3.12.21

सेक्स टाइम बढ़ाने की ताकतवर औषधि है कौंच के बीज//kounch ke beej

 

 कौंच बीज पाउडर और चूर्ण इस आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला रूप है। कौंच पाउडर एक प्रोटीन है, जो महिलाओं को संतुलित आहार बनाए रखने में मदद करता है। जो महिलाएं जिम जाना पसंद करती हैं, वे इस जड़ी-बूटी के जरिए मांसपेशियों को बढ़ा सकती हैं।
यह उनके बॉडी मास इंडेक्स को बनाए रखने में मदद करता है। चूंकि इसमें कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, कॉपर, जिंक , मैंगनीज, सोडियम जैसे प्रमुख पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसलिए हीमोग्लोबिन की कमी से जूझ रही महिलाओं को कौंच बीज खाने की सलाह दी जाती है।
 थकान, यौन इच्छा की कमी और उसे बढ़ाने के उपचार के लिए कौंच बीजों का उपयोग किया जाता है। यह शरीर के भीतर फ्री रेडिकल को कम करने में मदद करता है। यह जड़ी बूटी यौन क्रिया के लिए बहुत ही शक्तिशाली होती है।  कौंच एवं कौंच बीज चूर्ण को आयुर्वेद में रसायन के रूप में प्रयोग किया जाता है | पुराने समय से ही कौंच एवं कौंच पाक आदि का इस्तेमाल देशी रसायन के रूप में किया जाता रहा है | आयुर्वेद में सर्दियों के मौसम में गोंद के लड्डू, ग्वारपाठे के लड्डू, मेथी के लड्डू आदि का प्रयोग सेहत एवं स्वास्थ्य के लिए किया जाता है |
कौंच बीज़ एक आयुर्वेदिक औषधि है कौंच बीज के विषय में अपने भी पहले कभी नहीं सुना होगा| आयुर्वेद में, कोंच बीज का उपयोग आमतौर पर शरीर के तीन दोषों अर्थात वात, पित्त और कफ को संतुलित करने के लिए किया जाता है।
कोंच बीज मस्तिष्क संबंधी समस्याओं से लेकर पुरुष बांझपन तक की समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है। कोंच बीज़ पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित करके टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन जारी करने में बहुत फायदेमंद है।

कौंच / कपिकच्छु के फायदे

भारत के समस्त मैदानी प्रदेशों में पायी जाने वाली एक जंगली बेल है | यह वर्षा ऋतू में मैदानी क्षेत्रों में अपने आप उग आती है , ज्यादातर हिमालय के निचले हिस्सों में होती है जंहा मैदानी प्रदेश होता है | इसके पत्ते 6 से 9 इंच लम्बे लट्टूवाकार और स्पष्ट पर्शिविक शिराओं से युक्त होते है |
पतों का आकार अर्धहृदयत होता है | कौंच के फुल 1 इंच लम्बे नील और बैंगनी रंग के होते है , इसकी फली 5 से 10 सेमी लम्बी होती है जिसके प्रष्ठ भाग पर सघन रोम और पर्शुक होते है, अगर ये त्वचा को छू जावे तो इनसे खुजली , दाह और सुजन की समस्या हो सकती है , इसी फली में अन्दर 5 से 6 काले रंग के बीज होते है जिन्हें कौंच बीज कहा जाता है |


कौंच के गुण धर्म

कौंच का रस मधुर, तिक्त | यह स्वाभाव में गुरु और स्निघ्ध | इसका वीर्य उष्ण होता है अर्थात कौंच के बीज की तासीर गरम होती है | पाचन के पश्चात कौंच के बीज का विपाक मधुर होता है | यह वातशामक और कफपित्त वर्द्धक है | आयुर्वेद चिकित्सा में इससे वानरी गुटिका , माषबलादी आदि औषध योग बनाये जाते है |
मर्दाना ताकत को बढ़ाने के लिए करे ये प्रयोग / कौंच बीजों के फायदे
कौच के बीजों को सबसे पहले दूध में पक्का ले और इनका छिलका उतार दे | फिर इसे धुप में सुखा दे , अच्छी तरह सूखने के बाद इनका महीन चूर्ण बना ले | अश्वगंधा और सफ़ेद मुसली को भी सामान मात्रा में लेकर इनका भी चूर्ण बना ले | अब कौंच बीज चूर्ण , अस्वगंधा चूर्ण और सफ़ेद मुसली के चूर्ण को आपस में अच्छी तरह मिला ले | रोज सुबह और शाम 5 ग्राम की मात्रा में दूध में मिश्री मिलाकर इसका सेवन करे | इससे शीघ्रपतन, नंपुसकता आदि रोगों से छुटकारा मिलेगा एवं शरीर में मर्दाना शक्ति का विकास होगा
कौंच के बीज , शतावरी, गोखरू, तालमखाना, नागबला और अतिबला – इन सभी को बराबर की मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना ले | इसका इस्तेमाल रोज रात को सोने से पहले 5 ग्राम की मात्रा में गुनगुने दूध के साथ करे | इसके इस्तेमाल से आपके सहवास का समय बढेगा और नामर्दी, शीघ्रपतन , धातु दुर्बलता में बेहतरीन परिणाम मिलेगा |

यौन संबंधित समस्याओं का इलाज करें:

कौंच बीज़ में कामोत्तेजक गुण होते हैं जिनमें प्रोलैक्टिन नामक एक हार्मोन होता है। यह प्रोलैक्टिन हार्मोन प्रजनन, चयापचय और इम्यूनोरेग्युलेटरी कार्यों के लिए फायदेमंद है। कोंच बीज़ की नियमित खपत से यौन संबंधी समस्याओं जैसे नपुंसकता, कम कामेच्छा, स्तंभन दोष, शीघ्रपतन, कमजोर पुरुष प्रजनन प्रणाली के उपचार में मदद मिल सकती है। इसमें ऐसे गुण होते हैं जो पुरुषों में स्खलन (शुक्राणु) की संख्या में वृद्धि करते हैं और महिला में ओव्यूलेशन करते हैं।अगर आप वियाग्रा का इस्तेमाल अपनी मर्दाना ताकत बढ़ाने के लिए करते है, तो इसे छोड दे और अभी से कौंच का इस्तेमाल करना शूरू कर दे | आप बाजार में मिलने वाले कौंच पाक का इस्तेमाल करे यह पूर्णतया सुरक्षित है एवं इसके बेहतर परिणाम भी है | कौंच पाक में कौंच बीज, सफ़ेद मुसली, वंस्लोचन, त्रिकटु, अश्वगंधा, चातुर्जात, दूध , शहद और घी जैसे पौष्टिक द्रव्य है जो आपकी नामर्दी को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखते है | कौंच पाक के इस्तेमाल से शीघ्रपतन, अंग का ढीलापन, धातु दुर्बलता, शारीरिक दुर्बलता, शुक्राणुओं की कमी आदि से छुटकारा मिलेगा और यह आपके पाचन, स्मृति और शारीरिक बल को बढ़ाएगा |
आयुर्वेद के अनुसार शरीर को सही कार्य करने के लिए कम से कम 8 घंटे की नींद लेना अति आवश्यक है| यदि आपकी नींद पूरी नहीं होती है तो शारीरिक एवं मानसिक समस्या शरीर में होने लगती है
कौंच बीज़ पाउडर के गुण, तंत्रिका और संज्ञानात्मक गतिविधियों को नियंत्रित करके मस्तिष्क को स्वस्थ बनाते हैं| यह तंत्रिका कार्य को बेहतर बनाने और पार्किंसंस रोग को कम करने में मदद करता है| यदि सफेद मूसली (Chlorophytum borivilianum) को कौंच (Velvet beans) के साथ सेवन किया जाए, तो अनिद्रा की समस्या से राहत मिल सकती है

एंटी डायबिटिक हर्ब्स:

आजकल डायबिटीज एक आम बीमारी बन गई है। जब रक्त में ग्लूकोज बढ़ जाता है या कम हो जाता है तो व्यक्ति को अच्छा महसूस नहीं होता है और कुछ मामलों में, उन्हें शरीर में दर्द और गुर्दे की समस्या हो सकती है। शोध में, यह पाया गया है कि प्राचीन समय में इन बीजों का उपयोग मधुमेह के उपचार के लिए किया जाता है। कौंच बीज़ में एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण होते हैं और ये एंटी-डायबिटीज दवा के भी अच्छे स्रोत होते हैं।

पीठ और बदन दर्द में फायदेमंद:

व्यस्त जीवन शैली और दैनिक दिनचर्या के कारण, कई लोग शरीर के विभिन्न हिस्सों में अपने दर्द के बारे में शिकायत करते हैं। दर्द निवारक का उपयोग शरीर के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, दर्द निवारक के बजाय, हर किसी को आयुर्वेदिक दवाएं और प्राकृतिक उपचार करना चाहिए। कौंच बीज़ में विरोधी भड़काऊ और एनाल्जेसिक गुण होते हैं जो दर्द से राहत में मदद कर सकते हैं।
*कौंच बीज महिला प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। यह महिलाओं को उनके प्रजनन अंगों में स्वस्थ ब्लड सकुर्लेशन में सुधार करके लो लिबिडो के बढ़ाने में मदद करता है।

गर्भावस्था में-

कौंच बीज को रातभर पानी में भिगोने से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बहुत फायदा हो सकता है। इसमें मौजूद कैल्शियम और आयरन दूध के उत्पादन को बढ़ाता है। जिन महिलाओं ने बच्चे को जन्म दिया है, उन्हें डिलीवरी के बाद अवसाद का सामना करना पड़ता है। अपने न्यूरोट्रांसमीटर विनियमन गुणों के साथ यह अवसाद के लक्षणों को रिहेबिलेट करने के काम आता है।

एंटी-पार्किंसन गुण:

पार्किंसन समस्याओं के लिए कोंच बीज बहुत प्रभावी है, क्योंकि इसमें एंटी-पार्किंसन गुण हैं। कोंच बीज में एक एमिनो एसिड होता है जो एल-डोपा द्वारा जाना जाता है, जो पार्किंसन समस्याओं से राहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। पार्किंसंस न्यूरो रोगों या विकार से संबंधित है, इसमें रोगी को कंपकंपी, शरीर में दर्द और चलने में कठिनाई महसूस हो सकती है।

कौंच पाक बनाने की विधि

कौंच पाक को अधिकतर सर्दियों में उपयोग करना चाहिए | इसे बनाने के लिए कौंच बीजो का इस्तेमाल होता है | मर्दाना ताकत , नपुंसकता, धातु दुर्बलता, वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, शीघ्रपतन एवं शारीरिक दुर्बलता आदि में इसका सेवन करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त होंगे |
बाज़ार से इसे खरीदने से अच्छा है की आप इसे घर पर ही तैयार करले | इसे बनाने की विधि भी आसान है और यह पूर्णतया लाभकारी होगी एवं बाज़ार में मिलने वाले कौंच पाक से बेहतर भी रहेगी | इसके निर्माण के लिए निम्न सामग्री चाहिए –
कौंच बीज – 250 ग्राम
गाय का दूध – 4 किलो
गाय का घी – 500 ग्राम
अकरकरा चूर्ण – 5 ग्राम
रस सिन्दूर – 5 ग्राम
केसर – 3 ग्राम

प्रक्षेप के लिए –

 दालचीनी, लौंग, इलायची, चव्य, चित्रक, पीपलामूल, आदि सामान मात्रा में 40 ग्राम |
विधि – सबसे पहले कौंच के बीजों को ऊपर बताई गई मात्रा में 8 से 10 घंटो के लिए भिगों दें , अच्छी तरह भीगने के बाद बीज के ऊपर के छिलके को हटा दें एवं बीजों को धूप में सुखा दें | जब बीज अच्छी तरह सुख जाए तब इन्हें बारीक़ पीसकर चूर्ण बना ले | अब इस चूर्ण को दूध में डालकर उबालें एवं इसका मावा तैयार कर ले |
एक कडाही में घी डालकर इसमें इस मावे को भून ले | अच्छी तरह भुनने के बाद इसमें एक किलो चीनी से तैयार चासनी डालकर मिलादें | ऊपर से प्रक्षेप द्रव्य और अकरकरा चूर्ण – 5 ग्राम, रस सिन्दूर – 5 ग्राम और केसर – 3 ग्राम डालकर इसकी बर्फी काटले |

सेवन विधि –

 20 से 40 ग्राम तक पाचन शक्ति के अनुसार सुबह और शाम दूध के साथ सेवन करे |
इस प्रकार से कौंच पाक का निर्माण होता है | वैसे शास्त्रोक्त कौंच पाक इससे भिन्न है , लेकिन इस प्रकार से तैयार करने से भी यह योग पुरुषों के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है | यह परम पौष्टिक, शक्ति को बढाने वाला, शारीरिक कमजोरी को दूर करने वाला, नपुंसकता और धातु दुर्बलता आदि में काफी चमत्कारिक सिद्ध होता है |

कौंच के बीज का चुर्ण

सामग्री (Ingredients)
· 40 ग्राम मिश्री
· 40 ग्राम सफेद मूसली
· 60 ग्राम शाल्मली की जड़
· 80 ग्राम पोस्तदाना
· 50 ग्राम गोखरू
· 60 ग्राम कौंच के बीज
· 60 गरम तालमखाना

विधि (Method) –

इस चुर्ण को बनाने के लिए इन सभी वस्तुओं को इकठ्ठा करने के बाद पीस लें और पिसने के बाद एक बारीक़ कपडे से या छलनी से छान लें. अब एक चम्मच चुर्ण का सेवन रोजाना सुबह और शाम के समय करें और उसके बाद दूध पी लें. इस चुर्ण का प्रयोग करने पर आपके शरीर की शक्ति का विकास होगा, शरीर में पौष्टिकता की वृद्धि होगी तथा दाम्पत्य जीवन भी सुखपूर्वक व्यतीत होगा. 
 कौंच बीज पाउडर का इस्तेमाल करना काफी आसान है। आधा चम्मच कौंच बीज के चूर्ण को शहद या फिर एक कप गर्म दूध में मिलाएं। दिन में दो बार भोजन के बाद इसका सेवन करें।

सावधानी-

कौंच बीज के जितने फायदे हैं, इसके नुकसान भी हैं। कुछ लोगों को इसके सेवन से मतली, उल्टी, अनिद्रा और सिरदर्द की शिकायत होती है। हालांकि, ऐसा होना असामान्य है, क्योंकि कौंच के बीज एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है। यहां तक की अगर आपको किडनी, लीवर ,हार्ट, ग्लूकोमा से संबंधित समस्या है, तो इसके सेवन से बचना चाहिए।
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2.12.21

छुहारे ,खजूर,खारक खाने के फायदे : Benefits of dates




प्राचीन काल से ही हमारे यहां लोग छुहारे का सेवन करते आ रहे हैं। जहां गर्मियों में छुहारे के सेवन से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है, तो वहीं सर्दियों में इसके छुहारे के फायदे बढ़ जाते हैं। क्योंकि ये शरीर को गर्माहट देने के साथ ही डायबिटीज, साइटिका, कब्ज समेत कई सारी गंभीर बीमारियों से भी बचाता है। आयुर्वेद में छुहारे के फायदे का विस्तृत रूप से उल्लेख मिलता है। इसलिए आज हम आपको छुहारे के फायदे के बारे में बता रहें हैं। जिससे आप छुहारे का सेवन करके खुद को सेहतमंद बना सकते हैं और कई सारी गंभीर बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।

छुहारे का नित्य उपयोग करने से हमारे फेफड़े व् चेस्ट को शक्ति मिलती है। और साँस के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी होती है।
 शरीर को मजबूत बनाने के लिए 2 या 3 छुहारों का उपयोग प्रतिदिन किया जाता है।
*प्रतिदिन छुहारो का उपयोग करने से पेट में गैस आदि नहीं बनती है ।और शरीर हष्ठ्पुष्ठ बना रहता है।
*छुहारे की गुठली पानी के साथ सिल पर घिस कर उसे फोड़े फुंसी पर लगाने से बहुत फायदा होता है। छोटे बच्चों को छहारा खिलाने से बच्चो को सोते समय पेशाब करने की समस्या दूर हो जाती है। इसी कारण से छुहारा हमारे शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।और हमारे शरीर के लिये उपयोगी होता है। बच्चो के शरीर के विकार के लिए छुहारा रामबाण की तरह काम करता है।
*छुहारे खानें के फायदे: छुहारे स्वास रोग मे बहूत ही फायदेयंद है क्योकि यह छाती और फेफड़ो को ताकत देने मे मदद करता है। अगर हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं तो हमें सांस के रोग कम से कम लगते हैं। और अगर पहले किसी को सांस के रोग है और वह छुहारे का सेवन करते हैं तो उनको इस में बहुत ही फायदा मिलता है। दूध के साथ इसका सेवन करने पर यह शरीर को मजबूत बनाता है। अगर आपका शरीर कमजोर है तो आपको छुहारे का सेवन दूध में डालकर करना चाहिए। जिसके साथ साथ आपका वजन बढ़ने लगेगा और आपका शरीर भी मजबूत होने लगेगा। दूध मे उबाल कर इसको 2 से 3 महीने लगातार खाने पर यह आपका वजन बढ़ाने मे भी मदद करता है।आपको बता दें कि छुहारा, खजूर के सूखने के बाद बनता है।

ब्लड प्रेशर

छुहारा लो ब्लड प्रेशर वाले लोग 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठली निकाल दें. इसके बाद गाय के गर्म दूध के साथ छुहारे के गुदे को उबाल लें. उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं. कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से लो ब्लड प्रेशर से छुटकारा मिल जाएगा.

डाइजेशन में लाभदायक

छुहारा खाने से पेट को अतिरिक्त बल मिलता है जिससे भोजन अच्छी तरह पच जाता है. रोजाना छुहारे का सेवन करने से आपका डाइजेशन अच्छा रहेगा.

कब्ज

रोजाना सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर गर्म पानी पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है. इसके अलावा खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता.

दिल की समस्या को दूर करे छुहारा

बता दें कि हृदय प्रणाली पर छुआरा काफी प्रभावशाली है। चूंकि छुहारे के अंदर वसा कम मात्रा में पाया जाता है और इसके अंदर किसी भी प्रकार का कोलेस्ट्रोल भी नहीं पाया जाता है जो खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। साथ ही इसके अंदर सोडियम की मात्रा भी कम होती है व पोटेशियम अधिक होता है जो शरीर में रक्त के दबाव को नियंत्रित करता है।

आंख पर गुहेरी

आंख पर गुहेरी होने पर इसका लेप इस्तेमाल करने पर आपको जल्दी फायदा मिलेगा और इसके साथ साथ आप लेप को शरीर के किसी भी घाव पर भी इस्तेमाल कर सकते है। इसके अलावा जिन लोगों को रात में दिखाई नहीं देता है अगर वह लोग छुहारे का लगातार सेवन करते हैं तो उन को रात में न दिखने की प्रॉब्लम कम हो जाती है। इसमे मौजूद कैल्सियम आपकी हड्डियों को मजबूत करता है। जो इसके साथ-साथ यह हमारी हड्डियों को स्वस्थ और ताकतवर बनाने का काम करता है। यह कई तरह की बीमारियों से भी लड़ता है।जैसे कि हमारी हड्डियों में दर्द होना। खजूर में मेगनीज, कोपर और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है जो की हड्डियों की हेल्थ के लिए बहुत ही बढ़िया है।
*रेगुलर3 छुहारे खाने के बाद 1 ग्लास गरम पानी पीने से आपको बवासीर,कब्ज, और गैस की दिक्कत से छुटकारा मिल जाएगा। यह एनर्जी बूस्ट करने का भी काम करता है क्योंकि इसमें नेचुरल सुगर होता है। उसको आप एक्सरसाइज के बाद ले सकते हैं या एक्सरसाइज से पहले इसको आप ले सकते हैं। यह आपको जल्दी एनर्जी देने का काम करेगा। आपने बादाम का हलवा तो खूब खाया होगा लेकिन क्या आपने छुहारा का हलवा खाया है? यह भी बादाम के हलवे की तरह बहुत ही स्वादिष्ट होता है। यह हलवा सर्दियों के दिनों में बहुत ही लाभदायक होता है। इसे आप कई दिनों तक रख भी सकते हैं।

खांसी और जुकाम को दूर करें खजूर और दूध

दूध और खजूर का उपयोग काफी पुराने समय से चला आ रहा है। यह न केवल खांसी जुकाम की परेशानी को दूर करता है बल्कि अगर एक चुटकी काली मिर्च और इलाइची का पाउडर दूध में मिलाया जाए और खूजर के साथ इसका सेवन किया जाएगा तो यह सर्दी भगाने में भी बेहद उपयोगी है।

जुएं

छुहारे की गुठली को पानी में घिसकर सिर पर लगाने से सिर की जुएं मर जाती हैं.

श्वास संबंधी रोग में फायदेमंद

छुहारे श्वास रोग मे बहुत ही कारगर साबित होता है, क्योंकि यह छाती और फेफड़ों को ताकत देने मे मदद करता है. अगर हमारे फेफड़े मजबूत होते हैं तो हमें श्वास संबंधी रोग नहीं होते और अगर पहले से किसी को सांस संबंधी परेशानी है तो छुहारे का सेवन करने से बहुत ही फायदा मिलता है.

पेशाब की समस्या करे दूर

छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है. बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से बहुत लाभ होगा. इसके अलावा यदि आपका बच्चा बिस्तर पर पेशाब करता हो तो उसे भी रात को छुहारे वाला दूध पिलाएं

बालों को स्वस्थ बनाएं

छुआरे के अंदर विटामिन b5 पैंटोथैनिक एसिड पाया जाता है जो बालों के लिए एक हेल्दी खुराक के रूप में काम करता है। ऐसे में इसका नियमित रूप से सेवन सेवन रूखे बालों का झड़ना, दो मुंहिये वालों की समस्या आदि को दूर कर सकता है। वहीं जो लोग बाल झड़ने की समस्या से परेशान रहते हैं वे नियमित रूप से छुहारे का उपयोग कर सकते हैं। छुहारा पोषक तत्व से भरा हुआ है, ऐसे में ये स्वस्थ बालों का विकास करता है और बालों को मजबूती देता है, जिससे बाल चमकदार नजर आते हैं।

भूख न लगने की समस्या को करे खत्म

जिन लोगों को भूख नहीं लगती है उन्हें छुहारे का सेवन जरूर करना चाहिए. इसके लिए छुहारे के गूदे को दूध के साथ उबाल लें. ठंडा होने के बाद दूध को मिक्सर में डालकर पीस लें. इसके सेवन करने से भूख न लगने की समस्या खत्म हो जाती है.

वजन बढ़ाने में मददगार

शारीरिक रूप से कमजोर और पतले लोगों के लिए छुहारा किसी वरदान से कम नहीं है. इसके लिए छुहारे को दूध के साथ मिलाकर पिएं. लेकिन अगर मोटे हैं तो इसका सेवन सावधानीपूर्वक करें.

दूध में कितने छुहारे खाने चाहिए?

रोजाना दूध और 3 छुहारे का सेवन शरीर को मजबूत बनाता है और कमजोरी को दूर भगाता है। अत्यधिक दुबले-पतले व्यक्ति अगर रोजाना 250 ग्राम दूध में छुहारे उबालकर इसका सेवन करते हैं तो इससे उन्हें मोटापा बढ़ाने में मदद मिलती है।

सर्दी-जुकाम को भगाए दूर

सर्दी-जुकाम से परेशान हैं तो एक गिलास दूध में पांच छुहारे, पांच दाने काली मिर्च और एक इलायची डालकर अच्छी तरह उबाल कर उसमें एक चम्मच घी डालें. फिर रात में सोने से पहले पी लें. सर्दी-जुकाम तुरंत आराम मिल जाएगा. इसके अलावा छुहारे को घी में भूनकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से खांसी, छींक, और बलगम में भी राहत मिलती है.

घाव व चोट भरने में लाभदायक

छुहारे की गुठली को पानी के साथ पत्थर में घिस लें. इस पेस्ट को घाव और चोट पर लगाने से यह जल्दी भर जाता है.

दांतों को बनाए मजबूत

छुहारे को गर्म दूध के साथ पीने से कैल्शियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना आदि में भी लाभ मिलता है.

कब्ज की समस्या

 रोजाना सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर गर्म पानी पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है. इसके अलावा खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता. छुहारे खाने से पेशाब का रोग दूर होता है. बुढ़ापे में पेशाब बार-बार आता हो तो दिन में दो छुहारे खाने से बहुत लाभ होगा

खजूर खाने का सही समय क्या है?

एक्सपर्ट की मानें तो खजूर सुबह के वक्त खाना ज्यादा बेहतर होता है. अगर आपका हीमोग्लोबिन लेवल कम है तो इसे लंच में खाने के बाद खाएं. बच्चों को दिन में खाने के बीच खजूर देना ज्यादा बेहतर विकल्प माना जाता है
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  • 30.11.21

    चमत्कारिक ,रहस्यपूर्ण जड़ी-बूटियाँ //wondrous mysterious herbs

     आयुर्वेद के अलावा भारत की स्थानीय संस्कृति में कई चमत्कारिक पौधों के बारे में पढ़ने और सुनने को मिलता है। एक ऐसी जड़ी है जिसको खाने से जब तक उसका असर रहता है, तब तक व्यक्ति गायब रहता है। एक ऐसी जड़ी-बूटी है जिसका सेवन करने से व्यक्ति को भूत-भविष्‍य का ज्ञान हो जाता है। कुछ ऐसे भी पौधे हैं जिनके बल पर स्वर्ण बनाया जा सकता है। इसी तरह कहा जाता है कि धन देने वाला पौधा जिनके भी पास है, वे धनवान ही नहीं बन सकते बल्कि वे कई तरह की चमत्कारिक सिद्धियां भी प्राप्त कर सकते हैं। सचमुच होते हैं इस तरह के पौधे व जड़ी-बूटियां और क्या आज भी पाए जाते हैं? हो सकता है कि आपके आसपास ही हो इसी तरह का पौधा या ढूंढने से मिल जाए आपको ये चमत्कारिक पौधे। तब तो आपको हर तरह की सुख और सुविधाएं प्राप्त हो सकती हैं। जड़ी-बूटियों के माध्यम से धन, यश, कीर्ति, सम्मान आदि सभी कुछ पाया जा सकता है।


    1. सोमवल्ली :
    प्राचीन ग्रंथों एवं वेदों में सोमवल्ली के महत्व एवं उपयोगिता का व्यापक उल्लेख मिलता है। अनादिकाल से देवी-देवताओं एवं मुनियों को चिरायु बनाने और उन्हें बल प्रदान करने वाला पौधा है सोमवल्ली। बताया जाता है कि रीवा जिले के घने जंगलों में यह पौधा आज भी पाया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम Sarcostemma acidum बताया जाता है। इसकी कई तरह की प्रजातियां होती हैं।प्राचीन ग्रंथों व वेद-पुराणों में सोमवल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है। देवी-देवता व मुनि इस पौधे के रस का सेवन अपने को चिरायु बनाने एवं बल सामर्थ्य एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया करते थे। इस पौधे की खासियत है कि इसमें पत्ते नहीं होते। यह पौधा सिर्फ डंठल के आकार में लताओं के समान है। हरे रंग के डंठल वाले इस पौधे को सोमवल्ली लता भी कहा जाता है।ऋग्वेद में सोमरस के बारे में कई जगह वर्णन है। एक जगह पर सोम की इतनी उपलब्धता और प्रचलन दिखाया गया है कि इंसानों के साथ-साथ गायों तक को सोमरस भरपेट खिलाए और पिलाए जाने की बात कही गई है।सोम को स्वर्गीय लता का रस और आकाशीय चन्द्रमा का रस भी माना जाता है। ऋग्वेद अनुसार सोम की उत्पत्ति के दो प्रमुख स्थान हैं- 1. स्वर्ग और 2. पार्थिव पर्वत।सोम की लताओं से निकले रस को सोमरस कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि यह न तो भांग है और न ही किसी प्रकार की नशे की पत्तियां। सोम लताएं पर्वत श्रृंखलाओं में पाई जाती हैं। राजस्थान के अर्बुद, उड़ीसा के महेन्द्र गिरि, विंध्याचल, मलय आदि अनेक पर्वतीय क्षेत्रों में इसकी लताओं के पाए जाने के जिक्र है। कुछ विद्वान मानते हैं कि अफगानिस्तान की पहाड़ियों पर ही सोम का पौधा पाया जाता है। यह गहरे बादामी रंग का पौधा है।
    इफेड्रा :

     कुछ वर्ष पहले ईरान में इफेड्रा नामक पौधे की पहचान कुछ लोग सोम से करते थे। इफेड्रा की छोटी-छोटी टहनियां बर्तनों में दक्षिण-पूर्वी तुर्कमेनिस्तान में तोगोलोक-21 नामक मंदिर परिसर में पाई गई हैं। इन बर्तनों का व्यवहार सोमपान के अनुष्ठान में होता था। यद्यपि इस निर्णायक साक्ष्य के लिए खोज जारी है। हालांकि लोग इसका इस्तेमाल यौनवर्धक दवाई के रूप में करते हैं।

    2. तेलिया कंद :
    इसकी जड़ों से तेल का रिसाव होता रहता है इसीलिए इसे तेलिया कंद कहते हैं। माना जाता है कि यह पौधा सोने के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कहते हैं कि यह किसी विशेष निर्माण विधि से पारे को सोने में बदल देता है, लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है यह कोई नहीं जानता। हालांकि माना जाता है कि इसका मुख्य गुण सांप के जहर को काटना है।पहले प्रकार को पुरुष और दूसरे को स्त्रैण तेलिया कंद कहते हैं। इसमें सिर्फ पुरुष प्रकार के तेलिया कंद में ही गुण होते हैं। इसकी पहचान यह है कि इसके कंद को सूई चुभो देने भर से ही तत्काल वह गलकर गिर जाता है। इसका कंद शलजम जैसा होता है। यह पौधा सर्पगंधा से मिलते-जुलते पत्ते जैसा होता है।माना जाता है कि तेलिया कंद का पौधा 12 वर्ष उपरांत अपने गुण दिखाता है। प्रत्येक वर्षाकाल में इसका पौधा जमीन से फूटता है और वर्षाकाल समाप्त होते ही समाप्त हो जाता है। इस दौरान इसका कंद जमीन में ही सुरक्षित बना रहता है। इस तरह जब 12 वर्षाकाल का चक्र पूरा हो जाता है, तब यह पौधा अपने चमत्कारिक गुणों से संपन्न हो जाता है। इसके आसपास की जमीन पूर्णत: तेल में लबरेज हो जाती है
    3.‘संजीवनी बूटी’ :

     कुछ विद्वान इसे ही ‘संजीवनी बूटी’ कहते हैं। सोम को न पहचान पाने की विवशता का वर्णन रामायण में मिलता है। हनुमान दो बार हिमालय जाते हैं, एक बार राम और लक्ष्मण दोनों की मूर्छा पर और एक बार केवल लक्ष्मण की मूर्छा पर, मगर ‘सोम’ की पहचान न होने पर पूरा पर्वत ही उखाड़ लाते हैं। दोनों बार लंका के वैद्य सुषेण ही असली सोम की पहचान कर पाते हैं।

    4. हत्था जोड़ी :
    माना जाता है कि हत्था जोड़ी को अपने पास रखने से लोग आपको सम्मान देने लगते हैं। यह एक विशेष प्रकार का पौधा होता है जिसकी जड़ खोदने पर उसमें मानव भुजा जैसी दो शाखाएं निकलती हैं इसके सिरे पर पंजा जैसा बना होता है। यह पूर्णत: मानव हाथ के समान होता है इसीलिए इसे हत्था जोड़ी कहते हैं।दरअसल, अंगुलियों के रूप में उस पंजे की आकृति ठीक इस तरह की होती है, जैसे कोई मुट्ठी बांधे हो। जड़ निकलकर उसकी दोनों शाखाओं को मोड़कर परस्पर मिला देने से करबद्ध की स्थिति बनती है। इसके पौधे प्राय: मध्यप्रदेश के जंगलों में पाए जाते हैं।हत्था जोड़ी बहुत ही शक्तिशाली व प्रभावकारी है। यह एक जंगली पौधे की जड़ होती है। माना जाता है कि मुकदमा, शत्रु संघर्ष, दरिद्रता आदि के निवारण में इसके जैसा चमत्कारी पौधा कोई दूसरा नहीं। तांत्रिक विधि में इसके वशीकरण के उपयोग किए जाते हैं। हालांकि इसमें कितनी सचाई है, यह हम नहीं जानते।माना जाता है कि जिसके पास यह होती है उस पर मां चामुण्डा की असीम कृपा स्वत: ही होने लगती है और ऐसे व्यक्ति को किसी भी कार्य में सफलता मिलती रहती है। यह धन-संपत्ति देने वाली बहुत ही चमत्कारी जड़ी मानी गई है। कहा जाता है कि इसे जंगल में से लाने के पूर्व इसको किसी विशेष दिन जाकर निमंत्रण दिया जाता है, तब उक्त दिन जाकर उसको लाया जाता है फिर किसी खास मंत्र द्वारा इसे सिद्ध करने के बाद ही पास में रखा जाता है।सिद्ध करने के बाद इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान में अथवा तिजोरी में रख दिया जाता है। इससे आय में वृद्घि होती है और सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है।
     

    5. ब्राह्मी :
    ब्राह्मी को बुद्धि और उम्र को बढ़ाने वाला माना गया है। ब्राह्मी तराई वाले स्थानों पर उगती है।यह बुखार, स्मृतिदोष, सफेद दाग, पीलिया, प्रमेह और खून की खराबी को दूर करती है। खांसी, पित्त और सूजन में भी लाभदायक है। ब्राह्मी का उपयोग दिल और दिमाग को संतुलित करने के लिए लिए भी किया जाता है।कहा जाता है कि इसका सही मात्रा के अनुसार सेवन करने से निर्बुद्ध, त्रिकालदर्शी यानी भूत, भविष्य और वर्तमान सब दिखाई देने लगता है।जटामासी, शंखपुष्पी, जपा, अखरोट की तरह ब्राह्मी भी दिमाग और नेत्र के लिए बहुत ही उपयोगी है। ब्राह्मी नाम से कई तरह के टॉनिक बनते हैं। ब्राह्मी दरअसल एक जड़ी है, जो दिमाग के लिए बहुत ही उपयोगी है। यह दिमाग को शांत कर स्थिरता प्रदान करती है, साथ ही यह याददाश्त बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।योग और आयुर्वेद के अनुसार बाह्मी से हमारे चक्र भी सक्रिय होते हैं। माना जाता है कि इससे दिमाग के बाएं और दाएं हेमिस्फियर संतुलित रहते हैं। ब्राह्मी में एंटी ऑक्सीडेंट तत्व होते हैं जिससे दिमाग की शक्ति बढ़ने लगती है।
    सेवन : 

    आधे चम्मच ब्राह्मी के पावडर को गरम पानी में मिला लें और स्वाद के लिए इसमें शहद मिला लें और मेडिटेशन से पहले इसे पीएं तो लाभ होगा। इसके 7 पत्ते चबाकर खाने से भी वही लाभ मिलता है।

    6. पलाश:
    पलाश के फूल को टेसू का फूल कहा जाता है। इसे ढाक भी कहा जाता है। यह बसंत ऋ‍तु में खिलता है। पलाश 3 प्रकार का होता है- एक वह जिसमें सफेद फूल उगते हैं और दूसरा वह जिसमें पीले फूल लगते हैं और तीसरा वह जिसमें लाल-नारंगी फूल लगते हैं। माना जाता है कि सफेद पलाश के फूल की एक गूटिका बनती है जिसे मुंह में रखने के बाद आदमी तब तक गायब रहता है जब तक की गूटिका पूर्णत: गल नहीं जाए।
     
    तीनों ही तरह के पलाश के कई चमत्कारिक गुण हैं। माना जाता है कि सफेद पलाश के पत्तों से पुत्र की प्राप्ति की जा सकती है, जबकि इसके पौधे के घर में रहने से धन और समृद्धि बढ़ती है।पलाश के पत्ते, डंगाल, फल्ली तथा जड़ तक का बहुत ज्यादा महत्व है। पलाश के पत्तों का उपयोग ग्रामीण दोने-पत्तल बनाने के लिए करते हैं जबकि इसके फूलों से होली के रंग बनाए जाते हैं। हालांकि इसके फूलों को पीसकर चेहरे में लगाने से चमक बढ़ती है। पलाश की फलियां कृमिनाशक का काम करती हैं। इसके उपयोग से बुढ़ापा भी दूर रहता है। इसके फूल के उपयोग से लू को भगाया जा सकता है, साथ ही त्वचा संबधी रोग में भी यह लाभदायक सिद्ध हुआ है।इसके  पांचों अंगों- तना, जड़, फल, फूल और बीज से दवाएं बनाने की विधियां दी गई हैं। इस पेड़ से गोंद भी मिलता है जिसे ‘कमरकस’ कहा जाता है। इससे वीर्यवान बना जा सकता है। पलाश पुष्प पीसकर दूध में मिलाकर गर्भवती माताओं को पिलाने से बलवान संतान का जन्म होता है।सफेद पलाश के फूल, चांदी की गणेश प्रतिमा व चांदी में मड़े हुए एकाक्षी नारियल को अभिमंत्रित कर तिजोरी में रखें। इससे धन-संपत्ति बढ़ती है। माना जाता है कि पलाश के पीले फूल से सोना बनाया जा सकता है। प्राचीन साहित्य में इसका उल्लेख मिलता है।

    7. बांदा :
    बांदा, वांदा अथवा बंदाल नाम की परोपजीवी वनस्पति प्रात: सभी बड़े वृक्षों पर उग जाती है, जैसे आम, पीपल, महुआ, 
    जामुन आदि। इसके पतले, लाल गुच्छेदार फूल और मोटे कड़े पत्ते पीपल के पत्ते के बराबर होते हैं। हालांकि बहुत से अलग-अलग भी बांदा होते हैं, जैसे पीपल का पेड़ किसी भी दूसरे पेड़ पर उग आता है तो उसे पीपल का बांदा कहते हैं। इसी तरह नीम, जामुन आदि के बांदा भी होते हैं। तंत्रशास्त्र के अनुसार प्रत्येक पेड़ पर उगा बांधा एक विशेष फल देता है।
    बांदा का धार्मिक और कई मामलों में तांत्रिक महत्व भी है। कहते हैं कि भरणी नक्षत्र में कुश का वांदा लाकर पूजा के स्थान पर रखने से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
    पुष्प नक्षत्र में इमली का वांदा लाकर दाहिने हाथ में बांधने से कंपन के रोग में आराम मिलेगा।
    मघा नक्षत्र में हरसिंगार का वांदा लाकर घर में रखने से समृद्धि एवं संपन्नता में वृद्धि होती है।
    विशाखा नक्षत्र में महुआ का वांदा लाकर गले में धारण करने से भय समाप्त हो जाता है। डरावने सपने नहीं आते हैं। शक्ति (पुरुषत्व) में वृद्धि होती है।
    बरगद का बांदा बाजू में बांधने से हर कार्य में सफलता मिलती है और कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता।
    अनार का बांदा पूजा करने के बाद घर में रखने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती और न ही भूत-प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश होता है।
    बेर के बांदे को विधिवत तोड़कर लाने के पश्चात देव प्रतिमा की तरह इसको स्नान करवाएं व पूजा करें। इसके बाद इसे लाल कपड़े में बांधकर धारण कर लें। इस प्रकार आप जो भी इससे मांगेंगे, वह सब आपको प्राप्त होगा।हरसिंगार के बांदे को पूजा करने के बाद लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें तो आपको कभी धन की कमी नहीं होगी। आम के पेड़ के बांदे को भुजा पर धारण करने से कभी भी आपकी हार नहीं होती और विजय प्राप्त होती है।

    8. श्वेत अपराजिता :

    श्वेत अपराजिता का पौधा मिलना कठिन है। हालांकि नीले रंग का आसानी से मिल जाता है। श्वेत आंकड़ा और लक्ष्मणा का पौधा भी श्वेत अपराजिता के पौधे की तरह धनलक्ष्मी को आकर्षित करने में सक्षम है। इसके सफेद या नीले रंग के फूल होते हैं। अक्सर सुंदरता के लिए इसके पौधे को बगीचों में लगाया जाता है। इसमें बरसात के सीजन में फलियां और फूल लगते हैं।
    संस्कृत में इसे आस्फोता, विष्णुकांता, विष्णुप्रिया, गिरीकर्णी, अश्वखुरा कहते हैं जबकि हिन्दी में कोयल और अपराजिता। बंगाली में भी अपराजिता, मराठी में गोकर्णी, काजली, काली, पग्ली सुपली आदि कहा जाता है। गुजराती में चोली गरणी, काली गरणी कहा जाता है। तेलुगु में नीलंगटुना दिटेन और अंग्रेजी में मेजरीन कहा जाता है।दोनों प्रकार की कोयल (अपराजिता), चरपरी (तीखी), बुद्धि बढ़ाने वाली, कंठ (गले) को शुद्ध करने वाली, आंखों के लिए उपयोगी होती है। यह बुद्धि या दिमाग और स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली है तथा सफेद दाग (कोढ़), मूत्रदोष (पेशाब की बीमारी), आंवयुक्त दस्त, सूजन तथा जहर को दूर करने वाली है।

    9. कीड़ा घास :

    कीड़े जैसी दिखने के कारण उत्तराखंड के लोग इसे कीड़ा घास कहते हैं। तिब्बती भाषा में इसको ‘यारसाद्-गुम-बु’ कहा जाता है जिसका अर्थ होता है ग्रीष्म ऋतु में घास और शीत ऋतु में जंतु। अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार यर्सी गंबा हिमालयी क्षेत्र की विशेष प्रकार एवं यहां पाए जाने वाले एक कीड़े के जीवनचक्र के अद्भुत संयोग का परिणाम है।
    कहते हैं कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ एवं चमोली जिले के 3,500 मीटर की ऊंचाई के एल्पाइन बुग्यालों में यह घास पाई जाती है। तिब्बती साहित्य के अनुसार यहां के चरवाहों ने देखा कि जंगलों में चरने वाले उनके पशु एक विशेष प्रकार की घास, जो कीड़े के समान दिखाई देती है, को खाकर हृष्ट-पुष्ट एवं बलवान हो जाते हैं। धीरे-धीरे यह घास एक चमत्कारी औषधि के रूप में अनेक बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग होने लगी।
    यह नारंगी रंग की एक पतली जड़ की तरह दिखाई देती है जिसका भीतरी भाग सफेद होता है। इसका ऊपरी भाग एक स्प्रिंग की भांति घुमावदार होता है जिस पर झुर्रियां होती हैं। इन झुर्रियों के कारण ही यह इल्लड़ जैसी लगती है। इन झुर्रियों की मुख्य रचना में 7-8 आकृतियां झुंड के रूप में मिलती हैं। इनमें बीच की रचनाएं बड़ी एवं महत्वपूर्ण होती हैं।
    वैज्ञानिकों के अनुसार ये झुंड वस्तुत: कार्डिसेप्स नामक फफूंद के सूखे हुए अवशेष होते हैं। उनके अनुसार इस घास में एस्पार्टिक एसिड, ग्लूटेमिक एसिड, ग्लाईसीन जैसे महत्वपूर्ण एमीनो एसिड तथा कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम जैसे अनेक प्रकार के तत्व, अनेक प्रकार के विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसको एकत्रित करने के लिए अप्रैल से लेकर जुलाई तक का समय उपयुक्त होता है। अगस्त के महीने से धीरे-धीरे प्राकृतिक रूप से इसका क्षय होने लगता है और शरद ऋतु के आने तक यह पूर्णतया विलुप्त हो जाती है।यह औषधि हृदय, यकृत तथा गुर्दे संबंधी व्याधियों में उपयोगी सिद्ध हुई है। शरीर के जोड़ों में होने वाली सूजन एवं पीड़ा तथा जीर्ण रोगों जैसे अस्थमा एवं फेफड़े के रोगों में इसका प्रयोग लाभकारी होता है। इसका प्रयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। उम्र के साथ-साथ बढ़ने वाली हृदय एवं मस्तिष्क की रक्त वाहिनियों की कठोरता को भी यह कम करता है। कुल मिलाकर यह आपकी बढ़ती आयु को रोकने में सक्षम है।

    10. सिद्धि देने वाली जड़ी-बूटी :
    गुलतुरा (दिव्यता के लिए), तापसद्रुम (भूतादि ग्रह निवारक), शल (दरिद्रता नाशक), भोजपत्र (ग्रह बाधाएं निवारक), विष्णुकांता (शस्त्रु नाशक), मंगल्य (तांत्रिक क्रिया नाशक), गुल्बास (दिव्यता प्रदानकर्ता), जिवक (ऐश्वर्यदायिनी), गोरोचन (वशीकरण), गुग्गल (चामंडु सिद्धि), अगस्त (पितृदोष नाशक), अपमार्ग (बाजीकरण)।बांदा (चुम्बकीय शक्ति प्रदाता), श्‍वेत और काली गुंजा (भूत पिशाच नाशक), उटकटारी (राजयोग दाता), मयूर शिका (दुष्टात्मा नाशक) और काली हल्दी (तांत्रिक प्रयोग हेतु) आदि ऐसी अनेक जड़ी-बूटियां हैं, जो व्यक्ति के सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन को साधने में महत्वपूर्ण मानी गई हैं।

    11. भूख-प्यास को रोके जड़ी :

    वेदादि ग्रंथों के अलावा कौटिल्य के अर्थशास्त्र में जड़ी-बूटी, दूध आदि से निर्मित ऐसे आहार का विवरण है जिसके सेवन के बाद पूरे महीने भोजन की जरूरत नहीं पड़ती।
    कहते हैं कि आंधीझाड़ा से अत्यधिक भूख लगने (भस्मक रोग) और अत्यधिक प्यास लगने का रोग समाप्त किया जा सकता है। अर्थात जो लोग ज्यादा खाने के शौकीन हैं और मोटापे से ग्रस्त हैं वे इस जड़ी का उपयोग कर भूख को समाप्त कर सकते हैं।इसे संस्कृत में अपामार्ग, हिन्दी में चिरचिटा, लटजीरा और आंधीझाड़ा कहते हैं। अंग्रेजी में इसे रफ चेफ ट्री नाम से जाना जाता है। यह पौधा 1 से 3 फुट ऊंचा होता है और भारत में सब जगह घास के साथ अन्य पौधों की तरह पैदा होता है। खेतों की बागड़ के पास, रास्तों के किनारे, झाड़ियों में इसे सरलता से पाया जा सकता है। 
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    कंधा खिसकने के प्रभावी घरेलू उपचार:home remedies for dislocated shoulder





     कंधे खिसकने या कंधे उतरने की शिकायत अक्सर सुनने में आती है। आमतौर पर उम्रदराज़ लोगों में ये समस्या हड्डियों के कमज़ोर होने के कारण होती है थोड़ी से मेहनत या गलत ठंग से उठने-बैठने पर बुज़ुर्ग लोगों के कंधे उतर जाते हैं। लेकिन आजकल बच्चे और युवा पीढ़ी भी इस समस्या से अछुते नहीं हैं। अक्सर युवा पीढ़ी फिट व आकर्षक दिखने के लिए जिम में कड़ी मेहनत करती है जहां उन्हे भारी डंबल उठाने होते हैं जिसके कारण कंधे पर जोर पड़ता है और कंधा खिसक जाता है। इसके अलावा कई बार खेल-कूद, एक्सीडेंट या किसी चोट के दौरान हमारे कंधों को बड़ा नुकसान पहुंचता है जिससे हमारे कंधे अपनी जगह से खिसक जाते हैं।
     तकिया ( Pillow ) : अक्सर गर्दन और कंधे में दर्द का कारण इस्तेमाल किया जाने वाला तकिया भी होता है. कुछ लोग सख्त तकिया और करवट लेकर सोते है, जिससे उनकी गर्दन मुड जाती है और उनकी गर्दन व कंधे की नसे खिंच जाती है. इसलिए सोते वक़्त आपको नर्म तकिये को ही प्रयोग में लाना चाहियें और तकिये की ऊँचाई को भी सामान्य रखना चाहियें
     हर छोटी मोच या चोट के लिए डॉक्टर के पास जाना या एलोपैथिक ट्रीटमेंट करवाना ज़रूरी नहीं होता है। खासकर कंधे खिसकने जैसी समस्या को आप कुछ घरेलू इलाज से ही ठीक कर सकते हैं। क्योंकि एलोपैथिक दवाइयां बीमारी और चोट को दबाती है इसका इलाज नहीं करती है। लेकिन घरेलू उपाय बीमारी की जड़ पर काम करके रोग को जड़ से खत्म करने का प्रयास करती है घरेलू उपाय की एक और खासियत ये है कि इसे करने के लिए आपको एक पैसा भी बाहर खर्च करने की ज़रूरत नहीं है इसे आप अपने किचन में मौजूद कुछ चीज़ों की मदद से आसानी से ठीक कर सकते हैं।
    अगर आपके कंधे भी खिसक जाते हैं या खिसक गए हैं तो घबराइए नहीं आज हम आपको कंधे खिसकने की समस्या से छुटकारा पाने के लिए के कुछ शानदार घरेलू नुस्खे बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

    सरसों की तेल से मालिश करें

    सरसों के तेल में 2 से 3 लहसुन की कलियों को तोड़कर डाल दें और इसे आग पर अच्छी तरह पका लें। ठंडा होने के बाद इससे कंधों की मालिश करें इससे कंधे का दर्द और सूजन की समस्या दूर होती है। साथ ही गर्म तेल से बॉडी की सिकाई भी होती है।

    ओवर-दि-काउंटर का इस्तेमाल

    कंधा खिसकने के बाद दर्द में आराम पाने के लिए ओवर-दि-काउंटर मेडिसिन्स का इस्तेमाल करें इससे दर्द में काफी आराम मिलता है। लेकिन ध्यान रहे हमेशा आपकी क्षमता के अनुसार ही दवा की सलाह दी जाती है इसलिए डॉक्टर की सलाह से ही किसी भी तरह की दवाइयों का इस्तेमाल करें।
    कंधे के दर्द के लिए तेल ( Make Oil for Shoulder Pain ) : इस तेल को बनाने के लिए आपको कुछ सामग्री जैसे सरसों का 200 ग्राम तेल, 50 ग्राम लहसुन, 10 ग्राम लौंग और 25 ग्राम की मात्रा में अजवायन की आवश्यकता पड़ेगी.
    सारी सामग्री के आने के बाद आप सरसों के तेल को धीमी आंच पर पकाएं और उसमें बाकी सारी सामग्री भी डाल लें, जब आपको लगे की तेल में पड़ी सामग्रियाँ काली होने लगी है तो आप तेल को आंच पर से उतारें और ठंडा होने के लिए रख दें. जब तेल ठंडा हो जाएँ तो आप उसे छानकर सुरक्षित किसी शीशी में रखें और जब भी कंधे में दर्द हो तो आप तेल को हाथों पर लगाकर हल्के हाथ से मालिश करें, आपको निश्चित रूप से आराम मिलेगा.

    बर्फ लगाएं

    कंधा उतरना एक बहुत ही खतरनाक स्थिति होती है। इस अवस्था में काफी दर्द होता है और पीड़ित व्यक्ति को चलने फिरने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में घायल कंधे पर बर्फ लगाकर सिकाई करें। ऐसा करने से दर्द और सूजन में कमी आती है। साथ ही ये कंधे के आसपास फ्लूड इक्कट्ठा होने को नियंत्रित करता है।
    मसाज दें

    कंधों पर किसी से हल्‍के हाथों से मसाज करवाएं। मसाज वाला तेल अगर हल्का गर्म हो तो ये ज़्यादा फायदेमंद होगा। ऐसा करने से मांसपेशियों को भी आराम मिलता है और रक्‍त का संचार ठीक ढ़ंग से होता है।

    गर्म पानी और नमक से सिकाई

    अगर आपके घर में बाथटब है तो उसे हल्के गर्म पानी से भर लें। अब इसमें दो कप सेंधा नमक डाल लें। इसमें 20 से 30 मिनट के लिए बैठ जाएं। अगर बाथ टब नहीं है तो बाल्टी में गुनगुना पानी लेकर उसमें नमक मिला लें और इसे धीरे-धीरे कंधे पर डालें। सेंधा नमक मैग्नीशियम सल्फेट से बना होता है जिससे कंधे के दर्द में आराम मिलता है।

    एक्सरसाइज करें।

    कंधे के रेंज ऑफ मोशन को बनाए रखें। इससे दर्द में आराम पहुंचेगा। रेंज ऑफ मोशन बनाए रखने के लिए हल्की एक्सरसाइज़ करें। ध्यान रहे अगर आपके कंधे में ज़्यादा दर्द है तो डॉक्टर की सलाह के बाद ही किसी भी प्रकार का योग या एक्सरसाइज करें। क्योंकि थोड़ी भी लापरवाही आपकी परेशानी को और अधिक बढ़ा सकती है।


    कंधे को आराम दें

    कंधा खिसकने के बाद असहनिय दर्द का सामना करना पड़ता है इस स्थिति में लापरवाही आपके दर्द को और अधिक बढ़ा सकती है इसलिए कंधे को आराम की स्थिति मे रखें कोई भी ऐसा मूवमेंट करने से बचें जिससे कंधे को नुकसान पहुंचता हो।

    रोजमेरी का उपयोग

    रोजमेरी का फूल कंधे के दर्द में बहुत फायदेमंद है। कंधे उतरने की स्थिति में इसे उबालकर इसका काढ़ा बना लें और इसे रोज़ाना पीएं। इससे कंधा उतरने की समस्या दूर होती है।

    सावधानियां

    कंधे में किसी भी तरह की परेशानी ना हो इसके लिए कुछ सावधानियों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है जैसे-
    अधिक वज़न वाली चीज़ों को उठाने से बचें।
    बराबर सतह पर सोएं।
    चोट लगने पर डॉक्टर से सलाह लें।
    जिम में आवश्यक्ता से अधिक भारी डंबल ना उठाएं।
    कंधे खिसकने के बाद डॉक्टर द्वारा बताए गए सभी नियमों का पालन करें।
    अगर आपका काम भारी सामान उठाने वाला है तो पहले कंधे पर मोटा कपड़ा रख लें।


    29.11.21

    मुह के छाले से छुटकारा पाने के उपाय :Mouth ulcers home remedies

     

     पेट साफ ना होने से अक्सर मुंह में छाले Mouth ulcer हो जाते हैं। इसके अलावा संतुलित आहार, पेट में दिक्कत, पान-मसालों का सेवन भी छालों का प्रमुख कारण है। दिखने में छोटे दिखने वाले ये छाले बहुत तकलीफ देते हैं। खासतौर से कुछ भी खाने-पीने में बेहद परेशानी होती है।
     अजीर्ण व पेट में कब्ज होने की अवस्था में अक्सर हमारे मुँह में छाले हो जाया करते हैं। अमाशय व आँतों में सूजन व घाव होने पर मुँह में छालों की उत्पत्ति हो जाया करती है। पेट की गर्मी की वजह से भी मुँह में छाले हो जाते हैं।

    मुहं के छाले की घरेलू  चिकित्सा -,Mouth ulcer 

    त्रिफला : त्रिफला मुंह के छालों के लिए रामबाण की तरह होती है। त्रिफला की राख शहद में मिलाकर लगाएं। थूक से मुंह भर जाने पर उससे ही कुल्ला करने से छालों से काफी राहत मिलती है।
    कत्था : पान में लगाया जाने वाला कोरा कत्था छालों में काफी कारगर साबित होता है। इसे पानी में भिगोकर इसका लेप बनाएं और छालों के ऊपर लगाएं, फायदा मिलेगा।
    सुहागा और शहद : सुहागा और शहद का मिश्रण भी छालों के लिए एक बेहतरीन उपाय है। सुहागा में शहद को मिलाकर छालों पर लगाने से काफी लाभ होता है।
    त्रिफला : त्रिफला मुंह के छालों के लिए रामबाण की तरह होती है। त्रिफला की राख शहद में लाकर लगाएं। थूक से मुंह भर जाने पर उससे ही कुल्ला करने से छालों से काफी राहत मिलती है।
    अमृतधारा : मुंह के छालों पर अमृतधारा में शहद मिलाकर फुरैरी से लगाएं। अमृतधारा में 3 द्रव्य होते हैं- पेपरमिंट, सत अजवाइन और कपूर। इन तीनों को एक शीशी में भरकर धूप में रख दें, पिघलकर अमृतधारा बन जाएगी।
    नीम की छाल : मुनक्का, दालचीनी, नीम की छाल और इन्द्र जौ, इन सभी को एक समान भाग में मिलाकर काढ़ा बना लें। अब इस काढ़े में शहद मिलाकर पिएं।
    *शरीर में vitamin B की कमी हो जाने पर भी यह तकलीफ हो जाती है।
    *शरीर में iron की कमी भी मुंह में गर्मी लगने का बड़ा कारण हो सकता है।
    अधिक मानसीक तनाव से भी यह तकलीफ हो सकती है।
    *दाँत में से फंसा खाना निकालने से या सख्त ब्रश से दाँत साफ करने से ज़ख्म लग जाने से भी मुंह में छाले पड़ सकते हैं।
    *अरहर दाल को एकदम बारीक पीस कर मुंह में पड़े छालों पर लगाया जाए तो दर्द में तुरंत राहत मिलेगी और कुछ दिन में मुंह के छाले ठीक भी हो जाएंगे। इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार करना चाहिए।
    *गुनगुने पानी में एक चम्मच शुद्ध नमक मिला कर घोल बना लें। और फिर उस को थोड़ा थोड़ा कर के मुंह में घूमाये, और फिर बाहर उगल दें। इस प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार करें।
    *नीम का दातुन करने से भी मुंह के छालों में राहत मिल जाती है। नीम के पत्तों का रस भी मुंह के छालों पर लगाया जा सकता है। (कड़वा नीम ईस्त्माल करें)
    *बेर के पत्तों का काढ़ा बना कर उस से कुल्ला करने से मुंह की गर्मी दूर हो जाती है।
    *शहद को मुंह के छालों में लगाने से भी मुंह को ठंडक मिलेगी और छाले दूर होंगे।
    अपामार्ग की जड़ का काढ़ा सेंध नमक मिला कर तैयार कर के उस काढ़े से कुल्ला करने से मुंह के छाले मिट जाते हैं।
    *नीम के पतों का रस मुंह के छालों  Mouth ulcer पर लगाने से भी आराम मिलेगा।
    *Alovera का पेस्ट / रस मुंह के छालों पर लगाने दर्द कम होता है और मुंह को ठंडक मिलती है।
    *बर्फ के छोटे टुकड़े मुंह के छालों पर लगा कर लार टपका देने से मुंह की गर्मी निकाल जाती है।
    *बेकिंग सोडा में अंजुली भर पानी मिला कर पेस्ट बना लें, और छालों पर लगा दें। इस प्रक्रिया से भी मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
    *हरे धनिये को पीस कर उसका रस निकाल कर उसे मुंह के छालों पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
    इलायची को पीस कर उसमे शहद मिला कर, मिश्रण तैयार कर के, उसे छालों पर लगाने से मुंह को आराम मिलता है।
    *एक चम्मच हल्दी पावडर को एक गिलास गुनगुने पानी में मिला कर घोल तैयार कर के उसके गरारे करने से मुंह के छाले दूर हो जाते है।
    *रात को सोते वक्त देसी घी मुंह के छालों Mouth ulcer पर लगा देने से सुबह तक उसमे राहत मिल जाती है।
    गुड का पानी / गुड का शरबत भी गले की सूजन और मुंह के छालों का सटीक इलाज है। और इसके प्रयोग से पेट की गर्मी भी दूर होती है।
    *चमेली के पत्तों को पीस कर उसका रस निकाल कर मुंह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले मिट जाते हैं।
    *अमरूद के ताजे मुलायम पत्तों को पीस कर उसका रस मुंह के छालों पर लगाने से भी मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
    नारियेल पानी पीने से भी पेट की गर्मी मिट जाती है। और मुंह के छाले दूर होते हैं। नारियेल का दूध मुंह के छालों पर लगाने से मुंह को आराम मिल जाता है।
    *नारियेल का दूध और शहद मिला कर भी छालों पर लगाया जा सकता है।
    तुलसी के पत्तों का रस निकाल कर उसे मुंह के छालों पर लगाने से मुंह को आराम मिल जाता है।
    *संतरे का रस Vitamin C से भरपूर होता है। अगर शरीर में विटामिन “सी” की कमी हो तो भी मुंह में छाले पड़ सकते हैं। इस किए संतरे का रस / जूस पियें।
    *प्याच में सल्फर होता है। और सल्फर बेकटेरिया की छुट्टी कर देता है। इस लिए मुंह के छाले दूर करने के लिए प्याज खाना अच्छा रहता है।
    *गुलकंद खाने से मुंह को ठंडक मिलती है, और मुंह के छाले मिट जाते हैं।
    *मुलेठी का चूरन शहद में मिला कर मुंह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
    *पान में इस्तेमाल होने वाला कत्था भी मुंह के छालों को दूर करने का सटीक उपाय है। दिन में तीन बार कत्था मुंह के छालों पर लगाना चाहिए। इस प्रक्रिया से तीन दिन में मुंह के छाले गायब हो जाते हैं।
    *नींबू का रस गुनगुने पानी में मिला कर उस से कुल्ला / गरारे करने से मुंह के छाले मिट जाएंगे, तथा नींबू पानी रोज पीने से पेट की गर्मी दूर होगी।
    *अर्जुन की जड़ का चूर्ण और मीठे तेल का मिश्रण तैयार कर के उस से कुल्ला करने से मुंह के रोग नष्ट हो जाते हैं।
    *आलूबुखारे को मुंह में रखने से भी मुंह के छालों में राहत मिलती है।
    खाने के साथ दही और छाछ का सेवन भी पेट की गर्मी दूर करता है, जिस के कारण मुंह की गर्मी दूर हो जाती है।
    *काली मिर्च और किशमिश को मिला कर उसे चबाने से मुंह के छाले मिट जाते है।
    *कच्ची फिटकरी पानी में मिला कर घोल तैयार करें और उस से कुल्ला करें। कच्ची फिटकरी और शहद मिला कर उसका पेस्ट मुंह के छालों पर लगाने से भी मुंह को आराम मिलता है।
    *तीन भाग भुना हुआ सुहागा और एक भाग कपूर चूरा थोड़े से शहद में मिला कर मुंह में लगाने से भी मुंह के छाले Mouth ulcer दूर हो जाते हैं
    *माजूफल, फिटकरी, और कत्था सामन मात्रा में मिला कर मिश्रित चूरन को कपड़े से छान लेना चाहिए और हर दिन इस चूरन को छालों पर लगाने से मुंह में आराम मिलता है।
    *सरसों के तेल को मुंह में रख कर कुल्ला करने से मुंह की सारी परेशानीयां दूर हो जाती है। सरसों का तेल दांतों पर लगे कीड़ों का भी नाश कर देता है।
    *बबूल की छाल को बारीक पीस कर पानी में उबाल कर घोल तैयार कर के उसके कुल्ले करने से भी मुंह के छाले और जीवा पर उबर आए दाने मिट जाते हैं।
    *नीम, जांबुन, मालती, परवल और आम के पत्तों का काढ़ा बना कर उस पानी से कुल्ला करने पर मुंह की गर्मी मिट जाती है। और मुंह के छाले भी दूर हो जाते हैं।
    इन्द्र जौ, कूठ, और काला जीरा मिला कर उसे चबाने से भी मुंह के छाले मिट जाते हैं।
    गिलोय, धमास, जावित्री, हरड़े, आंबला, बहड़े और दाख को मिला कर काढ़ा बना लें और फिर उस काढ़े को थोड़ा ठंडा होने दें। फिर उसमे थोड़ा शहद मिला कर उसे पीने से मुंह के छाले दूर होते हैं।
    बीजोरा के फल का छिलका मुंह रख कर चबाने से में जमे बेकटेरिया दूर होते है। और मुंह की दुर्गंध मिटती है।
    एक गिलास गरम पानी में दो चम्मच अदरक का रस घोल कर उस पानी से गरारे करने से मुंह के छाले मिट जाते है।
    *अलसी के तेल को मुंह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
    *आठ से दस मुनक्का के दाने और थोड़े जांबुन के पत्तों को मिला कर उसका काढ़ा बना कर कुल्ला करने से मुंह के तमाम प्रकार के रोग मिटते हैं।
    *हरीतकी का काढ़ा बना कर उस से गरारे करने से गले की तकलीफ और मुंह के छाले दूर हो जाते हैं।
    चावल में थोड़ा घी और एक चम्मच चीनी मिला कर खाने से भी पेट की गर्मी दूर हो जाती है। और मुंह के छाले मिट जाते हैं।
    * गुलाब के फूल,आंवला ,सौंफ तीनों बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनालें | आधा चम्मच चूर्ण नियमित रूप से सुबह -शाम पानी के साथ फक्की लेने से मुहं के छाले Mouth ulcer ठीक हो जाते हैं|
    * एक गिलास गरम पानी में चुटकी भर काली मिर्च और आधा निम्बू का रस मिलाकर दिन में दो बार पीने से मुंह के चाले कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं|
    * शहद में मुलहठी का चूर्ण मिलाकर इसका लेप मुँह के छालों पर करें और लार को मुँह से बाहर टपकने दें।
    *अड़ूसा के 2-3 पत्ते भली प्रकार मूह मे चबाकर रस चूसने से मुख छाला रोग ठीक होता है|
    *कत्था, मुलहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर मुँह के छालों पर लगाना चाहिए।
    * अमलतास की फली की मज्जा को धनिये के साथ पीसकर थोड़ा कत्था मिलाकर मुँह में रखने से अथवा केवल गूदे को मुँह में रखने से मुँह के छाले दूर हो जाते हैं।



    * अमरूद के कोमल पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं।
    *अनार के 25 ग्राम पत्तों को 400 ग्राम पानी में ओंटाकर चौथाई भाग शेष रहने पर इस क्वाथ से कुल्ला करने से मुँह के छाले 
     दूर होते हैं।
    * मुंह के छाले खत्म करने के लिए जामुन के पत्ते लें। इन्हें धोकर पीसें। छानें। इस पानी (रस) से कुल्ले करें।
     इस रोग से छुटकारा पाने के लिए टमाटर का रस निकालें। इस रस में इतनी ही मात्रा में पानी मिलाएं। इस पानी से कुल्ला करें। आराम होगा।


     *तुलसी की ताजा पांच पत्तियां लें। इन्हें धोएं। चबाएं। खूब बारीक चबाकर निगलें। इस पर पानी तीन-चार घूंट धीरे-धीरे पी लें। छाले से निजात मिलेगी|

    *मुंह के छालों को हटाने के लिए बंसलोचन पीसें। छानें। इसे शहद में मिलाएं। मुंह के अंदर अंगुली से लगाएं।

    * इस रोग के लिए आक के दूध की कुछ बूंदें निकालें। इसे एक चम्मच शहद में मिलाएं। मुंह में लगाने से जरूर लाभ होगा।
    *मामूली मात्रा में पिसा कपूर तथा एक छोटा चम्मच पिसी मिश्री लें। दोनों को मिलाएं। मुंह में लगाने से फायदा होगा।


    *थोड़ा-सा हरा पुदीना, इतना ही सूखा धनिया तथा समभाग मिश्री। तीनों को एक साथ मुंह में डालकर चबाएं। पूरा लाभ मिलेगा।

    * मुंह के छालों से छुटकारा पाने के लिए भोजन करने के बाद छोटी हरड़ चूसें। छालें गायब होने लगेंगे।



    * यदि तरबूज का मौसम हो तो इसके छिलके जलाएं। राख तैयार करें। इस राख को लगाने से छालें नहीं रहेंगे।
    *थोड़ा-सा सुहागा फुला लेंबारीक पीसें। इसे दो चम्मच ग्लिसरीन में मिलाएं। इसको लगाने से छाले दूर हो जायेंगे।




    *मुंह के छाले नष्ट करने के लिए सत्यानाशी की टहनी लें। इसे दातुन की तरह थोड़ा चबाएं। अवश्य आराम आयेगा। 

    इनका भी रखें ध्यान

    -तंबाकू का सेवन बिलकुल भी न करें
    -दिन में दो बार टूथ पेस्ट या टूथ मंजन से दांतों को साफ करें
    -हरी सब्जियों और फलों का सेवन भरपूर मात्रा में करें
    -ज्यादा तला भुना और मसालेदार खाना न खाएं
    -अपने पाचन तंत्र की ख्याल रखें -नीम का टूथ पेस्ट भी छालों के उपचार में सहायता करता है
    -मट्ठा पीने से मुंह के छालों से बहुत आराम मिलता है
    -दिन में कई बार पानी से गरारे करें