26.6.17

किडनी को मजबूत बनाने वाले योग आसन:Kidney strengthening yoga

   



   शरीर का महत्वपूर्ण अंग है गुर्दा जिसे अंग्रेजी में किडनी कहा जाता है। 150 ग्राम वजनी गुर्दे का आकार किसी बीज की भांति होता है। यह शरीर में पीछे कमर की ओर रीढ़ के ढांचे के ठीक नीचे के दोनों सिरों पर स्थित होते हैं। शरीर में दो गुर्दे होते हैं। गुर्दे का कार्य : गुर्दा रक्त में से जल और बेकार पदार्थो को अलग करता है। शरीर में रसायन पदार्थों का संतुलन, हॉर्मोन्स छोड़ना, रक्तचाप नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है। इसका एक और कार्य है विटामिन-डी का निर्माण करना, जो मनुष्य की हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है।  



किडनी को मजबूत बनाने वाले योग :-

योग आपकी किडनी को स्वस्थ और निरोग बनाता है। किडनी से जुड़े रोगों को दूर करने के लिए हर रोज योग की आदत डालें। सर्पाआसन आपकी किडनी को मजबूत बनाता है। अर्धचंद्रासन से किडनी से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
किडनी शरीर के मुख्य अंगों में से एक है। शरीर में किडनी का काम है रक्त में से पानी और बेकार पदार्थों को अलग करना। इसके अलावा शरीर में रसायन पदार्थों का संतुलन, लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी सहायता करता है। इसका एक और कार्य है विटामिन-डी का निर्माण करना, जो शरीर की हड्डियों को स्वस्थ और मजबूत बनाता है
लगातार दूषित पदार्थ खाने, दूषित जल पीने और नेफ्रॉन्स के टूटने से किडनी के रोग होते हैं। इस वजह से किडनी शरीर से व्यर्थ पदार्थो को निकालने में अक्षम हो जाते हैं। किडनी रोग का बहुत समय तक पता नहीं चलता, लेकिन जब भी कमर के पीछे दर्द उत्पन्न हो तो इसकी जांच करा लेनी चाहिए। आइए जानें योग के जरिए किडनी को कैसे मजबूत बनाया जा सकता है।

अंर्धचंद्रासन

इस आसन को करते वक्त शरीर की स्थिति अर्ध चंद्र के समान हो जाती है, इसीलिए इसे अर्ध चंद्रासन कहते है। इस आसन की स्थि‍ति त्रिकोण समान भी बनती है इससे इसे त्रिकोणासन भी कह सकते है, क्योंकि दोनों के करने में कोई खास अंतर नहीं होता। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। इससे किडनी से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।

पश्चिमोत्तनासन

अपने पैर को सामने की ओर सीधी स्ट्रेच करके बैठ जाएं। दोनों पैर आपस में सटे होने चाहिए। पीठ को इस दौरान बिल्कुल सीधी रखें और फिर अपने हाथों से दोनों पैरों के अंगूठे को छूएं। ध्यान रखें कि आपका घुटना न मुड़े और अपने ललाट को नीचे घुटने की ओर झुकाएं। 5 सेकंड तक रुकें और फिर वापस अपनी पोजीशन में लौट आएं। यह पोजीशन किडनी की समस्या के साथ क्रैम्स आदि जैसी समस्याओं से निजात दिलाता है।

उष्ट्रासन

उष्ट्रासन करते समय हमारे शरीर की आकृति कुछ-कुछ ऊँट के समान प्रतीत होती है, इसी कारण इसे उष्ट्रासन कहते हैं। यह आसन वज्रासन में बैठकर किया जाता है। इस आसन से घुटने, ब्लैडर, किडनी, छोटी आँत, लीवर, छाती, लंग्स एवं गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है, जिससे क‍ि यह अंग निरोगी बने रहते हैं।

सर्पासन

पेट के बल लेट जाएं और दोनों पैरों को मिलाकर रखें। ठुड्डी को जमीन पर रखें। दोनों हाथों को कोहनी से मोड़ें और हथेलियों को सिर के दाएं-बाएं रखें और हाथों को शरीर से सटाकर रखें। आपकी कोहनी जमीन को छूती हुई रहेगी। धीरे-धीरे सांस भरे और कंधे को ऊपर की ओर उठाएं शरीर का भार कोहनी और हाथों पर रहेगा। कोशिश करें कि छाती भी ऊपर की ओर रहे। इस स्थिति में कुछ पल रुकें और सांस को सामान्य कर लें। इस स्थिति में आप दो मिनट तक रुकें। अगर रोक पाना संभव न हो तो पाँच बार इस क्रिया को दोहराएं।
किडनी को स्वस्थ रखने और इसकी समस्याओं को दूर करने के लिए नियमित योगा करना आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।
   इस लेख के माध्यम से दी गयी जानकारी आपको अच्छी और लाभकारी लगी हो तो कृपया लाईक और शेयर जरूर कीजियेगा । आपके एक शेयर से किसी जरूरतमंद तक सही जानकारी पहुँच सकती है और हमको भी आपके लिये और बेहतर लेख लिखने की प्रेरणा मिलती है|

विशिष्ट परामर्श 


किडनी फेल रोगी के बढे हुए क्रिएटनिन के लेविल को नीचे लाने और गुर्दे की क्षमता बढ़ाने में हर्बल औषधि सर्वाधिक सफल होती हैं| किडनी ख़राब होने के लक्षण जैसे युरिनरी फंक्शन में बदलाव,शरीर में सूजन आना ,चक्कर आना और कमजोरी,स्किन खुरदुरी हो जाना और खुजली होना,हीमोग्लोबिन की कमी,उल्टियां आना,रक्त में यूरिया बढना आदि  में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित यह औषधि रामबाण की तरह असरदार सिद्ध होती है|डायलिसिस  पर   आश्रित रोगी भी लाभान्वित हुए हैं| औषधि हेतु  वैध्य दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क किया जा सकता है|

लेटेस्ट  केस रिपोर्ट -26/10/2020

नाम किडनी फेल रोगी : अमरसिंगजी जुझार सींगजी  यादव 
स्थान : टाटका ,तहसील -सीतामऊ,जिला मंदसौर,मध्य प्रदेश 
इलाज से पहिले की टेस्ट रिपोर्ट 26/10/2020 के अनुसार 

serum Creatinine :7.18mg/dl

Urea                    :129mg/dl 




 यह औषधि लेते हुए 20 दिन बाद की स्थिति-

दिनांक-  15 /11/2020 की रिपोर्ट 

Serum creatinine :     2.18 mg/dl

urea:                          69  mg/dl  

तेजी से सुधार होते हुए स्थिति नॉर्मल होती जा रही है|
अभी इलाज जारी है| 



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इस औषधि के चमत्कारिक प्रभाव की एक  केस रिपोर्ट प्रस्तुत है-

रोगी का नाम -     राजेन्द्र द्विवेदी  
पता-मुन्नालाल मिल्स स्टोर ,नगर निगम के सामने वेंकेट रोड रीवा मध्यप्रदेश 
इलाज से पूर्व की जांच रिपोर्ट -
जांच रिपोर्ट  दिनांक- 2/9/2017 
ब्लड यूरिया-   181.9/ mg/dl
S.Creatinine -  10.9mg/dl





हर्बल औषधि प्रारंभ करने के 12 दिन बाद 
जांच रिपोर्ट  दिनांक - 14/9/2017 
ब्लड यूरिया -     31mg/dl
S.Creatinine  1.6mg/dl








जांच रिपोर्ट -
 दिनांक -22/9/2017
 हेमोग्लोबिन-  12.4 ग्राम 
blood urea - 30 mg/dl 
सीरम क्रिएटिनिन- 1.0 mg/dl
Conclusion- All  investigations normal 








 केस रिपोर्ट 2-

रोगी का नाम - Awdhesh 

निवासी - कानपुर 

ईलाज से पूर्व की रिपोर्ट

दिनांक - 26/4/2016

Urea- 55.14   mg/dl

creatinine-13.5   mg/dl 










यह हर्बल औषधि प्रयोग करने के 23 दिन बाद 17/5/2016 की सोनोग्राफी  रिपोर्ट  यूरिया और क्रेयटिनिन  नार्मल -
creatinine 1.34 mg/dl
urea 22  mg/dl














लेटेस्ट  केस रिपोर्ट -नाम किडनी फेल रोगी : अमरसिंगजी जुझार सींगजी  यादव 
स्थान : टाटका ,तहसील -सीतामऊ,जिला मंदसौर,मध्य प्रदेश 
इलाज से पहिले की टेस्ट रिपोर्ट 26/10/2020 के अनुसार 

serum Creatinine :7.18mg/dl

Urea                    :129mg/dl 

 यह औषधि पीने के 20 दिन बाद की स्थिति-

दिनांक-
र्ट 
 यह औषधि पीने के 20 दिन बाद की स्थिति-

दिनांक-  15 /11/2020 की रिपोर्ट 

Serum creatinine :     2.18 mg/dl

urea:                          69  mg/dl  

तेजी से सुधार होते हुए स्थिति नॉर्मल होती जा रही है|
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कंधे के दर्द मे उपयोगी योग आसन Useful Yoga posture in shoulder pain



  दिन भर ऑफिस में काम करने वाले लोगों के लिए कंधों में दर्द की समस्या बहुत आम है। अगर आप अपने व्यस्त रुटीन से थोड़ा सा समय निकालकर इन तीन योगासनों को दें, तो कंधों के दर्द से हमेशा के लिए छुटकारा पाना कोई मुश्किल काम नहीं है।
आइए जानें, कंधों के दर्द को दूर भगाने वे आसनों के बारे में।
1. द्रुत ताड़ासन
इस आसन को आप बैठकर या खड़े होकर कर सकते हैं। दोनों हाथों की उंगलियों को इंटरलॉक करके हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। हथेली छत की ओर होनी चाहिए। अब हाथों की ऊपर की ओर जितना खींच सकें, खींचें।
अब सांस छोड़ते हुए दाईं ओर झुकें और हाथों को स्ट्रेच करें, फिर सांस खींचते हुए सीधे हो जाएं। इसी प्रक्रिया को बाईं ओर से दोहराएं। इस पूरी प्रक्रिया को रोज पांच से 15 बार दोहराएं।
2. पर्वतासन

इससे न सिफई कंधे का दर्द दूर होता है बल्कि रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है। इसे करने के लिए पहले सुखासन में बैठ जाएं।
दोनों हाथों को जमीन से छुएं। अब सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊप उठाएं। बाजू काम से छूने चाहिए, कोहनी सीधी रखें और नमस्कार की मुद्रा बनाएं। हाथों को ऊपर की ओर स्ट्रेच करें।
अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे दोनों हाथों को नीचे की ओर लाएं। इसे रोज पांच से 10 बार करें।
3. ताड़ासन

इस आसन को भी आप बैठकर या खड़े होकर कर सकते हैं। दोनों हाथों की उंगलियों को इंटरलॉक करके सांस खींचते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। हथेली छत की ओर होनी चाहिए। अब हाथों की ऊपर की ओर जितना खींच सकें, खींचें।
कुछ पल बाद सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचे की ओर ले जाएं। इस आसन को रोज पांच से 10 बार करें।

विशिष्ट परामर्श-


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है|   बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े  अस्पताल   मे  महंगे इलाज के  बावजूद   निराश रोगी   इस  औषधि से लाभान्वित हुए हैं|औषधि  के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं| 







25.6.17

लीवर स्वस्थ रखने के योग आसन //Yoga posture to keep liver healthy





    लीवर हमारे शरीर की सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथि है| लीवर ही है जो हमारे द्वारा खाए गए आहार को पचाकर रस बनाता है, और हमारा शरीर कार्य करता है| यदि हमारा लीवर ख़राब हो जाये तो हमारी जिंदगी बिलकुल भी काम की नहीं रहेगी| क्योकि जो भी हम खायेंगे, पियेंगे हमारा लीवर उसे ले ही नहीं पायेगा|
हम जो कुछ भी खाते है, यदि वो हमारे लिए नुकसानदायक है तो लीवर उसे निष्क्रिय करने का कार्य करता है| आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन हमारे देश में कई लोगो का जीवन लीवर की बीमारियों के कारण ख़राब हो गया है|
लीवर के ख़राब होने के पीछे का मुख्य कारण है अल्कोहल का अधिक मात्रा में सेवन करना, नकली दवाए, गलत खान- पान| यह सभी चीज़े लीवर को डैमेज करती है| जब हमारे लिए लीवर इतना ज्यादा महत्वपूर्ण है तो क्यों न हम इन बुरी आदतों को छोड़ दे और योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करे|
नौकासन

   नौकासन को बोट पोज़ कहा जाता है| यह बहुत ही आसन है लेकिन इसे करके आप लीवर कैंसर जैसी बीमारियों के होने का खतरा कम कर सकते है| यह आपके लीवर को मजबूत बनाता है| यह पोज़ आपके लीवर को क्लीन करता है साथ ही साथ हानिकारक पदार्थो को भी दूर करता है|
विधि:
इसे करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएँ और अपने दोनों पैरों को एक साथ जोड़ कर रखे|
अपने दोनों हाथों को भी शरीर के समानांतर रखे|



अब अपने हाथों को पैरों कि तरफ खींचे और अपने पैरों एवं छाती को ऊपर की और उठाले|

आपके सर, हाथ, पैर सभी एक लाइन में ही होना चाहिए|
इसे करते वक्त आपके पेट की माश्पेसिया सिकुड़ेंगी जिसके चलते आपको अपनी नाभी में खींचाव महसूस होगा|
लंबी गहरी साँसे लेते रहे और आसन को बनाये रखें|
साँस छोड़ते हुए ज़मीन पर आ जाएँ और विश्राम करें|
कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति प्राणायाम को अंग्रेजी में फोरहेड कहा जाता है| यह प्राणायाम कई रोगों के इलाज में फायदेमंद है| यह आपके लीवर के स्वास्थ्य को सुधारता है| इससे कई Liver Problems जैसे पीलिया, हेपेटाइटिस आदि ठीक होता है| यह लीवर की कई समस्याओ का उपचार करने में मददगार है|
 विधि:
एक आसन बिछाकर आराम से बैठ जाएँ, अपनी रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखे|
आपके हाथो को घुटनों पर रखें, इनका मुख आकाश की और होना चाहिए|
एक लंबी गहरी साँस अंदर लें|
अब साँस छोड़ते हुए अपने पेट को अंदर की ओर खींचे|



आप जितना हो सके अपने पेट को अन्दर खिचे, आपको इस प्रकार से पेट को अन्दर खीचना है की वह रीढ़ की हड्डी को छू ले|

जितना हो सके उतना ही करें, अपने शरीर के साथ ज्यादा जबरदस्ती ना करे|
जब आप अपने पेट की मासपेशियों को ढीला छोड़ेंगे, साँस अपने आप ही आपके फेफड़ों में पहुँच जाती है|
इस प्राणायाम के एक राउंड को पूरा करने के लिए 20 साँस छोड़े|
एक बारी खत्म होने के पश्चात, विश्राम करें| ऐसे दो सेट पुरे करे|
धनुरासन

धनुरासन को बो पोस भी कहा जाता है| यह आसन उन लोगो के लिए बहुत फायदेमंद है जो लोग फैटी लीवर रोग से पीड़ित है| यह आपके लीवर को ताकत देता है, उसे उत्तेजित करता है जिसके चलते शरीर में जमा वसा उर्जा में परिवर्तित हो जाता है और आपका शरीर उसे इस्तेमाल कर पाता है|
विधि:
यह आसन दिखने में मुश्किल लगता है लेकिन इसे लगातार करने से आप इसे करने में निपुण हो जायेंगे|
इसे करने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाए।
अब सांस छोड़ते हुए घुटनों को मोड़े तथा अपने हाथ से टखनों को पकड़ ले|



अब आपको सांस लेते हुए अपने सिर, चेस्ट एवं जांघो को ऊपर की और उठाना है|

यदि आप योग के लिए नए है तो जरुरी नहीं है की आप अपने शरीर को पूरी अच्छी तरह से ऊपर उठाले|
आप अपने शरीर के लचीलेपन के हिसाब से अपने शरीर को और ऊपर उठा सकते हैं।
आपको अपने शरीर के भार को पेट निचले हिस्से पर लेना है|
आपके पैरों के बीच की ज्यादा दुरी न रखे, जितना हो सके उसे पास पास रखे|
उसी मुद्रा में बने रहे और धीरे धीरे सांस ले और धीरे धीरे सांस छोड़े।
जब आपको सामान्य स्तिथि में आना हो तो लम्बी गहरी सांस छोड़ते हुए आप आ जाये|
इसे एक चक्र कहते है|
आपको एक दिन में 3 से 5 चक्र अपने क्षमता के अनुसार करना होगा|
इसके अलावा गोमुखासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन भी लीवर के लिए फायदेमंद है| लीवर को स्वस्थ रखने के लिए एक्सरसाइज भी करना चाहिए| एक्सरसाइज करने से पसीना निकलता है| पसीना निकलने से शरीर की सफाई होती और लिवर पर जोर कम पड़ता है।
विशिष्ट परामर्श-


यकृत,प्लीहा,आंतों के रोगों मे अचूक असर हर्बल औषधि "उदर रोग हर्बल " चिकित्सकीय  गुणों  के लिए प्रसिद्ध है|पेट के रोग,लीवर ,तिल्ली की बीमारियाँ ,पीलिया रोग,कब्ज  और गैस होना,सायटिका रोग ,मोटापा,भूख न लगना,मिचली होना ,जी घबराना ज्यादा शराब पीने से लीवर खराब होना इत्यादि रोगों मे प्रभावशाली  है|बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज के बाद भी  निराश रोगी  इस औषधि से ठीक हुए हैं| औषधि के लिए वैध्य दामोदर से 9826795656 पर संपर्क करें|









बहरेपन का योग से इलाज़//Yoga treatment for deafness


 

सुनने की क्षमता धीरे-धीरे कम होना बहरापन कहलाता है। कुछ लोग जन्म से ही बधिर होते हैं उनकी चिकित्सा संभव नहीं होती परंतु अधिक आयु के कारण, सर्दी-जुकाम सभी ऋतुओं में होने के कारण अथवा पेट के बल एक ही कान को बिस्तर से दबाकर सोने की आदत से धीरे-धीरे बहरापन आने की आशंका रहती है। कभी-कभी कान पर चोट लगने से भी बहरापन आने की आशंका होती है।

कान सुनने की क्षमता धीरे-धीरे खोने लगते हैं, जन्मजात तीन-चार प्रतिशत यह समस्या देखने में आती है। कानों के कम सुनने की क्षमता किसी भी आयु में हो सकती है। आजकल हेडफोन्स, मोबाइल, ऊँची आवाज में संगीत आदि से भी बहरापन आ रहा है। स्विमिंग पूल में या आसपास के व्यक्ति का संक्रमण लगने से सुनने की शक्ति कम होकर व्यक्ति बहरा हो सकता है। जल्दी से सर्दी-जुकाम का उपचार न करने से भी बहरापन हो सकता है।



  बहरेपन के लक्षणों में कान से कम सुनने वाले लोग स्वयं जोर से बोलने लगते हैं तथा दूसरों से कोई बात सुननी हो तो बहुत ही पास में पहुँचकर दूसरे व्यक्ति से बात करते हैं या ऊँची आवाज में टीवी सुनने की कोशिश करते हैं। बहुत से लोग भीड़ में कुछ भी सुनने की क्षमता खो देते हैं। कान में अनेक प्रकार की आवाज आने की शिकायत व्यक्ति करते हैं। कोई भी व्यक्ति सामान्य आवाज से बात करता है तब बहरा व्यक्ति क्या-क्या करते हुए दूसरी बात या दोहराता या फिर से बात को बोलने के लिए कहता है। कान में खुजली होने के अनेक कारण हैं जैसे एक ही करवट पर संपूर्ण रात्रि के समय सोना, ऊँचे तकियों पर सोना, पेट के बल कान को तकिए में दबाकर सोना, सर्दी-जुकाम का आदि होना, रक्त के प्रवाह को रोकने से कान की नसों में थक्के जमा होकर खुजली आती या कान बंद हो जाते हैं और आंतरिक कान में सूजन आकर सुनने की क्षमता कम होने लगती है।

निम्न योगाभ्यास करने से उम्र के अनुसार कान के सुनने की घटने वाली क्षमता को फिर से प्राप्त किया जा सकता हैः



ब्रह्ममुद्रा : 

कमर सीधी रखकर बैठें और गर्दन को ऊपर-नीचे १० बार चलाना, गर्दन को दाएँ-बाएँ १० बार चलाना और धीरे-धीरे गर्दन को गोल घुमाना १० बार सीधे और १० बार उल्टे, आँखें खुली रखकर इस मुद्रा को करें।
मार्जरासन : 
घुटने और हाथों के बल चौपाए की तरह गर्दन कमर ऊपर-नीचे १० बार चलाएँ, जितना अधिक ऊपर देख सके देखें और सुबह-शाम करें।
शशकासन : 



घुटनों को जमीन पर मोड़कर नमाज पढ़ने जैसे बैठकर सामने झुकें और दाढ़ी को जमीन से लगाएँ और हाथों को सामने खेंच कर रखें १०-१५ श्वास-प्रश्वास होने तक इस स्थिति में रहें।

भुजंगासन : 
पेट के बल लेटकर पैर मिलाकर लंबे रखें और कंधों के नीचे हथेली को जमा कर गर्दन, सिर व नाभी तक पेट ऊपर उठाएँ और १०-१५ श्वास-प्रश्वास करें फिर जमीन पर पहुँचकर आराम करें। ३ बार इसे दोहराएँ।



अर्धशलभासन : 
पेट के बल लेटे हुए पीछे से १-१ पैर १०-१० श्वास-प्रश्वास के लिए उठाएँ और ३-३ बार दोहराएँ, पैर घुटने से न मोड़ें।
उत्तानपादासन : 
पीठ के बल लेटकर दोनों पैर ४५ डिग्री पर अर्थात लेटे-लेटे बिना घुटने मोड़े ऊपर उठाएँ और १०-१५ श्वास-प्रश्वास करने तक ऊपर रोकें फिर धीरे-धीरे नीचे उतारें। ३ बार दोहराएँ।
शवासन : 
पीठ के बल शरीर ढीला छोड़ें, आँखें बंद कर श्वास दीर्घ रूप से १० बार करें और साधारण ३० श्वास करें और करवट से उठें।




भ्रामरी प्राणासन : 
   कमर सीधी करके बैठें, दोनों कानों को दोनों हाथों की तर्जनी उँगलियों से हल्के दबाव के साथ बंद करे। आँखें बंद कर लें और लंबी गहरी श्वास भीतर भरकर बारह श्वास नाक से निकालते हुए भँवरे की तरह आवाज जोर से करें, इतने जोर से करें कि मस्तिष्क, चेहरा और होंठों की मांसपेशियों में स्पंदन निर्माण हो सके। एक के बाद एक श्वास लेकर लगातार १० बार दोहराएँ। इससे कान की नसों में रक्त संचार बढ़कर और काम का परदा लोचदार होकर सुनने की क्षमता बढ़ती है। मन की एकाग्रता बढ़ती है और स्मरण शक्ति का विकास होने लगता है।
दृष्टिहीनों के भी है योग-
दृष्टिहीनों के लिए पूर्ण रूप से स्वस्थ रहना भी एक महती समस्या है। चूंकि ये लोग मैदानी खेलकूद तथा दौड़ भाग नहीं कर सकते इसलिए शारीरिक गतिविधियों को बनाए रखने के लिए योग से बढ़कर कुछ और नहीं है। इससे इनके शरीर में स्फूर्ति बनी रहती र्है एवं चयापचय क्रिया भी दुरुस्त रहती है।
दृष्टिहीनों के लिए योगाभ्यास कठिन नहीं होता उन्हें आसन, प्राणायाम और ध्यान सहज ही सिद्ध हो जाते हैं।
दृष्टिबाधितों को योगासन ब्रेल लिपि में चित्र बनाकर समझाना ज्यादा आसान होता है। उनके पाचन संस्थान, श्वसन, रक्तसंचारण, निष्कासन आदि संस्थानों के क्रिया कलाप सुचारूरूप से काम करने लगते हैं।
दृष्टिबाधितों के लिए मुख्य रूप से ताड़ासन, त्रिकोण आसन, हस्तपादासन, उत्करासन, अग्निसार क्रिया, कंधे, गरदन का संचालन, ब्रह्ममुद्रा, मार्जरासन, शशकासन, पद्मासन, योगमुद्रा, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, सर्वांगासन एवं शवासन के साथ नाड़ी शोधन, भ्रामरी प्राणायाम किया जा सकता है।







24.6.17

संधिवात जोड़ों के दर्द मे उपयोगी योग आसन // Useful yoga posture in arthritis joints pain



   गठिया रोग को आमवात, संधिवात आदि नामों से भी जाना जाता है। इस रोग में सबसे पहले शरीर में निर्बलता और भारीपन के लक्षण दिखाई देते हैं। शरीर के तमाम जोड़ों में इतना दर्द होता है कि उन्हें हिलाने पर ही चीख निकल जाए, खासकर सुबह के समय। इसके अलावा शरीर गर्म हो जाता है, लाल चकत्ते पड़ जाते हैं और जलन की शिकायत भी होती है।   अपने दैनिक जीवन के सामान्य कामकाज को निपटाते वक्त क्या आपके घुटनों, कन्धों या कलाई में दर्द होता है? क्या आप इन जोड़ों के दर्द के कारण अपने अपनी इच्छानुसार जीवन जीने के आनंद से वंचित है? क्या आप दिन में कई कई बार दर्द निवारक दवाओं के सेवन से परेशान है?
जोड़ों में जहां-जहां दर्द होता है, वहां सूजन आना भी इस बीमारी में आम है। जोड़ों के इर्द-गिर्द सख्त गोलाकार गांठें जैसी उभर आती हैं, जो हाथ पैर हिलाने पर चटकती भी हैं। शरीर के किसी भी अंग को हिलाने पर दर्द, जलन और सूजन की तकलीफ झेलनी पड़ती है। यदि आप अपने शरीर को हिलाना-डुलाना बंद कर देगे तो गठिया रोग आपको खा जाएगा। इसलिये यह बहुत जरुरी है कि आप कुछ योगा आसन करें और गठिया दर्द से राहत पाएं।
 शरीर में हड्डियों का कमजोर होना,उचित व्यायाम और भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों के अभाव से जोड़ों के रोग प्रकट होने लगते है व बढ़ने लगते है|हालाँकि दवाओं के उपयोग से इस दर्द से सामयिक लाभ मिलता है पर इसका प्रामाणिक वैकल्पिक उपचार योग में उपलब्ध है जिसके अभ्यास से दर्द मुक्ति में शीघ्र लाभ होता है| "
योग एक प्राचीन भारतीय तकनीक है जो दर्द को जड़ से उखाड़कर शरीर को रोगमुक्त करती है| योग शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर मन को विश्रांति प्रदान करता है|

जोड़ों के उपचार व उन्हें शक्तिशाली बनाने के लिए निम्न योगासन उपयोगी है:
सूर्य नमस्‍कार 

सूर्य नमस्‍कार शरीर के समग्र लचीलेपन के लिए अच्छा है। इस बहुमुखी योग आसन से शरीर की सभी मांसपेशियों को ढीला कर देता है जिसके बाद आपको व्‍यायाम शुरु करना चाहिये। यह घुटनों के लिए विशेष रूप से अच्छा है।
वज्रासन 
वज्रासन सबसे सरल आसन है। बस पैरों को घुटनों से मोड़कर बैठना है। पैरों के अँगूठे एक-दूसरे के ऊपर रहेंगे, एड़ियों को बाहर की ओर फैलाकर बैठने के लिए जगह बना लेंगे। हाथों को घुटनों पर रखेंगे।


इसको करने से घुटनों का दर्द कम होता है। यही एक ऐसा आसन है, जिसे खाना खाने के बाद भी किया ज सकता है।

  • वीर-भद्रासन | Veerbhadrasana (Warrior pose)
  • धनुरासन | Dhanurasana (Bow pose)
  • त्रिकोणासन | Trikonasana (Triangle pose)
  • सेतु-बंध आसन | Setu Bandhasana (Bridge pose)
  • मकर अधोमुख श्वानासन | Makara Adho Mukha Svanasana (Dolphin Plank pose)
  • उस्ट्रासन | Ustrasana (Camel pose)



विशिष्ट परामर्श-  


संधिवात,कमरदर्द,गठिया, साईटिका ,घुटनो का दर्द आदि वात जन्य रोगों में जड़ी - बूटी निर्मित हर्बल औषधि ही अधिकतम प्रभावकारी सिद्ध होती है| रोग को जड़ से निर्मूलन करती है| औषधि से बिस्तर पकड़े पुराने रोगी भी दर्द मुक्त गतिशीलता हासिल करते हैं| बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज़ के बावजूद निराश रोगी इस औषधि से आरोग्य हुए हैं| त्वरित असर औषधि के लिए वैध्य श्री दामोदर से 98267-95656 पर संपर्क कर सकते हैं|

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योग के मुख्य आसन:,विधि और फायदे // The main yoga:, method and benefits





योग का अर्थ है जोड़ना। जीवात्मा का परमात्मा से मिल जाना, पूरी तरह से एक हो जाना ही योग है। योगाचार्य महर्षि पतंजली ने सम्पूर्ण योग के रहस्य को अपने योगदर्शन में सूत्रों के रूप में प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार, “चित्त को एक जगह स्थापित करना योग है।
इस पोस्ट में हम कुछ आसान और प्राणायाम के बारे में बात करेंगे जिसे आप घर पर बैठकर आसानी से कर सकते हैं और अपने जीवन को निरोगी बना सकते हैं।
स्वस्तिकासन 

स्थिति- 
स्वच्छ कम्बल या कपडे पर पैर फैलाकर बैठें।
विधि- 
बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिने जंघा और पिंडली (calf, घुटने के नीचे का हिस्सा) और के बीच इस प्रकार स्थापित करें की बाएं पैर का तल छिप जाये उसके बाद दाहिने पैर के पंजे और तल को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली के मध्य स्थापित करने से स्वस्तिकासन बन जाता है। ध्यान मुद्रा में बैठें तथा रीढ़ (spine) सीधी कर श्वास खींचकर यथाशक्ति रोकें।इसी प्रक्रिया को पैर बदलकर भी करें।
लाभ - पैरों का दर्द, पसीना आना दूर होता है।पैरों का गर्म या ठंडापन दूर होता है... ध्यान हेतु बढ़िया आसन है।
गोमुखासन 

विधि- 
दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें। बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब (buttocks) के पास रखें।दायें पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर इस प्रकार रखें की दोनों घुटने एक दूसरे के ऊपर हो जाएँ।


दायें हाथ को ऊपर उठाकर पीठ की ओर मुडिए तथा बाएं हाथ को पीठ के पीछे नीचे से लाकर दायें हाथ को पकडिये .. गर्दन और कमर सीधी रहे।एक ओ़र से लगभग एक मिनट तक करने के पश्चात दूसरी ओ़र से इसी प्रकार करें।

Tip- जिस ओ़र का पैर ऊपर रखा जाए उसी ओ़र का (दाए/बाएं) हाथ ऊपर रखें.
लाभ- 
अंडकोष वृद्धि एवं आंत्र वृद्धि में विशेष लाभप्रद है।धातुरोग, बहुमूत्र एवं स्त्री रोगों में लाभकारी है।यकृत, गुर्दे एवं वक्ष स्थल को बल देता है। संधिवात, गाठिया को दूर करता है।
गोरक्षासन 

विधि- 
दोनों पैरों की एडी तथा पंजे आपस में मिलाकर सामने रखिये।अब सीवनी नाड़ी (गुदा एवं मूत्रेन्द्रिय के मध्य) को एडियों पर रखते हुए उस पर बैठ जाइए। दोनों घुटने भूमि पर टिके हुए हों।हाथों को ज्ञान मुद्रा की स्थिति में घुटनों पर रखें।
लाभ- 
मांसपेशियो में रक्त संचार ठीक रूप से होकर वे स्वस्थ होती है.मूलबंध को स्वाभाविक रूप से लगाने और ब्रम्हचर्य कायम रखने में यह आसन सहायक है।इन्द्रियों की चंचलता समाप्त कर मन में शांति प्रदान करता है. इसीलिए इसका नाम गोरक्षासन है।
अर्द्धमत्स्येन्द्रासन 

विधि:-दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें. बाएं पैर को मोड़कर एडी को नितम्ब के पास लगाएं।बाएं पैर को दायें पैर के घुटने के पास बाहर की ओ़र भूमि पर रखें।


बाएं हाथ को दायें घुटने के समीप बाहर की ओ़र सीधा रखते हुए दायें पैर के पंजे को पकडें।दायें हाथ को पीठ के पीछे से घुमाकर पीछे की ओ़र देखें।इसी प्रकार दूसरी ओ़र से इस आसन को करें।

लाभ:-
मधुमेह (diabetes) एवं कमरदर्द में लाभकारी।
योगमुद्रासन

स्थिति- 
भूमि पर पैर सामने फैलाकर बैठ जाइए.
विधि-
बाएं पैर को उठाकर दायीं जांघ पर इस प्रकार लगाइए की बाएं पैर की एडी नाभि केनीचे आये।दायें पैर को उठाकर इस तरह लाइए की बाएं पैर की एडी के साथ नाभि के नीचे मिल जाए।दोनों हाथ पीछे ले जाकर बाएं हाथ की कलाई को दाहिने हाथ से पकडें. फिर श्वास छोड़ते हुए।सामने की ओ़र झुकते हुए नाक को जमीन से लगाने का प्रयास करें. हाथ बदलकर क्रिया करें।पुनः पैर बदलकर पुनरावृत्ति करें।
लाभ- चेहरा सुन्दर, स्वभाव विनम्र व मन एकाग्र होता है।
सर्वांगासन

स्थिति:- 
दरी या कम्बल बिछाकर पीठ के बल लेट जाइए।
विधि:-दोनों पैरों को धीरे –धीरे उठाकर 90 अंश तक लाएं। बाहों और कोहनियों की सहायता से शरीर के निचले भाग को इतना ऊपर ले जाएँ की वह कन्धों पर सीधा खड़ा हो जाए।


पीठ को हाथों का सहारा दें। हाथों के सहारे से पीठ को दबाएँ। कंठ से ठुड्ठी लगाकर यथाशक्ति करें।फिर धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में पहले पीठ को जमीन से टिकाएं फिर पैरों को भी धीरे-धीरे सीधा करें।

लाभ:-
थायराइड को सक्रिय एवं स्वस्थ बनाता है।मोटापा, दुर्बलता, कद वृद्धि की कमी एवं थकान आदि विकार दूर होते हैं।
प्राणायाम 
प्राण का अर्थ, ऊर्जा अथवा जीवनी शक्ति है तथा आयाम का तात्पर्य ऊर्जा को नियंत्रित करनाहै। इस नाडीशोधन प्राणायाम के अर्थ में प्राणायाम का तात्पर्य एक ऐसी क्रिया से है जिसके द्वारा प्राण का प्रसार विस्तार किया जाता है तथा उसे नियंत्रण में भी रखा जाता है। यहाँ 3 प्रमुख प्राणायाम के बारे में चर्चा की जा रही है:-
अनुलोम-विलोम प्राणायाम 

विधि:-
ध्यान के आसान में बैठें।बायीं नासिका से श्वास धीरे-धीरे भीतर खींचे।श्वास यथाशक्ति रोकने (कुम्भक) के पश्चात दायें स्वर से श्वास छोड़ दें।


पुनः दायीं नाशिका से श्वास खीचें।यथाशक्ति श्वास रूकने (कुम्भक) के बाद स्वर से श्वास धीरे-धीरे निकाल दें।जिस स्वर से श्वास छोड़ें उसी स्वर से पुनः श्वास लें और यथाशक्ति भीतर रोककर रखें… क्रिया सावधानी पूर्वक करें, जल्दबाजी ने करें।

लाभ:-
शरीर की सम्पूर्ण नस नाडियाँ शुद्ध होती हैं।शरीर तेजस्वी एवं फुर्तीला बनता है।भूख बढती है।रक्त शुद्ध होता है।

सावधानी:
नाक पर उँगलियों को रखते समय उसे इतना न दबाएँ की नाक कि स्थिति टेढ़ी हो जाए।श्वास की गति सहज ही रहे।कुम्भक को अधिक समय तक न करें।
कपालभाति प्राणायाम /

विधि:-
कपालभाति प्राणायाम का शाब्दिक अर्थ है, मष्तिष्क की आभा को बढाने वाली क्रिया।इस प्राणायाम की स्थिति ठीक भस्त्रिका के ही सामान होती है परन्तु इस प्राणायाम में रेचक अर्थात श्वास की शक्ति पूर्वक बाहर छोड़ने में जोड़ दिया जाता है।श्वास लेने में जोर ने देकर छोड़ने में ध्यान केंद्रित किया जाता है।


कपालभाति प्राणायाम में पेट के पिचकाने और फुलाने की क्रिया पर जोर दिया जाता है।इस प्राणायाम को यथाशक्ति अधिक से अधिक करें।

लाभ:-
हृदय, फेफड़े एवं मष्तिष्क के रोग दूर होते हैं।कफ, दमा, श्वास रोगों में लाभदायक है।मोटापा, मधुमेह, कब्ज एवं अम्ल पित्त के रोग दूर होते हैं।मस्तिष्क एवं मुख मंडल का ओज बढ़ता है।
भ्रामरी प्राणायाम 

स्थिति:- किसी ध्यान के आसान में बैठें.
विधि:-
आसन में बैठकर रीढ़ को सीधा कर हाथों को घुटनों पर रखें . तर्जनी को कान के अंदर डालें।दोनों नाक के नथुनों से श्वास को धीरे-धीरे ओम शब्द का उच्चारण करने के पश्चात मधुर आवाज में कंठ से भौंरे के समान गुंजन करें।नाक से श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ दे।पूरा श्वास निकाल देने के पश्चात भ्रमर की मधुर आवाज अपने आप बंद होगी।इस प्राणायाम को तीन से पांच बार करें।
लाभ:-
वाणी तथा स्वर में मधुरता आती है।ह्रदय रोग के लिए फायदेमंद है।मन की चंचलता दूर होती है एवं मन एकाग्र होता है।पेट के विकारों का शमन करती है।उच्च रक्त चाप पर नियंत्रण करता है।
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