8.3.22

त्रिफला चूर्ण के चिकित्सा-लाभ:Trifla curn ke fayde

 



  त्रिफला आयुर्वेद में कई रोगों का सटीक इलाज करता है। यह 3 औषधियों से बनता है। बेहड, आंवला और हरड इन तीनों के मिश्रण से बना चूर्ण त्रिफला कहा जाता है। ये प्रकृति का इंसान के लिए रोगनाशक और आरोग्य देने वाली महत्वपूर्ण दवाई है। जिसके बारे में हर इंसान को पता होना चाहिए। ये एक तरह की एन्टिबायोटिक है। त्रिफला आपको किसी भी आयुर्वेदिक दुकान पर मिल सकता है। लेकिन आपको त्रिफला का सेवन कैसे करना है और कितनी मात्रा में करना है ये भी आपको पता होना चाहिए। हाल में हुए एक नए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है की त्रिफला के सेवन से कैंसर के सेल नहीं बढ़ते । त्रिफला के नियमित सेवन से चर्म रोग, मूत्र रोग और सिर से संबन्धित बीमारियां जड़ से ख़त्म करती है।

त्रिफला के फायदे

* त्रिफला चूर्ण को पानी में डालकर कुल्ला करने से मुंह के छाले दूर होते है।
*सुबह शाम 5-5 ग्राम त्रिफला चूर्ण को लेने से दाद, खाज, खुजली और चर्म रोग में लाभ मिलता है।
* नियमित त्रिफला खाने से आखों की ज्योति बढ़ती है।
* कब्ज दूर करने के लिए ईसबगोल की 2 चम्मच को त्रिफला के चूर्ण के साथ मिलाकर गुनगुने पानी में डालकर सेवन करें या फिर सोने से पहले 5 ग्राम त्रिफला के चूर्ण को गुनगुने पानी या गरम दूध के साथ लेने से भी कब्ज से राहत मिलती है।
*त्रिफला का काढा बनाकर पीने से चोट के घाव जल्दी भर जातें हैं क्योंकी त्रिफला एंटिसेप्टिक होता है।
* मोटापा कम करने के लिए त्रिफला बेहद असरकारी होता है। गुनगुने पानी में त्रिफला और शहद को मिलाकर सेवन करने से पेट की चर्बी कम होती है।
*जिन लोगों को अजीर्ण की दिक्कत होती हो वे 5 ग्राम त्रिफला का सेवन करें।
* शहद में त्रिफला का चूर्ण मिक्स करके इसका सेवन करने से त्वचा संबंधी रोग जैसे चकते पड़ना आदि ठीक हो जातें हैं।
*त्रिफला के पानी से  गरारे करने से टॉन्सिल्स से राहत मिलती है
* त्रिफला के चूर्ण को पानी में डालकर आखों को धोने से आखों की परेशानी दूर होती है। मोतियाबिंद, आखों की जलन, आखों का दोष और लंबे समय तक आखों की रोशनी को बढ़ाए रखने के लिए 10 ग्राम गाय के घी में 1 चम्मच त्रिफला का चूर्ण और 5 ग्राम शहद को मिलाकर सेवन करें।

त्रिफला बनाने का आयुर्वेदिक  नियम

त्रिफला बनाने के लिए हरड़, बहेड़ा और आंवले को इस अनुपात में लें
1:2:3
यानि कि एक हरड दो बहेड़ा और तीन आंवला।
त्रिफला लेने के आयुवेर्दिक नियम क्या हैं?
हमेशा कभी भी रात के समय में त्रिफला चूर्ण को गर्म दूध के साथ ही लेना चाहिए।
सुबह के समय में गुड के साथ त्रिफला का सेवन करना चाहिए।
दोपहर के खाने के बाद दो से तीन ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ त्रिफला का सेवन करें।
डायबिटीज और पेशाब संबधी रोगों में त्रिफला को गुनगुने पानी के साथ रात के समय में सेवन करें।
रेडिएशन के खतरे से भी त्रिफला बचाता है।
*त्रिफला प्राकृति और आयुर्वेद का ऐसा वरदान है जिसे यदि आप नियमित सेवन करते हो तो आप जीवन भर स्वस्थ और जंवान बने रहोगे।
*सुबह पानी में 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी लें। शाम को उसी त्रिफला चूर्ण में पानी मिलाकर रखें, और सुबह उसी पानी से आँखो पर छींटे लगाए ऐसा करने से मुँह के छाले और आंखों की जलन, कुछ ही समय में ठीक हो जायेंगे
*रात को सोते वक्त 5 ग्राम त्रिफला चुर्ण हल्के गर्म दूध अथवा गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज में बहुत फायदा होता है
*एक चम्मच त्रिफला को एक गिलास पानी में दो- तीन घंटे के लिए भिगो दें, फिर इसके निकाले हुए पानी को छानकर मुँह में भरकर थोड़ी देर घुमाए इससे आप के मुँह के छाले ठीक हो जायेंगे
*ईसबगोल की भूसी व त्रिफला को बराबर मात्रा में मिलाकर गुनगुने पानी से लेने से भी कब्ज में राहत मिलती है
*त्रिफला के सेवन से बालों को भी बहुत फायदा होता है जिन लोगो के बाल जरुरत से ज्यादा झड़ते है वह अगर सुबह शाम एक -एक चमच त्रिफला का सेवन करे तो ये समस्या बहुत कम हो जाती है
त्रिफला के सेवन से बाल मजबूत, घने व मुलायम व लम्बे हो जाते है
*अगर आप को ज्यादा थकान महसूस होती है तो त्रिफला का चूर्ण लेने से यह समस्या समाप्त हो जाती है और आप अपने आप को पहले से ज्यादा फुर्तीला महसूस करेंगे

साथ ही त्रिफला भूख बढानें और ब्लड सर्कुलेशन सही करने तथा खून बढ़ाने में भी सहायक होता है
*त्रिफला, शरीर में एंटीबॉडी के उत्पादन को बढ़ावा देता है जो शरीर में एंटीजन के खिलाफ लड़ते है और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है
*त्रिफला में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट होते है जो कि सेल्स के मेटाबोल्जिम को नियमित रखते है और उनकी प्रक्रिया को बनाएं रखते है। त्रिफला से उम्र बढ़ाने वाले कारक भी कम होते है, इसी कारण त्रिफला का सेवन करने वाले लोगो की उम्र कम दिखाई देती है

त्रिफला के नुकसान

ब्लड प्रेशर

त्रिफला का अधिक सेवन से ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव होने लगता है। और ब्लड प्रेशर के मरीजों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

दस्त-

यदि आप त्रिफला का प्रयोग बिना डाक्टर के परामर्श के करते हैं तो इससे डायरिया हो सकता है। क्योंकि यह शरीर में पानी की कमी करता है। और इंसान को डायरिया हो जाता है।

अनिंद्रा और बेचैनी-

कई बार कुछ लोग पेट साफ करने के लिए त्रिफला का सेवन करने लगते हैं लेकिन ऐसे में वे नियमित रूप से त्रिफला का सेवन करने लगते हैं जिस वजह से उन्हें अनिंद्राऔर बेचैनी की समस्या हो सकती है।
इसमें कोइे दो राय नहीं है कि त्रिफला सेहत के लिए बेहद असरकारी और फायदेमंद दवा है। लेकिन इसके लिए इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है की कितनी मात्रा में त्रिफला का सेवन करना चाहिए।
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4.3.22

एलोवेरा के नुस्खे और फायदे:Alovera ke fayde

 


सेहत और सुंदरता को बनाए रखने के लिए एलोवेरा जूस का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है. दरअसल एलोवेरा एक ऐसा पौधा है जो हर घर में आसानी से मिल जाता है. इसमें विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स के औषधीय गुण पाए जाते हैं. इसके इस्तेमाल से पेट और त्वचा संबंधी परेशानियां दूर हो जाती है. खासकर एलोवेरा जूस सेहत और सुंदरता दोनों के लिए रामबाण औषधि है. 

एलोवेरा जूस बनाने की विधि -

एलोवेरा जूस बनाने के लिए सबसे पहले एक एलोवेरा को काट लें. इसके बाद चाकू की मदद से इसका छिलका हटा दें और जेल को ग्राइंडर में निकाल लें. इसके बाद इसे 2 से 3 मिनट अच्छी तरह से ग्राइंड करें. आप इसमें स्वाद के लिए शहद और नींबू का रस एड कर सकते हैं. आपका एलोवेरा जूस बनकर तैयार है. इसे आप ऐसे ही फ्रेश पी लें.

कान दर्द में एलोवरा के औषधीय गुण फायदेमंद

कान दर्द में भी एलोवेरा से लाभ मिलता है। एलोवेरा के रस को हल्का गर्म कर लें। जिस कान में दर्द हो रहा है, उसके दूसरी तरफ के कान में दो-दो बूंद टपकाने से कान के दर्द में आराम (aloe vera ke fayde) मिलता है।
आपने एलोवेरा का बहुत नाम सुना होगा, और यह भी सुना होगा कि एलोवेरा को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एलोवेरा के औषधीय गुण क्या-क्या हैं। क्‍या आपको पता है कि किस-किस रोग में एलोवेरा के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में एलोवेरा के फायदे के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं।

एलोवेरा के फायदे और उपयोग

आंखों की बीमारी में एलोवेरा (ग्वारपाठा) के फायदे

आप एलोवेरा के औषधीय गुण से आंखों की बीमारी का इलाज कर सकते हैं। एलोवेरा जेल को आंखों पर लगाएंगे तो आंखों की लालिमा खत्म होती है। यह विषाणु से होने वाले आखों के सूजन (वायरल कंजक्टीवाइटिस) में लाभदायक होता है।
एलोवेरा का औषधीय गुण आँखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आप एलोवेरा के गूदे पर हल्दी डालकर थोड़ा गर्म कर लें। इसे आंखों पर बांधने से आंखों के दर्द का इलाज होता है।

सिर दर्द में एलोवेरा के फायदे

एलोवेरा के फायदे लेकर सिर दर्द से आराम पा सकते हैं। इसके लिए एलोवेरा जेल लें, और इसमें थोड़ी मात्रा में दारु हल्‍दी (दारुहरिद्रा) का चूर्ण मिला लें। इसे गर्म करके दर्द वाले स्‍थान पर बांधें। इससे वात और कफ दोष के कारण होने वाले सिरदर्द से आराम मिलता है।

एलोवेरा के औषधीय गुण से खांसी-जुकाम का इलाज

खांसी-जुकाम में एलोवेरा के फायदे लेने के लिए इसका गूदा निकालें। गूदा और सेंधा नमक लेकर भस्म तैयार कर लें। इस भस्‍म को 5 ग्राम की मात्रा में मुनक्का के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे पुरानी खांसी और जुकाम में लाभ होता है।

दांत और मसूड़ों की बीमारियों से लड़ना

शोधकर्ताओं ने दो लोकप्रिय व्यावसायिक टूथपेस्ट के साथ एक एलोवेरा दांत के gel की कैविटी से लड़ने की क्षमता की तुलना की। उन्होंने पाया कि कुछ मामलों में एलोवेरा जेलवाला टूथ्पेस्ट कैविटी पैदा करने वाले ओरल बैक्टीरिया को नियंत्रित करने वाले वाणिज्यिक टूथपेस्ट से भी बेहतर था।

कान दर्द में एलोवरा के औषधीय गुण फायदेमंद

कान दर्द में भी एलोवेरा से लाभ मिलता है। एलोवेरा के रस को हल्का गर्म कर लें। जिस कान में दर्द हो रहा है, उसके दूसरी तरफ के कान में दो-दो बूंद टपकाने से कान के दर्द में आराम (aloe vera ke fayde) मिलता है।

एलोवेरा के औषधीय गुण से खांसी-जुकाम का इलाज

खांसी-जुकाम में एलोवेरा के फायदे  लेने के लिए इसका गूदा निकालें। गूदा और सेंधा नमक लेकर भस्म तैयार कर लें। इस भस्‍म को 5 ग्राम की मात्रा में मुनक्का के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे पुरानी खांसी और जुकाम में लाभ होता है।

तिल्‍ली (प्लीहा) विकार एलोवेरा के औषधीय गुण से लाभ

तिल्ली बढ़ गई हो तो एलोवेरा के इस्तेमाल से फायदा होता है। 10-20 मिलीग्राम एलोवेरा के रस में 2-3 ग्राम हल्दी चूर्ण मिलाकर सेवन करें। इससे तिल्‍ली के बढ़ने के साथ-साथ अपच में लाभ होता है।

एलोवेरा के सेवन से खूनी बवासीर का इलाज

आप बवासीर में एलोवेरा के प्रयोग से फायदा ले सकते हैं। एलोवेरा जेल (aloe vera ke fayde) के 50 ग्राम गूदे में 2 ग्राम पिसा हुआ गेरू मिलाएं। अब इसकी टिकिया बना लें। इसे रूई के फाहे पर फैलाकर गुदा स्‍थान पर लंगोट की तरह पट्टी बांधें। इससे मस्‍सों में होने वाली जलन और दर्द में आराम मिलता है। इससे मस्‍से सिकुड़कर दब जाते हैं। यह प्रयोग खूनी बवासीर में भी लाभदायक है।

लीवर विकार में एलोवेरा (ग्वारपाठा) के फायदे

दो भाग एलोवेरा के पत्तों का रस और 1 भाग शहद लेकर उसे चीनी मिट्टी के बर्तन में रखें। इस बर्तन का मुंह बन्द कर 1 सप्ताह तक धूप में रख दें। एक सप्ताह बाद इसे छान लें। इस औषधि को 10-20 मिलीग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से लीवर से संबंधित बीमारियों में लाभ होता है।
अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से पेट साफ होता है। उचित मात्रा में सेवन करने से मल एवं वात से जुड़ी समस्‍याएं ठीक होने लगती हैं। इससे लीवर स्वस्थ हो जाता है।

मूत्र रोग में एलोवेरा के औषधीय गुण से लाभ

एलोवेरा के औषधीय गुण से मूत्र संबंधी अनेक रोग में फायदा होता है। इसके लिए 5-10 ग्राम एलोवेरा जेल में चीनी मिलाकर खाएं। इससे पेशाब में दर्द और जलन से आराम मिलता है।

डायबिटीज (मधुमेह) में एलोवेरा के सेवन से फायदा

250-500 मिलीग्राम गुडूची सत् (पानी को गर्म कर सुखा कर नीचे बचा हुआ पदार्थ) में 5 ग्राम घृतकुमारी  का गूदा मिलाकर लेने से मधुमेह में लाभ होता है। डायबिटीज को नियंत्रित करने में एलोवेरा के औषधीय गुण बहुत फायदेमंद होते हैं।मनुष्यों और जानवरों पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि एलोवेरा में मधुमेह विरोधी और ग्लाइसेमिक नियंत्रण यौगिक होते हैं ​​उन्होंने पाया कि एलोवेरा का रस हाइपरग्लाइसेमिया और परेशान लिपिड प्रोफाइल को कम करने में सक्षम है जो मधुमेह से जुड़ी कुछ समस्याएं हैं और प्रमुख हैं।

मासिक धर्म विकार में एलोवेरा के सेवन से लाभ

एलोवेरा के 10 ग्राम गूदे पर 500 मिलीग्राम पलाश का क्षार बुरककर दिन में दो बार सेवन करें। इससे मासिक धर्म की परेशानियां दूर होती हैं।
मासिक धर्म के 4 दिन पहले से दिन में तीन बार कुमारिका वटी की 1-2 गोली का सेवन करें। इसे मासिक धर्म खत्म होने तक सेवा करना है। इससे मासिक धर्म के समय होने वाला दर्द, गर्भाशय का दर्द और योनि से जुड़ी अनेक बीमारी से आराम मिलता है।

चेचक के घावों में एलोवेरा के फायदे

एलोवेरा जेल के फायदे से चेचक में भी लाभ होता है। चेचक होने पर दर्द, जलन और सूजन से राहत पाने के लिए आप एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकते हैं। चेचक के घावों पर एलोवेरा के गूदे का लेप करने से लाभ होता है।

लिंग में छाले होने पर एलोवारा के फायदे

पुरूषों के यौन संबंधी समस्याओं में एलोवेरा जूस से फायदा होता है। एलोवेरा के साथ जीरा को पीसकर लिंग पर लेप करने से लिंग की जलन और छाले दूर होते हैं। यह प्रयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

गठिया के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है एलोवेरा 

जोड़ो के दर्द में भी एलोवेरा के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं। 10 ग्राम एलोवेरा जेल नियमित रूप से सुबह-शाम सेवन करें। इससे गठिया में लाभ होता है।

एलोवेरा के सेवन से कमर दर्द का इलाज

कमर दर्द से परेशान रहते हैं तो एलोवेरा के इस्तेमाल से फायदा ले सकते हैं। गेंहू का आटा, घी और एलोवेरा जेल (एलोवेरा का गूदा इतना हो जिससे आटा गूंथा जाए) लेकर आटा गूंथ लें। इससे रोटी बनाएं। रोटी का चूर्ण बनाकर लड्डू बना लें। रोज 1-2 लड्डू को खाने से कमर दर्द ठीक होता है।

एलोवेरा जेल कमर दर्द में दर्द निवारक दवा की तरह काम करता है।

घाव और चोट में एलोवेरा के गुण से फायदा

फोड़ा ठीक से पक न रहा हो तो एलोवेरा के गूदे में थोड़ा सज्जीक्षार और हरड़ चूर्ण मिलाकर घाव पर बांधें। इससे फोड़ा जल्दी पक कर फूट जाता है।
घृतकुमारी के पत्ते को एक ओर से छील लें। इस पर थोड़ा हरड़ का चूर्ण बुरक कर हल्‍का गर्म कर लें। इसे गांठ पर बांधें। इससे गांठों की सूजन दूर होगी।
*स्त्रियों के स्तन में गांठ पड़ गई हो या सूजन हो गई हो तो एलोवेरा की जड़ का पेस्‍ट बना लें। इसमें थोड़ा हरड़ चूर्ण मिलाकर गर्म करके बांधने से लाभ होता है। इसे दिन में 2-3 बार बदलना चाहिए।
घृतकुमारी का गूदा घावों को भरने के लिए सबसे उपयुक्त औषधि है। रेडिएशन के कारण हुए गंभीर घावों पर इसके प्रयोग से बहुत ही अच्छा फायदा मिलता है।
*आग से जले हुए अंग पर एलोवेरा के गूदे को लगाने से जलन शांत हो जाती है। इससे फफोले नहीं होते हैं।
एलोवेरा और कत्‍था को समान मात्रा में पीसकर लेप करने से नासूर में फायदा होता है।
एलोवेरा के रस को तिल और कांजी के साथ पका लें। इसका लेप करने पर घाव में लाभ होता है।
केवल एलोवेरा के रस को पकाकर घाव पर लेप करने से भी लाभ होता है।

मुंहासों में

शोध बताते हैं कि सुबह और शाम को एलो जेल लगाने से बच्चों और वयस्कों दोनों में मुंहासों में लगभग 35% तक सुधार होता है। हाइड्रेटिंग एलोवेरा जेल भी मुँहासे की आवृत्ति और उपस्थिति को कम कर सकता है।

चर्म रोग में एलोवेरा के फायदे 

कई तरह के चर्म रोग में एलोवेरा का प्रयोग करने पर फायदा होता है। अगर आपकी त्वचा पर मस्से निकल आए हैं तो एलोवेरा के पत्‍ते को एक तरफ से छीलकर मस्सों पर बांधें। इससे मस्से खत्म हो जाते हैं।

बुखार में एलोवेरा के औषधीय गुण से फायदा

*एलोवेरा के सेवन से बुखार का इलाज किया जा सकता है। एलोवेरा की जड़ से काढ़ा बना लें। 10-20 मिलीग्राम काढ़ा को दिन में तीन बार पिलाने से बुखार ठीक होता है।

एलोवेरा के सेवन से पीलिया का इलाज

पीलिया का इलाज करने के लिए भी एलोवेरा का सेवन करना फायदेमंद होता है। इसके लिए 10-20 मिलीग्राम एलोवेरा के रस को दिन में दो तीन बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
इस प्रयोग से कब्‍ज से मुक्ति पाने में भी मदद मिलती है।
एलोवेरा रस की 1-2 बूंद नाक में डालने से भी लाभ होता है।
कुमारी लवण को 3-6 ग्राम तक की मात्रा में छाछ के साथ सेवन करें। इससे लीवर, तिल्‍ली के बढ़ाना, पेट की गैस, पेट में दर्द और पाचनतंत्र से जुड़ी अन्य समस्‍याओं में लाभ होता है।

इम्यून सिस्टम मजबूत होता है

कोरोना वायरस महामारी के दौरान इम्यून सिस्टम को मजबूत रखना बेहद जरूरी है. विशेषज्ञों की मानें तो एलोवेरा जूस इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है. इसके सेवन से पीएच स्तर भी सुधरता है. इसके लिए आप एलोवेरा जूस का सेवन कर सकते हैं.

सूजन कम करता है

इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं जो शरीर में मौजूद सूजन को कम करने में सहायक होते हैं. इसके साथ ही रोजाना एलोवेरा जूस पीने से सिरदर्द और तनाव से भी मुक्ति मिलती है. स्किन डॉक्टर्स भी स्किन के लिए एलोवेरा जूस पीने की सलाह देते हैं. इसके लिए रोजाना सुबह में खाली पेट एलोवेरा जूस का सेवन करें. यह जख्म को भरने में भी मददगार होता है.

वजन कम करने में है सहायक

इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी के गुण पाए जाते हैं, जिनसे बढ़ते वजन से मुक्ति मिलती है. अगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं तो एलोवेरा जूस बेहतरीन उपाय है. इससे फैट बर्न होता है, जिससे आपका वजन कम होगा. रोजाना खाली पेट आधा कप एलोवेरा जूस पिएं.

alovera ke fayde 

रोजाना सुबह में खाली पेट एलोवेरा जूस पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है. अगर आपको कब्ज की शिकायत है तो आप रोजाना दो चम्मच एलोवेरा जूस पिएं. आपको जल्द सुखद परिणाम देखने को मिलेगा. साथ ही पेट संबंधी सभी विकार दूर हो जाते हैं. 

पेट की बीमारी में एलोवेरा का सेवन फायदेमंद 

घृतकुमारी  के औषधीय गुण से पेट के रोग में भी लाभ होता है। गूदे को पेट के ऊपर बांधने से पेट की गांठ बैठ जाती है। इस उपचार से आंतों में जमा हुआ मल भी आराम से बाहर निकल जाता है।
एलोवेरा की 10-20 ग्राम जड़ को उबाल लें। इसे छानकर भुनी हुई हींग मिला लें। इसे पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
*एलोवेरा के 6 ग्राम गूदा और 6 ग्राम गाय का घी, 1 ग्राम हरड़ चूर्ण और 1 ग्राम सेंधा नमक लें। इसे मिलाकर सुबह-शाम खाने से वात विकार से होने वाले गैस की समस्या ठीक होती है।
 आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सी आर यादव के अनुसार रोज सुबह खालीपेट एक चम्मच एलोवेरा जूस को एक कप पानी में मिलाकर पीने से हार्ट की प्रॉब्लम जैसी कई बीमारियों से बचाव होता है। एलोवेरा जूस के फायदों को जानते हुए लोग इसे दिन में दो या तीन बार पीते हैं।
*गाय के घी में 5-6 ग्राम घृतकुमारी के गूदे में त्रिकटु सोंठ, मरिच पिप्‍प्‍ली, हरड़ और सेंधा नमक मिला लें। इसका सेवन करने से गैस की समस्या में लाभ होता है।
60 ग्राम घृतकुमारी के गूदे में 60 ग्राम घी, 10 ग्राम हरड़ चूर्ण तथा 10 ग्राम सेंधा नमक मिला लें। इसे अच्छी तरह मिला लें।इसको 10-15 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से वात दोष से होने वाले पेट की गैस की समस्या से निजात मिलता है। इस पेस्‍ट का सेवन पेट से जुड़ी बीमारियों व वात दोष से होने दूसरे रोगों में भी फायदेमंद होता है।

alovera ke fayde 

*एलोवेरा के पत्ते के दोनों ओर के कांटों को अच्छे से साफ कर लें। इसके छोटे-छोटे टुकड़े काटकर मिट्टी के एक बर्तन में रख लें। इसके 5 किलो के टुकड़े में आधा किलो नमक डालकर बर्तन का मुंह बंद कर दें। इसे 2-3 दिन धूप में रखें। इसे बीच-बीच में हिलाते रहें। तीन दिन बाद इसमें 100 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम धनिया, 100 ग्राम सफेद जीरा, 50 ग्राम लाल मिर्च, 6 ग्राम भुनी हुई हींग डाल लें। इसी में 30 ग्राम अजवायन, 100 ग्राम सोंठ, 6 ग्राम काली मिर्च, 6 ग्राम पीपल, 5 ग्राम लौंग भी डाल लें। इसके साथ ही 5 ग्राम दाल चीनी, 50 ग्राम सुहागा, 50 ग्राम अकरकरा, 100 ग्राम कालाजीरा, 50 ग्राम बड़ी इलायची और 300 ग्राम राई डालकर महीन पीस लें। रोगी की क्षमता के अनुसार 3-6 ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम देने से पेट के वात-कफ संबंधी सभी विकार खत्म होते हैं। सूखने पर अचार, दाल, सब्जी आदि में डालकर प्रयोग करें।

एलोवेरा कौन कौन सी बीमारी में काम आता है?

इसे सुनेंयह जहां बवासीर, डायबिटीज, गर्भाशय के रोग, पेट की खराबी, जोड़ों का दर्द, त्वचा की खराबी, मुंहासे, रूखी त्वचा, धूप से झुलसी त्वचा, झुर्रियों, चेहरे के दाग-धब्बों, आंखों के काले घेरों, फटी एड़ियों के लिए यह लाभप्रद है वहीं दूसरी तरफ यह खून की कमी को दूर करता है तथा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

एलोवेरा जूस पीने का तरीकाः

तो आप सुबह खाली पेट एलोवेरा के जूस का सेवन करें. शरीर में पेट संबंधी कोई भी बीमारी हो तो आप सुबह 15-20 ग्राम एलोवेरा के जूस में शहद और नींबू मिलाकर सेवन करें, इसे पेट संबंधी समस्याओं के साथ-साथ इम्यूनिटी को भी मजबूत बनाया जा सकता है.
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22.2.22

अण्डकोष की सूजन के आयुर्वेदिक उपचार:Andkosh ki sujan ke upachar



अंडकोष को अँग्रेजी  में Scrotum कहा जाता है जो की एक पतली थैली के रूप में आदमी के लिंग के नीचे स्थित होती है| इस थैली में दो बहुत ही जरुरी अंग पाए जाते हैं जिन्हें हम testicles कहते हैं और जिनमें वीर्य का उत्पादन होता है| वैसे तो अंडकोष मोटी और मजबूत त्वचा का बना होता है लेकिन फिर भी कई प्रकार के रोग या बीमारी इसे ग्रसित कर सकते हैं और उनमें से सबसे ज्यादा पुरुषों को अंडकोष में दर्द और सूजन का सामना करना पड़ता है| अंडकोष में दर्द और सूजन दायें या बाएँ  अथवा दोनों और हो सकता है| पुरुष को अपने जीवन की किसी भी अवस्था में इस दर्द और सुजन का सामना करना पड़ सकता है|>अंडकोष का दर्द धीरे और लम्बे समय तक भी हो सकता है और कई लोगों में ये दर्द बहुत जयादा तेज भी हो सकता है| सही समय पर इस समस्या का निदान न होने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं| इसलिए यदि आपके अंडकोष में तेज दर्द और सूजन है तो आपको तुरंत किसी अच्छे urologist से मिलकर उसका इलाज करवा लेना चाहिए| लेकिन यदि आपकी प्रॉब्लम जयादा सीरियस नहीं है तो आप कुछ घरेलु नुस्खे अपनाकर pain और सूजन  को कम कर सकते हैं| लेकिन सबसे पहले अंडकोष में दर्द और सूजन करने वाले कारणों के बारे में थोड़ी जानकारी बढ़ा ली जाये|

 वो कारण जो अंडकोष में दर्द और सुजन के लिए जिम्मेदार होते हैं-

अंडकोष में दर्द और सूजन के कुछ प्रचलित कारणों में से कुछ नीचे दिए गये हैं | जरुरी नहीं की आपकी बीमारी के लिए ये ही कारण जिमेदार हों| इसलिए सही कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर से मिलना अनिवार्य हैं|
Inguinal hernia – इसे groin hernia भी कहते हैं| इसमें छोटी आंत या fatty tissue का कुछ भाग आपके अंडकोष में आकर दर्द और सूजन पैदा करता है| यह हर्निया अकसर भारी बोझ उठाने के कारण होता है| अकसर लोग gym में सीधे ही भारी भरकम बोझ उठा लेते हैं और हर्निया का शिकार हो जाते हैं|

*Torsion – इस कंडीशन में आपकी स्पेर्मटिक कोर्ड मुड जाती है या ट्विस्ट हो जाती है और जिसके कारण आपके testes की और जाने वाला रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है| इसमें रोगी को बहुत तेज दर्द होता है| समय रहते इसका इलाज न हो तो permanent damageभी हो सकता है| यह एक आपातकालीन स्तिथि होती है|
Epididymitis – इसमें आपकी epididymis में inflammation या सोअज हो जाती है| Epididymis एक तुबे जैसी संरचना होती है जो की आपके दोनों testes के पीछे की और स्थित होती है| Epididymitis में रोगी को अंडकोष में असहनीय दर्द होता है| epididymis में inflammation होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे चोट लग जाना, बैक्टीरिया द्वारा संक्रमण. sexually transmitted disease जैसे chlamydia and gonorrhea आदि| *Epididymitis ज्यादातर 18 से 36 वर्ष के लोगों में ज्यादा देखने को मिलता है|
*Orchitis – इस रोग में आपके testes में inflammation हो जाता है जो की बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के कारण होता है| ये inflammation एक ओर या दोनों ओर हो सकता है| इसमें अंडकोष में सुजन और दर्द रहने लगता है| यह ज्यादातर 45 या उससे बड़ी उम्र के पुरषों में अधिक देखने को मिलता है|
*इनके अलावा अंडकोष में सूजन, दर्द और irritation के कई और कारन होते हैं जैसे अंडकोष में पानी भरना, हर्निया सर्जरी के बाद भी दर्द कुछ महीनों तक रहता है| इनके अलावा prostatitis, गांठ का होना, पथरी और मम्प्स होना भी दर्द और सूजन के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं|

* यह पुरषों की बहुत ही sensitive स्थान होता है| यदि आपको लगता है की आपकी प्रॉब्लम सीरियस नहीं है और बस हल्का फुल्का दर्द महसूस हो रहा है तो आपको कुछ घेरलू नुस्खे और सावधानियाँ अपनाकर उस दर्द से मुक्ति पा सकते हैं| नीचे कुछ जरुरी बातें बताई गयी हैं|अंडकोष में दर्द और सुजन से ग्रसित लोगों को डॉक्टर सबसे पहले आराम लेने की सलाह जरूर देता हैं| आपको सभी कार्य छोड़कर कुछ दिन bed rest लेना चाहिए| कोई ऐसा काम न करें जिससे आपके अंडकोष पर दवाब पड़े|
सामान्य दर्द और सुजन को आप बर्फ की सहायता से ख़तम कर सकते हैं| आपको बर्फ का टुकड़ा रुमाल या तौलिए में लपेटना है और दर्द वाली जगह पर कुछ मिनट्स के लिए लगाना है| ऐसा आपको हर 2 घंटे के अन्तराल में करना है|
   डॉक्टर या किसी जानकार की सलाह के अनुसार सही नाप का supporter या लंगोट का इस्तेमाल करें| इससे आपके अंडकोष को  सहारा मिलेगा और दर्द में राहत|

andkosh ki sujan ke upchar

कभी भी भारी भरकम बोझ न उठाएं और यदि जरुरी हो तो अपने फॅमिली members की मदद लें|
खेलों में चोट से बचने के लिए protective कप और supporter जरुर पहने|
*Epididymitis, पथरी, और संक्रमण की स्तिथि में अपने डॉक्टर से जरुरी दर्द निवारक दवा जैसे brufen, aspirin, paracetamol आदि और एंटीबायोटिक्स लिखवाकर नियमित रूप से लें|
*कम कोलेस्ट्रॉल वाला खाना खाइए और दिन भर में ढेर सारा पानी पीजिये|
*STD से बचने के लिए संभोग से पहले जरुरी सावधानियाँ बरतें|
*हल्दी का लेप अंडकोष के बढ़ने यानि सूजन को कम करने में आपकी मदद कर सकता है|
*अदरक के रस में शहद मिलकर पिने से लाभ मिलता है इसी प्रकार टमाटर, सेंधा नामक और अदरक का सलाद के रूप में सेवन करने से भी फायदा होता है|


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19.2.22

उच्च रक्तचाप के उपचार:High blood presure nuskhe

  


आपका हृदय धमनियों के माध्यम से खून को शरीर में भेजता है। शरीर की धमनियों में बहने वाले रक्त के लिए एक निश्चित दबाव जरूरी होता है। जब किसी वजह से यह दबाव अधिक बढ़ जाता है, तब धमनियों पर ज्यादा असर पड़ता है। दबाव बढ़ने के कारण धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करना पड़ता है। इस स्थिति को उच्च रक्तचाप कहते हैं। उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) एक गंभीर बीमारी है। क्या आपको पता है कि हाई बीपी के लक्षण क्या-क्या होते हैं। हाई ब्लड प्रेशर होने पर आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। हाई बीपी के इलाज के लिए आपको क्या उपाय करना चाहिए।

हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के कारण 


उच्च रक्तचाप असंतुलित जीवनशैली और आहार के कारण तो होता ही है लेकिन ये भी कारण होते हैं-

-ब्लड प्रेशर हाई होने का प्रमुख कारण मोटापा होता है। मोटे व्यक्ति में बी.पी. बढ़ने का खतरा आम व्यक्ति से ज्यादा होता है।

-शारीरिक श्रम न करना। जो लोग व्यायाम, खेल-कूद और कोई भी शारीरिक क्रिया नहीं करते और आरामतलब जीवन जीते हैं, उन्हें रक्तचाप की समस्या हो सकती है।

-जो व्यक्ति शुगर, दिल के रोग, किडनी के रोगों से ग्रसित होते हैं एवं जिनकी रक्त धमनियां कमजोर होती हैं उनमें रक्तचाप उच्च हो जाता है।

-ज्यादा नमकीन खाद्य पदार्थों का सेवन करने से।

-पिज्जा, बर्गर, चाऊमिन, मोमोज आदि  खाने से बी.पी. बढ़ जाता है।

-जो व्यक्ति धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन करते हैं।

-प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को भी बी.पी. बढ़ने की समस्या होती है।

हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के लक्षण


हाई बी.पी. के कारण हृदय से जुड़े रोग, गुर्दे के रोग, आँख आदि खराब हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप एक धीमा जहर है जो धीरे-धीरे शरीर के अंगों को खराब कर देता है। उच्च रक्तचाप से नियंत्रण में लाने के लिए या हाई बीपी से बचने के लिए सबसे पहले हाई बीपी के लक्षणों को जानना जरूरी होता है। चलिये इसके बारे में जानते हैं-

– उच्च रक्तचाप के लक्षण के रूप में व्यक्ति को तेज सिर दर्द होता है।

-उच्च रक्तचाप के लक्षण के रूप में व्यक्ति को थकावट और ज्यादा तनाव होता है।

-रोगी को सीने में दर्द होता है और भारीपन की अनुभूति होती है।

-रोगी को सांस लेने में परेशानी महसूस होना।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को घबराहट महसूस होती है।

-कुछ भी समझने और बोलने में कठिनाई होना।

-उच्च रक्तचाप के रोगी के पैर अचानक सुन्न हो जाते हैं।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को प्रायः बहुत कमजोरी महसूस होती है।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को धुंधला दिखाई पड़ता है।

उच्च रक्तचाप से कैसे बचें?


असंतुलित भोजन और जीवनशैली के कारण भी उच्च रक्तचाप होता है, और अधिकांश लोगों को यह पता नहीं होता है कि हाई ब्लड प्रेशर होने पर क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। इसलिए आप हाई बीपी के लक्षणों का पता चलते ही आहार और जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाएं ताकि बीमारी पर पूरी तरह नियंत्रण पा सकें।

वजन बढ़ने के साथ अक्सर ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। अधिक वजन सोते समय सांस लेने में बाधा उत्पन्न करती है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, इसलिए ब्लड प्रेशर कम करने का एक प्रभावी तरीका वजन कम करना है।

-प्रतिदिन 20-25 मिनट तक व्यायाम करें।

-स्वस्थ आहार जैसे साबुत अनाज, फल, सब्जियां, डेरी प्रोडक्ट्स एवं कम फैट वाले भोजन से बी.पी. कम हो जाता है।

-उच्च रक्तचाप के रोगी को अपनी डायट में मैग्निशियम, कैल्शियम और पोटेशियम से भरपूर खाद्य पदार्थ अधिक खाने चाहिए।

-दूध, हरी सब्जियां, दाल, सोयाबीन, प्याज, लहसुन और संतरें में ये पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं।

-प्रतिदिन मेवे में 4 अखरोट एवं 5 से 7 बादाम खाएं।

-उच्च रक्तचाप में फलों में सेब, अमरूद, अनार, केला, अंगूर, अनानास, मौसंबी, पपीता।

-हर रोज सुबह खाली पेट लहसुन की 2 कलियां खाएं।

-खट्टे फल, नींबू पानी, सूप, नारियल पानी, सोया, अलसी और काले चने खाएं।

-रोजाना पानी अधिक मात्रा में पीये।

-भोजन के लिए सोयाबीन तेल इस्तेमाल करना चाहिए।

-सलाद में प्याज, टमाटर, मूली, गाजर, खीरा, गोभी का सेवन करने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

-बिना मलाई वाले दूध का सेवन करें।

-रक्तचाप उच्च होने में ओमेगा-3 भी शामिल करें।

-हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्ति को डार्क चॉक्लेट का सेवन करना चाहिए। डार्क चॉक्लेट बी.पी. कम करती है।

हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) के लिए आहार 


हाई बीपी में आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। ये बातें यहां लिखी गई है। हाई बीपी के लक्षण महसूस होने पर इनसे परहेज करना चाहिएः-

-जिस व्यक्ति का बी.पी. हाई हो उसे नमक कम खाना चाहिए।

-कॉफी और चाय का सेवन अधिक करने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है।

-डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि उनमें नमक ज्यादा होता है।

-स्मोकिंग और शराब का सेवन न करें।

-उच्च रक्त के व्यक्ति को चाय और कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।

-बाहर की चीजें जैसे पिज्जा, बर्गर आदि का सेवन न करें।

-बेकिंग सोड़ा का सेवन उच्च रक्तचाप के रोगी को नहीं करना चाहिए।

-खाना खाते समय अपने भोजन में नमक ऊपर से न डालें।

-पापड़ भी बिना नमक के ही खाएं।

-चटनी, आचार, अजीनोमोटो, बेंकिंग पाउडर और सॉस खाने से परहेज करें।

-बी-पी. के रोगियों को ऐसा खाना नहीं खाना चाहिए जिसमें फैट अधिक हो।

-जब आप सोते हैं तो बी.पी. कम होता है। यदि आप भरपूर नींद नहीं लेंगे तो ब्लड प्रेशर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जो लोग कम सोते हैं उनका ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है।

-हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए गुस्सा जानलेवा होता है। जितना संभव प्रयास हो सके, तनाव और गुस्से से दूर रहना चाहिए। रोजाना मेडिटेशन और योगा करना चाहिए।

-बहुत अधिक मात्रा में मादक पदार्थों के सेवन से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे आगे जाकर वजन बढ़ता है और दिल का दौरा पड़ने की संभावना भी बढ़ जाती है।

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के घरेलू उपाय


उच्च रक्तचाप से राहत पाने के लिए लोग पहले घरेलू नुस्खे आजमाते हैं। चलिये जानते हैं कि ऐसे कौन-कौन-से घरेलू उपाय हैं जो उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में  सहायता करते हैं-

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए लहसुन का इस्तेमाल 

लहसुन हर घर में इस्तेमाल में लाया जाता है। लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार होता है। लहसुन से हाई बीपी को नियंत्रित कर सकते हैं।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए आँवले के रस का सेवन 


एक बड़ा चम्मच आँवले का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह-शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है। इससे उच्च रक्तचाप का उपचार होता है।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए काली मिर्च का प्रयोग 


जब ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो तो आधे गिलास गुनगुने पानी में काली मिर्च पाउडर का एक चम्मच घोल लें। इसे दो-दो घंटे के बाद पीते रहें। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों का उपचार होता है।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए तरबूज का सेवन 


उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में तरबूज लाभ पहुंचाता है। तरबूज के बीज की गिरी तथा खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा में रख लें। इसका रोजाना एक-एक चम्मच सेवन (bp high treatment at home) करें।

उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए नींबू का उपयोग 

बढ़े हुए ब्लड प्रेशर में एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़कर तीन-तीन घण्टे के अन्तर में पीना चाहिए। इससे उच्च रक्तचाप का इलाज होता है।

तुलसी और नीम से करें हाई बीपी कम करने के उपाय 


उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए पाँच तुलसी के पत्ते तथा दो नीम की पत्तियों को पीस लें। इसे एक गिलास पानी में घोलकर खाली पेट सुबह पिएं। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षणों का इलाज (home remedies for high bp) होता है।

खाली पैर हरी घास पर चलने से उच्च रक्तचाप होता है कम 


हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को नंगे पैर हरी घास पर 10-15 मिनट तक चलना चाहिए। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नॉर्मल हो जाता है।

पालक और गाजर के जूस से करें हाई बीपी कम करने के उपाय


उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए ताजा पालक और गाजर का रस निकालें। इसे रोज पिएं। इसका रस लाभकारी सिद्ध होता है।

करेला से करें हाई बीपी कम करने के उपाय 

उच्च रक्तचाप के इलाज के लिए करेला और सहजन के फल का सेवन करें। यह उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है। इससे हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण ठीक होते हैं।

ब्राउन राइस उच्च रक्तचाप को करे कंट्रोल 


उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए ब्राउन चावल खाना चाहिए। उच्च रक्तचाप के रोगियों को ब्राउन चावल बहुत लाभ देता है और हाई ब्लड प्रेशऱ के लक्षण दूर होते हैं।

मेथीदाना से करें हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल 


3 ग्राम मेथीदाना पाउडर सुबह-शाम पानी के साथ लें। इसे प्रतिदिन खाने से लाभ मिलता है। इससे उच्च रक्तचाप का इलाज होता है।

उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा है टमाटर 


उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए टमाटर का सेवन करें। टमाटर से हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है। रोजाना एक टमाटर या एक कप टमाटर का जूस पिएं।

उच्च रक्तचाप की आयुर्वेदिक दवा है अनार 

आप अनार से बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। रोजाना एक अनार या अनार का जूस पीने से हाई ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। 

हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए चुकंदर का सेवन 


आप चुकंदर से भी बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। एक चुकंदर और आधी मूली लें। इनको छील कर इनके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें। मिक्सर में डालकर जूस निकाल लें। यह जूस दिन में एक बार पीने से हाई बी.पी. कण्ट्रोल (home remedies for high bp) में आ जाता है।

हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए तिल के तेल का उपयोग 


बीपी कम करने के लिए आप घरेलू उपाय कर सकते हैं। इसके लिए आप रोजाना अपने खाने में तिल के तेल का प्रयोग करें। इससे बीपी कम हो जाता है।

हाई बीपी को कम करने के लिए नारियल का प्रयोग 

आप नारियल से भी बीपी कम करने के उपाय कर सकते हैं। आप पूरे दिन में 2-3 बार नारियल पानी का प्रयोग करें। इससे हाई बीपी कम हो जाता है।

डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? 

ब्लड प्रेशर का सामान्य से कम या अधिक होना, दोनों ही घातक होता है। जब मरीज का रक्तचाप 140-90 से अधिक होता है तो उस स्थिति को उच्च रक्तचाप कहा जाता है। बीपी कम करने के घरेलू उपाय के बाद भी जब मरीज को हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण के रूप में सीने में दर्द और भारीपन महसूस हो, और सांस लेने में परेशानी हो। सिर दर्द हो, कमजोरी या धुंधला दिखाई दे तो मरीज को डॉक्टर से जल्द से जल्द मिलना चाहिए, नहीं तो यह गंभीर रोग में परिवर्तित होकर घातक स्थिति तक पहुँच सकता है।

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13.2.22

शतावरी के फायदे:Shatavari increase mother milk

 





शतावरी (asparagus) एक ऐसा आयुर्वेदिक हर्ब है जो पुरूष और महिला दोनों के सेक्स जीवन को उन्नत करने में मदद करती है। आजकल के व्यस्त जीवन और खराब जीवनशैली के कारण लोगों में सेक्स करने की इच्छा धीरे-धीरे कम होती जा रही है। जिसका सीधा प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ने लगा है।
*इस समस्या से राहत दिलाने में शतावरी बहुत मदद करती है। यह पुरूष और महिला दोनों में सेक्स करने की इच्छा को जागृत तो करती ही है साथ ही उसको उन्नत भी करती है। यदि आपको उच्च रक्तचाप की बीमारी है या गर्भवती हैं तो शतावरी का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें

*आज हम आपको एक झाड़ीनुमा लता के बारे में बताते है , जिसमें फूल मंजरियों में एक से दो इंच लम्बे एक या गुच्छे में लगे होते हैं और फल मटर के समान पकने पर लाल रंग के होते हैं ..नाम है "शतावरी" ..I

satavari ke fayde 

आपने विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में इसके प्रयोग को अवश्य ही जाना होगा ..अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं, इसके प्रयोग को ..! आयुर्वेद के आचार्यों के अनुसार , शतावर पुराने से पुराने रोगी के शरीरको रोगों से लड़ने क़ी क्षमता प्रदान करता है I इसे शुक्रजनन,शीतल ,मधुर एवं दिव्य रसायन माना गया है I महर्षि चरक ने भी शतावर को बल्य और वयः स्थापक ( चिर यौवन को बरकार रखने वाला) माना है.I आधुनिक शोध भी शतावरी क़ी जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मान चुके हैं I

अब हम आपको शतावरी के कुछ आयुर्वेदिक योग क़ी जानकारी देंगे ..जिनका औषधीय प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में करना अत्यंत लाभकारी होगा 

satavari ke fayde 

*शतावरी के कुछ जड़ों को पीसकर पावडर बना लें। एक कप में उबलता हुआ पानी लें और उसमें इस पावडर को डालकर कुछ देर तक उबालकर काढ़ा जैसा बना लें। फिर थोड़ा-सा ठंडा होने पर काढ़ा को पी लें। इस काढ़ा के सेवन से आपके सेक्स जीवन में कुछ हद तक सुधार ज़रूर आएगा।
*यदि आप नींद न आने क़ी समस्या से परेशान हैं तो बस शतावरी क़ी जड़ को खीर के रूप में पका लें और थोड़ा गाय का घी डालें ,इससे आप तनाव से मुक्त होकर अच्छी नींद ले पायेंगे ..!
*शतावरी एक चमत्कारी औषधि है जिसे कई रोगों के इलाज में उपयोग किया जाता है। खासतौर पर सेक्स शक्ति को बढ़ाने में इसका विशेष योगदान होता है। यह एक झाड़ीनुमा पौधा होता है, जिसमें फूल व मंजरियां एक से दो इंच लम्बे एक या गुच्छे में लगे होते हैं और मटर जितने फल पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। 
*आयुर्वेद के मुताबिक, शतावर पुराने से पुराने रोगी के शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इसके अलावा इसका उपयोग विभिन्न नुस्खों में व्याधियों को नष्ट कर शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाने में किया जाता है।

satavari ke fayde 

*शतावरी क़ी ताज़ी जड़ को यवकूट करें ,इसका स्वरस निकालें और इसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर पका लें,हो गया मालिश का तेल तैयार |.इसे माइग्रेन जैसे सिरदर्द में लगायें और लाभ देखें I
*यदि रोगी खांसते-खांसते परेशान हो तो शतावरी चूर्ण - 1.5 ग्राम ,वासा के पत्ते का स्वरस 2.5 मिली ,मिश्री के साथ लें और लाभ देखें I
*प्रसूता स्त्रियों में दूध न आने क़ी समस्या होने पर शतावरी का चूर्ण -पांच ग्राम गाय के दूध के साथ देने से लाभ मिलता है ..!
*यदि पुरुष यौन शिथिलता से परेशान हो तो शतावरी पाक या केवल इसके चूर्ण को दूध के साथ लेने से लाभ मिलता है I

*शतावरी को शुक्रजनन, शीतल, मधुर एवं दिव्य रसायन माना जाता है। महर्षि चरक ने भी शतावरी को चिर यौवन को कायम रखने वाला माना था। आधुनिक शोध भी शतावरी की जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मानते हैं। शतावरी के लगभग 5 ग्राम चूर्ण को सुबह और रात के समय गर्म दूध के साथ लेना लाभदायक होता है। इसे दूध में चाय की तरह पकाकर भी लिया जा सकता है।
 * यह औषधि स्त्रियों के स्तनों को बढ़ाने में मददगार होती है। इसके अलावा शतावरी के ताजे रस को 10 ग्राम की मात्रा में लेने से वीर्य बढ़ता है।

satavari ke fayde 

*शतावरी मूल का चूर्ण 2.5 ग्राम को मिश्री 2.5 ग्राम के साथ मिलाकर पांच ग्राम मात्रा में रोगी को सुबह शाम गाय के दूध के साथ देने से प्रमेह, प्री-मैच्योर इजेकुलेशन (स्वप्न-दोष) में लाभ मिलता है। यही नहीं शतावरी की जड़ के चूर्ण को दूध में मिलाकर सेवन करने से धातु वृद्धि भी होती है।
*यदि रोगी को मूत्र या मूत्रवह संस्थान से सम्बंधित विकृति हो तो शतावरी को गोखरू के साथ लेने से लाभ मिलता है I
*शतावरी के पत्तियों का कल्क बनाकर घाव पर लगाने से भी घाव भर जाता है ...!
यदि रोगी स्वप्न दोष से पीड़ित हो तो शतावरी मूल का चूर्ण -2.5 ग्राम ,मिश्री -2.5 ग्राम को एक साथ मिलाकर .*पांच ग्राम क़ी मात्रा में रोगी को सुबह शाम गाय के दूध के साथ देने से प्रमेह ,प्री -मेच्युर -इजेकुलेशन (स्वप्न-दोष ) में लाभ मिलता है I
*गाँव के लोग इसकी जड़ का प्रयोग गाय या भैंसों को खिलाते हैं, तो उनकी दूध न आने क़ी समस्या में लाभ मिलता पाया गया है ...अतः इसके ऐसे ही प्रभाव प्रसूता स्त्रियों में भी देखे गए हैं
*शतावरी के जड के चूर्ण को पांच से दस ग्राम क़ी मात्रा में दूध से नियमित से सेवन करने से धातु वृद्धि होती है !
वातज ज्वर में शतावरी के रस एवं गिलोय के रस का प्रयोग या इनके क्वाथ का सेवन ज्वर (बुखार ) से मुक्ति प्रदान करता है ..I
*शतावर पुराने से पुराने रोगी के शरीर को रोगों से लडऩे की क्षमता प्रदान करता है। इसे शुक्रजनन,शीतल ,मधुर एवं दिव्य रसायन माना गया है। महर्षि चरक ने भी शतावरी को चिर यौवन को बरकार रखने वाला माना है। आधुनिक शोध भी शतावरी की जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मान चुके हैं। अब हम आपको शतावरी के कुछ आयुर्वेदिक योग की जानकारी देंगे, जिनका औषधीय प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में करना अत्यंत लाभकारी होगा।

satavari ke fayde 

* यदि आप नींद न आने की समस्या से परेशान हैं तो बस शतावरी की जड़ को खीर के रूप में पका लें उसमें थोड़ा गाय का घी डालें और ग्रहण करें। इससे आप तनाव से मुक्त होकर अच्छी नींद ले पाएंगे।
 *शतावरी की ताजी जड़ को मोटा-मोटा कुट लें, इसका स्वरस निकालें और इसमें बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर पका लें।इस तेल को माइग्रेन जैसे सिरदर्द में लगाएं और लाभ देखें।
*यदि रोगी खांसते-खांसते परेशान हो तो शतावरी चूर्ण - 1.5 ग्राम, वसा के पत्ते का स्वरस 2.5 मिली, मिश्री के साथ लें और लाभ देखें।
*प्रसूता स्त्रियों में दूध न आने की समस्या होने पर शतावरी का चूर्ण -पांच ग्राम गाय के दूध के साथ देने से लाभ मिलता है।
-पुरुष यौन शिथिलता से परेशान हो तो शतावरी पाक या केवल इसके चूर्ण को दूध के साथ लेने से लाभ मिलता है।

satavari ke fayde 

*यदि रोगी को मूत्र से सम्बंधित विकृति हो तो शतावरी को गोखरू के साथ लेने से लाभ मिलता है।
* शतावरी मूल का चूर्ण -2.5 ग्राम, मिश्री -2.5 ग्राम को एक साथ मिलाकर पांच ग्राम क़ी मात्रा में रोगी को सुबह शाम गाय के दूध के साथ देने से प्रमेह, प्री -मैच्योरइजेकुलेशन (स्वप्न-दोष ) में लाभ मिलता है।
*शतावरी के जड़ के चूर्ण को पांच से दस ग्राम की मात्रा में दूध के साथ नियमित रूप से सेवन करने से धातु वृद्धि होती है।
*वातज ज्वर में शतावरी के रस एवं गिलोय के रस का सेवन करने से ज्वर (बुखार) से मुक्ति मिलती है।
-शतावरी के रस को शहद के साथ लेने से जलन, दर्द एवं अन्य पित्त से सम्बंधित बीमारियों में लाभ मिलता है।
शतावरी के रस को शहद के साथ लेने से जलन ,दर्द एवं अन्य पित्त से सम्बंधित बीमारियों में लाभ मिलता है ..
..शतावरी हिमतिक्ता स्वादीगुर्वीरसायनीसुस्निग्ध शुक्रलाबल्यास्तन्य मेदोस ग्निपुष्टिदा |चक्षु स्यागत पित्रास्य,गुल्मातिसारशोथजित...उदधृत किया है ..तो शतावरी एक बुद्धिवर्धक,अग्निवर्धक,शुक्र दौर्बल्य को दूर करनेवाली स्तन्यजनक औषधि है|
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