1.5.16

नजर तेज करने के उपाय, Measures to sharpen eyesight





*सुबह उठकर मुह मे पानी भरकर आँखें खोलकर साफ पानी के छींटे आँखों मे मरने चाहिए इससे आँखों की नजर बढ़ती है|
*बालों पर रंग ,हैयर डाई और केमिकल शेम्पू लगाने से परहेज करें| ये चीजें आँखों की रोशनी घटाती हैं|
*सुबह खाली पेट आधा चम्मच मक्खन आधा चम्मच पीसी हुई मिश्री और 5 पीसी हुई काली मिर्च मिलाकर चाट लें| तत्पशचात कच्चे नारियल की गिरी के 2-3 टुकड़े भली भांति चबाकर खाएं| फिर थौड़ी सी सौंफ चबाकर खाएं| 2-3 माह तक यह उपाय करने से दृष्टि तेज हो जाती है|
*रात को एक चम्मच त्रिफला चूर्ण एक गिलास पानी डालें| सुबह उठकर छानकर इस पानी से आँखें धोएँ| इससे नेत्र ज्योति बढ़ती है | और आँखों के कई रोग नष्ट होते हैं|
*सरसों के तेल से पैरों के तलवों की मालिश करना चाहिए| नहाने से 15 मिनिट पहिले पेरों के अँगूठों को सरसो के तेल मे तर कर लें | आँखों की ज्योति लंबे समय तक कायम रखने मे मददगार उपाय है| *10 ग्राम छोटी हरी ईलायची ,20 ग्राम सौंफ के मिश्रण को महीन पीसकर काँच की शीशी मे भर लें| एक चम्मच मिश्रण दूध के साथ लेते रहने से नजर तेज हो जाती है|
*अंगूर नियमित रूप से खाएं | इससे रात मे देखने की शक्ति बढ़ती है|
*एक चम्मच त्रिफला चूर्ण,एक चम्मच शहद और दो चम्मच गाय के घी को भली प्रकार मिश्रित करें इसे रात को सोते वक्त चाट लें| इससे नेत्र रोग दूर होते हैं,नजर तेज होती है और शारीरिक कमजोरी मे भी लाभदायक है|
*एक चम्मच मुलेठी का चूर्ण,एक चम्मच शहद आधा चम्मच देसी घी को भली प्रकार मिश्रित कर एक पाव दूध के साथ सुबह शाम 3 माह तक सेवन करने से दृष्टि तेज होती है|

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  • 26.3.16

    सरसों के तेल के फायदे // Benefits of Mustard Oil






        सरसों का तेल हर घर में इस्तेमाल होता है। साथ ही यह तेल प्राचीन समय से आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कड़वा तेल यानि सरसों के तेल में कई गुण हैं जो आपकी सेहत और उम्र दोनों को बेहद फायदा पहुंचाते हैं। सरसों का तेल दर्दनाशक होता है जो गठिया व कान के दर्द से राहत देता है इसलिए सरसों का तेल किसी औषघि से कम नहीं है।
    *सरसों का तेल , सर्दी के दिनों में आपके लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। यह न केवल आपके शरीर में गर्माहट पैदा करता है बल्कि अपनी तासीर और गुणों के कारण इसका प्रयोग कई तरह की समस्याओं में औषधि‍ के रूप में किया जाता है।

    गठिया ,घुटनों का दर्द,कमर दर्द ,सायटिका  के अचूक उपचार 

    *  सरसों के तेल में विटामिन ए, विटामिन ई, प्रोटीन्स तथा एंटी आक्सीडैंट्स मौजूद होते हैं। ये सारे तत्व इसे बालों के लिए लाभदायक बनाते हैं। बालों के विकास के लिए सरसों का तेल एक उत्प्रेरक के तौर पर काम करता है। इसमें मौजूद विटामिन्स इस बात को यकीनी बनाते हैं कि बालों का विकास तेजी से और सेहतमंद  ढंग से हो और बाल गिरें नहीं। सरसों के तेल से बालों की मालिश एक सुरक्षित तथा प्राकृतिक कंडीशनर के तौर पर काम करती है और इससे बाल सिल्की और सॉफ्ट बनते हैं।यह बालों की जड़ों को पोषण देकर रक्तसंचार बढ़ाता है जिससे बालों का झड़ना बंद हो जाता है। इसमें ओलिक एसिड और लीनोलिक एसिड पाया जाता है, जो बालों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए अच्छे होते हैं।
    *त्वचा संबंधी समस्याओं में भी बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर के किसी भी भाग में फंगस को बढ़ने से रोकता है और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है।
    * सरसों के तेल में एंटी बैक्टीरियल तथा एंटी फंगल गुण मौजूद होते हैं। जब भोजन के माध्यम से सरसों के तेल का सेवन किया जाता है तो यह पाचन प्रणाली के सारे अंगों जैसे पेट, अंतडिय़ों तथा यूरिनरी ट्रैक्ट की इंफैक्शन से हमारा बचाव करता है। इसका इस्तेमाल एंटी बैक्टीरियल तेल के तौर पर भी किया जाता है। फंगल इंफैक्शन से बचने के लिए इसे सीधा त्वचा पर लगाया जा सकता है।

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    *वजन कम करना-


    सरसों के तेल में मौजूद विटामिन जैसे थियामाइन, फोलेट व नियासिन शरीर के मेटाबाल्जिम को बढ़ाते हैं जिससे वजन आसानी से कम होने लगता है।

    *मलेरिया में-

    मलेरिया मच्छरों के काटने से होता है। ऐसे में सरसों का तेल रात को सोने से पहले अपने शरीर पर लगाकर सोएं। इस उपाय से मलेरिया के मच्छर नहीं काटते हैं।
    *यदि सरसों के तेल का नियमित आधार पर सेवन किया जाए तो यह माइग्रेन के दर्द से राहत देने में बहुत महत्वपूर्ण साबित होता है। यह भी माना जाता है कि यह पाचक रसों की भी पूर्ति करता है जो हमारे उचित पाचन में सहायक होते हैं। जो लोग खांसी-जुकाम, अस्थमा तथा साइनसाइटिस से पीड़ित होते हैं उनमें सरसों का तेल बहुत ही आरामदायक प्रभाव छोड़ता है।
    *भूख नहीं लगने पर भी सरसों का तेल आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। अगर भूख न लगे, तो खाना बनाने में सरसों के तेल का उपयोग करना लाभप्रद होता है। शरीर में पाचन तंत्र को दुरूस्त करने में भी लाभदायक होता है।

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    *बालों के रंग के लिए

    भूरे बालों से परेशान लोगों के लिए सरसों का तेल किसी दवा से कम नहीं है। सरसों का तेल नियमित लगाने से भूरे बाल काले होने लगते हैं। रात को सोने से पहले नियमित सरसों का तेल लगाएं। थोड़े ही दिनों में बालों का रंग काला होने लगेगा।

    *दांत दर्द में-

    यदि दातों में किसी प्रकार का दर्द हो रहा हो तो सरसों के तेल में नमक मिलाकर रगड़ें। आपको राहत मिलेगी। और दांत भी मजबूत बनेगें।



    *शरीर की क्षमता को बढ़ाता है-


    सरसों का तेल शरीर की क्षमता बढ़ाने में एक दवा का काम करता है। शरीर की कमजोरी को दूर करने के लिए और उसकी क्षमता को बढ़ाने के लिए सरसों के तेल की मालिश के बाद नहाने से त्वचा और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं।सरसों के तेल का नियमित इस्तेमाल करने से कोरोनरी हार्ट डिसीज का खतरा कम होता है। जिन्हें दिल की बीमारी की समस्या हो वे सरसों का तेल खाने में इस्तेमाल करें।इसमें विटामिन ई भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो त्वचा को अल्‍ट्रावाइलेट किरणों और पल्‍यूशन से बचाता है। साथ ही यह झाइयों और झुर्रियों से भी काफी हद तक राहत दिलाने में मदद करता है


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    *सरसों के तेल की मालिश करने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और रक्त संचार भी बेहतर होता है। यह शरीर में गर्माहट पैदा करने में भी मददगार होता है।

    *कान दर्द में-

    कान के दर्द में सरसों का तेल फायदा करता है। जब भी कान में दर्द हो तब गुनगुने सरसों के तेल को कान में टपकाएं।

    *गठिया दर्द में

    सरसों के तेल में कपूर को पीसकर मिलाएं और फिर इसकी गठिया वाली जगह पर मालिश करें। यह गठिया दर्द में राहत देता है।

    *कमर दर्द में-

    कमर दर्द से छुटकारा पाने के लिए सरसों के तेल में अजवाइन, लहसुन और थोड़ी से हींग को मिलाकर कमर की मालिश करें।

    *अस्थमा की रोकथाम-

    नियमित रूप से अस्थमा से परेशान लोगों को सरसों का तेल खाने में इस्तेमाल करना चाहिए। सरसों के बीज में मैग्नीशियम ज्यादा होता है। इसके अलावा यह तेल सर्दी और ब्रेस्ट में होने वाली परेशानियों को दूर करता है।

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    *बढ़ती उम्र को रोके-
    सरसों के तेल में विटामिन ए, सी और के की अधिक मात्रा होती है जो बढ़ती हुई उम्र से होने वाले झुर्रिंयां यानि रिंकल और निशान आदि को दूर करती है। सरसों का तेल एंटीआक्सीडेंट भी होता है। जिससे त्वचा टाइट बनी रहती है।
      
    *कैंसर को रोके-

    सरसों के तेल में कैंसर को रोकने वाला गुण ग्लुकोजिलोलेट होता है। जो कैंसर के टयूमर व गांठ को शरीर में बनने से रोकता है साथ ही किसी भी तरह के कैंसर को शरीर पर लगने नहीं देता है।
    सरसों के तेल को बहुत पौष्टिक माना जाता है, इसलिए इसका प्रयोग खाना बनाने के लिए भी किया जाता है। इसकी तासीर गर्म होने से सर्दियों में यह अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

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    20.3.16

    सेम की फली के फायदे, Benefits of Kidney Beans





    सेम को बलोर  भी बोला जाता है| सेम की सब्जी खाई जाती है। यह एक लता है और इसमें फलियां लगती हैं। आयुर्वेद में सेम को कई बीमारियों को ठीक करने की अचूक औषधि बताया गया है।
    आयुर्वेद में सेम मधुर, शीतल, भारी, बलकारी, वातकारक, दाहजनक, दीपन तथा पित्त और कफ का नाश करने वाली कही गई हैं।
    वात कारक होने से इसे अजवाइन , हींग , अदरक , मेथी पावडर और गरम मसाले के साथ फिल्टर्ड या कच्ची घानी के तेल में बनाए. सब्जी में गाजर मिलाने से भी वात नहीं बनता.|
    इसमें लौह तत्व , केल्शियम ,मेग्नेशियम , फोस्फोरस विटामिन ए आदि होते है.
    जो लोग दुबलेपन से परेशान हैं वे सेम का सेवन करें।
    इसके बीज भी शाक के रूप में खाए जाते हैं। इसकी दाल भी होती है। बीज में प्रोटीन की मात्रा पर्याप्त रहती है। उसी कारण इसमें पौष्टिकता आ जाती है।
    सेम और इसकी पत्तियों का साग कब्ज़ दूर करता है|
    छोटे बच्चें में बुखार होने पर उनके पैर के तलुओं में सेम की पत्तियों का रस लगाने से बुखार ठीक हो जाता है।
    चेहरे के काले धब्बों पर सेम की पत्ती का रस लगाने से लाभ होता है|
    सेम एक रक्तशोधक भी है, फुर्ती लाती है, शरीर मोटा करती है।
    त्वचा की समस्या किसी भी तरह की हो आप सेम की सब्जी का सेवन करें आपको फायदा मिलेगा।
    नाक के मस्सों पर सेम फली रगड़ कर फली को पानी में रखे. जैसे जैसे फली पानी में गलेगी , मस्से भी कम होते जाएंगे|
    सेम की सब्जी खून साफ़ करती है और इससे होने वाले त्वचा के रोग ठीक करती है|
    शरीर की कमजोरी को दूर करके शरीर को चुस्त और दुरूस्त करता है सेम का सेवन करना।
    बिच्छु के डंक पर सेम की पत्ती का रस लगाने से ज़हर फैलता नहीं|
    सेम के पत्तों का रस तलवों पर लगाने से बच्चों का बुखार उतरता है|

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  • 18.3.16

    सिंघाड़े के स्वास्थ्य लाभ// Benefits of Water Chestnut

                                         

    सिंघाडे को ट्रापा बिसपीनोसा भी कहा जाता है। यह त्रिकोने आकार का फल होता है । यह स्वास्थ के लिए पौष्टिक और विटामिन युक्त फल है। सिंघाडे का प्रयोग कच्चा और पका कर दोनों ही रूपों में किया जाता है। साथ ही सिंघाड़े का आटे का प्रयोग भी किया जाता है। सिंघाडे में विटामिन ए, बी और सी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह खनिज लवण और कार्बोहाइड्रेट युक्त भी होता है। अब जानते हैं क्या हैं सिंघाड़े में छिपे हुए आयुर्वेदिक गुण जो आपके स्वास्थ को लाभ पहुंचा सकते हैं।
    *दिल के आकार से मिलता-जुलता लाल और हरे रंग का सिंघाड़ा पानी में पैदा होता है. यह एक मौसमी फल है और इसमें कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो इन दिनों कई तरह की बीमारियों से बचाने में कारगर होते हैं. सिंघाड़े का इस्तेमाल कई तरह किया जाता है. कुछ लोग इसे कच्चा खाना ही पसंद करते हैं और कुछ उबालकर. कई जगहों पर इसे सब्जी के तौर पर भी प्रयोग में लाया जाता है|
    *पानी में उगने वाला सिंघाड़ा सेहत के लिए पौष्टिकता से भरपूर होता है। इतना ही नहीं, यह कई बीमारियों में भी फायदेमंद साबित होता है।
    *पानी में पैदा होने वाला तिकोने आकार का फल है सिंघाड़ा। इसके सिर पर सींग की तरह दो कांटे होते हैं, जो छिलके के साथ होते हैं। तालाबों तथा रुके हुए पानी में पैदा होने वाले सिंघाड़े के फूल अगस्त में आ जाते हैं, जो सितम्बर-अक्तूबर में फल का रूप ले लेते हैं। छिलका हटाकर जो बीज पाते हैं, वही कहलाता है सिंघाड़ा। इस जलीय फल को कच्चा खाने में बड़ा मजा आता है। सिंघाड़ा अपने पोषक तत्वों, कुरकुरेपन और अनूठे स्वाद की वजह से खूब पसंद किया जाता है।
    *सिंघाड़ा शरीर को ठंडक प्रदान करने का काम करता है. यह प्यास को बुझाने में भी कारगर होता है. दस्त होने पर इसका सेवन करना फायदेमंद रहता है|
















    *फलाहार में होता है शामिल-
    व्रत-उपवास में सिंघाड़े को फलाहार में शामिल किया जाता है। इसके बीज को सुखाकर और पीसकर बनाए गए आटे का सेवन किया जाता है। असल में एक फल होने के कारण इसे अनाज न मान कर फलाहार का दर्जा दिया गया है। यूं तो सिंघाड़े को कच्चा ही खाया जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे हल्का उबालकर नमक के साथ खाते हैं। सिंघाड़े से साग-सब्जी और बर्फी, हलवा जैसे मिष्ठान भी बनते हैं, जो अनोखा स्वाद लिए होते हैं।
    *इनमें डीटॉक्सि‍फाइंग गुण पाया जाता है. ऐसे में अगर किसी को पीलिया है तो सिंघाड़े का इस्तेमाल उसके लिए बहुत फायदेमंद होगा. यह शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में भी कारगर है|.
    *सिंघाड़े का इस्तेमाल रोजाना की डाइट में किया जा सकता है. इनमें उच्च मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं और कम कैलोरी होने के कारण भी यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है.|
    *सिंघाड़े की बेल को पीसकर उसका पेस्ट, शरीर में जलन वाले स्थान पर लगाने से जलन कम हो जाती है। और लाभ मिलता है।
    *यदि मांसपेशियां कमजोर हैं या शरीर में दुर्बलता हो तो आप नियमित सिंघाड़े का सेवन करें एैसा करने से शरीर की दुर्बलता और कमजोरी दूर होती है।
    *जिन महिलाओं को मूत्र संबंधी रोग है वें सिंघाड़े का आटा ठंडे पानी में लें।
    *सिंघाड़ा पित्त और कफ को खत्म करता है। इसलिए सिंघाड़े का नियमित सेवन करना चाहिए।
    *गले से सबंधी बीमारियों के लिए सिंघाड़ा बहुत ही लाभदायक है। गला खराब होने पर या गला बैठने पर आप सिंघाड़े के आटे में दूध मिलाकर पीयें इससे जल्दी ही लाभ मिलेगा। गले में टांसिल होने पर सिंघाड़ा का सेवन करना न भूलें।
    *पौष्टिकता से भरपूर-
    सिंघाड़े में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी व सी, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स, रायबोफ्लेबिन जैसे तत्व पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है कि सिंघाड़े में भैंस के दूध की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक खनिज लवण और क्षार तत्व पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों ने तो अमृत तुल्य बताते हुए इसे ताकतवर और पौष्टिक तत्वों का खजाना बताया है। इस फल में कई औषधीय गुण हैं, जिनसे शुगर, अल्सर, हृदय रोग, गठिया जैसे रोगों से बचाव हो सकता है। बुजुर्गों व गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह काफी गुणकारी है।
    *ऊर्जा का अच्छा स्रोत
    सिंघाड़े में कार्बोहाइड्रेट काफी मात्र में होता है। 100 ग्राम सिंघाडे में 115 कैलोरी होती हैं, जो कम भूख में पर्याप्त भोजन का काम करता है।
    *थायरॉयड और घेंघा रोग में लाभदायक-
    सिंघाड़े में मौजूद आयोडीन, मैग्नीज जैसे मिनरल्स घेंघा रोग की रोकथाम में अहम भूमिका निभाते हैं।
    *सिंघाड़े में आयोडीन और मैगनीज जैसे कई प्रमुख मिनरल्स होते हैं जो थॉयरॉइड ग्लैंड की सक्रियता को बूस्ट करने का काम करते हैं.
    *जो लोग अस्थमा के रोगी हैं उनके लिए सिंघाड़ा वरदान से कम नहीं है। अस्थमा के रोगीयों को 1 चम्मच सिंघाड़े के आटे को ठंडे पानी में मिलाकर सेवन करना चाहिए। एैसा नियमित करने से अस्थमा रोग में लाभ मिलता है।
    *बवासीर के रोग में सिंघाड़े के सेवन से लाभ मिलता है। यदि सूखे या खूनी बवासीर हो तो आप नियमित सिंघाड़े का सेवन करें। जल्द ही बवासीर में कमी आयेगी और रक्त आना बंद हो जाएगा।
    *वे महिलाएं जिनका गर्भाशय कमजोर हो वे सिंघाड़े का या सिंघाडे़ का हल्वे का सेवन नियमित करती रहें। लाभ मिलेगा।
    *दूर करे गले की खराश-
    सिंघाड़े में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट तत्व गले की खराश और कफ कम करने में प्रभावी रूप से फायदेमंद होते हैं। खांसी के लिए यह टॉनिक का काम करता है।
    *टॉन्सिल का इलाज
    इसमें मौजूद आयोडीन गले में होने वाले टॉन्सिल के इलाज में लाभदायक है। इसमें ताजा फल या चूर्ण खाना दोनों फायदेमंद होता है। सिंघाड़े को पानी में उबाल कर कुल्ला करने से भी आराम मिलता है।
    *गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान
    गर्भाशय की दुर्बलता व पित्त की अधिकता से गर्भावस्था पूरी होने से पहले ही जिन स्त्रियों का गर्भपात हो जाता है, उन्हें सिंघाड़ा खाने से लाभ होता है। इसके सेवन से भ्रूण को पोषण मिलता है और वह स्थिर रहता है। सात महीने की गर्भवती महिला को दूध के साथ या सिंघाड़े के आटे का हलवा खाने से लाभ मिलता है। सिंघाड़े के नियमित और उपयुक्त मात्र में सेवन से गर्भस्थ शिशु स्वस्थ व सुंदर होता है।
    *सिंघाड़ा पित्त और कफ को खत्म करता है। इसलिए सिंघाड़े का नियमित सेवन करना चाहिए।
    *गले से सबंधी बीमारियों के लिए सिंघाड़ा बहुत ही लाभदायक है। गला खराब होने पर या गला बैठने पर आप सिंघाड़े के आटे में दूध मिलाकर पीयें इससे जल्दी ही लाभ मिलेगा। गले में टांसिल होने पर सिंघाड़ा का सेवन करना न भूलें।
    *सिंघाडे़ में आयोडीन की प्रर्याप्त मात्रा होने की वजह से यह घेघां रोग में फायदा करता है।
    *आखों की रोशनी को बढ़ाने में भी सिंघाडा फायदा करता है क्योंकि इसमें विटामिन ए सही मात्रा में पाया जाता है।
    *यौन दुर्बलता को दूर करता है|
    यह यौन दुर्बलता को भी दूर करता है। 2-3 चम्मच सिंघाड़े का आटा खाकर गुनगुना दूध पीने से वीर्य में बढ़ोतरी होती है।
















    *सूजन और दर्द में राहत-

    सिंघाडा सूजन और दर्द में मरहम का काम करता है। शरीर के किसी भी अंग में सूजन होने पर सिंघाड़े के छिलके को पीस कर लगाने से आराम मिलता है। यह एंटीऑक्सीडेंट का भी अच्छा स्रोत है। यह त्वचा की झुर्रियां कम करने में मदद करता है। यह सूर्य की पराबैंगनी किरणों से त्वचा की रक्षा करता है।
    * इसमें पॉलीफेनॉलिक और फ्लेवोनॉयड एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. इसके अलावा ये एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-कैंसर गुणों से भी भरपूर होता है. साथ ही यह अनिद्रा की समस्या को दूर करने में भी सहायक होता है|
    *बालों का संरक्षक
    बाल झड़ने की समस्या आम है। सिंघाड़े में मौजूद निमैनिक और लॉरिक जैसे एसिड बालों को नुकसान पहुंचने से बचाते हैं।
    *फटी एड़ियों से छुटकारा
    एड़ियां फटने की समस्या शरीर में मैग्नीज की कमी के कारण होती है। सिंघाड़ा ऐसा फल है, जिसमें पोषक तत्वों से मैग्नीज ग्रहण करने की क्षमता होती है। सिंघाड़े के नियमित सेवन से शरीर में मैग्नीज की कमी नहीं हो पाती और शरीर हेल्दी बनता है।
    *वजन बढ़ाने में सहायक
    सिंघाड़े के पाउडर में मौजूद स्टार्च पतले लोगों के लिए वरदान साबित होती है। इसके नियमित सेवन से शरीर मोटा और शक्तिशाली बनता है।
    *बुखार व घबराहट में फायदेमंद
    *रोज 10-20 ग्राम सिंघाड़े के रस का सेवन करने से आराम मिलता है।
    *मूत्र संबंधी बीमारियों के इलाज में यह सहायक है।
    पेशाब में जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना जैसी बीमारियों में सिंघाड़े का सेवन लाभदायक है।
    *नाक से नकसीर यानी खून बहने पर सिघाड़े के सेवन से फायदा होता है। यह नाक से बहने वाले नकसीर को बंद कर देता है।
    *प्रसव होने के बाद महिलाओं में कमजोरी आ जाती है। इस कमजोरी को दूर करने के लिए महिलाओं को सिंघाड़े का हलवा खाना चाहिए यह शरीर में होने वाली कमजोरी को दूर करता है।
















    *कैल्शियम की सही मात्रा की वजह से सिंघाड़ा हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है।
    * सिंघाड़े के इस्तेमाल से पुरूषों के वीर्य में बढ़ोत्तरी होती है। साथ यह काम की क्षमता को भी बढ़ता है। इसका प्रयोग आप सिंघाड़े के हलवे के रूप में भी कर सकते हैं। अथवा दूध में दो चम्मच सिंघाड़े का आटा मिलाकर भी प्रयोग कर सकते हैं।
    *सिंघाड़ा कोई साधारण फल नहीं है इसमें छिपे हैं कई गुण जो आपके शरीर और स्वास्थ दोनों के लिए लाभदायक हैं। सिंघाड़े के ये गुण शायद अभी तक आपको नहीं मालूम थे। अब नियमित रूप से इसका सेवन करें ताकी आप और आपका परिवार स्वस्थ जीवन जी सके।
    *दाद खुजली का इलाज
    नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को पीसकर नियमित रूप से लगाने पर दाद-खुजली ठीक हो जाती है।
    *नकसीर होने पर राहत
    जिन लोगों की नाक से खून आता है, उन्हें बरसात के मौसम के बाद कच्चे सिंघाड़े खाना फायदेमंद है।
    *खाने में सावधानियां
    एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 5-10 ग्राम ताजे सिंघाड़े खाने चाहिए। पाचन प्रणाली के लिहाज से सिंघाड़ा भारी होता है, इसलिए ज्यादा खाना नुकसानदायक भी हो सकता है। पेट में भारीपन व गैस बनने की शिकायत हो सकती है। सिंघाड़ा खाकर तुरंत पानी न पिएं। इससे पेट में दर्द हो सकता|






    16.3.16

    केसर के फायदे // Benefits of saffron





    केसर एक अत्युत्तम  औषधि  है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार रोजाना थोड़ी मात्रा में केसर लेने से शरीर में कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं। इसका स्वभाव गर्म होता है। इसलिए औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती।
    यह एक कामशक्ति बढ़ाने वाला रसायन है। महिलाओं की कुछ बीमारियों में यह रामबाण साबित होता है। बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय की सफाई के लिए कुछ दिनों तक इसका नियमित सेवन करना बहुत अच्छा रहता है। माहवारी के दौरान दर्द, अनियमितता व गड़बड़ी से निजात के लिए यह एक अच्छी औषधि है। मासिक धर्म साफ लाने वाली, गर्भाशय व योनि संकोचन जैसे रोगों को भी दूर करती है।
    केसर त्वचा को सुंदर व निखरा बनाती है। यह शरीर को मजबूत बनाती है। लो ब्लडप्रेशर में ये एक बेहतरीन दवा है। अगर ज्यादा सर्दी-खांसी हो रही हो तो केसर दी जाती है क्योंकि ये कफ का नाश करने वाली औषधि है। मन को प्रसन्न करने वाली रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है। 
    अगर सर्दी लग गई हो तो रात्रि में एक गिलास दूध में एक चुटकी केसर और एक चम्मच शहद डालकर यदि मरीज को पिलाया जाए तो उसे अच्छी नींद आती है। त्वचा रोग होने पर खरोंच और जख्मों पर केसर लगाने से जख्म जल्दी भरते हैं।
    शिशुओं को अगर सर्दी जकड़ ले और नाक बंद हो जाये तो मां के दूध में केसर मिलाकर उसके माथे और नाक पर मला जाये तो सर्दी का प्रकोप कम होता है और उसे आराम मिलता है।
    गंजे लोगों के लिए तो यह संजीवनी बूटी की तरह कारगर है।
    जिनके बाल बीच से उड़ जाते हैं, उन्हें थोड़ी सी मुलहठी को दूध में पीस लेना चाहिए। उसमें चुटकी भर केसर डाल कर उसका पेस्ट बनाकर सोते समय सिर में लगाने से गंजेपन की समस्या दूर होती है।
    रूसी की समस्या हो या फिर बाल झड़ रहे हों, ऎसी स्थिति में भी उपरोक्त फार्मूला अपनाना चाहिए। पुरूषों में वीर्य शक्ति बढ़ाने हेतु शहद, बादाम और केसर लेने से फायदा होता है। पेट संबंधित बीमारियों के इलाज में केसर बहुत फायदेमंद है।

    बदहजमी, पेट-दर्द व पेट में मरोड़ आदि हाजमे से संबंधित शिकायतों में केसर का सेवन करने से फायदा होता है।सिर दर्द को दूर करने के लिए केसर का उपयोग किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है।
    खाने का स्‍वाद बढ़ाने के साथ-साथ केसर का उपयोग कई तरह के आयुर्वेदिक उपचार में भी किया जाता है। हल्‍के और अपने सुनहरे लाल रंगों के साथ यह पदार्थ कमल की भीनी खुशबू लिए होता है। केसर को संस्‍कृत में कुमकुम के नाम से पुकारा जाता है। भारत में यह केवल जम्मू तथा कश्मीर के सीमित क्षेत्रों में पैदा होती हैं। केसर विश्व का सबसे कीमती पौधा है।
    *केसर उपयोग की जाने वाली एक अत्युत्तम दवा है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार रोजाना थोड़ी मात्रा में केसर लेने से शरीर में कई प्रकार के रोग नहीं होते हैं। इसका स्वभाव गर्म होता है। इसलिए औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती।
    *यह एक कामशक्ति बढ़ाने वाला रसायन है। महिलाओं की कुछ बीमारियों में यह रामबाण साबित होता है। बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय की सफाई के लिए कुछ दिनों तक इसका नियमित सेवन करना बहुत अच्छा रहता है। माहवारी के दौरान दर्द, अनियमितता व गड़बड़ी से निजात के लिए यह एक अच्छी औषधि है। मासिक धर्म साफ लाने वाली, गर्भाशय व योनि संकोचन जैसे रोगों को भी दूर करती है।
    *केसर त्वचा को सुंदर व निखरा बनाती है। यह शरीर को मजबूत बनाती है। लो ब्लडप्रेशर में ये एक बेहतरीन दवा है। अगर ज्यादा सर्दी-खांसी हो रही हो तो केसर दी जाती है क्योंकि ये कफ का नाश करने वाली औषधि है। मन को प्रसन्न करने वाली रंगीन और सुगन्धित करने वाली होती है।
    *अगर सर्दी लग गई हो तो रात्रि में एक गिलास दूध में एक चुटकी केसर और एक चम्मच शहद डालकर यदि मरीज को पिलाया जाए तो उसे अच्छी नींद आती है। त्वचा रोग होने पर खरोंच और जख्मों पर केसर लगाने से जख्म जल्दी भरते हैं।
    *शिशुओं को अगर सर्दी जकड़ ले और नाक बंद हो जाये तो मां के दूध में केसर मिलाकर उसके माथे और नाक पर मला जाये तो सर्दी का प्रकोप कम होता है और उसे आराम मिलता है।

    *गंजे लोगों के लिए तो यह संजीवनी बूटी की तरह कारगर है। जिनके बाल बीच से उड़ जाते हैं, उन्हें थोड़ी सी मुलहठी को दूध में पीस लेना चाहिए। उसमें चुटकी भर केसर डाल कर उसका पेस्ट बनाकर सोते समय सिर में लगाने से गंजेपन की समस्या दूर होती है।
    *रूसी की समस्या हो या फिर बाल झड़ रहे हों, ऎसी स्थिति में भी उपरोक्त फार्मूला अपनाना चाहिए। पुरूषों में वीर्य शक्ति बढ़ाने हेतु शहद, बादाम और केसर लेने से फायदा होता है। पेट संबंधित बीमारियों के इलाज में केसर बहुत फायदेमंद है।
    *बदहजमी, पेट-दर्द व पेट में मरोड़ आदि हाजमे से संबंधित शिकायतों में केसर का सेवन करने से फायदा होता है।सिर दर्द को दूर करने के लिए केसर का उपयोग किया जा सकता है। सिर दर्द होने पर चंदन और केसर को मिलाकर सिर पर इसका लेप लगाने से सिर दर्द में राहत मिलती है।
    *शुद्ध केसर तेज लाल व नारंगी रंग के रेशों की तरह होते हैं। ये 'क्रॉकस सेट्टिवम' नामक पौधे के फूलों की नाजुक पंखुडिय़ां होती हैं। इस पौधे की ऊंचाई 30 सेंटीमीटर (लगभग 1 फीट) से भी कम होती है, जिसकी पत्तियां पतली व लंबी होती हैं। इसके फूल बैंगनी रंग के होते हैं। मादा फूलों के अंदर तेज लाल रंग की दो से ढाई सेंटीमीटर (लगभग 1 ईंच) लंबी तीन पंखुडिय़ां होती हैं। इन पंखुडिय़ों को सावधानी से निकालकर सुखा लिया जाता है और इस प्रकार केसर तैयार हो जाता है।
    *शुद्ध केसर काफी महंगा होता है, क्योंकि इसके पौधे की रोपाई से लेकर इसे तैयार करने में काफी मेहनत, देखभाल व धैर्य की जरूरत पड़ती है। इस कार्य में काफी वक्त भी लगता है। खाद्य व औषघि के रूप में इसकी अल्प मात्रा की ही जरूरत रहती है। इसके पौधे दक्षिणी यूरोपीय देशों में बहुतायत में मिलते हैं। स्पेन, इटली, ग्रीस व फ्रांस में इसकी खेती सबसे ज्यादा होती है और इन्हीं देशों से इसे दुनियाभर में निर्यात किया जाता है। भारत में इसकी खेती जम्मू-कश्मीर में की जाती है। फ्रांस व स्पेन से भी इसका निर्यात भारत में होता है।
    आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार नियमित रूप से, अल्प मात्रा में ग्रहण करने पर यह त्रि-दोषों (वात, पित्त व कफ) से निजात दिलाता है। इसका स्वभाव गर्म होता है। अत: औषधि के रूप में 250 मिलिग्राम व खाद्य के रूप में 100 मिलिग्राम से अधिक मात्रा में इसके सेवन की सलाह नहीं दी जाती। यह एक कामोद्दीपक रसायन है। अत: इसका उपयोग बाजीकरण के लिए भी किया जाता है। कई अन्य बीमारियों के इलाज में भी इसका उपयोग किया जाता है। महिलाओं की कुछ बीमारियों में यह रामबाण साबित होता है। बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय की सफाई के लिए कुछ दिनों तक इसका नियमित सेवन करना बहुत अच्छा रहता है। माहवारी के दौरान दर्द, अनियमितता व गड़बड़ी से निजात के लिए यह एक अच्छी औषधि है।
    *सावधानी- 

    केसर खरीदते वक्त यह सुनिश्चित करें वह मिलावटी न हो और उसकी गुणवत्ता अच्छी है। औषधीय उपयोग के लिए कश्मीरी केसर सबसे अच्छा माना जाता है। एक ग्राम केसर लगभग 100 रुपये की आती है। इसे कश्मीर एम्पोरियम या आयुर्वेदिक औषधियों की भरोसेमंद दुकानों से खरीदें व सड़क किनारे स्थित दुकानों से कदापि न लें, क्योंकि यह मिलावट वाली हो सकती है।
    *पहचान-
     केसर की सुगंध बेहद तेज होती है। यहां तक कि यदि इसे प्लास्टिक की दो थैलियों में बंद करके भी रख दिया जाए, तो भी इसकी सुगंध चारों ओर फैल जाती है।
    *कुछ खाद्य व औषधीय नुस्खे-
    केसर दूध- 

    केसर दूध ठंडा व गर्म दोनों प्रकार से तैयार किया जाता है। जाड़े के दिनों में गर्म व गर्मी के दिनों में ठंडे दूध का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
    *आवश्यक सामग्री- दो लोगों के लिए-
    दूध- आधा लीटर (ढाई कप), मिश्री या शक्कर- दो चम्मच या स्वाद के अनुसार, केसर- दो सौ मिलिग्राम (एक चुटकी) और कटे हुए बादाम दो चम्मच।
    *गर्म दूध के लिए- 

    दूध को गर्म कर लें और इसमें उपरोक्त सभी सामग्री डालकर चम्मच से तब तक मिलाएं, जब तक उसमें केसर पूरी तरह से घुल न जाए। शुद्ध केसर आहिस्ता-आहिस्ता घुलता है और दूध को एकदम से रंगीन नहीं बनाता, जैसा कि सिंथेटिक केसर करते हैं।
    *ठंडे दूध के लिए-

    थोड़ी सी दूध लेकर इसे गर्म कर लें और इसमें उपरोक्त सभी पदार्थों को अच्छी तरह से घुला लें। अब इसे ठंडा होने दें, फिर शेष दूध मिलाकर फ्रिज में रख दें। आप चाहें तो इसमें बर्फ के कुछ टुकड़े भी डाल सकते हैं, हालांकि इससे दूध का स्वाद कुछ बदल सकता है।"





    *औषधीय नुस्खा-
    आवश्यक सामग्री- केसर 25 ग्राम, घी 50 ग्राम और मिश्री या शक्कर 50 ग्राम

    सबसे पहले मिश्री को अच्छी तरह पीस लें। इसके बाद घी को गर्म कर लें और उसमें केसर को डालकर धीरे-धीरे चलाएं। फिर इसमें पीसी मिश्री मिला लें और कुछ देर तक इसे चलाएं। इसके बाद इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दें।
    खुराक- चौथाई चम्मच गर्म दूध, गर्म पानी या गर्म चाय के साथ सेवन करें। यदि आपकी इच्छा इसके साथ कुछ पीने का न हो, तो इसका सेवन ऐसे भी कर सकते हैं,
    *चिंता दूर करे केसर में कुछ क्रियाशील तत्व पाए जाते हैं जिससे दिमाग में डिप्रेशन नहीं पैदा होता। यह दिमाग को शांत करती है और चिंता को दूर भगाती है। पेट के लिये इसे भोजन या दूध में लेने से पाचन क्रिया बेहतरीन होती है।
    *खूबसूरत त्‍वचा पुराने जमाने से ही हमारी दादी-नानी खूबसूरत त्‍वचा पाने के लिये केसर का प्रयोग किया करती थीं। केसर ना केवल चेहरे से दाग-धब्‍बे हटा कर चहरे को चमकदार बनाता है बल्‍कि यह आयुर्वेदिक तेल में भी प्रयोग किया जाता है। चेहरे के दाग हटाने के लिये पानी और केसर को मिश्रण कर के चेहरे पर लगाएं। गोरा बनाएं इस पेस पैक को बनाने के लिये एक चुटकी केसर, दूध और जैतून का तेल मिश्रण कर के चेहरे पर लगाइये। जब पैक सूख जाए तब इसे स्क्रब कर के साफ कर लीजिये और चेहरा धो लीजिये।
    *मूत्र विकार यह एक मूत्रवर्धक औषधी भी है। घर पर रात को पानी में थोड़ी सी केसर भिगो कर सुबह उसे शहद या चीनी के साथ सेवन करें। इससे मूत्र विकार दूर होगा।
    *दिमाग बनाए तेज केसर दिमाग और नाड़ीमंडल के लिये किसी वरदान से कम नहीं। रोज रात को सोने से पहले दूध में केसर के कुछ रेशे डालना ना भूलें। बीमारियां भगाए केसर में रासायनिक घटकों की मौजूदगी की वहज से इसे भोजन में प्रयोग करने से बीमारियों से छुटकारा मिलता है। इसमें कैल्‍शियम, विटामिन और प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है जिससे पूरा शरीर निरोग रहता है।
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    15.3.16

    छाछ के फायदे , Benefits of Buttermilk







      आयुर्वेद में छाछ को सात्विक आहार माना गया है। दही से बनने वाला यह पेय पदार्थ स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है। जब भी आप भारी या मसालेदार भोजन की वजह से एसिडिटी का अनुभव करें, तो एक गिलास छाछ पी लें। पेट के लिए छाछ बहुत फायदेमंद है, खासकर गर्मियों में इससे बेहतर आपका मित्र और कोई नहीं हो सकता।
     कहा जाता है कि छाछ धरती का अमृत है। यह शरीर की बीमारियों को दूर भगाता है। बाजार में बिकने वाले महंगे शीतल पेयों से छाछ लाख गुना अच्छी है। इसके कई फायदे हैं। मट्ठे का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है गर्मियों में रोजाना छाछ का सेवन अमृत के समान है। इसमें कैलोरी और फैट कम होता है। छाछ के ढेरों फायदे हैं-
    *छाछ को भोजन के साथ लेना हितकारी होता है। यह आसानी से पचने वाला पेय है।
    *छाछ में 90 प्रतिशत से अधिक पानी होता है, इसलिए इसका सेवन शरीर में जल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। आंतें इसे धीरे-धीरे एब्जॉर्ब करती हैं, क्योंकि इसकी सामग्री ज्यादातर प्रोटीन के साथ जुड़ी होती हैं। छाछ पीना किसी भी अन्य स्वाद वाले पेय या फिर सादे पानी की तुलना में बेहतर है। फर्मेंटेड छाछ का स्वाद खट्टा होता है, लेकिन जैविक रूप से मानव शरीर और कोशिकाओं के लिए बहुत पोषक भरा होता है।

    फैट के बिना कैल्शियम

    बहुत लोग मानते हैं कि यह बटरमिल्क है, इसलिए यह फैट और कैलोरी से भरा होगा, लेकिन सामान्य दूध की तुलना में इसमें कम फैट होता है। दूध में एक महत्वपूर्ण घटक होता है – कैल्शियम। दूध भी वसा से भरा होता है। लैक्टोज को सहन न करने वालों ( जो दूध का सेवन करने से बचते हैं) के लिए छाछ एकमात्र प्राकृतिक कैल्शियम का स्रोत है। ऐसे लोग छाछ का सेवन करके आवश्यक कैल्शियम ले सकते हैं। यह किसी भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया का कारण नहीं होगा, क्योंकि लैक्टोज छाछ में मौजूद स्वस्थ बैक्टीरिया को लैक्टिक एसिड में बदल दिया जाता है। *ताजे दही से बनी छाछ का प्रयोग ज्यादा लाभकारी होता है। छाछ से पेट का भारीपन, आफरा, भूख न लगना, अपच व पेट की जलन की शिकायत दूर होती है।पैर की एड़ियों के फटने पर मट्ठे का ताजा मक्खन लगाने से आराम मिलता है।

    पाचन तंत्र में सुधार

    छाछ के सेवन से मसालेदार और तीखे भोजन से पेट में होने वाली जलन से आराम मिलता है। यह भोजन के ज्वलनशील तत्वों को साफ कर देता है, जिससे पेट को आराम मिलता है। भोजन के बाद आप इसका सेवन कर सकते हैं। इसके स्वाद और चिकित्सकीय गुणों को बढ़ाने के लिए आप इसमें अदरक व जीरा पाउडर आदि मिला सकते हैं। छाछ शरीर की गर्मी को शांत करने का काम भी करता है। यह महिलाओं द्वारा खासतौर पर पसंद किया जाता है, क्योंकि यह रजोनिवृत्ति से पहले और बाद में शरीर की गर्मी को शांत करता है। साथ ही रजोनिवृत्ति से पीड़ित महिलाओं के कई लक्षणों को छाछ कम करने का काम करता है। अचानक गर्मी (हॉट फ्लैश) लगने जैसी समस्या से पीड़ित लोग छाछ को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना सकते हैं। साथ ही जिनके शरीर का तापमान और मेटाबॉलिज्म स्तर अधिक होता है, वो बटरमिल्क का लाभ उठा सकते हैं। *अत्यधिक मानसिक तनाव होने पर छाछ का सेवन लाभकारी होता है।

    तैलीय भोजन को साफ करने का काम

    अगर आप भारी भोजन के बाद पेट को फूला हुआ महसूस करते हैं, तो एक गिलास छाछ आपकी इस समस्या को शांत कर सकता है। छाछ के साथ अदरक, जीरा व धनिया आदि मिलाकर पीने से पाचन क्रिया को बहुत मदद मिलती है। इसके अलावा, छाछ भोजन से तेल और वसा को साफ करने में भी कुशल है। भारी भोजन के बाद आमतौर पर लोग सुस्ती महसूस करते हैं, लेकिन भोजन के बाद एक गिलास छाछ आपकी इस सुस्ती को दूर कर सकता है। इसके सेवन के बाद आप अधिक चुस्त महसूस करने लगेंगे।
    *जले हुए स्थान पर तुरंत छाछ या मट्ठा मलना चाहिए।
    *सिर के बाल झड़ने पर बासी छाछ से सप्ताह में दो दिन बालों को धोना चाहिए।

    डिहाइड्रेशन के खिलाफ प्रभावी

    दही में नमक व मसाले डालकर बनाई गई छाछ डिहाइड्रेशन को रोकने का एक प्रभावी उपचार है। यह इलेक्ट्रोलाइट्स से भरा प्रभावी पेय है, जो शरीर से पानी की कमी और शरीर में गर्मी के खिलाफ लड़ने का काम करता है। गर्मियों के दौरान आप इसका आनंद जी भरकर ले सकते हैं। यह आपको चुभन भरी गर्मी, बेचैनी और थकान से आराम दिलाने का काम करेगा।*मोटापा अधिक होने पर छाछ को छौंककर सेंधा नमक डालकर पीना चाहिए।



    6.3.16

    नजर तेज करने के उपाय: Measures to sharpen eyesight






    प्रकृति का खूबसूरत तोहफा है आँखें। आँख है तो दुनिया रंगीन है, वरना चारों ओर अंधेरा है, इसलिए आँख की सुरक्षा भी जरूरी है, खास कर उन लोगों के लिए, जिन्हें कम नजर आता है या चश्मा लगाना पड़ता है।यदि हम जीवन जीने की शैली को कुछ बदल लें तथा अच्छे उपाय करें तो नजर की कमजोरी ठीक कर सकते हैं।
    यहाँ दिए जा रहे उपायों से आप आँखों की सुरक्षा कुछ हद तक कर सकते हैं। निरंतर बगैर नागा किए निम्नलिखित उपाय करें तो हो सकता है आपका चश्मा छूट जाए। यह सब नियम पालन पर निर्भर है।

    घरेलू चिकित्सा द्वारा उपचार

    *200 ग्राम बादाम गिरि, 200 ग्राम सौंफ, 20 ग्राम दक्षिणी मिर्च (सफेद मिर्च) पीसकर 50 ग्राम घी में अच्छी तरह रगड़ लें तथा 400 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। 2-2 चम्मच दवा गाय दूध के साथ सुबह-शाम 3-4 माह सेवन करने से नजर में इजाफा होता है। साथ में ऊपर बताए अन्य उपाय भी करें।
    **गोरखमुंडी का अर्क 25-30 मिली नित्य प्रात: कुछ दिन सेवन करने से नजर बढ़ती है।


    एक हल्दी की गांठ को नीबू में छेदकरके अन्दर रख दें। जब 8-10 दिन में नीबू सूख जाए तो फिर दूसरे नींबू में अन्दर रख दें। यह प्रक्रिया 3 बार करें। अर्थात् एक महीने बाद उस गांठ को गुलाब जल की कुछ बूंदें पत्थर में डालकर घिसकर अंजन की तरह आंख में लगाएं। कुछ दिन लगाने से आंख की रोशनी में फायदा होगा।
    *100-100 ग्राम अश्वगन्धा चूर्ण, आंवला चूर्ण तथा मुलैठी चूर्ण मिलाकर रख लें। 4-5 ग्राम दवा रोज प्रात: सायं दूध के साथ 2-3 माह लेने से आंखों की कमजोरी में लाभ होता है।
    *सुबह सूर्योदय से पहले उठें और उठते ही मुँह में पानी भरकर बंद आँखों पर 20-25 बार ठंडे पानी के छींटे मारें। याद रखें, मुँह पर छींटे मारते समय या चेहरे को पानी से धोते समय मुँह में पानी भरा होना चाहिए।
    *धूप, गर्मी या श्रम के प्रभाव से शरीर गर्म हो तो चेहरे पर ठंडा पानी न डालें। थोड़ा विश्राम कर पसीना सुखाकर और शरीर का तापमान सामान्य करके ही चेहरा धोएँ । आँखों को गर्म पानी से नहीं धोना चाहिए।
    *नहाने से पूर्व मुख में पानी भरकर और आंखें खोलकर साफ पानी से छीटें मारें या बाल्टी में साफ पानी भर कर चेहरे को थोड़ा पानी में डुबाकर पानी में आंखें 10-15 बार खोलें व बन्द करें।
    * रोज प्रात: हल्के गुनगुने पानी में थोड़ा सा नमक डालकर टोटीदार लोटे से दोनों नथुनों से जलनेति क्रम से करें, फिर घी या सरसों का तेल लगा लें।
    रात्रि में 2-3 ग्राम त्रिफला चूर्ण 20-25 मि.ली साफ पानी में मिलाकर कांच के गिलास में ढक कर रख दें। प्रात: पानी निथारकर छानकर एक बर्तन में रख लें। उसमें आंख डुबोकर बार-बार खोलें व बन्द करें। (30-40 बार)
    *बहुत दूर के पदार्थों या दृश्यों को देर तक नजर गड़ाकर न देखें, तेज धूप से चमकते दृश्य को न देखें, कम रोशनी में लिखना, पढ़ना व बारीक काम न करें। नींद आ रही हो, आँखों में भारीपन, जलन या थकान महसूस हो तो काम तत्काल बंद कर थोड़ा विश्राम कर लें।
    *देर रात तक जागना और सूर्योदय के बाद देर तक सोना आँखों के लिए हानिकारक होता है। देर रात तक जागना ही पड़े तो घंटा-आधा घंटे में एक गिलास ठंडा पानी पी लेना चाहिए। सुबह देर तक सोकर उठें तो उठने के बाद मुँह में पानी भरकर, आँखों पर ठंडे पानी से 20-25 छींटे जरूर मारें।
    *आँखों को धूल, धुआँ, धूप और तेज हवा से बचाना चाहिए। ऐसे वातावरण में ज्यादा देर न ठहरें। लगातार आँखों से काम ले रहे हों तो बीच में 1-2 बार आँखें बंद कर, आँखों पर हथेलियाँ हलके हलके दबाव के साथ रखकर आँखों को आराम देते रहें।
    *रोज प्रात: खाली पेट दोनों हाथों की तर्जनी व मध्यमा उंगली के नीचे जड़ पर तथा पैर की इन्हीं दो उंगलियों के नीचे आधा से एक मिनट क्रम में तीन बार दबाव देकर एक्यूप्रेशर चिकित्सा करें।
    *दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।


     
    *प्रात:-सायं भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, कपालभांति और भ्रामरी प्राणायाम करें।
    *रोज प्रात: योगासान करें या पूरे शरीर का व्यायाम करें।
    *खाना हल्का सुपाच्य एवं शाकाहारी करें।
    *आंखों को धूल, मिट्टी, धुंआ, प्रदूषण, गन्दा पानी, अधिक धूप, अधिक ठंड आदि से बचाएं।
    *यात्रा करते समय, बस, रेलगाड़ी व अन्य वाहनों में चलते-चलते कुछ न पढ़ें।
    *अधिक रात्रि जागरण न करें, अधिक अंग्रेजी दवाएं सेवन न करें।
    *तेज रफ्तार की सवारी करने पर हवा से आँखों को बचाएँ। अधोवायु, मल-मूत्र, छींक और तनाव अधिक देर तक लगातार रोना, अत्यधिक शोक संतृप्त रहना आदि नेत्रों को हानि पहुँचाने वाले काम हैं। इनसे बचने की भरपूर कोशिश करनी चाहिए। आँखें सबसे कोमल और संवेदनशील अंग हैं अतः जरा से गलत आचरण का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव आँखों पर ही पड़ता है यह तथ्य याद रखना चाहिए।