29.9.21

काला धतूरा के चमत्कारिक गुण उपयोग फ़ायदे:black datura plant



 

आयुर्वेदिक मत से धतूरा नशीला बुखार को दूर करने वाला कुष्ठ को नष्ट करने वाला, कसैला, मीठा, कड़वा, जुएं और लीख को मारने वाला, गरम, भारी तथा वर्ण, कफ, चर्म रोग, किर्मी और विष को नष्ट करने वाला है। यह कांति, जठराग्नि और वात को बढ़ाता है।
  धतूरे का पौधा सारे भारत में सर्वत्र सुगमता से बहुतायत में उपलब्ध होता है। आमतौर पर खेतों के किनारे, जंगलों में, गांवों, शहरों में यहां-वहां उगा हुआ दिख जाता है। भगवान शिव की पूजा के लिए लोग इसके फूल और फलों का उपयोग करते हैं। धतूरा सफेद, काला, नीला, पीला तथा लाल पुष्प वाला पांच जातियों का मिलता है, जिसमें काला धतूरा श्रेष्ठ माना जाता है।
 धतूरा को अन्य भाषाओं में मदन, उन्मत्त, शिवप्रिय, महामोही, कृष्ण धतूरा, खरदूषण, शिवशेखर, सविष, कनक, धुतूरा, सादा धुतूरा, धोत्रा, काला धतूरी, जन्जेलमापिल, ततूर, दतुरम, (stramonium) आदि नामो से जाना जाता है। ये एक क्षुप जाति की वनस्पति है। इसके पत्ते बड़े डंठल युक्त, नोकदार, अण्डाकृत होते है। इसके फूल घंटे के आकार के होते है, फूल का रंग बीच में सफ़ेद होता है। इनमे पांच पंखुडिया होती है।इसके फल गोल, कांटेदार और भीतर बहुत बीजो वाला होता है। इसके वनस्पति के सूखे पत्ते और बीज औषधि प्रयोग के काम आते है। इसके बीज कालेपन लिए भूरे रंग के, चपटे, खुरदरे और कड़वे होते है। इनमे कोई सुगंध नहीं होती, मगर कूटने पर एक प्रकार की उग्र गंध आती है। 
  काला धतूरा के पत्ते नोक दार ,डंठल युक्त और बड़े आकार के होते हैं। काला धतूरा के फूल घंटी के आकार के होते हैं इनका रंग सफेद होता है। काला धतूरा का फल गोल और ऊपर से कांटेदार होता है । काला धतूरा का बीज काले रंग के और बहुत अधिक मात्रा में फल में मिलते हैं।
काला धतूरा के बीज गंध रहित होते हैं।
काला धतूरा का वैज्ञानिक नाम धतूरा स्ट्रामोनियम DHATURA STRAMONIUM है ।
धतूरे के अंदर कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसका इस्तेमाल करके हम स्वस्थ बने रह सकते हैं। आयुर्वेद की कई दवाओं में भी इसके पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है।
धतूरा मस्तिक में सुस्ती पैदा करने वाला, पित्त की तेजी से होने वाले सिर दर्द को दूर करने वाला है। यह सूजन को पकाकर बिखेर देता है। खराब दोषो को सुखा देता है। स्तंभन पैदा करता है। पाचक है, उल्टी लगाता है, कफ की बुखार, कोढ़, फोड़े फुंसी और पेट के कीड़ों को नष्ट करता है। इसके रस को पिलाने से कुत्ते का विश्व शांत होता है। दूसरे जहरीले जानवरों के बीष पर भी यह लाभ पहुंचाता है। मासिक धर्म में भी यह लाभदायक है।
उदरशूल, पिताश्यमरी शुल और मूत्र पिंड के शुल में भी यह धतूरा दिया जाता है मगर इन कामों में अफीम और खुरासानी अजवायन धतूरे की अपेक्षा विशेष उत्तम होते हैं।यह आपकी चोट के दर्द को चुटकियों में दूर कर सकता है। इसके अलावा भी इसके कई फायदे हैं, जिनके बारे में नीचे पूरी जानकारी दी जा रही है। इस बात का विशेष ध्यान दें कि धतूरे को खाने के लिए बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना है। यह जानलेवा भी हो सकता है।


कान के किसी भी रोग में करें उपयोग

कान में दर्द और सूजन की स्थिति में आप धतूरे का प्रयोग कर सकते हैं। धतूरे में एंटी-इन्फेल्मेट्री और एंटी-सेप्टिक गुण पाया जाता है। इस कारण से यह कान की इस समस्या को खत्म करता है
धतूरे के अंदर कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इसका इस्तेमाल करके हम स्वस्थ बने रह सकते हैं। आयुर्वेद की कई दवाओं में भी इसके पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है।
   यह आपकी चोट के दर्द को चुटकियों में दूर कर सकता है। इसके अलावा भी इसके कई फायदे हैं, जिनके बारे में नीचे पूरी जानकारी दी जा रही है। इस बात का विशेष ध्यान दें कि धतूरे को खाने के लिए बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना है। यह जानलेवा भी हो सकता है।

​रखें इस बात का ध्यान

फायदे जानने से पहले यह बात जान लें कि इसे केवल त्वचा पर इस्तेमाल करना है। इसे खाना नहीं है, क्योंकि इसमें कुछ जहरीले तत्व भी पाए जाते हैं। ओरल रूप में किया गया इनका सेवन जानलेवा भी हो सकता है। खासकर इसे बच्चों की पहुंच से दूर रखें।

धातू का बहना मे धतूरे के फायदे 

धतूरे के बीज और काली मिर्ची को पानी में पीसकर काली मिर्च के बराबर गोलियां बना लें इसमें से एक गोली सुबह-शाम सौंफ अर्क के साथ लेने से 21 रोज में पुरानी से पुरानी अनैच्छिक वीर्य स्राव की बीमारी दूर हो जाती है मगर खटाई और बादी की चीजों से परहेज करना चाहिए।

​गंजेपन की समस्या को करता है खत्म

गंजेपन से परेशान लोग इसके रस को प्रभावित जगह पर लगा सकते हैं। इसके रस में ऐसे विशेष गुण होते हैं, जो सीबम को स्वस्थ करते हैं और गंजेपन की समस्या को रोक देते हैं।
​हड्डियों के जोड़ बनाता है मजबूतहड्डियों को मजबूत बनाने के लिए भी धतूरे का उपयोग किया जाता है। धतूरे में कैल्शियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसका रस निकालकर हड्डियों के जोड़ पर मालिश करने से यह स्किन पोर से सोख लिया जाता है। जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है।

गठिया (आर्थराइटिस) रोग को जड़ से खत्म करे धतूरा

इसके पत्तो को पीसकर सूती कपडे में पुल्टिस बांधकर या पेस्ट बनाकर दर्द वाली जगह पर लेप करने से गठिया और हड्डी के दर्द में बहुत लाभ मिलता है।

दांत के दर्द में धतूरा के औषधीय प्रयोग

शिवशेखर के बीजो को पीसकर गोली बना ले। इसे दांत में हुए सूराख या दांत के दर्द वाले स्थान पर रखने से लाभ मिलता है।

चुटकियों में दूर होंगे कई दर्द

अगर आपको किसी प्रकार का दर्द है तो आप इसके जरिए उसे चुटकियों में दूर कर सकते हैं। धतूरे को पीसकर इसका पेस्ट बना लें और इसमें दो चार बूंद शहद की मिला लें। अब इसे दर्द वाले स्थान पर लगा लें। एंटीसेप्टिक गुण होने के कारण इसका पेस्ट आपके दर्द को ठीक कर देगा।

चोट की सूजन को करता है दूर

धतूरे के फल में एंटीइन्फ्लेट्री गुण पाया जाता है, जिसके कारण से यह चोट की या सामान्य रूप से हुई सूजन को कम कर देता है। चोट की सूजन को दूर करने के लिए इसके फलों को खूब अच्छी तरह कूट लें। पेस्ट बनाकर इसे सूजन वाली जगह पर लगाकर राहत पाई जा सकती है। प्राइवेट पार्ट में क्रिकेट आदि खेलने के दौरान होने वाली सूजन को दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है

सेक्स पॉवर बढ़ाने में धतूरा उपयोगी –

धुतूरा के बीज, अकलकरा और लौंग इन तीनो चीजों की पीसकर गोलिया बना ले। इन गोलियों के खिलाने से कामशक्ति बढ़ती है।

वायरल बुखार में अपनाएं धतूरा के घरेलू उपाय –

काले धतूरे के बीज को पीसकर इसका चूर्ण बना ले। इसे आधी रत्ती के मात्रा में बुखार आने से पहले देते पर बुखार छूट जाता है और शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है।

धतूरा के पत्तों की पोटली (घाव )

जिस घाव पर गहरा पीप या पपड़ी जम गया हो उसको गुनगुने पानी की धार से धोकर दिन में 3-4 बार धतूरा के पत्तों की पोटली बांधनी चाहिए।
धतूरे के पत्तों के रस को आग पर गाढ़ा करके, कान के पीछे की सूजन पर लगाने से आराम मिलता है।
• कान में यदि मवाद बहता हो तो 8 भाग सरसों का तेल, 1 भाग गंधक, 32 भाग धतूरा के पत्तों का रस मिलाकर गर्म कर लें, फिर इस तेल की एक बूंद कान में सुबह-शाम डालने से कान के दर्द में आराम आता है।
• धतूरे के पत्तों को गर्म करके 2-3 बूंदों को कान में टपकाने से कान दर्द से छुटकारा मिलता है।
• 400 ग्राम धतूरा का रस, धतूरा के रस में चटनी की तरह पिसी हुई हल्दी 25 ग्राम और तिल का तेल 100 ग्राम लेकर हल्की आग पर पका लेते हैं। तेल शेष रहने पर छान लेते हैं। यह कान के और नाड़ी के घाव के लिए लाभकारी होता है।
• जिस कान में दर्द हो उसके अन्दर धतूरे के ताजे पत्तों के रस को गुनगुना करके इस रस की 2 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

बादी के दर्द में धतूरा के औषधीय प्रयोग


काले धतूरे का पंचांग का रस निकालकर उसको तिल्ली के तेल में पचा देना चाहिए, इस तेल को मालिश करके ऊपर धतूरे के पत्ते से बाँध देने से बादी का दर्द मिट जाता है।

हाथ – पैरों में पसीने की अधिकता में धतूरा के बीजों की राख

• धतूरे के बीजों की राख बनाते हैं। फिर इसे 1-1 ग्राम की मात्रा में 8-10 दिन रोजाना एक बार सेवन करने से हाथ-पैरों में अधिक पसीना आने का रोग दूर हो जाता है।
• लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग धतूरे के बीजों को खाने से हाथ-पैरों में पसीना आने वाले रोगी को लाभ मिलता है।
*धतूरा के बीज का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर 1 ग्राम तक दही के साथ बुखार आने से पहले खिला दें तो बुखार दुबारा नहीं चढ़ता है। इस प्रयोग से पहले बीजों को लगभग 12 घंटे तक गाय के मूत्र में भिगोकर रख दें।

धतूरा का पीला पत्ता कान से कम सुनाई देना –

धतूरा का पीला पत्ता (बिना छेद वाला) को गर्म करके उसका रस निकाल लें। इस रस को लगातार 15 दिन तक कान में डालने से बहरापन ठीक हो जाता है।

पारम्परिक उपयोग:

काला धतूरा के बीज, पत्तियों और जड़ों का उपयोग पागलपन, बुखार, दस्त, मस्तिष्क संबंधी जटिलताओं, त्वचा रोगों में किया जाता है।
इसके पत्तों और बीज के रस को तेल में मिलाकर गठिया के सूजन, फोड़े और गांठों में दर्द को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है।
कफ को ठीक करने के लिए इसके पौधे की पत्तियों से धूम्रपान किया जाता है।
इसकी जड़ों का उपयोग दांत दर्द और दांतों को साफ करने में किया जाता है।
काला धतूरा को दूध में उबाल कर मक्खन के साथ पागलपन के इलाज में दिया जाता है।
असम में, इसकी चार-पाँच पत्तियों को सरसों के तेल के साथ गर्म करने के बाद महिलाओं के स्तन को कसने के लिए लगातार 10 दिनों तक स्तन के ऊपर बाँधा जाता है।
पश्चिम बंगाल के लोग इसके बीजों के रस को सरसों के तेल तथा अन्य सामग्री में मिलाकर कुष्ठ रोग में लगाते हैं।
आंध्र प्रदेश में थोड़े से चूने के साथ इसकी पत्तियों का पेस्ट खुजली के इलाज में इस्तेमाल होता है।
बुखार में 4 दिनों तक दिन में दो बार काली मिर्च और लहसुन के साथ पत्तियों को पीसकर बनाई गई गोली दिया जाता है।
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25.9.21

यौन शक्ति बढ़ाने के अचूक घरेलू उपाय sex power






अच्छी सेहत स्वास्थ्य की निशानी होती है. यदि सेहत ठीक है तो आप हर तरह के काम को अच्छी तरह से कर सकते हैं और इसके लिए आप हमेशा अपने खानपान का ध्यान रखते हैं एवं फल, फ्रूट इत्यादि का सेवन करते हैं. फिर भी आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ न कुछ कमी रह जाती है. जिस वजह से शरीर में कई तरह की बीमारियां होने की संभावना अधिक हो जाती है. कई पुरुष ऐसे में गुप्त रोगों के शिकार हो जाते हैं और नपुंसकता एवं पौरूष शक्ति sex power की समस्या से घिर जाते हैं. जिसके कारण उनके वैवाहिक जीवन प्रभावित होने लगता है.

नपुंसकता होने के कारण-

डायबिटीज होना, खानपान में पौष्टिक तत्वों की कमी होना, ज्यादा शराब पीना, अप्राकृतिक संबंध बनाना, किसी गंभीर बीमारी का ऑपरेशन होना, किडनी या लिवर खराब होना, मनोवैज्ञानिक कारण, धूम्रपान करना इसके अलावा पुरुषों में हार्मोन्स की कमी की वजह से भी नपुंसकता की समस्या हो जाती है.

नपुंसकता के लक्षण-

 शारीरिक संबंध के दौरान जल्दी थक जाना, इंद्री में कठोरता का कम होना, आत्मविश्वास में कमी होना, इंद्री का छोटा हो जाना, घबराहट लगना, संभोग के लिए उत्तेजना ना होना.
कुछ ऐसे घरेलू उपाय है जिनको आप खुद ही तैयार करके प्रयोग में ला सकते हैं। ये घरेलू नुस्खें सरल, सस्ते, हानि रहित तथा लाभदायक है। ये घरेलू नुस्खें इस प्रकार हैः-

अश्वगंधाः- 

अश्वगंधा का चूर्ण तथा बिदारीकंद को 100-100 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण दूध के साथ सुबह और शाम लेना चाहिए। यह मिश्रण वीर्य को ताकतवर बनाकर शीघ्रपतन की समस्या से छुटकारा दिलाता है।
*.अदरक का रस, प्याज का रस, घी और शहद को अच्छी तरह बराबर मात्रा में मिलाकर इसका लगातार एक माह तक सेवन करने से नपुंसकता की समस्या दूर हो जाती है.

 त्रिफलाः- 

एक चम्मच त्रिफला के चूर्ण को रात को सोते समय 5 मुनक्कों के साथ लेना चाहिए तथा ऊपर से ठंडा पानी पिएं। यह चूर्ण पेट के सभी प्रकार के रोग, स्वप्नदोष तथा वीर्य का शीघ्र गिरना आदि रोगों को दूर करके शरीर को मजबूती प्रदान करता है।

लहसुन : 

200 ग्राम लहसुन पीसकर उसमें 60 मिली शहद मिलाकर एक साफ-सुथरी शीशी में भरकर ढक्कन लगाएं और किसी भी अनाज में 31 दिन के लिए रख दें। 31 दिनों के बाद 10 ग्राम की मात्रा में 40 दिनों तक इसको लें। इससे यौन शक्ति बढ़ती है।

 छुहारेः- 

चार-पांच छुहारे, दो-तीन काजू तथा दो बादाम को 300 ग्राम दूध में खूब अच्छी तरह से उबालकर तथा पकाकर दो चम्मच मिश्री मिलाकर रोजाना रात को सोते समय लेना चाहिए। इससे यौन इच्छा और काम करने की शक्ति बढ़ती है।

शिलाजीत 

ताकत और ऊर्जा  sex power  पाने के लिए कम से कम सप्ताह में 3 दिन दूध के साथ शिलाजीत का सेवन करें.
 
उंटगन के बीजः-

  6 ग्राम उंटगन के बीज, 6 ग्राम तालमखाना तथा 6 ग्राम गोखरू को समान मात्रा में लेकर आधा लीटर दूध में मिलाकर पकाएं। यह मिश्रण लगभग आधा रह जाने पर इसे उतारकर ठंडा हो जाने दें। इसे रोजाना 21 दिनों तक समय अनुसार लेते रहें। इससे नपुंसकता (नामर्दी) रोग दूर हो जाता है।

 आधा ग्राम तुलसी के बीज तथा 5 ग्राम पुराने गुड़ को बंगाली पान पर रखकर अच्छी तरह से चबा-चबाकर खाएं। इस मिश्रण को विस्तारपूर्वक 40 दिनों तक लेने से वीर्य बलवान बनता है, संभोग करने की इच्छा तेज हो जाती है और नपुंसकता जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।

 गोखरूः- सूखा आंवला, गोखरू, कौंच के बीज, सफेद मूसली और गुडुची सत्व-

इन पांचो पदार्थों को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। एक चम्मच देशी घी और एक चम्मच मिश्री में एक चम्मच चूर्ण मिलाकर रात को सोते समय इस मिश्रण को लें। इसके बाद एक गिलास गर्म दूध पी लें। इस चूर्ण से सेक्स कार्य में  sex power  अत्यंत शक्ति आती है।

सफेद मूसलीः- 

सालम मिश्री, तालमखाना, सफेद मूसली, कौंच के बीज, गोखरू तथा ईसबगोल- इन सबको समान मात्रा में मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस एक चम्मच चूर्ण में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम दूध के साथ पीना चाहिए। यह वीर्य को ताकतवर बनाता है तथा सेक्स शक्ति में अधिकता लाता है।

हल्दीः- 

वीर्य अधिक पतला होने पर 1 चम्मच शहद में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रोजाना सुबह के समय खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसका विस्तृत रुप से इस्तेमाल करने से संभोग करने की शक्ति बढ़ जाती है।

आंवलाः-

 2 चम्मच आंवला के रस में एक छोटा चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण तथा एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से सेक्स शक्ति धीरे-धीरे बढ़ती चली जाएगी।
पीपलः- पीपल का फल और पीपल की कोमल जड़ को बराबर मात्रा में लेकर चटनी बना लें। इस 2 चम्मच चटनी को 100 मि.ली. दूध तथा 400 मि.ली. पानी में मिलाकर उसे लगभग चौथाई भाग होने तक पकाएं। फिर उसे छानकर आधा कप सुबह और शाम को पी लें। इसके इस्तेमाल करने से वीर्य में तथा सेक्स करने की ताकत में वृद्धि होती है।

प्याजः- 

आधा चम्मच सफेद प्याज का रस, आधा चम्मच शहद तथा आधा चम्मच मिश्री के चूर्ण को मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। यह मिश्रण वीर्यपतन को दूर करने के लिए काफी उपयोगी रहता है।

चोबचीनीः-

 100 ग्राम तालमखाने के बीज, 100 ग्राम चोबचीनी, 100 ग्राम ढाक का गोंद, 100 ग्राम मोचरस तथा 250 ग्राम मिश्री को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। रोजाना सुबह के समय एक चम्मच चूर्ण में 4 चम्मच मलाई मिलाकर खाएं। यह मिश्रण यौन रुपी कमजोरी, नामर्दी तथा वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग को खत्म कर देता है।

 कौंच का बीजः- 

100 ग्राम कौंच के बीज और 100 ग्राम तालमखाना को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें 200 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। हल्के गर्म दूध में आधा चम्मच चूर्ण मिलाकर रोजाना इसको पीना चाहिए। इसको पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है तथा नामर्दी दूर होती है।

इमलीः-

 आधा किलो इमली के बीज लेकर उसके दो हिस्से कर दें। इन बीजों को तीन दिनों तक पानी में भिगोकर रख लें। इसके बाद छिलकों को उतारकर बाहर फेंक दें और सफेद बीजों को खरल में डालकर पीसें। फिर इसमें आधा किलो पिसी मिश्री मिलाकर कांच के खुले मुंह वाली एक चौड़ी शीशी में रख लें। आधा चम्मच सुबह और शाम के समय में दूध के साथ लें। इस तरह से यह उपाय वीर्य के जल्दी गिरने के रोग तथा संभोग करने की ताकत में बढ़ोतरी करता है।
 
उड़द की दालः- 

आधा चम्मच उड़द की दाल और कौंच की दो-तीन कोमल कली को बारीक पीसकर सुबह तथा शाम को लेना चाहिए। यह उपाय काफी फायदेमंद है। इस नुस्खे को रोजाना लेने से सेक्स करने की ताकत बढ़ जाती है।
 
जायफलः- 

जायफल 10 ग्राम, लौंग 10 ग्राम, चंद्रोदय 10 ग्राम, कपूर 10 ग्राम और कस्तूरी 6 ग्राम को कूट-पीसकर इस मिश्रण के चूर्ण की 60 खुराक बना लें। इसमें से एक खुराक को पान के पत्ते पर रखकर धीरे-धीरे से चबाते रहें। जब मुंह में खूब रस जमा हो जाए तो इस रस को थूके नहीं बल्कि पी जाएं। इसके बाद थोड़ी सी मलाई का इस्तेमाल करें। यह चूर्ण रोजाना लेने से नपुंसकता जैसे रोग दूर होते हैं तथा सेक्स शक्ति में वृद्धि होती है।

 शंखपुष्पीः- 

शंखपुष्पी 100 ग्राम, ब्राह्नी 100 ग्राम, असंगध 50 ग्राम, तज 50 ग्राम, मुलहठी 50 ग्राम, शतावर 50 ग्राम, विधारा 50 ग्राम तथा शक्कर 450 ग्राम को बारीक कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम को लेना चाहिए। इस चूर्ण को तीन महीनों तक रोजाना सेवन करने से नाईट-फाल (स्वप्न दोष), वीर्य की कमजोरी तथा नामर्दी आदि रोग समाप्त होकर सेक्स शक्ति में ताकत आती है।

बरगदः-

 सूर्यास्त से पहले बरगद के पेड़ से उसके पत्ते तोड़कर उसमें से निकलने वाले दूध की 10-15 बूंदें बताशे पर रखकर खाएं। इसके प्रयोग से आपका वीर्य भी बनेगा और सेक्स शक्ति भी अधिक हो जाएगी।

सोंठः- 

4 ग्राम सोंठ, 4 ग्राम सेमल का गोंद, 2 ग्राम अकरकरा, 28 ग्राम पिप्पली तथा 30 ग्राम काले तिल को एकसाथ मिलाकर तथा कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। रात को सोते समय आधा चम्मच चूर्ण लेकर ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। यह रामबाण औषधि शरीर की कमजोरी को दूर करती है तथा सेक्स शक्ति को बढ़ाती है।
 
गाजरः- 

1 किलो गाजर, चीनी 400 ग्राम, खोआ 250 ग्राम, दूध 500 ग्राम, कद्यूकस किया हुआ नारियल 10 ग्राम, किशमिश 10 ग्राम, काजू बारीक कटे हुए 10-15 पीस, एक चांदी का वर्क और 4 चम्मच देशी घी ले लें। गाजर को कद्यूकस करके कडा़ही में डालकर पकाएं। पानी के सूख जाने पर इसमें दूध, खोआ और चीनी डाल दें तथा इसे चम्मच से चलाते रहें। जब यह सारा मिश्रण गाढ़ा होने को हो तो इसमें नारियल, किशमिश, बादाम और काजू डाल दें। जब यह पदार्थ गाढ़ा हो जाए तो थाली में देशी घी लगाकर हलवे को थाली पर निकालें और ऊपर से चांदी का वर्क लगा दें। इस हलवे को चार-चार चम्मच सुबह और शाम खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए। यह वीर्यशक्ति बढ़ाकार शरीर को मजबूत रखता है। इससे सेक्स शक्ति भी बढ़ती है।

अजवायनः- 

100 ग्राम अजवायन को सफेद प्याज के रस में भिगोकर सुखा लें। सूखने के बाद उसे फिर से प्याज के रस में गीला करके सुखा लें। इस तरह से तीन बार करें। उसके बाद इसे कूटकर किसी शीशी में भरकर रख लें। आधा चम्मच इस चूर्ण को एक चम्मच पिसी हुई मिश्री के साथ मिलाकर खा जाएं। फिर ऊपर से हल्का गर्म दूध पी लें। करीब-करीब एक महीने तक इस मिश्रण का उपयोग करें। इस दौरान संभोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। यह सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला सबसे अच्छा उपाय है।

 ढाकः- 

ढाक के 100 ग्राम गोंद को तवे पर भून लें। फिर 100 ग्राम तालमखानों को घी के साथ भूनें। उसके बाद दोनों को बारीक काटकर आधा चम्मच सुबह और शाम को दूध के साथ खाना खाने के दो-तीन घंटे पहले ही इसका सेवन करें। इसके कुछ ही दिनों के बाद वीर्य का पतलापन दूर होता है तथा सेक्स क्षमता में बहुत अधिक रुप से वृद्धि होती है।

 जायफलः- 

15 ग्राम जायफल, 20 ग्राम हिंगुल भस्म, 5 ग्राम अकरकरा और 10 ग्राम केसर को मिलाकर बारीक पीस लें। इसके बाद इसमें शहद मिलाकर इमामदस्ते में घोटें। उसके बाद चने के बराबर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना रात को सोने से 2 पहले 2 गोलियां गाढ़े दूध के साथ सेवन करें। इससे शिश्न (लिंग) का ढ़ीलापन दूर होता है तथा नामर्दी दूर हो जाती है।

इलायचीः- 

इलायची के दानों का चूर्ण 2 ग्राम, जावित्री का चूर्ण 1 ग्राम, बादाम के 5 पीस और मिश्री 10 ग्राम ले लें। बादाम को रात के समय पानी में भिगोकर रख दें। सुबह के वक्त उसे पीसकर पेस्ट की तरह बना लें। फिर उसमें अन्य पदार्थ मिलाकर तथा दो चम्मच मक्खन मिलाकर विस्तार रुप से रोजाना सुबह के वक्त इसको सेवन करें। यह वीर्य को बढ़ाता है तथा शरीर में ताकत लाकर सेक्स शक्ति को बढ़ाता है।

 सेबः- 

एक अच्छा सा बड़े आकार का सेब ले लीजिए। इसमें हो सके जितनी ज्यादा से ज्यादा लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। इसी तरह का एक अच्छा सा बड़े आकार का नींबू ले लीजिए। इसमें जितनी ज्यादा से ज्यादा हो सके, लौंग चुभाकर अंदर तक डाल दीजिए। दोनों फलों को एक सप्ताह तक किसी बर्तन में ढककर रख दीजिए। एक सप्ताह बाद दोनों फलों में से लौंग निकालकर अलग-अलग शीशी में भरकर रख लें। पहले दिन नींबू वाले दो लौंग को बारीक कूटकर बकरी के दूध के साथ सेवन करें। इस तरह से बदल-बदलकर 40 दिनों तक 2-2 लौंग खाएं। यह एक तरह से सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाला एक बहुत ही सरल उपाय है।

विशिष्ट परामर्श-

नपुंसकता एक ऐसी समस्या है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता. किसी भी पुरुष के एक पिता बनने में असमर्थ होने को पुरुष बांझपन या नपुंसकता कहा जाता है।यह तब होता है जब कोई पुरुष संभोग के लिए पर्याप्त इरेक्शन प्राप्त नहीं कर पाता या उसे मजबूत नहीं रख पाता. दामोदर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र 
9826795656 द्वारा विकसित "नपुंसकता नाशक हर्बल औषधि" से सैंकड़ों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं। स्तंभन दोष दूर करने मे यह औषधि रामबाण सिद्ध होती है।


21.9.21

कमजोर हृदय को मजबूत करने के उपाय ,नहीं होगा हार्ट अटेक//hriday majbuti ke upay






 हृदय को स्वस्थ्य और दिल को मजबूत रखने के उपाय जानने की जरूरत सभी को है। क्‍योंकि आज की इस भाग-दौंड भरी जिंदगीबदलती जीवनशैली और खान-पान में आए बदलाव के कारण हृदय के लिए बहुत सी परेशानियां पैदा हो रही हैं। पहले आप ने देखा होगा कि 55 वर्ष की आयु से अधिक उम्र बालों लोगों को दिल का दौरा पड़ता था, लेकिन आज महज 30 वर्ष की आयु वाले नौजावन भी इससे प्रभावित हैं। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि हम अपने हृदय को मजबूत नहीं रख पाते हैं। इस लेख में आप जानेगें हृदय से जुड़े रहस्‍यों और हृदय को मजबूत करने के लिए उपयोग किये जाने वाले घरेलू उपायों के बारे में।


कोरोनरी आरटरी डिसीज-

कोरोनरी धमनी की बीमारी कमजोर दिल का सबसे आम कारण है। जब कोई व्यक्ति में धमनी में रूकावट के कारण हार्ट अटैक से ग्रसित होता है, तो हदय की मांसपेशियों का हिस्सा डैमेज हो जाता है और पंपिंग धीमी पड़ जाती है।
*वॉल्वूलर हार्ट डिसीज हृदय के वाल्व के सिकुड़ने के कारण होती है। यह हृदय की मांसपेशियों पर दबाव डालती है। जब यह वेट ओवरलोड हो जाए, तो हृदय की मांसपेशियां खराब हो जाती है और दिल कमजोर हो जाता है।
*मायोकार्डिटिस हृदय की मांसपेशियों में आनी वाली एक तरह की सूजन है, जिसे मायोकार्डियम कहा जाता है। सूजन आने से दिल की ब्लड पंप करने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है और दिल तेजी से धड़कना शुरू कर देता है। इसकी वजह वायरल संक्रमण है।

हाई ब्लड प्रेशर से होने वाला हृदय रोग-

हाई ब्लड प्रेशर एक सामान्य हृदय से जुड़ी जटिलता है। यदि व्यक्ति लंबे समय तक हाइपरटेंशन से पीडि़त रहता है, तो आगे चलकर दिल कमजोर पड़ सकता है।


​हृदय की मांसपेशियों का कमजोर हो जाना-


दिल की मांसपेशियों के कमजोर होने और दिल के फैलने के कारण भी इसमें धीरे-धीरे कमजोरी आने लगती है। इस स्थिति को डाइलेटिड कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है। लंबे समय तक शराब के सेवन के कारण अल्कोहलिक कार्डियोमायोपैथी होती है। जबकि पेरिपार्टम कार्डियोमायोपैथी एक ऐसी स्थिति है, जब पेरिपार्टम अवधि के दौरान हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।

​कमजोर दिल के सामान्य लक्षण


सांस लेने में तकलीफ होना


जब कभी लेटने के दौरान सांस लेने में तकलीफ हो, तो उसे ऑर्थोपेनिया कहते हैं। ऐसी स्थिति में ध्यान देने की जरूरत है कि कहीं दिल पर असर तो नहीं पड़ रहा।

​टखने और पैरों में सूजन और वजन बढ़ना

तरल पदार्थ जमा होने से दोनों टखनों और पैरों के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। ऐसा हाइड्रोस्टेटिक दबाव में वृद्धि के कारण नसों से तरल पदार्थ के निकलने के कारण होता है। कई बार वॉटर रिटेंशन से भी वजन बढ़ता है।

थकान होना

हृदय की पंपिंग कम होने के कारण मांसपेशियों में खून ठीक तरह से नहीं पहुंच पाता। इसलिए जरा सी दिक्कत होने पर मरीज थकान महसूस करने लगता है।

​भूख में कमी, जी मिचलाना और उल्टी

हार्ट फैलियर के कारण लीवर और गेस्ट्रोइंटेस्टनाइल सिस्टम सिकुड़ जाता है। इससे व्यक्ति को भूख नहीं लगती और हर वक्त उल्टी जैसा महसूस होता है।

दिल की धड़कन तेज होना-

दिल की धड़कन तेज होना कमजोर दिल का लक्षण है। इस लक्षण को जल्द नहीं पहचाना जाए, तो कार्डियक डेथ तक हो सकती है।
*किसी के साथ छोटा मोटा झगडा होने पर भी उसे ऐसा महसूस होने लगता है जैसे उसके पैर सही से जमीन पर ही नहीं हैं. उसकी धड़कन बहुत तेज हो जाती है और वो जो बोलना चाहता है सही से बोल नहीं पाता. उसे कुछ ज्यादा ही पसीना आने लगता है और सांस लेने में दिक्कत होती है.
अगर आपको भी कुछ ऐसा ही महसूस होता है तो ये सारी कमजोर दिल की समस्याएँ ही हैं. आपको इस और जल्दी से जल्दी ध्यान देना होगा और दिल को मजबूत बनाने के उपाय नुस्खे ढूँढने होंगे. ताकि समस्या बढ़कर किसी बड़े दिल के रोग की शक्ल ना ले ले.
*दिल के कमजोर होने से Heart Attack का खतरा बढ़ जाता है. आजकल आप हर रोज खबर सुनते ही रहते हैं की Heart Attack से मरने वाले लोगों की संख्या में अचानक से बेतहासा वृद्धि हुयी है. इसका कारण हमारा खानपान और खराब जीवनशैली है.
पहले जहाँ सिर्फ उम्रदराज व्यक्तियों को ही हृदयघात होता था वहीँ अव ये युवाओं को भी अपना शिकार बना रहा है. इसलिए दिल को लेकर किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा सकती. जिन्हें अभी दिल की कोई समस्या नहीं है उन्हें भी पता होना चाहिए की दिल को मजबूत कैसे रखें.

​कमजोर दिल को मजबूत करने के तरीके

दिल मजबूत करने के लिए धूम्रपान छोड़ें

धूम्रपान यानी सिगरेट पीना आजकल का फैशन बन चुका है। लोग अपने स्वास्थ्य के बारे में बिना कुछ सोचे-समझे सिगरेट पीने की आदत पकड़ लेते हैं, जो आगे चलकर उनके लिए नुकसानदायक ही सिद्ध होता है। सिगरेट पीने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का खतरा तो बढ़ ही जाता है, साथ ही यह हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ा देता है। इसलिए अपने दिल को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखना है तो आज ही धूम्रपान करना छोड़ दें। सिर्फ बीडी या सिगरेट ही नहीं बल्कि यदि आप जर्दा, गुटखा और पान मसाला वगैरह खाते हैं तो ये भी आपके Heart को बहुत कमजोर बनाने का काम करते हैं.


शराब का सेवन न करें

अधिक मात्रा में शराब का सेवन शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इससे ब्लडप्रेशर और हृदय संबंधित बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। ज्यादा शराब पीने से दिल कमजोर पड़ सकता है। इसलिए दिल को मजबूत रखने के लिए या तो शराब का सेवन बिल्कुल कम कर दें या बंद कर दें तो ज्यादा बेहतर है।

Vitamin E की पूर्ती करें – 

Vitamin E हमारे दिल की सेहत के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण तत्व है. यदि किसी व्यक्ति में विटामिन E की कमी हो जाती है तो उसे दिल की कमजोरी महसूस होना शुरू हो जाती है. इसलिए अपने आहार में ऐसी चीज़ें शामिल करें जिनसे हमें ये विटामिन मिल पाए.अगर आप अपने खाने पीने की चीज़ों से इसकी पूर्ती नहीं कर पा रहे हैं तो आप मार्केट से Vitamin E का कोई अच्छा सा Supplement भी खरीद सकते हैं. Vitamin E हमारी धमनियों की सफाई करता है और दिल को ताकत प्रदान करने का काम करता है.

तुलसी 

आप शायद तुलसी के फायदे जानते होगें और यह भी कि तुलसी एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। तुलसी मुख्‍य रूप से तनाव से लड़ने और तनाव से संबंधित बीमारियों को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है। कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने के लिए भी तुलसी फायदेमंद होती है। तनाव आपके शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल और रक्‍तचाप में वृद्धि कर सकता है। ये सभी समस्‍याएं आपके हृदय को कमजोर करने के प्रमुख कारण होते हैं। इसलिए आप अपने हृदय को स्‍वस्‍थ्‍य रखने के लिए पवित्र तुलसी का उपयोग कर सकते हैं।

ग्रीन टी 

आप अगर अपने दिन की शुरुआत ग्रीन टी  से करते हैं तो यह आपके हृदय के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। और यदि आप इसका इस्‍तेमाल नहीं करते हैं तो अभी शुरु करें। क्‍योंकि यह आपके दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। ग्रीन टी में केचिन (catechins) होता है जो आपके हृदय को स्‍वस्‍थ्‍य रखने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है।


Dry Fruits का नियमित सेवन करें -

 Dry Fruits जैसे बादाम, अखरोट, काजू और पिस्ता वगैरह से हमें वो सारे पौषक तत्व मिल जाते हैं जो हमें Heart को Healthy रखने के लिए चाहिए होते हैं. जैसे Unsaturated Fats, Vitamin E और Fibre वगैरह.
इसके अलावा ये आपकी भूख को कम करके, आपका Metabolism बढ़ाकर आपके वजन को नियंत्रण में रखने में भी सहायता करते हैं. हर रोज मुट्ठी पर Dry Fruits का सेवन आपके दिल को लम्बे समय तक स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है.

मेथी

एंटीऑक्‍सीडेंट की अच्‍छी मात्रा और हृदय को स्‍वस्‍थ्‍य रखने वाले गुण मेथी में मौजूद रहते हैं। मेथी का नियमित सेवन एथरोस्‍क्‍लेरोसिस की संभावनाओं को कम करता है साथ ही यह शरीर में प्‍लेटलेट को बनाए रखने में भी मदद करता है। इस प्रकार मेथी का उपयोग दिल के दौरे और स्‍ट्रोक से जुड़े रक्‍त के थक्‍के के खतरे को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा मेथी का नियमित सेवन करके रक्‍त शर्करा, अतिरिक्‍त वसा और कोलेस्‍ट्रॉल (cholesterol) आदि को कम किया जा सकता है।
इसके लिए आप 1 चम्‍मच मेथी के बीजों को रात भर के लिए भींगने दें और अगली सुबह इन बीजों को खाली पेट सेवन करें। यह आपके हृदय स्‍वास्‍थ्‍य से संबंधित सभी प्रकार की  परेशानियों को दूर करने में मदद करता है।

अर्जुन की छाल + अश्वगंधा + मुलेठी –

 ये एक बहुत ही बेहतरीन और असरदार दिल को मजबूत करने का तरीका है. इस पॉइंट को बहुत ही ध्यान से पढ़ें. 50 ग्राम अर्जुन की छाल का पाउडर, 50 ग्राम अश्वगंधा पाउडर और 50 ग्राम मुलेठी यानी यास्तिमधू पाउडर का मिश्रण तैयार कर लें.यानी तीनो को अच्छे से मिलाकर एक डब्बे में डाल लें. इस मिश्रण का प्रयोग आपको हर रोज दिन में 2 बार खाना खाने के बाद करना है. एक बार सुबह खाना खाने का बाद आधा गिलास पानी में 1 छोटी चम्मच पाउडर Mix करके लें और एक बार इसी तरह शाम को. आप यकीन नहीं करेंगे की आयुर्वेद में ये दिल को मजबूत बनाने का अचूक नुस्खा है.

पानी ज्यादा से ज्यादा पीयें –

 अगर लम्बे समय तक दिल को स्वस्थ रखना है तो आपको पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए. पानी ना सिर्फ शरीर की अन्दर से सफाई करता है बल्कि ये रक्त वाहिकाओं में Oxygen की Supply को बढाने का काम भी करता है.

पूरी नींद लें – 

अच्छी नींद और स्वस्थ हृदय का बहुत बड़ा सम्बन्ध है. यदि आप हर रोज बहुत कम नींद लेते हैं तो आपके दिल के लिए कतई अच्छा नहीं होता. याद रहे हमारे शरीर के हर अंदरूनी Organ को भी Recover और Fresh होने के लिए पर्याप्त नींद की जरुरत होती है.
अगर आप पूरी नींद नहीं ले पाते तो आपके शरीर में हार्मोनल क्रियाएँ गड़बड़ा जाती हैं जिनका सीधा असर दिल पर भी पड़ता है. अत: बहुत जरूरी है की आप हर रोज रात को कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें.

लहसुन का सेवन करें – 

लहसुन कई तरह से आपके दिल को लाभ पहुंचाता है. एक तो ये आपके Blood Pressure को Normal रखने का काम करता है और दूसरा ये Bad Cholestrol को Good Cholestrol में बदलने का काम करता है.
आप नियमित रूप से अपने भोजन में लहसुन का उपयोग कर सकते हैं. आप चाहें तो हर रोज लहसुन की 2-3 कली भूनकर भी खा सकते हैं. ये आपके शरीर से Becterias का सफाया करने का काम भी करता हैं.
स्वास्थ्य से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक, अधिक वजन से हृदय की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा और भी कई बीमारियां शरीर को जकड़ लेती हैं। इसलिए अगर आप अपने दिल को मजबूत बनाना चाहते हैं तो कम वसा और कम मात्रा में चीनी वाला आहार लें। साथ ही ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियां खाएं और रोजाना व्यायाम करें।
हृदय रोग वर्तमान में एक गंभीर समस्या है, लेकिन इससे बचने के लिए तरीकों एवं उपचारों की भी कोई कमी नहीं है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए जानिए दो ऐसे घरेलू रामबाण उपाय, जो आपके लिए मददगार साबित होंगे -
*250 ग्राम घीया (लौकी) छिल्के सहित धोकर उसे कस लें। कसी हुई लौकी को या तो ग्राइंडर में अथवा सिल-बट्टे पर पीस लें। पिसी हुई लौकी का रस ग्राइंडर से अपने आप बाहर आ जाएगा फिर उसे कपड़े से छान लें। लौकी को पीसते समय तुलसी की 7 पत्तियां और पुदीने की 6 पत्तियां डालना न भूलें। घीया के रस में उतनी ही मात्रा में पानी मिला लें। पानी में 4 पिसी हुई कालीमिर्च और 1 ग्राम सेंधा नमक डाल लें। भोजन के आधे घंटे बाद सुबह-शाम और रात को 3 बार इसका सेवन करें। ध्यान रहे कि हर बार रस ताजा ही निकाला जाए। घीया का रस पेट में जो भी पाचन विकार होते हैं, उन्हें दूर कर मलद्वार से बाहर निकाल देता है, संभव है कि इसके सेवन से प्रारंभ के 3-4 दिन पेट में कुछ खलबली या गड़गड़ाहट-सी महसूस हो, परंतु बाद में सब बंद हो जाएगा।
*पान, लहसुन, अदरक का 1-1 चम्मच रस और 1 चम्मच शहद- इन चारों को एकसाथ मिला ले और सीधे पी जाएं। इसमें पानी मिलाने की जरूरत नहीं है। इसे दिन में एक बार सुबह और एक बार शाम को पि‍एं, और तनाव लेना बंद कर दें। दिल में कोई कठिनाई महसूस हो तो जो सामान्य दवा लेता हो, वह लेता रहे।
प्रयत्न करें कि उसे लेना न पड़े। इस प्रयोग से एक हफ्ते में ही सुधार शुरू हो जाएगा और 21 दिन लेना फायदेमंद होगा।

अधिक फाइबर खाएं

हृदय रोग के खतरे को कम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में फाइबर खाएं। दिन में कम से कम 30 ग्राम फाइबर खाने का लक्ष्य रखें। विभिन्न स्रोतों से फाइबर खाएं जैसे साबुत अनाज का ब्रेड, ब्रैन, ओट्स और साबुत अनाज सीरियल, आलू (छिलके के साथ) और पर्याप्त फल और सब्जियां।

सैचुरेटेड वसा में कटौती करें

अधिक वसा वाले ज़्यादा खाद्य पदार्थ खाने से आपके रक्त में कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) की मात्रा बढ़ सकती है। यह आप में हृदय रोग होने के खतरे को बढ़ा सकता है। पतले टुकड़े वाले मांस और निम्न वसा दुग्ध उत्पाद का चुनाव करें । जैसे फुल फैट दूध के स्थान पर 1% फैट वाले दूध का।

नमक में कटौती करें

स्वस्थ्य रक्तचाप के लिए टेबल पर रखे नमक का इस्तेमाल करने से बचें, और अपने खाने में अधिक प्रयोग करने से भी बचें। एक बार जब आप बिना अतिरिक्त नमक के खाद्य पदार्थ खाने के आदी हो जाते हैं तो आप इसे पूर्ण रूप से छोड़ सकते हैं।
 अधिकतर नमक जो हम खाते हैं वो हमारे द्वारा खरीदे गए खाद्य पदार्थ में पहले से होता है। खाद्य पदार्थ के लेबल को देखें। यदि 100 ग्राम में 1.5 ग्राम नमक या 0.6 ग्राम सोडियम से अधिक होता है तो उस खाद्य पदार्थ में नमक की मात्रा अधिक है। एक वयस्क को दिन भर में 6 ग्राम से कम नमक खाना चाहिए - जो कि एक चाय के चम्मच के बराबर होता है।
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15.9.21

आँखों से पानी आने के कारण और इलाज


 

लगातार काम करते-करते कई बार ऐसा होता है कि अचानक आंख से पानी निकलने लगता है, कई बार ये समस्या इतनी बढ़ जाती है कि हम हर वक्त इसी से परेशान रहते हैं. ऐसे में कई लोग बार-बार आंख को साफ पानी से भी धोते हैं लेकिन उनकी समस्या जस की तस रहती है. 
सूखी आँखें या ड्राई आई सिंड्रोम एक आम लेकिन आमतौर पर प्रगतिशील स्थिति है। सूखी आँखें थकान और दर्द महसूस करती हैं। अगर आपकी आँखें भी सूखी हैं, तो आपकी आँख में चोट लग सकती है या जलन हो सकती है। आप कुछ स्थितियों में सूखी आँखों का अनुभव कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक हवाई जहाज के अंदर, एक वातानुकूलित कमरे में, बाइक चलाते समय, या कुछ घंटों के लिए स्क्रीन देखने के बाद। जब भी पलकें झपकती हैं, आँसू कॉर्निया या आँख की ऊपरी सतह पर फैल जाते हैं। आँसू आँखों को चिकना (लुब्रिकेट) करते हैं, आँखों के संक्रमण के खतरे को कम करते हैं, आँखों के बाहरी कणों को धोते हैं और कॉर्निया को चिकना और साफ रखते हैं। किसी भी अतिरिक्त आँसू का उत्पादन, स्वचालित रूप से आँसू वाहिनी या पलकों के अंदरूनी कोनों में स्थित छोटे जल निकासी नलिकाओं में प्रवाहित होता है। यह नाक के पिछले हिस्से में चला जाता है। 
  जब आँसू उत्पादन और जल निकासी मेल नहीं खाते हैं, तो सूखी आँखें हो सकती हैं। ड्राई आई सिंड्रोम का एक निम्न स्तर सूक्ष्म लेकिन लगातार आँखों में जलन पैदा कर सकता है और सूजन या कॉर्निया को चोट भी लग सकती है। शुष्क नेत्र रोग विभिन्न कारणों से हो सकता है। तदनुसार, यह संपर्क में आता है और इसका इलाज किया जाता है। इसके कारण और स्थिति के आधार पर यह पूरी तरह से ठीक हो भी सकता है और नहीं भी। लेकिन ज्यादातर मामलों में सूखी आँखों का इलाज सफलतापूर्वक हो जाता है। परिणामस्वरूप अधिक से अधिक आँखों को आराम मिलता है, कम सूखी आँख के लक्षण और कभी-कभी तेज दृष्टि भी हो जाती है इसके लिए कुछ सर्जरी या बस कुछ जीवनशैली में बदलाव और आईड्रॉप की आवश्यकता हो सकती है। इसकी पुन: घटना को नियंत्रित करने के लिए आपको लगातार निवारक उपाय करने की आवश्यकता हो सकती है।
सूखी आँख (ड्राई आई) और सूखी आँख (ड्राई आई) सिंड्रोम के लक्षण हैं:
लाल आँखें,
भारी आँखें,
थकान भरी आँखें,
आँखों में जलन,
आँखों में दर्द,
खुजली महसूस होना,
जलन महसूस होना,
सूखापन लगना,
फोटोफोबिया,
धुंधली दृष्टि,
आँखों से पानी आना भी एक लक्षण हो सकता हैंं। क्योंकि सतह पर सूखापन कभी-कभी सुरक्षात्मक तंत्र को अधिक उत्तेजित कर देता है और इस प्रकार अपने आँसू के पानी वाले घटक के उत्पादन को बढाएँ। लेकिन यह रिफ्लेक्स टियरिंग आँख पर इतनी देर तक नहीं टिकता कि सूखी आँख की अंतर्निहित स्थिति को बदल सके।
इसके एक अन्य लक्षण को फॉरन बॉडी सेन्सेशन कहा जाता है। ऐसा तब होता है जब आप महसूस करते हैं कि कुछ ग्रिट या कोई अन्य वस्तु या सामग्री आपकी आँख के अंदर है।

सूखी आँख के कारण 

सूखी आँखें अलग-अलग कारणों से विकसित होती हैं। हम उनमें से कुछ कारणों को नीचे सूचीबद्ध किया गया है, जैसे-
पर्यावरण: धुएँ, प्रदूषण, हवा और शुष्क मौसम के संपर्क में आने से आँसू वाष्पीकरण बढ़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप सूखी आँख के लक्षण दिखाई देते हैं।
लाइफस्टाइल: नियमित रूप से आँखें ब्लिंकिंग नहीं करना, खासकर जब आप लंबे समय तक एंड्रॉइड या कम्प्यूटर की ब्लू स्क्रीन पर लगातार काम करते हैं, तो यह आँखों के सूखने का कारण बन सकता है।
लिंग: महिलाओं को शुष्क आँखें होने की अधिक संभावना होती है। विशेष रूप से गर्भावस्था के कारण हार्मोनल परिवर्तनों के दौरान, मौखिक गर्भ निरोधकों का उपयोग और मेनोपॉज़।
आयु: उम्र बढ़ने के कारण भी आँखें सूखी हो सकती हैं। 65 वर्ष से अधिक आयु के अधिकांश लोग सूखी आँखों के कुछ लक्षणों का अनुभव करते हैं।
दवाएँ: डिकंजेस्टेंट्स, एंटीथिस्टेमाइंस, एंटीडिप्रेसेंट्स और ब्लड प्रेशर की दवाओं सहित कुछ दवाएँ, आँसू उत्पादन को कम कर सकती हैं।
चिकित्सा की स्थिति: डायबिटीज़, अर्थराइटिस और थायरॉइड की समस्या वाले रोगियों में सूखी आँखों के लक्षणों की अधिक संभावना होती है। इसके अलावा आँख की सतहों की सूजन, पलकों की सूजन (ब्लेफैरिटिस) के साथ समस्याएँ या पलकों के अंदर की ओर या बाहर की ओर मुड़ने से सूखी आँखें विकसित हो सकती हैं।
अन्य: लंबे समय तक कॉन्टैक्ट लेंस पहनना सूखी आँखों के विकास का एक कारक हो सकता है। अपवर्तक नेत्र विशेषज्ञ कहते हैं, उदाहरण के लिए, चश्मा हटाने की सर्जरी आँसू उत्पादन को कम कर सकती है और सूखी आँखों में योगदान कर सकती है।
सूखी आँखों को रोकने के लिए क्या करें और क्या न करें, इसके बारे में विस्तार से बताया गया है-

अपने पर्यावरण के प्रति जागरूक रहें 

ज़्यादा ऊँचाई पर, रेगिस्तानी इलाकों में और हवाई जहाज के अंदर की हवा बेहद शुष्क हो सकती है। जब आपको इस तरह के माहौल में रहना होता है, तो आपको अपने आँसुओं के वाष्पीकरण को कम करने के लिए अपनी आँखों को बार-बार कुछ मिनटों के लिए बंद करना चाहिए। हवा में नमी जोड़ें। एक ह्यूमिडिफायर सर्दियों में शुष्क इनडोर हवा में नमी जोड़ सकता है। अपने आप को हाईड्रेटेड रखें। अधिक पानी पीने से सूखी आँखों के लक्षणों के निचले स्तर को राहत देने में मदद मिल सकती है। डीहाईड्रेशन से अकसर सूखी आँख की स्थिति खराब हो जाती है। ऐसा गर्म, शुष्क और हवा के मौसम के दौरान विशेष रूप से होता है।

कम्प्यूटर स्क्रीन को एडजस्ट करें

कम्प्यूटर स्क्रीन को आँखों के स्तर से नीचे रखा जाना चाहिए। यदि आपकी कम्प्यूटर स्क्रीन आँख के स्तर से ऊपर है, तो आपको स्क्रीन देखने के लिए अपनी आँखें ज़्यादा खोलनी होंगी। एक निचला स्थान यह सुनिश्चित करेगा कि आपको अपनी आँखें ज़्यादा खोलने की आवश्यकता नहीं है। यह आँख झपकते ही आपके आँसू के वाष्पीकरण की दर को कम कर देगा।

लंबे कार्यों के दौरान ब्रेक लें 

यदि आप पढ़ रहे हैं या कुछ अन्य नज़दीकी कार्य कर रहे हैं, जिसमें दृश्य एकाग्रता की आवश्यकता होती है, तो नियमित रूप से आँखों के विराम लें और 20-20-20 का फॉर्मूला याद रखें। हर 20 मिनट के बाद, 20 सेकंड के लिए, 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें। या अपनी आँखों पर समान रूप से अपने आँसू पैदा करने और फैलाने में मदद करने के लिए कुछ सेकंड के लिए तेजी से झपकाएँ। आप कुछ मिनटों के लिए आँखें बंद भी कर सकते हैं।

अधिक बार झपकाएँ

रिसर्च से पता चला है कि लोग किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करते समय अपनी आँखें अधिक समय तक खुली रखते हैं। कम पलकें झपकाना सूखी आँख के लक्षण या उसके कारण खराब हो सकती हैं। आपको अधिक बार झपकी लेने के लिए सचेत प्रयास करने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा पूरी तरह से पलकें झपकना याद रखें। अपनी पलकों को एक साथ धीरे से हिलाएँ। यह आँखों पर आँसू की एक नई परत फैलाने में मदद करेगा।

अपनी आँखों में सीधे हवा देने से बचें 

अपनी आँखों की ओर सीथे हेयर ड्रायर, एयर कंडीशनर, कार हीटर या पंखे न लगाएँ।

धूम्रपान से बचें 


यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो धूम्रपान छोड़ने में मदद करने और योजना तैयार करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करें और सलाह लें। यदि आप स्वयं धूम्रपान नहीं करते हैं, तो ऐसे लोगों से दूर रहें जो धूम्रपान करते हैं। धूम्रपान से सूखी आँख के लक्षण खराब हो सकते हैं।

पोषक तत्वों की खुराक लें 

शोध में पाया गया है कि ओमेगा -3 फैटी एसिड, विटामिन ए और सी युक्त सप्लीमेंट ड्राई आई के लक्षणों को कम कर सकते हैं। ओमेगा -3 के कुछ स्रोत हैं, जैसे- अलसी का तेल, ठंडे पानी की मछली जैसे सालमन, सार्डिन आदि।

अपनी पलकों को साफ रखें

सोने से पहले हमेशा अपना चेहरा धोकर सोएँ। बैक्टीरिया को हटाने के लिए अपनी पलकों को आराम से धोएँ। इससे ब्लेफेराइटिस और मीबोमियन ग्लैंड की समस्याएँ हो सकती हैं जो सूखी आँखें पैदा करती हैं। लगभग 20 सेकंड के लिए बंद पलकों के लिए एक गर्म और नम वॉशक्लॉथ का उपयोग करें। फिर धीरे से एक हल्के क्लीन्ज़र के साथ अपनी पलकों को धो लें।

अच्छी तरह से आँखों का मेकअप हटा दें


आईलाइनर, कोहल और अन्य आँखों का मेकअप, आईब्रो के आधार पर मेबोमियन ग्लैंड्स के खुलने में बाधा उत्पन्न कर सकता है, जिससे मेइबोमियन ग्लैंड डिसफंक्शन और सूखी आँख हो सकती है। रात में सोने से पहले अपने लिड्स और लैशेस से मेकअप के सभी निशानों को अच्छी तरह से हटा दें।

कॉन्टैक्ट लेंस से बचें

कॉन्टैक्ट लेंस पहनना कम दें या बंद कर दें। यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, तो यह बताना मुश्किल हो सकता है कि क्या सूखी आँख की स्थिति कॉन्टैक्ट लेंस की गड़बड़ी का कारण बन रही है या आपके कॉन्टैक्ट लेंस लक्षण पैदा कर रहे हैं। यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, तो आपको उन्हें पहनने से रोकने की सलाह दी जाती है। रैपराउंड सनग्लासेस पहने या अन्य प्रॉटेक्टिव आईवियर का उपयोग करें। हवा और शुष्क हवा को ब्लॉक करने के लिए आँखों के चश्मे को सबसे ऊपर और चश्मे के किनारों से जोड़ा जा सकता है। इन शील्ड्स के लिए आप जहाँ से आप अपना चश्मा खरीदते हैं, वहाँ से पूछ सकते हैं। नियमित रूप से कृत्रिम आँसू (आर्टिफिशियल टियर्स) का उपयोग करें, यदि आपकी यह पुरानी स्थिति है, तो ठीक लगने पर भी आईड्रॉप का उपयोग करें।

आंखों की करें सिंकाई

अगर आपकी आंखों से लगातार पानी निकल रहा है और साथ ही हल्की सूजन आ गई है तो ऐसे में आप तुंरत अपने आंखों की सिंकाई हैं. इसके लिए आपके एक साफ कपड़ा लेना है और साथ ही गर्म पानी में उसे हल्का से भिगोकर उससे सिंकाई करने हा. ध्यान रहे है कि पानी बहुत गर्म ना हो, आप कपड़े को थोड़ी देर के लिए आंखों के ऊपर रेखें और धीरे-धीरे सिंकाई करें आपको खूद को राहत महसूस होगी.


कच्चा आलू

   दरअसल कच्चे आलू में एंस्ट्रिजेंट के गुण होते हैं जो आंखों की इस समस्या में जल्द ही राहत दिलाने में कारगर होते हैं. इका इस्तेमाल करने के लिए आपक आलू को काट लें और उसे पानी से धो लें, उसके बाद एक पतली सी स्लाइट काटें और 10 मिनट तक फ्रिज में रखें औऱ उसके बाद आंखों के ऊपर थोड़ी देर के लिए रख दें आपको बहुत आराम मिलेगा.

  जब आपको कभी ऐसी समस्या हो और आपकी आँखों से पानी आने लग जाए तो आपको अपनी आँखों को हलके गर्म कपडे से हलके हलके दबाना चाहिए जिससे आँखों से पानी आने की समस्या ठीक हो जाती है।
  बेकिंग सोडा किसी भी इन्फेक्शन को ठीक करने में बहुत कारगर होता है। जब आपकी आँखों से पानी निकले तो आप हलके गुनगुने पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा मिलाएं और इससे आँखों को धोये जिससे आपकी आंखो से यह जलन खुजली और पानी आना बंद हो जाएगा।
  नारियल तेल को हमेशा से एक अच्छा मॉइस्चराइजर कहा जाता रहा है और आँखों से पानी आने पर इसे आँखों के चारो ओर हलके हलके मसाज करके लगायें जिससे आपकी आँखों से पानी आने की समस्या दूर हो जायेगी और आपको आराम मिलेगा।
   ठंडे या गरम कपड़े से दबाना आंसू नलिकाओं की रुकावट आँखों में पानी का प्रमुख कारण है। ठंडे या गरम कपड़े से दबाने से आँखों से यह परत हट जाती है, जिससे जहरीले पदार्थ भी बाहर निकाल जाते हैं और आँख की ललाई और जलन ठीक हो जाती है।
  आँखों में कोई भी समस्या होने पर इलायची बहुत कारगर मानी जाती है और इसके इस्तेमाल से आँखों से पानी आना बंद हो जाता है। एक गिलास दूध में दो इलायची मिलाएं और सेवन करे जिससे आँखों से पानी आना और कोई भी इन्फेक्शन धीरे धीरे खत्म होने लग जाएगा।
  एक टी बैग ले और उसे कुछ देर गर्म पानी में रखे और जब यह गर्म हो जाए तो इसे अपनी आँखों में रखे और लगभग पांच मिनट तक ऐसा करके रखे जिससे आपके आँखों से पानी आना बंद हो जाएगा और आपको आराम मिलेगा।

आंखों की सेहत के लिए आहार

  अगर आप सेहतमंद आंखे चाहते हैं तो इसके लिए पत्तेदार और हरी सब्जियां, ताजे फल, मछली, सूखे मेवे और अखरोट को अपनी डायट में शामिल जरूर करें। मछली और अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड मौजूद होता है। इसके सेवन से ड्राई मैकुलर की बीमारी होने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा आप सब्जियों में ब्रोक्कोली, गोभी, पालक, मटर को शामिल कर सकते हैं, इनमें एंटीऑक्सीडेंट के साथ ल्यूटीन मौजूद होता है। इनके सेवन से हर तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।
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