अगर आप सही तरह से एक्सरसाइज नहीं करते तो यह समस्या हो सकती है। स्ट्रेच करें और वार्म-अप एक्सरसाइज अवश्य करें। इन तमाम वजहों को जानने के बाद यह जानना आवश्यक है कि लेग क्रैम्प यानी पैरों में ऐंठन, अकड़न आदि को कैसे रोका जा सकता है?
    इसके लिए आपको कुछ निम्न चीजों पर ध्यान देना होगा। यदि सोकर उठते ही आपके पैरों में दर्द, अकड़न या ऐंठन हो तो ऐसे में जरूरी है कि आप सीधे होकर खड़े होने के बाद जहां दर्द है, उस पर जोर दें। ऐसा करने से दर्द या ऐंठन से मुक्ति मिल सकती है।
    दर्द भरी जगहों पर गर्म कपड़े का उपयोग किया जा सकता है। ऐसा करने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। यही नहीं मसल्स भी आरामदायक स्थिति में पहुंच जाते हैं। यदि गर्म कपड़े न लगाने हो तो गुनगुने पानी में पैरों की सिकाई भी की जा सकती है। स्ट्रेच भी कई प्रकार के होते हैं। पहले यह तय करें कि आपका दर्द किस तरह का है।
    काल्फ स्ट्रेच के दौरान दीवार की तरफ मुंह करके खड़ा होना होता है। आपके हाथ दीवार की ओर होते हैं। एक पैर पीछे की और दूसरा पैर आगे की ओर। ठीक ऐसे जैसे बछड़े की पोजिशन होती है। ऐसा करने से पैरों को संपूर्ण स्ट्रेच मिलता है और दर्द में आराम। पैरों में दर्द और ऐंठन की हमेशा शिकायत रहती है तो बेहतर है कि शराब न पीयें।
    शराब कम करने के साथ साथ जरूरी है कि शारीरिक गतिविधियों पर भी ध्यान दें। यदि आपने शराब छोड़ दी है; लेकिन शारीरिक गतिविधी न के बराबर है तो भी इसका कोई लाभ नहीं मिलने वाला। ऐंठन और अकड़ने से बचने के लिए जरूरी है कि आप निरंत शारीरिक गतिविधियों में संलग्न रहें। दर्द, ऐंठन आदि से बचने के लिए शरीर में कैल्शियम की मात्रा बनी रहनी चाहिए।
    यदि ऐसा न हो तो शरीर दर्द आदि समस्याओं से घिरा रहता है। अतः संतुलित आहार लेकर शरीर को दर्द से मुक्ति दिलाएं। शायद आप इस वजह से वाकिफ न हों। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो यदि आपके शरीर में पानी की कमी होगी तो आपके पैरों में ऐंठन आने की आशंका बनी रहेगी। अतः पानी की मात्रा शरीर में कम न होने दें।
    हालांकि यदि आप स्ट्रेचिंग करते हैं तो आपको अतिरिक्त एक्सरसाइज की जरूरत नहीं होती। लेकिन नियमित एक्सरसाइज करने से शरीर के अन्य भागों में भी दर्द नहीं होता। हाथ, गर्दन, पीठ, कमर आदि शरीर के अंगों भी अकसर दर्द से घिरे रहते हैं। राहत हासिल करने के लिए जरूरी है कि नियमित एक्सरसाइज करें।

    पैरों का दर्द मे हितकारी उपचार:pairon me dard 

    1- सिरका -सूजन मोच या ऐंठन की वजह से अगर आपके पैरों में दर्द हो रहा है तो फिर इससे राहत पाने के लिए आप सिरके का इस्तेमाल कर सकते हैं. आपको बता दें कि सिरका पैरों में होनेवाले दर्द का कारगर इलाज है. इसके लिए एक बाल्टी गर्म पानी में दो बड़ा चम्मच सिरका मिलाएं और एक छोटा चम्मच सेंधा नमक मिलाएं. अब इस पानी में अपने पैरों को करीब 20 मिनट के लिए डूबाकर रखें. इस नुस्खे से आपको तुरंत आराम मिलेगा.
    2- सेंधा नमक -सेंधा नमक पैरों के दर्द से निजात दिलाने का एक असरदार घरेलू नुस्खा है. इस नुस्खे को आज़माने के लिए एक टब में गर्म पानी डालें फिर उसमें 2-3 चम्मच सेंधा नमक मिलाएं. इसके बाद टब में अपने पैरों को 10 से 15 मिनट के लिए डालकर रखें. इससे आपको पैरों के दर्द से तुरंत आराम मिलेगा.
    3- आइस थेरेपी पैरों के सूजन और असहनीय दर्द को कम करने के लिए आइस थेरेपी एक कारगर नुस्खा माना जाता है. इस नुस्खे को आज़माने के लिए एक छोटे से प्लास्टिक की थैली में कुचले हुए बर्फ के कुछ टुकड़े डालें और दर्द को दूर करने के लिए सर्कुलर मोशन में प्रभावित हिस्से की मालिश करें. इससे पैर के सूजन को कम करने में मदद मिलेगी. लेकिन ध्यान रखें कि आइस पैक का उपयोग एक वक्त में 10 मिनट से ज्यादा देर तक नहीं करना है.
    4- लौंग का तेल लौंग का इस्तेमाल सदियों से औषधि के रुप में किया जा रहा है. खासकर लौंग के तेल को सिरदर्द, जोड़ों के दर्द, एथलीट फुट और पैरों के दर्द को दूर करने वाला एक अद्भुत तेल माना जाता है. पैरों के दर्द से राहत पाने के लिए लौंग के तेल से पैरों में धीरे-धीरे मालिश करें. बेहतर परिणाम के लिए दिन में दो से तीन बार इस तेल से अपने पैरों की मालिश करें.
    5- सरसों के बीज सरसों के बीजों का इस्तेमाल आमतौर पर शरीर से विषाक्त पानी निकालने, रक्त परिसंचरण में सुधार करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा सरसों के बीज पैरों के दर्द और उसके सूजन को दूर करने के भी काम आते हैं. पैरों के दर्द से राहत पाने के लिए सरसों के कुछ बीजों को लेकर पीस लें और फिर इन्हें एक बाल्टी गर्म पानी में मिलाएं, फिर अपने पैरों को इस पानी में 10 से 15 मिनट के लिए डालकर रखें.
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    30.6.19

    गिलोय जड़ी बूटी है गुणों का खजाना/Giloy ke fayde




    गिलोय की बेल पूरे भारत देश में पाई जाती है. इसको लोग मधुपर्णी, अमृता, तंत्रिका, कुण्डलिनी गुडूची आदि नामों से जानते हैं. आम तौर पर गिलोय की बेल नीम के पेड़ या फिर आम के पेड़ के आस पास उगती है. नीम के पेड़ पर पाई जाने वाली गिलोय की बेल को सबसे सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक औषधि माना जाता है. इस लेख में हम आपको गिलोय केऔषधीय गुण बताने जा रहे हैं जिनसे शायद आप पहले से वाकिफ नहीं होंगे. लेकिन उससे पहले हम आपको बता दें कि गिलोय का फल दिखने में मटर के दानो में समान होता है. इसमें मुख्य रूप से एलकेलायड और ग्लुकोसाइड गिलोइन पाया जाता है जोकि कईं प्रकार के रोगों के लिए वरदान साबित होते हैं.

    हमारे भारत में सदियों से आयुर्वेदिक जड़ी बूटियो का इस्तेमाल रोगों का खात्मा करने के लिए किया जाता रहा है. इन्ही में से गिलोय भी एक ऐसी बेल है जिसके पत्ते और कांड दोनों ही मनुष्य के लिए लाभकारी साबित होते हैं. गिलोय की बेल का एक प्रमुख गुण यह भी है कि इस बेल को जिस पेड़ पर चढ़ाया जाए, यह उसी के गुण अपने में ग्रहण कर लेती है. नीम के पेड़ के साथ मिल कर गिलोय के औषधीय गुण और भी अधिक असरदार हो जाते हैं. 

    गिलोय के गुणों की संख्या काफी बड़ी है। इसमें सूजन कम करने, शुगर को नियंत्रित करने, गठिया रोग से लड़ने के अलावा शरीर शोधन के भी गुण होते हैं। गिलोय के इस्तेमाल से सांस संबंधी रोग जैसे दमा और खांसी में फायदा होता है। इसे नीम और आंवला के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे एग्जिमा और सोराइसिस दूर किए जा सकते हैं। इसे खून की कमी, पीलिया और कुष्ठ रोगों के इलाज में भी कारगर माना जाता है।

    गिलोय के औषधीय गुण:Giloy ke fayde 

    गिलोय आयुर्वेद ग्रंथ में सबसे उत्तम मानी जाती है. इसकी पत्तियां, जडें और तना तीनो ही भाग सेहत के लिए गुणकारी हैं. परंतु बिमारियों में गिलोय के डंठल का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है.
    गिलोय में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट , एंटी इंफ्लेमेटरी और कैंसर नाशक तत्व मौजूद होते हैं जोकि हमे कब्ज़, डायबिटीज़, अपच, मूत्र संबंधी रोगों से छुटकारा दिलवाते हैं.
    गिलोय में मौजूद औषधीय गुण वात, पित्त और कफ़ तीनो की रोकथाम करते हैं.
    गिलोय की बेल में टोक्सिन मौजूद होते हैं जोकि ज़हरीले तत्वों को शरीर से बाहर निकालने में सहायक हैं.

    गिलोय के फायदे:Giloy ke fayde 

    गिलोय के औषधीय गुण और फायदों के चलते ही इसका इस्तेमाल कईं तरह की दवाइयों में किया जाता है. गिलोय के फायदे निम्नलिखित हैं-

    पेशाब में रुकावट

    यदि आपको पेशाब आने में किसी प्रकार की रुकावट या दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है तो गिलोय के औषधीय गुण आपके लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं. इसके लिए पीड़ित व्यक्ति को 10 से 20 ग्राम गिलोय के रस में 1 चम्मच शहद मिला कर दिन में तीन से चार बार चाटने को दें. इससे पेशाब संबंधित सभी रोग जड़ से मिट जाते हैं.

    नेत्र रोग

    आँखों से संबंधित रोगों के लिए गिलोय के औषधीय गुण प्रभावी हैं. इसके लिए मरीज़ को नियमित रूप से 11.5 ग्राम गिलोय के रस में 1 ग्राम सेंध नामक म्क्ला कर दें इससे आपके सभी प्रकार के नेत्र रोग नष्ट हो जाएंगे और साथ ही आँखों की रौशनी में बढ़ावा होगा.

    दस्त के लिए

    दस्त के लिए गिलोय के औषधीय गुण लाभकारी हैं. इसके लिए दस्त ग्रसित व्यक्ति को 10 से 15 ग्राम गिलोय के रस में 4 से 6 ग्राम मिश्री मिला कर सुबह शाम दें. ऐसा करने के कुछ ही समय में आपको लाभ अनुभव होगा
    स्वास्थ्य के लिए गिलॉय के लाभ

     प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा:Giloy ke fayde 

    गिलॉय प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने का कार्य करता है। इस आश्चर्यजनक जड़ी बूटी में कायाकल्प करने के भी गुण होते हैं| इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण जिगर और गुर्दों से विषैले पदार्थों को हटाने में मदद करते हैं। इसकी एंटी बैक्टीरियल गुण जिगर और मूत्र पथ की समस्याओं से लड़ने में सहायक होते हैं।

     लंबे बुखार और खांसी में सहायक:Giloy ke fayde 

    गिलॉय प्रकृति में एंटी-पायरेटिक होने के वजह से रक्त की मात्रा को बढ़ाता है और डेंगू के से भी लड़ता है। गिलॉय का उपयोग पीलिया के लक्षणों से भी राहत दिलाने में सहायक है। यह जड़ी बूटी फेफड़ों को साफ़ करके खांसी और यहां तक ​​कि अस्थमा में भी आराम दिलाती है। शहद के साथ गिलॉय मिलाकर पीने से मलेरिया का इलाज भी हो सकता है|

     पाचन तंत्र का इलाज

    पाचन प्रणाली के इलाज में गिलॉय घरेलू इलाज़ के रूप में उपयोग किया जा सकता है। गिलॉय का रस मक्खन के साथ लेने से बवासीर का इलाज़ किया जा सकता है।
    शरीर में पाचनतंत्र को सुधारने में गिलोय काफी मददगार होता है। गिलोय के चूर्ण को आंवला चूर्ण या मुरब्बे के साथ खाने से गैस में फायदा होता है। गिलोय के ज्यूस को छाछ के साथ मिलाकर पीने से अपाचन की समस्या दूर होती है साथ ही साथ बवासीर से भी छुटकारा मिलता है।
    *गिलोय में शरीर में शुगर और लिपिड के स्तर को कम करने का खास गुण होता है। इसके इस गुण के कारण यह डायबीटिज टाइप 2 के उपचार में बहुत कारगर है।
    *गिलोय एडाप्टोजेनिक हर्ब है अत:मानसिक दवाब और चिंता को दूर करने के लिए उपयोग अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय चूर्ण को अश्वगंधा और शतावरी के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है। इसमें याददाश्त बढ़ाने का गुण होता है। यह शरीर और दिमाग पर उम्र बढ़ने के प्रभाव की गति को कम करता है।


    मधुमेह का इलाज

    गिलॉय हाइपोग्लाइकेमिक एजेंट है जो रक्तचाप और लिपिड के स्तर को कम करके टाइप 2 डायबिटीज के उपचार के लिए भी उपयोगी है।

     तनाव कम करे

    गिलॉय को अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिलाकर एक स्वास्थ्य टॉनिक बनाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। गिलॉय के एडाप्टोजेनिक गुण इसको एक उचक स्तरीय तनाव और चिंता हरण करने वाला बनाते हैं| यह दिमाग को एक सुखद और शांत प्रभाव देने के साथ साथ दिमाग की कोशिकाओं को मुक्त कणों की वजह से हुई क्षति से भी बचाता है।

    संधिशोथ का इलाज

    गिलॉय में एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी-पायरेटिक गुण होते हैं जो गठिया के विभिन्न लक्षणों जैसे जोड़ों के दर्द के इलाज में मदद करते हैं।
    एफ़्रोडायसियक की तरह काम करे
    गिलॉय में कामेच्छा बढ़ाने के गुण होते हैं जो यौन जीवन को बढ़ा देते हैं।

     आँखों की समस्याओं का इलाज

    गिलॉय नज़र की स्पष्टता को बढ़ाकर चश्मे से छुटकारा पाने में भी मदद करता हैं। बस थोड़े से पानी में इसको उबाल लें| इस मिश्रण को ठंडा होने दे और अपनी आँखों पर चारों और लगा लें|

    एलर्जिक राइनाइटिस का इलाज

    एलर्जिक राइनाइटिस एक ऐसी अवस्था है जिसमे बहता हुआ नाक, छींकना, नाक बंद होना, लाल और पानी से भरी आँखें आदि लक्ष्ण होते हैं जोकि धूल, प्रदूषण, पराग, घास, जैसे विभिन्न पदार्थों की एलर्जी की वजह से होते हैं| इस तरह के लक्षणों को दूर करने के लिए गिलॉय टेबलेट्स के रूप में लेना बहुत प्रभावी होता है।

    गिलॉय त्वचा पर कैसे लगायें?

    *सूजन कम करने के गुण के कारण, यह गठिया और आर्थेराइटिस से बचाव में अत्यधिक लाभकारी है। गिलोय के पाउडर को सौंठ की समान मात्रा और गुगुल के साथ मिलाकर दिन में दो बार लेने से इन बीमारियों में काफी लाभ मिलता है। इसी प्रकार अगर ताजी पत्तियां या तना उपलब्ध हों तो इनका ज्यूस पीने से भी आराम होता है।
    आयुर्वेद के हिसाब से गिलोय रसायन यानी ताजगी लाने वाले तत्व के रुप में कार्य करता है। इससे इम्यूनिटी सिस्टम में सुधार आता है और शरीर में अतिआवश्यक सफेद सेल्स की कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। यह शरीर के भीतर सफाई करके लीवर और किडनी के कार्य को सुचारु बनाता है। यह शरीर को बैक्टिरिया जनित रोगों से सुरक्षित रखता है। इसका उपयोग सेक्स संबंधी रोगों के इलाज में भी किया जाता है।
    लंबे समय से चलने वाले बुखार के इलाज में गिलोय काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाता है जिससे यह डेंगू तथा स्वाइन फ्लू के निदान में बहुत कारगर है। इसके दैनिक इस्तेमाल से मलेरिया से बचा जा सकता है। गिलोय के चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए।


    घावों और कटने का उपचार

    गिलॉय की पत्तियों का एक पेस्ट बनाइए|
    एक पैन में गिलॉय पेस्ट के साथ अरंडी का तेल या नीम का तेल मिलाएं|
    इस मिश्रण को कुछ मिनटों के लिए पकाइए|
    इस मिश्रण को ठंडा कर लें|
    इसे घाव पर लगायें और घाव को एक पट्टी के साथ बाँध दें|

    गिलॉय का उपयोग कैसे करें?:Giloy ke fayde 

    इसे एक कप पानी में गिलॉय का सूखे हुए तने का पाउडर लगभग 1 चम्मच की मात्रा में मिलाएं|
    मिश्रण को उबालकर आधे से भी कम कर लें|
    इस मिश्रण को छाने|
    प्रतिदिन एक बार इस मिश्रण का उपयोग भोजन लेने से पहले करें|
    गिलॉय सेवन करने के लिए कैप्सूल और गोलियों भी बाजार में उपलब्ध है।

    साइड इफेक्ट्स और बचाव

    हलांकि गिलॉय का उपयोग मधुमेह के इलाज के लिए किया जाता है, लेकिन यह ग्लूकोज के स्तर को इतना कम कर देता है कि अन्य दवाओं के साथ इसे लेना खतरनाक हो सकता है|
    गर्भावस्था के दौरान गिलॉय का सेवन करना निषेध है|