यह उनके बॉडी मास इंडेक्स को बनाए रखने में मदद करता है। चूंकि इसमें कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, कॉपर, जिंक , मैंगनीज, सोडियम जैसे प्रमुख पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसलिए हीमोग्लोबिन की कमी से जूझ रही महिलाओं को कौंच बीज खाने की सलाह दी जाती है।
कौंच बीज़ एक आयुर्वेदिक औषधि है कौंच बीज के विषय में अपने भी पहले कभी नहीं सुना होगा| आयुर्वेद में, कोंच बीज का उपयोग आमतौर पर शरीर के तीन दोषों अर्थात वात, पित्त और कफ को संतुलित करने के लिए किया जाता है।
भारत के समस्त मैदानी प्रदेशों में पायी जाने वाली एक जंगली बेल है | यह वर्षा ऋतू में मैदानी क्षेत्रों में अपने आप उग आती है , ज्यादातर हिमालय के निचले हिस्सों में होती है जंहा मैदानी प्रदेश होता है | इसके पत्ते 6 से 9 इंच लम्बे लट्टूवाकार और स्पष्ट पर्शिविक शिराओं से युक्त होते है |
पतों का आकार अर्धहृदयत होता है | कौंच के फुल 1 इंच लम्बे नील और बैंगनी रंग के होते है , इसकी फली 5 से 10 सेमी लम्बी होती है जिसके प्रष्ठ भाग पर सघन रोम और पर्शुक होते है, अगर ये त्वचा को छू जावे तो इनसे खुजली , दाह और सुजन की समस्या हो सकती है , इसी फली में अन्दर 5 से 6 काले रंग के बीज होते है जिन्हें कौंच बीज कहा जाता है |
कौंच का रस मधुर, तिक्त | यह स्वाभाव में गुरु और स्निघ्ध | इसका वीर्य उष्ण होता है अर्थात कौंच के बीज की तासीर गरम होती है | पाचन के पश्चात कौंच के बीज का विपाक मधुर होता है | यह वातशामक और कफपित्त वर्द्धक है | आयुर्वेद चिकित्सा में इससे वानरी गुटिका , माषबलादी आदि औषध योग बनाये जाते है |
मर्दाना ताकत को बढ़ाने के लिए करे ये प्रयोग / कौंच बीजों के फायदे
कौच के बीजों को सबसे पहले दूध में पक्का ले और इनका छिलका उतार दे | फिर इसे धुप में सुखा दे , अच्छी तरह सूखने के बाद इनका महीन चूर्ण बना ले | अश्वगंधा और सफ़ेद मुसली को भी सामान मात्रा में लेकर इनका भी चूर्ण बना ले | अब कौंच बीज चूर्ण , अस्वगंधा चूर्ण और सफ़ेद मुसली के चूर्ण को आपस में अच्छी तरह मिला ले | रोज सुबह और शाम 5 ग्राम की मात्रा में दूध में मिश्री मिलाकर इसका सेवन करे | इससे शीघ्रपतन, नंपुसकता आदि रोगों से छुटकारा मिलेगा एवं शरीर में मर्दाना शक्ति का विकास होगा
कौंच के बीज , शतावरी, गोखरू, तालमखाना, नागबला और अतिबला – इन सभी को बराबर की मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना ले | इसका इस्तेमाल रोज रात को सोने से पहले 5 ग्राम की मात्रा में गुनगुने दूध के साथ करे | इसके इस्तेमाल से आपके सहवास का समय बढेगा और नामर्दी, शीघ्रपतन , धातु दुर्बलता में बेहतरीन परिणाम मिलेगा |
यौन संबंधित समस्याओं का इलाज करें:
कौंच बीज़ में कामोत्तेजक गुण होते हैं जिनमें प्रोलैक्टिन नामक एक हार्मोन होता है। यह प्रोलैक्टिन हार्मोन प्रजनन, चयापचय और इम्यूनोरेग्युलेटरी कार्यों के लिए फायदेमंद है। कोंच बीज़ की नियमित खपत से यौन संबंधी समस्याओं जैसे नपुंसकता, कम कामेच्छा, स्तंभन दोष, शीघ्रपतन, कमजोर पुरुष प्रजनन प्रणाली के उपचार में मदद मिल सकती है। इसमें ऐसे गुण होते हैं जो पुरुषों में स्खलन (शुक्राणु) की संख्या में वृद्धि करते हैं और महिला में ओव्यूलेशन करते हैं।अगर आप वियाग्रा का इस्तेमाल अपनी मर्दाना ताकत बढ़ाने के लिए करते है, तो इसे छोड दे और अभी से कौंच का इस्तेमाल करना शूरू कर दे | आप बाजार में मिलने वाले कौंच पाक का इस्तेमाल करे यह पूर्णतया सुरक्षित है एवं इसके बेहतर परिणाम भी है | कौंच पाक में कौंच बीज, सफ़ेद मुसली, वंस्लोचन, त्रिकटु, अश्वगंधा, चातुर्जात, दूध , शहद और घी जैसे पौष्टिक द्रव्य है जो आपकी नामर्दी को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखते है | कौंच पाक के इस्तेमाल से शीघ्रपतन, अंग का ढीलापन, धातु दुर्बलता, शारीरिक दुर्बलता, शुक्राणुओं की कमी आदि से छुटकारा मिलेगा और यह आपके पाचन, स्मृति और शारीरिक बल को बढ़ाएगा |
कौंच बीज़ पाउडर के गुण, तंत्रिका और संज्ञानात्मक गतिविधियों को नियंत्रित करके मस्तिष्क को स्वस्थ बनाते हैं| यह तंत्रिका कार्य को बेहतर बनाने और पार्किंसंस रोग को कम करने में मदद करता है| यदि सफेद मूसली (Chlorophytum borivilianum) को कौंच (Velvet beans) के साथ सेवन किया जाए, तो अनिद्रा की समस्या से राहत मिल सकती है
एंटी डायबिटिक हर्ब्स:
आजकल डायबिटीज एक आम बीमारी बन गई है। जब रक्त में ग्लूकोज बढ़ जाता है या कम हो जाता है तो व्यक्ति को अच्छा महसूस नहीं होता है और कुछ मामलों में, उन्हें शरीर में दर्द और गुर्दे की समस्या हो सकती है। शोध में, यह पाया गया है कि प्राचीन समय में इन बीजों का उपयोग मधुमेह के उपचार के लिए किया जाता है। कौंच बीज़ में एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण होते हैं और ये एंटी-डायबिटीज दवा के भी अच्छे स्रोत होते हैं।
पीठ और बदन दर्द में फायदेमंद:
व्यस्त जीवन शैली और दैनिक दिनचर्या के कारण, कई लोग शरीर के विभिन्न हिस्सों में अपने दर्द के बारे में शिकायत करते हैं। दर्द निवारक का उपयोग शरीर के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, दर्द निवारक के बजाय, हर किसी को आयुर्वेदिक दवाएं और प्राकृतिक उपचार करना चाहिए। कौंच बीज़ में विरोधी भड़काऊ और एनाल्जेसिक गुण होते हैं जो दर्द से राहत में मदद कर सकते हैं।
गर्भावस्था में-
कौंच बीज को रातभर पानी में भिगोने से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बहुत फायदा हो सकता है। इसमें मौजूद कैल्शियम और आयरन दूध के उत्पादन को बढ़ाता है। जिन महिलाओं ने बच्चे को जन्म दिया है, उन्हें डिलीवरी के बाद अवसाद का सामना करना पड़ता है। अपने न्यूरोट्रांसमीटर विनियमन गुणों के साथ यह अवसाद के लक्षणों को रिहेबिलेट करने के काम आता है।
पार्किंसन समस्याओं के लिए कोंच बीज बहुत प्रभावी है, क्योंकि इसमें एंटी-पार्किंसन गुण हैं। कोंच बीज में एक एमिनो एसिड होता है जो एल-डोपा द्वारा जाना जाता है, जो पार्किंसन समस्याओं से राहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। पार्किंसंस न्यूरो रोगों या विकार से संबंधित है, इसमें रोगी को कंपकंपी, शरीर में दर्द और चलने में कठिनाई महसूस हो सकती है।
कौंच पाक को अधिकतर सर्दियों में उपयोग करना चाहिए | इसे बनाने के लिए कौंच बीजो का इस्तेमाल होता है | मर्दाना ताकत , नपुंसकता, धातु दुर्बलता, वीर्य में शुक्राणुओं की कमी, शीघ्रपतन एवं शारीरिक दुर्बलता आदि में इसका सेवन करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त होंगे |
बाज़ार से इसे खरीदने से अच्छा है की आप इसे घर पर ही तैयार करले | इसे बनाने की विधि भी आसान है और यह पूर्णतया लाभकारी होगी एवं बाज़ार में मिलने वाले कौंच पाक से बेहतर भी रहेगी | इसके निर्माण के लिए निम्न सामग्री चाहिए –
कौंच बीज – 250 ग्राम
गाय का दूध – 4 किलो
गाय का घी – 500 ग्राम
अकरकरा चूर्ण – 5 ग्राम
रस सिन्दूर – 5 ग्राम
केसर – 3 ग्राम
प्रक्षेप के लिए –
विधि – सबसे पहले कौंच के बीजों को ऊपर बताई गई मात्रा में 8 से 10 घंटो के लिए भिगों दें , अच्छी तरह भीगने के बाद बीज के ऊपर के छिलके को हटा दें एवं बीजों को धूप में सुखा दें | जब बीज अच्छी तरह सुख जाए तब इन्हें बारीक़ पीसकर चूर्ण बना ले | अब इस चूर्ण को दूध में डालकर उबालें एवं इसका मावा तैयार कर ले |
एक कडाही में घी डालकर इसमें इस मावे को भून ले | अच्छी तरह भुनने के बाद इसमें एक किलो चीनी से तैयार चासनी डालकर मिलादें | ऊपर से प्रक्षेप द्रव्य और अकरकरा चूर्ण – 5 ग्राम, रस सिन्दूर – 5 ग्राम और केसर – 3 ग्राम डालकर इसकी बर्फी काटले |
सेवन विधि –
इस प्रकार से कौंच पाक का निर्माण होता है | वैसे शास्त्रोक्त कौंच पाक इससे भिन्न है , लेकिन इस प्रकार से तैयार करने से भी यह योग पुरुषों के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है | यह परम पौष्टिक, शक्ति को बढाने वाला, शारीरिक कमजोरी को दूर करने वाला, नपुंसकता और धातु दुर्बलता आदि में काफी चमत्कारिक सिद्ध होता है |
सामग्री (Ingredients)
· 40 ग्राम मिश्री
· 40 ग्राम सफेद मूसली
· 60 ग्राम शाल्मली की जड़
· 80 ग्राम पोस्तदाना
· 50 ग्राम गोखरू
· 60 ग्राम कौंच के बीज
· 60 गरम तालमखाना
विधि (Method) –
इस चुर्ण को बनाने के लिए इन सभी वस्तुओं को इकठ्ठा करने के बाद पीस लें और पिसने के बाद एक बारीक़ कपडे से या छलनी से छान लें. अब एक चम्मच चुर्ण का सेवन रोजाना सुबह और शाम के समय करें और उसके बाद दूध पी लें. इस चुर्ण का प्रयोग करने पर आपके शरीर की शक्ति का विकास होगा, शरीर में पौष्टिकता की वृद्धि होगी तथा दाम्पत्य जीवन भी सुखपूर्वक व्यतीत होगा.
कौंच बीज के जितने फायदे हैं, इसके नुकसान भी हैं। कुछ लोगों को इसके सेवन से मतली, उल्टी, अनिद्रा और सिरदर्द की शिकायत होती है। हालांकि, ऐसा होना असामान्य है, क्योंकि कौंच के बीज एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है। यहां तक की अगर आपको किडनी, लीवर ,हार्ट, ग्लूकोमा से संबंधित समस्या है, तो इसके सेवन से बचना चाहिए।
घबराहट दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय
खून में कोलेस्ट्रोल कम करने के असरदार उपाय
दस जड़ी बूटियाँ से सेहत की समस्याओं के समाधान
अर्जुनारिष्ट के फायदे और उपयोग
सरसों का तेल है सबसे सेहतमंद
बढ़ती उम्र मे आँखों की सावधानी और उपाय
जल्दी जल्दी खाना खाने से वजन बढ़ता है और होती हैं ये बीमारियां
इमली की पतियों से बढ़ता है ब्रेस्ट मिल्क
जीरा के ये फायदे जानते हैं आप ?
शरीर को विषैले पदार्थ से मुक्त करने का सुपर ड्रिंक
सड़े गले घाव ,कोथ ,गैंगरीन GANGRENE के होम्योपैथिक उपचार
अस्थि भंग (हड्डी टूटना)के प्रकार और उपचार
पेट के रोगों की अनमोल औषधि (उदरामृत योग )
सायनस ,नाक की हड्डी बढ़ने के उपचार
किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि
किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज
प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि
सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि
सायटिका रोग की रामबाण हर्बल औषधि