2.4.24

चैन की नींद सोना है तो जान लो ये उपाय ,achi neend aane ke upay



अच्छी और भरपूर नींद लेना सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। जो लोग पूरी नींद नहीं ले पाते, उन्हें कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याएं होने का खतरा बना रहता है। बहुत से लोग चाहते हुए भी अपना रूटीन नहीं फॉलो पर पाते हैं। वर्कस्टेस और स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने की वजह से भी कई लोगों की नींद ठीक से पूरी नहीं हो पाती। कुछ लोगों को तो तनाव के कारण नींद आती ही नहीं है। ऐसे में लोग नींद की गोलियों का भी सहारा लेने लगते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक होता है। अगर आप चाहें तो कुछ बेहद आसान घरेलू उपाय अपनाकर भी बेहतर नींद पा सकते हैं।
क्या आप नींद न आने की समस्या से बहुत परेशान है, कई उपाय या अनेक दवाई लेने के बाद भी नींद आती ही नहीं। कहीं बुरे, डरावने सपने भी तो परेशान नहीं करते, सोने के लिए बिस्तर पर जाते ही डर लगने लगता है। अगर आपको या आपके किसी अपने को इस तरह की समस्या है तो केवल 7 दिन तक इनमें सो कोई भी एक या सभी उपाय आजमाकर देखें। इन उपायों को करने के बाद गहरी नींद आने के साथ सभी तरह के डर भी खत्म हो जाएंगे।
सेहत के लिए सुकून-भरी और अच्छी गहरी नींद बहुत जरूरी है. जो लोग अच्छी नींद लेते हैं उनका दिमाग शांत रहता है. पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और इम्यून सिस्टम की क्षमता भी बढ़ती है. आपके स्वास्थ्य के लिए गहरी नींद बेहद अहम है. कम नींद के कारण कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं. जिन लोगों को अच्छी नींद नहीं आती है उन्हें डायबिटीज, स्ट्रोक और मोटापे का खतरा ज्यादा रहता है.
ऐसा कई बार होता है जब जल्दी नींद नहीं आती है और नींद बार-बार टूटती रहती है. वहीं कुछ लोग गहरी नींद नहीं आने की वजह से परेशान रहते हैं. ज़रा सी आहत से उनकी नींद खुल जाती है. अगर आपके साथ भी ऐसी ही समस्या है तो कुछ उपाय आपको जरूर करने चाहिए.
प्रत्येक दिन में आने वाली अचेतन अवस्था जिसमें हमें आसपास की चीजों का पता नहीं होता है उसे नींद कहते है। स्पष्ट रूप में हम इसे समझते है जब हमारा मन माथे के बीच में आज्ञाचक्र पर आता है, पर उस समय साक्षी भाव नहीं होता तो उसे नींद कहा जाता है।
वात, कफ और पित्त के संतुलन पर मनुष्य का स्वास्थ्य निर्भर होता है। जब इनमें असंतुलन आता है तो नींद ना आने जैसी समस्या उत्त्पन्न हो जाती है और हम सोने की कोशिश करते है उसके बावजूद भी हमें नींद नहीं आती तो उसकी वजह वात दोष होती है।
नींद पूरी हो जाने पर शरीर ऊर्जावान बना रहता है। नींद हमारी दिनचर्या का सबसे अहम हिस्सा होती है। नींद ना आने के कारण शरीर में बीमारियां हो सकती है। शरीर में तमोगुण बढ़ने पर नींद आती है और जब सत्व गुण बढ़ता है तो जागना होता है।

अच्छी और भरपूर नींद के लिए अपनाए ये आसान घरेलू नुस्खे 

बनाएं स्लीप रूटीन

जिन लोगों को देर रात नींद आती है या नींद ना आने की समस्या है। उनके लिए स्लीप रूटीन बनाना और उसे मेंटेन करना बेहद जरूरी है। जैसे आप हर दिन एक निश्चित समय पर बेड पर जाएं। भले ही आपको नींद ना आए, लेकिन फिर भी आंख बंद करके लेंटे। इससे आपको धीरे-धीरे तय समय पर नींद आने लगेगी। इसके अलावा सोते समय फोन और टीवी को बंद कर दें। कमरे में लाइट ऑफ कर दें। इस तरह से आपको नींद आने में मदद मिलेगी।

खानपान में बदलाव

अगर आपको अक्सर अनिद्रा की शिकायत रहती है तो आपको एक बार अपने खान-पान पर भी फोकस करना चाहिए। बेहतर होगा कि आप दोपहर के बाद कैफीन वाले खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ का सेवन कम से कम करें। इसके अलावा डिनर हमेशा लाइट करें और बेडटाइम से कम से कम दो-तीन घंटे पहले करें। इसके अलावा आप सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध पी सकते हैं। यह नर्वस सिस्टम को रिलैक्स करता है, जिससे अच्छी नींद आती है।

मसाज थेरेपी

एक स्टडी के मुताबिक, शरीर की मसाज करने से स्लीप क्वालिटी को सुधारा जा सकता है। इसलिए, आपको हफ्ते में दो से तीन बार शरीर का मसाज करना चाहिए। अगर आपने कभी नोटिस किया हो तो सिर की मालिश के बाद बेहद प्यारी नींद आने लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मसाज करने से शरीर की थकान दूर होती है और आप रिलैक्स महसूस करते हैं। जिससे स्लीप क्वालिटी भी बेहतर होती है।
अच्छी और गहरी नींद के लिए जरूरी है कि सोने से पहले नारियल का तेल या सरसो का तेल या हमदर्द कंपनी का बादाम का तेल के साथ सर का मालिश किया जाए। और साथ ही साथ पैर के तलवों में भी कुछ देर तक मालिश किया जाए। अगर बादाम का तेल इस्तेमाल करें तो सबसे ज्यादा फायदा होगा। 

गुनगुने पानी से नहाएं- 

अगर आपको रात में नींद नहीं आती या फिर गहरी नींद नहीं सोते हैं तो सोने से पहले गुनगुने पानी से नहा लें. इससे आपकी तंत्रिकाओं और मांसपेशियों को आराम मिलेगा. आप काफी रिलेक्स महसूस करेंगे और इससे आपको अच्छी नींद आएगी. रात को नहाने से बॉडी टेपंरेचर कम हो जाका है जिससे नींद जल्दी आती है. गुनगुने पानी से नहाने से आप रिलेक्स फील करेंगे.

अकेले सोएं- 

अगर आपको रोशनी, आवाज और टेंपरेचर की वजह से ठीक से नींद नहीं आती है, तो आप अकेले सोने की कोशिश करें. अक्सर ऐसा होता है कि आपके पार्टनर को ज्यादा ठंडा या गरम पसंद हो सकता है जो आपकी नींद नहीं आने की वजह हो सकती है. इसलिए आप अपने टेंपरेचर के हिसाब से कमरे को रखें और आराम से सोएं. अगर आपका साथी खर्राटें लते है तो आपको सोने में मुश्किल हो सकती है. इसलिए बेहतर होगा आप अलग सोएं.

दिन में एक झपकी लें- 

जो लोग रात में ठीक से सो नहीं पाते हैं उन्हें दिन में एक नैप जरूर लेनी चाहिए. भले ही आप दिन में सिर्फ 10 से 20 मिनट की नींद लें, लेकिन इससे आपका मूड फ्रेश रहेगा और आपका काम में भी मन लगेगा. दिन की नींद से थकान और चिड़चिड़ापन भी दूर होगा.

 सोने से पहले व्यायाम न करें- 

अच्छी नींद के लिए आप एक्सरसाइज के तुरंत बाद न सोएं. आपकी एक्सरसाइज और नींद में कम से कम 3 घंटे का गैप होना चाहिए. हालांकि कुछ लोगों को लगता है कि व्यायाम करने के बाद माइंड रिलेक्स हो जाता है और नींद अच्छी आती है. लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि एक्सरसाइ करने के तुरंत बाद कभी भी सोने की कोशिश न करें.

खाने में लाएं बदलाव- 

अगर आपको जल्दी नींद नहीं आती है या फिर नींद बार-बार टूटती है तो खाने के करीब 3-4 घंटे बाद सोएं. जो लोग खाना खाते ही सो जाते हैं उनके पेट में मौजूद एसिड शरीर की फूड पाइव में पहुंच जाता है. इससे सीने में जलन होने लगती है और गैस की समस्या हो सकती है. इसके अलावा सोने से पहले चाय या कॉफी का सेवन न करें.
अच्‍छी नींद के लिए वैसे तो कई दवाइयां और तरीके सुझाए जाते हैं लेकिन हम आज ऐसा तरीका बताएंगे जो चुटकियों में पूरा होगा और इसके लिए आपको कुछ खास सामान या पैसे खर्च करने की जरूरत भी नहीं होगी.

कॉफी या अन्य उत्तेजक पदार्थों से दूर रहें

कॉफी या अन्य उत्तेजक पदार्थ आपकी नींद को प्रभावित कर सकते हैं। आपको रात में कॉफी या अन्य उत्तेजक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। इसके बजाय, आप शांति प्रदान करने वाले उत्तेजना से भरपूर चाय या दूध पी सकते हैं। इससे आप आराम से सो सकते हैं और नींद को सुधार सकते हैं।

ये उपाय भी प्रभावी हैं -

यदि किसी को नींद न आती हो तो सोने से पहले हाथ-पैर धोकर बिस्तर पर बैठकर इस मन्त्र का जप 7 बार करके बिस्तर पर लेट जाए। ऐसा करने से नींद न आने की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।

अगस्तिर्माधवश्चैव मुचुकुन्दो महाबल:।
कपिलो मुनिरास्तीक: पंचैते सुखशायिन:।।

रात को सोने से पहले इस मन्त्र जप 3 या 5 बार करके सो जाए बुरे स्वप्न आना बंद हो जायेंगे।

या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

सोते समय बिस्तर पर आंख बंद करके बैठ एकाग्रचित्त होकर 5 बार गहरी सांस लेने के बाद इस प्रार्थना को मन ही मन बोले- 
मैं शान्त और संतुलित हूं। मेरे मन में किसी प्रकार की चंचलता, व्याकुलता या बुराई नहीं है क्योंकि मेरे अंदर साक्षात् ईश्वर विराजमान हैं। उन्हीं की शक्ति मुझमें काम कर रही है। मेरी शान्ति को कोई भंग नहीं कर सकता। इस प्रार्थना को रोजाना सोते समय बोले। तुरन्त ही आपका मन हल्का होगा और गहरी नींद आने लगेगी।
रात्रि में सोते समय आंख बंद करके अपने ईश्वर से मन ही मन कहे- हे परमपिता, जो दु:खदायक वस्तुएं हो, उन्हें हमसे दूर हटा दीजिए। जो सब दु:खों से रहित कल्याणप्रद है, जिन चीजों से हमें आत्मिक सुख प्राप्त हो, उन्हें ही हमें प्रदान कीजिये। इसके बाद नीचे के मंत्र को 7 बार जप कर लें।

मंत्र- ।। ॐ विश्वानि देव सवितु: दुरितानि परा सुव यद् भद्रं तन्न आ सुव।।

यदि किसी को बुरे स्वप्न आते हो तो रात्रि में हाथ-पैर धोकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बिस्तर पर बैठकर, इस मन्त्र को 21 बार उच्चारण करने के बाद सो जाए, बुरे स्वप्न आने बंद होने के साथ गहरी नींद भी आने लगेगी।

वाराणस्यां दक्षिणे तु कुक्कुटो नाम वै द्विज:।
तस्य स्मरणमात्रेण दु:स्वप्न सुखदो भवेत्।।

 अपनी जीवनशैली में कुछ परिवर्तन करने होंगे। तो आपको क्या करना है चलिए जानते है।
आपको यह कोशिश करनी होगी की प्रत्येक दिन आप को किसी प्रकार का श्रम करना होगा। अगर आप पुरे दिन बैठे ही रहते है या कोई श्रम वाला कार्य नहीं करते तो आप बेहतर नींद नहीं ले सकेंगे।
ज्यादा से ज्यादा खुश रहने की कोशिश करे और तनाव से दूर रहे। यदि आप तनाव में रहेगें तो मन हर समय नकारात्मक विचारों से घिरा रहेगा और आप सो नहीं पाएंगे इसलिए खुश रहे।
सोने के पहले संगीत सुने या किताब पढ़कर सोये इससे आपका दिमाग शांत रहेगा और आपको सुकून का अनुभव होगा जो अच्छी नींद लेने के लिए आवश्यक है।
यदि आप किसी खेल में रूचि रखते है तो उसे नियमित तौर पर खेले। इससे आपको ऊर्जा मिलेगी और आपको आराम की जरूरत होगी तो आप अच्छे से सो पाएंगे और मनपसंदीदा खेल खेलने पर आपको ख़ुशी भी मिलेगी।
अच्छी नींद आने के घरेलु उपाय करने से भी नींद आने में मदद मिलती है तो क्या है यह घरेलू उपाय जानते है।

केला - 

केले में पाए जाने वाले तत्व मांस-पेशि‍यों को तनावमुक्त रखते हैं। इसमें मैग्न‍िशि‍यम और पोटैशि‍यम मौजूद होते है और विटामिन बी ६ होता है
जो अच्छी नींद को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं।

दालचीनी - 

 रात को गर्म दूध में आधा चम्मच दालचीनी मिलाकर पिएं। इससे आपको अच्छी नींद आएगी।

कैमोमाइल चाय - 

कैमोमाइल में एक तरह का यौगिक एपिजेनिन पाया जाता है यह अनिंद्रा में लाभ पहुंचाता है।

दूध - 

रात को सोने से पहले गर्म दूध पीना चाहिए। दूध कैल्शि‍यम का अच्छा स्त्रोत है। दूध में ट्रीप्टोफन और सेरोटोनिन होता है जो बेहतर नींद में मददगार होता है।

चेरी - 

यदि सोने से पहले चेरी का सेवन किया जाये तो यह अच्छी नींद लेने में मददगार होती है।

नींद आने के आयुर्वेदिक उपाय \


पर्याप्त नींद ना आना बड़ी समस्या भी बन सकती है। इसलिए आपको कुछ ऐसे नींद आने के उपाय अपनाने चाहिए जिससे की आप अच्छे से सो सके।

ध्यान - 

 सोने से १० - १५ मिनट पहले ध्यान लगाए। आपके मन और दिमाग को आराम मिलेगा और आप गहरी नींद सो सकेंगे।

योग -

 नियमित रूप से व्यायाम, योग और प्राणायाम करे। इससे आप स्वस्थ रहेंगे और आपको सोने में मदद मिलेगी।

तेल मालिश - 

सिर में तेल से मालिश करे तेल को हल्का सा गर्म कर ले। आपको शांति और सुकून का अनुभव होगा।
आयुर्वेदिक चूर्ण - सर्पगंधा और अश्वगंधा दोनों को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना ले। सोने से पहले ३ से ५ ग्राम की मात्रा में इस चूर्ण को पानी के साथ लेने से भी लाभ होगा।
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गर्मियों में जरूर खाएं खीरा सेहत को होंगे अनेक फायदे ,Benefits Of Eating Cucumber In Summer:




खीरा शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। गर्मियों में ये बाजारों में काफी मात्रा में मिलता है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन सी और विटामिन के आदि पाए जाते हैं। इसके सेवन से शरीर एनर्जेटिक रहता है और ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मदद मिलती है। खीरा डायबिटीज के मरीज भी आसानी से खा सकते हैं। इसको खाने से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। खीरा खाने से शरीर की कई बीमारियां आसानी से दूर होती हैं और शरीर लंबे समय तक हेल्दी रहता है। गर्मियों में इसमें काला नमक लगाकर खाया जा सकता है। ये पेट को ठंडा रखने के साथ लू लगने से भी बचाता है।

वजन कम करने के लिए खीरा खाने के फायदे

माेटापे की समस्या को नियंत्रित करने के लिए खीरे का सेवन किया जा सकता है। दरअसल, एक शोध के अनुसार, 100 ग्राम खीरे में सिर्फ 15 कैलोरी होती है और पानी की मात्रा अधिक होती है। कम कैलोरी और पानी की अच्छी मात्रा के कारण, खीरा वजन कम करने वाले लोगों के लिए एक आदर्श आहार हो सकता है। इस आधार पर खीरा खाने के फायदे में बढ़ते वजन को नियंत्रित करना भी शामिल हो सकता है

हड्डियां होती हैं मजबूत

क्या आपको पता है कि खीरे में काफी मात्रा में कैल्शियम होता है, जिसकी वजह से यह आपकी हड्डियों को मजबूत करने का काम करता है। अगर आप रोजाना खीरा खाते हैं, तो इससे आपकी मस्सल्स मजबूत होती हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि खीरे में विटामिन के अच्छी मात्रा में होता है, जो आपकी ब्लड क्लॉटिंग होने से रोक सकता है।

बाल बढ़ाता है खीरा
खीरा स्किन के लिए लाभकारी माना जाता है. ये बालों और नाखूनों में चमक लाता है और इन्हें मजबूत करता है. नियमित खीरा खाने से शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं. खीरे में मौजूद तत्व सीलिशिया बालों और नाखूनों में चमक लाता है और इन्हें मजबूत करता है। सल्फर और सीलिशिया के कारण बाल तेजी से बढ़ते हैं।

स्किन केयर

इसमें विटामिन ए, बी और सी तथा अनेको प्रकार के मिनरल जैसे मैगनीशियम, सिलिका और कैल्शियम आदि होते हंै, जो कि त्वचा के लिए अच्छे माने जाते हैं। खीरे की स्लाइस को त्वचा पर लगाने से बहुत लाभ भी मिलता है। इसको चेहरे पर लगाने से त्वचा टाइट बनती है। साफ-सुथरी, चिकनी और चमकदार त्वचा चाहिए तो आप खीरे से अवश्य दोस्ती कीजिए। खीरा में पौटेशियम, मैगनीशियम और सिलीकॉन अत्यधिक मात्रा में होता है। यह खनिज त्वचा के लिए बहुत जरूरी हैं।

बालों की ग्रोथ बढ़ाए

इसमें सिलिकॉन तथा सल्फर होने के नाते यह बालों को घने व चमकदार रखने के साथ ही उनकी ग्रोथ भी बढ़ाता है। खीरे के रस के साथ गाजर का जूस तथा पालक का रस मिला कर पिएं।

ब्लड प्रेशर को कम करे

पोषक तत्वों से भरपूर खीरा खाने से ब्लड प्रेशर की समस्या आसानी से दूर होती है। खीरे में भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम और पोटैशियम पाया जाता हैं, जो ब्लड प्रेशर को कम करके शरीर को स्वस्थ रखता है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर निंयत्रिण में रहता है।

एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर

खीरे में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाया जाता है, जो शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकता है । एंटीऑक्सीडेंट शरीर के लिए आवश्यक तत्व होता है। यह शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम कर सकता है। साथ ही यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम कर इससे होने वाली समस्याएं जैसे एजिंग, किडनी रोग, व हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है । शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की पूर्ति के लिए खीरे का सेवन लाभकारी साबित हो सकता है।

पाचन तंत्र को मजबूत करे

गर्मियों में खीरा खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो कब्ज की समस्या को आसानी से दूर करता है। इसके सेवन से मल सॉफ्ट होता है और पेट आसानी से साफ होता है। खीरा खाने से अपच, गैस और जी मिचलाने की समस्या भी दूर होती हैं।

 हृदय को स्वस्थ रखना 

खीरा खाने के फायदे में हृदय को स्वस्थ रखना भी शामिल है। दरअसल, एक वैज्ञानिक अध्ययन में इस बात का जिक्र मिलता है कि एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स की मौजूदगी की वजह से खीरे का सेवन हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है। वहीं, इसका सेवन उच्च रक्तचाप से बचाव का काम भी कर सकता है, जो कि हृदय रोग का एक जोखिम कारक है (2)। इस आधार पर माना जा सकता है कि खीरे का सेवन कुछ हद तक हृदय स्वास्थ्य को बरकरार रखने में मददगार हो सकता है। इसके अलावा, अगर किसी को हृदय संबंधी कोई समस्या है, तो उसे डॉक्टर से इलाज जरूर करवाना चाहिए, क्योंकि घरेलू उपचार केवल समस्या के प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में सहायक हो सकते हैं, इन्हें समस्या का पूर्ण इलाज नहीं माना जा सकता है।

एसिडिटी में ठंडक

खीरा खाने से शरीर के अंदर और बाहर ठंडक पहुंचती है. खीरा खाने से एसिडिटी (हार्टबर्न) में राहत भी मिलती है. साथ ही सूर्य की गर्मी से झुलसी त्वचा पर खीरा लगाने से आराम मिलता है.


सिरदर्द से राहत

सुबह उठने पर अगर सिर में दर्द या खुमारी की शिकायत होती है तो आपको सोने से पहले खीरा खाना चाहिए. इसमें विटामिन बी, शुगर और इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं, जो सिरदर्द व खुमारी से उबरने में मदद करते हैं.


आंखों के लिए लाभकारी

यदि आंखों के नीचे सूजन आ गई है, तो खीरे की स्लाइस लगाने से वह ठीक हो जाती है। इसके अलावा यदि स्किन में सनबर्न हो जाए, तो खीरे का रस लगाना चाहिए।

बार-बार नहीं पड़ते बीमार

बताया जाता है कि खीरे में बीटा कैरोटीन और विटामिन सी जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर में हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाते हैं, जिसके कारण हम सर्दियों में बार-बार बीमार नहीं पड़ते.
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पित्ताशय की पथरी (Gall Stone) रामबाण हर्बल औषधि बताओ

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अनार के फल और पत्ते के हैरान करने वाले फायदे : Benefits of pomegranate fruits and leaves




  अनार हमारे देश में लगभग सभी राज्यों में उगाया जाता है और बड़े चाव से खाया भी जाता है। पारंपरिक तौर पर देशी नुस्खों में अनार कई तरह के रोगोपचारों में इस्तेमाल किया जाता है। अनार के फलों के अलावा इसके पेड़ के लगभग सभी अंग औषधीय गुणों से भरपूर हैं। वैसे कई ग्रामीण अंचलों में इसके फलों की अपेक्षा इसकी कच्ची कली और छिलके में अधिक औषधीय गुण होने की बात की जाती है। आदिवासी भी अनार को अनेक हर्बल नुस्खों में अपनाते हैं।
अनार का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। अनार पोषक तत्वों से भरपूर फल है, इसलिए इसे सुपरफूड कहा जाता है। अनार में आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन की अच्छी मात्रा होती है। साथ ही इसमें कई औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं। शरीर में खून की कमी को दूर करने, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने, दिल को स्वस्थ रखने के साथ ही कैंसर जैसे गंभीर रोगों के जोखिम को करने के लिए अनार बहुत फायदेमंद है। साथ ही अनार का सेवन डायबिटीज रोगियों के लिए भी स्वस्थ माना जाता है, क्योंकि अनार खाने से ब्लड शुगर में स्पाइक नहीं होती है और ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है।ॉ

क्या कहता है पारंपरिक हर्बल ज्ञान?

ऐसा माना जाता है कि अनार के सेवन से शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है और इसी वजह से यह हृदय के लिए भी खूब लाभदायक होता है। प्रतिदिन एक गिलास अनार का जूस पीने से सेहत तंदुरुस्त रहती है।

गर्भधारण की क्षमता में वृद्धि

आदिवासियों की मान्यता के अनुसार जिन महिलाओं को मातृत्व प्राप्ति की इच्छा हो, अनार की कलियां उनके लिए वरदान की तरह है। इन आदिवासियों के अनुसार अनार की ताजी, कोमल कलियां पीसकर पानी में मिलाकर, छानकर पीने से महिलाओं में गर्भधारण की क्षमता में वृद्धि होती है।

मुंह के छालों में

लगभग 10 ग्राम अनार के पत्तों को आधा लीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई शेष बचे तो इस काढ़े से कुल्ला करने से मुंह के छालों में लाभ होता है।

मिरगी के रोग में

लगभग 100 ग्राम अनार के हरे पत्तों को 500 ग्राम पानी में उबालें। जब चौथाई पानी रह जाए, तो इसे छानकर 75 ग्राम घी और 75 ग्राम शक्कर मिलाएं। इसे सुबह-शाम पीने से मिरगी के रोग में खूब फायदा होता है।
अनार का इस्तेमाल कर गंजेपन का इलाज

बालों के झड़ने, या गंजेपन की समस्या में अनार के ताजे हरे पत्तों का रस लें। इसमें 100 ग्राम अनार के पत्तों का पेस्ट, और आधा लीटर सरसों का तेल मिला लें। इस तेल को पकाकर छान लें। इससे बालों पर लगाएं। इससे बालों झड़ना रुक जाता है, गंजेपन की समस्या दूर होती है।

दांतों से खून आना बंद

पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार अनार के फूल छाया में सुखाकर बारीक पीस लिए जाए और इसे मंजन की तरह दिन में २ से 3 बार इस्तेमाल किया जाए तो दांतों से खून आना बंद होकरदांत मजबूत हो जाते हैं।

अनार के पत्ते

अनार के पत्ते इम्यूनिटी को बढ़ाने और खांसी-जुकाम का इलाज करने में मदद करते हैं। अगर आप या कोई भी सदस्य सर्दी-खांसी से पीड़ित है तो अनार के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिए। इसके लिए आपको अनार के पत्तों को अच्छे से धोकर पानी में उबालना है। इस पानी को दिन में दो बार पिएं। यह खांसी से राहत दिलाते हुए आपके गले में मौजूद संक्रमण को दूर करने में मदद कर सकता है। साथ ही अनार में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और इसमें विटामिन सी होता है।
अनार के सेवन से एनीमिया और पीलिया में फायदा एनीमिया, और पीलिया रोग के उपचार के लिए 250 मिली अनार के रस में, 750 ग्राम चीनी मिलाकर चाशनी बना लें। इसे दिन में 3-4 बार सेवन करें। इससे एनीमिया, और पीलिया में फायदा होता है।

थकान, और कमजोरी

अनेक लोगों को थकान, और कमजोरी की शिकायत रहती है। ऐसे लोग 20 ग्राम अनार के ताजे पत्ते लेकर, 400 मिली पानी में उबाल लें। जब पानी 100 मिली शेष रह जाएं, तो इसमें गर्म दूध मिलाकर पिएं। इससे शारीरिक, और मानसिक कमजोरी ठीक (pomegranate benefits) होती है।

एनीमिया और पीलिया 

एनीमिया और पीलिया रोग से ग्रस्त लोग 3-6 ग्राम अनार के पत्ते को छाया में सुखा लें। इस चूर्ण को सुबह गाय के दूध से बने छाछ के साथ पिएं। इसी तरह शाम को इसी छाछ के साथ पनीर का सेवन करें। इससे एनीमिया, और पीलिया रोग में फायदा होता है।

चेहरे पर होने वाले पिंपल्स

अनार के पत्ते आपको फफोले, चेहरे पर होने वाले पिंपल्स से जल्दी छुटकारा दिला सकते हैं। अगर आप अनार के पत्तों का पेस्ट लगाते हैं तो पिंपल्स दूर हो जाते हैं। आपको बता दें कि अनार का जूस एक बेहतरीन टोनर भी है, जो रोमछिद्रों यानी पोर्स को बंद कर आपकी त्वचा को खूबसूरत बनाता है।


अनार का प्रयोग कर बच्चों की दस्त पर रोक

जिस बच्चे को बार-बार दस्त की शिकायत होती है, उसके लिए अनार की ताजी कलियां ले, इसे छोटी इलायची के बीज, और रुमीमस्तगी केक साथ पीस लें। इसमें चीनी मिलाकर पेस्ट जैसा तैयार कर लें। इसे चटाने से बच्चों के दस्त, और पेचिश में विशेष लाभ होता है।

अनिद्रा के इलाज के लिए

अनार के पत्ते अनिद्रा के इलाज के लिए उपयोगी जड़ी-बूटी हैं। लगभग 3 ग्राम ताजे अनार के पत्तों का पेस्ट बनाकर 200 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। इस पानी को तब तक उबालें जब तक कि तरल घटकर 50 मिली न हो जाए। इस मिश्रण को रात को सोने से पहले पिएं। इससे आपको अच्छी नींद लेने में मदद मिलेगी। अनार के पत्ते इस तरह से अनिद्रा का इलाज कर आपको स्वास्थ्य लाभ दे सकते हैं।

सीने में जलन से छुटकारा दिलाता है

अनार के जूस का पीने से हार्ट बर्न या सीने में जलन की समस्या में बहुत फायदा मिल सकता है। आप अनार का सीधे तौर पर सेवन भी कर सकते हैं। अनार पेट में गैस बनने से रोकता है। अनार शरीर में पित्त को संतुलित करने में मददगार है, क्योंकि अनार स्वाद में कड़वा होने के साथ ही कसैला भी होता है।

पाचन क्रिया के लिए फायदेमंद

अनार के पत्ते पाचन क्रिया के लिए फायदेमंद होते हैं। अगर आप पेट दर्द और इससे जुड़ी अन्य समस्याओं से परेशान हैं तो अनार के पत्तों का सेवन औषधि के रूप में किया जा सकता है। इनमें मौजूद पोषक तत्व और मिनरल्स पाचन को सही करने में मदद करते हैं, जिससे आपके शरीर को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है, साथ ही यह अपच और दस्त की परेशानी भी दूर हो जाती है।

आंत से संबंधित रोगों में फायदेमंद है

अनार का रस पीने पीने से इर्रिटेबल बाउल डिजीज (Irritable Bowel Disease) की समस्या में बहुत फायदा मिल सकता है। अनार के रस में पॉलीफेनोल यौगिक मौजूद होते हैं जो आंत में सूजन को कम करने में मदद करते हैं और आंत से संबंधित रोगों से छुटकारा प्रदान करने में मदद करते हैं।

पेट फूलने की समस्या में फायदेमंद है

जब आप नमक वाले आहार का अधिक सेवन करते हैं तो इससे वॉटर रिटेंशन होता है, साथ ही ब्लोटिंग की समस्या होती है। अनार मैग्नीशियम और पोटेशियम से भरपूर होता है जिससे यह यूरिन के फ्लो को बढ़ाता है। यह सूजन को कम करने में मदद करता है और ब्लोटिंग से छुटकारा दिलाता है।
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सफ़ेद दाग से मुक्ति के उपचार ,Vitiligo upchar

  

  कई लोगों को स्किन इंफेक्शन के तौर पर शरीर के अलग-अलग हिस्सों सफेद दाग की समस्या होती है. अगर समय रहते इसका ट्रीटमेंट शुरू नहीं किया गया, तो यह रोग शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैलने लगता है. आगे चलकर सफेद दागो के जड़ पकड़ने पर इसे नियंत्रित करना कठिन हो सकता है. यूं तो सफेद दाग के कई कारण होते हैं, लेकिन कई बार कई बार दिमाग पर अधिक बोझ पड़ने पर भी यह रोग हो जाता है.
सफेद दाग को अंग्रेजी भाषा में विटिलिगो कहा जाता है। आपने भी शायद अपनी जिंदगी में एक न एक बार विटिलिगो से पीड़ित व्यक्ति को जरूर देखा होगा। ऐसा देखा जाता है कि उनके शरीर के लगभग सभी अंगों पर सफेद धब्बे होते हैं, जो ज्यादातर पैरों, चेहरे, और हाथों पर दिखते हैं।
विटिलिगो यानी सफेद दाग स्किन से संबंधित बीमारियों में से एक बीमारी है, जो खून से संबंधित एलर्जी, गलत खाना-पीना और स्किन इन्फेक्शन के कारण होता है।

सफेद दाग के लक्षण

जब भी किसी व्यक्ति को सफेद दागहोने शुरू होते हैं तो उसकी शुरुआत एक हल्के पीले या गुलाबी रंग के धब्बे से होती है। फिर यह धीरे धीरे सफेद होना शुरू होते हैं। गुलाबी रंग के इस धब्बे का आकार शुरुआत में तो बहुत छोटा होता है लेकिन आगे चलकर यह कितना बढ़ेगा य​ह निश्चित नहीं होता है। हालांकि डॉक्टर से संपर्क कर आप वक्त रहते इस पर काबू पा सकते हैं। सिर्फ यही नहीं स्किन के सफेद होने के साथ ही विटिलिगो में सिर, भौंहो, दाढ़ी और पलकों के बाल भी समय से पहले सफेद होने लगते हैं।

कारण-

इम्युन सिस्टम का कमजोर होना विटिलिगो की चपेट में आने का सबसे आम कारण माना जाता है।
. जिन लोगों को फंगल इंफेक्शन की समस्याहोती हैं उनके शरीर में भी सफेद दाग होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
ल्यूकोडरमा भी विटिलिगो होने का एक बड़ा कारण माना गया है।
  विटिलिगो (vitiligo in hindi) या सफेद दाग एक ऑटो इम्यून कंडीशन है। ऑटो इम्यून का मतलब है कि हमारी इम्युनिटी हमारी अपनी त्वचा की कोशिकाओं को टारगेट करती है और उसे नष्ट कर देती है। विटिलिगो में, शरीर को रंग देने वाली कोशिकाएं (pigment cells) नष्ट हो जाती हैं जिससे त्वचा या बालों पर सफेद धब्बे हो जाते हैं।
विटिलिगो एक त्वचा की स्थिति है जिसमें शरीर पर सफेद धब्बे हो सकते हैं। इसकी शुरुआत की बात करें तो विटिलिगो शरीर के किसी भी अंग से शुरू हो सकता है या इसे शरीर के कई हिस्सों में फैलाया जा सकता है। जैसे कुछ सामान्य क्षेत्र आंखों के आसपास, मुंह के आसपास, कोहनी, घुटने, पैर, हाथों के पीछे और हाथ में। साथ हीसफेद धब्बे एक पैच या एकाधिक पैच हो सकते हैं। ये किसी एक क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है या पूरे शरीर में हो सकता है। जैसे

-चेहरे

हाथ

-पैर

-छाती आदि पर हो सकते हैं।
साथ ही ये खोपड़ी, भौंहों, पलकों आदि पर और बालों को भी समय से पहले सफेद बना सकता है। साथ ही ये मुंह और नाक के अंदर तक भी हो सकता है और इसे बदरंग कर सकता है।

सफेद दाग क्या होता है?

आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्त और कफ यानि त्रिदोषज के कारण ही सभी प्रकार के त्वचा के रोग होते हैं फिर भी दोषों के अपने निजी लक्षणों से उनकी सबलता तथा निर्बलता की समीक्षा (diagnosis) कर उसके अनुसार चिकित्सा की जाती है। जिस दोष के लक्षण को विशेष रूप से बढ़े हुए नजर आते हैं उसकी चिकित्सा पहले की जाती है। ये वात, कफ की प्रधानता होने पर होते हैं।

सफेद दाग क्यों होता है-

सफेद दाग का सबसे आम कारण आनुवंशिक या वंशानुगत है। अगर परिवार में किसी को विशेष रूप से माता-पिता को सफेद दाग है, तो बच्चे में भी विटिलिगो विकसित होने की संभावना होती है। इसके अलावा अन्य ऑटोइम्यून बीमारियों का पारिवारिक इतिहास है या फिर आप किसी अन्य ऑटो इम्यून स्थितियों से पीड़ित हैं, तो विटिलिगो विकसित होने की संभावना है। इसके अलावा कुछ घटनाओं को भी विटिलिगो का कारण माना जाता है जैसे कि
-बच्चे के जन्म के दौरान तनाव
-प्रेगनेंसी के दौरान कैमिकल्स के संपर्क में रहना जिससे कि त्वचा को नुकसान हो
-कट और घाव जो विटिलिगो का कारण बन सकते हैं। जब एक कट, खरोंच या घाव से विटिलिगो होता है इसे कोबनेर की घटना ( koebner’s phenomenon) कहते हैं।
4. खाने में पोषक तत्वों की कमी खासकर के प्रोटीन की कमी भी सफेद दाग होने का एक कारण है।
5. यह रोग पूरी तरह से जेनेटिक नहीं है, महज 1 प्रतिशत मामलों में ऐसा देखा गया है कि जिन बच्चों के माता पिता को विटिलिगो की समस्या होती है उनके बच्चों को भी इससे जूझना पड़ता है।

सफेद दाग का इलाज क्या है

ऐसा कतई नहीं है कि सफेद दाग का कोई इलाज नहीं है। आज के समय में विटिलिगो को पूरी तरह से सही करने के लिए तमाम तरह के इलाज और थेरेपी उपलब्ध हैं। लेजर तकनीक की मदद से डॉक्टर प्रभावित हिस्से से सफेद दाग को दूर करते हैं और उस स्थान पर व्यक्ति की स्किन का जैसा रंग होता है वैसे ही रंगों की कोशिकाओं को छोड़ते हैं। करीब 5 से 6 हफ्ते बाद इसे हटा दिया जाता है। डॉक्टर कहते हैं कि 3 से 4 महीने में स्किन का रंग काफी हद तक सामान्य हो जाता है।

सफेद दाग के शुरूआती लक्षण

सफेद दाग की पहचान में सबसे शुरुआती लक्षण है, त्वचा का रंग फीका पड़ना और उस जगह पर बाल भी सफेद होना। शरीर पर अगर सफेद दाग हो जाये और उसके बाद कहीं चोट लगे और वो जगह भी सफेद हो जाये तब आपको समझ जाना चाहिए कि ये समस्या तेजी से शरीर में बढ़ रही है। ल्यूकोडर्मा का रोग कोई सरलता से ठीक होने वाला रोग नहीं है और न ही ये छूने से फैलता है। आयुर्वेदिक तरीके से उपाय करके इस समस्या को ठीक कर सकते हैं।

एप्पल साइडर विनेगर की लें मदद

बरसात के दिनों में शरीर पर हुए सफेद दाग की परेशानी से निपटने के लिए आप एप्पल साइडर विनेगर का प्रयोग कर सकते हैं. बता दें कि, इसमें एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो इन दागों से छुटकारा दिला सकते हैं. इसके लिए आप 1 गिलास गर्म पानी लें. अब इसमें 2 बड़े चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिक्स करें. इसके बाद इसमें रुई डुबोकर संक्रमण प्रभावित जगह पर लगाएं. ऐसा करने से आपकी परेशानी धीरे-धीरे कम हो सकती है.

बथुआ सफेद दाग में फायदेमंद 

सफेद दाग से ग्रस्त व्यक्ति को रोज बथुआ की सब्जी खानी चाहिए। बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग वाली जगह को दिन में तीन से चार बार धोयें। कच्चे बथुआ का रस दो कप निकालकर उसमें आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तो उसे उतारकर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें।


नारियल तेल का करें प्रयोग

नारियल तेल में मौजूद एंटी-फंगल गुण शरीर से सफेद दाग की परेशानी को कुछ ही दिनों में दूर करने में असरदार माने जाते हैं. इसके साथ ही यह स्कैल्प दाद के लिए भी उपयोगी माना जाता है. इसका प्रयोग फंगल संक्रमण वाले स्थान पर आप दिन में 4-5 बार करें. ऐसा करने से कुछ ही दिनों में सफेद दाग की समस्या से निजात मिलनी शुरू हो जाएगी.

ताम्बे के बर्तन का पानी पियें

जिस व्यक्ति या महिला को सफेद दाग की समस्या हो जाए तो वह तांबे के बर्तन में रात को पानी भरकर उसका सुबह उठकर सेवन करें। गाजर, लौकी और दालें अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए, जिससे कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी न हो। दो से चार बादाम का प्रतिदिन सेवन करें।

नीम से हटाएं सफेद

चेहरे से सफेद दाग की समस्या को दूर करने के लिए नीम की पत्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है. नीम की पत्तियों में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-संक्रमण गुण पाया जाता है जो सफेद दाग की परेशानी को कम करने में असरदार होती है. इसका इस्तेमाल करने के लिए नीम की पत्तियों को सूखा लें. अब इसे पाउडर के रूप में तैयार कर लें. इसके बाद इसमें थोड़ा सा पानी मिक्स करके इसका पेस्ट तैयार कर लें. इसके बाद इसे आप चेहरे पर लगाएं. नियमित रूप से इस मिश्रण को चेहरे पर लगाने से आपकी खूबसूरती बढ़ेगी.

नीम की पत्ती और शहद सफेद दाग में फायदेमंद

नीम की ताजी कोपल का पेस्ट बनाकर उसे छलनी में डालकर उसका रस निकाल लें। एक बड़ी चम्मच नीम के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इस मिश्रण का सेवन आप उम्रभर भी कर सकते हैं। इसके अलावा दो चम्मच अखरोट पाउडर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर इसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को दाग वाली जगह पर 20 मिनट तक लगाकर रखें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें।

हल्दी और सरसों का तेल सफेद दाग में फायदेमंद

जिस व्यक्ति या महिला को सफेद दाग की समस्या हो जाए तो वह तांबे के बर्तन में रात को पानी भरकर उसका सुबह उठकर सेवन करें। गाजर, लौकी और दालें अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए, जिससे कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी न हो। दो से चार बादाम का प्रतिदिन सेवन करें। दाग वाली जगह लगाने से दाग कम होने लगता है। इसके लिए आप एक चम्मच हल्दी पाउडर लें। अब इसे दो चम्मच सरसों के तेल में मिलाए। अब इस पेस्ट को सफेद चकतों वाली जगह पर लगाएं और 15 मिनट तक रखने के बाद उस जगह को गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें। इससे आराम मिलेगा।

दही का करें सेवन

शरीर में सफेद जैसे लक्षण दिखने लगें तो आप दही का इस्तेमाल कर सकते हैं. बता दें कि, दही और प्रोबायोटिक्स में अच्छे बैक्टीरिया की मौजूदगी होती है, जो कई फंगल संक्रमणों को दूर रखने में मदद कर सकते हैं. ये उन रोगाणुओं से लड़ते हैं, जो इन संक्रमणों का कारण बन सकते हैं. यदि किसी को इस तरह की दिक्कत है तो दही का सेवन कर सकते हैं.

ग्रीन टी स्किन पर लाए निखार

सफेद दाग की समस्या से छुटकारा पाने के लिए ग्रीन टी का इस्तेमाल करें. ग्रीन टी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण स्किन को हील कर सकता है. इसका इस्तेमाल करने के लिए ग्रीन टी बैग को काटकर इसकी पत्तियां निकाल लें. अब इसमें थोड़ा सा शहद मिक्स करके इसे चेहरे पर क्लींजर की तरह लगाएं. इसके बाद कॉटन से पोछ लें. इस तरह कुछ दिनों तक ग्रीन टी और शहद चेहरे पर लगाने से स्किन ग्लो करेगा.
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31.3.24

पैरों के तलवों में पसीना आने के कारण और उपचार




पैरों के तलवों का स्वस्थ होना भी बहुत जरूरी होता है। क्योंकि जब पैरों के तलवों में कोई दिक्कत आती है, तो व्यक्ति को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पैरों के तलवों से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इसमें तलवों में जलन, दर्द या फिर पसीना आना हो सकता है। अगर आपको भी पैरों के तलवों में जलन होता है, तो यह कई कारणों की वजह से हो सकता है। आपको बता दें कि शरीर के अंगों में पसीना आने को मेडिकल टर्म में हाइपरहाइड्रोसिस कहा जाता है। इसमें शरीर में अत्यधिक पसीना आता है, यह गर्मी से संबंधित पसीना नहीं होता है।

दिल से जुड़ी बीमारियों में

हमारा दिल हमारे शरीर का आधार है और अगर आपका दिल सही तरीके से काम करता रहेगा तो आप भी पूरी तरीके से फिट रहेंगे। लेकिन जब आपका दिल कमजोर हो जाता है तो आप दिल की कई गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकते हैं, जिसमें अचानक तेज पसीना आना आपके लिए एक खतरनाक संकेत साबित हो सकता है। दिल से जुड़े रोगों का शिकार होने पर आपके तलवे पसीने से भीग सकते हैं और ये स्थिति आपको आगे चलकर परेशान कर सकती है।

तलवों में पसीने के कारण

ऊपर लिखी 4 स्वास्थ्य समस्याओं के अलावा कई अन्य कारण भी ऐसे हैं, जिनकी वजह से तलवे में पसीना आने लगता है। अगर आपको इंफेक्शन हुआ है तो भी आपको ये परेशानी हो सकती है। कई बार फंगल इंफेक्शन की वजह से भी तलवों पर पसीना आने लगता है। अगर आपको सांस लेने में दिकक्त है या फिर आप दवा का ज्यादा सेवन करते हैं तो भी आपरे तलवों में पसीना आ सकता है।

थायरॉइड

थायरॉइड की समस्या तब होती है, जब थायरॉइड ग्रंथि शरीर में हार्मोन्स का उत्पादन सही तरीके से नहीं कर पाती है। इस स्थिति में थायरॉइड ग्रंथि हार्मोन का कम या अधिक उत्पादन कर सकती है। थायरॉइड होने पर हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। वैसे तो थायरॉइड महिलाओं और पुरुषों दोनों को हो सकता है। लेकिन महिलाओं में थायरॉइड होने की संभावना अधिक होती है।
थायराड हमारे शरीर में मौजूद एक ग्रंथि है, जो कि हमारे गले में पीछे की तरफ होती है। ये थायराइड हार्मोन को रिलीज करती है लेकिन इसमें किसी भी प्रकार की दिक्कत आपके लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। शरीर में थायराइड का लेवल बढ़ने पर अक्सर आपके तलवों परक पसीना आने लगता है। इस स्थिति को नजरअंदाज किया जाए तो आपको अपने रोजमर्रा के काम में तो दिक्कत आती ही है साथ ही आपको खाना निगलने से लेकर बोलने में भी परेशानी हो सकती है।

संक्रमण

संक्रमण भी पैरों के तलवों में आने वाले पसीना का एक मुख्य कारण हो सकता है। अगर आपको कोई इंफेक्शन या संक्रमण है, तो आपको तलवों में पसीना आ सकता है। यह संक्रमण अलग-अलग प्रकार के हो सकते हैं। लेकिन सभी प्रकार के संक्रमण तलवों में पसीना आने का कारण नहीं बनते हैं।

डायबिटीज

डायबिटीज यानी मधुमेह पैर के तलवों में पसीना आने का एक मुख्य कारण हो सकता है। क्योंकि डायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इस वजह से व्यक्ति के नसों को भी नुकसान पहुंचता है। डायबिटीज रोगियों को तलवों में पसीना आने की दिक्कत हो सकती है। इसलिए अगर आपको डायबिटीज है, तो पैरों के तलवों में पसीना आना आपने के लिए आम हो सकता है।
हाई ब्लड शुगर आपके लिए ढेर सारी परेशानियां लेकर आता है, जिसमें आपकी नसों के कमजोर होने के साथ-साथ किड़नी की दिक्कत भी शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाई ब्लड शुगर की शुरुआत के दौरान आपके तलवों में बहुत तेज पसीना आता है, जो कि एक सामान्य लक्षण है। खाना खाने के बाद आपके तलवे अगर पसीने से भीग जाते हैं तो आपको डायबिटीज हो सकती है।

मेनोपॉज

मेनोपॉज वह अवस्था होती है, जिसमें महिलाओं को मासिक धर्म आना बंद हो जाते हैं। इस दौरान महिलाओं को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पीरियड्स बंद होना, हॉट फ्लैशेज आदि मेनोपॉज के आम लक्षण होते हैं। इसके अलावा मेनोपॉज होने पर महिलाओं को पसीना भी अधिक आ सकता है। यानी पैर के तलवों में पसीना मेनोपॉज के कारण भी आ सकता है। इसलिए इसे सामान्य माना जा सकता है।
बड़ी सौंफ: कहते हैं कि सौंफ शरीर के टेंपरेचर को नॉर्मल रखती है. ब्लेंडर में एक चम्मच बड़ी सौंफ और एक चम्मच चीनी डालें और इसे पीस लें. अब इसे पानी में घोलकर पी जाएं. ऐसा रोजाना करें और आप कुछ दिनों में फर्क देख पाएंगे.

बेकिंग सोडा पेस्ट

पबमेड सेंट्रल द्वारा प्रकाशित 2008 के एक अध्ययन में कहा गया है कि बेकिंग सोडा अपने प्राकृतिक सुखाने वाले गुणों के लिए जाना जाता है, जो पसीने के उत्पादन को कम करने और आपके हाथों और पैरों को सूखा रखने में मदद कर सकता है। यह पीएच स्तर को संतुलित करने और पसीना कम करने में मदद कर सकता है। बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे अपने हाथों और पैरों पर लगाएं। उत्पाद को धोने से पहले 15 से 20 मिनट तक लगा रहने दें।

एप्पल साइडर सिरका

एप्पल साइडर विनेगर (एसीवी) लंबे समय से एक रोगाणुरोधी के रूप में स्थापित है जो आपके शरीर को साफ रखने और पसीने या दुर्गंध को रोकने में मदद कर सकता है। अपने हाथों या पैरों को सेब के सिरके और पानी के मिश्रण में रोजाना 15-20 मिनट तक भिगोने से त्वचा के पीएच को संतुलित करने और पसीना कम करने में मदद मिल सकती है
पैरों के पसीने से छुटकारा पाने के लिए आप नमक के पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए 1 टब गुनगुने पानी में 5-7 चम्मच नमक एड करें. अब पैरों को टब में डालें. 30 मिनट बाद पैरों को टब से निकाल कर पानी को सूखने दें. ऐसे में मोजा पहनने के बाद पैसों में पसीना कम आएगा और आपके पैरों से बदबू भी नहीं आएगी.

तेज पत्ता यूज करें

तेज पत्ते का इस्तेमाल करके भी आप पैरों के पसीने से निजात पा सकते हैं. इसके लिए पैन में पानी गर्म करें. अब इसमें तेज पत्ता डालकर उबालें. कुछ देर तक उबालने के बाद गैस बंद कर दें और पानी को ठंडा होने के लिए रख दें. अब इस पानी को पैरों में अप्लाई करें. हर रोज ये नुस्खा अपनाने से पैरों का पसीना कम होने लगेगा.

नींबू का रस

नींबू का रस अपने कसैले गुणों के लिए जाना जाता है, जो अत्यधिक पसीने को कम करने में मदद कर सकता है। ताजा नींबू का रस अपनी हथेलियों और तलवों पर लगाएं या इसे पानी में मिलाकर कुल्ला करें। इसे प्राकृतिक रूप से सूखने दें और सर्वोत्तम परिणामों के लिए इसे रोजाना दोहराएं।

चंदन पाउडर

चंदन पाउडर में प्राकृतिक शीतलता और कसैले गुण होते हैं जो पसीने को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। चंदन पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे अपने हाथों और पैरों पर लगाएं। इसे धोने से पहले पदार्थ को 20 से 30 मिनट तक अपनी त्वचा पर लगा रहने दें। इस उपचार को प्रति सप्ताह कुछ बार दोहराने की सलाह दी जाती है।

कपूर

कपूर की तासीर ठंडी होती है और यह पसीना कम करने में मदद कर सकता है। गर्म पानी में थोड़ी मात्रा में कपूर घोलें और उसमें अपने हाथों और पैरों को 15-20 मिनट तक भिगोकर रखें। वैकल्पिक रूप से, आप कपूर पाउडर को टैल्कम पाउडर या नारियल तेल के साथ मिलाकर अपने हाथों और पैरों पर लगा सकते हैं। इस उपाय को हफ्ते में कुछ बार दोहराएं।

हाथों और पैरों को काली चाय में भिगोएँ


रोजाना 20-30 मिनट तक अपने हाथों या पैरों को काली चाय में भिगोने से पसीना कम करने में मदद मिल सकती है। अध्ययन से पता चलता है कि यह टैनिन की उपस्थिति के कारण मदद करता है, जिसका प्राकृतिक कसैला प्रभाव होता है।
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30.3.24

गर्मी में दही सेवन के फायदे और नुकसान




  गर्मियों में अक्सर लोग वही चीजें खाते हैं, जिससे पेट की गर्मी दूर हो सके और शरीर का तापमान मेंटेन रहे. ऐसी ही एक चीज है दही. गर्मी में दही खाना काफी फायदेमंद (Dahi Benefits) होता है. इसमें पाया जाने वाला प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, शुगर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, विटामिन सी, विटामिन B6, विटामिन A, विटामिन B जैसे पोषक तत्व सेहत को जबरदस्त बेनिफिट्स पहुंचाते हैं. 
दही को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. दही एक डेयरी प्रोडक्ट है और डेयरी प्रोडक्ट को सेहत के लिए लाभदायक माना जाता है. रोजाना डाइट में दही को शामिल कर शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. आपको बता दें दही में विटामिन सी मौजूद होने से ये इम्यूनिटी (Immunity) को बढ़ाने में मदद कर सकता है. इतना ही नहीं दही स्किन लिए काफी लाभदायक है. असल में दही में प्रोटीन, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी6 और विटामिन बी12 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मदद कर सकते हैं. तो चलिए जानते हैं दही खाने से होने वाले फायदे.


पर्याप्त न्यूट्रिशन 

दही पोषक तत्वों से भरपूर एक खास तरह का फूड है, जिसका सेवन करना बेहद फायदेमंद होता है। सुबह के समय इसका सेवन करनेसे शरीर को सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं। प्रोटीन और कैल्शियम के अलावा अन्य कई प्रकार के ऐसे तत्व इसमें पाए जाते हैं, जो फायदेमंद माने गए हैं। 

 इम्यूनिटी-

दही विटामिन सी का अच्छा सोर्स है, जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद कर सकता है.

 मुंह के छाले-

अगर आपको भी बार-बार हो रहे हैं मुंह में छाले तो खाना शुरू कर दें एक कटोरी दही. दही के सेवन से मुंह के छाले को दूर कर सकते हैं.

सुबह दही खाने का बेस्ट तरीका

दही का सेवन आप सुबह के खाने के साथ कर सकते हैं। इसके अलावा सुबह के समय एक कटोरी दही में आधा कटोरी चीनी मिलाकर उसका सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा फ्रूट या वेजिटेबल सलाद, दलिया और ब्राउन ब्रेड के साथ दही का सेवन करना भी अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

वेट लॉस में फायदा

यदि आप अपने बढ़ते वजन पर कंट्रोल पाना चाहते हैं, तो सुबह के समय डाइट में दही को शामिल करना काफी फायदेमंद हो सकता है। वेट लॉस के साथ-साथ मसल बिल्डिंग में भी यह आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकती है।

हार्ट-

हार्ट को हेल्दी रखने में हमारी हेल्दी डाइट अहम मानी जाती है. अगर आप भी हार्ट को हेल्दी रखना चाहते हैं, तो दही का सेवन कर सकते हैं.

बीमारी कंट्रोल करे

शरीर की कई क्रोनिक बीमारियों कंट्रोल करने के लिए भी गर्मियों की सुबह दही का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है। डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी क्रोनिक बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए रोजाना सुबह के समय दही का सेवन जरूर करें।

 हड्डियों-

कैल्शियम से भरपूर दही का रोजाना सेवन कर हड्डियों को मजबूत बना सकते हैं. दही हड्डियों को कमजोर होने से बचाने में मददगार है.

 पेट की गर्मी-

दही की तासीर ठंडी होती है. अगर आपके पेट में गर्मी बढ़ गई है तो आप दही के सेवन से पेट की गर्मी को दूर कर सकते हैं.

 इंफेक्शन-

दही में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर में होने वाले इंफेक्शन से बचाने में मदद कर सकते हैं.

. पाचन-

दही में पाए जाने वाले पोषक तत्व पेट को सही रखने और पाचनतंत्र को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं.

 स्किन-

स्किन को हेल्दी रखने में मददगार है दही. दही के सेवन से स्किन को हेल्दी रखा जा सकता है.

सावधानी बरतें- 

कब्ज : 

से लोग जिनका पाचन तंत्र कमजोर है उन्हें रोजाना दही खाने से बचना चाहिए. पाचन तंत्र के ठीक से काम न करने की स्थिति में दही खाना कब्ज की परेशानी पैदा कर सकता है. ऐसे में आप परेशान हो सकते हैं.
यूरिक एसिड : यूरिक एसिड की समस्या से परेशान हैं तो दही का ज्यादा सेवन करने से बचें. दही में प्रोटीन पाया जाता है और यूरिक एसिड की समस्या से परेशान लोगों को प्रोटीन से बचने की सलाह दी जाती है. दही खाने से शरीर का यूरिक एसिड बढ़ सकता है. जिसकी वजह से गठिया का दर्द और सूजन की समस्या हो सकती है.

अर्थराइटिस :

अर्थराइटिस की समस्या से जूझ रहे लोगों को भी दही से परहेज करना चाहिए. दही में सैचुरेटेड फैट की मात्रा अच्छी खासी होती है. एडवांस ग्लाइकेशन भी भरपूर मात्रा में मिल जाता है. इस वजह से हड्डियों का धनत्व कम हो सकता है.अर्थराइटिस के मरीज जब इसका सेवन करते हैं तो उनके घुटनो के दर्द और सूजन बढ़ सकता है.

 अस्थमा :

अस्थमा के मरीजों को तो गलती से भी दही नहीं खाना चाहिए. दरअसल, दही की तासीर ठंडी है. जब अस्थमा मरीज इसका सेवन करते हैं तो उन्हें सर्दी-जुकाम जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

पेट फूलने की प्रॉब्लम: 

दही का प्रोबायोटिक्स पेट की गर्मी को कम करता है लेकिन कई बार ये गैस और ब्लोटिंग भी बना सकता है. चूंकि पचने में दही भारी होती है, इसलिए ऐसे लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए, जिन्हें गैस या ब्लॉटिंग की समस्या है.
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मर्दानगी बढ़ाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खे

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29.3.24

जानिए हल्दी के चमत्कारी गुण और फायदे ,Turmeric Benefits

 



भारतीय मसालों में हल्दी (Haldi) का एक अलग ही महत्व है। यही कारण है कि आपको हर घर की रसोई में हल्दी ज़रूर मिलेगी। हल्दी खाने का स्वाद और रंग रूप तो बढ़ाती ही है साथ ही यह कई तरह के रोगों से भी रक्षा करती है। प्राचीन काल से ही हल्दी को जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। आयुर्वेद में हल्दी के फायदे के बारे में विस्तृत उल्लेख है।
हल्दी हमारे रोज के मासलों में शामिल करने के पीछे कोई परंपरा नहीं है बल्कि इसके पीछे साइंस है। दरअसल, हल्दी में करक्यूमिन (curcumin) होता है जो कि बायोएक्टिव कंपाउंड है। ये एक ऐसा तत्व है जो एक साथ कई प्रकार से काम करता है। जैसे कि कभी एंटीऑक्सीडेंट की तरह तो कभी एंटीइंफ्लेमेटरी जड़ीबूटी की तरह तो कभी एंटीबैक्टीरियल हर्ब के रूप में। इस तरह हल्दी अपने अलग-अलग गुणों के कारण अलग-अलग समस्याओं में इस्तेमाल किया जा सकता है।

हल्दी के फायदे-

आज हम आपको बताएँगे हल्दी के चमत्कारी फायदे। जिससे आप स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं।

डायबिटीज में

डायबिटीज में हल्दी कई परेशानियों को एक साथ कम कर सकती है। जैसे कि पहले तो करक्यूमिन इंसुलिन प्रोडक्शन को एक्टिवेट करती है और शुगर के स्पाइक्स को रोकती है। दूसरा इसके एंटीऑक्सीडेंट्स डायबिटीज न्यूरोपैथी के लक्षणों को रोकते हैं और नसों को हेल्दी रखने में मदद करती है। तीसरा डायबिटीज के मरीजों में कोई भी चोट, घाव या फंगल इंफेक्शन बहुत धीमे-धीमे सही होती है और हल्दी का हीलिंग गुण इसे जल्दी ठीक करने में मदद करती है।

गले की खराश के लिए-

गले की खराश होना एक आम समस्या है। गले की खराश होने पर हल्दी के इस्तेमाल से आप जल्द ही अपने गले की खराश को दूर कर सकते हैं। हल्दी को अजमोदा चूर्ण और शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से गले की खराश में आराम मिलता है।

जोड़ों के दर्द में

जोड़ों का दर्द अक्सर बहुत से लोगों को परेशान करता है। ऐसे में इस समस्या में हल्दी का सेवन (turmeric benefits) फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, अगर आप कच्ची हल्का का पानी पिएं तो ये ज्यादा प्रभावी होगा। दरअसल, करक्यूमिन एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है और इसलिए ये पुरानी सूजन और जोड़ों के दर्द में असरदार तरीके से काम कर सकती है। इसलिए गठिया जैसी स्थितियों के इलाज में भी हल्दी मदद कर सकती है।

हल्दी पाउडर हड्डी रोग के रोगियों के लिए अच्छा है

करक्यूमिन वह प्राकृतिक पदार्थ है जो हल्दी को पीला बनाता है। हल्दी पाउडर का उपयोग कभी-कभी कपड़ों को रंगने के लिए किया जाता है। करक्यूमिन आपके जोड़ों के लिए भी अच्छा है और आपके शरीर को सूजन पर अच्छी प्रतिक्रिया देने में मदद करता है। आप हमारे हल्दी कैप्सूल लेकर अपना दैनिक करक्यूमिन प्राप्त कर सकते हैं।

एक्ने और पिगमेंटेशन होने पर-

पिगमेंटेशन होने पर हल्दी इसे हल्का करने में आपकी मदद कर सकती है। साथ ही इसका बायोएक्टिव गुण स्किन व्हाइटनिंग (turmeric benefits for skin lightening) में भी मदद करती है। इसके अलावा एक्ने की समस्या में भी हल्दी का इस्तेमाल बहुत ही फायदेमंद है। दरअसल,इसका एंटीबैक्टीरियल गुण एक्ने को कम करती है और फिर चेहरे को साफ रखने और खूबसूरती बढ़ाने में मदद करती है।

डिप्रेशन में-

डिप्रेशन की शुरुआत मूड डिसऑर्डर के साथ शुरू होती है। ऐसे में हल्दी सेवन आपके लिए बहुत फायदेमंद है। दरअसल, ये एंटीडिप्रेशेंट की तरह काम करती है। इसके अलावा इसके बायोएक्टिव गुण दिमाग के काम काज को बेहतर बनाने में मदद करते हैं और मूड को बेहतर बनाते हैं। इससे डिप्रेशन के लक्षण कम होने लगते हैं।

अल्जाइमर होने पर-

अल्जाइमर उम्र बढ़ने से जुड़ी हुई एक बीमारी है। हल्दी आपके मस्तिष्क को अल्जाइमर जैसी सामान्य बीमारियों से बचाने में भी मदद कर सकती है। ये मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफिक कारक (BDNF) के स्तर को बढ़ाती है। दरअसल, यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है जो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) को स्वस्थ रखने के साथ-साथ तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचार को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस तरह ये ब्रेन डिजेनरेशन को रोकती है और अल्जाइमर को ठीक करने में मदद करती है।

पायरिया के लिए-

पायरिया की समस्या के लिए हल्दी को सरसों के तेल में मिलाकर मसूड़ों में लगाने से आराम मिलता है। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करने से मसूड़ों से जुड़ी सभी प्रकार की समस्या दूर हो जाती है। मसूड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं में-

ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं जैसे कि मुंह से बदबू आने पर या फिर दांतों मे कीड़े लग जाने पर हल्दी इन समस्याओं में रामबाण इलाज के रूप में काम कर सकती है। इसका एंटीबैक्टीरियल गुण दांतों मे कीड़े को कम करने में मदद करती है। साथ ही ये मुंह में दुर्गंध पैदा करने वाले बैक्टीरिया को मारती है और मुंह की बदबू को कम करती है।

पीलिया में बहुत लाभकारी है

पीलिया बहुत ही गंभीर रोग है। यह स्थिति किडनी और लिवर को बहुत नुकसान पहुंचाती है। इस दौरानशरीर में खून की भारी कमी हो जाती है। साथ ही पूरे शरीर और आंखे में पीली पड़ जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार अगर आप दही में 5-10 ग्राम हल्दी पाउडर मिलाकर इसका सेवन करते हैं, तो यह मिश्रण पीलिया के उपचार में बहुत प्रभावी साबित हो सकता है।

एलर्जी में-

हल्दी का एक खास गुण ये है कि यह एंटीएलर्जिक है। इसलिए तो, एलर्जी होने पर अक्सर लोग काढ़ा पीते हैं जिसमें हल्दी होती है। दरअसल, हल्दी का एंटीबैक्टीरियल और एंटीएलर्जिक गुण एलर्जी को कम करती है और इसके लक्षणों से छुटकारा दिलाती है।

खांसी और जुकाम के लिए-

खांसी और जुकाम एक ऐसी बीमारी है । जो मौसम के परिवर्तन के साथ ही चली आती है। यह समस्या बहुत ही ज्यादा आम समस्या है। हल्दी के उपयोग से बहुत कम समय में इस समस्या का समाधान पा सकते हैं। हल्दी की तासीर को गर्म माना जाता है। इसलिए हल्दी की भाप लेने से जुकाम की परेशानी दूर हो जाती है। हल्दी की भाप लेने के पश्चात पानी को नहीं पीना चाहिए।

हाई बीपी की समस्या में-

हाई बीपी की समस्या आपको दिल की बीमारियों का शिकार बना सकती है। ऐसे में हल्दी का सेवन दिल के लिए बहुत फायदेमंद है। दरअसल, हल्दी में पाए जाने वाले करक्यूमिन बैड कोलेस्ट्ऱॉल को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा हल्दी का पानी इन्हें ब्लड वेसेल्स से चिपने और ब्लॉकेज पैदा करने से रोकती है। इससे आपका ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है, बीपा सही रहता है, दिल पर जोड़ नहीं पड़ता और आप दिल की बीमारियों से बचे रहते हैं।
हल्दी के हजारों फायदे हैं, तो इसके सेवन में कंजूसी मत करें। उचित मात्रा में इसका उपयोग अपने भोजन में जरूर करें। क्योंकि अधिकतम मात्रा में भी हल्दी का सेवन, जिन्हें हल्दी से एलर्जी है उनको छोड़कर, सामान्य रूप से सुरक्षित ही होता है।

हल्दी से होने वाले नुकसान-

अधिक मात्रा हल्दी की ग्रहण करने पर गुर्दे में पथरी का खतरा बढ़ जाता है।
हल्दी को सही मात्रा में सेवन करेंगे तो आप इस खतरे से बचे रहेंगे।
हल्दी के अधिक सेवन से आप दस्त के भी शिकार हो सकते हैं।
शरीर में आयरन का होना बहुत जरुरी होता है।
हमारे शरीर में आयरन होने से खून की कमी नहीं होती है।
हल्दी को अधिक खाने से ये आयरन के अवशोषण को रोक देती है।
अगर आपको किसी भी चीज़ से एलर्जी है तो आपको हल्दी का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए।
इससे आपके स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
हल्दी की तासीर को गर्म माना जाता है।
इसलिए इसे एक चम्मच से अधिक नहीं खाना चाहिए। यह आपके पेट को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
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28.3.24

अश्वगंधा, ,कौंच के बीज, शतावरी,सफ़ेद मूसली के पाउडर मिलाकर लेने से यौन स्वास्थ्य में जबरदस्त फायदा




आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज करने के लिए जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है। इन्हीं में अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीज भी शामिल हैं। वैसे तो इन सभी के अपने-अपने औषधीय गुण होते हैं, जो बीमारियों का इलाज करने में मदद करते हैं। लेकिन आप चाहें तो अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने के लिए अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच को एक साथ मिलाकर भी ले सकते हैं। आप इन सभी को पाउडर के रूप में ले सकते हैं। इससे आपको काफी लाभ मिल सकता है।
अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच बीज पाउडर के फायदे

. पौरुष स्वास्थ्य में सुधार करे


जिन पुरुषों को यौन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हैं, उनके लिए अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीज फायदेमंद हो सकते हैं। इन सभी को एक साथ मिलाकर लेने से पुरुषों के स्पर्म काउंट में वृद्धि हो सकती है, साथ ही उनकी गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है। इसके अलावा अगर आपको यौन स्वास्थ्य से जुड़ी कोई अन्य समस्या है, तो भी रात को अश्वगंधा शतावरी सफेद मूसली और कौंच के बीजों का सेवन कर सकते हैं।

तनाव कम करे

अश्वगंधा, शतावरी, सफेद मूसली और कौंच के बीजों का मिश्रण तनाव को भी कम करने में मदद कर सकता है। दरअसल, अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट्स गुण पाए जाते हैं। ये ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं और सेलुलर डैमेज को रोकते हैं। इससे कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर कम होता है और तनाव को कम करने में मदद मिलती है। अगर आप तनाव या चिंता में रहते हैं, तो इस मिश्रण को दूध के साथ ले सकते हैं। इससे आपको रिलैक्स महसूस होगा और नींद भी अच्छी आएगी।

वजन बढ़ाने में फायदेमंद

जो लोग दुबले-पतले और कमजोर हैं, उनके लिए भी अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों का पाउडर काफी फायदेमंद हो सकता है। इन कॉम्बिनेशन को रात को सोते समय दूध के साथ लेने से आपकी मांसपेशियों का तेजी से विकास हो सकता है। इससे मसल्स गेन होती है और वजन बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है।
शारीरिक कमजोरी दूर करे

अगर आपको हर समय थकान और कमजोरी महसूस होती है, तो आप अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों का पाउडर ले सकते हैं। रोजाना इस मिश्रण को लेने से आपको पूरी ताकत मिलेगी। कमजोरी और थकान दूर होगी। इसके लिए आप इसका सेवन लगातार एक महीने तक कर सकते हैं।
अश्वगंधा सफेद मूसली शतावरी कौंच के बीज का सेवन कैसे करें?आप अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों का एक साथ सेवन कर सकते हैं।
इसके लिए आप इन सभी का अलग-अलग पाउडर बना लें।
अब आधा-आधा चम्मच सभी को दूध में डालें और पी लें।
 आप अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों के पाउडर को रात को सोते समय ले सकते हैं।
अश्वगंधा, शतावरी, सफेद मूसली और कौंच के बीजों की तासीर गर्म होती है। इसलिए आपको इनका सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए। अगर आपकी पित्त प्रकृति है, तो इनका सेवन करने से बचना चाहिए। वहीं गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इनका सेवन आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए।
कौंच के बीजों को पौरुषता वृद्धि करने के लिए आयुर्वेद में विशेष स्थान प्राप्त है , यह शत प्रतिशत परिणाम देने वाली औषधि है। यह पुरुष जननांगों को बचपन में हस्तमैथुन से होने वाली कमजोरी को ही दूर नहीं करता बल्कि सीमन को मजबूत , उसमें शुक्राणुओं की वृद्धि , नसों की कमजोरियों आदि में पौरुषटा संबंधी प्रत्येक असंतुलित समस्याओं को जड़ से समाप्त करने में सहायक हैं। किसी जानकार वैध जी की रेखदेख में इलाज हो तो कौंच बीजों के साथ अन्य रसायनों के मिश्रण से और असरदार दवा बनाई जाती है
 आयुर्वेद अनुसार कौंच बीज पौष्टिक, उत्तेजक, वाजीकरण एवं वातशामक होते हैं। इस का मुख्य उपयोग पुरुषों में वाजीकर और शुक्रवर्धक के रूप में होता है। वातव्याधि जैसे कंपवात, शरीरिक कमजोरी, मधुमेह में भी यह उपयुक्त है।
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पित्ताशय की पथरी (Gall Stone) रामबाण हर्बल औषधि बताओ

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